Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 9 अनुवांशिकता एवं जैव विकास Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
यदि एक 'लक्षण - A' अलैंगिक प्रजनन वाली समष्टि के 10 प्रतिशत सदस्यों में पाया जाता है तथा 'लक्षण - B' उसी समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है, तो कौनसा लक्षण पहले उत्पन्न हुआ होगा?
उत्तर:
अलैंगिक प्रजनन करने वाली समष्टि में लक्षण बिना विभिन्नता के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानान्तरित होते हैं इसलिए ‘लक्षण - B' पहले उत्पन्न हुआ है क्योंकि यह समष्टि में 60 प्रतिशत जीवों में पाया जाता है जबकि 'लक्षण - A' समष्टि के सिर्फ 10 प्रतिशत सदस्यों में ही पाया जाता है। अतः ‘लक्षण - B' पहले उत्पन्न होगा।
प्रश्न 2.
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से किसी स्पीशीज का अस्तित्व किस प्रकार बढ़ जाता है?
उत्तर:
विभिन्नताओं के उत्पन्न होने से स्पीशीज का अस्तित्व बढ़ जाता है क्योंकि विभिन्नताओं से जन्तुओं व पादपों में लाभदायक परिवर्तन होते हैं तथा विभिन्नताएँ जन्तु को बदले हुए वातावरण के प्रति अनुकूलित करने में सहायता करती हैं। उदाहरण के लिए, उष्णता को सहन करने की क्षमता वाले जीवाणुओं को अधिक गर्मी से बचने की सम्भावना अधिक होती है। इसके साथ ही विभिन्नताएँ जन्तु को अस्तित्व के साथ संघर्ष में बेहतर बनाती हैं। अतः विभिन्नताएँ जैव विकास का आधार हैं।
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प्रश्न 1.
मेंडल के प्रयोगों द्वारा कैसे पता चला कि लक्षण प्रभावी अथवा अप्रभावी होते हैं?
उत्तर:
मेंडल ने दो विकल्पी मटर के पौधों को अपने प्रयोग के लिए चुना, जैसे कि मटर के लम्बे पौधे, जो केवल मटर के लम्बे पौधे ही उत्पन्न करते थे तथा मटर के बौने पौधे, जो केवल मटर के बौने पौधे ही उत्पन्न करते थे। जब मेंडल ने इन दोनों पौधों में संकरण कराया तो प्रथम संतति पीढ़ी F1 में सभी मटर के पौधे लम्बे प्राप्त होते हैं | इससे स्पष्ट हो गया कि पौधे का लम्बापन लक्षण (TT), बौनापन लक्षण (tt) पर प्रभावी हो गया तथा बौनापन लक्षण अप्रभावी होने के कारण छिपा रह गया।
जब मेंडल ने F1 पीढ़ी के पौधों में स्वपरागण कराया तो इससे प्राप्त बीजों को उगाया तो F2 पीढ़ी में दोनों लक्षण प्राप्त हुए अर्थात् लम्बे पौधे भी एवं बौने पौधे भी (3 : 1 के अनुपात में)। इसका अर्थ हुआ कि लम्बे होने का लक्षण प्रभावी और बौनेपन का लक्षण अप्रभावी होता है।
प्रश्न 2.
मेंडल के प्रयोगों से कैसे पता चला कि विभिन्न लक्षण स्वतन्त्र रूप से वंशागत होते हैं?
उत्तर:
मेंडल ने अपने प्रयोगों में दो जोड़ी विपर्यासी (Contrasting) लक्षणों का चयन किया, जैसे - पीले एवं गोल तथा हरे एवं झुरींदार बीज वाले पौधे । मेंडल ने जब इन गोल एवं पीले (RRYY) बीज वाले पौधे का क्रॉस झुर्शीदार एवं हरे (rryy) बीज वाले पौधे के साथ करवाया तो F1 पीढ़ी में सभी पौधे पीले तथा गोल (RrYy) वाले प्राप्त हुए। ज़ब F1 पीढ़ी के पौधों के बीच उन्होंने स्वपरागण होने दिया तो F2पीढ़ी में चार प्रकार के पौधे प्राप्त होते हैं
इस प्रकार द्विसंकर क्रॉस की F2 पीढ़ी के पौधों का लक्षणप्ररूप (Phenotype) 9:3:3:1 होता है। इसे द्विसंकर अनुपात कहते हैं।
इसे हम निम्न प्रकार समझ सकते हैं।
|
अनुपात |
315 गोल, पीले बीज |
9 |
108 गोल, हरे बीज |
3 |
101 झुर्रीदार, पीले बीज |
3 |
32 झुर्रीदार, हरे बीज |
1 |
556 बीज |
16 |
इस प्रकार इस प्रयोग से स्पष्ट होता है कि बीजों के रंग एवं आकृति की वंशानुगत पीढ़ी एक-दूसरे से प्रभावित नहीं होती। ये लक्षण स्वतंत्र रूप से वंशानुगत होते हैं। इसलिए इसे मेंडल का ‘स्वतन्त्र अपव्यूहन का नियम' भी कहते हैं।
प्रश्न 3.
एक 'A - रुधिर वर्ग' वाला पुरुष एक स्त्री जिसका रुधिर वर्ग 'O' है, से विवाह करता है। उनकी पुत्री का रुधिर वर्ग '0' है। क्या यह सूचना पर्याप्त है यदि आपसे कहा जाए कि कष्टीकरण दीजिए।
उत्तर:
यह सूचना पर्याप्त नहीं है जिससे यह बताया जा सके कि रुधिर वर्ग 'A' अथवा 'O' में से कौनसा प्रभावी है। रुधिर वर्ग - 'A' हमेशा ABO रुधिर वर्ग में प्रभावी होता है जबकि रुधिर वर्ग 'O' अप्रभावी। इसलिए यहाँ पिता के रुधि र वर्ग का जीन प्रारुप 'AA' (समयुग्मजी) या 'AO' (विषमयुग्मजी) हो सकता है जबकि माता के रुधिर वर्ग का जीन प्ररूप 'AO' या 'OO' हो सकता है।
प्रश्न. 4.
मानव में बच्चे का लिंग निर्धारण कैसे होता है?
उत्तर:
मानव में उपस्थित लिंग गुणसूत्र (Sex Chromosome) बच्चे के लिंग निर्धारण का कार्य करते हैं। मानव में बच्चे के लिंग निर्धारण के प्रक्रम अग्र प्रकार से हैं।
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प्रश्न 1.
वे कौनसे विभिन्न तरीके हैं, जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है?
उत्तर:
निम्न तरीके हैं जिनके द्वारा एक विशेष लक्षण वाले व्यष्टि जीवों की संख्या समष्टि में बढ़ सकती है।;
(1) प्राकृतिक वरण (Natural Selection)
(2) जीन विचलन (Genetic Drift)
(3) खाद्य (Food)।
प्रश्न 2.
एक एकल जीव द्वारा उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते। क्यों?
उत्तर:
उपार्जित लक्षणों का प्रभाव केवल कायिक कोशिकाओं पर ही पड़ता है। इनका प्रभाव आनुवंशिक पदार्थ DNA पर नहीं पड़ता है। चूँकि आनुवंशिक पदार्थ में होने वाले परिवर्तन ही अगली पीढ़ी में वंशानुगत हो सकते हैं। इसलिए उपार्जित लक्षण सामान्यतः अगली पीढ़ी में वंशानुगत नहीं होते।
प्रश्न 2
क्या भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज के पौधों के जाति-उद्भव का प्रमुख कारण हो सकता है? क्यों या क्यों नहीं?
उत्तर:
भौगोलिक पृथक्करण स्वपरागित स्पीशीज के पौधों के जाति उद्भव का प्रमुख कारण नहीं हो सकता क्योंकि न ही नई जीन का प्रवेश होता है और न ही नई स्पीशीज का निर्माण होता है। इस प्रकार थोड़ी - सी विभिन्नता आने की सम्भावना रहती है।
प्रश्न 3.
क्या भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
भौगोलिक पृथक्करण अलैंगिक जनन वाले जीवों के जाति उद्भव का प्रमुख कारक नहीं हो सकता है क्योंकि अलैंगिक जनन में केवल एक ही कोशिका भाग लेती है इसलिए न तो जीन का विचलन (genetic drift) होता है और न ही जीन का प्रवाह (gene flow) होता है।
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प्रश्न 1.
उन अभिलक्षणों का एक उदाहरण दीजिए जिनका उपयोग हम दो स्पीशीज के विकासीय सम्बन्ध निर्धारण के लिए करते हैं।
उत्तर:
मेंढक, छिपकली, पक्षी एवं घोड़े के अग्र पादों की मूलभूत संरचना समान है तथा इनके अग्र पाद में पाई जाने वाली अस्थियाँ भी समान हैं जबकि ये अलग स्पीशीज के प्राणी हैं। लेकिन उक्त प्राणियों के अग्र पादों का कार्य अलग - अलग है। इससे यह सिद्ध होता है कि इन प्राणियों की उत्पत्ति एक पूर्वज से हुई है तथा यह अलग - अलग स्पीशीज के होते हुए भी समानता प्रदर्शित करते हैं, जो कि दो स्पीशीज के विकासीय सम्बन्ध का निर्धारण करते हैं।
प्रश्न 3.
जीवाश्म क्या हैं? वे जैव विकास प्रक्रम के विषय में क्या दर्शाते हैं?
उत्तर:
जीवाश्म - प्राचीनकालीन जीवों के वे अवशेष जो भू-पटल की चट्टानों में परिरक्षित मिलते हैं, जीवाश्म कहलाते हैं। इनकी आयु का निर्धारण रेडियोधर्मी पदार्थों की सहायता से किया जाता है। यह जैव विकास के बारे में निम्नलिखित बातें दर्शाते हैं।
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प्रश्न 1.
क्या कारण है कि आकृति, आकार, रंगरूप में इतने भिन्न दिखाई पड़ने वाले मानव एक ही स्पीशीज के सदस्य हैं?
उत्तर:
मानव में आकृति, आकार, रंग - रूप आदि भिन्नता का कारण भौगोलिक पर्यावरण के कारकों से इनके भौतिक लक्षणों में होने वाले परिवर्तन हैं। परन्तु भौगोलिक पर्यावरण के परिवर्तन का इनकी जैविक संरचना के लक्षणों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसलिए इनके शारीरिक अंगों में कोई परिवर्तन नहीं आता, परन्तु भौगोलिक परिस्थितियों में हुए परिवर्तनों के कारण इनका आकार, आकृति, रंग आदि में परिवर्तन स्पष्ट दिखाई देते हैं, जबकि वे एक ही स्पीशीज 'होमोसैपियन्स' के सदस्य हैं।
प्रश्न 2.
विकास के आधार पर क्या आप बता सकते हैं कि जीवाणु, मकड़ी, मछली तथा चिम्पैंजी में किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विकास के आधार पर यह बता पाना कि जीवाणु, मकड़ी, मछली तथा चिम्पैंजी में से किसका शारीरिक अभिकल्प उत्तम है, संभव नहीं है। क्योंकि इन जीवों के शरीरिक अभिकल्प का विकास इनके पर्यावरण में उत्तरजीविता की आवश्यकता के आधार पर हुआ है न कि उत्तमता के आधार पर | जैसे चिम्पैंजी की शक्तिशाली भुजाएँ उसे अनेक क्रियाओं हेतु सक्षम बनाती हैं तो वही जीवाणु ऐसी विषम परिस्थितियों में जीवित रह सकते हैं जहाँ अन्य जीवों का जीवित रहना संभव नहीं है। इसलिए किसी भी एक शारीरिक अभिकल्प को उत्तम नहीं कहा जा सकता है।
प्रश्न 1.
मेंडल के एक प्रयोग में लम्बे मटर के पौधे जिनके बैंगनी पुष्प थे, का संकरण बौने पौधों जिनके सफेद पुष्प थे, से कराया गया। इनकी संतति के सभी पौधों में पुष्प बैंगनी रंग के थे। परन्तु उनमें से लगभग आधे बौने थे। इससे कहा जा सकता है कि लम्बे जनक पौधों की आनुवंशिक रचना निम्न थी
(a) TTWW
(b) TTww
(c) Ttww
(d) Ttww
उत्तर:
(c) Ttww
प्रश्न 2.
समजात अंगों का उदाहरण है
(a) हमारा हाथ तथा कुत्ते के अग्रपाद
(b) हमारे दाँत तथा हाथी के दाँत
(c) आलू एवं घास के उपरिभूस्तारी
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(d) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 3.
विकासीय दृष्टिकोण से हमारी किससे अधिक समानता है
(a) चीन के विद्यार्थी
(b) चिम्पैंजी
(c) मकड़ी
(d) जीवाणु
उत्तर:
(a) चीन के विद्यार्थी।
प्रश्न 4.
एक अध्ययन से पता चला कि हल्के रंग की आँखों वाले बच्चों के जनक (माता - पिता) की आँखें भी हल्के रंग की होती हैं। इसके आधार पर क्या हम कह सकते हैं कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
हल्के रंग की आँखों वाले बच्चों के जनक (माता - पिता) की आँखें भी हल्के रंग की होती हैं। इसके आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि आँखों के हल्के रंग का लक्षण प्रभावी है अथवा अप्रभावी। क्योंकि हल्के रंग की आंखों के लिए दोनों जनकों का जीनोटाइप समयुग्मजी प्रभावी या समयुग्मजी अप्रभावी हो तो दोनों ही स्थितियों में बच्चों की आँखों का रंग हल्का होगा।
अतः F2 पीढ़ी में 3 कुत्ते काले और एक कुत्ता सफेद प्राप्त होता है, जो यह दर्शाता है कि काला रंग, सफेद रंग पर प्रभावी है।
प्रश्न 8.
विकासीय सम्बन्ध स्थापित करने में जीवाश्म का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
विकासीय सम्बन्ध स्थापित करने में जीवाश्म का महत्त्व:
पंजे थे फिर भी यह पक्षी ही था क्योंकि उसके अग्रपाद उड़ने के लिए विकसित पंखों में रूपान्तरित हो चुके थे। यह स्पष्ट करता है कि पक्षियों का उद्भव सरीसृप से हुआ। अर्थात् जीवों का विकास एक निश्चित क्रम में हुआ।
प्रश्न 9.
किन प्रमाणों के आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है?
उत्तर:
एक ब्रिटिश वैज्ञानिक जे.बी.एस. हाल्डेन ने सबसे पहली बार सुझाव दिया था कि जीवों की उत्पत्ति उन। अजैविक पदार्थों से हुई होगी, जो पृथ्वी की उत्पत्ति के समय बने थे। सन् 1953 में स्टेनल एल. मिलर और हेराल्ड सी. डरे ने ऐसे कृत्रिम वातावरण का निर्माण किया था, जो सम्भवतः प्राथमिक/प्राचीन वातावरण के समान था। इसमें अमोनिया, मीथेन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड के अणु थे परन्तु ऑक्सीजन नहीं थी। एक पात्र में जल भी था। इसे 100°C से कुछ कम ताप पर रखा गया। गैसों के इस मिश्रण में कृत्रिम रूप से समय-समय पर चिंगारियाँ उत्पन्न की गईं, जैसे कि आकाश में बिजली उत्पन्न होती है। एक सप्ताह बाद 15% कार्बन (मीथेन से) सरल कार्बनिक यौगिकों में बदल जाता है। इनमें एमीनो अम्ल भी संश्लेषित हुए जो प्रोटीन के अणुओं का निर्माण करते हैं। इसी आधार पर हम कह सकते हैं कि जीवन की उत्पत्ति अजैविक पदार्थों से हुई है।
प्रश्न 10.
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं, व्याख्या कीजिए। यह लैंगिक प्रजनन करने वाले जीवों के विकास को किस प्रकार प्रभावित करता है?
उत्तर:
अलैंगिक जनन की अपेक्षा लैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न विभिन्नताएँ अधिक स्थायी होती हैं । अलैंगिक जनन एक ही जीव से होने के कारण केवल उसी के गुण उसकी संतति में जा पाते हैं और वे बिना परिवर्तन के पीढ़ी - दरपीढ़ी समान ही रहते हैं। परन्तु लैंगिक जनन नर और मादा के युग्मकों के संयोग से होता है, जिनमें भिन्न - भिन्न जीन होने के कारण संकरण के समय विभिन्नता वाली संतान उत्पन्न हो सकती है। लैंगिक जनन में गुणसूत्रों में 'क्रॉसिग ओवर' होती है, जिससे विभिन्नताएँ प्रकट होती हैं।
ये वंशानुगत विभिन्नताएँ जीव की उत्तरजीविता को बढ़ाती हैं। उदाहरणस्वरूप सभी मानव युगों पहले अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे, पर जब उनमें से अनेक अफ्रीका से बाहर चले गए और धीरे-धीरे पूरे संसार में फैल गए तो लैंगिक जनन से उत्पन्न विभिन्नताओं के कारण उनकी त्वचा का रंग, कद, आकार आदि में परिवर्तन आ गया।
प्रश्न 11.
संतति में नर एवं मादा जनकों द्वारा आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी किस प्रकार सुनिश्चित की जाती है?
उत्तर:
सामान्यतः
विकसित जीवधारियों की कोशिकाओं में विभिन्न प्रकार के गुणसूत्रों के दो जोड़े होते हैं, जिन्हें 2n से प्रदर्शित करते हैं और ऐसी कोशिकाएँ द्विगुणित कहलाती हैं। इन गुणसूत्रों में ही आनुवंशिक पदार्थ स्थित होता है। जब अर्धसूत्री विभाजन जननांगों की जनन कोशिकाओं में होता है (वृषण - नर, अण्डाशय - मादा) तब ये मातृ कोशिकाएँ विभाजित होकर युग्मकों का निर्माण करती हैं। जिनमें अगुणित n गुणसूत्र होते हैं । लैंगिक जनन के दौरान नर एवं मादा युग्मक का निषेचन होता है तो आधे गुणसूत्र माता (मादा) से एवं आधे गुणसूत्र पिता (नर) से आते हैं। इस प्रकार प्राप्त युग्मनज द्विगुणित होता है। इस युग्मनज से बनने वाली संतति में नर एवं मादा जनकों की आनुवंशिक योगदान में बराबर की भागीदारी होती है।
प्रश्न 12.
केवल वे विभिन्नताएँ जो किसी एकल जीव (व्यष्टि) के लिए उपयोगी होती हैं, समष्टि में अपना अस्तित्व बनाए रखती हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? क्यों एवं क्यों नहीं?
उत्तर:
हाँ, क्योंकि जो विभिन्नताएँ एकल जीव (व्यष्टि) के लिए उपयोगी हैं, वे वर्तमान पर्यावरण के अनुकूल हैं, तो प्राकृतिक चयन द्वारा वे अपने अस्तित्व को बनाए रखेंगी। ये विभिन्नताएँ समय के साथ समष्टि की मुख्य विशेषता के रूप में स्थापित हो जाती हैं। जीवधारी इन विभिन्नताओं के कारण स्वयं को वातावरण से अनुकूलित किए रहते हैं और अपनी संतति को निरन्तर सृष्टि में बनाये रखते हैं।