Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 16 प्राकृतिक संसाधनों का संपोषित प्रबंधन Textbook Exercise Questions and Answers.
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पृष्ठ 303.
प्रश्न 1.
पर्यावरण - मित्र बनने के लिए आप अपनी आदतों में कौन - से परिवर्तन ला सकते हैं?
उत्तर:
पर्यावरण - मित्र बनने के लिए हम अपनी आदतों में पाँच R - कम उपयोग (Reduce), Refuse (इनकार), Repurpose (पुनः प्रयोजन), पुनः चक्रण (Recycle) तथा पुनः उपयोग (Reuse) को शामिल करके निम्नलिखित परिवर्तन ला सकते हैं।
प्रश्न 2.
संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना के क्या लाभ हो सकते हैं?
उत्तर:
संसाधनों के दोहन के लिए कम अवधि के उद्देश्य के परियोजना से 'अर्थव्यवस्था में तेजी आ सकती है। लेकिन अर्थव्यवस्था में यह तेजी लम्बे समय तक नहीं रह सकती क्योंकि संसाधन असीमित नहीं हैं। संसाधनों का कम अवधि के उद्देश्यों के लिए दोहन वर्तमान पीढ़ी के लिए लाभकारी हो सकता है परन्तु भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए नहीं।
प्रश्न 3.
यह लाभ, लम्बी अवधि को ध्यान में रखकर बनाई गई परियोजनाओं के लाभ से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
कम अवधि परियोजना के लाभ |
लम्बी अवधि परियोजना के लाभ |
1. समस्त उपयोगी सामग्री प्रचुर मान्रा में उपलब्ध होती है। |
1. विभिन्न उपयोगी सामग्री की उपलब्धता सीमित होती है। |
2. उपयोग एवं फेंकने वाली प्रवृत्ति होती है। |
2. कम उपयोग, पुनः चक्रण एवं पुन: उपयोग की प्रवृत्ति होती है। |
3. संसाधन जल्दी ही खत्म हो जायेंगे। |
3. संसाधन लम्वे समय तक उपलब्ध रहेंगे। |
4. पारिस्थितिकी बाधित एवं नुकसानदायक हो जाती है। |
4. पारिस्थितिकी मित्रवत् होती है। |
5. वस्तुएँ बड़े परिमाण में बनने की प्रवृत्ति होती है। |
5. वस्तुएँ छोटे परिमाण में बनने की प्रवृत्ति होती है। |
6. कम अवधि के उद्देश्य से लाभ केवल व्यक्तिगत होता है। |
6. लम्बी अवधि के उद्देश्य का लाभ सम्पूर्ण समुदाय को होता है। |
प्रश्न 4.
क्या आपके विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए? संसाधनों के समान वितरण के विरुद्ध कौन - कौनसी ताकतें कार्य कर सकती हैं?
उत्तर:
हमारे विचार में संसाधनों का समान वितरण होना चाहिए। संसाधनों के समान वितरण से हमारा अभिप्राय है कि प्राकृतिक संसाधनों का सभी के लिए समान लाभ हेतु वितरण, चाहे व्यक्ति गरीब हो या अमीर। संसाधन निर्जीव व सजीव प्रकृति के हिस्से हैं जो कि भोजन, चारा, सुरक्षा, पानी, ऊर्जा एवं प्रतिदिन काम आने वाली सामग्री उपलब्ध करवाते हैं। प्रत्येक मनुष्य का यह अधिकार है कि वह इन्हें प्राप्त कर उनका समान रूप से उपयोग करे और यह तभी सम्भव है जब इन संसाधनों का वितरण समान होगा।
समान वितरण के विरुद्ध निम्न ताकतें कार्य कर सकती हैं ।
पृष्ठ 308.
प्रश्न 1.
हमें वन एवं वन्य जीवन का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
उत्तर:
वृक्ष, झाड़ियों तथा काष्ठीय वनस्पति का एक सघन जैविक समुदाय वन (forest) कहलाता है। वन जैव विविधता के विशिष्ट स्थल (hotspots) होते हैं। वहाँ अनेक प्रकार की वनस्पति तथा वन्य जीव पाये जाते हैं। वनों एवं वन्य जीवन का संरक्षण करना आवश्यक है क्योंकि वनों से हमारी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति होती है, जो मुख्यतः निम्न प्रकार है।
हमें वन्य जीवन का संरक्षण निम्न कारणों से करना चाहिए।
प्रश्न 2.
संरक्षण के लिए कुछ उपाय सुझाइए।
उत्तर:
वनों एवं वन्य जीवों के संरक्षण के लिए अनेक प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें से कुछ अग्र प्रकार से हैं।
पृष्ठ 311.
प्रश्न 1.
अपने निवास क्षेत्र के आस - पास जल संग्रहण की परम्परागत पद्धति का पता लगाइए।
उत्तर:
हमारे निवास क्षेत्र के आस - पास जल संग्रहण की परम्परागत पद्धति निम्न है बड़े समतल भू - भाग में जल संग्रहण स्थल मुख्यतः अर्धचन्द्राकार मिट्टी के गड्ढे अथवा निचले स्थान, वर्षा ऋतु में पूरी तरह भर जाने वाली नालियाँ अथवा प्राकृतिक जल मार्ग पर बनाये गये चेक डैम, जो कंक्रीट अथवा छोटे कंकड़पत्थरों के बने होते हैं। इन छोटे बाँधों के अवरोध के कारण इनके पीछे मानसून का जल तालाबों में भर जाता है। इनका मुख्य उद्देश्य जल भौम स्तर में सुधार करना है।
प्रश्न 2.
इस पद्धति की पेयजल व्यवस्था (पर्वतीय क्षेत्रों में, मैदानी क्षेत्र अथवा पठार क्षेत्र) से तुलना कीजिए।
उत्तर:
पर्वतीय क्षेत्रों में जल व्यवस्था मैदानी एवं पठारी क्षेत्रों से भिन्न होती है। जैसे-हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में नहर सिंचाई की स्थानीय प्रणाली (व्यवस्था) को कुल्ह कहते हैं। झरनों से बहने वाले जल को मानव - निर्मित छोटी - छोटी नालियों से पहाड़ी पर स्थित निचले गाँवों तक ले जाया जाता है। इस व्यवस्था के अन्तर्गत कृषि के मौसम में जल सबसे पहले दूरस्थ गाँव को दिया जाता है फिर उत्तरोत्तर ऊँचाई पर स्थित गाँव उस जल का उपयोग करते हैं। सिंचाई के अतिरिक्त इन कुल्ह से जल का भूमि में अन्तः स्रावण भी होता रहता है जो विभिन्न स्थानों पर झरने को भी जल प्रदान करता रहता है।पठारी एवं मैदानी इलाकों में घरों की छत पर वर्षा के पानी को एकत्रित करके, बड़ी - बड़ी नदियों से नहरें निकालकर या तालाबों, टैंकों, नाड़ी, ताल आदि में संचित जल द्वारा या फिर नलकूपों द्वारा जल व्यवस्था की जाती है।
प्रश्न 3.
अपने क्षेत्र में जल के स्रोत का पता लगाइए। क्या इस स्रोत से प्राप्त जल उस क्षेत्र के सभी निवासियों को उपलब्ध है?
उत्तर:
हमारे क्षेत्र में जल अभियांत्रिकी विभाग द्वारा घरों में पानी नलों (pipes) के माध्यम से वितरित किया जाता है। यहाँ की जल प्रणाली के अनुसार जल का स्थानीय स्रोत बड़ी टंकी है, जिसमें पानी को बाँध, ट्यूबवैल, कुओं आदि से प्राप्त कर संग्रहित किया जाता है। फिर इस जल का वितरण पाइप लाइनों द्वारा सम्पूर्ण क्षेत्र को किया जाता है।
पानी क्षेत्र के सभी निवासियों को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं होता है क्योंकि पानी की कमी के कारण अब घरों में एक वक्त ही पानी का वितरण किया जाता है, वह भी कम समय के लिए। झुग्गी - झोंपड़ी, ऐसी कॉलोनियाँ जो नगर विकास प्राधिकरण से मान्यता प्राप्त नहीं हैं एवं दूरदराज के क्षेत्र जहाँ पाइप लाइन नहीं है, वे इस पानी से वंचित रहते हैं।
प्रश्न 1.
अपने घर को पर्यावरण - मित्र बनाने के लिए आप उसमें कौन-कौन से परिवर्तन सुझा सकते हैं?
उत्तर:
हमारे घर को पर्यावरण - मित्र बनाने के लिए हम निम्न परिवर्तन का सुझाव दे सकते हैं
प्रश्न 2.
क्या आप अपने विद्यालय में कुछ परिवर्तन सुझा सकते हैं जिनसे इसे पर्यानुकूलित बनाया जा सके।
उत्तर:
हाँ, विद्यालय को पर्यानुकूलित बनाने के लिए निम्न परिवर्तन सुझाये जा सकते हैं।
प्रश्न 3.
इस अध्याय में हमने देखा कि जब हम वन एवं वन्य जन्तुओं की बात करते हैं तो चार मुख्य दावेदार सामने आते हैं। इनमें से किसे वन उत्पाद प्रबंधन हेतु निर्णय लेने के अधिकार दिए जा सकते हैं? आप ऐसा क्यों सोचते हैं?
उत्तर:
वन एवं वन्य जन्तुओं के चार मुख्य दावेदार निम्नलिखित हैं।
उपर्युक्त चारों प्रकार के दावेदारों (stackholders) में से चौथे प्रकार के दावेदार, जो प्रकृति - प्रेमी हैं और वन्य प्राणियों एवं प्राकृतिक वनस्पति को अपनी प्राकृतिक अवस्था में ही बनाए रखना चाहते हैं, को ही प्रबन्धन एवं वन तथा उसके उत्पादों के सम्बन्ध में निर्णय लेने का अधिकार देना चाहिए।
प्रश्न 4.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप निम्न के प्रबंधन में क्या योगदान दे सकते हैं।
(a) वन एवं वन्य जन्तु।
(b) जल संसाधन।
(c) कोयला एवं पेट्रोलियम।
उत्तर:
(a) वन एवं वन्य जन्तु: मैं व्यक्तिगत रूप से वन एवं वन्य जन्तुओं के प्रबंधन में स्थानीय नागरिकों की सहभागिता को सुनिश्चित करना चाहूँगा एवं उन्हें इनके महत्त्व के बारे में बताना चाहूँगा। इसके साथ ही यह प्रबन्ध भी करूँगा कि वन संपदा को अनावश्यक क्षति न हो एवं इनका दुरुपयोग न हो।
(b) जल संसाधन: यह एक सीमित संसाधन है, अतः पानी की जितनी आवश्यकता हो, उतना ही उपयोग किया जावे । इस हेतु पानी के दुरुपयोग को कम करने का प्रयास करूँगा।
(c) कोयला एवं पेट्रोलियम: ऊर्जा की बचत के लिए मैं निम्न प्रयास करूँगा
प्रश्न 5.
अकेले व्यक्ति के रूप में आप विभिन्न प्राकृतिक उत्पादों की खपत कम करने के लिए क्या कर सकते हैं?
उत्तर:
प्रश्न 6.
निम्न से सम्बन्धित ऐसे पाँच कार्य लिखिए जो आपने पिछले एक सप्ताह में किए हैं।
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है।
उत्तर:
(a) अपने प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण।
(b) अपने प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव को और बढ़ाया है।
प्रश्न 7.
इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर आप अपनी जीवनशैली में क्या परिवर्तन लाना चाहेंगे जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके?
उत्तर:
इस अध्याय में उठाई गई समस्याओं के आधार पर हम अपनी जीवनशैली में निम्न परिवर्तन लाना चाहेंगे, जिससे हमारे संसाधनों के संपोषण को प्रोत्साहन मिल सके।