RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार Important Questions and Answers. 

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Social Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 8. Students can also read RBSE Class 8 Social Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 8 Social Science Notes to understand and remember the concepts easily. Go through these class 8 history chapter 6 questions and answers in hindi and get deep explanations provided by our experts.

RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

बहुचयनात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
ब्रह्मो सभा की स्थापना की थी-
(अ) दयानन्द सरस्वती ने 
(ब) ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने 
(स) राजा राममोहन राय ने 
(द) पंडिता रमाबाई ने। 
उत्तर:
(स) राजा राममोहन राय ने

प्रश्न 2. 
सती-प्रथा पर पाबन्दी लगाई गई थी-
(अ) 1829 में 
(ब) 1832 में 
(स) 1929 में 
(द) 1932 में। 
उत्तर:
(अ) 1829 में 

प्रश्न 3. 
'स्त्री-पुरुष तुलना' नामक किताब की लेखिका थीं-
(अ) बेगम रुकैया सखावत 
(ब) ताराबाई शिंदे 
(स) पंडिता रमाबाई 
(द) राशसुंदरी देवी। 
उत्तर:
(ब) ताराबाई शिंदे 

प्रश्न 4. 
सतनामी आन्दोलन शुरू किया था-
(अ) ज्योतिराव फुले ने 
(ब) श्रीनारायण गुरु ने
(स) हरिदास ठाकुर ने 
(द) घासीदास ने। 
उत्तर:
(द) घासीदास ने। 

RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

प्रश्न 5. 
'सत्यशोधक समाज' के संस्थापक थे-
(अ) विवेकानन्द 
(ब) दयानन्द सरस्वती
(स) ज्योतिराव फुले 
(द) महात्मा गाँधी। 
उत्तर:
(स) ज्योतिराव फुले 

प्रश्न 6. 
'गुलामगीरी' पुस्तक के रचयिता थे-
(अ) ज्योतिराव फुले 
(ब) जवाहरलाल नेहरू 
(स) बी.आर. अम्बेडकर 
(द) पेरियार।
उत्तर:
(अ) ज्योतिराव फुले 

प्रश्न 7. 
मन्दिर प्रवेश आन्दोलन किसने शुरू किया था? 
(अ) ज्योतिराव फुले 
(ब) बी. आर. अम्बेडकर 
(स) दयानन्द सरस्वती 
(द) स्वामी विवेकानन्द
उत्तर:
(ब) बी. आर. अम्बेडकर

प्रश्न 8. 
परमहंस मंडली का गठन कहाँ किया गया?
(अ) मद्रास में 
(ब) लखनऊ में
(स) बम्बई में. 
(द) दिल्ली में 
उत्तर:
(स) बम्बई में. 

RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

प्रश्न 9. 
पंडिता रमाबाई ने विधवा गृह की स्थापना कहाँ की? 
(अ) दिल्ली में 
(ब) नागपुर में 
(स) पटना में 
(द) पूना में
उत्तर:
(द) पूना में

प्रश्न 10. 
प्रार्थना समाज की स्थापना कब की गई? 
(अ) 1867 में 
(ब) 1875 में 
(स) 1885 में 
(द) 1905 में
उत्तर:
(अ) 1867 में 

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. ................ संस्कृत, फारसी तथा अन्य कई भारतीय एवं यूरोपीय भाषाओं के अच्छे ज्ञाता थे। 
2. अंग्रेज सरकार ने ................ में विधवा विवाह के पक्ष में एक कानून पारित किया। 
3. भोपाल की बेगमों ने ................ में लड़कियों के लिए प्राथमिक स्कूल खोला। 
4. ................ हिन्दू वेद पुराणों के कट्टर आलोचक थे। 
5. केरल में ऐझावा जाति के ............. ने अपने लोगों के बीच एकता का आदर्श रखा। 
6. ब्रह्मो समाज की स्थापना .............. में की गई थी। 
उत्तर:
1. राममोहन रॉय, 
2. 1856, 
3. अलीगढ़, 
4. पेरियार, 
5. श्रीनारायण गुरु 
6. 1830। 

RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

सही या गलत बताइए-

1. दो सौ साल पहले हिन्दू व मुसलमान, दोनों धर्मों के पुरुष एक से ज्यादा पत्नियाँ रख सकते थे। 
2. ज्योतिराव फुले के प्रयासों से सती प्रथा पर रोक लगाई गई। 
3. आर्य समाज की स्थापना करने वाले स्वामी दयानन्द सरस्वती ने भी विधवा विवाह का समर्थन किया। 
4. बेगम रुकैया सखावत ने मुस्लिम लड़कियों के स्कूल जाने का विरोध किया। 
5. फुले के अनुसार आर्यों के शासन से पहले यहाँ स्वर्ण युग था। 
उत्तर:
1. सही 
2. गलत 
3. सही 
4. गलत 
5. सही। 

सही मिलान कीजिए-

(अ)

(ब)

राजा राममोहन रॉय

विधवा विवाह समर्थन 

वीरेशलिंगम पंतुलु

मतुआ पंथ

ताराबाई शिंदे

स्वाभिमान आन्दोलन 

हरिदास ठाकुर

स्त्रीपुरुषतुलना

ई.वी. रामास्वामी नायकर (पेरियार)

ब्रह्मो समाज

उत्तर:

(अ)

(ब)

राजा राममोहन रॉय

ब्रह्मो समाज 

वीरेशलिंगम पंतुलु

विधवा विवाह समर्थन

ताराबाई शिंदे

स्त्रीपुरुषतुलना 

हरिदास ठाकुर

मतुआ पंथ 

ई.वी. रामास्वामी नायकर (पेरियार)

स्वाभिमान आन्दोलन

RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
राममोहन रॉय किस चीज के पक्षधर थे? 
उत्तर:
राममोहन रॉय देश में पश्चिमी शिक्षा के प्रसार तथा महिलाओं की स्वतन्त्रता व समानता के पक्षधर थे। 

प्रश्न 2. 
राममोहन रॉय किस बात से अत्यन्त दु:खी थे? 
उत्तर:
राममोहन रॉय विधवा औरतों के कष्टों से अत्यन्त दु:खी थे।

प्रश्न 3. 
उन्नीसवीं सदी के आखिर में पंजाब में किसने स्कूल खोले?
उत्तर:
आर्य समाज ने। 

प्रश्न 4. 
शिक्षा के क्षेत्र में ज्योतिराव फुले का योगदान बताइये। 
उत्तर:
ज्योतिराव फुले ने महाराष्ट्र में लड़कियों के लिए अनेक स्कूल खोले। 

प्रश्न 5. 
परमहंस मण्डली का गठन कब व क्यों किया गया था? 
उत्तर:
परमहंस मण्डली का गठन बम्बई में सन् 1840 में जाति व्यवस्था के उन्मूलन के लिए किया गया था। 

RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

प्रश्न 6. 
ज्योतिराव फुले का जन्म कब हुआ था? 
उत्तर:
ज्योतिराव फुले का जन्म सन् 1827 में हुआ था। 

प्रश्न 7. 
गैर-ब्राह्मण आन्दोलन कब शुरू हुआ था? 
उत्तर:
गैर-ब्राह्मण आन्दोलन बीसवीं सदी के आरम्भ में शुरू हुआ था।

प्रश्न 8. 
ब्रह्मो समाज की स्थापना कब की गई थी?
उत्तर:
ब्रह्मो समाज की स्थापना सन् 1830 में की गई थी। 

प्रश्न 9. 
सती शब्द का क्या अर्थ था? 
उत्तर:
सती शब्द का अर्थ था-सदाचारी महिला। 

प्रश्न 10. 
200 वर्ष पहले देश के बहुत से भागों में औरतों की शिक्षा के बारे में लोगों का क्या अंधविश्वास था? 
उत्तर:
उस समय देश के अनेक भागों में लोगों का अंधविश्वास था कि अगर औरत पढ़ी-लिखी होगी तो वह जल्दी विधवा हो जायेगी। 

RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

प्रश्न 11. 
वीरेशलिंगम पंतुलु ने समाज सुधार का क्या कार्य |किया? 
उत्तर:
वीरेशलिंगम पंतुलु ने मद्रास प्रेजीडेंसी के तेलुगू भाषी क्षेत्रों में विधवा विवाह के समर्थन में एक संगठन बनाया।

प्रश्न 12. 
आर्य समाज की स्थापना किसने की? 
उत्तर:
आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानन्द सरस्वती ने की। 

प्रश्न 13. 
उर्दू उपन्यासों में महिलाओं को किस बात के लिए प्रोत्साहित किया जाता था? 
उत्तर:
उर्दू उपन्यासों में महिलाओं को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जाता था कि वे धर्म और घरेलू साजसंभाल के बारे में पढ़े। 

प्रश्न 14. 
'स्त्रीपुरुषतुलना' पुस्तक की विषयवस्तु क्या थी? 
उत्तर:
'स्त्रीपुरुषतुलना' पुस्तक में पुरुषों एवं महिलाओं के बीच मौजूद सामाजिक फों की आलोचना की गई थी। 

प्रश्न 15. 
प्रार्थना समाज ने किस बात पर बल दिया? 
उत्तर:
प्रार्थना समाज भक्ति परम्परा का समर्थक था जिसमें सभी जातियों की आध्यात्मिक समानता पर जोर दिया गया था। 

RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

प्रश्न 16. 
घासीदास ने कौनसे आन्दोलन की शुरुआत की थी? 
उत्तर:
घासीदास ने मध्य भारत में सतनामी आन्दोलन की शुरुआत की थी। 

प्रश्न 17. 
हरिदास ने किस बात पर सवाल उठाए थे। 
उत्तर:
हरिदास ने जाति व्यवस्था को सही ठहराने वाले ब्राह्मणवादी ग्रन्थों पर सवाल उठाये थे। 

प्रश्न 18. 
गुलामगीरी नामक पुस्तक के रचयिता कौन थे? 
उत्तर:
गुलामगीरी नामक पुस्तक के रचयिता ज्योतिराव फुले थे।

प्रश्न 19. 
वेद समाज की स्थापना कब एवं कहाँ हुई थी? 
उत्तर:
वेद समाज की स्थापना 1864 में मद्रास (चेन्नई) में हुई थी। 

प्रश्न 20. 
मोहम्मदन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना किसने की थी? 
उत्तर:
मोहम्मदन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना सैयद अहमद खां द्वारा की गई थी। 

RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
विधवा विवाह के पक्ष में ईश्वरचन्द विद्यासागर का योगदान बतलाइये। 
उत्तर:
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर ने विधवा विवाह के पक्ष में प्राचीन ग्रन्थों का उद्धरण देते हुए सुझाव दिया कि विधवाएँ फिर से विवाह कर सकती हैं। उनके सुझावों को ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा स्वीकार कर लिया गया तथा इस सम्बन्ध में सन् 1856 में एक कानून पारित किया गया जो विधवा विवाह की अनुमति देता था। 

प्रश्न 2. 
रूढ़िवादी खेमे के लोग महिलाओं में बदलावों से क्यों नाराज थे? 
उत्तर:
रूढ़िवादी खेमे के लोग महिलाओं में बदलावों से बहुत नाराज थे-

  • बहुत सारे हिन्दू राष्ट्रवादियों को लगने लगा था कि हिन्दू महिलाएँ पश्चिमी तौर-तरीके अपना रही हैं जिससे हिन्दू संस्कृति भ्रष्ट होगी और पारिवारिक संस्कार नष्ट हो जाएँगे। 
  • रूढ़िवादी मुसलमान भी इन बदलावों के नतीजों को लेकर चिन्तित थे। 

प्रश्न 3. 
रूढ़िवादी हिन्दू समाज ने जाति व्यवस्था के विरोधी आन्दोलनों का किस प्रकार विरोध किया? 
उत्तर:

  • रूढ़िवादी हिन्दू समाज ने उत्तर में सनातन धर्म-सभाओं तथा भारत धर्म महामण्डल और बंगाल में ब्राह्मण सभा जैसे संगठनों के जरिए इन आन्दोलनों का सख्ती से विरोध किया। 
  • इन संगठनों का उद्देश्य था कि हिन्दू धर्म में जातीय ऊँच-नीच को जो महत्त्व दिया जाता है उस पर कोई आँच न आए। 
  • उन्होंने धार्मिक ग्रन्थों के प्रमाणों के आधार पर जाति व्यवस्था का समर्थन किया। 

प्रश्न 4. 
ब्रह्मो समाज पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
ब्रह्मो समाज की स्थापना 1830 में राजा राममोहन रॉय ने की थी। ब्रह्मो समाज मूर्ति-पूजा और बलि के विरुद्ध था और इसके अनुयायी उपनिषदों में विश्वास रखते थे। इसके सदस्यों को अन्य धार्मिक प्रथाओं या परम्पराओं की आलोचना करने का अधिकार नहीं था। ब्रह्मो समाज ने विभिन्न धर्मों के आदर्शों-मुख्यतः हिन्दुत्व और ईसाई धर्म के नकारात्मक और सकारात्मक पहलुओं पर प्रकाश डाला। 

RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

प्रश्न 5. 
हेनरी डेरोजियो पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
हेनरी डेरोजियो 1820 के दशक में हिन्दू कॉलेज, कलकत्ता में अध्यापक थे। उन्होंने अपने विद्यार्थियों को आमूल परिवर्तनकारी विचारों से अवगत कराया और यंग बंगाल मूवमेंट की शुरुआत की। यंग बंगाल मूवमेंट में उनके विद्यार्थियों ने परम्पराओं और रीति-रिवाजों पर उँगली उठाई, महिलाओं के लिए शिक्षा की माँग की और सोच व अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के लिए अभियान चलाया। 

प्रश्न 6. 
रामकृष्ण मिशन की स्थापना किसने की? यह किस बात पर जोर देता था? 
उत्तर:
रामकृष्ण मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानन्द ने की थी। रामकृष्ण मिशन का नाम स्वामी विवेकानन्द के गुरु रामकृष्ण परमहंस के नाम पर रखा गया था। यह मिशन समाज सेवा और निःस्वार्थ श्रम के जरिए मुक्ति के लक्ष्य पर जोर देता था। 

प्रश्न 7. 
प्रार्थना समाज के बारे में आप क्या जानते हैं? 
उत्तर:
प्रार्थना समाज की स्थापना सन् 1867 में बम्बई में की गई थी। यह भक्ति परम्परा का समर्थक था। इसने जातीय बन्धनों को खत्म करने और बाल विवाह के उन्मूलन के लिए प्रयास किया। प्रार्थना समाज ने महिलाओं की शिक्षा को प्रोत्साहित किया और विधवा विवाह पर लगी पाबंदी के खिलाफ आवाज उठाई। उसकी धार्मिक बैठकों में हिन्दू, बौद्ध और ईसाई ग्रन्थों पर विचार-विमर्श किया जाता था।  

प्रश्न 8. 
वेद समाज पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
वेद समाज ब्रह्मो समाज से प्रेरित था। इसकी स्थापना मद्रास (चेन्नई) में 1864 में हुई। वेद समाज ने जातीय भेदभाव को समाप्त करने और विधवा तथा महिला शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए काम किया। इसके सदस्य एक ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास रखते थे। उन्होंने रूढ़िवादी हिन्दुत्व के अन्धविश्वासों और अनुष्ठानों की सख्त निन्दा की। 

RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

प्रश्न 9. 
मोहम्मदन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना किसने की? शैक्षणिक क्षेत्र में इसका क्या योगदान था? 
उत्तर:
मोहम्मदन एंग्लो-ओरिएंटल कॉलेज की स्थापना सैयद अहमद खाँ द्वारा 1875 में अलीगढ़ में की गई। इसे ही बाद में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के नाम से जाना गया। यहाँ मुसलमानों को पश्चिमी विज्ञान के साथ-साथ विभिन्न विषयों की आधुनिक शिक्षा दी जाती थी। अलीगढ़ आन्दोलन का शैक्षणिक सुधारों के क्षेत्र में गहरा प्रभाव रहा है। 

प्रश्न 10. 
सिंह सभा आन्दोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सिखों के सुधारवादी संगठन के रूप में सिंह सभाओं की स्थापना की गई। पहले 1873 में अमृतसर में तथा बाद में 1879 में लाहौर में भी सिंह सभा का गठन किया गया। इन सभाओं ने सिख धर्म को अन्धविश्वासों, जातीय भेदभाव और गैर-सिख आचरणों से मुक्त कराने का प्रयास किया। उन्होंने सिखों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित किया जिसमें अक्सर आधुनिक ज्ञान के साथ-साथ सिख धर्म के सिद्धान्तों को भी पढ़ाया जाता था। 

प्रश्न 11. 
भारत में महिला उत्थान हेतु कार्य करने वाली किन्हीं पाँच तत्कालीन महिला समाज सुधारकों के नाम बताइये। 
उत्तर:

  • राशसुंदरी देवी 
  • मुमताज अली 
  • बेगम रुकैया सखावत हुसैन 
  • ताराबाई शिंदे 
  • पंडिता रमाबाई। 

प्रश्न 12. 
बेगम रुकैया सखावत हुसैन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
बेगम रुकैया सखावत हुसैन एक महिला समाज सुधारक थीं। उन्होंने कलकत्ता और पटना में मुस्लिम लड़कियों के लिए स्कूल खोले। वह रुढ़िवादी विचारों की कटु आलोचक थीं। उनका मानना था कि प्रत्येक धर्म के धार्मिक नेताओं ने औरतों को निचले दर्जे में रखा है। 

RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
दो सौ साल पहले भारत में महिलाओं की स्थिति की विवेचना कीजिए।
उत्तर:

  • दो सौ साल पहले भारत में महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं थी। समाज में स्त्रियों और पुरुषों के बीच बहुत भेदभाव किया जाता था।
  • लड़कियों की शादी बहुत कम उम्र में ही कर दी जाती थी।
  • हिन्दू व मुसलमान, दोनों धर्मों के पुरुष एक से ज्यादा पत्नियाँ रख सकते थे।
  • देश के कुछ भागों में विधवाओं से ये उम्मीद की जाती थी कि वे अपने पति की चिता के साथ ही जिन्दा जल जाएँ। इस तरह स्वेच्छा से या जबरदस्ती मार दी गई महिलाओं को 'सती' कहकर महिमामण्डित किया जाता था।
  • सम्पत्ति पर भी महिलाओं के अधिकार बहुत सीमित
  • शिक्षा तक महिलाओं की प्रायः कोई पहँच नहीं थी। देश के बहुत सारे भागों में लोगों का विश्वास था कि अगर औरत पढ़ी-लिखी होगी तो वह जल्दी विधवा हो जाएगी। 

प्रश्न 2. 
"उन्नीसवीं सदी की शुरुआत से सामाजिक परिवर्तन की चर्चा के स्वरूप बदलते दिखाई दिये।" समझाइये। 
उत्तर:
उन्नीसवीं सदी की शुरुआत से सामाजिक रीतिरिवाजों और मूल्य-मान्यताओं से सम्बन्धित बहस-मुबाहिसे और चर्चाओं का स्वरूप बदलता गया। इसका मुख्य कारण था-संचार के नए तरीकों का विकास। पहली बार किताबें, अखबार, पत्रिकाएँ, पर्चे और पुस्तिकाएँ छप रही थीं। ये चीजें न केवल पुराने साधनों के मुकाबले सस्ती थीं बल्कि उन पाण्डुलिपियों के मुकाबले ज्यादा लोगों की पहुँच में भी थीं। इससे सामान्य जनता भी उन चीजों को पढ़ सकती थी। बहुत से लोग अपनी भाषाओं में लिख सकते थे और अपने विचार व्यक्त कर सकते थे। नए शहरों में तमाम तरह के सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक और धार्मिक मुद्दों पर पुरुषों (और कभी-कभी महिलाओं) के बीच चर्चा होती रहती थी। ये चर्चाएँ आम जनता तक पहुँच सकती थीं और सामाजिक परिवर्तन के आन्दोलनों से जुड़ी होती थीं। 

प्रश्न 3. 
महिलाओं द्वारा सुधारों के प्रयास को समझाइये। 
उत्तर:
उन्नीसवीं सदी के आखिर तक खुद महिलाएँ भी सुधारों के लिए बढ़-चढ़ कर प्रयास करने लगी थीं। उन्होंने किताबें लिखीं, पत्रिकाएँ निकालीं, स्कूल और प्रशिक्षण केन्द्र खोले तथा महिलाओं को संगठित किया। भोपाल की बेगमों ने अलीगढ़ में लड़कियों के लिए प्राथमिक स्कूल खोला। बेगम रुकैया सखावत ने कलकत्ता तथा पटना में मुस्लिम लड़कियों के लिए स्कूल खोले पंडिता रमाबाई ने ऊँची जातियों की हिन्दू महिलाओं की दुर्दशा पर एक किताब लिखी तथा पूना में एक विधवा गृह की स्थापना की। महिलाएँ बीसवीं सदी की शुरुआत से महिलाओं को मताधिकार, बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ और शिक्षा के अधिकार के बारे में कानून बनवाने के लिए राजनीतिक दबाव समूह बनाने लगी थीं। उनमें से कुछ महिलाओं ने 1920 के दशक के बाद विभिन्न प्रकार के राष्ट्रवादी और समाजवादी आन्दोलनों में हिस्सा भी लिया। 

RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 8 महिलाएँ, जाति एवं सुधार

प्रश्न 4. 
जाति और समाज सुधार के लिए समाजसुधारकों द्वारा किये गये कुछ प्रयासों का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
जाति और समाज सुधार के लिए समाज सुधारकों द्वारा किये गये कुछ प्रयास निम्न प्रकार हैं-

  • राममोहन रॉय ने जाति व्यवस्था की आलोचना करने वाले एक पुराने बौद्ध ग्रन्थ का अनुवाद किया। 
  • प्रार्थना समाज, जो भक्ति परम्परा का समर्थक था, ने सभी जातियों की आध्यात्मिक समानता पर जोर दिया था। 
  • जाति उन्मूलन के लिए काम करने के लिए बम्बई में 1840 में परमहंस मण्डली का गठन किया गया। 
  • इन सुधारकों और सुधार संगठनों के सदस्यों में से बहुत सारे ऊँची जातियों के लोग थे। गुप्त बैठकों में ये सुधारक भोजन और स्पर्श जैसे मामलों में जातीय कायदेकानूनों का उल्लंघन करते थे जिससे अपने जीवन में भी जातीय पूर्वाग्रहों और बन्धनों से निजात पा सकें। 
  • कई लोग ऐसे भी थे जो जाति आधारित समाज व्यवस्था में होने वाले अन्याय के विरुद्ध थे।

प्रश्न 5. 
गैर-ब्राह्मण जातियों के भीतर से उठी समानता और न्याय की माँग की उदाहरण सहित विवेचना कीजिए। 
उत्तर:
उन्नीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध तक गैर-ब्राह्मण जातियों के भीतर से भी लोग जातीय भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने लगे थे। उन्होंने सामाजिक समानता और न्याय की माँग करते हुए आन्दोलन शुरू कर दिए थे-
(1) मध्य भारत में सतनामी आन्दोलन इसी का एक उदाहरण है। यह आन्दोलन घासीदास ने शुरू किया था। उन्होंने चमड़े का काम करने वालों को संगठित किया और उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार के लिए आन्दोलन छेड़ दिया। 

(2) पूर्वी बंगाल में हरिदास ठाकुर के मतुआ पंथ ने दलित काश्तकारों के बीच काम किया। हरिदास ने जाति व्यवस्था को सही ठहराने वाले ब्राह्मणवादी ग्रन्थों पर सवाल उठाया। 

(3) केरल में ऐझावा निम्न जाति के श्री नारायण गुरु ने. अपने लोगों के बीच एकता का आदर्श रखा। उन्होंने प्रेरणा दी कि उनके पंथ में जाति-भेदभाव नहीं होने चाहिए और सभी को एक गुरु में (यानी कि उनमें) विश्वास रखना चाहिए। 

(4) महाराष्ट्र में ज्योतिराव फुले द्वारा स्थापित सत्यशोधक समाज ने जातीय समानता के समर्थन में कार्य किया। इन सभी पंथों अथवा संगठनों की स्थापना ऐसे लोगों ने की थी जो गैर-ब्राह्मण जातियों से थे और उनके बीच ही काम करते थे। उन्होंने ऐसी आदतों और तौर-तरीकों को बदलने का प्रयास किया जो प्रभुत्वशाली जातियों को अपमान करने के लिए उकसाती थीं। उन्होंने दलितों में स्वाभिमान का भाव पैदा करने का प्रयास किया।

admin_rbse
Last Updated on June 1, 2022, 12:06 p.m.
Published May 31, 2022