These comprehensive RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना will give a brief overview of all the concepts.
Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Political Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 12. Students can also read RBSE Class 12 Political Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 12 Political Science Notes to understand and remember the concepts easily. The satta ke vaikalpik kendra notes in hindi are curated with the aim of boosting confidence among students.
→ राजनीतिक उत्तराधिकार की चुनौती
→ चौथा आम चुनाव
→ गठबंधन
→ दल-बदल
→ कांग्रेस में विभाजन
→ 1971 का चुनाव और कांग्रेस का पुनर्स्थापन:
→ खतरनाक दशक:
सन् 1960 के दशक को 'खतरनाक दशक' कहा जाता है क्योंकि गरीबी, असमानता, सांप्रदायिक और क्षेत्रीय विभाजन आदि के सवाल अभी अनसुलझे थे। संभव था कि इन सभी कठिनाइयों के कारण देश में लोकतंत्र की परियोजना असफल हो जाती अथवा देश ही बिखर जाता।
→ जय जवान-जय किसान:
लाल बहादर शास्त्री जी सन् 1964 से 1966 ई. तक देश के प्रधानमंत्री रहे। इस छोटी अवधि में देश ने दो बड़ी चुनौतियों का सामना किया। कई जगहों पर खाद्यान्न का गंभीर संकट आ पड़ा था फिर सन् 1965 में पाकिस्तान के साथ भी युद्ध करना पड़ा। शास्त्री ने 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया। ताकि इन दोनों चुनौतियों से निपटा जा सके।
→ द्रविड़ मुनेत्र कषगम:
द्रविड़ मुनेत्र कषगम एक क्षेत्रीय पार्टी थी। सन् 1967 के चुनावों में मद्रास प्रांत में एक क्षेत्रीय पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कषगम पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता पाने में सफल रही। द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) हिन्दी विरोधी आंदोलन का नेतृत्व करके सत्ता में आई थी। चुनावी इतिहास में यह पहली घटना थी जब किसी गैर-कांग्रेसी दल को किसी राज्य में पूर्ण बहुमत मिला था।
→ गैर-कांग्रेसवाद:
कांग्रेस की विरोधी पार्टियों ने महसूस किया कि उनके वोट बँट जाने के कारण ही कांग्रेस सत्तासीन है। इन दलों को लगा कि इंदिरा गांधी की अनुभवहीनता और कांग्रेस की अंदरूनी उठापटक से उन्हें कांग्रेस को सत्ता से हटाने का एक अवसर हाथ लगा है। समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने इस रणनीति को 'गैर-कांग्रेसवाद' का नाम दिया।
→ राजनीतिक भूकंप:
सन् 1967 के चुनाव के परिणामों से कांग्रेस को राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर गहरा धक्का लगा। कांग्रेस को जैसे-तैसे लोकसभा में बहुमत तो मिल गया था, लेकिन उसको प्राप्त मतों के प्रतिशत तथा सीटों की संख्या में भारी गिरावट आई थी। तत्कालीन अनेक राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने चुनाव परिणामों को "राजनीतिक भूकंप" की संज्ञा दी।
→ गठबंधन सरकार:
सन् 1967 के चुनावों से गठबंधन की परिघटना सामने आई। चूँकि किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। अतः अनेक गैर-कांग्रेसी पार्टियों ने एकजुट होकर संयुक्त विधायक दल बनाया और गैर-कांग्रेसी सरकारों को समर्थन दिया। इसी कारण इन सरकारों को संयुक्त विधायक दल की सरकार कहा गया।
→ पॉपुलर यूनाइटेड फ्रंट:
सन् 1967 के चुनावों में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था अतः अनेक गैर-कांग्रेसी पार्टियों ने एकजुट होकर संयुक्त विधायक दल बनाया। पंजाब में बनी संयुक्त विधायक दल की सरकार को 'पॉपुलर यूनाइटेड फ्रंट' की सरकार कहा गया। इसमें उस वक्त के दो परस्पर प्रतिस्पर्धी अकाली दल-संत ग्रुप और मास्टर ग्रुप शामिल थे।
→ दल-बदल:
कोई जनप्रतिनिधि किसी खास दल के चुनाव चिह्न को लेकर चुनाव लड़े और जीत जाए तथा चुनाव जीतने के बाद इस दल को छोड़कर किसी दूसरे दल में शामिल हो जाए, तो इसे दल-बदल कहते हैं।
→ आया राम-गया राम:
विधायकों द्वारा तुरत-फुरत पार्टी छोड़कर दूसरी-तीसरी पार्टी में शामिल होने की घटना से राजनीतिक शब्दकोश में 'आया राम-गया राम' का मुहावरा सम्मिलित हुआ। इस शब्द को लेकर बहुत से चुटकुले और कार्टून बने। बाद के समय में दल-बदल को रोकने के लिए संविधान में संशोधन किया गया।
→ कांग्रेस सिंडिकेट:
'सिंडिकेट' कांग्रेस के भीतर ताकतवर और प्रभावशाली नेताओं का एक समूह था। ‘सिंडिकेट' ने इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनवाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उसी ने इंदिरा गांधी को कांग्रेस संसदीय दल की नेता के रूप में चुना जाना सुनिश्चित किया था। सिंडिकेट के नेताओं को उम्मीद थी कि इंदिरा गांधी उनकी सलाहों पर ध्यान देंगी।
→ कामराज योजना:
के. कामराज एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा कांग्रेस के नेता थे। सन् 1963 में उन्होंने प्रस्ताव रखा कि सभी वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को इस्तीफा दे देना चाहिए ताकि अपेक्षाकृत युवा पार्टी कार्यकर्ता कमान संभाल सकें। यह प्रस्ताव कामराज योजना के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
→ किंगमेकर:
राजा/सम्राट या प्रधानमंत्री आदि नेताओं के पदों पर बिठाने वाले प्रभावशाली नेतागणों को 'किंगमेकर' की संज्ञा दी जाती है। जैसे 'सिंडिकेट' ने इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनवाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
→ दस-सूत्री कार्यक्रम:
इंदिरा गांधी द्वारा सन् 1967 में कांग्रेस की लोकप्रियता की पुनर्स्थापना के लिए घोषित और पार्टी द्वारा अपनाया गया आर्थिक-सामाजिक कार्यक्रम दस सूत्री कार्यक्रम कहलाया। इस कार्यक्रम में बैंकों पर सामाजिक नियंत्रण, आम बीमा के राष्ट्रीयकरण, भूमि सुधार आदि प्रावधान शामिल थे।
→ प्रिवीपर्स:
देसी रियासतों का विलय भारतीय संघ में करने से पहले सरकार ने यह आश्वासन दिया था कि रियासतों के तत्कालीन शासक परिवार को निश्चित मात्रा में निजी सम्पति रखने का अधिकार होगा। साथ ही सरकार की तरफ से उन्हें कुछ विशेष भत्ते भी दिए जायेंगे। इस व्यवस्था को 'प्रिवीपर्स' कहा गया।
→ ग्रैंड अलायंस:
सन् 1971 के पाँचवें आम चुनावों में सभी बड़ी गैर-साम्यवादी और गैर-कांग्रेसी विपक्षी पार्टियों ने एक चुनावी गठबंधन बना लिया था। इसे 'ग्रैंड अलायंस' कहा गया। इससे इंदिरा गांधी के लिए स्थिति और कठिन हो गई। 'ग्रैंड अलायंस' के पास कोई सुसंगत राजनीतिक कार्यक्रम नहीं था।
→ गरीबी हटाओ का नारा:
इंदिरा गांधी ने देशभर में लोगों के सामने 'गरीबी हटाओ' का एक सकारात्मक कार्यक्रम रखा। 'गरीबी हटाओ' के नारे से इंदिरा गांधी ने वंचित वर्गों विशेषकर भूमिहीन किसान, दलित और आदिवासी अल्पसंख्यक, महिला और बेरोजगार नौजवानों के बीच अपने समर्थन का आधार तैयार करने की कोशिश की।
→ लाल बहादुर शास्त्री :
पं० जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के पश्चात् देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। 10 जनवरी, 1966 को इनका ताशकंद में अचानक निधन हो गया। इन्होंने 'जय जवान-जय किसान' का नारा दिया था।
→ इंदिरा गाँधी :
पं० जवाहरलाल नेहरू की पुत्री। लाल बहादुर शास्त्री के अचानक निधन के पश्चात् देश की प्रधानमंत्री बनीं। इन्होंने प्रिवीपर्स की समाप्ति की एवं गरीबी हटाओ का नारा दिया। 31 अक्टूबर, 1984 को इनकी हत्या कर दी गयी।
→ राम मनोहर लोहिया :
स्वतंत्रता सेनानी, समाजवादी नेता एवं विचारक। ये गैर-काँग्रेसवाद के रणनीतिकार थे। इन्होंने पिछड़े वर्गों को आरक्षण दिए जाने का समर्थन किया।
→ सी.नटराजन अन्नादुरई :
चर्चित पत्रकार, लेखक एवं वक्ता। इन्होंने हिन्दी विरोधी आन्दोलन का नेतृत्व किया तथा मद्रास (तमिलनाडु) के मुख्यमंत्री रहे।
→ के.कामराज :
स्वतंत्रता सेनानी एवं कांग्रेस के नेता। इन्होंने मद्रास प्रान्त के मुख्यमंत्री रहते हुए स्कूली बच्चों के 'दोपहर के भोजन' देने की योजना लागू की। युवाओं को पार्टी में स्थान देने के पक्षधर थे।
→ एस.निजलिंगप्पा :
संविधान सभा के सदस्य रहे तथा 1968-71 के दौरान कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष रहे। इन्हें आधुनिक कर्नाटक का निर्माता' माना जाता है।
→ कर्पूरी ठाकुर :
स्वतंत्रता सेनानी एवं समाजवादी नेता। बिहार के मुख्यमंत्री रहे एवं अंग्रेजी भाषा के प्रयोग का विरोध किया।
→ वी.वी.गिरि :
आन्ध्र प्रदेश के मजदूर नेता। भारत गणराज्य के राष्ट्रपति के चुनाव में इन्दिरा गाँधी के समर्थन से विजयी हुए।
→ अध्याय में दी गईं महत्त्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ