Rajasthan Board RBSE Class 12 Political Science Important Questions Chapter 2 दो ध्रुवीयता का अंत Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न:
प्रश्न 1.
पूँजीवादी दुनिया और साम्यवादी दुनिया के बीच विभाजन का प्रतीक थी।
(अ) बर्लिन की दीवार
(ब) चीन की दीवार
(स) शॉक थेरेपी
(द) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(अ) बर्लिन की दीवार
प्रश्न 2.
बर्लिन की दीवार से सम्बन्धित निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक सही नहीं है?
(अ) यह पूँजीपति तथा साम्यवादी विश्व के बीच विभाजन का प्रतीक थी।
(ब) इसका निर्माण द्वितीय विश्वयुद्ध के तुरन्त पश्चात किया गया।
(स) लोगों द्वारा इसे 9 नवम्बर, 1989 को तोड़ दिया गया।
(द) यह जर्मनी के दोनों भागों के समीकरण का प्रतीक था।
उत्तर:
(द) यह जर्मनी के दोनों भागों के समीकरण का प्रतीक था।
प्रश्न 3.
सोवियत व्यवस्था के निर्माताओं ने निम्नलिखित में से किसको महत्त्व नहीं दिया?
(अ) निजी सम्पत्ति की समाप्ति
(ब) समानता के सिद्धान्त पर समाज का निर्माण
(स) विरोधी दल अथवा प्रतिपक्ष का कोई स्थान नहीं
(द) अर्थव्यवस्था पर राज्य का कोई नियन्त्रण नहीं।
उत्तर:
(स) विरोधी दल अथवा प्रतिपक्ष का कोई स्थान नहीं
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से कौन-सा सोवियत संघ के विघटन का परिणाम नहीं था?
(अ) कई नए देशों का उदय हुआ
(ब) रूस एक महाशक्ति के रूप में उभरा
(स) विश्व राजनीति में शक्ति सम्बन्धों में बदलाव आया
(द) पूँजीवादी व्यवस्था की जीत हुई।
उत्तर:
(ब) रूस एक महाशक्ति के रूप में उभरा
प्रश्न 5.
सोवियत संघ के अन्तिम राष्ट्रपति थे।
(अ) मिखाइल गोर्बाचेव
(ब) बोरिस येल्तसिन
(स) निकिता खुश्चेव।
(द) ब्रेझनेब।
उत्तर:
(अ) मिखाइल गोर्बाचेव
प्रश्न 6.
रूसी संसद ने सोवियत संघ से अपनी स्वतन्त्रता घोषित की थी।
(अ) फरवरी 1990 में
(ब) जून 1990 में
(स) मार्च 1990 में
(द) अगस्त 1991 में।
उत्तर:
(अ) फरवरी 1990 में
प्रश्न 7.
शॉक थेरेपी अपनाई गई थी।
(अ) 1988 में
(ब) 1989 में
(स) 1990 में
(द) 1992 में।
उत्तर:
(स) 1990 में
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौन-सा कथन 'शॉक थेरेपी' का परिणाम नहीं था?
(अ) समाज कल्याण की पुरानी व्यवस्था नष्ट हो गई।
(ब) उद्योगों को निजी क्षेत्र में बेचा गया।
(स) रूसी मुद्रा 'रूबल' के मूल्य में नाटकीय वृद्धि हुई।
(द) रूस को खाद्यान्न का आयात करना पड़ा।
उत्तर:
(ब) उद्योगों को निजी क्षेत्र में बेचा गया।
प्रश्न 9.
सोवियत संघ में किस हिन्दी फिल्मी हस्ती को सबसे ज्यादा पसन्द किया गया?
(अ) अशोक कुमार
(ब) शम्मी कपूर
(स) राज कपूर
(द) रनवीन कपूर।
उत्तर:
(स) राज कपूर
अतिलघु उत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
1989 में घटित उस घटना की पहचान कीजिए जिसके कारण दूसरी दुनिया' का पतन तथा शीतयुद्ध की। समाप्ति हुई।
उत्तर:
पूर्वी जर्मनी की जनता द्वारा बर्लिन - दीवार को गिराना।
प्रश्न 2.
बर्लिन की दीवार कब खड़ी की गई?
उत्तर:
बर्लिन की दीवार सन् 1961 में खड़ी की गई।
प्रश्न 3.
बर्लिन की दीवार किस बात का प्रतीक थी?
उत्तर:
बर्लिन की दीवार पूँजीवादी एवं साम्यवादी दुनिया के विभाजन का प्रतीक थी।
प्रश्न 4.
1917 की रूसी, क्रान्ति क्यों हुई?
उत्तर:
1917 की रूसी क्रान्ति पूँजीवादी व्यवस्था के विरोध में हुई थी।
प्रश्न 5.
समाजवादी सोवियत गणराज्य कब अस्तित्व में आया?
उत्तर:
समाजवादी सोवियत गणराजय रूस में हुई 1917 ई. की समाजवादी क्रान्ति के पश्चात् अस्तित्व में आया।
प्रश्न 6.
बोल्शेविक कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक कौन थे?
उत्तर:
ब्लादिमीर लेनिन।
प्रश्न 7.
1917 ई. की रूसी क्रान्ति के नायक कौन थे?
उत्तर:
ब्लादिमीर लेनिन।
प्रश्न 8.
मार्क्सवाद के असाधारण सिद्धान्तकार का नाम बताइए।
उत्तर:
ब्लादिमीर लेनिन।
प्रश्न 9.
1917 की रूसी क्रान्ति पूँजीवादी व्यवस्था के विरुद्ध ....... आदर्शों और ........ समाज की जरूरत से प्रेरित थी।
उत्तर:
समाजवाद के, समतामूलक।
प्रश्न 10.
सोवियत राजनीतिक प्रणाली की धुरी क्या थी?
उत्तर:
सोवियत राजनीतिक प्रणाली की धुरी कम्युनिस्ट पार्टी थी।
प्रश्न 11.
सोवियत राजनीतिक प्रणाली किस विचारधारा पर आधारित थी?
उत्तर:
साम्यवादी विचारधारा पर।
प्रश्न 12.
ऐसे दो क्षेत्रों की पहचान कीजिए जिनमें सोवियत संघ, पश्चिमी देशों की तुलना में पीछे था।
उत्तर:
प्रश्न 13.
सोवियत संघ कितने गणराज्यों से मिलकर बना था?
उत्तर:
सोवियत संघ 15 गणराज्यों से मिलकर बना था।
प्रश्न 14.
सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् उसके उत्तराधिकारी गणराज्य का नाम लिखिए।
उत्तर:
रूस।
प्रश्न 15.
सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में कब हस्तक्षेप किया?
उत्तर:
सन् 1979 में।
प्रश्न 16.
मिखाइल गोर्बाचेव ने सोवियत संघ में सुधार हेतु क्या-क्या प्रयत्न किये?
उत्तर:
मिखाइल गोर्बाचेव ने देश के अन्दर आर्थिक, राजनीतिक सुधारों एवं लोकतंत्रीकरण की नीति का संचालन किया।
प्रश्न 17.
सोवियत संघ के विघटन में केन्द्रीय भूमिका किसने निभायी?
उत्तर:
बोरिस येल्तसिन ने।
प्रश्न 18.
सोवियत संघ में 1991 में हुए तख्तापलट की घटना का विरोध बोरिस येल्तसिन ने क्यों किया?
उत्तर:
बोरिस येल्तसिन ने सोवियत संघ में 1991 में हुए तख्तापलट की घटना का विरोध साम्यवादी दल के कट्टरपंथियों द्वारा विरोध करने तथा जनता द्वारा पुराने साम्यवादी दल के तौर-तरीकों का विरोध करने के कारण किया।
प्रश्न 19.
सोवियत संघ के पतन का प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर:
सोवियत संघ की राजनीतिक, आर्थिक संस्थाओं की अन्दरूनी कमजोरी सोवियत संघ के पतन का प्रमुख कारण थी।
प्रश्न 20.
बाल्टिक गणराज्य कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
प्रश्न 21.
मिखाइल गोर्बाचेव ने आर्थिक एवं राजनैतिक सुधार हेतु किन-किन नीतियों को अपनाया?
उत्तर:
प्रश्न 22.
रूस के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे?
उत्तर:
बोरिस येल्तसिन।
प्रश्न 23.
सोवियत संघ का अन्त कब हुआ?
उत्तर:
25 दिसम्बर, 1991 को।
प्रश्न 24.
सोवियत संघ के विघटन के समय राष्ट्रपति कौन था?
उत्तर:
मिखाइल गोर्बाचेव।
प्रश्न 25.
सोवियत संघ का अन्तिम राष्ट्रपति कौन था और कितने समय के लिए?
उत्तर:
सोवियत संघ का अन्तिम राष्ट्रपति मिखाइल गोर्बाचेव था। गोर्बाचेव का कार्यकाल 1985 से 1991 तक रहा।
प्रश्न 26.
सोवियत संघ के विघटन का अन्तिम और सर्वाधिक तात्कालिक कारण क्या था?
उत्तर:
राष्ट्रीयता एवं सम्प्रभुता के विचारों का उदय।
प्रश्न 27.
शीतयुद्ध के अन्त के प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शीतयुद्ध के अन्त के बाद विश्व में एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था का उदय हुआ।
प्रश्न 28.
'दूसरी दुनिया के पतन का एक परिणाम बताइए।
उत्तर:
शीतयुद्ध के दौर के संघर्ष की समाप्ति।
प्रश्न 29.
सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस ने किस तरह की अर्थव्यवस्था को अपनाया?
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् उसके राजनीतिक उत्तराधिकारी रूस ने उदारवादी अर्थव्यवस्था को अपनाया। रूस में निजीकरण की प्रक्रिया के फलस्वरूप तेज गति से विकास हुआ है।
प्रश्न 30.
शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ क्या है?
अथवा
शॉक थेरेपी का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ है-आघात पहुँचाकर उपचार करना।
प्रश्न 31.
शॉक थेरेपी के परिणामस्वरूप सोवियत खेमे का प्रत्येक राज्य किस अर्थतन्त्र में समाहित हुआ?
उत्तर:
पूँजीवादी अर्थतन्त्र में।
प्रश्न 32.
'शॉक थेरेपी' के किसी एक परिणाम को उजागर कीजिए।
उत्तर:
शॉक थेरेपी से सम्पूर्ण रूस के क्षेत्र की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गयी।
प्रश्न 33.
पूर्व सोवियत संघ का कौन-सा गणराज्य गृहयुद्ध की चपेट में रहा?
उत्तर:
ताजिकिस्तान।
प्रश्न 34.
ताजिकिस्तान में हुआ गृहयुद्ध कितने वर्ष तक चलता रहा? यह कब समाप्त हुआ?
उत्तर:
1991 में सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् उसके एक गणराज्य ताजिकिस्तान में गृहयुद्ध दस वर्षों तक चलता रहा। यह गृहयुद्ध 2001 में समाप्त हुआ।
प्रश्न 35.
भारत और रूस का सपना किस प्रकार के विश्व का है?
उत्तर:
बहुध्रुवीय विश्व का।
प्रश्न 36.
शीतयुद्ध काल के दौरान भारत की सोवियत संघ के साथ अधिक दोस्ती का कोई एक कारण उजागर कीजिए।
अथवा
किसी एक उदाहरण की सहायता से दर्शाइए कि शीतयुद्ध के दौरान, भारत सोवियत संघ की निन्दा करने से बचता रहा।
उत्तर:
सोवियत संघ ने भारत को सार्वजनिक क्षेत्र के भिलाई, बोकारो तथा विशाखापट्टनम जैसे इस्पात कारखानों और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स जैसे मशीनरी संयंत्रों के लिए आर्थिक तथा तकनीकी सहायता प्रदान की।
प्रश्न 37.
भारत - रूस मैत्री की किसी एक विशिष्ट विशेषता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत - रूस मैत्री की एक विशिष्ट विशेषता है-भारत की विदेश नीति का रूस के प्रति झुकाव।
प्रश्न 38.
रूस तथा भारत दोनों द्वारा की गई परिकल्पना के अनुसार बहुधुवीय विश्व की किसी एक विशेषता को उजागर कीजिए।
उत्तर:
क्षेत्रीयता को अधिक जगह मिले।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न (SA1):
प्रश्न 1.
बर्लिन की दीवार के विषय में आप क्या जानते हैं?
अथवा
शीतयुद्ध का सबसे बड़ा प्रतीक क्या था? उसकी संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
उत्तर:
शीतयुद्ध के दौरान जर्मनी का दो भागों में विभाजन हो गया। पूर्वी जर्मनी सोवियत खेमे एवं पश्चिमी जर्मनी अमेरिकी खेमे में सम्मिलित हो गया। सन् 1961 में दोनों देशों के मध्य एक 150 किमी. लम्बी दीवार बना दी गयी जिसे बर्लिन की दीवार कहते हैं। यह दीवार शीतयुद्ध का प्रतीक थी। इसे पूँजीवादी दुनिया व साम्यवादी दुनिया के बीच विभाजन का प्रतीक माना जाता है। 9 नवम्बर, 1989 को जनता ने इस दीवार को गिरा दिया। यह दोनों जर्मनी के एकीकरण, साम्यवादी खेमे की समाप्ति एवं शीतयुद्ध की समाप्ति की शुरुआत थी।
प्रश्न 2.
सन् 1989 में बर्लिन की दीवार के ढहने का द्वि-ध्रुवीयता का अन्त क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
द्वि - ध्रुवीयता के दौर में जर्मनी दो भागों में विभाजित हो गया था। जहाँ पूर्वी जर्मनी साम्यवादी सोवियत संघ के प्रभाव में तथा पश्चिमी जर्मनी संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रभाव में था। सन् 1989 में बर्लिन की दीवार के ढहने के पश्चात् ही सम्पूर्ण विश्व में से सोवियत संघ का प्रभाव भी समाप्त हो गया तथा अब तक दो ध्रुवों में विभाजित विश्व एकध्रुवीय हो गया।
प्रश्न 3.
'दूसरी दुनिया के देश' से आपका क्या तात्पर्य है?
अथवा
समाजवादी खेमे में देशों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् विश्व दो गुटों में विभाजित हो गया। एक गुट का नेतृत्व पूँजीवादी देश संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था। इस गुट में सम्मिलित देशों को पहली दुनिया के देश कहा गया। दूसरे गुट का नेतृत्व साम्यवादी देश समाजवादी सोवियेत गणराज्य (रूस) कर रहा था। इस गुट के देशों को दूसरी दुनिया के देश अथवा समाजवादी खेमे के देश कहा जाता है।
प्रश्न 4.
ब्लादिमीर लेनिन के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
ब्लादिमीर लेनिन का जन्म 1870 ई. को हुआ था। व्लादिमीर रूस की बोल्शेविक कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक थे। ये सन् 1917 ई. की रूसी क्रान्ति के नायक थे तथा 1917 - 1924 ई. की अवधि में सोवियत समाजवादी गणराज्य के संस्थापक अध्यक्ष रहे। ये साम्यवाद के असाधारण सिद्धान्तकार थे। इन्हें सम्पूर्ण विश्व में साम्यवाद का प्रेरणास्त्रोत माना जाता है। सन् 1924 में इनका निधन हो गया।
प्रश्न 5.
"द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् सोवियत संघ महाशक्ति के रूप में उभरा।" कथन के पक्ष में कोई तीन तर्क दीजिए।
अथवा
द्वितीय विश्वयुद्ध के अन्त में, अमेरिका को छोड़कर सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था शेष विश्व की तुलना में कहीं अधिक विकसित थी। किसी एक उदाहरण द्वारा इस कथन को प्रमाणित कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 6.
सोवियत प्रणाली के कोई दो दोष बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 7.
सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था में गतिरोध क्यों आया? कोई दो कारण दीजिए।
उत्तर:
सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था में निम्न कारणों से गतिरोध आया:
प्रश्न 8.
सोवियत संघ का विघटन क्यों हुआ?
अथवा
सोवियत संघ के विघटन के कोई दो कारण लिखिए।
अथवा
आपकी राय में सोवियत संघ के विघटन के दो मुख्य कारण क्या थे?
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन के दो प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
प्रश्न 9.
सोवियत संघ के विघटन का सर्वाधिक तात्कालिक कारण क्या था?
अथवा
सोवियत संघ के विघटन का अन्तिम कारण क्या था?
उत्तर:
सोवियत संघ के विभिन्न गणराज्यों: रूस, एस्टोनिया, लताविया, लिथुआनिया, उक्रेन एवं जार्जिया आदि में राष्ट्रीयता एवं सम्प्रभुता के भावों का उभार सोवियत संघ के विघटन का अन्तिम एवं सर्वाधिक तात्कालिक कारण सिद्ध हुआ।
प्रश्न 10.
मिखाइल गोर्बाचेव द्वारा किए गए कार्यों को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
मिखाइल गोर्बाचेव सोवियत संघ के अन्तिम राष्ट्रपति थे। इन्होंने सोवियत संघ में पेरेस्रोइका (पुनर्रचना) और ग्लासनोस्त (खुलेपन) की नीति के अन्तर्गत आर्थिक और राजनीतिक सुधार शुरू किये। इन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मिलकर हथियारों की होड़ पर रोक लगाई। इन्होंने जर्मनी के एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया।
प्रश्न 11.
सोवियत संघ के पतन के कोई दो परिणाम बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 12.
शॉक थेरेपी से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
शॉक थेरेपी का शाब्दिक अर्थ आघात पहुँचाकर उपचार करना है। शॉक थेरेपी से अभिप्राय है कि धीरे-धीरे परिवर्तन न करके एकदम से आमूल-चूल परिवर्तन के प्रयत्नों को लादना है। रूसी गणराज्य में शॉक थेरेपी हेतु जल्दीबाजी में निजी स्वामित्व, वित्तीय खुलापन, मुक्त व्यापार एवं मुद्राओं की आपसी परिवर्तनशीलता पर बल दिया। शॉक थेरेपी का यह मॉडल विश्व बैंक व अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित था।
प्रश्न 13.
शॉक थेरेपी के अन्तर्गत पूर्व सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था में सुधार हेतु कौन-कौन से उपाए किए गए ? किन्हीं दो को लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 14.
'इतिहास की सबसे बड़ी गराज-सेल' के विषय में आप क्या जानते हैं?
अथवा
पूर्व सोवियत संघ के इतिहास की सबसे बड़ी गराज सेल' किसे कहा जाता है?
उत्तर:
सोवियत संघ के पतन के पश्चात् अस्तित्व में आए नए गणराज्यों ने शॉक थेरेपी (आघात पहुँचाकर उपचार करना) की विधि द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने का प्रयास किया परन्तु शॉक थेरेपी के फलस्वरूप सम्पूर्ण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गयी। रूस में पूरा राज्य नियन्त्रित औद्योगिक ढाँचा चरमरा गया। लगभग 70 प्रतिशत उद्योगों को निजी हाथों या कम्पनियों को बेचा गया। इसे ही 'इतिहास की सबसे बड़ी गराज-सेल' कहा जाता है।
प्रश्न 15.
सोवियत संघ के विघटन के समय किन दो गणराज्यों में हिंसक अलगाववादी आन्दोलन हुए?
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् उसके दो पूर्व गणराज्यों चेचन्या तथा दागिस्तान में हिंसक अलगाववादी आन्दोलन चले। रूस ने चेचन विद्रोहियों से निपटने के जो तरीके अपनाए उनमें मानवाधिकारों का भारी उल्लंघन किया गया था। उल्लेखनीय है कि सोवियत संघ के अनेक गणराज्यों में अभी भी वर्तमान शासन के विरुद्ध आन्दोलन चल रहे हैं।
प्रश्न 16.
मध्य एशियाई गणराज्यों में संघर्ष एवं तनाव के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 17.
युगोस्लाविया का विघटन किस प्रकार हुआ ?
उत्तर:
बाल्कन क्षेत्र के गणराज्य युगोस्लाविया में गहन जातीय संघर्ष प्रारम्भ हो गया और सन् 1991 के पश्चात् युगोस्लाविया कई प्रान्तों में टूट गया। इसमें सम्मिलित बोस्निया-हर्जेगोविना, स्लोवेनिया एवं क्रोएशिया ने अपने आपको स्वतन्त्र घोषित कर दिया। यहाँ नाटो को हस्तक्षेप करना पड़ा। युगोस्लाविया में बमबारी हुई और जातीय संघर्ष ने गृहयुद्ध का रूप ले लिया।
प्रश्न 18.
सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् भारत को रूस के साथ मित्रता बनाए रखने के कौन - कौन से दो लाभ (फायदे) मिले?
उत्तर:
भारत को रूस से मैत्री के निम्न दो लाभ मिले
लघु उत्तरात्मक प्रश्न (SA2):
प्रश्न 1:
सोवियत राजनीति प्रणाली क्या थी?
अथवा
सोवियत प्रणाली की कोई दो विशेषताएं लिखिए।
अथवा ।।
सोवियत संघ में सोवियत व्यवस्था की किन्हीं तीन सकारात्मक तथा तीन नकारात्मक विशेषताओं को उजागर कीजिए।
अथवा
सोवियत प्रणाली से आप क्या समझते हैं? विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सोवियत व्यवस्था की सकारात्मक विशेषताएँ-समाजवादी सोवियत गणराज्य रूस में हुई सन् 1917 की समाजवादी क्रान्ति के पश्चात् अस्तित्व में आया, सोवियत प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
प्रश्न 2.
सोवियत प्रणाली की किन्हीं चार कमियों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
सोवियत प्रणाली के प्रमुख दोषों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सोवियत प्रणाली की चार कमियाँ अथवा दोष निम्नवत् हैं
प्रश्न 3.
सोवियत संघ के विघटन में गोर्बाचेव की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन में गोर्बाचेव की सुधारवादी नीतियों की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। गोर्बाचेव ने आर्थिक व राजनीतिक क्षेत्र में सुधार के प्रयत्न किए थे। वे सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था को पश्चिम की बराबरी पर लाना चाहते थे। जिसके लिए उन्होंने प्रशासनिक ढाँचे में लचीलापन लाने का प्रयास किया। लेकिन गोर्बाचेव ने देश में समानता, स्वतन्त्रता, राष्ट्रीयता, भ्रातृत्व व एकता के वातावरण को तैयार किए बिना ही पुनर्गठन (पेरेस्त्रोइका) व खुलापन (ग्लासनोस्त) जैसी महत्त्वपूर्ण नीतियों को लागू कर दिया था।
गोर्बाचेव द्वारा लागू की गई जनतांत्रिक नीतियों के कारण सोवियत संघ के कुछ गणराज्यों में सोवियत संघ से अलग होकर स्वतन्त्र राष्ट्र निर्माण का विचार उत्पन्न हुआ। रूस, बाल्टिक गणराज्य, उक्रेन व जार्जिया में राष्ट्रीयता व सम्प्रभुता की इच्छा का उभार सोवियत संघ के विघटन का तात्कालिक कारण सिद्ध हुआ। परिणामस्वरूप सोवियत संघ को अपने कुछ गणराज्यों के अलग होने के निर्णय को मान्यता देनी पड़ी। इसके पश्चात् तो एक के बाद एक सोवियत संघ के सभी 15 गणराज्य उससे अलग होकर स्वतन्त्र होते चले गये और देखते-देखते सोवियत संघ का विघटन हो गया।
प्रश्न 4.
सोवियत संघ के विघटन के लिए उत्तरदायी किन्हीं छः कारणों को लिखिए।
अथवा
सोवियत संघ के विघटन के चार कारण बताइए।
अथवा
विश्व के दूसरे नम्बर के सर्वाधिक शक्तिशाली देश, सोवियत संघ का विघटन अकस्मात् कैसे हो गया? किन्हीं छः कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन हेतु उत्तरदायी छः कारण निम्नवत् हैं:
प्रश्न 5.
शॉक थेरेपी के किन्हीं चार परिणामों का वर्णन कीजिए।
अथवा
शॉक थेरेपी (आघात पहँचाकर उपचार करना) के किन्हीं दो परिणामों का आकलन कीजिए।
उत्तर:
शॉक थेरेपी के परिणाम-शॉक थेरेपी के निम्नलिखित परिणाम हैं:
प्रश्न 6.
"हालाँकि भारत ने साम्यवादी रह चुके सभी देशों के साथ अच्छे सम्बन्ध स्थापित किए हैं तथापि भारत के रूस के साथ सम्बन्ध सबसे अधिक घनिष्ठ हैं।" इस कथन को न्यायसंगत ठहराने हेतु कोई तीन तर्क दीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त कथन को न्यायसंगत ठहराने के लिए हम निम्न तीन तर्क दे सकते हैं:
(i) भारतीय विदेश नीति का महत्त्वपूर्ण हिस्सा उसका रूस के साथ सम्बन्ध है। भारत-रूस सम्बन्धों का इतिहास परस्पर आपसी विश्वास तथा संयुक्त हितों का इतिहास है। दोनों ही देशों के पारस्परिक सम्बन्ध इन राष्ट्रों के लोगों की अपेक्षाओं से मिलते हैं। रूस तथा पूर्व सोवियत संघ के शेष गणराज्यों के घर-घर में हिन्दी फिल्मों के अभिनेताओं में राजकपूर से अमिताभ बच्चन तक से लोग भलीभाँति परिचित हैं। यहाँ हिन्दी फिल्मी गीतों की भी भारी माँग है। .
(ii) रूस तथा भारत बहुध्रुवीय विश्व के प्रबल हिमायती हैं। दोनों ही देशों का बहुध्रुवीय विश्व का आशय यह है कि अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक शक्तियाँ हों, सुरक्षा का सामूहिक उत्तरदायित्व हो, क्षेत्रीयताओं को अधिक स्थान मिले, वार्ताओं द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय संघर्षों का हल तलाशा जाए, प्रत्येक देश की अपनी स्वतन्त्र विदेश नीति हो तथा संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्णय किए जाएँ। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि सन् 2001 में भारत-रूस सामरिक समझौते के अंग के रूप में दोनों देशों के बीच 80 द्विपक्षीय दस्तावेज हस्ताक्षरित हुए।
(iii) भारत को रूस के साथ अपने सम्बन्धों की वजह से कश्मीर, ऊर्जा आपूर्ति, अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद सम्बन्धी सूचनाओं के आदान-प्रदान, पश्चिम एशिया में अपना वर्चस्व बनाने तथा पड़ोसी देश चीन के साथ अपने सम्बन्धों में सन्तुलन कायम करने में लाभ हुआ है।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् सोवियत संघ को एक महाशक्ति बनाने में कौन-कौन से कारक सहायक रहे ? सविस्तार वर्णन कीजिए।
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् अधिकांश शंक्तियाँ कमजोर हो गयीं। समस्त विश्व में संयुक्त राज्य अमेरिका एवं सोवियत संघ ही ऐसे देश बने जो अब महाशक्ति कहे जा सकते थे। इस प्रकार द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् विश्व परिदृश्य पर केवल दो ही शक्तियाँ-संयुक्त राज्य अमेरिका एवं सोवियत संघ ही अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में प्रभावशाली थीं। इन दोनों देशों को महाशक्तियाँ बनाने में अनेक कारकों का योगदान रहा है। द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात् सोवियत संघ को एक महाशक्ति बनाने में निम्नलिखित कारकों ने योगदान दिया
प्रश्न 2.
मिखाइल गोर्बाचेव द्वारा किए गए सुधारों से सोवियत संघ का विघटन किस प्रकार हुआ? व्याख्या कीजिए।
अथवा
सोवियत व्यवस्था में सुधार करने हेतु, गोर्बाचेव व येल्तसिन की भूमिका तथा इन सुधारों के यू.एस.एस.आर. पर पड़े प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
गोर्बाचेव तथा सोवियत संघ का विघटन मिखाइल गोर्बाचेव 1980 के दशक के मध्य में सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव पद पर आसीन हुए। इस समयावधि के दौरान पाश्चात्य देश सूचना एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में क्रान्तिकारी बदलाव के दौर से गुजर रहे थे। अतः परिवर्तित परिस्थितियों में पाश्चात्य देशों की बराबरी के लिए सोवियत संघ में भी सुधारों को प्रारम्भ करने की अति आवश्यकता थी। मिखाइल गोर्बाचेव ने पाश्चात्य देशों के साथ सम्बन्धों को सामान्य बनाने, सोवियत संघ को लोकतान्त्रिक स्वरूप देने लोकतन्त्रीकरण की नीति को गति प्रदान की। कम्युनिस्ट पार्टी के विभिन्न नेताओं द्वारा इन सुधार नीतियों का खुलकर विरोध किया जाने लगा।
कम्युनिस्ट पार्टी के गरमपंथियों के प्रोत्साहन के फलस्वरूप 1991 में एक सैनिक तख्तापलट हुआ। इस तख्तापलट के विरोध में येल्तसिन ने महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन किया। अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका की वजह से बोरिस येल्तसनि ने एक नायक के रूप में उभरते हुए आम चुनाव में अपनी जीत दर्ज की। अब ऐसा दौर शुरू हो चुका था जब सत्ता मास्को से गणराज्यों की तरफ झुकने लगी। ऐसा मुख्यतया सोवियत संघ के उन भागों में हुआ जो यूरोपीय प्रभाव में तथा अपने आप को सम्प्रभु राज्य मानते थे। आश्चर्यजनक पहलू यह था कि मध्य एशियाई गणराज्यों ने स्वयं के लिए आजादी की कोई माँग नहीं रखी थी। वे सोवियत संघ के साथ ही सम्बद्ध रहना चाहते थे। दिसम्बर 1991 में येल्तसिन के नेतृत्व में सोवियत संघ के तीन बड़े गणराज्य रूस, यूक्रेन तथा बेलारूस ने सोवियत संघ की समाप्ति की घोषणा की। इस घटना-चक्र के चलते कम्युनिस्ट पार्टी प्रतिबन्धित हो गयी तथा परवर्ती सोवियत गणराज्यों ने पूँजीवाद एवं लोकतन्त्र को अपना आधार बनाया।
साम्यवादी सोवियत गणराज्य के विघटन की घोषणा तथा स्वतन्त्र राज्यों के राष्ट्रकुल का गठन शेष गणराज्यों विशेषतया मध्य एशियाई गणराज्यों के लिए अत्यन्त ही आश्चर्यजनक था। ये गणराज्य स्वतन्त्र राज्यों के राष्ट्रकुल से बाहर थे। इस समस्या का समाधान तुरन्त ही कर लिया गया तथा इन्हें राष्ट्रकुल का संस्थापक सदस्य बनाया गया। रूस को सोवियत संघ का उत्तराधिकारी राज्य स्वीकारा गया तथा उसे सुरक्षा परिषद् में सोवियत संघ का स्थान (सीट) दे दिया गया। सोवियत संघ ने जो अन्तर्राष्ट्रीय समझौते किए थे उन सभी के निर्वहन की जिम्मेदारी रूस को सौंप दी गयी। सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् पूर्ववर्ती गणराज्यों के बीच एकमात्र परमाणु शक्ति-सम्पन्न देश का दर्जा भी रूस को मिला। रूस ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ परमाणु निःशस्त्रीकरण की दिशा में अनेक कंदम भी उठाए।
प्रश्न 3.
सोवियत संघ के विभाजन के कारणों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
सोवियत संघ के विघटन के प्रमुख कारण स्पष्ट कीजिए।
अथवा
पूर्व सोवियत गणराज्यों में संघर्ष और तनाव के किन्हीं चार मुद्दों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
सोवियत संघ अचानक कैसे विघटित हो गया ? कोई छः कारण स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सोवियत संघ के अधिकांश गणराज्यों को खतरों एवं संघर्ष के क्षेत्र में लाने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
सोवियत संघ के विघटन के किन्हीं तीन कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विश्व की दूसरी महाशक्ति (सोवियत संघ) सन् 1991 में अचानक बिखर गई और इसके साथ ही सोवियत संघ की साम्यवादी शासन व्यवस्था का अन्त हो गया। सोवियत संघ के विभाजन के लिए निम्न प्रमुख कारण उत्तरदायी कहे जा सकते हैं।
(1) राजनीतिक - आर्थिक संस्थाओं की अन्दरूनी कमजोरियाँ: सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था वर्षों तक रुकी रही। इससे उपभोक्ता वस्तुओं की व्यापक कमी हो गई और सोवियत संघ की एक बड़ी आबादी अपनी राजव्यवस्था को सन्देह की नजर से देखने लगी थी। सोवियत संघ की राजनीतिक व आर्थिक संस्थाएँ अन्दर से कमजोर हो चुकी थीं जो जनता की आकांक्षाओं को पूरा नहीं कर सकीं। फलस्वरूप, यह स्थिति सोवियत संघ के पतन या विभाजन का कारण बनी।।
(2) संसाधनों का अधिकांश भाग परमाणु हथियार व सैन्य साजो-सामान दर खर्च करना: सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था में गतिरोध आने के पीछे एक कारण स्पष्ट है कि सोवियत संघ ने अपने संसाधनों का अधिकांश भाग परमाणु हथियार एवं सैन्य साजो-सामान पर व्यय किया। साथ ही उसने अपने संसाधन पूर्वी यूरोप के अपने पिछलग्गू देशों के विकास पर भी खर्च किए ताकि वे सोवियत संघ के नियन्त्रण में रहें। इससे सोवियत संघ पर गहरा आर्थिक दबाव पड़ा, अर्थव्यवस्था का यह गतिरोध आगे चलकर इसके विभाजन का कारण बना।
(3) औद्योगीकरण के क्षेत्र में पिछड़ना: औद्योगीकरण के विरोध के कारण सोवियत संघ में विज्ञान और तकनीको का विकास नहीं हो पाया। कृषि के द्वारा देश का विकास उस गति से नहीं हो पाया; जैसा कि पश्चिमी देशों का हुआ। सच्चाई यह थी कि सोवियत संघ पश्चिमी देशों की तुलना में पिछड़ चुका था, इससे लोगों को मनोवैज्ञानिक धक्का लगा; जो सोवियत संघ के विभाजन का एक कारण बना।
(4) कम्युनिस्ट पार्टी का अंकुश: सोवियत संघ पर कम्युनिस्ट पार्टी ने 70 सालों तक शासन किया और यह पार्टी अब जनता के प्रति जवाबदेह नहीं रह गई थी। एक ही दल होने से सभी संसाधनों पर कम्युनिस्ट पार्टी का नियन्त्रण रहता था, साथ ही जनता के पास कोई विकल्प भी नहीं था। पार्टी के अधिकारियों को आम नागरिकों से अधिक विशेषाधिकार मिले हुए थे। लोग अपने को राजव्यवस्था और शासकों से जोड़कर नहीं देख पा रहे थे, साथ ही चुनाव का भी कोई विकल्प नहीं था। अतः धीरे-धीरे सरकार का जनाधार खिसकता चला गया; जो सोवियत संघ के पतन का कारण बना।
(5) गोर्बाचेव द्वारा किए गए सुधार एवं जनता को प्राप्त अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता-जब गोर्बाचेव ने सुधारों को लागू किया और व्यवस्था में ढील दी तो लोगों की आकांक्षाओं - अपेक्षाओं का ऐसा ज्वार उमड़ा; जिसका अनुमान शायद ही कोई लगा सकता था और जनता गोर्बाचेव की धीमी कार्य पद्धति से धीरज खो बैठी। धीरे-धीरे खींचातानी में गोर्बाचेव का समर्थन हर तरफ से जाता रहा। जो लोग उनके साथ थे, उनका भी मोहभंग हो गया।
(6) राष्ट्रवादी भावनाओं और सम्प्रभुता की इच्छा का उभार: रूस और बाल्टिक गणराज्य (एस्टोनिया, लताविया एवं लिथुआनिया) उक्रेन तथा जार्जिया जैसे सोवियत संघ के विभिन्न गणराज्य इस उभार में शामिल थे। राष्ट्रीयता और सम्प्रभुता के भावों का उभार सोवियत संघ के विघटन का अन्तिम और सर्वाधिक तात्कालिक कारण सिद्ध हुआ।
प्रश्न 5.
शॉक थेरेपी क्या है? इसके विभिन्न परिणाम बताइए।
अथवा
शॉक थेरेपी का अर्थ बताते हुए इसके परिणाम बताइए।
अथवा
आपकी राय में शॉक थेरेपी का रूस की अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
अथवा '
शॉक थेरेपी' से क्या अभिप्राय है? शॉक थेरेपी के किन्हीं चार परिणामों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
शॉक थेरेपी से आशय: साम्यवाद के पतन के पश्चात् पूर्व सोवियत संघ के गणराज्य एकसत्तावादी समाजवादी व्यवस्था से लोकतान्त्रिक पूँजीवाद व्यवस्था तक के कष्टप्रद संक्रमण से होकर गुजरे। रूस, मध्य एशिया के गणराज्य और पूर्वी यूरोप के देशों में पूँजीवाद की ओर से संक्रमण का एक खास मॉडल अपनाया गया। विश्व बैंक एवं अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा निर्देशित इस मॉडल को शॉक थेरेपी अर्थात् आघात पहुँचाकर उपचार करना कहा जाता है।
शॉक थेरेपी में सम्पत्ति पर निजी स्वामित्व, राज्य की सम्पदा के निजीकरण एवं व्यापारिक स्वामित्व के ढाँचे को अपनाना, पूँजीवादी पद्धति से खेती करना, मुक्त व्यापार को पूर्ण रूप से अपनाना, वित्तीय खुलापन एवं मुद्राओं की आपसी परिवर्तनशीलता को अपनाना सम्मिलित है।
(i) अर्थव्यवस्था का तहस - नहस होना: सन् 1990 में अपनायी गयी शॉक थेरेपी जनता को उपभोग के उस आनन्द लोक तक नहीं ले गई, जिसका उसने वादा किया था। शॉक थेरेपी से पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था तहस - नहस हो गयी और जनता को बरबादी की मार झेलनी पड़ी। रूस में पूरा राज्य नियन्त्रित औद्योगिक ढाँचा चरमरा उठा। लगभग 90 प्रतिशत उद्योगों को निजी हाथों अथवा कम्पनियों को बेच दिया गया।
आर्थिक ढाँचे का यह पुनर्निर्माण चूँकि सरकार द्वारा नियन्त्रित औद्योगीकरण नीति की अपेक्षा बाजार की शक्तियाँ कर रही थीं; इसलिए यह कदम सभी उद्योगों को नष्ट करने वाला सिद्ध हुआ। इसे इतिहास की सबसे बड़ी ‘गराज सेल' के नाम से जाना जाता है क्योंकि महत्त्वपूर्ण उद्योगों की कीमत कम से कम करके आँकी गयी तथा उन्हें औने - पौने दामों में बेच दिया गया। यद्यपि इस महाबिक्री में भाग लेने के लिए समस्त जनता को अधिकार पत्र प्रदान किए गए थे, लेकिन अधिकांश जनता ने अपने अधिकार पत्र कालाबाजारियों को बेच दिये क्योंकि उन्हें धन की आवश्यकता थी।
(ii) रूसी मुद्रा (रूबल) में गिरावट: शॉक थेरेपी के कारण रूसी मुद्रा रूबल के मूल्य में नाटकीय ढंग से गिरावट आयी। मुद्रास्फीति इतनी अधिक बढ़ी कि लोगों की जमा पूँजी धीरे-धीरे समाप्त हो गयी और लोग निर्धन हो गये।
(iii) खाद्यान्न सुरक्षा की समाप्ति: शॉक थेरेपी के कारण सामूहिक खेती की प्रणाली समाप्त हो गयी। अब लोगों की खाद्यान्न सुरक्षा व्यवस्था भी समाप्त हो गयी, जिस कारण लोगों के समक्ष खाद्यान्न की समस्या भी उत्पन्न होने लगी। रूस ने खाद्यान्न का आयात करना प्रारम्भ कर दिया। पुराना व्यापारिक ढाँचा तो टूट चुका था, लेकिन उसके स्थान पर कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो पायी थी।
(iv) समाज कल्याण की समाजवादी व्यवस्था को नष्ट कर किया जाना: सोवियत संघ से अलग हुए गणराज्यों में समाज कल्याण की समाजवादी व्यवस्था को क्रम से नष्ट किया गया। समाजवादी व्यवस्था के स्थान पर नई पूँजीवादी व्यवस्था को अपनाया गया। इस व्यवस्था के बदलने से लोगों को प्रदान की जाने वाली राजकीय रियायतें समाप्त हो गयीं; जिससे अधिकांश लोग निर्धन होने लगे। इस कारण मध्यम एवं शिक्षित वर्ग का पलायन हुआ और वहाँ कई देशों में एक नया वर्ग उभर कर सामने आया जिसे माफिया वर्ग के नाम से जाना गया। इस वर्ग ने वहाँ की अधिकांश आर्थिक गतिविधियों को अपने हाथों में ले लिया।
(v) आर्थिक असमानताओं का जन्म: निजीकरण ने नई विषमताओं को जन्म दिया। पूर्व सोवियत संघ में शामिल रहे गणराज्यों और विशेषकर रूस में अमीर और गरीब के बीच गहरी खाई तैयार हो गयी। अब धनी और निर्धन के बीच गहरी असमानता ने जन्म ले लिया था।
(vi) लोकतान्त्रिक संस्थाओं के निर्माण को प्राथमिकता नहीं: सोवियत संघ से अलग हुए गणराज्यों में शॉक थेरेपी के अन्तर्गत आर्थिक परिवर्तन को बड़ी प्राथमिकता दी गई और उसे पर्याप्त स्थान भी दिया गया, लेकिन लोकतान्त्रिक संस्थाओं के निर्माण का कार्य ऐसी प्राथमिकताओं के साथ नहीं हो सका। इन सभी देशों में जल्दीबाजी में संविधान तैयार किए गए। रूस सहित अधिकांश देशों में राष्ट्रपति को कार्यपालिका प्रमुख बनाया गया और उसके हाथों में अधिकांश शक्तियाँ प्रदान कर दी गयीं। फलस्वरूप संसद अपेक्षाकृत कमजोर संस्था रह गयी।
(vii) शासकों का सत्तावादी स्वरूप: एशिया के देशों में राष्ट्रपति को बहुत अधिक शक्तियाँ प्रदान कर दी गयीं और इनमें से कुछ सत्तावादी हो गये। उदाहरण के लिए, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने पहले 10 वर्षों के लिए अपने को इस पद पर बहाल किया और उसके बाद समय सीमा को अगले 10 वर्षों के लिए बढ़ा दिया। इन राष्ट्रपतियों ने अपने फैसले से असहमति या विरोध की अनुमति नहीं दी।
(viii) न्यायपालिका की स्वतन्त्रता स्थापित नहीं-सोवियत संघ से अलग हुए गणराज्यों में न्यायिक संस्कृति एवं न्यायपालिका की स्वतन्त्रता अभी तक स्थापित नहीं हो पायी है; जिसे स्थापित किया जाना आवश्यक है।
प्रश्न 6.
“शीतयुद्ध के दौरान भारत और सोवियत संघ के सम्बन्ध बहुत गहरे थे।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
"शीतयुद्ध के दौरान भारत और सोवियत संघ के सम्बन्ध बहुआयामी थे।" इस कथन की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
शीतयुद्ध के दौरान भारत और सोवियत संघ के सम्बन्ध बहुत गहरे थे। इससे आलोचकों को यह कहने का अवसर भी मिला कि भारत सोवियत गुट का एक अंग है। इस दौरान भारत-सोवियत संघ के सम्बन्धं बहुआयामी थे; जिन्हें निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है
(i) आर्थिक सम्बन्ध: शीतयुद्ध के दौरान अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सोवियत संघ भारत का सबसे बड़ा साझीदार था। भारत में जब विदेशी मुद्रा की कमी थी तब सोवियत संघ ने रुपये को माध्यम बनाकर भारत के साथ व्यापार किया। सोवियत संघ ने भारत के सार्वजनिक क्षेत्र की ऐसे समय सहायता की; जब ऐसी सहायता प्राप्त करना मुश्किल था। सोवियत संघ ने भिलाई, बोकारो एवं विशाखापट्टनम के इस्पात कारखानों तथा भारत हैवी इलेक्ट्रीकल्स जैसे मशीनरी संयन्त्रों के लिए आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान की।
(ii) सैन्य सम्बन्ध: भारत अपनी स्वतन्त्रता के पश्चात् से ही सैन्य सामग्री के लिए सोवियत संघ पर काफी निर्भर रहा है। सोवियत संघ से भारत बहुत अधिक सैनिक सामग्री आयात करता था। सोवियत संघ ने भारत को ऐसे समय में सैनिक सामग्री प्रदान की; जब शायद ही कोई अन्य देश अपनी सैन्य तकनीकी भारत को देने के लिए तैयार था। सोवियत संघ ने भारत के साथ कई ऐसे समझौते किए जिससे भारत संयुक्त रूप से सैनिक उपकरण तैयार कर सकता था।
(iii) राजनीतिक सम्बन्ध: सोवियत संघ से भारत के घनिष्ठ राजनीतिक सम्बन्ध रहे थे। वर्तमान में रूस से हैं। सोवियत संघ ने कश्मीर मामले पर संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के रुख का समर्थन किया। इसके अतिरिक्त सोवियत संघ ने सन् 1971 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान भारत को मदद की। भारत ने भी सोवियत संघ की विदेश नीति का अप्रत्यक्ष लेकिन महत्त्वपूर्ण तरीके से समर्थन किया है।
(iv) सांस्कृतिक सम्बन्ध: भारत और सोवियत संघ के मध्य घनिष्ठ सांस्कृतिक सम्बन्ध रहे थे। वर्तमान में भी भारत के सोवियत संघ से अलग हुए समस्त गणराज्यों के साथ सांस्कृतिक सम्बन्ध स्थापित हैं। भारत में निर्मित होने वाली हिन्दी फिल्म एवं भारतीय संस्कृति सोवियत संघ में लोकप्रिय थे। इस दौरान भारतीय लेखकों एवं कलाकारों ने सोवियत संघ की यात्राएँ की।
प्रश्न 7.
"भारत के रूस के साथ गहरे सम्बन्ध हैं तथा दोनों ही इससे परस्पर लाभान्वित हुए हैं।" इस कथन के समर्थन में तर्क दीजिए।
अथवा
शीतयुद्ध की समाप्ति के पश्चात् भारत-रूस सम्बन्धों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारत एवं रूस के पारस्परिक सम्बन्धों से लाभ:
(अ) भारत को लाभ - भारत व रूस के गहरे सम्बन्धों से भारत को निम्न लाभ हुए हैं।
(i) रूस से भारत को ऊर्जा संसाधनों, ऊर्जा संयन्त्रों, तेल तथा जीवाश्म ईंधन प्राप्त होता है जिससे भारत में अनेक परियोजनाएँ सुचारु रूप से संचालित हैं। .
(ii) रूस ने कश्मीर विवाद पर संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत के दृष्टिकोण को पुरजोर समर्थन दिया था।
(iii) रूस से भारत को समय-समय पर प्रौद्योगिकी मदद तथा युद्ध में प्रयुक्त किए जाने वाले हथियारों की आपूर्ति लगातार मिलती रहती है जिससे भारतीय सेनाएँ नवीनतम तकनीकी एवं युद्ध सामग्री से सुसज्जित हुई हैं।
(iv) भारत को समय-समय पर अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद की प्रामाणिक जानकारी कराने में रूस का बहुत योगदान रहा है जिससे भारत को आतंकवाद से निपटने में बहुत अधिक मदद मिली है।
(v) भारत को रूस में अपनी भाषा, संस्कृति, साहित्य तथा फिल्मों इत्यादि का प्रसार तथा विस्तार करने का भरपूर लाभ मिलता रहा है। भारतीय संस्कृति तथा साहित्य की रूस में सदैव अत्यधिक प्रतिष्ठापूर्ण स्थिति रही है। भारतीय हिन्दी फिल्मों के नायकों में राजकपूर से लेकर अमिताभ बच्चन तक रूस में घर - घर जाने जाते हैं। हम वहाँ हिन्दी फिल्मों के गीत व गजले सुन सकते हैं। समय - समय पर बड़ी संख्या में भारतीय लेखकों एवं अभिनेताओं ने रूस की यात्राएँ की हैं।
(vi) रूस भारत के साथ चीन के शक्ति सन्तुलन को बनाए रखने और मध्य एशिया में भारत की पहुँच बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता रहा है।
(vii) भारत को रूस ने ऐसे समय में सैनिक साजो सामान उपलब्ध कराया; जब सम्भवतया कोई अन्य देश अपनी सैन्य प्रौद्योगिकी भारत को हस्तान्तरित करने के लिए तैयार नहीं था। पूर्व सोवियत संघ ने भारत के साथ अनेक ऐसे समझौते किए; जिससे भारत संयुक्त रूप से सैन्य उपकरण एवं हथियार तैयार करने में समर्थ हो सका।
(ब) रूस को लाभ-भारत-रूस के गहरे सम्बन्धों से रूस भी लाभान्वित हुआ है; जिसे निम्न बिन्दुओं द्वारा सरलतापूर्वक स्पष्ट किया जा सकता है
प्रश्न 8.
मान लिया जाए कि सोवियत संघ का विघटन नहीं होता तथा 1980 के दशक के मध्य वाले वर्षों की तरह दुनिया में आज भी द्विध्रुवीय स्थिति बनी रहती तो इसने अनुवर्ती दो दशकों के विकास को कैसे प्रभावित किया होता? ऐसे किन्हीं तीन क्षेत्रों अथवा राज्य क्षेत्रों के विकास की बात कीजिए जो ऐसे द्विध्रुवीय विश्व में अवरुद्ध हो जाता।
अथवा यदि सोवियत संघ का विघटन नहीं होता और विश्व द्विध्रुवीय बना रहता, तो ऐसी स्थिति में विश्व राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता?
उत्तर:
यदि उसकी कल्पना कर ली जाए तो निम्न तीन तर्क दिए जा सकते हैं।
(i) अर्थव्यवस्था का वैश्वीकरण शुरू नहीं होता: द्विध्रुवीय विश्व तथा शीतयुद्ध की स्थिति बनी रहने के कारण संयुक्त राष्ट्र संघ में अपनी सुदृढ़ स्थिति तथा उसके विश्व व्यापार संगठन जैसे अभिकरणों पर शिकंजे द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका विकासशील
देशों को व्यापार हेतु दबाने वाला अथवा उदारीकृत नीति को अंगीकार करने के लिए मजबूर करने वाला वर्चस्व कभी भी नहीं बना पाता। वहाँ पर वर्तमान में भी मिश्रित अर्थव्यवस्था का दौर चलता रहता अर्थात् सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की संयुक्त सहभागिता बनी रहती।
चूँकि नाटो तथा वारसा जैसे सैन्य गठबन्धन अभी भी अस्तित्व में बने रहते। अत: व्यापार नियन्त्रण, कोटा प्रणाली, लाइसेंस नीति इत्यादि ने मुक्त व्यापार जैसी परिस्थितियों को सर उठाने नहीं दिया होता। इसी प्रकार बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने सम्पूर्ण दुनिया के राष्ट्रों में अपना सीधा प्रवेश नहीं किया होता। रोजगार के अवसर लगातार बढ़ रहे होते तथा छोटे एवं कुटीर उद्योगों ने अभी तक देश के सकल घरेलू उत्पाद तथा सकल राष्ट्रीय उत्पादन में अपना श्रेष्ठतम योगदान दिया होता। किसी भी सरकार की विशेष आर्थिक क्षेत्र बनाने की योजना के अधीन सम्बन्धित देश के किसान अपनी खेती योग्य भूमियों को नहीं खोते।
(ii) अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पूँजीवादी अर्थव्यवस्था इतनी शक्तिशाली नहीं होती: यदि सोवियत संघ का विघटन नहीं होता तो दुनिया में राजनीतिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक क्षेत्रों में अमेरिका का बोलबाला इतनी गहराई से नहीं गहराया होता। साम्यवादी अर्थव्यवस्था के पतन की वजह से पूँजीवादी अर्थव्यवस्था ने सीमा का अतिक्रमण करने वाली उछाल लगाई तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के विश्व बैंक तथा अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे अभिकरण विश्व के अनेक देशों से अपनी बात शक्तिपूर्वक मनवाने वाले परामर्शदाता नहीं बरे होते।
ऐसा इस कारण से है कि ये इन देशों को संयुक्त राज्य अमेरिका से आर्थिक मदद दिलाने में सहायक सिद्ध होते हैं। इस प्रकार अमेरिका ने इन अन्तर्राष्ट्रीय अभिकरणों के द्वारा अपने वर्चस्व का विस्तार किया है। उदाहरणार्थ; सदस्य देशों को विश्व व्यापार संगउन हारा दिए गए ऐसे निर्देश तथा आदेश जो वस्तुतः उन देशों के प्रतिकूल हैं। इसका सचिवीय सम्मेलन जो सर्वोच्च निर्णयकारी निकाय है; विकासशील देशों को यह आदेशित करता है कि वे अपने समस्त कृषि उत्पादों का पेटेंट करायें तथा बहुराष्ट्रीय कम्पनियों हेतु विशेष आर्थिक क्षेत्र बनवायें।
इसने विकासशील देशों की सरकारों को ये निर्देश दिए हैं कि वे समस्त प्रकार की कृषि प्रोत्साहन राशि, छूट तथा रियायत इत्यादि पर तुरन्त ही प्रभावी रोक लगायें। चाहे किसानों पर इसका घातक प्रभाव ही क्यों न पड़े। इसी प्रकार विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था में बदलाव नहीं आते यदि द्विध्रुवीय विश्व वर्तमान में भी अस्तित्व में रहता।
(iii) साम्यवादी देश शॉक थेरेपी के दौर से न गुजरते-सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् सभी स्वतन्त्र गणराज्यों तथा पोलैण्ड, हंगरी, रूमानिया, बुल्गारिया तथा चेकोस्लोवाकिया अनेक पूर्व यूरोपीय देशों को अपनी सार्वजनिक सम्पत्ति एवं क्षेत्र का निजीकरण करते हुए उदार नीति अपनानी पड़ी। साम्यवादी देशों के लिए यह एक नया अनुभव था। इस संक्रमण का सबसे बड़ा प्रभाव रूस के सबसे बड़े बैंक 'ईकाम' पर पड़ा तथा वह दिवालिया हो गया। ईकाम बैंक में ग्राहकों की जमा राशियाँ संक्रमण की प्रक्रिया में डूब गईं। कृषि व्यवस्था में राज्य स्वामित्व के स्थान पर निजी स्वामित्व बनने में संसाधनों को अत्यधिक नुकसान हुआ। सार्वजनिक क्षेत्र में कार्यरत लगभग नब्बे प्रतिशत उद्योग निजी क्षेत्र की कम्पनियों को अनाप-शनाप कीमतों पर बेच दिए गए।
स्त्रोत पर आधारित प्रश्न:
प्रश्न 1.
दिए गए अवतरण को ध्यानूर्वक पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
हर देश को पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की ओर पूरी तरह मुड़ना था। इसका मतलब था कि इस दौर की हर संरचना से पूरी तरह निजात पाना। 'शॉक थेरेपी' की सर्वोपरि मान्यता थी कि मिल्कियत का सबसे प्रभावी रूप निजी स्वामित्व होगा। इसके अन्तर्गत राज्य की संपदा के निजीकरण और व्यावसायिक स्वामित्व के ढाँचे को तुरन्त अपनाने की बात शामिल थी। सामूहिक 'फार्म' को निजी सम्पदा के निजीकरण और व्यावसायिक स्वामित्व के ढाँचे को तुरन्त अपनाने की बात शामिल थी। सामूहिक 'फार्म' को निजी 'फार्म' में बदला गया और पूँजीवादी पद्धति से खेती शुरू हुई। इस संक्रमण में किसी भी वैकल्पिक व्यवस्था या 'तीसरे रुख' को मंजूर नहीं किया गया।
(i) ऐसे दो देशों के नाम लिखिए जिन्हें अपनी व्यवस्था में पूरी तरह से परिवर्तन लाना था।
(ii) सामूहिक फार्मों को निजी फार्मों में क्यों बदला जाना था ?
(ii) क्योंकि किसी तीसरे रास्ते की कोई सम्भावना नहीं थी, तो अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए पहले दो रास्ते कौन-से थे?
उत्तर:
(i) (क) रूस तथा
(ख) कजाकिस्तान।
(ii) (क) सामूहिक कार्य प्रणाली सोवियत या समाजवादी प्रणाली थी जो ध्वस्त हो चुकी थी। अतः अब पूँजीवादी प्रणाली में सामूहिक कार्यों का निजीकरण आवश्यक था।
(ख) सामूहिक फार्मों को निजी फार्मों में बदलकर अर्थव्यवस्था को गति देना।
(iii) (क) पूँजीवादी अर्थव्यवस्था तथा
(ख) निजीकरण।
प्रश्न 2.
नीचे दिए गए अवतरण का ध्यानपूर्वक अध्ययन कीजिए तथा निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए
शीतयुद्ध के वर्षों में भारत अमेरिकी गुट के विरुद्ध खड़ा था। इन सालों में भारत की करीबी दोस्ती सोवियत संघ से थी। सोवियत संघ के बिखरने के बाद भारत ने पाया कि लगातार कटुतापूर्ण होते अंतर्राष्ट्रीय माहौल में वह मित्र विहीन हो गया है। इसी अवधि में भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण करने तथा उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था से जोड़ने का भी फैसला किया। इस नीति और हाल के सालों में प्रभावशाली आर्थिक वृद्धि - दर के कारण भारत अब अमेरिकी समेत कई देशों के लिए आकर्षक आर्थिक सहयोगी बन गया है।
उत्तर:
(i) भारत और सोवियत संघ के बीच करीबी दोस्ती के लिए उत्तरदायी कोई दो कारक स्पष्ट कीजिए।
(ii) आर्थिक उदारीकरण के ऐसे दो उदाहरण दीजिए जिनसे भारत को लाभ पहुँचा हो।
(ii) (क) 1965 में भारत - पाकिस्तानी सीमा युद्ध के बाद सोवियत संघ ने दोनों देशों के बीच शांति समझौते के रूप में सफलतापूर्वक सेवा की।
(ख) अगस्त 1971 में शांति तथा मित्रता की संधि पर भारत एवं सोवियत संघ ने हस्ताक्षर किए। यह संधि दोनों राष्ट्रों के साझा लक्ष्यों की अभिव्यक्ति के साथ-साथ क्षेत्रीय तथा वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए एक आधार स्तम्भ था।
(iii) (क) इसने पोर्टफोलिया निवेश तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रूप में विदेशी पूँजी प्रवाह को बढ़ावा दिया।
(ख) भारतीय अर्थव्यवस्था को अर्थव्यवस्था के उदारीकरण से एक अन्य लाभ यह है कि यह विकसित देशों से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए एक तंत्र के रूप में कार्य करता है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित अवतरण को ध्यान से पढ़िए और नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर लिखिए।
भारत ने साम्यवादी रह चुके सभी देशों के साथ अच्छे सम्बन्ध कायम किए हैं लेकिन भारत के सम्बन्ध रूस के साथ सबसे ज्यादा गहरे हैं। भारत की विदेश नीति का एक महत्त्वपूर्ण पहलू भारत का रूस के साथ सम्बन्ध है। भारत-रूस सम्बन्धों का इतिहास आपसी विश्वास और साझे हितों का इतिहास है। भारत-रूस के आपसी सम्बन्ध इन देशों की जनता की अपेक्षाओं से मेल खाते हैं। भारतीय हिन्दी फिल्मों के नायकों में राजकपूर से लेकर अमिताभ बच्चन तक रूस और पूर्व सोवियत संघ के बाकी गणराज्यों में घर-घर जाने जाते हैं। आप इस क्षेत्र में हिन्दी फिल्मी गीत बजते सुन सकते हैं और भारत यहाँ के जनमानस का एक है।
पूर्व साम्यवादी देशों से क्या अभिप्राय है?
(i) पूर्व साम्यवादी देशों से क्या अभिप्राय है ?
(ii) भारत और रूस के बीच गहरे सम्बन्धों के लिए उत्तरदायी कोई दो कारक स्पष्ट कीजिए।
(iii) भारत के रूस के साथ सम्बन्ध किस प्रकार भारत की विदेश नीति का एक महत्त्वपूर्ण पहलू हैं ?
उत्तर:
(i) पूर्व साम्यवादी देशों से अभिप्राय यूरोप तथा एशिया के उन देशों से है जो मुक्त बाजार उन्मुख पूँजीवादी अर्थव्यवस्था को बनाने का लक्ष्य रखते हैं।
(ii) भारत और रूस के बीच गहरे सम्बन्धों
(iii) निम्नलिखित तथ्य से स्पष्ट है कि भारत के रूस के साथ सम्बन्ध भारत की विदेश नीति का एक महत्त्वपूर्ण पहलू
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये इस अध्याय से सम्बन्धित:
प्रश्न 1.
निम्नलिखित में से किस घटना को शीतयुद्ध की समाप्ति का संकेत माना जाता है?
(अ) वर्ष 1991 में सोवियत संघ का विघटन
(ब) वर्ष 1989 में बर्लिन की दीवार को गिराया जाना
(स) वर्ष 1991 में कजाकिस्तान गणराज्य द्वारा स्वतन्त्र होने की घोषणा
(द) वर्ष 1989 में बाल्टिक राज्यों में स्वतन्त्रता हेतु बड़े पैमाने पर विद्रोह।
उत्तर:
(अ) वर्ष 1991 में सोवियत संघ का विघटन
प्रश्न 2.
यू. एस. एस. आर. के किस नेता ने 'शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व' की नीति शुरू की थी?
(अ) मिखाइल गोर्बाचेव
(ब) एन. खुश्चे व
(स) एल. ब्रेझनेव
(द) जॉसेफ स्टालिन।
उत्तर:
(ब) एन. खुश्चे व
प्रश्न 3.
सोवियत संघ का 15 स्वतन्त्र गणतन्त्रों में विघटन कब हुआ?
(अ) 1990
(ब) 1991
(स) 1992
(द) 1993.
उत्तर:
(स) 1992
प्रश्न 4.
नई आर्थिक नीति किसने शुरू की थी?
((अ) लेनिन
(ब) स्टालिन
(स) केरेन्स्की
(द) खुश्चे व
उत्तर:
(द) खुश्चे व
प्रश्न 5.
रूसी क्रान्ति किस वर्ष हुई थी?
(अ) 1905 ई.
(ब) 1911 ई.
(स) 1917 ई.
(द) 1929 ई.।
उत्तर:
(द) 1929 ई.।
प्रश्न 6.
वी. आई. लेनिन का सम्बन्ध किससे है?
(अ) वर्ष 1917 की रूसी क्रान्ति से
(ब) वर्ष 1949 की चीनी क्रान्ति से
(स) जर्मनी क्रान्ति से
(द) वर्ष 1789 की फ्रांसीसी क्रान्ति से।
उत्तर:
(द) वर्ष 1789 की फ्रांसीसी क्रान्ति से।
प्रश्न 7.
वर्ष 1917 किसके लिए जाना जाता है?
(अ) ट्रैफेल्गर का युद्ध
(ब) वाटरलू का युद्ध
(स) प्रथम विश्वयुद्ध
(द) रूसी क्रान्ति।
उत्तर:
(स) प्रथम विश्वयुद्ध
प्रश्न 8.
यह किसने कहा है, "लेनिनवाद साम्राज्यवाद के युग का और श्रमजीवी क्रान्ति का मार्क्सवाद हैं" ?
(अ) मार्क्स
(ब) लेनिन
(स) स्टालिन
(द).माओ।
उत्तर:
(द).माओ।