Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Important Questions History Chapter 1 कैसे, कब और कहाँ Important Questions and Answers.
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बहुचयनात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत का प्रथम गवर्नर-जनरल था-
(अ) रॉबर्ट क्लाइव
(ब) वॉरेन हेस्टिंग्स
(स) डलहौजी
(द) वेलेजली।
उत्तर:
(ब) वॉरेन हेस्टिंग्स
प्रश्न 2.
भारत का अन्तिम वायसरॉय था-
(अ) लॉर्ड माउन्टबैटन
(ब) लॉर्ड कर्जन
(स) इरविन
(द) प्रिंस चार्ल्स।
उत्तर:
(अ) लॉर्ड माउन्टबैटन
प्रश्न 3.
रॉबर्ट क्लाइव ने हिन्दुस्तान के नक्शे तैयार करने का काम सौंपा था-
(अ) जेम्स मिल को
(ब) वारेन हेस्टिंग्स को
(स) जेम्स रेनेल को
(द) ड्यूक ऑफ कनॉट को।
उत्तर:
(स) जेम्स रेनेल को
प्रश्न 4.
भारतीय इतिहास के प्रमुख स्रोत हैं-
(अ) सरकारी दस्तावेज
(ब) अखबारों की रिपोर्ट
(स) यात्रियों के संस्मरण
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 5.
ब्रिटिश सत्ता का प्रतीक है-
(अ) जेम्स रेनेल
(ब) रॉबर्ट क्लाइव
(स) ब्रिटेनिया
(द) रानी विक्टोरिया
उत्तर:
(स) ब्रिटेनिया
प्रश्न 6.
जेम्स मिल कहाँ का निवासी था?
(अ) आयरलैंड
(ब) स्कॉटलैंड
(स) फिनलैंड
(द) नीदरलैंड
उत्तर:
(ब) स्कॉटलैंड
प्रश्न 7.
खुशनवीसी का आशय है?
(अ) बहुत सुन्दर ढंग से चीजें लिखने वाले
(ब) बहुत खुश रहने वाले
(स) सुन्दर नक्काशी करने वाले
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) बहुत सुन्दर ढंग से चीजें लिखने वाले
प्रश्न 8.
भारत में छपाई तकनीक फैलने लगी थी-
(अ) 18वीं सदी के प्रारम्भ में
(ब) 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में
(स) 19वीं सदी के मध्य तक
(द) 20वीं सदी में
उत्तर:
(स) 19वीं सदी के मध्य तक
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. आम समझ के हिसाब से .............. को तारीखों का पर्याय माना जाता था।
2. महत्त्वपूर्ण दस्तावेजों को बचाकर रखने के लिए ............. होते हैं।
3. ............ ऐसे लोग होते हैं जो बहुत सुन्दर ढंग से चीजें लिखते हैं।
4. उन्नीसवीं सदी के मध्य तक ............ तकनीक भी फैलने लगी थी।
5. ........... के शासन में लोगों के पास समानता, स्वतन्त्रता या मुक्ति नहीं थी।
उत्तर:
1. इतिहास,
2. अभिलेखागार,
3. खुशनवीसी/ सुलेखनवीस,
4. छपाई
5. अंग्रेजों।
सही या गलत बताइए-
1. आम समझ के हिसाब से इतिहास को तारीखों का पर्याय माना जाता था।
2. अंग्रेजी शासन से पहले सारा अंधकार का दौर था।
3. डायरियों, आत्मकथाओं, संस्मरण आदि से आम पढ़ेलिखे लोगों की सोच पता चलती है।
4. अंग्रेजों को लगता था कि दस्तावेजों का कोई महत्त्व नहीं होता।
उत्तर:
1. सही
2. गलत
3. सही
4. गलत।
सही मिलान कीजिए-
(अ) |
(ब) |
जेम्स रेनेल |
भारत के पहले गवर्नर जनरल |
लॉर्ड माउंटबैटन |
हिन्दुस्तान के नक्शे |
जेम्स मिल |
आखिरी वायसरॉय |
वॉरेन हेस्टिंग्स |
अर्थशास्त्री एवं राजनीतिक दार्शनिक |
उत्तर:
(अ) |
(ब) |
जेम्स रेनेल |
हिन्दुस्तान के नक्शे |
लॉर्ड माउंटबैटन |
आखिरी वायसरॉय |
जेम्स मिल |
अर्थशास्त्री एवं राजनीतिक दार्शनिक |
वॉरेन हेस्टिंग्स |
भारत के पहले गवर्नर-जनरल |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
क्या इतिहास को केवल तारीखों का पर्याय माना जा सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर:
नहीं। क्योंकि कई ऐतिहासिक घटनाएँ एक लम्बी प्रक्रिया का परिणाम हो सकती हैं।
प्रश्न 2.
भारत के कोई चार गवर्नर-जनरलों के नाम दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
ब्रिटिश इतिहासकारों द्वारा लिखे गये भारतीय इतिहास में मुख्यतः किनका वर्णन है?
उत्तर:
इनके द्वारा लिखे गये इतिहास में मुख्यतः गवर्नर जनरलों तथा वायसरॉयों की नीतियों एवं कार्यों का वर्णन है।
प्रश्न 4.
जेम्स मिल कौन था?
उत्तर:
जेम्स मिल स्कॉटलैण्ड का अर्थशास्त्री तथा राजनीतिक दार्शनिक था।
प्रश्न 5.
जेम्स मिल द्वारा रचित पुस्तक का नाम लिखिए।
उत्तर:
ए हिस्ट्री ऑफ ब्रिटिश इण्डिया (ब्रिटिश भारत का इतिहास)।
प्रश्न 6.
जेम्स मिल ने भारतीय इतिहास को कितने कालखण्डों में बाँटा था?
उत्तर:
तीन कालखण्डों में-
प्रश्न 7.
एशियाई समाजों के बारे में मिल को क्या लगता था?
उत्तर:
मिल को लगता था कि सभी एशियाई समाज सभ्यता के मामले में यूरोप से पीछे हैं।
प्रश्न 8.
इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास को अंग्रेजों से भिन्न रूप से कितने काल-खण्डों में बाँटा है?
उत्तर:
तीन काल-खण्डों में-
प्रश्न 9.
भारत के औपनिवेशिक इतिहास लेखन के कोई दो महत्त्वपूर्ण स्रोत बतलाइये।
उत्तर:
प्रश्न 10.
जनगणना से क्या जानकारियाँ एकत्रित की जाती थीं?
उत्तर:
जनगणना के द्वारा भारत के सभी प्रान्तों में रहने वाले लोगों की संख्या, उनकी जाति, इलाके और व्यवसाय के बारे में जानकारियाँ एकत्रित की जाती थीं।
प्रश्न 11.
खुशनवीसी कौन होते हैं?
उत्तर:
खुशनवीसी या सुलेखनवीस वे लोग होते हैं जो बहुत सुन्दर ढंग से चीजें लिखते हैं।
प्रश्न 12.
पश्चिम में आधुनिक काल को क्या माना जाता हैं।
उत्तर:
पश्चिम में आधुनिक काल को विज्ञान, तर्क, लोकतंत्र, मुक्ति और समानता जैसी आधुनिकता की ताकतों के विकास का युग माना जाता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
इतिहास क्या है? समझाइए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
आधुनिक इतिहासकार किस तरह के मुद्दों तथा सवालों पर भी लिखने लगे हैं?
उत्तर:
वर्तमान में इतिहासकार निम्न बातों पर भी लिखने लगे हैं-
प्रश्न 3.
कोई इतिहास या कहानी लिखते समय उसे टुकड़ों या अध्यायों में क्यों बाँटा जाता है?
उत्तर:
प्रश्न 4.
इतिहास को अलग-अलग काल-खण्डों में बाँटने का प्रयत्न क्यों किया जाता है?
उत्तर:
इतिहास को अलग-अलग काल-खण्डों में बाँटने का प्रयत्न इसलिये किया जाता है जिससे किसी एक दौर अथवा समयावधि की विशेषताओं तथा उसके केन्द्रीय तत्त्वों को समझा जा सके। काल-खण्डों में बाँटने से एक अवधि से दूसरी अवधि के बीच आए बदलावों की भी जानकारी हो जाती थी।
प्रश्न 5.
इतिहासकार औपनिवेशिक युग किसे कहते हैं?
उत्तर:
अंग्रेजों के शासन काल में लोगों के पास समानता, स्वतन्त्रता या आजादी नहीं थी तथा न ही यह आर्थिक विकास और प्रगति का दौर था। इस दौर को इतिहासकार ।'औपनिवेशिक युग' कहते हैं।
प्रश्न 6.
औपनिवेशीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब एक देश पर दूसरे देश के दबदबे से वहाँ राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक बदलाव (मूल मान्यताओं, पसन्द-नापसन्द तथा रीति-रिवाज व तौरतरीकों आदि में बदलाव) आते हैं, तो इस प्रक्रिया को औपनिवेशीकरण कहते हैं।
प्रश्न 7.
भारत की अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए अंग्रेजों ने क्या कोशिशें की?
उत्तर:
प्रश्न 8.
अभिलेखागारों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
प्रश्न 9.
दस्तावेजों की प्रतियाँ किस प्रकार बनाई जाती थीं?
उत्तर:
खुशनवीसी या सुलेखनवीस दस्तावेजों की सावधानीपूर्वक नकलें बनाते थे। उन्नीसवीं सदी के मध्य तक छपाई तकनीक प्रचलित होने के कारण अब इसके द्वारा दस्तावेजों की प्रतियाँ बनाई जाने लगी थीं।
प्रश्न 10.
अंग्रेजी शासन के दौरान किये जाने वाले प्रमुख सर्वेक्षण बतलाइये।
उत्तर:
अंग्रेजी शासन के दौरान अनेक प्रकार के सर्वेक्षण कराये गये। इनमें प्रमुख निम्न थे-
प्रश्न 11.
औपनिवेशिक शासन में कराये गये सर्वेक्षणों के उद्देश्य बताइये।
उत्तर:
प्रश्न 12.
अधिकृत सरकारी रिकार्डों से हमें क्या पता चलता है?
उत्तर:
अधिकृत सरकारी रिकार्डों से हमें केवल निम्न सूचनाएँ मिलती हैं-
प्रश्न 13.
सरकारी रिकॉर्ड्स की क्या सीमाएँ थीं? वर्णन कीजिए।
अथवा
इतिहास के स्रोत के रूप में सरकारी रिकॉर्ड्स का अध्ययन करते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगे?
उत्तर:
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
आपके विचारानुसार किसी ऐसी घटना या प्रक्रिया के लिए कोई तारीख तय कर देना क्यों गलत है, जो एक लम्बे समय तक चलती रहती है?
उत्तर:
ऐसी प्रक्रियाओं के लिए जो एक लम्बे समय तक चलती रहती हैं कोई तारीख तय करना गलत होता है क्योंकि समय को हमेशा साल या महीनों के पैमाने पर ही नहीं देखा जा सकता। जैसे भारत में लोगों ने अचानक एक दिन सुबह-सवेरे चाय पीना शुरू नहीं कर दिया था। इसका स्वाद धीरे-धीरे ही उनकी जबान पर चढ़ा था। इस तरह की प्रक्रियाओं के लिए कोई स्पष्ट तिथि नहीं हो सकती। इसी तरह हम ब्रिटिश शासन की स्थापना के लिए भी कोई एक तिथि नहीं बता सकते। राष्ट्रीय आन्दोलन किस दिन शुरू हुआ या अर्थव्यवस्था या समाज में किस दिन बदलाव आए इसके लिए भी कोई एक तारीख बताना सम्भव नहीं है। ये सारी चीजें एक लम्बे समय में घटती हैं। ऐसे में हम सिर्फ एक अवधि की ही बात कर सकते हैं, एक लगभग सही अवधि के बारे में बता सकते हैं जब वे खास बदलाव दिखाई देने शुरू हुए होंगे।
प्रश्न 2.
लोग इतिहास को तारीखों से जोड़कर क्यों देखते हैं? समझाइए।
उत्तर:
अधिकांश लोग इतिहास को तारीखों से जोड़ कर देखते हैं। इस जुड़ाव का मुख्य कारण है कि किसी समय युद्ध और बड़ी-बड़ी घटनाओं के ब्यौरों को ही इतिहास माना जाता था यह इतिहास राजा-महाराजाओं और उनकी नीतियों के बारे में होता था। इतिहासकार यह लिखते थे कि कौनसे साल राजा को ताज पहनाया गया, किस साल उसका विवाह हुआ, किस साल उसके घर में बच्चा पैदा हुआ, कौनसे साल उसने कौनसी लड़ाई लड़ी, वह कब मरा और उसके बाद कब कौनसा शासक गद्दी पर बैठा। इस तरह की घटनाओं के लिए निश्चित तिथि आसानी से बताई भी जा सकती है। अतः इस तरह के इतिहासों में तिथियों का महत्त्व बना रहता है और लोग उसे तारीखों से ही जोड़कर देखते हैं।
प्रश्न 3.
भारत में ब्रिटिश इतिहासकारों द्वारा लिखे गये इतिहासों की सामान्य विशेषता बताइये।
उत्तर:
भारत में ब्रिटिश इतिहासकारों द्वारा लिखे गये इतिहासों |की मुख्य सामान्य विशेषता है कि उन्होंने जो भी इतिहास लिखे उनमें भारत के हरेक गवर्नर-जनरल का शासनकाल महत्त्वपूर्ण है। ये इतिहास प्रथम गवर्नर-जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स के शासन से शुरू होते थे और आखिरी वायसरॉय लॉर्ड माउण्टबैटन के साथ खत्म होते थे। इनमें दूसरे गवर्नर जनरलों-हेस्टिंग्स, वेलेज्ली, बेंटिंक, डलहौजी, कैनिंग, लॉरेन्स, लिटन, रिपन, कर्जन, हार्डिंग, इरविन के बारे में भी खूब वर्णन है। इनके इतिहास में गवर्नर जनरलों और वायसरॉयों का कभी न खत्म होने वाला सिलसिला ही छाया रहता था। इतिहास की इन किताबों में सारी तारीखों का महत्त्व इन अधिकारियों, उनकी गतिविधियों, नीतियों, उपलब्धियों के आधार पर ही तय होता था। यह ऐसे था मानो इन लोगों के जीवन के बाहर कोई ऐसी चीज नहीं थी जिसे जानना महत्त्वपूर्ण हो। इन लोगों के जीवन का क्रम ब्रिटिश भारत के इतिहास में अलग-अलग अध्यायों का विषय बन जाता था। भारतीय समाज के अन्य पक्षों का इन्होंने बहुत कम वर्णन किया है।
प्रश्न 4.
एशियाई समाज, संस्कृति एवं सभ्यता विशेषतः भारत के प्रति जेम्स मिल के क्या विचार थे?
उत्तर:
एशियाई समाज, संस्कृति एवं सभ्यता के प्रति जेम्स मिल के विचार पूर्वाग्रह से ग्रसित थे। वह अंग्रेजी शासन को प्रगति तथा सभ्यता का प्रतीक मानता था। उसके अनुसार सारे एशियाई समाज सभ्यता के मामले में यूरोप से पीछे थे। इतिहास की उसकी समझदारी ये थी कि भारत में अंग्रेजों के आने से पहले यहाँ हिन्दू और मुसलमान तानाशाहों का ही राज चलता था। यहाँ चारों ओर केवल धार्मिक बैर, जातिगत बन्धनों और अन्धविश्वासों का ही बोलबाला था। मिल के अनुसार ब्रिटिश शासन ही भारत में सभ्यता ला सकता था। मिल ने यहाँ तक सुझाव दिया कि अंग्रेजों को भारत के सम्पूर्ण भू-भाग पर कब्जा कर लेना चाहिए जिससे भारतीयों को ज्ञान तथा सुखी जीवन प्रदान किया जा सके। वह अंग्रेजी शासन से पहले यहाँ अन्धकार का दौर मानता था।
प्रश्न 5.
अंग्रेजों द्वारा सझाए गये वर्गीकरण से हटकर इतिहासकारों द्वारा भारतीय इतिहास को जिस तरह से काल-खण्डों में बाँटा गया है, उसकी क्या समस्याएँ हैं?
उत्तर:
अन्य इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास को प्राचीन काल, मध्य काल तथा आधुनिक काल में बाँटा है। इस विभाजन की निम्न समस्याएँ हैं-
प्रश्न 6.
अंग्रेजों की किस समझदारी के चलते ज्ञापन, टिप्पणी और प्रतिवेदन पर आधारित शासन की संस्कृति पैदा हई?
उत्तर:
अंग्रेजों की मान्यता थी कि चीजों को लिखना बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। उनके लिए हर निर्देश, हर योजना, नीतिगत फैसले, सहमति, जांच को साफ-साफ लिखना जरूरी था। वे तमाम अहम दस्तावेजों तथा पत्रों को सँभालकर रखना भी आवश्यक समझते थे। उनका मानना था कि ऐसा करने के बाद चीजों का अच्छी तरह अध्ययन किया जा सकता था और उन पर वाद-विवाद किया जा सकता था। अंग्रेजों की उक्त समझदारी के चलते ज्ञापन, टिप्पणी और प्रतिवेदन पर आधारित शासन की संस्कृति पैदा हुई।
प्रश्न 7.
भारत के पिछले 250 वर्षों का इतिहास जानने के प्रमुख स्रोतों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत के पिछले 250 वर्षों का इतिहास जानने के प्रमुख स्रोत निम्न प्रकार हैं-
(1) सरकारी रिकॉर्ड-अंग्रेजी शासन में रखे गये सरकारी रिकार्ड इतिहासकारों का महत्त्वपूर्ण साधन हैं। अंग्रेज विश्वास करते थे कि चीजों को लिखना बहुत महत्त्वपूर्ण होता है। अंग्रेज सभी महत्त्वपूर्ण दस्तावेजों तथा पत्रों को सम्भालकर रखना आवश्यक मानते थे। उन्होंने विभिन्न दफ्तरों के अलग अलग रिकार्ड रूम बनवाये थे। महत्त्वपूर्ण दस्तावेजों को बचाकर रखने के लिए अभिलेखागार और संग्रहालय आदि बनवाये थे। इनमें उपलब्ध सरकारी रिकार्डों तथा दस्तावेजों से भारत के पिछले इतिहास को जानने में बहुत मदद मिलती है।
(2) सर्वेक्षण रिपोर्ट-औपनिवेशिक शासन के दौरान अनेक सर्वेक्षण किये गये। इन सर्वेक्षण रिपोर्टों से भी हमें भारत के पिछले 250 वर्षों के इतिहास को जानने में मदद मिलती है।
(3) अन्य स्रोत-उक्त दोनों प्रकार के स्रोतों से अधिकांशतः सरकारी अफसरों की सोच का ही पता चल पाता है। देश के अन्य लोगों के विचार जानने के लिए लोगों की डायरियों, यात्रियों के संस्मरणों, महत्त्वपूर्ण लोगों की आत्मकथाओं, विभिन्न पुस्तक-पुस्तिकाओं तथा अखबारों की खबरों को स्रोत के रूप में काम में लिया जाता है।
प्रश्न 8.
आपके विचार में सरकारी अफसरों को छोड़कर देश के दूसरे लोगों के विचारों के बारे में जानने के क्या स्रोत हैं?
उत्तर:
सरकारी अफसरों के विचार अधिकृत सरकारी रिकार्ड्स से पता चलते हैं। इन्हें छोड़कर देश के दूसरे लागों के विचारों के बारे में जानने हेतु अन्य स्रोतों की आवश्यकता है। इस हेतु लोगों द्वारा लिखी गई डायरियाँ, तीर्थ यात्राओं एवं यात्रियों के संस्मरण, महत्त्वपूर्ण लोगों की आत्मकथाएँ और स्थानीय बाजारों में बिकने वाली लोकप्रिय पुस्तकपुस्तिकाएँ आदि महत्त्वपूर्ण हैं। छपाई की तकनीक के विकास के बाद अखबारों की भी इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका है। नेताओं तथा सुधारकों द्वारा लिखे गये लेख तथा कवियों एवं उपन्यासकारों द्वारा रचित रचनाएँ भी इन स्रोतों में शामिल हैं। लेकिन इन स्रोतों से भी केवल पढ़ना-लिखना जानने वाले लोगों के विचार ही मालूम होते हैं।