Rajasthan Board RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 8 निर्माण उद्योग Important Questions and Answers.
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बहुविकल्पीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
उद्योगों में प्रयोग किए जाने वाले कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को बाँटा गया है।
(क) चार भागों में
(ख) पाँच भागों में
(ग) सात भागों में
(घ) तीन भागों में।
उत्तर:
(क) चार भागों में
प्रश्न 2.
उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाला कारक है।
(क) कच्चा माल
(ख) बाजार
(ग) पूँजी
(घ) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी।
प्रश्न 3.
कच्चे माल के स्रोतों के समीप स्थापित होने वाला उद्योग नहीं है।
(क) इलैक्ट्रोनिक उद्योग
(ख) चीनी उद्योग
(ग) सूती वस्त्र उद्योग
(घ) लौह - इस्पात उद्योग।
उत्तर:
(क) इलैक्ट्रोनिक उद्योग
प्रश्न 4.
लौह - इस्पात उद्योग के सर्वप्रमुख कच्चे माल हैं।
(क) लौह अयस्क व कोककारी कोयला
(ख) लौह अयस्क व डोलोमाइट
(ग) कोककारी कोयला व मैंगनीज
(घ) लौह अयस्क तथा मैंगनीज।
उत्तर:
(क) लौह अयस्क व कोककारी कोयला
प्रश्न 5.
भारतीय लोहा और इस्पात कम्पनी (IISCO) का कारखाना निम्न में से एक स्थान पर नहीं है।
(क) हीरापुर
(ख) कुल्टी
(ग) जमशेदपुर
(घ) बर्नपुर।
उत्तर:
(ग) जमशेदपुर
प्रश्न 6.
स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया (SAIL) निम्न में से किस स्थान पर कार्यरत लौह-इस्पात संयन्त्र का प्रबन्धन नहीं करता?
(क) राउरकेला
(ख) भिलाई
(ग) दुर्गापुर
(घ) बोकारो।
उत्तर:
(घ) बोकारो।
प्रश्न 7.
निम्न में से जर्मनी के सहयोग से स्थापित लौह इस्पात कारखाना है।
(क) राउरकेला
(ख) भिलाई
(ग) दुर्गापुर
(घ) बोकारो।
उत्तर:
(क) राउरकेला
प्रश्न 8.
निम्न में से किस शहर में भारत की प्रथम आधुनिक सूती वस्त्र मिल स्थापित की गई?
(क) जयपुर
(ख) मुम्बई
(ग) विजय नगर
(घ) भिलाई।
उत्तर:
(ख) मुम्बई
प्रश्न 9.
निम्न में से किस राज्य की सूती वस्त्र मिलें कपड़ा न बनाकर सूत का उत्पादन करती हैं?
(क) राजस्थान
(ख) महाराष्ट्र
(ग) पश्चिम बंगाल
(घ) तमिलनाडु।
उत्तर:
(घ) तमिलनाडु।
प्रश्न 10.
निम्न में से कृषि आधारित मौसमी उद्योग है।
(क) चीनी उद्योग
(ख) सूती वस्त्र उद्योग
(ग) पेट्रो रसायन उद्योग
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) चीनी उद्योग
प्रश्न 11.
देश का अग्रणी चीनी उत्पादक राज्य है।
(क) तमिलनाडु
(ख) बिहार
(ग) महाराष्ट्र
(घ) उत्तर प्रदेश।
उत्तर:
(ग) महाराष्ट्र
प्रश्न 12.
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी का निम्न में से प्रमुख कार्य है।
(क) पेट्रो केमिकल उद्योग में प्रशिक्षण प्रदान करना
(ख) वस्त्र निर्माण प्रशिक्षण प्रदान करना
(ग) लौह इस्पात उत्पादन करना
(घ) प्लास्टिक सामान का निर्माण करना।
उत्तर:
(क) पेट्रो केमिकल उद्योग में प्रशिक्षण प्रदान करना
प्रश्न 13.
निम्न में से भारत सरकार द्वारा किस वर्ष नई औद्योगिक नीति की घोषणा की गई।
(क) सन् 1981
(ख) सन् 1991
(ग) सन् 2001
(घ) सन् 2012
उत्तर:
(ख) सन् 1991
प्रश्न 14.
भारत के घरेलू निवेश तथा विदेशी प्रत्यक्ष निवेश का सर्वाधिक भाग प्राप्त हुआ।
(क) गुजरात को
(ख) महाराष्ट्र को
(ग) तमिलनाडु को
(घ) आन्ध्र प्रदेश को।
उत्तर:
(ख) महाराष्ट्र को
प्रश्न 15.
मुम्बई - पुणे औद्योगिक प्रदेश के सर्वप्रमुख उद्योग हैं।
(क) सूती वस्त्र तथा रासायनिक
(ख) ऊनी वस्त्र तथा सीमेन्ट
(ग) चीनी उद्योग तथा रेलवे उपकरण
(घ) लौह - इस्पात तथा इन्जीनियरिंग।
उत्तर:
(क) सूती वस्त्र तथा रासायनिक
सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न:
निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए:
प्रश्न 1.
स्तम्भ अ (दशा) |
स्तम्भ ब (सम्बन्ध) |
(i) टाटा लौह इस्पात कम्पनी |
(अ) छत्तीसगढ़ |
(ii) भिलाई इस्पात कारखाना |
(ब) हुगली औद्योगिक प्रदेश |
(iii) चीनी का दूसरा बड़ा उत्पादक राज्य |
(स) 1991 |
(iv) औद्योगिक नीति |
(द) मुम्बई-कोलकाता रेलमार्ग |
(v) जूट उद्योग की प्रधानता |
(य) उत्तर प्रदेश |
उत्तर:
स्तम्भ अ (दशा) |
स्तम्भ ब (सम्बन्ध) |
(i) टाटा लौह इस्पात कम्पनी |
(द) मुम्बई-कोलकाता रेलमार्ग |
(ii) भिलाई इस्पात कारखाना |
(अ) छत्तीसगढ़ |
(iii) चीनी का दूसरा बड़ा उत्पादक राज्य |
(य) उत्तर प्रदेश |
(iv) औद्योगिक नीति |
(ब) हुगली औद्योगिक प्रदेश |
(v) जूट उद्योग की प्रधानता |
(स) 1991 |
रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न:
निम्न वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
प्रश्न 1.
बाजार निर्मित उत्पादों के लिए ......... उपलब्ध कराती है।
उत्तर:
निर्गम
प्रश्न 2.
सूती वस्त्र उद्योग भारत के ............ उद्योगों में से एक हैं।
उत्तर:
परम्परागत
प्रश्न 3.
...... एक शुद्ध कच्चा माल है।
उत्तर:
कपास
प्रश्न 4.
गन्ना एक ............ वाली फसल है।
उत्तर:
भार-हास
प्रश्न 5.
........... का अर्थ देश की अर्थ व्यवस्था को संसार की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करना है।
उत्तर:
वैश्वीकरण।
सत्य - असत्य कथन सम्बन्धी प्रश्न:
निम्न में से सत्य - असत्य कथनों की पहचान कीजिए:
प्रश्न 1.
शक्ति मशीनों के लिए गतिदायी बल प्रदान करती है।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 2.
दुर्गापुर रूस की सहायता से स्थापित कारखाना है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 3.
तमिलनाडु राज्य में सबसे अधिक मिलें हैं।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 4.
सम्पत्ति देहली की सीमा समाप्त नहीं की गयी है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 5.
1869 में स्वेज नहर के खुलने के कारण मुम्बई पत्तन के विकास को प्रोत्साहन मिला। (सत्य/असत्य)
उत्तर:
सत्य।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों के प्रकार बताइए।
उत्तर:
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:
प्रश्न 2.
उत्पादों के उपयोग के आधार पर उद्योगों को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
उत्पादों के उपयोग के आधार पर उद्योगों को निम्नलिखित चार प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है।
प्रश्न 3.
उद्योगों द्वारा प्रयुक्त कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर:
उद्योगों द्वारा प्रयुक्त कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को निम्न चार वर्गों में रखा जाता है।
प्रश्न 4.
निर्मित वस्तुओं के स्वरूप के आधार पर उद्योगों को वर्गीकृत कीजिए।
अथवा
निर्मित उत्पादों की प्रकृति के आधार पर उद्योगों के प्रकार लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान तथा गुजरात में लोहा-इस्पात उद्योग क्यों नहीं है?
उत्तर:
उक्त राज्यों में लौह-इस्पात उद्योग इसलिए नहीं है क्योंकि इन राज्यों में लौह-इस्पात के लिये आवश्यक कच्चा माल उपलब्ध नहीं है।
प्रश्न 6.
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन - कौन से हैं?
उत्तर:
प्रश्न 7.
आर्थिक दृष्टि से उद्योगों को किन स्थानों पर स्थापित करना लाभप्रद होता है?
उत्तर:
आर्थिक दृष्टि से उद्योगों को उन स्थानों पर स्थापित करना लाभप्रद रहता है जहाँ उत्पादन मूल्य और निर्मित वस्तुओं को उपभोक्ताओं तक वितरित करने का मूल्य न्यूनतम हो।
प्रश्न 8.
भारत में चीनी मिलें गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में क्यों स्थापित हैं?
उत्तर:
चीनी मिलों में भार ह्रास वाले कच्चे माल (गन्ना) का उपयोग होने के कारण भारत में चीनी मिलें गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में ही स्थापित हैं।
प्रश्न 9.
सूती वस्त्र उद्योग प्रायः बड़े नगरीय केन्द्रों में ही क्यों स्थापित किये जाते हैं ?
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग में भार ह्रास नहीं होने वाले कच्चे माल का उपयोग होने के कारण यह उद्योग बड़े नगरीय केन्द्रों में स्थापित किये जाते हैं।
प्रश्न 10.
पेट्रोलियम परिशोधन शालाओं की स्थापना बाजारों के निकट ही क्यों की जाती है ?
उत्तर:
क्योंकि अपरिष्कृत खनिज तेल का परिवहन आसान होता है और उनसे प्राप्त कई उत्पादों का उपयोग दूसरे उद्योगों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है।
प्रश्न 11.
भारत सरकार द्वारा भिलाई व राउरकेला में लौह-इस्पात उद्योग स्थापित करने का उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
भारत सरकार द्वारा भिलाई व राउरकेला में लौह-इस्पात उद्योग स्थापित करने का मुख्य उद्देश्य जनजातीय क्षेत्रों का विकास करना रहा था।
प्रश्न 12.
लौह-इस्पात उद्योग के आवश्यक कच्चे माल कौन-कौन से होते हैं?
उत्तर:
लौह - अयस्क तथा कोककारी कोयला इस उद्योग के प्रमुख कच्चे माल हैं जबकि चूना-पत्थर, डोलोमाइट, मैंगनीज तथा अग्निसहमृत्तिका अन्य लघु मात्रा में आवश्यक कच्चे माल हैं।
प्रश्न 13.
भारत के किन्हीं चार एकीकृत इस्पात कारखानों के नाम लिलिए।
उत्तर:
प्रश्न 14.
भारत का सबसे प्राचीन लौह इस्पात कारखाना कौन-सा है?
उत्तर:
टाटा लौह इस्पात कम्पनी (Tisco)।
प्रश्न 15.
टाटा लौह और इस्पात कम्पनी (TISCO) को जल प्रदान करने वाली दोनों नदियों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 16.
भारतीय लोहा और इस्पात कम्पनी ने अपना प्रथम कारखाना कहाँ स्थापित किया?
उत्तर:
हीरापुर में।
प्रश्न 17.
राउरकेला इस्पात संयंत्र की स्थापना कब व कहाँ की गई?
उत्तर:
राउरकेला इस्पात संयंत्र की स्थापना सन् 1959 में उड़ीसा के सुन्दरगढ़ जिले में राउरकेला नामक स्थान पर की गई।
प्रश्न 18.
भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना किस देश के सहयोग से व कहाँ की गई?
उत्तर:
भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना रूस के सहयोग से छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में भिलाई नामक स्थान पर की गई।
प्रश्न 19.
भिलाई इस्पात संयंत्र किस रेलमार्ग पर अवस्थित है?
उत्तर:
भिलाई इस्पात संयंत्र कोलकाता-मुम्बई रेलमार्ग पर अवस्थित है।
प्रश्न 20.
ग्रेट ब्रिटेन की सहायता से कौन-सा लौह इस्पात संयंत्र स्थापित किया गया?
उत्तर:
दुर्गापुर इस्पात संयंत्र।
प्रश्न 21.
दुर्गापुर इस्पात संयंत्र किस कोयला पेटी में स्थित है?
उत्तर:
दुर्गापुर इस्पात संयंत्र रानीगंज व झरिया कोयला पेटी में स्थित है।
प्रश्न 22.
बोकारो इस्पात संयंत्र की स्थापना कब व किस देश के सहयोग से की गई?
उत्तर:
बोकारो इस्पात संयंत्र की स्थापना सन् 1964 में रूस के सहयोग से की गई।
प्रश्न 23.
परिवहन लागत न्यूनीकरण सिद्धान्त के आधार पर किस लौह इस्पात संयंत्र की स्थापना की गई?
उत्तर:
बोकारो इस्पात संयंत्र।
प्रश्न 24.
स्वदेशी तकनीक पर आधारित लौह इस्पात संयंत्र का नाम बताइये।
उत्तर:
विजयनगर इस्पात संयंत्र, हास्पेट (कर्नाटक)।
प्रश्न 25.
देश का सर्वप्रमुख कृषि आधारित परम्परागत उद्योग कौन - सा है?
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग।
प्रश्न 26.
सूती वस्त्र उद्योग के लिए आवश्यक कच्चे माल का नाम बताइये।
उत्तर:
कपास।
प्रश्न 27.
भारत की प्रथम आधुनिक सूती वस्त्र मिल कब व कहाँ पर स्थापित की गई थी?
उत्तर:
भारत की प्रथम आधुनिक सूती वस्त्र मिल 1854 ई. में मुम्बई में स्थापित की गई।
प्रश्न 28.
तमिलनाडु में सूती वस्त्र उद्योग के विकास का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
तमिलनाडु में सूती वस्त्र उद्योग के विकास का मुख्य कारण मिलों के लिए प्रचुर मात्रा में जल विद्युत शक्ति की उपलब्धता है।
प्रश्न 29.
तमिलनाडु राज्य का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण सूती वस्त्र उद्योग केन्द्र कौन-सा है?
उत्तर:
कोयम्बटूर तमिलनाडु राज्य का सर्वाधिक महत्वपूर्ण सूती वस्त्र उद्योग का केन्द्र है।
प्रश्न 30.
वर्तमान में सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केन्द्र कौन - कौन - से हैं?
उत्तर:
वर्तमान में अहमदाबाद, भिवाड़ी, शोलापुर, कोल्हापुर, नागपुर, इंदौर व उज्जैन सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केन्द्र हैं।
प्रश्न 31.
उत्तर प्रदेश में सूती वस्त्र उद्योग का सबसे बड़ा केन्द्र कौन - सा है?
उत्तर:
कानपुर।
प्रश्न 32.
भारत के सूती कपड़ा उद्योग की प्रमुख समस्याएँ कौन-सी हैं?
उत्तर:
सिंथेटिक कपड़ों से प्रतिस्पर्धा, उत्तम कपास की सीमित उपलब्धता, आधुनिक मशीनों का अभाव तथा संगठित सेक्टर का ह्रास भारत के सूती कपड़ा उद्योग की प्रमुख समस्याएँ हैं।
प्रश्न 33.
भारत का सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण कृषि आधारित उद्योग कौन-सा है?
उत्तर:
चीनी उद्योग।
प्रश्न 34.
उत्तर प्रदेश का चीनी उद्योग किन दो पेटियों में केन्द्रित है?
उत्तर:
प्रश्न 35.
गंगा - यमुना दोआब में स्थित उत्तर प्रदेश के प्रमुख चीनी उत्पादक जिले कौन - कौन से हैं?
उत्तर:
प्रश्न 36.
भारत के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य कौन - कौन से हैं?
उत्तर:
प्रश्न 37.
पेट्रो रसायन उद्योग से क्या आशय है?
उत्तर:
पेट्रोलियम से प्राप्त किये गये रसायनों पर आधारित उद्योगों को पेट्रो - रसायन उद्योग कहते हैं।
प्रश्न 38.
पेट्रो - रसायन उद्योग के प्रमुख उपवर्गों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 39.
पटाखा उद्योग के किन्हीं चार प्रमुख केन्द्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 40.
नेफ्था पर आधारित मुम्बई का प्रथम रासायनिक उद्योग कौन-सा था?
उत्तर:
दी नेशनल आर्गेनिक केमिकल्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड (NOCIL)
प्रश्न 41.
नॉयलान तथा पॉलिस्टर धागा निर्माण के संयन्त्र किन स्थानों पर कार्यरत हैं?
उत्तर:
कोटा, पिंपरी, मुम्बई, पुणे, मोदीनगर, उज्जैन, नागपुर एवं उधना में नायलान तथा पालिस्टर निर्माण के संयन्त्र कार्यरत हैं।
प्रश्न 42.
ऐक्रिलिक कपड़े कहाँ बनाये जाते हैं?
उत्तर:
कोटा और बड़ोदरा में ऐक्रिलिक कपड़े बनाये जाते हैं।
प्रश्न 43.
प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा क्यों बन गया है?
उत्तर:
जैव निम्नीकरण का गुण न होने के कारण प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है।
प्रश्न 44.
ज्ञान आधारित उद्योग मुख्यतः किससे सम्बन्धित है?
उत्तर:
ज्ञान आधारित उद्योग मुख्यतः सूचना प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित है।
प्रश्न 45.
भारत की नई औद्योगिक नीति की कोई तीन विशेषताओं को लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 46.
नई औद्योगिक नीति के अन्तर्गत किए गए किन्हीं दो उपायों को लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 47.
उदारीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
उदारीकरण से आशय है अर्थव्यवस्था में विभिन्न स्तरों पर नियंत्रण समाप्त करना, आर्थिक गतिविधियों में राज्य के हस्तक्षेप को कम करना तथा राजकीय सहायता को क्रमशः कम करके अन्ततः समाप्त करना।
प्रश्न 48.
निजीकरण से क्या आशय है?
उत्तर:
किसी औद्योगिक इकाई के स्वामित्व एवं प्रबन्ध का सार्वजनिक क्षेत्र से निजी क्षेत्र में स्थानान्तरण निजीकरण कहलाता है।
प्रश्न 49.
वैश्वीकरण किसे कहते हैं?
उत्तर:
एक राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ समन्वय करना वैश्वीकरण कहलाता है।
प्रश्न 50.
सीधा विदेशी निवेश उपभोक्ताओं को किस प्रकार से लाभ पहुँचाता है?
अथवा
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश उपभोक्ताओं के लिए किस प्रकार लाभप्रद है?
उत्तर:
सीधा विदेशी निवेश घरेलू निवेश के साथ-साथ उपभोक्ताओं को तकनीकी उन्नयन, वैश्विक प्रबन्धन, कुशलता, व्यावहारिकता का अभिगमन, प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधनों के सर्वोत्तम उपयोग के माध्यम से लाभ प्रदान करता है।
प्रश्न 51.
भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का उपयोग किन - किन क्षेत्रों में अधिक हुआ है?
उत्तर:
भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का उपयोग घरेलू उपकरणों, वित्त, सेवा, इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ-साथ खाद्य व दुग्ध उत्पादन में भी किया गया है।
प्रश्न 52.
भारत के किन्हीं दो सॉफ्टवेयर व टेक्नोलॉजी पार्कों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 53.
उद्योगों के समूह को पहचानने में प्रयुक्त किन्हीं दो सूचकांकों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 54.
किन्हीं दो मुख्य औद्योगिक प्रदेशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 55.
मुम्बई में सूती वस्त्र उद्योग के विकास का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
मुम्बई में सूती वस्त्र उद्योग के विकास का मुख्य कारण यहाँ के पृष्ठ प्रदेश में कपास उत्पादक क्षेत्र का होना एवं नम जलवायु का होना है।
प्रश्न 56.
हुगली औद्योगिक प्रदेश में प्रथम जूट मिल की स्थापना कब व कहाँ हुई?
उत्तर:
सन् 1855 में रिशरा में।
प्रश्न 57.
बंगलौर - तमिलनाडु औद्योगिक प्रदेश के कौन - कौन से औद्योगिक स्तंभ हैं?
उत्तर:
वायुयान निर्माण, मशीन उपकरण, टेलीफोन एवं भारत इलेक्ट्रॉनिक्स बंगलौर-तमिलनाडु औद्योगिक प्रदेश के औद्योगिक स्तंभ हैं।
प्रश्न 58.
कांडला पत्तन ने किस औद्योगिक प्रदेश के तीव्र विकास में सहयोग प्रदान किया है?
उत्तर:
गुजरात औद्योगिक प्रदेश।
प्रश्न 59.
कौन-सा औद्योगिक प्रदेश भारी धातुओं के लिए जाना जाता है?
उत्तर:
छोटा नागपुर औद्योगिक प्रदेश।
प्रश्न 60.
छोटा नागपुर औद्योगिक प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक केन्द्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
राँची, धनबाद, चाइबासा, हजारीबाग, सिंदरी, जमशेदपुर, बोकारो, राउरकेला, दुर्गापुर, आसनसोल व डालमिया नगर आदि।
प्रश्न 61.
जलयान निर्माण उद्योग का प्रारम्भ कब व कहाँ हुआ?
उत्तर:
जलयान निर्माण उद्योग का प्रारम्भ सन् 1941 में विशाखापट्टनम में हुआ।
प्रश्न 62.
गुड़गाँव - दिल्ली - मेरठ औद्योगिक प्रदेश के प्रमुख उद्योग कौन से हैं?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉनिक, हल्के इंजीनियरिंग एवं विद्युत उपकरण उद्योग गुड़गाँव - दिल्ली - मेरठ औद्योगिक प्रदेश के प्रमुख उद्योग हैं।
प्रश्न 63.
गुड़गाँव - दिल्ली - मेरठ औद्योगिक प्रदेश में छोटे एवं बाजार अभिमुखी उद्योगों की स्थापना का मुख्य कारण क्या है?\
उत्तर:
खनिज एवं विद्युत शक्ति संसाधनों से बहुत अधिक दूर स्थित होने के कारण इस औद्योगिक प्रदेश में मुख्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक, हल्के इंजीनियरिंग एवं विद्युत उपकरण के छोटे एवं बाजार अभिमुखी उद्योग पाये जाते हैं।
प्रश्न 64.
बागान कृषि एवं जल विद्युत किस औद्योगिक प्रदेश को आधार प्रदान करते हैं?
उत्तर:
कोलम - तिरुवनंतपुरम औद्योगिक प्रदेश।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1):
प्रश्न 1.
स्वतन्त्र या स्वच्छन्द उद्योग क्या होते हैं?
उत्तर:
जब किसी उद्योग में अनेक प्रकार के कच्चे माल की आवश्यकता होती है तो ऐसे उद्योगों के स्थानीयकरण में । कच्चे माल का कोई प्रभाव नहीं रह जाता तथा इस प्रकार के उद्योग कच्चे मालों के उपलब्ध स्थलों की अवहेलना करते हुए किसी भी उपयुक्त स्थल पर स्थापित होने के लिए स्वतन्त्र होते हैं। ऐसे उद्योगों को स्वतन्त्र या स्वच्छन्द उद्योग कहा जाता है। जैसे-इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग।
प्रश्न 2.
कच्चा माल किस प्रकार उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करता है?
अथवा
स्पष्ट कीजिए कि किस प्रकार कच्चा माल उद्योगों के स्थानीयकरण को प्रभावित करता है?
उत्तर:
कच्चा माल एवं उद्योगों की स्थापना में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। सामान्यतः उद्योग उन्हीं स्थानों पर स्थापित किये जाते हैं, जहाँ कच्चा माल उपलब्ध होता है। जिन उद्योगों में निर्मित वस्तुओं का भार कच्चे माल की तुलना में कम होता है उन उद्योगों को तो कच्चे माल के स्रोत के समीप ही स्थापित करना होता है। इस कारण भार ह्रास वाले कच्चे माल का प्रयोग करने वाले चीनी उद्योग एवं लौह-इस्पात उद्योग कच्चे माल के स्रोत के समीप ही स्थापित होते हैं।
प्रश्न 3.
भारत में भारी उद्योगों की स्थिति को शक्ति संसाधन किस प्रकार प्रभावित करते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उद्योगों में तीव्र गति से कार्य सम्पन्न करने के लिए विविध प्रकार की मशीनों का प्रयोग किया जाता है। ये मशीनें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से शक्ति के संसाधनों से ही संचालित होती हैं। अतः शक्ति के स्रोतों की उपलब्धता एवं निकटता उद्योगों को नियंत्रित करने वाला मुख्य कारक है यथा एल्युमीनियम उद्योग को शक्ति के स्रोत के निकट स्थापित किया जाता है क्योंकि इसमें अधिक शक्ति का प्रयोग होता है।
प्रश्न 4.
बाजार से किस प्रकार उद्योगों की स्थिति प्रभावित होती है?
उत्तर:
उद्योगों से उत्पादित माल की खपत के लिए बाजार होना अति आवश्यक है। बाजार की निकटता से यातायात का खर्च कम हो जाता है और उपभोक्ता को औद्योगिक उत्पाद सस्ती कीमत पर मिल जाते हैं। शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं को तो अधिक दूर तक ले जाना सम्भव नहीं होता है। फलस्वरूप उनके लिए बाजार की समीपता अति आवश्यक होती है। सूती वस्त्र उद्योग एवं खनिज तेल शोधनशालाओं की स्थापना में भी बाजार की समीपता महत्त्वपूर्ण मानी जाती है।
प्रश्न 5.
लौह - इस्पात उद्योगों की सबसे अच्छी स्थिति कच्चे माल के स्रोतों के निकट होती है। क्यों ?
अथवा
भारत में लोहा और इस्पात संयन्त्र कच्चे माल के स्रोत के निकट क्यों स्थित है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लौह - इस्पात उद्योगों के लिए कई प्रकार के कच्चे मालों की आवश्यकता होती है जिनमें लौह अयस्क, कोककारी कोयला, चूना पत्थर, डोलोमाइट, मैंगनीज एवं अग्निसहमृत्तिका आदि प्रमुख हैं। ये समस्त कच्चे माल स्थूल अर्थात् भार वाले होते हैं। इसलिए लौह-इस्पात उद्योगों की सबसे अच्छी स्थिति कच्चे माल स्रोतों के निकट होती है। इसी कारण भारत के लोहा और इस्पात संयंत्र कच्चे माल की उपलब्धता के समीपवर्ती भागों में स्थित है।
प्रश्न 6.
लौह - इस्पात उद्योग की स्थापना के लिए देश का कौन-सा क्षेत्र सर्वाधिक अनुकूल है तथा क्यों?
उत्तर:
भारत में छत्तीसगढ़, उत्तरी उड़ीसा, झारखण्ड तथा पश्चिमी बंगाल के पश्चिमी भागों को सम्मिलित करते हुए एक अर्धचन्द्राकार प्रदेश ऐसा है जो देश में लौह-इस्पात उद्योग की स्थापना के लिए सर्वाधिक अनुकूल दशाएँ रखता है। इस प्रदेश में उच्च कोटि का लौह अयस्क, उत्तम गुणवत्ता का कोककारी कोयला तथा अन्य संपूरक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध उपलब्ध हैं। यही कारण है कि देश के पूर्वी भाग पर विस्तृत इस अर्द्ध-चन्द्राकार क्षेत्र में लौह-इस्पात उद्योग का सर्वाधिक विकास देखने को मिलता है।
प्रश्न 7.
भारत के प्रमुख लौह-इस्पात संयंत्रों के नाम लिखिए।
अथवा
भारत के एकीकृत इस्पात कारखाने कौन - कौन से हैं?
उत्तर:
भारत के प्रमुख लौह इस्पात संयंत्र (एकीकृत इस्पात कारखाने) निम्नलिखित हैं:
प्रश्न 8.
टाटा लौह - इस्पात कम्पनी की अवस्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
टाटा लौह - इस्पात कम्पनी (TISCO): झारखण्ड राज्य के जमशेदपुर नामक स्थान पर कार्यरत यह इस्पात संयन्त्र मुम्बई-कोलकाता रेलमार्ग के समीप अवस्थित है। इस संयन्त्र को लौह अयस्क नोआमण्डी और बादामपहाड़ से, कोयला उड़ीसा राज्य की जोड़ा खानों से, कोककारी कोयला झरिया व पश्चिमी बोकारो से तथा जल सुवर्णरेखा एवं खारकोई नदियों से प्राप्त किया जाता है। इस संयन्त्र में उत्पादित इस्पात का निर्यात लगभग 250 किमी. दूर कोलकाता पत्तन से किया जाता है।
प्रश्न 9.
भारतीय लोहा और इस्पात कम्पनी के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
भारतीय लोहा और इस्पात कम्पनी (IISCO) भारतीय लोहा और इस्पात कम्पनी (इण्डियन आयरन एण्ड स्टील कम्पनी) द्वारा लौह-इस्पात के संयन्त्र, आसनसोल (पश्चिम बंगाल राज्य) के समीप हीरापुर, कुल्टी तथा बर्नपुर नामक स्थानों पर स्थापित किए गये। उक्त तीनों इस्पात संयन्त्र कोलकाता-आसनसोल रेल-मार्ग पर दामोदर घाटी के कोयला क्षेत्रों (रानीगंज, झरिया तथा रामगढ़) के समीप अवस्थित हैं। इन संयन्त्रों को लौह अयस्क सिंहभूम (झारखण्ड) से आता है, जबकि जल की आपूर्ति दामोदर नदी की सहायक नदी बराक से की जाती है।
प्रश्न 10.
भिलाई इस्पात संयंत्र की अवस्थिति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भिलाई इस्पात संयन्त्र: इस इस्पात संयन्त्र की स्थापना छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग जिले में रूस के सहयोग से की गई। इस संयन्त्र को लौह-अयस्क समीपवर्ती क्षेत्र में स्थित डल्ली राजहरा खानों से तथा कोयला कोरबा व करगाली खदानों से प्राप्त हो जाता है। इस संयन्त्र को विद्युत की आपूर्ति कोरबा तापीय शक्तिगृह से तथा जल की आपूर्ति तंदुला बाँध से की जाती है। यह संयन्त्र कोलकाता-मुम्बई रेलमार्ग पर स्थित है। इस संयन्त्र में उत्पादित इस्पात का अधिकांश भाग विशाखापट्टनम बन्दरगाह से निर्यात कर दिया जाता है।
प्रश्न 11.
क्या आप पूर्वी और दक्षिणी भारत में लौह-इस्पात उद्योगों की स्थिति के कारणों का अनुमान लगा सकते हैं?
उत्तर:
पूर्वी भारत में लौह इस्पात उद्योग के स्थानीयकरण के प्रमुख कारणों में लौह अयस्क तथा कोयला खनन स्रोतों की निकटता, सस्ती जल तथा तापीय विद्युत की उपलब्धता तथा परिवहन सुविधाएँ सर्वप्रमुख हैं, जबकि दक्षिणी भारत में लौह इस्पात उद्योग की अवस्थिति में पत्तन सुविधा तथा समीपवर्ती क्षेत्रों से कच्चे माल की आपूर्ति महत्त्वपूर्ण है।
प्रश्न 12.
न्यूनतम परिवहन लागत सिद्धान्त के आधार पर स्थापित बोकारो इस्पात संयंत्र के बारे में बताइये।
उत्तर:
बोकारो इस्पात संयन्त्र: रूस के सहयोग से झारखण्ड के बोकारो नामक स्थान पर इस इस्पात संयन्त्र की स्थापना न्यूनतम परिवहन लागत सिद्धान्त के आधार की गई है। जिसके अनुसार बोकारो तथा राउरकेला संयुक्त रूप से राउरकेला क्षेत्र से लौह अयस्क प्राप्त करते हैं तथा वापसी में मालगाड़ी के डिब्बे राउरकेला के लिए कोयला ले जाते हैं। इस संयन्त्र को जल तथा जल विद्युत की आपूर्ति दामोदर घाटी कारपोरेशन से की जाती है।
प्रश्न 13.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण को प्रभावित करने वाले कारक कौन - कौन से हैं?
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग भारत के परम्परागत उद्योगों में से एक है। भारत में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण को प्रभावित करने वाले कारकों में कच्चे माल की स्थानीय उपलब्धता, सस्ते कुशल श्रमिकों की स्थानीय उपलब्धता, बाजार की समीपता, सस्ती जल विद्युत की उपलब्धता, स्थानीय निवेश एवं पत्तन की सुविधा आदि प्रमुख हैं।
प्रश्न 14.
क्या कारण है कि भारत की अधिकांश चीनी मिलें गन्ना उत्पादक क्षेत्रों के समीप ही स्थापित मिलती हैं?
उत्तर:
चीनी उद्योग का सर्वप्रमुख व एकमात्र कच्चा माल गन्ना है। गन्ने के कुल भार में चीनी (सुक्रोज) का प्रतिशत 9 से 12 के मध्य मिलता है। गन्ना एक भार ह्रास वाली कृषि फसल है। खेत में गन्ने को काटने से लेकर ढुलाई की अवधि तक इसमें सुक्रोज की मात्रा कम होती जाती है। यदि गन्ने को काटने के 24 घण्टे के अन्दर गन्ना मिलों में इसका रस निकाल लिया जाता है तो इससे चीनी की मात्रा अधिक प्राप्त होती है। इसके बाद जैसे-जैसे समय बीतता चला जाता है वैसे - वैसे गन्ने में चीनी का प्रतिशत कम होता चला जाता है। यही कारण है कि भारत की अधिकांश चीनी मिलें गन्ना उत्पादक क्षेत्रों के समीप ही स्थापित मिलती हैं। अतः चीनी उद्योग को कच्चा माल उन्मुख उद्योग माना जाता है।
प्रश्न 15.
उत्तर प्रदेश के प्रमुख चीनी उत्पादक क्षेत्रों के बारे में बताइये।
उत्तर:
चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश का समस्त देश में द्वितीय स्थान है। इस राज्य में चीनी उद्योग दो पेटियों गंगा-यमुना दोआब तथा तराई प्रदेश में केन्द्रित है। गंगा-यमुना दोआब में सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, बागपत एवं बुलंदशहर प्रमुख चीनी उत्पादक जिले हैं। जबकि तराई प्रदेश के प्रमुख चीनी उत्पादक जिले लखीमपुर खीरी, बस्ती, गोंडा, गोरखपुर व बहराइच आदि हैं।
प्रश्न 16.
भारत के प्लास्टिक संयन्त्र की संक्षेप में विवेचना करते हुए प्लास्टिक उपयोग के पर्यावरणीय प्रभावों को बताइए।
उत्तर:
भारत में प्लास्टिक संयन्त्र मुम्बई, बरौनी, मेटूर, पिम्परी तथा रिशरा नामक स्थानों पर कार्यरत हैं। प्लास्टिक निर्माण की लगभग 75 प्रतिशत इकाइयाँ लघु स्तर पर उत्पादन करती हैं। यह उद्योग पुनः चक्रित प्लास्टिक का उपयोग भी करता है जो देश के कुल प्लास्टिक उत्पादन का लगभग 30 प्रतिशत है। प्लास्टिक हमारे पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है। प्लास्टिक में जैव निम्नीकरण का गुण न होने के कारण इसका विघटन नहीं होता जिससे लम्बी अवधि तक इसकी उपस्थिति पर्यावरण में बनी रहती है तथा उससे मृदा प्रदूषित हो जाती है।
प्रश्न 17.
भारत की नवीन औद्योगिक नीति 1991 में अपनाये गये प्रमुख उपायों को बताइये।
उत्तर:
भारत की नवीन औद्योगिक नीति 1991 में अपनाए गये प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं:
प्रश्न 18.
नई औद्योगिक नीति-1991 के प्रमुख उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
प्रश्न 19.
उद्योगों के समूह को पहचानने के लिए प्रयुक्त सूचकांकों को लिखिए।
उत्तर:
उद्योगों के समूह को पहचानने के लिए निम्नलिखित पाँच सूचकों का उपयोग प्रमुख रूप से किया जाता है।
प्रश्न 20.
भारत के प्रमुख औद्योगिक प्रदेशों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा
भारत के प्रमुख औद्योगिक प्रदेशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत के प्रमुख औद्योगिक प्रदेश निम्नलिखित हैं
प्रश्न 21.
मुम्बई-पुणे औद्योगिक प्रदेश के विकास के लिए कौन - कौन से कारक सहायक रहे हैं?
उत्तर:
मुम्बई - पुणे औद्योगिक प्रदेश के विकास के लिए निम्नलिखित कारक सहायक रहे हैं:
प्रश्न 22.
हुगली औद्योगिक प्रदेश के विकास में सहायक कारकों को बताइये।
उत्तर:
हुगली औद्योगिक प्रदेश के विकास में निम्नलिखित कारक सहायक रहे हैं:
प्रश्न 23.
'गुजरात औद्योगिक प्रदेश' के विकास में सहायक किन्हीं तीन अवस्थितिक कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
गुजरात औद्योगिक प्रदेश के विकास में सहायक कारक निम्नानुसार हैं:
प्रश्न 24.
गुजरात औद्योगिक प्रदेश की कोई चार विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
गुजरात औद्योगिक प्रदेश की प्रमुख चार विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2):
प्रश्न 1.
उद्योगों का वर्गीकरण कीजिए। अथवा उद्योगों के प्रकार बताइये।
उत्तर:
उद्योगों का वर्गीकरण कई प्रकार से किया जा सकता है, जो निम्नलिखित हैं:
(1) आकार, पूँजी निवेश एवं श्रम शक्ति के आधार पर इस आधार पर उद्योगों को चार भागों में बाँटा जा सकता है:
(2) स्वामित्व के आधार पर स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को तीन भागों में बाँटा गया है
(3) उद्योगों में प्रयुक्त कच्चे माल के आधार पर: उद्योगों में प्रयोग किये जाने वाले कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को चार वर्गों में बाँटा गया है:
(4) उत्पादों के उपयोग के आधार पर उत्पादों के उपयोग के आधार पर उद्योगों को चार वर्गों में बाँटा गया है।
प्रश्न 2.
उद्योग की अवस्थिति के कारक के रूप में कच्चे माल एवं शक्ति के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कच्चा माल कच्चे माल एवं उद्योग की स्थापना में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। सामान्यत: उद्योग उन्हीं स्थानों पर स्थापित किये जाते हैं, जहाँ कच्चा माल उपलब्ध होता है। मुख्य रूप से जिन उद्योगों में भार ह्रास वाले कच्चे माल प्रयुक्त किये जाते हैं वे उद्योग कच्चे माल के स्रोतों के समीप स्थापित होते हैं। ऐसे उद्योगों में चीनी मिलें, लौह इस्पात उद्योग, लुग्दी उद्योग, ताँबा प्रगलन एवं पिग आयरन उद्योग आदि प्रमुख हैं।
शक्ति: किसी भी उद्योग की स्थापना से पूर्व उद्योग की मशीनों के संचालन हेतु शक्ति की आवश्यकता होती है। शक्ति के प्रमुख साधन - कोयला, खनिज तेल, जल विद्युत, प्राकृतिक गैस एवं परमाणु ऊर्जा आदि हैं। जिन उद्योगों में शक्ति के साधनों का अधिक मात्रा में उपयोग होता है उन उद्योगों की स्थापना शक्ति के स्रोतों के समीप ही होती है। यही कारण है कि एल्युमिनियम उद्योग एवं कृत्रिम नाइट्रोजन उद्योग जैसे अधिक शक्ति उपयोग करने वाले उद्योगों की स्थापना शक्ति के स्रोतों के समीप की जाती है।
प्रश्न 3.
भारत में उद्योगों की स्थिति को निर्धारित करने में परिवहन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में परिवहन की उद्योगों के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका है जिसे निम्न बिन्दुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
प्रश्न 4.
नीचे दिये गये रेखाचित्र में एक लौह इस्पात संयंत्र की स्थिति दर्शाई गयी है। इसके आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
1. उस राज्य का नाम बताइये जिसमें यह इस्पात संयंत्र स्थापित है।
2. उस संयंत्र के लिए लौह अयस्क का क्या स्रोत है?
3. उन दो स्रोतों के नाम बताइये जो इस इस्पात संयंत्र को जल एवं ऊर्जा प्रदान करते हैं।
उत्तर:
प्रश्न 5.
राउरकेला इस्पात संयंत्र और भिलाई इस्पात संयंत्र की तुलना निम्नांकित आधारों पर कीजिए
(i) स्थिति
(ii) कच्चा माल प्राप्ति के स्रोत
(iii) जल और ऊर्जा आपूर्ति।
उत्तर:
अन्तर का आधार |
राउरकेला इस्पात संयंत्र |
भिलाई इस्पात संयंत्र |
(i) स्थिति |
इस इस्पात संयंत्र की स्थापना उड़ीसा राज्य के सुन्दरगढ़ जिले में जर्मनी के सहयोग से की गई। |
इस इस्पात संयंत्र की स्थापना छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग जिले में तत्कालीन सोवियत संघ के सहयोग से की गयी। |
(ii) कच्वा माल प्राप्ति के स्रोत |
इस इस्पात संयंत्र को आवश्यक कच्वा माल निकटवर्ती क्षेत्रों से प्राप्त हो जाता है। कोयला झरिया, रानीगंज व तलचर से, लौह अयस्क, किरीबरू, सुन्दरगढ़ व केदुंझर से, मैंगनीज बड़ा जामदा से, डोलोमाइट बडाद्वार से तथा चूना-पत्थर वीरमित्रपुर से प्राप्त होता है। |
इस इस्पात संयंत्र को आवश्यक कच्चा माल जैसे लौह अयस्क समीपवर्ती डल्ली राजहरा खानों से, मैंगनीज भंडारा व बालाघाट से, डोलोमाइट बिलासपुर की हिर्री खदान से, चूना-पत्थर नंदिनी की खानों से, कोयला झारखण्ड की बोकारो, करगली, झरिया व छत्तीसगढ़ की कोरबा खदानों से प्राप्त होता है। |
(iii) जल और ऊर्जा आपूर्ति |
इस इस्पात संयंत्र को जल की आपूर्ति कोइल व शंख नदियों से होती है। ऊर्जा की आपूर्ति हीराकुड जल विद्युत गृह से होती है। |
इस इस्पात संयंत्र को जल की आपूर्ति तंदुला बाँध से होती है। ऊकी आपूर्ति कोरबा तापीय विद्युत गृह से होती है। |
प्रश्न 6.
दक्षिणी भारत में स्थापित देश के नवीनतम इस्पात संयन्त्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना अवधि में दक्षिणी भारत में तीन नये इस्पात संयन्त्र स्थापित किए गए जो कच्चे माल के स्रोतों से दूर हैं।
प्रश्न 7.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के विकास के कारकों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के विकास के लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी रहे हैं।
प्रश्न 8.
सन् 1854 में भारत की प्रथम सूती मिल की स्थापना मुम्बई नगर में क्यों की गई?
अथवा
मुम्बई में सूती वस्त्र मिलों की स्थापना के लिए उत्तरदायी कारकों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सन् 1854 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत की प्रथम सूती मिल की स्थापना मुम्बई नगर में निम्नलिखित कारणों से की गई
प्रश्न 9.
भारत में सूती वस्त्र के उत्पादन में मिल क्षेत्र तथा विकेन्द्रीकृत क्षेत्र के योगदान की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग को निम्नलिखित दो सेक्टरों (क्षेत्रों) में विभक्त किया जा सकता है
सन् 1950 में देश के कुल सूत्री वस्त्र उत्पादन में मिल क्षेत्र का योगदान लगभग 81 प्रतिशत था जो सन् 1980 - 81 में घटकर लगभग 40 प्रतिशत तथा सन् 2000 - 01 में घटकर केवल लगभग 6 प्रतिशत रह गया। विकेन्द्रित सेक्टर के अन्तर्गत हथकरघों (खादी सहित) तथा विद्युत करघों से उत्पादित सूती वस्त्र आते हैं। वर्तमान में देश में उत्पादित सूती वस्त्र हथकरघा सेक्टर की तुलना में विकेन्द्रित सेक्टर में विद्युत करघों द्वारा अधिक उत्पादित किया जाता है।
प्रश्न 10.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के प्रमुख केन्द्र कौन - कौन से हैं? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारत में सूती वस्त्र उद्योग का सर्वाधिक विकास गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल तथा तमिलनाडु राज्यों में हुआ है जबकि मुम्बई तथा अहमदाबाद भारत में सूती वस्त्र उद्योग के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण केन्द्र हैं।
वर्तमान में भारत के प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादक राज्यों के निम्नलिखित केन्द्रों पर सूती वस्त्र उद्योग कार्यरत हैं:
प्रश्न 11.
भारत में चीनी के प्रमुख उत्पादक राज्य कौन-कौन से हैं ? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
अथवा
भारत में चीनी उद्योग के प्रमुख केन्द्रों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारत के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु तथा कर्नाटक भारत के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य हैं, जबकि बिहार, पंजाब, हरियाणा तथा गुजरात देश के अन्य प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य हैं।
1. महाराष्ट्र भारत के चीनी उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र का प्रथम स्थान है। यह राज्य देश के कुल चीनी उत्पादन का एक-तिहाई से अधिक भाग उत्पादित करता है। इस राज्य में 119 चीनी मिलें संचालित हैं जो एक सँकरी पट्टी के रूप में उत्तर में मनमाड से लेकर दक्षिण में कोल्हापुर तक विस्तृत मिलती हैं।
2. उत्तर प्रदेश भारत के चीनी उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश का महाराष्ट्र के बाद दूसरा स्थान है। इस राज्य में चीनी उद्योग अग्रलिखित दो पेटियों में केन्द्रित मिलता है।
3. तमिलनाडु इस राज्य की चीनी मिलें कोयंबटूर, वेलौर, तिरुवनमलाई, विल्लुपुरम् तथा तिरुचिरापल्ली जिलों में संचालित हैं।
4. कर्नाटक बेलगाम, बेल्लारी, माण्डया, शिमोगा, बीजापुर तथा चित्रदुर्ग इस राज्य के प्रमुख चीनी उत्पादक जिले हैं। इस राज्य में चीनी उद्योग तटीय प्रदेशों में पूर्वी गोदावरी, पश्चिमी गोदावरी क्षेत्र में विस्तृत मिलता है। बिहार पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश व गुजरात अन्य चीनी उत्पादक राज्य हैं
5. बिहार: यहाँ सारन, चम्पारन, मुजफ्फरपुर, सीवान, दरभंगा व गया प्रमुख हैं।
6. पंजाब: यहाँ गुरदासपुर, जालंधर, संगरूर, फरीदाबाद प्रमुख हैं।
7. हरियाणा: यहाँ यमुनानगर, रोहतक, हिसार, फरीदाबाद प्रमुख हैं।
8. गुजरात: यहाँ सूरत, जूनागढ़, राजकोट, अमरेली, वलसाड़, भावनगर प्रमुख हैं।
प्रश्न 12.
पेट्रो रसायन उद्योग पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। अथवा पेट्रो रसायन उद्योग के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
पेट्रो रसायन उद्योग-पेट्रोलियम से प्राप्त किये गये रसायन पर आधारित उद्योगों को पेट्रो रसायन उद्योग कहते हैं। इस उद्योग में खनिज तेल (पेट्रोलियम) एवं प्राकृतिक गैस को कच्चे माल के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इससे विभिन्न प्रकार के चिकने पदार्थ प्राप्त होते हैं। इन पदार्थों का विभिन्न उद्योगों में प्रयोग किया जाता है। पेट्रो रसायन उद्योग का भारत में बड़ी तीव्र गति से विकास हुआ है।
पेट्रो रसायन उद्योग को चार उपवर्गों में विभाजित किया जाता है:
मुम्बई पेट्रो रसायन उद्योगों का प्रमुख केन्द्र है। पेट्रो रसायन से सम्बन्धित विभिन्न उद्योग औरेया (उत्तर प्रदेश), जामनगर, गांधीनगर व हजीरा (गुजरात), नागीथाने, रत्नागिरि (महाराष्ट्र), हल्दिया (पश्चिम बंगाल) तथा विशाखापट्टनम (आन्ध्र प्रदेश) आदि में स्थित हैं।
रासायनिक एवं पेट्रो रसायन विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में तीन संस्थाएँ कार्य कर रही हैं:
प्रश्न 13.
पेट्रो रसायन सेक्टर के अन्तर्गत कार्यरत संस्थाओं का विवरण दीजिए।
उत्तर:
रासायनिक एवं पेट्रो रासायनिक विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में पेट्रो रसायन सेक्टर के अन्तर्गत तीन संस्थाएँ कार्य कर रही हैं, जो निम्नलिखित हैं
प्रश्न 14.
भारत में सॉफ्टवेयर उद्योग के विकास तथा उसके प्रमुख केन्द्रों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत में सॉफ्टवेयर उद्योग का विकास: भारत का सॉफ्टवेयर उद्योग देश की अर्थव्यवस्था में सबसे तेजी से विकसित हुए उद्योगों में से एक है। भारत के सॉफ्टवेयर व सेवा उद्योग का भारत के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान लगभग 2 प्रतिशत का रहता है। वर्तमान में बहुराष्ट्रीय सॉफ्टवेयर कम्पनियों के विकास केन्द्र अथवा अनुसन्धान विकास केन्द्र भारत के विभिन्न भागों में स्थित हैं। भारत में तेजी से विकसित हो रहे सॉफ्टवेयर उद्योग का मुख्य प्रभाव येह पड़ा है कि इस उद्योग में रोजगार के अवसर प्रतिवर्ष लगभग दो गुने बढ़ जाते हैं।
प्रमुख केन्द्र: भारत सरकार ने सॉफ्टवेयर उद्योग के विकास के लिए अनेक सॉफ्टवेयर पार्क बनाए हैं जिनमें श्रीनगर, शिमला, मोहाली, देहरादून, दिल्ली, नोएडा, जयपुर, लखनऊ, कानपुर, गुवाहाटी, इन्दौर, गांधीनगर, नवी मुम्बई, पुणे, भुवनेश्वर, हैदराबाद, बंगलौर, चेन्नई, मनिपाल, मैसूर एवं तिरुवनंथपुरम प्रमुख हैं।
प्रश्न 15.
भारत में औद्योगिक विकास पर उदारीकरण के प्रभावों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक विकास को गति प्रदान करने के लिए भारत सरकार द्वारा पूर्व आर्थिक नियमों व कानूनों में लचीलापन, लाइसेंस प्रणाली को समाप्त करना, विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना, उद्योग स्थापना, वाणिज्य एवं व्यापार क्षेत्रों में छूट सम्बन्धी किए गए समस्त प्रयासों को उदारीकरण के नाम से जाना जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो उदारीकरण से अभिप्राय उद्योगों पर लगे प्रतिबन्धों को हटाए जाने या कम किये जाने से है।
नई नीति में वस्तुतः सुरक्षा, सामरिक अथवा पर्यावरणीय सरोकार से सम्बन्धित छ: उद्योग एवं परमाणु ऊर्जा से सम्बन्धित उद्योग, परमाणु ऊर्जा विभाग की सूची में विनिर्दिष्ट पदार्थ एवं रेलवे को छोड़कर शेष समस्त उद्योगों के लिए लाइसेंस व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। इस व्यवस्था के कारण कोई भी उद्यमी अपनी इच्छा से देश में कहीं भी उद्योग स्थापित कर सकता है तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी अन्य देशों के उद्योगों से भी प्रतिस्पर्धा कर सकता है।
प्रश्न 16.
भारत के मुख्य औद्योगिक प्रदेशों तथा लघु औद्योगिक प्रदेशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
भारत के प्रमुख औद्योगिक प्रदेश तथा लघु औद्योगिक प्रदेश निम्नवत् हैं:
मुख्य औद्योगिक प्रदेश भारत के मुख्य औद्योगिक प्रदेश 8 हैं जो निम्नलिखित हैं
लघु औद्योगिक प्रदेश: भारत के मुख्य लघु औद्योगिक प्रदेश 13 हैं जो निम्नलिखित हैं
प्रश्न 17.
मुम्बई - पुणे औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख लक्षणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
मुम्बई - पुणे औद्योगिक प्रदेश की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
उत्तर:
मुम्बई - पुणे औद्योगिक प्रदेश के प्रमुख लक्षण (विशेषताएँ) निम्नलिखित हैं:
प्रश्न 18.
हुगली औद्योगिक प्रदेश का विवरण दीजिए।
उत्तर:
हुगली औद्योगिक प्रदेश: पश्चिम बंगाल राज्य में हुगली नदी के सहारे-सहारे उत्तर में बाँसबेरिया से दक्षिण में बिड़लानगर तक लगभग 100 किमी. की लम्बाई में यह औद्योगिक प्रदेश विस्तृत है। स्थानीय रूप से उपलब्ध जूट संसाधनों ने छोटा नागपुर पठार के लौह अयस्क निक्षेपों तथा दामोदर घाटी के कोयला क्षेत्रों के साथ मिलकर इस औद्योगिक प्रदेश के विकास में सहयोग प्रदान किया। इसके अलावा बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा उड़ीसा से उपलब्ध सस्ते श्रमिकों ने भी इस प्रदेश के औद्योगिक विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
इस औद्योगिक प्रदेश में औद्योगिक विकास का प्रारम्भ सन् 1855 में रिशरा में जूट मिल की स्थापना के बाद हुआ। जूट उद्योग इस प्रदेश का सर्वप्रमुख उद्योग है। हावड़ा तथा भटपारा जूट उद्योग के महत्त्वपूर्ण केन्द्र हैं। जूट उद्योग के अलावा सूती वस्त्र, कागज, इंजीनियरिंग, हौजरी, मशीनें, विद्युत, रासायनिक, औषधि, उर्वरक तथा पेट्रो-रासायनिक उद्योग इस प्रदेश के अन्य महत्त्वपूर्ण उद्योग हैं। प्रमुख औद्योगिक केन्द्र-कोलकाता, हावड़ा, हल्दिया, श्रीरामपुर, रिशरा, शिवपुर, नेहाटी, गुरियह, काकीनारा, श्यामनगर, टीटागढ़, सौदेपुर, बजबज, बिड़लानगर, बाँसबेरिया, बेलगुरियह, त्रिवेणी, हुगली तथा बेलूर।
प्रश्न 19.
छोटा नागपुर औद्योगिक प्रदेश के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
झारखण्ड, उत्तरी उड़ीसा तथा पश्चिमी बंगाल में विस्तृत इस औद्योगिक प्रदेश में भारी धातु उद्योग का संकेन्द्रण प्रमुख रूप से मिलता है। इस प्रदेश में औद्योगिक विकास के लिए दामोदर घाटी से कोयला तथा झारखण्ड व उत्तरी उड़ीसा में मिलने वाले धात्विक और अधात्विक खनिजों के भारी जमाव प्रमुख रूप से उत्तरदायी हैं। इस प्रदेश में छह वृहद् स्तरीय एकीकृत लौह-इस्पात संयन्त्र जमशेदपुर, बर्नपुर, कुल्टी, दुर्गापुर, बोकारो तथा राउरकेला नगरों में संचालित हैं। भारी इन्जीनियरिंग, मशीन-औजार, उर्वरक, सीमेन्ट, कागज, रेल इंजन तथा भारी विद्युत उद्योग इस औद्योगिक प्रदेश के प्रमुख उद्योग हैं।
औद्योगिक केन्द्र: राँची, धनबाद, चाईबासा, सिंदरी, हजारीबाग, जमशेदपुर, बोकारो, राउरकेला, दुर्गापुर, आसनसोल तथा डालमियानगर।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
उद्योगों की अवस्थिति को प्रभावित करने वाले कारकों की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
अथवा
बड़े पैमाने के उद्योग विभिन्न स्थितियों का चुनाव करके स्थापित किए जाते है क्यों?
उत्तर:
उद्योगों की अवस्थिति (स्थानीयकरण) को प्रभावित करने वाले कारकों में निम्नलिखित कारक उल्लेखनीय हैं
1. कच्चा माल सामान्यतः उद्योग उन्हीं स्थानों पर स्थापित किए जाते हैं, जहाँ कच्चा माल उपलब्ध होता है। मुख्य रूप से जिन उद्योगों में भार ह्रास वाले कच्चे माल प्रयुक्त किए जाते हैं वे उद्योग कच्चे माल के स्रोतों के समीप स्थापित होते हैं। ऐसे उद्योगों में चीनी मिलें, लुग्दी उद्योग, ताँबा प्रगलन तथा पिग आयरन उद्योग सर्वप्रमुख हैं।
2. शक्ति किसी भी उद्योग की स्थापना से पूर्व उद्योग की मशीनों के संचालन हेतु शक्ति की आपूर्ति सुनिश्चित कर ली जाती है। शक्ति के प्रमुख साधन-कोयला, पेट्रोलियम, जलविद्युत, प्राकृतिक गैस एवं परमाणु ऊर्जा आदि हैं। लौह इस्पात उद्योग कोयले पर निर्भर करता है। इसलिए यह उद्योग कोयले की खानों के निकट ही स्थापित किया जाता है। एल्यूमिनियम उद्योग तथा कृत्रिम नाइट्रोजन उद्योग जैसे अधिक शक्ति उपयोग करने वाले उद्योगों की स्थापना भी शक्ति स्रोतों के समीप की जाती है।
3. बाजार: बाजार औद्योगिक उत्पादों के लिए निर्गम उपलब्ध कराते हैं। भारी उत्पाद वाले उद्योगों (जैसे भारी मशीन, मशीन के औजार तथा भारी रसायन) की स्थापना उच्च माँग क्षेत्रों के समीप की जाती है इसलिए इन उद्योगों को बाजार - अभिमुख (Market oriented) उद्योग कहा जाता है। सूती वस्त्र उद्योग में कपास जैसे शुद्ध (जिसमें भार ह्रास नहीं होता) कच्चे माल का उपयोग किया जाता है, इसी कारण यह उद्योग भी बाजार अभिमुख होता है। खनिज तेल शोधनशालाओं की स्थापना में भी बाजार की समीपता महत्वपूर्ण मानी जाती है। बाजार की निकटता से यातायात खर्च कम हो जाता है तथा उपभोक्ताओं को औद्योगिक उत्पाद सस्ती कीमतों पर मिलते हैं। शीघ्र नष्ट होने वाली वस्तुओं को तो अधिक दूर तक ले जाना दुष्कर ही होता है।
4. परिवहन: सामान्यतया परिवहन मार्गों को जोड़ने वाले केन्द्र-बिन्दुओं पर उद्योगों की स्थापना को वरीयता प्रदान की जाती है क्योंकि यहाँ कच्चे माल की आपूर्ति तथा निर्मित उत्पाद के लिए बाजार की सुलभता हो जाती है। सस्ते परिवहन के कारण रेल परिवहन की सुविधा उद्योग की अवस्थिति को अधिक प्रभावित करती है। परिवहन मूल्य एक बड़ी सीमा तक कच्चे माल और निर्मित उत्पादों की प्रकृति पर निर्भर करता है।
5. श्रम: उद्योगों में श्रम बल की आवश्यकता पड़ती है! सस्ते व तकनीकी रूप से कुशल श्रमिकों की पर्याप्त उपलब्धता उद्योगों की स्थापना के लिए एक महत्त्वपूर्ण आकर्षण होता है। यद्यपि वर्तमान आधुनिक युग में स्वचालित मशीनों एवं कम्प्यूटर जैसे यंत्रों का प्रचलन बढ़ा है फिर भी औद्योगिक विकास में श्रम का महत्व लगातार बना हुआ है।
6. ऐतिहासिक कारक उपनिवेशवाद के प्रारम्भिक व उत्तरकालीन औद्योगिक चरणों में ब्रिटिश सरकार द्वारा मुर्शिदाबाद, भदोही, सूरत, बड़ोदरा, कोझीकोड, कोयम्बटूर, मैसूर, मुम्बई, कोलकाता तथा चैन्नई नामक स्थानों पर उद्योगों की स्थापना की गयी।
7. औद्योगिक नीति उद्योगों की अवस्थिति में औद्योगिक नीति का भी योगदान होता है। भारत जैसे प्रजातांत्रिक देश. में संतुलित प्रादेशिक विकास के लिए उद्योगों की अवस्थिति के चयन का निर्णय अंतिम रूप से सरकारी नीतियों व जनता की माँग पर निर्भर करता है। भिलाई और राउरकेला में लौह-इस्पात उद्योग की स्थापना देश के पिछड़े जनजातीय क्षेत्रों के विकास के निर्णय पर आधारित थी। वर्तमान समय में भारत सरकार पिछड़े क्षेत्रों में स्थापित उद्योग-धन्धों को विभिन्न प्रकार से प्रोत्साहन प्रदान कर रही है।
प्रश्न 2.
लौह-इस्पात उद्योग के एकीकृत इस्पात भारत लोहा एवं इस्पात संयंत्र कारखानों का सचित्र विवरण प्रस्तुत कीजिए।
अथवा
भारत में लौह इस्पात उद्योग का कच्चा माल, ऊर्जा, बाजार एवं परिवहन के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत के प्रमुख लौह-इस्पात उद्योग के एकीकृत
बंगाल की खाड़ी कारखाने जमशेदपुर, भद्रावती, राउरकेला, भिलाई, दुर्गापुर तथा बोकारो नामक स्थानों पर संचालित हैं। दिए गये मानचित्र के अवलोकन से स्पष्ट है कि भारत के अकांश लौह-इस्पात के एकीकृत कारखाने देश के उत्तरी-पूर्वी भाग में छोटा नागपुर पठार व इसके समीपवर्ती क्षेत्रों में अवस्थित हैं।
भारत लौह: इस्पात के प्रमुख संयन्त्रों की अवस्थिति भारत में लौह-इस्पात उद्योग एवं वृहत् स्तरीय एकीकृत कारखानों में निम्नलिखित उल्लेखनीय हैं:
1. टाटा लौह-इस्पात कम्पनी (TISCO): झारखण्ड राज्य के जमशेदपुर नामक स्थान पर संचालित यह इस्पात संयन्त्र मुम्बई-कोलकाता रेलमार्ग के समीप अवस्थित है। इस संयन्त्र के लिए लौह अयस्क नोआमण्डी और बादामपहाड़ से, कोयला उड़ीसा राज्य की जोड़ा खानों से, कोककारी कोयला झरिया व पश्चिमी बोकारो से तथा जल सुवर्णरेखा एवं खारकोई नदियों से प्राप्त किया जाता है। इस संयन्त्र में उत्पादित इस्पात का निर्यात लगभग 240 किमी. दूर कोलकाता पत्तन से किया जाता है।
2. भारतीय लौह और इस्पात कम्पनी (IISCO) भारतीय: भारतीय लोहा और इस्पात कंपनी लौह और इस्पात कम्पनी (इण्डियन आयरन एण्ड स्टील कम्पनी) द्वारा लौह-इस्पात के संयन्त्र, आसनसोल (पश्चिम बंगाल राज्य) के समीप हीरापुर, कुल्टी तथा बर्नपुर नामक स्थानों पर स्थापित किए गये हैं।
उक्त तीनों इस्पात संयन्त्र कोलकाता: आसनसोल रेलमार्ग पर इस्पात संयंत्र दामोदर घाटी के कोयला क्षेत्रों (रानीगंज, झरिया तथा रामगढ़) के चूना पत्थर समीप अवस्थित हैं। इन संयन्त्रों को लौह - अयस्क सिंहभूम गुआ (झारखण्ड) से आता है, जबकि जल की आपूर्ति दामोदर नदी की चित्र-भारतीय लोहा और इस्पात कम्पनी के कारखानों की अवस्थिति सहायक नदी बराक से की जाती है।
3. विश्वेश्वरैया आयरन एण्ड स्टील वर्क्स (VISW) लौह - इस्पात का यह संयन्त्र कर्नाटक राज्य के भद्रावती नामक स्थान पर बाबाबूदन पहाड़ियों के लौह-अयस्क क्षेत्रों के समीप संचालित है। इस संयन्त्र को लौह-अयस्क के साथ-साथ चूना पत्थर व मैंगनीज की उपलब्धता भी स्थानीय स्तर पर उपलब्ध है। जल की आपूर्ति भद्रावती नदी से की जाती है। इस संयन्त्र में विशिष्ट इस्पात एवं एलॉय उत्पादन किया जाता है।
4. राउरकेला इस्पात संयन्त्र: उड़ीसा राज्य के सुन्दरगढ़ जिले में इस संयन्त्र की स्थापना कच्चे माल की निकटता के आधार पर की गई थी। इस संयन्त्र को कोयला समीपवर्ती झरिया क्षेत्र से तथा लौह अयस्क सुन्दरगढ़ व केंदुझर क्षेत्र से प्राप्त हो जाता है, जबकि विद्युत भट्टियों के लिए विद्युत शक्ति हीराकुंड जल विद्युत परियोजना से उपलब्ध हो जाती है।
5. भिलाई इस्पात संयन्त्र: इस इस्पात संयन्त्र की स्थापना छत्तीसगढ़ राज्य के दुर्ग जिले में रूस के सहयोग से की गई थी। इस संयन्त्र को लौह-अयस्क समीपवर्ती क्षेत्र में स्थित डल्ली राजहरा खानों से तथा कोयला कोरबा व करगाली खदानों से प्राप्त हो जाता है। इस संयन्त्र को विद्युत की आपूर्ति कोरबा तापीय शक्तिगृह से तथा जल की आपूर्ति तंदुला बाँध से की जाती है। यह संयन्त्र कोलकाता-मुम्बई रेलमार्ग पर स्थित है। इस संयन्त्र में उत्पादित इस्पात का अधिकांश भाग विशाखापट्टनम बन्दरगाह से निर्यात कर दिया जाता है।
6. दुर्गापुर इस्पात संयन्त्र (CBSE, 2016 दिल्ली आउटसाइड) ब्रिटेन सरकार के सहयोग से पश्चिम बंगाल राज्य के दुर्गापुर नामक स्थान पर संचालित यह संयन्त्र रानीगंज व झरिया कोयला पेटी में आता है। इस संयन्त्र को लौह अयस्क रेलमार्ग द्वारा नोआमंडी क्षेत्र से प्राप्त होता है। कोलकाता-दिल्ली रेलमार्ग पर स्थित इस संयन्त्र को जल विद्युत शक्ति दामोदर घाटी कारपोरेशन से प्राप्त होती है।
7. बोकारो इस्पात संयन्त्र: रूस के सहयोग से झारखण्ड के बोकारो नामक स्थान पर इस इस्पात संयन्त्र की स्थापना न्यूनतम परिवहन लागत सिद्धान्त के आधार की गई है। जिसके अनुसार बोकारो तथा राउरकेला संयुक्त रूप से राउरकेला क्षेत्र से लौह अयस्क प्राप्त करते हैं तथा वापसी में मालगाड़ी के डिब्बे राउरकेला के लिए कोयला ले जाते हैं। इस संयन्त्र को जल तथा जल विद्युत की आपूर्ति दामोदर घाटी कारपोरेशन से की जाती है।
प्रश्न 3.
भारत में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण को प्रभावित करने वाले कारकों की संक्षेप में विवेचना करते हुए प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादक केन्द्रों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण के कारक भारत में सूती वस्त्र उद्योग के स्थानीयकरण को प्रभावित करने वाले कारकों में कच्चे माल की स्थानीय उपलब्धता, सस्ते कुशल श्रमिकों की स्थानीय उपलब्धता, बाजार, सस्ती जल विद्युत शक्ति की उपलब्धता, स्थानिक निवेश तथा पत्तन की सुविधा जैसे कारक प्रमुख रूप से प्रभावी रहे हैं।
कपास एक शुद्ध कच्चा माल है जिसका वजन निर्माण प्रक्रिया में घटता नहीं है इसलिए वर्तमान में भारत के अधिकांश सूती वस्त्र उद्योग कपास उत्पादक क्षेत्रों के समीप ही स्थापित मिलते हैं। वर्तमान में सूती वस्त्र उद्योग को बाजार में या बाजार के समीप स्थापित करने की प्रवृत्ति मिलती है तथा बाजार की माँग यह निर्धारित करती है कि उद्योग में किस प्रकार के कपड़े का उत्पादन होना चाहिए।
जल विद्युत शक्ति के विकास से सूती वस्त्र मिलों को कपास उत्पादक क्षेत्रों से दूर स्थापित करने में सहयोग मिला है। तमिलनाडु राज्य की अधिकांश सूती वस्त्र मिलें सस्ती जलविद्युत शक्ति की उपलब्धता के कारण ही स्थापित हुई हैं।
सस्ते कुशल श्रमिकों की स्थानीय उपलब्धता के आधार पर उज्जैन, भरूच, आगरा, हाथरस, कोयंबटूर तथा तिरुनेलवेली नामक स्थानों पर सूती वस्त्र मिलों की स्थापना की गई। स्थानिक निवेश ने मुम्बई तथा कानपुर नगरों में सूती वस्त्र मिलों की स्थापना को बल प्रदान किया। पत्तन की सुविधा के कारण कोलकाता में सूती वस्त्र मिलें स्थापित की गईं।
भारत में सूती वस्त्र उत्पादन के प्रमुख केन्द्र: भारत में सूती वस्त्र उद्योग का सर्वाधिक विकास गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल तथा तमिलनाडु राज्यों में हुआ है; जबकि मुम्बई तथा अहमदाबाद भारत में सूती वस्त्र उद्योग के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण केन्द्र हैं।
वर्तमान में भारत के प्रमुख सूती वस्त्र उत्पादक राज्यों के निम्नलिखित केन्द्रों पर सूती वस्त्र उद्योग कार्यरत हैं:
प्रश्न 4.
चीनी उद्योग के स्थानीयकरण के कारकों का विश्लेषण करते हुए भारत के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों तथा उनके उत्पादक केन्द्रों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारत गन्ना तथा चीनी उत्पादन में विश्व का अग्रणी देश है। भारत में विश्व की लगभग 8 प्रतिशत चीनी उत्पादित की जाती है। चीनी उद्योग के स्थानीयकरण के कारक चीनी उद्योग का सर्वप्रमुख व एकमात्र कच्चा माल गन्ना है। गन्ने के कुल भार में चीनी (सुक्रोज) का प्रतिशत 9 से 12 के मध्य मिलता है। गन्ना एक भार ह्यस वाली कृषि फसल है। खेत में गन्ने को काटने से लेकर दुलाई की अवधि तक इसमें सुक्रोज की मात्रा कम होती जाती है। यदि गन्ने को काटने के 24 घण्टे के अन्दर गन्ना मिलों में इसका रस निकाल लिया जाता है तो इससे चीनी की मात्रा अधिक प्राप्त होती है। इसके बाद जैसे-जैसे समय बीतता चला जाता है वैसे - वैसे गन्ने में चीनी का प्रतिशत कम होता चला जाता है। यही कारण है कि भारत की अधिकांश चीनी मिलें गन्ना उत्पादक क्षेत्रों के समीप ही स्थापित मिलती हैं। अत: चीनी उद्योग को कच्चा माल उन्मुख उद्योग माना जाता है।
भारत के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु तथा कर्नाटक भारत के प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य हैं, जबकि बिहार, पंजाब, हरियाणा तथा गुजरात देश के अन्य चीनी उत्पादक राज्य हैं।
1. महाराष्ट्र भारत के चीनी उत्पादक राज्यों में महाराष्ट्र का प्रथम स्थान है। यह राज्य देश के कुल चीनी उत्पादन का एक-तिहाई से अधिक भाग उत्पादित करता है। इस राज्य में 119 चीनी मिलें संचालित हैं जो एक सँकरी पट्टी के रूप में उत्तर में मनमाड से लेकर दक्षिण में कोल्हापुर तक विस्तृत मिलती हैं।
2. उत्तर प्रदेश: भारत के चीनी उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश का महाराष्ट्र के बाद दूसरा स्थान है। इस राज्य में चीनी उद्योग निम्नलिखित दो पेटियों में केन्द्रित मिलता है
(i) गंगा - यमुना दोआब: सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद, बागपत तथा बुलन्दशहर। इस क्षेत्र में प्रमुख चीनी उत्पादक जिले हैं।
(ii) तराई प्रदेश लखीमपुर: खीरी, बस्ती, गोंडा, गोरखपुर तथा बहराइच इस क्षेत्र में प्रमुख चीनी उत्पादक जिले हैं।
3. तमिलनाडु इस राज्य की चीनी मिलें कोयंबटूर, वेलौर, तिरूवनमलाई, विल्लुपुरम् तथा तिरुचिरापल्ली जिलों में संचालित हैं। नाटक समबेल्लारी, माण्डया, शिमोगा, बीजापुर तथा चित्रदुर्ग इस राज्य के प्रमुख चीनी उत्पादक जिले है। चीनी उद्योग तटीय प्रदेशों में पूर्वी गोदावरी, पश्चिमी गोदावरी, क्षेत्रों में फैला हुआ है।
4. कर्नाटक: बेलगाम, बेल्लारी, माण्डया, शिमोगा, बीजापुर तथा चित्रदुर्ग इस राज्य के प्रमुख चीनी उत्पादक जिले हैं। चीनी उद्योग तटीय प्रदेशों में पूर्वी गोदावरी, पश्चिमी गोदावरी, क्षेत्रों में फैला हुआ है। अन्य उत्पादक क्षेत्र, बिहार राज्य में चंपारन, सारन, मुजफ्फरपुर, सीवान, दरभंगा तथा गया जिले, पंजाब राज्य में गुरदासपुर, जालंधर, संगरूर, पटियाला व अमृतसर जिले, हरियाणा राज्य में यमुनानगर, रोहतक व हिसार तथा गुजरात राज्य में सूरत, जूनागढ़, राजकोट, अमरेली, बलसाड व भावनगर जिले देश के अन्य प्रमुख चीनी उत्पादक जिले हैं।
प्रश्न 5.
भारत को प्रमुख औद्योगिक प्रदेशों में विभक्त कीजिए तथा मुम्बई-पुणे तथा गुजरात औद्योगिक प्रदेशों का विस्तृत विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारत को निम्नलिखित आठ औद्योगिक प्रदेशों में विभक्त किया जाता है:
1. मुम्बई - पुणे औद्योगिक प्रदेश
2. हुगली औद्योगिक प्रदेश
3. बंगलौर - तमिलनाडु औद्योगिक प्रदेश
4. गुजरात औद्योगिक प्रदेश
5. छोटा नागपुर औद्योगिक प्रदेश
6. विशाखापट्टनम - गुंटूर औद्योगिक प्रदेश
7. गुडगाँव - दिल्ली - मेरठ औद्योगिक प्रदेश
8. कोलम - तिरुवनंतपुरम औद्योगिक प्रदेश।
1. मुम्बई - पुणे औद्योगिक प्रदेश: भारत का यह औद्योगिक प्रदेश महाराष्ट्र राज्य के पश्चिमी भाग पर मुम्बई - थाणे से लेकर पुणे, नासिक तथा शोलापुर जिलों के संस्पर्शी क्षेत्रों तक विस्तृत है। इसके अलावा महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़, अहमदनगर, सतारा, सांगली तथा जलगाँव जिलों में भी पर्याप्त औद्योगिक विकास देखने को मिलता है। इस प्रदेश में मुम्बई सर्वप्रमुख औद्योगिक नगर है। मुम्बई में उद्योगों का विकास ब्रिटिश शासन काल में सूती वस्त्र उद्योग की स्थापना के साथ हुआ। बाद में इस महानगर में रासायनिक उद्योग भी विकसित हुए। मुम्बई - पुणे औद्योगिक क्षेत्र में सूती वस्त्र तथा रासायनिक उद्योगों के अलावा अभियांत्रिकी वस्तुएँ, पेट्रोलियम शोधन, पेट्रो-रसायन, चमड़ा, संश्लिष्ट व प्लास्टिक वस्तुएँ, दवाएँ, उर्वरक, विद्युत उपकरण, जलयान निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक्स, सॉफ्टवेयर, परिवहन उपकरण, फिल्म तथा खाद्य उद्योग भी विकसित अवस्था में कार्यरत मिलते हैं। प्रमुख औद्योगिक केन्द्र मुम्बई, कोलाबा, कल्याण, थाणे, ट्राम्बे, पुणे, पिंपरी, नासिक, मनमाड, शोलापुर, कोल्हापुर, अहमदनगर, सतारा तथा सांगली।
गुजरात औद्योगिक प्रदेश: यह औद्योगिक प्रदेश गुजरात राज्य में अहमदाबाद से लेकर बड़ौदा तक, दक्षिण में बलसाड से लेकर सूरत तक तथा पश्चिम में जामनगर तक विस्तृत मिलता है। सूती, रेशमी व कृत्रिम वस्त्र उद्योग तथा पेट्रो-रसायन उद्योग इस औद्योगिक प्रदेश के महत्त्वपूर्ण उद्योग हैं। इसके अलावा रासायनिक मोटर, ट्रैक्टर, डीजल इंजन, पेट्रोलियम शोधन, वस्त्र निर्माण मशीनरी, इन्जीनियरिंग, औषधि, रंग-रोगन, कीटनाशक, चीनी, दुग्ध उत्पाद तथा खाद्य सामग्री उद्योग भी इस औद्योगिक प्रदेश में संचालित मिलते हैं। . प्रमुख औद्योगिक केन्द्र-अहमदाबाद, वडोदरा, भरूच, कोयली, आनन्द खेरा, सुरेन्द्र नगर, राजकोट, सूरत, बलसाड तथा जामनगर।
प्रश्न 6.
हुगली औद्योगिक प्रदेश के विकसित होने के प्रमुख कारण बताइये। इस क्षेत्र पर भारत विभाजन का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
हुगली औद्योगिक प्रदेश: यह भारत का एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक प्रदेश है। यह प्रदेश हुगली नदी के दोनों किनारों पर उत्तर में बॉसबेरिया से दक्षिण में बिड़लानगर तक लगभग 100 किमी. में फैला हुआ है। इस औद्योगिक प्रदेश के विकसित होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं
हुगली औद्योगिक प्रदेश पर भारत-विभाजन का प्रभाव हुगली औद्योगिक प्रदेश का सबसे बड़ा उद्योग जूट उद्योग था। भारत की लगभग 90 प्रतिशत जूट से बनी वस्तुओं का निर्माण इसी क्षेत्र में होता था। सन् 1947 में भारत के विभाजन के साथ ही अधिकांश जूट उत्पादक क्षेत्र बाँग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में चला गया। जिससे यहाँ के जूट उद्योग को कच्चा माल प्राप्त करने में कठिनाई उत्पन्न हुई। इस समस्या को इस प्रदेश में तथा अन्य प्रदेशों में अधिक मात्रा में जूट उत्पादित करके सुलझाया गया।
प्रश्न 7.
बंगलौर - तमिलनाडु औद्योगिक प्रदेश तथा विशाखापट्टनम-गुंटूर औद्योगिक प्रदेश का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
बंगलौर - तमिलनाडु औद्योगिक प्रदेश इस औद्योगिक प्रदेश के विकास में स्थानीय रूप से कपास की उपलब्धता तथा पायकारा जल विद्युत संयन्त्र से प्राप्त जल विद्युत का योगदान महत्वपूर्ण रहा है। सन् 1960 तक यहाँ के उद्योग केवल बंगलौर, सेलम तथा मदुरई जिलों तक सीमित थे, लेकिन वर्तमान में यहाँ औद्योगिक विकास कर्नाटक तथा तमिलनाडु राज्य के अधिकांश जिलों में देखने को मिलता है। कपास उत्पादक क्षेत्र होने के कारण सबसे पहले सूती मिलों के साथ करघा उद्योग का भी विकास तेजी से हुआ। बंगलौर में अनेक भारी अभियान्त्रिकी उद्योगों की सफल स्थापना की गई। वायुयान (HAL), मशीनी उपकरण, टेलीफोन तथा भारत हैवी इलेक्ट्रॉनिक्स इस प्रदेश के महत्वपूर्ण उद्योग हैं।
वस्त्र, रेल के डिब्बे, डीजल इंजन, रेडियो, हल्की अभियान्त्रिकी वस्तुएँ, रबड़, सॉफ्टवेयर, दवाएँ, एल्युमीनियम, चीनी, सीमेन्ट, काँच, कागज, रसायन, फिल्म, माचिस, सिगरेट तथा चमड़ा इस औद्योगिक प्रदेश के अन्य उद्योग हैं। सेलम में लौह-इस्पात संयन्त्र व उर्वरक संयन्त्र तथा चेन्नई में पेट्रोलियम शोधनशाला हाल ही में स्थापित प्रमुख उद्योग हैं।
विशाखापट्टनम: गंटर औद्योगिक प्रदेश आन्ध्र प्रदेश में उत्तरी-पूर्वी तटीय भाग पर अवस्थित यह औद्योगिक प्रदेश विशाखापट्टनम जिले से लेकर दक्षिण में कुरुनूल तथा प्रकासम जिलों तक विस्तृत मिलता है। इस प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए विशाखापट्टनम व मछलीपट्टनम बन्दरगाह पृष्ठ-प्रदेश में सम्पन्न कृषि तथा खनिजों के वृहद् भण्डारों की उपलब्धता प्रमुख रूप से उत्तरदायी है। गोदावरी बेसिन के कोयला क्षेत्रों से उद्योगों को पर्याप्त तापीय ऊर्जा प्राप्त हो जाती है। विशाखापट्टनम बन्दरगाह पर आयातित पेट्रोलियम पर निर्भर एक तेलशोधनशाला कार्यरत है साथ ही यहाँ वृहद् स्तर का एक जलयान निर्माण उद्योग भी है तथा एक लौह-इस्पात संयन्त्र भी उत्पादन कार्य में संलग्न है।
चीनी, वस्त्र, जूट, कागज, उर्वरक, सीमेन्ट, एल्यूमिनियम व हल्के इन्जीनियरिंग उद्योग तथा शीशा जिंक प्रगलन कार्य इस औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख उद्योग हैं। प्रमुख औद्योगिक केन्द्र विशाखापट्टनम, विजयवाड़ा, विजयनगर, राजमुंदरी, गुंटूर, एलूरू तथा कुरनूल।
प्रश्न 8.
निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए
(i) गुड़गाँव - दिल्ली - मेरठ औद्योगिक प्रदेश।
(ii) कोलम - तिरुवन्तपुरम औद्योगिक प्रदेश।
उत्तर:
गुड़गाँव - दिल्ली - मेरठ औद्योगिक प्रदेश खनिज तथा विद्युत शक्ति संसाधनों से बहुत दूर स्थित यह औद्योगिक प्रदेश लघुस्तरीय व बाजारोन्मुख उद्योगों के लिए प्रमुख रूप से जाना जाता है। इलैक्ट्रॉनिक, हल्के इन्जीनि रंग, विद्युत उपकरण तथा सॉफ्टवेयर इस प्रदेश के सर्वप्रमुख उद्योग हैं। इसके अलावा सूती, ऊनी, कृत्रिम रेशा वस्त्र, हौजरी, चीनी, सीमेन्ट, मशीन उपकरण, ट्रैक्टर, साइकिल, कृषि उपकरण, रासायनिक पदार्थ तथा वनस्पति आदि उद्योग इस औद्योगिक प्रदेश में बड़े स्तर पर विकसित मिलते हैं। मथुरा में शीशा, तेल शोधनशाला, पेट्रो-रसायन संकुल तथा आगरा में चमड़ा उद्योग सर्वप्रमुख हैं।
प्रमुख औद्योगिक केन्द्र: गुड़गाँव, दिल्ली, शाहदरा, नोयडा, मेरठ, मोदीनगर, गाजियाबाद, अम्बाला, आगरा व मथुरा। कोलम - तिरुवनंतपुरम् औद्योगिक प्रदेश यह औद्योगिक प्रदेश केरल राज्य के दक्षिणी भाग पर तिरुवनन्तपुरम्, कोलम, अलवाय, अर्नाकुलम तथा अलापुझा जिलों पर विस्तृत मिलता है। इस प्रदेश को औद्योगिक आधार प्रदान करने में बागाती कृषि तथा जलविद्युत उत्पादन का महत्वपूर्ण योगदान है।
कृषि उत्पाद प्रक्रमण तथा बाजारोन्मुख हल्के उद्योग इस प्रदेश में प्रमुखता से मिलते हैं। इनमें सूती वस्त्र, चीनी, रबड़, माचिस, शीशा, रासायनिक उर्वरक तथा मछली आधारित उद्योग महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा खाद्य प्रक्रमण, कागज, नारियल रेशा उत्पादन, एल्युमीनियम तथा सीमेन्ट उद्योग भी यहाँ कार्यरत मिलते हैं, कोची में पेट्रोशोधनशाला की स्थापना ने इस प्रदेश में औद्योगिक विकास को एक नया विस्तार प्रदान किया है। महत्वपूर्ण औद्योगिक केन्द्र कोलम, तिरुवनन्तपुरम, अलवाय, कोची, अलापुझा तथा पुनालूर।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में इस अध्याय से पूछे गये प्रश्न:
प्रश्न 1.
निम्न में से किन इस्पात सयंत्रों का प्रबंधन सेल (SAIL) करता है?
(A) भिलाई
(B) दुर्गापुर
(C) राउरकेला
(D) बर्नपुर।
कूट
(अ) केवल A, B व C
(ब) A, B, C व D
(स) केवल B, C व D
(द) केवल B व C
उत्तर:
(ब) A, B, C व D
प्रश्न 2.
निम्न में से किस वर्ष महाराष्ट्र में पहली बार आधुनिक सूती वस्त्र मिल की स्थापना हुई?
(अ) 1850
(ब) 1854
(स) 1858
(द) 1862
उत्तर:
(ब)1854.
प्रश्न 3.
आदित्यपुर विशेष आर्थिक जोन निम्न में से किसके लिए प्रसिद्ध है?
(अ) इंजीनियरी एवं मशीन टूल्स
(ब) ऊनी वस्त्र
(स) आटोमोबाइल व आटो पार्ट्स
(द) डेयरी उत्पादक।
उत्तर:
(स) आटोमोबाइल व आटो पार्ट्स।
प्रश्न 4.
निम्न उद्योग में से कौन सा भारी इंजीनियरिंग उद्योग कहलाता है?
(अ) हैवी इलेक्ट्रिकल्स
(ब) हैवी मशीनरी
(स) शीशा
(द) लौह व इस्पात।
उत्तर:
(ब) हैवी मशीनरी।
प्रश्न 5.
निम्न में से कौन सा एक सुमेलित नहीं है?
(अ) राउरकेला - ओडिशा
(ब) बर्नपुर - पश्चिम बंगाल
(स) विजयनगर - कर्नाटक
(द) कोलवी - झारखंड
उत्तर:
(द) कोलवी - झारखंड।
प्रश्न 6.
भारत में प्रथम कपास मिल (सूती-वस्त्र) उद्योग की स्थापना किस शहर में हुई?
(अ) बम्बई
(ब) अहमदाबाद
(स) बड़ौदा
(द) कलकत्ता।
उत्तर:
(द)कलकत्ता।
प्रश्न 7.
हमारे देश में तीव्र औद्योगीकरण में मुख्य रुकावट है
(अ) पूँजी की कमी
(ब) अपर्याप्त आधार संरचना
(स) सीमित बाजार
(द) व्यूह रचना की कमी।
उत्तर:
(ब) अपर्याप्त आधार संरचना।
प्रश्न 8.
निम्न में से कौन-सा खनिज संसाधनों का भण्डार कहा जाता है?
(अ) हाडौती पठार
(ब) छोटा नागपुर पठार
(स) मालवा पठार
(द) शिलांग पठार।
उत्तर:
(ब) छोटा नागपुर पठार।
प्रश्न 9.
भारत का वृहत्तम औद्योगिक प्रदेश कौन - सा है?
(अ) मुम्बई - पुणे
(ब) अहमदाबाद - बड़ोदरा
(स) कोलकाता - हुगली
(द) अमृतसर - अम्बाला।
उत्तर:
(अ) मुम्बई - पुणे।
प्रश्न 10.
निम्न में से कौन से संयंत्र की आदर्श अवस्थापना है जिस पर परिवहन लागत सबसे कम है?
(अ) टिस्को
(ब) इस्को
(स) भद्रावती लोहा एवं इस्पात केन्द्र
(द) राउरकेला।
उत्तर:
(अ) टिस्को।