RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल - संसाधन

Rajasthan Board RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल - संसाधन Important Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल - संसाधन

 बहुविकल्पीय प्रश्न: 
 
प्रश्न 1. 
भारत में कुल उपयोगी जल संसाधनों की मात्रा है लगभग।
(क) 800 घन किमी।
(ख) 1122 घन किमी। 
(ग) 1400 घन किमी। 
(घ) 1600 घन किमी। 
उत्तर:
(ख) 1122 घन किमी। 

RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल - संसाधन 

प्रश्न 2. 
निम्नलिखित में से किस नदी बेसिन के वार्षिक जल प्रवाह का सबसे कम भाग उपयोग में लाया जाता है।
(क) ब्रह्मपुत्र 
(ख) महानदी 
(ग) नर्मदा
(ग) सुवर्ण रेखा। 
उत्तर:
(क) ब्रह्मपुत्र 

प्रश्न 3. 
क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का सबसे बड़ा नदी बेसिन निम्न में से कौन - सा है? 
(क) गोदावरी 
(ख) कृष्णा 
(ग) ब्रह्मपुत्र
(घ) गंगा। 
उत्तर:
(घ) गंगा। 

प्रश्न 4. 
भविष्य में विकास के साथ किन सेक्टरों में जल का उपयोग बढ़ने की सम्भावना है? 
(क) कृषि
(ख) घरेलू 
(ग) औद्योगिक 
(घ) घरेलू व औद्योगिक दोनों। 
उत्तर:
(घ) घरेलू व औद्योगिक दोनों। 

प्रश्न 5. 
भूमिगत जल के अति विदोहन से किन युग्म राज्यों के भूमिगत जल में आर्सेनिक के संकेन्द्रण में वृद्धि अनुभव की - गई है?
(क) राजस्थान - महाराष्ट्र 
(ख) पंजाब - हरियाणा 
(ग) हरियाणा - उत्तर प्रदेश 
(घ) उत्तर प्रदेश - मध्य प्रदेश। 
उत्तर:
(क) राजस्थान - महाराष्ट्र 

प्रश्न 6. 
निम्न में भारत की दो अत्यधिक प्रदूषित नदियाँ हैं।
(क) नर्मदा व तापी 
(ख) महानदी व गोदावरी 
(ग) गंगा व यमुना 
(घ) कृष्णा व कावेरी। 
उत्तर:
(ग) गंगा व यमुना 

प्रश्न 7. 
यमुना नदी देश में सबसे अधिक प्रदूषित है।
(क) दिल्ली व इटावा में।
(ख) इटावा व हमीरपुर में 
(ग) हमीरपुर-इलाहाबाद में
(घ) बागपत व दिल्ली में। 
उत्तर:
(क) दिल्ली व इटावा में।

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प्रश्न 8. 
हरियाली परियोजना सम्बन्धित है।
(क) ग्रामीण विकास से 
(ख) वृक्षारोपण से 
(ग) जल संभर प्रबंध से 
(घ) इन सभी से। 
उत्तर:
(ग) जल संभर प्रबंध से 

प्रश्न 9. 
नीरू - मीरू नामक जल संभर विकास परियोजना निम्न में से किस राज्य से सम्बन्धित है? 
(क) कर्नाटक 
(ख) आन्ध्र प्रदेश 
(ग) राजस्थान
(घ) मध्य प्रदेश।
उत्तर:
(ख) आन्ध्र प्रदेश 

प्रश्न 10. 
अरवारी पानी ससद नामक जल संभर विकास परियोजना निम्न में से किस राज्य से सम्बन्धित है।
(क) राजस्थान 
(ख) उत्तर प्रदेश 
(ग) महाराष्ट्र
(घ) केरल। 
उत्तर:
(ग) महाराष्ट्र

प्रश्न 11. 
राजस्थान में वर्षा जल संग्रहण ढाँचे कहलाते हैं। 
(क) जोहड़ 
(ख) झील 
(ग) टाँका 
(घ) सागर। 
उत्तर:
(ग) टाँका 

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प्रश्न 12. 
निम्न में से किस वर्ष राष्ट्रीय जल नीति संशोधित की गई।
(क) सन् 2006 
(ख) सन् 2005 
(ग) सन् 2010 
(घ) सन् 2012
उत्तर:
(घ) सन् 2012

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न:

निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से.सुमेलित कीजिए:

प्रश्न 1. 

स्तम्भ अ (दशा)

स्तम्भ ब (सम्बन्ध) 

(i) जल अधिनियम

(अ) 1986 

(ii) पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 

(ब) 2002  

(iii) जल उपकर अधिनियम

(स) आन्ध्र प्रदेश 

(iv) नीरू - मीरू कार्यक्रम

(द) 1977 

(v) राष्ट्रीय जल नीति

(य) 1974

 उत्तर:

स्तम्भ अ (दशा)

स्तम्भ ब (सम्बन्ध) 

(i) जल अधिनियम

(य) 1974

(ii) पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 

(अ) 1986 

(iii) जल उपकर अधिनियम

(स) आन्ध्र प्रदेश 

(iv) नीरू - मीरू कार्यक्रम

(द) 1977 

(v) राष्ट्रीय जल नीति

(ब) 2002  


रिक्त स्थान पुर्ति सम्बन्धी प्रश्न:

निम्न वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

प्रश्न 1.
थ्वी का लगभग ............. प्रतिशत धरातल पानी से आच्छादित है। 
उत्तर:
71%

प्रश्न 2.
देश में कुल उपयोगी जल संसाधन ............. घन किमी. है। 
उत्तर:
1122

प्रश्न 3.
धरातलीय और भौम जल का सबसे अधिक उपयोग ............. में होता है। 
उत्तर:
कृषि 

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प्रश्न 4.
सिंचाई की व्यवस्था ............. को संभव बनाती है। 
उत्तर:
बहुफसलीकरण 

प्रश्न 5.
जल एक पुनः .............. संसाधन है।
उत्तर:
उपयोगी। 

सत्य - असत्य कथन सम्बन्धी प्रश्न:

निम्न में से सत्य - असत्य कथनों की पहचान कीजिए:

प्रश्न 1.
जल एक चक्रीय संसाधन है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
धरातलीय जल के पाँच स्रोत हैं।
उत्तर:
असत्य


प्रश्न 3.
पारंपरिक रूप से भारत एक कृषि प्रधान देश है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
उपलब्ध जल संसाधनों में वृद्धि हो रही है।
उत्तर:
असत्य

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प्रश्न 5.
सबसे बड़ी समस्या जल का मूल्य है।
उत्तर:
सत्य

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1. 
जल संसाधन क्या है? 
उत्तर:
धरातल के ऊपर एवं भूगर्भ के आंतरिक भागों में पाये जाने वाले समस्त जल भण्डारों को जल संसाधन कहते हैं। 

प्रश्न 2. 
भविष्य में समाज किन-किन परिवर्तनों का साक्षी होगा?
उत्तर:
भविष्य में समाज जनांकिकीय परिवर्तन, जनसंख्या स्थानांतरण, प्रौद्योगिक उन्नति, पर्यावरणीय निम्नीकरण एवं जल अभाव आदि परिवर्तनों का साक्षी होगा। 

प्रश्न 3.
पृथ्वी के धरातल का कितने प्रतिशत भाग जल से आच्छादित है? 
उत्तर:
पृथ्वी के धरातल का लगभग 71 प्रतिशत भाग जल से आच्छादित है। 

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प्रश्न 4. 
पृथ्वी के धरातल पर कुल जल का कितने प्रतिशत भाग अलवणीय जल है? 
उत्तर:
पृथ्वी के धरातल पर कुल जल का लगभग 3 प्रतिशत भाग अलवणीय जल है। 

प्रश्न 5. 
धरातलीय जल के प्रमुख स्रोत कौन - कौन से हैं? 
उत्तर:
धरातलीय जल के चार प्रमुख स्रोत हैं: नदियाँ, झीलें, तालाब एवं तलैया। 

प्रश्न 6. 
भारत में सभी नदी बेसिनों का औसत अनुमानित वार्षिक प्रवाह कितना है? 
उत्तर:
भारत में सभी नदी बेसिनों में औसत अनुमानित वार्षिक प्रवाह 1869 घन किमी. है। 

प्रश्न 7. 
नदी के जल का प्रवाह किस पर निर्भर करता है? 
उत्तर:
नदी के जल का प्रवाह नदी के जल ग्रहण क्षेत्र के आकार पर निर्भर करता है। 

प्रश्न 8. 
भारत में किन तीन नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र देश के कुल क्षेत्र के एक - तिहाई भाग पर विस्तृत हैं?
उत्तर:
भारत में गंगा, ब्रह्मपुत्र तथा बराक नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र देश के लगभग एक - तिहाई भाग पर विस्तृत मिलते हैं जिनमें देश के कुल धरातलीय जल संसाधनों का 60 प्रतिशत जल मिलता है।

प्रश्न 9. 
भारत में भौमजल का सर्वाधिक उपयोग करने वाले राज्य कौन - कौन से हैं?
उत्तर:
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान तथा तमिलनाडु, महाराष्ट्र भारत के ऐसे चार राज्य हैं जिनमें भौमजल का सर्वाधिक उपयोग किया जाता है। .

प्रश्न 10. 
भारत के किस नदी बेसिन का पुनः पूर्ति योग्य भौमजल सर्वाधिक है? 
उत्तर:
गंगा नदी बेसिन का पुनः पूर्ति योग्य भौमजल सर्वाधिक है। 

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प्रश्न 11. 
लैगून क्या है?
उत्तर:
जब किसी सागरीय तट की ओर निकले दो शीर्ष भागों को या खाड़ी के अग्र सिरों को कोई रोधिका इस तरह जोड़ती है कि तट तथा रोधिका के मध्य सागरीय जल का आवागमन लगभग बंद हो जाता है तो ऐसी आकृति को लैगून कहते हैं।

प्रश्न 12. 
पश्च जल किसे कहते हैं?
उत्तर:
जल को उसके मार्ग में बाँध बनाकर अवरुद्ध किया जाना तथा बाँध के पीछे से एकत्रित जल को पश्च जल कहते हैं। 

प्रश्न 13. 
भारत में लैगून व पश्च जल कहाँ पाये जाते है?
उत्तर:
केरल, उड़ीसा व पश्चिम बंगाल में मुख्य रूप से लैगून व पश्च जल क्षेत्र मिलता है। 

प्रश्न 14. 
लैगून एवं पश्च जल के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर:
लैगून एवं पश्च जल का उपयोग मछली पालन, चावल की कुछ निश्चित किस्मों एवं नारियल आदि की सिंचाई में किया जाता है।

प्रश्न 15. 
भारत के किन राज्यों में लैगूनों व झीलों के बड़े धरातलीय जल संसाधन मिलते हैं? 
उत्तर:
केरल, उड़ीसा तथा पश्चिम बंगाल में लैगूनों व झीलों के रूप में बड़े धरातलीय जल संसाधन मिलते हैं। 

प्रश्न 16. 
भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं के नाम लिखिए।
उत्तर:
भाखड़ा - नांगल, हीराकुण्ड, दामोदर घाटी, नागार्जुन सागर तथा इंदिरा गाँधी नहर भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएँ हैं।
 
प्रश्न 17. 
धरातलीय एवं भौमजल का सबसे अधिक उपयोग किस सेक्टर में होता है? 
उत्तर:
धरातलीय एवं भौमजल का सबसे अधिक उपयोग कृषि सेक्टर में होता है। 

प्रश्न 18. 
सिंचाई की व्यवस्था का सबसे बड़ा लाभ क्या है? 
उत्तर:
सिंचाई की व्यवस्था बहुफसलीकरण को सम्भव बनाती है। 

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प्रश्न 19. 
भारत में हरित क्रान्ति की रणनीति किन - किन राज्यों में सर्वाधिक सफल रही है? 
उत्तर:
पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में। 

प्रश्न 20. 
किन दो राज्यों में निवल बोए गए क्षेत्र का 25 प्रतिशत भाग सिंचाई के अन्तर्गत आता है? 
उत्तर:
पंजाब एवं हरियाणा। 

प्रश्न 21. 
उपयोगी जल संसाधनों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता और अधिक सीमित क्यों होती जा रही है?
उत्तर:
दिन - प्रतिदिन बढ़ती जनसंख्या एवं उपलब्ध जल संसाधनों के औद्योगिक, कृषि व घरेलू निस्तारणों से प्रदूषित होने के कारण उपयोगी जल संसाधनों की प्रति व्यक्ति उपलब्धता और अधिक सीमित होती जा रही है।

प्रश्न 22. 
जल गुणवत्ता से क्या आशय है?
उत्तर:
जल गुणवत्ता से आशय जल की शुद्धता अथवा आवश्यक बाहरी पदार्थों से रहित जल से है। 

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प्रश्न 23. 
भारत में बढ़ते जल प्रदूषण का मुख्य कारण क्या है?
उत्तर:
भारत में बढ़ते जल प्रदूषण का मुख्य कारण यह है कि औद्योगिक, कृषि एवं घरेलू निस्तारणों को वृहद स्तर पर स्वच्छ जलीय भागों में मिला दिया जाता है। 

प्रश्न 24. 
जल के संयुक्त उपयोग को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता क्यों है?
अथवा 
जल गुणवत्ता सुधार के उपाय बताइए।
उत्तर:
जल संभर विकास, वर्षा जल संग्रहण, जल के पुनः चक्रण और पुन: उपयोग तथा लम्बे समय तक जल की आपूर्ति के लिए जल के संयुक्त उपयोग को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

प्रश्न 25. 
नदियों में प्रदूषकों का संकेन्द्रण किस मौसम में अधिक होता है?
उत्तर:
नदियों में प्रदूषकों का संकेन्द्रण गर्मी के मौसम में अधिक होता है। 

प्रश्न 26. 
सी. पी. सी. बी. का पूरा नाम लिखिए। 
उत्तर:
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board CPCB) 

प्रश्न 27. 
एस. पी. सी. का पूरा नाम लिखिए। 
उत्तर:
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (State Pollution Control Board-SPCB) 

प्रश्न 28. 
उत्तर प्रदेश के उन दो नगरों के नाम लिखिए जो गंगा के प्रदूषण के लिए मुख्य रूप से उत्तरदायी हैं? 
उत्तर:
वाराणसी तथा कानपुर। 

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प्रश्न 29. 
अहमदाबाद द्वारा किस नदी का प्रदूषण हो रहा है? 
उत्तर:
साबरमती नदी का। 

प्रश्न 30. 
हैदराबाद द्वारा किस नदी का प्रदूषण हो रहा है?
उत्तर:
मूसी नदी का। 

प्रश्न 31. 
भारत में जल प्रदूषण नियन्त्रण हेतु लागू किए गए प्रमुख अधिनियमों के नाम बताइए। 
उत्तर:
भारत में जल प्रदूषण नियन्त्रण हेतु निम्न तीन अधिनियम लागू हैं।

  1. जल अधिनियम, 1974 (प्रदूषण का निवारण और नियन्त्रण) 
  2. जल उपकर अधिनियम, 1977. 
  3. पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम, 1986। 

प्रश्न 32. 
जल संभर प्रबन्धन से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
धरातलीय तथा भूमिगत जलीय संसाधनों का कुशल प्रबन्धन जल संभर प्रबन्धन कहलाता है। इसके अन्तर्गत प्रवाहित जल को रोकना तथा भूमिगत जल का संचयन व पुनर्भरण सम्मिलित है।

प्रश्न 33. 
जल संभर विकास से सम्बन्धित किन्हीं दो परियोजनाओं के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. नीरू - मीरू (जल और आप): आन्ध्र प्रदेश 
  2. अरवारी पानी संसद-राजस्थान। 

प्रश्न 34. 
वर्षा जल संग्रहण क्या है? 
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा के जल को रोकने एवं एकत्र करने की विधि है। 

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प्रश्न 35. 
सम्पूर्ण देश में जल संभर विकास का एक उदाहरण दीजिए। 
उत्तर:
महाराष्ट्र में अहमद नगर जिले का रालेगण सिद्धी गाँव सम्पूर्ण देश में जल संभर विकास का एक उदाहरण है। 

प्रश्न 36. 
वर्षा जल संग्रहण की किन्हीं चार विधियों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. छत पर वर्षा जल संग्रहण 
  2. पुनर्भरण कूप द्वारा जल संरक्षण 
  3. जल संभर प्रबंधन द्वारा जल संरक्षण 
  4. झीलों द्वारा जल संरक्षण।

प्रश्न 37. 
वर्षा जल संग्रहण का कोई एक उद्देश्य बताइये। 
उत्तर:
जल की उपलब्धता में वृद्धि करना। 

प्रश्न 38. 
कुण्ड या टाँका क्या है?
उत्तर:
राजस्थान में वर्षा जल के संग्रहण हेतु निर्मित ढाँचे को कुण्ड या टाँका कहा जाता है जिसका निर्माण घर अथवा गाँव के पास या घर में वर्षा जल को संगृहीत करने के उद्देश्य से किया जाता है।

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प्रश्न 39. 
भारतीय राष्ट्रीय जल नीति की घोषणा कब की गई? 
उत्तर:
सन् 2002 में। 

प्रश्न 40. 
भारतीय राष्ट्रीय जल नीति का कोई एक उद्देश्य बताइये। 
उत्तर:
सिंचाई में जल को उपलब्ध कराना। 

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1):

प्रश्न 1. 
अलवणीय जल का संरक्षण क्यों आवश्यक है? अथवा जल संरक्षण क्यों आवश्यक है ?
उत्तर:
पृथ्वी का लगभग 71 प्रतिशत धरातल जल से घिरा हुआ है, परन्तु अलवणीय जल कुल जल का केवल लगभग 3 प्रतिशत ही है। वास्तव में अलवणीय जल का एक बहुत छोटा भाग ही मानव उपयोग के लिए उपलब्ध है। अलवणीय जल की उपलब्धता स्थान और समय के अनुसार भिन्न-भिन्न है। इस अलवणीय जल के द्वारा ही मानवीय भोज्य पदार्थों के उत्पादन एवं पीने योग्य जल की आपूर्ति होती है। किन्तु इस अलवणीय जल की जनसंख्या वृद्धि के कारण घटती उपलब्धता ने मानवीय विकास, उद्योगों, आवासों एवं पारस्परिक संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। अतः जल संरक्षण आवश्यक है।

प्रश्न 2. 
भारत में जल संसाधनों की उपलब्धता का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारत सम्पूर्ण विश्व के धरातलीय भाग का लगभग 2.45 प्रतिशत भूखण्ड है। जबकि यहाँ जल संसाधनों का 4 प्रतिशत एवं जनसंख्या का लगभग 16 प्रतिशत भाग पाया जाता है। देश में एक वर्ष में लगभग 4000 घन किलोमीटर जल वर्षा से प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त धरातलीय जल एवं पुनः पूर्ति योग्य भौम जल से 1869 घन किलोमीटर जल उपलब्ध होता है। इसमें से केवल 60 प्रतिशत जल का ही लाभदायक उपयोग किया जा सकता है। अतः देश में कुल उपयोगी जल संसाधन 1122 घन किलोमीटर ही उपलब्ध है। | नोट-2011 के आँकड़ों के अनुसार भारत में विश्व की 17.5% जनसंख्या निवास करती थी।

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प्रश्न 3. 
भारत में धरातलीय जल संसाधनों की उपलब्धता का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारत में धरातलीय जल के चार मुख्य स्रोत हैं: नदियाँ, झील, तलैया एवं तालाब आदि। इनमें से नदियाँ प्रमुख हैं। भारत में सभी नदी बेसिनों में औसत अनुमानित वार्षिक प्रवाह 1869 घन किमी है। स्थलाकृतिक, जलीय एवं अन्य दबावों के कारण प्राप्त धरातलीय जल का केवल लगभग 690 घन किलोमीटर (32%) भाग का उपयोग ही वर्तमान में स्थानीय लोगों द्वारा किया जा सकता है। गंगा, ब्रह्मपुत्र एवं बराक नदियाँ देश के कुल क्षेत्रफल के लगभग एक - तिहाई भाग पर विस्तृत हैं जिनमें कुल धरातलीय जल संसाधनों का 60 प्रतिशत जल मिलता है।

प्रश्न 4. 
भारत में भौमजल संसाधनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
देश में कुल पुनः पूर्ति योग्य भौम जल संसाधनों की मात्रा लगभग 432 घन किलोमीटर है। जिसका 46 प्रतिशत भाग गंगा और ब्रह्मपुत्र बेसिनों में पाया जाता है। देश के उत्तर-पश्चिमी प्रदेशों, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तथा दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में भौमजल संसाधनों का उपयोग बहुत अधिक किया जाता है। परन्तु कुछ राज्यों; जैसे छत्तीसगढ़, उड़ीसा, केरल आदि अपनी भौमजल क्षमता का बहुत कम उपयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त गुजरात, उत्तर प्रदेश, , बिहार, त्रिपुरा एवं महाराष्ट्र अपने भौमजल संसाधन का उपयोग मध्यम दर से करते हैं।

प्रश्न 5. 
धरातलीय जल एवं भौमजल में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
धरातलीय जल: धरातल पर स्थित विभिन्न जल स्रोतों नदियों, झीलों, नहरों, तालाबों आदि में उपलब्ध जल को धरातलीय जल कहते हैं। इसका मुख्य स्रोत नदियाँ होती हैं। इसे सतही जल भी कहते है।

भौमजल: धरातल के नीचे चट्टानों की दरारों व छिद्रों में पाया जाने वाला जल भौमजल कहलाता है। यह कुओं एवं अन्य साधनों के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है।

प्रश्न 6. 
भारत में मिलने वाले लैगूनों तथा पश्च जल (झील) के महत्व को बताइए।
उत्तर:
पश्चिम में कच्छ के रण से लेकर (पूर्व में स्थित) गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा तक भारत की तटरेखा लगभग 7 हजार किमी. लम्बाई रखती है। केरल, उड़ीसा तथा पश्चिम बंगाल के सागरीय तट बहुत ही दंतुरित (कटी-फटी) हैं। इसी कारण वहाँ बहुत-सी लैगून और पश्च जल झीलें मिलती हैं। यद्यपि इन झीलों में खारा जल होता है लेकिन इसका उपयोग मछली पालन के अलावा चावल की कुछ निश्चित किस्मों तथा नारियल आदि की सिंचाई के लिये सफलतापूर्वक किया जा रहा है। 

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प्रश्न 7. 
कृषि में सिंचाई की व्यवस्था से क्या - क्या लाभ प्राप्त होते हैं?
अथवा 
भारत में सिंचाई का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
सिंचाई की व्यवस्था से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

  1. सिंचाई की व्यवस्था बहुफसलीकरण को सम्भव बनाती है। 
  2. ऐसा पाया गया है कि सिंचित भूमि की कृषि उत्पादकता असिंचित भूमि की अपेक्षा अधिक होती है।
  3. फसलों को अधिक उपज देने वाली किस्मों के लिए आर्द्रता नियमित रूप से आवश्यक है जो केवल सिंचाई तंत्र से ही सम्भव होती है।

प्रश्न 8. 
कुछ राज्यों में भौम जल संसाधन के अत्यधिक उपयोग के क्या दुष्परिणाम उभर कर हमारे समक्ष आये हैं?
उत्तर:
कुछ राज्यों में भौम जल संसाधन के अत्यधिक उपयोग से इसका स्तर नीचा हो गया है। राजस्थान एवं महाराष्ट्र राज्यों में भूमिगत जल के अधिक उपयोग से भूमिगत जल में फ्लोराइड का संकेन्द्रण बढ़ गया है तथा पश्चिम बंगाल एवं बिहार के कुछ भागों में संखिया (आर्सेनिक नामक खतरनाक रसायन) के संकेन्द्रण में वृद्धि हो गई है। 

प्रश्न 9. 
भारत में जल से सम्बन्धित प्रमुख समस्याओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
बढ़ती जनसंख्या से जल की माँग बढ़ना अनेक समस्याओं को उत्पन्न कर रह है कैसै? 
उत्तर:
भारत में जल से सम्बन्धित प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं:

  1. जल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता जनसंख्या बढ़ने के कारण तीव्र गति से कम होती जा रही है।
  2. धरातल पर उपलब्ध कुल जल संसाधन औद्योगिक, कृषि एवं घरेलू निस्तारणों से प्रदूषित होता जा रहा है क्योंकि प्रदूषक तीव्र गति से बढ़ रहे हैं।
  3. जल संसाधनों के अत्यधिक उपयोग से इनकी उपलब्धता और भी सीमित होती जा रही है। 
  4. जल की कमी से कृषि क्षेत्र में कमी आयी है। 

प्रश्न 10. 
जल के पुनः चक्र और पुनः उपयोग के विभिन्न तरीकों को बताइए।
उत्तर:
जल के पुनः चक्र और पुनः उपयोग के निम्नलिखित तरीके होते हैं जिनके द्वारा स्वच्छ जल का संरक्षण तथा उसकी उपलब्धता में वृद्धि की जा सकती है।

  1. कम गुणवत्ता वाले जल जैसे शोधित अपशिष्ट जल का उपयोग उद्योगों में शीतलन व अग्निशमन के लिए किया जा सकता है। 
  2. नगरीय क्षेत्रों में स्नान, बर्तन व वाहन धोने में प्रयुक्त जल को बागवानी के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।

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प्रश्न 11. 
भारत में जल की गुणवत्ता में हास के कारणों को बताइए। 
उत्तर:

  1. औद्योगिक अपशिष्टों का जल में मिश्रण होने से। 
  2. कचरे निस्तारण एवं सीवरेज अपशिष्ट के मिलने से। 
  3. मृत शरीरों के निस्तारण से। 
  4. रासायनिक पदार्थों के मिलने से। 

प्रश्न 12. 
विस्तृत अर्थ में जल संभर प्रबंधन से क्या आशय है? तथा इसका मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर:
जल संभर प्रबन्धन से आशय: "प्रमुख रूप से धरातलीय और भौम जल संसाधनों का कुशल प्रबन्धन जल संभर प्रबन्धन कहा जाता है।" विस्तृत अर्थ में जल संभर प्रबन्धन के अन्तर्गत सभी प्राकृतिक (जैसे-भूमि, जल, पौधे तथा प्राणियों) और जल संभर सहित मानवीय संसाधनों के संरक्षण, पुनर्रत्पादन और विवेकपूर्ण उपयोग को सम्मिलित किया जाता है। जल संभर प्रबन्धन का प्रमुख उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों तथा समाज के मध्य सन्तुलन स्थापित करना है।

प्रश्न 13. 
'हरियाली' परियोजना क्या है?
उत्तर:
'हरियाली' केन्द्र सरकार द्वारा संचालित जल - संभर विकास परियोजना है। इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीणों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना है, जिससे उन्हें पीने, सिंचाई, मत्स्य-पालन तथा वनारोपण के लिए पर्याप्त मात्रा में जलापूर्ति हो सके। यह परियोजना ग्राम पंचायतों के माध्यम से ग्रामीणों के लिए पर्याप्त जलापूर्ति हेतु ग्रामीण लोगों के सहयोग से संचालित की जा रही है।

प्रश्न 14. 
महाराष्ट्र राज्य के रालेगण सिद्धि गाँव में जल संभर विकास का विवरण दीजिए।
उत्तर:
सन् 1975 में रालेगण सिद्धि ग्राम में सेना के एक सेवानिवृत कर्मचारी ने ग्राम में जल संभर विकास का कार्य प्रारम्भ किया। ग्राम से बाहर कार्यरत व्यक्तियों से प्रतिवर्ष एक महीने का वेतन लेकर ग्राम में एक अंत:स्रावी तालाब का निर्माण करवाया। अधिक जल की आवश्यकता वाली फसलों तथा खुली चराई पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया तथा कम पानी की आवश्यकता वाली फसलों को प्रोत्साहन प्रदान किया गया। इन सभी कार्यों में ग्राम के सभी लोगों का पूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ तथा वर्तमान में इस ग्राम में पर्याप्त जल की उपलब्धता होने के कारण इस ग्राम में कृषि कार्य सफलतापूर्वक संचालित हो रहे हैं। 

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2):

प्रश्न 1. 
भारत में जल संसाधनों की उपलब्धता की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत में जल संसाधनों की उपलब्धता: भारत में साल भर की वर्षा से प्राप्त जल की कुल मात्रा 4000 घन किमी. है, जबकि धरातलीय जल तथा पुनः पूर्तियोग्य भूमिगत जल की देश में कुल 1869 घन किमी. उपलब्धता है। इसमें से केवल 1122 घन किमी. जल (60 प्रतिशत) का उपयोग मानव लाभदायक कार्यों में कर सकता है।

धरातलीय जल संसाधन: धरातलीय जल संसाधनों की उपलब्धता का प्रमुख स्रोत नदियाँ हैं। भारत में सभी नदी बेसिनों में औसत अनुमानित वार्षिक प्रवाह 1869 घन किमी. है जिसमें से केवल 690 घन किमी. (32%) भाग का उपयोग ही वर्तमान में स्थानीय लोगों द्वारा किया जाता है। गंगा, ब्रह्मपुत्र तथा सिंधु नदियाँ देश के कुल क्षेत्रफल के लगभग एक-तिहाई भाग पर विस्तृत हैं जिनमें कुल धरातलीय जल संसाधनों का 60 प्रतिशत भाग मिलता है।

भौमजल संसाधन: देश में कुल पुनः पूर्तियोग्य भौमजल की मात्रा लगभग 432 घन किमी. है। जिसका लगभग 46 प्रतिशत भाग गंगा तथा ब्रह्मपुत्र बेसिनों में मिलता है। भारत के उत्तरी-पश्चिमी प्रदेशों तथा दक्षिणी भारत के नदी बेसिनों में भौमजल का उपयोग अपेक्षाकृत अधिक किया जाता है।

RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल - संसाधन

प्रश्न 2. 
भौमजल क्या है? भारत में राज्यवार संभावित भौमजल के उपयोग की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भौमजल से आशय: धरातलीय सतह के नीचे चट्टानों की दरारों व छिद्रों में पाया जाने वाला जल भौमजल कहलाता है।
देश में भौमजल के उपयोग की स्थिति देश में कुल पुनः पूर्ति योग्य भौमजल संसाधन लगभग 432 घन किमी. है। जिसका लगभग 46 प्रतिशत गंगा और ब्रह्मपुत्र बेसिनों में पाया जाता है। देश में राज्यवार सम्भावित भौमजल के उपयोग की स्थिति अग्रलिखित प्रकार से है।

  1. अधिक भौमजल उपयोग करने वाले राज्य पंजाब, हरियाणा, राजस्थान एवं तमिलनाडु राज्यों में भौमजल का बहुत अधिक उपयोग किया जाता है।
  2. मध्यम भौमजल उपयोग करने वाले राज्य - इसके अन्तर्गत गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, त्रिपुरा एवं महाराष्ट्र आदि राज्यों को सम्मिलित किया जाता है। ये राज्य अपने भौमजल का मध्यम दर से उपयोग कर रहे हैं।
  3. बहुत कम भौमजल उपयोग करने वाले राज्य - इसके अन्तर्गत छत्तीसगढ़, उड़ीसा व केरल आदि राज्यों को सम्मिलित किया जाता है। ये राज्य अपनी भौमजल क्षमता का बहुत कम उपयोग करते हैं। 

प्रश्न 3. 
भारत के विभिन्न सेक्टरों में जल के उपयोग की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
अथवा 
भारत में जल के उपयोग के विभिन्न क्षेत्रों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत के विभिन्न सेक्टरों में जल का उपयोग: भारत में जल का उपयोग निम्नलिखित तीन सेक्टरों में किया जाता है।

  1. कृषि सेक्टर 
  2. औद्योगिक सेक्टर
  3. घरेलू सेक्टर। 

(i) कृषि सेक्टर: भारत में धरातलीय एवं भूमिगत जल का सर्वाधिक उपयोग कृषि सेक्टर में किया जाता है। इसमें धरातलीय जल का 89 प्रतिशत एवं भौमजल का 92 प्रतिशत उपयोग किया जाता है।

(ii) औद्योगिक सेक्टर: औद्योगिक सेक्टर में भी जल का उपयोग किया जाता है। इस क्षेत्र में सतही जल का 2 प्रतिशत एवं भौमजल का 5 प्रतिशत भाग ही उपयोग किया जाता है। भविष्य में औद्योगिक सेक्टर में जल का उपयोग बढ़ने की सम्भावना है।

(iii) घरेलू सेक्टर: घरेलू सेक्टर में धरातलीय जल का उपयोग भौमजल की तुलना में अधिक किया जाता है। इस क्षेत्र में धरातलीय जल का 9 प्रतिशत उपयोग तथा भौमजल का 3 प्रतिशत उपयोग किया जाता है। भविष्य में विकास के साथ-साथ देश में घरेलू सेक्टर में भी जल का उपयोग बढ़ने की सम्भावना है। 

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प्रश्न 4. 
भारत के कृषि क्षेत्र में सिंचाई हेतु जल की आवश्यकता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा 
भारत में सिंचाई हेतु जल की माँग निरन्तर क्यों बढ़ रही है? कारण बताइये।
उत्तर:
भारत के कृषि क्षेत्र में सिंचाई की आवश्यकता-कृषि क्षेत्र में जल का उपयोग मुख्य रूप से सिंचाई के लिए किया जाता है। कृषि की सफलता के लिए सिंचाई का महत्वपूर्ण योगदान है। सिंचाई की आवश्यकता के निम्न कारण है।

  1. भारत में वर्षा का स्थानिक वितरण बहुत असमान है। देश के अधिकांश भागों में पर्याप्त मात्रा में वर्षा नहीं होती और जल का अभाव बना रहता है।
  2. देश के अधिकांश भागों में शीत एवं ग्रीष्म ऋतुओं में अत्यधिक शुष्कता पायी जाती है। इसलिए शुष्क ऋतुओं में बिना सिंचाई के कृषि कार्य किया जाना सम्भव नहीं होता है।
  3. भारत में वर्षा मुख्यतः दक्षिणी-पश्चिमी मानसूनी पवनों से होती है जो बहुत ही अनिश्चित होती है। जिसके फलस्वरूप कृषि को सुरक्षा सिंचाई से ही मिल सकती है।
  4. कुछ फसलों की प्रकृति ऐसी होती है कि उनकी सफल कृषि के लिए अधिक जल की आवश्यकता होती है। कपास, गन्ना, जूट आदि कुछ ऐसी ही फसलें हैं। इन फसलों के लिए जल की आपूर्ति केवल सिंचाई द्वारा ही सम्पन्न हो सकती है।
  5. अधिक उपज देने वाली फसलों की कई किस्मों के लिए अधिक आर्द्रता. की आवश्यकता होती है जो सिंचाई द्वारा ही सम्भव है।

प्रश्न 5. 
जल गुणवत्ता क्या है तथा जल के गुणों का ह्रास किस प्रकार होता है?
उत्तर:
जल गुणवत्ता से आशय जल की शुद्धता अथवा अनावश्यक बाहरी पदार्थों से रहित जल से होता है। सूक्ष्म जीव, रासायनिक पदार्थ, औद्योगिक व अन्य अपशिष्ट जैसे पदार्थों के शुद्ध जल में मिश्रण से जल के गुणों का ह्रास होता है तथा वह जल प्रदूषित जल की श्रेणी में आ जाता है। झीलों, नदियों, सागरों तथा अन्य जलाशयों में जब बाह्य स्रोतों से निष्कासित विषैले पदार्थ आकर मिल जाते हैं तो जल के गुणों में कमी आने से जलीय तन्त्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

गंगा तथा यमुना देश की सर्वाधिक प्रदूषित नदियाँ हैं। गंगा तथा यमुना सहित भारत की अधिकांश नदियों में प्रदूषकों का संकेन्द्रण ग्रीष्मकालीन अवधि में बहुत अधिक होता है क्योंकि उस समय नदी में जल का प्रवाह बहुत कम रह जाता है। कभी-कभी प्रदूषित जल भूमि के अन्दर प्रवेश कर भूमिगत जल को भी प्रदूषित कर देता है। वस्तुतः प्रदूषित जल मानव के उपयोग के योग्य नहीं रहता।

प्रश्न 6. 
क्या कारण है कि पंजाब एवं हरियाणा राज्यों में पर्याप्त जल संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद यहाँ भौमजल का स्तर नीचे गिर रहा है?
उत्तर:
भारत में कृषि विकास की हरित क्रान्ति की रणनीति मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अत्यधिक सफल हुई। यहाँ अधिक कृषिगत उत्पादन प्राप्त करने के लिए फसलों में पर्याप्त सिंचाई का उपयोग किया गया। वर्तमान में भी पंजाब एवं हरियाणा राज्यों में निवल बोये गये क्षेत्र का 25 प्रतिशत भाग सिंचाई के अन्तर्गत आता है। इन राज्यों में गेहूँ और चावल मुख्य रूप से सिंचाई की सहायता से उत्पादित किये जाते हैं।

पंजाब व हरियाणा राज्य के गंगा और सतलज नदी बेसिन में स्थित होने के कारण यहाँ भूमिगत जल की पर्याप्त उपलब्धता है। फलस्वरूप यहाँ कुओं व नलकूपों का सिंचाई में भी पर्याप्त उपयोग होता है। निवल सिंचित क्षेत्र का 76.1 प्रतिशत पंजाब में एवं 51.3 प्रतिशत हरियाणा राज्य में कुओं तथा नलकूपों द्वारा सिंचित है। इससे यह ज्ञात होता है कि ये राज्य अपने संभावित भौमजल के एक बड़े भाग का उपयोग सिंचाई के अन्तर्गत करते हैं। जिसके कारण इन राज्यों में भौमजल के स्तर में कमी आ रही है।

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प्रश्न 7. 
जल संसाधनों के कम होने के उत्तरदायी कारकों की व्याख्या कीजिए। 
उत्तर:

  1. वनों का विनाश।
  2. कृषि में पानी का अत्यधिक प्रयोग। 
  3. तीव्र जनसांख्यिकीय दबाव।
  4. तीव्र नगरीयकरण एवं औद्योगिकीकरण। 
  5. जलवायु का परिवर्तित होना।

प्रश्न 8. 
जल संरक्षण की आवश्यकता क्यों है? इसके संरक्षण हेतु क्या - क्या उपाय किये जा सकते हैं? संक्षेप में बताइये।
उत्तर:
जल संरक्षण की आवश्यकता हमारे देश में अलवणीय जल की उपलब्धता स्थान और समय के अनुसार भिन्न - भिन्न है। वर्तमान समय में इसकी घटती हुई उपलब्धता एवं बढ़ती माँग से सतत पोषणीय विकास के लिए इस महत्वपूर्ण जीवनदायी संसाधन के संरक्षण की आवश्यकता बढ़ गई है। जल संरक्षण हेतु उपाय-जल संरक्षण हेतु जल बचत तकनीकी एवं विधियों के विकास के साथ - साथ जल प्रदूषण से बचाव के भी प्रयास किये जाने आवश्यक हैं। इस हेतु जल संभंर विकास, वर्षा जल संग्रहण, जल के पुनः चक्रण और पुनः उपयोग तथा लम्बे समय तक जल की आपूर्ति के लिए जल के संयुक्त उपयोग को प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है।

प्रश्न 9. 
जल संभर प्रबंधन क्या है? भारत के विभिन्न भागों में चलाये जा रहे जल संभर विकास कार्यक्रमों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
जल संभर प्रबंधन: जल संभर प्रबंधन से आशय मुख्य रूप से धरातलीय एवं भौमजल संसाधनों के दक्ष प्रबंधन से है। इसके अन्तर्गत बहते जल को रोकना और विभिन्न विधियों से अंतःस्रवण तालाब, पुनर्भरण, कुओं आदि के द्वारा भौमजल का संचयन एवं पुनर्भरण सम्मिलित है। भारत के विभिन्न भागों में निम्नलिखित जल संग्रहण कार्यक्रम प्रमुख रूप से प्रचलित हैं

  1. नीरू - मीरू (जल और आप) कार्यक्रम - आन्ध्र प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में, 
  2. अरवारी पानी संसद - राजस्थान के अलवर जिले में, 
  3. हरियाली - केन्द्र सरकार द्वारा भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में।

उक्त कार्यक्रमों के अन्तर्गत स्थानीय ग्रामीण लोगों के सहयोग से विभिन्न जल संग्रहण संरचनाएँ; जैसे-अंतःस्रवण तालाब, ताल (जोहड़) की खुदाई कर रोक बाँध निर्मित किये गये हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में परम्परागत रूप से वर्षा जल संग्रहण हेतु विभिन्न प्रकार के जलाशयों; जैसे - झीलों, तालाबों तथा कुण्डों का निर्माण किया जा रहा है। तमिलनाडु भारत का प्रथम राज्य है जिसने प्रत्येक घर में जल - संग्रहण संरचना का निर्माण अनिवार्य कर दिया है।

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प्रश्न 10. 
सतत् पोषणीय विकास में जल संभर प्रबंधन की भूमिका की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
उत्तर:
सतत् पोषणीय विकास में जल संभर प्रबन्धन की भूमिका-सतत् पोषणीय विकास की संकल्पना की आधारभूत मान्यता यह है कि प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग की दर प्राकृतिक संसाधनों के नवीनीकरण की दर से अधिक नहीं होनी चाहिए, जबकि जल संभर प्रबन्धन का प्रमुख उद्देश्य प्राकृतिक संसाधनों तथा समाज के मध्य सन्तुलन स्थापित करना है। स्पष्ट है कि जल संभर विकास तथा सतत् पोषणीय विकास के मध्य घनिष्ठ सम्बन्ध है।
जल संभर विकास निम्न कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है:

  1. जल संभर से भूमिगत जल स्तर को बढ़ावा मिलता है। 
  2. जल संभर से एकत्रित जल कृषिगत क्षेत्र को बढ़ाने में सहायक है। 
  3. जल संभर कार्यक्रमों से वन भूमि का विस्तार होने के साथ - साथ मृदा अपरदन पर नियंत्रण होता है। 
  4. प्राकृतिक पर्यावरण शुद्ध बना रहता है। 

प्रश्न 11. 
वर्षा जल संग्रहण क्या है? वर्षा जल संग्रहण की प्रचलित विधियाँ बताइए।
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण से आशय: वर्षा जल संग्रहण एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा के जल को रोका व एकत्रित किया जाता है। यह एक ऐसी कम मूल्य और पारिस्थितिकी अनुकूल विधि है जिसके द्वारा वर्षा जल की प्रत्येक बूंद को संरक्षित करने के लिए वर्षा जल को नलकूपों, गड्ढों तथा कुओं में इकट्ठा किया जाता है।

वर्षा जल संग्रहण की प्रचलित विधियाँ: देश के विभिन्न भागों में लम्बे समय से वर्षा जल संग्रहण की विभिन्न विधियों का उपयोग किया जा रहा है, जिनमें निम्नलिखित तीन विधियाँ उल्लेखनीय हैं।

  1. टाँका - राजस्थान के अर्द्धशुष्क तथा शुष्क क्षेत्रों में स्थित बस्तियों में परम्परागत रूप से एक वर्षा जल संग्रहण ढाँचे का उपयोग किया जाता है। टाँका या कुंड के नाम से प्रसिद्ध यह वर्षा जल संग्रहण ढाँचा वस्तुतः एक ढकी हुई भूमिगत टंकी होती है, जिसका निर्माण घर में या घर के पास वर्षा जल को एकत्र करने के उद्देश्य से किया जाता है।
  2. तालाब एवं झील-ग्रामीण क्षेत्रों में परम्परागत रूप से वर्षा जल संग्रहण के लिए धरातलीय संरचनाएँ; जैसे-तालाब एवं झीलों का उपयोग किया जाता है। .
  3. जल संभर प्रबन्धन द्वारा प्रस्तर कूप व चैक डैम निर्मित कर जल संग्रहण। 
  4. सर्विस कूपों द्वारा घरों की छतों से वर्षा जल का संग्रहण। 
  5. पुनर्भरण कूपों द्वारा वर्षा जल का संग्रहण। 

प्रश्न 12. 
वर्षा जल संग्रहण से होने वाले लाभ बताइए।
अथवा 
वर्षा जल संग्रहण हमारे लिए किस प्रकार लाभकारी है? कोई चार बिन्दु लिखिए।
अथवा 
'वर्षा जल संग्रहण' के आर्थिक एवं सामाजिक मूल्यों का विश्लेषण कीजिए। 
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण के लाभ: वर्षा जल संग्रहण से निम्नलिखित लाभ हैं:

  1. वर्षा जल संग्रहण धरातलीय व भूमिगत जल की उपलब्धता में वृद्धि कर भूमिगत जल के स्तर को बढ़ाता है साथ ही इससे भूमिगत जल को निकालने में ऊर्जा की बचत होती है।
  2. फ्लोराइड और नाइट्रेटस जैसे संदूषकों को कम करके अवमिश्रित भूमिगत जल की गुणवत्ता को बढ़ाता है। 
  3. मृदा अपरदन तथा बाढ़ों को नियन्त्रित करने में सहयोग मिलता है।
  4. वर्षा जल संग्रहण विधि को जलभृतों के पुनर्भरण के लिए उपयोग किया जाता है जिसके कारण इससे तटीय क्षेत्रों में सागर के लवणीय जल का प्रवेश रुक जाता है। 
  5. वर्षा जल संग्रहण घरेलू उपयोग के लिए भूमिगत जल पर, मानवीय समुदाय की निर्भरता को कम करता है।
  6. भारत के अधिकांश नगरों में जल की माँग जल की आपूर्ति की तुलना में काफी बढ़ चुकी है। वर्षा जल संग्रहण से नगरों में जल की बढ़ती माँग को काफी सीमा तक पूरा किया जा सकता है।

प्रश्न 13. 
भारतीय राष्ट्रीय जल नीति, 2002 की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
भारतीय राष्ट्रीय जल नीति, 2002 की मुख्य विशेषताएँ:
राष्ट्रीय जल नीति 2002 की जल आवंटन प्राथमिकताएँ विस्तृत रूप में निम्नलिखित क्रम में निर्देशित की गई हैं:

  1. पेयजल 
  2. सिंचाई 
  3. जलशक्ति 
  4. नौकायन 
  5. औद्योगिक और अन्य उपयोग। 

इस नीति की मुख्य विशेषताएँ इस प्रकार हैं:

  1. सिंचाई और बहुउद्देशीय परियोजनाओं में पीने का जल घटक में सम्मिलित करना चाहिए जहाँ पेयजल के स्रोतों का कोई भी विकल्प नहीं है।
  2. पेयजल मानव जाति और प्राणियों को उपलब्ध कराना प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए। 
  3. भौमजल के शोषण को सीमित और नियमित करने के लिए उपाय करने चाहिए।
  4. सतही जल और भौमजल दोनों की गुणवत्ता के लिए नियमित जाँच होनी चाहिए। जल की गुणवत्ता सुधारने के लिए एक चरणबद्ध कार्यक्रम शुरू किया जाना चाहिए।
  5. जल के सभी विविध प्रयोगों में कार्यक्षमता सुधारनी चाहिए। 
  6. दुर्लभ संसाधन के रूप में, जल के लिए जागरूकता विकसित करनी चाहिए। 
  7. शिक्षा, विनिमय, उपक्रमणों, प्रेरकों और अनुक्रमणों द्वारा संरक्षण चेतना बढ़ानी चाहिए। 

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प्रश्न 14. 
जल क्रांति अभियान क्या है?
उत्तर:
जल क्रांति अभियान भारत सरकार द्वारा 2015 - 16 में आंरभ किया गया था जिसका मुख्य उद्देश्य देश में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता को सुनिश्चित करना है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में लोग पारम्परिक तरीकों से जल संरक्षण व प्रबंधन सुनिश्चित करते हैं। भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या इससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए जल की आपूर्ति व माँग के मध्य सामंजस्य बिठाने के लिए यह कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। 

निबन्धात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
भारत के विभिन्न सेक्टरों में जल के उपयोग का उल्लेख कीजिए तथा सिंचाई के लिये जल की माँग तथा उपयोग की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत के विभिन्न सेक्टरों में जल का उपयोग - भारत में जल का उपयोग निम्नलिखित तीन सेक्टरों में किया जाता है:

  1. घरेलू सेक्टर 
  2. औद्योगिक सेक्टर 
  3. कृषि सेक्टर।

चूँकि भारत एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाला देश है अतः भारत में जल का सर्वाधिक उपयोग कृषि कार्य में सिंचाई हेतु किया जाता है। भारत में प्रयुक्त धरातलीय एवं भूमिगत जल प्रारूपों को निम्न आरेखों द्वारा दर्शाया गया है।
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उपर्युक्त दोनों आरेखों के अवलोकन से स्पष्ट है कि धरातलीय जल तथा भौमजल का सर्वाधिक उपयोग कृषि क्षेत्र में किया जाता है. देशा में उपलका कुरु भारीप जल का HONOसक मजल का उस की मेट में की प्रयुक्त होता है जबकि औद्योगिक क्षेत्र में धरातलीय जल का केवल 2 प्रतिशत भाग तथा भौमजल का 5 प्रतिशत भाग ही प्रयुक्त किया जाता है। दूसरी ओर घरेलू क्षेत्र में धरातलीय जल का 9 प्रतिशत तथा भौमजल का 3 प्रतिशत भाग ही उपयोग में लाया जाता है।

भारत में सिंचाई के लिये जल की मांग तथा उपयोग: देश में वर्षा की स्थानिक व सामयिक भिन्नता के कारण कृषि क्षेत्रों में सिंचाई की आवश्यकता रहती है। यही नहीं, देश का एक बड़ा भाग वर्षा विहीन और सूखाग्रस्त है तथा देश के अधिकांश भागों में ग्रीष्मकालीन व शीतकालीन ऋतुओं में अत्यधिक शुष्कता मिलती है। कम वर्षा तथा वर्षा विहीनता से प्रभावित कृषि क्षेत्रों में सिंचाई के बिना कृषि उत्पादन नहीं किया जा सकता।

इसके अलावा चावल, गन्ना तथा जूट की कृषि के लिए पर्याप्त जल की आवश्यकता को बिना सिंचाई के पूरी कर पाना असम्भव होता है। सिंचाई की सुचारु उपलब्धता द्वारा देश के विभिन्न भागों के कृषि क्षेत्रों में निम्नलिखित प्रभाव अनुभव किए गए हैं:

  1. सिंचाई व्यवस्था ने कृषि क्षेत्रों में बहुफसलीकरण को बढ़ावा दिया है।
  2. पंजाब, हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हरित-क्रान्ति को सफलता मिली है। उक्त राज्यों/क्षेत्रों के निवल बोये गये क्षेत्र का वर्तमान में 85 प्रतिशत भाग सिंचित है।
  3. पंजाब, हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश अपने यहाँ के सम्भावित भूमिगत जल के एक बड़े भाग का सिंचाई के लिए अधिकाधिक उपयोग कुओं तथा नलकूपों के माध्यम से कर रहे हैं जिसके कारण इन राज्यों के भूमिगत जल के भण्डारों में कमी आती जा रही है।
  4. राजस्थान तथा महाराष्ट्र राज्यों में सिंचाई के लिए भूमिगत जल के अत्यधिक उपभोग से भूमिगत जल में फ्लोराइड का प्रतिशत बढ़ गया है, जबकि पश्चिम बंगाल तथा बिहार के कुछ भागों के भूमिगत जल में संखिया (आर्सेनिक) का संकेन्द्रण बढ़ गया है।

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प्रश्न 2. 
भारत में जल संरक्षण और प्रबन्धन क्यों आवश्यक है? जल प्रदूषण की समस्या के निवारण के सन्दर्भ में किये गये सरकारी प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत में जल संरक्षण और प्रबन्धन की आवश्यकता: भारत में जल संरक्षण और प्रबन्धन की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है।

  1. भारत में स्वच्छ जल की उपलब्धता घट रही है, जबकि इसकी माँग तीव्र गति से बढ़ रही है।
  2. महासागरों के लवणीय जल को स्वच्छ जल में परिवर्तित करना अधिक लागत के कारण सम्भव नहीं है इसलिए भविष्य में महासागरों से स्वच्छ जल प्राप्त करना कठिन होगा।
  3. सतत् पोषणीय विकास के लिये जल की सतत् एवं पर्याप्त आपूर्ति आवश्यक है।

भारत में जल प्रदूषण की समस्या तथा इसके निवारण सम्बन्धी उपाय: भारत में उपलब्ध जलीय संसाधनों का तेजी से निम्नीकरण हो रहा है। मैदानी भागों में प्रवाहित अधिकांश नदियों में प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। दिल्ली तथा इटावा के मध्य यमुना देश में सबसे अधिक प्रदूषित नदी है। दूसरी ओर अहमदाबाद में साबरमती, लखनऊ में गोमती, मदुरई में काली, अडयार, कूअम तथा वैगई नदियाँ, हैदराबाद में मूसी तथा कानपुर व वाराणसी में गंगा नदी भी गम्भीर रूप से प्रदूषित हो चुकी हैं। देश के विभिन्न भागों में भारी/विषैली धातुओं, फ्लोराइड व नाइट्रेटस के संकेन्द्रण से भूमिगत जल भी प्रदूषित हो गया है।

उक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार को जल संरक्षण तथा दीर्घकाल तक जल की आपूर्ति कायम रखने के लिए प्रभावशाली नीतियों तथा कानूनों को क्रियान्वित करना अति आवश्यक है। वर्तमान में भारत सरकार द्वारा अग्रलिखित बोर्ड तथा अधिनियमों के माध्यम से जल प्रदूषण नियन्त्रण का कार्य किया जा रहा है।
(i) केन्द्रीय प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड तथा राज्य प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड-उक्त बोर्डों के माध्यम से देश के 507 स्टेशनों की राष्ट्रीय जल संसाधन की गुणवत्ता का निरीक्षण किया जा रहा है। इन स्टेशनों से प्राप्त जलीय गुणवत्ता के आँकड़े यह प्रदर्शित करते हैं कि नदियों में प्रदूषण का मुख्य स्रोत जैव और जैवाणविक संदूषण है।

(ii) जल अधिनियम,1974 (प्रदूषण का निवारण और नियन्त्रण) तथा पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम, 1986-प्रदूषण नियन्त्रण के यह अधिनियम प्रभावी ढंग से देश में लागू नहीं हो सके हैं जिसका परिणाम यह हुआ है कि सन् 1997 में जल प्रदूषण उत्पन्न करने वाले 251 उद्योग देश में नदियों या झीलों के किनारे स्थापित किये गये थे।

(iii) जल कर अधिनियम, 1977-इस अधिनियम का उद्देश्य जल प्रदूषण कम करना है लेकिन यह अधिनियम भी देश में बढ़ते जल प्रदूषण को नियन्त्रित करने में पूर्णतया सफल नहीं हो पाया। किया है लेकिन जल प्रदूषणजनित दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता के प्रचार व प्रसार के अभाव में देश में जल प्रदूषण के स्तर को कम करने में अपेक्षित सफलता अभी तक नहीं मिल सकी है। जन जागरूकता तथा आम आदमी की जल प्रदूषण नियन्त्रण में भागीदारी से कृषिगत कार्यों, घरेलू कार्यों तथा औद्योगिक इकाइयों से विसर्जित प्रदूषकों में प्रभावशाली ढंग से कमी लाई जा सकती है।

प्रश्न 3. 
वर्षा जल संग्रहण क्या है? इससे होने वाले लाभों का उल्लेख करते हुए भारत में प्रचलित वर्षा जल संग्रहण की विभिन्न विधियों की विवेचना कीजिए।
अथवा 
वर्षा जल संग्रहण क्या है? इसके किन्हीं 6 लाभों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वर्षा जल संग्रहण से आशय: वर्षा जल संग्रहण एक ऐसी विधि है जिसके द्वारा विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा के जल को रोका व एकत्रित किया जाता है। यह एक ऐसी कम मूल्य और पारिस्थितिकी अनुकूल विधि है जिसके द्वारा वर्षा जल की प्रत्येक बूंद को संरक्षित करने के लिए वर्षा जल को नलकूपों, गड्ढों तथा कुओं में इकट्ठा किया जाता है।
वर्षा जल संग्रहण के लाभ: वर्षा जल संग्रहण से निम्नलिखित लाभ हैं।
(i) भूमिगत जल के स्तर में वृद्धि: वर्षा जल संग्रहण धरातलीय व भूमिगत जल की उपलब्धता में वृद्धि कर भूमिगत जल के स्तर को बढ़ाता है। साथ ही इससे भूमिगत जल को निकालने में ऊर्जा की बचत होती है।

(ii) भूमिगत जल की गुणवत्ता सुधारना: वर्षा जल संग्रहण फ्लोराइड व नाइट्रेटस जैसे संदूषकों को कम करके अवमिश्रित भूमिगत जल की गुणवत्ता को बढ़ाता है।

(iii) मृदा अपरदन तथा बाढ़ों को नियन्त्रित करने में सहयोग: वर्षा जल संग्रहण में स्थानीय रूप से वर्षा जल को एकत्रित करके भूमि जल भंडारों में संग्रहीत करने से व्यर्थ में वर्षा जल धरातल पर नहीं बहता है जिससे मृदा अपरदन रुकता है एवं बाढ़ों को नियन्त्रित करने में भी सहयोग प्राप्त होता है।

(iv) जल की निरन्तर माँग को पूरी करना: आज विश्व में चारों ओर मीठे जल की उपलब्धता की समस्या बढ़ती जा रही है। भारत के अधिकांश नगरों में जल की माँग उसकी आपूर्ति की तुलना में बहुत अधिक बढ़ चुकी है। वर्षा जल संग्रहण से नगरों में जल की बढ़ती माँग को काफी हद तक पूरा किया जा सकता है। यह ग्रीष्म ऋतु व सूखे के समय जल की घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायता करता है।

(v) जलभृतों के पुनर्भरण के लिए उपयोग वर्षा जल संग्रहण विधि को जलभृतों के पुनर्भरण के लिए उपयोग किया जाता है।

(vi) जल समस्या के समाधान में सहायक-वर्षा जल संग्रहण तटीय क्षेत्रों में पानी में विलवणीयकरण और शुष्क व अर्द्धशुष्क क्षेत्रों में खारे पानी की समस्या, नदियों को जोड़कर अधिक जल के क्षेत्रों से कम जल के क्षेत्रों में जल स्थानांतरित करके भारत में जल समस्या को सुलझाने का यह एक महत्त्वपूर्ण उपाय है।

इस प्रकार कहा जा सकता है कि वर्षा जल संग्रहण से अनेक लाभ हैं। वर्षा के जल को संग्रहीत करके भौम जल के स्तर में वृद्धि की जा सकती है जिससे निरन्तर बढ़ती जनसंख्या तथा औद्योगिक, कृषि व घरेलू निस्सरणों से प्रदूषित होने से तथा सीमित होते जल संसाधनों की उपलब्धता को बढ़ाया जा सकता है।

वर्षा जल संग्रहण की प्रचलित विधियाँ: देश के विभिन्न भागों में लम्बे समय से वर्षा जल संग्रहण की विभिन्न विधियों का उपयोग किया जा रहा है, जिनमें निम्नलिखित विधियाँ उल्लेखनीय हैं।
(1) टाँका - राजस्थान के अर्द्धशुष्क तथा शुष्क क्षेत्रों में स्थित बस्तियों में परम्परागत रूप से वर्षा जल संग्रहणं ढाँचे का उपयोग किया जाता है। टाँका या कुंड के नाम से प्रसिद्ध यह वर्षा जल संग्रहण ढाँचा वस्तुतः एक ढकी हुई भूमिगत टंकी होती है जिसका निर्माण घर में या घर के पास वर्षा जल को एकत्र करने के उद्देश्य से किया जाता है।

(2) तालाब एवं झील - ग्रामीण क्षेत्रों में परम्परागत रूप से वर्षा जल संग्रहण के लिए धरातलीय संरचनाएँ; जैसे - तालाब एवं झीलों का उपयोग किया जाता है।

इसके अलावा निम्नलिखित तीन विधियों से भी वर्षा जल संग्रहण किया जाता है:

  1. जल संभर प्रबन्धन द्वारा प्रस्तर कूप व चैक डैम निर्मित कर जल संग्रहण।
  2. सर्विस कूपों द्वारा घरों की छतों से वर्षा जल का संग्रहण
  3. पुनर्भरण कूपों द्वारा वर्षा जल का संग्रहण।

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में इस अध्याय से पूछे गये प्रश्न: 

प्रश्न 1. 
खड़ीन है
(अ) जनजाति
(ब) जल संरक्षण तकनीक 
(स) वन संरक्षण तकनीक
(द) जनजातीय गाँव 
उत्तर:
(ब) जल संरक्षण तकनीक। 

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प्रश्न 2. 
कयाल (पश्च जल) पाये जाते हैं?
(अ) मालाबार तट पर
(ब) कोंकण तट पर 
(स) कोरोमण्डल तट पर
(द) काठियावाड तट पर 
उत्तर:
(अ) मालाबार तट पर। 

प्रश्न 3. 
वृहद् भारतीय मरुस्थल में सिंचाई का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्रोत क्या है? 
(अ) नहर 
(ब) कुआँ 
(स) नलकूप 
(द) इनमें से सभी। 
उत्तर:
(अ) नहर। 

प्रश्न 4. 
सबसे लम्बी पश्चिम की ओर बहने वाली प्रायद्वीपीय नदी कौन सी है? 
(अ) गोदावरी 
(ब) कृष्णा
(स) नर्मदा
(द) ताप्ती। 
उत्तर:
(स) नर्मदा। 

प्रश्न 5. 
निम्न में से किस राज्य की सबसे लम्बी तट रेखा है?
(अ) तमिलनाडु 
(ब) महाराष्ट्र 
(स) गुजरात
(द) केरल। 
उत्तर:
(स) गुजरात। 

RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल - संसाधन

प्रश्न 6. 
अपने प्रदूषकों के कारण निम्न में से कौन - सी नदी 'जैविक मरुस्थल' कहलाती है?
(अ) यमुना 
(ब) पेरियार 
(स) दामोदर
(द) महानदी। 
उत्तर:
(स) दामोदर। 

प्रश्न 7. 
भारत में पूर्व की ओर प्रवाहित होने वाली नदियों का उत्तर से दक्षिण का सही क्रम बतलाइए।
(अ) महानदी, गोदावरी, कृष्णा, पेनार, कावेरी 
(ब) महानदी, कृष्णा, गोदावरी, पेनार, कावेरी 
(स) महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, पेनार 
(द) महानदी, कृष्णा, गोदावरी, पेनार, कावेरी 
उत्तर:
(अ) महानदी, गोदावरी, कृष्णा, पेनार, कावेरी।

प्रश्न 8. 
निम्न में से किस राज्य में कुल फसली क्षेत्र में से सर्वाधिक सिंचित क्षेत्र का प्रतिशत है?
(अ) हरियाणा 
(ब) मध्य प्रदेश 
(स) गुजरात 
(द) पंजाब। 
उत्तर:
(द) पंजाब। 

प्रश्न 9.
निम्न में से किस वर्ष में भारत में राष्ट्रीय जल नीति को सूत्रबद्ध किया गया? 
(अ) 2002 
(ब) 1987 
(स) 2007
(द) 1985 
उत्तर:
(अ) 2002 

प्रश्न 10. 
निम्न में से कौन - सा शहर तापी के मुहाने पर स्थित है?
(अ) अंकलेश्वर 
(ब) वडोदरा
(स) अहमदाबाद 
(द) सूरत। 
उत्तर:
(ब) वडोदरा। 

प्रश्न 11. 
विश्व में जल संसाधनों का लगभग जितना प्रतिशत भारत में उपलब्ध है, वह है।
(अ) 4 
(ब) 1.5 
(स) 11
(द) 7.9 
उत्तर:
(अ) 4 

प्रश्न 12. 
प्रायद्वीपीय भारत की निम्न चार नदियों में से कौन-सी शेष तीन से विशिष्ट रूप से भिन्न है?
(अ) कावेरी 
(ब) नर्मदा
(स) कृष्णा 
(द) गोदावरी। 
उत्तर:
(ब) नर्मदा। 

RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 6 जल - संसाधन

प्रश्न 13. 
सन् 1951 - 81 की अवधि में भारत में संचयी सिंचाई सम्भाव्यता की वृद्धि की मात्रा है।
(अ) 1.5 गुना 
(ब) 2.5 गुना 
(स) 3.0 गुना 
(द) 3.5 गुना। 
उत्तर:
(अ) 1.5 गुना।

Prasanna
Last Updated on Jan. 2, 2024, 9:20 a.m.
Published Jan. 1, 2024