RBSE Class 12 Geography Notes Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

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RBSE Class 12 Geography Chapter 9 Notes अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

व्यापार का तात्पर्य वस्तुओं तथा सेवाओं के स्वैच्छिक आदान-प्रदान से है। यह राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है।
व्यापार को तृतीयक क्रियाकलापों में सम्मिलित किया जाता है। 

  • व्यापार दोनों ही पक्षों (क्रेता व विक्रेता) के लिए लाभदायक होता है।
  • आदिमकालीन समाज में व्यापार का आरम्भिक स्वरूप विनिमय व्यवस्था के रूप में था, जिसके अन्तर्गत वस्तुओं का प्रत्यक्ष आदान-प्रदान होता था। 
  • मुद्रा के आगमन ने विनिमय व्यवस्था की कठिनाइयों को समाप्त कर दिया। 
  • सैलेरी शब्द का उद्गम लैटिन शब्द सैलेरिअम से हुआ है जिसका अर्थ है नमक के द्वारा भुगतान।

→ अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का इतिहास
प्राचीन समय में लम्बी दूरियों तक वस्तुओं का परिवहन चुनौतीपूर्ण होता था, इसी कारण व्यापार स्थानीय बाजारों तक ही सीमित था।

  • रेशम मार्ग लंबी दूरी के व्यापार का एक प्रारंभिक उदाहरण था।
  • रोमन साम्राज्य के पतन के बाद 12वीं व 13वीं शताब्दी के दौरान यूरोप के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि हुई।
  • 15वीं शताब्दी में यूरोप में विदेशी व्यापार के साथ दास व्यापार भी प्रारम्भ हुआ जो 18वीं शताब्दी तक चलता रहा।
  • औद्योगिक क्रान्ति के बाद अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में औद्योगिक
  • राष्ट्रों के मध्य अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा मिला। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पहले गैट समझौता तथा बाद में विश्व व्यापार संगठन की स्थापना अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से की गयी।

RBSE Class 12 Geography Notes Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार 

→ अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार अस्तित्व में क्यों है?

  • अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार उत्पादन में विशिष्टीकरण का परिणाम है जो विश्व की अर्थव्यवस्था को लाभान्वित करता है।
  • अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार वस्तुओं तथा सेवाओं के तुलनात्मक लाभ, परिपूरकता व हस्तान्तरणीयता जैसे पक्षों को ध्यान में रखकर किया जाता है तथा सैद्धान्तिक रूप से यह भागीदारी देशों के लिए लाभदायक होता है। 
  • आधुनिक युग में व्यापार, विश्व के आर्थिक संगठन का आधार है। 

→ अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के आधार
राष्ट्रीय संसाधनों (भौगोलिक संरचना, खनिज तथा जलवायु) में भिन्नता, जनसंख्या कारक (सांस्कृतिक कारक तथा जनसंख्या का आकार), आर्थिक विकास की प्रावस्था, विदेशी निवेश की सीमा तथा परिवहन अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रमुख आधार होते हैं।

→ अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्त्वपूर्ण पक्ष

  • व्यापार का परिमाण, व्यापार संयोजन तथा व्यापार की दिशा अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के तीन महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं।
  • व्यापार की गई वस्तुओं एवं सेवाओं के कुल मूल्य को व्यापार के परिमाण के रूप में जाना जाता है।
  • मशीनरी एवं परिवहन उपकरण, ईंधन एवं खदान उत्पाद, रसायन, मोटरगाड़ी के पुर्जे, कृषि उत्पाद तथा कार्यालय एवं दूरसंचार उपकरण आदि विश्व व्यापार के एक बड़े भाग की संरचना करते हैं।
  • बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में विश्व व्यापार की पद्धति में तीव्र गति से परिवर्तन हुए हैं। भारत, चीन एवं अन्य विकासशील देशों ने विकसित देशों के साथ प्रतियोगिता प्रारम्भ कर दी है।

→ व्यापार संतुलन

  • एक देश के द्वारा अन्य देशों को आयात एवं इसी प्रकार निर्यात की गयी वस्तुओं एवं सेवाओं की मात्रा का प्रलेखन व्यापार संतुलन कहलाता है। किसी देश का व्यापार संतुलन धनात्मक या ऋणात्मक हो सकता है।
  • व्यापार संतुलन का धनात्मक एवं ऋणात्मक स्वरूप राष्ट्र की अर्थव्यवस्था के उत्तम एवं निम्न स्वरूप को दर्शाता है।

→ अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रकार 
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के निम्न दो प्रकार होते हैं :
(क) द्विपाश्विक व्यापार-दो देशों के मध्य होने वाला व्यापार।
(ख) बहुपाश्विक व्यापार-अनेक देशों के मध्य होने वाला व्यापार।।

→ मुक्त व्यापार की स्थिति

  • व्यापारिक अवरोधों जैसे सीमा शुल्क को कम करके व्यापार हेतु अर्थव्यवस्थाओं को खोलने का कार्य मुक्त व्यापार अथवा व्यापार उदारीकरण के नाम से जाना जाता है।
  • विकसित देशों का हित इसमें है कि वे अपने बाजारों को विदेशी व्यापार से संरक्षित रखने के साथ-साथ डंप
  • की गयी वस्तुओं से सतर्क रहें।। विश्व व्यापार संगठन 
  • सन् 1995 में स्थापित विश्व व्यापार संगठन एक ऐसा अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है जो विभिन्न राष्ट्रों के मध्य वैश्विक नियमों का अनुपालन करता है। विश्व व्यापार संगठन में दूरसंचार एवं बैंकिंग जैसी सेवाओं एवं अन्य विषयों जैसे बौद्धिक संपदा अधिकार के व्यापार को भी सम्मिलित किया जाता है।
  • विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय जिनेवा (स्विट्जरलैंड) में है। भारत इसका संस्थापक सदस्य है। दिसम्बर 2016 तक 164 देश विश्व व्यापार संगठन के सदस्य थे।

RBSE Class 12 Geography Notes Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

→ प्रादेशिक व्यापार समूह

  • व्यापार की मदों में भौगोलिक सामीप्य, समरूपता तथा पूरकता के साथ विभिन्न देशों के मध्य व्यापार को बढ़ाने एवं विकासशील देशों के व्यापार पर लगे प्रतिबन्धों को हटाने के उद्देश्य से प्रादेशिक व्यापार समूहों का जन्म हुआ।
  • वर्तमान में विश्व स्तर पर 120 प्रादेशिक व्यापार समूह कार्यरत हैं जो समस्त विश्व के 52 प्रतिशत व्यापार को नियंत्रित करते हैं। अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से सम्बन्धित मामले अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार राष्ट्रों के लिए परस्पर लाभदायक होने के साथ-साथ अन्य कारणों के प्रभावी होने पर हानिकारक भी हो सकता है।
  • अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार विश्व में पर्यावरण, स्वास्थ्य तथा सामाजिक कल्याण को प्रभावित कर सकता है। 

→ पत्तन

  • अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में पोताश्रय तथा पत्तन दुनिया के प्रवेश द्वार माने जाते हैं।
  • एक पत्तन द्वारा निपटाया गया नौवहन भार उसके पृष्ठ प्रदेश के विकास के स्तर का सूचक होता है।

→ पत्तन के प्रकार ।

  • निपटाए गये नौवहन भार के अनुसार पत्तनों के निम्नलिखित तीन वर्ग होते हैं :
    • औद्योगिक पत्तन
    • वाणिज्यिक पत्तन
    • विस्तृत पत्तन। 
  • अवस्थिति के आधार पर पत्तनों के दो वर्ग होते हैं :
    • अंतर्देशीय पत्तन
    • बाह्य पत्तन।
  • विशिष्टीकृत कार्यकलापों के आधार पर पत्तनों के निम्न पाँच वर्ग होते हैं :
    • तैल पत्तन
    • मार्ग पत्तन
    • पैकेट स्टेशन
    • आंत्रपो पत्तन
    • नौसेना पत्तन।

→ व्यापार (Trade):
वस्तुओं तथा सेवाओं के स्वैच्छिक आदान-प्रदान को व्यापार कहा जाता है।

→ अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार (International Trade):
जब वस्तुओं अथवा सेवाओं का आदान-प्रदान दो देशों के मध्य होता है, तो उसे अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहा जाता है।

→ वस्तु विनिमय (Goods Barter):
दो पक्षों के मध्य परस्पर लाभ के लिए सौदे में टोकन, ऋण अथवा मुद्रा के प्रयोग के बिना आधिक्य उत्पादन का प्रत्यक्ष विनिमय।

→ रेशम मार्ग (Silk Route):
प्राचीनकाल में रोम से चीन तक लगभग 6000 किमी. लम्बाई के व्यापारिक मार्ग को रेशम मार्ग कहा जाता था। इस मार्ग से भारत, ईरान एवं मध्य एशिया के साथ-साथ चीन व इटली के मध्य रेशम, ऊन एवं अन्य वस्तुओं का व्यापार होता था।

→ गैट (GATT : General Agreement on Trade and Tariff):
व्यापार एवं शुल्क हेतु सामान्य समझौता। 

→ विश्व व्यापार संगठन ((World Trade Organisation):
एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन जो विश्वव्यापी व्यापार तन्त्र के नियमों का निर्धारण करता है।

RBSE Class 12 Geography Notes Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

→ परिमाण (Volume):
व्यापार की गयी वस्तुओं की वास्तविक तोल परिमाण कहलाती है। व्यापार की गयी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को व्यापार के परिमाण (Volume of Trade) के रूप में जाना जाता है।

→ आयात (Import):
एक देश में किसी अन्य देश से लाई गयी वस्तुएँ। 

→ निर्यात (Export):
एक देश से दूसरे देश को प्रेषित वस्तुएँ।

→ व्यापार सन्तुलन (Balance of Trade):
किसी देश में आयातित एवं निर्यातित वस्तुओं का समस्तर ही व्यापार संतुलन कहलाता है। यह दो प्रकार का होता है। आयात की तुलना में निर्यात का आधिक्य अनुकूल व्यापार सन्तुलन और उसका विलोम प्रतिकूल व्यापार सन्तुलन कहलाता है।

→ द्विपार्श्विक व्यापार (Bilateral Trade):
जब दो देशों के द्वारा एक-दूसरे के साथ व्यापार किया जाता है तो उसे द्विपार्श्विक व्यापार कहा जाता है।

→ बहुपार्श्विक व्यापार (Multi-lateral Trade):
जब अनेक देशों के मध्य वस्तुओं और सेवाओं का व्यापार किया जाता है तो उसे बहुपार्श्विक व्यापार कहा जाता है।

→ मुक्त व्यापार/व्यापार उदारीकरण (Free Trade or Trade Liberalisation):
व्यापार हेतु अर्थव्यवस्था को खोलने का कार्य मुक्त व्यापार या व्यापार उदारीकरण कहलाता है।

→ डंप करना (Dumping):
लागत की दृष्टि से नहीं वरन् विभिन्न कारणों से भिन्न कीमत की किसी वस्तु को अन्य देशों में विक्रय करना डंप करना कहलाता है।

→ व्यापार समूह (Trade Groups):
व्यापार समूह ऐसे देशों का संघ होता है जिनके भीतर व्यापारिक अनुबन्धों की सामान्यीकृत प्रणाली कार्य करती है।

RBSE Class 12 Geography Notes Chapter 9 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

→ पत्तन (Ports):
जहाजों पर यात्रियों को चढ़ाने व उतारने, माल के लदान एवं उतरान के साथ-साथ नौवहन भार के भण्डारण की कुछ सुविधाओं से युक्त पोताश्रय का एक वाणिज्यिक भाग पत्तन या बंदरगाह कहलाता है।

→ पोताश्रय (Harbours):
गहरे जल का एक विस्तीर्ण भाग जहाँ जहाज, सागरों में उत्पन्न प्राकृतिक लक्षणों अथवा कृत्रिम कार्यों से उत्पन्न विशाल तरंगों से सुरक्षा प्राप्ति हेतु लंगर डालते हैं, पोताश्रय कहलाता है।

→ गोदी (Docwing):
गोदी-बाड़ा, जहाज बनाने, मरम्मत करने अथवा सामान रखने का स्थान।

Prasanna
Last Updated on Jan. 3, 2024, 9:24 a.m.
Published Jan. 2, 2024