These comprehensive RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 6 अंतर्राष्ट्रीय संगठन will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 12 Political Science Chapter 6 Notes अंतर्राष्ट्रीय संगठन
→ संयुक्त राष्ट्रसंघ की भूमिका
- संयुक्त राष्ट्र संघ को वर्तमान में सबसे महत्त्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय संगठन माना जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ को 'यू. एन' के नाम से भी जाना जाता है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व भर के लोगों की नजर में शान्ति और प्रगति के प्रति मानवता की आशा का प्रतीक है।
→ अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों की आवश्यकता
- अन्तर्राष्ट्रीय संगठन युद्ध और शान्ति के मामलों में सहायता करते हैं।
- एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन सहयोग करने के उपाय एवं सूचनाएँ जुटाने में सहायता कर सकता है।
- एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन नियमों और नौकरशाही की एक रूपरेखा दे सकता है ताकि सदस्यों में यह विश्वास हो कि आने वाली लागत में सभी की समुचित साझेदारी होगी, लाभ का न्यायोचित बँटवारा होगा एवं कोई सदस्य एक बार समझौते में सम्मिलित हो जाता है तो वह इस समझौते के नियम और शर्तों का पालन करेगा।
→ संयुक्त राष्ट्रसंघ का विकास
- प्रथम विश्वयुद्ध के पश्चात् विश्व के कुछ प्रमुख देशों ने मिलकर एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन 'राष्ट्र संघ' की स्थापना की। लेकिन यह संगठन द्वितीय विश्वयुद्ध को रोकने में असफल रहा।
- राष्ट्र संघ (लीग ऑफ नेशंस) के उत्तराधिकारी के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को की गयी। 51 देशों द्वारा इसके घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करने के साथ संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना हुई।
- संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय झगड़ों को रोकना एवं राष्ट्रों के मध्य सहयोग स्थापित करना है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ का मुख्यालय न्यूयार्क में स्थित है तथा 2011 में इसके सदस्यों की संख्या 193 थी। दक्षिणी सूडान 193वाँ सदस्य (2011) में बना है। संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रमुख अंग हैं-आम सभा, सुरक्षा परिषद्, अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय, सचिवालय, आर्थिक और सामाजिक परिषद् एवं न्यासिता परिषद।
- संयुक्त राष्ट्र संघ का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग सुरक्षा परिषद् है जिसके 5 स्थायी तथा 10 अस्थायी सदस्य होते हैं।
- संयुक्त राष्ट्र संघ की आम सभा में प्रत्येक सदस्य को एक वोट हासिल है। अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस तथा चीन इसकी सुरक्षा परिषद् में पाँच स्थायी सदस्य हैं।
- संयुक्त राष्ट्र संघ का महासचिव इसका सर्वाधिक दिखने वाला सार्वजनिक चेहरा तथा इसका प्रधान प्रतिनिधि होता है।
- सामाजिक एवं आर्थिक मुद्दों से निबटने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की कई एजेन्सियाँ हैं। इनमें प्रमुख हैं-विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP), संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHRC), संयुक्त राष्ट्र संघ शरणार्थी उच्चायोग (UNHCR), संयुक्त राष्ट्र संघ बाल कोष (UNICEF), संयुक्त राष्ट्र संघ शैक्षणिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) आदि।
→ संयुक्त राष्ट्रसंघ में सुधार
- शीतयुद्ध के पश्चात् राष्ट्र संघ में सुधार की आवश्यकता महससू हुई।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के सामने दो प्रकार के बुनियादी सुधारों का मसला है
- इस संगठन की बनावट एवं इसकी प्रक्रिया में सुधार किया जाए।
- इस संगठन के न्यायाधिकार में आने वाले मुद्दों की समीक्षा की जाए।
- संयुक्त राष्ट्र संघ की बनावट एवं प्रक्रियाओं में सुधार के सम्बन्ध में माँग यह है कि सुरक्षा परिषद् में स्थायी व अस्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ायी जाए तथा समकालीन विश्व राजनीति की वास्तविकताओं का इस संगठन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व हो।
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के ढाँचे में बदलाव के मुद्दे को कई आधारों पर समर्थन दिया है। उसका मत है कि बदलते हुए विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ की मजबूती एवं दृढ़ता अति आवश्यक है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ को विभिन्न देशों के बीच सहयोग बढ़ाने एवं विकास को बढ़ावा देने में अधिक बड़ी भूमिका निभानी चाहिए। भारत का यह भी मत है कि सुरक्षा परिषद् में सदस्यों की संख्या बढ़ाने से सुरक्षा परिषद् अधिक प्रतिनिधिमूलक होगी और उसे विश्व समुदाय का पर्याप्त समर्थन प्राप्त होगा। इसलिए सुरक्षा परिषद् में स्थायी एवं अस्थायी दोनों प्रकार के सदस्यों की संख्या बढ़ायी जानी चाहिए।
- भारत स्वयं सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य बनना चाहता है। जनसंख्या की दृष्टि से भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है तथा विश्व का सबसे बड़ा लोकतन्त्र है।
- पाकिस्तान जैसे देश संयुक्त राष्ट्र संघ में वीटोधारी स्थायी सदस्य के रूप में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे हैं।
→ एक ध्रुवीय विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ
- संयुक्त राष्ट्र संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका की मनमानी पर आसानी से अंकुश नहीं लगा सकता है।
- सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् विश्व की एकमात्र महाशक्ति रह जाने के पश्चात् संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी सैन्य एवं आर्थिक शक्ति के बल पर संयुक्त राष्ट्र संघ की अनदेखी कर सकता है।
- यद्यपि एकध्रुवीय विश्व में संयुक्त राष्ट्र संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका पर नियन्त्रण नहीं लगा सकता, लेकिन संयुक्त राष्ट्र संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका एवं शेष विश्व के बीच विभिन्न मुद्दों पर बातचीत स्थापित कर सकता है।
- आज विभिन्न समाजों एवं मसलों के बीच आपसी तार जुड़ते जा रहे हैं। आगे आने वाले दिनों में पारस्परिक निर्भरता बढ़ती जायेगी। इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ का महत्त्व भी निरन्तर बढ़ता जाएगा। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) वैश्विक स्तर पर वित्त व्यवस्था की देखरेख करता है तथा माँगे जाने पर वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करता है।
- विश्व बैंक की स्थापना सन् 1944 में हुई थी। यह अपने सदस्य देशों को आसान शर्तों पर ऋण व अनुदान देता है। विश्व व्यापार संगठन वैश्विक व्यापार के नियमों को निर्धारित करता है। इसकी स्थापना सन् 1995 में हुई थी।
- अन्तर्राष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेंसी (IAEA)) की स्थापना सन् 1957 में हुई थी। यह संगठन परमाण्विक ऊर्जा के शान्तिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने एवं सैन्य उद्देश्यों में इसके उपयोग को रोकने की कोशिश करता है।
- एमनेस्टी इंटरनेशनल एक स्वयंसेवी संगठन है जो सम्पूर्ण विश्व में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए अभियान चलाता है।
- ह्यूमन राइट वॉच संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन है जो मानवाधिकारों का समर्थन एवं उनसे सम्बन्धित अनुसन्धान करता है।
→ संयुक्त राष्ट्र संघ:
24 अक्टूबर, 1945 को स्थापित एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन, जिसका मुख्य उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय झगड़ों को रोकना एवं राष्ट्रों के मध्य सहयोग की राह दिखाना है।
→ अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष;
यह वैश्विक स्तर पर वित्त व्यवस्था की देखभाल करने वाला संगठन है, जो माँगे जाने पर वित्तीय एवं तकनीकी सहायता उपलब्ध कराता है।
→ वैश्विक वित्त व्यवस्था:
इसका अभिप्राय अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करने वाली वित्तीय संस्थाओं तथा लागू होने वाले नियमों से है।
→ वीटो (निषेधाकार):
वीटो का शाब्दिक अर्थ है-मैं मना करता हूँ। संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् का कोई स्थायी सदस्य यदि किसी महत्त्वपूर्ण प्रश्न पर अपनी असहमति प्रकट करता है तो उसे अस्वीकृत कर दिया जाता है। वर्तमान में सुरक्षा परिषद् के पाँच स्थायी सदस्य चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन एवं संयुक्त राज्य अमेरिका हैं।
→ विश्व बैंक:
मुख्य रूप से विकासशील देशों को आसान शर्तों पर ऋण एवं अनुदान देने वाला अन्तर्राष्ट्रीय बैंक। इसकी स्थापना सन् 1945 में की गयी।
→ विश्व व्यापार संगठन:
यह वैश्विक व्यापार के नियमों को निर्धारित करने वाला अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 1 जनवरी, 1995 को हुई थी।
→ अन्तर्राष्ट्रीय आण्विक ऊर्जा एजेन्सी:
सन् 1957 में स्थापित यह संगठन परमाण्विक ऊर्जा के शान्तिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने तथा सैन्य उद्देश्यों में इसके प्रयोग को रोकने का प्रयास करता है।
→ एमनेस्टी इंटरनेशनल:
यह एक गैर-सरकारी संगठन है जो अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकारों के संरक्षण हेतु कार्य करता
→ ह्यूमन राइट्स वाच:
यह संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन है जो विश्व मीडिया की दृष्टि मानवाधिकारों के उल्लंघन की तरफ खींचता है।
→ चार्टर:
संयुक्त राष्ट्र संघ का अपना संविधान है, जिसे चार्टर कहा जाता है। यह चार्टर सैन फ्रांसिस्को सम्मेलन में तैयार किया गया था।
→ ट्राइग्व ली (1946-1952):
नार्वे निवासी संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रथम महासचिव। इन्होंने कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच हुई लड़ाई में युद्ध विराम के लिए प्रयास किए।
→ डेग हैमरशोल्ड (1953-1961):
स्वीडन निवासी, संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वितीय महासचिव। इन्होंने स्वेज नहर से जुड़े विवाद को सुलझाने एवं अफ्रीका के अनौपनिवेशीकरण के लिए कार्य किया। कांगो संकट को सुलझाने की दिशा में किये गये प्रयासों के लिए इन्हें मरणोपरान्त नोबेल शान्ति पुरस्कार दिया गया।
→ यू थांट (1961-1971):
म्यांमार निवासी संयुक्त राष्ट्र संघ के तीसरे महासचिव रहे। इन्होंने क्यूबा के मिसाइल संकट के समाधान एवं कांगो संकट की समाप्ति के प्रयास किए।
→ कुर्त वाल्दहीम (1972-1981):
आस्ट्रिया निवासी, लेबनॉन व नामीलिया की समस्याओं के समाधान के प्रयास किये। तीसरी बार महासचिव पद पर चुने जाने की दावेदारी का चीन ने विरोध किया।
→ जेवियर पेरेज व कूइयार (1982-1991):
पेरु निवासी राजनयिक एवं वकील। शान्ति स्थापना के लिए प्रयास किये। फॉकलैंड के बाद ब्रिटेन और अर्जेंटीना के मध्य मध्यस्थता।
→ बुतरस बुतरस घाली (1992-1996):
मित्र निवासी, मोजाम्बिक में संयुक्त राष्ट्र संघ का सफल अभियान चलाया। गंभीर असहमतियों के कारण अमेरिका ने दुबारा महासचिव बनने का विरोध किया।
→ कोफी ए. अन्नान (1997-2006):
घाना निवासी, इन्होंने अमेरिकी नेतृत्व में इराक पर हुए हमले को अवैध करार दिया। इन्हें 2001 का नोबेल शान्ति पुरस्कार प्रदान किया गया।
→ बान की मून (2007-2016):
दक्षिण कोरिया के बान की मून संयुक्त राष्ट्र संघ के आठवें महासचिव थे। सन् 1971 के पश्चात् इस पद पर बैठने वाले मून पहले एशियाई व्यक्ति हैं।
→ एंटोनियो गुटेरेस:
पुर्तगाल के पूर्व प्रधानमन्त्री एंटोनियो गुटेरेस संयुक्त राष्ट्र संघ के नौवे एवं वर्तमान महासचिव हैं।
→ महत्त्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ
- वर्ष सन् 1939-45: घटनाक्रम द्वितीय विश्वयुद्ध की समयावधि।
- अगस्त 1941: ब्रिटेन के प्रधानमन्त्री चर्चिल व अमेरिकी राष्ट्रपति रूजवेल्ट द्वारा अटलांटिक चार्टर पर हस्ताक्षर किया जाना।
- जनवरी 1942: धुरी शक्तियों के विरुद्ध लड़ रहे 26 मित्र राष्ट्रों का अटलांटिक चार्टर के समर्थन में वाशिंगटन में मिलना।
- दिसम्बर 1943: संयुक्त राष्ट्र संघ की घोषणा पर हस्ताक्षर हुए।
- अप्रैल-मई 1945: सैन फ्रांसिस्को में संयुक्त राष्ट्र संघ का अन्तर्राष्ट्रीय संगठन बनाने के मुद्दे पर केन्द्रित दो महीने तक चला सम्मेलन सम्पन्न।
- 26 जून, 1945: संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर पर 50 देशों के हस्ताक्षर।
- 15 अक्टूबर, 1945: पोलैण्ड द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर पर हस्ताक्षर करना। इस तरह संयुक्त राष्ट्र संघ में 51 मूल संस्थापक सदस्य हुए।
- 24 अक्टूबर, 1945: संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना, 24 अक्टूबर को प्रतिवर्ष संयुक्त राष्ट्र संघ दिवस मनाने का प्रस्ताव पारित ।
- 30 अक्टूबर, 1945: भारत संयुक्त राष्ट्र में सम्मिलित हुआ।
- 1 जनवरी, सन् 1966: संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद में सदस्य संख्या 11 से बढ़कर 15 की गयी लेकिन स्थायी सदस्यों की संख्या स्थिर रही।
- 1 जनवरी, 1997: संयुक्त राष्ट्र संघ में बदलाव की माँगों के मद्देनजर कॉफी अन्नान जाँच शुरू कराई कि सुधार कैसे कराए जाएँ।
- सन् 1995: विश्वं व्यापार संगठन की स्थापना। इसकी सदस्य संख्या 164 है।
- सितम्बर, 2005: 60 साल पूरे होने पर सभी सदस्य एकत्र हुए।
- 19 जून, 2006: मानवाधिकार परिषद् की स्थापना।
- जनवरी 2007: दक्षिण कोरिया के बान की मून द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ के आठवें महासचिव के रूप में पदभार सम्भालना। 1971 के बाद इस पद पर आसीन होने वाले पहले एशियाई।
- 1 जनवरी, 2017: पुर्तगाल के एंटोनियो गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र संघ के नौवें महासचिव का पदभार संभाला।