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प्रश्न 1.
नेत्र की समंजन क्षमता से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
नेत्र लैंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित करके निकट तथा दूरस्थ वस्तुओं को फोकसित कर लेता है, नेत्र की समंजन क्षमता कहलाती है। सामान्य अवस्था में नेत्र की समंजन क्षमता 4 डॉयोप्टर होती है।
प्रश्न 2.
निकट दृष्टि दोष का कोई व्यक्ति 1.2 m से अधिक दूरी पर रखी वस्तुओं को सस्पष्ट नहीं देख सकता। इस दोष को दूर करने के लिए प्रयुक्त संशोधक लैंस किस प्रकार का होना चाहिये?
उत्तर:
अवतल लैंस की सहायता से उस व्यक्ति को इस रोग से मुक्ति दिलायी जा सकती है।
प्रश्न 3.
मानव नेत्र की सामान्य दृष्टि के लिये दूर बिन्दु तथा निकट बिन्दु नेत्र से कितनी दूरी पर होते हैं?
उत्तर:
सामान्य दृष्टि के लिए दूर बिन्दु अनन्त पर तथा निकट बिन्दु नेत्र से 25 cm की दूरी पर होता है।
प्रश्न 4.
अंतिम पंक्ति में बैठे किसी विद्यार्थी को श्यामपट्ट पढ़ने में कठिनाई होती है। यह विद्यार्थी किस दृष्टि दोष से पीड़ित है? इसे किस प्रकार संशोधित किया जा सकता है?
उत्तर:
विद्यार्थी निकट दृष्टि दोष अथवा मायोपिया से पीड़ित है। इस रोग का निवारण अवतल (अपसारी) लैंस के प्रयोग से किया जा सकता है।
RBSE Class 10 Science Chapter 11 मानव नेत्र एवं रंगबिरंगा संसार Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
मानव नेत्र अभिनेत्र लैंस की फोकस दूरी को समायोजित करके विभिन्न दूरियों पर रखी वस्तुओं को फोकसित कर सकता है। ऐसा हो पाने का कारण है
(a) जरा - दूरदृष्टिता
(b) समंजन
(c) निकट - दृष्टि
(d) दीर्घ - दृष्टि
उत्तर:
(b) समंजन।
प्रश्न 2.
मानव नेत्र जिस भाग पर किसी वस्तु का प्रतिबिंब बनाते हैं, वह है
(a) कॉर्निया
(b) परितारिका
(c) पुतली
(d) दृष्टिपटल
उत्तर:
(d) दृष्टिपटल।
प्रश्न 3.
सामान्य दृष्टि के वयस्क के लिए सुस्पष्ट दर्शन की अल्पतम दूरी होती है, लगभग
(a) 25 m
(b) 2.5 cm
(c) 25 cm
(d) 2.5 m
उत्तर:
(c) 25 cm
प्रश्न 4.
अभिनेत्र लैंस की फोकस दूरी में परिवर्तन किया जाता है
(a) पुतली द्वारा
(b) दृष्टिपटल द्वारा
(c) पक्ष्माभी द्वारा
(d) परितारिका द्वारा
उत्तर:
(c) पक्ष्माभी द्वारा।
प्रश्न 5.
किसी व्यक्ति को अपनी दूर की दृष्टि को संशोधित करने के लिए - 5.5 डाइऑप्टर क्षमता के लैंस की आवश्यकता है। अपनी निकट की दृष्टि को संशोधित करने के लिये उसे + 1.5 डायोप्टर क्षमता के लैंस की आवश्यकता है। संशोधित करने के लिए आवश्यक लैंस की फोकस दूरी क्या होगी
(i) दूर की दृष्टि के लिए
(ii) निकट की दृष्टि के लिए।
उत्तर:
(i) दिया गया है - दूर की वस्तुओं को स्पष्ट देखने के लिए आवश्यक लैंस की क्षमता
P = -5.5D
\(\therefore\) सूत्र \(\mathrm{P}=\frac{1}{f}\) से
\(f=\frac{1}{\mathrm{P}} \mathrm{m}\)
\(\therefore\) \(f=\frac{1}{-5.5} \mathrm{~m}=-0.181 \mathrm{~m}\)
(ii) दिया गया है - निकट की वस्तुओं को स्पष्ट देखने के लिए आवश्यक लैंस की क्षमता
P = +1.5D
सूत्र \(\mathbf{P}=\frac{1}{f}\)
\(f=\frac{1}{\mathrm{P}} \mathrm{m}\)
या \(f=\frac{1}{+1.5}\)
\(\therefore\) f = + 0.667 m
प्रश्न 6.
किसी निकट - दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति का दूर बिन्दु नेत्र के सामने 80 सेमी दूरी पर है। इस दोष को संशोधित करने के लिये आवश्यक लैंस की प्रकृति तथा क्षमता क्या होगी?
उत्तर:
लैंस की प्रकृति अपसारी (अवतल) लैंस होगी।
बिंब की दूरी (u) = अनन्त (∞)
प्रतिबिंब की दूरी (v) = -80 सेमी
फोकस दूरी = f
लैंस सूत्र से
\(\begin{aligned} \frac{1}{V}-\frac{1}{u} &=\frac{1}{f} \\ \frac{1}{80}-\frac{1}{\infty} &=\frac{1}{f} \\ \frac{1}{f} &=-\frac{1}{80} \\ f &=-80 \mathrm{~cm}=-0.8 \mathrm{~m} \end{aligned}\)
लैंस की क्षमता
\(\begin{aligned} &P=\frac{1}{f} \text { } \\ &P=\frac{1}{-0.8} \\ &P=-1.22 \\ &\text { }-1.25D \end{aligned}\)
अतः इस दोष को दूर करने के लिए -1.25 क्षमता के अपसारी (अवतल) लैंस की आवश्यकता होगी।
प्रश्न 7.
चित्र बनाकर दर्शाइए कि दीर्घ - दृष्टि दोष कैसे संशोधित किया जाता है? एक दीर्घ - दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिंदु 1 m है। इस दोष को संशोधित करने के लिए आवश्यक लैंस की क्षमता क्या होगी? यह मान लीजिए कि सामान्य नेत्र का निकट बिंदु 25 cm है।
उत्तर:
दीर्घ दृष्टि दोष से पीड़ित व्यक्ति को पास रखी वस्तु स्पष्ट दिखाई नहीं देती है। इस दोष में 25 cm दूर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे (बिन्दु P) बनता है, जिससे व्यक्ति समीप की वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है।
इस दोष के संशोधन के लिए उचित दूरी का उत्तल (अभिसारी) लैंस प्रयोग में लाया जाता है; जो वस्तु का प्रतिबिम्ब वस्तु से पहले बना देता है, जिससे व्यक्ति को पास में रखी वस्तु स्पष्ट दिखाई देने लगती है।
(a) दीर्घ - दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिंदु
(b) दीर्घ - दृष्टि दोषयुक्त नेत्र
(c) दीर्घ - दृष्टि दोष का संशोधन
चित्र-(a), (b), (c) दीर्घ दृष्टि दोषयुक्त नेत्र, तथा (C) दीर्घ-दृष्टि दोष का संशोधन N = दीर्घ-दृष्टि दोषयुक्त नेत्र का निकट बिंदु N= सामान्य नेत्र का निकट बिंदु।
मनुष्य के नेत्र का निकट बिन्दु 25 cm से दूर खिसक कर 1m (100 cm) दूर पहुँच गया है।
अतः बिंब की दूरी (u) = --25 सेमी
प्रतिबिंब की दूरी (v) = -100 सेमी
फोकस दूरी = f
लैंस के सूत्र से
\(\frac{1}{f}=\frac{1}{v}-\frac{1}{u}\)
\(\therefore\) \(\frac{1}{f}=\frac{1}{-100}-\frac{1}{-25}=\frac{-1+4}{100}\)
\(\frac{1}{f}=\frac{3}{100} \mathrm{~cm} \text { } \frac{1}{3} \mathrm{~m}\)
अतः आवश्यक लैंस की क्षमता
\(\mathrm{P}=\frac{1}{f}=\frac{1}{1 / 3}=3\)
\(\therefore\) P =+ 3D
अतः आवश्यक लैंस की क्षमता + 3D होगी।
प्रश्न 8.
सामान्य नेत्र 25 cm से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट क्यों नहीं देख पाते?
उत्तर:
सामान्य नेत्र 25 सेमी से निकट रखी वस्तुओं को सुस्पष्ट नहीं देख पाते क्योंकि नेत्र के अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी तक निश्चित न्यूनतम सीमा (25 सेमी) से कम नहीं होती।
प्रश्न 9.
जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो नेत्र में प्रतिबिम्ब - दूरी का क्या होता है?
उत्तर:
जब हम नेत्र से किसी वस्तु की दूरी को बढ़ा देते हैं तो पक्ष्माभी पेशियों में शिथिलन के कारण अभिनेत्र लेंस पतला हो जाता है जिससे इसकी फोकस दूरी बढ़ जाती है जिससे हम दूर रखी वस्तुओं को स्पष्ट देख पाने में समर्थ होते हैं क्योंकि इससे प्रतिबिम्ब रेटिना पर ही बनता है।
प्रश्न 10.
तारे क्यों टिमटिमाते हैं?
उत्तर:
तारों से आने वाला प्रकाश हमारी आँख तक पहुँचने से पहले वायुमण्डल की विभिन्न परतों से गुजरता है। इन परतों का घनत्व, ताप में परिवर्तन के कारण अनियमित रूप से बदलता रहता है, जिस कारण से अपवर्तनांक भी परिवर्तित होता रहता है। अपवर्तनांक परिवर्तन के कारण तारों से आने वाली किरणें लगातार अपना मार्ग बदलती रहती हैं तथा हमारी आँख तक पहुँचने वाले प्रकाश की मात्रा भी बदलती रहती है, जिस कारण तारे टिमटिमाते हुए दिखाई देते हैं।
प्रश्न 11.
व्याख्या कीजिये कि ग्रह क्यों नहीं टिमटिमाते?
उत्तर:
ग्रह तारों की अपेक्षा पृथ्वी के बहुत करीब हैं और इसलिये उन्हें विस्तृत स्रोत की तरह माना जा सकता है। यदि हम ग्रह को बिन्दु आकार के अनेक प्रकाश स्रोतों का संग्रह मान लें तो सभी बिन्दु आकार के प्रकाश-स्रोतों से हमारे नेत्रों में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा में कुल परिवर्तन का औसत मान शून्य होगा, इसी कारण वे टिमटिमाते प्रतीत नहीं होते।
प्रश्न 12.
सूर्योदय के समय सूर्य रक्ताभ क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर:
जब सूर्य सिर से ठीक ऊपर होता है तो सूर्य से आने वाला प्रकाश अपेक्षाकृत कम दूरी चलता है। दोपहर के समय सूर्य श्वेत प्रतीत होता है; क्योंकि नीले तथा बैंगनी वर्ण का बहुत थोड़ा भाग ही प्रकीर्ण हो पाता है। सूर्योदय के समय सूर्य क्षैतिजीय अवस्था में होता है। इस समय सूर्य से आने वाला प्रकाश हमारे नेत्रों तक पहुँचने से पहले पृथ्वी के वायुमण्डल में वायु की मोटी परतों से होकर गुजरता है। क्षितिज के समीप नीले तथा कम तरंगदैर्घ्य के प्रकाश का अधिकांश भाग कणों द्वारा प्रकीर्ण हो जाता है। इसलिये हमारे नेत्रों तक पहुँचने वाला प्रकाश अधिक तरंग-दैर्घ्य का होता है। इससे सूर्योदय या सूर्यास्त के समय सूर्य रक्ताभ प्रतीत होता है।
प्रश्न 13.
किसी अंतरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला क्यों प्रतीत होता है?
उत्तर:
वायुमण्डल में प्रकीर्णन के कारण फैले हुए नीले प्रकाश के कारण, पृथ्वी तल पर खड़े किसी व्यक्ति को आकाश का रंग नीला दिखाई देता है। परन्तु जब कोई अन्तरिक्ष यात्री पृथ्वी के वायुमण्डल से बाहर निकल जाता है, तब वहाँ निर्वात में सूर्य के प्रकाश का प्रकीर्णन नहीं हो पाता है, जिस कारण अन्तरिक्ष यात्री को आकाश नीले की अपेक्षा काला प्रतीत होता है।