Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 6 Hindi Rachana कहानी-लेखन Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 6 Hindi are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 6 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Here is visheshan worksheet for class 6 to learn grammar effectively and quickly.
1. दो हंस एवं कछुए की मित्रता
किसी तालाब में एक कछुआ और दो हंस रहते थे। वे सभी परस्पर अच्छे मित्र थे और मित्रता निभाना अपना कर्तव्य मानते थे। कुछ समय बीतने पर वर्षा न होने से तालाब धीरेधीरे सूखने लगा। तब कछुए ने हंसों से कहा कि इस तालाब के सूख जाने पर मैं जीवित नहीं रह सकूँगा। कोई उपाय सोचिए। तब हंसों ने कहा कि बुरा समय आने पर भी धैर्य रखना चाहिए। यहाँ से चार कोस दूर तक बड़ा तालाब है। तुम्हें वहाँ ले चलने का उपाय सोचते हैं। तब कछुए ने कहा कि एक मजबूत लकड़ी ले आइए।
मैं उस लकड़ी के मध्य भाग को अपने दाँतों से पकड़ लूँगा और तुम दोनों उसके किनारों को पकड़कर मुझे उस तालाब में ले चलो। दोनों हंसों ने वैसा ही किया, वे उसे एक लकड़ी के सहारे ले जाने लगे। आकाश में उन्हें देखकर नीचे से लोगों ने हो-हल्ला किया, जिससे घबराते हुए कछुए ने अपना मुख खोला ही था कि वह नीचे गिर गया और उसकी मृत्यु हो गई। इस तरह मित्रों ... की सलाह न मानने से कछुए का जीवनान्त हुआ। शिक्षा-विपत्ति का सामना धैर्य रखकर करना चाहिए, मित्रों की बात माननी चाहिए।
2. वानर-मगर की कथा
समुद्र-तट पर विशाल जामुन वृक्ष पर एक वानर रहता था। एक दिन समुद्र से निकलकर कोई मगर उस पेड़ के नीचे रेत पर लेट गया, वानर ने उसे जामुन के फल दिये। इस तरह उन दोनों में मित्रता हो गई। एक दिन मगर वानर के पास गया और बोला कि मेरी पत्नी तुमसे मिलना चाहती है। तुम मेरी पीठ पर बैठकर समुद्र के बीच में उससे मिलने चलो। वानर उसकी बातों में आ गया तथा उसकी पीठ पर बैठ गया। बीच समुद्र में जाने पर मगर ने कहा कि मेरी पत्नी तुम्हारा हृदय खाना चाहती है, इसीलिए मैंने तुम्हारे साथ छल किया है।
वानर ने चतुराई से कहा कि मेरा हृदय पेड़ पर रखा रहता है। तुमने पहले नहीं बताया। वापस चलो, मैं पेड़ से अपना हृदय ले आता हूँ। मूर्ख मगर वानर की बात मान गया। वह उसे वापिस ले आया। तब वानर शीघ्रता से उसकी पीठ से उतरकर पेड़ पर चढ़ा और बोला कि क्या शरीर से हृदय अलग रहता है? अरे मूर्ख, विश्वासघाती ! दूर हट जा, फिर कभी इस पेड़ के नीचे मत आना। शिक्षा मित्रों के साथ छल एवं विश्वासघात नहीं करना चाहिए।
3. चतुर खरगोश की कथा
किसी वन में कोई घमण्डी सिंह रहता था। वह प्रतिदिन अनेक मृगों और खरगोशों आदि को मारता था। एक दिन वन में रहने वाले सभी पशुओं ने सिंह के पास जाकर कहा कि आप जंगल के राजा हैं। हम सब आपकी प्रजा हैं। हम आपके पास रोजाना एक जानवर भेज देंगे, आप उसे आराम से खायें। ऐसा तय होने पर प्रतिदिन एक पशु सिंह के पास जाने लगा। एक दिन चतुर खरगोश की बारी आयी। वह सिंह के पास काफी देर से पहुंचा।
पूछने पर उसने सिंह को बताया कि रास्ते में एक दूसरा शेर मिल गया। उसने मुझे रोक लिया था। मैं उससे प्राण बचाकर आपके पास आया हूँ। यह बात सुनकर सिंह क्रोधित हुआ और खरगोश को साथ लेकर चला । एक कुएं के पास जाकर खरगोश ने कहा कि वह शेर इसी में रहता है। सिंह ने कुएं में देखा, उसमें उसे अपनी परछाई दिखी। सिंह ने उसे दूसरा शेर समझा और गुस्से में
अपने लिए घर क्यों नहीं बना लेते? तब बन्दर ने गुस्से में कहा कि तुम्हें मेरी चिन्ता से क्या मतलब? चुप रहो! चटका ने फिर बन्दर को समझाने के लिए कुछ कहा, तो वह बन्दर गुस्से में आकर पेड़ पर चढ़ा और उसने चटका के जोड़े का घोंसला तोड़ दिया और उसे टुकड़े-टुकड़े कर नीचे फेंक दिया। इस तरह चटका ने बन्दर की भलाई की बात की थी, परन्तु मूर्ख बन्दर को उसकी बात अच्छी नहीं लगी और उनका अहित किया। शिक्षा-मूरों को उपदेश या सलाह देना व्यर्थ रहता है।