These comprehensive RBSE Class 12 Geography Notes Chapter 8 निर्माण उद्योग will give a brief overview of all the concepts.
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→ उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग हैं।
बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ भारत की कुल राष्ट्रीय आय में उद्योगों का अहम योगदान है।
→ उद्योगों के प्रकार
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को तीन वर्गों
→ उत्पादों के उपयोग के आधार: पर उद्योगों को चार वर्गों
→ प्रयुक्त कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को चार वर्गों
→ निर्मित उत्पादकों की प्रकृति के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित आठ वर्गों में विभक्त किया जाता है
→ उद्योगों की स्थिति
उद्योगों की स्थिति कई कारकों से प्रभावित होती है। इन कारकों का सापेक्षिक महत्व समय तथा स्थान के अनुसार परिवर्तित होता रहता है। उद्योगों के स्थानीयकरण को प्रभावित करने वाले कारकों में निम्नलिखित सात कारक उल्लेखनीय हैं
→ भारत के प्रमुख उद्योग
भारत के प्रमुख उद्योगों में लौह-इस्पात उद्योग, सूती-वस्त्र उद्योग, चीनी-उद्योग, पेट्रो-रसायन उद्योग तथा अवक्रम प्रौद्योगिकी आधारित उद्योगों को शामिल किया जाता है।
→ लौह-इस्पात उद्योग
→ भारत में निम्नलिखित वृहद् स्तरीय एकीकृत इस्पात कारखाने स्थित हैं
→ सूती वस्त्र उद्योग
→ चीनी उद्योग
→ पेट्रो-रसायन उद्योग
→ ज्ञान आधारित उद्योग
→ भारत में उदारीकरण, निजीकरण तथा वैश्वीकरण एवं औद्योगिक विकास
→ भारत के औद्योगिक प्रदेश
देश में प्रमुख रूप से निम्नलिखित आठ औद्योगिक प्रदेश हैं :
→ विनिर्माण उद्योग (Manufacturing Industries):
एक प्रक्रम जिसके अन्तर्गत कच्चे माल को मशीनों की सहायता से उच्च मूल्य की वस्तुओं में परिवर्तित कर दिया जाता है। इसे विनिर्माण उद्योग भी कहते हैं। दूसरे शब्दों में, कच्चे माल को निर्मित वस्तुओं में परिवर्तित करने की क्रिया को विनिर्माण उद्योग कहते हैं।
→ कुटीर उद्योग (Cottage Industries):
घरों में स्थापित होने वाले उद्योग उदाहरण-खादी, हथकरघा व चमड़ा उद्योग।
→ सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector):
जब किसी उद्योग की पूँजी और सम्पत्ति के अधिकार जनता अथवा समुदाय के हाथ में होते हैं तो उसे सार्वजनिक क्षेत्र कहा जाता है। उस सम्पत्ति का स्वामित्व सम्पूर्ण समुदाय का होता है। जैसे-राजकीय भवन, विद्यालय, भिलाई, दुर्गापुर स्थित लौह इस्पात कारखाना आदि।
→ व्यक्तिगत क्षेत्र (Private Sector):
जब किसी उद्योग की समस्त पूँजी, लाभ, हानि व सम्पत्ति पर एक ही व्यक्ति का स्वामित्व होता है तो उसे व्यक्तिगत क्षेत्र कहा जाता है। भारत में कई पूँजीपतियों द्वारा चलाये जा रहे संगठन या उद्योग व्यक्तिगत क्षेत्र में गिने जाते हैं।
→ मिश्रित अथवा सहकारी क्षेत्र (Joint or Co-Operative Sector):
जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों या किसी सहकारी समिति द्वारा किसी उद्योग की स्थापना की जाती है तो उसे संयुक्त सहकारी क्षेत्र कहा जाता है; जैसे डेयरी उद्योग।
→ उपभोक्ता पदार्थ उद्योग (Consumer Goods Industries):
ऐसे उद्योग जो कच्चे माल को उपभोक्ता वस्तुओं में परिवर्तित करते हैं, उपभोक्ता पदार्थ उद्योग कहलाते हैं। जैसे—वस्त्र उद्योग, बेकरी उद्योग आदि।
→ कृषि आधारित उद्योग (Agriculture Based Industries):
ऐसे उद्योग जिनका कच्चा माल कृषि उत्पाद होते हैं; जैसे-चीनी उद्योग व सूती वस्त्र उद्योग।
→ उद्योगों द्वारा निर्मित कच्चे माल पर आधारित उद्योग (Industrially Processed Raw Material Based Industries):
ऐसे उद्योग जिस पर अन्य उद्योग अपने कच्चे माल की आपूर्ति के लिए निर्भर रहते हैं। इन्हें आधारभूत उद्योग भी कहते हैं। उदाहरण-लौह इस्पात उद्योग।
→ स्वछंद उद्योग (Foot Loose Industries):
जब किसी उद्योग में अनेक कच्चे मालों की आवश्यकता होती है तो ऐसे उद्योगों के स्थानीयकरण में कच्चे मालों का कोई प्रभाव नहीं रह पाता तथा इस प्रकार के उद्योग कच्चे मालों के उपलब्धता स्थलों की अवहेलना करते हुए किसी भी उपयुक्त स्थल पर स्थापित होने के लिए स्वतन्त्र होते हैं। ऐसे उद्योगों को स्वतन्त्र या स्वच्छन्द उद्योग कहा जाता है। जैसे—इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग।
→ पेट्रोलियम रासायनिक उद्योग (Petro-chemical Industries):
पेट्रोलियम से प्राप्त किए गए रसायनों पर आधारित उद्योग। इस उद्योग में खनिज तेल एवं प्राकृतिक गैस को कच्चे माल के रूप में प्रयोग किया जाता है। उदाहरण—पटाखा उद्योग, प्लास्टिक उद्योग आदि।।
→ अवगम (सूचना) प्रौद्योगिकी उद्योग (IT Industry):
सूचना प्रौद्योगिकी इलेक्ट्रॉनिक विधि से सूचना भेजने, प्राप्त करने एवं संग्रहीत करने की पद्धति है। इसमें कम्प्यूटर, डाटाबेस व माडम का उपयोग किया जाता है। इससे सम्बन्धित उद्योगों को अवगम (सूचना) प्रौद्योगिकी उद्योग कहते हैं।
→ स्थूल पदार्थ (Gross Goods):
भार ह्रास वाले पदार्थ अर्थात् वह पदार्थ जिनके भार में समय के साथ-साथ कमी आती जाती है।
→ परिवहन लागत न्यूनीकरण सिद्धान्त (Transportation Cost Minimisation Theory):
वह सिद्धान्त जो यह निश्चित करता है कि एक उद्योग कच्चे माल के स्रोत के निकट या बाजार के निकट या फिर इन दोनों के मध्य किसी उचित स्थान पर स्थापित होगा ताकि उस उद्योग में न्यूनतम परिवहन लागत प्राप्त हो।
→ शुद्ध कच्चा माल (Pure Raw Material):
ऐसा कच्चा पदार्थ जिसका वजन उत्पादन प्रक्रिया में नहीं घटता है, शुद्ध कच्चा माल कहलाता है।
→ मौसमी उद्योग (Seasonal Industry):
एक विशेष ऋतु में संचालित उद्योग जैसे—चीनी उद्योग, यह उद्योग उसी मौसम में ही कार्य करता है जिसमें गन्ने की फसल काटी जाती है।
→ पॉलीमर (Polymers):
एथलीन व प्रोपलीन से निर्मित। इसका उपयोग प्लास्टिक उद्योग में कच्चे माल के रूप में किया जाता है।
→ कृत्रिम रेशे (संश्लिष्ट तंतु) (Synthetic Fibres):
लकड़ी की लुग्दी, बेकार रूई तथा रासायनिक पदार्थों के मिश्रण से निर्मित धागे—इनका उपयोग विभिन्न प्रकार के वस्त्रों के निर्माण में किया जाता है।
→ पुनः चक्रित (Recycled):
ऐसे पदार्थ जिनका उपयोग बार-बार किया जा सके, पुनः चक्रित कहलाते हैं।
→ एक्रिलिक कपड़े (Acrylic Staple Fibre):
कृत्रिम रेशों द्वारा निर्मित कपड़े। इस प्रकार के कपड़े मजबूत, टिकाऊ, प्रक्षालन योग्य एवं सिकुड़न विरोधी होते हैं। इन्हें आसानी से किसी भी रंग में रंगा जा सकता है तथा इनमें सिलवटें भी नहीं पड़ती हैं।
→ ज्ञान आधारित उद्योग (Knowledge Based Industries):
सूचना प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित उद्योग। जैसे-सॉफ्टवेयर उद्योग, हार्डवेयर उद्योग।
→ हार्डवेयर उद्योग (Hardware Industry):
कम्प्यूटर एवं कम्प्यूटर से जुड़े समस्त पुों व उपकरणों का निर्माण करने वाले उद्योगों को हार्डवेयर उद्योग कहते हैं।
→ सॉफ्टवेयर उद्योग (Software Industry):
कम्प्यूटर प्रोग्रामों के समूह को सॉफ्टवेयर कहा जाता है। इससे सम्बन्धित उद्योगों को सॉफ्टवेयर उद्योग कहते हैं।
→ उदारीकरण (Liberalisation):
उद्योग और व्यापार को आवश्यक प्रतिबन्धों तथा विनियमों से मुक्त कर अधिक प्रतियोगी बनाना।
→ निजीकरण (Privatisation):
देश के अधिकांश उद्योगों के स्वामित्व, नियन्त्रण तथा प्रबन्धन को निजी क्षेत्र के अन्तर्गत किया जाना जिससे अर्थव्यवस्था पर सरकारी एकाधिकार कम या समाप्त हो जाता है।
→ वैश्वीकरण (Globalisation):
मुक्त व्यापार, पूँजी तथा श्रम की मुक्त गतिशीलता द्वारा देश की अर्थव्यवस्था को अन्य देशों की अर्थव्यवस्था से जोड़ना।
→ संपत्ति देहली (Threshold):
देहली द्वारा प्रवेश मार्ग।
→ औद्योगिक प्रदेश (Industrial Regions):
औद्योगिक प्रदेश का तात्पर्य ऐसे प्रदेशों से है जहाँ विभिन्न श्रृंखलाबद्ध उद्योगों के अनेक कारखाने केन्द्रित हों एवं औद्योगिक भूदृश्य विकसित हों।