RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 7 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना

Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 7 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 7 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना

बहुचयनात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
निम्न में से प्राच्यवादी नहीं है-
(अ) जेम्स मिल 
(ब) विलियम जोन्स 
(स) कोलब्रुक 
(द) नैथेनियल हॉलहेड 
उत्तर:
(अ) जेम्स मिल 

प्रश्न 2. 
बनारस हिन्दू कॉलेज की स्थापना की गई-
(अ) 1781 में 
(ब) 1791 में 
(स) 1801 में
(द) 1830 में
उत्तर:
(ब) 1791 में

प्रश्न 3. 
मैकॉले के मिनट्स के आधार पर अंग्रेजों का शिक्षा अधिनियम पारित किया गया- 
(अ) 1830
(ब) 1832
(स) 1835
(द) 1854 
उत्तर:
(स) 1835

प्रश्न 4. 
शांतिनिकेतन के संस्थापक थे-
(अ) शांतिलाल 
(ब) महात्मा गांधी 
(स) रवीन्द्रनाथ टैगोर 
(द) दयानन्द सरस्वती
उत्तर:
(स) रवीन्द्रनाथ टैगोर 

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प्रश्न 5. 
देशी शिक्षा की विशेषता थी-
(अ) लचीली शिक्षा प्रणाली 
(ब) मौखिक शिक्षा 
(स) अमीरों-गरीबों से अलग-अलग फीस 
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 6. 
महात्मा गाँधी के अनुसार शिक्षा किस भाषा में दी जानी चाहिए?
(अ) उर्दू भाषा में 
(ब) अंग्रेजी भाषा में 
(स) भारतीय भाषा में 
(द) हिन्दी भाषा में
उत्तर:
(स) भारतीय भाषा में 

प्रश्न 7. 
शान्ति निकेतन की स्थापना कब हुई? 
(अ) सन् 1891 में 
(ब) सन् 1901 में 
(स) सन् 1911 में 
(द) सन् 1906 में
उत्तर:
(ब) सन् 1901 में 

प्रश्न 8. 
1781 में अरबी, फारसी, इस्लामिक कानून के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए मदरसा कहाँ खोला गया? 
(अ) कलकत्ता 
(ब) दिल्ली 
(स) मुम्बई 
(द) जयपुर
उत्तर:
(अ) कलकत्ता 

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प्रश्न 9. 
अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीयों को 'अपनी ही भूमि पर अजनबी' बना दिया। किसका मानना था? 
(अ) रविन्द्रनाथ टैगोर 
(ब) बाल गंगाधर तिलक 
(स) गोखले 
(द) महात्मा गाँधी
उत्तर:
(द) महात्मा गाँधी

प्रश्न 10. 
विलियम जोन्स ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा स्थापित सुप्रीम कोर्ट में किस पद पर थे?
(अ) वकील
(ब) जूनियर जज 
(स) सीनियर जज 
(द) मुख्य जज
उत्तर:
(ब) जूनियर जज 

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए- 

1. कानून के माहिर होने के साथ-साथ जोन्स एक ......... भी थे। 
2. ............. प्राच्यवादियों के भारी समर्थक थे। 
3. ............... के अनुसार शिक्षा केवल भारतीय भाषाओं में ही दी जानी चाहिए। 
4. शांतिनिकेतन संस्था ........... में शुरू की गई थी। 
5. ............ भारत को असभ्य देश मानते थे।
6. ........... स्कूलों में शिक्षा का तरीका काफी लचीला था। 
उत्तर:
1. भाषाविद 
2. वारेन हेस्टिंग्स 
3. महात्मा गांधी
4. 1901 
5. मैकाले 
6. देशी। 

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सही या गलत बताइए-

1. विलियम जोन्स प्राच्यवादियों के घोर विरोधी थे। 
2. मैकॉले के मिनट्स के आधार पर 1835 का अंग्रेजों का शिक्षा अधिनियम पारित किया गया। 
3. 1854 के नीतिपत्र के बाद अंग्रेजों ने कोई भी कदम नहीं उठाया। 
4. महात्मा गाँधी एक ऐसी शिक्षा के पक्षधर थे जो भारतीयों में प्रतिष्ठा और स्वाभिमान का भाव पुनर्जीवित करे। 
5. टैगोर ने कला, संगीत और नृत्य के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शिक्षा पर भी जोर दिया। 
उत्तर:
1. गलत 
2. सही 
3. गलत 
4. सही 
5. सही। 

सही मिलान कीजिए-

(अ)

(ब) 

हैनरी टॉमस कोलबुक

अंग्रेजी शिक्षा का विरोध 

जेम्स मिल

शांति निकेतन 

विलियम एडम

भाषाविद

रवीन्द्रनाथ टैगोर

स्कॉटलैंड

महात्मा गाँधी

प्राच्यवादी दृष्टिकोण विरोधी 

उत्तर:

(अ)

(ब) 

हैनरी टॉमस कोलबुक

भाषाविद 

जेम्स मिल

प्राच्यवादी दृष्टिकोण विरोधी

विलियम एडम

स्कॉटलैंड

रवीन्द्रनाथ टैगोर

शांति निकेतन

महात्मा गाँधी

अंग्रेजी शिक्षा का विरोध

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अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
अंग्रेजों का सांस्कृतिक मिशन क्या था? 
उत्तर:
देशी समाज को सभ्य बनाना तथा उनके रीति-रिवाजों और मूल्य-मान्यताओं को बदलना अंग्रेजों का सांस्कृतिक मिशन था। 

प्रश्न 2. 
एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल का गठन किसने किया? 
उत्तर:

  • विलियम जोन्स, 
  • हैनरी टॉमस कोलबुक, तथा 
  • नैथेनियल हॉलहेड। 

प्रश्न 3. 
सन् 1781 में कलकत्ता में मदरसा क्यों खोला गया था? 
उत्तर:
अरबी, फारसी, इस्लामिक कानून के अध्ययन को बढ़ावा देते हुए 1781 में कलकत्ता में मदरसा खोला गया था। 

प्रश्न 4. 
अंग्रेजों का शिक्षा अधिनियम कब लागू किया गया? 
उत्तर:
सन् 1835 में। 

प्रश्न 5. 
1835 के अंग्रेजी शिक्षा अधिनियम के पश्चात् किसे 'अंधकार के मंदिर' की संज्ञा दी गई? 
उत्तर:
प्राच्य संस्थाओं, जैसे कलकत्ता मदरसा तथा बनारस संस्कृत कॉलेज आदि को। 

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प्रश्न 6. 
मिशनरियों ने अपना मिशन कहाँ स्थापित किया? 
उत्तर:
मिशनरियों ने डेनिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनांतर्गत पड़ने वाले क्षेत्र सेरामपुर में अपना मिशन स्थापित किया।

प्रश्न 7. 
1830 के दशक में कंपनी ने देशी स्कूलों में शिक्षा की प्रगति पर रिपोर्ट देने का जिम्मा किसे सौंपा? 
उत्तर:
स्कॉटलैंड के ईसाई प्रचारक विलियम एडम को। 

प्रश्न 8. 
देशी स्कूलों में शिक्षा की दो विशेषताएँ बताइये। 
उत्तर:

  • बच्चों की फीस निश्चित नहीं थी। 
  • सालाना परीक्षा की कोई व्यवस्था नहीं थी। 

प्रश्न 9. 
शांतिनिकेतन में कैसी शिक्षा पर जोर दिया गया? 
उत्तर:
शांतिनिकेतन में कला, संगीत तथा नृत्य के साथसाथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शिक्षा पर भी जोर दिया गया। 

प्रश्न 10. 
भाषाविद का अर्थ बताइये। 
उत्तर:
भाषाविद एक ऐसा व्यक्ति होता है जो कई भाषाओं का जानकार और विद्यार्थी होता है। 

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प्रश्न 11. 
प्राच्यवादी किसे कहते हैं? 
उत्तर:
एशिया की भाषा और संस्कृति का गहन ज्ञान रखने वाले लोग प्राच्यवादी कहलाते हैं। 

प्रश्न 12. 
तत्कालीन समय में मुंशी किसे कहते थे? 
उत्तर:
ऐसा व्यक्ति जो फारसी पढ़ना, लिखना और पढ़ाना जानता हो, तत्कालीन समय में मुंशी कहलाता था।

प्रश्न 13. 
एशियाटिक रिसर्च नामक शोध पत्रिका का प्रकाशन किसने शुरू किया? 
उत्तर:
एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल ने एशियाटिक रिसर्च नामक शोध पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया। 

प्रश्न 14. 
प्राच्यवाद के दो घोर आलोचकों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  • जेम्स मिल 
  • थॉमस बैबिंगटन मैकाले। 

प्रश्न 15. 
वुड्स डिस्पैच कब जारी किया गया? 
उत्तर:
वुड्स डिस्पैच 1854 में जारी किया गया। 

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लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
प्राच्यवादी अंग्रेजी अधिकारियों के अनुसार 'देशी जनता' का दिल किस प्रकार जीता जा सकता था? 
उत्तर:

  • शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय ज्ञान को प्रोत्साहन दिया जाये। 
  • हिन्दुओं तथा मुसलमानों को वही पढ़ाया जाये जिससे वे पहले से परिचित हैं तथा जिसे वे आदर और महत्त्व देते हैं।
  • उन्हें अनजाने विषयों की शिक्षा न दी जाये। 

प्रश्न 2. 
प्राचीन भारतीय ज्ञान के समर्थक चार अंग्रेजों के नाम लिखिये। 
उत्तर:

  • विलियम जोन्स 
  • हेनरी टॉमस कोलब्रुक 
  • नैथेनियल हॉलहेड 
  • वारेन हेस्टिंग्स। 

प्रश्न 3. 
'वुड के डिस्पैच' से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:
1854 में ईस्ट इंडिया कंपनी के लंदन स्थित बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने भारतीय गवर्नर जनरल को शिक्षा के विषय में एक नीतिपत्र भेजा। चूँकि यह नीतिपत्र चार्ल्स वुड के नाम से जारी किया गया था, अतः इसे 'वुड के डिस्पैच' के नाम से जाना जाने लगा। 

प्रश्न 4. 
19वीं सदी में भारत में सक्रिय ईसाई प्रचारकों द्वारा व्यावहारिक शिक्षा की आलोचना क्यों की गई? 
उत्तर:
ईसाई प्रचारकों का मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य लोगों के नैतिक चरित्र में सुधार लाना होना चाहिए तथा नैतिकता का उत्थान केवल ईसाई शिक्षा के जरिए ही संभव होगा। 

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प्रश्न 5. 
1813 तक ईस्ट इंडिया कंपनी ईसाई प्रचारकों की गतिविधियों के विरुद्ध क्यों थी? 
उत्तर:
कम्पनी को डर था कि प्रचारकों की गतिविधि स्थानीय लोगों के बीच असंतोष पैदा करेगी और लोग भारत में अंग्रेजों की उपस्थिति को शक की नजर से देखने लगेंगे। इसलिए कम्पनी उनके विरुद्ध थी। 

प्रश्न 6. 
1857 के पश्चात् ब्रिटिश सरकार प्रचारक शिक्षा को प्रत्यक्ष सहायता देने में क्यों आनाकानी करने लगी? 
उत्तर:
1857 के विद्रोह के पश्चात् ब्रिटिश सरकार को लगता था कि स्थानीय रीति-रिवाजों, व्यवहारों, मूल्यमान्यताओं और धार्मिक विचारों से किसी भी तरह की छेड़छाड़ 'देशी' लोगों को भड़का सकती थी। अतः वह प्रचारक शिक्षा को प्रत्यक्ष सहायता देने में आनाकानी करने लगी। 

प्रश्न 7. 
कोई एक उदाहरण देकर समझाइये कि देशी स्कूलों में शिक्षा स्थानीय आवश्यकताओं के लिए काफी अनुकूल थी।
उत्तर:
देशी स्कूलों में शिक्षा स्थानीय आवश्यकताओं के लिए काफी अनुकूल थी। उदाहरणार्थ फसलों की कटाई के समय कक्षाएँ बंद हो जाती थीं क्योंकि उस समय गाँव के बच्चे प्रायः खेतों में काम करने चले जाते थे। कटाई और अनाज निकल जाने के बाद पाठशाला दोबारा शुरू हो जाती थी। इसका परिणाम यह था कि साधारण काश्तकारों के बच्चे भी पढ़ाई कर सकते थे। 

प्रश्न 8. 
शिक्षा के बारे में टैगोर तथा महात्मा गांधी के विचारों में क्या अन्तर था?
उत्तर:
टैगोर और महात्मा गांधी शिक्षा के बारे में भिन्न मत भी रखते थे। गांधीजी पश्चिमी सभ्यता और मशीनों व प्रौद्योगिकी की उपासना के कट्टर आलोचक थे जबकि टैगोर आधुनिक पश्चिमी सभ्यता और भारतीय परंपरा के श्रेष्ठ तत्त्वों का सम्मिश्रण चाहते थे। इसलिए उन्होंने शांतिनिकेतन में कला, संगीत और नृत्य के साथ-साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शिक्षा पर भी जोर दिया।

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प्रश्न 9. 
वर्नाकुलर से क्या आशय है? बताइये।
उत्तर:
वर्नाकुलर शब्द आमतौर पर मानक भाषा के अलग किसी स्थानीय भाषा या बोली के लिए इस्तेमाल किया जाता है। भारत जैसे औपनिवेशिक देशों में अंग्रेज रोजमर्रा इस्तेमाल की स्थानीय भाषाओं और साम्राज्यवादी शासकों की भाषा अंग्रेजी के बीच फर्क को चिह्नित करने के लिए | इस शब्द का इस्तेमाल करते थे। 

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
विलियम जोन्स कौन था? इसके बारे में लिखिये।
अथवा 
विलियम जोन्स पर एक लेख लिखिये।
उत्तर:
विलियम जोन्स-विलियम जोन्स सन् 1783 में कलकत्ता आया था। वह ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा स्थापित सुप्रीम कोर्ट में जूनियर जज था। कानून विशेषज्ञ होने के साथ-साथ वह एक भाषाविद भी था। वह ग्रीक, लैटिन, फ्रैंच, अंग्रेजी, अरबी, फारसी आदि भाषाएँ जानता था। 

उसे भारत के प्राचीन ज्ञान से बहुत लगाव था। कलकत्ता आने के बाद उसने संस्कृत विद्वानों से संस्कृत व्याकरण तथा संस्कृत काव्यों का अध्ययन किया। 

उसने कानून, दर्शन, धर्म, राजनीति, नैतिकता, अंकगणित, चिकित्सा विज्ञान तथा अन्य विज्ञानों की प्राचीन भारतीय पुस्तकों का भी अध्ययन किया। 

जोन्स ने हैनरी टॉमस कोलबुक तथा नैथेनियल हॉलहेड के साथ मिलकर एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल का गठन किया तथा एशियाटिक रिसर्च नामक शोध पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया। जोन्स की राय थी कि भारत में शिक्षा के क्षेत्र में अंग्रेजों को पश्चिमी ज्ञान की बजाय भारतीय ज्ञान को ही प्रोत्साहन देना चाहिए। 

प्रश्न 2. 
1854 के 'वुड्स डिस्पैच' की मुख्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिए। 
उत्तर:

  • यह शिक्षा के विषय में एक नोट था। चूंकि यह कम्पनी के नियंत्रक मण्डल के अध्यक्ष चार्ल्स वुड के नाम से जारी किया गया था, अतः इसे 'वुड्स डिस्पैच' कहा जाता है। 
  • इस डिस्पैच में प्राच्यवादी ज्ञान के स्थान पर यूरोपीय शिक्षा अपनाने से होने वाले व्यावहारिक लाभ पर बल दिया गया। 
  • इसके मुताबिक यूरोपीय शिक्षा के माध्यम से भारतीयों को व्यापार-वाणिज्य के विस्तार से होने वाले लाभों को समझने में मदद मिलेगी।
  • इसके अनुसार युरेपीए जीवन सैली से परिचित होने पर उनकी रुचि तथा इच्छाओं में बदलाव आएगा तथा ब्रिटिश वस्तुओं की माँग पैदा होगी। 
  • इसके अनुसार यूरोपीय शिक्षा से भारतीयों के नैतिक चरित्र का उत्थान होगा। 
  • इसके अनुसार प्राच्य साहित्य न केवल भयानक त्रुटियों से भरा हुआ था बल्कि यह लोगों में काम के प्रति दायित्व और समर्पण का भाव भी पैदा नहीं कर सकता था। 

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प्रश्न 3. 
1854 के वुड्स डिस्पैच के बाद शिक्षा के क्षेत्र में क्या कदम उठाये गये? वर्णन कीजिये। 
उत्तर:
1854 के वुड्स डिस्पैच के बाद शिक्षा के क्षेत्र में अनेक कदम उठाये गये। इनमें प्रमुख निम्न प्रकार हैं-

  • सरकारी शिक्षा विभागों का गठन किया गया जिससे शिक्षा सम्बन्धी सभी मामलों पर सरकार का नियंत्रण स्थापित किया जा सके। 
  • विश्वविद्यालयी शिक्षा की व्यवस्था विकसित करने के लिए भी अनेक कदम उठाये गये। 
  • 1857 में जब मेरठ और दिल्ली में सिपाही विद्रोह कर रहे थे उसी समय कलकत्ता, मद्रास और बम्बई विश्वविद्यालयों की स्थापना की जा रही थी। 
  • वुड्स डिस्पैच के बाद स्कूली शिक्षा प्रणाली में भी अनेक परिवर्तन किये गये।

प्रश्न 4. 
देशी स्कूलों में शिक्षा की प्रगति पर विलियम . एडम की रिपोर्ट के प्रमुख बिन्दु दीजिये।
अथवा
1850 के पहले भारत में देशी स्कूलों में शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:

  • विलियम एडम के अनुसार बंगाल और बिहार में एक लाख से ज्यादा पाठशालाएँ थीं। ये बहुत छोटे-छोटे केंद्र थे जिनमें आम तौर पर 20 से ज्यादा विद्यार्थी नहीं होते थे। फिर भी, इन पाठशालाओं में पढ़ने वाले बच्चों की कुल संख्या काफी बड़ी थीं। 
  • ये पाठशालाएँ सम्पन्न लोगों या स्थानीय समुदाय द्वारा चलाई जा रही थीं। कई पाठशालाएँ स्वयं गुरु द्वारा ही प्रारम्भ की गई थीं। 
  • देशी स्कूलों में शिक्षा का तरीका काफी लचीला था। 
  • बच्चों की फीस निश्चित नहीं थी। यह उनके माँ-बाप की आमदनी से तय होती थी : अमीरों को ज्यादा और गरीबों को कम फीस देनी पड़ती थी। 
  • छपी हुई किताबें नहीं होती थीं, पाठशाला की इमारत अलग से नहीं बनाई जाती थी, बेंच और कुर्सियाँ नहीं होती थीं, ब्लैक बोर्ड नहीं होते थे, अलग से कक्षाएँ लेने, बच्चों की हाजिरी लेने का कोई इंतजाम नहीं होता था, सालाना इम्तेहान और नियमित समय-सारणी जैसी कोई व्यवस्था नहीं थी। 
  • कुछ पाठशालाएँ बरगद की छाँव में ही चलती थीं तो कई गाँव की किसी दुकान या मंदिर के कोने में या गुरु के घर पर ही बच्चों को पढ़ाया जाता था। 
  • शिक्षा मौखिक होती थी और क्या पढ़ाना है यह बात विद्यार्थियों की जरूरतों को देखते हुए गुरु ही तय करते थे। 
  • विद्यार्थियों को अलग कक्षाओं में नहीं बिठाया जाता था। सभी एक जगह, एक साथ बैठते थे। अलग-अलग स्तर के विद्यार्थियों के साथ गुरु अलग से बात कर लेते थे। 

प्रश्न 5. 
1854 के बाद कम्पनी ने देशी शिक्षा व्यवस्था में क्या परिवर्तन किये? 
उत्तर:

  • 1854 के बाद कंपनी ने देशी शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने हेतु इसकी मौजूदा व्यवस्था के भीतर बदलाव किया। कंपनी ने एक नई दिनचर्या, नए नियमों और नियमित निरीक्षणों के जरिए पाठशालाओं को और व्यवस्थित किया। 
  • इसके लिए सबसे पहले तो कंपनी ने बहुत सारे पंडितों को सरकारी नौकरी पर रख लिया। इनमें से प्रत्येक पंडित को 4-5 स्कूलों की देखरेख का जिम्मा सौंपा जाता था। पंडितों का काम पाठशालाओं का दौरा करना और वहाँ अध्यापन की स्थितियों में सुधार लाना था। 
  • प्रत्येक गुरु को निर्देश दिया गया कि वे समय-समय पर अपने स्कूल के बारे में रिपोर्ट भेजें और कक्षाओं को नियमित समय-सारणी के अनुसार पढ़ाएँ।
  • अध्यापन को पाठ्यपुस्तकों पर आधारित किया गया और विद्यार्थियों की प्रगति को मापने के लिए वार्षिक परीक्षाओं की रूपरेखा तैयार की जाने लगी। 
  • विद्यार्थियों से कहा गया कि वे नियमित रूप से शुल्क दें, नियमित रूप से कक्षा में आएँ, तय सीट पर बैठें और अनुशासन के नियमों का पालन करें। 

RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 7 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना

प्रश्न 6. 
कम्पनी द्वारा देशी शिक्षा व्यवस्था में किये गये परिवर्तनों का क्या प्रभाव पड़ा? वर्णन कीजिये। 
उत्तर:
कम्पनी द्वारा देशी शिक्षा व्यवस्था में किये गये परिवर्तनों का प्रभाव निम्न प्रकार है-
(1) नए नियमों पर चलने वाली पाठशालाओं को सरकारी अनुदान मिलने लगे। जो पाठशालाएँ नई व्यवस्था के भीतर काम करने को तैयार नहीं थीं उन्हें कोई सरकारी सहायता नहीं दी जाती थी। 

(2) जिन गुरुओं ने सरकारी निर्देशों का पालन करने की बजाय अपनी स्वतंत्रता बनाए रखी वे सरकारी सहायता प्राप्त और नियमों से चलने वाली पाठशालाओं के सामने कमजोर पड़ने लगे। 

(3) पहले वाली व्यवस्था में गरीब किसानों के बच्चे भी पाठशालाओं में जा सकते थे क्योंकि शालाओं की समयसारणी काफी लचीली होती थी। किन्तु नई व्यवस्था के अनुशासन की माँग थी कि बच्चे नियमित रूप से स्कूल आएँ। अब कटाई के मौसम में भी बच्चों का स्कूल में आना जरूरी था जबकि उस समय गरीब घरों के बच्चे खेतों में काम करने जाया करते थे। अगर कोई बच्चा स्कूल नहीं आ पाता था तो इसे अनुशासनहीनता माना जाता था यानी, बच्चा पढ़ना-लिखना ही नहीं चाहता। इस प्रकार गरीब बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ा। 

प्रश्न 7. 
टैगोर को शान्तिनिकेतन की स्थापना की प्रेरणा कहाँ से मिली? वे कैसा स्कूल खोलना चाहते थे? 
उत्तर:
(1) टैगोर को शान्तिनिकेतन की स्थापना की प्रेरणा अपने स्कूल जीवन के अनुभवों से मिली थी। 

(2) टैगोर निम्न विशेषताओं वाला स्कूल खोलना चाहते थे-
(i) टैगोर एक ऐसा स्कूल खोलना चाहते थे जहाँ बच्चे खुश रह सकें, जहाँ वे मुक्त और रचनाशील हों, जहाँ वे अपने विचारों और आकांक्षाओं को समझ सकें। 
(ii) टैगोर के अनुसार बचपन का समय अपने आप सीखने का समय होता है। वह अंग्रेजों द्वारा स्थापित की गई शिक्षा व्यवस्था के कड़े और बंधनकारी अनुशासन से मुक्त होना चाहिए। 
(iii) स्कूल के शिक्षक कल्पनाशील हों, बच्चों को समझते हों और उनके अंदर उत्सुकता, जानने की चाह विकसित करने में मदद दें। टैगोर के मुताबिक, वर्तमान स्कूल बच्चे की रचनाशीलता, चकित होने के उसके स्वाभाविक गुण को मार देते हैं। 
(iv) टैगोर का मानना था कि सृजनात्मक शिक्षा को केवल प्राकृतिक परिवेश में ही प्रोत्साहित किया जा सकता है। इसीलिए उन्होंने कलकत्ता से 100 किलोमीटर दूर एक ग्रामीण परिवेश में अपना स्कूल खोलने का फैसला लिया। उन्हें यह जगह निर्मल शांति से भरी (शांतिनिकेतन) दिखाई दी जहाँ प्रकृति के साथ जीते हुए बच्चे अपनी स्वाभाविक सृजनात्मक मेधा को और विकसित कर सकते थे।

admin_rbse
Last Updated on May 31, 2022, 8:22 p.m.
Published May 31, 2022