RBSE Class 11 Psychology Important Questions Chapter 1 मनोविज्ञान क्या है?

Rajasthan Board RBSE Class 11 Psychology Important Questions Chapter 1 मनोविज्ञान क्या है? Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 11 Psychology Important Questions Chapter 1 मनोविज्ञान क्या है?

बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1. 
आत्मा के दर्शन के रूप में मनोविज्ञान को स्वीकारा
(अ) प्लेटो ने
(ब) स्किनर ने 
(स) वुडवर्थ ने 
(द) मैक्डूगल ने 
उत्तर :
(अ) प्लेटो ने

प्रश्न 2. 
मनोविज्ञान की जड़ें किस शास्त्र में हैं : 
(अ) दर्शनशास्त्र 
(ब) गणित
(स) चिकित्साशास्त्र 
(द) समाजशास्त्र 
उत्तर :
(अ) दर्शनशास्त्र 

RBSE Class 11 Psychology Important Questions Chapter 1 मनोविज्ञान क्या है?

प्रश्न 3. 
मन का विज्ञान है :
(अ) समाजशास्त्र 
(ब) राजनीतिशास्त्र 
(स) चित्रकला 
(द) मनोविज्ञान
उत्तर :
(द) मनोविज्ञान

प्रश्न 4. 
प्रथम मनोविज्ञान प्रयोगशाला किसने स्थापित की? 
(अ) विलहम वुण्ट ने 
(ब) गेस्टॉल्ट 
(स) रोजर स्पेरी 
(द) स्किनर 
उत्तर :
(अ) विलहम वुण्ट ने 

प्रश्न 5. 
भारतीय मनोवैज्ञानिक एसोसिएशन की स्थापना किस वर्ष हुई ? 
(अ) 1920 में 
(ब) 1924 में 
(स) 1923 में
(द) 1921 में 
उत्तर :
(ब) 1924 में 

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1. 
मनोविज्ञान की मुख्य शाखाओं के नाम लिखिए।
उत्तर : 
1. सामान्य मनोविज्ञान, 
2. समाज मनोविज्ञान, 
3. बाल मनोविज्ञान, 
4. पशु मनोविज्ञान, 
5. किशोर मनोविज्ञान, 
6. लोक मनोविज्ञान।

प्रश्न 2. 
मनोविज्ञान का क्या अर्थ है ?
उत्तर : 
मनोविज्ञान शाब्दिक रूप से आत्मा का विज्ञान है, किन्तु यह परिभाषा अत्यन्त अस्पष्ट है, क्योंकि हम इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे सकते कि आत्मा क्या है 

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA1)

प्रश्न 1. 
मनोविज्ञान को 'आत्मा का ज्ञान' मानना क्यों अस्वीकार कर दिया गया ?
उत्तर : 
मनोविज्ञान (Psychology) के विकास के प्रारम्भिक काल में इसे आत्मा सम्बन्धी व्यवस्थित ज्ञान के रूप में प्रतिपादित किया गया था, परन्तु बाद में मनोविज्ञान के इस अर्थ को अनुपयुक्त पाकर अस्वीकार कर दिया गया। वास्तव में आत्मा के अस्तित्व एवं स्वरूप को वैज्ञानिक रूप से न तो दर्शाया जा सकता है और न ही इसके विषय में कोई प्रत्यक्ष प्रमाण ही प्रस्तुत किया जा सकता है।

यही नहीं, तथाकथित आत्मा तथा स्थूल शरीर के पारस्परिक सम्बन्ध को भी दर्शाना संभव नहीं है। इस स्थिति में मनोविज्ञान को आत्मा के ज्ञान के रूप में प्रस्तुत करना वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुकूल नहीं था। यही कारण था कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले विद्वानों ने मनोविज्ञान को 'आत्मा का ज्ञान' मानना अस्वीकार कर दिया।

RBSE Class 11 Psychology Important Questions Chapter 1 मनोविज्ञान क्या है?

प्रश्न 2. 
क्या मनोविज्ञान एक विधायक विज्ञान है ?
उत्तर : 
मनोविज्ञान को व्यवहार का विधायक विज्ञान (Positive Science) कहा जाता है। वास्तव में विज्ञान दो प्रकार के होते हैं - प्रथम, विधायक विज्ञान तथा दूसरे, नियामक विज्ञान। मनोविज्ञान विधायक विज्ञान है। विधायक विज्ञानों का सम्बन्ध तथ्यों से होता है। इसके अतिरिक्त विधायक विज्ञानों के निर्णय भी तथ्यों पर आधारित होते हैं। विधायक विज्ञानों का सम्बन्ध 'है' या 'क्या है' से होता है।

विधायक विज्ञान के विपरीत नियामक विज्ञान का सम्बन्ध मूल्यों एवं आदर्शों से होता है। इनके निर्णय सदैव मूल्यात्मक तथा 'होना चाहिए' के रूप में होते हैं। तथ्यों पर आधारित होने के कारण मनोविज्ञान का अध्ययन पूर्ण रूप से तथ्यात्मक होता है। मनोविज्ञान को अच्छे-बुरे, शुभ-अशुभ तथा नैतिक-अनैतिक से सरोकार नहीं होता। अतः निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि मनोविज्ञान एक विधायक विज्ञान है।

प्रश्न 3. 
मनोविज्ञान के अर्थ के स्पष्टीकरण के लिए आवश्यक तथ्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर : 
वर्तमान मान्यताओं के अनुसार मनोविज्ञान को व्यवहार का विधायक विज्ञान माना जाता है। मनोविज्ञान के इस अर्थ के स्पष्टीकरण के लिए निम्नलिखित तथ्यों का उल्लेख किया जा सकता है :
1. मनोविज्ञान एक विधायक विज्ञान है। 
2. मनोविज्ञान व्यवहार के विभिन्न तत्त्वों का अध्ययन करता
3. मनोविज्ञान व्यक्ति के वातावरण के प्रति किए गए व्यवहार का क्रमबद्ध अध्ययन करता है।
4. मनोविज्ञान मानव के अतिरिक्त पशु व्यवहार का अध्ययन भी करता है।
5. मनोविज्ञान ज्ञानात्मक, संवेगात्मक तथा क्रियात्मक क्रियाओं का अध्ययन करता है।
6. मनोविज्ञान व्यक्ति को मन:शारीरिक प्राणी मानकर अध्ययन करता है।
7. मनोविज्ञान प्राणी के व्यवहार पर भौतिक तथा सामाजिक । वातावरण के प्रभाव का अध्ययन करता है।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA2)

प्रश्न 1. 
मुख्य रूप से जीवन के किन-किन क्षेत्रों में मनोविज्ञान को उपयोगी माना जाता है ?
उत्तर : 
मनोविज्ञान मानव-जीवन के प्रायः सभी पक्षों से घनिष्ठ रूप से सम्बद्ध है। जीवन के सभी क्षेत्रों में मानवीय व्यवहार के अध्ययन के लिए मनोविज्ञान के ज्ञान को उपयोगी माना जाता है। वर्तमान में जीवन के जिन मुख्य क्षेत्रों में मनोविज्ञान को उपयोगी माना जाता है उनका परिचय निम्नवत् है

1. चिकित्सा: मनोविज्ञान ने विभिन्न रोगों के उपचार के लिए नवीन दृष्टिकोणों को जन्म दिया है। अब सभी मानसिक रोगों तथा कुछ मनोशारीरिक रोगों के उपचार के लिए मनोवैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाया जाता है।

2. अपराध-निरोध एवं न्याय का क्षेत्र : वर्तमान समय में अपराधों के प्रति भी मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से विचार किया जाता है तथा अपराधियों के सुधार के उपाय किए जाते हैं। न्याय की प्रक्रिया में भी मनोवैज्ञानिक विश्लेषण को ध्यान में रखा जाता

3. शिक्षा : शिक्षा के सभी पक्षों में विकास एवं सुधार के लिए मनोविज्ञान ने सराहनीय योगदान दिया है।

4. औद्योगिक एवं व्यावसायिक क्षेत्र : औद्योगिक क्षेत्र की समस्याओं के निवारण के लिए तथा बहुपक्षीय प्रगति एवं सफलता के लिए मनोवैज्ञानिक ज्ञान उपयोगी सिद्ध होता है। इसी प्रकार व्यावसायिक क्षेत्र में भी 
मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों पर आधारित प्रचार एवं विज्ञापन से विशेष लाभ होता है।

5. युद्ध का क्षेत्र : युद्ध के क्षेत्र में भी मनोवैज्ञानिक ज्ञान विशेष उपयोगी होता है। युद्ध को टालने, युद्ध को प्रारंभ करने तथा युद्ध की जीत के लिए अपनी सेनाओं के मनोबल को उच्च बनाए रखने के लिए मनोवैज्ञानिक जानकारी एवं उपाय अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होते हैं।

6. व्यक्तिगत समस्याओं का क्षेत्र : व्यक्तिगत समस्याओं के कारणों एवं उनके समाधान के उपायों में मनोवैज्ञानिक ज्ञान विशेष उपयोगी सिद्ध होता है।

7. राजनीतिक क्षेत्र : अब प्रायः सभी राजनीतिक गतिविधियाँ मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों के आधार पर ही परिचालित होती हैं। चुनाव में सफलता प्राप्त करने तथा नेतृत्व एवं प्रशासन के क्षेत्र में जनमानस की मनोवैज्ञानिक जानकारी उपयोगी सिद्ध होती है।

RBSE Class 11 Psychology Important Questions Chapter 1 मनोविज्ञान क्या है?

प्रश्न 2. 
मनोविज्ञान के प्रमुख क्षेत्रों के नाम लिखो। 
उत्तर : 
मनोविज्ञान के प्रमुख क्षेत्र निम्नवत् हैं : 
1. सामान्य मनोविज्ञान। 
2. समाज मनोविज्ञान।
3. असामान्य मनोविज्ञान। 
4. पशु मनोविज्ञान। 
5. बाल मनोविज्ञान। 
6. किशोर मनोविज्ञान। 
7. विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान। 
8. वैयक्तिक मनोविज्ञान। 
9. मनोभौतिक मनोविज्ञान। 
10. शारीरिक मनोविज्ञान। 
11. लोक-मनोविज्ञान। 
12. परा-मनोविज्ञान। 
13. प्रेरणात्मक मनोविज्ञान। 
14. मनोविश्लेषणात्मक मनोविज्ञान। 
15. शिक्षा-मनोविज्ञान। 
16. व्यावहारिक मनोविज्ञान। 
17. विकासात्मक मनोविज्ञान।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
मनोविज्ञान से आप क्या समझते हैं ? मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं की व्याख्या करते हुए यह बताइए कि कौन-सी परिभाषा सबसे अधिक उत्तम है ?
उत्तर : 
किसी भी विज्ञान अथवा शास्त्र के विषय में पूर्ण ज्ञान प्राप्त करने से पूर्व यह आवश्यक होता है कि उसकी एक समुचित परिभाषा निर्धारित कर ली जाए। परिभाषा के निर्धारण से उस शास्त्र अथवा विज्ञान के अध्ययन की सीमाएँ सुनिश्चित हो जाती हैं तथा उन निश्चित सीमाओं के अन्तर्गत अध्ययन करना सरल होता है।

मनोविज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा : मनोविज्ञान एक विकासशील विज्ञान रहा है तथा विकास के विभिन्न स्तरों पर इसका अर्थ भी बदलता रहा है। यही कारण है कि समय-समय पर मनोविज्ञान की भिन्न-भिन्न परिभाषाएँ प्रस्तुत की जाती रही हैं। मनोविज्ञान को स्पष्ट रूप से समझने तथा मनोविज्ञान की उचित परिभाषा के चयन एवं निर्धारण के लिए इन परिभाषाओं का आलोचनात्मक विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक है। इस प्रकार की मुख्य परिभाषाओं का क्रमिक विवरण निम्नलिखित है

1. मनोविज्ञान आत्मा का विज्ञान है : अपने विकास के प्रारम्भिक काल में मनोविज्ञान को आत्मा के ज्ञान के रूप में परिभाषित किया जाता था। प्लेटो और अरस्तू ने भी मनोविज्ञान का इसी रूप में वर्णन किया था। मनोविज्ञान का यह अर्थ इसके शाब्दिक विश्लेषण से प्राप्त होता है। प्रारम्भ से ही अंग्रेजी भाषा में 'मनोविज्ञान' का पर्याय शब्द Psychology है। यह शब्द मूल रूप में यूनानी भाषा के 'साइकी-लॉगस' का पर्यायवाची है। यहाँ 'साइकी' (Psyche) का अर्थ 'आत्मा' तथा 'लॉगस' (Logos) का अर्थ ज्ञान है। इसी शाब्दिक अर्थ के कारण मनोविज्ञान को 'आत्मा का ज्ञान' माना जाता था। ईसा से 500 वर्ष पूर्व सोलहवीं शताब्दी तक मनोविज्ञान के अर्थ के सम्बन्ध में यही धारणा प्रचलित रही।

आलोचना : मनोविज्ञान के इस प्रारम्भिक अर्थ को कालान्तर में सभी विद्वानों के द्वारा अस्वीकार कर दिया गया। इसके निम्नलिखित कारण थे -
1. सर्वप्रथम आत्मा के स्वरूप को वैज्ञानिक रूप से स्पष्ट नहीं किया जा सकता था तथा साथ ही आत्मा एवं शरीर के आपसी सम्बन्ध को भी व्यक्त कर पाना कठिन था; तथा

2. मनोविज्ञान के अर्थ का यह प्रतिपादन अपने आप में अवैज्ञानिक भी था। इन कारणों से ही मनोविज्ञान के इस अर्थ के सम्बन्ध में कोई सहमति सम्भव न हो सकी। जे.एस.रॉस के अनुसार भी “मनोविज्ञान शाब्दिक रूप से आत्मा का विज्ञान है किन्तु यह परिभाषा अत्यंत अस्पष्टता से ग्रस्त है, क्योंकि हम इस प्रश्न का सन्तोषजनक उत्तर नहीं दे सकते कि 'आत्मा' क्या है ?

2. मनोविज्ञान मन का विज्ञान है : आत्मा के स्वरूप को निर्धारित न कर पाने के पश्चात् मनोविज्ञान को मन के विज्ञान के रूप में प्रतिपादित किया गया। यह मान्यता भी ग्रीक दार्शनिकों की ही थी। यदि आत्मा के स्थान पर 'मन' शब्द का प्रयोग करें तो कहा जा सकता है कि मन का ज्ञान ही मनोविज्ञान है।

आलोचना : मनोविज्ञान के इस अर्थ को भी अपर्याप्त तथा अनुपयुक्त पाया गया। इसके निम्नलिखित कारण थे :
1. मन के अस्तित्व को वैज्ञानिक रूप से नहीं दर्शाया जा सकता। मनोविज्ञान केवल मानसिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करता है। इसके अन्तर्गत मन के स्वरूप का कोई स्पष्ट वर्णन प्रस्तुत नहीं किया गया।
2. प्रस्तुत परिभाषा के अन्तर्गत मनोविज्ञान को विज्ञान तो अवश्य माना गया है, परन्तु यह स्पष्ट नहीं किया गया कि यह विधायक विज्ञान है अथवा नियामक विज्ञान।
3. इस परिभाषा में मनुष्यों और पशुओं के बाह्य व्यवहार को सम्मिलित नहीं किया गया है, जिसका मनोविज्ञान में सबसे अधिक अध्ययन किया जाता है।
4. 'मन' शब्द के विभिन्न अर्थ लगाए जा सकते हैं, इसे आत्मा अथवा मानसिक क्रियाओं से भी जोड़ा जा सकता है।
इन त्रुटियों के कारण ही मनोविज्ञान के इस अर्थ को अस्वीकार कर दिया गया है। 

3. मनोविज्ञान चेतना का विज्ञान है : मनोविज्ञान के क्रमिक विकास के परिणामस्वरूप मनोविज्ञान के अर्थ एवं परिभाषा में भी परिवर्तन हुआ तथा समयावधि में इसे चेतना के विज्ञान के रूप में स्वीकार किया जाने लगा। मनुष्य के मन का उच्चतम स्तर चेतना है। चेतना वास्तव में सत्व का ज्ञान ही है। चेतना में सर्वाधिक संज्ञानात्मक प्रक्रियाएँ शामिल हैं। इन प्रक्रियाओं में संवेदनों, प्रत्यक्षों, स्मृति, कल्पना और चिन्तन समाहित है। चेतना में मस्तिष्क विश्व का वैसा ऐन्द्रिक चित्र बनाता है, जैसा वह मनुष्य को दत्तक्षण में प्रतीत होता है। एक सामाजिक उत्पादन (जीव) होने के कारण चेतना केवल मनुष्य में पाई जाती है।

RBSE Class 11 Psychology Important Questions Chapter 1 मनोविज्ञान क्या है?

विलियम जेम्स : विलियम जेम्स ने भी मनोविज्ञान को चेतना का ही विज्ञान स्वीकार किया है। उनके मतानुसार “मनोविज्ञान की सर्वोत्तम परिभाषा चेतना की दशाओं के वर्णन और व्याख्या के रूप में दी जा सकती है।"

आलोचना : मनोविज्ञान को चेतना के विकास के रूप में भी स्वीकार नहीं किया गया और इस अर्थ के विरुद्ध भी अनेक आपत्तियाँ उठाई गई हैं। ये आपत्तियाँ निम्नलिखित हैं :

1. इन परिभाषाओं में यह वर्णित नहीं किया गया कि मनोविज्ञान कैसा विज्ञान है। क्या यह विधायक विज्ञान है अथवा नियामक विज्ञान ?

2. इन परिभाषाओं में व्यवहार का विस्तृत अर्थ भी स्पष्ट नहीं किया गया है परन्तु उपर्युक्त कमियों के होते हुए भी इन परिभाषाओं को पूर्ण रूप से अस्वीकार नहीं किया जा सकता है। अन्य महत्त्वपूर्ण परिभाषाएँ : मनोविज्ञान की उपर्युक्त परिभाषाओं के अनुरूप अर्थ वाली कुछ अन्य परिभाषाएँ भी विद्वानों ने प्रस्तुत की हैं। इन परिभाषाओं के आधार पर मनोविज्ञान के व्यवहार का अध्ययन प्रतिपादित करने से सम्बन्धित विभिन्न कमियों को दूर करने का प्रयास किया गया है। इस प्रकार की कुछ परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं :

  • मैक्डगल : मैक्डूगल ने मनोविज्ञान की परिभाषा इन शब्दों में प्रस्तुत की है, “मनोविज्ञान व्यवहार अथवा आचरण का विधायक विज्ञान है।"
  • मन : प्रसिद्ध आधुनिक मनोवैज्ञानिक एन. एल. मन. ने मनोविज्ञान की परिभाषा को इन शब्दों में प्रस्तुत किया है, "मनोविज्ञान मनुष्य के अनुभव के आधार पर व्याख्या किए गए आन्तरिक अनुभव तथा बाह्य व्यवहार का विधायक विज्ञान है।"
  • थाउलैस : थाउलैस ने मनोविज्ञान की संक्षिप्त परंतु महत्त्वपूर्ण परिभाषा इन शब्दों में प्रस्तुत की है, “मनोविज्ञान मानव अनुभव एवं व्यवहार का यथार्थ विज्ञान है।" 
  • मर्फी के अनुसार, “मनोविज्ञान वह विज्ञान है, जिसमें जीवित प्राणियों की उन क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, जिनको हम वातावरण के प्रति तैयार करते हैं।"
  • वारेन के अनुसार, "मनोविज्ञान वह विज्ञान है जो एक प्राणी और परिवेश में परस्पर अन्तर्सम्बन्ध से सरोकार रखता है।

मनोविज्ञान की उपर्युक्त परिभाषाओं द्वारा इस विज्ञान का अर्थ स्पष्ट हो जाता है। मनोविज्ञान की कोई भी परिभाषा स्वयं में पूर्ण एवं सन्तोषजनक नहीं है तथापि एन. एल. एम. की परिभाषा सर्वोत्तम है जिनके अनुसार 'मनोविज्ञान मानव के व्यवहार का विज्ञान है।' अर्थात् मनोविज्ञान मानव के द्वारा की जाने वाली क्रियाओं का क्रमबद्ध अध्ययन करता है, जो वह वातावरण के प्रति समायोजन में प्रदर्शित करता है। इस परिभाषा में यह भी स्पष्ट किया गया है कि मनोविज्ञान एक विधायक विज्ञान है। इससे मनोविज्ञान की प्रकृति का भी समुचित ज्ञान प्राप्त हो जाता है।

प्रश्न 2. 
मनोविज्ञान की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर : 
मनोविज्ञान की मुख्य विशेषताएँ : मनोविज्ञान व्यवहार के अध्ययन का एक विधायक विज्ञान है। एक विज्ञान के रूप में मनोविज्ञान की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :

1. वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित अध्ययन : समस्त मनोवैज्ञानिक अध्ययन पद्धति पर ही आधारित होते हैं। मनोविज्ञान में निष्कर्षों को प्राप्त करने हेतु प्रयोगात्मक विधि को ही अपनाया जाता है। प्रयोगात्मक विधि के अन्तर्गत आवश्यक परिस्थितियों को नियंत्रित किया जाता है तथा अध्ययन के लिए अधिक-से-अधिक यन्त्रों का प्रयोग किया जाता है। आधुनिक युग में तो मनोवैज्ञानिक अध्ययनों के लिए पर्याप्त विकसित यन्त्र एवं प्रयोगशालाएँ उपलब्ध हैं, इस प्रकार मनोवैज्ञानिक अध्ययनों का वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित होना मनोविज्ञान की एक प्रमुख विशेषता है।

2. तथ्यात्मकता : मनोविज्ञान की एक उल्लेखनीय विशेषता है, इसकी तथ्यात्मकता। मनोविज्ञान के समस्त अध्ययन तथ्यों पर आधारित होते हैं तथा इसके निर्णय भी तथ्यात्मक होते हैं। इस विज्ञान के अन्तर्गत अनुमोदित प्रदत्तों (Datas) अथवा सूचनाओं के लिए कोई स्थान नहीं है वरन् अध्ययन से सम्बन्धित समस्त निष्कर्ष तथ्यपरक सूचनाओं पर ही आधारित होते हैं।

3. सार्वभौमिकता : मनोविज्ञान की एक विशेषता इसके सिद्धान्तों की सार्वभौमिकता है। समान परिस्थितियाँ रहते हुए प्रत्येक देश-काल में मनोविज्ञान के सिद्धान्त सदैव प्रमाणित किए जा सकते हैं। व्यक्ति विशेष एवं देश-काल की भिन्नता से मनोविज्ञान के सामान्य सिद्धान्तों पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ता।

4. प्रामाणिकता : प्रामाणिकता भी मनोवैज्ञानिक अध्ययनों की एक विशेषता है। मनोविज्ञान के सभी सिद्धान्तों की प्रामाणिकता को परीक्षण एवं पुनः निरीक्षण द्वारा पुनः दर्शाया जा सकता है।

5. कार्य-कारण सम्बन्धों पर आधारित : मनोवैज्ञानिक व्यवहार के सामान्य नियमों के प्रतिपादन एवं उनके विश्लेषण पर आधारित होता है। मनोविज्ञान इस अध्ययन के लिए कार्य-कारण सम्बन्धों का अध्ययन करता है। किस व्यवहार का क्या कारण है तथा किस विशिष्टीकरण से प्रभावित होकर व्यक्ति क्या व्यवहार करेगा इसका व्यवस्थित अध्ययन मनोविज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है।

6. भविष्यवाणी में सहायक : मनोविज्ञान की एक विशेषता यह भी है कि यह मानव व्यवहार के विषय में सही-सही भविष्यवाणी कर सकता है। मनोविज्ञान यह भविष्यवाणी कार्य-कारण

सम्बन्धों के आधार पर ही करता है। विभिन्न मनोवैज्ञानिक परीक्षणों के आधार पर मानव व्यवहार के विषय में सही-सही भविष्यवाणी की जा सकती है। आजकल सरकारी नौकरियों एवं विभिन्न व्यवसायों के लिए उपयुक्त व्यक्ति के चयन हेतु मनोवैज्ञानिक परीक्षणों द्वारा ही निर्णय लिया जाता है। उपर्युक्त विवरण द्वारा मनोविज्ञान का अर्थ और भी अधिक स्पष्ट हो जाता है। इस संदर्भ में यह उल्लेखनीय है कि यद्यपि मनोविज्ञान एक विज्ञान है, तथापि यह विज्ञान अन्य भौतिक विज्ञानों से भिन्न है। यह भिन्नता इस विज्ञान की विषय-सामग्री की विशिष्टता के कारण है। मनोविज्ञान व्यवहार का अध्ययन करता है और यह व्यवहार कोई स्थूल तत्त्व नहीं है, अत: मनोवैज्ञानिक अध्ययन में अन्य भौतिक विज्ञानों के अध्ययन से पर्याप्त भिन्नता होना स्वाभाविक ही है।

RBSE Class 11 Psychology Important Questions Chapter 1 मनोविज्ञान क्या है?

प्रश्न 3. 
मनोविज्ञान के अध्ययन-क्षेत्र का विस्तृत विवरण दीजिए।
उत्तर : 
मनोविज्ञान के अर्थ एवं परिभाषा के अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मनोविज्ञान एक व्यापक क्षेत्र वाला विज्ञान है। मनोविज्ञान व्यवहार का अध्ययन करने वाला विज्ञान है; जहाँ भी जीवन है, वहाँ व्यवहार है और जहाँ व्यवहार है, वहाँ मनोविज्ञान अपना अध्ययन व परीक्षण करता है। मानव जीवन में विभिन्न प्रकार की परिस्थितियाँ हो सकती हैं। इन सब परिस्थितियों में विभिन्न प्रकार के व्यवहारों का अस्तित्व हो सकता है। इन सबके अध्ययन का क्षेत्र मनोविज्ञान है अतः स्पष्ट है कि मनोविज्ञान का क्षेत्र अत्यधिक विस्तृत है। 

व्यक्ति जब जन्म लेता है, तभी से अपना व्यवहार प्रारम्भ करता है तथा मृत्युपर्यन्त किसी-न-किसी प्रकार का व्यवहार करता रहता है। मानव व्यवहार अनेक प्रकार का होता है। इनमें से कुछ व्यवहार सामान्य व्यवहार की श्रेणी में आते हैं तथा कुछ व्यवहार असामान्य व्यवहार कहलाते हैं। इन विभिन्न व्यवहारों का व्यवस्थित अध्ययन करना ही मनोविज्ञान का कार्य है। यद्यपि मनोविज्ञान का क्षेत्र अत्यधिक विस्तृत है तथा उसका सम्पूर्ण विवरण प्रस्तुत करना अत्यन्त कठिन है, परन्तु फिर भी अध्ययन की सुविधा के लिए मनोविज्ञान के कुछ मुख्य क्षेत्रों का वर्णन किया जा सकता है।

मनोविज्ञान का क्षेत्र : मनोविज्ञान के प्रमुख क्षेत्रों का वर्णन निम्नलिखित है:

1. सामान्य मनोविज्ञान : सामान्य मनोविज्ञान (General Psychology) मनोविज्ञान का वह क्षेत्र है जिसमें मनोविज्ञान के सैद्धान्तिक पक्ष का अध्ययन किया जाता है। यह मनोविज्ञान का एक विस्तृत विभाग है। इस विभाग के अन्तर्गत मनोविज्ञान के अर्थ, परिभाषा, अध्ययन-पद्धतियों तथा अन्य विज्ञानों से इस विज्ञान के सम्बन्ध आदि का निर्धारण किया जाता है। सामान्य मनोविज्ञान में ही व्यवहार के सामान्य तथ्यों अर्थात् स्मृति, चिन्तन, सीखना तथा व्यक्तित्व आदि का सैद्धान्तिक अध्ययन किया जाता है।

यह ज्ञानात्मक क्रियाओं जैसे संवेदना, प्रत्यक्षीकरण तथा कल्पना विचार संवेगात्मक क्रियाओं जैसे हँसना, रोना, क्रोध करना तथा डरना; और क्रियात्मक क्रियाओं जैसे चलना, बोलना तथा भागना आदि का अध्ययन करता है। इसके अतिरिक्त यह पारिवारिक तथा सामाजिक जीवन का भी अध्ययन करता है। मनोविज्ञान के विस्तृत अध्ययन से पूर्व सामान्य मनोविज्ञान का अध्ययन करना अनिवार्य रूप से आवश्यक होता है।

2. असामान्य मनोविज्ञान : मनोविज्ञान जहाँ एक ओर सामान्य व्यवहार का अध्ययन करता है, वहीं यह विज्ञान सभी प्रकार के असामान्य व्यवहारों का अध्ययन भी करता है। असामान्य व्यवहार का अध्ययन करने वाली मनोविज्ञान की शाखा को असामान्य मनोविज्ञान (Abnormal Psychology) के नाम से जाना जाता है। जेम्स ड्रेवर (James Drever) ने मनोविज्ञान की इस शाखा की परिभाषा इन शब्दों में प्रस्तुत की है, “असामान्य मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की वह शाखा है, जिसमें व्यवहार या मानसिक घटना की विषमता का अध्ययन किया जाता है।"

इस विभाग अर्थात् असामान्य मनोविज्ञान के अन्तर्गत मुख्य रूप से व्यवहार की विकृतियों का अध्ययन किया जाता है। इस शाखा का मुख्य ध्येय असामान्य मनुष्य का अध्ययन करना है।इसमें वातोन्माद, आतंक, वातरोग, भ्रान्ति, स्मृतिभ्रंश इत्यादि असामान्य व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है। असामान्य मनोविज्ञान में अस्थायी व स्थायी मनोविकृतियों तथा मन की असामान्यताओं को अध्ययन का विषय बनाया जाता है। मनोविज्ञान व्यवहार से सम्बद्ध इन असामान्यताओं का अध्ययन करता है तथा इन असामान्यताओं के कारणों को ज्ञात करके इनके उपचारों को भी ढूंढ निकालता है। 

3. समाज मनोविज्ञान : मनोविज्ञान व्यक्ति के व्यवहार के केवल वैयक्तिक पक्ष का ही अध्ययन नहीं करता, बल्कि यह विज्ञान समाज के एक सदस्य के रूप में भी व्यक्ति के व्यवहार का अध्ययन करता है। हम जानते हैं कि जब एक व्यक्ति भीड़ अथवा श्रोता समूह का सदस्य होता है अथवा सिनेमा देख रहा होता है तब उसका व्यवहार साधारण स्थिति में होने वाले व्यवहार से भिन्न हो जाता है। इस प्रकार के व्यवहारों का अध्ययन करने वाली मनोविज्ञान की शाखा को 'समाज-मनोविज्ञान' (Social Psychology) कहा जाता है।

समाज मनोविज्ञान द्वारा समूह-मन, सामाजिक प्रथाओं, परम्पराओं तथा रीति-रिवाजों का अध्ययन एवं विश्लेषण किया जाता है। यह सामाजिक क्षेत्र की समस्याओं, जैसे पूर्वाग्रह, अपराध आदि का अध्ययन भी करता है तथा इसके कारणों का पता लगाकर नियन्त्रण तथा उपचार के उपाय बनाता है। मनोविज्ञान की यह शाखा सामान्य रूप से उपयोगी ज्ञान प्रदान करती है। यह ज्ञान समाजशास्त्रियों, समाजसुधारकों तथा समाजसेवी संस्थाओं आदि के लिए विशेष रूप से उपयोगी होता है।

4. बाल मनोविज्ञान : व्यवहार का वर्गीकरण करते हुए बाल-व्यवहार को एक पृथक् व्यवहार के अध्ययन की विषय-वस्तु के रूप में रखा गया है। इसमें बालक के विकास का, उसमें संवेदना, प्रत्यक्ष स्मृति, कल्पना आदि मानसिक क्रियाओं की उत्पत्ति व विकास का अध्ययन किया जाता है।

क्रो तथा क्रो (Crow and Crow) ने बाल मनोविज्ञान को इन शब्दों में परिभाषित किया है- “बाल मनोविज्ञान एक मनोवैज्ञानिक अध्ययन है, जिसमें बालक के जन्मपूर्व-काल से लेकर किशोरावस्था तक का अध्ययन किया जाता है।" मनोविज्ञान की यह शाखा गर्भस्थ अवस्था के शिशु से लेकर 12 वर्ष की आयु तक के बालकों के व्यवहार का अध्ययन करती है।

बाल मनोविज्ञान बच्चों के बहुपक्षीय विकास जैसे शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, सामाजिक, भाषा एवं व्यक्तित्व आदि के विकास का अध्ययन करता है। यह शाखा बच्चों की मानसिक शक्तियों भाषा, बुद्धि, स्मृति तथा भावात्मक विकास का अध्ययन करती है। इसके अतिरिक्त यह शाखा बच्चों के व्यवहार की असामान्यता का भी अध्ययन करती है तथा बच्चों के सामान्य विकास के लिए सुझाव प्रस्तुत करती है। इस प्रकार बाल मनोविज्ञान बाल-व्यवहार के सम्बन्ध में उपयोगी ज्ञान प्रदान करता है।

RBSE Class 11 Psychology Important Questions Chapter 1 मनोविज्ञान क्या है?

5. पशु मनोविज्ञान : मनोविज्ञान केवल मानव व्यवहार के अध्ययन तक ही सीमित नहीं है। यह विज्ञान पशुओं के व्यवहार का भी अध्ययन करता है। पशुओं के व्यवहार को अध्ययन करने वाली मनोविज्ञान की शाखा को पशु मनोविज्ञान (Animal Psychology) कहा जाता है। इसको तुलनात्मक मनोविज्ञान भी कहा गया है। इसमें पशु मनोविज्ञान की मानव मनोविज्ञान से तुलना की जाती है।

पशु मनोविज्ञान में जहाँ एक ओर पशु-व्यवहार का अध्ययन किया जाता है वहीं पशु-व्यवहार तथा मानव-व्यवहार के तुलनात्मक अध्ययन द्वारा अनेक महत्वपूर्ण निष्कर्ष भी प्राप्त किए जा सकते हैं। मनोविज्ञान के अन्तर्गत आनुवंशिकता, प्रयास, प्रेरणा, प्रवृत्तियों तथा संवेगों आदि के परीक्षण चूहे, बिल्ली, खरगोश, चिम्पैंजी आदि जन्तुओं पर किए जाते हैं। कुछ ऐसे परीक्षण भी होते हैं जो मनुष्य पर नहीं किए जा सकते; ऐसे परीक्षण जन्तुओं पर सरलता से किए जा सकते हैं तथा उसी के आधार पर अभीष्ट निष्कर्ष प्राप्त कर लिए जाते हैं।

6. विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान : मनोविज्ञान की विश्लेषणात्मक मनोविज्ञान (Analytical Psychological) शाखा के अन्तर्गत व्यवहार के व्यवस्थित अध्ययन के लिए व्यवहार सम्बन्धी विभिन्न क्रियाओं का विश्लेषण किया जाता है। विश्लेषण द्वारा जटिल क्रियाओं को सरल रूप प्रदान किया जाता है तथा सम्बन्धित अध्ययन को सुविधाजनक बना लिया जाता है। इस अध्ययन के लिए मुख्य रूप से अन्तर्दर्शन, निरीक्षण तथा प्रयोग विधियों को अपनाया जाता है।

7.किशोर मनोविज्ञान : बाल्य व्यवहार के समान किशोरावस्था में भी व्यक्ति के द्वारा कुछ विशिष्ट प्रकार के व्यवहार किए जाते हैं। इस अवस्था के व्यवहार का अध्ययन करने के लिए मनोविज्ञान में अलग से एक शाखा विकसित की गई है। इस शाखा को 'किशोर मनोविज्ञान' (Adolesent Psychology) कहा जाता है। मनोविज्ञान की इस शाखा के अन्तर्गत 12 वर्ष से 21 वर्ष तक की आयु वाले किशोरों के व्यवहार एवं विकास का अध्ययन किया जाता है। किशोरावस्था की अपनी कुछ विशिष्ट समस्याएँ भी होती हैं। अत: मनोवैज्ञानिक इसे 'क्रान्तिकारी अवस्था' कहते हैं। इन समस्याओं का अध्ययन एवं समाधान भी किशोर मनोविज्ञान के द्वारा ही किया जाता है।

8. वैयक्तिक मनोविज्ञान : मनोविज्ञान की मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति एक-दूसरे से किसी न किसी रूप में भिन्न होता है। इस भिन्नता के कारण ही भिन्न-भिन्न प्रकार के व्यक्तित्व वाले विभिन्न व्यक्ति देखने को मिलते हैं। इस वैयक्तिक अथवा व्यक्तित्व सम्बन्धी भिन्नता का अध्ययन करने के लिए ही "वैयक्तिक मनोविज्ञान" (Individual Psychology) का विकास किया गया है। युग ने मनुष्यों को तीन प्रकार का माना हैअन्तर्मुखी, बर्हिमुखी तथा उभयमुखी। वैयक्तिक मनोविज्ञान के अन्तर्गत इन तीनों प्रकार के व्यक्तित्व का पूर्ण अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार वैयक्तिक मनोविज्ञान भी मनोविज्ञान की एक मुख्य शाखा समझी जाती है।

9. शारीरिक मनोविज्ञान : मनोविज्ञान मुख्य रूप से व्यवहार का विज्ञान है परन्तु व्यवहार सम्बन्धी अनेक क्रियाएँ शरीर के विभिन्न अंगों द्वारा ही नियन्त्रित एवं परिचालित होती हैं, अतः मनोविज्ञान के अन्तर्गत प्राणी के शरीर का भी विधिवत अध्ययन किया जाता है। शरीर का अध्ययन करने वाली मनोविज्ञान की शाखा को 'शारीरिक मनोविज्ञान' (Physical Psychology) कहा जाता है। मनोविज्ञान मानसिक क्रियाओं का अध्ययन करता है, परन्तु मानसिक क्रियाओं का शरीर से अभिन्न सम्बन्ध है। मानसिक क्रियाओं और नाड़ी संस्थान का सम्बन्ध, किसी व्यवहार का शरीर के विभिन्न अंगों से सम्बन्ध, विशेष परिस्थिति में अंग-विशेष की क्रियाएँ आदि शारीरिक मनोविज्ञान के विषय हैं। दुसाध्य, उन्माद और मनस्ताप के परस्पर सम्बन्धों का भी इसी शाखा के द्वारा चिकित्सकीय ज्ञान प्राप्त होता है।

10. लोक मनोविज्ञान : एक वर्गीकरण के आधार पर मानव समाज को आधुनिक तथा लोक समाज में विभक्त किया जा सकता है। लोक समाज की मान्यताएँ, विचारधाराएँ तथा विभिन्न प्रकार के विश्वास आधुनिक समाज से भिन्न होते हैं। अतः लोक समाज का मनोवैज्ञानिक अध्ययन करने के लिए अलग से एक शाखा विकसित की गई है। मनोविज्ञान की इस शाखा को 'लोक मनोविज्ञान' (Folk Psychology) कहा जाता है।

इसका मुख्य उद्देश्य देश के किसी स्थान विशेष के आदिवासियों के रीति-रिवाजों तथा रहन-सहन का अध्ययन करना तथा उनका मनोवैज्ञानिक सिद्धान्तों के अनुगामी व्याख्या करना होता है। आधुनिक समाजों से ऐसे समाजों की तुलना करना भी इसका कार्यक्षेत्र होता है। लोक-मनोविज्ञान के अन्तर्गत आदिवासियों के अंधविश्वासों, रीति-रिवाजों, पौराणिक गाथाओं, संगीत, कला, धर्म आदि का मनोवैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। इस प्रकार के अध्ययन के आधार पर वर्तमान परिस्थितियों में मानव जीवन पर उनके प्रभावों का अध्ययन किया जा सकता है।

11. मनोभौतिक मनोविज्ञान : मनोविज्ञान की एक शाखा 'मनोभौतिक मनोविज्ञान' (Psycho-physical Psychology) भी है। इस शाखा के अन्तर्गत मानवीय संवेदनाओं तथा भौतिक उद्दीपनों के पारस्परिक सम्बन्ध का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। मनोविज्ञान की इस शाखा को विस्तृत रूप वेबर तथा फेखनर ने दिया था। उन्होंने इस क्षेत्र में मनोवैज्ञानिक खोजें की तथा प्रकाश का संवेदना पर प्रभाव दो उद्दीपकों को अलग-अलग पहचानने के लिए न्यूनतम अन्तर आदि के विषय में महत्त्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत किए हैं।

12. विकासात्मक मनोविज्ञान : विकासात्मक मनोविज्ञान (Developmental Psychology) में मानव जाति अथवा व्यक्ति के व्यवहार के विकास की प्रक्रिया का अध्ययन किया जाता है तथा विकास से सम्बन्धित विभिन्न चरों की पारस्परिक तुलना भी की जाती है। व्यक्ति की बुद्धि का विकास किस प्रकार हुआ है, विकास क्रम में कौन-सी अवस्थाएँ आ चुकी हैं तथा भविष्य में विकास का स्वरूप क्या होगा- इन सभी तथ्यों का अध्ययन विकासात्मक मनोविज्ञान में किया जाता है। इसमें विभिन्न शक्तियों के विकास के कारणों का पता लगाया जाता है। विकास के क्रम में विभिन्न परिवर्तनों का अध्ययन करके उनके नियन्त्रण के उपायों की व्याख्या की जाती है।

13. व्यावहारिक मनोविज्ञान : मनोविज्ञान की एक मुख्य शाखा व्यावहारिक मनोविज्ञान (Applied Psychology) है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, मनोविज्ञान की इस शाखा के अन्तर्गत व्यावहारिक दृष्टिकोण को अपनाया जाता है। इसके आधार पर मनोविज्ञान की विभिन्न शाखाओं द्वारा प्राप्त सैद्धान्तिक ज्ञान को जीवन में व्यावहारिक रूप से लागू किया जाता है। यह ज्ञान व्यक्ति एवं समाज की विभिन्न समस्याओं को सुलझाने के लिए प्रयोग में लाया जाता है।

वस्तुत: व्यावहारिक मनोविज्ञान, मनोविज्ञान की एक उपयोगी शाखा है। व्यावहारिक मनोविज्ञान का प्रयोग जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है। उदाहरण के लिए- वैधानिक क्षेत्र में, शिक्षा तथा व्यवसाय के क्षेत्र में, निर्देशन के लिए, किसी भी पद के लिए अभीष्ट व्यक्ति के चुनाव हेतु तथा व्यापार एवं औद्योगिक क्षेत्र में व्यावहारिक मनोविज्ञान का विशेष रूप से प्रयोग होता है। इसके अतिरिक्त बाल-अपराध, मानसिक अस्वस्थता, सामूहिक तनाव आदि के कारणों एवं उपचारों का अध्ययन भी मनोविज्ञान की इस शाखा के अन्तर्गत किया जाता है।

RBSE Class 11 Psychology Important Questions Chapter 1 मनोविज्ञान क्या है?

14. शिक्षा मनोविज्ञान : शिक्षा मनोविज्ञान (Educational Psychology) मूल रूप से व्यावहारिक मनोविज्ञान की एक शाखा है। परन्तु इसका क्षेत्र अधिक विस्तृत हो चुका है। अतः अब इस शाखा का अलग से अध्ययन किया जाता है। शिक्षा मनोविज्ञान मनोविज्ञान की वह शाखा है जो शिक्षा सम्बन्धी परिस्थितियों का मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से अध्ययन करती है। शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ स्किनर ने इन शब्दों में प्रस्तुत किया है, “शिक्षा मनोविज्ञान मानवीय व्यवहार का शैक्षिक परिस्थितियों में अध्ययन करता है।"

इसका अर्थ यह है कि शिक्षा मनोविज्ञान का सम्बन्ध उन मानवीय व्यवहारों और व्यक्तित्व के अध्ययन से है जिसका उत्थान, विकास और निर्देशन शिक्षा की सामाजिक प्रक्रिया के अन्तर्गत होता है। शिक्षा मनोविज्ञान एक व्यावहारिक एवं उपयोगी विज्ञान है। शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षण में सहायक होता है तथा अनुशासन स्थापित करने में सहायता देता है। इसके ज्ञान द्वारा उचित शिक्षण विधियों का निर्धारण होता है तथा पाठ्यक्रम के निर्धारण में भी सहायता प्राप्त होती है। शिक्षा मनोविज्ञान समय-सारणी तैयार करने में भी सहायक होता है।

15. मनोविश्लेषणात्मक मनोविज्ञान (Psycho-analytical Psychology) : मनोविज्ञान के अन्तर्गत 'मनोविश्लेषणात्मक मनोविज्ञान' से परिचित कराने का श्रेय मुख्य रूप से सिगमंड फ्रायड को है। उन्होंने मानव मन को तीन भागों चेतन, अचेतन तथा अवचेतन में विभाजित करके मानव के अन्त:करण में छिपी भावनाओं का स्वप्न विश्लेषण तथा मुक्त साहचर्य विधि के द्वारा पता लगाया। मनोविश्लेषणात्मक मनोविज्ञान के अन्तर्गत व्यक्ति की विभिन्न असामान्य गतिविधियों का विश्लेषण करके उन अचेतन क्रियाकलापों में निहित अचेतन कारणों को ज्ञात किया

जाता है। फ्रायड़ ने हकलाने, बाएँ हाथ से कार्य करने, विभिन्न प्रकार की त्रुटियाँ करने तथा विस्मृति आदि का विश्लेषण करके अनेक रोचक निष्कर्ष प्राप्त किए। फ्रायड के ये निष्कर्ष मात्र सैद्धान्तिक नहीं थे, बल्कि इनकी व्यावहारिक उपयोगिता भी थी। इन प्रयोगों एवं निष्कर्षों के आधार पर वह विभिन्न मानसिक रोगों की चिकित्सा भी करता था।

16. परा-मनोविज्ञान : मनुष्य के जीवन में अलौकिक घटनाएँ घटित होती रहती हैं। इनको 'परा-सामान्य घटना' घटना कहा गया है। जैसे- स्वप्न में किसी व्यक्ति को देखकर अगले दिन उससे आश्चर्यजनक रूप में भेंट का होना, किसी दूर स्थित प्रियजन का विचार मन में आना और अप्रत्याशित रूप में उसका आ जाना आदि। परा-मनोविज्ञान में इस प्रकार की तमाम घटनाओं का अध्ययन किया जाता है। इस शाखा के अन्तर्गत अध्ययन किए जाने वाले विषयों में पुनर्जन्म सिद्धान्त, मन वार्ता, आत्मा-वार्ता तथा अद्भुत प्रत्यक्षीकरण आदि शामिल हैं।

17. प्रेरणात्मक मनोविज्ञान : मनोविज्ञान की एक शाखा 'प्रेरणात्मक मनोविज्ञान' (Motivational Psychology) भी है। व्यक्ति के जीवन में प्रेरणाओं का विशेष महत्त्व होता है। प्रेरणाओं से ही अधिकांश व्यवहारों का परिचालन होता है। पर्याप्त प्रेरणा न होने पर अनेक साधारण कार्य भी पूरे नहीं हो पाते। इससे भिन्न प्रबल प्रेरणा होने की स्थिति में यदि बाहरी कारणों या परिस्थितियों वश सम्बन्धित कार्य नहीं हो पाते तो व्यक्ति के व्यक्तित्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। प्रेरणात्मक मनोविज्ञान प्रेरणाओं से सम्बन्धित सभी पक्षों का व्यवस्थित अध्ययन करता है।

मनोविज्ञान के क्षेत्र सम्बन्धी उपर्युक्त विवरण को केवल परिचयात्मक ही समझना चाहिए। वास्तव में मनोविज्ञान का क्षेत्र इससे कहीं अधिक विस्तृत है तथा इस संक्षिप्त विवरण द्वारा इसे पूर्णरूपेण प्रस्तुत कर सकना प्रायः असम्भव ही है। प्राणि-मात्र के प्रत्येक प्रकार के व्यवहार का अध्ययन मनोविज्ञान के क्षेत्र में आता है। यह व्यवहार चाहे प्रत्यक्ष हो या परोक्ष, चेतन हो अथवा अचेतन : सामान्य हो या असामान्य, मनुष्य का हो या पशु का सभी प्रकार के व्यवहार का अध्ययन मनोविज्ञान के ही अध्ययन क्षेत्र की विषय-वस्तु होता है।

प्रश्न 4. 
मानव जीवन के किन्हीं दो क्षेत्रों में मनोविज्ञान की उपयोगिता का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर : 
मनोविज्ञान का मानव जीवन के विभिन्न पक्षों से गहन सम्बन्ध है तथा इसका अध्ययन मानव जीवन के समस्त पक्षों को प्रभावित करता है। मनोविज्ञान का अध्ययन एवं ज्ञान जहाँ एक ओर व्यक्ति के निजी विकास के लिए उपयोगी है, वहीं दूसरी ओर समाज में रहते हुए विभिन्न समस्याओं के समाधान करने तथा जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सुविधा प्राप्त करने की दृष्टि से भी इसे उपयोगी समझा जाता है। मनोविज्ञान सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक दोनों ही प्रकार से एक उपयोगी विज्ञान है। यह मनोवैज्ञानिक ज्ञान व्यक्ति का दृष्टिकोण ही परिवर्तित कर देता है। विशेषकर व्यक्तित्व के समुचित विकास तथा असमानताओं को दूर करने की दिशा में मनोविज्ञान का योगदान सराहनीय है। मनोविज्ञान की उपयोगिता तथा महत्त्व : मनोविज्ञान की उपयोगिता तथा महत्त्व का विस्तृत परिचय निम्नवत् है :

1. शिक्षा के क्षेत्र में उपयोगिता : वर्तमान युग में शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान का योगदान सर्वविदित है। अब शिक्षा, मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित है तथा शिक्षा से सम्बन्धित सभी पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधियाँ मनोवैज्ञानिक मान्यताओं के अनुकूल निर्धारित की जाती हैं। अब बच्चों को भय एवं दंड के माध्यम से शिक्षित नहीं किया जाता, वरन् बालकों में प्रेरणा एवं रुचि को जाग्रत करके शिक्षा को सरल एवं ऐच्छिक बनाया जाता है। यदि कोई बालक शिक्षा में अरुचि प्रकट करता है अथवा अधिक पिछड़ा हुआ प्रतीत होता है, तो उसे बाल-निर्देशन केन्द्रों में भेजा जाता है, जहाँ मनोवैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर उसके परीक्षण एवं सुधार की व्यवस्था की जाती है। अब शिक्षा पूर्व के समान शिक्षक-केन्द्रित न होकर बाल-केन्द्रित हो गई है। इस प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान का सराहनीय योगदान रहा है।

2. चिकित्सा के क्षेत्र में सहायक : मानव जीवन में चिकित्सा का महत्त्वपूर्ण स्थान है। व्यक्ति को निरोग एवं स्वस्थ बनाए रखने के लिए उपयुक्त चिकित्सा आवश्यक है। वर्तमान मनोवैज्ञानिक अनुसंधानों के परिणामस्वरूप अब औषधियों के अतिरिक्त मनोवैज्ञानिक पद्धतियों द्वारा भी चिकित्सा की व्यवस्था हो चुकी है। अब यह समझा जाता है कि अनेक रोगों एवं व्याधियों का मूल कारण, शारीरिक न होकर मानसिक ही होता है। मानसिक कारकों वाले रोगों की चिकित्सा केवल मनोवैज्ञानिक पद्धति द्वारा ही सम्भव है। मनोवैज्ञानिक ज्ञान के विकास से पूर्व ऐसे रोगों को भूत-प्रेत एवं देवी कोप का परिणाम माना जाता था तथा उनकी चिकित्सा ओझाओं आदि द्वारा की जाती थी। वे मानसिक रोगियों को तरह-तरह से पीड़ित करते थे तथा यातनाएँ देते थे। 

RBSE Class 11 Psychology Important Questions Chapter 1 मनोविज्ञान क्या है?

मनोवैज्ञानिक अनुसंधानों के फलस्वरूप आज पागलपन को भी मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाता है तथा इसके कारणों को जानने तथा उपचार के लिए मनोवैज्ञानिक विश्लेषण को ही आधार बनाया जाता है। मनोविज्ञान के अन्तर्गत आज पागल को पागल न मानकर एक मानसिक रोगी माना जाता है तथा प्यार व सहानुभूति से उसे सुधारने का प्रयास किया जाता है। मनोविश्लेषणवादी विद्वानों की मान्यता के अनुसार अधिकांश रोगों की चिकित्सा तो मनोवैज्ञानिक सुझाव पद्धति के माध्यम से ही की जा सकती है। स्पष्ट है कि चिकित्सा के क्षेत्र में मनोविज्ञान का महत्त्वपूर्ण योगदान है तथा मानसिक चिकित्सा के लिए मनोविज्ञान का प्रयोग अत्यन्त उपयोगी है।

Bhagya
Last Updated on Oct. 1, 2022, 10:06 a.m.
Published Sept. 24, 2022