These comprehensive RBSE Class 11 Sociology Notes Chapter 4 संस्कृति तथा समाजीकरण will give a brief overview of all the concepts.
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→ संस्कृति का परिचय-रोजमर्रा की बातों में संस्कृति कला तक सीमित है। यह कुछ वर्गों या देशों की जीवनशैली का संकेत करती है। समाजशास्त्र में संस्कृति को अलग से लेकर इसके विभिन्न पक्षों के बीच सम्बन्धों को जानने का प्रयास किया जाता है।
→ संस्कृति एक सामान्य समझ है जिसको समाज में अन्य व्यक्तियों के साथ सामाजिक अन्तःक्रिया के माध्यम से सीखा और विकसित किया जाता है। यह सामान्य समझ किसी भी समूह को दूसरे समूह से अलग करती है तथा प्रत्येक समूह को एक पहचान प्रदान करती है।
→ संस्कृतियां प्रकार्यात्मक इकाई के रूप में गतिशील रहती हैं। संस्कृति सदा परिवर्तनशील तथा विकसित होती रहती है।
→ विविध परिवेश : विभिन्न संस्कृतियाँ-मनुष्य विभिन्न प्राकृतिक परिवेशों तथा विभिन्न सामाजिक स्थानों में रहता है। विभिन्न वातावरणों, प्राकृतिक तथा सामाजिक स्थितियों का सामना करने के लिए, व्यक्ति विभिन्न नीतियाँ अपनाते हैं। इससे जीवन जीने के विभिन्न तरीकों या संस्कृतियों का विकास होता है। इन संस्कृतियों को श्रेणीबद्ध नहीं किया जा सकता परन्तु प्रकृति द्वारा आरोपित दबावों का सामना करने की इनकी योग्यता के आधार पर इन्हें जाँचा जरूर जा सकता है।
→ संस्कृति की परिभाषा
→ संस्कृति की प्रमुख परिभाषाएँ ये हैं
अतः संस्कृति
→ संस्कृति के आयाम
संस्कृति के तीन आयाम प्रचलित हैं
→ संक्षेप में इन्हें दो सैद्धान्तिक आयामों में वर्गीकृत किया जाता है
→ सांस्कृतिक पिछड़-जब भौतिक आयाम तेजी से बदलते हैं तो अभौतिक आयाम पिछड़ सकते हैं। इससे अभौतिक संस्कृति के पिछड़ने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, जिसे सांस्कृतिक पिछड़ का सिद्धान्त कहा जाता है।
→ संस्कृति तथा पहचान-व्यक्ति को उसके द्वारा अदा की गई सामाजिक भूमिका ही पहचान प्रदान करती है।। आधुनिक समाज में प्रत्येक व्यक्ति अनेक प्रकार की भूमिकाएँ अदा करता है; परन्तु प्रत्येक विशेष भूमिका के लिए निश्चित उत्तरदायित्व तथा शक्तियाँ होती हैं। भूमिकाओं को प्रभावी बनाने के साथ ही साथ इन्हें पहचान तथा मान्यता प्राप्त होनी चाहिए। ऐसा प्रायः भूमिका अदा करने वाले व्यक्तियों द्वारा प्रयुक्त की जाने वाली भाषा को मान्यता देकर किया जा सकता है।
→ उपसंस्कतियाँ
→ नृजाति केन्द्रवाद-जब संस्कृतियाँ एक-दूसरे के सम्पर्क में आती हैं तभी नृजाति केन्द्रवाद की उत्पत्ति होती है।। नृजाति केन्द्रवाद में एक संस्कृति की अन्य संस्कृतियों से तुलना कर 'सांस्कृतिक श्रेष्ठता' की भावना को स्पष्ट किया जाता है।
→ नृजाति केन्द्रवाद विश्व नागरिकतावाद के विपरीत है। विश्व नागरिकतावाद में विविध शैलियों, रूपों, श्रव्यों | तथा कलाकृतियों को शामिल करने से विश्वव्यापी संस्कृति को पहचान प्राप्त होती है।
→ सांस्कृतिक परिवर्तन-सांस्कृतिक परिवर्तन वह तरीका है जिसके द्वारा समाज अपनी संस्कृति के प्रतिमानों को बदलता है। परिवर्तन के लिए प्रेरणा आन्तरिक या बाहरी हो सकती है।
→ समाजीकरण
अर्थ
→ समाजीकरण के अभिकरण-बच्चे का समाजीकरण उन अनेक अभिकरणों तथा संस्थाओं द्वारा किया जाता है जिसमें कि वह भाग लेता है; जैसे
→ समाजीकरण तथा व्यक्तिगत स्वतंत्रता-यह विचार गलत है कि जिस सांस्कृतिक परिवेश में हम जन्म लेते हैं तथा परिपक्व होते हैं, उसका हमारे व्यवहार पर इतना प्रभाव पड़ता है कि हमारी व्यक्तिगत स्वतंत्रता या इच्छा छिन जाती है।
वास्तविकता यह है कि जन्म से लेकर मृत्यु तक हम अन्य व्यक्तियों के साथ अन्तःक्रियाओं के द्वारा अपने व्यक्तित्व, मूल्यों तथा व्यवहार को निखारने में संलग्न रहते हैं। अतः समाजीकरण के दौरान हमारी स्वयं की पहचान की भावना एवं स्वतंत्र विचारों तथा कार्यों के लिए क्षमता विकसित होती है।