RBSE Class 8 Social Science Notes Civics Chapter 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ

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RBSE Class 8 Social Science Notes Civics Chapter 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ

→  धर्मनिरपेक्षता की समझ-धर्मनिरपेक्षता का मूलमंत्र यह है कि धर्म से संबंधित किसी भी तरह का वर्चस्व खत्म होना चाहिए। धर्म और आस्था के आधार पर किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। इतिहास में हमें धर्म के आधार पर भेदभाव, बेदखली और अत्याचार के अनेक उदाहरण देखने को मिलते हैं। भेदभाव की ऐसी घटनाएँ तब और अधिक बढ़ जाती हैं जब दूसरे धर्मों के स्थान पर राज्य किसी एक धर्म को अधिकृत मान्यता प्रदान करता है।

→  धर्मनिरपेक्षता क्या है?-धर्म को राज्य से अलग रखने की अवधारणा को ही धर्मनिरपेक्षता कहा जाता है।

→ धर्म को राज्य से अलग रखना महत्वपूर्ण क्यों है?

  • बहुमत धर्मावलम्बियों की निरंकुशता और उसके कारण अल्पसंख्यकों के मौलिक अधिकारों का हनन वह प्रमुख कारण है जिसके चलते लोकतांत्रिक समाजों में राज्य और धर्म को अलग-अलग रखना महत्वपूर्ण माना जाता है ताकि धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव व अत्याचार न हों।
  • लोकतान्त्रिक समाजों में धर्म को राज्य से अलग रखने का दूसरा कारण यह है कि लोगों के धार्मिक चुनाव के अधिकार की रक्षा हो सके तथा किसी भी नागरिक को एक धर्म से निकलने और दूसरे धर्म को अपनाने या धार्मिक उपदेशों की अलग ढंग से व्याख्या करने की स्वतंत्रता की रक्षा हो सके।

RBSE Class 8 Social Science Notes Civics Chapter 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ

→ भारतीय धर्मनिरपेक्षता क्या है? 
भारतीय संविधान में कहा गया है कि भारतीय राज्य धर्मनिरपेक्ष होगा अर्थात् प्रथमतः राज्य स्वयं को धर्म से दूर रखता है। यह न तो किसी खास धर्म को थोपेगा और न ही लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता छीनेगा। दूसरे, राज्य सभी धर्मों की भावनाओं का सम्मान करेगा और धार्मिक क्रियाकलापों में दखल न देने के लिए राज्य कुछ खास धार्मिक समुदायों को कुछ विशेष छूट देता है। तीसरे, कोई एक धार्मिक समुदाय किसी दूसरे धार्मिक समुदाय को न दबाए या कुछ लोग अपने ही धर्म के अन्य सदस्यों को न दबाएँ इस हेतु भारतीय राज्य धर्म के क्षेत्र में हस्तक्षेप भी करता है। 

Prasanna
Last Updated on June 6, 2022, 3:42 p.m.
Published June 6, 2022