Rajasthan Board RBSE Class 9 Science Important Questions Chapter 2 क्या हमारे आस - पास के पदार्थ शुद्ध हैं Important Questions and Answers.
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बहुचयनात्मक प्रश्न :
प्रश्न1.
ऊर्ध्वपातन द्वारा निम्न में से किसे पृथक् किया जा सकता है?
(अ) रेत
(ब) अमोनियम क्लोराइड
(स) सोडियम क्लोराइड
(द) चॉक पाउडर
उत्तर:
(ब) अमोनियम क्लोराइड
प्रश्न 2.
निम्न में ऊर्ध्वपातिज पदार्थ नहीं है।
(अ) कपूर
(ब) एंथ्रासीन
(स) सोडियम क्लोराइड
(द). नेफ्थेलीन
उत्तर:
(स) सोडियम क्लोराइड
प्रश्न 3.
वह धातु जो कमरे के ताप पर द्रव अवस्था में पाई जाती है।
(अ) पारा
(ब) सोना
(स) लोहा
(द) ताँबा
उत्तर:
(अ) पारा
प्रश्न 4.
निम्न में से उपधातु नहीं है।
(अ) बोरान
(ब) ब्रोमीन
(स) सिलिकन
(द) जर्मेनियम
उत्तर:
(ब) ब्रोमीन
प्रश्न 5.
विषमांगी मिश्रण है।
(अ) लकड़ी
(ब) नमक का विलयन
(स) तांबा
(द) स्टील
उत्तर:
(अ) लकड़ी
प्रश्न 6.
साबुन का जलीय विलयन है।
(अ) समांगी विलयन
(ब) समांगी मिश्रण
(स) कोलाइड
(द) निलंबन
उत्तर:
(स) कोलाइड
प्रश्न 7.
वायु के दो मुख्य घटक हैं।
(अ) नाइट्रोजन व कार्बन मोनोक्साइड
(ब) ऑक्सीजन व नाइट्रोजन
(स) ऑक्सीजन व कार्बन डाइऑक्साइड
(द) कार्बन मोनो आक्साइड + कार्बन डाइऑक्साइड।
उत्तर:
(ब) ऑक्सीजन व नाइट्रोजन
प्रश्न 8.
दो घुलनशील द्रवों को पृथक् करने की विधि है।
(अ) आसवन।
(ब) कीप पृथक्करण।
(स) ऊर्ध्वपातन।
(द) वाष्पन।
उत्तर:
(अ) आसवन।
प्रश्न 9.
दूध से क्रीम पृथक् करने की विधि है।
(अ) आसवन।
(ब) प्रभाजी आसवन।
(स) अपकेन्द्रन।
(द) क्रोमैटोग्राफी।
उत्तर:
(स) अपकेन्द्रन।
प्रश्न 10.
समुद्री जल से प्राप्त नमक को शुद्ध करने में सहायक विधि है।
(अ) क्रिस्टलीकरण।
(ब) ऊर्ध्वपातन।
(स) प्रभाजी आसवन।
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(अ) क्रिस्टलीकरण।
प्रश्न 11.
टिंडल प्रभाव प्रदर्शित नहीं करने वाला पदार्थ है।
(अ) वास्तविक विलयन।
(ब) निलंबन।
(स) कोलाइडल विलयन।
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(अ) वास्तविक विलयन।
प्रश्न 12.
दो अघुलनशील द्रवों को पृथक् करने की विधि है।
(अ) कीप पृथक्करण।
(ब) आसवन।
(स) ऊर्ध्वपातन।
(द) भारण।
उत्तर:
(अ) कीप पृथक्करण।
प्रश्न 13.
निम्न में से अधातु नहीं है।
(अ) आयोडीन।
(ब) क्लोरीन।
(स) कार्बन।
(द) सिलिकन।
उत्तर:
(अ) आयोडीन।
प्रश्न 14.
वायु के घटकों को पृथक् किया जा सकता है।
(अ) प्रभाजी आसवन द्वारा।
(ब) आसवन द्वारा।
(स) ऊर्ध्वपातन द्वारा।
(द) उपर्युक्त सभी विधियों द्वारा।
उत्तर:
(अ) प्रभाजी आसवन द्वारा।
रिक्त स्थान वाले प्रश्न:
निम्नलिखित प्रश्नों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
प्रश्न 1.
................ एक या एक से अधिक तत्वों या यौगिकों से मिलकर बना होता है।
उत्तर:
मिश्रण
प्रश्न 2.
शुद्ध पदार्थ किसी भी स्रोत से प्राप्त हो, इसके अभिलाक्षणिक गुण ................. होंगे।
उत्तर:
एक समान
प्रश्न 3.
अभी तक ज्ञात तत्वों की संख्या ............ से अधिक है। इनमें से 92 तत्व प्राकृतिक हैं जबकि शेषमानव निर्मित हैं।
उत्तर:
100
प्रश्न 4.
तेल का हवा में जलना एक ................... परिवर्तन है।
उत्तर:
रासायनिक
प्रश्न 5.
पारा एक ........ धातु है।
उत्तर:
द्रव।
सत्य / असत्य कथन वाले प्रश्न:
निम्नलिखित कथनों में सत्य तथा असत्य कथन छाँटिए:
प्रश्न 1.
जल में घुले हुए सोडियम क्लोराइड को वाष्पीकरण या आसवन विधि द्वारा जल से पृथक किया जा सकता है।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 2.
गैलियम तथा सीजियम तत्व कमरे के तापमान (303K) से कुछ अधिक तापमान पर गैस अवस्था में होते हैं।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 3.
मोमबत्ती के जलने की प्रक्रिया में भौतिक एवं रासायनिक दोनों परिवर्तन होते हैं।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 4.
यौगिक का संघटन पूरे पदार्थ में समान नहीं होता है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 5.
जल में चीनी विषमांगी मिश्रण है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 6.
लोहे में जंग लगना एक रासायनिक परिवर्तन है।
उत्तर:
सत्य।
मिलान वाले प्रश्न:
निम्नलिखित प्रश्नों में भाग (अ) का मिलान भाग (ब) से करके सही कूट (कोड) का चयन कीजिए।
प्रश्न 1.
भाग (अ) |
भाग (ब) |
1. गैसीय तत्वों की संख्या |
(a) हाइड्रोजन सल्फाइड गैस |
2. रंगहीन, गंधहीन, ज्वलनशील गैस |
(b) 11 |
3. सड़े हुए अण्डे जैसी गंध |
(c) भौतिक परिवर्तन |
4. बर्फ को गर्म करना |
(d) हाइड्रोजन |
उत्तर:
भाग (अ) |
भाग (ब) |
1. गैसीय तत्वों की संख्या |
(b) 11 |
2. रंगहीन, गंधहीन, ज्वलनशील गैस |
(d) हाइड्रोजन |
3. सड़े हुए अण्डे जैसी गंध |
(a) हाइड्रोजन सल्फाइड गैस |
4. बर्फ को गर्म करना |
(c) भौतिक परिवर्तन |
प्रश्न 2.
भाग़ (अ ) |
भाग (ब) |
1. टिण्डल प्रभाव |
(a) लोहा |
2. शुद्ध पदार्थ |
(b) ऊर्ध्वपातिज पदार्थ |
3. समांगी मिश्रण |
(c) स्टार्च विलयन |
4. कपूर |
(d) वायु |
उत्तर:
भाग़ (अ ) |
भाग (ब) |
1. टिण्डल प्रभाव |
(c) स्टार्च विलयन |
2. शुद्ध पदार्थ |
(d) वायु |
3. समांगी मिश्रण |
(b) ऊर्ध्वपातिज पदार्थ |
4. कपूर |
(a) लोहा |
प्रश्न 3.
भाग (अ) |
भाग (ब) |
1. कोहरा |
(a) दो घुलनशील द्रवों का पृथक्करण |
2. पीतल |
(b) अपकेन्द्रन |
3. दूध से क्रीम का पृथक्करण |
(c) ऐरोसॉल |
4. आसवन |
(d) मिश्र धातु |
उत्तर:
भाग (अ) |
भाग (ब) |
1. कोहरा |
(c) ऐरोसॉल |
2. पीतल |
(d) मिश्र धातु |
3. दूध से क्रीम का पृथक्करण |
(b) अपकेन्द्रन |
4. आसवन |
(a) दो घुलनशील द्रवों का पृथक्करण |
प्रश्न 4.
भाग (अ ) |
भाग (ब) |
1. सिलिकॉन |
(a) जैल |
2. पनीर |
(b) चादी |
3. आघातवर्धनीय |
(c) रासायनिक परिवर्तन |
4. दूध से दही बनना |
(d) उपधातु |
उत्तर:
भाग (अ ) |
भाग (ब) |
1. सिलिकॉन |
(d) उपधातु |
2. पनीर |
(a) जैल |
3. आघातवर्धनीय |
(b) चादी |
4. दूध से दही बनना |
(c) रासायनिक परिवर्तन |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
कमरे के ताप पर कौन - कौन से तत्व द्रव हैं?
उत्तर:
पारा तथा ब्रोमीन।
प्रश्न 2.
किसी एक ठोस विलयन का नाम लिखिए।
उत्तर:
पीतल।
प्रश्न 3.
विलयन को कितने भागों में बाँटा जा सकता है? नाम लिखिए।
उत्तर:
विलायक को दो भागों में बाँटा जा सकता है।
प्रश्न 4.
विलयन किसे कहते हैं?
उत्तर:
दो या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण विलयन कहलाता है।
प्रश्न 5.
निम्न में से समांगी मिश्रण बताइएलकड़ी, चीनी का जलीय घोल, मिट्टी मिला जल।
उत्तर:
चीनी का जलीय घोल।
प्रश्न 6.
निम्न में कौन विषमांगी मिश्रण हैं? विलयन, निलंबन, कोलाइडल विलयन।
उत्तर:
निलंबन व कोलाइडल विलयन विषमांगी मिश्रण हैं।
प्रश्न.7.
पीतल किन - किन धातुओं का मिश्रण है?
उत्तर:
पीतल जिंक (लगभग 30%) व कॉपर (लगभग 70%) का समांग मिश्रण है।
प्रश्न 8.
दो ऊर्ध्वपातज पदार्थों के नाम लिखिए।
उत्तर:
कपूर और अमोनियम क्लोराइड।
प्रश्न 9.
दो या दो से अधिक घुलनशील द्रवों, जिनके क्वथनांक में अंतर 25K से कम होता है, के मिश्रण को पृथक् करने के लिए कौनसी विधि सर्वोत्तम होती है?
उत्तर:
प्रभाजी आसवन विधि।
प्रश्न 10.
इमल्शन कोलाइड के दो उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
दूध और फेस क्रीम।
प्रश्न 11.
ऑक्सीजन व नाइट्रोजन के क्वथनांक लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 12.
क्रोमैटोग्राफी विधि का प्रयोग सबसे पहले कहाँ किया गया था?
उत्तर:
इस विधि का सबसे पहले प्रयोग रंगों को पृथक् करने में किया गया था।
प्रश्न 13.
निम्नलिखित के पृथक्करण के लिए आप कौन - सी तकनीक अपनाएंगे? जल में निलंबित कीचड़ के कण।
उत्तर:
कीप पृथक्करण विधि।
प्रश्न 14.
रासायनिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
रासायनिक परिवर्तन में पदार्थों के रासायनिक गुणधर्मों में परिवर्तन होता है जिससे एक नया पदार्थ बनता है।
प्रश्न 15.
तत्त्व किसे कहते हैं?
उत्तर:
तत्त्व पदार्थ का वह मूल रूप है जिसे रासायनिक अभिक्रिया द्वारा अन्य सरल पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 16.
तत्वों को कितने रूपों में बांटा जा सकता है?
उत्तर:
तत्वों को मुख्य रूप से तीन रूपों-धातु, अधातु तथा उपधातु में बांटा जा सकता है।
प्रश्न 17.
यौगिक किसे कहते हैं?
उत्तर:
यौगिक वह पदार्थ है जो दो या दो से अधिक तत्वों के स्थिर अनुपात में रासायनिक तौर पर संयोजन से बनता है।
प्रश्न 18.
निम्नलिखित में से धातु और अधातु को छाँटिएआयोडीन, कार्बन, सोना, लोहा, पारा, ब्रोमीन, क्लोरीन, सोडियम।
उत्तर:
धातु - सोना, लोहा, पारा तथा सोडियम। अधातु - आयोडीन, कार्बन, ब्रोमीन तथा क्लोरीन।
प्रश्न 19.
ठोस में ठोस के विलयन का उदाहरण दीजिए।
उत्तर;
मिश्र धातुएँ ठोस में ठोस का विलयन कहलाती हैं। जैसे - पीतल, जिसमें कॉपर विलायक और जिंक विलेय हैं।
प्रश्न 20.
असंतृप्त विलयन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब विलयन में विलेय पदार्थ की मात्रा संतृप्त स्तर से कम है तो उसे असंतृप्त विलयन कहते हैं।
प्रश्न 21.
क्रिस्टलीकरण विधि के दो अनुप्रयोग लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 22.
पदार्थ के भौतिक गुण कौनसे होते हैं?
उत्तर:
रंग, कठोरता, बहाव, घनत्व, द्रवनांक तथा क्वथनांक पदार्थ के भौतिक गुण होते हैं।
लघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
सोडियम क्लोराइड एवं चीनी एक शद्ध पदार्थ है, कैसे?
उत्तर:
वस्तुतः पदार्थ एक या एक से अधिक शुद्ध तत्वों या यौगिकों से मिलकर बना होता है तथा किसी पदार्थ को उसके तत्वों में भौतिक विधि द्वारा पृथक् नहीं किया जा सकता है। इसी प्रकार सोडियम क्लोराइड एवं चीनी एक पदार्थ है तथा इन्हें भौतिक विधि द्वारा इनके रासायनिक अवयवों में पृथक् नहीं किया जा सकता अतः ये शुद्ध पदार्थ हैं।
प्रश्न 2.
प्रयोग द्वारा समझाइए कि समांगी मिश्रण पृथक् - पृथक् संघटन रख सकते हैं।
उत्तर:
एक बीकर में 50 mL जल लेकर उसमें एक चम्मच कॉपर सल्फेट मिलाएंगे तथा दूसरे बीकर में 50 mL जल लेकर दो चम्मच कॉपर सल्फेट मिलाएंगे। हम देखते हैं कि दोनों बीकर में प्राप्त मिश्रण समान बनावट का है, परन्तु दोनों घोलों में रंग की तीव्रता अलग - अलग है जो यह प्रदर्शित करता है कि समांगी मिश्रण पृथक् - पृथक् संघटन रख सकते हैं।
प्रश्न 3.
विलयन के गुण लिखिए।
उत्तर:
विलयन में निम्नलिखित गुण होते हैं:
प्रश्न 4.
विलायक व विलेय को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
विलायक व विलेय को परिभाषित:
प्रश्न 5.
तनु या सांद्र विलयन से क्या आशय है?
उत्तर:
तनु और सांद्र तुलनात्मक शब्द हैं जिसका निर्धारण किसी विलयन के निश्चित आयतन में विलेय पदार्थ की मात्रा से किया जाता है। जैसे दो बीकर में प्रत्येक में 100 mL जल लेकर एक बीकर में एक चम्मच तथा दूसरे में दो चम्मचं कॉपर सल्फेट डालकर विलयन बनाया जाए तो एक चम्मच कॉपर सल्फेट का विलयन तनु होगा तथा दो चम्मच कॉपर सल्फेट वाला विलयन तुलनात्मक रूप से सांद्र होगा।
प्रश्न 6.
मिश्र धातु किसे कहते हैं? इन्हें मिश्रण क्यों समझा जाता है?
उत्तर:
मिश्र धातु-ये धातुओं के समांगी मिश्रण होते हैं, जिन्हें भौतिक क्रिया द्वारा उसके अवयवों में पृथक नहीं किया जा सकता है लेकिन फिर भी मिश्र धातुओं को मिश्रण माना जाता है क्योंकि ये अपने घटकों के गुणों को दर्शाते हैं और पृथक् - पृथक् संघटक रखते हैं। जैसे - पीतल, 30% जिंक और 70% कॉपर का मिश्रण है।
प्रश्न 7.
संतृप्त, असंतृप्त तथा अतिसंतृप्त विलयन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
संतृप्त, असंतृप्त तथा अतिसंतृप्त विलयन को परिभाषित:
प्रश्न 8.
निम्न के उदाहरण दीजिए
उत्तर:
प्रश्न 9.
विलयन की सांद्रता से क्या आशय है?
उत्तर:
विलयन की सांद्रता: विलायक की निश्चित मात्रा (द्रव्यमान अथवा आयतन) में घुले हुए विलेय पदार्थ की मात्रा अथवा विलेय पदार्थ की मात्रा जो विलयन की किसी दी गई मात्रा अथवा आयतन में उपस्थित हो, को विलयन की सांद्रता कहते हैं। अतः
प्रश्न 10.
द्रव्यमान विलयन के द्रव्यमान प्रतिशत, आयतन प्रतिशत तथा विलयन के आयतन प्रतिशत ज्ञात करने के सूत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 11.
निलंबन के गुण धर्म लिखिए।
उत्तर:
निलंबन के गुण धर्म निम्नलिखित हैं:
प्रश्न 12.
कोलाइडल विलयन कैसे बनता है?
उत्तर:
कोलाइडल विलयन परिक्षिप्त प्रावस्था और परिक्षेपण माध्यम से बनता है। विलेय पदार्थ की तरह का घटक या परिक्षिप्त कण, जो कि कोलाइडल रूप में रहता है, उसे परिक्षिप्त प्रावस्था कहते हैं तथा वह घटक जिसमें परिक्षिप्त प्रावस्था निलंबित रहती है, उसे परिक्षेपण माध्यम कहते हैं।
प्रश्न 13.
कोलाइड के गुणधर्म लिखिए।
उत्तर:
कोलाइड के गुणधर्म निम्नलिखित हैं:
प्रश्न 14.
वास्तविक विलयन तथा कोलाइडल विलयन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
वास्तविक विलयन |
कोलाइडल विलयन |
1. यह दो पदार्थों का समांगी मिश्रण है। |
1. ये विषमांगी होते हैं। |
2. विलेय पदार्थों के कणों को देखा नहीं जा सकता। |
2. विलेय पदार्थों के कणों को सूक्ष्मदर्शी से देखा जा सकता है। ये टिंडल प्रभाव दर्शाते हैं। |
3. ये टिंडल प्रभाव प्रदर्शित नहीं करते। |
3. कोलाइडल विलयन |
प्रश्न 15.
मिश्रण के घटकों को पृथक् करने में प्रयुक्त विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
मिश्रण के घटकों को पृथक करने के लिए सामान्यतया निम्नलिखित विधियों का उपयोग करते हैं:
प्रश्न 16.
अपकेन्द्रन क्या है? अपकेन्द्रन के उपयोग लिखिए।
उत्तर:
अपकेन्द्रन: जब किसी विलयन को तेजी से घुमाया जाता है, तो विषमांगी मिश्रण से भारी कण नीचे बैठ जाते हैं और हल्के कण ऊपर तैरने लगते हैं, यह प्रक्रिया अपकेन्द्रन कहलाती है। उदाहरण के लिए, जब दूध को अपकेन्द्रीय यंत्र के द्वारा तेजी से घुमाया जाता है तो क्रीम दूध से अलग हो जाती है।
उपयोग:
प्रश्न 17.
क्रोमैटोग्राफी क्या है? इस विधि के क्या उपयोग हैं?
उत्तर:
क्रोमैटोग्राफी-यह एक ऐसी विधि है, जिसका प्रयोग उन विलेय पदार्थों को पृथक् करने में होता है जो एक ही प्रकार के विलायक में घुले होते हैं। अतः किसी मिश्रण से उसके घटकों को पृथक् करने की विधि को क्रोमैटोग्राफी कहते हैं। सबसे पहले इस विधि का उपयोग रंगों को पृथक् करने में किया गया था अतः इसका नाम क्रोमैटोग्राफी पड़ा। इसमें पदार्थों को उनकी संचरण दर के आधार पर पृथक किया जाता है।
क्रोमैटोग्राफी विधि के निम्न उपयोग हैं:
प्रश्न 18.
जलघर में जल शुद्धि निकाय का नामांकित चित्र बनाइए।
उत्तर:
लघर में एक सामान्य जल शुद्धि निकाय का चित्र निम्न है:
प्रश्न 19.
किसी अशुद्ध नमूने में से शुद्ध कॉपर सल्फेट कैसे प्राप्त कर सकते हैं?
उत्तर:
किसी अशद्ध नमूने से शद्ध कॉपर सल्फेट प्राप्त करना - चीनी मिट्टी की एक प्याली में लगभग 5g अशुद्ध कॉपर सल्फेट लेकर इसे जल की न्यूनतम मात्रा में घोलते हैं और अशुद्धियों को छान लेते हैं। अब जल को कॉपर सल्फेट के घोल से वाष्पीकृत करके संतृप्त विलयन प्राप्त करते हैं। अब विलयन को छानक पत्र से ढक कर कमरे के ताप पर इसे दिनभर ठण्डा होने के लिए छोड़ देते हैं। हम देखते हैं कि चीनी मिट्टी की प्याली में कॉपर सल्फेट के क्रिस्टल प्राप्त हो जाते हैं, यह क्रिया क्रिस्टलीकरण कहलाती है।
प्रश्न 20.
क्रिस्टलीकरण क्या है? यह साधारण वाष्पीकरण विधि से किस प्रकार उत्तम है?
उत्तर:
क्रिस्टलीकरण वह विधि है जिसके द्वारा शुद्ध ठोस पदार्थ को क्रिस्टल के रूप में विलयन से पृथक् किया जाता है। इस प्रकार क्रिस्टलीकरण विधि ठोस पदार्थों को शुद्ध करने की विधि है। यह विधि साधारण वाष्पीकरण की विधि से निम्न कारणों से उत्तम होती है
प्रश्न 21.
भौतिक परिवर्तन को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
भौतिक परिवर्तन: पदार्थ की अवस्थाओं का अंत: रूपान्तरण भौतिक परिवर्तन कहलाता है। यह परिवर्तन पदार्थों के संघटन में बिना कोई परिवर्तन किए होते हैं और उनकी पदार्थों की रासायनिक प्रकृति में भी कोई परिवर्तन नहीं होता है। जैसे - जल का बर्फ व वाष्प में बदलना। यद्यपि बर्फ, जल और वाष्प अलग - अलग दिखते हैं और ये भिन्न - भिन्न भौतिक गुण भी दर्शाते हैं परन्तु ये रासायनिक रूप से समान होते हैं।
प्रश्न 22.
भौतिक एवं रासायनिक परिवर्तन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भौतिक परिवर्तन |
रासायनिक परिवर्तन |
1. पदार्थ के भौतिक गुण; जैसे-अवस्था, आकार आदि में परिवर्तन होता है, परन्तु इसमें नया पदार्थ नहीं बनता है। जैसे-नमक का जल में घुलना। |
1. इसमें पदार्थ के सभी गुण बदल जाते हैं तथा नया पदार्थ बनता है। जैसे-कार्बन का जलना। |
2. पदार्थों के भार में कोई अन्तर नहीं आता। |
2. सामान्यतः पदार्थों के भार में अन्तर आ जाता है। पदार्थों का आंतरिक संघटन बदल जाता है। परिवर्तन के फलस्वरूप प्राप्त पदार्थ अपनी पूर्व अवस्था में नहीं लौटते हैं। |
3. पदार्थों के आंतरिक संघटन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। |
3. यह परिवर्तन स्थायी होता है। |
4. परिवर्तन के कारण को हटाने पर पदार्थ अपनी पूर्व अवस्था में आ जाता है। |
4. रासायनिक परिवर्तन |
5. यह यरिवर्तन अस्थायी होता है। |
5. इसमें पदार्थ के सभी गुण बदल जाते हैं तथा नया पदार्थ बनता है। जैसे-कार्बन का जलना। |
प्रश्न 23.
पृथक्करण विधि के अनुप्रयोग और इस विधि का सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर:
पृथक्करण विधि के अनुप्रयोग:
सिद्धान्त: इसके अनुसार अमिश्रणीय द्रव अपने घनत्व के अनुसार अलग-अलग परतों के रूप में पृथक् हो जाते हैं।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
स्याही में उपस्थित रंग ( काला या नीला) वाले घटक को किस प्रकार पृथक् करेंगे? समझाइए।
उत्तर:
स्याही में उपस्थित रंग वाले घटक को वाष्पीकरण विधि द्वारा पृथक् किया जा सकता है। इसे निम्न क्रियाकलाप द्वारा समझ सकते हैं
क्रियाकलाप:
काँच का एक बीकर लेकर उसे आधा जल से भरते हैं। अब बीकर के मुँह पर एक वाच - ग्लास रखते हैं और इस वाच - ग्लास पर कुछ बूंद स्याही रखते हैं। इसके बाद बीकर को गर्म करते हैं। हम देखते हैं कि बीकर के जल की वाष्प बनने पर वाच-ग्लास पर रखा द्रव भी वाष्पीकृत हो रहा है। वाच - ग्लास से वाष्पीकरण होने तक गर्म करना जारी रखते हैं और जब वाच - ग्लास पर कोई परिवर्तन नहीं दिखता है, तब इसे गर्म करना बंद कर देते हैं। हम पाते हैं कि स्याही जल में रंग का एक मिश्रण है। रंग (विलेय पदार्थ) 7 वाच - ग्लास पर अवशेष के रूप में बच जाता है। इस प्रकार से हम विलायक से। विलेय पदार्थ को वाष्पीकरण की विधि के द्वारा पृथक् कर सकते हैं।
प्रश्न 2.
दो अघुलनशील द्रवों के मिश्रण को कैसे पृथक् कर सकते हैं? विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दो अघुलनशील द्रवों के मिश्रण को पृथक्करण कीप के प्रयोग द्वारा पृथक् किया जा सकता है। मिट्टी का तेल व जल तथा मूंगफली का तेल व जल अघुलनशील मिश्रण हैं। इनको पृथक्करण कीप के द्वारा पृथक् किया जा सकता है।
विधि:
मिट्टी के तेल व जल के मिश्रण को एक पृथक्करण कीप में भर लेते हैं। अब कुछ देर के लिए कीप को बिना हिले-डुले शांत छोड़ देते हैं। इससे कीप में जल व तेल की पृथक् - पृथक् परतें बनने लगती हैं। अब पृथक्करण कीप के स्टॉप कॉर्क को खोलकर सावधानीपूर्वक नीचे वाले जल की परत को निकाल लेते हैं। जैसे ही तेल नीचे आता है, स्टाप कॉर्क को बंद कर देते हैं तथा दूसरे पात्र में तेल को निकाल लेते हैं।
प्रश्न 3.
नमक तथा अमोनियम क्लोराइड के मिश्रण को कैसे पृथक् करेंगे?
उत्तर:
अमोनियम क्लोराइड को गर्म करने पर वह ठोस अवस्था से सीधे ही गैस अवस्था में बदल जाता है, यह प्रक्रिया ऊर्ध्वपातन कहलाती है। इस प्रकार, उन मिश्रणों को जिनमें ऊर्ध्वपातित हो सकने वाले अवयव हों, ऊर्ध्वपातित न होने योग्य अशुद्धियों से पृथक् करने के लिए ऊर्ध्वपातन की प्रक्रिया का उपयोग करते हैं।
विधि:
मोनियम क्लोराइड और नमक के मिश्रण को एक चीनी मिट्टी की प्याली (चाइना डिश) में लेते हैं। इसके बाद एक कीप लेकर उसके पतले वाले भाग को रुई लगाकर बंद कर देते हैं। अब कीप को चाइना - डिश पर उल्टा रख देते हैं एवं चाइना - डिश को धीरे - धीरे गर्म करते हैं। गर्म करने पर अमोनियम क्लोराइड वाष्प में बदल जाता है। यह वाष्प कीप के पतले वाले भाग में इकट्ठी होती है और वहाँ पर ठण्डी होकर पुनः ठोस में बदल जाती है एवं उसकी दीवारों पर चिपक जाती है। अब कीप को हटाकर, ठोस अमोनियम क्लोराइड को इसकी दीवारों से खुरचकर अलग कर लेते हैं और नमक चाइना - डिश में अवशेष के रूप में रह जाता है।
प्रश्न 4.
वायु से ऑक्सीजन गैस किस प्रकार पृथक् करते हैं? सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वायु के घटकों को प्रभाजी आसवन विधि द्वारा पृथक् किया जा सकता है क्योंकि वायु एक समांगी मिश्रण है। वायु से ऑक्सीजन गैस प्राप्त करने के लिए वायु में उपस्थित अन्य गैसों को पृथक् करना होता है। इसके लिए वायु पर दबाव बढ़ाया जाता है और फिर ताप को घटाकर उसे ठंडा कर संपीडित किया जाता है। इस द्रवित गैस को प्रभाजी आसवन स्तंभ में धीरे - धीरे गर्म किया जाता है, जहां सभी गैसें विभिन्न ऊँचाइयों पर अपने क्वथनांक के अनुसार पृथक् हो जाती हैं जैसा कि नीचे दिए गए चित्र में दर्शाया गया है
प्रश्न 5.
निम्नलिखित भौतिक व रासायनिक परिवर्तनों को कारण सहित वर्गीकृत कीजिए
1. चारकोल का जलना
2. लोहे पर जंग लगना
3. चूने के जल में CO2 प्रवाहित करना
4. चाय में चीनी मिलाना
5. सर्दियों में जल का जमना
6. गाय के गोबर को जलाना।
उत्तर:
भौतिक व रासायनिक परिवर्तनों को कारण सहित वर्गीकृत कीजिए:
प्रश्न 6.
तत्व एवं यौगिक से क्या अभिप्राय है? मिश्रण एवं यौगिक में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पदार्थों को उनके रासायनिक संघटन के आधार पर तत्वों तथा यौगिकों में वर्गीकृत किया जा सकता है
(i) तत्व: रॉबर्ट बॉयल पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने सन् 1661 में सर्वप्रथम तत्त्व शब्द का प्रयोग किया। "तत्त्व पदार्थ का वह मूल रूप है जिसे रासायनिक क्रिया द्वारा अन्य सरल पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता।" जैसे-लोहा, चांदी, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन आदि।
(ii) यौगिक: "वह पदार्थ जो दो या दो से अधिक तत्वों के किसी निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोजन करने से बनता है, यौगिक कहलाता है।"
उदाहरण:
जल एक यौगिक है जो हाइड्रोजन एवं ऑक्सीजन के 1 : 8 के द्रव्यमान - अनुपात में संयोजन करने पर बनता है।
मिश्रण एवं यौगिक में अन्तर निम्नलिखित हैं।
मिश्रण |
यौगिक |
1. दो या दो से अधिक तत्वों या यौगिकों को किसी भी अनुपात में मिलाने पर मिश्रण बनता है। इसमें नए यौगिक का निर्माण नहीं होता है। |
1. दो या दो से अधिक तत्वों के किसी निश्चित अनुपात में रासायनिक संयोजन से नए यौगिक बनते हैं। |
2. इसका संघटन परिवर्तनीय होता है। |
2. नए पदार्थ का संघटन सदैव स्थायी होता है। नए पदार्थ के गुणधर्म पूर्णतः भिन्न होते हैं। |
3. मिश्रण उसमें उपस्थित घटकों के गुणधर्मों को दर्शाता है। |
3. यौगिक के घटकों को केवल रासायनिक या वैद्युत |
4. मिश्रण के घटकों को भौतिक विधियों द्वारा आसानी से पृथक् किया जा सकता है। |
4. रासायनिक प्रक्रिया द्वारा ही पृथक् किया जा सकता है। |
प्रश्न 7.
तत्वों को कितने प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है? प्रत्येक के गुण तथा उदाहरण बताइए।
उत्तर:
तत्वों को साधारणतया धातु, अधातु और उपधातु में वर्गीकृत किया जाता है।
1. धातुएँ:
उदाहरण:
सोना, चाँदी, ताँबा, लोहा, सोडियम, पोटैशियम, पारा आदि।
2. अधातुएँ:
उदाहरण:
कार्बन, सल्फर, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, क्लोरीन, ब्रोमीन आदि।
3. उपधातुएँ:
कुछ तत्त्व धातुओं और अधातुओं के बीच के गुण प्रदर्शित करते हैं, उन्हें उपधातु कहते हैं। जैसे-बोरान, सिलिकन, जर्मेनियम आदि।
प्रश्न 8.
काली स्याही में उपस्थित डाइयों (रंजकों) को पृथक् करने की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
काली स्याही में उपस्थित डाइयों (रंजकों) को पृथक् करने हेतु क्रोमैटोग्राफी विधि का उपयोग करते हैं। यह विधि निम्न प्रकार है
विधि:
चित्रानुसार फिल्टर पत्र (छानकपत्र) की एक पतली परत लेते हैं। इसके निचले किनारे से 3 सेमी. ऊपर पेंसिल से एक रेखा खींचते हैं। इस रेखा के मध्य में जल में घुलनशील काली स्याही की एक बूंद रखते हैं तथा इसे सूखने देते हैं। अब एक बीकर या जार में जल लेकर उसमें इस फिल्टर पत्र को इस प्रकार रखते हैं कि वह जल की सतह से ठीक ऊपर रहे तथा इसे शांत छोड़ देते हैं। कुछ समय बाद हम देखते हैं कि जल छानक पत्र (फिल्टर पत्र) पर ऊपर की ओर उठ गया है तथा ऊपर उठने पर जल डाई के कणों को भी अपने साथ ले जाता है।
वास्तव में जो स्याही हमने उपयोग में ली, उसमें जल विलायक के रूप में है तथा डाई विलेय के रूप में होती है। प्रायः डाई दो या दो से अधिक रंगों का मिश्रण होता है। रंग वाला घटक जो कि जल में अधिक घुलनशील है, तेजी से ऊपर उठता है और इस प्रकार रंगों का पृथक्करण संभव हो जाता है।
प्रश्न 9.
दो घुलनशील द्रवों के मिश्रण को कैसे पृथक् करते हैं? विधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
अथवा
एसीटोन और जल को उनके मिश्रण से पृथक् करने की विधि का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ऐसे दो घुलनशील द्रव, जो विघटित हुए बिना उबलते हैं तथा जिनके घटकों के क्वथनांकों के मध्य अधिक अंतराल होता है, को साधारण आसवन विधि द्वारा पृथक् किया जाता है।
विधि:
दो घुलनशील द्रवों जल एवं एसीटोन के मिश्रण को पृथक् करने के लिए इस मिश्रण को एक आसवन फ्लास्क में लेते हैं। अब फ्लास्क में एक थर्मामीटर लगाते हैं और उपकरण को आगे दिए गए चित्र में दिखाये अनुसार व्यवस्थित कर लेते हैं।
अब मिश्रण को धीरे - धीरे गर्म करते हैं तथा सावधानीपूर्वक थर्मामीटर का अवलोकन करते हैं। एसीटोन जिसका क्वथनांक कम होता है, पहले वाष्पित होने लगता है। इसकी वाष्प संघनक द्वारा संघनित होकर द्रव में बदल जाती है, जिसे बीकर में एकत्रित कर लेते हैं और जल आसवन फ्लास्क में शेष रह जाता है। यह विधि आसवन विधि कहलाती है।
प्रश्न 10.
प्रभाजी आसवन विधि का उपयोग किस प्रकार के मिश्रण के अवयवों को पृथक् करने में किया जाता है? उपकरण का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दो या दो से अधिक घुलनशील द्रव जिनके क्वथनांक में अंतर 25K से कम होता है, के मिश्रण को पृथक् करने के लिए प्रभाजी आसवन विधि का प्रयोग किया जाता है। जैसे - पेट्रोलियम उत्पादों से उनके विभिन्न घटकों का पृथक्करण तथा वायु से विभिन्न गैसों का पृथक्करण।
प्रभाजी आसवन विधि का उपकरण: इसका उपकरण साधारण आसवन विधि के समान ही होता है। इसमें केवल आसवन फ्लास्क और संघनन (संघनित्र) के बीच एक प्रभाजी स्तंभ का उपयोग और किया जाता है। साधारण प्रभाजी स्तंभ एक नली होती है जो कि शीशे के गुटकों से भरी रहती है। ये गुटके वाष्प को ठंडा और संघनित होने के लिए सतह प्रदान करते हैं।
प्रश्न 11.
विलयन क्या है? किन्हीं तीन उदाहरणों द्वारा समझाइए।
उत्तर:
विलयन:
विलयन दो या दो से अधिक पदार्थों का समांगी मिश्रण होता है। नींबू जल, सोडा जल आदि विलयन के ही उदाहरण हैं। एक विलयन के कणों में समांगिकता होती है।
उदाहरण: नींबू जल का स्वाद सदैव समान रहता है। यह दर्शाता है कि इस विलयन में चीनी और नमक के कण समान रूप से वितरित होते हैं। विलयन सदैव तरल अवस्था में ही नहीं होते हैं, प्रकृति में ठोस विलयन (जैसे - मिश्र धातुएँ) तथा गैसीय विलयन (जैसे - वायु) भी पाए जाते हैं। विलयन के दो भाग होते हैं - विलायक और विलेय।
विलयन के उदाहरण:
प्रश्न 12.
टिण्डल प्रभाव को उदाहरण द्वारा समझाइए।
उत्तर:
टिण्डल प्रभाव: कोलाइडी कणों के छोटे आकार के कारण इन्हें आँख से नहीं देखा जा सकता, लेकिन ये कण इतने बड़े होते हैं कि ये कण प्रकाश की किरण को आसानी से फैला देते हैं और उसके मार्ग को दृश्य करते हैं। कोलाइडी कणों द्वारा प्रकाश की किरणों का फैलना ही 'टिण्डल प्रभाव' कहलाता है क्योंकि टिण्डल नामक वैज्ञानिक ने इसकी खोज की थी।
टिण्डल प्रभाव के उदाहरण:
प्रश्न 13.
कोलाइडल विलयन कितने प्रकार के होते हैं? उदाहरण भी दीजिए।
उत्तर:
कोलाइडल विलयनों को परिक्षेपण माध्यम (ठोस, द्रव एवं गैस) की अवस्था और परिक्षिप्त प्रावस्था के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। निम्नलिखित सारणी में इनके कुछ उदाहरण दिए गए हैं
परिक्षिप्त प्रावस्था |
परिक्षेपण माध्यम |
प्रकार |
उदाहरण |
द्रव |
गैस |
ऐरोसोल |
कोहरा, बादल, कुहासा |
ठोस |
गैस |
ऐरोसोल |
धुआं, स्वचालित वाहन का निथार (Exhaust) |
गैस |
द्रव |
फोम |
शेविंग कीम |
द्रव |
द्रव |
इमल्शन |
दूध, फेस क्रीम |
ठोस |
द्रव |
सोल |
मैगनेशिया - मिल्क, कीचड़ |
गैस |
ठोस |
फोम |
फोम, रबड़, स्पंज, प्यूमिस |
द्रव |
ठोस |
जैल |
जेली, पनीर, मक्रखन |
ठोस. |
ठोस |
ठोस सोल |
रंगीन रत्न पत्थर, दूधिया काँच |
प्रश्न 14.
वायु से गैसों को पृथक् करने की प्रक्रिया को प्रवाह चित्र द्वारा समझाइए।
उत्तर:
वायु एक समांगी मिश्रण है। इसके घटकों को प्रभाजी आसवन विधि द्वारा पृथक् किया जा सकता है। नीचे दिया गया प्रवाह चित्र इस विधि के विभिन्न चरणों को दर्शाता है:
प्रश्न 15.
भौतिक एवं रासायनिक प्रकृति के आधार पर पदार्थों के वर्गीकरण को आरेख द्वारा समझाइए।
उत्तर:
भौतिक एवं रासायनिक प्रकृति के आधार पर पदार्थों को अग्रलिखित प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है।
आंकिक प्रश्न:
प्रश्न 1.
एक विलयन के 320g विलायक जल में 40g साधारण नमक विलेय है। विलयन की सांद्रता का परिकलन करें।
उत्तर:
विलेय पदार्थ (नमक) का द्रव्यमान = 40g
विलायक (जल) का द्रव्यमान = 320g
∵ विलयन का द्रव्यमान = विलेय पदार्थ का द्रव्यमान + विलायक का द्रव्यमान
= 40g + 320g
अतः विलयन का द्रव्यमान = 360g
अतः विलयन की सान्द्रता = 11.1%
प्रश्न 2.
80 ml जल में 30 ml H2SO4विलेय है। विलयन का आयतन / आयतन प्रतिशत ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
विलेय (H2SO4) का आयतन = 20 ml
विलयन का आयतन = 20 ml + 80 ml = 100 ml
अतः विलयन का आयतन प्रतिशत है = 20%