RBSE Class 7 Hindi Rachana निबंध-लेखन - Hindi Essay Topics for Class 7

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Hindi Hindi Essay Topics for Class 7 निबंध-लेखन Textbook Exercise Questions and Answers.

The questions presented in the RBSE Solutions for Class 7 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 7 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Here are अपठित गद्यांश कक्षा 7 with answers to learn grammar effectively and quickly.

Hindi Essay Topics for Class 7 - RBSE Class 7 Hindi

प्रश्न :
निम्नलिखित विषयों में से एक पर निबन्ध लिखिए।
उत्तर :

1. स्वच्छ भारत : सुन्दर भारत 

1. प्रस्तावना - स्वच्छता का अर्थ साफ - सफाई से है। साफसफाई से रहना मनुष्य जीवन के लिए अति आवश्यक है। 

2. स्वच्छ भारत, सुन्दर भारत अभियान - स्वच्छता का भाव हमारे मन से जुड़ा हुआ है। इसी भाव के प्रति जागरूकता सृजित करने के लिए प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्रव्यापी 'स्वच्छ भारत, सुन्दर भारत' अभियान का औपचारिक शुभारम्भ 2 अक्टूबर, 2014 को गांधी जयन्ती के शुभ अवसर पर किया गया। 

3. स्वच्छ भारत, सुन्दर भारत अभियान की घोषणादेश के सभी महापुरुष एवं नेतागण स्वच्छ भारत अभियान को बढ़ावा दे रहे हैं। सभी का यह संकल्प है कि महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती तक देश को एक स्वच्छ भारत के रूप में प्रस्तुत किया जावे। क्योंकि गाँधीजी ने ही देशवासियों को 'क्यूट इण्डिया, क्लीन इण्डिया' का सन्देश दिया था। 

4. स्वच्छता आन्दोलन का आदान - प्रधानमन्त्री ने स्वच्छता आन्दोलन का आह्वान करते हुए सन्देश रूप में कहा कि हम मातृभूमि की स्वच्छता के लिए अपने आप को समर्पित कर दें। इसके लिए सरकार ने प्रत्येक ग्राम पंचायत को बीसबीस लाख रुपये सालाना अनुदान देने की भी घोषणा की और ग्रामीण क्षेत्रों में 11.11 करोड़ शौचालयों के निर्माण के लिए बजट स्वीकृत किया। 

5. उपसंहार - स्वच्छता ही जीवन है। सामाजिक एवं राष्ट्रीय दृष्टि से 'स्वच्छ भारत, सुन्दर भारत' अभियान एक महत्त्वपूर्ण अभियान है। इसमें हम सबकी भागीदारी वांछनीय है।

RBSE Class 7 Hindi Rachana निबंध-लेखन

2. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान 

1. प्रस्तावना - वर्तमान काल में अनेक कारणों से मानवता कलंकित हो रही है। कुछ दकियानूसी सोच वाले लोग बेटा या पुत्र को कुलदीपक और बुढ़ापे का सहारा मानते हैं तो बेटी को मुसीबतों की जड़ मानते हैं। इसी कारण वे कन्या - जन्म नहीं चाहते हैं। 

2. सामाजिक चेतना का प्रसार - हमारे देश के निम्नमध्यमवर्गीय समाज में बेटी को पराया धन मानते हैं। इसलिए बेटी को पालना - पोषना, पढ़ाना - लिखाना और उसकी शादी को भार मानते हैं। इसी दकियानूसी सोच के कारण ऐसे लोग घर में कन्या को जन्म नहीं देना चाहते हैं। वे चिकित्सकीय साधनों से गर्भावस्था में लिंग - परीक्षण करवाकर भ्रूण - हत्या करा देते हैं। इसका बुरा परिणाम यह दिखाई दे रहा है कि बालक - बालिकाओं के लिंगानुपात में बड़ा अन्तर स्पष्ट दिखाई पड़ने लगा है। समाज का सही विकास हो और लोगों के दकियानूसी विचारों को नयी चेतना में बदला जावे, इस दृष्टि से सरकार ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा दिया है। सभी संचार माध्यमों से इसका प्रचारप्रसार किया जा रहा है तथा कन्या - जन्म की मंगल कामना की जा रही है। 

3. अभियान एवं उद्देश्य - 'बेटी बचाओ, बेटी पढाओ' अभियान में लिंग परीक्षण से बालिका भ्रूण - हत्या को रोकना, बालिकाओं को पूर्ण संरक्षण तथा विकास के लिए शिक्षा से सम्बन्धित उनकी सभी गतिविधियों में पूर्ण भागीदारी की गई है। साथ ही उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार एवं कौशल विकास के कार्यक्रमों में हर तरह से उन्हें प्रोत्साहित करना मुख्य उद्देश्य है।

4. उपसंहार - 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान के प्रति सामाजिक जागरूकता आनी चाहिए और रूढ़िवादी सोच का डटकर विरोध करना चाहिए। इसी से बेटियों को समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त होगा।

3. दीपावली
अथवा 
हमारा प्रिय त्योहार
अथवा 
दीपों का त्योहार : दीपावली। 

1. प्रस्तावना  -  भारत में त्योहारों एवं उत्सवों का विशेष महत्त्व है। जैसे ही ऋतु - परिवर्तन होता है, खेतों में नयी फसल पक जाती है, तब मानव - मन अपनी खुशी को उत्सवों और त्योहारों के रूप में प्रकट करता है। दीपावली भी हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। 

2. मनाने का कारण  -  इस त्योहार को मनाने का एक कारण यह है कि इसी दिन भगवान् राम लंका के राजा रावण पर विजय प्राप्त करके और चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। उनके आने की खुशी में घर - घर में दीपक जलाये गये थे। उसी पुण्य - दिवस की खुशी में यह त्योहार मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने के पीछे अन्य भी कारण माने जाते हैं। जैसे भगवान् कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस का वध; किसानों की धान की फसल का पकना आदि। 

3. उत्सव की शोभा  -  दीपावली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने के लिए घरों की सफाई, रंगाई, पुताई की जाती है। दीपावली के दिन गाँवों व शहरों में दीपक जलाये जाते हैं। बिजली की रंग - बिरंगी रोशनी से घर, बाजार और दुकानें सजायी जाती हैं।

सभी लोग लक्ष्मी  -  पूजन करते हैं। मिठाइयाँ खाते हैं और पटाखे छुड़ाकर मन की खुशी को प्रकट करते हैं। अमावस्या के दो दिन पहले धनतेरस को लोग नये बर्तन खरीदना शुभ मानते हैं। चतुर्दशी को छोटी दीवाली मनायी जाती है और अमावस्या के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। उसके दूसरे दिन भैयादूज का त्योहार मनाया जाता है। 

4. लाभ - हानि  -  इस त्योहार से सबसे बड़ा लाभ यह है कि घरों की सफाई हो जाती है। लोगों के घर जा - जाकर मिलने से प्रेम - सहयोग की भावना का विकास होता है। इस त्योहार पर कुछ लोग जुआ खेलते हैं। यह सबसे बड़ी हानि है। 

5. उपसंहार  -  यह हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है। इस अवसर पर लोग सबकी खुशहाली और समृद्धि की मंगल कामना करते हैं। यह भारतीय जन - जीवन के आनन्द और उल्लास का त्योहार है।

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4. होली
अथवा 
रंगों का त्योहार : होली
अथवा
हमारा प्रिय त्योहार 

1. प्रस्तावना - हमारे देश में अनेक त्योहार मनाये जाते हैं। जैसे  -  दीपावली, होली, दशहरा, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी आदि। ये हिन्दुओं के प्रमुख त्योहार हैं। होली रंगों का त्योहार है। 

2. मनाने का कारण - यह त्योहार फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस त्योहार को मनाने के संबंध में दो बातें कही जा सकती हैं। पहली तो यह कि इस त्योहार पर फसलें पकने को तैयार होती हैं। हिन्दू अपनी मान्यता के अनुसार नये अन्न की आहुति अग्नि में डालते हैं। इसी परम्परा से होली का त्योहार मनाते हैं। दूसरी बात यह है कि प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक राजा हुआ। जो अपने पुत्र प्रह्लाद को ईश्वर की भक्ति न करने के लिए मना करता था। क्रोध में उसने अपनी बहिन होलिका से कहा कि तुम प्रह्लाद। को अग्नि में लेकर बैठ जाओ। होलिका को अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका प्रह्लाद को अग्नि में लेकर बैठ गयी, लेकिन प्रह्लाद न जलकर होलिका अग्नि में भस्म हो गयी। तब से यह त्योहार मनाया जाता है। 

3. मनाने की विधि - फाल्गुन पूर्णिमा की रात्रि को होलिका दहन किया जाता है। दूसरे दिन दोपहर तक सभी बड़े - बूढ़े, बच्चे अपने - अपने समूह में मिलकर रंग और गुलाल से होली खेलते हैं। एक - दूसरे के गले मिलते हैं। शाम के समय नहा - धोकर नये कपड़े पहन कर एक - दूसरे के घर मिलने जाते हैं, ब्रधाइयाँ देते हैं और मिठाइयाँ खाते हैं। 

4. त्योहार की अच्छाइयाँ एवं बुराइयाँ - इस त्योहार की सबसे बड़ी अच्छाई यह है कि लोग इस अवसर पर पुराने गिले - शिकवे भूलकर आपस में गले मिलते हैं। कुछ लोग इस अवसर पर नशे में चूर होकर एक - दूसरे से लड़ाईझगड़ा करते हैं। 

5. उपसंहार - होली मिलन और आनन्द का त्योहार है। इसलिए हमें इस त्योहार पर एक - दूसरे के गले मिलकर आपसी प्रेम - व्यवहार बढ़ाना चाहिए। हम सबको मिलकर इसके सांस्कृतिक महत्त्व को समझना चाहिए।

5. रक्षाबन्धन 

1. प्रस्तावना - भारत में अनेक त्योहार मनाये जाते हैं। रक्षाबन्धन भी यहाँ का एक प्रमुख त्योहार है। यह भाईबहन के प्रेम का एक पवित्र त्योहार है। 

2. मनाने का कारण - रक्षा - बन्धन के त्योहार को मनाने के पीछे अनेक दन्तकथाएँ हैं। वामनावतार और राजा बलि की पौराणिक कथा इससे सम्बन्धित है। वैसे तो प्राचीन समय में वैदिक आचार्य अपने शिष्य के हाथ में रक्षा का सूत्र बाँधकर उसे वेदशास्त्र में पारंगत करते थे, परन्तु अब इस त्योहार ने भाई - बहिन के पवित्र रिश्ते का रूप धारण कर लिया है। 

3. मनाने का तरीका - श्रावण की पूर्णिमा को रक्षाबन्धन का त्योहार उल्लास व उमंग के साथ मनाया जाता है। बहिनें अपने भाइयों के ललाट पर मंगल तिलक लगाती हैं, उन्हें मिठाई खिलाती हैं तथा उनके हाथों में राखी बांधती हैं। 'राखी - सूत्र' के बदले भाई अपनी बहिन को उपहार देता | है। वास्तव में यह त्योहार भाई - बहिन के पवित्र संबंधों का त्योहार है।

4. महत्त्व - रक्षाबन्धन एक सांस्कृतिक त्योहार ही नहीं है, अपितु सामाजिक महत्त्व का त्योहार भी है। कहा जाता है कि रानी कर्णवती ने अपनी रक्षा के लिए मुसलमान बादशाह हुमायूँ को अपना 'राखी - बन्ध' भाई बनाया था, जिसने मुसीबत के समय रानी की सहायता की थी। 

5. उपसंहार - अन्य त्योहारों की भाँति रक्षा - बन्धन का त्योहार भारत में हिन्दुओं के चार प्रमुख त्योहारों में माना जाता है। इस अवसर पर भाई व बहिन परस्पर स्नेह - बन्धन की परम्परा को स्वीकार करते हैं तथा अपना कर्तव्य पालन करने की प्रतिज्ञा करते हैं। 

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6. स्वतन्त्रता दिवस (15 अगस्त):
अथवा 
राष्ट्रीय पर्व : स्वतन्त्रता दिवस 

1. प्रस्तावना - हमारा देश भारत 15 अगस्त, 1947 से पहले अंग्रेजों का गुलाम था। देश की आजादी के लिए हमारे देशभक्त शहीदों ने अपने प्राणों का बलिदान किया। अनेक वर्षों के निरन्तर संघर्ष के बाद देश को आजादी प्राप्त हुई। यह आजादी हमें 15 अगस्त, 1947 को प्राप्त हुई। इसलिए यह दिवस भारतीय इतिहास में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। 

2. मनाने के कारण इस दिवस को मनाने का प्रमुख कारण देश को आजादी दिलाने में जिन लोगों ने अपना बलिदान दिया, उन्हें श्रद्धांजलि देना तथा आजादी हमेशा कायम रहे,1 इसके लिए शपथ लेना रहा है। इसीलिए प्रतिवर्ष 15 अगस्त के दिन यह दिवस राष्ट्रीय पर्व के रूप में सम्पूर्ण देश में मनाया जाता है। 

3. विभिन्न कार्यक्रम - यह राष्ट्रीय पर्व प्रतिवर्ष सरकार और जनता द्वारा धूम - धाम से मनाया जाता है। विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में इस दिन झण्डा फहरा कर देशभक्ति के विभिन्न रोचक कार्यक्रम छात्र - छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किये जाते हैं। मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं। पूरा भारत इस दिन देशभक्ति के गीत गाता है। राज्यों की राजधानियों तथा केन्द्र की राजधानी दिल्ली में यह दिवस विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाता है। लाल किले की प्राचीर पर तिरंगे को लहराकर प्रधानमंत्री महोदय उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए भाषण देते हैं। रात्रि के समय शहरों और राज्यों की राजधानियों में रोशनी की जाती है। 

4. उपसंहार - भारतीय इतिहास में यह दिन हमेशा अमर रहेगा। प्रतिवर्ष यह दिवस देशवासियों के लिए नवीन प्रेरणा एवं उत्साह लेकर आता है। इस दिन हमें भारत की प्रगति एवं सुख - समृद्धि के लिए सतत कार्य करने की प्रतिज्ञा लेनी चाहिए और हमारी स्वतन्त्रता हमेशा कायम रहे, यह संकल्प लेना चाहिए। 

7. गणतन्त्र दिवस (26 जनवरी)
अथवा 
राष्ट्रीय पर्व : गणतन्त्र दिवस 

1. प्रस्तावना एवं मनाने का कारण - हमारे देश में अनेक पर्व - त्योहार मनाये जाते हैं। राष्ट्रीय पर्यों में गणतन्त्र दिवस का अत्यधिक महत्त्व है। 26 जनवरी, 1950 को भारत देश का अपना संविधान लागू हुआ था। तभी से यह राष्ट्रीय पर्व हमारे देश के कोने - कोने में मनाया जाता है। 

2. विविध कार्यक्रम - इस राष्ट्रीय पर्व को सरकार और जनता दोनों ही बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन प्रात:काल से ही विद्यालयों और महाविद्यालयों में रोचक कार्यक्रम प्रारम्भ हो जाते हैं। जगह - जगह तिरंगा फहराया जाता है। राष्ट्रभावनाओं से पूरित सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। गणतन्त्र दिवस का मुख्य उत्सव भारत की राजधानी दिल्ली में होता है। प्रधानमंत्री प्रातः इंडिया गेट पर 'अमर जवान ज्योति' को श्रद्धांजलि देकर विजय चौक पहुँचते हैं। वहीं महामहिम राष्ट्रपति राष्ट्रध्वज फहराते हैं और 21 तोपों की सलामी दी जाती है। बैण्ड - बाजों की धुन के साथ तीनों सेनाओं एवं सुरक्षा बलों की भव्य परेड होती है और राज्यों की अनेक झांकियां निकलती हैं। रात्रि को राजभवनों पर रोशनी की जाती है। 

3. उपसंहार - यह राष्ट्रीय त्योहार हमें अपनी स्वतन्त्रता की रक्षा हेतु जागरूक रहने का सन्देश देता है। यह हमें याद दिलाता है कि हम अपने द्वारा बनाये संविधान के अधीन रहकर अपने और राष्ट्र के अस्तित्व की रक्षा करें और लोकतन्त्र की महानता को बनाये रखें।

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8. विजय - दशमी 

1. प्रस्तावना - भारत में अनेक पर्व एवं त्योहार मनाये जाते हैं। विजयदशमी का त्योहार अधर्म एवं अन्याय पर धर्म एवं न्याय की विजय के रूप में मनाया जाता है। इसके मूल में जन - समुदाय में सदाचरण की भावना का प्रसार करना है। 

2. मनाने का कारण - विजयदशमी का त्योहार प्रतिवर्ष आश्विन मास की शुक्ल पक्ष - दशमी को मनाया जाता है। इससे पूर्व नौ दिनों तक दुर्गा पूजन होता है तथा रामलीला की जाती है। दुर्गा देवी के द्वारा महिषासुर आदि राक्षसों का |विनाश किया गया था। श्रीराम ने अत्याचारी रावण पर विजय प्राप्त की थी। रावण के विनाश की खुशी में विजयदशमी या दशहरा का त्योहार हर्ष - उल्लास के साथ मनाया जाता है। 

3. मनाने की विधि - विजयदशमी पर प्रायः रामलीला का समापन होता है, इसलिए कुम्भकर्ण, मेघनाद तथा रावण के पुतले जलाये जाते हैं। श्रीराम की विजय - यात्रा निकाली जाती है। नवरात्रि की समाप्ति पर बंगाल में दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। कुछ क्षेत्रों में इस दिन अस्व - शस्त्रों की पूजा की जाती है। अनेक स्थानों पर दशहरा मेला का आयोजन होता है। 

4. विजयदशमी का महत्त्व - इस त्योहार का अधर्म एवं अन्याय पर विजय पाने की दृष्टि से विशेष महत्त्व है। वर्षा ऋतु के बाद इससे नयी फसल का ऋतुचक्र प्रारम्भ हो जाता है। हिन्दुओं में देवपूजन का पवित्र कार्य प्रारम्भ हो जाता है तथा सामाजिक मंगलेच्छा का प्रसार होता है। 

5. उपसंहार - विजयदशमी का त्योहार न्याय तथा धर्म के साथ सत्य का पालन करने का सन्देश देता है। इससे हमें अपने समाज तथा राष्ट्र की प्रगति की प्रेरणा मिलती है। हमें सात्त्विक प्रवृत्तियों की रक्षा करनी चाहिए।

9. किसी मेले का वर्णन
(पुष्कर मेला) 

1. प्रस्तावना - सर्दी की ऋतु थी। शक्रवार को हम सभी छात्र अपनी कक्षा में एकाग्रचित होकर भूगोल पढ़ रहे थे कि प्रधानाध्यापकजी का भेजा हुआ चपरासी शनिवार को पुष्कर मेले के कारण छुट्टी की सूचना लेकर आया। मेले का नाम सुनते ही हर्ष का ठिकाना न रहा। मैंने तुरन्त मित्रों के साथ मेले में जाने का कार्यक्रम बनाया। 

2. प्रस्थान - दूसरे दिन हम चार मित्र भोजन से निवृत्त होकर एक साथ मेला देखने को रवाना हुए। घर से निर्दिष्ट स्थान लगभग तीन मील दूर था। अतः हम लोगों ने पैदल यात्रा करना तय किया। मार्ग का दृश्य बड़ा ही मनोहारी लग रहा था। कुछ लोग बैलगाड़ी और ताँगे में बैठकर जा रहे थे तो| कुछ बसों एवं कारों पर सवार थे। मार्ग में बड़ी भीड़ थी। इस प्रकार मार्ग का दृश्य देखते हुए हम पंच कुण्डों पर जा पहुंचे। 

3. मेले का वर्णन - वहाँ पहुँचकर सबने पहले सरोवर के पवित्र जल में स्नान किया। इसके बाद ब्रह्माजी के मन्दिर में दर्शन करने गये। दर्शन करने के बाद हम लोगों ने मेले में घूमना प्रारम्भ किया। मेले में विभिन्न चीजों की सजी दुकानें थीं। उन पर खरीदने वालों की भीड़ लगी हुई थी। कहीं बच्चे और बड़े झूलों पर झूल कर आनन्द ले रहे थे। मेला देखते और घूमते हमने थकान महसूस की और हम सब शाम को ताँगे में बैठकर घर आ गये।। 

4. उपसंहार - पुष्कर हिन्दुओं का पवित्र तीर्थ माना जाता है। इसलिए धार्मिक दृष्टि से इस मेले का अपना ही महत्त्व है। मेले से अनेक लाभ होते हैं। मनोरंजन के साथ - साथ हमारी ज्ञान शक्ति भी बढ़ती है। एक - दूसरे से मिलने से परिचय बढ़ता है। 

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10. मेरा आदर्श विद्यालय
अथवा
मेरा विद्यालय 

1. प्रस्तावना - प्रत्येक विद्यालय विद्या की देवी सरस्वती का पवित्र मन्दिर माना जाता है। यद्यपि सभी विद्यालयों में छात्रों को शिक्षा दी जाती है, परन्तु कुछ विद्यालय अपनी अलग विशेषता रखते हैं। ऐसे विद्यालयों को आदर्श विद्यालय माना जाता है। मेरा विद्यालय भी आदर्श विद्यालय है। 

2. विद्यालय का परिचय - मेरा विद्यालय शहर के मध्य में स्थित है। इसके विशाल भवन में पन्द्रह कमरे, एक सभा ङ्के भवन तथा एक पुस्तकालय का है। विद्यालय में खेल का विशाल मैदान है। मेरे विद्यालय में एक प्रधानाध्यापकजी तथा पन्द्रह शिक्षक हैं। तीन चपरासी और दो लिपिक भी हैं। पुस्तकालय में काफी पुस्तकें हैं। 

3. विद्यालय की विशेषताएँ - हमारा विद्यालय एक आदर्श विद्यालय है। यहाँ पर अध्ययन की अच्छी व्यवस्था है। विद्यालय का अनुशासन सर्वोत्तम है। शिक्षा के साथ - साथ हमें यहाँ खेलकूद, ध्यान - योग, सामान्य ज्ञान एवं सदाचार की भी शिक्षा दी जाती है। 

4. लाभ - मेरे आदर्श विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य उज्ज्वल बन जाता है। इससे अन्य विद्यालयों को भी शिक्षण - व्यवस्था सुधारने में सहायता मिलती है। मेरे विद्यालय से अन्य विद्यालयों को मॉडल और प्रश्न - पत्र भेजे जाते हैं तथा यहीं से अनेक सांस्कृतिक तथा शैक्षणिक प्रतियोगिताओं के कार्यक्रम भी चलाये जाते हैं। इस प्रकार मेरे आदर्श विद्यालय से यहाँ के छात्रों तथा अन्य विद्यालयों को अनेक लाभ हैं। 

5. उपसंहार - मेरा विद्यालय सभी बातों में आदर्श विद्यालय है। इसमें सभी छात्रों को सच्चाई, ईमानदारी, आज्ञापालन, कर्तव्यनिष्ठा और परिश्रमशीलता आदि की शिक्षा दी जाती है। इसी कारण हमें अपने विद्यालय से बहुत प्रेम है।

11. विद्यालय का वार्षिकोत्सव 

1. प्रस्तावना - वर्तमान काल में विद्यालयों में हर वर्ष वार्षिकोत्सव का आयोजन किया जाता है। वार्षिकोत्सव में अनेक कार्यक्रम रखे जाते हैं, जिनमें भाग लेने से छात्रों में नवीन उत्साह, स्फूर्ति तथा सजगता आ जाती है। 

2. उत्सव की तैयारियाँ - हमारे विद्यालय के प्रधानाध्यापकजी ने प्रार्थना सभा में घोषणा की कि 24 जनवरी को विद्यालय का वार्षिकोत्सव मनाया जायेगा। इस सूचना से सभी छात्र उत्सव की तैयारी में जुट गये। विद्यालय के मैदान में एक बड़ा पाण्डाल व मंच बनाया गया और अभिभावकों को निमन्त्रण - पत्र भेजे गये। 

3. उत्सव का आरम्भ एवं कार्यक्रम - निश्चित दिन को प्रातः नौ बजे से वार्षिकोत्सव प्रारम्भ हुआ। सभी आगन्तुक अपनेअपने स्थान पर बैठ गये। उत्सव के मुख्य अतिथि शिक्षा मन्त्रीजी थे। सर्वप्रथम छात्रों ने 'वन्दे मातरम्' राष्ट्रगीत गाया। इसके बाद स्वागत गान हुआ और मंच पर बैठे सभी महानुभावों को पुष्पमालाएँ पहनाई गई। इसके बाद प्रधानाध्यापकजी ने स्वागत - भाषण दिया। 

4. विविध कार्यक्रम - वार्षिकोत्सव के अवसर पर वाद - विवाद प्रतियोगिता, अन्त्याक्षरी एवं एकल गायन प्रतियोगिता प्रारम्भ हुई। इसके बाद कुछ खेल - कूद हुए। दो घण्टे के विश्राम के बाद रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। इन सभी कार्यक्रमों के बाद मुख्य अतिथि का भाषण हुआ। इसके बाद छात्रों को पुरस्कार का वितरण किया गया। अन्त में प्रधानाध्यापकजी ने सभी आगन्तुकों को धन्यवाद दिया। 

5. उपसंहार - प्रत्येक विद्यालय में ऐसे उत्सव मनाये जाते हैं। वार्षिकोत्सव के आयोजन से जहाँ विद्यालय की गतिविधियों का पता चलता है, वहीं छात्रों में परस्पर सहयोग, संगठन आदि गुणों का विकास भी होता है।

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12. मेरे प्रिय शिक्षक
अथवा 
मेरे प्रिय गुरुजी
अथवा
मेरे प्रिय अध्यापक 

1. प्रस्तावना - शिक्षा शिक्षकों के द्वारा दी जाती है। शिक्षक हमारे सम्माननीय हैं। वे हम पर बहुत उपकार करते हैं। इसीलिए उनको 'गुरु' का सम्मान दिया जाता है।

2. प्रिय शिक्षक - मैं राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ता हूँ। हमारे विद्यालय में ग्यारह अध्यापक हैं। सभी अध्यापक विभिन्न विषयों के ज्ञाता तथा परिश्रमी हैं, किन्तु जिस शिक्षक ने मुझे विशेष रूप से प्रभावित किया है, वह हैं श्री संजीव कुमारजी। ये अपनी अनेक विशेषताओं के कारण हमारे प्रिय शिक्षक हैं।

3. मेरे प्रिय शिक्षक की विशेषताएँ - मेरे प्रिय शिक्षक मेरे विषयाध्यापक के साथ - साथ कक्षाध्यापक भी हैं। वे हमारी कक्षा को हिन्दी विषय पढ़ाते हैं। वे कठिन से कठिन पाठ को भी रुचिकर बनाकर पढ़ाते हैं। केवल पढ़ाने में ही नहीं, अपितु अन्य व्यक्तिगत गुणों के कारण भी वह मेरे प्रिय शिक्षक हैं। वे सादा जीवन उच्च विचार के पोषक हैं। शिक्षार्थियों के साथ पुत्रवत् स्नेह करना, ईमानदारी और परिश्रम के साथ पढ़ाना, दूसरों के साथ मधुर व्यवहार करना, आदि ऐसे अनेक गुण हैं जो हमें प्रभावित करते हैं। वे पढ़ाने के अलावा विद्यालय के अन्य सहशैक्षिक कार्यक्रमों में भी अपना उत्तरदायित्व आगे बढ़कर हमेशा निभाते हैं। 

4. उपसंहार - मेरे प्रिय शिक्षक योग्य, परिश्रमी, स्नेही, कर्मठ, ईमानदार, अनुशासनप्रिय एवं व्यवहार - कुशल हैं। मेरी आकांक्षा है कि वे हमें अगली कक्षा में भी पढ़ायें और अपने आदर्श गुणों के कारण हमारे प्रिय शिक्षक बने।

13. पर्यावरण प्रदूषण 

1. प्रस्तावना - हमारे सौर मण्डल एवं धरती के चारों ओर के परिवेश को पर्यावरण कहते हैं, जो कि सभी जीवों व उनकी प्रजातियों के विकास, जीवन व मृत्यु को प्रभावित करता है। आज संसार की प्रत्येक वस्तु प्रदूषण से ग्रस्त है। इस कारण अब पर्यावरण प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन गया है। 

2. पर्यावरण प्रदूषण के कारण - पर्यावरण प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं - निरन्तर बढ़ती हुई जनसंख्या, तीव्र गति से शहरीकरण, बड़े उद्योगों की स्थापना, परमाणु संयन्त्र, जमीन से खनिज पदार्थों का अधिक मात्रा में दोहन, सड़कों एवं बड़े बाँधों का निर्माण, पेट्रोल - डीजल से चलने वाले वाहनों की अधिकता आदि। कारखानों से गन्दा पानी नदियों और जलाशयों में गिरकर उन्हें प्रदूषित कर रहा है। इन सभी कारणों से हवा, पानी आदि में प्रदूषण बढ़ रहा है। 

3. पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव - पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव अत्यधिक हानिकारक है। आज कई असाध्य रोग ऐसे हैं जो दूषित पानी, हवा या दूषित गैसों के कुप्रभाव से जानलेवा बन गये हैं। जल - प्रदूषण के प्रभाव से उपजाऊ खेती नष्ट हो रही है। वाहनों की अधिकता से ध्वनि प्रदूषण भी हो रहा है। इनसे आदमी की सुनने - समझने की शक्ति कम हो रही है। 

4. पर्यावरण सुधार के उपाय - प्रदूषण की समस्या का समाधान करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन अनेक उपाय कर रहा है। हमारे देश में भी अनेक उपाय किये जा रहे हैं। जैसे - अधिक से अधिक पेड़ - पौधों को रोपना, जल - मल की सफाई के सीवरेज ट्रीटमेण्ट प्लाण्ट लगाना, नदियोंजलाशयों को स्वच्छ रखना, खनिज दोहन पर रोक लगाना आदि। इसके लिए सरकार और कुछ समाजसेवी लोगों के द्वारा जन - जागरण किया जा रहा है। 

5. उपसंहार - पर्यावरण प्रदूषण का समाधान केवल सरकार के कहने से नहीं हो सकता। इसके लिए जनता में जागरूकता जरूरी है। प्रदूषण फैलाने वाले साधनों या कार्यों पर रोक लगाने से पर्यावरण में सन्तुलन स्थापित हो सकता है।

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14. विज्ञान के चमत्कार 

1. प्रस्तावना - आज विज्ञान ने ऐसे अनेक आविष्कार कर दिये हैं, जिनसे जीवन का प्रत्येक कार्य अत्यन्त आसान हो गया है। यही कारण है कि हम इस युग को पूर्णरूप से विज्ञान का युग कहते हैं। 

2. विज्ञान के विविध चमत्कार - वर्तमान में विज्ञान ने अलगअलग क्षेत्रों में अनेक चमत्कार किये हैं। विज्ञान ने यातायात के अनेक साधनों का निर्माण कर स्थानों की दूरी परी विजय पा ली है। राकेट का निर्माण करके अन्तरिक्ष यात्रा आसान कर दी है। सन्देश भेजने के क्षेत्र में, चिकित्सा के क्षेत्र में, मनोरंजन के क्षेत्र में तथा 'सुख - सुविधा के साधनों में विज्ञान ने अनेक चमत्कार किये हैं। 

3. विज्ञान से लाभ व हानि - घरों में रसोईघर से लेकर किसानों के खेत - खलिहान तक अनेक उपकरण काम में आ रहे हैं, इनसे काम शीघ्रता से हो जाता है। ये सब चमत्कार विज्ञान की लाभकारी देन हैं। परन्तु विज्ञान ने कुछ आविष्कार ऐसे कर दिये हैं, जिससे हानि भी हो रही है। कई नये आविष्कारों से असाध्य रोग फैल रहे हैं तथा धरती का तापमान व पर्यावरण भी इन चमत्कारों से प्रभावित हो रहा है।

4. उपसंहार - विज्ञान के चमत्कारों से लाभ और हानि दोनों ही हैं। हमें यह तो मानना पड़ेगा कि आज का जीवन पूरी तरह विज्ञान पर निर्भर है। हमें चाहिए कि हम विज्ञान का उपयोग मानव - कल्याण के लिए करें तो यह विज्ञान हमारे लिए वरदान बन जायेगा।

15. भयानक अग्निकाण्ड का आँखों देखा वर्णन।
अथवा
अविस्मरणीय घटना 

1. प्रस्तावना - इस संसार में अनेक ऐसी घटनाएँ घट जाती हैं, जिन्हें हम नहीं चाहते हैं। जैसे भयानक बाढ़ या भूकम्प का आना, अग्निकांड का होना आदि जो मनुष्य पर विपत्ति का पहाड़ गिरा देती हैं। यहाँ एक भयानक अग्निकांड का आँखों देखा वर्णन किया जा रहा है जो कि मेरे लिए अविस्मरणीय है। 

2. अग्निकाण्ड का स्थान व समय - हमारे गाँव में लगभग सभी के घरों में छप्पर बने हुए हैं। गाँव के बीच में रामदीन किसान का घर है। जून का महीना था। दोपहरी में अचानक ही उसके छप्पर में आग लग गई। बात ही बात में आग की लपटों ने भयंकर रूप धारण कर लिया। 

3. अग्निकाण्ड का दृश्य - आग की उठती लपटों को देखकर चारों ओर हो - हल्ला होने लगा। सभी आग को बुझाने के लिए दौड़ पड़े। चारों ओर से 'पानी लाओ, पानी लाओ' की आवाजें आ रही थीं। लगभग एक घण्टे के अथक परिश्रम के बाद आग पर काबू पाया जा सका, लेकिन तब तक छप्पर तथा उसमें रखा सारा सामान स्वाहा हो गया था। 

4. दुर्घटना से हानि - उस अग्निकाण्ड में आग बुझाने वालों का मैंने भी सहयोग किया था। लेकिन बेचारे रामदीन का घर का सारा सामान जलकर राख हो गया था। उसके साथ ही उसकी दो साल की बच्ची भी जो छप्पर के नीचे सो रही थी, जल गई थी। इससे उसके परिजनों का करुण विलाप सभी को शोक में डुबा रहा था। 

5. उपसंहार - गाँव के सभी लोगों ने रामदीन के परिवार वालों को समझा - बुझाकर शान्त किया। साथ ही सबने मिलकर उसकी सहायता की। आज भी जब मुझे उस भयंकर अग्निकांड का स्मरण हो आता है, तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

RBSE Class 7 Hindi Rachana निबंध-लेखन

16. कम्प्यूटर शिक्षा
अथवा 
'कम्प्यूटर शिक्षा का महत्त्व
अथवा 
कम्प्यूटर शिक्षा की आवश्यकता

1. प्रस्तावना - 'कम्प्यूटर' का शाब्दिक अर्थ होता है, संगणक या गणनाकार। टेलीविजन के आविष्कार के बाद, गणितीय कार्य की जटिलता को ध्यान में रखकर 'कम्प्यूटर' का आविष्कार किया गया। 

2. कम्प्यूटर शिक्षा का प्रसार - कम्प्यूटर तीव्र गति से गणितीय प्रोसेसिंग करता है। इसलिए कम्प्यूटर को शिक्षा का पाठ्यक्रम बनाकर शिक्षा का प्रसार तेजी से किया गया। 

3. कम्प्यूटर का विविध क्षेत्रों में उपयोग - कम्प्यूटर का विविध क्षेत्रों में प्रयोग होने लगा। रेल, बस, हवाई जहाज के टिकटों का वितरण - आरक्षण किया जा सकता है। पानीबिजली - टेलीफोन के बिलों, परीक्षा परिणामों का संगणनप्रतिफलन करने के अलावा अन्य अनेक कार्यों में इसका उपयोग सफलतापूर्वक किया जा रहा है। 

4. कम्प्यूटर शिक्षा से लाभ - कम्प्यूटर शिक्षा से जटिलतम प्रश्नों एवं समस्याओं का हल आसानी से हो जाता है। यांत्रिक साधनों के विकास और व्यावसायिक क्षेत्र की सफलता में इसका योगदान है। इसी से दूरस्थ शिक्षा तथा ऑनलाइन एजूकेशन के अलावा इन्टरनेट के कार्यक्रम भी आसानी से चल रहे हैं। 

5. उपसंहार - कम्प्यूटर शिक्षा का आज के जमाने में सर्वाधिक महत्त्व है। आज इसकी सभी क्षेत्रों में उपयोगिता बढ़ रही है।

17. मेरा प्रिय खेल (क्रिकेट) 

1. प्रस्तावना - मनुष्य अपनी मानसिक थकान को मिटाने के लिए खेल खेलता है। खेल खेलने से मन और शरीर दोनों ही स्वस्थ रहते हैं। मेरा प्रिय खेल 'क्रिकेट' है। 

2. मैदान एवं खिलाड़ी - बड़े मैदान में इस खेल की पिच बाईस गज लम्बी होती है। उसके दोनों किनारों पर तीनतीन विकटें जमीन में गाड़ी हुई होती हैं। इस खेल में दो टीमों में मैच होता है। प्रत्येक टीम में ग्यारह - ग्यारह खिलाड़ी होते हैं। प्रत्येक टीम की अपनी - अपनी पोशाक होती है। खेलने के प्रमुख साधन बैट और बॉल होते हैं। 

3. खेल खेलना - खेल का प्रारम्भ 'टॉस' से होता है। जो 'टॉस' जीत जाता है, वह अपनी इच्छानुसार 'बैटिंग' और 'फील्डिंग' में से किसी एक को चुन लेता है। दोनों टीमें खेलकर जो टीम ज्यादा रन बना लेती है, वह टीम विजयी घोषित कर दी जाती है। 

4. उपसंहार - क्रिकेट अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आज का सबसे लोकप्रिय खेल है। इस खेल को खेलने से जहाँ शरीर स्वस्थ रहता है, वहीं मानसिक और शारीरिक विकास भी होता है। इसलिए यह मेरा प्रिय खेल है।

RBSE Class 7 Hindi Rachana निबंध-लेखन

18. योग का महत्त्व
अथवा योग भगाए रोग
अथवा योग और स्वास्थ्य
अथवा
योग : स्वास्थ्य की कुंजी 

1. प्रस्तावना - भारतीय संस्कृति विश्व में अपनी श्रेष्ठता और महानता के लिए प्रसिद्ध रही है। इसके मूल में 'सभी सुखी रहें' की भावना व्याप्त है। इसी कारण हमारे ऋषियों और मुनियों ने मानव - जीवन को सुखी बनाने के लिए। अनेक उपाय किये हैं। इन उपायों में से एक उपाय हैयोग। 

2. योग से आशय - मन और शरीर से जो कार्य किया जाए, उसे ही योग कहते हैं। योग.का स्वास्थ्य से गहरा सम्बन्ध है। मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए योग की कोई न कोई क्रिया रोज करनी चाहिए। 

3. वर्तमान में योग और स्वास्थ्य - आज का मनुष्य अनियमित दिनचर्या के कारण जहाँ अनेक शारीरिक और मानसिक बीमारियों से पीड़ित है, वहीं स्वास्थ्य के प्रति भी सचेत है। अनेक संस्थाएँ योग का जगह - जगह प्रशिक्षण देती हैं और लोगों को स्वस्थ और दीर्घ जीवित रहने का सहज उपाय सिखाती हैं। अत: मन एवं शरीर को हृष्ट - पुष्ट रखने के लिए योग की क्रियाएँ नियमित करनी चाहिए। 

4. उपसंहार - योग भारतीय संस्कृति का एक अनुपम उपहार है। योग स्वास्थ्य की कुंजी है। इसका प्रचार - प्रसार दिनोंदिन बढ़ता चला जा रहा है।

19. कोरोना महामारी 

1. प्रस्तावना - कोरोना वाइरस कई प्रकार के विषाणुओं का एक समूह है। इसके नाम की उत्पत्ति लेटिन भाषा से हुई

2. रोग की उत्पत्ति - कोरोना वायरस संक्रमण के बारे में वर्ष 2019 के अन्त में चीन के वुहान शहर में पहली बार पता चला। 

3. प्रसारण एवं लक्षण - इस वाइरस के मानव से मानव में प्रसारण की पुष्टि 2019 - 20 में कोरोना वाइरस महामारी के दौरान की गई। इसका प्रसारण मुख्य रूप से 6 फीट की सीमा के भीतर खाँसी व छींकों के माध्यम से रोगी व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में होता है। इसके सामान्य मुख्य लक्षण लार का बनना, साँस लेने में तकलीफ, गले में खराश, सिर दर्द, ठण्ड लगना, जी मिचलाना, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द आदि हैं। 

4. रोकथाम व बचाव के उपाय - इसके रोकथाम व बचाव के लिए निम्नलिखित प्रमुख उपाय किए जाने आवश्यक हैं  -  

  • यात्रा करने से बचना चाहिए, घर में ही रहना चाहिए। 
  • मास्क का उपयोग करना चाहिए। 
  • हाथों को बार - बार लगभग 20 सैकण्ड तक धोते रहना चाहिए तथा दूरी बनाकर रहना चाहिए। 
  • बारबार आँख, नाक, मुँह को छूने से बचना चाहिए। 

5. उपसंहार - कोरोना एक महामारी है। इससे मृत्यु दर बढ़ी है। अब इसके इलाज के लिए भारत सहित संसार के अन्य देशों ने वैक्सीन की खोज कर ली है। वैक्सीन के माध्यम से अब इसका उपचार भी प्रारम्भ हो गया है।

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20. जल - संरक्षण
अथवा
जल है तो जीवन है 

1. प्रस्तावना - इस सृष्टि में जल ही जीवन का मूल आधार है। धरती पर जल के कारण ही पेड़ - पौधों, वनस्पतियों और जीव - जन्तुओं का जीवन सुरक्षित है। इसीलिए कहा गया है - 'जल है तो जीवन है ' या 'जल ही अमृत है।' 

2. जल - संरक्षण के प्रति दायित्व - हमारी प्राचीन संस्कृति में जल - संरक्षण पर उचित ध्यान दिया जाता था। नदियों एवं तालाबों को स्वच्छ रखा जाता था। कुओं, बावड़ियों, झरनों आदि जल - स्त्रोतों की सुरक्षा की जाती थी। परन्तु वर्तमान में जल - संरक्षण के प्रति उपेक्षा की जा रही है। 

3. जल - संकट एवं संरक्षण - आजकल सब ओर प्रदूषण फैलने से तालाब, कुएँ, बावड़ियाँ आदि सूख रहे हैं। भूमि के अन्दर का जल लगातार दोहन करने से घट गया है। बड़ी नदियों को आपस में जोड़ना चाहिए और सभी जलस्रोतों को प्रदूषण से बचाना चाहिए। 

4. उपसंहार - जल ही जीवन का आधार है। इसलिए जल - संरक्षण के लिए जन - चेतना में जागृति का प्रसार होना चाहिए।

21. पर्यावरण संरक्षण
अथवा 
आम जन में पर्यावरणीय चेतना 

1. प्रस्तावना - 'परि' का आशय चारों ओर तथा 'आवरण' का आशय प्राकृतिक परिवेश है। 

2. पर्यावरण संरक्षण की समस्या - विज्ञान की असीमित प्रगति तथा नये आविष्कारों की स्पर्धा के कारण प्रकृति का सन्तुलन बिगड़ गया है। दूसरी ओर, जनसंख्या की निरन्तर वृद्धि, औद्योगीकरण, शहरीकरण, हरे पेड़ों की कटाई, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन, यातायात के साधनों से निकलने वाला धुआँ, आदि से पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ रहा है।

3. पर्यावरण संरक्षण का महत्त्व - पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्रदूषण से मानव सभ्यता के भविष्य पर खतरा मंडराने लगा है। 

4. पर्यावरण संरक्षण के उपाय - पेड़ - पौधों को बहुसंख्या में लगाया जाना चाहिए। नदियों की स्वच्छता, गैसीय पदार्थों का उचित विसर्जन, गन्दे जल - मल का परिशोधन, जनसंख्या नियंत्रण आदि अनेक उपाय किए जा सकते हैं। 

5. उपसंहार - पर्यावरण संरक्षण किसी एक व्यक्ति या एक देश का काम नहीं है। यह समस्त विश्व के लोगों का कर्तव्य है।

Prasanna
Last Updated on March 31, 2023, 7:41 p.m.
Published June 23, 2022