RBSE Class 8 Social Science Important Questions Geography Chapter 2 भूमि, मृदा, जल, प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन

Rajasthan Board RBSE Class 8 Social Science Important Questions Geography Chapter 2 भूमि, मृदा, जल, प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 8 Social Science Important Questions Geography Chapter 2 भूमि, मृदा, जल, प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन

बहुचयनात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
पृथ्वी के कितने प्रतिशत भाग पर भूमि है-
(क) 20 प्रतिशत 
(ख) 30 प्रतिशत 
(ग) 40 प्रतिशत 
(घ) 50 प्रतिशत 
उत्तर:
(ख) 30 प्रतिशत 

प्रश्न 2. 
भूमि का उपयोग निम्न में से किस कार्य हेतु किया जाता है-
(क) कृषि 
(ख) वानिकी 
(ग) खनन 
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 3. 
चट्टान, मलबे, मृदा आदि का ढालों से नीचे की ओर वृहद् संचलन क्या कहलाता है?
(क) भू-स्खलन 
(ख) भूकम्प 
(ग) मृदा अपरदन 
(घ) ज्वालामुखी 
उत्तर:
(क) भू-स्खलन 

प्रश्न 4. 
प्राणियों और पक्षियों के व्यापार प्रतिबन्ध की सूची कौनसी संस्था बनाती है? 
(क) रेड डाटा बुक 
(ख) सी.आई.टी.ई.एस. 
(ग) वाइल्ड लाइफ फैडरेशन 
(घ) यूनिसेफ
उत्तर:
(ख) सी.आई.टी.ई.एस. 

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प्रश्न 5. 
भूमि का उपयोग निम्न में से किस भौतिक कारक द्वारा निर्धारित होता है-
(क) मृदा
(ख) जलवायु
(ग) जल की उपलब्धता 
(घ) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी 

प्रश्न 6. 
मृदा संरक्षण हेतु उपयोग में ली जाने वाली विधियों में सम्मिलित हैं-
(क) वेदिका फार्म 
(ख) रक्षक मेखलाएँ
(ग) चट्टान बाँध 
(घ) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी 

प्रश्न 7. 
वनों में हमें निम्न में से कौनसा उत्पाद प्राप्त होता है-
(क) लकड़ी 
(ख) औषधियाँ 
(ग) गोंद
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 8. 
प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन के संरक्षण हेतु निम्न में से क्या उपाय किया गया है? 
(क) राष्ट्रीय उद्यानों की स्थापना 
(ख) वन्य जीव अभयारण्यों की स्थापना 
(ग) शिकार पर प्रतिबन्ध लगाना 
(घ) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी

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प्रश्न 9. 
कौनसे ग्रह को 'जल ग्रह' कहते हैं? 
(क) मंगल
(ख) पृथ्वी 
(ग) शनि
(घ) बृहस्पति
उत्तर:
(ख) पृथ्वी

प्रश्न 10. 
जल की कमी वाला प्रदेश है-
(क) अधिकांश अफ्रीका 
(ख) पश्चिमी एशिया 
(ग) सम्पूर्ण आस्ट्रेलिया 
(घ) उपर्युक्त सभी 
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी 

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-

1. जब पौधों के बीच अनावरित भूमि जैव पदार्थ जैसे प्रवाल से ढक दी जाती है तो उसे .............. कहते हैं। 
2. सभी जीवित जातियाँ जीवित रहने के लिए एक-दूसरे से परस्पर संबंधित और निर्भर रहती हैं, इस जीवन आधारित तंत्र को ........... कहते हैं। 
3. वायु तथा जल के द्वारा ऊपरी मृदा का क्षरण होता है उसे मृदा ............ कहा जाता है। 
4. केवल एक सेंटीमीटर मृदा को बनने में .......... वर्ष लगते हैं। 
उत्तर:
1. मल्च बनाना 
2. पारितंत्र 
3. अपरदन 
4. सैकड़ों। 

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सही या गलत बताइए-

1. जलवायु में परिवर्तन और मानव हस्तक्षेप के कारण पौधों और जन्तुओं के प्राकृतिक आवास नष्ट हो सकते हैं। 
2. भारत में शेरों, चीतों, हिरणों, भारतीय सारंग तथा मोर को मारना अवैध है। 
3. मॉस और लाइकेन घास स्थलों पर पाई जाती है। 
4. गिद्ध मृत जीव-जन्तुओं को खाने के कारण एक अपमार्जक नहीं है।
5. एक टपकता नल एक वर्ष में 1200 लीटर जल व्यर्थ करता है।
उत्तर:
1. सही 
2. सही 
3. गलत 
4. गलत 
5. सही। 

सही मिलान कीजिए- 

(अ)

(ब)

वेदिका फार्म

पृथ्वी

जलग्रह

टुंड्रा वनस्पति 

मॉस

अपमार्जक 

गिद्ध

मृदा संरक्षण 

सामुदायिक भूमि

साझा सम्पत्ति संसाधन 

उत्तर:

(अ)

(ब)

वेदिका फार्म

मृदा संरक्षण 

जलग्रह

पृथ्वी 

मॉस

टुंड्रा वनस्पति

गिद्ध

अपमार्जक 

सामुदायिक भूमि

साझा सम्पत्ति संसाधन

RBSE Class 8 Social Science Important Questions Geography Chapter 2 भूमि, मृदा, जल, प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन संसाधन

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
भूमि उपयोग किसे कहते हैं? 
उत्तर:
भूमि का उपयोग विभिन्न कार्यों में किया जाता है, जैसे-कृषि, वानिकी, खनन, कारखाने लगाना आदि; इसे भूमि उपयोग कहते हैं। 

प्रश्न 2. 
निजी भूमि एवं सामुदायिक भूमि में क्या अन्तर है? 
उत्तर:
निजी भूमि व्यक्तियों के स्वामित्व में होती है जबकि सामुदायिक भूमि समुदाय के स्वामित्व में होती है। 

प्रश्न 3. 
भूमि का उपयोग किन कारकों पर निर्भर होता है? 
उत्तर:
भूमि का उपयोग भौतिक कारकों द्वारा निर्धारित किया जाता है, जैसे-स्थलाकृति, मृदा, जलवायु, खनिज और जल की उपलब्धता आदि। 

प्रश्न 4. 
भूमि संसाधन का किन तरीकों से संरक्षण किया जा सकता है? कोई दो तरीके बताइए। 
उत्तर:

  • वनों का विस्तार करना। 
  • उर्वरकों के विनियमित उपयोग तथा अतिचारण पर रोक लगाना। 

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प्रश्न 5. 
मृदा किसे कहते हैं? 
उत्तर:
पृथ्वी के पृष्ठ पर दानेदार कणों के आवरण की पतली परत को मृदा कहते हैं। 

प्रश्न 6. 
भूस्खलन किसे कहते हैं? 
उत्तर:
सामान्य रूप से शैल, मलबा या ढाल से गिरने वाली मिट्टी के वृहत संचलन को भूस्खलन कहा जाता है। 

प्रश्न 7. 
अपक्षय किसे कहते हैं? 
उत्तर:
तापमान परिवर्तन, तुषार क्रिया, पौधों, प्राणियों और मनुष्य के क्रियाकलाप द्वारा अनावरित शैलों का टूटना अपक्षय कहलाता है। 

प्रश्न 8. 
वेदिका फार्म कहाँ तथा क्यों बनाये जाते हैं? 
उत्तर:
चौड़े, समतल सोपान अथवा वेदिका तीव्र ढालों पर बनाए जाते हैं ताकि सपाट सतह फसल उगाने के लिए उपलब्ध हो जाए। 

प्रश्न 9. 
रक्षक मेखलाएँ किसे कहते हैं? 
उत्तर:
रक्षक मेखलाओं में तटीय प्रदेशों और शुष्क प्रदेशों में पवन गति को रोकने हेतु वृक्षों की कतार बनाई जाती है ताकि मृदा आवरण को बचाया जा सके। 

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प्रश्न 10. 
जैवमण्डल किसे कहते हैं? 
उत्तर:
प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन केवल स्थलमण्डल, जलमंडल और वायुमण्डल के बीच जुड़े एक संकरे क्षेत्र में ही पाए जाते हैं जिसे जैवमण्डल कहते हैं।

प्रश्न 11. 
वनस्पति की वृद्धि किस पर निर्भर करती है? 
उत्तर:
वनस्पति की वृद्धि मुख्य रूप से तापमान और आर्द्रता पर निर्भर करती है। 

प्रश्न 12. 
पारितंत्र किसे कहते हैं? 
उत्तर:
सभी जीवित जातियाँ जीवित रहने के लिए एकदूसरे से परस्पर संबंधित और निर्भर रहती हैं। इस जीवन आधारित तंत्र को पारितंत्र कहते हैं। 

प्रश्न 13. 
विश्व की वनस्पति को मुख्य रूप से कितने वर्गों में रखा जा सकता है? नाम लिखिए। 
उत्तर:
चार वर्गों में-(1) वन (2) घास स्थल (3) गुल्म (4) टुंड्रा। 

प्रश्न 14. 
भारत में ऐसे दो पशु-पक्षियों के नाम लिखिए, जिन्हें मारना अवैध है। 
उत्तर:
(1) शेर (2) मोर। 

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प्रश्न 15. 
राष्ट्रीय वन/उद्यान से आप क्या समझते हैं? 
उत्तर:
वर्तमान और भावी पीढ़ी के लिए एक या एक से अधिक पारितंत्रों की पारिस्थितिक एकता की रक्षा के लिए नामित किया गया प्राकृतिक क्षेत्र राष्ट्रीय वन अथवा उद्यान कहलाता है। 

प्रश्न 16. 
वर्षा जल संग्रहण किसे कहते हैं? 
उत्तर:
घर की छत पर वर्षा जल को एकत्रित करके, उसका संग्रहण करना एवं विभिन्न उत्पादक उपयोगों में लाना वर्षा जल संग्रहण कहलाता है। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
"विश्व के विभिन्न भागों में जनसंख्या का वितरण असमान पाया जाता है।" इसका क्या कारण है? 
उत्तर:
भूमि और जलवायु के भिन्न-भिन्न लक्षणों के कारण विश्व के विभिन्न भागों में जनसंख्या का वितरण असमान पाया जाता है। विश्व में ऊबड़-खाबड़ स्थलाकृति, पर्वतों के तीव्र ढाल, जलाक्रांत संभावित निम्न क्षेत्र, मरुस्थल क्षेत्र एवं सघन वन क्षेत्र सामान्यतः विरल अथवा निर्जन हैं। जबकि उर्वर मैदानों और नदी घाटियों में कृषि के लिए उपयुक्त भूमि उपलब्ध है, अतः ये स्थान विश्व के सधन बसे क्षेत्र हैं। 

प्रश्न 2. 
भूमि उपयोग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
भूमि एक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। भूमि का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है, जैसे-कृषि, वानिकी, खनन, सड़क निर्माण, उद्योगों की स्थापना इत्यादि। इसे भूमि उपयोग कहा जाता है। भूमि का उपयोग भौतिक कारकों द्वारा निर्धारित किया जाता है; जैसे-स्थलाकृति, मृदा, जलवायु, खनिज, जल की उपलब्धता आदि। मानवीय कारक जैसे जनसंख्या और प्रौद्योगिकी भी भूमि उपयोग प्रतिरूप के महत्त्वपूर्ण निर्धारक हैं। 

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प्रश्न 3. 
स्वामित्व के आधार पर भूमि के वर्गीकरण को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
स्वामित्व के आधार पर भूमि को दो भागों में बाँटा गया है-
(1) निजी भूमि-निजी भूमि पर व्यक्तियों का स्वामित्व होता है जिसे वे निजी हित हेतु उपयोग में लेते हैं। 

(2) सामुदायिक भूमि-सामुदायिक भूमि पर समुदाय का स्वामित्व होता है। इसका उपयोग समुदाय से सम्बन्धित व्यक्तियों के लिए किया जाता है, जैसे-चारा, फलों, नट या औषधीय बूटियों को एकत्र करना । इस सामुदायिक भूमि को साझा संपत्ति संसाधन भी कहते हैं। 

प्रश्न 4. 
भूस्खलन किसे कहते हैं? इसे रोकने की प्रविधियों को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
भूस्खलन-सामान्य रूप से शैल, मलबा या ढाल से गिरने वाली मिट्टी के वृहत संचलन को भूस्खलन कहते हैं। यह भूकंप, बाढ़ तथा ज्वालामुखी के कारण होता है। 

भूस्खलन रोकने की प्रविधियाँ-

  • भूस्खलन वाले स्थानों पर आवास निर्माण नहीं किया जाना चाहिए। 
  • भूमि को खिसकने से बचाने के लिए प्रतिधारी दीवार का निर्माण करना। 
  • भूस्खलन वाले क्षेत्रों में वनस्पति आवरण में वृद्धि करना। 
  • सतही अपवाह तथा झरना प्रवाहों के साथ-साथ भूस्खलन की गतिशीलता को नियन्त्रित करने के लिए पृष्ठीय अपवाह नियन्त्रण उपाय कार्यान्वित किए जाने चाहिए। 

प्रश्न 5. 
भूमि संसाधन के संरक्षण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
विश्व में बढ़ती जनसंख्या तथा बढ़ती माँग के कारण वन भूमि तथा कृषि योग्य भूमि का विनाश हुआ है, जिसके फलस्वरूप प्राकृतिक संसाधनों के समाप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। अतः भूमि संसाधन का संरक्षण किया जाना चाहिए। वनरोपण, भूमि उद्धार, रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों के विनियमित उपयोग तथा अतिचारण पर रोक . आदि भूमि संरक्षण के लिए प्रयुक्त कुछ सामान्य तरीके हैं। भूमि संसाधन का संरक्षण करना पारितन्त्र के लिए अति आवश्यक है।

प्रश्न 6. 
मृदा निर्माण को प्रभावित करने वाले कारक तथा उनकी भूमिका को चित्र बनाकर दर्शाइये। 
उत्तर:
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प्रश्न 7. 
मृदा अपरदन को रोकने की कोई दो विधियाँ बताइये। 
उत्तर:

  • वेदिका फार्म-चौड़े, समतल सोपान अथवा वेदिका तीव्र ढालों पर बनाए जाते हैं ताकि सपाट सतह फसल उगाने के लिए उपलब्ध हो जाए। इससे पृष्ठीय प्रवाह और मृदा अपरदन कम होता है। 
  • समोच्चरेखीय रोधिकाएँ-समोच्च रेखाओं पर रोधिकाएँ बनाने के लिए पत्थरों, घास, मृदा का उपयोग किया जाता है। रोधिकाओं के सामने जल एकत्र करने के लिए खाइयाँ बनाई जाती हैं, इससे मृदा अपरदन कम होता है। 

प्रश्न 8. 
अलवणीय जल पृथ्वी का सबसे अधिक मूल्यवान पदार्थ क्यों है? 
उत्तर:
पृथ्वी पर लगभग तीन-चौथाई भाग पर जल पाया जाता है; किन्तु उसमें से अधिकांश महासागरों का लवणीय जल है जो मानवीय उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं है। अलवणीय जल मात्र 2.7 प्रतिशत है, जिसका भी लगभग 70 प्रतिशत भाग बर्फ की चादरों और हिमानियों के रूप में अंटार्कटिका, ग्रीनलैण्ड तथा पर्वतीय प्रदेशों में पाया जाता है। केवल एक प्रतिशत अलवणीय जल ही मानव उपयोग के लिए उपलब्ध है, अतः अलवणीय जल पृथ्वी का सबसे अधिक मूल्यवान पदार्थ है। 

प्रश्न 9. 
जल उपलब्धता की समस्या को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
विश्व में अलवणीय जल बहुत कम मात्रा में उपलब्ध है अतः विश्व के कई देशों में जल की कमी है। अधिकांश अफ्रीका, पश्चिमी एशिया, दक्षिणी एशिया, पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका के भाग, उत्तर-पश्चिमी मैक्सिको, दक्षिणी अमेरिका के भाग और सम्पूर्ण आस्ट्रेलिया अलवणीय जल की आपूर्ति की कमी का सामना कर रहे हैं। ये देश ऐसे जलवायु प्रदेशों में स्थित हैं जहाँ अक्सर सूखा पड़ता है, अतः वहाँ पर जलाभाव की विकट समस्या बनी हुई है। विश्व के विभिन्न देशों में अति उपयोग तथा जल स्रोतों के प्रदूषण के कारण भी जल का अभाव उत्पन्न हो रहा है। 

प्रश्न 10. 
प्राकृतिक वनस्पति एवं वन्य जीवन के महत्त्व को स्पष्ट कीजिएन।
उत्तर:
वनस्पति तथा वन्य जीवन महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन हैं। ये सभी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाने में हमारी मदद करते हैं। वनों से हमें लकड़ी प्राप्त होती है तथा वन्य जीवों को आश्रय प्रदान करते हैं। वन ऑक्सीजन उत्पन्न करते हैं जिसमें हम साँस लेते हैं। इनसे हमें गोंद, फल, फूल, औषधि, तेल, कागज आदि प्राप्त होते हैं। वन वर्षा को आकर्षित करते हैं तथा मृदा की सुरक्षा करते हैं। वन्य जीवन के अन्तर्गत जन्तु, पक्षी, कीट एवं जलीय जीव आते हैं जिनसे हमें दूध, मांस, खाल, ऊन आदि प्राप्त होते हैं। कीट, जैसे मधुमक्खी, हमें शहद देती है तथा फूलों के परागण में मदद करती है और पारितंत्र में अपघटक के रूप में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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प्रश्न 11. 
जल चक्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
वाष्पीकरण, वर्षण और बहने की प्रक्रियाओं द्वारा जल महासागरों, वायु, भूमि, नदियों तथा पुनः महासागरों में चक्रण द्वारा निरन्तर गतिशील है, यही जल चक्र कहलाता है।

प्रश्न 12. 
सी.आई.टी.ई.एस. (C.I.T.E.S.) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। 
उत्तर:
वन्य वनस्पति तथा वन्य जीवों के संरक्षण हेतु अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक कदम उठाए गए हैं। इसके अन्तर्गत सी.आई.टी.ई.एस. (द कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल ट्रेड इन इनडेंजर्ड स्पीशीज ऑफ वाइल्ड फौना एंड फ्लौरा) की स्थापना की गई। जिससे प्राणियों और पक्षियों की अनेक जातियों की सूची तैयार की गई है। इस सूची में दिए गए सभी पक्षियों और प्राणियों के व्यापार करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इससे वन्य जीवों के संरक्षण में मदद मिलेगी। सी.आई.टी.ई.एस. सरकारों के बीच वन्य संरक्षण हेतु किया गया एक समझौता है। 

प्रश्न 13. 
दावानल के कारण तथा नियंत्रण के उपाय बताइये। 
उत्तर:
दावानल के कारण-

  • तड़ित झंझा के कारण प्राकृतिक अग्नि का लगना।
  • लोगों की लापरवाही के कारण घास-फूस में जनित ऊष्मा के कारण अग्नि का लगना। 
  • स्थानिक लोगों, ऊधमी एवं शरारती लोगों द्वारा किसी उद्देश्य से अग्नि लगाना। 

दावानल नियंत्रण के कुछ उपाय-

  • शिक्षण द्वारा अग्नि लगने से रोकना। 
  • परीक्षण बिंदुओं, निपुण भूमि चौकसी तथा संचार जाल के समन्वित जाल द्वारा अग्नि लगने का शीघ्र पता लगाना। 

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निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1. 
प्राकृतिक संसाधन के रूप में भूमि के उपयोग को स्पष्ट कीजिए। भूमि के संरक्षण की आवश्यकता एवं तरीकों को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
भूमि का उपयोग-भूमि एक महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। विश्व के कुल भूपृष्ठ के कुल क्षेत्रफल के लगभग 30 प्रतिशत भाग पर भूमि है। भूमि का उपयोग विभिन्न कार्यों में किया जाता है; जैसे-कृषि करना, वानिकी, आवास निर्माण, सड़क निर्माण, खनन, उद्योगों की स्थापना आदि। भूमि का उपयोग मुख्य रूप से स्थलाकृति, मृदा, जलवायु, खनिज, जल उपलब्धता, जनसंख्या, प्रौद्योगिकी आदि तत्त्वों पर निर्भर करता है। विश्व में भूमि का उपयोग निजी भूमि एवं सामुदायिक भूमि दोनों के रूप में किया जाता है। 

भूमि के संरक्षण की आवश्यकता-भूमि की उपलब्धता सीमित है, इसे बढ़ाया नहीं जा सकता है। जबकि विश्व की जनसंख्या में निरन्तर वृद्धि होती जा रही है। इस कारण लोग आवास एवं कृषि हेतु वनों को नष्ट करते जा रहे हैं जिससे पारितंत्र में असन्तुलन उत्पन्न हो रहा है। नगरीकरण एवं बढ़ते उद्योगों के कारण सामुदायिक भूमि पर अनधिकृत हस्तक्षेप निरन्तर बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में कृर्षि और निर्माण सम्बन्धी गतिविधियों के प्रसार के कारण निम्नीकरण, भूस्खलन, मृदा अपरदन, मरुस्थलीकरण पर्यावरण के लिए खतरा बन गए हैं। इन सभी कारणों से भूमि का संरक्षण आवश्यक है। 

भूमि संरक्षण के तरीके-बढ़ती जनसंख्या एवं बढ़ती भूमि के कारण विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों के विनाश का खतरा उत्पन्न हो गया है, अतः इसे रोकना आवश्यक है। वनरोपण, भूमि उद्धार, रासायनिक कीटनाशकों और उर्वरकों के विनियमित उपयोग तथा अतिचारण पर रोक आदि भूमि संरक्षण के लिए अपनाए जाने वाले सामान्य तरीके हैं। 

प्रश्न 2. 
मृदा से आप क्या समझते हैं? मृदा के निम्नीकरण को रोकने तथा संरक्षण के उपायों को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
मृदा-पृथ्वी के धरातल पर दानेदार कणों के आवरण की पतली परत मृदा कहलाती है। मृदा का प्रकार स्थल स्वरूप द्वारा निर्धारित होता है तथा मृदा का निर्माण चट्टानों से प्राप्त खनिजों एवं जैव पदार्थ तथा भूमि पर पाए जाने वाले खनिजों से होता है। अपक्षय की प्रक्रिया द्वारा मृदा का निर्माण होता है। 

मृदा निम्नीकरण रोकने तथा संरक्षण के उपाय-मानवीय तथा प्राकृतिक दोनों कारणों से मृदा का निम्नीकरण हो रहा हैं। मृदा के निम्नीकरण हेतु जिम्मेदार कारकों में वनोन्मूलन, अतिचारण, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग, वर्षादोहन, भूस्खलन, बाढ़ आदि प्रमुख हैं। मृदा संरक्षण की प्रमुख विधियाँ निम्न प्रकार हैं-

  • मल्च बनाना-इस विधि के अन्तर्गत पौधों के बीच अनावरित भूमि जैव पदार्थ जैसे प्रवाल से ढक दी जाती है। इस विधि से मृदा की आर्द्रता रुकी रहती है। 
  • वेदिका फार्म-इस विधि में चौड़े, समतल सोपान अथवा वेदिका तीव्र ढालों पर बनाए जाते हैं ताकि सपाट सतह फसल उगाने के लिए उपलब्ध हो जाए। इनसे पृष्ठीय प्रवाह और मृदा अपरदन कम होता है। 
  • समोच्चरेखीय जुताई-मृदा अपरदन रोकने की इस विधि में एक पहाड़ी ढाल पर समोच्च रेखाओं के समान्तर जुताई ढाल से नीचे बहते जल के लिए एक प्राकृतिक अवरोध का निर्माण करती है। 
  • रक्षक मेखलाएँ-मृदा संरक्षण की इस विधि में तटीय प्रदेशों और शुष्क प्रदेशों में पवन गति रोकने के लिए वृक्ष कतारों में लगाए जाते हैं ताकि मृदा आवरण को बचाया जा सके। 
  • समोच्चरेखीय रोधिकाएँ-समोच्च रेखाओं पर रोधिकाएँ बनाने के लिए पत्थरों, घास, मृदा का उपयोग किया जाता है। रोधिकाओं के सामने जल एकत्र करने के लिए खाइयाँ बनाई जाती हैं। 
  • चट्टान बाँध-यह जल के प्रवाह को कम करने में मदद करते हैं। यह नालियों की रक्षा करते हैं तथा मृदा की क्षति को रोकते हैं। 
  • बीच की फसल उगाना-इस विधि के अन्तर्गत वर्षा दोहन से मृदा को सुरक्षित रखने के लिए अलग-अलग समय पर भिन्न-भिन्न फसलें एकांतर कतारों में उगाई जाती हैं।

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प्रश्न 3. 
जल उपलब्धता की समस्या को स्पष्ट करते हुए जल संसाधनों के संरक्षण के उपायों को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
जल उपलब्धता की समस्या-जल एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है तथा पृथ्वी के लगभग तीन-चौथाई भाग पर जल उपलब्ध है किन्तु इसमें से अधिकांश जल लवणीय है, जो मनुष्य के उपयोग में नहीं आता। पृथ्वी पर केवल 2.7 प्रतिशत जल ही अलवणीय है जिसमें से भी लगभग 70 प्रतिशत भाग बर्फ की चादरों तथा हिमानियों के रूप में अंटार्कटिका, ग्रीनलैण्ड और पर्वतीय प्रदेशों में पाया जाता है अतः मनुष्य के लिए मात्र एक प्रतिशत अलवणीय जल ही उपलब्ध हो पाता है। किन्तु अत्यधिक उपयोग एवं जल प्रदूषकों के कारण कई देशों में जल का संकट उत्पन्न हो गया है। जल स्रोतों के सूखने अथवा जल प्रदूषण के कारण अलवणीय जल की आपूर्ति की कमी के मुख्य कारक बढ़ती जनसंख्या, भोजन एवं नकदी फसलों की बढ़ती मांग, बढ़ता नगरीकरण और बेहतर होता जीवनस्तर है। आज विश्व के अनेक देश जल संकट से गुजर रहे हैं। 

जल संसाधनों का संरक्षण-वर्तमान में विश्व में शुद्ध एवं पर्याप्त जल स्त्रोतों की उपलब्धता बड़ा संकट बनता जा रहा है। अतः जल संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है। जल संसाधनों के संरक्षण हेतु निम्न उपाय किए जा सकते हैं-

  • अशोधित या आंशिक रूप से शोधित वाहित मल, कृषि रसायनों का विसर्जन और जल निकायों में औद्योगिक बहिःस्राव जल के प्रमुख प्रदूषक हैं। इनसे शुद्ध जल का बचाव करना चाहिए। 
  • प्रदूषित जल को विभिन्न विधियों द्वारा शोधित कर पुनः प्रयोग में लेना चाहिए। 
  • वन और अन्य वनस्पति आवरण धरातलीय प्रवाह को मंद करते हैं तथा वर्षा को भी आकर्षित करते हैं अतः वनों का विस्तार किया जाना चाहिए। 
  • जल रिसाव को कम करने के लिए खेतों को सिंचित करने वाली नहरों को ठीक से पक्का करना चाहिए। 
  • रिसाव और वाष्पीकरण से होने वाली जल क्षति को रोकने हेतु स्प्रिंकलरों से खेतों की सिंचाई करनी चाहिए। 

प्रश्न 4. 
प्राकृतिक वनस्पति के वितरण का वर्णन कीजिये।
अथवा
प्राकृतिक वनस्पति के मुख्य प्रकारों का वर्णन कीजिये। 
उत्तर:
विश्व में प्राकृतिक वनस्पति का वितरण तापमान और आर्द्रता पर निर्भर करता है। इन्हीं कारकों पर वनस्पति की वृद्धि निर्भर करती है। इस आधार पर विश्व की वनस्पति के मुख्य प्रकारों को निम्न चार वर्गों में रखा जा सकता है-

  • वन-भारी वर्षा वाले क्षेत्रों में विशाल वृक्ष उग सकते हैं। इस प्रकार वन प्रचुर जल आपूर्ति वाले क्षेत्रों में ही पाए जाते हैं। जैसे-जैसे आर्द्रता कम होती है वैसे-वैसे वृक्षों का आकार और उनकी सघनता कम हो जाती है। 
  • घास स्थल-सामान्य वर्षा वाले क्षेत्रों में छोटे आकार वाले वृक्ष और घास उगती है जिससे विश्व के घास स्थलों का निर्माण होता है। 
  • गुल्म-कम वर्षा वाले शुष्क प्रदेशों में कँटीली झाड़ियाँ एवं गुल्म उगते हैं। इस प्रकार के क्षेत्रों में पौधों की जड़ें गहरी होती हैं। वाष्पोत्सर्जन से होने वाली आर्द्रता की हानि को घटाने के लिए इन पेड़ों की पत्तियाँ काँटेदार और मोमी सतह वाली होती हैं। 
  • टुंड्रा वनस्पति-यह शीत ध्रुवीय प्रदेशों में पाई जाती है। टुंड्रा वनस्पति में मॉस और लाइकेन सम्मिलित हैं। 

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प्रश्न 5. 
वन एवं वन्य जीवों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए तथा प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवन के संरक्षण को स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
वन एवं वन्य जीवों का महत्त्व-वन तथा वन्य जीवों के महत्त्व को निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है-

  • वन तथा वन्य जीव पारितंत्र के सन्तुलन को बनाए रखने में मदद करते हैं। 
  • वन में वन्य जीवों को आश्रय मिलता है। 
  • वनों से हमें इमारती लकड़ी, फल, रबर, कागज, गोंद आदि उत्पाद प्राप्त होते हैं। 
  • वनों से उद्योगों हेतु कई प्रकार का कच्चा माल प्राप्त होता है। 
  • वन मृदा अपरदन को रोकने में मदद करते हैं। 
  • वन वर्षा को आकर्षित करते हैं जिससे भूमिगत जल का स्तर बना रहता है। 
  • वनों से हमें कई प्रकार की औषधियाँ मिलती हैं। 
  • वन्य जीवों से हमें मांस, खाल, ऊन आदि उत्पाद प्राप्त होते हैं। 

प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवों का संरक्षण-जनसंख्या की बढ़ती मांग से प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीवों पर संकट उत्पन्न हो गया है अतः प्राकृतिक वनस्पति और वन्य जीवों के संरक्षण हेतु अनेक उपाय किए गए हैं, जो निम्न प्रकार हैं-

  • प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य जीवों के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय उद्यान तथा वन्य जीव अभयारण्यों की स्थापना की गई है। 
  • वन्यजीवों के शिकार पर प्रतिबन्ध लगाया गया है। 
  • वनों में मानवीय गतिविधियों पर नियन्त्रण लगाने के प्रयास किए गए हैं।
  • प्रादेशिक और सामुदायिक स्तर पर वन एवं वन्य जीवों के प्रति जागरूकता हेतु अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • वन्य वनस्पति तथा वन्य जीवों की सुरक्षा हेतु अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों की स्थापना की गई है।
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Last Updated on June 6, 2022, 4:19 p.m.
Published June 1, 2022