These comprehensive RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 12 Political Science Chapter 4 Notes सत्ता के वैकल्पिक केंद्र
→ यूरोपीय संघ
- द्विध्रुवीय व्यवस्था के टूटने के पश्चात् यूरोप में यूरोपीय संघ एवं एशिया में दक्षिण-पूर्व राष्ट्रों के संगठन (आसियान) का उदय एक मजबूत शक्ति के रूप में हुआ।
- सन् 1945 तक यूरोपीय देशों ने अपनी अर्थव्यवस्था को बर्बाद होते देखा है।
- सन् 1945 के पश्चात् शीतयुद्ध से यूरोपीय देशों के आपसी सम्बन्धों में मधुरता आयी।
- संयुक्त राज्य अमेरिका ने यूरोप की अर्थव्यवस्था के पुनर्गठन के लिए बहुत अधिक सहायता प्रदान की।
- संयुक्त राज्य अमेरिका ने 'नाटो' के तहत एक सामूहिक सुरक्षा व्यवस्था को जन्म दिया।
- सन् 1948 में मार्शल-योजना के तहत यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की गयी। इस संगठन के माध्यम से ही पश्चिमी यूरोप के देशों को आर्थिक सहायता प्रदान की गयी।
- सन् 1949 में यूरोपीय परिषद् का गठन हुआ।
- यूरोप के पूँजीवादी देशों की अर्थव्यवस्था के आपसी एकीकरण की प्रक्रिया चरणबद्ध ढंग से आगे बढ़ी।
- सन् 1957 में यूरोपीयन इकोनॉमिक कम्युनिटी का गठन हुआ। विभिन्न घटनाक्रम के बाद अंततः सन् 1992 में यूरोपीय संघ की स्थापना हुई। यूरोपीय संघ के गठन से समान विदेश एवं सुरक्षा नीति, आन्तरिक मामलों एवं न्याय से जुड़े मुद्दों पर सहयोग एवं एक समान मुद्रा के चलन के लिए रास्ता खुल गया। इसका अपना झण्डा, गान, स्थापना दिवस तथा अपनी मुद्रा है।
- यूरोपीय संघ का राजनीतिक, आर्थिक, कूटनीतिक एवं सैनिक प्रभाव बहुत अधिक है।
- इसकी विश्व व्यापार में अमेरिका से तीन गुना अधिक हिस्सेदारी है। इस कारण व्यापारिक विवादों में यह अमेरिका तथा चीन से पूरी धौंस के साथ बात करता है।
- यूरोपीय संघ के दो सदस्य ग्रेट ब्रिटेन एवं फ्रांस सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं।
- सैन्य शक्ति के दृष्टिकोण से यूरोपीय संघ के पास विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। इसका कुल रक्षा बजट अमेरिका के बाद सबसे अधिक है।
- यूरोपीय संघ के दो देश-ब्रिटेन तथा फ्रांस-परमाणु हथियारों से लैस हैं जिनकी अनुमानित संख्या 550 है।
→ दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन
- सन् 1967 में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन्स, सिंगापुर एवं थाईलैण्ड ने मिलकर बैंकाक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करके दक्षिण-पूर्व एशियाई संगठन (आसियान) की स्थापना की।
- दक्षिण-पूर्व एशियाई संगठन (आसियान) का मुख्य उद्देश्य आर्थिक विकास को तीव्र करना तथा उसके माध्यम से सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास करना था।
- आसियान ने अनौपचारिक, टकराव रहित एवं सहयोगात्मक मेल-मिलाप का एक नया उदाहरण प्रस्तुत कर बहुत अधिक प्रसिद्धि प्राप्त की। इसको 'आसियान शैली' (ASEAN Way) भी कहा जाता है।
- आसियान समुदाय के प्रमुख स्तम्भ-आसियान सुरक्षा, समुदाय, आसियान आर्थिक समुदाय एवं आसियान सामाजिक सांस्कृतिक समुदाय हैं।
- आसियान देशों की सुरक्षा एवं विदेश नीतियों में समन्वय स्थापित करने के लिए सन् 1994 में आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना की गयी।
- आसियान ने टकराव की जगह बातचीत को बढ़ावा देने की नीति के तहत कंबोडिया के टकराव को खत्म किया, पूर्वी तिमोर के संकट को संभाला तथा पूर्व-एशियाई सहयोग पर बातचीत के लिए सन् 1999 से नियमित रूप से सालाना बैठक का आयोजन शुरू करवाया। भारत ने आसियान सदस्यों-मलेशिया, सिंगापुर एवं थाईलैण्ड के साथ मुक्त व्यापार का समझौता किया है।
- आसियान-भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र व्यवस्था सन् 2010 में लागू हुई।
- आसियान एशिया का एकमात्र ऐसा क्षेत्रीय संगठन है, जो एशियाई देशों एवं शक्तियों को राजनैतिक एवं सुरक्षा सम्बन्धी मामलों पर चर्चा करने के लिए ऐसा राजनीतिक मंच उपलब्ध कराता है।
→ चीनी अर्थव्यवस्था का उत्थान
- चीन के आर्थिक उभार ने विश्व-राजनीति पर बहुत अधिक नाटकीय प्रभाव डाला है।
- सन् 1949 में माओ के नेतृत्व में हुई साम्यवादी क्रान्ति के पश्चात् चीन में जनवादी गणराज्य की स्थापना हुई।
- प्रारम्भ में चीन की अर्थव्यवस्था (चीनी अर्थव्यवस्था), सोवियत मॉडल पर आधारित थी।
- सन् 1972 में चीन ने अपना राजनीतिक एवं आर्थिक एकान्तवास तोड़कर संयुक्त राज्य अमेरिका से सम्बन्ध स्थापित किया।
- दिसम्बर, 1978 में चीनी नेता देंग श्याओपेंग ने ओपेन-डोर (मुक्त द्वार) की नीति का संचालन किया। जिसके पश्चात चीन तीव्र गति से एक आर्थिक ताकत के रूप में उभरा।
- चीन के 'शॉक थेरेपी' को अपनाने के स्थान पर अपनी अर्थव्यवस्था का चरणबद्ध ढंग से विकास किया।
- चीन ने सन् 1982 में खेती का निजीकरण किया तथा सन् 1998 में उद्योगों का।
- नयी आर्थिक नीतियों के कारण चीन की अर्थव्यवस्था को अपनी जड़ता से उबरने में बहुत अधिक सहायता प्राप्त हुई।
- चीन में कृषि के निजीकरण से कृषि उत्पादों एवं ग्रामीण आय में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- चीन ने सन् 2001 में विश्व व्यापार संगठन में सम्मिलित होकर अपने देश की अर्थव्यवस्था को अन्य देशों के लिए भी खोल दिया।
- आज चीन क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्तर पर एक मजबूत आर्थिक शक्ति बनकर उभरा है।
→ भारत-चीन सम्बन्ध.
- भारत तथा चीन पश्चिमी साम्राज्यवाद के उदय से पहले एशिया की महाशक्ति थे।
- सन् 1962 में चीन-भारत युद्ध के पश्चात् से सन् 1976 तक दोनों देशों के मध्य कूटनीतिक सम्बन्ध समाप्त रहे।
- शीतयुद्ध की समाप्ति के पश्चात् भारत और चीन के सम्बन्धों में महत्त्वपूर्ण बदलाव आया है।
- दिसम्बर, 1988 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी के चीनी दौरे से भारत-चीन सम्बन्धों को सुधारने के प्रयास को बढ़ावा मिला।
- परिवहन और संचार मार्गों में वृद्धि, समान आर्थिक हित एवं एक समान वैश्विक सरोकारों के कारण भारत व चीन के मध्य सम्बन्धों को अधिक सकारात्मक एवं मजबूत बनाने में अधिक सहायता प्राप्त हुई है।
- 1998 में भारत के परमाणु परीक्षण को कुछ लोगों ने चीन से खतरे के मद्देनजर उचित ठहराया था। इससे भी दोनों देशों के बीच सम्पर्क कम नहीं हुआ।
- द्वितीय विश्व युद्ध के अन्त में कोरियाई प्रायद्वीप का दक्षिण कोरिया (रिपब्लिक ऑफ कोरिया) तथा उत्तरी कोरिया (डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया) में 38वें समानान्तर के साथ-साथ विभाजन किया गया।
- दोनों कोरिया 17 सितम्बर, 1991 को संयुक्त राष्ट्र के सदस्य बने।
→ जापान व संयुक्त राष्ट्र संघ
- जापान विश्व का एकमात्र देश है, जिसने परमाणु बम की विभीषिका का सामना किया है।
- संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में अंशदान करने वाला जापान विश्व का दूसरा सबसे बड़ा देश है। संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में - इसका अंश 10 प्रतिशत है।
→ मार्शल योजना:
द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् संयुक्त राज्य अमेरिका ने यूरोप की अर्थव्यवस्था में पुनर्गठन के लिए जबर्दस्त सहायता की। इसे मार्शल-योजना के नाम से जाना जाता है। इस योजना का नाम अमेरिकी विदेश मंत्री मार्शल के नाम पर रखा गया।
→ मुक्त द्वार की नीति:
दिसम्बर 1978 में चीनी नेता देंग श्याओपेंग ने 'ओपेन डोर' अर्थात् मुक्त द्वार की नीति चलाई; जिसके पश्चात् चीन ने अद्भुत प्रगति की तथा आगामी वर्षों में एक बड़ी आर्थिक शक्ति के रूप में उभरकर सामने आया।
→ मास्ट्रिस्ट सन्धि:
इसका तात्पर्य उस समझौते से है; जो फरवरी 1992 में यूरोपीय संघ के गठन के लिए किया गया गया।
→ यूरोपीय संघ:
यह यूरोप के देशों का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है, जिसका आर्थिक, राजनीतिक, कूटनीतिक तथा सैनिक रूप में विश्व राजनीति में महत्त्वपूर्ण स्थान है।
→ आसियान:
दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन को संक्षिप्त रूप में आसियान के नाम से जाना जाता है। 8 अगस्त, 1967 को स्थापित आसियान के वर्तमान सदस्यों की संख्या दस है।
→ आसियान शैली:
आसियान देशों की अनौपचारिक, टकराव रहित एवं सहयोगात्मक मेल-मिलाप की नीति को आसियान शैली कहा जाता है।
→ 'पूरब की ओर चलो' की नीति:
भारत द्वारा सन् 1991 में अपनायी गयी नीति; जिसके तहत पूर्वी एशिया के देशों से भारत के आर्थिक सम्बन्धों में वृद्धि हुई।
→ मार्गरेट थैचर:
ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमन्त्री। इन्होंने ब्रिटेन को यूरोपीय बाजार से अलग रखा।
→ चाऊ एन लाई:
चीन के पूर्व प्रधानमन्त्री; जिन्होंने सन् 1973 में कृषि, उद्योग, सेना और विशाल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण के चार प्रस्ताव रखे।
→ देंग श्याओगंग:
चीनी नेता जिन्होंने सन् 1978 में चीन में आर्थिक सुधारों एवं खुले द्वार की नीति की घोषणा की।
→ राजीव गाँधी:
भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री इन्होंने दिसम्बर, 1988 में चीन का दौरा कर भारत-चीन के सम्बन्धों को सुधारने का प्रयास किया।
→ अध्याय में दी गईं महत्त्वपूर्ण तिथियों एवं सम्बन्धित घटनाएँ
- सन् 1945: घटनाक्रम यूरोपीय देशों ने अपनी बर्बादी झेली तथा यूरोप के देशों में मेल-मिलाप को शीत युद्ध से भी मदद मिली।
- सन् 1948: यूरोपीय आर्थिक संगठन की स्थापना की गई जिसके माध्यम से पश्चिमी यूरोप के देशों को आर्थिक मदद दी गई।
- सन् 1949: माओ के नेतृत्व में हुई साम्यवादी क्रान्ति के पश्चात् चीनी जनवादी गणराज्य की स्थापना हुई।
- मार्च 1950: चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जा एवं भारत-चीन सीमा पर बस्तियाँ बनाने का फैसला।
- अप्रैल 1951: पश्चिमी यूरोप के छह देशों तथा पश्चिम जर्मनी, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड, बेल्जियम व लक्जमबर्ग द्वारा पेरिस सन्धिं पर हस्ताक्षर कर यूरोपीय कोयला और इस्पात समुदाय का गठन करना।
- मार्च 1957: फ्रांस, पश्चिम जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, बेल्जियम व लक्जमबर्ग द्वारा रोम में सन्धि के माध्यम से यूरोपीय आर्थिक समुदाय (EEC) तथा यूरोपीय एटमी ऊर्जा समुदाय (Euratom) का गठन करना।
- सन् 1962 भारत-चीन युद्ध। भारत की पराजय।
- सन् 1967: इण्डोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर तथा थाईलैण्ड, बैंकाक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करके दक्षिण-पूर्व एशियाई संगठन (आसियान) की स्थापना की।
- सन् 1970: चीन का राजनीतिक नेतृत्व बदला। वैचारिक मुद्दों की जगह व्यावहारिक मुद्दे प्रमुख होते चले गए
- सन् 1972: चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका से सम्बन्ध बनाकर अपने राजनैतिक एवं आर्थिक एकान्तवास को खत्म किया।
- जनवरी 1973: ब्रिटेन, डेनमार्क व आयरलैंड द्वारा यूरोपीय समुदाय की सदस्यता ग्रहण करना।
- सन् 1976: भारत व चीन दोनों देशों के बीच कूटनीतिक सम्बन्ध समाप्त हुए। इसके बाद धीरे-धीरे दोनों के बीच सम्बन्धों में सुधार शुरू हुआ।
- दिस. 1978: चीन में तत्कालीन नेता देंग श्याओपेंग द्वारा ओपन डोर (मुक्त द्वार) की नीति को प्रारम्भ करना। जून 1979 यूरोपीय संसद के लिए पहला प्रत्यक्ष चुनाव हुआ।
- जनवरी 1981: यूनान (ग्रीस) द्वारा यूरोपीय समुदाय की सदस्यता ग्रहण करना।
- सन् 1982: चीन में खेती का निजीकरण किया गया।
- जून 1985: शांगेन सन्धि के माध्यम से यूरोपीय समुदाय के देशों के मध्य सीमा नियन्त्रण समाप्त हुआ।
- जनवरी 1986: पुर्तगाल व स्पेन द्वारा यूरोपीय समुदाय में सम्मिलित होना।
- दिस. 1988: तत्कालीन प्रधानमन्त्री राजीव गाँधी द्वारा चीन का दौरा करना।
- अक्टू. 1990: जर्मनी का एकीकरण हुआ।
- सन् 1991: भारत ने 'पूरब की ओर चलो' की नीति अपनायी।
- फरवरी 1992: यूरोपीय संघ के गठन हेतु मास्ट्रिस्ट सन्धि पर हस्ताक्षर किए गए।
- सन् 1992: भारत और चीन के बीच 33 करोड़ 80 लाख डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था जो 2017 में बढ़कर 84 अरब डॉलर का हो गया।
- जनवरी 1993: एकीकृत बाजार का गठन हुआ।
- सन् 1994: आसियान के देशों की सुरक्षा और विदेश नीतियों में तालमेल बनाने के लिए आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना की गई।
- सन् 1997: वित्तीय संकट के बाद आसियान देशों की अर्थव्यवस्था को टिकाए रखने में चीन के आर्थिक उभार ने काफी मदद की।
- सन् 1998: भारत द्वारा परमाणु परीक्षण करना एवं चीन में उद्योगों का निजीकरण किया जाना।
- सन् 1999: आसियान ने टकराव की जगह बातचीत को बढ़ावा देने की नीति से ही यह बात निकली है। इस तरकीब से आसियान ने कंबोडिया के टकराव को समापत किया, पूर्वी तिमोर के संकट को सम्भाला है और पूर्व-एशियाई सहयोग पर बातचीत के लिए नियमित रूप से वार्षिक बैठक आयोजित की हैं।
- सन् 2001: चीन विश्व व्यापार संगठन में सम्मिलित हुआ।
- जनवरी 2002: यूरोपीय संघ के बारह सदस्य देशों द्वारा नयी मुद्रा 'यूरो' को अपनाया जाना।
- सन् 2003: आसियान ने आसियान सुरक्षा समुदाय, आसियान आर्थिक समुदाय एवं आसियान सामाजिक-सांस्कृतिक समुदाय नामक तीन स्तम्भों के आधार पर आसियान समुदाय बनाने की दिशा में कदम उठाये गये।
- मई 2004: हंगरी, साइप्रस, चेक गणराज्य, एस्टोनिया, हंगरी, लताविया, लिथुआनिया, माल्टा, पोलैंड, स्लोवाकिया तथा स्लोवेनिया द्वारा भी यूरोपीय संघ में सम्मिलित होना।
- सन् 2005: यूरोपीय संघ का आर्थिक, राजनैतिक, कूटनीतिक तथा सैनिक प्रभाव बहुत जबरदस्त है और वह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी तथा इसका सकल घरेलू उत्पादन 12,000 अरब डॉलर से ज्यादा था जो अमेरिका से थोड़ा ज्यादा ही था।
- जनवरी 2007: रोमानिया व बुल्गारिया भी यूरोपीय संघ में सम्मिलित हुए तथा स्लोवेनिया द्वारा यूरो मुद्रा को अपनाया जाना।
- दिसम्बर 2009: लिस्बन सन्धि का लागू होना।
- सन् 2012: यूरोपीय संघ को शान्ति का नोबेल पुरस्कार मिलना।
- सन् 2013: क्रोएशिया का यूरोपीय संघ का 28 वाँ सदस्य बनना।
- सन् 2016: ब्रिटेन में यूरोपीय संघ से बाहर होने के लिए जनमत संग्रह का होना। यूरोपीय संघ का दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना। इस दौरान इसका सकल घरेलू उत्पादन 17,000 अरब डॉलर से ज्यादा था जो अमेरिका के ही लगभग है।