RBSE Solutions for Class 12 Political Science Chapter 2 एक दल के प्रभुत्व का दौर

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Political Science Chapter 2 एक दल के प्रभुत्व का दौर Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Political Science Solutions Chapter 2 एक दल के प्रभुत्व का दौर

RBSE Class 12 Political Science एक दल के प्रभुत्व का दौर InText Questions and Answers

क्रियाकलाप सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

(पृष्ठ संख्या 27)

Political Science Class 12 Chapter 2 Question Answers In Hindi प्रश्न 1. 
हमारे लोकतंत्र में ही ऐसी कौन-सी खूबी है? आखिर देर-सबेर हर देश ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपना ही लिया है। है न?
उत्तर:
आधुनिक युग में लोकतंत्र को सर्वोत्तम तथा आदर्श शासन प्रणाली माना गया है। इस कारण ही विश्व के अधिकांश देशों में लोकतंत्रात्मक शासन प्रणाली को ही अपनाया गया है। लम्बे स्वाधीनता संघर्ष के बाद भारत में भी इसी कारण लोकतंत्र की स्थापना की गयी। स्वतंत्र भारत का जन्म अत्यन्त कठिन परिस्थितियों में हुआ था तथा देश के समक्ष कई गम्भीर चुनौतियाँ थीं। परन्तु हमारे स्वतंत्रता संग्राम की गहरी प्रतिबद्धता लोकतंत्र में थी।

भारत में सन् 1951 - 52 के आम चुनाव लोकतंत्र के लिए परीक्षा की घड़ी थी। इस समय तक लोकतंत्र केवल धनी देशों में ही कायम था। परन्तु भारतीय जनता ने विश्व के इतिहास में लोकतंत्र के सबसे बड़े प्रयोग को जन्म दिया। इससे यह बात साबित हो गयी कि दुनिया में कहीं भी लोकतंत्र पर अमल किया जा सकता है। इस प्रकार भारत विश्व के आदर्श प्रजातंत्रात्मक श्रेणी के देशों में आ गया है। लोकतंत्र की इसी सफलता और विशेषता के कारण कुछ समय पश्चात् देश ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपना लिया। 

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(पृष्ठ संख्या 28)

Class 12 Political Science Chapter 2 Question Answer In Hindi प्रश्न 2. 
यह एक सही फैसला था लेकिन ऐसे लोगों का क्या किया जाए जो अभी भी औरतों को किसी की पत्नी के रूप में देखने के आदी हैं। इस तरह के व्यवहार से लगता है, मानो एक स्त्री का कोई नाम ही न हो।
उत्तर:
प्रथम आम चुनाव कराने के लिए भारत में चुनाव क्षेत्रों का सीमांकन कार्य किया गया। मतदाता सूचियों का जब पहला प्रारूप प्रकाशित हुआ तो पता चला कि इसमें 40 लाख महिलाओं के नाम दर्ज होने से रह गए हैं। इन महिलाओं को 'अलां की बेटी' 'फलां की बीवी' के रूप में दर्ज किया गया था। चुनाव आयोग ने ऐसी प्रविष्टियों को मानने से इन्कार कर दिया तथा फैसला लिया कि इसका पुनरावलोकन किया जाए तथा ऐसी प्रविष्टियों को हटाया जाए। वास्तव में यदि वर्तमान संदर्भो में भी देखा जाए तो समाज में आज भी महिलाओं को पूर्ण समानता का दर्जा प्राप्त नहीं हुआ है जबकि महिलाएँ आज अपने बल-बूते पर पुरुष प्रधान क्षेत्रों में अपना प्रभुत्व स्थापित किए हुए हैं। भारत देश के सर्वोच्च गरिमामय पद को श्रीमती प्रतिभा पाटिल सुशोभित कर चुकी हैं। 

परन्तु फिर भी आज समाज में महिलाओं को अपना अस्तित्व सिद्ध करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है। दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या जैसी घटनाएँ न जाने कितनी महिलाओं/बालिकाओं की बलि ले लेती हैं। पुरुष प्रधान समाज में योग्य व सुशिक्षित स्त्रियों के साथ भी कई परिवारों में अत्यन्त दुर्व्यवहार किया जाता है। इक्कीसवीं सदी में कदम रखने पर भी महिलाओं को बराबरी का दर्जा आज भी समाज में प्राप्त नहीं है। समाज में अपना स्थान बनाने के लिए एक स्त्री को स्वयं ही शोषण के विरुद्ध अपनी आवाज बुलंद करनी होगी।

(पृष्ठ संख्या 29)

Class 12th Political Science Chapter 2 Question Answer In Hindi प्रश्न 3. 
खोज - बीन - अपने परिवार और पड़ोस के बुजुर्गों से चुनाव में भागीदारी के उनके अनुभवों के बारे में पछिए। क्या इनमें से किसी ने पहले या दूसरे आम चुनाव में भाग लिया था? इन लोगों ने किसको वोट दिया और वोट
देने का कारण क्या था? क्या इनमें कोई ऐसा व्यक्ति है जिसने तीनों तरीके से मतदान किया हो? कौन - सा तरीका उसे सबसे ज्यादा पसंद आया? उस दौर के चुनावों की तुलना में आज के समय के चुनावों में इन्हें क्या-क्या फ़र्क नज़र आते हैं ?
उत्तर:
हमने अपने परिवार और पड़ोस के बुजुर्गों से चुनाव में भागीदारी के सम्बन्ध में खोज-बीन कर पूछताछ की व उनके अनुभव जाने पड़ोस में रहने वाले नितिन के दादाजी ने पहले आम चुनाव में भाग लिया था तथा इन्होंने कांग्रेस पार्टी को वोट दिया था। उनका कहना था कि उन्होंने कांग्रेस को वोट इसलिए दिया था क्योंकि यह पार्टी स्वाधीनता संग्राम की विरासत के रूप में मिली थी तथा स्वाधीनता आंदोलन में इसका प्रमुख योगदान रहा था।

इसी प्रकार सुधा की दादी जो अत्यन्त वृद्ध हैं उन्होंने चुनाव में तीनों तरीके से मतदान किया है। अभी पिछले लोकसभा चुनावों में उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के द्वारा मतदान किया था। मशीन के द्वारा बटन दबाते ही मतदान प्रक्रिया पूर्ण हो गई। अत: यह अनुभव उन्हें सबसे आश्चर्यजनक लगा तथा उन्हें आनन्द भी आया। विभिन्न लोगों से चर्चा करने के बाद यह तथ्य सामने आया कि उस दौर के चुनावों में और वर्तमान चुनावों में उन्हें बहुत अंतर नज़र आता है। ये अंतर इस प्रकार हैं।

  1. तत्कालीन मतदाता राजनीतिक विचारधाराओं के सम्बन्ध में पूर्ण शिक्षित नहीं था। जबकि वर्तमान में अनेक साधनों की उपलब्धता के कारण लोगों को राजनीतिक शिक्षा अधिक प्रदान की जा रही है।
  2. उस दौर में राजनीतिक पार्टियाँ देशहित के लिए कार्य करती थीं परन्तु वर्तमान में राजनीतिक पार्टियों का प्रमुख उद्देश्य सत्ता प्राप्ति व निजी हितों को प्रोत्साहन देना होता है।
  3. प्रथम आम चुनाव में प्रत्येक मतदान केन्द्र पर चुनाव क्षेत्र में जितने उम्मीदवार खड़े होते थे उतनी ही मतपेटियों को रखा जाता था। परन्तु आधुनिक दौर में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का प्रयोग किया जाने लगा है।
  4. उस दौर में देश में 17 करोड़ मतदाताओं में से 85% मतदाता अशिक्षित थे। जबकि वर्तमान भारत में साक्षरता की दर बहुत बढ़ी हुई है। 
  5. उस दौर में मतदान के प्रति बहुत उत्साह देखा गया परन्तु वर्तमान समय में लोग मतदान के प्रति उत्साह नहीं दिखाते हैं तथा वोट डालने तक नहीं जाते हैं। 

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(पृष्ठ संख्या 31)

Class 12 Pol Science Chapter 2 Question Answer In Hindi प्रश्न 4. 
क्या आप उन जगहों को पहचान सकते हैं जहाँ कांग्रेस बहुत मजबूत थी ? किन प्रांतों में दूसरी पार्टियों को ज्यादातर सीटें मिलीं ?
उत्तर:
पाठ्य पुस्तक के पृष्ठ सं. 31 पर दिखाए मानचित्र के अनुसार:

  1. पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मणिपुर, असम में कांग्रेस बहुत मजबूत थी।
  2. केरल में डेमोक्रेटिक लेफ्ट फ्रंट तथा जम्मू और कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस को अधिकांशतः सीटें मिलीं। 

(पृष्ठ संख्या 36)

Class 12 Political Science Chapter 2 Question Answer Hindi Medium प्रश्न 5. 
पहले हमने एक ही पार्टी के भीतर गठबंधन देखा और अब पार्टियों के बीच गठबंधन होता देख रहे हैं। क्या इसका मतलब यह हुआ कि गठबंधन सरकार 1952 से ही चल रही है?
उत्तर:
स्वतंत्रता के समय एक पार्टी अर्थात् काँग्रेस के अन्दर गठबंधन था। काँग्रेस ने अपने अंदर क्रान्तिकारी व शान्तिवादी, कंजरवेटिव व रेडिकल, गरमपंथी व नरमपंथी, दक्षिणपंथी व वामपंथी तथा प्रत्येक धारा के मध्यमार्गियों को समाहित किया। काँग्रेस एक मंच की तरह थी जिस पर अनेक समूह, हित व राजनीतिक दल एकत्रित हो जाते थे तथा राजनीतिक कार्यों में भाग लेते थे। काँग्रेस पार्टी ने इन विभिन्नताओं, समुदायों एवं विचारधारा के लोगों में आम सहमति बनाये रखी।

लेकिन धीरे - धीरे देश में अनेक राजनीतिक दलों का विकास हुआ और गठबंधन की राजनीति का दौर प्रारम्भ हुआ। गठबंधन की राजनीति में विभिन्न राजनीतिक दलों के समर्थन के आधार पर सरकारों का गठन किया जाने लगा। इस प्रकार के गठबंधन निजी स्वार्थों व शर्तों पर आधारित होते हैं जिनमें परस्पर सहमति स्थापित करना एक जटिल कार्य है। इस प्रकार यह कथन सत्य है कि गठबंधन सरकार सन् 1952 से ही चल रही है लेकिन गठबंधन के स्वरूप एवं प्रकृति में व्यापक अन्तर आया है।

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Class 12 Rajniti Vigyan Chapter 2 Question Answer प्रश्न 1. 
सही विकल्प को चुनकर खाली जगह को भरें
(अ) 1952 के पहले आम चुनाव में लोकसभा के साथ - साथ ...... के लिए भी चुनाव कराए गए थे। (भारत के राष्ट्रपति पद/राज्य विधानसभा/राज्यसभा/प्रधानमंत्री) (ब) ...... लोकसभा के पहले आम चुनाव में 16 सीटें जीतकर दूसरे स्थान पर रही। ............... (प्रजा सोशलिस्ट पार्टी/भारतीय जनसंघ/भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी/भारतीय जनता पार्टी) (स) ...... स्वतन्त्र पार्टी का एक निर्देशक सिद्धान्त था। (कामगार तबके का हित/रियासतों का बचाव/राज्य के नियन्त्रण से मुक्त अर्थव्यवस्था/संघ के भीतर राज्यों की स्वायत्तता) 
उत्तर:
(अ) राज्य विधानसभा।
(ब) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी।
(स) राज्य के नियन्त्रण से मुक्त अर्थव्यवस्था। 

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Class 12 Political Science Ch 2 Question Answer In Hindi प्रश्न 2. 
यहाँ दो सूचियाँ दी गई हैं। पहले में नेताओं के नाम दर्ज हैं और दूसरे में दलों के। दोनों सूचियों में मेल बैठाएँ। 

(अ) एस० ए० डांगे

(i) भारतीय जनसंघ 

(ब) श्यामा प्रसाद मुखर्जी

(ii) स्वतन्त्र पार्टी 

(स) मीनू मसानी

(iii) प्रजा सोशलिस्ट पार्टी 

(द) अशोक मेहत

(iv) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी 

उत्तर:

(अ) एस० ए० डांगे

(iv) भारतीय कम्युनिस्ट पार्ट

(ब) श्यामा प्रसाद मुखर्जी

(i) भारतीय जनसंघ 

(स) मीनू मसानी

(ii) स्वतन्त्र पार्टी 

(द) अशोक मेहत

(iii) प्रजा सोशलिस्ट पार्टी। 


कक्षा 12 राजनीति विज्ञान पाठ 2 के प्रश्न उत्तर प्रश्न 3. 
एकल पार्टी के प्रभुत्व के बारे में यहाँ चार बयान लिखे गए हैं। प्रत्येक के आगे सही या गलत का चिह्न लगाएँ
(अ) विकल्प के रूप में किसी मजबूत राजनीतिक दल का अभाव एकल पार्टी - प्रभुत्व का कारण था। 
(ब) जनमत की कमजोरी के कारण एक पार्टी का प्रभुत्व कायम हुआ। 
(स) एकल पार्टी - प्रभुत्व का सम्बन्ध राष्ट्र के औपनिवेशिक अतीत से है। 
(द) एकल पार्टी - प्रभुत्व से देश में लोकतान्त्रिक आदर्शों के अभाव की झलक मिलती है।
उत्तर:
(अ) सही, 
(ब) गलत, 
(स) सही, 
(द) गलत।

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राजनीति विज्ञान कक्षा 12 के प्रश्न उत्तर पाठ 2 प्रश्न 4. 
अगर पहले आम चुनाव के बाद भारतीय जनसंघ अथवा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी होती तो किन मामलों में इस सरकार ने अलग नीति अपनाई होती? इन दोनों दलों द्वारा अपनाई गई नीतियों के बीच तीन अन्तरों का उल्लेख करें।
उत्तर:
भारतीय जनसंघ: यदि पहले आम चुनावों के बाद भारतीय जनसंघ की सरकार बनती तो अपनाई जाने वाली नीतियाँ इस प्रकार की हो सकती थीं।

  1. जनसंघ का विचार था कि देश भारतीय संस्कृति और परंपरा के आधार पर आधुनिक, प्रगतिशील व शक्तिशाली बन सकता है। अतः एक देश, एक संस्कृति और एक राष्ट्र के विकास पर बल दिया जाता।
  2. भारतीय जनसंघ अंग्रेजी भाषा को हटाकर हिन्दी को राष्ट्रभाषा का स्थान दिलाता। 
  3. भारतीय जनसंघ धार्मिक और सांस्कृतिक आधार पर अल्पसंख्यकों को रियायत नहीं देता।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी: यदि पहले आम चुनावों के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनती तो अपनायी जाने वाली नीतियाँ इस प्रकार की हो सकती थीं।

  1. यदि पहले आम चुनावों में इस दल की सरकार होती, तो यह दल रूस या चीन की मित्रता को विदेश नीति में अधिक महत्त्व देता। 
  2. यह दल अल्पसंख्यक, सांस्कृतिक और धार्मिक लोगों को विशेष अधिकार व रियायतें दिए जाने के पक्ष में था। 
  3. यह प्राचीन भारतीय संस्कृति, धर्म तथा हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने के पक्ष में उस तरह की विचारधारा नहीं रखता जिस प्रकार की भारतीय जनसंघ रखता था।

Class 12 Political Chapter 2 Question Answer In Hindi प्रश्न 5. 
कांग्रेस किन अर्थों में एक विचारधारात्मक गठबंधन थी ? कांग्रेस में मौजूद विभिन्न विचारधारात्मक उपस्थितियों का उल्लेख करें।
उत्तर:
कांग्रेस को निम्नांकित अर्थों में एक विचारधारात्मक गठबंधन की संज्ञा दी जा सकती है:
(i) प्रारंभ से ही अनेक समूहों ने अपनी पहचान को कांग्रेस के साथ समाहित कर लिया। लेकिन कई समूहों ने अपनी पहचान को कांग्रेस के साथ एकसार नहीं किया तथा अपने - अपने विश्वासों पर विचार करते हुए एक व्यक्ति या समूह के रूप में कांग्रेस के भीतर बने रहे। इस अर्थ में कांग्रेस एक विचारधारात्मक गठबंधन था। 

(ii) सन् 1924 में भारतीय साम्यवादी दल की स्थापना हुई। सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया। यह दल सन् 1942 तक कांग्रेस के एक गुट के रूप में रहकर ही काम करता रहा। सन् 1942 में इस गुट को कांग्रेस से अलग करने के लिए सरकार ने इस पर से प्रतिबंध हटाया। कांग्रेस में शान्तिवादी और क्रांतिकारी, रूढ़िवादी और परिवर्तनकारी, गरमपंथी और नरमपंथी, दक्षिणपंथी और वामपंथी तथा प्रत्येक धारा के मध्यमार्गियों को समाहित कर लिया गया। 

(iii) कांग्रेस ने समाजवादी समाज की स्थापना को अपना लक्ष्य बनाया। इसी कारण स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् कई समाजवादी पार्टियाँ बर्नी लेकिन विचारधारा के आधार पर वे अपनी स्वतंत्र पहचान नहीं स्थापित कर सकी तथा कांग्रेस के प्रभुत्व व वर्चस्व को नहीं हिला सकीं। इस प्रकार कांग्रेस एक ऐसा मंच था जिस पर अनेक हित समूह और राजनीतिक दल एकत्रित होकर राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेते थे। आजादी से पहले अनेक संगठन और पार्टियों को कांग्रेस में रहने की अनुमति प्राप्त थी। 

(iv) कांग्रेस में अनेक ऐसे समूह थे जिनके अपने स्वतंत्र संविधान थे और संगठनात्मक ढाँचा भी अलग था जैसे कि कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी। फिर भी उन्हें कांग्रेस के एक गुट में बनाए रखा गया।

जहाँ तक कांग्रेस में मौजूद विभिन्न विचारधारात्मक उपस्थिति के उल्लेख का सम्बन्ध है इसके लिए निम्नलिखित तथ्य प्रकाश में लाए जा सकते हैं:

(i) कांग्रेस का उदय सन् 1885 में हुआ था। उस समय यह नवशिक्षित, कार्यशील और व्यापारिक वर्गों का मात्र एक हित-समूह थी परन्तु बीसवीं सदी में इसने जन आंदोलन का रूप धारण कर लिया। इसी कारण से कांग्रेस ने एक जनव्यापी राजनीतिक पार्टी का रूप ले लिया और राजनीतिक व्यवस्था में इसका वर्चस्व स्थापित हुआ।

(ii) प्रारम्भ में कांग्रेस में अंग्रेजी संस्कृति में विश्वास रखने वाले उच्च वर्ग के शहरी लोगों का वर्चस्व था। परन्तु कांग्रेस ने जब भी सविनय अवज्ञा जैसे आन्दोलन चलाए, उससे सामाजिक आधार बढ़ा। कांग्रेस ने परस्पर हितों के अनेक समूहों को एक साथ जोड़ा। कांग्रेस में किसान व उद्योगपति, शहर के नागरिक तथा गाँव के निवासी मजदूर और मालिक तथा मध्य, निम्न व उच्च वर्ग आदि सभी को स्थान मिला।

(iii) धीर - धीरे कांग्रेस का नेतृत्व विस्तृत हुआ तथा यह अब केवल उच्च वर्ग या जाति के पेशेवर लोगों तक ही सीमित नहीं रहा। इसमें कृषि व कृषकों की बात करने वाले तथा गाँव की ओर रुझान रखने वाले नेता भी उभरे। स्वतन्त्रता के समय तक कांग्रेस एक सतरंगे सामाजिक गठबंधन का रूप धारण कर चुकी थी तथा वर्ग, जाति, धर्म, भाषा व अन्य हितों के आधार पर इस सामाजिक गठबंधन से भारत की विविधता की झलक प्राप्त होती थी। 

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कक्षा 12 राजनीति विज्ञान अध्याय 2 के प्रश्न उत्तर प्रश्न 6. 
क्या एकल पार्टी प्रभुत्व की प्रणाली का भारतीय राजनीति के लोकतांत्रिक चरित्र पर खराब असर हुआ?
उत्तर:
यह सत्य है कि एकल पार्टी प्रभुत्व प्रणाली का राजनीतिक लोकतांत्रिक प्रवृत्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ता है तथा प्रभुत्व प्राप्त दल विपक्षी पार्टियों की आलोचना की परवाह न करके मनमाने ढंग से शासन चलाने लगता है व लोकतंत्र को तानाशाही शासन में बदलने की संभावना विकसित होती है, परन्तु हमारे देश में ऐसा नहीं हुआ। पहले तीन आम चुनावों में कांग्रेस के प्रभुत्व का भारतीय राजनीति पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ा। इसने भारतीय राजनीति के लोकतांत्रिक चरित्र को सुदृढ़ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया। इस प्रकार एकल पार्टी प्रभुत्व प्रणाली के अच्छे परिणामों की पुष्टि निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर होती है।

  1. कांग्रेस राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान किए गए वायदों को पूर्ण करने में सफल रही। जनमानस में कांग्रेस एक विश्वसनीय दल था, जनमानस की आशाएँ उसी से जुड़ी थीं। अतः मतदाताओं ने उसे ही चुना।
  2. तत्कालीन भारत में लोकतंत्र और संसदीय शासन प्रणाली अपनी शैशवावस्था में थी। यदि उस समय कांग्रेस का प्रभुत्व न होता और सत्ता के लिए प्रतिस्पर्धा होती तो जनसाधारण का विश्वास लोकतंत्र और संसदीय शासन प्रणाली से उठ जाता।
  3. तत्कालीन मतदाता राजनीतिक विचारधाराओं के सम्बन्ध में पूर्ण शिक्षित नहीं था, उसका मात्र 15% भाग ही शिक्षित था। मतदाताओं को कांग्रेस में ही आस्था थी। अत: जनता का मानना था कि कांग्रेस से ही जनकल्याण की आशा की जा सकती है।
  4. प्रभुत्व की स्थिति प्राप्त होने के कारण विपक्षी दलों द्वारा सरकार की आलोचना होने पर भी सरकार अपना कार्य करती रही। इसने भारतीय लोकतंत्र, संसदीय शासन प्रणाली व भारतीय राजनीति की लोकतांत्रिक प्रकृति को सुदृढ़ करने में योगदान दिया।

Class 12 Chapter 2 Political Science Question Answer In Hindi प्रश्न 7. 
समाजवादी दलों और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच के तीन अन्तर बताएँ। इसी तरह भारतीय जनसंघ और स्वतंत्र पार्टी के बीच के तीन अन्तरों का उल्लेख करें।
उत्तर:
समाजवादी दल और कम्युनिस्ट पार्टी के बीच अन्तर-समाजवादी दल की जड़ों को स्वतंत्रता से पहले के उस समय में ढूँढ़ा जा सकता है जब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जन आंदोलन चला रही थी। वहीं दूसरी ओर सन् 1920 के दशक के प्रारम्भिक वर्षों में भारत के विभिन्न भागों में कम्युनिस्ट ग्रुप (साम्यवादी समूह) उभरे। इन दोनों पार्टियों के बीच निम्नलिखित अन्तर हैं।

समाजवादी दल

कम्युनिस्ट पार्टी

1. समाजवादी दल पूर्ण रूप से राज्य द्वारा नियंत्रित अर्थव्यवस्था की समर्थक नहीं थी। वह समाजवादी कार्यक्रमों तथा जनकल्याण कारी योजनाओं को लागू करना चाहती थी।

1. कम्युनिस्ट पार्टी पूर्ण रूप से राज्य द्वारा नियंत्रित अर्थव्यवस्था और उत्पादन व वितरण पर सरकार का पूर्ण स्वामित्व चाहती थी।

2. समाजवादी पूँजीपतियों और पूँजी को पूर्णतः अनावश्यक व समाज विरोधी नहीं मानते हैं।

2. कम्युनिस्ट निजी पूँजी और पूँजीपतियों को पूर्णतः अनावश्यक व समाजट्रोही मानते हैं।

3. समाजवादी दल सामाजिक नियंत्रण व लोकतांत्रिक परम्पराओं तथा संवैधानिक उपायों के द्वारा समाजवाद को लागू करना चाहती है।

3. कम्युनिस्ट पार्टी सामाजिक क्रान्ति और आंदोलन तथा हिंसात्मक तरीकों में विश्वास रखती है चाहे सरकार जबरदस्ती उत्पादन के साधनों और भूमि का राष्ट्रीयकरण करने के लिए मजबूर क्यों न हो।


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Class 12 Political Science Chapter 2 In Hindi प्रश्न 8. 
भारत और मैक्सिको दोनों ही देशों में एक खास समय तक एक पार्टी का प्रभुत्व रहा। बताएँ कि मैक्सिको में स्थापित एक पार्टी का प्रभुत्व कैसे भारत की एक पार्टी के प्रभुत्व से अलग था ?
अथवा 
भारत की कांग्रेस पार्टी का प्रभुत्व अन्य देशों में एक दलीय प्रभुत्व के उदाहरणों से किस प्रकार भिन्न है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इंस्टीट्यूशनल रिवोल्यूशनरी पार्टी जिसे स्पेनिश में पी. आर. आई. कहा जाता है, का मैक्सिको में लगभग 60 वर्षों तक शासन रहा। इस पार्टी की स्थापना सन् 1929 में हुई थी। तब इसे रिवोल्यूशनरी पार्टी कहा जाता था। मूलतः पी. आर. आई. में राजनेता व सैनिक नेता, मजदूर तथा किसान संगठन व अनेक राजनीतिक दलों सहित विभिन्न किस्म के हितों का संगठन था। समय बीतने के साथ - साथ पी. आर. आई. के संस्थापक प्लूटार्को इलियास कैलस ने इसके संगठन पर कब्जा कर लिया व इसके पश्चात् नियमित रूप से होने वाले चुनावों में प्रत्येक बार पी. आर. आई. ही विजयी होती रही। शेष पार्टियाँ केवल नाम मात्र की थीं जिससे कि शासक दल को वैधता प्राप्त होती रहे। चुनाव के नियम भी इस प्रकार तय किए गए कि पी. आर. आई. की जीत हर बार निश्चित हो सके। शासक दल ने अक्सर चुनावों में हेरफेर और धांधली की। पी. आर. आई. के शासन को 'परिपूर्ण तानाशाही' कहा जाता है। 

अंततः सन् 2000 में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में इस पार्टी को पराजय का मुंह देखना पड़ा। मैक्सिको अब एक पार्टी के प्रभुत्व वाला देश नहीं रहा, फिर भी अपने प्रभुत्व के काल में पी. आर. आई. ने जो तरीके अपनाए थे उनका लोकतंत्र की सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। मुक्त और निष्पक्ष चुनाव की बात पर अब भी वहाँ के नागरिकों का पूर्ण विश्वास नहीं जम पाया है। भारत में स्वतंत्रता संघर्ष से लेकर लगभग सन् 1967 तक देश की राजनीति पर एक ही पार्टी (कांग्रेस) का प्रभुत्व रहा। यहाँ हम मैक्सिको की तुलना भारत में कांग्रेस के प्रभुत्व से करते हैं तो दोनों में अनेक प्रकार के अन्तर मिलते हैं जिनमें से निम्नलिखित प्रमुख हैं। 

  1. भारत और मैक्सिको में एकल पार्टी का प्रभुत्व सम्बन्धी अन्तर यह है कि भारत में कांग्रेस का प्रभुत्व एक साथ न रहा, जबकि मैक्सिको में पी. आर. आई. का शासन निरंतर 60 वर्षों तक चला। 
  2. भारत और मैक्सिको में एक पार्टी के प्रभुत्व के मध्य एक बड़ा अन्तर यह है कि मैक्सिको में एक पार्टी का प्रभुत्व लोकतंत्र की कीमत पर कायम हुआ, जबकि भारत में ऐसा कभी नहीं हुआ। भारत में कांग्रेस पार्टी के साथ - साथ प्रारंभ से ही अनेक पार्टियाँ चुनाव में राष्ट्रीय स्तर व क्षेत्रीय स्तर के रूप में भाग लेती रहीं जबकि मैक्सिको में ऐसा नहीं हुआ।
  3. भारत में प्रजातांत्रिक संस्कृति व प्रजातांत्रिक प्रणाली के अन्तर्गत कांग्रेस का प्रभुत्व रहा जबकि मैक्सिको में शासक दल की तानाशाही के कारण इसका प्रभुत्व रहा।

इस प्रकार उपर्युक्त विवेचन के द्वारा स्पष्ट होता है कि भारत और मैक्सिको दोनों ही देशों में लम्बे समय तक एक ही पार्टी का प्रभुत्व रहा। परन्तु कुछ दृष्टियों में दोनों के प्रभुत्व में अंतर था।

Pol Science Class 12 Chapter 2 Question Answer In Hindi प्रश्न 9. 
भारत का एक राजनीतिक नक्शा लीजिए (जिसमें राज्यों की सीमाएँ दिखाई गई हों) और उसमें निम्नलिखित को चिह्नित कीजिए
(अ) ऐसे दो राज्य जहाँ सन् 1952 - 67 के दौरान कांग्रेस सत्ता में नहीं थी। 
(ब) दो ऐसे राज्य जहाँ इस पूरी अवधि में कांग्रेस सत्ता में रही।
उत्तर:
(अ) 
(i) जम्मू और कश्मीर 
(ii) केरल। 
(ब) 
(i) उत्तर प्रदेश, 
(ii) मध्य प्रदेश।
RBSE Solutions for Class 12 Political Science Chapter 2 एक दल के प्रभुत्व का दौर 2

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Class 12 Political Science Chapter 2 Questions And Answers In Hindi प्रश्न 10. 
निम्नलिखित अवतरण को पढ़कर इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए कांग्रेस के संगठनकर्ता पटेल कांग्रेस को दूसरे राजनीतिक समूह में निसंग रखकर उसे एक सर्वांगसम तथा अनुशासित पार्टी बनाना चाहते थे। वे चाहते थे कि कांग्रेस सबको समेटकर चलने वाला स्वभाव छोड़े और अनुशासित कॉर्डर से युक्त एक सगुंफित पार्टी के रूप में उभरे। 'यथार्थवादी' होने के कारण पटेल व्यापकता की जगह अनुशासन को ज्यादा तरजीह देते थे। अगर “आन्दोलन को चलाते चले जाने" के बारे में गाँधी के ख्याल हद से ज्यादा रोमानी थे तो कांग्रेस को किसी एक विचारधारा पर चलने वाली अनुशासित तथा धुरन्धर राजनीतिक पार्टी के रूप में बदलने की पटेल की धारणा भी उसी तरह कांग्रेस की उस समन्वयवादी भूमिका को पकड़ पाने में चूक गई जिसे कांग्रेस को आने वाले दशकों में निभाना था।
(अ) लेखक क्यों सोच रहा है कि कांग्रेस को एक सर्वांगसम तथा अनुशासित पार्टी नहीं होना चाहिए? 
(ब) शुरुआती सालों में कांग्रेस द्वारा निभाई गई समन्वयवादी भूमिका के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
रजनी कोठारी: 
(अ) लेखक सरदार वल्लभभाई पटेल के विचारों के सन्दर्भ में वक्तव्य देते हुए कह रहे हैं कि भारत में लौह पुरुष पटेल कांग्रेस को किसी अन्य रूप में देखना चाहते थे अर्थात् सरदार पटेल चाहते थे कि कांग्रेस को एक सर्वांगसम तथा अनुशासित पार्टी नहीं होना चाहिए क्योंकि वे उसे यथार्थवादी व अनुशासित पार्टी बनाए जाने के पक्ष में नहीं थे। वे चाहते थे कि कांग्रेस एक व्यापक समूह न बने, बल्कि साम्यवादी विचारधारा वाले दल और जनसंघ जैसी एक निश्चित विचारधारा वाली पार्टी बने, जिसमें अनुशासन हो। वह कांग्रेस को गांधीवादी विचारधारा के साथ-साथ भूमि सुधार, समाज सुधार तथा समन्वयवादी भूमिका में लाना चाहते थे।

(ब) शुरुआती सालों में कांग्रेस की समन्वयवादी भूमिका के अनेक उदाहरण प्रस्तुत किए जा सकते हैं, जैसे-कांग्रेस समाज के प्रत्येक वर्ग - कृषक, मजदूर, व्यापारी, वकील आदि सभी को साथ लेकर चली। इस प्रकार कांग्रेस को सभी वर्गों का समर्थन प्राप्त हुआ। इसके अलावा कांग्रेस को उदारवादी, उग्रराष्ट्रवादी, हिन्दू महासभा के अनेक नेताओं, व्यक्तिवाद के समर्थकों, सिख और मुस्लिम जैसे अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जाति व जनजातियों, ब्राह्मण, राजपूत व पिछड़ा वर्ग आदि सभी का समर्थन प्राप्त हुआ। इसी प्रकार वामपंथी और दक्षिणपंथी विचारधारा के लोग भी कांग्रेस में शामिल थे।

Prasanna
Last Updated on Jan. 12, 2024, 9:14 a.m.
Published Jan. 11, 2024