Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 10 Science Chapter 15 हमारा पर्यावरण Textbook Exercise Questions and Answers.
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पृष्ठ 292.
प्रश्न 1.
पोषी स्तर क्या है? एक आहार श्रृंखला का उदाहरण दीजिए तथा इसमें विभिन्न पोषी स्तर बताइए।
उत्तर:
पोषी स्तर - स्वपोषी अर्थात् हरे पौधे सौर ऊर्जा का उपयोग करके अपना भोजन बनाते हैं। इन स्वपोषियों को शाकाहारी जन्तु खाते हैं, जिन्हें मांसाहारी जन्तु भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। इस प्रकार से खाद्य के आहार के अनुसार विभिन्न प्राणियों में एक श्रृंखला बन जाती है, जो आहार श्रृंखला कहलाती है। आहार श्रृंखला की प्रत्येक कड़ी/चरण पोषी स्तर (food level) कहलाती है।
एक आहार श्रृंखला निम्न प्रकार से है।
घास → टिड्डा → गिरगिट → बाज
इस आहार श्रृंखला में चार पोषी स्तर हैं।
प्रश्न 2.
पारितंत्र में अपमार्जकों की क्या भूमिका है?
उत्तर:
पारितंत्र में अपमार्जकों का विशिष्ट स्थान है। पारितंत्र में जीवाणु तथा अन्य सूक्ष्म जीव अपमार्जकों का कार्य करते हैं। ये पेड़ - पौधों एवं जीव - जन्तुओं के मृत शरीरों पर आक्रमण कर जटिल कार्बनिक पदार्थों को सरल पदार्थों में बदल देते हैं। इसी प्रकार कचरा, जैसे - सब्जियों एवं फलों के छिलके, जन्तुओं के मल - मूत्र, पौधों के सड़े - गले भाग अपमार्जकों द्वारा ही विघटित किए जाते हैं। इस प्रकार पदार्थों के पुनः चक्रण में अपमार्जक सहायता करते हैं और वातावरण को स्वच्छ रखते हैं।
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प्रश्न 1.
क्या कारण है कि कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय होते हैं और कुछ अजैव निम्नीकरणीय?
उत्तर:
कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय और कुछ अजैव निम्नीकरणीय होते हैं क्योंकि इसमें सूक्ष्मजीवों जैसे जीवाणु, कवक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। ये केवल प्राकृतिक पदार्थों जैसे कागज, लकड़ी आदि का अपघटन कर सकते हैं परन्तु मानव निर्मित पदार्थ जैसे प्लास्टिक, पीड़कनाशी आदि का अपघटन नहीं कर सकते हैं। इसलिए कुछ पदार्थ जैव निम्नीकरणीय और कुछ अजैव निम्नीकरणीय होते हैं।
प्रश्न 2.
ऐसे दो तरीके सुझाइए जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर:
निम्न दो तरीके हैं, जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 3.
ऐसे दो तरीके बताइए जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
उत्तर:
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प्रश्न 1.
ओजोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है?
उत्तर:
ओजोन 'O2' के अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से निर्मित होते हैं। ओजोन एक घातक विष है। परन्तु वायुमण्डल के ऊपरी स्तर में ओजोन एक आवश्यक प्रकार्य सम्पादित करती है। यह सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरण से पृथ्वी को सुरक्षा प्रदान करती है। यह पराबैंगनी विकिरण जीवों के लिए अत्यन्त हानिकारक है। उदाहरणतः यह मानव में त्वचा कैंसर उत्पन्न करती है।
प्रश्न 2.
आप कचरा निपटान की समस्या कम करने में क्या योगदान कर सकते हैं? किन्हीं दो तरीकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कचरा निपटान की समस्या कम करने में हम निम्न योगदान कर सकते हैं।
प्रश्न 1.
निम्न में से कौन - से समूहों में केवल जैव निम्नीकरणीय पदार्थ हैं।
(a) घांस, पुष्प तथा चमड़ा।
(b) घास, लकड़ी तथा प्लास्टिक
(c) फलों के छिलके, केक एवं नींबू का रस
(d) केक, लकड़ी एवं घास।
उत्तर:
(a) (c) व (d) में।
प्रश्न 2.
निम्न में से कौन आहार श्रृंखला का निर्माण करते हैं?
(a) घास, गेहूँ तथा आम
(b) घास, बकरी तथा मानव
(c) बकरी, गाय तथा हाथी
(d) घास, मछली तथा बकरी
उत्तर:
(b) घास, बकरी तथा मानव।
प्रश्न 3.
निम्न में से कौन पर्यावरण - मित्र व्यवहार कहलाते हैं?
(a) बाजार जाते समय सामान के लिए कपड़े का थैला ले जाना।
(b) कार्य समाप्त हो जाने पर लाइट (बल्ब) तथा पंखे का स्विच बंद करना।
(c) माँ द्वारा स्कूटर से विद्यालय छोड़ने के बजाय तुम्हारा विद्यालय तक पैदल जाना।
(d) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(d) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 4.
क्या होगा यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर दें (मार डालें)?
उत्तर:
यदि हम एक पोषी स्तर के सभी जीवों को समाप्त कर देंगे तो आहार श्रृंखला समाप्त हो जाएगी एवं पारिस्थितिक संतुलन प्रभावित होगा। प्रकृति में सभी आहार श्रृंखलाएँ एक - दूसरे से जुड़ी हुई हैं। यदि किसी भी एक कड़ी (पोषी स्तर) को समाप्त कर दें तो उससे पहले के पोषी स्तर में जीवों की संख्या अत्यधिक बढ़ जाएगी और उसके बाद के पोषी स्तर के लिए भोजन अनुपलब्ध हो जाने के कारण संख्या घट जाएगी। उदाहरण के लिए।
प्रश्न 5.
क्या किसी पोषी स्तर के सभी सदस्यों को हटाने का प्रभाव भिन्न - भिन्न पोषी स्तरों के लिए अलग - अलग होगा? क्या किसी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना सम्भव है?
उत्तर:
नहीं, यदि किसी पोषी स्तर के जीवों को नष्ट कर दिया जाए तो पहले तथा बाद के पोषी स्तरों में आने वाले सभी जीवधारी प्रभावित होंगे। सभी पोषी स्तर प्रारम्भ में तीव्रता से एवं बाद में धीमी गति से प्रभावित होंगे। किसी भी पोषी स्तर के जीवों को पारितंत्र को प्रभावित किए बिना हटाना सम्भव नहीं है क्योंकि प्रकृति की सभी खाद्य श्रृंखलाएँ एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
प्रश्न 6.
जैविक आवर्धन (Biological magnification) क्या है? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न - भिन्न होगा?
उत्तर:
जैविक आवर्धन (Biological magnification):
अजैव निम्नीकरणीय पीड़कनाशियों जैसे DDT का फसलों के बचाव के लिए व्यापक उपयोग किया जाता है। एक बार वे आहार श्रृंखला में प्रविष्ट हो जाएँ तो उसके बाद प्रत्येक पोषण स्तर (आहार श्रृंखला के चरण) पर उनका सान्द्रण बढ़ता जाता है। परिणामतः लम्बी अवधि में ये यौगिक शीर्ष उपभोक्ताओं के भीतर संचित होते जाते हैं। हानिकारक अजैव निम्नीकरणीय रसायनों का खाद्य श्रृंखला में प्रवेश होना और फिर प्रत्येक उच्चतर पोषण स्तर पर उनका अधिकाधिक सान्द्रण बढ़ते जाना ही जैव आवर्धन कहलाता है। हाँ, विभिन्न पोषी स्तरों में रसायनों की सान्द्रता भिन्न - भिन्न होती है। जैसे - जैसे आहार श्रृंखला की श्रेणी बढ़ती जाती हैं, रसायनों की सान्द्रता में भी अधिकता होती रहती है और उसका प्रभाव भी बढ़ता जाता है।
प्रश्न 7.
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से कौन - सी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं?
उत्तर:
हमारे द्वारा उत्पादित अजैव निम्नीकरणीय कचरे से निम्न समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
प्रश्न 8.
यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो क्या इनका हमारे पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा?
उत्तर:
यदि हमारे द्वारा उत्पादित सारा कचरा जैव निम्नीकरणीय हो तो इनका निपटान आसानी से हो जाएगा। जैव निम्नीकरण पदार्थ सरलता से सूक्ष्म जीवों द्वारा अपघटित कर दिए जाते हैं। यह अपशिष्ट लम्बे समय तक नहीं रहते हैं। परन्तु इनकी मात्रा बढ़ जाती है तो कई समस्याएँ भी उत्पन्न हो जाती हैं। जैसे
प्रश्न 9.
ओजोन परत की क्षति हमारे लिए चिन्ता का विषय क्यों है? इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तर:
पृथ्वी के वायुमण्डल में मौजूद ओजोन परत सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी की सतह तक आने से रोकती है। रेफ्रिजरेशन, वातानुकूलन, शोधन विलायकों, अग्निशामकों तथा एरोसॉलों (इत्रों, कीटनाशियों, औषधियों आदि के फुहार डिब्बों में काम आते हैं) आदि से उत्सर्जित रसायन, जैसे - क्लोरो - फ्लोरो कार्बन (CFCs) ओजोन परत को हानि पहुंचाते हैं।
ओजोन परत की क्षति से निम्नलिखित खतरे हो सकते हैं।
ओजोन परत की क्षति को सीमित करने के लिए 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) में सर्वानुमति बनी कि CFC के उत्पादन को 1986 के स्तर पर ही सीमित रखा जाए। अब CFCs की जगह हाइड्रोफ्लोरो कार्बनों का प्रयोग आरम्भ किया गया है, जिसमें ओजोन परत को क्षति पहुँचाने वाले क्लोरीन या ब्रोमीन नहीं होते हैं। धीरे - धीरे अब.सभी देश इस समस्या से निपटने के लिए अग्रसर हो रहे हैं।