RBSE Class 9 Science Important Questions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा

Rajasthan Board RBSE Class 9 Science Important Questions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा Important Questions and Answers.

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RBSE Class 9 Science Chapter 14 Important Questions प्राकृतिक सम्पदा

बहुचयनात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
चन्द्रमा का तापमान है।
(अ) -10C  से 10C
(ब) 10C से -90C
(स) 190C से 110C
(द) -90C से 10C
उत्तर:
(स) 190C से 110C

RBSE Class 9 Science Important Questions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा

प्रश्न 2. 
जीवमण्डल का अजैव घटक है।
(अ) वायु
(ब) जल
(स) मृदा
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 3. 
जीवन के लिए आवश्यक है।
(अ) जलमण्डल
(ब) स्थलमण्डल
(स) वायुमण्डल
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4. 
जल चक्र का मुख्य घटक है।
(अ) वाष्पन क्रिया
(ब) प्रकाश - संश्लेषण क्रिया
(स) वर्षा
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(अ) वाष्पन क्रिया

RBSE Class 9 Science Important Questions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा

प्रश्न 5. 
पर्यावरण में उग रहे किसी पादप का सम्बन्ध होता है।
(अ) क्षेत्र के अन्य पादपों से
(ब) क्षेत्र की मृदा से
(स) उपलब्ध प्रकाश से
(द) उपर्युक्त सभी से
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी से

प्रश्न 6. 
ग्रीन हाउस प्रभाव किस गैस की वायुमण्डल में सान्द्रता बढ़ने से उत्पन्न हुआ है।
(अ) कार्बन डाइऑक्साइड 
(ब) ऑक्सीजन
(स) नाइट्रोजन
(द) अमोनिया
उत्तर:
(अ) कार्बन डाइऑक्साइड 

प्रश्न 7. 
ओजोन परत द्वारा अवशोषण होता है।
(अ) हानिकारक विकिरण 
(ब) दृश्य प्रकाश
(स) अवरक्त विकिरण
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(अ) हानिकारक विकिरण 

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प्रश्न 8. 
निम्न में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाला बैक्टीरिया है।
(अ) सूडोमोनाज
(ब) नाइट्रोसोमोनाज
(स) राइजोबियम
(द) डीनाइट्रीफिकेशन
उत्तर:
(स) राइजोबियम

प्रश्न 9. 
वायुमण्डल में नाइट्रोजन की मात्रा का प्रतिशत है।
(अ) 21
(ब) 48
(स) 78
(द) 88
उत्तर:
(स) 78

प्रश्न 10. 
राइजोबियम जीवाणु किस युग्म के पौधों की जड़ों में पाया जाता है?
(अ) मटर व टमाटर
(ब) टमाटर व गुलाब
(स) गुलाब व सोयाबीन
(द) मटर व सोयाबीन
उत्तर:
(द) मटर व सोयाबीन

प्रश्न 11. 
मृदा अपरदन का कारण है।
(अ) पेड़ - पौधों का अभाव 
(ब) तेज हवाएँ
(स) मूसलाधार वर्षा
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 12. 
ह्यूमस बनाने में सहायक जीव हैं।
(अ) चूहे
(ब) केंचुए
(स) सांप
(द) प्रोटोजोआ
उत्तर:
(ब) केंचुए

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प्रश्न 13. 
वायुमण्डल की कार्बन डाइऑक्साइड को उपयोग करने वाली प्रक्रिया है।
(अ) वाष्पोत्सर्जन
(ब) श्वसन
(स) प्रकाश - संश्लेषण
(द) दहन
उत्तर:
(स) प्रकाश - संश्लेषण

प्रश्न 14. 
हमारे शरीर में नाइट्रोजन युक्त पदार्थों का युग्म है।
(अ) प्रोटीन व न्यूक्लिक अम्ल
(ब) यूरिया व ग्लूकोज
(स) ग्लूकोज व प्रोटीन
(द) कार्बोहाइड्रेट व यूरिया
उत्तर:
(अ) प्रोटीन व न्यूक्लिक अम्ल

प्रश्न 15. 
फलीदार पौधों के जिस स्थान पर नाइट्रोजन को स्थिर करने वाले बैक्टीरिया पाये जाते हैं, वह है।
(अ) तने की चर्म पर
(ब) जड़ों की मूल ग्रन्थिका में
(स) पत्तियों की आन्तरिक संरचना में
(द) फलों के अन्दर
उत्तर:
(ब) जड़ों की मूल ग्रन्थिका में

प्रश्न 16. 
पृथ्वी के कितने प्रतिशत भाग पर जल है?
(अ) 65
(ब) 70
(स) 75
(द) 80
उत्तर:
(स) 75

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प्रश्न 17. 
शुक्र तथा मंगल ग्रह के वायुमण्डल का मुख्य घटक है।
(अ) N2
(ब) O2
(स) CO
(द) CO2
उत्तर:
(द) CO2

प्रश्न 18. 
भारत में अधिकतर वर्षा किस मानसून के कारण होती है?
(अ) दक्षिण - पश्चिम
(ब) दक्षिण - पूर्व
(स) उत्तर - पश्चिम
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(अ) दक्षिण - पश्चिम

प्रश्न 19. 
कौनसी गैसें वर्षा जल के साथ मिलकर अम्लीय वर्षा करती हैं?
(अ) ऑक्सीजन - नाइट्रोजन
(ब) ऑक्सीजन - सल्फर
(स) नाइट्रोजन - सल्फर
(द) सल्फर - हाइड्रोजन
उत्तर: 
(स) नाइट्रोजन - सल्फर

प्रश्न 20. 
वायुमण्डल में ऑक्सीजन किस मुख्य प्रक्रिया द्वारा पुन: लौटती है?
(अ) श्वसन
(ब) दहन
(स) वाष्पोत्सर्जन
(द) प्रकाश - संश्लेषण
उत्तर:
(द) प्रकाश - संश्लेषण

प्रश्न 21. 
ओजोन परत के ह्रास (अवक्षय) का मुख्य कारण है।
(अ) CO2
(स) CFC
(द) H2O
उत्तर:
(स) CFC

प्रश्न 22. 
वायुमण्डल में ऑक्सीजन की मात्रा का प्रतिशत है ?
(अ) 21
(ब) 75
(स) 78
(द) 1
उत्तर:
(अ) 21

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प्रश्न 23. 
पौधे नाइट्रोजन का उपयोग किस रूप में करते हैं ?
(अ) नाइट्रस अम्ल
(ब) अमोनिया
(स) नाइट्रेट
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर: 
(स) नाइट्रेट


रिक्त स्थान वाले प्रश्न:

निम्नलिखित प्रश्नों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

प्रश्न 1. 
पृथ्वी की सबसे बाहरी परत को.................कहते हैं।
उत्तर: 
स्थलमण्डल

प्रश्न 2. 
मृदा की संरचना का मुख्य कारक........................है।
उत्तर: 
ह्यूमस

प्रश्न 3. 
जीवित प्राणियों को ऊर्जा प्रदान करने की प्रक्रिया में.....................का उपयोग होता है।
उत्तर: 
ग्लूकोस

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प्रश्न 4. 
.......................के ऊपर ओजोन परत में छिद्र पाया गया है।
उत्तर: 
अंटार्कटिका

प्रश्न 5. 
बैक्टीरिया के द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण की प्रक्रिया.................की उपस्थिति में नहीं होती। 
उत्तर: 
ऑक्सीजन।


सत्य/असत्य कथन वाले प्रश्न:

निम्नलिखित कथनों में सत्य तथा असत्य कथन छाँटिए:

प्रश्न 1. 
ऑक्सीजन के विपरीत ओजोन विषैला होता है।
उत्तर: 
सत्य

प्रश्न 2. 
CFC क्लोरीन तथा फ्लोरीन युक्त अकार्बनिक यौगिक है।
उत्तर: 
असत्य 

प्रश्न 3. 
दिन के समय हवा की दिशा समुद्र से स्थल की ओर होती है।
उत्तर: 
सत्य

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प्रश्न 4. 
बालू तथा जल एकसमान दर से गर्म नहीं होते हैं।
उत्तर: 
सत्य

प्रश्न 5. 
चन्द्रमा की सतह पर तापमान 110C से 190C के मध्य रहता है।
उत्तर: 
असत्य

मिलान वाले प्रश्न:

निम्नलिखित प्रश्नों का मिलान कीजिए:

प्रश्न 1.

पदार्थ

मुख्य तत्व

(a) नाइट्रस अम्ल

(i) क्लोरीन

(b) ग्रेफाइट

(ii) ऑक्सीजन

(c) ओजोन

(iii) नाइट्रोजन

(d) सी.एफ.सी.

(iv) कार्बन

उत्तर:

पदार्थ

मुख्य तत्व

(a) नाइट्रस अम्ल

(iii) नाइट्रोजन

(b) ग्रेफाइट

(iv) कार्बन

(c) ओजोन

(ii) ऑक्सीजन

(d) सी.एफ.सी.

(i) क्लोरीन


प्रश्न 2.

पदार्थ

मुख्य तत्व

(a) दहन

(i) CFC

(b) ग्रीन हाउस प्रभाव

(ii) N2

(c) ओजोन अपक्षय

(iii) CO2

(d) नाइट्रोजन स्थिरीकरण

(iv) O2

उत्तर

पदार्थ

मुख्य तत्व

(a) दहन

(i) O2

(b) ग्रीन हाउस प्रभाव

(ii) CO2

(c) ओजोन अपक्षय

(iii) CFC

(d) नाइट्रोजन स्थिरीकरण

(iv) N2


अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
सजीवों की मूल आवश्यकताओं की पूर्ति के साधन क्या हैं ?
उत्तर:

  1.  सूर्य से प्राप्त ऊर्जा
  2. पृथ्वी पर उपलब्ध सम्पदा।

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प्रश्न 2.
जीवों की मूल आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु पृथ्वी पर उपलब्ध सम्पदा कौन - कौन सी है?
उत्तर:

  1. स्थल
  2. जल
  3. वायु।


प्रश्न 3.
शुक्र तथा मंगल के वायुमण्डल का मुख्य घटक क्या है?
उत्तर:
कार्बन डाइऑक्साइड (95 - 97% तक)।

प्रश्न 4.
चन्द्रमा का ताप परास लिखिए।
उत्तर:
चन्द्रमा पर ताप 190C से 110C तक रहता है।

प्रश्न 5.
जैवमण्डल के अजैविक घटकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
हवा (वायु), जल व मृदा जैवमण्डल के अजैविक घटक हैं।

प्रश्न 6.
पृथ्वी के औसत तापमान को स्थिर रखने वाले कारक का नाम लिखिए।
उत्तर:
वायुमण्डल।

प्रश्न 7.
दिन के समय वायु का बहाव किस दिशा से किस दिशा में होता है?
उत्तर:
समुद्र से स्थल की ओर वायु का बहाव होता है।

प्रश्न 8.
गर्म होने से वायु में कौनसी धाराएँ उत्पन्न होती हैं?
उत्तर:
संवहन धाराएँ।

प्रश्न 9.
पवन की गति को प्रभावित करने वाले दो कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. पृथ्वी की घूर्णन गति।
  2. पवन के मार्ग में आने वाली पर्वत श्रृखलाएँ।

प्रश्न 10.
हिमवृष्टि अथवा ओलावृष्टि का क्या कारण है?
उत्तर:
जब कभी वायु का तापमान काफी कम हो जाता है, तब वर्षा की बूँदें ओलों के रूप में नीचे गिरती हैं।

उत्तर:
वायुमण्डल में SO2 व NO2 की मात्रा बढ़ जाने पर यह वर्षा के पानी के साथ मिलकेर पृथ्वी पर गिरती है, जो अम्लीय वर्षा कहलाती है।

प्रश्न 12.
धूम कोहरा किससे बनता है?
उत्तर:
सर्दी के मौसम में पानी के साथ हवा के संघनन से धूम कोहरा बनता है।

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प्रश्न 13.
धूम कोहरे से हमें किस बात का संकेत मिलता है?
उत्तर:
वायु प्रदूषण की वृद्धि का।

प्रश्न 14.
प्रकृति में शुद्ध जल के क्या स्रोत हैं?
उत्तर:
शुद्ध जल बर्फ के रूप में दोनों ध्रुवों पर, बर्फ से ढके पहाड़ों पर, भूमिगत जल, नदियों तथा झीलों में पाया जातम है।

प्रश्न 15.
जल प्रदूषण का क्या कारण है?
उत्तर:
जल में मिली अवांछित और हानिकारक पदार्थों की उपस्थिति जल प्रदूषण का कारण है।

प्रश्न 16.
जलीय जीवों पर जल प्रदूषण का क्या प्रभाव होता है?
उत्तर:
जलीय प्रदूषण से जल में घुली ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे जलीय जीव श्वसन क्रिया में बाधा महसूस करते हैं।

प्रश्न 17.
ह्यूमस किसे कहते हैं?
उत्तर:
मिट्टी में जीवों के जीवांश तथा वनस्पतियों के सड़े - गले हिस्से मिलकर ह्यूमस बनाते हैं।

प्रश्न 18.
पीड़कनाशी व उर्वरक के अधिक उपयोग से मृदा पर क्या प्रभाव पड़ता है? 
उत्तर:
पीड़कनाशी व उर्वरक की अधिकता से ह्यूमस में उपस्थित जीवांश, केंचुए आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे भूमि का उपजाऊपन कम हो जाता है।

प्रश्न 19.
मिट्टी (मृदा ) अपरदन करने वाले दो कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. हवा
  2. पानी (जल)।

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प्रश्न 20.
प्रकृति में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले बैक्टीरिया कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर:
ये बैक्टीरिया फलीदार पौधों की जड़ों में मूल ग्रन्थिका में पाये जाते हैं।

प्रश्न 21.
प्रकृति में उपस्थित नाइट्रोजन का ऑक्साइड में परिवर्तन कैसे होता है?
उत्तर:
वर्षा के समय बिजली चमकने से वायु का ताप बढ़ जाता है, उस समय नाइट्रोजन वायु की ऑक्सीजन से क्रिया कर नाइट्रोजन के ऑक्साइड बनाती है।

प्रश्न 22.
'ग्रीन हाउस प्रभाव' का कारण किस गैस को माना जाता है?
उत्तर:
कार्बन डाइऑक्साइड को।

प्रश्न 23.
ओजोन परत के क्षय का मुख्य कारण क्या है ?
उत्तर:
क्लोरोफ्लोरो कार्बन (CFC) गैस।

प्रश्न 24.
जलवाष्प बनने का क्या कारण है ?
उत्तर:
यह जीवित प्राणियों के क्रियाकलापों से तथा जल के गर्म होने के कारण बनती है।

प्रश्न 25.
वायुमण्डल गर्म होने का कारण बतलाइए।
उत्तर:
स्थलीय भाग या जलीय भाग से होने वाले विकिरण के परावर्तन तथा पुनर्विकिरण के कारण वायुमण्डल गर्म होता है।

प्रश्न 26.
ऊपरिमृदा किसे कहते हैं ?
उत्तर:
मृदा की ऊपरी परत जिसमें मृदा के कणों के अतिरिक्त ह्यूमस और सजीव होते हैं, उसे ऊपरिमृदा कहते हैं।

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प्रश्न 27.
मृदा के गुण किस पर निर्भर करते हैं ?
उत्तर:
मृदा के गुण उसमें उपस्थित ह्यूमस की मात्रा एवं सूक्ष्मजीवों पर निर्भर करते हैं।

प्रश्न 28.
जीवों में कार्बन आधारित अणु कौन - कौन से हैं? नाम लिखिए।
उत्तर:
जीवों में कार्बन आधारित अणु - प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, न्यूक्लिक अम्ल और विटामिन हैं।

प्रश्न 29.
ओजोन परत में छिद्र कहाँ पाया गया है?
उत्तर:
अंटार्कटिका के ऊपर। 

प्रश्न 30.
कार्बन अपने मूल रूप में किसमें पाया जाता है?
उत्तर:
कार्बन अपने मूल रूप में हीरा और ग्रेफाइट में पाया जाता है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
कार्बन डाइऑक्साइड वायुमण्डल में किस प्रकार स्थिर रहती है ?
उत्तर:
कार्बन डाइऑक्साइड वायुमण्डल में दो विधियों से स्थिर रहती है।

  1. हरे पेड़ - पौधों द्वारा सूर्य की किरणों की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड को ग्लूकोस में बदलना।
  2. बहुत से समुद्री जन्तु समुद्री जल में घुले कार्बोनेट से अपने कवच बनाते हैं।

प्रश्न 2.
अन्य ग्रहों की अपेक्षा पृथ्वी पर ही जीवन पाया जाता है। क्यों ?
उत्तर:
पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है जहाँ जीवन है। इसका कारण यह है कि यहाँ जीवन के लिए आवश्यक कारक ताप, जल व भोजन उचित मात्रा में उपलब्ध हैं। पृथ्वी पर उपलब्ध सभी प्रकार के जीवों की मूल आवश्यकता के लिए सूर्य से प्राप्त ऊर्जा तथा स्थल, जल एवं वायु सम्पदा के रूप में उपस्थित है। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि पृथ्वी पर अन्य ग्रहों की अपेक्षा जीवन सम्भव है।

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प्रश्न 3.
स्थलमण्डल, जलमण्डल तथा वायुमण्डल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:

  1. स्थलमण्डल: पृथ्वी की सबसे बाहरी परत को स्थलमण्डल कहते हैं।
  2. जलमण्डल: पृथ्वी का जल से ढका हुआ भाग जलमण्डल कहलाता है । पृथ्वी के लगभग 75% भाग पर जल है। जल भूमिगत रूप में भी पाया जाता है।
  3. वायुमण्डल: पृथ्वी के चारों तरफ पाया जाने वाला वायु का आवरण वायुमण्डल कहलाता है।


प्रश्न 4.
जीवमण्डल से क्या आशय है? इसके विभिन्न घटकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
जीवमण्डल: जीवन को आश्रय देने वाला पृथ्वी का वह घेरा, जहाँ स्थलमण्डल, जलमण्डल एवं वायुमण्डल एक - दूसरे से मिलकर जीवन को सम्भव बनाते हैं, जीवमण्डल कहलाता है। जीवमण्डल दो प्रकार के घटकों से मिलकर बना है।

  1. जैविक घटक: सजीव, जीवमण्डल के जैविक घटक हैं। सभी पौधे एवं जन्तु जीवमण्डल के जैविक घटक का निर्माण करते हैं।
  2. अजैविक घटक: वायु, जल एवं मृदा जीवमण्डल के अजैविक या निर्जीव घटक हैं।

प्रश्न 5.
वायुमण्डल की संरचना कैसी है? यह शुक्र तथा मंगल ग्रह के वायुमण्डल से किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
वायुमण्डल: पृथ्वी के चारों तरफ पाया जाने वाला गैसों का आवरण, वायुमण्डल कहलाता है। पृथ्वी के धरातल पर वायुमण्डल में नाइट्रोजन लगभग 78 %, ऑक्सीजन 21 % व शेष 1 % में अन्य गैसें जैसे - कार्बन डाइऑक्साइड, आर्गन, हीलियम, मीथेन आदि पाई जाती हैं। जलवाष्प भी वायुमण्डल में पाई जाती है। पृथ्वी पर जीवन इन्हीं घटकों के कारण पाया जाता है।
शुक्र तथा मंगल ग्रहों के वायुमण्डल का मुख्य संघटक कार्बन डाइऑक्साइड है, जो वायुमण्डल में 95 - 97 % तक है। इसका प्रभाव यह है कि वहाँ पर न कोई जीवन है और न जीवन को आधार देने वाले घटक।

प्रश्न 6.
वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन किस प्रकार होता है? समझाइए।
उत्तर:
वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड का उत्पादन निम्न प्रक्रियाओं से होता है।

  1. ग्लूकोस अणु के तोड़ने से : यूकेरियोटी कोशिकाएँ और कुछ प्रोकेरियोटी कोशिकाएँ ग्लूकोज अणुओं को तोड़कर ऊर्जा प्राप्त करती हैं और कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है।
  2. ईंधनों का दहन: ऊर्जा प्राप्त करने के लिए मनुष्य ईंधनों का दहन करता है और कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है। प्रकृति में कार्बन डाइऑक्साइड जंगल में लगने वाली आग से भी उत्पन्न होती है।

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प्रश्न 7.
वायु प्रदूषण क्या है? इसके लिए कौनसे प्रदूषण जिम्मेदार हैं?
उत्तर:
वायु प्रदूषण: वायु में हानिकारक पदार्थों की वृद्धि होना, वायु प्रदूषण कहलाता है।
वायु प्रदूषक: कुछ प्रमुख वायु प्रदूषक हैं कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड की अधिक मात्रा, सल्फडाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, ओजोन, धूलकण तथा ध्रुआं आदि।

प्रश्न 8.
अम्लीय वर्षा क्या है? इसके क्या प्रभाव हैं?
उत्तर:
अम्लीय वर्षा:
कोयले में उपस्थित सल्फर जलने पर ऑक्सीकृत होकर सल्फर-डाइऑक्साइड SO2 गैस बनाता है। यह गैस वायुमण्डल में मिल जाती है। वर्षा के समय यह गैस पानी में घुलकर सल्फ्यूरस अम्ल H2SO3बनाती है जो वर्षा के साथ पृथ्वी पर आता है, जिसे अम्लीय वृष्टि कहते हैं।

प्रभाव: अम्ल सजीवों पर बुरा प्रभाव डालता है। इससे त्वचा सम्बन्धी रोगों के बढ़ने की सम्भावना अधिक रहती है। संगमरमर की इमारतों का संक्षारण इस अम्ल से अधिक हो रहा है।

प्रश्न 9.
धूम कोहरा क्या है?
उत्तर:
धूम कोहरा:
हम जानते हैं कि जीवाश्म ईंधनों का दहन वायु में निलंबित कणों की मात्रा को बढ़ाता है। ये कण बिना जले कार्बन कण या पदार्थ हो सकते हैं, जो हाइड्रोकार्बन कहलाते हैं। इन कणों की उपस्थिति वायुमण्डल की दृश्यता को प्रभावित करती है। विशेषकर सर्दी के मौसम में जब जल भी इसके साथ संघनित हो जाता है। इसे धूम कोहरा कहते हैं। यह एक तरह का वायु प्रदूषण है।

प्रश्न 10.
पृथ्वी पर जल स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल पृथ्वी के सबसे बड़े भूभाग (लगभग 75%) पर उपस्थित है। यह भूमि के अन्दर भूमिगत जल के रूप में भी पाया जाता है। अधिकांशतः जल के स्रोत हैं - सागर, नदियाँ, झरने एवं झील। महासागरों व सागरों के जल में लवणों की बहुत अधिक मात्रा घुली होती है और यह खारा तथा उपयोग के योग्य नहीं होता है। नदियों,'झीलों एवं भूमिगत जल मृदु होता है और यह पीने एवं अन्य कार्यों के लिए उपयोगी है। दोनों ध्रुवों पर जल हिम के रूप में भी बहुत बड़ी मात्रा में विद्यमान है।

प्रश्न 11.
पादपों के लिए जल का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
पौधों के लिए जल अत्यन्त उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण है।

  1. जल सभी कोशिकाओं एवं ऊतकों का आवश्यक अवयव है जो कीशिका की सभी उपापचयी क्रियाओं को चलाने के लिए आवश्यक है। इसके अतिरिक्त यह पौधों के ऊतकों को दृढ़ता प्रदान कर उन्हें सीधा रखने में सहायक होता है।
  2. पौधों में विभिन्न पदार्थों के संचरण में एक माध्यम के रूप में कार्य करता है। पौधे भूमि से खनिज लवणों का अवशोषण जलीय विलयन के रूप में ही करते हैं।
  3. पौधे जल का उपयोग कर प्रकाश - संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा खाद्य पदार्थों का संश्लेषण करते हैं।

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प्रश्न 12.
जल प्रदूषण क्या है? इसके होने के सामान्य कारण लिखिए।
उत्तर:
जल प्रदूषण:
जल में अपशिष्ट पदार्थों के मिलने से जल प्रदूषित हो जाता है। प्रदूषित जल से जन्तुओं और वनस्पतियों पर कुप्रभाव पड़ता है।
जल प्रदूषण के निम्न कारण हैं।

  1. जल में कीटनाशकों तथा उर्वरकों का मिलना।
  2.  गाँव अथवा शहर की गन्दी नालियों का पानी इनमें मिलना।
  3. औद्योगिक पदार्थों के अपशिष्ट पदार्थों के मिलने से।
  4. इनके पास बर्तन साफ करना या अन्य गन्दगियों को इनमें डालने आदि से जलाशय एवं नदियों का जल दूषित हो जाता है, जिससे कई भयंकर रोग हो जाते हैं।

प्रश्न 13.
जल प्रदूषण के सामान्य प्रभाव क्या हैं ?
उत्तंर:
जल प्रदूषण से अनेक समस्याएँ होती हैं, जैसे:

  1. प्रदूषित जल पीने से बहुत से जलजनित रोग हो सकते हैं। मानव में प्रदूषित जल पीने से टायफाइड, हैजा आदि रोग हो सकते हैं।
  2. जब जल में वांछित मात्रा में अधिक अम्ल तथा क्षार होते हैं तो वे सूक्ष्म जीवों को नष्ट कर देते हैं, जिससे नदियों में पानी के स्वत: साफ होने की क्रिया पर असर पड़ता है परिणामस्वरूप जलीय जन्तु मर जाते हैं। 

प्रश्न 14.
नाइट्रोजन सभी प्रकार के जीवों के लिए आवश्यक पोषक है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हमारे वायुमण्डल का 78% भाग नाइट्रोजन गैस है। यह गैस जो जीवन के लिए आवश्यक बहुत सारे अणुओं का भाग है, जैसे - प्रोटीन, न्यूक्लीक अम्ल, डी.एन.ए. और आर.एन.ए. तथा कुछ विटामिन। नाइट्रोजन दूसरे जैविक यौगिकों में भी पाया जाता है, जैसे - ऐल्केलॉइड् तथा यूरिया। इसलिए नाइट्रोजन संभी प्रकार के जीवों के लिए एक आवश्यक पोषक है।

प्रश्न 15.
ह्यूमस क्या है? इसका क्या महत्त्व है?
उत्तर:
ह्यूमस: मिट्टी में उपस्थित सड़े - गले कार्बनिक पदार्थ ह्यूमस कहलाते हैं। मृदा के गुण को उसमें स्थित द्यूमस की मात्रा और पाए जाने वाले सूक्ष्म जीवों के आधार पर आंका जाता है।
महत्त्व:

  1. मृदा की संरचना का मुख्य कारक ह्यूमस है क्योंकि यह मृदा को संरंध्र बनाता है।
  2. ह्यूमस वायु तथा जल को भूमि के अन्दर जाने में सहायता करता है।
  3. ह्यूमस में पोषक तत्व पाए जाते हैं जो पौधों का पोषण करते हैं।

RBSE Class 9 Science Important Questions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा

प्रश्न 16.
मिट्टी में विभिन्न जीवों की उपयोगिता लिखिए।
उत्तर:

  1.  जीवाणु ह्यूमस को बढ़ाते हैं।
  2. केंचुए मिट्टी को मुलायम बनाते हैं।
  3. राइजोबियम जैसे जीवाणु फलीदार पौधों की जड़ों की सहायता से वायु में उपस्थित नाइट्रोजन को पानी में घुलनशील नाइट्रेट में बदलकर उर्वरा शक्ति बढ़ाते हैं।
  4. कुछ जीव मिट्टी में छिद्र करते हैं, जिससे पौधों को बढ़ने में सहायता मिलती है।

प्रश्न 17.
मृदा प्रदूषणं के प्रमुख स्रोत क्या हैं?
उत्तर:
मृदा प्रदूषण के प्रमुख स्रोत:

  1. आधुनिक खेती में कीटनाशकों तथा उर्वरक का उपयोग।
  2. संपूषणीय खेती का अभाव।
  3. उपयोगी पदार्थों का मृदोंसे हटना तथा हानिकारक पदार्थों का मृदा में मिलना, जो कि मृदा की उर्वरता को प्रभावित करते हैं।
  4. मृदा के कणों का वायु तथा जल के साथ मिलकर स्थानान्तरित होना।

प्रश्न 18.
मृदा संरक्षण के चार उपाय लिखिए।
उत्तर:
मृदा संरक्षण के उपाय।

  1. ढलान कृषि को प्रोत्साहित करना।
  2. पानी के बहाव को रोकना।
  3. सघन वृक्षारोपण करना, जिससे वायु का प्रवाह कम हो।
  4. अतिचारण को नियंत्रित करना।

प्रश्न 19.
मृदा की उपयोगिता लिखिए।
उत्तर:
मृदा की उपयोगिता।

  1. मृदा एक आवश्यक प्राकृतिक संसाधन है, जो जीवन व उसके विकास के लिए आवश्यक है।
  2. हम भोजन, कपड़ा व आश्रय पौधों से प्राप्त करते हैं, जो मृदा में उगते हैं।
  3.  जन्तु मृदा में उगने वाले पौधों पर आश्रित रहते हैं।

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प्रश्न 20.
बहुत अधिक मात्रा में उर्वरक व पीड़कनाशकों का उपयोग हानिप्रद क्यों है ?
उत्तर:
आजकल खेती में बहुत अधिक मात्रा में उर्वरक व पीड़कनाशकों का उपयोग सामान्य हो गया है लेकिन यह हानिप्रंद है क्योंक इन पदार्थों का उपयोग करने से मृदा के सूक्ष्मजीव मृत हो जाते हैं, जो आवश्यक पोषक तत्वों के पुन: चक्रण के लिए तथा मृदा को वातित बनाने के लिए आवश्यक हैं और इस प्रकार मृदा की उर्वरकता कम जाती है।

प्रश्न 21.
जैव रासायनिक चक्र से क्या आशय है?
उत्तर:
जैव रासायनिक चक्र: जीवमण्डल के जैविक और अजैविक घटकों के बीच सामंजस्य से यह हानिप्रंद है क्योंकि इन पदार्थों का उपयोग करने से मृदा के सूक्ष्मजीव मृत हो जाते हैं, जो आवश्यक पोषक तत्वों के पुन: चक्रण के लिए तथा मृदा को वातित बनाने के लिए आवश्यक हैं और इस प्रकार मृदा की उर्वरकता कम हो जाती है।

प्रश्न 21.
जैव रासायनिक चक्र से क्या आशय है?
उत्तर:
जैव रासायनिक चक्र:
जीवमण्डल के जैविक और अजैविक घटकों के बीच सामंजस्य से जीवमण्डल गतिशील व स्थिर बना रहता है। इस क्रिया से जीवमण्डल के विभिन्न घटकों के बीच पदार्थ और ऊर्जा का स्थानान्तरण होता है। विभिन्न पदार्थ जैसे C, N, O आदि भूमि से या वायु से पौधों में प्रवेश करते हैं तथा दूसरे ऊर्जा स्तरों से होते हुए पुन: मुख्य स्रोत में स्थानान्तरित हो जाते हैं। यह क्रिया जैव रासायनिक चक्र कहलाती है।

प्रश्न 22.
प्रकृति में पोषक तत्वों का संतुलन किस प्रकार बना रहता है? समझझाइए।
उत्तर:
प्रकृति में पोषण भण्डार का स्थानान्तरण तथा परिसंचरण मृदा, जल - भण्डार, वायु तथा जीवों द्वारा होता है। मृदा, जल - भण्डार तथा वायु प्रकृति के पोषक भण्डार हैं। जीव (हरे पौधे तथा जन्तु) प्रकृति से पोषक तत्वों को ग्रहण करते हैं। जीवों से पुन: ये पोषक तत्व प्रकृति में चले जाते हैं। विभिन्न प्रक्रियाओं के परिणामस्वरूप जैसेश्वसन, उत्सर्जन या अपघटकों व सूक्ष्म जीवों की क्रिया द्वारा। इस प्रकार प्रकृति में पोषण भण्डार सदैव सन्तुलित अवस्था में रहता है।

प्रश्न 23.
भूमि में नाइट्रोजन स्थिरीकरण किस प्रकार होता है ?
उत्तर:
वायुमण्डल की नाइट्रोजन जीवों के द्वारा इसके मूल रूप में उपयोग में नहीं लाई जा सकती है। इसको प्रयोग करने योग्य बनाने की प्रक्रिया को नाइट्रोजन स्थिरीकरण कहते हैं। पौधे इसको नाइट्रेट या नाइट्राइट के रूप में ही अवशोषित कर सकते हैं। नाइट्रोजन को नाइट्रेट या नाइट्राइट में बदलने की प्रक्रिया विशेष सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा होती है। नाइट्रोजन स्थिरीकरण करने वाले ये जीवाणु या तो स्वतंत्र रूप से रहते हैं या द्विबीजपत्री पौधों की कुछ स्पीशीज के साथ पाए जाते हैं। साधारणत: ये जीवाणु फलीदार फसल के पौधों की जड़ों की गाँठों में पाए जाते हैं परन्तु कुछ अफलीदार पौधे जैसे एलनस और गिंकगो में भी नाइट्रोजन स्थिरीकरण का गुण होता है। वायुमण्डल की नाइट्रोजन का स्थिरीकरण् नाइट्रेट या नाइट्राइट के रूप में होता है।

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प्रश्न 24.
विभिन्न जीवरूप नाइट्रोजन को किस रूप में प्राप्त करते हैं ?
उत्तर:
वायमण्डल की नाइटोजन का स्थिरीकरण सामान्यत: फलीदार पौधों की जड़ों में पाये जाने वाले राइजोबियम जीवाणु करते हैं। इनके अलावा नाइट्रोजन परमाणु नाइट्रेट्स और नाइट्राइट्स में भौतिक क्रियाओं के द्वारा बदलते हैं। बिजली चमकने के समय वायु में पैदा हुआ उच्च ताप व दाब नाइट्रोजन को नाइट्रोजन के ऑक्साइड में बदल देता है। ये ऑक्साइड जल में घुलकर नाइट्रिक तथा नाइट्रस अम्ल बनाते हैं और वर्षा के साथ भूमि पर गिरते हैं, तब इसका उपयोग विभिन्न जीवरूपों द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 25.
कार्बन डाइऑक्साइड का जीवों पर क्या कुप्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
वायुमण्डल की कार्बन डाइऑक्साइड का जीवों पर निम्नलिखित कुप्रभाव पड़ता है।

  1.  वायुमण्डल में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड की अधिक मात्रा सूर्य की किरणों का अवशोषण करके अत्यधिक
  2. ताप पैदा करती है। यह ताप ग्लेशियर को पिघला देता है जिससे समुद्री तटों के निचले भागों में बाढ़ आ जाती है।
  3. अधिक ताप फसलों को नष्ट करके कृषि पैदावार को कम कर देता है।
  4. वायुमण्डल के अधिक ताप के कारण जीवन असुविधाजनक हो जाता है, जिससे काम करने की क्षमता कम हो जाती है।


प्रश्न 26.
प्रकृति में कार्बन डाइऑक्साइड चक्र को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
जीवमण्डल में कार्बन चक्र निम्न प्रकार सम्पन्न होता है।
कार्बन के मुख्य स्रोत हैं -  भूमि में कार्बोनेट्स, वायु में कार्बन डाइऑक्साइड व जीवों में कार्बोहाइड्रेट, वसा व प्रोटीन आदि कार्बनिक यौगिकों के रूप में। प्रकाश - संश्लेषण में पौधे कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करते हैं। उत्पादक स्तर ( पौधों) से कार्बन उपभोक्ता स्तर (जन्तुओं) तक स्थानान्तरित होता है। इसका कुछ भाग श्वसन क्रिया द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में वायुमण्डल में चला जाता है। जीवद्रव्य के अपघटन से भी कार्बन वायुमण्डल में पहुँचता है।

प्रश्न् 27.
ग्रीन हाउस प्रभाव पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ग्रीन हाउस प्रभाव:
हम जानते हैं कि शीशे द्वारा ऊष्मा को रोक लेने के कारण शीशे के अन्दर का तापमान बाहर के तापमान से काफी अधिक हो जाता है। ठण्डे मौसम में उष्णकटिबंधीय पौधों को गर्म रखने के लिए आवरण बनाने की प्रक्रिया में इस अवधारणा का उपयोग किया गया है। इस प्रकार के आवरण को ही 'ग्रीन हाउस' कहते हैं। यह प्रभाव वायुमण्डलीय प्रक्रियाओं में भी होता है। कुछ गैसें जैसे CO2 पृथ्वी से ऊष्मा को पृथ्वी के वायुमण्डल के बाहर जाने से रोकती हैं। इस तरह ये गैसें पृथ्वी के औसत तापमान को बढ़ा सकती हैं। इस प्रकार के प्रभाव को 'ग्रीन हाउस प्रभाव' कहते हैं।

प्रश्न 28.
ओजोन परत क्या है ? इसका क्या महत्त्व है ?
उत्तर:
ओजोन परत:
हम जानते हैं कि ऑक्सीजन मूल रूप से द्विपरमाण्विक अणु के रूप में पाई जाती है। वायुमण्डल के ऊपरी भाग में ऑक्सीजन के तीन परमाणु वाले अणु पाये जाते हैं, जिन्हें ओजोन O3 कहते हैं। यह एक विषैली गैस है। यह सूर्य से आने वाली हानिकारक विकिरणों को अवशोषित करती है। इस प्रकार यह उन हानिकारक विकिरणों को पृथ्वी की सतह पर पहुँचने से रोकती है जो कई जीव रूपों को हानि पहुँचा सकते हैं। इस प्रकार पृथ्वी पर ओजोन परत जीवों के लिए सुरक्षात्मक आवरण का कार्य करती है।

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प्रश्न 29.
ओजोन परत के नष्ट होने के क्या कारण हैं ?
उत्तर:
ओजोन परत के क्षय का कारण: मनुष्य द्वारा बनाये गये विभिन्न प्रकार के यौगिक जैसे क्लोरोफ्लोरो कार्बन CFC वायुमण्डल में स्थिर अवस्था में उपस्थित हो जाते हैं। ये यौगिक बहुत स्थायी होते हैं तथा किसी भी जैव प्रक्रिया द्वारा अपघटित नहीं होते हैं। एक बार जब वे ओजोन परत के पास पहुँचते हैं तो वे ओजोन अणुओं के साथ प्रतिक्रिया करते हैं। इसके परिणामस्वरूप ओजोन परत में छेद हो गया है। इन छिद्रों से सूर्य से आने वाला हानिकारक विकिरण वायुमण्डल की निचली सतहों तक आ जाता है, जो त्वचा कैंसर के लिए जिम्मेदार माना जाता है। 1980 के आसपास वैज्ञानिकों ने अण्टार्कटिका भाग के पास ओजोन छिद्र की उपस्थिति ज्ञात की।

प्रश्न 30.
दो ऐसी क्रियाएँ बताइए जो वायुमण्डल में से ऑक्सीजन का उपभोग करती हैं तथा एक ऐसी प्रक्रिया जो वायुमण्डल को ऑक्सीजन प्रदान करती है।
उत्तर:
(i) वायुमण्डल में से ऑक्सीजन का उपभोग करने वाली दो क्रियाओं के नाम हैं।

  1. पौधों, जन्तुओं तथा अपघटकों जैसे जीवों के द्वारा सांस लेना।
  2. ईंधनों का दहन।

(ii) वायुमण्डल को ऑक्सीजन प्रदान करने वाली एक प्रमुख प्रक्रिया का नाम है - हरे पौधों द्वारा किया गया प्रकाश - संश्लेषण।

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प्रश्न 31.
तटीय क्षेत्रों पर कम तथा उच्च दाब के क्षेत्र रात में क्यों प्रतीत होते हैं ?
उत्तर:
तटीय क्षेत्रों पर कम तथा उच्च दाब के क्षेत्र रात में प्रतीत होते हैं, क्योंकि दिन के समय हवा की दिशा समुद्र से स्थल की ओर होती है। दिन के समय स्थल के ऊपर की वायु तेजी से गर्म होकर ऊपर उठने लगती है। जैसे ही यह वायु ऊपर की ओर उठती है, वहाँ कम दाब का क्षेत्र बन जाता है और समुद्र के ऊपर की वायु इस कम दाब वाले क्षेत्र की ओर प्रवाहित होने लगती है।

प्रश्न 32.
तटीय क्षेत्रों में रात के समय वायु की दिशा क्या होती है ?
उत्तर:
रात के समय स्थल और समुद्र दोनों ठण्डे होने लगते हैं। चूँकि स्थल की अपेक्षा जल धीरे - धीरे ठण्डा होता है, इसलिए जल के ऊपर की वायु स्थल के ऊपर की वायु से गर्म होती है। इस कारण समुद्र पर कम दाब का क्षेत्र बन जाता है और स्थल के ऊपर की वायु इस कम दाब वाले क्षेत्र की ओर प्रवाहित होने लगती है।

प्रश्न 33.
क्या वर्षा हमेशा बादल गरजने और बिजली चमकने के साथ होती है ? अगर नहीं, तो किस मौसम में सबसे अधिक वर्षा, बादल गरजने और बिजली चमकने के साथ होती है ?
उत्तर:
नहीं, वर्षा हमेशा बादल गरजने और बिजली चमकने के साथ नहीं होती है। जून - जुलाई तथा अगस्त में ग्रीष्मकालीन मानसून के समय सबसे अधिक वर्षा, बादल गरजने और बिजली चमकने के साथ होती है।

प्रश्न 34.
सूर्य से लगभग समान दूरी पर होने के बाद भी पृथ्वी व चन्द्रमा की सतह के तापमान में अन्तर क्यों है ?
उत्तर:
वायु ऊष्मा का कुचालक है। वायुमण्डल पृथ्वी के औसत तापमान को दिन के समय और यहाँ तक कि पूरे वर्षभर लगभग नियत रखता है। वायुमण्डल दिन में तापमान को अचानक बढ़ने से रोकता है और रात के समय ऊष्मा को बाहरी अन्तरिक्ष में जाने की दर को कम करता है जबकि चन्द्रमा की सतह पर वायुमण्डल नहीं होने के कारण तापमान 190C से 110C के मध्य रहता है।

निबन्धात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
मृदा क्या है? विस्तार से समझाइए।
उत्तर:
मृदा: पृथ्वी की सतह या उसके समीप पाये जाने वाले पत्थर विभिन्न प्रकृार के भौतिक, रासायनिक और कुछ जैव प्रक्रमों के द्वारा टूट जाते हैं। टूटने के बाद सबसे अन्त में बचा महीन कण मृदा है। यह एक मिश्रण है। इसमें विभिन्न आकार के छोटे - छोटे टुकड़े मिले होते हैं। इसमें सड़े - गले जीवों के टुकड़े भी मिले होते हैं, जिसे ह्यूमस कहते हैं। इसके अतिरिक्त मिट्टी में विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीव भी मिले होते हैं। मृदा के प्रकार का निर्णय उसमें पाए जाने वाले कणों के औसत आकार द्वारा निर्धारित करते हैं। मृदा के गुण को उसमें स्थित ह्यूमस की मात्रा और पाए जाने वाले सूक्ष्मजीवों के आधार पर आँका जाता है।

मृदा संरचना का मुख्य कारक ह्यूमस है, क्योंकि यह मृदा को सरन्थ्र बनाता है और वायु तथा जल को भूमि के अन्दर जाने में सहायक होता है। खनिज पोषक तत्व जो उस मृदा में पाए जाते हैं, वह उन पत्थरों पर निर्भर करते हैं जिनसे मृदा बनी है। किस मृदा पर कौनसा पौधा होगा, यह इस पर निर्भर करता है कि उस मृदा में पोषक तत्व कितने हैं, ह्यूमस की मात्रा कितनी है और उसकी गहराई क्या है। इस प्रकार, मृदा की ऊपरी परत में, जिसमें मृदा के कणों के अतिरिक्त ह्यूमस और सजीव स्थित होते हैं, उसे उपरिमृा कहा जाता है।

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प्रश्न 2.
मृदा, जल और वायु समान दर से गर्म नहीं होते हैं। इसे प्रदर्शित करने के लिए एक प्रयोग का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
प्रयोग का उद्देश्य:
यह प्रदर्शित करना कि मृदा, जल और वायु समान दर से गर्म नहीं होते।
विधि: दो समान आकार के बीकर और एक बोतल लेते हैं। एक बीकर में मृदा या बालू तथा दूसरे में जल ऊपर तक भरंते हैं। बोतल में तापमापी डालकर कॉर्क से बंद कर देते हैं, अर्थात् बोतल में तापमापी के आसपास केवल वायु है। अब बोतल तथा बीकरों को तीन घंटे तक धूप में रख देते हैं। साथ ही एक तापमापी छाया में रखते हैं और तीन घंटे बाद तीनों का ताप ज्ञात करते हैं।

निष्कर्ष: हम देखते हैं कि मृदा / बालू वाले बीकर का ताप सबसे अधिक होता है। इसके बाद जल के बीकर का ताप होता है। बन्द बोतल का तापमान खुले में लिए गए तापमान के समान न होकर अधिक होता है। इस प्रकार स्पष्ट है कि मृदा, जल और वायु समान दर से गर्म नहीं होते। मृदा के गर्म होने की दर जल से अधिक है और जल के गर्म होने की दर वायु से अधिक।

प्रश्न 3.
संवहन धाराओं के बनने की प्रायोगिक पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
प्रयोग विधि: चित्र में दिखाये अनुसार चौड़े मुँह वाले एक बीकर में एक मोमबत्ती रखकर, उसे जलाते हैं। अब एक जलती हुई अगरबत्ती को बीकर के मुँह के पास लाते हैं, तो हम देखते हैं कि उसका धुआं पीछे की ओर जाता है, क्योंकि वहाँ से गर्म हवा बाहर निकल रही होती है। अगरबत्ती को मोमबत्ती के ठीक ऊपर रखने पर धुआं एकदम ऊपर की ओर जाता है जबकि दूसरे भागों में अगरबत्ती को रखने से धुआं पीछे की ओर हो जाता है क्योंकि बीकर के अन्दर सारी हवा गर्म होकर बाहर निकल रही
RBSE Class 9 Science Important Questions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा 6
निष्कर्ष: संवहन धाराएँ गर्मी के कारण ऊपर उठना शुरू कर देती हैं।

प्रश्न 4.
कोहरा बनने की प्रक्रिया को प्रयोग द्वारा समझाइए।
उत्तर:
प्रयोग विधि:
पतले प्लास्टिक की एक बोतल में 8 - 10 मिली. पानी लेकर बोतल को अच्छी तरह से बंद कर लेते हैं। इसे अच्छी तरह हिलाकर लगभग 10 मिनट तक धूप में रखते हैं। इससे बोतल में विद्यमान हवा जलवाष्प से संतृप्त हो जाती है। अब एक जलती हुई अगरबत्ती लेते हैं और बोतल का ढक्कन खोलकर अगरबत्ती के धुएं की कुछ मात्रा को बोतल के अन्दर जाने देते हैं। फिर

अब एक जलती हुई अगरबत्ती लेते हैं और बोतल का ढक्कन खोलकर अगरबत्ती के धुएं की कुछ मात्रा को बोतल के अन्दर जाने देते हैं। फिर पुन: बोतल को कसकर बन्द कर देते हैं। इसके बाद बोतल को अपनी हथेलियों के बीच में रखकर खूब जोर से दबाते हैं। अब कुछ समय तक प्रतीक्षा करने के बाद बोतल को छोड़ देते हैं। एक बार पुन: बोतल को जोर से दबाते हैं।
हम देखते हैं कि जब हम अगरबत्ती के धुएं को बोतल के अन्दर ले जाते हैं तब बोतल के अन्दर की हवा कुहरे की भाँति हो जाती है और जब हम बोतल को हथेलियों के बीच रखकर जोर से दबाते हैं, तब ये कोहरा समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 5.
वायु प्रदूषण से क्या - क्या हानियाँ हैं? लिखिए।
उत्तर:
वायु प्रदूषण से हमें निम्न हानियाँ हैं।

  1. जीवाश्म ईंधन को जलाने पर इनके साथ उपस्थित नाइट्रोजन व सल्फर भी जलकर वायु में ऑक्साइड बनाते हैं जो हमारी श्वसन क्रिया को प्रभावित करते हैं।
  2. नाइट्रोजन व सल्फर के ऑक्साइड जल के साथ मिलकर अम्ल बनाते हैं। अतः यह अम्ल वर्षा के रूप में पृथ्वी पर आता है तो इससे सजीवों के साथ ऐतिहासिक स्मारकों को नुकसान पहुँचता है।
  3. जीवाश्म ईंधनों से हाइड्रोकार्बन भी बनते हैं जो धूम कोहरा बनाते हैं। यह दृश्यता को कम करता है तथा स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है।
  4. वायु प्रदूषण श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। इससे श्वास, दमा, फेफड़ों का कैंसर व न्यूमोनिया जैसे विकार हो सकते हैं।
  5. मोटर वाहनों एवं धूम्रपान से छोड़े गए धुएं में कार्बन मोनोक्साइड पाई जाती है जो केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है।

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प्रश्न 6.
लाइकेन पर वायु प्रदूषण का क्या प्रभाव पड़ता है? आप इसका किस प्रकार अवलोकन कर सकते हैं ?
उत्तर:
लाइकेन सहजीवी है तथा यह वृक्षों की छाल पर पतले हरे और सफेद रंग की परत के रूप में पाए जाते हैं। लाइकेन वायु में उपस्थित सल्फर डाइऑक्साइड के प्रति अधिक संवेदी होते हैं। लाइकेन पर सल्फर डाइऑक्साइड के प्रभाव को निम्न प्रकार अवलोकित कर सकते हैं।

प्रयोग विधि: किसी व्यस्त सड़क के किनारे उगे पेड़ों की छाल पर उगे पतले हरे और सफेद रंग की परत के रूप में लाइकेन को ढूंढ़ते हैं और उसे ध्यान से देखते हैं। अब ऐसे ही कुछ पेड़ और भी ढूंढ़ते हैं, जो सड़क किनारे से दूर उगे हों, जिनकी छाल पर लाइकेन उगी हो। अब दोनों में तुलना करते हैं। लगभग 10 दिन बाद, उनमें फिर से तुलना करते हैं। हम देखते हैं कि सड़क के किनारे उगे पेड़ों पर लगी लाइकेन का रंग वाहनों के द्वारा छोड़े गए धुएं में उपस्थित SO2 के कारण काली - भूरी हो चुकी होती है, जबकि दूर उगे पेड़ पर लगी लाइकेन के रंग में परिवर्तन नहीं आता है । एक ही पेड़ पर लगी लाइकेन का वह भाग, जो सड़क की तरफ होगा, उस भाग की अपेक्षा अधिक प्रभावित होता है, जो पेड़ की दूसरी तरफ होगा।

निष्कर्ष: SO2 गैसें लाइकेन की वृद्धि और स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।

प्रश्न 7.
जल प्रदूषण क्या है? यह कैसे होता है?
उत्तर:
जल प्रदूषण: जल में अपशिष्ट पदार्थों के मिलने से जल अपने गुण खो देता है, यह प्रक्रिया जल प्रदूषण कहलाती है। जल प्रदूषण के निम्न कारण हैं।

  1. जल में वे कीटनाशक व उर्वरक मिल जाते हैं जिनका उपयोग हम खेतों में करते हैं। ये पदार्थ जल के साथ जल स्रोतों में चले जाते हैं।
  2. शहर के अपशिष्ट व उद्योगों का कचरा, नालों का जल आदि नदियों व झीलों में मिलकर उन्हें प्रदूषित कर देता है।
  3. कुछ विशेष उद्योगों में, जहाँ जल का उपयोग शीतलता के लिए करते हैं। इस प्रकार निष्पादित गर्म जल को जलाशयों में वापस लौटा दिया जाता है, जिससे भी प्रदूषण बढ़ता है।
  4. बाँधों से जब जल छोड़ा जाता है तो इसका प्रभाव नदियों के जल के तापमान पर भी पड़ता है। गहराई वाले जल का तापमान सतही जल से कम होता है। ये सभी जलाशयों में पाए जाने वाले जीवों के प्रकार को विभिन्न प्रकार से प्रभावित करते हैं। ये जल में उपस्थित जीवों के संतुलन को बिगाड़ सकते हैं।

अत: जल प्रदूषण के अन्तर्गत निम्न प्रभावों को सम्मिलित किया जाता है।
(i) जलाशयों में अनैच्छिक पदार्थों का मिलना: ये पदार्थ पीड़कनाशी या उर्वरक हो सकते हैं, जो खेतों में उपयोग होते हैं या वे कागज उद्योग में प्रयुक्त होने वाले विषैले पदार्थ जैसे पारा के लवण हो सकते हैं। ये बीमारी फैलाने वाले जीव जैसे हैजा फैलाने वाले बैक्टीरिया भी हो सकते हैं।

(ii) इच्छित पदार्थों को जलाशयों से हटाना: घुली हुई ऑक्सीजन जल में रहने वाले पौधों और जन्तुओं के द्वारा उपयोग की जाती है। किसी भी तरह का परिवर्तन, जो इस घुली हुई ऑक्सीजन की मात्रा को कम करता है, उसका जलीय जीवों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जलाशय से अन्य पोषक की कमी भी हो सकती है।

(iii) तापमान में परिवर्तन: जलीय जीव जिस जलाशय में रहते हैं, वे वहाँ के एक विशिष्ट तापमान के अनुकूल होते हैं और उस तापमान में अचानक परिवर्तन उनके लिए खतरनाक होगा या प्रजनन की प्रक्रिया प्रभावित करेगा। विभिन्न प्रकार के जन्तुओं के अण्डे और लार्वा तापमान परिवर्तन के प्रति संवेदनशील होते हैं।

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प्रश्न 8.
मृदा की संरचना का ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक प्रयोग का वर्णन करो।
उत्तर:
मृदा की संरचना में हम देखते हैं कि इसमें मिट्टी के विभिन्न आकार के कण मिले होते हैं, साथ ही मृदा का ऊपरी हिस्सा ह्यूमस का बना होता है। मृदा में कई पर्तें पाई जाती हैं। इस संरचना को समझने के लिए हम निम्न प्रयोग कर सकते हैं।
प्रयोग विधि:
कुछ मिट्टी लेकर इसे पानी से भरे बीकर में डालते हैं। पानी की मात्रा ली गई मिट्टी से लगभग पाँच गुणा अधिक होनी चाहिए। मिट्टी और पानी को अच्छी तरह से मिलाते हैं और फिर बीकर को एक स्थान पर रख देते हैं, जिससे कि पानी में घुली मृदा नीचे बैठ जाये।

हम देखते हैं कि बीकर के तल में मिट्टी परतों में बंट जाती है। एक परत, दूसरी परत की अपेक्षा भिन्न होती है। इसमें विभिन्न प्रकार के छोटे - छोटे टुकड़े मिले होते हैं। कुछ कण पानी पर तैरने लगते हैं, तो कुछ कण पानी में घुल जाते हैं। बीकर में परत के सबसे ऊपर चिकनी मिट्टी के कण होते हैं, फिर रेत के और सबसे नीचे छोटे - बड़े कंकर होते हैं।

निष्कर्ष: रेत के कण चिकनी मिट्टी से भारी होते हैं और कंकर - पत्थर रेत के कणों से भारी होते हैं। वे सब मिट्टी के अवयव हैं। अतः मृदा एक मिश्रण है।

प्रश्न 9.
मृदा प्रदूषण किसे कहते हैं? यह किस कारण होता है? इस पर किस प्रकार नियंत्रण पाया जा सकता है?
उत्तर:
मृदा प्रदूषण:
खाद्यान्न उत्पादन की प्रतिस्पर्धा में आजकल खेतों में पीड़कनाशी और उर्वरकों का प्रयोग विशेष रूप से हो रहा है। लम्बे समय तक इन पदार्थों के उपयोग करने से मृदा के सूक्ष्म जीव मृत हो जाते हैं और मृदा की संरचना को नष्ट कर सकते हैं, जो कि मृदा के पोषक तत्वों का पुनर्चक्रण करते हैं। ह्यूमस बनाने में सहायक भूमि में स्थित केंचुओं को भी ये समाप्त कर सकते हैं। यदि सम्पूषणीय खेती नहीं हो तो उपजाऊ मृदा जल्दी ही बंजर भूमि में परिवर्तित हो सकती है। इस प्रकार उपयोगी घटकों का मृदा से हटना तथा हानिकारक पदार्थों का मृदा में मिलना, जो भूमि की उर्वरता को प्रभावित करते हैं तथा इसमें स्थित जैव विविधता को नष्ट कर देते हैं, मृदा प्रदूषण कहलाता है।

मृदा प्रदूषण के कारण:

  1. उर्वरकों के अंधाधुंध प्रयोग से।
  2. फसलों पर कीटाणुनाशकों के छिड़काव से।
  3. प्लास्टिक, चमड़ा आदि औद्योगिक अपशिष्टता से।
  4. घरेलू गंदगी से।
  5. सिंचाई के लिए प्रदूषित पानी के प्रयोग से।
  6. स्थान - स्थान पर थूकने, मल - मूत्र त्यागने से।

नियंत्रण:

  1. मृदा में अनावश्यक रूप से उर्वरकों का प्रयोग न करने से।
  2. निश्चित और नियंत्रित मात्रा में कीटाणुनाशकों, खरपतवारनाशकों आदि के प्रयोग से।
  3. औद्योगिक प्रदूषकों को कृषि योग्य खेतों में न फेंकने से।

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प्रश्न 10.
मृदा अपरदन के क्या कारण हैं? लिखिए।
उत्तर:
मृदा अपरदन के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं।
(1) जंगलों की कटाई:
मृदा अपरदन के प्रमुख कारणों में से जंगलों की अंधाधुंध कटाई सर्वप्रमुख है। पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बाँधने का काम करती हैं। इससे मृदा अपने स्थान से आगे नहीं बहती। इनसे मिट्टी नम रहती है। जंगलों की कटाई से बाढ़ों का आना बढ़ गया है, जिस कारण मृदा अपरदन होता है।

(2) अनियंत्रित पशुओं को चराना:
पशुओं को पहाड़ों की ढलानों पर अनियंत्रित रूप से चराया जाता है। इससे मृदा नंगी हो जाती है और वर्षा या आंधियों से वह वहाँ से हट जाती है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर में इस प्रकार का मृदा अपरदन प्रायः दिखाई देता है।

(3) कृषि के अवैज्ञानिक तरीके:
कई बार किसान खेतों में एक ही फसल बार-बार उगाते हैं, जो उस मिल की रणज के लिण हानिकारक तो है ही साथ ही इस मदा में ह्यमस की मात्रा कम हो जाती है। गलत ढंग से जुताई, सिंचाई, कम उर्वरक प्रयोग आदि मृदा अपरदन को बढ़ाते हैं।

(4) बाढ़ और आँधियाँ:
नदियों पर बाँधों के न बने होने के कारण उनमें बाढ़ आती है जिससे उपजाऊ मृदा बह जाती है। भूमि पर घास और झाड़ियों की कमी से मृदा वायु द्वारा अपने स्थान से हट जाती है।

(5) वनों में आग लगने से:
वनों में किसी कारणवश आग लगने से पेड़-पौधे नष्ट हो जाते हैं तथा मृदा की ऊपरी परत हट जाती है। इससे मृदा तेज हवा के कारण अपने स्थान से हट जाती है।


प्रश्न 11.
पौधों की जड़ें मृदा अपरदन को रोकने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कैसे? एक प्रयोग द्वारा समंझाइए।
उत्तर:
पौधों की जड़ें मृदा अपरदन रोकने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं क्योंकि जड़ें भूमि में फैलकर मृदा को जकड़े रहती हैं। इससे मृदा एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं जा सकती। यही कारण है कि सघन वृक्ष मृदा अपरदन रोकने में सहायता करते हैं। मृदा अपरदन में वायु प्रवाह भी कार्य करता है। वायु के प्रवाह को वृक्षों के माध्यम से कम किया जा सकता है। वृक्ष ही जल प्रवाह को रोकने में सहायक हैं। निम्न प्रयोग द्वारा हम समझ सकते हैं कि पौधों की जड़ें मृदा अपरदन रोकने में किस प्रकार सहायक हैं।

प्रयोग:
एक ही तरह की दो ट्रे लेते हैं और उन्हें मृदा से भर देते हैं। एक ट्रे में सरसों या मूँग अथवा धान या हरे चने के पौध रोपते हैं और दोनों ट्रे में तब तक जल देते हैं, जब तक कि जिस ट्रे में पौधा रोपा गया है, वह पौधों की वृद्धि से ढक नहीं जाए। यह ध्यान रखते हैं कि दोनों ट्रे एक ही कोण पर झुकी हों। दोनों ट्रे में समान मात्रा में जल इस तरह डालते हैं कि जल बाहर की ओर निकल जाए। हम देखते हैं कि जिस ट्रे में पौधे हैं वहाँ मिट्टी. जल के साथ बाहर कम आती है जबकि दूसरी ट्रे में से जल के साथ अधिक मिट्टी बाहर निकलती है। यही क्रिया ऊँचाई से पानी डालने पर करने पर हमें पौधे वाली ट्रे से मिट्टी की मात्रा कम ही प्राप्त होती है।
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इस प्रकार इस प्रयोग द्वारा यह निष्कर्ष निकलता है कि पौधे की जड़ें मृदा अपरदन रोकने में सहायक हैं।

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प्रश्न 12.
प्रकृति में पाये जाने वाले जलचक्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जल चक्र (Water Cycle):
पृथ्वी पर उपस्थित जल का 97% जल समुद्र में उपस्थित लवणीय जल है। 2% पहाड़ों व ध्रुवों पर बर्फ के रूप में जमा है। शेष 1% जल ही जलचक्र के रूप में जीवों के उपयोग हेतु उपलब्ध है। पृथ्वी पर स्थित जलाशयों से जल वाष्पित होकर वायुमण्डल में जाता है तथा वायुमण्डल में ठण्डा होकर, बादल व जल के रूप में संघनित होकर वर्षा, हिम, ओस व ओलों के रूप में पुन: स्थलमण्डल पर आकर जलाशयों में पहुँच जाता है। यही जल भूमि की गहरी परतों में जाकर भौम - जल कहलाता है।
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प्रश्न 13.
प्रकृति में नाइट्रोजन चक्र किस प्रकार चलता है? सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नाइट्रोजन चक्र (Nitrogen Cycle):
नाइट्रोजन वायुमण्डल में गैस के रूप में 78 % होती है। किन्तु पौधे इसका गैस के रूप में उपयोग नहीं कर पाते हैं। पौधे नाइट्रोजन को मृदा से नाइट्रेट के रूप में प्राप्त करते हैं। नाइट्रोजन तत्व का नाइट्रोजन के यौगिक में बदलना नाइट्रोजन का स्थिरीकरण या यौगिकीकरण कहलाता है।

प्रकृति में नाइट्रोजन का स्थिरीकरण मुख्य रूप से दो प्रकार से होता है।
(A) जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण:  यह दो प्रकार से होता है।

  1. सहजीवी
  2. असहजीवी।

 (i) सहजीवी जीवाणुओं द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण:
फलीदार पौधों की जड़ों में बनी ग्रन्थिकाओं में स्थित राइजोबियम जीवाणु, नाइट्रोजन का यौगिकीकरण करता है तथा बदले में पादप से भोजन प्राप्त करता है। घुलने वाले खनिजों से होकर जब जल गुजरता है, तब इनमें से कुछ खनिज जल में घुल जाते हैं। इस प्रकार नदी बहुत से पोषक तत्वों को सतह से समुद्र में ले जाती है और इनका उपयोग समुद्री जीव - जन्तुओं द्वारा किया जाता है।

(ii) असहजीवी जीवाणुओं द्वारा नाइट्रोजन स्थिरीकरण:
मृदा में स्वतंत्र रूप से रहने वाले कुछ नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु वायुमण्डल की स्वतंत्र नाइट्रोजन को नाइट्रेट में बदल देते हैं।
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(B) अजैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण:
वर्षा के समय बादलों में बिजली चमकने के समय वायु में पैदा हुआ उच्च ताप तथा दाब नाइट्रोजन को नाइट्रोजन के ऑक्साइड में बदल देता है। ये ऑक्साइड जल के साथ मिलकर नाइट्रिक अम्ल व नाइट्रस अम्ल बनाती है। यह नाइट्रिक अम्ल व नाइट्रस अम्ल वर्षा जल के साथ मिलकर भूमि पर गिरते हैं, तब इसका उपयोग विभिन्न जीव रूपों द्वारा किया जाता है।

सामान्यतः पौधे नाइट्रेट्स और नाइट्राइट्स को ग्रहण करते हैं तथा उन्हें अमीनो अम्ल में बदल देते हैं, जिनका उपयोग प्रोटीन बनाने में होता है। जन्तु या पौधे की मृत्यु होने पर मिट्टी में उपस्थित अन्य बैक्टीरिया विभिन्न यौगिकों में स्थित नाइट्रोजन को नाइट्रेट्स और नाइट्राइट्स में बदल देते हैं तथा अन्य प्रकार के बैक्टीरिया इन नाइट्रेट्स एवं नाइट्राइट्स को नाइट्रोजन तत्व में बदल देते हैं।

इस प्रकार, प्रकृति में एक नाइट्रोजन चक्र होता है, जिसमें नाइट्रोजन वायुमण्डल में अपने मूल रूप से गुजरता हुआ मृदा और जल में साधारण परमाणु के रूप में बदलता है तथा जीवित प्राणियों में और अधिक जटिल यौगिक के रूप में बदल जाता है। फिर ये साधारण परमाणु के रूप में वायुमण्डल में वापस आ जाता है।

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प्रश्न 14.
प्रकृति में पाए जाने वाले कार्बन चक्र का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
कार्बन चक्र:
कार्बन पृथ्वी पर कई अवस्थाओं में मिलता है। यौगिक के रूप में यह वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में, विभिन्न प्रकार के खनिजों में कार्बोनेट और हाइड्रोजन कार्बोनेट के रूप में पाया जाता है। सभी सजीवों में पाये जाने वाले यौगि प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, न्यूक्लिक अम्ल व विटामिन आदि में कार्बन पाया जाता है। बहुत सारे जन्तुओं के बाहरी और भीतरी कंकाल भी कार्बोनेट लवण के बने होते हैं। प्रकाश - संश्लेषण की क्रिया में कार्बन जीवन के विभिन्न प्रकारों में समाविष्ट हो जाता है। यह प्रक्रिया वायुमण्डल में या जल में घुले कार्बन डाइऑक्साइड को ग्लूकोज अणु में परिवर्तित कर देती है। ये ग्लूकोस अणु या तो दूसरे पदार्थों में बदल दिए जाते हैं या ये दूसरे जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण अणुओं के संश्लेषण के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं।
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जीवित प्राणियों को ऊर्जा प्रदान करने की प्रक्रिया में ग्लूकोस का उपयोग होता है। श्वसन क्रिया में ग्लूकोस कार्बन डाइऑक्साइड में बदल जाता है। यह कार्बन डाइऑक्साइड वायुमण्डल में वापस चली जाती है। कार्बनिक पदार्थों व जीवाश्म ईंधनों के दहन से उत्पन्न कार्बन डाइऑक्साइड भी वायुमण्डल में जाती है। इस प्रकार कार्बन का विभिन्न भौतिक एवं जैविक क्रियाओं के द्वारा पुनर्चक्रण होता रहता है।


प्रश्न 15.
प्रकृति में ऑक्सीजन चक्र किस प्रकार कार्य करता है?
उत्तर:
ऑक्सीजन चक्र:
वायुमण्डल में ऑक्सीजन लगभग 21% है। यह बड़े पैमाने पर पृथ्वी के पटल पर यौगिक के रूप में तथा वायु में कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में भी पाई जाती है। पृथ्वी के पटल में यह धातुओं तथा सिलिकन के ऑक्साइड के रूप में पाई जाती है। यह कार्बोनेट, सल्फेट, नाइट्रेट तथा अन्य खनिजों के रूप में भी पाई जाती है। यह जैविक अणुओं, जैसे कार्बोहाइड्रेट,
प्रोटीन, न्यूक्लिक अम्ल और वसा का भी एक आवश्यक घटक है।
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ऑक्सीजन चक्र में वायुमण्डल से ऑक्सीजन का उपयोग तीन प्रक्रियाओं में होता है, जिनके नाम हैं - श्वसन, दहन तथा नाइट्रोजन के ऑक्साइड के निर्माण में। वायुमण्डल में ऑक्सीजन केवल एक ही मुख्य प्रक्रिया, जिसे प्रकाश - संश्लेषण कहते हैं, के द्वारा लौटती इसकार से प्रकृति में ऑक्सीजन चक्र की रूपरेखा बनती है।

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प्रश्न 16.
वैश्विक ऊष्मीकरण के क्या परिणाम हो सकते हैं ?
उत्तर:
वैश्विक ऊष्मीकरण (Global Warming) मूलतः ग्रीन हाउस प्रभाव का परिणाम है। इसके कारण हमारी पृथ्वी के वायुमण्डल में ऊष्मा की निरन्त्र वृद्धि हो रही है, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न स्थितियाँ उत्पन्न हो रही हैं, जैसे:

  1. हिमचोटियाँ एवं हिमनदियाँ पिघल रही हैं, जिसके कारण समुद्र तल की ऊँचाई में वृद्धि हो रही है और तटवर्ती क्षेत्र तथा द्वीप डूबते जा रहे हैं या डूबने की स्थिति में हैं।
  2. समय से पहले फसलें पक रही हैं, जिस कारण अनाज के दानों का आकार छोटा होता जा रहा है।
  3. मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, इससे मानव की कार्यक्षमता भी प्रभावित हो रही है।
     
Prasanna
Last Updated on May 16, 2022, 10:22 a.m.
Published May 12, 2022