RBSE Class 8 Social Science Notes Civics Chapter 10 कानून और सामाजिक न्याय

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RBSE Class 8 Social Science Notes Civics Chapter 10 कानून और सामाजिक न्याय

→  कानून की आवश्यकता-चाहे बाजार हो, दफ्तर हो या कोई कारखाना हो, बहुत सारी स्थितियों में लोगों को गलत तौरतरीकों से बचाने के लिए कानून जरूरी होते हैं। निजी कंपनियाँ, ठेकेदार, व्यवसायी आदि अधिक लाभ कमाने हेतु गलत हथकंडे भी अपनाने लगते हैं; जैसे-वे मजदूरों को कम मेहनताना देते हैं, बच्चों से काम करवाते हैं, काम की स्थितियों पर ध्यान | नहीं देते या पर्यावरण का खयाल नहीं रखते और इस तरह आसपास के लोगों को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

→ कानून बनाना, उनको लागू करना व उनकी निगरानी करना-सरकार की जिम्मेदारी-सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह निजी कंपनियों के इन गलत तौर-तरीकों को रोकने और सामाजिक न्याय प्रदान करने, शोषण को रोकने हेतु कानून बनाए, उनको लागू करे और उन पर निगरानी रखे। भारत सरकार ने ऐसे अनेक कानून बनाए हैं। कानून बनाने और लागू करने वाली संस्था के नाते यह सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है कि सुरक्षा कानूनों को सही ढंग से लागू किया जाये, जीवन के अधिकार का उल्लंघन न हो। यदि कानून कमजोर हों और उनको सही ढंग से लागू न किया जाये तो उनसे भारी नुकसान हो सकता है। भोपाल गैस त्रासदी इस बात का सबूत है कि भारत में सुरक्षा कानून ढीले थे और उन कमजोर सुरक्षा कानूनों को भी ठीक से लागू नहीं किया गया था।

RBSE Class 8 Social Science Notes Civics Chapter 10 कानून और सामाजिक न्याय

→ कानून व सामाजिक न्याय के क्षेत्र में आम जनता की जिम्मेदारियाँ: सरकार के साथ-साथ आम लोगों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वे दबाव डालकर निजी कंपनियों और सरकार दोनों को समाज के हित में काम करने के लिए बाध्य कर सकते हैं।।

→ पर्यावरण की रक्षा के लिए नये कानन: 1984 में हमारे पास पर्यावरण की रक्षा के लिए बहुत कम कानून थे। इन कानूनों को लागू करने की व्यवस्था और भी कमजोर थी। इसलिये यूनियन कारबाइड को प्रदूषण से निपटने के लिए पैसा भी खर्च नहीं करना पड़ा। भोपाल गैस त्रासदी के बाद भारत सरकार ने पर्यावरण के बारे में नये कानून बनाए और इनमें पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए प्रदूषण फैलाने वालों को ही जिम्मेवार माना गया। अदालतों ने भी स्वस्थ पर्यावरण के अधिकार को जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा बताया। लेकिन मध्य वर्ग के लोग पर्यावरण की चिंता में प्रायः गरीबों की पीड़ा को ध्यान में नहीं रखते, इससे बहुत सारे लोगों की रोजी-रोटी भी खतरे में पड़ सकती है। इसलिए लोगों को इस बात के लिए आवाज उठानी चाहिए कि स्वस्थ वातावरण की सुविधा सबको मिले। मजदूर अधिकारों के क्षेत्र में भी अभी हालात काफी खराब हैं, लोगों को इस बात के लिए भी आवाज उठानी चाहिए कि कामगारों के अधिकारों की रक्षा के लिए सख्त कानून बनाए जाएँ ताकि सबको जीवन का अधिकार मिल सके।

Prasanna
Last Updated on June 6, 2022, 3:52 p.m.
Published June 6, 2022