RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास

Rajasthan Board RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास Important Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास

बहुविकल्पीय प्रश्न:

प्रश्न 1.
निम्न में से किस वैधानिक संस्था के द्वारा भारत में नियोजन का कार्य किया जाता है। 
(क) राज्य सभा 
(ख) लोक सभा 
(ग) नीति आयोग 
(घ) वित्त मंत्रालय। 
उत्तर:
(ग) नीति आयोग 

प्रश्न 2. 
निम्न में से किस वर्ष भारत की प्रथम पंचवर्षीय योजना आरम्भ हुई? 
(क) सन् 1951 
(ख) सन् 1961 
(ग) सन् 1971
(घ) सन् 1981 
उत्तर:
(क) सन् 1951 

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प्रश्न 3. 
निम्न में से कौन - सी पंचवर्षीय योजना राजनीतिक अस्थिरता एवं उदारीकरण की नीति की शुरुआत के कारण अपने निश्चित समय पर प्रारम्भ न हो सकी? 
(क) आठवीं 
(ख) नवीं 
(ग) दसवीं
(घ) ग्यारहवीं। 
उत्तर:
(क) आठवीं 

प्रश्न 4. 
पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम निम्न में से किस पंचवर्षीय योजना में प्रारम्भ किया गया?
(क) चतुर्थ 
(ख) पंचम 
(ग) छठवीं 
(घ) सातवीं। 
उत्तर:
(ख) पंचम 

प्रश्न 5. 
सूखा संभावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम निम्न में से किस पंचवर्षीय योजना में प्रारम्भ किया गया? 
(क) चतुर्थ 
(ख) पंचम 
(ग) छठवीं
(घ) सातवीं। 
उत्तर:
(क) चतुर्थ 

प्रश्न 6. 
भरमौर जनजातीय क्षेत्र में कौन - सी नदी अपनी सहायक नदियों के साथ प्रवाहित है?
(क) सतलज 
(ख) व्यास 
(ग) रावी
(घ) झेलम। 
उत्तर:
(ग) रावी

प्रश्न 7. 
गद्दी जनजाति शरद ऋतु में निम्न में से किस क्षेत्र में ऋतु प्रवास करती है?
(क) कुल्लू 
(ख) चम्बा 
(ग) कांगड़ा 
(घ) हमीरपुर। 
उत्तर:
(ग) कांगड़ा 

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प्रश्न 8. 
ब्रटलैंड आयोग का सम्बन्ध है। 
(क) मानव कल्याण से 
(ख) पर्यावरण संरक्षण से 
(ग) सतत् पोषणीय विकास से 
(घ) उक्त सभी से। 
उत्तर:
(ग) सतत् पोषणीय विकास से 

प्रश्न 9. 
निम्न में से किस बाँध से इंदिरा गाँधी नहर निकाली गई है? 
(क) हरिके - बैराज बाँध से 
(ख) भाखड़ा बाँध से 
(ग) हीराकुंड बाँध से 
(घ) नागल बाँध से। 
उत्तर:
(क) हरिके - बैराज बाँध से 

प्रश्न 10. 
इन्दिरा गाँधी नहर ने भूदृश्य बदल दिया है। 
(क) उत्तरी - पश्चिमी पंजाब का
(ख) हरियाणा का 
(ग) उत्तरी - पश्चिमी राजस्थान का
(घ) दक्षिणी - पूर्वी राजस्थान का।
उत्तर:
(ग) उत्तरी - पश्चिमी राजस्थान का

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न:

निम्न में स्तम्भ अ को स्त. ब से सुमेलित कीजिए:

प्रश्न 1. 

स्तम्भ अ (दशा)

स्तम्भ ब (सम्बन्ध) 

(i) नीति आयोग का गठन 

(अ) MFDA 

(ii) लघु कृषक विकास संस्था 

(ब) 1970 

(iii) सीमांत कृषक विकास संस्था

(स) मीडोस 

(iv) भरमौर जनजातीय क्षेत्र विकास की प्रक्रिय' का प्रारम्भ

(द) 1 जनवरी 201

(v) दं लिमिट टू ग्रोथ

(य) SFDA 

उत्तर:

स्तम्भ अ (दशा)

स्तम्भ ब (सम्बन्ध) 

(i) नीति आयोग का गठन 

(य) SFDA 

(ii) लघु कृषक विकास संस्था 

(द) 1 जनवरी 201

(iii) सीमांत कृषक विकास संस्था

(स) मीडोस 

(iv) भरमौर जनजातीय क्षेत्र विकास की प्रक्रिय' का प्रारम्भ

(अ) MFDA 

(v) दं लिमिट टू ग्रोथ

(ब) 1970 


रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न:

निम्न वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

प्रश्न 1.
नियोजन के दो ................ होते हैं। 
उत्तर:
उपगमन

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प्रश्न 2.
आर्थिक विकास के लिए संसाधनों के साथ - साथ ................ और ................. की आवश्यकता होती है। 
उत्तर:
तकनीक, निवेश

प्रश्न 3.
पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम को .................. पंचवर्षीय योजना में प्रारंभ किया गया। 
उत्तर:
पाँचवी

प्रश्न 4.
भरमौर जनजातीय क्षेत्र में ................. कठोर है। 
उत्तर:
जलवायु

प्रश्न 5.
विकास की संकल्पना ................ है। 
उत्तर:
गतिक। 

सत्य - असत्य कथन सम्बन्धी प्रश्न:

निम्न में से सत्य-असत्य कथनों की पहचान कीजिए:

प्रश्न 1.
2011 की जनगणना के अनुसार भरमौर उपमंडल की जनसंख्या 39113 थी।
उत्तर:
सत्य

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प्रश्न 2.
इंदिरा गांधी नहर को वर्तमान में भी राजस्थान नहर के नाम से जाना जाता है। 
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 3.
प्रौद्योगिक व संस्थाओं ने मानव-पर्यावरण अंतःक्रिया को गति प्रदान की है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
विकास एक द्विआयामी संकल्पना है।
उत्तर:
असत्य

प्रश्न 5.
नहरी सिंचाई के प्रसार से इस प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष रूप से रूपांतरित हो गई है। 
उत्तर:
सत्य

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1. 
नियोजन से क्या आशय है?
उत्तर:
देश के आर्थिक साधनों का रि तृत सर्वेक्षण करके देश की आवश्यकताओं के अनुसार उनका सर्वोत्तम उपयोग करना नियोजन कहलाता है। 

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प्रश्न 2. 
नियोजन के उपगमन कौन - कौन से हैं? 
उत्तर:

  1. खण्डीय नियोजन 
  2. प्रादेशिक नियोजन। 

प्रश्न 3. 
खण्डीय नियोजन से क्या आशय है?
उत्तर:
अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों जैसे कृषि, सिंचाई, उद्योग, ऊर्जा, निर्माण, परिवहन, संचार, सामाजिक अवसंरचनाओं और सेवाओं के विकास के लिए कार्यक्रम बनाना तथा उन्हें क्रियान्वित करना खण्डीय नियोजन कहलाता है।

प्रश्न 4. 
प्रादेशिक नियोजन क्या है?
उत्तर:
स्थानिक परिप्रेक्ष्य के सन्दर्भ में विकास में प्रादेशिक असन्तुलन को कम करने सम्बन्धी नियोजन को प्रादेशिक नियोजन कहा जाता है।

प्रश्न 5. 
नीति आयोग का अध्यक्ष कौन होता है? 
उत्तर:
प्रधानमंत्री। 

प्रश्न 6. 
भारत में नियोजन किसके माध्यम से किया जाता है? 
उत्तर:
भारत में नियोजन मुख्य रूप से पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से किया जाता है। 

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प्रश्न 7. 
प्रथम पंचवर्षीय योजना की समयावधि बताइये। 
उत्तर:
1951 से 1956. 

प्रश्न 8. 
रोलिंग प्लान से क्या आशय है?
उत्तर:
सन् 1960 के दशक के मध्य में लगातार दो सूखों (1965 - 66 व 1966 - 67) तथा सन् 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के कारण 1966 - 69 में योजना अवकाश लेना पड़ा। इस अवधि में वार्षिक योजनाएं लागू रहीं जिन्हें रोलिंग प्लान कहा जाता है।

प्रश्न 9. 
किन दो कारणों की वजह से आठवीं पंचवर्षीय योजना समय पर प्रारम्भ न हो सकी
उत्तर:

  1. केन्द्र में राजनीतिक अस्थिरता 
  2. 1991 में उदारीकरण की घोषणा। 

प्रश्न 10. 
योजना आयोग ने लक्ष्य क्षेत्र एवं लक्ष्य समूह योजना उपागमों को क्यों प्रस्तुत किया?
उत्तर:
आर्थिक विकास में क्षेत्रीय एवं सामाजिक विषमताओं की प्रबलता को कम करने के लिए योजना आयोग ने लक्ष्य क्षेत्र एवं लक्ष्य समूह योजना को प्रस्तुत किया।

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प्रश्न 11. 
लक्ष्य क्षेत्र कार्यक्रम के कोई दो उदाहरण दीजिए। 
उत्तर:

  1. कमान नियंत्रित क्षेत्र विकास कार्यक्रम 
  2. पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम। 

प्रश्न 12. 
लक्ष्य समूह कार्यक्रम के प्रमुख उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
लघु कृषक विकास संस्था (SFDA) एवं सीमान्त किसान विकास संस्था (MFDA) लक्ष्य समूह कार्यक्रम के प्रमुख उदाहरण हैं।

प्रश्न 13. 
पहाड़ी क्षेत्रों के विकास की योजनाएं किन - किन बातों को ध्यान में रखकर बनायी गयीं? 
उत्तर:
पहाड़ी क्षेत्रों के विकास की योजनाएँ उनकी स्थलाकृतिक, पारिस्थितिकीय, सामाजिक एवं आर्थिक दशाओं को ध्यान में रखकर बनायी गयीं। 

प्रश्न 14. 
सूखा संभावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर:

  1. सूखा संभावी क्षेत्रों में लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना 
  2. सूखे के प्रभाव को कम करने के लिए उत्पादन के साधनों को विकसित करना।

प्रश्न 15. 
सूखा संभावी क्षेत्र विकास के प्रमुख कार्यक्रम क्या हैं?
उत्तर:
प्रारम्भ में इस कार्यक्रम में अधिक श्रमिकों की आवश्यकता वाले सिविल निर्माण कार्यों पर बल दिया गया लेकिन बाद में सिंचाई, भूमि विकास, वनीकरण, चारागाह विकास तथा आधारभूत ग्रामीण अवसंरचनाओं के विकास को भी इसमें सम्मिलित कर लिया गया। ।

प्रश्न 16. 
भारत में सूखा संभावी क्षेत्र कौन - कौन से हैं? 
उत्तर:
भारत में सूखा संभावी क्षेत्र मुख्यतः राजस्थान, गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के मराठवाड़ क्षेत्र, आंध्र प्रदेश के रायलसीमा, तेलंगाना पठार, कर्नाटक पठार, तमिलनाडु की उच्च भूमि तथा आंतरिक भाग के शुष्क और अर्द्ध शुष्क भागों में फैले हुए हैं। 

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प्रश्न 17. 
भारत के कौन - कौन से क्षेत्र सिंचाई के प्रसार के कारण सखे से बच जाते हैं? 
उत्तर:
पंजाब, हरियाणा एवं उत्तरी राजस्थान के सूखा प्रभावित क्षेत्र सिंचाई के प्रसार के कारण सूखे से बच जाते हैं। 

प्रश्न 18. 
भरमौर जनजातीय क्षेत्र कहाँ स्थित है? 
उत्तर:
भरमौर. जनजातीय क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले की दो तहसीलों - भरमौर व होली में स्थित है। 

प्रश्न 19. 
भरमौर जनजातीय क्षेत्र में किस जनजातीय समूह का आवास है तथा इनकी बोलचाल की भाषा क्या है? 
उत्तर:
भरमौर जनजातीय क्षेत्र में 'गद्दी' जनजातीय समुदाय का आवास है तथा ये गद्दीयाली भाषा में बातचीत करते हैं।

प्रश्न 20. 
भरमौर क्षेत्र का गद्दी जनजातीय समुदाय किस प्रकार अपनी अलग पहचान बनाए हुए है?
उत्तर:
भरमौर क्षेत्र में गद्दी जनजाति निवास करती है। यह जनजाति ऋतु प्रवास करती है साथ ही गद्दीयाली भाषा का प्रयोग करने से हिमालय क्षेत्र में इसकी अलग पहचान है।

प्रश्न 21. 
गद्दी जनजाति की परम्परागत अर्थव्यवस्था क्या रही है? 
उत्तर:
गद्दी जनजाति की परम्परागत अर्थव्यवस्था जीवन निर्वाह कृषि तथा पशुचारण पर आधारित रही है। 

प्रश्न 22. 
गद्दी जनजाति का मुख्य व्यवसाय क्या है? 
उत्तर:
गद्दी जनजाति का मुख्य व्यवसाय कृषि एवं उससे सम्बद्ध क्रियाएं जैसे-भेड़ व बकरी पालन है। 

प्रश्न 23. 
गद्दी लोगों को अनुसूचित जनजाति में कब सम्मिलित किया गया? 
उत्तर:
सन् 1970 के दशक में। 

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प्रश्न 24. 
आई. टी. डी. पी. क्या है?
उत्तर:
समन्वित जनजातीय विकास परियोजना को संक्षेप में आई. टी. डी. पी. कहा जाता है। इसे 1974 में पांचवीं पंचवर्षीय योजना में प्रारम्भ किया गया था।

प्रश्न 25. 
समन्वित जनजातीय विकास परियोजना का मुख्य उद्देश्य क्या है? 
उत्तर:

  1. गद्दी जनजाति के लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाना। 
  2. भरमौर तथा हिमाचल प्रदेश के अन्य भागों के मध्य विकास के स्तर में अंतर को कम करना। 

प्रश्न 26. 
भरमौर क्षेत्र में जनसंख्या का घनत्व कम क्यों है?
उत्तर:
पर्वतीय स्थलाकृति एवं कठोर जलवायु के कारण भरमौर क्षेत्र में जनसंख्या का घनत्व कम है।

प्रश्न 27. 
विकास से क्या आशय है? 
उत्तर:
विकास से आशय समाज विशेष की उन्नत स्थिति एवं उनके द्वारा अनुभव किये गये परिवर्तन की प्रक्रिया से है।

प्रश्न 28. 
मानव व पर्यावरण अन्तःक्रिया की प्रक्रियाएँ किन तथ्यों पर निर्भर हैं? 
उत्तर:
मानव और पर्यावरण अन्तःक्रिया की प्रक्रियाएँ निम्न दो तथ्यों पर निर्भर हैं:

  1. समाज में किस प्रकार की प्रौद्योगिकी का विकास हुआ है। 
  2. समाज में किस प्रकार की संस्थाओं का पोषण किया गया है 

प्रश्न 29. 
पर्यावरण पर औद्योगिक विकास के प्रतिकूल प्रभावों के संदर्भ में लिखी गई पुस्तकों के नाम लिखिए। 
उत्तर:
इस सन्दर्भ में निम्नलिखित दो पुस्तकों का प्रकाशन हुआ:

  1. सन् 1968 में प्रकाशित एहरलिच नामक विद्वान की 'द पोपुलेशन बम' नामक पुस्तक। 
  2. सन् 1972 में प्रकाशित मीडोज द्वारा लिखित 'द लिमिट टू ग्रोथ' नामक पुस्तक।

प्रश्न 30. 
पर्यावरणीय मुद्दों पर विश्व समुदाय की बढ़ती चिंता को ध्यान में रखकर संयुक्त राष्ट्र संघ ने किस आयोग की स्थापना की? 
उत्तर:
विश्व पर्यावरण और विकास आयोग (WEDC)। 

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प्रश्न 31. 
विश्व पर्यावरण और विकास आयोग का अध्यक्ष किसे बनाया गया? 
उत्तर:
नार्वे की प्रधानमंत्री गरो हरलेम ब्रटलैंड को। 

प्रश्न 32. 
सतत पोषणीय विकास की संरचना किस वर्ष प्रतिपादित की गई? 
उत्तर:
सन् 1987 में। 

प्रश्न 33. 
विश्व पर्यावरण और विकास आयोग के द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का नाम क्या था?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा गठित विश्व पर्यावरण व विकास आयोग ने 1987 में 'अवर कॉमन फ्यूचर' नामक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसे ब्रटलैण्ड रिपोर्ट भी कहा जाता है।

प्रश्न 34. 
इंदिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र से क्या आशय है?
उत्तर:
इंदिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र से आशय उस क्षेत्र से है जिसमें सिंचाई व अन्य कार्यों के लिए जल की आपूर्ति इंदिरा नहर द्वारा की जा रही है।

प्रश्न 35. 
इंदिरा गांधी नहर का पूर्व नाम क्या था? 
उत्तर:

  1. राजस्थान नहर। 
  2. बम नामक पुस्तक। 

प्रश्न 36. 
इंदिरा गांधी नहर की परियोजना की संकल्पना कब व किसने प्रस्तुत की?
उत्तर:
इंदिरा गाँधी नहर परियोजना की संकल्पना सन् 1948 में बीकानेर रियासत के तत्कालीन सिंचाई इंजीनियर . कवरसेन ने प्रस्तुत की।

प्रश्न 37. 
इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना कब प्रारम्भ हुई?
उत्तर:
इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना 31 मार्च, 1958 को प्रारम्भ हुई। 

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प्रश्न 38. 
इंदिरा गाँधी नहर के कुल कमान क्षेत्र का कितने प्रतिशत भाग प्रवाह नहर तंत्र द्वारा सिंचाई प्राप्त करेगा? 
उत्तर:
लगभग 70 प्रतिशत भाग। 

प्रश्न 39. 
इंदिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र में कौन - कौन से जिले सम्मिलित हैं? 
उत्तर:
गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर एवं चुरू जिले। 

प्रश्न 40. 
इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना से कौन - सी समस्याएं उत्पन्न हुई हैं? 
उत्तर:
इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना के क्रियान्वयन से कमान क्षेत्र के अनेक क्षेत्रों में जल भराव तथा मृदा लवणता सम्बन्धी समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं। 

प्रश्न 41. 
इंदिरा गाँधी नहर क्षेत्र में सतत पोषणीय विकास को बढ़ावा देने वाले किन्हीं चार उपायों को बताइये।
उत्तर:

  1. जल प्रबंधन नीति का कठोरता से क्रियान्वयन करना 
  2. वृक्षों की रक्षण मेखला को विकसित किया जाना। 
  3. जल साधन फसलों पर प्रतिबंध 
  4. वनीकरण व चारागाह विकास।

प्रश्न 42. 
इंदिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र में सामाजिक सतत पोषणीयता का लक्ष्य कब प्राप्त किया जा सकता है?
उत्तर:
विभिन्न आर्थिक स्थिति वाले भू-आवंटियों को कृषि के लिए पर्याप्त मात्रा में वित्तीय एवं संस्थागत सहायता उपलब्ध कराने पर ही इंदिरा गाँधी नहर क्षेत्र में सामाजिक सतत पोषणीयता का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। 

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1):

प्रश्न 1. 
भारत में नियोजन कार्य के बारे में बताइये।
उत्तर:
भारत में केन्द्रीकृत नियोजन व्यवस्था है तथा नियोजन का कार्य देश में योजना आयोग को दिया गया है। लेकिन 1 जनवरी, 2015 से योजना आयोग का स्थान नीति आयोग ने ले लिया है। नीति (योजना) आयोग एक वैधानिक संस्था है जिसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है तथा इसमें एक उपाध्यक्ष व अन्य कई सदस्य भी होते हैं। हमारे देश में नियोजन मुख्यतः पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से किया जाता है। अब तक हमारे देश में बारह पंचवर्षीय योजना व छः वार्षिक योजनाएं सम्पूर्ण हो चुकी हैं। वर्तमान में तीन वर्षीय एक्शन योजना संचालित है, जो 1 अप्रैल 2017 से प्रारम्भ की गयी थी। 

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प्रश्न 2. 
पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम किन - किन क्षेत्रों में प्रारम्भ किये गये हैं?
उत्तर:
पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में प्रारम्भ किये गये हैं। इसके अन्तर्गत उत्तराखण्ड के समस्त जिले, मिकिर पहाड़ी व असम की उत्तरी कछार की पहाड़ियाँ, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले तथा तमिलनाडु के नीलगिरि जिले आदि को मिलाकर कुल 15 जिले सम्मिलित हैं। सन् 1981 में पिछड़े क्षेत्रों पर गठित राष्ट्रीय समिति ने उन समस्त पर्वतीय क्षेत्रों को पिछड़े पर्वतीय क्षेत्रों में सम्मिलित करने की सिफारिश की है, जिनकी ऊँचाई 600 मीटर से अधिक है तथा जिनमें जनजातीय उपयोजना लागू नहीं है। 

प्रश्न 3. 
अरावली क्षेत्र के विकास हेतु सुझाव दीजिए।
उत्तर:
अरावली पर्वतीय क्षेत्र के विकास हेतु निम्न सुझाव मुख्य हैं:

  1. अवैध खनन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए जिससे इसका स्वरूप विखण्डित न हो। 
  2. पर्वतीय क्षेत्र में जल भराव हेतु अवरोधक निर्मित करने चाहिए, जिससे पर्वतीय भाग पर सतही वनस्पति बनी रहे। 
  3. वृक्षारोपण करके पर्वतीय भाग को हरा-भरा बनाया जाए। 
  4. विकास हेतु स्वीकृत पूँजी का त्वरित एवं निष्पक्ष उपयोग हो। 
  5. जनजागरूकता उत्पन्न करके अनियंत्रित पशुचारण पर रोक लगे। 

प्रश्न 4. 
पिछड़े क्षेत्रों पर राष्ट्रीय समिति ने पहाड़ी क्षेत्रों में विकास के लिए कौन - कौन से सुझाव दिये हैं? 
उत्तर:
पिछड़े क्षेत्रों पर राष्ट्रीय समिति ने पहाड़ी क्षेत्रों में विकास के लिए निम्नलिखित सुझाव दिये:

  1. सभी लोग योजनाओं से लाभान्वित होने चाहिए, केवल प्रभावशाली व्यक्ति ही नहीं।
  2. स्थानीय संसाधनों एवं प्रतिभाओं का विकास होना चाहिए। 
  3. जीवन निर्वाह अर्थव्यवस्था को निवेश-उन्मुखी बनाया जाना चाहिए। 
  4. अंतःप्रादेशिक व्यापार में.पिछड़े क्षेत्रों का शोषण नहीं होना चाहिए। 
  5. पिछड़े क्षेत्रों की बाजार व्यवस्था में सुधार करके श्रमिकों को लाभ पहुँचाना। 
  6. पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखना।

प्रश्न 5. 
पहाड़ी क्षेत्रों के विकास की योजनाएँ किन - किन बातों को ध्यान में रखकर बनाई गई?
उत्तर:
पहाड़ी क्षेत्रों के विकास की योजनाएँ इनकी स्थलाकृतिक, पारिस्थितिकीय, सामाजिक एवं आर्थिक दशाओं को ध्यान में रखकर बनाई गईं। ये कार्यक्रम पहाड़ी क्षेत्रों में बागवानी के विकास, रोपण कृषि, पशुपालन, मुर्गीपालन, वानिकी, लघु एवं ग्रामीण उद्योगों के विकास के लिए तथा स्थानीय संसाधनों को उपयोग में लाने के उद्देश्य से बनाए गये। 

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प्रश्न 6. 
सूखा संभावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम के कार्यक्षेत्र बताइये। 
अथवा 
सूखा संभावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत किन - किन कार्यों पर बल दिया गया?
उत्तर:
सूखा संभावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम चौथी पंचवर्षीय योजना में प्रारम्भ हुआ। प्रारम्भ में इस कार्यक्रम के अन्तर्गत ऐसे सिविल निर्माण कार्यों पर बल दिया गया जिनमें अधिक श्रमिकों की आवश्यकता होती थी। पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में इसके कार्यक्षेत्र में वृद्धि की गई और इनमें सिंचाई परियोजनाओं, भूमि विकास कार्यक्रमों, वनीकरण, चारागाह विकास एवं आधारभूत ग्रामीण अवसंरचना में विद्युत, सड़कों, बाजार, ऋण सुविधाओं एवं सेवाओं पर बल दिया गया।

प्रश्न 7. 
भारत में किन-किन क्षेत्रों की सूखा संभावी क्षेत्र के रूप में पहचान की गई?
उत्तर:
सन् 1967 में भारत के योजना आयोग ने देश के कुल 67 जिलों (पूर्ण या आंशिक) की सूखा संभावी जिलों के रूप में पहचान की। सन् 1972 में सिंचाई आयोग ने 30 प्रतिशत सिंचित क्षेत्र का मापदंड लेकर सूखा संभावी क्षेत्र का परिसीमन किया। भारत में सूखा संभावी क्षेत्र मुख्यतः राजस्थान, गुजरात, पश्चिमी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र, आन्ध्र प्रदेश में रायलसीमा, तेलंगाना पठार, कर्नाटक पठार और तमिलनाडु की उच्च भूमि तथा आंतरिक भाग के शुष्क व अर्द्ध शुष्क भागों में फैले हुए हैं।

प्रश्न 8. 
भरमौर क्षेत्र में संचालित समन्वित जनजातीय विकास कार्यक्रम का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
भरमौर क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले की भरमौर व होली नामक दो तहसीलों में विस्तृत है। यहाँ रहने वाली गद्दी जनजाति के विकास हेतु 1974 में समन्वित जनजातीय विकास कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य गद्दी जनजाति के जीवन-स्तर में सुधार लाना, भरमौर तथा हिमाचल प्रदेश के अन्य भागों के विकास के स्तर के अन्तर को कम करना तथा परिवहन, संचार, कृषि व इससे सम्बन्धित क्रियाओं और सामाजिक व सामुदायिक सेवाओं का विकास करना आदि थे।

प्रश्न 9. 
भरमौर जनजातीय विकास योजना के मुख्य उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए। 
उत्तर:

  1. स्थानीय लोगों के जीवन-स्तर में सुधार करना। 
  2. शिक्षा, चिकित्सा, पेयजल, सड़कों, संचार एवं विद्युत की सुविधा उपलब्ध कराना। 
  3. कृषि एवं सामुदायिक सेवाओं का विकास करना। 
  4. भरमौर एवं हिमाचल प्रदेश के अन्य भागों के बीच मिलने वाले विकास के अन्तर को कम करना। 

प्रश्न 10. 
विश्व पर्यावरण और विकास आयोग के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
विश्व समुदाय की पर्यावरणीय मुद्दों पर बढ़ती चिंता को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने विश्व पर्यावरण और विकास आयोग की स्थापना की। इसकी अध्यक्ष नार्वे की प्रधानमंत्री गरो हरलेम ब्रटलैंड को बनाया गया। इस आयोग ने सन् 1987 में अवर कॉमन फ्यूचर.नाम से अपनी एक रिपोर्ट प्रस्तुत की। इस आयोग ने सतत पोषणीय विकास को भी परिभाषित किया। इस रिपोर्ट के अनुसार सतत पोषणीय विकास का अर्थ एक ऐसे विकास से है जिसमें भविष्य में आने वाली पीढ़ियों की आवश्यकता पूर्ति को प्रभावित किये बिना वर्तमान पीढ़ी द्वारा अपनी आवश्यकता की पूर्ति करने से है।

प्रश्न 11. 
नहरी सिंचाई के प्रसार से इंदिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
नहरी सिंचाई के प्रसार से इंदिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र की कृषि अर्थव्यवस्था प्रत्यक्ष रूप से रूपांतरित हो गई। नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र के विस्तार से बोये गये क्षेत्र में विस्तार हुआ तथा फसलों की सघनता में वृद्धि हुई है। यहाँ बोयी जाने वाली पारम्परिक फसलों जिनमें चना, बाजरा व ज्वार का स्थान गेहूँ, कपास, मूंगफली एवं चावल ने ले लिया है तथा कृषि  पशुधन उत्पादकता में अत्यधिक वृद्धि हुई है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2):

प्रश्न 1. 
भारत की विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं की अवधि का विवरण दीजिए। 
उत्तर:
स्वतन्त्रता के पश्चात् से भारत में आर्थिक नियोजन का कार्य 12 पंचवर्षीय योजनाओं एवं छः वार्षिक योजनाओं के माध्यम से किया गया है। वर्तमान में तेरहवीं पंचवर्षीय योजना संचालित है। समस्त आर्थिक योजनाओं का विवरण निम्नलिखित है' योजना

योजना

अवधि

1. प्रथम पंचवर्षीय योजना

1951 से 1956

2. द्वितीय पंचवर्षीय योजना

1956 से 1961

3. तृतीय पंचवर्षीय योजना

1961 से 1966

4. वार्षिक योजना

1966 से 1967

5.. वार्षिक योजना

1967 से 1968

6. वार्षिक योजना

1968 से 1969

7. चतुर्थ पंचवर्षीय योजना के

1969 से 1974

8. पाँचवीं पंचवर्षीय योजना

1974 से 1978

9. वार्षिक योजनाएँ

1978 से 1980

 10. छठवीं पंचवर्षीय योजना

1980 से 1985

11. सातवीं पंचवर्षीय योजना

1985 से 1990

12. वार्षिक योजना

1990 से 1991

13. वार्षिक योजना

1991 से 1992

14. आठर्वी पंचवर्षीय योजना

1992 से 1997

15. नौवीं पंचवर्षीय योजना

1997 से 2002

16. दसवीं पंचवर्षीय योजना

2002 से 2007

17. ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना

2007 से 2012

18. बारहवीं पंचवर्षीय योजना

2012 से 2017

19. तीन वर्षीय एक्शन योजना

2017 से संचालित 


RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 9 भारत के संदर्भ में नियोजन और सततपोषणीय विकास

प्रश्न 2. 
नियोजन के उपगमनों का विवरण दीजिए।
अथवा 
खण्डीय नियोजन एवं प्रादेशिक नियोजन में अंतर स्पष्ट कीजिए। 
उत्तर:
नियोजन के उपगमन सामान्यतया नियोजन के दो प्रमुख उपगमन होते हैं:

  1. खण्डीय (Sectoral) नियोजन 
  2. प्रादेशिक (Regional) नियोजन।

(i) खण्डीय नियोजन खण्डीय नियोजन.का अर्थ है अर्थव्यवस्था के विभिन्न सेक्टरों; जैसे कृषि, सिंचाई, उद्योग, ऊर्जा, निर्माण, परिवहन, संचार, सामाजिक अवसंरचना व सेवाओं के लिए कार्यक्रम तैयार कर उन्हें कार्यान्वित कराना।
 
(i) प्रादेशिक नियोजन भारत के सभी क्षेत्रों में आर्थिक विकास का समान स्तर देखने को नहीं मिलता है। कुछ क्षेत्र अधिक विकसित हैं तो कुछ क्षेत्र विकास की दृष्टि से अति पिछड़े हैं। आर्थिक विकास का यह असमान प्रतिरूप इस तथ्य पर बल देता है कि आर्थिक विकास में प्रादेशिक असन्तुलन को कम करने के लिए स्थानिक दृष्टिकोण को क्रियान्वित करना आवश्यक है। इस प्रकार का नियोजन प्रादेशिक नियोजन कहलाता है।


प्रश्न 3. 
लक्ष्य क्षेत्र नियोजन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
किसी क्षेत्र का आर्थिक विकास उसके संसाधनों पर तो निर्भर होता ही है साथ ही आर्थिक विकास के लिए तकनीक तथा पूँजी की भी आवश्यकता होती है। योजना आयोग के पिछले पन्द्रह वर्षों के नियोजन अनुभवों से यह स्पष्ट हुआ है कि देश के आर्थिक विकास में क्षेत्रीय असन्तुलन कम होने के स्थान पर बढ़ रहा है। क्षेत्रीय असन्तुलन की इन्हीं प्रबलताओं को नियन्त्रण में रखने के उद्देश्य से भारत के योजना विभाग ने लक्ष्य क्षेत्र योजना उपागम को लागू किया। 

लक्ष्य क्षेत्र योजना उपागम के निम्नलिखित कार्यक्रम उल्लेखनीय हैं:

  1. कमान नियंत्रित क्षेत्र विकास कार्यक्रम 
  2.  सूखाग्रस्त क्षेत्र विकास कार्यक्रम
  3. पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम
  4. लघु कृषक विकास संस्था (SFDA)
  5. सीमान्त किसान विकास संस्था (MFDA)

प्रश्न 4. 
भारत सरकार के पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम का विवरण दीजिए।
अथवा 
पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम हेतु आपके सुझाव क्या होंगे?
उत्तर:
पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत उत्तराखण्ड, मिकिर पहाड़ियाँ, असम की उत्तरी कछार पहाड़ियाँ, पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग जिला तथा तमिलनाडु के नीलगिरी क्षेत्र के कुल 15 जिले सम्मिलित हैं। सन् 1981 में पिछड़े क्षेत्रों पर राष्ट्रीय समिति ने ऐसे पर्वतीय क्षेत्रों को इस कार्यक्रम में सम्मिलित करने की सिफारिश की थी जिनकी औसत ऊँचाई 600 मीटर से अधिक है तथा जिनमें जनजातीय विकास योजना लागू नहीं है।

भारत सरकार के पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अन्तर्गत राष्ट्रीय समिति द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों के विकास के लिए निम्नलिखित सुझाव प्रस्तुत किए।

  1. क्षेत्र के समस्त निवासियों को विकास का पूरा लाभ प्राप्त हो। 
  2. स्थानीय संसाधनों तथा प्रतिभाओं का विकास किया जाए। 
  3. जीविका निर्वाह अर्थव्यवस्था को निवेश उन्मुखी अर्थव्यवस्था में बदला जाए। 
  4. अंतः प्रादेशिक व्यापार में पिछड़े क्षेत्रों का शोषण न हो। 
  5. पिछड़े क्षेत्रों की बाजार व्यवस्था में सुधार कर स्थानीय श्रमिकों को लाभान्वित किया जाए। 
  6. पारिस्थितिकीय सन्तुलन को कायम रखा जाए।

उक्त सभी कार्यक्रम पहाड़ी क्षेत्रों में बागवानी विकास, रोपण कृषि, पशुपालन, मुर्गीपालन, वानिकी, लघु तथा ग्रामीण उद्योगों का विकास करने व स्थानीय संसाधनों के उपयोग की दृष्टि से बनाए गए।

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प्रश्न 5. 
सूखा संभावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
भारत में सूखा संभावी क्षेत्र कार्यक्रम भारत में सूखा सम्भावी क्षेत्र विकास कार्यक्रम का प्रारम्भ चौथी पंचवर्षीय योजना में हुआ, जिसका उद्देश्य सूखा सम्भावी क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों का सृजन करना तथा सूखे के प्रभावों से निपटने के लिए उत्पादन के साधनों को विकसित करना था। पाँचवीं पंचवर्षीय योजना में इस कार्यक्रम के कार्य क्षेत्र को और अधिक विस्तृत कर दिया गया।

इस कार्यक्रम में प्रारम्भ में स्थानीय स्तर पर श्रमिकों को रोजगार के अवसर प्रदान करने पर बल प्रदान किया गया, लेकिन बाद में इसमें सिंचाई परियोजनाओं, भूमि विकास कार्यक्रमों, वनीकरण, चारागाह विकास तथा आधारभूत अवसंरचनाओं (जैसे - विद्युत, सड़क, बाजार व वित्तीय सुविधाएँ).के विकास को भी प्राथमिकता प्रदान की गई।

सूखा सम्भावी क्षेत्रों के विकास की अन्य रणनीतियों में सूक्ष्म स्तर पर समन्वित जल सम्भर विकास कार्यक्रमों का विकास भी सम्मिलित है। भारत में सूखा सम्भावी क्षेत्र प्रमुख रूप से राजस्थान, गुजरात, पश्चिमी मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र, आन्ध्र प्रदेश के रायलसीमा, तेलंगाना के पठार क्षेत्र, कर्नाटक पठार और तमिलनाडु के शुष्क व अर्द्ध-शुष्क क्षेत्र सम्मिलित हैं।

प्रश्न 6. 
भरमौर क्षेत्र का सचित्र परिचय दीजिए।
उत्तर:
भरमौर क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले की दो तहसीलों-भरमौर तथा होली में फैला हुआ है। गद्दी जनजाति का निवास क्षेत्र कहा जाने वाला यह क्षेत्र चारों ओर से उच्च पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा है जिसकी समुद्र तल से ऊँचाई 1500 से 3700 मीटर के मध्य है। इस क्षेत्र के उत्तर में पीरपंजाल तथा दक्षिण में धौलाधार श्रेणियाँ हैं। इस क्षेत्र में रावी अपनी सहायक नदियों बुधिल व तुंदाह के साथ बहती है। ये नदियाँ अनेक स्थानों पर महाखड्डों का निर्माण करती हैं। इन नदियों ने भरमौर क्षेत्र को चार भूखण्डों-होली, खणी, कुगती तथा तुंदाह में विभक्त कर दिया है।
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इस क्षेत्र की जलवायु कठोर है। शरद् ऋतु में यहाँ कड़ाके की ठण्ड तथा बर्फ पड़ती है जबकि ग्रीष्म ऋतु सुहावनी रहती है। 

प्रश्न 7. 
भरमौर क्षेत्र में समन्वित जनजातीय विकास कार्यक्रम की प्रमुख उपलब्धियों को संक्षेप में बताइये।
अथवा 
गद्दी जनजाति के जीवन में आये सामाजिक परिवर्तनों को समझाइए।
उत्तर:
भरमौर क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले की भरमौर तथा होली नामक दो तहसीलों में विस्तृत मिलता है। इस क्षेत्र में गद्दी जनजाति का निवास है। यहाँ सन् 1974 से समन्वित जनजातीय विकास कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। 
जिसकी प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं:

  1. भरमौर क्षेत्र में विद्यालयों, जनस्वास्थ्य सुविधाओं, पेयजल, सड़कों, संचार तथा विद्युत के रूप में अवसंरचनात्मक विकास हुआ है। 
  2. होली तथा खणी क्षेत्रों में रावी नदी के साथ बसे गाँवों को विकास का सर्वाधिक लाभ मिला है, जबकि तुंदाह व कुगती क्षेत्र के दूर-दराज के ग्राम विकास से अछूते हैं।
  3. भरमौर क्षेत्र की साक्षरता दरों में तीव्र वृद्धि, लिंगानुपात में सुधार तथा बाल विवाह में कमी अनुभव की गई है। 
  4. दालों तथा विभिन्न नकदी फसलों के क्षेत्रफल में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  5. ऋतु प्रवास में संलग्न जनसंख्या में तेजी से कमी आई है। वर्तमान में कुल गद्दी परिवारों का केवल 1/10वाँ भाग ही ऋतु प्रवास करता है। भारत के संदर्भ में नियोजन और सतत् पोषणीय विकास 7455 

प्रश्न 8. 
विकास की संकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विकास की संकल्पना गतिक है तथा इस संकल्पना का अभ्युदय .20वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हुआ था विकास की संकल्पना में क्रमिक रूप से निम्नलिखित तीन तथ्य उल्लेखनीय रहे।

  1. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विकास का अर्थ था आर्थिक वृद्धि जिसे समय के साथ सकल राष्ट्रीय उत्पाद, प्रतिव्यक्ति आय तथा प्रति व्यक्ति उपभोग में वृद्धि के रूप में मापा जाता था। लेकिन विश्व के अधिक आर्थिक वृद्धि वाले देशों में भी गरीबी का स्तर संसाधनों के असमान वितरण के कारण ब्रहुत तेजी से बढ़ा। 
  2. सन् 1970 के दशक में उक्त तथ्य को दृष्टिगत रखते हुए विकास की संकल्पना में 'पुनर्वितरण के साथ वृद्धि' तथा 'वृद्धि और समानता' जैसे वाक्यांशों को भी सम्मिलित कर लिया गया तथा यह माना गया कि विकास की संकल्पना को मात्र आर्थिक पक्ष तक ही सीमित नहीं रखा जा सकता। अपितु विकास मानव की सम्पूर्ण दशाओं का उन्नत स्वरूप है।
  3. सन् 1980 के दशक में विकास को एक बहु-आयामी संकल्पना के रूप में मान्यता दी जाने लगी जिसमें समाज के सभी लोगों के लिए वृहद् स्तर पर सामाजिक व भौतिक कल्याण को अनिवार्य रूप से सम्मिलित किये जाने का समर्थन किया गया।

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प्रश्न 9. 
इंदिरा गाँधी नहर परियोजना के प्रभावों को संक्षेप में बताइये।
उत्तर:
नहर कमान क्षेत्र में सिंचाई के प्रसार ने इस मरुस्थलीय भाग की पारिस्थितिकी, अर्थव्यवस्था तथा समाज को बदल दिया है। साथ ही इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर इस परियोजना के सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रभाव देखने को मिले हैं। 

इस परियोजना के निम्नलिखित प्रभाव उल्लेखनीय हैं।

  1. कमान क्षेत्र में विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन से वन व चारागाहों के क्षेत्रफल में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जिससे वायु अपरदन तथा नहरी तन्त्र में बालू जमाव की क्रियाएँ भी धीमी पड़ गई हैं। 
  2. कमान क्षेत्र में बोए गये क्षेत्र व सिंचित क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि अनुभव की गई है तथा फसलों की सघनता में भी वृद्धि हुई है। 
  3. चना, बाजरा तथा ग्वार जैसी बोई जाने वाली पारम्परिक फसलों के स्थान पर गेहूँ, कपास, मूंगफली तथा चावल की फसलें उत्पादित की जाने लगी हैं।
  4. कमान क्षेत्र में पशुधन उत्पादकता में अत्यधिक वृद्धि हुई है।
  5. सघन सिंचाई तथा जल के अत्यधिक प्रयोग से अनेक क्षेत्रों में जलभराव व मृदा लवणता जैसी पर्यावरणीय समस्याएं भी सामने आई हैं। 

निबन्धात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1.
भरमौर क्षेत्र में समन्वित जनजातीय विकास कार्यक्रम का विवरण दीजिए।
उत्तर:
परिचय: भरमौर क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के चम्बा जिले की भरमौर तथा होली नामक दो तहसीलों में विस्तृत मिलता है। इस क्षेत्र में 'गद्दी' नामकः जनजाति के लोग निवास करते हैं। ये लोग ऋतु प्रवास द्वारा पशुपालन तथा सीढ़ीदार खेतों पर पारम्परिक रूप से कृषि कार्य कर अपनी आजीविका चलाते हैं। सन् 2011 में भरमौर क्षेत्र की जनसंख्या 39113 थी, जबकि जन घनत्व 21 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी. था। सामाजिक व आर्थिक रूप से हिमाचल प्रदेश के अति पिछड़े क्षेत्रों में सम्मिलित भरमौर क्षेत्र के निवासियों का आर्थिक आधार प्रमुख रूप से कृषि तथा भेड़ व बकरी पालन रहा है।

भरमौर क्षेत्र में समन्वित जनजातीय विकास कार्यक्रम . इस क्षेत्र में समन्वित विकास का प्रारम्भ 1970 के दशक में उस समय शुरू हुआ जब गद्दी लोगों को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया। पांचवीं पंचवर्षीय योजना के प्रारम्भिक वर्ष 1974 में इस क्षेत्र में जनजातीय विकास परियोजना प्रारम्भ की गई तथा हिमाचल प्रदेश की पांच समन्वित जनजातीय विकास परियोजनाओं (I. T. D. P) में भरमौर क्षेत्र की जनजातीय विकास परियोजना को भी सम्मिलित किया गया।

विकास कार्यक्रम परियोजना का उद्देश्य:

  1. भरमौर क्षेत्र में समन्वित जनजातीय विकास परियोजना का प्रमुख उद्देश्य गद्दी जनजाति के जीवन-स्तर में सुधार लाना था। 
  2. भरमौर तथा हिमाचल प्रदेश के अन्य भागों में विकास के स्तर के अंतर को कम करना। 
  3. परिवहन, संचार, कृषि व इससे सम्बन्धित क्रियाओं तथा सामाजिक व सामुदायिक सेवाओं का विकास करना।

विकास कार्यक्रम परियोजना की उपलब्धियाँ:

  1. भरमौर क्षेत्र में विद्यालयों, जनस्वास्थ्य सुविधाओं, पेयजल, सड़कों, संचार तथा विद्युत के रूप में अवसंरचनात्मक विकास हुआ है।
  2. होली तथा खणी क्षेत्रों में रावी नदी के साथ बसे गाँवों को विकास का सर्वाधिक लाभ मिला है। 
  3. भरमौर क्षेत्र की साक्षरता दरों में तीव्र वृद्धि, लिंगानुपात में सुधार तथा बाल विवाह में कमी अनुभव की गई है। 
  4. दालों तथा विभिन्न नकदी फसलों के क्षेत्रफल में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  5. ऋतु प्रवास में संलग्न जनसंख्या में तेजी से कमी आई है। वर्तमान में कुल गद्दी परिवारों का केवल 1/10वाँ भाग ही ऋतु प्रवास करता है।

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प्रश्न 2. 
इन्दिरा गाँधी नहर कमान क्षेत्र का सचित्र विवरण दीजिए।
उत्तर:
इन्दिरा गाँधी नहर या राजस्थान नहर पंजाब राज्य में सतलज व व्यास नदियों के संगम पर निर्मित हरिके बैराज बाँध से निकाली गई है। इस नहर तन्त्र की कुल नियोजित लम्बाई 9060 किमी. है तथा इस नहर परियोजना के पूरा होने पर पश्चिमी राजस्थान के 19.63 लाख हेक्टेयर कमान क्षेत्र में सिंचाई सुविधाएँ उपलब्ध होंगी। कुल कमान क्षेत्र का 70 प्रतिशत प्रवाही नहर तन्त्रों से तथा शेष 30 प्रतिशत भाग लिफ्ट नहरों द्वारा सिंचित किया जाएगा।

नहर निर्माण कार्य के प्रमुख चरण:
इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना को निम्नलिखित दो चरणों में पूरा किया गया है।
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भारत के संदर्भ में नियोजन और सतत् पोषणीय विकास बजा चरणा - चरण - II के कमान क्षेत्र में बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर व चुरु जिलों की 14-1 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि सम्मिलित है। इस चरण के कमान क्षेत्र में सिंचाई कार्य 1980 के दशक के मध्य में प्रारम्भ हो गया। इस कमान क्षेत्र का समस्त भाग स्थानान्तरित बालू टिब्बों वाला गर्म मरुस्थलीय भाग है। इस कमान क्षेत्र में मुख्य नहर का दक्षिणी भाग नहर जल तल से ऊँचा है। इसी कारण मुख्य नहर के बायें किनारे से ढाल के विपरीत प्रवाह के लिए नहर के जल को मशीनों द्वारा लिफ्ट नहरों में डाला जाता है, जबकि दायें किनारे से निकलने वाली सभी नहरें प्रवाही प्रणाल (ढाल के अनुकूल होने के कारण) हैं। 

इन्दिरा गाँधी नहर परियोजना के प्रभाव नहर कमान क्षेत्र में सिंचाई के प्रसार ने इस मरुस्थलीय भाग की पारिस्थितिकी, अर्थव्यवस्था तथा समाज को बदल दिया है। साथ ही इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर इस परियोजना के सकारात्मक व नकारात्मक दोनों प्रभाव देखने को मिले हैं। 

इस परियोजना के निम्नलिखित प्रभाव उल्लेखनीय हैं।

  1. कमान क्षेत्र में विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन से वन व चारामाहों के क्षेत्रफल में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है जिससे वायु अपरदन तथा नहरी तन्त्र में बालू जमाव की क्रियाएँ भी धीमी पड़ गई हैं।
  2. कमान क्षेत्र में बोए गये क्षेत्र व सिंचित क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि अनुभव की गई है तथा फसलों की सघनता में भी वृद्धि हुई है।
  3. चना, बाजरा तथा ग्वार जैसी बोई जाने वाली पारम्परिक फसलों के स्थान पर गेहूँ, कपास, मूंगफली तथा चावल की . फसलें उत्पादित की जाने लगी हैं।
  4. कमान क्षेत्र में पशुधन उत्पादकता में अत्यधिक वृद्धि हुई है।
  5. सघन सिंचाई तथा जल के अत्यधिक प्रयोग से अनेक क्षेत्रों में जल भराव व मृदा लवणता जैसी पर्यावरणी समस्याएं भी सामने आई हैं।

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में इस अध्याय से पूछे गये प्रश्न:

प्रश्न 1. ब्रटलैण्ड आयोग का सम्बन्ध है। 
(अ) आर्थिक विकास से
(ब) सतत विकास से 
(स) मानव विकास से 
(द) भू-स्खलन नियंत्रण से। 
उत्तर:
(ब) सतत विकास से। 

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प्रश्न 2. 
भारत में योजना आयोग की स्थापना किस वर्ष की गई थी। 
(अ) 1950 
(ब) 1952 
(स) 1960
(द) 1965 
उत्तर:
(अ) 1950. 

प्रश्न 3. 
प्रादेशिक विकास है। 
(अ) एकल प्रकार्यात्मक उपागम 
(ब) बहु प्रकार्यात्मक उपागम 
(स) स्थान समृद्धता 
(द) जनसंख्या वितरण की तर्क संगतता
उत्तर:
(ब) बहु प्रकार्यात्मक उपागम। 

प्रश्न 4. 
क्षेत्रीय आधार पर उपयोजना तैयार करने का कार्य कब किया गया था? 
(अ) चौथी योजना में 
(ब) पाँचवीं योजना में 
(स) छठी योजना में
(द) सातवीं योजना में। 
उत्तर:
(ब) पाँचवीं योजना में।

प्रश्न 5. 
प्रादेशिक नियोजन के निम्न उद्देश्यों में से कौन अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है? 
(अ) निवास्यता - संवर्धन उपागम 
(ब) वन संरक्षण
(स) जनसंख्या वितरण का युक्तीकरण
(द) श्रेष्ठ क्षेत्रीय गतिशीलता प्रणाली 
उत्तर:
(अ) निवास्यता-संवर्धन उपागम।

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प्रश्न 6. 
भारत में निम्न में से कौन-सा सबसे पहला क्षेत्रीय नियोजन का प्रयास था? 
(अ) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र योजना 
(ब) दण्डकारण्य क्षेत्र योजना 
(स) दामोदर घाटी परियोजना 
(द) भांखड़ा नांगल. परियोजना।
उत्तर:
(स) दामोदर घाटी परियोजना। 

प्रश्न 7. 
इंदिरा गांधी नहर परियोजना, राजस्थान के किस-क्षेत्र को सिंचाई और पीने का पानी प्रदान करती है।
(अ) पूर्वी क्षेत्र को
(ब) पश्चिमी क्षेत्र को 
(स) दक्षिणी क्षेत्र को 
(द) उत्तरी क्षेत्र को। 
उत्तर:
(ब) पश्चिमी क्षेत्र को।

Prasanna
Last Updated on Jan. 2, 2024, 9:23 a.m.
Published Jan. 1, 2024