These comprehensive RBSE Class 11 History Notes Chapter 9 औद्योगिक क्रांति will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 11 History Chapter 9 Notes औद्योगिक क्रांति
→ औद्योगिक क्रांति-परिचय
- ब्रिटेन में 1780 ई. से 1850 ई. के मध्य उद्योगों और अर्थव्यवस्था का जो रूपान्तरण हुआ, उसे प्रथम औद्योगिक क्रान्ति के नाम से जाना जाता है।
- औद्योगिक क्रांति से ब्रिटेन सहित अन्य यूरोपीय देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। इन परिवर्तनों का उन देशों और शेष विश्व की अर्थव्यस्था व समाज पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा।
- नई-नई मशीनों व तकनीकी आविष्कारों से पहले के हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों की तुलना में भारी पैमाने पर माल के उत्पादन को प्रथम औद्योगिक क्रांति ने सम्भव बनाया।
- ब्रिटेन के उद्योगों में शक्ति के नए स्रोत के रूप में भाप का व्यापक रूप से प्रयोग होने लगा। इसके प्रयोग से जहाजों और रेलगाड़ियों द्वारा परिवहन की गति अधिक तीव्र हो गई।
- औद्योगीकरण की दौड़ में कुछ लोग तो समृद्ध हो गये लेकिन इसके प्रारंभिक दौर में श्रमिक-पुरुषों, स्त्रियों व बच्चों का जीवन बद-से-बदतर हो गया, जिससे विरोध भड़क उठे। फलस्वरूप सरकार को कार्य की परिस्थितियों व दशाओं पर नियन्त्रण रखने के लिए कानून बनाने पड़े।
- औद्योगिक क्रांति शब्द का प्रयोग जॉर्जिस मिशले (फ्रांस) और फ्राइड्रिक एंजेल्स (जर्मनी) नामक विद्वानों ने किया। अंग्रेजी में इस शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम दार्शनिक व अर्थशास्त्री ऑरनॉल्ड टॉयनबी द्वारा उन परिवर्तनों का वर्णन करने के लिए किया गया जो ब्रिटेन के औद्योगिक विकास में 1760 से 1820 ई. के मध्य हुए थे। 1780 से 1820 ई. के दौरान कपास, लौह उद्योगों, कोयला, खनन, सड़कों, नहरों के निर्माण और विदेशी व्यापार में उल्लेखनीय प्रगति हुई।
- ब्रिटेन में दूसरी औद्योगिक क्रांति लगभग 1850 ई. के पश्चात् आयी। इस क्रांति द्वारा रसायन और विद्युत जैसे नवीन औद्योगिक क्षेत्रों का विस्तार हुआ।
→ ब्रिटेन क्यों ?
- ब्रिटेन में ही सर्वप्रथम औद्योगिक क्राति का सूत्रपात हुआ।
- 17वीं शताब्दी में ब्रिटेन राजनीतिक दृष्टि से सुदृढ़ एवं सन्तुलित था तथा इसके तीनों भाग-इंग्लैण्ड, वेल्स और स्कॉटलैण्ड पर एक ही राजा का एकछत्र शासन था।
- 17वीं शताब्दी के अन्त तक लोगों को अपनी मजदूरी या वेतन वस्तु विनिमय के रूप में न मिलकर नगद मुद्रा के रूप में प्राप्त होने लगा था। अब उन्हें अपनी आय को खर्च करने के लिए अनेक विकल्प प्राप्त हो गए और वस्तुओं की बिक्री के लिए बाजार का विस्तार हो गया।
- 18वीं शताब्दी में इंग्लैण्ड एक बड़े आर्थिक परिवर्तन के दौर से गुजरा था, जिसे बाद में कृषि क्रांति कहा गया।
- कृषि क्रांति एक ऐसी प्रक्रिया थी, जिसके द्वारा बड़े ज़मींदारों ने अपनी ही संपत्तियों के आस-पास छोटे-छोटे खेत (फार्म) खरीद लिए और गाँव की सार्वजनिक भूमियों पर कब्जा कर लिया। इससे खाद्य उत्पादन में भारी वृद्धि
- इससे भूमिहीन किसानों और चरवाहों व पशुपालकों के कहीं दूसरे स्थानों पर काम-धंधा तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ा। उनमें से अधिकांश लोग आस-पास के शहरों में चले गये।
→ शहर, व्यापार और वित्त
- यूरोप के जिन 19 शहरों की जनसंख्या 1750 से 1800 ई. के मध्य दो गुनी हो गयी थी, उनमें से 11 ब्रिटेन में ही थे, जिनमें लंदन सबसे बड़ा था, जो देश के बाजारों का प्रमुख केन्द्र बन गया था।
- 18वीं शताब्दी के प्रारम्भ में भूमण्डलीय व्यापार का केन्द्र इटली तथा फ्रांस के भूमध्यसागरीय बन्दरगाहों से हटकर हॉलैण्ड (नीदरलैण्ड) और ब्रिटेन के अटलांटिक बन्दरगाहों पर आ गया था।
- इंग्लैण्ड में 100 से अधिक प्रांतीय बैंक थे जिनकी संख्या 1820 ई. में 600 तक पहुँच गई थी। इनमें से केवल लंदन में ही 100 से अधिक प्रांतीय बैंक थे।
- बड़े उद्यम स्थापित करने और चलाने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन इन बैंकों द्वारा ही उपलब्ध कराये जाते थे।
- अठारहवीं शताब्दी से, यूरोप के बहुत से शहर क्षेत्रफल और आबादी दोनों ही दृष्टियों से बढ़ने लगे थे।
- अठारहवीं शताब्दी के दौरान यूरोप में लगभग 26,000 आविष्कार हुए।
→ कोयला और लोहा
- इंग्लैण्ड में उद्योगों में काम आने वाले खनिज; जैसे-सीसा, ताँबा, कोयला, लौह अयस्क और राँगा भी पर्याप्त मात्रा में मिलते थे।
- लोहे को शुद्ध तरल धातु के रूप में लौह-अयस्क या लौह-खनिज में से लोहा प्रगलन प्रक्रिया द्वारा निकाला जाता था।
- 1709 ई. में श्रोपशायर के प्रथम अब्राहम डर्बी ने धमन भट्टी का आविष्कार किया, जिसमें सर्वप्रथम कोक का प्रयोग किया गया।
- द्वितीय डर्बी ने ढलवाँ लोहे से पिटवाँ लोहे का विकास किया, जो कम भंगुर था। यह प्रथम डर्बी का पुत्र था।
- 1770 ई के दशक में जोन विल्किनसन ने सर्वप्रथम लोहे की कुर्सियों, आसव तथा शराब की भट्टियों के लिए टंकियों और लोहे की समस्त आकार की नलियों (पाइपों) का निर्माण किया।
- 1779 ई. में तृतीय डर्बी (द्वितीय डर्बी का पुत्र) ने विश्व में प्रथम लोहे के पुल कोलब्रुकडेल में सेवन नदी पर बनाया था।
- ब्रिटेन ने लौह उद्योग में 1800 से 1830 ई. के दौरान अपने उत्पादन में चार गुना वृद्धि कर ली।
→ कपास की कताई-बुनाई
- ब्रिटिश हमेशा ऊन और सन (लिनन बनाने के लिए) से कपड़ा बुना करते थे।
- 17वीं शताब्दी में इंग्लैण्ड भारत से महँगी लागत पर सूती कपड़े की गाँठों का आयात करता था।
- जब भारत के कुछ भागों पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी का राजनीतिक नियन्त्रण स्थापित हो गया, तब इंग्लैण्ड ने कपड़े के साथ-साथ कपास का आयात करना भी प्रारम्भ कर दिया।
- ब्रिटन में अठारहवीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में कताई का काम अत्यन्त धीमी गति और मेहनत से किया जाता था। लेकिन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनेक आविष्कारों के हो जाने के बाद कच्ची रुई को कातकर उसका धागा बनाने और अधिक कुशलतापूर्वक करने के लिए उत्पादन का काम धीरे-धीरे, कताईगीरों और बुनकरों के घरों से निकलकर कारखानों में चला गया।
- 1733 ई. में जॉन के ने फ्लाइंग शटल लूम का आविष्कार किया।
- 1765 ई. में जेम्स हरग्रीब्ज़ ने स्पिनिंग जैनी नामक एक कताई मशीन का आविष्कार किया।
- 1769 ई. में रिचर्ड आर्कराइट ने वाटरफ़ैम नामक मशीन बनाई।
- 1779 ई. में सैम्यूअल क्रॉम्टन ने म्यूल नामक मशीन का आविष्कार किया।
- 1787 ई. में एडमंड कार्टराइट ने पावरलूम अर्थात् शक्तिचालित करघे का आविष्कार किया।
- 1780 के दशक से कपास, उद्योग कई रूपों में ब्रिटिश औद्योगीकरण का प्रतीक बन गया। .
- इंग्लैण्ड कपास मँगाकर वस्त्र तैयार करता था तथा उन्हें विभिन्न देशों में निर्यात करता था।
- इंग्लैण्ड इस तलाश में था कि विदेशों में अपने उपनिवेश स्थापित किये जाए तथा वहाँ से कच्ची कपास मँगाकर उपनिवेशों के ही बाजारों में उससे निर्मित कपड़ा बेचा जाए।
→ भाप की शक्ति
- भाप की शक्ति का प्रयोग औद्योगीकरण के लिए निर्णायक सिद्ध हुआ।
- भाप की शक्ति ऊर्जा का एकमात्र ऐसा स्रोत था, जो मशीनों के निर्माण के लिए भी विश्वासपात्र तथा कम खर्चीला था।
- भाप की शक्ति का सर्वप्रथम उपयोग खनन उद्योगों में किया गया।
- थॉमस सेवरी ने खानों से पानी बाहर निकालने के लिए 1698 ई. में माइनर्स फ्रेंड (खनन-मित्र) नामक एक भाप के इन्जन का मॉडल बनाया। इसकी सहायता से खनन कार्य आसान हो गया।
- भाप का एक और इंजन 1712 ई. में थॉमस न्यूकॉमेन द्वारा बनाया गया किन्तु इसकी प्रमुख कमी यह थी कि संघनन बेलन के लगातार ठंडा होते रहने के कारण उसकी ऊर्जा खत्म होती रहती थी।
- 1769 ई. में जेम्सवाट ने एक ऐसी मशीन विकसित की जिससे भाप का इंजन केवल एक साधारण पम्प की अपेक्षा एक प्राइम मूवर अर्थात् प्रमुख चालक के रूप में काम देने लगा। इससे कारखानों में शक्तिचालित मशीनों को ऊर्जा प्राप्त होने लगी।
- एक धनी निर्माता मैथ्यू बॉल्टन के सहयोग से जेम्सवाट ने 1775 ई. बर्मिंघम में 'सोहो फाउंडरी' का निर्माण किया।
→ नहरें और रेलें
- इंग्लैण्ड में प्रथम नहर वर्सली कैनाल 1761 में जेम्स बिंडली द्वारा बनाई गई जिसका उद्देश्य वर्सले (मैनचेस्टर के पास) के कोयले को शहर तक ले जाना था। इस नहर के बन जाने के बाद कोयले की कीमत घटकर आधी रह गई।
- नहरें सामान्यतया बड़े-बड़े जमींदारों द्वारा अपनी भूमियों पर स्थित खानों, खदानों या जंगलों का मूल्य बढ़ाने के लिए बनाई जाती थीं।
- 1788 से 1796 ई. तक की आठ वर्ष की अवधि को 'नहरोन्माद' के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस अवधि में ब्रिटेन में नहरें बनाने के लिए 46 नयी परियोजनाएँ प्रारम्भ की गयीं।
- 19वीं शताब्दी के प्रारम्भ तक ब्रिटेन में नहरों की कुल लम्बाई बढ़कर 4000 मील से अधिक हो गई थी।
- भाप से चलने वाला प्रथम रेल इंजन-स्टीफेनसन का रॉकेट 1814 ई. में निर्मित हुआ था। 1760 ई. के दशक में लकड़ी की पटरी के स्थान पर लोहे की पटरी पर भाप के इंजन द्वारा रेल के डिब्बों को
- खींचा गया।
- रेल के आविष्कार के साथ औद्योगीकरण की सम्पूर्ण प्रक्रिया ने दूसरे चरण में प्रवेश कर लिया।
- 1801 ई. में रिचर्ड ट्रेविथिक ने एक इंजन का निर्माण किया जिसे 'पफिंग डेविल' अर्थात् फुफकारने वाला दानव कहते थे।
- 1814 ई. में एक रेलवे इंजीनियर जार्ज स्टीफेनसन ने एक रेल इंजन बनाया जिसे 'ब्लचर' के नाम से जाना जाता था।
- सर्वप्रथम 1825 ई. में स्टॉकटन तथा डार्लिंगटन शहरों के मध्य 9 मील रेलमार्ग पर रेल चलायी गयी। इसके बाद
- 1830 में लिवरपूल और मैनचेस्टर को आपस में रेलमार्ग से जोड़ दिया गया।
- 1830 के दशक में, नहरों के रास्ते परिवहन में अनेक समस्याएँ आने लगीं फलस्वरूप अब रेलमार्ग ही परिवहन का
- सुविधाजनक विकल्प दिखाई देने लगा। 1850 ई. तक अधिकांश इंग्लैण्ड रेलमार्गों से जुड़ गया।
→ परिवर्तित जीवन
- नि:संदेह औद्योगीकरण के फलस्वरूप मनुष्य को अत्यधिक नुकसान भी हुआ। फलतः इससे परिवार बिखर गए।
- काम की तलाश में लोगों को नयी जगहों पर बसना पड़ा जिससे शहर का स्वरूप विकृत हो गया।
- औद्योगीकरण के कारण ब्रिटेन के शहरों में बाहर से आकर बसे लोगों को कारखानों के अलावा भीड़-भाड़ वाली गंदी बस्तियों में रहना पड़ा जबकि धनवान लोग शहर छोड़कर आस-पास के उपनगरों में शानदार मकान बनाकर रहने लगे, जहाँ उन्हें साफ पानी व स्वच्छ हवा प्राप्त होती थी।
- इंग्लैण्ड के 50,000 से अधिक जनसंख्या वाले नगरों की संख्या 1750 ई. में मात्र दो थी, जो औद्योगिक क्रांति के कारण 1850 ई. में 29 हो गई।
→ मज़दूर
- 1842 ई. के एक सर्वेक्षण से ज्ञात होता है कि वेतनभोगी मजदूर के जीवन की औसत अवधि शहरों में रहने वाले अन्य किसी भी सामाजिक समूह के लोगों के जीवनकाल से बहुत कम थी। यह बर्मिंघम में 15 वर्ष, मैनेचेस्टर में 17 वर्ष और डर्बी में 21 वर्ष थी।
- नए औद्योगिक शहरों में गाँवों से आकर रहने वाले लोग ग्रामीण लोगों की तुलना में बहुत छोटी उम्र में मर जाते थे। उस काल में अधिकांश मौतें महामारियों के कारण होती थीं, जैसे-जल प्रदूषण से हैजा तथा आंत्रशोथ और वायु-प्रदूषण से क्षय रोग।
- ब्रिटेन में 1832 ई. में हैज़े का भीषण प्रकोप हुआ, जिसमें 31,000 से अधिक लोग मारे गए।
→ औरतें, बच्चे और औद्योगीकरण
- औद्योगिक क्रांति एक ऐसा समय था जब महिलाओं और बच्चों के काम करने के तरीकों में महत्वपूर्ण परिवर्तन आए।
- उद्योगपति प्रायः पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं तथा बच्चों को काम पर लगाना पसंद करते थे। इसका कारण यह था कि उनकी मजदूरी कम होती थी और काम की घटिया परिस्थितियों के विरुद्ध शिकायत करने से वे डरते थे।
- महिलाओं और बच्चों को लंकाशायर और यार्कशायर नगरों के सूती कपड़ा उद्योगों में बड़ी संख्या में काम पर लगाया जाता था। बच्चों से कारखानों में कई घण्टों तक काम लिया जाता था, यहाँ तक कि उन्हें रविवार को भी मशीनों की सफाई करने हेतु आना पड़ता था।
- औरतों को मज़दूरी मिलने से न केवल वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त हुई बल्कि उनके आत्म-सम्मान में भी वृद्धि हुई लेकिन इसके लिए उन्हें अपमानजनक परिस्थितियों में काम करना पड़ता था।
→ विरोध आन्दोलन
- स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व स्थापित करने वाले आन्दोलनों ने यह दिखा दिया कि सामूहिक जन-आन्दोलन चलाना सम्भव है।
- इंग्लैण्ड में कारखानों में कार्य करने की कठोर परिस्थितियों के विरोध में राजनीतिक विरोध बढ़ता गया और श्रमजीवी लोग मताधिकार प्राप्त करने के लिए आन्दोलन करने लगे परन्तु सरकार ने दमनकारी नीति अपनाते हुए लोगों से विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार छीन लिया।
- इंग्लैण्ड और फ्रांस के मध्य 1792 ई. से 1815 ई. तक युद्ध चलता रहा जिसके कारण इंग्लैण्ड और यूरोप के बीच चलने वाला व्यापार छिन्न-भिन्न हो गया। कारखानों को मजबूरन बन्द करना पड़ा और बेरोजगारी फैल गई।
- ब्रिटेन की संसद ने 1795 ई. में दो जुड़वाँ अधिनियम पारित किए
- लोगों को भाषण या लेखन द्वारा सम्राट, संविधान और सरकार के विरुद्ध घृणा या अपमान करने के लिए प्रेरित करना अवैध घोषित कर दिया
- 50 से अधिक लोगों की अनाधिकृत सार्वजनिक बैठकों पर रोक लगाना।
- 1790 ई. के दशक से सम्पूर्ण ब्रिटेन में खाद्य पदार्थों के लिए दंगें होने लगे।
- 1770 ई. के दशक में चकबन्दी द्वारा छोटे-छोटे सैकड़ों खेत शक्तिशाली ज़मींदारों के बड़े-बड़े फार्मों में मिला दिए गए। इस पद्धति से बुरी तरह प्रभावित हुए गरीब परिवारों ने औद्योगिक काम देने की माँग की। यह भी विरोध आन्दोलन का एक प्रमुख कारण था। कपड़ा उद्योगों में मशीनों के प्रचलन से हजारों की संख्या में हथकरघा बुनकर बेरोजगार हो गए।
- 1790 के दशक से बुनकर लोग अपने लिए न्यूनतम मजदूरी की माँग करने लगे, जिसे ब्रिटिश संसद ने ठुकरा दिया। नोटिंघम के ऊनी कपड़ा उद्योग में मशीनी चलन का प्रतिरोध किया गया। इसी प्रकार लैसेस्टरशायर और डर्बीशायर में भी विरोध प्रदर्शन हुए।
- एक करिश्माई व्यक्तित्व वाले जनरल नेड लुड के नेतृत्व में 'लुडिज्म' नामक एक अन्य आन्दोलन चलाया गया।
- 'लुडिज्म' के अनुयायी मशीनों की तोड़फोड़ में विश्वास न करके न्यूनतम मजदूरी, नारी एवं बाल श्रम पर नियन्त्रण, मशीनों के आविष्कारों से बेरोजगार हुए लोगों के लिए काम और कानूनी तौर पर अपनी माँगें पेश करने के लिए मजदूर संघ (ट्रेड यूनियन) बनाने के अधिकार आदि की माँग करते थे।
- अगस्त 1819 में 80,000 लोगों ने अपने लोकतांत्रिक अधिकारों की माँग हेतु मैनचेस्टर के सेंट पीटर्स मैदान में एक शान्तिपूर्ण सभा की, जिसका सरकार ने बर्बरतापूर्वक दमन कर दिया। इसे 'पीटरलू' नरसंहार के नाम से जाना जाता है।
→ कानूनों के द्वारा सुधार
- 1819 ई. में ब्रिटिश संसद ने कुछ कानूनों का निर्माण किया जिनके द्वारा 9 वर्ष से कम आयु के बच्चों से कारखानों में काम करवाना प्रतिबन्धित कर दिया गया तथा 9 से 16 वर्ष के बच्चों के लिए 12 घंटे की समय सीमा बनाई गई।
- 1833 ई. में एक अधिनियम के द्वारा 9 वर्ष से कम आयु के बच्चों से केवल रेशम के कारखानों में काम करवाने की अनुमति प्रदान की गई। बड़े बच्चों के लिए काम के घण्टे सीमित कर दिए गए तथा कुछ कारखाना निरीक्षकों की व्यवस्था की गई।
- 1847 ई. में एक अन्य विधेयक पारित किया गया, जिसके अन्तर्गत यह प्रावधान किया गया था कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों एवं महिलाओं से 10 घण्टे प्रतिदिन से अधिक काम न लिया जाए।
→ औद्योगिक क्रांति के विषय में तर्क-वितर्क
- इतिहासकारों का मत है कि ब्रिटेन में औद्योगिकरण की प्रक्रिया इतनी धीमी गति से हुई कि इसे क्रांति कहना ठीक नहीं होगा।
- 19 वीं शताब्दी शुरू होने के बहुत समय पश्चात् तक भी इंग्लैण्ड के बड़े-बड़े क्षेत्रों में कोई कारखाने नहीं थे। इसलिए औद्योगिक क्रांति शब्द 'अनुपयुक्त' समझा गया।
- औद्योगिक क्रांति ने समाज को दो वर्गों में विभाजित कर दिया
- बुर्जुआ वर्ग अर्थात् मध्यम वर्ग,
- नगरों एवं
- ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले मजदूरों का सर्वहारा वर्ग। कुछ इतिहासकारों का मत है कि 1850 से 1914 ई. की अवधि में औद्योगिक क्रांति अत्यन्त व्यापक पैमाने पर हुई, जिससे सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था और समाज की कायापलट हो गयी।
→ अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ।
तिथि/वर्ष
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सम्बन्धित घटनाएँ
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1709 ई.
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श्रीपशायर के प्रथम अब्राहम डर्बी ने धमन भट्टी का आविष्कार किया। इस भट्टी में सर्वप्रथम कोक का प्रयोग किया गया।
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1712 ई.
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थॉमस न्यूकॉमेन द्वारा वाष्प 'जन का आविष्कार किया गया जिससे खानों से पानी निकाला जाता था।
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1733 ई.
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जॉन के द्वारा उड़नतुरी करघे (फ्लाइंग शटल) का आविष्कार किया गया। इससे कम समय में अधिक चौड़ा कपड़ा बनाना सम्भव हो गया।
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1761 ई.
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इंग्लैण्ड में पहली नहर 'वर्सली कैनाल' का निर्माण किया गया। यह नहर कोयले के परिवहन में काम आती थी।
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1764 ई.
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जेम्सवाट ने वाष्प इंजन को परिष्कृत करके उसे और अधिक उपयोगी बनाया।
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1765 ई.
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जेम्स हरग्रीव्ज़ ने कताई मशीन (स्पिनिंग जैनी) का आविष्कार किया, जिस पर एक साथ कई धागे काते जा सकते थे।
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1769 ई.
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रिचर्ड आर्कराइट द्वारा वाटर फ्रेम का आविष्कार किया गया। सूत कातने की यह मशीन जल शक्ति से चलती थी।
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1770 ई.
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1770 के दशक में जॉन विल्किनसन ने सर्वप्रथम लोहे की कुर्सी, शराब की भट्टियों के लिए टंकियाँ तथा लोहे के विभिन्न आकारों के पाइप बनाए।
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1775 ई.
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मैथ्यू बॉल्टन की सहायता से वॉट ने बर्मिंघम में 'सोहो फाउंडरी' का निर्माण किया।
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1779 ई.
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सैम्यूअल क्रॉम्टन ने म्यूल नामक कताई की मशीन का आविष्कार किया। तृतीय अब्राहम डर्बी ने सर्वप्रथम कोलबुकडेल में सेवन नदी पर लोहे का पुल निर्मित किया।
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1784 ई.
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हेनरी कोर्ट ने लोहे की छड़ व चादर का आविष्कार किया।
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1787 ई.
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एडमंड कार्टराइट द्वारा पावरलूम नामक मशीन का आविष्कार करना।
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1814 ई.
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जॉर्ज स्टीफेनसन द्वारा वाष्पचालित रेल इंजन का आविष्कार।
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1825 ई.
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इंग्लैण्ड में प्रथम यात्री रेलगाड़ी चलाई गयी।
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1832 ई.
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ब्रिटेन में हैजे के प्रकोप से 31,000 से अधिक लोग मारे गए।
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1847 ई.
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इंग्लैण्ड फील्डर्स फैक्ट्री अधिनियम पारित हुआ।
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→ औद्योगिक क्रांति-उत्पादन, परिवहन एवं संचार के माध्यमों में मशीनों के प्रयोग से आये तीव्र परिवर्तनों को औद्योगिक क्रांति कहा गया।
→ प्रथम औद्योगिक क्रांति-ब्रिटेन में 1780 ई. के दशक और 1850 ई. के दशक के मध्य उद्योग और अर्थव्यवस्था का जो रूपान्तरण हुआ, उसे प्रथम औद्योगिक क्रांति के नाम से पुकारा जाता है।
→ दूसरी औद्योगिक क्रांति-1850 ई. के पश्चात् ब्रिटेन में रसायन और विद्युत जैसे नए औद्योगिक क्षेत्रों का जो विस्तार हुआ, उसे द्वितीय औद्योगिक क्रांति के नाम से जाना जाता है।
→ कृषि क्रांति-18वीं शताब्दी में इंग्लैण्ड एक बड़े आर्थिक परिवर्तन के दौर से गुजरा था जिसे बाद में कृषि क्रांति के नाम से जाना गया।
→ तटपोत-इंग्लैण्ड की नदियों के सभी नौचालनीय भाग समुद्र से जुड़े हुए थे, इसलिए नदी पोतों के जरिए ढोया जाने वाला माल समुद्रतटीय जहाज़ों तक आसानी से ले जाया और सौंपा जा सकता था। इन्हीं समुद्रतटीय स्थानों को तटपोत कहते हैं।
→ कोक-कोयले का एक ऐसा रूप जिसमें वाष्पशील पदार्थों को निकाल देने के पश्चात जो उच्च कार्बन युक्त ठोस, कठोर व काला पदार्थ बचता है, वह कोक कहलाता है।
→ उड़नतुरी करघे (फ्लाइंग शटल)-1733 ई. में जॉन के द्वारा आविष्कारित इस करघे की सहायता से कम समय में अधिक चौड़ा कपड़ा बनना सम्भव हो सका।
→ स्पिनिंग जैनी (कताई मशीन)- यह 1765 ई. में जेम्स हरग्रीव्ज़ द्वारा बनाई गई एक 'कताई मशीन' थी। इस पर एक अकेला व्यक्ति एक साथ कई धागे कात सकता था।
→ वाटर फ्रेम-यह 1769 ई. में रिचर्ड आर्कराइट द्वारा आविष्कृत एक मशीन थी जिसके द्वारा पहले से कहीं अधिक मजबूत धागा बनाया जाने लगा।
→ म्यूल-एक ऐसी मशीन का उपनाम था, जिससे कता हुआ धागा बहुत मजबूत और बढ़िया होता था। इसे 1779 में सैम्यूअल क्रॉम्टन ने बनाया था।
→ नहरोन्माद-ब्रिटेन में 1788 से 1796 ई. के मध्य 46 नयी नहरें बनाने की परियोजनाएँ शुरू की गईं, इसलिए इस अवधि को नहरोन्माद के नाम से जाना गया।
→ पफिंग डेविल-1801 ई. में रिचर्ड ट्रेविथिक ने एक इंजन बनाया, जिसे पफिंग डेविल या फुफकारने वाला दानव के नाम से जाना गया। यह इंजन ट्रकों को कार्नवाल में उस खान के चारों ओर खींचकर ले जाता था, जहाँ रिचर्ड कार्य करता था।
→ ब्लचर-यह एक रेल इंजन था, जिसका निर्माण 1814 ई. में जार्ज स्टीफेनसन द्वारा किया गया। यह रेल इंजन 30 टन भार लेकर 4 मील प्रति घण्टा की गति से एक पहाड़ी पर ले जा सकता था।
→ फ्रांसीसी क्रांति-1789 ई. से 1794 ई. के मध्य फ्रांस में हुई क्रांति। 15. पुराना भ्रष्टाचार-ब्रिटेन में पुराना भ्रष्टाचार शब्द का प्रयोग राजतन्त्र और संसद के सन्दर्भ में किया जाता था।
→ लुडिज्म-यह जनरल नेड लुड के नेतृत्व में 1811 ई. से 1817 ई. के मध्य चलाया गया एक आन्दोलन था, जो न्यूनतम मजदूरी, नारी व बाल श्रम पर नियन्त्रण तथा मजदूर संघ बनाने की कानूनी मान्यता पर आधारित था।
→ पीटर लू-अगस्त 1819 में 80,000 लोग अपने लोकतान्त्रिक अधिकारों की माँग के लिए मैनचेस्टर के सेंट पीटर्स मैदान में शान्तिपूर्वक इकट्ठे हुए, लेकिन सरकार ने बर्बरतापूर्वक उनका दमन कर दिया। इस घटना को 'पीटरलू' नरसंहार के नाम से जाना जाता है।
→ हाउस ऑफ कॉमन्स-ब्रिटिश संसद के निचले सदन को हाउस ऑफ कामन्स कहा जाता है।
→ ऑरनॉल्ड टायनबी-प्रसिद्ध दार्शनिक एवं अर्थशास्त्री, जिसने औद्योगिक क्रांति शब्द का अंग्रेजी में सर्वप्रथम प्रयोग किया था।
→ ओलिवर गोल्डस्मिथ-अंग्रेजी के प्रसिद्ध लेखक जिसने उजड़ा गाँव (दि डेज़र्टेड विलेज) नामक कविता लिखी।
→ जॉन के-उड़नतुरी करघे (फ्लाइंग शटल) के आविष्कारक, इन्होंने 1733 ई. में इसका आविष्कार किया।
→ जेम्स हरग्रीव्ज़-स्पिनिंग जैनी के आविष्कारक, इन्होंने 1765 ई. में इसका आविष्कार किया। यह एक ऐसी कताई मशीन थी, जिस पर एक अकेला व्यक्ति एक साथ कई धागे कात सकता था।
→ रिचर्ड आर्कराइट-वाटर फ्रेम के आविष्कारक, इन्होंने सूत कातने की इस मशीन का आविष्कार 1769 ई. में किया था।
→ सैम्यूअल क्रॉम्टन-म्यूल के आविष्कारक, 1779 ई. में इन्होंने इस मशीन का आविष्कार किया। इसमें स्पिनिंग जैनी और वाटर फ्रेम दोनों की विशेषताओं का मिश्रण किया गया था, जिससे बारीक एवं मजबूत धागा प्राप्त किया जा सकता था।
→ जेम्सवाट-भाप के इंजन का आविष्कारक।
→ रिचर्ड ट्रेविथिक-पकिँग डेविल नामक इंजन के आविष्कारक, इन्होंने 1801 ई. में इसका आविष्कार किया।
→ चार्ल्स डिकन्स-एक प्रसिद्ध ब्रिटिश उपन्यासकार जिन्होंने 'हार्ड टाइम्स' नामक उपन्यास लिखा। जिसमें एक काल्पनिक औद्योगिक शहर 'कोकटाउन' का वर्णन है।
→ जनरल नेड लुड-लुडिज्म नामक आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता। इनके नेतृत्व में आन्दोलनकर्ता मशीनों की तोड़फोड़ में विश्वास नहीं करते थे, बल्कि न्यूनतम मजदूरी, नारी एवं बाल श्रम पर नियंत्रण, मशीनों के आविष्कार से बेरोजगार हुए लोगों के लिए काम और कानूनी तौर पर अपनी माँगें प्रस्तुत करने के लिए मज़दूर संघ बनाने के अधिकार की माँग करते थे।