These comprehensive RBSE Class 12 Geography Notes Chapter 3 मानव विकास will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 12 Geography Chapter 3 Notes मानव विकास
→ मानव विकास
- मानव विकास स्वास्थ्य, भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक तथा राजनैतिक सशक्तीकरण से तो जुड़ा ही है साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा सशक्तीकरण के अवसरों की वृद्धि प्रक्रिया से भी सम्बन्धित होता है।
- विकास का मुख्य उद्देश्य लोक कल्याण होता है जिसका अर्थ आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक उत्थान है।
- भारत में एक ओर महानगरीय क्षेत्रों तथा अन्य विकसित क्षेत्रों में मानव के लिये आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं वहीं दूसरी ओर भारत के ग्रामीण क्षेत्र तथा नगरीय क्षेत्रों की गंदी बस्तियों में निवासित जनसंख्या को न्यूनतम आधारभूत सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हैं।
- मानव विकास को सर्वप्रथम परिभाषित करने का प्रयास संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने किया।
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने अपना प्रथम मानव विकास प्रतिवेदन सन् 1990 में प्रकाशित किया था
- सन् 1990 से संयुक्त राष्ट्र संघ की यह संस्था प्रतिवर्ष मानव विकास प्रतिवेदन का प्रकाशन करती आ रही है।
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की रिपोर्ट न केवल मानव विकास को परिभाषित करती है वरन् इसके सूचकों में संशोधन एवं परिवर्तन भी करती है। परिकलित आँकड़ों के आधार पर विश्व के देशों का कोटि क्रम भी निर्धारित करती है।
→ पभारत में मानव विकास
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा 2018 में प्रकाशित मानव विकास सूचकांक में विश्व के 189 देशों में भारत का.130 वाँ स्थान था।
- सन् 2018 की मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार भारत का विकास सूचकांक मूल्य 0.640 है।
- भारत विश्व के मध्यम मानव विकास सूचकांक दर्शाने वाले देशों में सम्मिलित है।
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा निर्धारित सूचकों के आधार पर भारत के योजना आयोग ने भी देश के लिए मानव विकास रिपोर्ट तैयार की है।
- इस मानव विकास रिपोर्ट में राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को विश्लेषण की इकाई माना गया है।
- इसी प्रकार प्रत्येक राज्य सरकार ने जिलों को विश्लेषण की इकाई मानकर राज्यस्तरीय रिपोर्ट तैयार की है।
- भारत का योजना आयोग तीन सूचकांकों-स्वास्थ्य, साक्षरता एवं संसाधनों की उपलब्धि के आधार पर मानव विकास रिपोर्ट तैयार करता है।
- भारत की मानव विकास रिपोर्ट में आर्थिक उपलब्धि, सामाजिक सशक्तीकरण, वितरण, न्याय, अभिगम्यता, स्वास्थ्य एवं राज्य सरकारों द्वारा संचालित विभिन्न कल्याणकारी कार्यक्रमों जैसे सूचकों को भी शामिल किया गया है।
→ पआर्थिक उपलब्धियों के सूचक
- आर्थिक विकास मानव विकास का एक अभिन्न अंग है।
- आर्थिक विकास के अभाव में किसी प्रकार का मानव विकास संभव नहीं है।
- समृद्ध संसाधन आधार एवं संसाधनों तक सभी लोगों की पहुँच मानव विकास की कुंजी है।
- सकल घरेलू उत्पादन एवं इसकी प्रति व्यक्ति उपलब्धता को किसी भी देश के संसाधन आधार अथवा अक्षयनिधि का माप माना जाता है।
- भारत में प्रचलित कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय के आँकड़ें एक प्रभावशाली निष्पादन का संकेत देते हैं। लेकिन बड़े स्तर पर देश में मिलने वाली प्रादेशिक विषमताएँ इस तथ्य को प्रभावहीन कर देती हैं।
- भारत में एक ओर तो आन्ध्र प्रदेश, गोवा, हिमाचल प्रदेश, केरल, सिक्किम एवं दिल्ली जैसे समृद्ध प्रदेश हैं वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़, झारखंड, मणिपुर, असम, बिहार, मध्य प्रदेश, उड़ीसा जैसे गरीब राज्य भी हैं।
- निरपेक्ष रूप से गरीबी व्यक्ति की सतत, स्वस्थ एवं यथोचित उत्पादक जीवन व्यतीत करने के लिए आवश्यक जरूरतों को संतुष्ट न कर पाने की असमर्थता को प्रतिबिंबित करती है।
- भारत में गरीबी की अधिकता का प्रमुख कारण बिना रोजगार की आर्थिक वृद्धि एवं अनियंत्रित बेरोजगारी है।
→ पस्वस्थ जीवन के सूचक
- स्वास्थ्य मानव विकास का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। रोग मुक्त जीवन एवं यथोचित दीर्घायु जीवन एक स्वस्थ जीवन के सूचक होते हैं।
- स्वास्थ्य का मापन जन्मदर, मृत्युदर, पोषण एवं जन्म के समय जीवन प्रत्याशा के रूप में किया जाता है।
- भारत में पिछले 50 वर्षों में मृत्यु-दर में उल्लेखनीय गिरावट अनुभव की गई है, वहीं व्यक्ति की औसत जीवन प्रत्याशा में भी वृद्धि हो रही है। दूसरी ओर भारत के औसत लिंगानुपात में गिरावट आना भी एक चिन्ता का विषय है।
→ पसामाजिक सशक्तीकरण के सूचक
- विकास मुक्ति है.....भूख, गरीबी, दासता, बँधुआ मजदूरी, अज्ञानता, निरक्षरता एवं किसी भी अन्य प्रकार की निर्बलता से। मुक्ति मानव विकास की कुंजी है।
- साक्षरता एवं शिक्षा का प्रसार मानव विकास का एक महत्त्वपूर्ण मानक है जिससे विभिन्न समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
- यद्यपि भारत में साक्षरता के स्तर में लगातार सुधार महसूस किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर गरीब व अमीर व्यक्तियों के मध्य का अंतर समय के साथ तीव्रता से बढ़ रहा है। भारत में कुल साक्षरता लगभग 74.04 प्रतिशत है।
→ पभारत में मानव विकास सूचकांक
- संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू.एन.डी.पी.) द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट 2018 के अनुसार भारत 0.640 मूल्य (130वाँ स्थान) के साथ मध्यम मानव विकास सूचकांक दर्शाने वाले देशों की श्रेणी में सम्मिलित है।
- इस रिपोर्ट में सम्मिलित सूचकों के आधार पर भारत के योजना आयोग ने राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को विश्लेषण की इकाई मानकर मानव विकास सूचकांक की गणना की है।
- भारत के योजना आयोग की रिपोर्ट के अनुसार 0.790 सूचकांक मूल्य के साथ केरल सर्वोच्च स्थान पर है जबकि 0.358 सूचकांक मूल्य के साथ छत्तीसगढ़ सबसे नीचे है।।
- भारत में मानव विकास की प्रादेशिक विषमताओं के लिए कई सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं ऐतिहासिक कारण उत्तरदायी हैं।
- शैक्षिक उपलब्धियों के अतिरिक्त आर्थिक विकास भी मानव विकास सूचकांक पर सार्थक प्रभाव डालता है।
→ पजनसंख्या, पर्यावरण और विकास
- विकास ने मानव जीवन की गुणवत्ता में अनेक महत्त्वपूर्ण सुधारों का समावेश किया है। किन्तु इसके साथ ही प्रादेशिक विषमताएँ, सामाजिक असमानताएँ, भेदभाव, लोगों का विस्थापन, मानवाधिकारों पर आघात, मानवीय मूल्यों का विनाश एवं पर्यावरणीय निम्नीकरण में भी वृद्धि हुई है।
- प्राचीन काल से ही भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति, जनसंख्या संसाधनों एवं विकास के प्रति सजग व संवेदनशील रही है।
- हमारे प्राचीन ग्रन्थों में प्रकृति के तत्वों के संतुलन पर बल दिया गया है। गाँधीजी के विचार में व्यक्तिगत मितव्ययता, सामाजिक धन की न्यासधारिता एवं अहिंसा एक व्यक्ति और राष्ट्र के जीवन में उच्चतर लक्ष्य प्राप्त करने की कुंजी है।
→ मानव विकास (Human Development):
व्यक्तियों के भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक व राजनैतिक स्वतन्त्रता तक सभी प्रकार के मानव विकल्पों तथा सशक्तीकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया। दूसरों शब्दों में, ऐसा विकास जो लोगों के विकल्पों में वृद्धि करता है तथा उनके जीवन में सुधार लाता है, मानव विकास कहलाता है।
→ यू. एन. डी.पी. (UNDP):
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development programme)। मानव विकास रिपोर्ट का प्रकाशन करने वाली संयुक्त राष्ट्र संघ की एक संस्था।
→ मानव विकास सूचकांक (Human Development Index H.D.I.):
मानव विकास के विविध आयामों के मापन के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा निर्धारित विभिन्न संकेतकों को मानव विकास सूचकांक कहा जाता है।
→ प्रति व्यक्ति आय (Per Capita Income):
वह आय जो किसी देश की राष्ट्रीय आय में देश की कुल जनसंख्या से भाग देने पर प्राप्त होती है।
→ जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy):
किसी राष्ट्र के व्यक्तियों के जीवन की औसत आयु।
→ गरीबी (Poverty):
गरीबी वंचित रहने की अवस्था है। निरपेक्ष रूप से यह व्यक्ति की सतत, स्वस्थ और यथोचित उत्पादक जीवन जीने के लिए आवश्यक जरूरतों को संतुष्ट न कर पाने की असमर्थता को प्रतिबिंबित करती है।
→ गंदी बस्ती (Slum):
किसी नगरीय क्षेत्र में स्थित आवासों के घटिया स्वरूप एवं सुविधाओं के निम्न स्तर वाला क्षेत्र।
→ लिंगानुपात (Sex Ratio):
प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या।
→ मानव विकास की न्यूनतम दशाएँ (Minimum Conditions for Human Development):
उत्तरोत्तर - लोकतंत्रीकरण और सशक्तीकरण मानव विकास की न्यूनतम दशाएँ होती हैं।