RBSE Class 8 Social Science Notes Geography Chapter 4 कृषि

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RBSE Class 8 Social Science Notes Geography Chapter 4 कृषि

→ विभिन्न आर्थिक क्रियाओं को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्रियाएँ। प्राथमिक क्रियाओं का सम्बन्ध प्राकृतिक संसाधनों के उत्पादन और निष्कर्षण से है, जैसे- कृषि। द्वितीयक क्रियाएँ इन संसाधनों के प्रसंस्करण से सम्बन्धित हैं, जैसे-इस्पात निर्माण। तृतीयक क्रियाएँ प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र को सेवाएं प्रदान करती हैं, जैसे-बैंकिंग एवं बीमा। कृषि एक प्राथमिक क्रिया है जिसमें फसलों, फलों, सब्जियों, फूलों को उगाना तथा पशुपालन करना शामिल है।

→ कृषि तन्त्र: कृषि को एक तन्त्र के रूप में देखा जा सकता है जिसमें बीज, उर्वरक, श्रमिक, भूमि आदि निवेश हैं तथा जिसमें फसल, पशु उत्पाद आदि उत्पाद हैं।

RBSE Class 8 Social Science Notes Geography Chapter 4 कृषि

→ कृषि के प्रकार: कृषि को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जा सकता है

  • निर्वाह कृषि-इस प्रकार की कृषि कृषक परिवार की आवश्यकताएँ पूरी करने हेतु की जाती है। निर्वाह कृषि को पुनः गहन निर्वाह कृषि और आदिम निर्वाह कृषि में विभाजित किया जा सकता है। गहन निर्वाह कृषि में अधिक श्रम एवं संसाधनों से वर्ष में एक से अधिक फसलें बोई जाती हैं जबकि आदिम निर्वाह कृषि में स्थानान्तरी कृषि और चलवासी पशुचारण शामिल हैं।
  • वाणिज्यिक कृषि-वाणिज्यिक कृषि में फसल उत्पादन और पशुपालन बाजार में विक्रय हेतु किया जाता है। वाणिज्यिक कृषि में वाणिज्यिक अनाज कृषि, मिश्रित कृषि और रोपण कृषि को शामिल किया जाता है।

→ मुख्य फसलें: बढ़ती जनसंख्या की आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु अनेक फसलें उगाई जाती हैं। चावल, गेहूँ, मोटे अनाज, मक्का आदि प्रमुख खाद्य फसलें हैं। कपास, पटसन आदि प्रमुख रेशेदार फसलें हैं तथा कॉफी, चाय मुख्य पेय फसलें हैं।

→ कृषि का विकास-बढ़ती जनसंख्या की कृषि उत्पाद सम्बन्धी माँगों को पूरा करने हेतु कृषि क्षेत्र में निरन्तर उत्पादन बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें उन्नत बीजों, खाद, सिंचाई सुविधाओं तथा उन्नत मशीनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।

Prasanna
Last Updated on June 6, 2022, 4:01 p.m.
Published June 6, 2022