These comprehensive RBSE Class 12 Political Science Notes Chapter 2 एक दल के प्रभुत्व का दौर will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 12 Political Science Chapter 2 Notes एक दल के प्रभुत्व का दौर
→ लोकतंत्र की स्थापना
- स्वतंत्र भारत का जन्म अत्यंत कठिन परिस्थितियों में हुआ था। हमारे देश के समक्ष प्रारम्भ से ही राष्ट्र-निर्माण की चुनौती थी।
- हमारे स्वतंत्रता संघर्ष की गहरी प्रतिबद्धता लोकतंत्र के साथ होने के कारण हमने लोकतंत्र की स्थापना का मार्ग चुना।
- भारतीय राजनेताओं ने लोकतंत्र की स्थापना हेतु समाज के विभिन्न समूहों में पारस्परिक एकता की भावना को विकसित करने का प्रयास किया।
- हमारे देश का संविधान 26 नवम्बर, 1949 को अंगीकृत किया गया तथा यह संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ।
- जनवरी 1950 में देश के चुनाव आयोग का गठन किया गया जिसका कार्य देश में यथाशीघ्र प्रथम आम चुनाव कराना था तथा सुकुमार सेन पहले चुनाव आयुक्त बने ।
- चुनाव कराने के लिए, चुनाव क्षेत्रों का सीमाकंन व मतदाता सूची का निर्माण किया जाना आवश्यक था। इन दोनों कार्यों में बहुत अधिक समय लगा तथा मतदाता सूची में 40 लाख महिलाओं के नाम दर्ज होने से रह गये।
- प्रथम आम चुनाव में 17 करोड़ मतदाताओं द्वारा 3200 विधायकों एवं लोकसभा के लिए 489 सांसदों को चुना जाना था। इन मतदाताओं में केवल 15 प्रतिशत ही साक्षर थे। अतः इनको मतदान के विषय में जानकारी देना एक महत्त्वपूर्ण समस्या थी।
- प्रथम आम चुनाव अक्टूबर 1951 से फरवरी 1952 के मध्य सम्पन्न हुए।
- प्रथम आम चुनाव को सन् 1952 का चुनाव भी कहा जाता है क्योंकि देश के अधिकांश भागों में मतदान सन् 1952 में ही हुआ था।
- प्रथम आम चुनावों के शान्तिपूर्ण ढंग से सम्पन्न होने को विदेशी पर्यवेक्षकों ने भारतीय जनता की एक महत्त्वपूर्ण सफलता माना।
- भारत ने सम्पूर्ण विश्व को यह दिखा दिया कि लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव निर्धनता एवं अशिक्षा के वातावरण में भी कराए जा सकते हैं।
→ कांग्रेस के प्रभुत्व का दौर
- प्रथम आम चुनाव में कांग्रेस को आश्चर्यजनक सफलता प्राप्त हुई। कांग्रेस ने 489 सीटों में से 364 पर विजय प्राप्त की।
- काँग्रेस पार्टी के नेता पं. जवाहर लाल नेहरू थे जो भारतीय राजनीति के सबसे करिश्माई व लोकप्रिय नेता थे।
- प्रथम आम चुनाव में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। उसे कुल 16 सीटें प्राप्त हुईं।
- काँग्रेस पार्टी ने लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा के चुनावों में भी भारी जीत प्राप्त की।
- पं० जवाहर लाल नेहरू को देश का प्रथम प्रधानमंत्री बनाया गया।
- द्वितीय (1957) एवं तृतीय आम चुनाव (1962) में भी कांग्रेस को बहुमत प्राप्त हुआ। उसने तीन चौथाई सीटें जीतीं।
- हमारे देश की चुनाव प्रणाली में 'सर्वाधिक वोट पाने वाले की जीत' के तरीके को अपनाया गया है।
- भारत की तरह विश्व के कई देश एक पार्टी के प्रभुत्त्व के दौर से गुजरे हैं लेकिन भारत में एक पार्टी का प्रभुत्त्व लोकतांत्रिक स्थितियों में कायम हुआ जो इसे अन्य देशों से अलग करता है।
- भारत में कांग्रेस पार्टी की असाधारण सफलता की जड़ें स्वतंत्रता संग्राम की विरासत में हैं। हमारे देश में केवल कांग्रेस पार्टी को राष्ट्रीय आन्दोलन के उत्तराधिकारी के रूप में देखा गया।
- कांग्रेस प्रारम्भ से ही एक सुसंगठित पार्टी थी। स्वतंत्रता आन्दोलन में अग्रणी रहे इस पार्टी के नेताओं ने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा तो अन्य पार्टियाँ कांग्रेस के समक्ष बोनी साबित हुईं।
- कांग्रेस का गठन सन् 1885 में हुआ था। उस समय यह पार्टी नवशिक्षित, कामकाजी एवं व्यापारिक वर्गों का एक हितसमूह ही थी लेकिन 20वीं शताब्दी में इस पार्टी ने एक जन आन्दोलन का रूप ले लिया।
- भारत के स्वतंत्र होने तक कांग्रेस एक सतरंगे सामाजिक गठबंधन का रूप ले चुकी थी तथा वर्ग, जाति, धर्म, भाषा एवं अन्य हितों के आधार पर इस सामाजिक गठबंधन से भारत की विविधता का प्रतिनिधित्व हो रहा था।
- कांग्रेस पार्टी में क्रान्तिकारी व शान्तिवादी, कंजरवेटिव व रेडिकल, गरमपंथी व नरमपंथी, दक्षिण पंथी व वामपंथी के साथ-साथ प्रत्येक धारा के मध्यमार्गी सम्मिलित थे।
- कांग्रेस एक मंच की तरह थी जिस पर अनेक समूह हित एवं राजनीतिक दल एकत्रित होकर राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेते थे।
- चुनावी प्रतिस्पर्धाओं के प्रथम दशक में कांग्रेस ने शासक दल के साथ-साथ विपक्ष की भी भूमिका का निर्वाह किया। इस कारण भारतीय राजनीति के इस कालखण्ड को काँग्रेस प्रणाली कहा जाता है।
→ विपक्षी पार्टियों का उद्भव
- भारत में विपक्षी पार्टियों का भी गठन हुआ। कई पार्टियों का निर्माण आम चुनावों से पहले ही हो चुका था। सन् 1950 के दशक में विपक्षी दलों को लोकसभा अथवा विधानसभाओं में नाममात्र का प्रतिनिधित्व मिल पाया लेकिन इन दलों की उपस्थिति ने हमारी शासन व्यवस्था के लोकतांत्रिक स्वरूप को बनाये रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया।
- विपक्षी पार्टियों ने शासक दल की सकारात्मक आलोचना कर उस पर अपना अंकुश बनाये रखा। इन दलों ने लोकतांत्रिक, राजनीतिक विकल्प की संभावनाओं को जीवित रखा।
- स्वतंत्रता के पश्चात् के शुरुआती वर्षों में कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं के मध्य पारस्परिक सम्मान का गहरा भाव था जो दलगत प्रतिस्पर्धाओं के तीव्र होने के कारण लगातार कम होता चला गया।
- सन् 1957 के आम चुनाव में केरल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी। सम्पूर्ण विश्व में यह पहला अवसर था जब लोकतांत्रिक चुनावों के माध्यम से एक कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार. बनी।
- कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन सन् 1934 में कांग्रेस के भीतर युवा नेताओं की एक टोली ने किया था। कांग्रेस से सन् 1948 में अलग हुई यह पार्टी लोकतांत्रिक एवं समाजवाद की विचारधारा में विश्वास करती थी। सन् 1920 के दशक के प्रारम्भिक वर्षों में भारत के विभिन्न भागों में साम्यवादी समूह का उभार हुआ। ये रूस की बोल्शेविक क्रान्ति से प्रेरित थे।
- भारतीय जनसंघ का गठन सन् 1951 में हुआ। यह अपनी विचारधारा एवं कार्यक्रमों के कारण अन्य दलों से अलग था। यह दल एक देश, एक संस्कृति व एक राष्ट्र के विचार पर बल देता था।
→ लोकतंत्र :
शासन की वह प्रणाली जिसमें जनता स्वयं प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से अपने प्रतिनिधियों द्वारा सम्पूर्ण जनता के हित को दृष्टि में रखकर शासन करती है। इसे प्रजातंत्र या जनतंत्र भी कहा जाता है।
→ उपनिवेशवाद :
यह वह विचारधारा है जिससे प्रेरित होकर प्रायः एक शक्तिशाली राष्ट्र किसी अन्य राष्ट्र के किसी भाग पर अपना प्रभुत्व स्थापित करके उसके आर्थिक एवं प्राकृतिक संसाधनों का शोषण अपने हित में करता है। जैसे ब्रिटिश शासन के समय भारत उपनिवेश रहा।
→ नायक-पूजा :
नायक-पूजा चापलूसी का वह रूप है जिसमें किसी व्यक्ति विशेष में विशेष योग्यता के न होते हुए भी उसकी पूजा की जाती है।
→ इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) :
वर्तमान चुनावों में इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का ही प्रयोग होता है। इसके द्वारा मतदाता उम्मीदवारों के बारे में अपनी पसन्द व्यक्त करते हैं। सन् 1990 के दशक के अन्त में चुनाव आयोग ने ईवीएम का इस्तेमाल शुरू किया। सन् 2004 तक सम्पूर्ण देश में ईवीएम का इस्तेमाल प्रारम्भ हो गया।
→ हित समूह :
समाज के किसी विशेष हिस्से अथवा समूह को बढ़ावा देने वाला संगठन।
→ राजनीतिक दल :
राजनीतिक दल लोगों का वह समूह होता है जो चुनाव लड़ने एवं सरकार में राजनीतिक सत्ता प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करता है।
→ सार्वभौम मताधिकार :
इसका अर्थ है कि भारत में सभी वयस्क (18 वर्ष एवं इससे अधिक आयु के) नागरिकों को वोट देने का अधिकार है।
→ मतपत्र या वैलेट पेपर :
चुनावों के दौरान प्रत्येक मतदाता को एक मतपत्र दिया जाता है जिसे वह अपनी पसन्द के उम्मीदवार के आगे मोहर लगाकर मतपेटी में डाल देता है। यह गुप्त रखा जाता है कि मतदाता ने वोट किसे दिया है। आजकल चुनावों में ईवीएम का प्रयोग होने से मतपत्र द्वारा चुनाव होना लगभग बंद है।
→ विरोधी दल :
विरोधी दल विपक्षी दल से आशय सत्तारूढ़ दल के पश्चात् दूसरे मुख्य दल से है। यह अस्थायी रूप से ही अल्पमत में होता है। यद्यपि विपक्ष में कई दल सम्मिलित हो सकते हैं। यह दल सत्तारूढ़ दल की नीतियों व कार्यक्रमों की आलोचना करते हैं।
→ मुक्ति संघर्ष :
सन् 1957 में केरल में सत्ता से बेदखल होने पर कांग्रेस पार्टी ने निर्वाचित सरकार के खिलाफ 'मुक्ति संघर्ष' छेड़ दिया। वहाँ कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार बनी थी। कम्युनिस्टों का कहना था कि इस संघर्ष का नेतृत्व स्वार्थी लोग और धार्मिक संगठन कर रहे हैं।
→ गठबंधन :
जब किसी बहुदलीय व्यवस्था में अनेक पार्टियाँ चुनाव लड़ने एवं सत्ता में आने के लिए आपस में हाथ मिला लेती हैं तो इसे गठबंधन कहते हैं।
→ विचारात्मक गठबंधन :
कांग्रेस एक विचारात्मक गठबंधन था। कांग्रेस ने अपने अंदर क्रान्तिकारी और शांतिवादी, कंजरवेटिव और रेडिकल, गरमपंथी और नरमपंथी, दक्षिणपंथी और वामपंथी तथा प्रत्येक धारा के मध्यमार्गियों को सम्मिलित किया। सत्तारूढ़ दल : वह राजनीतिक दल जिसकी सरकार होती है।
→ बोल्शेविक क्रान्ति :
रूस में 'रशियन सोशल डेमोक्रेटिक लेबर पार्टी' में मतभेद हो जाने के कारण यह दो गुटों में विभाजित हो गयी। बहुसंख्यक गुट 'बोल्शेविक' नाम से प्रसिद्ध हुआ। बोल्शेविकों के नेता लेनिन थे। बोल्शेविक पार्टी औद्योगिक मजदूरों की राजनीतिक पार्टी थी।
→ चुनाव चिह्न :
चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों व निर्दलीय प्रत्याशियों के लिए चुनाव चिह्न निर्धारित किए जाते हैं। स्वतंत्र प्रत्याशियों को उनकी इच्छानुसार तथा प्राप्त चिह्नों के आधार पर चुनाव चिह्न निश्चित कर दिए जाते हैं।
→ मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (1888-1958) :
ये स्वतंत्र भारत के प्रथम शिक्षामंत्री थे। इन्होंने हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रतिपादन किया।
→ राजकुमारी अमृत कौर ( 1889-1964) :
स्वतंत्र भारत की प्रथम स्वास्थ्य मंत्री। इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया।
→ आचार्य नरेन्द्र देव (1889-1956) :
कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापक। इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया तथा कई बार जेल भी गए।
→ पं० जवाहरलाल नेहरू (1889-1964) :
स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री। इनके नेतृत्व में ही काँग्रेस ने प्रथम आम चुनाव में विजय प्राप्त की थी।
→ बाबा साहब भीमराव रामजी अम्बेडकर (1891-1956) :
संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष स्वतंत्रता के बाद नेहरू जी के पहले मंत्रिमंडल में मंत्री रहे। इन्होंने दलितों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष किया। इन्होंने सन् 1956 में अपने हजारों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म को अपनाया।
→ रफी अहमद किदवई (1894-1954) :
ये स्वतंत्र भारत के प्रथम संचार मंत्री बने।
→ ए.के. गोपालन (1904-1977) :
केरल के कम्युनिस्ट नेता। इन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इण्डिया (मॉर्क्सवादी) की मजबूती के लिए कार्य किया।
→ दीन दयाल उपाध्याय (1916-1968) :
भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य। इन्होंने समग्र मानवतावाद का सिद्धान्त प्रस्तुत किया।
→ सी. राजगोपालाचारी (1878-1972) :
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व साहित्यकार। ये स्वतंत्र भारत के प्रथम भारतीय गवर्नरजनरल रहे।
→ श्यामा प्रसाद मुखर्जी (1901-1953) :
भारतीय जनसंघ के संस्थापक। स्वतंत्रता के पश्चात् नेहरू के प्रथम मंत्रिमण्डल में मंत्री रहे।
→ अध्याय में दी गईं महत्त्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ ।
- सन् 1885: कांग्रेस पार्टी का एक हितसमूह के रूप में जन्म हुआ।
- सन् 1929: इंस्टीट्यूशनल रिवोल्यूशनरी पार्टी (स्पेनिश में इसे पी आर आई कहा जाता है) का मैक्सिको में लगभग 60 सालों तक शासन रहा। इसकी स्थापना 1929 में हुई थी। इस पार्टी के संस्थापक प्लूटार्को इलियास कैलस थे।
- सन् 1934: कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन हुआ।
- सन् 1948: कांग्रेस के समाजवादियों ने अलग होकर सोशलिस्ट पार्टी बनाई।
- सन् 1949: 26 नवम्बर को हमारे देश का संविधान अंगीकृत किया गया।
- सन् 1950: 26 जनवरी को हमारे देश का संविधान लागू हुआ। भारत के चुनाव आयोग का गठन हुआ।
- सन् 1951: भारतीय जनसंघ का गठन हुआ। अक्टूबर माह में देश में प्रथम आम चुनाव प्रारम्भ हुए।
- सन् 1952: फरवरी माह में प्रथम आम चुनाव सम्पन्न हुए।
- सन् 1955: इस वर्ष समाजवादियों को एक दुविधा का सामना करना पड़ा क्योंकि कांग्रेस ने घोषणा कर दी कि उसका लक्ष्य समाजवादी बनावट वाले समाज की रचना है।
- सन् 1957: देश में द्वितीय आम चुनाव सम्पन्न हुए। केरल राज्य में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार का गठन हुआ।
- सन् 1959: स्वतंत्र पार्टी अस्तित्व में आई।
- सन् 1962: देश में तृतीय आम चुनाव सम्पन्न हुए।
- सन् 1964: चीन ने अपना आण्विक परीक्षण किया।
- सन् 2004: इस वर्ष के अन्त तक सम्पूर्ण देश में इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का उपयोग प्रारम्भ हो गया।