RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 मानव विकास

Rajasthan Board RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 मानव विकास Important Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 मानव विकास

बहुविकल्पीय प्रश्न: 

प्रश्न 1.
विकास के अवसरों की दृष्टि से भारत में कौन - सा वर्ग सर्वाधिक पिछड़ा हुआ है? 
(क) अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति 
(ख) भूमिहीन कृषक व गरीब कृषक 
(ग) गंदी बस्तियों के निवासी
(घ) उक्त सभी। 
उत्तर:
(घ) उक्त सभी। 

RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 मानव विकास 

प्रश्न 2. 
निम्न में से किस वर्ष संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) ने मानव विकास रिपोर्ट का सर्वप्रथम प्रकाशन किया?
(क) सन् 1950 में
(ख) सन् 1975 में 
(ग) सन् 1985 में
(घ) सन् 1990 में। 
उत्तर:
(घ) सन् 1990 में।

प्रश्न 3. 
यू. एन. डी. पी. मानव विकास रिपोर्ट, 2018 के अनुसार भारत का मानव विकास सूचकांक के सन्दर्भ में विश्व के 189 देशों में स्थान है।
(क) 125 वाँ 
(ख) 127 वाँ
(ग) 130 वाँ
(घ) 100 वाँ। 
उत्तर:
(ख) 127 वाँ

प्रश्न 4. 
यू.एन.डी.पी. मानव विकास रिपोर्ट, 2018 के अनुसार भारत में मानव विकास सूचकांक मूल्य रहा।
(क) 0.578 
(ख) 0.640
(ग) 0.778
(घ) 0.817
उत्तर:
(ग) 0.778

प्रश्न 5. 
विश्व में सर्वाधिक मानव विकास सूचकांक मूल्य वाला देश है।
(क) नार्वे 
(ख) स्वीडन
(ग) ऑस्ट्रेलिया 
(घ) श्रीलंका। 
उत्तर:
(ख) स्वीडन

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प्रश्न 6. 
भारत के योजना आयोग (सन् 2011) के अनुसार भारत के किस राज्य की कुल जनसंख्या में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाली जनसंख्या का सर्वाधिक प्रतिशत रहा? 
(क) छत्तीसगढ़ 
(ख) बिहार
(ग) मध्य प्रदेश
(घ) सिक्किम। 
उत्तर:
(क) छत्तीसगढ़ 

प्रश्न 7. 
भारत के निम्नलिखित राज्यों की कुल जनसंख्या में गरीबी रेखा से नीचे निवासित जनसंख्या का प्रतिशत सबसे कम है।
(क) पंजाब 
(ख) गोआ
(ग) हिमाचल प्रदेश 
(घ) जम्मू-कश्मीर। 
उत्तर:
(ख) राबर्ट माल्थस 

प्रश्न 8. 
सन् 2011 में भारत के किस राज्य में स्त्री साक्षरता उच्चतम रही? 
(क) तमिलनाडु 
(ख) केरल
(ग) हिमाचल प्रदेश 
(घ) गोआ। 
उत्तर:
(ख) राबर्ट माल्थस 

प्रश्न 9. 
मानव विकास सूचकांक में भारत के निम्नलिखित राज्यों के किस एक राज्य की कोटि निम्नतम है।
(क) हरियाणा 
(ख) ओडिशा (उड़ीसा) 
(ग) केरल
(घ) बिहार। 
उत्तर:
(ख) राबर्ट माल्थस 

प्रश्न 10. 
निम्न में से किस विद्वान ने मानव जनसंख्या की तुलना में संसाधनों के अभाव के विषय में चिंता व्यक्त की।
(क) महात्मा गाँधी 
(ख) राबर्ट माल्थस 
(ग) प्लेटो
(घ) रैटजेल। 
उत्तर:
(ख) राबर्ट माल्थस 

प्रश्न 11. 
"व्यक्तिगत मितव्ययता, सामाजिक धन की न्यासधारिता एवं अहिंसा एक व्यक्ति और एक राष्ट्र के जीवन में उच्चतर लक्ष्य प्राप्त करने की कुंजी है।" यह कथन किसका है। 
(क) रैटजेल 
(ख) सेम्पुल
(ग) माल्थस
(घ) महात्मा गाँधी। 
उत्तर:
(घ) महात्मा गाँधी। 

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प्रश्न 12. 
निम्न में से किस वर्ष शूमाकर की पुस्तक “स्माल इज ब्यूटीफुल" का प्रकाशन हुआ।
(क) सन् 1970 में 
(ख) सन् 1974 में 
(ग) सन् 1987 में 
(घ) सन् 1995 में।।
उत्तर:
(ख) सन् 1974 में 

सुमेलन सम्बन्धी प्रश्न:

निम्न में स्तम्भ अ को स्तम्भ ब से सुमेलित कीजिए:

प्रश्न 1. 

स्तम्भ अ (दशा)

स्तम्भ ब (सम्बन्ध) 

(i) मानव विकास सूचकांक का प्रकाशन

(अ) नार्वे 

(ii) सर्वाधिक मानव विकास सूचकांक वाला देश

(ब) 0.640 

(iii) भारत का मानव विकास सूचकांक

(स) केरल 

(iv) भारत में उच्चतम मानव विकास सूचकांक वाला राज्य

(द) छत्तीसगढ़  

(v) भारत में सर्वाधिक गरीब जनसंख्या के प्रतिशत वाला राज्य

(य) UNDP द्वारा

उत्तर:

स्तम्भ अ (दशा)

स्तम्भ ब (सम्बन्ध) 

(i) मानव विकास सूचकांक का प्रकाशन

(य) UNDP द्वारा

(ii) सर्वाधिक मानव विकास सूचकांक वाला देश

(अ) नार्वे 

(iii) भारत का मानव विकास सूचकांक

(ब) 0.640 

(iv) भारत में उच्चतम मानव विकास सूचकांक वाला राज्य

(स) केरल 

(v) भारत में सर्वाधिक गरीब जनसंख्या के प्रतिशत वाला राज्य

(द) छत्तीसगढ़


रिक्त स्थान पूर्ति सम्बन्धी प्रश्न:

निम्न वाक्यों में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:

प्रश्न 1.
मानव विकास का एक अन्य ............... सबंधित पक्ष भी है जिसका निम्नतर मानवीय दशाओं से सीधा संबंध है। 
उत्तर:
अंतर 

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प्रश्न 2.
मानव विकास सूचकांक में ............... स्कोर का होना गंभीर चिंता का विषय है। 
उत्तर:
न्यून

प्रश्न 3.
अनियंत्रित ............. भारत में गरीबी के अधिक होने का एक महत्त्वपूर्ण कारक है।
उत्तर:
बेरोजगारी 

प्रश्न 4.
............ व .............. जैसे विकसित राज्यों में लिंगानुपात की दशा चिंताजनक है। 
उत्तर:
पंजाब, हरियाणा

प्रश्न 5.
एजेंडा - 21 रिपोर्ट ऑफ द रियो कांफ्रेंस .............. में प्रतिध्वनित हुए हैं।
उत्तर:
1993 

सत्य - असत्य कथन सम्बन्धी प्रश्न:

निम्न में से सत्य असत्य कथनों की पहचान कीजिए:

प्रश्न 1.
विकास स्वतंत्रता है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 2.
विकास का पश्चिम अथवा यूरोप केन्द्रित विचार मिलता है।
उत्तर:
सत्य

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प्रश्न 3.
गरीबी वंचित रहने की अवस्था है।
उत्तर:
सत्य

प्रश्न 4.
राजस्थान विकास सूचकांक में अग्रणी है।
उत्तर:
असत्य 

प्रश्न 5.
भारत का विश्व के 188 देशों में 121 वां स्थान है। 
उत्तर:
असत्य 

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न:

प्रश्न 1. 
विकास क्या है? 
उत्तर:
विकास का अर्थ गुणात्मक परिवर्तन से है जिसमें सदैव सकारात्मक वृद्धि होती है। 

प्रश्न 2. 
वर्तमान सन्दर्भ में विकास का प्रतीक किसे समझा जाता है?
उत्तर:
वर्तमान सन्दर्भ में कम्प्यूटरीकरण, औद्योगिकीकरण, सक्षम परिवहन व संचार जाल, वृहत् शिक्षा प्रणाली, उन्नत एवं आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं तथा वैयक्तिक सुरक्षा आदि को विकास का प्रतीक समझा जाता है।

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प्रश्न 3. 
भारत का कौन - सा जनसंख्या समूह भारत में अति उपेक्षित जीवनयापन कर रहा है? 
उत्तर:
भारत में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, भूमिहीन कृषि मजदूरों, गरीब कृषकों तथा गन्दी बस्तियों में निवासित जनसंख्या का एक बड़ा समूह अति उपेक्षित स्थिति में जीवनयापन कर रहा है।

प्रश्न 4. 
विश्व स्तर पर मानव विकास रिपोर्ट का प्रकाशन कौन - सी संस्था करती है? 
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम। 

प्रश्न 5. 
मानव विकास की न्यूनतम दशाएँ क्या हैं? 
उत्तर:
उत्तरोत्तर लोकतंत्रीकरण एवं सशक्तीकरण मानव विकास की न्यूनतम दशाएँ हैं। 

प्रश्न 6. 
मानव विकास का मापन किसके माध्यम से किया जाता है? 
उत्तर:
मानव विकास सूचकांक द्वारा। 

प्रश्न 7. 
मानव विकास सूचकांक क्या है?
उत्तर:
मानव विकास निर्धारण हेतु संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा निर्धारित संकेतांकों के द्वारा अंकित किसी क्षेत्र या देश के विकास का माप मानव विकास सूचकांक कहलाता है।

प्रश्न 8. 
उच्चतम एवं न्यूनतम मानव विकास सूचकांक वाले एक - एक देश का नाम बताइए।
उत्तर:
उच्चतम मानव विकास सूचकांक वाला देश - नार्वे (0.953) न्यूनतम मानव विकास सूचकांक वाला देशनाइजर (0 - 354) है।

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प्रश्न 9. 
मानव विकास की प्रकृति के निर्धारण में निर्णायक भूमिका निभाने वाले किन्हीं दो कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. आतंकवाद 
  2. सरकार का स्वरूप।

प्रश्न 10. 
भारत की मानव विकास रिपोर्ट कौन तैयार करता है? 
उत्तर:
भारत का योजना आयोग। नोट: योजना आयोग का नाम बदलकर 2015 से नीति आयोग कर दिया गया है। 

प्रश्न 11. 
मानव विकास को निर्धारित करने के लिए कौन - से संकेतकों का उपयोग होता है?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा मानव विकास को निर्धारित करने के लिए निम्नलिखित तीन संकेतकों का संयुक्त रूप से उपयोग किया जाता है।

  1. दीर्घ जीविता 
  2. ज्ञान आधार 
  3. उच्च जीवन स्तर। 

प्रश्न 12. 
किसी भी देश में संसाधन आधार का माप किसे माना जाता है?
उत्तर:
किसी भी देश में सकल घरेलू उत्पादन एवं इसकी प्रति व्यक्ति उपलब्धता को ही संसाधन आधार अथवा अक्षयनिधि का माप माना जाता है।

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प्रश्न 13. 
भारत के विभिन्न राज्यों में प्रति व्यक्ति आय की भिन्नताएँ किन - किन आर्थिक समस्याओं की ओर संकेत करती हैं?
उत्तर:

  1. गरीबी 
  2. बेरोजगारी 
  3. अपूर्ण रोजगार। 

प्रश्न 14. 
गरीबी से क्या आशय है?
उत्तर:
"गरीबी वंचित रहने की अवस्था है। निरपेक्ष रूप से यह व्यक्ति की सतत, स्वस्थ और यथोचित उत्तम जीवन जीने के लिए आवश्यक जरूरतों को सन्तुष्ट न कर पाने की असमर्थता को उजागर करती है।"

प्रश्न 15. 
भारत में गरीबी के अधिक होने के कोई दो कारण लिखिए। 
उत्तर:

  1. बिना रोजगार की आर्थिक वृद्धि 
  2. अनियंत्रित जनसंख्या। 

प्रश्न 16. 
भारत के किस राज्य की जनसंख्या का उच्चतम अनुपात गरीबी रेखा के नीचे है? 
उत्तर:
छत्तीसगढ़। 

प्रश्न 17. 
भारत के किस राज्य में गरीबी रेखा के नीचे जनसंख्या का प्रतिशत सबसे कम है?
उत्तर:
गोवा में। 

प्रश्न 18. 
एक स्वस्थ जीवन के क्या - क्या सूचक हैं? 
उत्तर:
रोग और पीड़ा से मुक्त जीवन एवं यथोचित दीर्घायु होना एक स्वस्थ जीवन के सूचक हैं। 

प्रश्न 19. 
स्वास्थ्य का मापन कैसे किया जाता है?
उत्तर:
स्वास्थ्य का मापन जन्म दर, मृत्यु दर (विशेष रूप से शिशु मृत्यु दर के संदर्भ में), पोषण एवं जन्म के समय जीवन प्रत्याशा के रूप में किया जाता है।

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प्रश्न 20. 
भारत में स्त्री लिंगानुपात की क्या स्थिति है? 
उत्तर:
भारत में स्त्री लिंगानुपात निरन्तर घट रहा है। 

प्रश्न 21. 
भारत में 0 - 6 आयु वर्ग के बच्चों के लिंग अनुपात में कमी के कोई दो कारण बताइए। 
उत्तर:

  1. सामाजिक दृष्टिकोण 
  2. लिंग पहचान की वैज्ञानिक विधियाँ। 

प्रश्न 22. 
मानव विकास की कुंजी किसे कहा जाता है?
उत्तर:
भूख, गरीबी, बँधुआ मजदूरी, अज्ञानता, निरक्षरता तथा किसी भी अन्य प्रकार की निर्बलता से मुक्ति मानव विकास की कुंजी है।

प्रश्न 23. 
वास्तविक अर्थों में मुक्ति कब सम्भव है?
उत्तर:
वास्तविक अर्थों में मुक्ति तभी सम्भव है जब लोग समाज में अपनी सामर्यों एवं विकल्पों के प्रयोग के लिए सशक्त हों तथा प्रतिभागिता करें।

प्रश्न 24. 
मुक्ति का मूलाधार क्या है? 
उत्तर:
समाज और पर्यावरण के बारे में ज्ञान तक पहुँच ही मुक्ति का मूल आधार है। 

प्रश्न 25. 
भारत का सबसे अधिक साक्षर राज्य कौन सा है?
उत्तर:
केरल।

प्रश्न 26. 
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की कुल साक्षरता बताइए। 
उत्तर:
74:04 प्रतिशत। 

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प्रश्न 27. 
भारत के किस राज्य में स्त्री साक्षरता दर सबसे कम है? 
उत्तर:
राजस्थान में। 

प्रश्न 28. 
मानव विकास सूचकांक में भारत के किस राज्य का प्रथम स्थान है?
उत्तर:
केरल। 

प्रश्न 29. 
केरल का मानव विकास सूचकांक सर्वाधिक होने का क्या कारण है? 
उत्तर:
केरल में मिलने वाली उच्च साक्षरता दर के कारण। 

प्रश्न 30. 
मानव विकास सूचकांक पर सार्थक प्रभाव डालने वाले किन्हीं दो कारकों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. शैक्षिक उपलब्धियाँ 
  2. आर्थिक विकास। 

प्रश्न 31. 
नवमाल्थसवादियों एवं पर्यावरणविदों ने मानव विकास से सम्बन्धित कौन - सा विचार दिया है?
उत्तर:
नवमाल्थसवादियों एवं पर्यावरणविदों का विश्वास है कि एक शांत और प्रसन्नचित्त सामाजिक जीवन के लिए संसाधन व जनसंख्या के मध्य उचित संतुलन होना चाहिए।

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प्रश्न 32. 
किस देश की सभ्यता व संस्कृति लम्बे समय से ही जनसंख्या, संसाधनों एवं विकास के प्रति संवेदनशील रही है?
उत्तर:
भारत की। 

प्रश्न 33. 
'स्माल इज ब्यूटीफुल' पुस्तक का लेखन कब व किसने किया?
उत्तर:
'स्माल इज ब्यूटीफुल' पुस्तक का लेखन सन् 1974 में शूमाकर ने किया था। 

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1):

प्रश्न 1. 
विकास के पश्चिमी विचार को स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
विकास का यूरोप केन्द्रित विचार क्या है? अथवा 'विकास स्वतंत्रता है।' कथन की व्याख्या करो।
अथवा 
विकास के पश्चिमी अथवा यूरोप केन्द्रित विचार का क्या अर्थ है?
उत्तर:
सामान्यतः विकास स्वतंत्रता है। विकास और स्वतंत्रता का सम्बन्ध प्रायः आधुनिकीकरण, अवकाश, सुविधा और समृद्धि से जुड़ा हुआ है। वर्तमान संदर्भ में कम्प्यूटरीकरण, औद्योगिकीकरण, सक्षम परिवहन एवं संचार जाल, वृहद् शिक्षा प्रणाली, उन्नत एवं आधुनिक चिकित्सा सुविधाएँ, वैयक्तिक सुरक्षा आदि को विकास का प्रतीक समझा जाता है। विकास को प्रायः आधुनिक वस्तुओं की उपलब्धता एवं पहुँच के सन्दर्भ में मापा जाता है। परन्तु यह विकास का आंशिक एवं एकतरफा रूप है जिसे प्रायः पश्चिमी अथवा यूरोप केन्द्रित विचार कहा जाता है।

प्रश्न 2. 
“भारत के लिए विकास, अवसरों के साथ - साथ उपेक्षाओं व वंचनाओं का मिला - जुला थैला है।" कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा 
स्पष्ट कीजिए भारत में विकास अवसरों एवं उपेक्षाओं तथा वंचनाओं का मिश्रण माना जाता है।"
उत्तर:
भारत में विकास को अवसरों, उपेक्षाओं एवं वंचनाओं का मिश्रण माना जाता है। इस देश के महानगरों में निवास करने वाले कुछ लोग जीवन की प्रत्येक प्रकार की सुख-सुविधा का आनंद ले रहे हैं जबकि ग्रामीण बस्तियों में रहने वाले विशाल जनसमूह तथा नगरों की मलिन बस्तियों में रहने वाले लोगों को पेयजल, शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसी आधारभूत सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हैं। अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, भूमिहीन कृषि मजदूरों, गरीब किसानों एवं गंदी बस्तियों में रहने वाले लोगों की स्थिति बहुत चिंताजनक है। स्त्री जनसंख्या का एक बड़ा भाग सर्वाधिक कष्ट में अपना जीवन व्यतीत कर रहा है।

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प्रश्न 3. 
निर्धनों के सामर्थ्य की गिरावट के लिए कौन - कौन सी अंतर्सम्बन्धित प्रक्रियाएँ कार्यरत हैं?
अथवा 
निर्धनों के सामर्थ्य की गिरावट के लिए कौन जिम्मेदार है? 
उत्तर:
निर्धनों के सामर्थ्य की गिरावट के लिए तीन अंतर्सम्बन्धित प्रक्रियाएँ कार्यरत हैं:

  1. विस्थापन एवं दुर्बल होते सामाजिक बंधनों के कारण सामाजिक सामर्थ्य में कमी। 
  2. विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों; यथा - जल, वायु, ध्वनि, मृदा आदि के कारण पर्यावरणीय सामर्थ्य में कमी। 
  3. तीव्र गति से बढ़ती हुई बीमारियों एवं दुर्घटनाओं के कारण व्यक्तिगत सामर्थ्य में कमी। अंततः निर्धनों के जीवन की गुणवत्ता एवं मानव विकास पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। 

प्रश्न 4. 
वर्तमान विकास को किन - किन समस्याओं का कारण माना जा रहा है?
अथवा 
वर्तमान विकास किन समस्याओं का कारण है?
उत्तर:
वर्तमान विकास सामाजिक अन्याय, प्रादेशिक असन्तुलन एवं पर्यावरणीय निम्नीकरण के मुद्दे से स्वयं को जोड़ नहीं पाया है। परिणामस्वरूप इसे व्यापक रूप से सामाजिक वितरण अन्यायों, पारिस्थितिक संकट, सामाजिक अशांति एवं मानव जीवन की गुणवत्ता व विकास में गिरावट का कारण माना जा रहा है। 

प्रश्न 5. 
मानव विकास क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
मानव विकास अग्रलिखित कारणों से आवश्यक है:

  1. मानव विकास उच्चतम उत्पादकता का साधन है क्योंकि स्वस्थ, शिक्षित एवं सचेत श्रमिक अधिक उत्पादन करने में सक्षम होते हैं। 
  2. मानव विकास द्वारा पर्यावरणीय प्रदूषण; जैसे - जल, वायु, मृदा एवं ध्वनि प्रदूषण आदि के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है। 
  3. मानव विकास निर्धनता को मिटाकर सभ्य एवं स्वस्थ समाज का निर्माण करता है। 
  4. मानव विकास से अर्थव्यवस्था के लक्ष्यों की प्राप्ति सम्भव है। 
  5. मानव विकास लोकतंत्र व समाज की स्थिरता को बढ़ाता है। 

प्रश्न 6. 
सन् 1993 की विश्व मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार मानव विकास की न्यूनतम दशाएँ क्या हैं?
अथवा 
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम 1993 ई. की मानव विकास रिपोर्ट की क्या विशेषता है ?
उत्तर:
सन् 1993 की विश्व मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार, प्रगामी लोकतन्त्रीकरण और बढ़ता लोक सशक्तीकरण मानव विकास की न्यूनतम दशाएँ होती हैं। इसके अतिरिक्त इसमें यह भी उल्लेख है कि विकास मानव को केन्द्र में रखकर किया जाना चाहिए न कि विकास को मानव के बीच में रखकर जैसा कि पहले होता था।

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प्रश्न 7. 
मानव विकास के प्रमुख लक्ष्य बताइए।
उत्तर:
मानव विकास का प्रमुख लक्ष्य मानव का आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास करना है। मानव विकास के सर्वाधिक सार्थक पक्षों में दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन, शिक्षित होना, राजनैतिक स्वतन्त्रता, मानव अधिकारों की गारंटी, आत्मनिर्भरता तथा आत्मसम्मान से युक्त शिष्ट जीवन स्तर सम्मिलित हैं। मानव विकास के इन सर्वाधिक सार्थक पक्षों के साथ समझौता नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 8. 
मानव विकास की प्रकृति के निर्धारण में निर्णायक भूमिका निभाने वाले कारकों की विवेचना कीजिए। 
उत्तर:

  1. ऐतिहासिक कारक: जैसे- उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद व नवसाम्राज्यवाद।
  2. सामाजिक: सांस्कृतिक कारक - जैसे मानवाधिकार उल्लंघन, प्रजाति, धर्म, लिंग तथा जाति के आधार पर सामाजिक भेदभाव।
  3. सामाजिक समस्याओं सम्बन्धी कारक - जैसे - अपराध, आतंकवाद तथा युद्ध।
  4. राजनैतिक कारक जैसे राज्य की प्रकृति, सरकार का स्वरूप (लोकतन्त्र अथवा तानाशाही) तथा सशक्तीकरण का अभाव।

प्रश्न 9. 
विश्व मानव विकास रिपोर्ट के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
सन् 1990 में सर्वप्रथम संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा मानव विकास रिपोर्ट का प्रकाशन किया गया। तभी से यह संस्था प्रतिवर्ष विश्व मानव विकास रिपोर्ट का प्रकाशन करती आ रही है। विश्व की प्रथम मानव विकास रिपोर्ट पाकिस्तानी अर्थशास्त्री डॉ. महबूब उल हक के नेतृत्व में प्रकाशित की गयी थी। यह संस्थागत रिपोर्ट न केवल मानव
विकास को परिभाषित करती है वरन् इसके सूचकों में संशोधन और परिवर्तन भी लाती है एवं परिकलित आँकड़ों के आधार पर विश्व के देशों का कोटि क्रम भी निर्धारित करती है।

प्रश्न 10. 
भारत के योजना आयोग द्वारा निर्मित मानव विकास रिपोर्ट में किन - किन सूचकों की चर्चा की गई है?
उत्तर:
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा चुने गये सूचकों का प्रयोग करते हुए भारत के योजना आयोग ने भी भारत के लिए मानव विकास रिपोर्ट तैयार की है। इसमें राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों को विश्लेषण की इकाई के रूप में प्रयोग किया गया है। योजना आयोग ने स्वास्थ्य संकेतक, सामाजिक संकेतक एवं आर्थिक संकेतक के साथ-साथ आर्थिक उपलब्धि, सामाजिक सशक्तीकरण, सामाजिक वितरण, न्याय, अभिगम्यता, स्वास्थ्य और राज्य सरकारों द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कल्याण और उपायों जैसे सूचकों को भी शामिल किया है।

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प्रश्न 11. 
भारत की आर्थिक उपलब्धियों पर कौन - कौन से पक्ष प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं?
उत्तर:
आर्थिक विकास मानव विकास का अभिन्न अंग है। आर्थिक विकास के अभाव में किसी भी प्रकार का मानव विकास सम्भव नहीं है। लेकिन कई कारक ऐसे हैं जो आर्थिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। भारत की आर्थिक उपलब्धियों पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले महत्त्वपूर्ण पक्षों में गरीबी, अवसर हीनता, कुपोषण, निरक्षरता, अनेक प्रकार के सामाजिक पूर्वाग्रहों के अलावा वृहद् स्तर पर मिलने वाले सामाजिक वितरण, अन्याय तथा प्रादेशिक विषमताएँ आदि सम्मिलित हैं। 

प्रश्न 12. 
सन् 1951 के पश्चात् भारत में जन्मदर एवं मृत्युदर में क्या परिवर्तन हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं, पर्याप्त पोषण एवं व्यक्तियों की सुरक्षा आदि सुविधाओं की उपलब्धियों के कारण सन् 1951 के पश्चात् जन्म एवं मृत्यु दरों की प्रकृतियों में परिवर्तन हुआ है। यथा सन् 1951 में मृत्यु दर 25.1 प्रति हजार थी जो 2015 में घटकर 6.5 प्रति हजार हो गयी। इसी अवधि में शिशु मृत्यु दर 148 शिशु प्रति हजार से घटकर 37 शिशु प्रति हजार तक रह गयी। इसी प्रकार 1951 से 2015 की अवधि में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा पुरुषों के लिए 37.1 से बढ़कर 66.9 वर्ष जबकि स्त्रियों के लिए 36-2 से बढ़कर 70 वर्ष हो गई। इसी अवधि के दौरान जन्म दर 40.8 प्रति हजार से घटकर 20.8 प्रति हजार तक हो गयी। लेकिन यह जन्म दर अभी भी अनेक विकसित देशों की तुलना में बहुत ऊँची है।

प्रश्न 13. 
भारत में घटते लिंगानुपात के लिए कौन से कारक उत्तरदायी हैं?
उत्तर:
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लिंगानुपात विशेष रूप से 0-6 आयु वर्ग के बच्चों के लिंगानुपात में कमी आती जा रही है। यदि केरल को अपवाद मान लिया जाय तो भारत के सभी राज्यों में बाल आयु वर्ग का लिंगानुपात घटा है। भारत में बाल आयु वर्ग के घटते लिंगानुपात के लिए निम्नलिखित दो कारक उत्तरदायी हैं:

  1. पुरुष प्रधान परिवार होने की परम्परा के कारण समाज में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की स्थिति गौण रह जाती है। 
  2. कन्या भ्रूण हत्या का प्रचलन प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण की सुविधा के कारण तीव्र गति से बढ़ा है। 

प्रश्न 14. 
भारत में साक्षरता के सम्बन्ध में तीन रोचक तथ्य लिखिए। 
उत्तर:
भारत में साक्षरता के सम्बन्ध में तीन रोचक तथ्य निम्नलिखित हैं:

  1. भारत में कुल साक्षरता (2011) लगभग 74.04 प्रतिशत है जबकि महिला साक्षरता 65.46 प्रतिशत है। 
  2. दक्षिण भारत के अधिकांश राज्यों में कुल साक्षरता तथा महिला साक्षरता राष्ट्रीय औसत से ऊँची है।
  3. भारत के राज्यों में साक्षरता दर में व्यापक प्रादेशिक असमानता पायी जाती है। यहाँ बिहार जैसे राज्य भी हैं, जहाँ अत्यन्त कम (63.82 प्रतिशत) साक्षरता है और केरल व  मिजोरम जैसे राज्य भी हैं जिनमें साक्षरता दर क्रमशः 93.91 प्रतिशत तथा 91.58 प्रतिशत है।

प्रश्न 15. 
साक्षरता दर किस प्रकार मानव विकास सूचकांक मूल्य को प्रभावित करती है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
साक्षरता मानव विकास सूचकांक के निर्धारण का मुख्य सूचक है। जिस राष्ट्र अथवा राज्य की साक्षरता दर जितनी अधिक होगी, उसका मानव विकास सूचकांक मूल्य उतना ही अधिक होगा। उदाहरण के रूप में लगभग शत प्रतिशत साक्षरता वाला केरल राज्य मानव विकास में उच्चतम स्तर पर है। बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, ओडिशा (उड़ीसा), असम व उत्तर प्रदेश जैसे निम्न साक्षरता वाले राज्यों का मानव विकास सूचकांक मूल्य बहुत कम है।

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प्रश्न 16. 
आर्थिक विकास किस प्रकार मानव विकास सूचकांक पर सार्थक प्रभाव डालता है? उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आर्थिक विकास मानव विकास का अभिन्न अंग है। आर्थिक विकास के बिना किसी भी प्रकार का मानव विकास संभव नहीं है। जिस देश अथवा राज्य का आर्थिक विकास अधिक होगा उस देश का मानव विकास सूचकांक भी अधिक होगा। उदाहरण के रूप में आर्थिक दृष्टि से विकसित महाराष्ट्र, तमिलनाडु, केरल, गोवा, पंजाब एवं हरियाणा जैसे राज्यों के मानव विकास सूचकांक का मूल्य छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार व मध्य प्रदेश आदि राज्यों की तुलना में ऊँचा है।

प्रश्न 17. 
विकास ने मानव एवं पर्यावरण को किस प्रकार प्रभावित किया है?
उत्तर:
सामान्यतः माना जाता है कि विकास के माध्यम से समाज की समस्त सामाजिक, सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान व निदान हो जायेगा। यद्यपि विकास ने मानव जीवन की गुणवत्ता में अनेक प्रकार से महत्त्वपूर्ण सुधार किए हैं, परन्तु विकास के कारण प्रादेशिक असमानताएँ, सामाजिक असमानता, भेदभाव, वंचना, मानवाधिकारों पर आघात, लोगों का विस्थापन एवं मानवीय मूल्यों के ह्रास के साथ - साथ पर्यावरणीय निम्नीकरण भी बढ़ा है।

प्रश्न 18. 
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यू. एन. डी. पी.) द्वारा प्रस्तुत 1993 के मानव विकास प्रतिवेदन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
प्रादेशिक विषमताएँ, सामाजिक असमानताएँ, भेदभाव, लोगों का विस्थापन, मानवाधिकारों पर आघात, मानवीय मूल्यों का विनाश तथा पर्यावरणीय निम्नीकरण आदि समस्याओं को ध्यान में रखते हुए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने 1993 में मानव विकास प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस प्रतिवेदन में लोगों की प्रतिभागिता एवं उनकी सुरक्षा को मुख्य मुद्दा रखा गया। इस प्रतिवेदन में शांति एवं मानव विकास लाने के लिए नागरिक समाजों की भूमिका को मान्यता दी गई। प्रतिरक्षा खर्चों में कटौती तथा उससे बचाए गए धन को कल्याण कार्यक्रमों में व्यय करने पर विशेष बल दिया गया।

प्रश्न 19. 
विकास के संदर्भ में महात्मा गाँधी के विचार क्या थे?
उत्तर:
महात्मा गाँधी का यह मानना था कि प्रकृति के सभी तत्वों के मध्य संतुलन तथा समरसता का होना अति आवश्यक है। वे आशंकित थे कि जिस तरह से विकास हो रहा है उसके चलते नैतिकता, आध्यात्मिकता, स्वावलंबन, अहिंसा, पारस्परिक सहयोग तथा पर्यावरण संरक्षण के उचित स्तरों को कायम नहीं रखा जा सकता है। उनके यह विचार विकास के सन्दर्भ में प्रस्तुत की गई विश्वस्तरीय रिपोर्टों में भी उल्लेखित किए गये।

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प्रश्न 20. 
महात्मा गाँधीजी के विकास सम्बन्धित विचारों को किन - किन रिपोर्टों में सम्मिलित किया गया है?
उत्तर:
महात्मा गाँधीजी ने जनसंख्या संसाधन तथा विकास के मध्य संतुलन एवं समरसता पर बल दिया था। उनके मतानुसार व्यक्तिगत मितव्ययता, सामाजिक धन की न्यासधारिता एवं अहिंसा एक व्यक्ति और एक राष्ट्र के जीवन में उच्चतम लक्ष्य प्राप्त करने की कुंजी है। गाँधीजी के इन विचारों को क्लब ऑफ रोम की रिपोर्ट लिमिट्स टू ग्रोथ, शुमाकर की पुस्तक 'स्माइल इज ब्यूटीफुल' बुंडलैंड कमीशन की रिपोर्ट अवर कॉमन फ्यूचर एवं एजेंडा-21, रिपोर्ट ऑफ रियो कांफ्रेंस में सम्मिलित किया गया है।

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2):

प्रश्न 1. 
भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों में विकास के अवसरों का समान वितरण नहीं है। कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों में विकास के अवसरों का समान वितरण नहीं है। भारत में विकास को अवसरों एवं उपेक्षाओं तथा वंचनाओं का मिश्रण माना जाता है। इस देश के महानगरों में रहने वाली जनसंख्या का कुछ भाग जीवन की प्रत्येक प्रकार की सुख-सुविधाओं का आनंद ले रहा है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले विशाल जन समूह तथा नगरों की गंदी बस्तियों में रहने वाले लोगों को पेयजल, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी आदि आधारभूत सुविधाओं की भी उपलब्धता सुनिश्चित नहीं है।

देश में रहने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति, भूमिहीन कृषि मजदूरों, गरीब किसानों एवं गंदी बस्तियों में रहने वाले लोगों की स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। देश की कुल जनसंख्या का आधा भाग स्त्री जनसंख्या का होने के बावजूद उनकी स्थिति सर्वाधिक कष्टप्रद है। यह भी पूर्णतः सत्य है कि वर्षों से हो रहे विकास के बाद भी सीमान्त वर्गों में से अधिकांश की सापेक्ष दशाओं के साथ-साथ निरपेक्ष दशाएँ भी बदतर हुई हैं। परिणामस्वरूप एक बड़ी संख्या में लोग बहुत अधिक निर्धनतापूर्ण एवं अमानवीय परिस्थितियों में जीवनयापन करने को विवश दिखाई देते हैं।

प्रश्न 2. 
विकास, निम्नतर मानवीय दशाओं से किस प्रकार सम्बन्धित है? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
विकास का एक अन्य अन्तर्सम्बन्धित पक्ष भी है जिसका निम्नतर मानवीय दशाओं से प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। विकास के अभाव में मानवीय दशाओं का निम्नीकरण एवं पर्यावरण प्रदूषण होता है। वायु, मृदा, जल एवं ध्वनि प्रदूषण नकेवल हमारे साझा संसाधनों की त्रासदी का कारण बने हैं बल्कि हमारे समाज के अस्तित्व के लिए भी खतरा बन गए हैं।

परिणामस्वरूप निर्धनों के सामर्थ्य में गिरावट के लिए तीन अन्तर्सम्बन्धित प्रक्रियाएँ कार्यरत हैं:
(अ) सामाजिक सामर्थ्य में कमी-विस्थापन और दुर्बल होते सामाजिक बंधनों के कारण
(ब) पर्यावरणीय सामर्थ्य में कमी-प्रदूषण के कारण तथा
(स) व्यक्तिगत सामर्थ्य में कमी-बढ़ती बीमारियों एवं दुर्घटनाओं के कारण। अंततः उनकी जीवन की गुणवत्ता तथा मानव विकास पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

उपर्युक्त अनुभवों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि वर्तमान विकास सामाजिक अन्याय, प्रादेशिक असन्तुलन एवं पर्यावरणीय निम्नीकरण के मुद्दों के साथ स्वयं को जोड़ नहीं पाया है। इसके विपरीत इसे व्यापक रूप से सामाजिक वितरक अन्यायों, जीवन की गुणवत्ता, मानव विकास में कमी, पारिस्थितिक संकट तथा सामाजिक अशांति का कारण माना जा रहा है। 

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प्रश्न 3. 
मानव विकास क्या है? विस्तारपूर्वक बताइए।
अथवा 
मानव विकास को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
"मानव विकास स्वस्थ भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक स्वतंत्रता तक समस्त प्रकार के मानव विकल्पों को सम्मिलित करते हुए लोगों के विकल्पों में विस्तार और उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा सशक्तीकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया है।" इस प्रकार लोगों के विभिन्न प्रकार के विकल्पों की श्रेणी में विस्तार मानव विकास का सर्वाधिक सार्थक पक्ष है। लोगों के विकल्पों में विभिन्न प्रकार के अन्य मुद्दे हो सकते हैं किन्तु दीर्घ एवं स्वस्थ जीवनयापन करना, शिक्षित होना, राजनीतिक स्वतंत्रता, मानव अधिकारों की गारंटी, आत्मनिर्भरता एवं आत्मसम्मान से युक्त सभ्य जीवन स्तर के लिए आवश्यक संसाधनों तक पहुँच जैसे मानव विकास के कुछ मुद्दों के साथ समझौता किया जाना सम्भव नहीं है।

प्रश्न 4. 
आर्थिक उपलब्धियों के प्रमुख सूचक कौन - कौन से हैं? इस बारे में कौन - कौन सी विषमताएँ दिखाई देती हैं?
उत्तर:
आर्थिक उपलब्धियों के सूचक आर्थिक विकास मानव विकास का एक अभिन्न अंग है। आर्थिक विकास के अभाव में किसी भी प्रकार का विकास संभव नहीं है। आर्थिक उपलब्धियों के प्रमुख सूचक निम्नलिखित हैं:

  1. समृद्ध संसाधन आधार 
  2. इन संसाधनों तक समस्त लोगों की पहुँच 
  3. उत्पादकता, ये समस्त सूचक कल्याण एवं मानव विकास की कुंजी हैं।

अर्थव्यवस्था और उत्पादकता में विकास का मूल्यांकन सकल राष्ट्रीय उत्पाद एवं प्रति व्यक्ति आय के द्वारा किया जा सकता है। सकल घरेलू उत्पादन एवं इसकी प्रति व्यक्ति उपलब्धता को किसी देश का संसाधन आधार अथवा अक्षय निधि का माप माना जाता है। भारत के लिए ऐसा आकलन लगाया गया है कि इसका प्रचलित कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद तथा प्रचलित कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय प्रत्यक्ष रूप से ये आँकड़े एक प्रभावशाली निष्पादन का संकेत देते हैं।

विषमताएँ: गरीबी, वंचना, कुपोषण, निरक्षरता, अनेक प्रकार के पूर्वाग्रह, सामाजिक वितरण, अन्याय एवं बड़े पैमाने की प्रादेशिक विषमताएँ इन समस्त तथाकथित आर्थिक उपलब्धियों को झूठा साबित करती हैं।

प्रश्न 5. 
भारत में मानव विकास से सम्बन्धित स्वस्थ जीवन के सूचकों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्वस्थ जीवन के प्रमुख सूचक-रोग व पीड़ा मुक्त जीवन तथा दीर्घ आयु एक स्वस्थ जीवन के प्रमुख सूचक हैं। दीर्घ आयु की महत्वपूर्ण मापों में पूर्व और प्रसवोत्तर स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ाकर शिशु मृत्यु दर तथा माताओं की प्रसवोत्तर मृत्युदर को कम करना, वृद्ध आयु वर्ग के व्यक्तियों के लिये उत्तम स्वास्थ्य सेवाएँ, पर्याप्त पोषण तथा व्यक्तियों की सुरक्षा सम्मिलित है।।

स्वास्थ्य सूचकों के क्षेत्र में भारत - पिछले 65 वर्षों (सन् 1951 - 2015) के दौरान कुछ स्वास्थ्य सूचकों के क्षेत्र में भारत में सराहनीय कार्य हुए हैं। 

इनमें निम्नलिखित उल्लेखनीय हैं:

  1. सन् 1951 में भारत में मृत्युदर 25.1 प्रति हजार थी जो सन् 2015 में घटकर 6.5 प्रति हजार रह गई। 
  2. सन् 1951 में देश में शिशु मृत्युदर 148 प्रति हजार थी जो सन् 2015 में घटकर 37 प्रति हजार रह गई।
  3. सन् 1951 में पुरुषों की जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 37.1 वर्ष थी जो सन् 2015 में बढ़कर 66.9 वर्ष हो गई। इसी प्रकार उक्त अवधि में महिलाओं की जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 36.2 वर्ष से बढ़कर 70.0 वर्ष हो गई।
  4. इसी प्रकार सन् 1951 से 2015 के मध्य में भारत में जन्म-दर 40.8 प्रति हजार से घटकर 20.8 रह गई।

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प्रश्न 6. 
सामाजिक सशक्तीकरण क्या है? इसके सूचक बताइए। 
उत्तर:
भूख, गरीबी, दासता, अज्ञानता, बंधुआकरण तथा निरक्षरता सामाजिक सशक्तीकरण के मार्ग में सबसे बड़े अवरोधक हैं। इनसे मुक्ति प्राप्त करना ही वास्तव में विकास तथा सामाजिक सशक्तीकरण है। यही मानव विकास की कुंजी है। वास्तविक अर्थों में उक्त सामाजिक प्रबलताओं से मानव समाज को तभी मुक्ति प्राप्त हो सकती है जब सभी लोग मिलकर अपनी सामर्थ्यो तथा विकल्पों के प्रयोग के लिए सशक्त होकर अपना सक्रिय योगदान प्रदान करें।

इसके लिए समाज के सभी लोगों को अपने समाज तथा अपने पर्यावरण के बारे में सही ज्ञान का होना आवश्यक है जो समाज के लोगों की मुक्ति का मूल आधार है। ज्ञान और मुक्ति तभी प्राप्त हो सकते हैं जब आम व्यक्ति साक्षर हो। देश के समस्त व्यक्ति शिक्षा का महत्व समझकर शिक्षित हों। किसी भी व्यक्ति को शिक्षित होने के लिए साक्षर होना अति आवश्यक है। उच्चस्तरीय शिक्षा, सामाजिक गतिशीलता एवं सामाजिक उत्थान में सहायक होती हैं। साक्षरता एवं शिक्षा का प्रसार मानव विकास का एक महत्त्वपूर्ण मानक है। अत: साक्षरता सामाजिक सशक्तीकरण का प्रमुख सूचक है। 

निबन्धात्मक प्रश्न:

प्रश्न 1. 
विकास की संकल्पना को भारत के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए? 
उत्तर:
प्रत्यक्ष रूप से यह माना जाता है कि "विकास स्वतन्त्रता है तथा इसका सम्बन्ध प्रायः आधुनिकीकरण, अवकाश, सुविधा तथा सम्पन्नता से जुड़ा हुआ है।" वर्तमान समय में विकास के प्रतीकों में कम्प्यूटरीकरण, औद्योगिकीकरण, प्रभावी परिवहन व संचार नेटवर्क, वृहद् शिक्षा व्यवस्था, आधुनिक व उन्नत चिकित्सा सुविधाओं तथा वैयक्तिक सुरक्षा जैसे तथ्यों को सम्मिलित किया जाता है। 

प्रत्येक देश अपने यहाँ के विकास स्तर का उक्त वस्तुओं की उपलब्धता तथा पहुँच के सन्दर्भ में मापन करता है। लेकिन विकास की यह संकल्पना विकास का एकांगी तथा आंशिक दृश्य ही प्रस्तुत करती है तथा इस प्रकार के विकास को पश्चिमी या यूरोप केन्द्रित विकास की संकल्पना कहा जाता है। भारत जैसे देश में विकास के मानकों में उपनिवेशवाद, सामंतीकरण, सामाजिक भेदभाव तथा प्रादेशिक विषमताएँ जैसे पक्ष विशेष महत्व रखते हैं। वस्तुतः भारत जैसे विकासशील देश में विकास अवसरों के साथ-साथ उपेक्षाओं एवं वंचनाओं का मिला-जुला थैला है। 

हमारे देश में जहाँ एक ओर महानगरीय क्षेत्रों तथा विकसित एनक्लेवों के कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ निवासित जनसंख्या को आधुनिक जीवन की अधिकांश सुविधाएँ सुलभ हैं जबकि दूसरी ओर विशाल ग्रामीण क्षेत्रों तथा महानगरीय क्षेत्रों की मलिन बस्तियों में निवासित विशाल जनसंख्या को पेयजल, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसी आधारभूत सुविधाएँ व अवसंरचना की अनुपलब्धता है। भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों के मध्य विकास के अवसरों के वितरण में बहुत बड़ा अन्तर देखने को मिलता है।

भारत के संदर्भ में यह भी एक वास्तविकता है कि अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, भूमिहीन कृषि श्रमिकों, गरीब कृषकों तथा मलिन बस्तियों में निवासित जनसंख्या का एक बड़ा भाग आज भी सर्वाधिक अभावग्रस्त दशाओं में अपना जीवनयापन कर रहा है। इन सबमें महिला जनसंख्या का एक बड़ा भाग सर्वाधिक कष्टप्रद स्थिति में है। इस सन्दर्भ में यह भी एक सुस्थापित तथ्य है कि स्वतन्त्रता के बाद से देश में सतत् रूप से हो रहे विकास के बावजूद जनसंख्या के उक्त वर्गों में से अधिकांश की जीवनयापन की सापेक्षिक व निरपेक्ष दशाओं में सुधार के स्थान पर गिरावट अनुभव की जा रही है। 

इसका परिणाम यह हुआ है कि भारत की जनसंख्या का एक बड़ा भाग आज भी पतित, निर्धनतापूर्ण और अमानवीय दशाओं में जीवनयापन करने के लिए विवश है। विकास का एक अन्य महत्त्वपूर्ण पक्ष पर्यावरण प्रदूषण है जिसका सीधा सम्बन्ध निम्नतर अमानवीय दशाओं से है। वर्तमान में तेजी से बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण (वायु, जल, मृदा तथा ध्वनि प्रदूषण) न केवल देश के राष्ट्रीय संसाधनों के लिए त्रासदी है अपितु हमारे समाज के अस्तित्व के लिए खतरा बन गए हैं तथा इसका सर्वाधिक प्रतिकूल प्रभाव देश के निर्धन वर्ग पर पड़ता है।

उक्त विवेचना के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत में निर्धन वर्ग की जनसंख्या की सामर्थ्य में गिरावट के लिए तीन अन्तर्सम्बन्धित प्रक्रियाएँ उत्तरदायी हैं:

  1. विस्थापन और दुर्बल होते सामाजिक बन्धनों के कारण सामाजिक सामर्थ्य में कमी। 
  2. पर्यावरणीय प्रदूषण के कारण पर्यावरणीय सामर्थ्य में कमी। 
  3. बढ़ती बीमारियों तथा दुर्घटनाओं के कारण व्यक्तिगत सामर्थ्य में कमी।


उक्त अनुभवों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भारत में हो रहा वर्तमान विकास अभी तक अपने आपको सामाजिक अन्याय, प्रादेशिक असन्तुलनों तथा पर्यावरणीय निजीकरण जैसे पक्षों से पृथक नहीं हो सका है। इसके विपरीत भारत के विकास को व्यापक रूप से सामाजिक अन्यायों, जीवन की गुणवत्ता, मानव विकास में गिरावट, पारिस्थितिकीय संकट तथा सामाजिक अशांति के लिये उत्तरदायी माना जा रहा है।

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प्रश्न 2. 
आर्थिक उपलब्धियों के सूचक के आधार पर भारत में मानव विकास की राज्यस्तरीय भिन्नताओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत के योजना आयोग ने भारत में मानव विकास रिपोर्ट तैयार करने के लिए निम्नलिखित तीन सूचकों को आधार माना:

  1. आर्थिक उपलब्धियों के सूचक 
  2. स्वस्थ जीवन के सूचक 
  3. सामाजिक सशक्तीकरण के सूचक।

आर्थिक उपलब्धियों के सूचक - आर्थिक विकास मानव विकास का एक अभिन्न अंग है। आर्थिक विकास के अभाव में किसी भी प्रकार का मानव विकास सम्भव नहीं है। सम्पन्न संसाधन आधार तथा इन संसाधनों की देश के सभी वर्गों विशेष रूप से निर्धन वर्ग के लोगों तक सुगम उपलब्धता को मानव विकास की कुंजी माना जाता है। संसाधन आधार के मापन के लिए सकल घरेलू उत्पादन तथा इसकी प्रति व्यक्ति उपलब्धता को महत्त्वपूर्ण माना जाता है। 

सकल घरेलू उत्पाद तथा प्रति व्यक्ति आय के आँकड़े प्रभावशाली आर्थिक स्तर का संकेत हैं लेकिन इस तथाकथित आर्थिक उपलब्धि को भारत में मिलने वाली गरीबी, बेरोजगारी, कुपोषण, निरक्षरता, अनेक प्रकार के पूर्वाग्रह, अन्याय तथा प्रादेशिक विषमताएँ धूमिल कर देती हैं। गरीबी जीवन की निम्न गुणवत्ता, भूख, कुपोषण व निरक्षरता में प्रतिबिंबित होती है। यह निम्न विकास का प्रतीक है। राज्य स्तर पर गरीबी के अनुपात एवं इसके कम होने की दर में अत्यधिक विषमताएँ पायी जाती हैं।

भारत में एक ओर केरल, गोवा, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, गुजरात तथा दिल्ली जैसे राज्य हैं जिनमें प्रति व्यक्ति आय अधिक मिलती है तो दूसरी ओर छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा (उड़ीसा), मध्य प्रदेश, राजस्थान, असम तथा जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य हैं जिनमें प्रति व्यक्ति आय कम है। यही नहीं, पंजाब, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात तथा गोवा जैसे भारत के सम्पन्न राज्यों में प्रति व्यक्ति उपभोग पर होने वाला व्यय अधिक है जबकि छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा (उड़ीसा), तथा मध्य प्रदेश जैसे गरीब राज्यों में यह व्यय कम देखने को मिलता है।

इसके अलावा छत्तीसगढ़, ओडिशा (उड़ीसा), तथा बिहार राज्यों की कुल जनसंख्या का 30 प्रतिशत से अधिक भाग गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहा है जबकि मध्य प्रदेश, असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय तथा नागालैण्ड जैसे राज्यों में यह प्रतिशत 11 से 40 के मध्य मिलता है। भारत में रोजगार के बिना होने वाली आर्थिक वृद्धि तथा अनियन्त्रित बेरोजगारी भारत में गरीबी अधिक होने के दो महत्त्वपूर्ण कारण रहे हैं।

प्रश्न 3. 
भारत के विभिन्न राज्यों के मध्य मानव विकास सूचकांक में बहुत अधिक अंतर पाया जाता है, क्यों? विस्तारपूर्वक बताइए।
अथवा 
भारत में मानव विकास सूचकांक की स्थिति पर विस्तार से एक लेख लिखिए।
उत्तर:
2018 की मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार भारत मानव विकास सूचकांक के संदर्भ में विश्व के 189 देशों में से 130 वें स्थान पर है। भारत का मानव विकास सूचकांक मूल्य 0.640 है। सन् 2018 की इस मानव विकास रिपोर्ट में भारत को मध्यम मानव विकास वाले देशों की श्रेणी में रखा गया है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा निर्धारित सूचकों के आधार पर भारत के योजना आयोग ने देश के लिए मानव विकास रिपोर्ट तैयार की है। जिसमें भारतीय संघ के समस्त राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को विश्लेषण की इकाई माना गया है। भारत के प्रत्येक राज्य की राज्य सरकार ने जिलों को विश्लेषण की इकाई मानकर राज्यस्तरीय मानव विकास रिपोर्ट तैयार की है।

योजना आयोग ने तीन सूचकांकों: साक्षरता, स्वास्थ्य एवं संसाधनों की उपलब्धियों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य सूचकांकों को भी सम्मिलित किया गया है जिनमें आर्थिक उपलब्धि सामाजिक सशक्तीकरण, सामाजिक वितरण, न्याय, अभिगम्यता, स्वास्थ्य एवं राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कल्याणकारी उपायों जैसे सूचकों को भी शामिल किया गया।

भारत के विभिन्न राज्यों के आर्थिक व सामाजिक विकास की पृष्ठभूमि पर आधारित इस मानव विकास रिपोर्ट में केरल ने 0.790 संयुक्त मानव विकास सूचकांक मूल्य के साथ सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है। इसके पश्चात् क्रमशः दिल्ली (0.750), हिमाचल (0-652), गोवा (0-617) तथा पंजाब (0-605) का स्थान है। इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ (0-358) ओडिशा (0.362) बिहार (0-367), मध्यप्रदेश (0-375) झारखंड (0.376), उत्तर प्रदेश (0:380), राजस्थान (0-434), असम (0.444), जैसे भारतीय राज्य देश के 15 प्रमुख राज्यों में सबसे नीचे हैं। भारत के विभिन्न राज्यों के मध्य पाये जाने वाले मानव विकास सम्बन्धी अंतर के लिए सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक एवं ऐतिहासिक कारण उत्तरदायी हैं। 

केरल के मानव विकास सूचकांक का उच्चतम मूल्य यहाँ पुरुष व स्त्री साक्षरता के मध्य कम अंतर तथा शत प्रतिशत साक्षरता दर को प्राप्त करने के लिए किए गए प्रभावी कार्यों का परिणाम है। जबकि पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु आदि राज्यों में उच्च मानव विकास सूचकांक मूल्य का मुख्य कारण इन राज्यों का आर्थिक रूप से अत्यधिक विकसित होना है। इसके अतिरिक्त भारत के कई राज्य ऐसे हैं जहाँ मानव विकास की स्थिति निम्न है। इन राज्यों में छत्तीसगढ़ (0-358), बिहार (0-367), मध्य प्रदेश (0.375) एवं ओडिशा (उड़ीसा) (0.362) आदि प्रमुख हैं जिनका मानव विकास सूचकांक मूल्य न्यूनतम है। इन राज्यों में औसत साक्षरता दर बहुत कम है। इसके अतिरिक्त इन राज्यों में पुरुष एवं स्त्री साक्षरता दर के मध्य भी बहुत अधिक अन्तर पाया जाता है। आर्थिक रूप से अविकसित होना भी इन राज्यों में मानव विकास सूचकांक के निम्न होने का एक अन्य प्रमुख कारण है।

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प्रश्न 4. 
जनसंख्या, पर्यावरण और विकास के सम्बन्धों की विवेचना मानव विकास के संदर्भ में कीजिए।
उत्तर:
मानव विकास एक जटिल प्रक्रिया है क्योंकि युगों से यह माना जा रहा था कि यदि एक बार विकास प्राप्त कर लिया गया तो समाज की सभी सामाजिक, सांस्कृतिक तथा पर्यावरणीय समस्याओं का हल भी हो जायेगा। इसमें सन्देह नहीं है कि विकास ने मानवीय जीवन की गुणवत्ता में महत्त्वपूर्ण सुधार किये हैं लेकिन विकास के साथ-साथ विश्व के अधिकांश भागों में प्रादेशिक विषमताएँ, सामाजिक असमानताएँ, भेदभाव, वंचना, लोगों का विस्थापन, मानवाधिकारों का हनन, मानवीय मूल्यों में गिरावट तथा पर्यावरणीय निम्नीकरण भी बढ़ा है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने उक्त मानवीय समस्याओं पर गम्भीरतापूर्वक विचार करते हुए सन् 1993 में प्रस्तुत अपनी मानव विकास रिपोर्ट में विकास की संकल्पना में लोगों की सहभागिता तथा उनकी सुरक्षा को प्रमुख स्थान प्रदान किया। इसमें मानव विकास की न्यूनतम दशाओं के रूप में उत्तरोत्तर लोकतन्त्रीकरण तथा लोगों के बढ़ते सशक्तीकरण पर बल दिया गया। इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि वर्तमान नाभिकीय विश्व में शान्ति और मानव कल्याण दो प्रमुख वैश्विक चिन्ताएँ हैं।

दूसरी ओर नव: माल्थसवादियों, पर्यावरणविदों तथा आमूलवादी पारिस्थितिकविदों का मानना है कि एक खुशहाल एवं शान्त सामाजिक जीवन के लिए जनसंख्या तथा संसाधनों के मध्य समुचित सन्तुलन का बना रहना अति आवश्यक है। विगत 300 वर्षों में जहाँ विश्व के संसाधनों में बहुत थोड़ी वृद्धि हुई है वहीं जनसंख्या में विस्फोटक वृद्धि अनुभव की गई है। इन विचारकों के अनुसार विकास का प्रमुख उद्देश्य जनसंख्या तथा संसाधनों के मध्य सन्तुलन को कायम रखना होना चाहिए।

उक्त सन्दर्भ में विवेचना करने पर स्पष्ट होता है कि संसाधनों की उपलब्धता उतनी महत्त्वपूर्ण नहीं है जितनी कि उनका समाज में समान वितरण। वर्तमान में विश्व के सम्पन्न राष्ट्र अधिकाधिक संसाधनों पर अपना अधिकार करते जा रहे हैं जबकि निर्धन राष्ट्रों में संसाधनों की उपलब्धता घटती जा रही है। इसके अलावा शक्तिशाली लोगों द्वारा अधिक से अधिक संसाधनों पर अधिकार करने के लिये न केवल प्रयास ही किये जा रहे हैं वरन् इसके लिए वे शक्ति व असाधारण विशेषताओं का प्रदर्शन भी कर रहे हैं। यही तथ्य वर्तमान में जनसंख्या, संसाधनों तथा विकास के मध्य संघर्षों तथा अन्तर्विरोधों का प्रमुख कारण हैं।

क्र. सं. राज्य/के.शा, प्रदेश

गरीबी रेखा के नीचे जनसंख्या का प्रतिशत (सन् 2011-12)

1. अण्डमान और निकोबार

1.00

2. लक्षद्वीप           

2.77

3. गोआ             

5.09

4. केरल             

7.05

5. हिमाचल प्रदेश       

8.06

6. सिक्किम           

8.14

7. पंजाब             

 8.26

8. आन्ध्र प्रदेश        

 9.20   

9. पुडुच्चेरी           

 9.69 

10. दमन व दीव      

 9.86 

11. दिल्ली           

 9.91 

12. जम्मू-कश्मीर      

 10.35

13. हरियाणा          

11.16

14. उत्तराखंड         

 11.26

15. तमिलनाडु         

11.28

16. मेघालय

11.87

17. त्रिपुरा

14.05

18. राजस्थान

14.71

19. गुजरात

16.63

20. महाराष्ट्र

17.35

21. नागालैण्ड

18.88

22. पश्चिम बंगाल

19.98

23. मिजोरम

20.40

24. कर्नाटक

20.91

25. चण्डीगढ़

21.81  

26. उत्तर प्रदेश

29.43

27. मध्य प्रदेश

31.65

28. असम

31.65

29. ओडिशा (उड़ीसा)

31.98

30. बिहार

32.59

31. अरुणाचल प्रदेश

33.74

32. मणिपुर

34.67

33. झारखंड

 8.26

34. दादरा और नगर हवेली

39.31

35. छत्तीसगढ़

39.93


विश्व के प्रमुख देशों का मानव विकास सूचकांक मूल्य:

देश

मानव विकास सूचकांक

श्रेणी

1. नार्वे

0.953

1

2. जर्मनी

0.936

5

3. सं. रा. अमेरिका

0.924

13

4. यूनाइटेड किंगडम

0.922

14

5. रूसी संघ

0.816

49

6. मलेशिया

0.802

57

7. श्रीलंका

0.770

46

8. ब्राजील

0.759

76

9. चीन

0.752

79

10. मिस्र

0.696

89

11. इंडोनेशिया

0.694

115

12. दक्षिण

0.699

116

13. अफ्रीका

0.640

113

14. भारत

0.608

130

15. बांग्लादेश

0.562

136

16.पाकिस्तान

0.761

150

 

राज्य

मानव विकास सूचकांक मूल्य 2007 - 08

कोटि कम 2007 - 08

केरल

दिल्ली

हिमाचल' प्रदेश

गोवा

पंजाब

उत्तर पूर्व (असम के अतिरिक्त)

महाराष्ट्र

तमिलनाडु

हरियाणा

जम्भू एवं कशमीर

गुज़ात

कर्नाटक

पश्चिम बंगाल

उत्तराखंड

आंध्र प्रदेश

असम

राजस्थान

उत्तर प्रदेश

झारखण्ड

मध्य प्रदेश

बिहार

ओडिशा

छत्तीसगढ़

0.790

0.750

0.652

0.617

0.605

0.573

0.572

0.570

0.552

0.527

0.519

0.492

0.490

0.473

0.444

0.434

0.380

0.375

0.367

0.362

0.358

0.366

0.382

1

2

3

4

5

6

7

8

9

10

11

12

13

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23


विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में इस अध्यांय से पूछे गये प्रश्न:

प्रश्न 1. 
वह विकास जो लोगों की आकांक्षाओं को बढ़ाता है तथा उनके जीवन स्तर को सुधारता है, कहलाता है।
(अ) सतत् विकास
(ब) मानव विकास
(स) प्रादेशिक विकास
(द) सामाजिक विकास

प्रश्न 2. 
निम्नलिखित संघ शासित राज्यों में से किसमें स्त्री साक्षरता वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार उच्चतम।
(अ) पुड्डुचेरी 
(ब) चंडीगढ़ 
(स) दमन एवं दीव 
(द) लक्षद्वीप। 
उत्तर:
(द)लक्षद्वीप। 

RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 मानव विकास

प्रश्न 3. 
देश का आर्थिक विकास मापने के लिए निम्न में से किस सूचक का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है?
(अ) शिशु मृत्यु-दर
(ब) पेयजल की उपलब्धता 
(स) महिला साक्षरता
(द) प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय उत्पाद। 
उत्तर:
(द) प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय उत्पाद। 

प्रश्न 4. 
भारत के निम्नलिखित क्षेत्रों में से कौन-सा आर्थिक रूप से सर्वाधिक विकसित है?
(अ) उत्तरी-पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र 
(ब) पूर्वी क्षेत्र 
(स) उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र 
(द) केन्द्रीय क्षेत्र। 
उत्तर:
(स) उत्तरी - पश्चिमी क्षेत्र।

प्रश्न 5. 
मानव विकास सूचकांक का संयुक्त राष्ट्र का प्रतिवेदन विभिन्न सूचकों में दीर्घकालीन प्रगति का मूल्यांकन करता है। ये सूचक हैं।
(अ) गरीबी और बेरोजगारी
(ब) स्वास्थ्य, शिक्षा और आय 
(स) अनुसूचित जाति व जनजाति के व्यक्ति 
(द) राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय। 
उत्तर:
(ब) स्वास्थ्य, शिक्षा और आय। 

प्रश्न 6. 
भारत में जनगणना वर्ष 2011 में साक्षरता की दर थी:
(अ) 74.04 
(ब) 85.38 
(स) 71.44
(द) 64.83. 
उत्तर:
(अ) 74.04

प्रश्न 7. 
योजना आयोग द्वारा वर्ष 2004 - 05 के लिए गरीबी की रेखा के नीचे जीवन व्यतीत करने वाली जनसंख्या के प्रतिशत का अनुमान लगाया गया है:
(अ) 36.5 
(ब) 30.0 
(स) 27.5
(द) 25.0. 
उत्तर:
(अ) 36.5 

प्रश्न 8. 
भारत में गरीबी का आकलन किसके द्वारा किया जाता है?
(अ) कृषि आयोग 
(ब) योजना आयोग 
(स) जनगणना विभाग 
(द) इनमें से कोई नहीं। 
उत्तर:
(ब) योजना आयोग। 

RBSE Class 12 Geography Important Questions Chapter 3 मानव विकास

प्रश्न 9. 
सन् 2001 की जनगणनानुसार न्यूनतम साक्षरता दर वाला राज्य है:
(अ) बिहार
(ब) झारखण्ड 
(स) मध्य प्रदेश 
(द) मेघालय। 
उत्तर:
(अ) बिहार। 

प्रश्न 10. 
जनसंख्या 2001 के अनुसार भारत के किस राज्य में सबसे कम ग्रामीण साक्षरता दर पायी जाती है?
(अ) जम्मू कश्मीर में 
(ब) अरुणाचल में 
(स) झारखण्ड में 
(द) उत्तर प्रदेश में। 
उत्तर:
(स) झारखण्ड में।

Prasanna
Last Updated on Jan. 2, 2024, 9:18 a.m.
Published Jan. 1, 2024