These comprehensive RBSE Class 12 Geography Notes Chapter 4 मानव विकास will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 12 Geography Chapter 4 Notes मानव विकास
→ वृद्धि और विकास
- यद्यपि वृद्धि और विकास दोनों का संबंध समय के अनुसार परिवर्तन से है, तथापि ये दोनों एक-दूसरे से भिन्न हैं।
- वृद्धि का अर्थ मात्रात्मक परिवर्तन से है जो मूल्य निरपेक्ष होता है। इसी कारण वृद्धि धनात्मक अथवा ऋणात्मक हो सकती है।
- दूसरी ओर विकास का अर्थ गुणात्मक परिवर्तन से है जो मूल्य सापेक्ष होता है। अतः विकास उस समय होता है जब वर्तमान दशाओं की गुणवत्ता में सकारात्मक परिवर्तन होता है।
- 1990 के दशक से पहले किसी भी देश के विकास स्तर को केवल आर्थिक वृद्धि के संदर्भ में मापा जाता था। अर्थात् जिस देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती थी, उसे उतना ही विकसित माना जाता था।
→ मानव विकास की अवधारणा
- मानव विकास की अवधारणा का प्रतिपादन पाकिस्तानी अर्थशास्त्री डॉ. महबूब-उल-हक ने किया।
- डॉ. हक ने मानव विकास का वर्णन एक ऐसे तथ्य के रूप में किया जो लोगों के विकल्पों में वृद्धि करता है एवं उनके जीवन में सुधार लाता है। इस अवधारणा में समस्त प्रकार के विकास का केन्द्र बिन्दु मनुष्य है।
- दीर्घ स्वस्थ जीवन जीना, ज्ञान प्राप्त करना तथा एक शिष्ट जीवन जीने के पर्याप्त साधनों का होना विकास के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पक्ष हैं।
- लोगों के विकल्पों में वृद्धि करने के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा तथा संसाधनों तक पहुँच में उनकी क्षमताओं का निर्माण करना अनिवार्य है। यदि इन क्षेत्रों में लोगों की क्षमता का विकास नहीं किया गया तो लोगों के विकल्प भी सीमित ही रह जाएँगे।
→ मानव विकास के चार स्तम्भ
- मानव विकास के चार स्तम्भों में समता, सतत् पोषणीयता, उत्पादकता तथा सशक्तीकरण नामक चार संकल्पनाओं को शामिल किया जाता है।
- समता का आशय अवसरों की समान उपलब्धता से, निर्वहन का अर्थ अवसरों की उपलब्धता में निरंतरता से, उत्पादकता का अर्थ मानव श्रम उत्पादकता से व सशक्तीकरण का अर्थ विकल्प चुनने की शक्ति प्राप्त करने से होता है।
→ मानव विकास के उपागम
- मानव विकास के निम्नलिखित चार उपागम हैं
- आय उपागम
- कल्याण उपागम
- आधारभूत आवश्यकता उपागम
- क्षमता उपागम।
- आय उपागम मानव विकास के सबसे पुराने उपागमों में से एक है। इसमें मानव विकास को आय के साथ जोड़कर रखा जाता है।
- कल्याण उपागम शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा एवं सुख-साधनों पर उच्चतम राजकीय व्यय का तर्क देता है।
- आधारभूत आवश्यकता उपागम अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने प्रस्तावित किया था। इसमें छः न्यूनतम आवश्यकताओं, जैसे-स्वास्थ्य, शिक्षा, भोजन, जलापूर्ति, स्वच्छता एवं आवास की पहचान की गई थी।
- क्षमता उपागम का संबंध नोबेल पुरस्कार विजेता प्रो. अमर्त्य सेन से है। संसाधनों तक पहुँच के क्षेत्रों में मानव क्षमताओं का निर्माण बढ़ते मानव विकास की कुंजी है।
→ मानव विकास का मापन मानव
- विकास का मापन मानव विकास सूचकांक के आधार पर किया जाता है। यह सूचकांक स्वास्थ्य, शिक्षा तथा संसाधनों तक पहुँच के संदर्भ में मापा जाता है।
- स्वास्थ्य के सूचक को निश्चित करने के लिए जन्म के समय जीवन प्रत्याशा को चुना गया है।
- शिक्षा का अभिप्राय प्रौढ़ शिक्षा, साक्षरता दर एवं सकल नामांकन अनुपात से है।
- संसाधनों तक पहुँच को क्रय शक्ति के संदर्भ में मापा जाता है।
- शिक्षा, स्वास्थ्य एवं संसाधनों तक पहुँच में से प्रत्येक को 1/3 भारिता दी जाती है। इस आधार पर मानव विकास सूचकांक का मूल्य 0 से 1 के बीच के स्कोर पर आधारित होता है।
- मानव विकास सूचकांक का मूल्य एक के जितना अधिक समीप होता है, उतना ही मानव विकास का स्तर अधिक माना जाता है। मानव विकास सूचकांक मानव विकास के स्तर को मापित करता है।
- 1990 ई. से प्रतिवर्ष संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम मानव विकास प्रतिवेदन प्रकाशित कर रहा है। .
- भूटान विश्व में अकेला देश है जिसने सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता को देश की प्रगति का आधिकारिक माप घोषित किया है।
- मानव गरीबी सूचकांक मानव विकास सूचकांक से सम्बन्धित है जो मानव विकास में कमी मापता है।
→ अंतर्राष्ट्रीय तुलनाएँ:
अर्जित मानव विकास सूचकांक के आधार पर विश्व के समस्त देशों को निम्न चार वर्गों में विभक्त किया जाता है।
- अति उच्च सूचकांक मूल्य वाले देश: इनमें मानव विकास सूचकांक का स्कोर 0.8 से अधिक रहता है तथा विश्व के 59 देश इस वर्ग में सम्मिलित हैं।
- उच्च सूचकांक मूल्य वाले देश: इनमें मानव विकास सूचकांक का स्कोर 0.701-0.799 के बीच मिलता है। इस श्रेणी में विश्व के 53 देश शामिल हैं।
- मध्यम सूचकांक मूल्य वाले देश: इनमें मानव विकास सूचकांक का स्कोर 0-550 से 0-700 के मध्य रहता है तथा विश्व के 39 देश इस वर्ग में सम्मिलित हैं।
- निम्न सूचकांक मूल्य वाले देश: इनमें मानव विकास सूचकांक का स्कोर 0-549 से कम रहता है तथा इस वर्ग में विश्व के 38 देश सम्मिलित हैं।
→ मानव विकास की अंतर्राष्ट्रीय तुलनाएँ अत्यंत रुचिकर परिणाम दर्शाती हैं।
नोट:
2018 के आँकड़ों के अनुसार भारत का मानव विकास सूचकांक घटा है जिसमें भारत का स्थान 130 वाँ हो गया है।
2020 की रिपोर्ट के अनुसार भारत का स्थान 131 वाँ हो गया है।
→ वृद्धि (Growth):
वृद्धि में मात्रात्मक परिवर्तन होता है। इसका मूल्य निरपेक्ष होता है तथा यह धनात्मक या ऋणात्मक दोनों प्रकार की हो सकती है।
→ विकास (Development):
विकास का अर्थ गुणात्मक परिवर्तन से है जिसमें सदैव सकारात्मक (धनात्मक) उन्नति होती है।
मानव विकास (Human Development):
ऐसा विकास जो लोगों के विकल्पों में वृद्धि करता है और उनके जीवन में सुधार लाता है, मानव विकास कहा जाता है।
→ समता (Equity):
समता का आशय प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध अवसरों के लिए समान पहुँच की व्यवस्था करना है।
→ सतत् पोषणीयता (Sustainability):
समस्त पर्यावरणीय, वित्तीय तथा मानवीय संसाधनों का उपयोग भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर करना।
→ उत्पादकता (Productivity):
मानव विकास के संदर्भ में उत्पादकता का अर्थ मानव श्रम उत्पादकता अथवा मानव कार्य के संदर्भ में उत्पादकता से है।
→ सशक्तीकरण (Empowerment):
अपने विकल्प चुनने के लिए शक्ति प्राप्त करने की क्रिया को सशक्तीकरण कहते हैं।
→ प्रौढ़ साक्षरता दर (Adult Literacy Rate):
प्रौढ़ जनसंख्या में साक्षर लोगों का अनुपात जो कि साक्षरता के न्यूनतम स्तर को अभिव्यक्त करता है। इसे प्रतिशत में प्रदर्शित किया जाता है।
→ जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy):
मानव की औसत आयु, जिस पर उसकी मृत्यु होती है।
→ उच्चतर जीवन प्रत्याशा (Higher Life Expectancy):
उच्चतर जीवन प्रत्याशा का आशय लोगों के पास दीर्घ एवं अधिक स्वस्थ जीवन जीने के अधिक अवसर उपलब्ध होना।
→ मानव विकास सूचकांक (Human Development Index):
मानव विकास के विविध आयामों के मापन के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित विभिन्न संकेतकों के स्तर को मानव विकास सूचकांक कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, मानव विकास सूचकांक आधारभूत मानव विकास की औसत उपलब्धियों का एक सरल संश्लिष्ट सूचकांक है जिसमें विभिन्न देशों का पदानुक्रम निर्धारित किया जाता है।
→ मानव गरीबी सूचकांक (Human Poverty Index):
मानव विकास की कमी मापने वाला संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा निर्मित सूचकांक।
→ सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता (Gross Rational Happiness):
भूटान सरकार द्वारा घोषित देश की प्रगति का आधिकारिक माप। इस माप के अनुसार प्रसन्नता की कीमत पर भौतिक प्रगति नहीं की जा सकती।