Rajasthan Board RBSE Class 12 Physics Important Questions Chapter 11 विकिरण तथा द्रव्य की द्वैत प्रकृति Important Questions and Answers.
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अति लघुत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
डेविसन जर्मर के प्रयोग का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
डेविसन जर्मर के प्रयोग का मुख्य उद्देश्य डी - ऑग्ली द्रव्य तरंग सिद्धांत का प्रायोगिक सत्यापन करना था।
प्रश्न 2.
हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता सिद्धांत लिखिए।
उत्तर:
इस नियम के अनुसार किसी कण की स्थिति एवं संवेग का एक साथ मापन संभव नहीं है।
प्रश्न 3.
देहली आवृत्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
देहली आवृत्ति प्रकाश ऊर्जा की वह आवृत्ति है जो किसी प्रकाश सुग्राही पदार्थ से इलेक्ट्रॉन के उत्सर्जित होने के लिए आवश्यक होती है।
प्रश्न 4.
कण की तरंग प्रकृति का समर्थन करने वाले प्रयोग का नाम दीजिए।
उत्तर:
डेविसन एवं जर्मर का प्रयोग।
प्रश्न 5.
q आवेश और m द्रव्यमान के आवेशित कण से संबद्ध डी - ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य का व्यंजक लिखिए। जब इसे विभवान्तर V आरोपित कर त्वरित किया जाता है।
उत्तर:
आवेशित कण की गतिज ऊर्जा विद्युत क्षेत्र द्वारा किये गये कार्य के बराबर होती है।
K = qv
\(\frac{1}{2}\) mv2 = qv
\(\frac{\mathrm{P}^2}{2 m}\) = qv
P = \(\sqrt{2 m q v}\)
प्रश्न 6.
प्रकाश विद्युत प्रभाव के संदर्भ में निरोधी विभव को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
प्रकाश विद्युत प्रभाव की प्रायोगिक व्यवस्था में, एनोड के ऋणात्मक विभव का वह मान जिस पर परिपथ में प्रवाहित विद्युत धारा का मान शून्य हो जाता है, निरोधी विभव कहलाता है।
प्रश्न 7.
प्रकाश विद्युत प्रभाव में आपतित प्रकाश की तरंगदैर्ध्य को कम करने पर उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन के वेग पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन का वेग बढ़ जायेगा।
प्रश्न 8.
क्या देहली आवृत्ति प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर करती है?
उत्तर:
नहीं, देहली आवृत्ति प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं करती।
प्रश्न 9.
फोटॉन एक कण है अथवा तरंग।
उत्तर:
फोटॉन एक कण है और इसमें तरंग प्रकृति भी है।
प्रश्न 10.
क्या प्रकाश तरंगों एवं द्रव्य तरंगों में अंतर है?
उत्तर:
हाँ, प्रकाश तरंगें विद्युत चुम्बकीय तरंगें हैं जबकि द्रव्य तरंगें विद्युत चुम्बकीय तरंगें नहीं हैं। द्रव्य तरंगें गतिशील कण के साथ सम्बद्ध तरंगें हैं जिन्हें डी - ब्रॉग्ली तरंगें भी कहते हैं।
प्रश्न 11.
क्या द्रव्य तरंगें विद्युत चुम्बकीय होती हैं? डी - ब्रॉग्ली तरंग समीकरण लिखिए।
उत्तर:
नहीं, द्रव्य तरंगों की प्रकृति विद्युत चुम्बकीय नहीं होती है। डो - ब्रॉग्ली तरंग समीकरण
λ = \(\frac{h}{m v}\)
प्रश्न 12.
निरोधी विभव का मान किस पर निर्भर करता है?
उत्तर:
आपतित प्रकाश को आवृत्ति पर निरोधी विभव का मान निर्भर करता है।
प्रश्न 13.
विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा के क्वांटा को क्या कहते हैं?
उत्तर:
फोटॉन
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या तरंग सिद्धांत के आधार पर नहीं की जा सकती है? कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
प्रकाश विद्युत प्रभाव (Photo Electric Effect)
"उचित आवृत्ति का प्रकाश धातुओं के पृष्ठ पर डालने पर इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन की घटना प्रकाश - वैद्युत् प्रभाव कहलाती है।" इस घटना की खोज हेनरिच हज के द्वारा 1887 में वैद्युत चुम्बकीय तरंगों के प्रयोगों के समय की गई। उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों को प्रकाश - इलेक्ट्रॉन कहते हैं, यदि उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों को एकत्र करके पुनः उत्सर्जक पृष्ठ (emitting surface) तक पहुँचा दिया जाये तो मिलने वाली विद्युत् धारा प्रकाश - वैद्युत् धारा कहलायेगी।
विभिन्न धातुओं के पृष्ठ पर यदि उचित तरंगदैर्ध्य का प्रकाश डाला जाये तो वे प्रकाश - वैद्युत प्रभाव का प्रदर्शन करती हैं। क्षारीय धातुएँ जैसे - लीथियम, सोडियम, पोटैशियम, सीजियम आदि पर दृश्य प्रकाश डालने से ही यह धातुएँ इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन करने लगती हैं। जबकि कुछ अन्य धातुएँ, जैसे - जस्ता, कैडमियम, मैग्नीशियम आदि पराबैगनी किरणें डालने पर इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन करती हैं।
प्रकाश - वैद्युत् प्रभाव एवं तरंग सिद्धांत (Photo electrie effect and Wave Theory)
तरंग सिद्धान्त की असफलता (Failure of Wave Theory): प्रकाश के तरंग सिद्धान्त के अनुसार स्रोत से ऊर्जा का उत्सर्जन एवं किसी पृष्ठ द्वारा इसका अवशोषण (absorption) दोनों ही लगातार होने वाली क्रियाएँ है और ऊर्जा की हर सम्भव मात्रा का उत्सर्जन एवं अवशोषण दोनों ही सम्भव हैं। संसार का कोई भी वैज्ञानिक इस सिद्धान्त के आधार पर प्रकाश - वैद्युत् प्रभाव की व्याख्या न कर सका। प्रकाश - वैद्युत् प्रभाव की व्याख्या करने में तरंग सिद्धान्त निम्न कारणों से असफल रहा-
(1) तरंग सिद्धान्त के अनुसार प्रत्येक आवृत्ति के प्रकाश से इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन होना चाहिए, क्योंकि आपतित प्रकाश से इलेक्ट्रॉन ऊर्जा का अवशोषण करता रहे और जब उत्सर्जन के लिए आवश्यक ऊर्जा एकत्र हो जाये तो उसका उत्सर्जन हो जाना चाहिए। वास्तविकता इससे भिन्न है। वास्तव में आपतित प्रकाश की आवृत्ति जब देहली आवृत्ति (v0) से अधिक होती है, तभी इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन होता है।
(2) तरंग सिद्धान्त के अनुसार प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर करनी चाहिए। तीव्रता बढ़ाने पर प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा बढ़नी चाहिए, क्योंकि तीव्रता बढ़ाने पर पृष्ठ पर आपतित ऊर्जा बढ़ जाती है अत: इलेक्ट्रॉन अधिक ऊर्जा का उत्सर्जन करे और उसकी गतिज ऊर्जा बढ़ जानी चाहिए जबकि वास्तविकता यह है कि प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं करती है।
(3) तरंग सिद्धान्त के अनुसार पृष्ठ पर प्रकाश के आपतन एवं इलेक्ट्रॉन के उत्सर्जन के मध्य कुछ - न - कुछ समय अवश्य लगना चाहिए, क्योंकि इलेक्ट्रॉन को उत्सर्जन के लिए आवश्यक ऊर्जा का अवशोषण करने में कुछ - न - कुछ समय अवश्य लगना चाहिए। इसके अतिरिक्त प्रकाश तरंगों द्वारा संचरित ऊर्जा धातु के किसी एक इलेक्ट्रॉन को न मिलकर, प्रकाशित क्षेत्रफल में उपस्थित सभी इलेक्ट्रॉनों में वितरित होगी। वास्तविकता इसके भी भिन्न है। वास्तव में प्रकाश के आपतन एवं इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन के मध्य कोई समय - पश्चता नहीं होती है।
प्रश्न 2.
डी - ब्रॉग्ली परिकल्पना लिखिए। कोई इलेक्ट्रॉन विरामावस्था से विभव V वोल्ट द्वारा त्वरित किया जाता है तो इलेक्ट्रॉन की डी - चॉग्ली तरंगदैर्ध्य का सूत्र प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
डी - ब्रॉग्ली परिकल्पना: जिस प्रकार तरंगों के रूप में विकिरण ऊर्जा से कणों के लाक्षणिक गुणों का सम्बद्ध होना पाया जाता है, ठीक उसी प्रकार गतिशील द्रव्य कणों के साथ तरंगों के लाक्षणिक गुण सम्बद्ध होने चाहिए अर्थात् गतिशील द्रव्य कणों को तरंगों की भाँति व्यवहार करना चाहिए।
त्वरित इलेक्ट्रॉनों से संबंद्ध डी - ब्रॉग्ली तरंगदैय: P संवेग वाले इलेक्ट्रॉनों से सम्बद्ध डी - ब्रॉग्ली तरंगों की तरंगदैर्ध्य
λ = \(\frac{h}{\mathrm{P}}\)
यदि इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान me एवं ऊर्जा Kmax हो तो संवेग
P = \(\sqrt{2 m_e \mathrm{~K}}\)
अतः λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 m_e \mathrm{~K}}}\)
यदि इलेक्ट्रॉन V विभवान्तर से त्वरित किया जाये तो कण की गतिज
ऊर्जा K = eV
प्रश्न 3.
संग्राहक प्लेट के विभव के साथ प्रकाश विद्युत धारा में परिवर्तन को दर्शाने वाला उचित ग्राफ खींचिए, जबकि
(i) नियत आवृत्ति परन्तु विभिन्न तीव्रताएँ
I1 > I2 > I3
(ii) नियत तीव्रता परन्तु विभिन्न आवृत्तियाँ
v1 > v2 >v3
अथवा
एक समान आवृत्ति तथा भिन्नतीव्रताओं के दो आपतित विकरणों से प्राप्त प्रकाश विद्युत धाराओं का पट्टिका विभव के साथ आलेख खींचिए।
अथवा
देहली आवृत्तियों vA > vB के दो प्रकाश सुग्राही पदार्थों A और B के आपतित विकिरणों की तीव्रता के साथ निरोधी विभव के विचरण को दर्शाने के लिए ग्राफ खींचिए।
(i) किस प्रकरण में निरोधी विभव अधिक है और क्यों?
(ii) क्या ग्राफ की प्रवणता उपयोग किए गए पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करती है? व्याख्या कीजिए।
(i) हम जानते हैं-
hv = hv0 = eV0
अत: B का निरोधी विभव अधिक होगा क्योंकि इसकी देहली आवृत्ति vB कम है।
(ii)
y = mx + c से
V0 = \(\frac{h}{e} v-\frac{h}{e} v_0\)
अतः प्रवणता m = \(\frac{h}{e}\) नियत है जो पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर नहीं करती है।
प्रश्न 4.
एक प्रोटॉन तथा एक इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा समान (बराबर) है। किससे सम्बद्ध डी - ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य का मान कम होगा? इसका कारण लिखिए।
उत्तर:
λ = \(\frac{h}{\mathrm{P}}=\frac{h}{m v}=\frac{h}{\sqrt{2 m \mathrm{E}_{\mathrm{K}}}}\)
अतः λ ∝ \(\frac{1}{\sqrt{m}}\)
EK नियम होने पर
अत: प्रोटॉन के लिए तरंगदैर्ध्य का मान कम होगा।
प्रश्न 5.
दो विभिन्न प्रकाश सुग्राही पृष्ठों M1 और M2 पर आपतित प्रकाश की आवृत्ति v के साथ निरोधी विभव (V0) का विचरण आरेख में दर्शाए अनुसार है। इनमें से अधिक कार्य - फलन वाले पृष्ठ की पहचान कीजिए।
उत्तर:
M2 का कार्य - फलन अधिक है।
प्रश्न 6.
(a) प्रकाश विद्युत प्रभाव प्रयोग के उन दो मुख्य प्रेक्षणों को लिखिए जिनकी व्याख्या केवल आइंस्टीन की प्रकाश विद्युत समीकरण द्वारा ही की जा सके।
(b) किसी प्रकाश सेल के 'एनोड विभव के साथ प्रकाश विद्युत धारा के विचरण को दर्शाने के लिए ग्राफ खींचिए।
उत्तर:
(a) आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत समीकरण: विकिरण का ऊर्जा क्वाण्टम (Einstein's photo electric equation: Energy Quantum of Radiation)
जब प्रकाश वैद्युत् प्रभाव की व्याख्या तरंग सिद्धान्त के आधार पर सम्भव न हो सकी तब सन् 1905 में आइन्स्टीन (Einstein) ने प्लांक के क्वाण्टम सिद्धान्त के आधार पर प्रकाश - वैद्युत् प्रभाव की व्याख्या की। आइन्स्टीन के अनुसार जब hv ऊर्जा का कोई फोटॉन किसी धातु की सतह पर आपतित (incident) होता है तो यह अपनी समस्त ऊर्जा धात् में स्थित किसी एक इलेक्ट्रॉन को दे देता है। इलेक्ट्रॉन को प्राप्त यह कर्जा निम्न दो रूपों में व्यय (used up) होती है-
(i) इलेक्ट्रॉन को धातु के अन्दर से मुक्त करके सतह तक लाने में कार्य - फलन (Φ0) के रूप में और
(ii) ऊर्जा का शेष भाग उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन को गतिज ऊर्जा प्रदान करने (imparting) में व्यय होता है। अतः
hv = Kmax + Φ0 ..................(2)
चूंकि Φ0 का मान किसी पृष्ठ के लिए निश्चित होता है अत: आवृत्ति v बढ़ाने पर उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा बढ़ेगी और v का मान घटाने पर गतिज ऊर्जा घटेगी।
जब v = v0 तो Kmax = 0
अत: समी. (3) से,
hv0 = Φ0
यदि देहली आवृत्ति v0 ज्ञात हो सो कार्य - फलन Φ0 का मान इस समीकरण से ज्ञात किया जा सकता है-
समी. (2) से,
hv = Kmax + hv0
या Kmax = hv - hv0
या Kmax = h(v - v0) ................(4)
यदि निरोधी विभव V0 हो तो
Kmax = V0.e = \(\frac{1}{2}\)mv2max ..................(5)
यहाँ m, इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान है।
अत: समी. (4) से,
इस समीकरण को आइन्स्टीन का प्रकाश - वैद्युत् समीकरण (Einstein's photo - electric equation) कहते हैं। इसकी सहायता से प्रकाश-वैद्युत् प्रभाव की व्याख्या निम्न प्रकार की जा सकती है-
(1) ∵ v2max ≥ 0
∴ (v - v0) ≥ 0
या v ≥ v0
स्पष्ट है कि प्रकाश - वैद्युत प्रभाव के लिए आपतित प्रकाश की आवृत्ति (v) का मान देहली आवृत्ति (v0) के बराबर या इससे अधिक होना चाहिए।
(2) समी. (6) से स्पष्ट है कि प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा \(\left(\frac{1}{2} m v_{\max }^2\right)\) का मान आवृत्ति (v) बढ़ाने पर बढ़ेगा और घटाने पर घटेगा। इस प्रकार प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा आपतित प्रकाश की आवृत्ति के अनुक्रमानुपाती होगी।
(3) आपतित प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने पर पृष्ठ पर आपतित फोटॉनों की संख्या बढ़ेगी अर्थात् पृष्ठ से इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन की दर (rate of emission of electrons) आपतित प्रकाश की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होगी।
(4) आपतित प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने पर फोटॉनों की संख्या बढ़ेगी लेकिन फोटॉनों की ऊर्जा नहीं बढ़ेगी। अतः प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं करेगी।
(5) प्रकाश फोटॉन की इलेक्ट्रॉन के साथ टक्कर (collision) दो कठोर गोलों (hard spheres) की टक्कर की भाँति होती है, अतः जैसे ही फोटॉन इलेक्ट्रॉन से टकराता है, अपनी समस्त ऊर्जा इलेक्ट्रॉन को दे देता है और इलेक्ट्रॉन तुरन्त निकल जाता है। इस प्रकार प्रकाश के आपतन एवं इलेक्ट्रॉन के उत्सर्जन के मध्य कोई समय - पश्चता (Time - lag) नहीं होती है।
(b) तरंग सिद्धान्त के अनुसार प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर करनी चाहिए। तीव्रता बढ़ाने पर प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा बढ़नी चाहिए, क्योंकि तीव्रता बढ़ाने पर पृष्ठ पर आपतित ऊर्जा बढ़ जाती है अत: इलेक्ट्रॉन अधिक ऊर्जा का उत्सर्जन करे और उसकी गतिज ऊर्जा बढ़ जानी चाहिए जबकि वास्तविकता यह है कि प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा आपतित प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं करती है।
प्रश्न 7.
किसी प्रोटॉन से संबद्ध डी - ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य और उसके संवेग की बीच ग्राफ खींचिए।
उत्तर:
प्रश्न 8.
एक दी गई प्रकाश सुग्राहक सतह से हरे रंग के प्रकाश से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होते हैं और पीले रंग के प्रकाश से नहीं। बैंगनी एवं लाल प्रकाश से क्या होगा? अपने उत्तर का तर्क प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
दृश्य प्रकाश के विभिन्न रंगों की आवृत्ति अवरोही क्रम में
vV > vI > vB > vG > vY > vO > vR
चूंकि हरे रंग के प्रकाश से उत्सर्जित होते हैं, पीले रंग के प्रकाश से नहीं। अत: देहली आवृत्ति हरे रंग के प्रकाश की आवृत्ति के बराबर होगी। देहली आवृत्ति से अधिक आवृत्ति प्रकाश से ही इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित हो सकते हैं। अत: बैंगनी रंग के प्रकाश से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होंगे, लाल रंग के प्रकाश से नहीं।
प्रश्न 9.
फोटॉन क्या है? दिखाइए कि इसका विराम दव्यमान शून्य होता है या विरामावस्था में फोटॉन का अस्तित्व नहीं है।
उत्तर:
फोटॉन, ऊर्जा के पैकेट या बण्डल हैं जो स्रोत से उत्सर्जित होते हैं। एक फोटॉन की ऊर्जा E = hv = \(\frac{h c}{\lambda}\)
जहाँ h प्लांक नियतांक, v आवृत्ति एवं λ तरंगदैध्य है। हम जानते हैं कि आपेक्षिकता सिद्धांत से किसी गतिशील कण का गतिक द्रव्यमान
m = \(\frac{m_0}{\sqrt{1-\frac{v^2}{C^2}}}\)
जहाँ m0, कण का विराम द्रव्यमान है और v उसकी चाल तथा C प्रकाश की चाल है।
∴ m0 = m\(\sqrt{1-\frac{v^2}{\mathrm{C}^2}}\)
∵ फोटॉन की चाल v = C है अतः
m0 = m\(\sqrt{1-\frac{C^2}{C^2}}\)
∴ m = 0
स्पष्ट है कि फोटॉन का विराम दव्यमान शून्य होता है।
प्रश्न 10.
एक इलेक्ट्रॉन एवं एक प्रोटॉन एक ही दिशा में समान गतिज ऊर्जा से गतिशील है। इन कणों से सम्बद्ध डी - ब्रॉग्ली तरंगदैष्यों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
गतिशील कण के साथ सम्बद्ध तरंगों की डी - ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य
λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 m K}}\)
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
आइन्सटीन प्रकाश विद्युत समीकरण व्युत्पन्न कीजिए। इसकी सहायता से प्रकाश विद्युत प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
आइंस्टीन का प्रकाश विद्युत समीकरण: विकिरण का ऊर्जा क्वाण्टम (Einstein's photo electric equation: Energy Quantum of Radiation)
जब प्रकाश वैद्युत् प्रभाव की व्याख्या तरंग सिद्धान्त के आधार पर सम्भव न हो सकी तब सन् 1905 में आइन्स्टीन (Einstein) ने प्लांक के क्वाण्टम सिद्धान्त के आधार पर प्रकाश - वैद्युत् प्रभाव की व्याख्या की। आइन्स्टीन के अनुसार जब hv ऊर्जा का कोई फोटॉन किसी धातु की सतह पर आपतित (incident) होता है तो यह अपनी समस्त ऊर्जा धात् में स्थित किसी एक इलेक्ट्रॉन को दे देता है। इलेक्ट्रॉन को प्राप्त यह कर्जा निम्न दो रूपों में व्यय (used up) होती है-
(i) इलेक्ट्रॉन को धातु के अन्दर से मुक्त करके सतह तक लाने में कार्य - फलन (Φ0) के रूप में और
(ii) ऊर्जा का शेष भाग उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन को गतिज ऊर्जा प्रदान करने (imparting) में व्यय होता है। अतः
hv = Kmax + Φ0 ..................(2)
चूंकि Φ0 का मान किसी पृष्ठ के लिए निश्चित होता है अत: आवृत्ति v बढ़ाने पर उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉन की गतिज ऊर्जा बढ़ेगी और v का मान घटाने पर गतिज ऊर्जा घटेगी।
जब v = v0 तो Kmax = 0
अत: समी. (3) से,
hv0 = Φ0
यदि देहली आवृत्ति v0 ज्ञात हो सो कार्य - फलन Φ0 का मान इस समीकरण से ज्ञात किया जा सकता है-
समी. (2) से,
hv = Kmax + hv0
या Kmax = hv - hv0
या Kmax = h(v - v0) ................(4)
यदि निरोधी विभव V0 हो तो
Kmax = V0.e = \(\frac{1}{2}\)mv2max ..................(5)
यहाँ m, इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान है।
अत: समी. (4) से,
इस समीकरण को आइन्स्टीन का प्रकाश - वैद्युत् समीकरण (Einstein's photo - electric equation) कहते हैं। इसकी सहायता से प्रकाश-वैद्युत् प्रभाव की व्याख्या निम्न प्रकार की जा सकती है-
(1) ∵ v2max ≥ 0
∴ (v - v0) ≥ 0
या v ≥ v0
स्पष्ट है कि प्रकाश - वैद्युत प्रभाव के लिए आपतित प्रकाश की आवृत्ति (v) का मान देहली आवृत्ति (v0) के बराबर या इससे अधिक होना चाहिए।
(2) समी. (6) से स्पष्ट है कि प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा \(\left(\frac{1}{2} m v_{\max }^2\right)\) का मान आवृत्ति (v) बढ़ाने पर बढ़ेगा और घटाने पर घटेगा। इस प्रकार प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा आपतित प्रकाश की आवृत्ति के अनुक्रमानुपाती होगी।
(3) आपतित प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने पर पृष्ठ पर आपतित फोटॉनों की संख्या बढ़ेगी अर्थात् पृष्ठ से इलेक्ट्रॉनों के उत्सर्जन की दर (rate of emission of electrons) आपतित प्रकाश की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होगी।
(4) आपतित प्रकाश की तीव्रता बढ़ाने पर फोटॉनों की संख्या बढ़ेगी लेकिन फोटॉनों की ऊर्जा नहीं बढ़ेगी। अतः प्रकाश इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम गतिज ऊर्जा प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर नहीं करेगी।
(5) प्रकाश फोटॉन की इलेक्ट्रॉन के साथ टक्कर (collision) दो कठोर गोलों (hard spheres) की टक्कर की भाँति होती है, अतः जैसे ही फोटॉन इलेक्ट्रॉन से टकराता है, अपनी समस्त ऊर्जा इलेक्ट्रॉन को दे देता है और इलेक्ट्रॉन तुरन्त निकल जाता है। इस प्रकार प्रकाश के आपतन एवं इलेक्ट्रॉन के उत्सर्जन के मध्य कोई समय - पश्चता (Time - lag) नहीं होती है।
प्रश्न 2.
डेविसन - जर्मर प्रयोग का वर्णन कीजिए। आवश्यक चित्र बनाते हुए इस प्रयोग के परिणामों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
डेविसन - जर्मर का प्रयोग (Davisson and Germer Experiment)
सन् 1927 में वैज्ञानिक सी. जे. डेविसन तथा जमर ने डी - ब्रॉग्ली द्वारा प्रतिपादित द्रव्य तरंगों के सिद्धान्त का सत्यापन किया। प्रयुक्त उपकरण तीन भागों में विभाजित होता है-
1. इलेक्ट्रॉन गन (Electron Gun): यह तीव्रगामी इलेक्ट्रॉन पुंज की युक्ति है। इसके मुख्य तीन घटक होते हैं-
(a) टंगस्टन - फिलामेण्ट: यह निम्न वोल्टेज की बैटरी से गर्म किया जाता है और गर्म होकर यह इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन करता है।
(b) ग्रिड: इसे फिलामेण्ट के सापेक्ष बहुत कम ऋण विभव दिया जाता है।
(c) छिद्रयुक्त बेलनाकार ऐनोड: इसे फिलामेण्ट के सापेक्ष त्वरक विभव दिया जाता है।
जब फिलामेण्ट में धारा प्रवाहित की जाती है तो वह गर्म होकर इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन करने लगता है। इन इलेक्ट्रॉनों में से कम ऊर्जा वाले कुछ इलेक्ट्रॉन ग्रिड के ऋणात्मक विभव के कारण रुक जाते हैं और अधिक ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन ग्रिड को पार करके ऐनोड द्वारा त्वरित होते हैं। इस प्रकार ऐनोड से त्वरित इलेक्ट्रॉनों का एक पतला किरण पुंज निर्गत होता है।
2. निकिल क्रिस्टल (Nickel Crystal): इलेक्ट्रॉन पुंज को निकिल क्रिस्टल पर आपतित कराया जाता है, क्रिस्टल के परमाणु आपतित इलेक्ट्रॉनों का सभी दिशाओं में प्रकीर्णन कर देते हैं। निकिल परमाणुओं के मध्य न्यूनतम दूरी 0.914 Å होती है।
3. इलेक्ट्रॉन संसूचक (Electron Detector): यह वृत्ताकार पैमाने पर गति करता है। इसे एक सुग्राही धारामापी से जोड़ा जाता है जो उस धारा को नापता है जो इलेक्ट्रॉन पुंज की तीव्रता के अनुक्रमानुपाती होती है।
कार्यविधि (Working): क्रिस्टल पर आपतित इलेक्ट्रॉनों एवं क्रिस्टल द्वारा प्रकीर्णित इलेक्ट्रॉन पुंज (scattered electron beam) के बीच कोण (α) बदलने के लिए इसे छोटे - छोटे चरणों में घुमाया जाता है तथा प्रत्येक बार प्रकीर्णित इलेक्ट्रॉन पुंज की संगत तीव्रता (I) नोट कर ली जाती है।
आपतित इलेक्ट्रॉनों के त्वरक विभवों (accelarating potential) के विभिन्न मानों (44 V, 48 V, 54V, 60 V व 68 V) के लिए (α) तथा (I) के मध्य ग्राफ खींच लेते हैं। ये ग्राफ चित्र 11.20 में प्रदर्शित किये गये है।
ग्राफों का अध्ययन करने पर स्पष्ट हो जाता है कि
(i) प्रकौर्णित इलेक्ट्रॉनों की तीव्रता प्रकीर्णन कोण (α) पर निर्भर करती है।
(ii) प्रकीर्णन कोण α = 50° पर सदैव एक उभार (bump or kink) उत्पन्न होता है।
(iii) जैसे - जैसे त्वरक विभव बढ़ाया जाता है उभार का आकार बढ़ता जाता है और 54 V के त्वरक विभव के लिए अधिकतम हो जाता है।
V = 54 वोल्ट के संगत Φ = 50° पर उभार की स्थिति यह प्रदर्शित करती है कि इस विभव पर निकिल क्रिस्टल द्वारा इलेक्ट्रॉनों का 50° के कोण पर विवर्तन होता है। विवर्तन चूँकि तरंगों का विशिष्ट गुण है; अत: इससे स्पष्ट होता है कि इलेक्ट्रॉन तरंगों की भाँति व्यवहार करते हैं।
(iv) त्वरक विभव का मान 54 V से आगे बढ़ाने पर उभार का आकार घटने लगता है।
∵ α = 50° पर प्रकीर्णित पुंज की तीव्रता अधिकतम होती है अतः θ + 50° + θ = 180° या 2θ = 130° या θ = 65°
इसका अर्थ यह हुआ कि जब इलेक्ट्रॉन पुंज θ = 65° के संस्पर्श कोण (glancing angle) पर निकिल क्रिस्टल पर आपतित होता है तो 50° के कोण पर प्रकीर्णित पुंज की तीव्रता अधिकतम प्राप्त होती है।
विवर्तन प्रतिरूप (diffraction pattern) के उच्चिष्ठ के लिए ब्रॉग समीकरण से,
2d sinθ = nλ
निकिल क्रिस्टल के लिए, d = 0.91 Å
प्रथम उच्चिष्ठ (maxima) के लिए, n = 1
∴ 2 x 0.91 x sinθ = 1 x λ
या λ = 2 x 0.91 x sinθ
∵ θ = 65°
∴ λ = 2 x 0.91 x sin65°
= 2 x 0.91 x 0.906 = 1.6489
या λ = 1.65 Å
डी - ब्रॉग्ली परिकल्पना के अनुसार V वोल्ट विभवान्तर से त्वरित इलेक्ट्रॉन की डी - ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य
λ = \(\frac{12 \cdot 27}{\sqrt{V}}\) Å
जब V = 54 वोल्ट तब
λ = \(\frac{12 \cdot 27}{\sqrt{54}}\) = 1.67 Å
चूँकि दोनों परिणाम एक - दूसरे के निकट हैं, अत: डेविसन - जर्मर का प्रयोग गतिशील कण की तरंग प्रकृति (wave nature) की डी - ब्रॉग्ली परिकल्पना को प्रत्यक्ष रूप से सत्यापित करता है।
आंकिक प्रश्न
प्रश्न 1.
3.3 x 10-19 J कर्जा के फोटॉन की तरंगदैर्ध्य क्या हैं?
हल:
दिया है- फोटॉन की ऊर्जा E = 3.3 x 10-19 J
E = \(\frac{h c}{\lambda}\)
λ = \(\frac{h c}{\mathrm{E}}=\frac{6.6 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{3.3 \times 10^{-19}}\)
λ = 6 x 10-7
λ = 6000 Å
प्रश्न 2.
5000 Å तरंगदैर्ध्व पर प्रकाश उत्सर्जित करने वाले 25 W के एक वर्णी प्रकाश स्रोत से प्रति मिनट उत्सर्जित फोटॉनों की संख्या ज्ञात कीजिए।
हल:
λ = 5000 Å
P = 25 W
t = 60 sec
एक फोटॉन की ऊर्जा E = \(\frac{h c}{\lambda}\)
∵ P = \(\frac{\mathrm{W}}{t}\)
∴ W = pt
या nE = pt
n = \(\frac{\mathrm{P} t}{\mathrm{E}}=\frac{\mathrm{P} t}{\frac{h c}{\lambda}}=\frac{\mathrm{P} t \lambda}{h c}\)
= \(\frac{25 \times 60 \times 5 \times 10^{-7}}{6.6 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}\)
= \(\frac{125}{11 \times 3}\) x 1021
= 3.78 x 1021
प्रश्न 3.
यदि 412.5 nm तरंगदैर्ध्य का प्रकाश नीचे दिए गए धातुओं पर आपतित होता है, तो कौन सी धातु प्रकाश विद्युत उत्सर्जन दशाएगी और क्यों?
धातु |
कार्य - फलन (ev) |
Na |
1.92 |
K |
2.15 |
Ca |
3.20 |
Mo |
4.17 |
हल:
प्रकाश फोटॉन की तरंगदैर्ध्य λ = 412.5 nm
∴ ऊर्जा E = \(\frac{h c}{\lambda}=\frac{1242 \mathrm{~nm}-\mathrm{eV}}{412.5 \mathrm{~nm}}\)
E = 3.01 eV
E > ΦK >ΦNA अत: सोडियम तथा पोटैशियम से प्रकाश विद्युत विसर्जन संभव है।
प्रश्न 4.
एक प्रकाश सुग्राहक धातु का कार्य - फलन 1.875 eV है। आपतित प्रकाश की उस तरंगदैर्ध्य की गणना कीजिए। जो प्रकाश इलेक्ट्रॉनों का ठीक उसर्जन कर सके।
उत्तर:
दिया है Φ = 1.875 eV
λ0 = ?
Φ0 = \(\frac{h c}{\lambda_0}\)
λ0 = \(\frac{h c}{\phi_0}=\frac{1242 \mathrm{~nm}-\mathrm{eV}}{1.875 \mathrm{eV}}\)
λ0 = 662 nm
प्रश्न 5.
फोटो इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा 3 eV है। निरोधी विभव क्या है?
हल:
फोटो इलेक्ट्रॉन की अधिकतम गतिज ऊर्जा K = 3 eV
K.E = eV0
V0 = निरोधी विभव
3 eV = 3V0
अत: निरोधी विभव V0 = 3 वोल्ट
प्रश्न 6.
0.5 eV कार्य - पालन के किसी धात्विक पृष्ठ पर 1 eV और 2 eV ऊर्जाओं के फोटॉन क्रमागत आपतन करते है। इन दोनों प्रकरणों में अधिकतम प्रकाशिक इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जाओं का अनुपात ज्ञात करो।
हल:
आइंस्टीन प्रकाश विद्युत समीकरण से
\(\frac{1}{2}\) mv2max = E - Φ
दिया है- Φ0 = 0.5 eV
E1 = 1 ev तथा E2 = 2 eV
K1 = E1 - Φ0
K1 = 1 - 0.5 = 0.5 eV
तथा K2 = E2 - Φ0
K2 = 2 - 0.5 =1.5 eV
∴ \(\frac{\mathrm{K}_1}{\mathrm{~K}_2}=\frac{0.5}{1.5}\)
K1 = K2 = 1 : 3
प्रश्न 7.
एक धातु के पृष्ठ पर 0.2 x 10-6 तरंगदैर्ध्य का प्रकाश डालने पर उत्सर्जित प्रकाश इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा (eV) में ज्ञात कीजिए। धातु का कार्य - फलन 3.1 eV है।
हल:
दिया है- λ0 = 0.2 x 10-6 m
Φ0 = 3.1 eV
E = \(\frac{h c}{\lambda_e}=\frac{6.62 \times 10^{-34} \times 3 \times 10^8}{0.2 \times 10^{-6} \times 1.6 \times 10^{-19}}\)
E = \(\frac{6.62 \times 3}{0.2 \times 1.6}\) x 10-1
E = 6.02 eV
(K)max = E - Φ0
= 6.02 - 3.1
= 2.82 eV
प्रश्न 8.
104 वोल्ट से त्वरित इलेक्ट्रॉन से संबद्ध डी - ब्रॉग्ली तरंगदैर्य ज्ञात कीजिए।
हल:
दिया है- V = 104 वोल्ट
इलेक्ट्रॉन से संबद्ध द्रव्य तरंग की तरंगदैर्ध्य
λe = \(\frac{12.27}{\sqrt{V}}\) Å
λe = \(\frac{12.27}{\sqrt{10^4}}=\frac{12.27}{100}\)
λe = 0.123 Å
प्रश्न 9.
100 V विभवान्तर से त्वरित इलेक्ट्रॉन से संबद्ध तरंग की डी - ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य की गणना कीजिए।
हल:
दिया है- V = 100 वोल्ट
∴ λe = \(\frac{12.27}{\sqrt{V}}\) Å
λe = \(\frac{12.27}{\sqrt{100}}\) Å = 1.227 Å
प्रश्न 10.
किसी इलेक्ट्रॉन और किसी प्रोटॉन की चाल समान है। इनसे संबद्ध डी - ब्रॉग्ली तरंगदैथ्यों का अनुपात ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
हम जानते है डी - ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य
λ = \(\frac{h}{\sqrt{2 m \mathrm{~K}}}\)
चाल समान है अतः गतिज ऊर्जा K समान होगी अतः
λ ∝ \(\frac{1}{\sqrt{m}}\)
∴ \(\frac{\lambda_e}{\lambda_{\mathrm{P}}}=\sqrt{\frac{m_p}{m_e}}\)
यहाँ mp = प्रोटॉन का द्रव्यमान, me = इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान है।
\(\frac{\lambda_e}{\lambda_{\mathrm{P}}}=\sqrt{\frac{9.1 \times 10^{-31}}{1.6 \times 10^{-27}}}\)
\(\frac{\lambda_e}{\lambda_p}\) = 2.4 x 10-2
प्रश्न 11.
0.12 किग्रा द्रव्यमान की गेंद 20 मी/से, की चाल से गतिमान है। इसकी डी - ब्रॉग्ली तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
λ = \(\frac{h}{p}=\frac{h}{m v}\)
λ = \(\frac{6.62 \times 10^{-34}}{0.12 \times 20}\)
= 2.75 x 10-34 m/s
प्रश्न 12.
हाइड्रोजन परमाणु की n = 2 अवस्था में चक्कर लगाने वाले इलेक्ट्रॉन की डी - ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य परिकलित कीजिए।
उत्तर:
n = 2 अवस्था में इलेक्ट्रॉन का वेग
V = \(\frac{2.18 \times 10^6}{2}\)
= 1.09 x 106 m/s
अत: डी - ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य
λ = \(\frac{h}{m v}\)
= \(\frac{6.62 \times 10^{-34}}{9.1 \times 10^{-31} \times 1.09 \times 10^6}\)
λ = 0.6674 x 10-9
λ = 0.067 Å
प्रतियोनी परीक्षा संबंधी प्रश्न
प्रश्न 1.
तरंगदैर्ध्य λ = 310 nm की विद्युत चुम्बकीय विकिरण की तीव्रता 6.4 x 10-5 W/cm है। यदि यह 1 cm2 पृष्ठ क्षेत्रफल के एक धातु पृष्ठ (कार्य - फलन Φ = 20V) पर आपतित होता है। तो एक सेकंड में उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की संख्या होगी- (hC = 1240 eV - nm,1 eV = 1.6 x 10-19 J)
(A) 107
(B) 108
(C) 1011
(D) 105
उत्तर:
(C) 1011
प्रश्न 2.
एक इलेक्ट्रॉन को विरामावस्था से V विभवान्तर तक स्वरित किया गया है। यदि इलेक्ट्रॉन की डी - ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य 1.227 x 10-2 nm हो तो विभवान्तर होगा-
(A) 103 V
(B) 104 V
(C) 10 V
(D) 102 V
उत्तर:
(B) 104 V
प्रश्न 3.
एक धात्विक पृष्ठ पर λ1 = 340 nm और X2 = 540 nm तरंगदैर्घ्य का प्रकाश आपतित है। यदि उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की चालों का अनुपात 2 है तो धातु का कार्य - फलन होगा-
(A) 1 eV
(B) 1.85 eV
(C) 1.5 eV
(D) 2 eV
उत्तर:
(B) 1.85 eV
प्रश्न 4.
जब किसी धात्विक पृष्ठ को तरंगदैर्ध्य λ के विकिरणों से प्रदीप्त किया जाता है, तो निरोधी विभव V है। यदि इसी पृष्ठ को तरंगदैर्ध्य 2λ के विकिरणों से प्रदीप्त किया जाये, तो निरोधी विभव \(\frac{V}{4}\) हो जाता है। इस धात्विक पृष्ठ की देहली तरंगदैर्ध्य है-
(A) 4λ
(B) 5λ
(C) \(\frac{5}{2}\)λ
(D) 3λ
उत्तर:
(D) 3λ
प्रश्न 5.
द्रव्यमान m के इलेक्ट्रॉन तथा किसी फोटॉन की ऊर्जाएँ E एक समान हैं। इनसे सम्बद्ध डी - ब्रॉग्ली तरंगदैर्यों का अनुपात है-
(A) \(\frac{1}{c}\left(\frac{\mathrm{E}}{2 m}\right)^{1 / 2}\)
(B) \(\left(\frac{\mathrm{E}}{2 m}\right)^{1 / 2}\)
(C) c(2mE)1/2
(D) \(\frac{1}{c}\left(\frac{2 m}{\mathrm{E}}\right)^{1 / 2}\)
उत्तर:
(B) \(\left(\frac{\mathrm{E}}{2 m}\right)^{1 / 2}\)
प्रश्न 6.
λph तरंगदैर्य का प्रकाश निर्वात् नलिका के अन्दर एक कैथोड पर गिरता है, जैसा चित्र में दर्शाया गया है। कैथोड की सतह का कार्य - फलन Φ है एवं एनोड, जोकि एक चालकीय पदार्थ के तारों की जाली है कैथोड से d दूरी पर स्थित है। इलेक्ट्रोडों के बीच का विभवान्तर V स्थिर है। यदि एनोड को पार करने वाले इलेक्ट्रॉनों की न्यूनतम 'डी - बांग्ली' तरंगदैर्ध्य (λe) है, निम्नलिखित में कौन - सा/कौन - से कथन सत्य है/है-
(A) λe आधा रह जाएगा
(B) λe चौथाई रह जाएगा
(C) अपरिवर्तित रहेगा
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(A) λe आधा रह जाएगा
प्रश्न 7.
किसी धातु का कार्य - फलन 2.28 eV है। इस पर 500 nm तरंगदैर्ध्य का प्रकाश आपतित होता है तो उत्सर्जित इलेक्ट्रॉन की डी - ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य होगी-
(A) <2.8 x 10-9 m
(B) ≥ 2.8 x 10-9 m
(C) ≤ 2.8 x 10-12 m
(D) <2.8 x 10-10 m
उत्तर:
(B) ≥ 2.8 x 10-9 m
प्रश्न 8.
एक प्रोटॉन तथा एल्फा कण, किसी एक समान चुम्बकीय क्षेत्र B के प्रदेश में प्रवेश करते हैं। इनकी गति की दिशा क्षेत्र B के लम्बवत् है। यदि दोनों कणों के लिये वृत्ताकार कक्षाओं की त्रिज्या आपस में बराबर है और प्रोटॉन द्वारा अर्जित की गयी गतिज ऊर्जा 1 MeV हैतो एल्फा कण द्वारा अर्जित ऊर्जा होगी-
(A) 0.5 MeV
(B) 1.5 eV
(C) 1 MeV
(D) 4 MeV
उत्तर:
(C) 1 MeV
प्रश्न 9.
एक छोटी वस्तु, जो प्रारम्भ में विराम अवस्था में है, प्रकाश की 100 ns की एक स्पन्द को पूर्णतया अवशोषित करती है। स्पन्द की शक्ति 30 mW है व प्रकाश की गति 3 x 108 ms-1 है। वस्तु का अन्तिम संवेग है-
(A) 0.3 x 10-17 kgms-1
(B) 1.0 x 10-17 kgms-1
(C) 3.0 x 10-17 kgms-1
(D) 9.0 x 10-17 kgms-1
उत्तर:
(B) 1.0 x 10-17 kgms-1
प्रश्न 10.
किसी इलेक्ट्रॉन का संवेग का p से परिवर्तन करने पर उससे सम्बद्ध डी - ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य 0.5% परिवर्तित हो जाती है; तो इलेक्ट्रॉन का प्रारम्भिक संवेग होगा-
(A) 200 p
(B) 400 p
(C) \(\frac{p}{200}\)
(D) 100 p
उत्तर:
(A) 200 p
प्रश्न 11.
क्रमशः 1 eV तथा 2.5 eV ऊर्जा के फोटॉन - विकिरण एक के बाद एक, किसी प्रकाश - सुग्राही (संवेदी) पृष्ठ को प्रदीप्त करते हैं। इस पृष्ठ का कार्य - फलन 0.5 eV है तो इन दोनों में उत्सर्जित इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम चालों का अनुपात होगा-
(A) 1 : 4
(B) 1 : 2
(C) 1 : 1
(D) 1 : 5
उत्तर:
(B) 1 : 2
प्रश्न 12.
0.25 वेबर/मी, तीव्रता के चुम्बकीय क्षेत्र की उपस्थिति में एक α - कण 0.83 सेमी, त्रिज्या के वृत्ताकार पथ में गति करता है, तो इस कण से सम्बद्ध डी - ब्रॉग्ली तरंगदैर्ध्य होगी।
(A) 1 Å
(B) 0.1 Å
(C) 10 Å
(D) 0.01 Å
उत्तर:
(D) 0.01 Å