Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Physics Chapter 9 किरण प्रकाशिकी एवं प्रकाशिक यंत्र Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
2.5 cm साइज की कोई छोटी मोमबत्ती 36 cm वक्रता त्रिज्या के किसी अवतल दर्पण से 27 cm दूरी पर रखी है। दर्पण से किसी पर्दे को कितनी दूरी पर रखा जाये कि उसका स्पष्ट प्रतिबिम्ब पर्दे पर बने ? प्रतिबिम्ब की प्रकृति और साइज का वर्णन कीजिए। यदि मोमबत्ती को दर्पण की ओर ले जायें, तो पर्दै को किस ओर हटाना पड़ेगा?
हल:
दिया है O = +2.5 cm, u = -27 cm, R = 36 cm, v= ?, I= ?
∵ अवतल दर्पण के लिए
\(f=-\frac{\mathrm{R}}{2}=-\frac{36}{2}=-18 \mathrm{~cm}\)
∴ दर्पण के सूत्र से,
या I = -2 x 2.5 = -5 cm
इस प्रकार प्रतिबिम्ब दर्पण के आगे 54 cm की दूरी पर वास्तविक, उल्टा (real and inverted) तथा 5.0 cm लम्बा बनेगा।
आंकिक रूप से u > f, अत: जैसे - जैसे मोमबत्ती को दर्पण (closer to the mirror) की ओर ले जायेंगे ( u का मान घट रहा है), उसका आकार बढ़ता जायेगा और दर्पण से उसकी दूरी भी बढ़ती जायेगी जब तक u > f बना रहता है। अतः पर्दे को दर्पण से दूर हटाते रहना होगा। जब u = f हो जायेगा तो प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनने लगेगा। इसके बाद जैसे ही u < f (when the focal point is crossed) की स्थिति आयेगी तो प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे सीधा एवं आभासी बनेगा जिसे पर्दे पर प्राप्त करना सम्भव नहीं होगा।
प्रश्न 2.
4.5 cm साइज की कोई सुई 15 cm फोकस दूरी के किसी उत्तल दर्पण से 12 cm दूर रखी है। प्रतिबिम्ब की स्थिति तथा आवर्धन ज्ञात कीजिए। सुई को दर्पण से दूर ले जाने पर क्या होगा? वर्णन कीजिए।
हल:
दिया है: f = +15 cm, O = 4.5 cm, u = -12 cm, v = ?, m = ?, (उत्तल दर्पण के लिए f+ve होगा)
∵दर्पण के सूत्र से,
अतः प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे 6.67 cm दूरी पर सीधा, आभासी (virtual erect) एवं 2.5 cm आकार का बनेगा।
जैसे - जैसे मई को दर्पण से दूर खिसकाते हैं, प्रतिविम्य दर्पण के फोकस की ओर खिसकता जाता है और इसका आकार छेटा होता जाता है।
प्रश्न 3.
कोई टैंक 12.5 cm ऊंचाई तक जल से भरा है। किसी सूक्ष्मदर्शी द्वारा टैंक की तली (bottem) पर पड़ी सुई की आभासी गहराई 9.4 m मापी जाती है। जल का अपवर्तनांक क्या है? यदि टैंक में जल के स्थान पर उसी ऊँचाई तक 1.63 अपवर्तनांक वाला द्रव भर दिया जाये, तो सुई को फोकसित करने के लिए सूक्ष्मदर्शी को कितना ऊपर/नीचे ले जाना होगा?
हल:
द्रव का अपवर्तनांक
दिया है: H = 12.5 cm, h = 9.4 cm, nwa = ?
∴ \(n_{w a}=\frac{12 \cdot 5}{4 \cdot 4}=1 \cdot 33\)
जब टैंक में जल के स्थान पर कोई अन्य द्रव लेते हैं तो
दिया है: nla = 1.63, h' = ?
∴ सूत्र nla = \(\frac{\mathrm{H}}{h^{\prime}}\) से,
h' = \(\frac{\mathrm{H}}{n_{l a}}=\frac{12.5}{1.63}\) = 7.7 cm
∴ सूक्ष्मदर्शी का विस्थापन
x = h - h' = 9.4 - 7.7 = 1.7 cm
अत: सूक्ष्मदी को पुनः सुई पर फोकस करने के लिए 1.7 cm नीचे खिसकाना होगा।
प्रश्न 4.
चित्र (a) तथा (b) में किसी आपतित किरण का अपवर्तन दिखाया गया है जो वायु में क्रमशः काँच - वायु तथा जल - वायु अन्तरापृष्ठ (Interface) के अभिलम्ब (normal) से 60° का कोण बनाती है। उस आपतित किरण का अपवर्तन कोण ज्ञात कीजिए जो जल में जल - काँच अन्तरापृष्ठ के अभिलम्ब से 45° का कोण बनाती है[चित्र (c)]|
हल:
स्नेल के नियम से चित्र (a) व (b) से क्रमशः
\(\begin{aligned} n_{g a}=\frac{\sin i}{\sin r}=\frac{\sin 60^{\circ}}{\sin 35^{\circ}} &=\frac{0.8660}{0.5736} \\ &=1.51 \end{aligned}\)
और \(n_{w a}=\frac{\sin 60^{\circ}}{\sin 41^{\circ}}=\frac{0.8660}{06561}=1.32\)
चित्र (c) के लिए,
\(n_{g w}=\frac{n_{g a}}{n_{w a}}=\frac{1.51}{1.32}=1.1439\)
इस दशा में \(n_{g w}=\frac{\sin 45^{\circ}}{\sin r}\)
∴ \(\sin r=\frac{\sin 45^{\circ}}{n_{g w}}=\frac{0.7071}{1.1439}=0.6181\)
∴ \(r=\sin ^{-1}(0.6181)=38^{\circ}\)
या r = 38°
प्रश्न 5.
जल से भरे 80 cm गहराई के किसी टैंक के तल पर एक बल्ब रखा है। जल के पृष्ठ का क्षेत्रफल ज्ञात कीजिए, जिससे बल्ब का प्रकाश निर्गत हो सकता है। जल का अपवर्तनांक 1.33 है। (बल्ब को बिन्दु स्रोत मानिये।)
हल:
बल्ब से चलने वाली किरणें तब तक जल पृष्ठ से बाहर निकलेंगी जब तक जल पृष्ठ पर प्रकाश किरणों का आपतन क्रान्तिक कोण (ic) के बराबर या कम रहता है। चित्र (a) में दिखाया गया है कि बल्ब S से जल के पृष्ठ पर r त्रिज्या के वृत्तीय क्षेत्रफल से प्रकाश निर्गत होगा।
दिया है: h = 80 cm, nwa = 1.33
∴ sin ic = \(\frac{1}{n_{w a}}=\frac{1}{1.33}=\frac{1}{4 / 3}=\frac{3}{4}\)
चित्र (b) को इसी आधार पर बनाया गया है।
चित्र (a) से,
tan ic = \(\frac{\mathrm{PO}}{\mathrm{OS}}=\frac{r}{h}\)
r = h tan ic ................(1)
चित्र (b) से,
\(\tan i_c=\frac{3}{\sqrt{7}}\)
∴ समी. (1) से,
∴ प्रकाश के निर्गमन के लिए पृष्ठीय क्षेत्रफल
या A = 2.6 m2
प्रश्न 6.
कोई प्रिज्म अज्ञात अपवर्तनांक के काँच का बना है। कोई समान्तर प्रकाश पुंज इस प्रिज्म के किसी फलक पर आपतित होता है। प्रिज्म का न्यूनतम विचलन कोण 40° मापा गया। प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक क्या है? प्रिज्म का अपवर्तन कोण 60° है। यदि प्रिज्म को जल (अपवर्तनांक 1.33) में रख दिया जाये तो प्रकाश के समान्तर पुंज के लिए नये न्यूनतम विचलन कोण का परिकलन कीजिए।
हल:
दिया है: प्रिज्म कोण A = 60°, वायु में δm = 40°,
∴ वायु के सापेक्ष प्रिज्म के काँच का अपवर्तनां
दिया है: जल का वायु के सापेक्ष अपवर्तनांक
nwa = 1.33
∴ जल के सापेक्ष काँच का अपवर्तनांक
\(n_{g w}=\frac{n_{g a}}{n_{w a}}=\frac{1532}{1.33}=1 \cdot 152\)
माना प्रिज्म को जल में रखने पर न्यूनतम विचलन कोण δm है, अतः
प्रश्न 7.
अपवर्तनांक 1.55 के काँच से दोनों फलकों की समान वक्रता त्रिज्या के उभयोत्तल लेन्स निर्मित करने हैं। यदि 20 cm फोकस दूरी के लेन्स निर्मित करने हैं तो अपेक्षित वक्रता त्रिज्या क्या होगी?
हल:
दिया है: n = 1.55, f = +20 cm, R1 = R2 = R = ?
उभयोत्तल लेन्स के लिए
∴ R = 1.10 x 20 = 11.0 x 2 = 22 cm
प्रश्न 8.
कोई प्रकाश पुंज किसी बिन्दु P पर अभिसरित होता है। कोई लेन्स इस अभिसारी पुंज के पथ में बिन्दु P से 12 m दूर रखा जाता है। यदि यह (a) 20 cm फोकस दूरी का उत्तल लेन्स है, (b) 16 cm फोकस दूरी का अवतल लेन्स है तो प्रकाश पुंज किस विन्दु पर अभिसरित होगा?
हल:
(a) जब अभिसारी प्रकाश पुंज के मार्ग में उत्तल लेन्स रखा जाता है तो बिन्दु P आभासी वस्तु (virtual object) का कार्य करेगा।
अतः f = +20 cm, u = + 12 cm, v = ?
∴ लेन्स - सूत्र से,
अर्थात् प्रकाश पुंज लेन्स के दायीं (right) ओर 7.5 cm दूरी पर अभिसरित होगा।
(b) जब प्रकाश पुंज के मार्ग में अवतल लेन्स (f = -16 cm) रखा जाता है तो
u = +12 cm, f = -16 cm
∴ v = +48 cm
अर्थात् प्रकाश पुंज लेन्स के दायीं ओर 48 cm पर अभिसरित होगा।
प्रश्न 9.
3.0 cm ऊंची कोई वस्तु 21 cm फोकस दूरी के अवतल लेन्स के सामने 14 cm दूरी पर रखी है। लेन्स द्वारा निर्मित प्रतिबिम्ब का वर्णन कीजिए। क्या होता है जब वस्तु लेन्स से दूर हटती जाती है?
हल:
दिया है: O = 3.0 cm, f = -21 cm,u = -14cm, v = ?
लेन्स के सूत्र से \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से,
अतः प्रतिबिम्ब लेन्स के आगे 8.4 cm दूरी पर आभासी, सीधा, काल्पनिक (virtual erect) एवं छोटा अर्थात् 1.8 cm ऊँचा बनेगा।
जैसे - जैसे वस्तु लेन्स से दूर हटती है, प्रतिबिम्ब लेन्स के फोकस की ओर विस्थापित होता जायेगा और इसका आकार छोटा होता जायेगा। (progressively diminishes in size) जब वस्तु अनन्त पर (u → -∝) होगी तो प्रतिबिम्ब फोकस पर बिन्दुनुमा बनेगा।
प्रश्न 10.
किसी 30 cm फोकस दूरी के उत्तल लेन्स के सम्पर्क में रखे 20 cm फोकस दूरी के अवतल लेन्स के संयोजन से बने संयुक्त लेन्स (निकाय) की फोकस दूरी क्या है? यह तन्त्र अभिसारी लेन्स है अथवा अपसारी। लेन्सों की मोटाई की उपेक्षा कीजिए।
हल:
f1 = + 30 cm, f2 = -20 cm, F = ?
∵संयुक्त लेन्स की फोकस दूरी
\(\frac{1}{\mathrm{~F}}=\frac{1}{f_1}+\frac{1}{f_2}\)
\(=\frac{1}{30}-\frac{1}{20}=\frac{2-3}{60}=-\frac{1}{60}\)
∴ F = -60 cm
फोकस दूरी ऋणात्मक है अत: संयोजन अवतल लेन्स की तरह व्यवहार करेगा।
प्रश्न 11.
किसी संयुक्त सूक्ष्मदर्शी में 2.0 cm फोकस दूरी का अभिदृश्यक तथा 6.25 cm फोकस दूरी का नेत्रिका एक - दूसरे से 15 cm पर लगे हैं। किसी बिम्ब को अभिदृश्यक से कितनी दूरी पर रखा जाये कि अन्तिम प्रतिबिम्ब (a) स्पष्ट दृष्टि की अल्पतम दूरी (25 cm), तथा (b) अनन्त पर बने? दोनों स्थितियों में सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता भी ज्ञात कीजिए।
हल:
(a) दिया है: f0 = 2.0 cm, fe = 6.25 cm, L = 15 cm, u0 = ? जब ve = - 25 cm
अभिनेत्र लेन्स के लिए,
अभिदृश्यक के लिए, f0 = 2.0 cm, v0 = + 10 cm, u0 = ?
∴u0 = -2.5 cm
अर्थात् बिम्ब को अभिदृश्यक के सामने 2.5 cm दूरी पर रखना होगा।
इस स्थिति में आवर्धन क्षमता
\(m=-\frac{v_o}{u_o}\left(1+\frac{\mathrm{D}}{f_e}\right)\)
\(=-\frac{10}{(-2 \cdot 5)}\left(1+\frac{25}{6 \cdot 25}\right)\)
= 4 (1 + 4) = 4 x 5
या m = 20
(b) जब अन्तिम प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनता है तो
ue = fe, ve = ∝
∴ v0 = L - ue = L - fe = 15 - 6.25 = 8.75 cm
अत: बिम्ब को सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक के आगे 2.59 cm दूर रखना होगा।
इस स्थिति में आवर्धन क्षमता
\(m=-\frac{v_o}{u_o} \times \frac{D}{f_e}=-\frac{8.75}{(-2.59)} \times \frac{25}{6.25}\)
या m = 13.5
प्रश्न 12.
25 cm के सामान्य निकट बिन्दुका कोई व्यक्ति ऐसे संयुक्त सूक्ष्मदर्शी जिसका अभिदृश्यक 8.0 mm फोकस दूरी तथा नेत्रिका 2.5 cm फोकस दूरी की है, का उपयोग करके अभिदृश्यक से 9.0 mm दूरी पर रखे बिम्ब को सुस्पष्ट फोकसित कर लेता है। दोनों लेन्सों के बीच की दूरी क्या है? सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता क्या है?
हल:
दिया है: D = 25 cm, fo = 8 mm = 0.8 cm, fe = 2.5 cm, u0 = -9.0 mm = -0-9 cm, L = ?, m = ?
अभिदृश्यक के लिए,
अभिनेत्र लेन्स (eyepiece) के लिए,
ve = -25 cm, fe = 2.5 cm, ue = ?
= 7.2 + 2.27 = 9.47 cm
सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता
या m = 88
प्रश्न 13.
किसी छोटी दूरबीन के अभिदृश्यक की फोकस दूरी 144 cm तथा नेत्रिका की फोकस दूरी 6.0 cm है। दूरबीन की आवर्धन क्षमता कितनी है? अभिदृश्यक तथा नेत्रिका के बीच पृथक्कन दूरी क्या है?
हल:
दिया है: f0 = 144 cm, fe = 6.0 cm, m = ?, L = ?
∴दूरबीन की आवर्धन क्षमता
\(m=-\frac{f_o}{f_e}\)
\(=-\frac{144}{60}=-24\)
दूरबीन की लम्बाई L = f0 + fe = 144 + 6 = 150 cm
प्रश्न 14.
(a) किसी वेधशाला की विशाल दूरबीन के अभिदृश्यक की फोकस दूरी 15 m है। यदि 1.0 cm फोकस दूरी की नेत्रिका प्रयुक्त की गयी है तो दूरबीन का कोणीय आवर्धन क्या है?
(b) यदि इस दूरबीन का उपयोग चन्द्रमा का अवलोकन करने में किया जाये तो अभिदृश्यक द्वारा निर्मित चन्द्रमा के प्रतिबिम्ब का व्यास क्या होगा? चन्द्रमा का व्यास 3.48 x 106 m तथा चन्द्रमा की कक्षा की त्रिज्या (radius of the lunar orbit) 3.8 x 108 m है।
हल:
(a) दिया है: f0 = 15 m,
fe = 1.0 cm = 1.0 x 10-2 m
∴ दूरदर्शी का कोणीय आवर्धन
\(m=-\frac{f_o}{f_e}=-\frac{15}{1 \times 10^{-2}}=-1500\)
ऋण चिह्न (negative sign) यह दर्शाता है कि प्रतिबिम्ब उल्टा बनता है।
(b) माना चन्द्रमा का व्यास Dm है तथा चन्द्रमा के प्रतिबिम्ब का व्यास dm और अभिदृश्यक से चन्द्रमा की दूरी r है। अभिदृश्यक पर चन्द्रमा एवं इसके प्रतिबिम्ब द्वारा समान कोण अन्तरित होंगे।
∴ \(\alpha=\frac{\mathrm{D}_m}{r}=\frac{d_m}{f_o}\)
प्रश्न 15.
दर्पण सूत्र का उपयोग यह व्युत्पन्न करने के लिए सिद्ध कीजिए कि-
(a) किसी अवतल दर्पण (concave mirror) के f तथा 2f के बीच रखी वस्तु का वास्तविक प्रतिबिम्ब से दूर बनता है।
(b) उत्तल दर्पण द्वारा सदैव आभासी प्रतिबिम्ब बनता है जो वस्त की स्थिति पर निर्भर नहीं करता है।
(c) उत्तल दर्पण द्वारा सदैव आकार में छोटा प्रतिबिम्ब (disminished), दर्पण के ध्रुव व फोकस के बीच बनता है।
(d) अवतल दर्पण के धूव तथा फोकस के बीच रखी वस्तु का आभासी तथा बड़ा प्रतिबिम्ब बनता है।
हल:
(a) दर्पण के सूत्र से,
अवतल दर्पण के लिए व दोनों ऋणात्मक होते हैं अतः
\(v=\frac{(-u)(-f)}{(-u)-(-f)}=\frac{u f}{f-u}\)
दिया है: f < u < 2f
∴ (f - u) < 0 या (u - f ) > 0
∴ \(v=\frac{u f}{-(u-f)}\)
या \(v=-\frac{u f}{(u-f)}\)
स्पष्ट है कि का मान ऋणात्मक है अत: प्रतिबिम्ब दर्पण के सामने ही बनेगा। फलस्वरूप प्रतिबिम्ब वास्तविक होगा।
पुनः \(v=\frac{u f}{u-f}\) से,
अर्थात् प्रतिबिम्ब 2f से दूर बनेगा।
(b) समी. (1) से,
\(v=\frac{u f}{u-f}\)
उत्तल दर्पण के लिए f धनात्मक एवं u ऋणात्मक होता है,
∴\(v=\frac{(-u) f}{-u-f}=\frac{-u f}{-(u+f)}\)
या \(v=\frac{u f}{u+f}\) ...........................(2)
स्पष्ट है कि v का मान धनात्यक है अतः प्रतिविम्य दर्पण के पीछे बनेगा और आभासी होगा। इस प्रकार उत्तल दर्पण द्वारा प्रतिबिम्ब सदैव आभासी बनता है और वस्तु की स्थिति पर निर्भर नहीं करता है।
(c) समी. (2) से,
\(v=\frac{u f}{u+f}\)
∴ प्रतिबिम्ब का रेखीय आवर्धन
\(m=\frac{v}{u}=\frac{\frac{u f}{(u+f)}}{u}=\frac{u f}{u(u+f)}\)
या \(m=\frac{f}{(u+f)}\)
∵ f < (u + f)
∴ m < 1
आवर्धन 1 से कम है अतः प्रतिबिम्ब सदैव वस्तु से छोटा बनेगा।
पुनः \(v=\frac{u f}{(u+f)}=\frac{f}{\left(1+\frac{f}{u}\right)}\)
∵ \(\left(1+\frac{f}{u}\right)>1 \quad \therefore v<f\)
अर्थात् प्रतिबिम्ब सदैव ध्रुव एवं फोकस के मध्य बनेगा।
(d) समी. (1) से,
\(v=\frac{u f}{(u-f)}\)
अवतल दर्पण के लिए,
\(v=\frac{(-u)(-f)}{(-u)-(-f)}\)
या \(v=\frac{u f}{(f-u)}\)
∵ वस्तु ध्रुव तथा फोकस के मध्य है अतः
0 < u < f
∴ (f - u) > 0
∴ \(v=\frac{u f}{(f-u)}\) = धनात्मक संख्या
अर्थात् प्रतिबिम्ब दर्पण के पीछे सीधा एवं आभासी बनेगा।
∴ प्रतिबिम्ब का आवर्धन
\(m=\frac{v}{u}\)
∴ \(m=\frac{\frac{u f}{(f-u)}}{u}\)
\(=\frac{u f}{u(f-u)}=\frac{f}{(f-u)}\)
∵ (f - u) < f ∴ m > 1
अर्थात् प्रतिबिम्ब का आकार वस्तु से बड़ा होगा।
प्रश्न 16.
एक मेज के ऊपरी पृष्ठ (table) पर रखी एक छोटी पिन को 50 cm की ऊँचाई से देखा जाता है। यदि इस पिन को मेज के पृष्ठ के समान्तर रखे 15 cm मोटे आयताकार कांच के गुटके के द्वारा उसी बिन्दु से देखा जाये तो पिन कितनी दूरी उठी हुई दिखाई देगी? कांच का अपवर्तनांक 1.5 है। क्या उत्तर गुटके की स्थिति पर निर्भर करेगा?
हल:
गुटके की आभासी मोटाई
∴ पिन का विस्थापन
x = (H - h) = \(\left(\mathrm{H}-\frac{\mathrm{H}}{n}\right)\)
\(=\mathrm{H}\left(1-\frac{1}{n}\right)=\mathrm{H}\left(\frac{n-1}{n}\right)\)
दिया है: H = 15 cm, n = 1.5
∴ x = 15 \(\frac{(1.5-1)}{1.5}\)=15 \(\times \frac{0.5}{1.5}\)
= 5 cm
अत: पिन 5 cm उठी हुई प्रतीत होगी अर्थात् आँख से 45 cm गहराई पर प्रतीत होगी। उत्तर गुटके की स्थिति पर निर्भर नहीं करेगा।
प्रश्न 17.
(a) चित्र में 1.68 अपवर्तनांक के ग्लास फाइबर से बनी किसी प्रकाश नलिका का अनुप्रस्थ परिच्छेद दिखाया गया है। नलिका का बाहा आवरण 1.44 अपवर्तनांक के पदार्थ से बना है। नलिका की अक्ष से आपतित किरणों के कोणों की परिसर, जिनके लिए चित्र में दर्शाए गये अनुसार नलिका के भी पूर्ण परावर्तन होते हैं, ज्ञात कीजिए।
(b) यदि बाहा आवरण न हो, तो उत्तर क्या होगा?
हल:
(a) बाह्य आवरण का अपवर्तनांक n1 = 1.44
फाइबर ग्लास का अपवर्तनांक n2 = 1.68
∴ फाइबर के सापेक्ष आवरण का अपवर्तनांक
\(\therefore n_{12}=\frac{n_1}{n_2}=\frac{1.44}{168}=0.8571\)
यदि क्रान्तिक कोण ic हो तो
sin ic = n12 = 0.8571
∴ ic = sin-1 (0.8571) = 59°
अतः पूर्ण परावर्तन के लिए θ का मान 59° व 90° के मध्य होना चाहिए।
चित्र से स्पष्ट है कि
r + θ = 90° ∴ r = 90° - θ = 90° - 59° = 31°
अतः पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के लिए का परिसर 31° व 0° के मा य होना चाहिए।
इस प्रकार θmin = 59° और rmax = 31°
स्नेल के नियम से,
\(\frac{\sin i}{\sin r}=\frac{n_2}{n_a}\)
∴ \(\frac{\sin i_{\max }}{\sin r_{\max }}=\frac{1.68}{1}\)
∴ sin imax = 1.68 x sin rmax
= 1.68 x sin 31°
= 1.68 x 05150
या sin imax = 0.8652
∴ imax = sin-1(0.8652) = 60°
या imax = 60°
अतः सभी आपाती किरणें जो अक्ष से 0° से 60° के बीच कोण बनाती हैं, पूर्ण आन्तरिक परावर्तित होती हैं।
(b) यदि बाहरी आवरण नहीं है, तो नलिका का आवरण वायु के रूप में होगा अर्थात् अब नलिका के भीतर अपवर्तन ग्लास से वायु में होगा। अतः ग्लास - वायु अन्तरापृष्ठ (interface) के लिए यदि क्रान्तिक कोण ic' हो, तो
\(\sin i_c^{\prime}=\frac{n_a}{n_2}=\frac{1}{1.68}=0.5932\)
∴ \(i_c^{\prime}=\sin ^{-1}(0.5932)=36.5^{\circ}\)
इस स्थिति में rmax = 90° - 36.5° = 53.5°
\(\therefore \quad \frac{\sin i_{\max }}{\sin r_{\max }}=\frac{n_2}{n_a}=\frac{1.68}{1}\)
या sin imax = 1.68 x sin rmax
= 1.68 x sin(53.5°)
=1.68 x 0.8038
या sin imax =1.35
∵ ज्या फलन का अधिकतम मान 1 होता है अत: sin imax = 1.35 होना सम्भव नहीं है। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि अक्ष से 0 व 90° के बीच कोण बनाने वाली सभी किरणें नलिका के भीतर पूर्ण आन्तरिक परावर्तन प्रदर्शित नहीं करेंगी।
प्रश्न 18.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
(a) आपने सीखा है कि समतल दर्पण तथा उत्तल दर्पण सदैव आभासी प्रतिबिम्ब बनाते हैं। क्या ये दर्पण किन्हीं परिस्थितियों में वास्तविक प्रतिबिम्ब बना सकते हैं? स्पष्ट कीजिए।
(b) हम सदैव कहते हैं कि आभासी प्रतिबिम्ब को पर्दे पर नहीं लिया जा सकता है। लेकिन जब हम किसी आभासी प्रतिबिम्ब को देखते हैं तो इसे स्वाभाविक रूप में अपनी आँख की स्क्रीन अर्थात् रेटिना पर लेते हैं। क्या इसमें कोई विरोधाभास है?
(c) किसी झील के तट पर खड़ा मछुआरा झील के भीतर किसी गोताखोर या मछली द्वारा तिरछा देखने पर अपनी वास्तविक लम्बाई की तुलना में कैसा प्रतीत होगा- छोटा या बड़ा?
(d) क्या तिरछा देखने पर किसी जल के टैंक की आभासी गहराई परिवर्तित हो जाती है? यदि हाँ तो आभासी गहराई घटती है अथवा बढ़ती है।
(e) सामान्य काँच की तुलना में हीरे का अपवर्तनांक काफी अधिक होता है। क्या हीरे को तराशने वालों के लिए इस तथ्य का कोई उपयोग है?
उत्तर:
(a) समतल तथा उत्तल दोनों प्रकार के दर्पण अपने सामने रखी किसी वस्तु का दर्पण के पीछे आभासी प्रतिबिम्ब बनाते हैं, समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब वस्तु के बराबर और उत्तल दर्पण में वस्तु से छोटा बनता है। यदि दर्पण के पीछे किसी बिन्दु पर अभिसरित होने वाली किरणें दोनों प्रकार के दर्पणों पर आपतित हों तो ये दोनों प्रकार के दर्पण उन्हें परावर्तित करके पीछे बनने वाले आभासी बिम्ब का वास्तविक प्रतिबिम्ब अपने आगे बनायेंगे।
(b) जब किसी दर्पण से परावर्तित अथवा लेन्स से अपवर्तित किरणे अपसरित होती हैं तो वे जहाँ से आती हुई प्रतीत होती हैं वहाँ पर वस्तु का आभासी प्रतिबिम्ब बन जाता है। यदि इन अपसारी किरणों के मार्ग में कोई अन्य दर्पण या लेन्स रख दिया जाये तो वे इन किसी विन्द पर अभिसरित करके वास्तविक प्रतिबिम्ब बना देते है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। यही घटना नेत्र लेन्स के साथ होती है, वह अपसरित किरणों को रेटिना पर अभिसरित करके वास्तविक प्रतिबिम्ब बना देता है। अतः प्रश्न के कथन में कोई विरोधाभास नहीं है।
(c) मछली जल में है जबकि मछुआरा वायु में है अत: मछली जल से वायु में देखती है। यदि मछुआरे की वास्तविक ऊँचाई H व आभासी ऊँचाई h हो तो
परन्तु n = \(\frac{c}{v}\), जहाँ v माध्यम में प्रकाश की चाल है।
\(n_{a w}=\frac{\mathrm{H}}{h}\)
या \(\frac{1}{n_{a w}}=\frac{\mathrm{H}}{h}\)
या h = H.nwa = H x \(\frac{4}{3}\)
∴ h > H
अत: मछली को मछुआरा लम्बा दिखाई देगा।
(d) हाँ, परिवर्तित हो जाती है। आभासी गहराई घट जाती है।
(e) हीरे के चमकने का कारण है पूर्ण आन्तरिक परावर्तन। हीरे का अपवर्तनांक 2.42 होता है, अत: इसके लिए क्रान्तिक कोण का मान सूत्र sin ic\(=\frac{1}{n}\) से ic = 24.4° प्राप्त होता है। हीरे को तराशने वाले कारीगर ऐसे उपयुक्त कोणों पर उसके फलक बनाते हैं कि एक बार उसमें प्रविष्ट प्रकाश हीरे के अन्दर अनेक पूर्ण आन्तरिक परावर्तन अभिक्रियाओं से होकर गुजरता है, इसीलिए हीरा चमकता है।
प्रश्न 19.
किसी कमरे की एक दीवार पर लगे विद्युत् बल्ब का किसी बड़े आकार के उत्तल लेन्स द्वारा 3 m दूरी पर स्थित सामने की दीवार पर प्रतिबिम्ब प्राप्त करना है। इसके लिए उत्तल लेन्स की अधिकतम फोकस दूरी क्या होनी चाहिए?
हल:
प्रथम विधि: माना लेन्स की फोकस दूरी f है तो
\(f=\frac{a^2-b^7}{4 a}\)
जहाँ a = v + u (वस्तु एवं प्रतिबिम्ब के मध्य दूरी)
b = (v - 1) (लेन्स की दोनों स्थितियों के मध्य दूरी)
अधिकतम फोकस दूरी के लिए,
b = 0
\(\therefore \quad f_{\max }=\frac{a^2}{4 a}=\frac{a}{4}=\frac{3}{4}=0.75 \mathrm{~m}\)
या fmax = 0.75 m
द्वितीय विधि: दिया है: यदि, v = +vm, u = -(3-v)m, fmax = ?
लेन्स - सूत्र से,
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{v}-\frac{1}{-(3-v)}=\frac{1}{v}+\frac{1}{3-v}\)
या \(\frac{1}{f}=\frac{3-v+v}{(3-v) v}=\frac{3}{v(3-v)}\)
या 3v - v2 = 3f
f के महत्तम मान के लिए,
d(3f) = 0
या d(3v - v2) = 0
या 3 - 2v = 0 ⇒ v = 3/2 m = 1.5 m
अत:, u = -(3 - 1.5) = -1.5 m
पुनः लेन्स सूत्र से,
\(\frac{1}{f .}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{1 \cdot 5}-\frac{1}{15}=\frac{1+1}{15}\)
या \(f=\frac{15}{2}=0.75 \mathrm{~m}\)
प्रश्न 20.
किसी पर्दे को वस्तु से 90 cm दूर रखा गया है। पर्दे पर किसी उत्तल लेन्स द्वारा उसे एक - दूसरे से 20 cm दूर स्थितियों पर रखकर, दो प्रतिबिम्ब बनाये जाते हैं। लेन्स की फोकस दूरी ज्ञात कीजिए।
हल:
प्रथम विधि:
दिया है: a = 90 cm, b = 20 cm, f = ?
द्वितीय विधि-
दिया है - वस्तु व प्रतिविम्ब के बीच दूरी D= 90 cm
माना लेन्स को d दूरी तक विस्थापित किया गया है
d = 20 cm
अतः, D = u + v = 90 cm,d = u - v = 20 cm
अतः u = 55 cm या 35 cm
एवं v = 35 cm या 55 cm
लेन्स सूत्र से, \(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)
\(=\frac{1}{35}+\frac{1}{55}\) (दोनों स्थितियों में)
\(=\frac{11+7}{385}\)
अतः, f = \(\frac{385}{18}\) = 21.4 cm
प्रश्न 21.
(a) प्रश्न 10 के दो लेन्सों के संयोजन की प्रभावी फोकस दूरी उस स्थिति में ज्ञात कीजिए जब उनके मुख्य अक्ष सम्पाती हैं तथा ये एक- दूसरे से 8 cm दूरी पर रखे हैं। क्या उत्तर आपतित समान्तर प्रकाश पुंज की दिशा पर निर्भर करेगा? क्या इस तन्त्र के लिए प्रभावी फोकस दूरी किसी भी रूप में उपयोगी है?
(b) उक्त व्यवस्था (a) में 1.5 cm ऊंची कोई वस्तु उत्तल लेन्स की ओर रखी जाये, वस्तु की उत्तल लेन्स से दूरी 40 cm है। दो लेन्सों के तन्त्र द्वारा उत्पन्न आवर्धन तथा प्रतिबिम्ब का आकार ज्ञात कीजिए।
हल:
(a) प्रश्न 10 के लेन्सों की फोकस दूरियाँ
f1 = + 30 cm, f2 = -20 cm
माना एक समान्तर किरण पुंज उत्तल लेन्स पर आपतित होता है, उत्तल लेन्स के लिए
u1 = - ∝ f1 = + 30 cm
∴ लेन्स - सूत्र \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से
या v1 = 30 cm
अतः समान्तर किरण पुंज उत्तल लेन्स से 30 cm दूर I1 पर फोकस होगा। यही प्रतिबिम्ब I1 अवतल लेन्स के लिए वस्तु का कार्य करेगा। अत: अवतल लेन्स के लिए,
u2 = +(v1 - 8) = +(30 - 8) = +22 cm
f2 = - 20 cm, v2 = ?
पुनः लेन्स सूत्र से,
या v2 = -220 cm
अर्थात् अन्तिम प्रतिबिम्ब अवतल लेन्स के बायीं ओर 220 cm दूर बनेगा।
इस प्रतिबिम्ब की लेन्सों के केन्द्र से दूरी
= 220 - \(\frac{8}{2}\) = 216 cm
अर्थात अवतल लेन्स की ओर से देखने पर वह किरण पुंज लेन्सों के केन्द्र से 216 cm बायीं ओर स्थित बिन्दु से अभिसरित प्रतीत होता है।
इस प्रकार यदि इस युग्म की फोकस दूरी अर्थपूर्ण होती है तो यह - 216 cm होनी चाहिए।
दूसरी दशा में कल्पना कीजिए कि समान्तर किरण पुंज दार्थी ओर से चलता हुआ पहले अवतल लेन्स पर आपतित होता है।
अतः अवतल लेन्स के लिए,
u1 = - ∝, f1 = - 20 cm
∴ \(\frac{1}{v_1}-\frac{1}{-\infty}=-\frac{1}{20}\)
या v1 = - 20 cm
अर्थात् अवतल लेन्स से अपवर्तन के कारण ये किरणें उसके पीछे 20 cm दूरी पर स्थित बिन्दु से आती हुई प्रतीत होती हैं। यह बिन्दु उत्तल लेन्स के लिए आभासी वस्तु का कार्य करेगा, अत: उत्तल लेन्स के लिए,
u2 = -(20+ 8) = - 28 cm
या v2 = -420 cm
अर्थात् उत्तल लेन्स की ओर से देखने पर किरणें इससे पीछे की ओर 420 cm दूरी पर स्थित बिन्दु से आती प्रतीत होती हैं।
इस बिन्दु की निकाय के केन्द्र से दूरी,
\(=420-\frac{8}{2}=416 \mathrm{~cm}\)
∴ निकाय की फोकस दूरी = -416 cm होनी चाहिए।
इस प्रकार हम देखते हैं कि इस निकाय की फोकस दूरी आपतित किरण पुंज की दिशा पर निर्भर करती है। अतः यह फोकस दूरी किसी भी रूप में उपयोगी नहीं है।
(b) उत्तल लेन्स के लिए,
u1 = -40 cm, f1 = + 30 cm, O = 1.5 cm
v1 = +120 cm
अवतल लेन्स के लिए,
u2 = + (v1 - 8)
= (120 - 8) = 112 cm
f2 = - 20 cm
∴ युग्म द्वारा उत्पन्न आवर्धन
m = m1 x m2
m =\( \frac{v_1}{u_1} \times \frac{v_2}{u_2}\)
∴ I = m x O
= 0.652 x 1.5 = 0.98 cm
अतः प्रतिबिम्ब का आकार = 0.98 cm
प्रश्न 22.
60° अपवर्तन कोण के प्रिज्म के फलक पर किसी प्रकाश किरण को किस कोण पर आपतित किया जाये कि इसका दूसरे फलक से केवल पूर्ण आन्तरिक परावर्तन ही हो? प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक 1.524 है।
हल:
दिया है: प्रिज्म कोण A = 60°
nga = 1.524
∆ABC के अन्त:कोणों का योग (90° - r) + (90° - θ) + 60° = 180°
180° + 60° - r - θ = 180°
∴ 180° - θ+60° - 180° = r
या r = 60° - θ ........(1)
यदि क्रान्तिक कोण ic हो तो
sin ic = \(\frac{1}{n_{g a}}=\frac{1}{1.524}=0.656\)
∴ \(i_c=\sin ^{-1}(0.656)=41^{\circ}\)
पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के लिए θ = ic
∴ समी. (1) से,
r = 60° - ic = 60° - 41° = 19°
∴ प्रिज्म के प्रथम पृष्ठ पर अपवर्तन के लिए,
\(n_{g a}=\frac{\sin i}{\sin r}\)
∴ \(\sin i=n_{g a} \times \sin r=1.524 \times \sin 19^{\circ}\)
=1.524 \(\times 0.3256\)
या \(\sin i=0.4952 \approx 0.5\)
∴ \(i=\sin ^{-1}(0 \cdot 5)=30^{\circ}\)
या i = 30°
दूसरे फलक पर पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के लिए आवश्यक है कि θ > ic होना चाहिए।
∴ r = 60° - θ
तथा θ = ic के लिए, r = 19°, i = 30°
∴ θ > ic के लिए, r < 19° एवं i < 30°
अत: दूसरे फलक के पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के लिए आपतन कोण
\(i \leq 30^{\circ}\)
प्रश्न 23.
कोई कार्ड शीट (card sheet) जिसे 1 mm2 साइज के वर्गों में विभाजित किया गया है, को 9 cm दूरी पर रखकर किसी आवर्धक लेन्स (10 cm फोकस दूरी का उत्तल लेन्स) द्वारा उसे नेत्र के निकट रखकर देखा जाता है।
(a) लेन्स द्वारा उत्पन्न आवर्धन (प्रतिबिम्ब का आकार/वस्तु का आकार) क्या है? आभासी प्रतिबिम्ब में प्रत्येक वर्ग का क्षेत्रफल क्या है?
(b) लेन्स का कोणीय आवर्धन (आवर्धन क्षमता) क्या है?
(c) क्या (a) व (b) के आवर्धन बराबर हैं? स्पष्ट कीजिए।
हल:
(a) u = -9 cm, f = 10 cm
∴ लेन्स - सूत्र से,
या v = -90 cm
∴ उत्पन्न आवर्धन \(m=\frac{v}{u}=\frac{90}{9}=10\)
∵ वर्ग का क्षेत्रफल A = 1 mm2
यदि वर्ग की भुजा l हो तो l2 = A
या l' = 10l
= 10 x 1 mm
= 10 mm = 1 cm
अतः प्रतिबिम्ब के प्रत्येक वर्ग का क्षेत्रफल
A' = (l')2 = 1 x 1 = 1 cm2
(b) लेन्स की आवर्धन क्षमता
\(m=\frac{\mathrm{D}}{f}=\frac{25}{10}=2 \cdot 5\)
(c) प्रश्न (a) और (b) में आवर्धन (आवर्धन क्षमता) बराबर नहीं होगी क्योंकि ये दोनों अलग - अलग अभिधारणाएँ हैं। लेन्स द्वारा उत्पन्न आवर्धन प्रतिबिम्ब के आकार एवं वस्तु के आकार के अनुपात के बराबर होता है और इसका मान \(\frac{v}{u}\) के बराबर होता है। किसी प्रकाशिक उपकरण की आवर्धन क्षमता अन्तिम प्रतिबिम्ब के कोणीय आकार एवं वस्तु के कोणीय आकार के अनुपात के बराबर होती है जबकि वस्तुएँ आँख के निकट बिन्दु पर रखी गई हों।
उक्त दोनों राशियों का मान केवल तब बराबर होगा जब अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बने।
प्रश्न 24.
(a) प्रश्न 23 में लेन्स को चित्र से कितनी दूरी पर रखा जाये ताकि वर्गों को अधिकतम सम्भव आवर्धन क्षमता के साथ देखा जा सके।
(b) इस उदाहरण में आवर्धन (प्रतिबिम्ब का साइज/वस्तु का साइज) क्या है?
(c) क्या इस प्रक्रम में आवर्धन, आवर्धन क्षमता के बराबर है? स्पष्ट कीजिए।
हल:
(a) अधिकतम आवर्धन तब मिलता है जब अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बने।
इस स्थिति में, V = -25 cm
दिया है: f = 10 cm, u = ?
∴ \(\frac{1}{v}-\frac{1}{u}=\frac{1}{f}\) से
अत: अधिकतम आवर्धन के लिए लेन्स से वस्तु की दूरी = 7.14 cm
(b) इस स्थिति में आवर्धन का परिमाण
\(=\frac{v}{u}=\frac{25}{7 \cdot 14}=\mathbf{3} \cdot 5\)
(c) आवर्धन क्षमता = \(\frac{\mathrm{D}}{u}=\frac{25}{7 \cdot 14}=\mathbf{3 \cdot 5}\)
चूँकि अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बन रहा है (अर्थात् v = D) इसलिए दोनों राशियाँ समान है।
प्रश्न 25.
प्रश्न 24 में वस्तु तथा आवर्धक लेन्स के बीच कितनी दूरी होनी चाहिए ताकि आभासी प्रतिबिम्ब में प्रत्येक वर्ग 6.25 mm2 क्षेत्रफल का प्रतीत हो? क्या आप आवर्धक लेन्स को नेत्र के अत्यधिक निकट रखकर इन वर्गों को सुस्पष्ट देख सकेंगे?
हल:
कार्ड शीट के वर्ग का क्षेत्रफल A = 1.0 mm2
वर्ग के प्रतिबिम्ब का क्षेत्रफल A'= 6.25 mm2
∴ क्षेत्रीय आवर्धन (areal magnification)
∴ v = 2.5u = 2.5 x 6 = 15 cm
अत: वस्तु को आवर्धक लेन्स से 6m दूरी पर रखना होगा।
इस स्थिति में आभासी प्रतिबिम्ब निकट बिन्दु से भी पहले (अर्थात् 15 cm पर) बनेगा, अत: उसे सुस्पष्ट देख पाना सम्भव नहीं होगा।
प्रश्न 26.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(a) किसी वस्तु द्वारा नेत्र पर अन्तरित कोण आवर्धक लेन्स द्वारा उत्पन्न आभासी प्रतिबिम्ब द्वारा नेत्र पर अन्तरित कोण के बराबर होता है। तब फिर किन अर्थों में कोई आवर्धक लेन्स कोणीय आवर्धन प्रदान करता है?
(b) किसी आवर्धक लेन्स से देखते समय प्रेक्षक अपने नेत्र को लेन्स से अत्यधिक सटाकर रखता है। यदि प्रेक्षक अपने नेत्र को पीछे ले जाये तो क्या कोणीय आवर्धन परिवर्तित हो जायेगा?
(c) किसी सरल सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता उसकी फोकस दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होती है। तब हमें अधिकाधिक आवर्धन क्षमता प्राप्त करने के लिए कम - से - कम फोकस दूरी के उत्तल लेन्स का उपयोग करने से कौन रोकता है?
(d) किसी संयुक्त सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक तथा नेत्रिका दोनों की ही फोकस दूरी कम क्यों होनी चाहिए?
(e) संयुक्त सूक्ष्मदर्शी से देखते समय सर्वोत्तम दर्शन के लिए हमारे नेत्र नेत्रिका पर स्थित न होकर उससे कुछ दूरी पर होने चाहिए, क्यों? नेत्र तथा नेत्रिका के बीच की यह अल्य दूरी कितनी होनी चाहिए?
उत्तर:
(a) बिना आवर्धक लेन्स के वस्तु को देखने के लिए वस्तु आँख के निकट बिन्दु (25 cm) से कम दूरी पर नहीं होनी चाहिए। लेकिन जब आवर्धक लेन्स से देखते हैं तो वस्तु को अपेक्षाकृत कम दूरी पर रखा जा सकता है जिससे अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बनने लगता है। इस प्रकार कोणीय आकार में वृद्धि होने के कारण वस्तु हमें बड़ी दिखाई देती है। कोणीय आकार में वृद्धि वस्तु को निकट रखने के कारण होती है।
(b) आवर्धक लेन्स से देखते समय प्रेक्षक अपने नेत्र को लेन्स से अत्यधिक सटाकर रखता है क्योंकि ऐसा करने से प्रतिबिम्ब द्वारा नेत्र पर बना दर्शन कोण बढ़ जाता है और वस्तु बड़ी दिखाई देती है। आँख को लेन्स से दूर कर लेने पर आवर्धन परिवर्तित हो जायेगा क्योंकि ऐसा करने से प्रतिबिम्ब द्वारा नेत्र पर बना दर्शन कोण उसके द्वारा लेन्स पर बने दर्शन कोण से कम हो जायेगा अतः आवर्धन कम हो जायेगा।
(c) फोकस दूरी को कम करेंगे तो लेन्स उतना ही मोटा होगा और ऐसे लेन्सों को बनाने की प्रक्रिया आसान नहीं है, दूसरे ऐसे लेन्सों में वर्ण विपथन एवं गोलीय विपथन के दोष भी बढ़ने लगते हैं अत: उनके द्वारा बने प्रतिबिम्ब अस्पष्ट हो जाते हैं।
व्यवहार में किसी एकल उत्तल लेन्स द्वारा 3 से अधिक आवर्धन, प्राप्त करना सम्भव नहीं है परन्तु विपथन के दोष से मुक्त लेन्स द्वारा कहीं अधिक आवर्धन (लगभग 10) प्राप्त किया जा सकता है।
(d) अभिदृश्यक की आवर्धन क्षमता का परिमाण
\(m_o=\frac{v_o}{u_o}\)
संयुक्त सूक्ष्मदर्शी में वस्तु अभिदृश्यक लेन्स के प्रथम फोकस तल के बाहर उसके निकट रखी जाती है अतः
\(u_o \approx f_o\)
∴ \(m_o=\frac{v_o}{f_o}\)
स्पष्ट है कि अभिदृश्यक का m0, उतना ही अधिक होगा जितना f0 का मान कम होगा।
अभिनेत्र लेन्स की आवर्धन क्षमता
\(m_e=\left(1+\frac{\mathrm{D}}{f_e}\right)\)
इसमें भी fe, का मान जितना कम होगा, me का मान उतना ही अधिक होगा।
स्पष्ट है कि संयुक्त सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता बढ़ाने के लिए अभिदृश्यक एवं नेत्रिका लेन्स दोनों की फोकस दूरियाँ कम ली जाती हैं।
(e) संयुक्त सूक्ष्मदी में वस्तु से चलने वाला प्रकाश अभिदृश्वक से गुजरने के बाद नेत्रिका से गुजरकर आँख पर पहुँचता है। वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिम्ब देखने के लिए आवश्यक है कि वस्तु से चलने वाला प्रकाश अधिक - से - अधिक नेत्र में पहुंचे। वस्तु से चलने वाले प्रकाश को अधिकतम मात्रा में ग्रहण करने के लिए ही नेत्र को नेत्रिका से अत्यल्प दूरी पर रखा जाता है। यह अत्यल्प दूरी यन्त्र की संरचना पर निर्भर करती है तथा उस पर लिखी हुयी होती है।
प्रश्न 27.
1.25 cm फोकस दूरी का अभिदृश्यक तथा 5 cm फोकस दूरी की नेत्रिका का उपयोग करके वांछित कोणीय आवर्धन (आवर्धन क्षमता) 30 होता है। आप सूक्ष्मदर्शी का समायोजन कैसे करेंगे?
हल:
सूक्ष्मदर्शी के सामान्य समायोजन में अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बनता है।
नेत्रिका का कोणीय आवर्धन
\(m_e=1+\frac{\mathrm{D}}{f_e}=1+\frac{25}{5}=6\)
∵ सूक्ष्मदर्शी का कुल आवर्धन
m = m0 x me
∴ \(m_o=\frac{m}{m_e}=\frac{30}{6}=5\)
सूक्ष्मदर्शी के अभिदृश्यक द्वारा वस्तु का वास्तविक प्रतिबिम्ब बनता है। अत: अभिदृश्यक द्वारा आवर्धन ऋणात्मक होता है।
∴ \(m_o=\frac{v_o}{u_o}=-5\)
या \(v_o=-5 u_o\)
∵ u0 ऋणात्मक है अत: v0 धनात्मक होगा।
∴ \(v_o=+5\left|u_o\right|\)
दिया है: f0 = 1.25 cm
∴ लेन्स सूत्र से,
∴ \(v_O=7 \cdot 5 \mathrm{~cm}\)
अभिनेत्र लेन्स के लिए,
fe = 5 cm, ve = -25 cm, ue = ?
∴ लेन्स सूत्र से,
अत: दोनों लेन्सों के मध्य दूरी
\(d=\left|v_o\right|+\left|u_e\right|=7 \cdot 5+4 \cdot 17\)
∴ d = 11.67 cm
अत: वांछित आवर्धन प्राप्त करने के लिए अभिदृश्यक एवं नैत्रिका के बीच की दूरी 11.67 cm होनी चाहिए तथा वस्तु अभिदृश्यक के सामने 1.5 cm की दूरी पर रखी होनी चाहिए।
प्रश्न 28.
किसी दूरबीन के अभिदृश्यक की फोकस दूरी 140 cm तथा नेत्रिका की फोकस दूरी 5.0 cm है। दूर की वस्तुओं को देखने के लिए दूरबीन की आवर्धन क्षमता क्या होगी जब-
(a) दूरबीन का समायोजन (normal adjustment) सामान्य है (अर्थात् अन्तिम प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनता है)।
(b) अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी (25 cm) पर बनता है।
हल:
दिया है: f0 = 140 cm, fe = 5.0 cm, D = 25 cm, m = ?
(a) अन्तिम प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनने पर दूरबीन की आवर्धन क्षमता
\(m=-\frac{f_o}{f_e}=-\frac{140}{50}=-28\)
(b) अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बने तो
प्रश्न 29.
(a) प्रश्न 28 (a) में वर्णित दूरबीन के लिए अभिदृश्यक तथा नेत्रिका के बीच पृथक्कन दूरी क्या है?
(b) यदि इस दूरबीन का उपयोग 3 km दूर स्थित 100 m ऊंची मीनार को देखने के लिए किया जाता है तो अभिदृश्यक द्वारा बने मीनार के प्रतिबिम्ब की ऊँचाई क्या है?
(c) यदि अन्तिम प्रतिबिम्ब 25 cm दूर बनता है तो अन्तिम प्रतिबिम्ब में मीनार की ऊँचाई क्या है?
हल:
(a) f0 = 140 cm, fe = 5 cm
जब अन्तिम प्रतिबिम्ब अनन्त पर बनता है तो
\(\left|v_o\right|=f_o और \left|u_e\right|=f_e\)
∴ अभिदृश्यक व नेत्रिका के बीच की दूरी
\(\begin{aligned} \mathrm{L} &=\left|v_o\right|+\left|u_e\right|=f_o+f_{\mathrm{e}} \\ &=140+5 \cdot 00=145 \mathrm{~cm} \end{aligned}\)
(b) इस दशा में,
u0 = 3km = 3000 m, f0 = 140 cm = 1.40m, O = 100 m, I = ?
∴ अभिदृश्यक पर वस्तु द्वारा बना कोण \(\alpha=\frac{\mathrm{O}}{u_o}\) और प्रतिबिम्ब द्वारा अभिदृश्यक पर बना कोण
अत: प्रतिबिम्ब की ऊँचाई = 4.7 cm
(c) जब अन्तिम प्रतिबिम्ब स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बनता
ve = -25 cm, fe = 5 cm, ue = ?
∴ लेन्स सूत्र से,
∴ नेत्रिका का आवर्धन \(=\frac{v_e}{u_e}=\frac{(-25)}{\left(-\frac{25}{6}\right)}=6\)
यदि नेत्रिका द्वारा बने अन्तिम प्रतिबिम्ब की लम्बाई I' है तो
\(\frac{I^{\prime}}{I}=6\)
∴ \(I^{\prime}=6 I=6 \times 4.7=28 \cdot 2 \mathrm{~cm}\)
प्रश्न 30.
किसी (कैसेग्रेन) दूरबीन (cassegrain telescope) में चित्र के अनुसार दो दर्पणों का प्रयोग किया गया है। इस दूरबीन में दोनों दर्पण एक - दूसरे से 20 mm दूर रखे गये हैं। यदि बड़े दर्पण की वक्रता त्रिज्या 220 mm हो तथा छोटे दर्पण की वक्रता प्रिज्या 140 mm हो तो अनन्त पर रखे किसी विम्ब का अन्तिम प्रतिविम्य कहाँ बनेगा?
हल:
प्रथम दर्पण के लिए (अर्थात् अभिदृश्यक दर्पण के लिए),
\(u_1=\infty, f_1=\frac{\mathrm{R}_1}{2}=\frac{220}{2}=110 \mathrm{~mm}\)
∴ दर्पण सूत्र \(\frac{1}{v_1}+\frac{1}{u_1}=\frac{1}{f_1}\) से,
\(\frac{1}{v_1}+\frac{1}{\infty}=\frac{1}{-110}\)
या \(\frac{1}{v_1}=-\frac{1}{110}\)
∴\( v_1=-110 \mathrm{~mm}\)
अर्थात् प्रतिबिम्ब प्रथम दर्पण के आगे 110 mm दूर बनेगा।
∵दोनों दर्पणों के मध्य दूरी = 20mm
∴ इस प्रतिबिम्ब की दूसरे दर्पण से दूरी
\(u_2=-(110-20)=-90 \mathrm{~mm}\)
दूसरे दर्पण की फोकस दूरी
∴ v2 = \(-\frac{630}{2}\) = -315 mm
अत: अन्तिम प्रतिबिम्ब दूसरे दर्पण के पीछे (अर्थात् बायीं ओर) 315 mm दूर बनेगा।
प्रश्न 31.
किसी गैल्वेनोमीटर की कुण्डली से जुड़े समतल दर्पण पर लम्बवत् आपतित प्रकाश (चित्र के अनुसार) दर्पण से टकराकर अपना पथ पुनः अनुरेखित (retraces) करता है। गैल्वेनोमीटर की कुण्डली में प्रवाहित कोई धारा दर्पण से 3.5° का परिक्षेपण (deflection) उत्पन्न करती है। दर्पण के सामने 1.5 m की दूरी पर रखे पर्दे पर प्रकाश के परावर्ती चिह्न में कितना विस्थापन उत्पन्न होगा?
हल:
हम जानते हैं कि दर्पण को θ कोण से घुमा देने पर परावर्तित किरण 2θ से घूम जाती है। अतः परावर्तित किरण का घुमाव
θ' = 2θ = 2 x 3.5° = 7° = \(\frac{7}{180} \pi \)rad
R = 1.5 m
∴ \(\theta^{\prime}=\frac{d}{R}\)
या \(d=\mathrm{R} . \theta^{\prime}=1.5 \times \frac{7}{180} \times \pi\)
\(=\frac{1.5 \times 7 \times 3.14}{180}\)
= 0.184 m
= 18.4 cm
प्रश्न 32.
चित्र में कोई समोत्तल लेन्स (अपवर्तनांक 1.50) किसी समतल दर्पण के फलक पर किसी दव की परत के सम्पर्क में दर्शाया गया है। कोई छोटी सुई जिसकी नोक मुख्य अक्ष पर है, अक्ष के अनुदिश (along the axis) ऊपर - नीचे गति कराकर इस प्रकार समायोजित की जाती है कि सुई की नोक का उल्टा प्रतिबिम्ब सुई की स्थिति पर ही बने। इस स्थिति में सुई की लेन्स से दूरी 45.0 cm है। द्रव को हटाकर प्रयोग को दोहराया जाता है। नई दूरी 30.0 cm मापी जाती है। द्रव का अपवर्तनांक क्या है?
हल:
बिना द्रव डाले प्रयोग करने पर: जब बिना द्रव डाले प्रयोग करेंगे तो सुई की नोक से चलने वाली किरणें लेन्स से अपवर्तित होकर समान्तर किरण पुंज में बदल जायेंगी और फलस्वरूप समतल दर्पण पर लम्बवत् आपतित होकर अपने ही मार्ग से परावर्तित होकर सुई की स्थिति में ही उस (PQ) का उल्टा प्रतिबिम्ब (PQ') बना देंगी। इस स्थिति में लेन्स से पिन की दूरी
u1 = -30 cm
दर्पण की अनुपस्थिति में अपवर्तित किरणें अनन्त पर मिलती है अत:
v1 = ∝
∴लेन्स की फोकस दूरी लेन्स के सूत्र से,
\(\frac{1}{f_1}=\frac{1}{v_1}-\frac{1}{u_1}\)
\(=\frac{1}{\infty}-\frac{1}{-30}=\frac{1}{30}\)
∴ f1 = 30 cm
∵समोत्तल लेन्स के लिए
\(\frac{1}{f}=(n-1)\left(\frac{2}{R}\right)\), जहाँ R1 = R2 = R
∴ \(\frac{1}{f_1}=(n-1) \frac{2}{\mathrm{R}}\)
या \(\mathbf{R}=(\mu-1) \times 2 \times f_1\)
= (1.5 - 1) x 2 x 30
= 0.5 x 2 x 30
∴ R = 30 cm
द्रव डालकर प्रयोग करने पर: जब दर्पण एवं लेन्स के मध्य कोई द्रव होता है तो चित्र से स्पष्ट है कि द्रव का एक समतलावतल (planoconcave) लेन्स बनता है जो उत्तल लेन्स के साथ मिलकर एक संयुक्त लेन्स बनाता है। इस संयोजन की फोकस दूरी यदि F और द्रव के लेन्स की फोकस दूरी f2 हो तो
\(\frac{1}{\mathrm{~F}}=\frac{1}{f_1}+\frac{1}{f_2}\) ....................(1)
लेन्स के लिए
u2 = - 45.0 cm, v2 = ∝ (दर्पण की अनुपस्थिति में युग्म से अपवर्तित किरणें अनन्त पर मिलती हैं)
या \(\frac{1}{F}=\frac{1}{\infty}-\frac{1}{-45}=\frac{1}{45}\)
∴ F = 45 cm
अब समी. (1) से,
\(\frac{1}{45}=\frac{1}{30}+\frac{1}{f_2}\)
∴ \(\frac{1}{f_2}=\frac{1}{45}-\frac{1}{30}=\frac{2-3}{90}=\frac{-1}{90}\)
∴ f2 = - 90 cm
∵ द्रव लेन्स के वक्र पृष्ठ की वक्रता त्रिज्या लेन्स की वक्रता त्रिज्या के बराबर है अत:
R1 = -R = -30 cm, R2 = ∝, fe = -90 cm
या दव का अपवर्तनांक nla = 1.33