RBSE Solutions for Class 11 Psychology Chapter 1 मनोविज्ञान क्या है?

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Psychology Chapter 1 मनोविज्ञान क्या है? Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Psychology Solutions Chapter 1 मनोविज्ञान क्या है?

RBSE Class 11 Psychology मनोविज्ञान क्या है? Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
व्यवहार क्या है ? प्रकट एवं अप्रकट व्यवहार का उदाहरण दीजिए।
उत्तर :
व्यवहार : हमारी क्रियाओं, जिसमें हम संलग्न होते हैं, की अनुक्रियाएँ अथवा प्रतिक्रियाएँ होती हैं। जब कुछ आपकी तरफ आता है तो पलकें सामान्य प्रतीवर्त क्रिया में खुलती-बंद होती हैं। आप परीक्षा देते समय यह अनुभव कर सकते हैं कि आपका हृदय धड़कता है। आप सुनिश्चित करते हैं कि आप एक चलचित्र विशेष अपने मित्र के साथ देखेंगे। व्यवहार सामान्य अथवा जटिल, कम समय तक अथवा देर तक बना रहने वाला हो सकता है। कुछ व्यवहार प्रकट होते हैं। एक प्रेक्षक इन्हें बाह्य जगत में देख सकता है अथवा अनुभव कर सकता है।

कुछ आंतरिक या अप्रकट होते हैं। शतरंज का खेल खेलते समय जब आप कठिन परिस्थिति में पड़ते हैं तो आपको अपने हाथ की मांसपेशियाँ फड़कने जैसी लगती होंगी कि एक खास चाल चल सकें। समस्त व्यवहार-प्रकट एवं अप्रकट, वातावरण के कुछ उद्दीपकों अथवा आंतरिक धरातल पर होने वाले परिवर्तनों द्वारा त्वरित रूप से संचालित होने से संबद्ध होते हैं। आप एक बाघ देखते हैं और दौड़ते हैं अथवा सोचते हैं कि बाघ है, भाग जाना चाहिए। कुछ मनोवैज्ञानिक व्यवहार के उद्दीपक (S) एवं अनुक्रिया (R) के मध्य साहचर्य के रूप में अध्ययन करते हैं। उद्दीपक एवं अनुक्रिया दोनों ही आंतरिक अथवा बाह्य हो सकते हैं।

RBSE Solutions for Class 11 Psychology Chapter 1 मनोविज्ञान क्या है

प्रश्न 2. 
आप वैज्ञानिक मनोविज्ञान को मनोविज्ञान विद्याशाखा की प्रसिद्ध धारणाओं से कैसे अलग करेंगे ?
उत्तर: 
हम वैज्ञानिक मनोविज्ञान को मनोविज्ञान की विद्याशाखा की प्रसिद्ध धारणाओं से निम्न बिंदुओं के आधार पर अलग करेंगे:
(i) मनोविज्ञान की विषय सामग्री की वैज्ञानिक पद्धति के आधार पर।
(ii) विषय-सामग्री की प्रामाणिकता के आधार पर। 
(iii) वस्तुनिष्ठता के आधार पर। 
(iv) भविष्यवाणी की योग्यता के आधार पर। 
(v) नियमों को सार्वभौमिकता के आधार पर।

प्रश्न 3. 
मनोविज्ञान के विकास का संक्षिप्त रूप प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर: 
मनोविज्ञान के विकास का इतिहास बहुत छोटा है। आधुनिक मनोविज्ञान का औपचारिक प्रारम्भ सन् 1879 में हुआ जब विलहम वुण्ट ने लिपजिंग जर्मनी में मनोविज्ञान की प्रथम प्रयोगशाला को स्थापित किया। एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक विलियम जेम्स (William James) जिन्होंने कैम्ब्रिज, मसाचुसेट्स में एक प्रयोगशाला की स्थापना लिपजिंग की प्रयोगशाला के कुछ ही समय पश्चात् की थी, ने मानव मन के अध्ययन के लिए प्रकार्यवादी (Functionalist) उपागम को विकसित किया। विलियम जेम्स का मानना था कि मन की संरचना पर ध्यान देने के बजाय मनोविज्ञान को इस बात का अध्ययन करना चाहिए कि मन क्या करता है तथा व्यवहार लोगों को अपने वातावरण से निपटने के लिए किस प्रकार कार्य करता है। 

उदाहरण के लिए, प्रकार्यवादियों ने इस बात पर अधिक ध्यान केंद्रित किया कि व्यवहार लोगों को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने योग्य किस प्रकार बनाता है। विलियम जेम्स के अनुसार वातावरण से अंत:क्रिया करने वाली मानसिक प्रक्रियाओं की एक सत्त धारा के रूप में चेतना ही मनोविज्ञान का मूल स्वरूप रूपायित करती है। उस समय के एक प्रसिद्ध शैक्षिक विचारक जॉन डीवी (John Dewey) ने प्रकार्यवाद का उपयोग यह तर्क करने के लिए किया कि मानव किस प्रकार वातावरण के साथ अनुकूलन स्थापित करते हुए प्रभावोत्पादक ढंग से कार्य करता है।

बीसवीं सदी के प्रारंभ में, एक नवीन विचारधारा जर्मनी में गेस्टाल्ट मनोविज्ञान (Gestalt psychology) के रूप में वुण्ट के संरचनावाद (Structuralism) के विरुद्ध आई। इसमें प्रात्यक्षिक अनुभवों के संगठन को महत्त्वपूर्ण माना गया। मन के अवयवों पर ध्यान न देकर गेस्टाल्टवादियों ने यह तर्क दिया कि जब हम दुनिया को देखते हैं तो हमारा प्रात्यक्षिक अनुभव प्रत्यक्षण के अवयवों के समस्त योग से अधिक होता है। दूसरे शब्दों में, हम जो अनुभव करते हैं वह वातावरण से प्राप्त आगतों से अधिक होता है। 

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उदहारण के लिए, जब अनेक चमकते बल्बों से प्रकाश हमारे दृष्टिपटल पर पड़ता है तो हम प्रकाश की गति का अनुभव करते हैं। जब हम कोई चलचित्र देखते हैं तो हम स्थिर चित्रों की तेज गति से चलती प्रतिमाओं को अपने दृष्टिपटल पर देखते हैं। इसलिए, हमारा प्रात्यक्षिक अनुभव अपने अवयवों से अधिक होता है। अनुभव समग्रतावादी होता है - यह एक गेस्टाल्ट होता है।

संरचनावाद की प्रतिक्रियास्वरूप एक और धारा व्यवहारवाद (Behaviowisim) के रूप में सामने आई। सन् 1910 के आसपास जॉन वाट्सन (John Watson) ने मन एवं चेतना के विचार को मनोविज्ञान के केंद्रीय विषय के रूप में अस्वीकार कर दिया। वे दैहिकशास्त्री इवान पावलव (Ivan Pavlov) के प्राचीन अनुबंधन वाले कार्य से बहुत प्रभावित थे। उनके लिए मन प्रेक्षणीय नहीं है और अंतर्निरीक्षण व्यक्तिपरक है क्योंकि उसका सत्यापन एक

अन्य प्रेक्षक द्वारा नहीं किया जा सकता है। उनके अनुसार एक विज्ञान के रूप में मनोविज्ञान क्या प्रेक्षणीय तथा सत्यापन करने योग्य है, इसी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने मनोविज्ञान को व्यवहार के अध्ययन अथवा अनुक्रियाओं (उद्दीपकों) जिनका मापन किया जा सकता है तथा वस्तुपरक ढंग से अध्ययन किया जा सकता है, के रूप में परिभाषित किया।

प्रश्न 4. 
वे कौन-सी समस्याएँ होती हैं जिनके लिए मनोवैज्ञानिकों का अन्य विद्याशाखा के लोगों के साथ सहयोग लाभप्रद हो सकता है ? किन्हीं दो समस्याओं की व्याख्या कीजिए।
उत्तर : 
(i) मानसिक रोगों की समस्या : मनोविज्ञान व्यावहारिक समस्याओं वाले रोगियों की सहायता करने की विशिष्टता रखता है।
(ii) सामुदायिक स्वास्थ्य : सामुदायिक स्वास्थ्य की समस्याओं को दूर करने के लिए भी मनोविज्ञान की सहायता ली जा सकती है।

प्रश्न 5. 
अंतर स्पष्ट कीजिए : 

(अ) मनोवैज्ञानिक एवं मनोरोगविज्ञानी 
उत्तर : 
मनोवैज्ञानिक एवं मनोरोगविज्ञानी 

मनोवैज्ञानिक

मनोरोगविज्ञानी 

मनोवैज्ञानिक, ज्योतिषियों, तान्त्रिकों एवं हस्तरेखा विशारदों जैसा नहीं होता क्योंकि यह प्रदत्तों पर आधारित बातों का व्यवस्थित अध्ययन करता है|
और मानव व्यवहार एवं अन्य मनोवैज्ञानिक गोचरों के विषय में सिद्धान्त विकसित करता

मनोरोग वैज्ञानिक के पास चिकित्सा विज्ञान की उपाधि होती है। मनोरोगविज्ञानी दवाइयों | का सुझाव दे सकता है तथा विद्युत आघात उपचार प्रदान कर सकता है।


(ब) परामर्शदाता एवं नैदानिक मनोवैज्ञानिक 
उत्तर : 
परामर्शदाता एवं नैदानिक मनोवैज्ञानिक

परामर्शदाता

नैदानिक मनोवैज्ञानिक 

परामर्शदाता लोगों के व्यवहार का अध्ययन करके दुश्चिता, अवसाद, खानपान, व्यतिक्रम तथा चिरकालिक पदार्थ दुरुपयोग जैसे मनोवैज्ञानिक व्युतक्रमों के निदान एवं बचाव से सम्बन्धित होता है।

नैदानिक मनोवैज्ञानिक के पास | मनोविज्ञान की एक उपाधि होती है जिसमें वह कठिन प्रशिक्षण प्राप्त करता है तथा वह लोगों के मनोवैज्ञानिक व्यतिक्रमों का उपचार करता है।


प्रश्न 6. 
दैनंदिन जीवन के कुछ क्षेत्रों का वर्णन कीजिए जहाँ मनोविज्ञान की समझ को अभ्यास के रूप में लाया जा सके।
उत्तर : 
दैनंदिन जीवन के निम्नलिखित क्षेत्रों में मनोविज्ञान की समझ को अभ्यास के रूप में लाया जा सकता है :
(i) क्रीड़ा, 
(ii) संगीत एवं ललित कला, 
(iii) विद्यालय, 
(iv) घर आदि।

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प्रश्न 7. 
पर्यावरण के अनुकूल मित्रवत् व्यवहार को किस प्रकार उस क्षेत्र में ज्ञान द्वारा बढ़ाया जा सकता है ?
उत्तर : 
इस क्षेत्र में पर्यावरण मनोविज्ञान सहायता करता है। पर्यावरण मनोविज्ञान तापमान, आर्द्रता, प्रदूषण तथा प्राकृतिक आपदा जैसे भौतिक कारकों का मानव व्यवहार के साथ अन्तःक्रियाओं का अध्ययन करता है। कार्य करने के स्थान पर भौतिक चीजों की व्यवस्था के स्वरूप का स्वास्थ्य, सांवेगिक अवस्था तथा अंतर्वैयक्तिक सम्बन्धों पर पड़ने वाले प्रभावों का अन्वेषण करता है।

प्रश्न 8. 
अपराध जैसी महत्त्वपूर्ण सामाजिक समस्या का समाधान खोजने में सहायता करने के लिए आपके अनुसार मनोविज्ञान की कौन-सी शाखा सबसे उपयुक्त है? क्षेत्र की पहचान कीजिए एवं उस क्षेत्र में कार्य करने वाले मनोवैज्ञानिकों के सरोकारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर : 
मेरे विचार में अपराध जैसी महत्त्वपूर्ण सामाजिक समस्या का समाधान खोजने में, सहायता करने के लिए मनोविज्ञान की विधि एवं अपराधशास्त्र नामक शाखा सबसे उपयुक्त है। विधि एवं अपराधशास्त्र : एक कुशल अधिवक्ता तथा अपराधशास्त्री को मनोविज्ञान के ज्ञान की जानकारी ऐसे प्रश्नों - कोई गवाह, एक दुर्घटना, गली की लड़ाई अथवा हत्या जैसी घटना को कैसे याद रखता है ?

न्यायालय में गवाही देते समय वह इन तथ्यों का कितनी सत्यता के साथ उल्लेख करता है ? जूरी के निर्णयों को कौन-से कारक प्रभावित करते हैं ? झूठ एवं पश्चाताप के क्या विश्वसनीय लक्षण हैं ? किन कारकों के आधार पर किसी अभियुक्त को उसके कार्यों के लिए उत्तरदायी माना जाए? किसी आपराधिक कार्य के लिए दंड की किस सीमा को उपयुक्त माना जाए ? का उत्तर देने के लिए आवश्यक होती है। मनोवैज्ञानिक ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते हैं। आजकल बहुत से मनोवैज्ञानिक ऐसी बातों पर अनुसंधान कार्य कर रहे हैं जिसके उत्तर देश में भावी विधि व्यवस्था की बड़ी सहायता करेंगे।

Bhagya
Last Updated on Oct. 7, 2022, 3:01 p.m.
Published Sept. 23, 2022