RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

Rajasthan Board RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

Class 11 History Chapter 3 Important Questions In Hindi प्रश्न 1. 
प्राचीन रोम साम्राज्य का विस्तार निम्न में से किस महाद्वीप में नहीं था(
क) एशिया 
(ख) यूरोप
(ग) अफ्रीका 
(घ) उत्तरी अमेरिका। 
उत्तर:
(घ) उत्तरी अमेरिका। 

RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य  

Class 11 History Chapter 3 Extra Questions And Answers In Hindi प्रश्न 2. 
एक सरकंडा जैसा पौधा जो मिस्र में नील नदी के किनारे उगा करता था, कहलाता था-
(क) पैपाइरस 
(ख) सागवान 
(ग) सरेस 
(घ) इनमें से कोई नहीं। 
उत्तर:
(क) पैपाइरस 

Class 11 History Chapter 3 Questions And Answers In Hindi प्रश्न 3. 
प्रथम रोमन सम्राट था
(क) त्राजान
(ख) कॉन्स्टैनटाइन 
(ग) प्लिनी
(घ) ऑगस्टस। 
उत्तर:
(घ) ऑगस्टस। 

Class 11 History Chapter 3 Important Questions And Answers In Hindi प्रश्न 4. 
रोम में प्रचलित चाँदी का सिक्का कहलाता था
(क) दीनारियस 
(ख) पैपाइरस
(ग) सालिड्स 
(घ) उपर्युक्त सभी। 
उत्तर:
(क) दीनारियस 

History Class 11 Chapter 3 Question Answer In Hindi प्रश्न 5. 
निम्न में से किस देश में जैतून का तेल निकालने का उद्यम विकसित अवस्था में था-
(क) भारत 
(ख) स्पेन
(ग) इटली 
(घ) दक्षिण अफ्रीका। 
उत्तर:
(ख) स्पेन

Class 11th History Chapter 3 Question Answers In Hindi प्रश्न 6. 
निम्न में से किस इतिहासकार ने दास-समूहों के प्रयोग की आलोचना की 
(क) कोलूमेल्ला 
(ख) वरिष्ठ प्लिनी 
(ग) ओलिपिओडोरस 
(घ) टैसिटस। 
उत्तर:
(ख) वरिष्ठ प्लिनी 

Class 11th History Chapter 3 Question Answer In Hindi प्रश्न 7. 
निम्न में से किस रोमन सम्राट ने ईसाई धर्म को राजधर्म बनाने का निश्चय किया था
(क) कॉन्स्टैनटाइन 
(ख) ऑगस्टस
(ग) त्राजान 
(घ) टिवेरियस।
उत्तर:
(क) कॉन्स्टैनटाइन 

Class 11 History Chapter 3 In Hindi Question Answer प्रश्न 8. 
रोमन साम्राज्य का एक अन्य बड़ा धर्म था
(क) हिन्दू धर्म 
(ख) मुस्लिम धर्म 
(ग) यहूदी धर्म 
(घ) बौद्ध धर्म।
उत्तर:
(ग) यहूदी धर्म 

अति लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर 

Chapter 3 History Class 11 Questions And Answers In Hindi प्रश्न 1. 
रोमन साम्राज्य का विस्तार बताइए। 
उत्तर:
रोमन साम्राज्य अधिकांश यूरोप, पश्चिमी एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका के बहुत बड़े क्षेत्र तक विस्तृत था। 

11th Class History Chapter 3 Question Answer In Hindi प्रश्न 2. 
रोम के इतिहास में स्रोत-सामग्री को कौन-कौन से वर्गों में विभाजित किया जा सकता है ? 
उत्तर:
तीन वर्गों में

  1. पाठ्य सामग्री
  2. प्रलेख अथवा दस्तावेज
  3. भौतिक अवशेष। 

Class 11 History Chapter 3 Question Answer In Hindi प्रश्न 3. 
वर्ष वृत्तान्त क्या है ?
उत्तर:
समकालीन व्यक्तियों द्वारा लिखा गया उस काल का इतिहास वर्ष वृत्तान्त कहलाता था। यह प्रतिवर्ष लिखा जाता था।

Class 11 History Chapter 3 Questions And Answers Hindi Medium प्रश्न 4. 
पैपाइरस क्या था ?
उत्तर:
पैपाइरस एक सरकंडा जैसा पौधा था जो मिस्र में नील नदी के किनारे उगता था। इसी से लेखन सामग्री तैयार की जाती थी।

Class 11 History Chapter 3 Short Questions And Answers In Hindi प्रश्न 5. 
पैपाइरस विज्ञानी किन्हें कहा जाता था अथवा पैपाइरोलोजिस्ट कौन थे ?
उत्तर:
पैपाइरस पत्तों पर संविदा पत्र, लेख, संवाद पत्र एवं सरकारी दस्तावेज को लिखने वाले लेखकों को पैपाइरस विज्ञानी अथवा पैपाइरोलोजिस्ट कहा जाता था।

Class 11 History Ch 3 Question Answer In Hindi प्रश्न 6. 
रोम एवं ईरान के साम्राज्यों को कौन-सी नदी अलग करती थी ? 
उत्तर:
फ़रात नदी। 

RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

History Chapter 3 Class 11 Question Answer In Hindi प्रश्न 7. 
किस सागर को रोम साम्राज्य का हृदय माना जाता था ? 
उत्तर:
भूमध्य सागर को। 

Class 11 Itihas Chapter 3 Question Answer प्रश्न 8. 
रोमन साम्राज्य की उत्तरी व दक्षिणी सीमाएँ बताइए। 
उत्तर:
रोमन साम्राज्य की उत्तरी सीमा राइन व डैन्यूब नदियाँ बनाती थीं तथा दक्षिणी सीमा सहारा रेगिस्तान बनाता था। 

प्रश्न 9. 
रोमन साम्राज्य को कितने भागों में विभाजित किया जा सकता है ? 
उत्तर:

  1. पूर्ववर्ती साम्राज्य
  2. परवर्ती साम्राज्य। 

प्रश्न 10. 
रोमन साम्राज्य में प्रशासन के संचालन के लिए कौन-कौन सी भाषाओं का प्रयोग किया जाता था? 
उत्तर:

  1. लातिनी
  2. यूनानी। 

प्रश्न 11. 
प्रथम रोमन सम्राट कौन था व उसने कब अपना राज्य स्थापित किया था ? 
उत्तर:
प्रथम रोमन सम्राट ऑगस्टस था, जिसने 27 ई. पू. में अपना राज्य स्थापित किया था। 

प्रश्न 12. 
प्रिंसिपेट से क्या आशय है ?
उत्तर:
प्रथम रोमन सम्राट ने 27 ई. पू. में जो राज्य स्थापित किया था, उसे प्रिंसिपेट कहा जाता था।

प्रश्न 13.
सम्राट ऑगस्टस को प्रमुख नागरिक क्यों माना जाता था ?
उत्तर:
रोमन सम्राट ऑगस्टस को यह प्रदर्शित करने के लिए कि वह निरंकुश शासक नहीं था, 'प्रमुख नागरिक' माना जाता था।

प्रश्न 14. 
सैनेट क्या थी ?
उत्तर:
सैनेट रोमन साम्राज्य में शासन सत्ता की एक ऐसी निकाय थी जिसमें कुलीन एवं अभिजात वर्गों का प्रतिनिधित्व था।

प्रश्न 15. 
रोमन साम्राज्य के सन्दर्भ में रिपब्लिक (गणतन्त्र) से क्या आशय है ?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य के सन्दर्भ में रिपब्लिक (गणतन्त्र) एक ऐसी शासन व्यवस्था थी जिसमें वास्तविक सत्ता 'सैनेट' नामक निकाय में निहित थी। र

प्रश्न 16. 
रोम गणतन्त्रात्मक शासन काल की समयावधि बताए।
उत्तर:
509 ई.पू. से 27 ई.पू. तक।

प्रश्न 17. 
रोम में गणतंत्र को समाप्त करके किसने अपनी सत्ता स्थापित की ? उत्तर-ऑगस्टस ने। प्रश्न 18. आक्टेवियन कौन था?
उत्तर:
आक्टेवियन जूलियस सीजर का दत्तक पुत्र था, जो 27 ई. पूर्व में जूलियस सीजर को बलपूर्वक पद से हटाकर ऑगस्टस नाम से रोम का सम्राट बना।

प्रश्न 19. 
सैनेट सेना के प्रति कैसा व्यवहार करती थी? 
उत्तर:
सैनेट सेना से घृणा करती थी और उससे डरती थी। 

प्रश्न 20. 
रोम की सेना की कोई दो विशेषताएँ बताइए। 
उत्तर:

  1. रोम की सेना एक व्यावसायिक सेना थी जिसमें प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था। 
  2. प्रत्येक सैनिक को रोम की सेना में न्यूनतम 25 वर्ष तक सेवा करनी पड़ती थी। 

प्रश्न 21. 
रोमन सेना निरन्तर आन्दोलन क्यों करती रहती थी ? 
उत्तर:
रोमन सेना अच्छे वेतन एवं सेवा शर्तों के लिए निरन्तर आन्दोलन करती रहती थी। 

प्रश्न 22.
सैनेट, सेना से क्यों घृणा करती थी ? 
उत्तर:
क्योंकि सेना अप्रत्याशित हिंसा का स्रोत थी। 

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प्रश्न 23. 
रोम के साम्राज्यिक शासन की प्रमुख संस्थाएँ कौन-कौन सी थीं ?
अथवा 
रोमन साम्राज्य के राजनीतिक इतिहास के तीन प्रमुख खिलाड़ी कौन-कौन से थे ? 
उत्तर:

  1. सम्राट
  2. सैनेट
  3. सेना। 

प्रश्न 24. 
गृह युद्ध से क्या आशय है ? 
उत्तर:
गृह युद्ध किसी देश के भीतर दो गुटों में सशस्त्र संघर्ष होता है, जिसका उद्देश्य सत्ता प्राप्त करना होता है। 

प्रश्न 25. 
रोम में गृह युद्ध क्यों होते थे ? 
उत्तर:
रोम में जब सेनाएँ विभाजित हो जाती थीं तो इसके परिणामस्वरूप गृह युद्ध हो जाते थे।

प्रश्न 26.
द्वितीय रोमन सम्राट कौन था ?
उत्तर:
टिबेरियस। 

प्रश्न 27. किस रोमन शासक का शासनकाल 'शांति' के लिए याद किया जाता है ? 
उत्तर:
सम्राट ऑगस्टस का शासनकाल। 

प्रश्न 28. 
भारत पर विजय प्राप्त करने के सपने देखने वाला कौन सा रोमन सम्राट था?
उत्तर:
इस रोमन सम्राट का नाम त्राजान था। इसने 117 से 138 ई. पू. तक रोम पर शासन किया। वह एक महत्वाकांक्षी शासक था, परन्तु भारत पर विजय प्राप्त नहीं कर सका।।

प्रश्न 29. 
दीनारियस क्या था ?
उत्तर:
दीनारियस रोमन साम्राज्य में प्रचलित एक चाँदी का सिक्का था जिसमें लगभग 4.5 ग्राम विशुद्ध चाँदी होती थी। 

प्रश्न 30. 
रोमन सम्राट अपने विस्तृत साम्राज्य पर किस प्रकार नियंत्रण रखते थे ?
उत्तर:
रोमन सम्राट ने सम्पूर्ण साम्राज्य में दूर-दूर तक अनेक नगर स्थापित किये थे जिनके माध्यम से समस्त साम्राज्य पर नियंत्रण रखा जाता था।

प्रश्न 31. 
रोम में साम्राज्यिक प्रणाली के मूल आधार कौन-कौन से शहर थे ?
उत्तर:
कार्थेज, सिकन्दरिया व एंटिऑक आदि शहर। 

प्रश्न 32. रोम के सन्दर्भ में नगर क्या था ?
उत्तर:
रोम के सन्दर्भ में नगर एक ऐसा शहरी केन्द्र था जिसके अपने दण्डनायक, नगर परिषद् एवं अपना एक निश्चित राज्य क्षेत्र था।

प्रश्न 33. 
रोम के शहरी-जीवन की एक प्रमुख विशेषता लिखिए। 
उत्तर:
सार्वजनिक स्नानगृह रोम के शहरी-जीवन की एक प्रमुख विशेषता थी।

प्रश्न 34. 
तृतीय शताब्दी में ईरान के किस शासक ने रोमन साम्राज्य पर आक्रमण किया था ? 
उत्तर:
ईरान के शासक शापुर प्रथम ने।

प्रश्न 35. 
तीसरी शताब्दी में ईरान के किस वंश के शासकों एवं जर्मन मूल की किन जनजातियों ने रोम पर आक्रमण किए ?
उत्तर:
तीसरी शताब्दी में ईरान के ससानी वंश के शासकों एवं जर्मन मूल की एलमन्नाई, फ्रैंक व गोथ जनजातियों ने रोम पर आक्रमण किये।

प्रश्न 36. 
रोमन समाज की एक प्रमुख विशेषता को बताइए।
उत्तर:
एकल परिवार का होना। 

प्रश्न 37. 
रोमन परिवारों में किन्हें सम्मिलित किया जाता था और क्यों?
उत्तर:
रोमन परिवारों में दासों को सम्मिलित किया जाता था क्योंकि रोमवासियों के लिए परिवार की यही अवधारणा थी।

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प्रश्न 38. 
रोम में महिलाओं को सम्पत्ति सम्बन्धी क्या अधिकार प्राप्त थे?
उत्तर:
रोम में विवाह के पश्चात भी महिला अपने पिता की मुख्य उत्तराधिकारी बनी रहती थी। वह अपने पिता की मृत्यु के पश्चात् उसकी सम्पत्ति की स्वतंत्र स्वामिनी बन जाती थीं।

प्रश्न 39. 
रोमन समाज में विवाह की आयु क्या थी? 
उत्तर:
पुरुषों के लिए 28 से 32 वर्ष एवं महिलाओं के लिए 16 से 23 वर्ष । 

प्रश्न 40. 
सेंट ऑगस्टीन कौन थे ?
उत्तर:
सेंट ऑगस्टीन 396 ई. से उत्तरी अफ्रीका के हिप्पो नगर के बिशप थे। चर्च के बौद्धिक इतिहास में उनका उच्चतम स्थान था।

प्रश्न 41. 
रोमन साम्राज्य में अवांछित बच्चों के मामलों में पिताओं को क्या कानूनी अधिकार प्राप्त थे ?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में अवांछित बच्चों के मामलों में पिताओं को उन्हें जीवित रखने अथवा मार डालने तक का कानूनी अधिकार प्राप्त था।

प्रश्न 42. 
रोमन साम्राज्य में कौन-कौन सी भाषाएँ प्रचलन में थीं?
उत्तर:
लातिनी, अरामाइक, कॉप्टिक, प्यूनिक, बरबर तथा कैल्टिक आदि भाषाएँ। 

प्रश्न 43. 
कैल्टिक भाषा का लिखा जाना क्यों बंद हुआ? 
उत्तर:
लातिनी भाषा के प्रसार के कारण। 

प्रश्न 44. 
रोमन समाज में साक्षरता की स्थिति क्या थी ?
उत्तर:
रोमन समाज में कामचलाऊ साक्षरता थी। 

प्रश्न 45. 
रोमन साम्राज्य के किस नगर में कामचलाऊ साक्षरता व्यापक रूप से विद्यमान थी ? 
उत्तर:
पोम्पेई नगर में। 

प्रश्न 46. 
रोमन साम्राज्य में कौन-सी मुख्य व्यापारिक मदें थीं जिनका अधिक मात्रा में उपयोग होता था ?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में गेहूँ, अंगूरी शराब व जैतून का तेल मुख्य व्यापारिक मदें थीं जिनका अधिक मात्रा में उपयोग होता था।

प्रश्न 47. एम्फोरा क्या थे ?
उत्तर:
रोम साम्राज्य में शराब, जैतून का तेल व अन्य तरल पदार्थों की ढुलाई जिन मटकों या कंटेनरों में होती थी, उन्हें एम्फोरा कहा जाता था।

प्रश्न 48. 
रोम के किस स्थल से एम्फोरा के अवशेष पाये गये हैं ? 
उत्तर:
मोंटी टेस्टैकियो नामक स्थल से। 

प्रश्न 49. 
किस देश में 140-160 ई. के दौरान जैतून का तेल निकालने का उद्यम अपने चरमोत्कर्ष पर था ? 
उत्तर:
स्पेन में। 

प्रश्न 50. 
ड्रेसल-20 क्या था ? 
उत्तर:
स्पेन में उत्पादित जैतून का तेल मुख्य रूप से जिन कंटेनरों में ले जाया जाता था, उन्हें ड्रेसल-20 कहा जाता था।

प्रश्न 51.
ड्रेसल-20 का नाम किस पुरातत्वविद् के नाम पर आधारित है ? 
उत्तर:
हेनरिक ड्रेसल नामक पुरातत्वविद के नाम पर। प्रश्न 52. रोमन साम्राज्य के किन्हीं दो असाधारण उर्वरता वाले क्षेत्रों के नाम बताइए। 
उत्तर:

  1. कैम्पैनिया (इटली) 
  2. बाएटिका (दक्षिणी स्पेन)। 

प्रश्न 53.
कैम्पैनिया क्यों प्रसिद्ध था ? 
उत्तर:
उत्तम किस्म की अंगूरी शराब के लिए।

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प्रश्न 54.
रोम को भारी मात्रा में गेहूँ का निर्यात कौन-कौन से प्रदेश करते थे ? 
उत्तर:

  1. सिसिली
  2. बाइजैकियम।। 

प्रश्न 55. 
मैपालिया से क्या आशय है ?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में चरवाहे एवं अर्द्ध-यायावर लोग अवन (oven) के आकार की झोंपड़ियों को उठाये इधर-उधर घूमते रहते थे, जिन्हें मैपालिया कहा जाता था।

प्रश्न 56. 
कैस्टेला किसे कहा जाता था ?
उत्तर:
स्पेन के उत्तरी क्षेत्र में पहाड़ियों की चोटियों पर कैल्टिक भाषी किसानों के बसे हुए गाँवों को कैस्टेला कहा जाता था।

प्रश्न 57. 
किस सागर के समीप जल शक्ति का विभिन्न प्रकार से प्रयोग किया गया था ?  
उत्तर:
भूमध्य सागर के समीप।

प्रश्न 58.
रोमन साम्राज्य में जलशक्ति का बड़े स्तर पर किस क्षेत्र में प्रयोग किया जाता था ?
उत्तर:
सोने व चाँदी की खानों की खुदाई व मिलें चलाने के लिए। 

प्रश्न 59. 
किस साम्राज्य में संगठित वाणिज्यिक एवं बैंकिंग व्यवस्था थी? उत्तर-रोमन साम्राज्य में।

प्रश्न 60.
रोमन साम्राज्य में चौथी शताब्दी में दासों को किस दृष्टि से देखा जाता था? 
उत्तर:
पूँजी-निवेश की दृष्टि से। 

प्रश्न 61. 
रोमन साम्राज्य में साधारण लोग दासों के प्रति कैसा भाव रखते थे? 
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में साधारण लोग दासों के प्रति सहानुभूति का भाव रखते थे। 

प्रश्न 62. 
दास प्रजनन से क्या आशय है ?
उत्तर:
रोम में दास दंपत्तियों को अधिकाधिक बच्चे उत्पन्न करने के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जाता था, इसे ही दास प्रजनन कहा जाता है।

प्रश्न 63. 
रोमन साम्राज्य में उच्च वर्ग के लोग दासों के साथ कैसा व्यवहार करते थे ? 
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में उच्च वर्ग के लोग दासों के साथ प्रायः क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते थे।

प्रश्न 64. 
रोमन साम्राज्य में जब दासों की आपूर्ति में कमी आने लगी तो दास श्रम उपभोग करने वाले लोगों ने किन-किन उपायों का सहारा लिया ?
उत्तर:
दास प्रजनन अथवा वेतनभोगी श्रमिकों की नियुक्ति जैसे उपायों का। 

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प्रश्न 65. 
वेतनभोगी श्रमिकों की तुलना में दास श्रम क्यों महँगा पड़ता था ?
उत्तर:
वेतनभोगी श्रमिकों को काम न होने पर हटाया जा सकता था जबकि दास श्रमिकों को वर्षभर काम पर रखकर उनका खर्च उठाना पड़ता था।

प्रश्न 66. 
श्रम प्रबंधन की ओर ध्यान देने वाले किसी एक रोमन कृषि लेखक का नाम लिखिए। उत्तर-कोलूमेल्ला। 

प्रश्न 67. 
वरिष्ठ प्लिनी ने दास समूहों के प्रयोग की आलोचना क्यों 
की थी ? 
उत्तर:
क्योंकि यह उत्पादन आयोजित करने का सबसे बुरा तरीका था।

प्रश्न 68. 
रोमन साम्राज्य में श्रमिकों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए किये जाने वाले किन्हीं दो उपायों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. श्रमिकों के पैरों में जंजीर डालकर एक साथ रखा जाना। 
  2. श्रमिकों को दागा जाना।

प्रश्न 69. 
ऑगस्टीन के पत्रों से तत्कालीन रोमन साम्राज्य में प्रचलित दास प्रथा के बारे में क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर:
ऑगस्टीन के पत्रों से यह जानकारी मिलती है कि कभी-कभी माता-पिता अपने बच्चों को 25 वर्ष के लिए बेचकर उन्हें बँधुआ मजदूर बना देते थे।

प्रश्न 70. 
सबसे उत्कृष्ट किस्म की राल कहाँ से प्राप्त होती है ? 
उत्तर:
अरब प्रायद्वीप से। 

प्रश्न 71. 
इतिहासकार टैसिटस के अनुसार प्रारम्भिक रोमन साम्राज्य के सामाजिक वर्ग कौन-कौन से थे ? 
उत्तर:

  1. सैनेटर 
  2. अश्वारोही (नाइटवर्ग)
  3. जनता का सामान्य वर्ग 
  4. फूहड़ निम्नतर वर्ग। 

प्रश्न 72.
सैनेटर व नाइट वर्ग में क्या समानता थी? 
उत्तर:
सैनेटरों व नाइटवर्ग भी जमींदार होते थे। 

प्रश्न 73. 
सैनेटर व नाइटवर्ग वर्गों में क्या अन्तर था ? 
उत्तर:
सैनेटरों के विपरीत नाइट वर्ग के कई लोग महलों के स्वामी, व्यापारी और साहूकार होते थे। 

प्रश्न 74.
प्रारंभिक रोमन साम्राज्य में निम्नतर वर्ग के अन्तर्गत कौन-कौन से लोग शामिल थे?
उत्तर:
ग्रामीण श्रमिक, औद्योगिक और खनन प्रतिष्ठानों के कामगार, प्रवासी कामगार, स्व-नियोजित शिल्पकार, शहरों में काम करने वाले श्रमिक तथा दास निम्नतर वर्ग के अन्तर्गत शामिल थे।

प्रश्न 75. 
परवर्ती रोमन साम्राज्य में चाँदी के सिक्कों का चलन क्यों बन्द हो गया था ?
उत्तर:
क्योंकि स्पेन की खानों से चाँदी प्राप्त होना बंद हो गया था तथा सरकार के पास भी चाँदी के सिक्कों के प्रचलन के लिए पर्याप्त चाँदी नहीं रह गयी थी।

प्रश्न 76. 
किस रोमन सम्राट ने ईसाई धर्म को राज्यधर्म बनाने का निर्णय लिया था ? अथवा रोम साम्राज्य का ईसाईकरण करने का श्रेय किस सम्राट को दिया जा सकता है?
उत्तर-सम्राट कॉन्स्टैनटाइन। 

प्रश्न 77. 
सम्राट डायोक्लीशियन ने रोमन साम्राज्य के विस्तार को कम क्यों किया ?
उत्तर:
सम्राट डायोक्लीशियन ने यह अनुभव किया कि साम्राज्य का विस्तार बहुत अधिक हो चुका है और उसके अनेक प्रदेशों का सामरिक अथवा आर्थिक दृष्टि से कोई विशेष महत्व नहीं था।

प्रश्न 78. 
सम्राट डायोक्लीशन के द्वारा किये गए कोई दो कार्य लिखिए। 
उत्तर:

  1. साम्राज्य की सीमाओं पर किलों का निर्माण, 
  2. प्रांतों का पुनर्गठन करना। 

प्रश्न 79. 
सॉलिड्स क्या था ?
उत्तर:
सॉलिड्स रोमन सम्राट कॉन्स्टैनटाइन द्वारा चलाया गया सोने का एक सिक्का था, जिसका वजन 4.5 ग्राम होता था।

RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

प्रश्न 80. 
रोमन साम्राज्य की द्वितीय राजधानी कुस्तुनतुनिया का निर्माण किसने करवाया था ? 
उत्तर:
रोमन सम्राट कॉन्स्टेनटाइन ने। 

प्रश्न 81. 
कुस्तुनतुनिया को वर्तमान में किस नाम से जाना जाता है ? 
उत्तर:
इस्तांबुल के नाम से। 

प्रश्न 82. 
यूनान और रोमवासियों की पारंपरिक धार्मिक संस्कृति कैसी थी? उत्तर-बहुदेववादी। 

प्रश्न 83. 
रोमवासियों के चार प्रमुख देवी-देवताओं के नाम बताइए। उत्तर:

  1. जूपिटर
  2. जूनो
  3. मिनर्वा
  4. मॉर्स। 

प्रश्न 84. 
किन्हीं दो रोमोत्तर राज्यों के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. विसिगोथों (स्पेन)
  2. फ्रैंको (गॉल)। 

प्रश्न 85. 
जस्टीनियन का शासनकाल किस बात का द्योतक है ? 
उत्तर:
जस्टीनियन का शासनकाल समृद्धि एवं शाही महत्वाकांक्षा के उच्च स्तर का द्योतक है।

प्रश्न 86. 
सातवीं शताब्दी में रोमन साम्राज्य को अधिकतर किस नाम से जाना जाता था ?
उत्तर:
बाइजेंटियम। 

प्रश्न 87. 
किस घटना को प्राचीन विश्व के इतिहास की सबसे बड़ी राजनीतिक क्रांति कहा जाता है ?
उत्तर:
अरब प्रदेश से प्रारम्भ होने वाले इस्लाम के विस्तार को प्राचीन विश्व के इतिहास की सबसे बड़ी राजनीतिक क्रांति कहा जाता है। 

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA1)

प्रश्न 1. 
पैपाइरस के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
पैपाइरस एक सरकंडे जैसा पौधा होता था जो मिस्र में नील नदी के किनारे उगता था। इसकी छाल के पतले रेशों से कागज तैयार किया जाता था। इस कागज को रोमन लोग लिखने के लिए प्रयोग करते थे। प्राचीन स्थानों के उत्खनन से हजारों की संख्या में पैपाइरस पत्र पाये गये हैं। इन पत्रों पर लिखी सामग्री से प्राचीन रोमन साम्राज्य के विषय में अनेक महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त हुई हैं।

प्रश्न 2. 
ता-चिन से क्या आशय था?
उत्तर:
भूमध्य सागर और उत्तर तथा दक्षिण की दोनों दिशाओं में सागर के आसपास स्थित सभी प्रदेशों पर रोम का विशाल साम्राज्य था, जबकि कैस्पियन सागर के दक्षिण से पूर्वी अरब तक तथा कभी-कभी अफगानिस्तान के कुछ भाग तक ईरान का नियंत्रण था। इन दोनों महान शक्तियों के मध्य बँटे हुए इस राज्य को चीनी लोग ता-चिन (वृहत्तर चीन या सामान्यतः पश्चिम) के नाम से पुकारते थे।

प्रश्न 3. 
सम्राट ऑगस्टस के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
सम्राट ऑगस्टस प्रथम रोमन सम्राट था। इन्होंने 27 ई. पू. में जो राज्य स्थापित किया था उसे. प्रिंसिपेट के नाम से जाना जाता था। इन्हें रोम का प्रमुख नागरिक माना जाता था। इनका शासन काल शान्ति के लिए याद किया जाता है।

प्रश्न 4. 
रोमन साम्राज्य के सन्दर्भ में रिपब्लिक (गणतन्त्र) शब्द से क्या आशय है ?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य के सन्दर्भ में रिपब्लिक (गणतन्त्र) एक ऐसी शासन व्यवस्था थी जिसमें वास्तविक सत्ता सैनेट के पास होती थी। इसमें धनिक वर्ग के लोगों का बोलबाला था। गणतन्त्र को सैनेट के माध्यम से संचालित किया जाता था। रोम में गणतंत्र 509 ई. पू. से 27 ई. पू. तक चला।

प्रश्न 5. 
रोमन साम्राज्य में रिपब्लिक (गणतन्त्र) का अन्त कब और किसने किया?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में 509 ई. पू. से 27 ई. पू. तक रिपब्लिक (गणतन्त्र) की शासन व्यवस्था थी। लेकिन 27 ई. पू. में जूलियस सीजर के दत्तक पुत्र व उत्तराधिकारी ऑक्टेवियन ने गणतन्त्र का तख्ता पलट दिया था। उसने बाद में अपना नाम बदलकर ऑगस्टस कर लिया एवं रोम का सम्राट बन बैठा।

प्रश्न 6. 
ऑगस्टस के शासन काल को शांति के लिए क्यों याद किया जाता है?
उत्तर:
वास्तव में ऑगस्टस का शासन काल शांति के लिए याद किया जाता है। क्योंकि इनके शासनकाल में शांति का आगमन दशकों तक चले आंतरिक संघर्ष और सदियों की सैनिक विजय के पश्चात हुआ था।

प्रश्न 7. 
रोमन साम्राज्य के राजनीतिक इतिहास में तीन मुख्य खिलाड़ी कौन से थे एवं उनका क्या महत्त्व था?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य के राजनीतिक इतिहास में तीन मुख्य खिलाड़ी-सम्राट, सैनेट व सेना थे। जब तक इन तीनों में तालमेल बना रहा, तब तक रोमन साम्राज्य विकास की ओर अग्रसर रहा परन्तु जब कुछ समय पश्चात् इनमें मतभेद प्रारम्भ होना शुरू हो गया तो गृहयुद्ध आरम्भ हो गया जो रोमन साम्राज्य के लिए नुकसानदेह सिद्ध हुआ।

RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

प्रश्न 8. 
त्राजान कौन था ? उसका सपना क्या था ?
उत्तर:
त्राजान एक रोमन सम्राट था। इसने 98 से 117 ई. के मध्य रोम पर शासन किया था। यह एक महत्वाकांक्षी शासक था। इसने साम्राज्य के विस्तार के लिए 113 से 117 ई. के मध्य एक सैनिक अभियान चलाया और फ़रात नदी के पार के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। इसने भारत पर विजय का सपना देखा था परन्तु वह भारत पर विजय प्राप्त नहीं कर सका।

प्रश्न 9. 
निकटवर्ती पूर्व से आप क्या समझते हैं ? 
उत्तर:
रोमन साम्राज्य के भूमध्य सागरीय क्षेत्र में रहने वाले लोगों की दृष्टि से निकटवर्ती पूर्व का आशय भूमध्य सागर के बिल्कुल पूर्वी प्रदेशों से है। इसमें मुख्य रूप से सीरिया, फ़िलिस्तीन, मेसोपोटामिया के प्रान्त एवं अरब आदि प्रदेश सम्मिलित थे।

प्रश्न 10. 
सेंट ऑगस्टीन के विषय में आप क्या जानते हो ?
उत्तर:
सेंट ऑगस्टीन उत्तरी अफ्रीका के हिप्पो नामक शहर का बिशप था। 396 ई. से चर्च के बौद्धिक इतिहास में उनका सर्वोच्च स्थान स्वीकार किया जाता था। इन्होंने अपना अधिकांश जीवन उत्तरी अफ्रीका में व्यतीत किया। उन्होंने उस काल में महिलाओं पर होने वाले उत्पीड़न के बारे में लिखा है।

प्रश्न 11. 
आप यह कैसे कह सकते हैं कि तीसरी शताब्दी के बाद इटली का पतन शुरू हो गया था?
उत्तर:
सैनेट पर कम से कम तीसरी शताब्दी तक इतालवी मूल के लोगों का प्रभुत्व बना रहा। लेकिन बाद में प्रांतों से लिये गये सैनेटर बहुसंख्यक हो गये। इन प्रवृत्तियों ये यह पता चलता है कि साम्राज्य में राजनीति और आर्थिक दोनों ही दृष्टियों से इटली का पतन शुरू हो गया था।

प्रश्न 12. 
रोम के सन्दर्भ में नगर क्या था?
उत्तर:
रोम के सन्दर्भ में नगर एक ऐसा शहरी केन्द्र था, जिसके अपने दण्डनायक (मजिस्ट्रेट), नगर परिषद् (सिटी काउंसिल) और अपना एक सुनिश्चित राज्य-क्षेत्र था, जिसमें उसके अधिकार क्षेत्र में आने वाले कई ग्राम सम्मिलित थे। इस प्रकार किसी भी शहर के अधिकार-क्षेत्र में कोई दूसरा शहर नहीं हो सकता था; किंतु उसके अन्तर्गत कई गाँव लगभग हमेशा ही होते थे। .

प्रश्न 13. 
रोमन समाज में परिवार की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रोमन समाज में एकल परिवार का प्रचलन था। वयस्क पुत्र अपने पिता के परिवार के साथ नहीं रहते थे। वयस्क भाई बहुत कम साझे परिवार में रहते थे। दासों को परिवार में सम्मिलित किया जाता था।

प्रश्न 14.
रोमन समाज में महिलाओं को कौन-कौन से अधिकार प्राप्त थे ?
उत्तर:
रोमन समाज में विवाह का स्वरूप ऐसा होता था कि पत्नी अपने पति को अपनी सम्पत्ति हस्तान्तरित नहीं करती थी। महिला का दहेज वैवाहिक अवधि के दौरान उसके पति के पास अवश्य चला जाता था। परन्तु विवाह के पश्चात् भी महिला, अपने पिता की उत्तराधिकारी बनी रहती थी। अपने पिता की मृत्यु के पश्चात् वह उसकी सम्पत्ति की मालिक बन जाती थी। महिलाओं को सम्पत्ति के स्वामित्व व संचालन में व्यापक कानूनी अधिकार प्राप्त थे।

प्रश्न 15. 
रोमन समाज में महिलाओं पर उनके पति अक्सर हावी रहते थे। कैसे? समझाए। .
उत्तर:
इसमें कोई संदेह नहीं कि रोमन साम्राज्य में महिलाओं पर उनके पति अक्सर हावी रहते थे। महान कैथोलिक बिशप ऑगस्टीन ने लिखा है कि उनकी माता की उनके पिता द्वारा नियमित रूप से पिटाई की जाती थी और जिस छोटे से नगर में वे बड़े हुए वहाँ की अधिकतर पत्नियाँ इसी तरह पिटाई से अपने शरीर पर लगी खरोंचे दिखाती रहती थीं।

प्रश्न 16. 
आप यह कैसे कह सकते हैं कि रोमन साम्राज्य में पिताओं का अपने बच्चों पर अत्यधिक कठोर कानूनी नियंत्रण होता था?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में पिताओं का अपने बच्चों पर अत्यधिक कठोर कानूनी नियंत्रण होता था। अवांछित बच्चों के मामलों में उन्हें जिंदा रखने या मार डालने तक का उन्हें कानूनी अधिकार प्राप्त था। कभी-कभी पिता शिशुओं को मारने के लिए उन्हें ठंड में छोड़ देते थे।

प्रश्न 17. 
रोमन साम्राज्य में सांस्कृतिक विविधता किन-किन रूपों में एवं स्तरों पर दिखाई देती थी ?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में धार्मिक सम्प्रदायों एवं स्थानीय देवी-देवताओं में पर्याप्त विविधता थी। उनमें बोलचाल की अनेक भाषाएँ, वेशभूषा की अनेक शैलियाँ, विभिन्न प्रकार के भोजन, सामाजिक संगठनों व बस्तियों के अनेक रूप पाये जाते थे। अरामाइक निकटवर्ती पूर्व का एक प्रमुख भाषा समूह था। मिस्र में कॉप्टिक भाषा, उत्तरी अफ्रीका में प्यूनिक व बरबर, स्पेन व उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में कैल्टिक भाषा बोली जाती थी।

प्रश्न 18. 
पँकिन्सेंस के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर:
पँकिन्सेंस एक सुगंधित राल थी। इसका प्रयोग धूप-अगरबत्ती एवं इत्र बनाने में किया जाता था। इसे बोसवेलिया के वृक्ष से प्राप्त किया जाता था। इस वृक्ष के तने में बड़ा छिद्र कर इसके रस को बहने दिया जाता था और रस सूखने पर राल प्राप्त किया जाता था। किन्सेंस की सबसे अच्छी किस्म की राल अरब प्रायद्वीप से आती थी।

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प्रश्न 19. 
"परवर्ती काल में रोमन साम्राज्य की नौकरशाही के उच्च एवं मध्यम वर्गों की आर्थिक दशा अच्छी थी।" क्यों ?
उत्तर:
परवर्ती काल में रोमन साम्राज्य की नौकरशाही के उच्च एवं मध्यम वर्ग अपेक्षाकृत बहुत धनी थे। इसका मुख्य कारण यह था कि उन्हें अपना वेतन सोने के रूप में मिलता था। वे अपनी आमदनी का एक भाग जमीन आदि खरीदने में लगा देते थे।

प्रश्न 20. 
रोमन साम्राज्य में ह्यूमिलिओरस क्या था ?
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में मध्यम वर्ग से नीचे सामाजिक संगठन में निम्नतर वर्गों का एक विशाल समूह था, जिसे सामूहिक रूप से ह्यूमिलिओरस या निम्नतर वर्ग कहा जाता था। इनमें ग्रामीण श्रमिक, औद्योगिक और खनन प्रतिष्ठानों के कामगार, प्रवासी कामगार, स्व नियोजित शिल्पकार एवं गुलाम भी सम्मिलित थे।

प्रश्न 21. 
परवर्ती पुराकाल शब्द से क्या आशय था ?
उत्तर:
परवर्ती पुराकाल शब्द का प्रयोग रोम साम्राज्य के उद्भव, विकास एवं पतन के इतिहास की उस अन्तिम अवधि का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जो सामान्यतः चौथी से सातवीं शताब्दी तक की थी।

प्रश्न 22. 
रोमन सम्राट डायोक्लीशियन द्वारा किये गये कार्यों को संक्षेप में बताइए। 
उत्तर:
रोमन सम्राट डायोक्लीशियन ने निम्नलिखित कार्य किए

  1. उसने आर्थिक व सामाजिक दृष्टि से महत्वहीन प्रदेशों को छोड़कर अपने साम्राज्य को छोटा कर लिया था। 
  2. उसने साम्राज्य की सीमाओं पर किले बनवाए। 
  3. प्रांतों का पुनर्गठन किया। 
  4. असैनिक कार्यों को सैनिक कार्यों से अलग कर दिया। 
  5. सेनापतियों (ड्यूकों) को अधिक स्वायत्तता प्रदान की। 

प्रश्न 23. 
सम्राट कॉन्स्टैनटाइन ने शासन-प्रणाली में कौन-कौन से परिवर्तन किए? 
उत्तर:
सम्राट कॉन्स्टैनटाइन ने शासन प्रणाली में निम्नलिखित परिवर्तन किए

  1. कॉन्स्टैनटाइन ने मौद्रिक क्षेत्र में कुछ नए परिवर्तन किए। उसने सॉलिड्स नामक एक नया सोने का सिक्का चलाया।
  2. उसने कुस्तुनतुनिया का निर्माण करवाया तथा उसे साम्राज्य की दूसरी राजधानी बनाया। यह राजधानी तीन ओर से समुद्र से घिरी हुई थी।

प्रश्न 24. 
“यूनान व रोमवासियों की पारम्परिक धार्मिक संस्कृति बहुदेववादी थी।" कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यूनान व रोमवासियों की पारम्परिक धार्मिक संस्कृति बहुदेववादी थी। ये लोग अनेक पंथों एवं उपासना पद्धतियों में विश्वास रखते थे। जूपिटर, मिनर्वा, मार्स व जूनो जैसे अनेक देवी-देवताओं की पूजा करते थे। सम्पूर्ण साम्राज्य में हजारों मन्दिर व मठ बने हुए थे।

प्रश्न 25. 
रोमोत्तर राज्य क्या थे? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
पश्चिम में रोमन साम्राज्य राजनीतिक दृष्टि से विखण्डित हो गया क्योंकि उत्तर से आने वाले जर्मन समूहों ने अपना अधिकार कर लिया था और अपने-अपने समूह के राज्य स्थापित कर लिए थे। इन नव स्थापित राज्यों को रोमोत्तर राज्य कहा गया। उदाहरण-स्पेन में विसिगोथों का राज्य, गॉल में फ्रैंक का राज्य, इटली में लोम्बार्डो का राज्य। 

लघूत्तरीय प्रश्न (SA2) 

प्रश्न 1. 
रोमन साम्राज्य के इतिहास को जानने के प्रमुख स्रोतों को संक्षेप में बताइए।
अथवा 
रोमन सभ्यता के इतिहास को जानने के मुख्य स्रोतों का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
रोमन साम्राज्य के इतिहास को जानने के प्रमुख स्रोतों को तीन भागों में बाँटा जा सकता है

  1. पाठ्य सामग्री
  2. प्रलेख
  3. भौतिक अभिलेख। 

(i) पाठ्य सामग्री-पाठ्य सामग्री के अन्तर्गत समकालीन लोगों द्वारा लिखा गया उस काल का इतिहास, पत्र,प्रवचन, कानून व व्याख्यान आदि सम्मिलित हैं। समकालीन व्यक्तियों द्वारा लिखे गये इतिहास को वर्ष वृत्तान्त कहा जाता । था क्योंकि यह प्रतिवर्ष लिखे जाते थे।

(ii) प्रलेख-प्रलेख को दस्तावेज भी कहा जाता है। प्रलेखों में मुख्य रूप से उत्कीर्ण अभिलेख, पैपाइरस के पत्तों पर लिखे गये संविदा पत्र, लेख, संवाद पत्र व राजकीय दस्तावेज आदि सम्मिलित थे। उत्कीर्ण अभिलेख प्रायः पत्थर की शिलाओं पर खोदे जाते थे इसलिए वे नष्ट नहीं हुए। ये बहुत बड़ी मात्रा में यूनानी व लातिनी भाषा में लिखे हुए पाये गये।

(iii) भौतिक अवशेष-भौतिक अवशेषों में अनेक प्रकार की वस्तुएँ सम्मिलित हैं। इनमें इमारतें, स्मारक, मिट्टी के बर्तन, सिक्के, पच्चीकारी का सामान व हवाई छायांकन से प्राप्त चित्र आदि सम्मिलित हैं। इन वस्तुओं को पुरातत्वविदों ने खुदाई तथा क्षेत्र सर्वेक्षण द्वारा खोजा है।

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प्रश्न 2. 
रोमन व ईरानी साम्राज्य के विस्तार का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
अथवा 
रोमन-ईरानी साम्राज्य की भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
630 ई. के दशक तक अधिकांश यूरोप, उत्तरी अफ्रीका एवं मध्य पूर्व तक के विशाल क्षेत्र में रोमन व ईरानी साम्राज्य का विस्तार था, जिसकी भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार निम्नलिखित प्रकार से है रोमन साम्राज्य की भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार-रोम साम्राज्य का भूमध्य सागर और उसके आसपास उत्तर तथा दक्षिण में स्थित सभी प्रदेशों पर नियंत्रण था। उत्तर में इस साम्राज्य की सीमा दो महान नदियाँ राइन व डैन्यूब बनाती थीं। साम्राज्य की दक्षिणी सीमा सहारा नामक एक विशाल मरुस्थल से बनती थी। इस प्रकार रोमन साम्राज्य एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ था। ईरानी साम्राज्य की भौगोलिक स्थिति एवं विस्तार-इस साम्राज्य के अन्तर्गत कैस्पियन सागर से लेकर पूर्वी अरब तक का समस्त प्रदेश और कभी-कभी अफगानिस्तान के कुछ भाग भी सम्मिलित थे। इन दो महान शक्तियों ने विश्व के उस अधिकांश भाग को आपस में विभाजित कर लिया था, जिसे चीनी लोग ता-चिन कहते थे। इसे वृहत्तर चीन या मोटे तौर पर पश्चिम के नाम से भी जाना जाता था।

प्रश्न 3. 
भूमध्य सागर को 'रोम साम्राज्य का हृदय' क्यों कहा जाता था? 
उत्तर:
भूमध्य सागर अफ्रीका और यूरोप महाद्वीपों को एक-दूसरे से अलग करने वाला एक प्रमुख सागर है, जो पश्चिम में स्पेन से लेकर पूर्व में सीरिया तक फैला हुआ है। रोम का भूमध्य सागर और उत्तर तथा दक्षिण की दोनों दिशाओं में इस सागर के आस-पास स्थित सभी प्रदेशों पर नियंत्रण था। भूमध्य सागर के कारण ही इतने बड़े साम्राज्य पर नियन्त्रण एवं शासन करना सम्भव था। इसलिए भूमध्य सागर को 'रोम साम्राज्य का हृदय' कहा जाता था।

प्रश्न 4. 
“रोमन साम्राज्य सांस्कृतिक दृष्टि से ईरान की तुलना में कहीं अधिक विविधतापूर्ण था।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य सांस्कृतिक दृष्टि से ईरान की तुलना में कहीं अधिक विविधतापूर्ण था। प्रारम्भ में ईरान पर पर्शियाई तथा उसके पश्चात् ससानी राजवंश ने भी शासन किया था। उनके द्वारा शासित लोग मुख्य रूप से ईरानी थे। इसके विपरीत रोमन साम्राज्य ऐसे क्षेत्रों तथा संस्कृतियों का एक मिला-जुला रूप था, जो सरकार की एक साझी प्रणाली द्वारा एक-दूसरे के साथ जुड़ी हुई थी। इस साम्राज्य में अनेक भाषाएँ बोली जाती थीं परन्तु प्रशासन के लिए लातिनी तथा यूनानी भाषाओं का ही प्रयोग होता था। पूर्वी भाग के धनिक वर्ग यूनानी भाषा बोलते थे। जो लोग रोमन साम्राज्य में रहते थे वे सभी एकमात्र शासक अर्थात् सम्राट की प्रजा कहलाते थे, चाहे वे कहीं भी रहते हों और कोई भी भाषा बोलते हों। इन सब बातों से स्पष्ट होता है कि रोमन साम्राज्य सांस्कृतिक दृष्टि से ईरान की तुलना में कहीं अधिक विविधता लिए हुए था।

प्रश्न 5. 
रोमन साम्राज्य में स्थापित. गणतंत्रीय शासन प्रणाली की संक्षेप में विवेचना कीजिए। 
उत्तर:
रोमन साम्राज्य की गणतन्त्रीय शासन प्रणाली को रिपब्लिकन शासन प्रणाली के नाम से भी जाना जाता है। इस साम्राज्य में गणतन्त्र (रिपब्लिक) एक ऐसी शासन व्यवस्था थी जिसमें वास्तविक सत्ता सैनेट नामक संस्था में निहित थी। सैनेट में धनिक वर्ग के ही एक समूह का बोलबाला था, जिसे अभिजात कहा जाता था। सैनेट की सदस्यता जीवन भर चलती थी और इसके लिए जन्म की अपेक्षा धन व प्रतिष्ठा को अधिक महत्व प्रदान किया जाता था। व्यावहारिक रूप में गणतंत्रीय अभिजात वर्ग की सरकार थी जिसका शासन सैनेट नामक संस्था के माध्यम से चलता था। रोम में गणतंत्र शासन प्रणाली 509 ई. पू. से 27 ई. पू. तक चली। अंत में 27 ई. पू. जूलियस सीजर के दत्तक पुत्र और उत्तराधिकारी ओक्टेवियन ने गणतंत्रीय शासन के समाप्त कर दिया तथा सत्ता अपने हाथ में ले ली। ओक्टेवियन आगस्टस के नाम से रोम का सम्राट बना।

प्रश्न 6. 
रोमन साम्राज्य के सन्दर्भ में प्रिंसिपेट से क्या आशय है ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
प्रथम रोमन सम्राट ऑगस्ट्स ने 27 ई. पू. में जो राज्य स्थापित किया था उसे प्रिंसिपेट कहा जाता था। यद्यपि सम्राट ऑगस्ट्स एकछत्र निरंकुश शासक था और सत्ता उसके हाथ में थी फिर भी यह कल्पना की गई कि सम्राट निरंकुश न होकर केवल एक प्रमुख नागरिक (लातिनी भाषा में प्रिंसेप्स) था, निरंकुश शासक नहीं था। ऐसा इसलिए किया गया कि सैनेट के सम्मान को बनाये रखा जा सके। सैनेट में कुलीन एवं अभिजात वर्गों का प्रतिनिधित्व था। बाद में इसमें इतालवी मूल के लोगों को भी सम्मिलित किया जाने लगा। सैनेट की सदस्यता जीवनभर चलती थी। रोमन सम्राटों की परख इस बात से की जाती थी कि वे सैनेट के प्रति किस तरह का व्यवहार करते हैं। सैनेट के सदस्यों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करने वाले सम्राटों को सबसे बुरा सम्राट माना जाता था। कई सैनेटर गणतन्त्र युग में लौटने के लिए तरसते थे। परन्तु अधिकांश सैनेटरों को यह महसूस होने लगा था कि अब उस युग में लौटना असम्भव है।

प्रश्न 7. 
रोमन सम्राट ऑगस्ट्स द्वारा स्थापित राज्य 'प्रिंसिपेट' में सैनेट व सम्राट की क्या स्थिति थी ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
रोमन सम्राट ऑगस्ट्स द्वारा स्थापित राज्य 'प्रिंसिपेट' में सैनेट व सम्राट की स्थिति निम्न प्रकार से थी
सैनेट की स्थिति-सैनेट वह निकाय था जिसने उन दिनों में जब रोम एक रिपब्लिक था, सत्ता पर अपना नियंत्रण बना रखा था। सैनेट में धनवान परिवारों के एक छोटे से समूह का बोलबाला रहता था जिन्हें अभिजात वर्ग कहा जाता था। रोम में सैनेट की सदस्यता जीवनभर चलती थी और उसके लिए जन्म की अपेक्षा धन और पद-प्रतिष्ठा को अधिक महत्व दिया जाता था। रोम में सैनेट नामक संस्था का अस्तित्व कई शताब्दियों तक रहा था। प्रारम्भ में इसमें रोम के धनी परिवारों का प्रतिनिधित्व था किन्तु बाद में, इतालवी मूल के जमींदारों को भी इसमें शामिल कर लिया गया। सम्राट की स्थिति-सम्राटों का मूल्यांकन इस बात से किया जाता था कि वे सैनेट के प्रति किस प्रकार का व्यवहार करते हैं। वे सम्राट सबसे बुरे माने जाते थे जो सैनेट के सदस्यों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करते थे। कई सैनेटर गणतंत्र में लौटने की इच्छा रखते थे लेकिन उन्हें यह महसूस हो गया था कि यह सब होना अब लगभग असम्भव है।

प्रश्न 8. 
रोमन साम्राज्य में सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में वहाँ के सम्राट और सैनेट के पश्चात् सेना का एक प्रमुख स्थान था। सेना शासन की एक प्रमुख संस्था थी। रोमन साम्राज्य की सेना एक व्यावसायिक सेना थी जिसमें प्रत्येक सैनिक को कार्य के बंदले वेतन दिया जाता था। सैनिक को सेना में कम से कम 25 वर्ष तक सेवा करनी पड़ती थी। सेना रोमन साम्राज्य का सबसे बड़ा एकल संगठित निकाय थी, जिसके अन्तर्गत चौथी शताब्दी तक 6 लाख सैनिक थे। रोमन साम्राज्य में सेना इतनी अधिक प्रभावशाली थी कि उसे सम्राटों का भाग्य निर्धारित करने की एक शक्ति के रूप में माना जाता था।

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प्रश्न 9. 
रोमन साम्राज्य में सेना को क्यों आंदोलन करना पड़ता था?
अथवा
रोमन साम्राज्य में 'सैनिक विद्रोह' क्यों होता था? बताइए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में सैनिक अच्छे वेतन और सेवा शर्तों के लिए लगातार आंदोलन करते रहते थे। यदि सैनिक अपने सेनापतियों और यहाँ तक कि सम्राट द्वारा निराश महसूस करते थे तो ये आंदोलन प्रायः सैनिक विद्रोहों का रूप ले लेते थे। दूसरी ओर सैनेट भी सेना से घृणा करती थी। क्योंकि वह अप्रत्याशित हिंसा का स्रोत थी। सम्राटों की सफलता इस बात पर निर्भर करती थी कि वे सेना पर कितना नियंत्रण रख पाते थे। कभी-कभी जब सम्राट भी सेना पर अपना नियंत्रण ठीक प्रकार से नहीं रख पाते थे तो सेना भी अलग-अलग गुटों में विभाजित हो जाती थीं और सत्ता प्राप्त करने के लिए सशस्त्र संघर्ष करने लगती थी जिसका परिणाम गृहयुद्ध होता था।

प्रश्न 10. 
सम्राट त्राजान के स्वप्न 'भारत की विजय' के बारे में बताइए।
उत्तर:
सम्राट त्राजान का स्वप्न-भारत की विजय के विषय में फरगस मिल्लर की पुस्तक 'दी रोमन नीयर ईस्ट' से जानकारी प्राप्त होती है। मिल्लर अपनी पुस्तक में लिखते हैं कि भूकम्प से पीड़ित एंटिऑक में सर्दियाँ बिताने के पश्चात् 116 ई. में सम्राट त्राजान फ़रात नदी के किनारे होता हुआ आगे की तरफ बढ़ता हुआ पार्थियनों की राजधानी 'टेसीफून' तक चला गया और फिर वहाँ से फ़ारस की खाड़ी के सिरे तक पहुँच गया। इतिहासकार कैसियम डियों के अनुसार, त्राजान वहाँ पर भारत की ओर जाने वाले किसी वाणिज्यिक पोत को इच्छापूर्ण नजरों से देख रहा था और चाह रहा था कि काश वह सिकन्दर जैसा जवान होता। अतः उसकी भारत पर विजय प्राप्ति की इच्छा स्वप्न मात्र ही बनी रही।

प्रश्न 11. 
प्रथम दो शताब्दियों में रोमन सम्राटों ने अन्य राज्यों के प्रति क्या नीति अपनायी ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
प्रिंसिपेट की स्थापना करने वाले सम्राट ऑगस्टस के कोई पुत्र नहीं था इसलिए उन्होंने टिबेरियस को गोद ले लिया था। ऑगस्टस से प्राप्त साम्राज्य पहले ही इतना लम्बा-चौड़ा था कि टिबेरियस को इसमें और अधिक विस्तार करना अनावश्यक प्रतीत होता था। फलस्वरूप प्रथम दो शताब्दियों में रोम के अन्य राज्यों के साथ युद्ध भी बहुत कम ' हुए। वास्तव में ऑगस्टस का शासनकाल शान्ति के लिए याद किया जाता है क्योंकि इस शान्ति का आगमन दशकों तक चले आन्तरिक संघर्ष और सदियों की सैनिक विजयों के पश्चात् हुआ था। साम्राज्य के विस्तार के लिए एकमात्र अभियान रोमन सम्राट त्राजान ने 113-117 ई. में चलाया जिसके फलस्वरूप उसने फ़रात नदी के पार के क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया था। परन्तु उसके बाद बनने वाले रोमन सम्राटों ने फ़रात नदी के पार के क्षेत्रों पर से अपना अधिकार समाप्त कर लिया था। इस प्रकार कहा जा सकता है कि प्रथम दो शताब्दियों में रोमन सम्राटों ने अन्य राज्यों के प्रति नरम नीति अपनाई।

प्रश्न 12. 
“पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य के आरम्भिक काल की एक प्रमुख उपलब्धि यह रही कि इस साम्राज्य के प्रत्यक्ष शासन का क्रमिक रूप से बहुत अधिक विस्तार हुआ।" कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
तीसरी शताब्दी के मुख्य भाग तक की सम्पूर्ण अवधि को रोमन साम्राज्य में पूर्ववर्ती साम्राज्य कहा जाता था। पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य के आरम्भिक काल की एक प्रमुख उपलब्धि यह रही थी कि रोमन साम्राज्य के प्रत्यक्ष शासन का क्रमिक रूप से बहुत अधिक विस्तार हुआ। इस काल में अनेक आश्रित राज्यों को रोम के प्रान्तीय राज्य क्षेत्र में सम्मिलित कर लिया गया। द्वितीय शताब्दी के आरम्भिक वर्षों में फ़रात के पश्चिम में स्थित राज्यों पर भी रोम ने नियंत्रण स्थापित कर लिया था। ये राज्य बहुत अधिक समृद्ध थे। वास्तविक रूप से देखा जाए तो इटली के अतिरिक्त रोमन साम्राज्य के समस्त क्षेत्रों का प्रान्तों के रूप में विभाजन हुआ था तथा उनसे कर वसूल किया जाता था। द्वितीय शताब्दी में रोमन साम्राज्य अपने शिखर पर था। यह साम्राज्य स्कॉटलैण्ड से आर्मीनिया की सीमाओं तक तथा सहारा से फ़रात और कभी-कभी उससे भी आगे तक फैला हुआ था।

प्रश्न 13. 
रोमन सम्राटों ने अपने विशाल साम्राज्य पर नियंत्रण स्थापित करने एवं शासन संचालन के लिए कौन-कौन से उपाय किए ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
रोमन सम्राटों ने अपने विशालकाय साम्राज्य पर नियंत्रण स्थापित करने एवं शासन का संचालन करने के लिए अनेक उपायों का सहारा लिया। उन्होंने सम्पूर्ण रोमन साम्राज्य में दूर-दूर तक अनेक नगर स्थापित किये, जिनके माध्यम से समस्त साम्राज्य पर नियन्त्रण रखा जाता था। भूमध्य सागर के तटों पर स्थापित बड़े नगरीय केन्द्र, जैसे-कार्थेज, सिकन्दरिया तथा एंटिऑक आदि साम्राज्यिक प्रणाली के मूल आधार थे। इन्हीं नगरों के माध्यम से रोमन सरकार 'प्रान्तीय ग्रामीण क्षेत्रों पर' कर लगाने में सफल हुई थी। फलस्वरूप इससे साम्राज्य को बहुत अधिक धन की प्राप्ति हुई। स्थानीय उच्च वर्ग रोमन साम्राज्य को कर वसूली के कार्य के साथ-साथ अपने क्षेत्र के प्रशासन के कार्य में भी सहायता प्रदान करते थे।

प्रश्न 14. 
पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य के प्रांतीय व स्थानीय शासन को बताइए।
उत्तर:
पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य में प्रांतीय शासन-रोमन साम्राज्य में प्रांतीय शासन अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता था। पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि यह थी कि रोमन साम्राज्य के प्रत्यक्ष शासन का क्रमिक रूप से बहुत अधिक विस्तार हुआ। इसके लिए अनेक आश्रित राज्यों को रोम के प्रांतीय राज्य क्षेत्रों में सम्मिलित कर लिया गया। इटली को छोड़कर पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य का समस्त क्षेत्र प्रान्तों में विभाजित था, जिनसे कर वसूला जाता था। पूर्ववर्ती रोमन साम्राज्य में स्थानीय शासन-सम्पूर्ण रोमन साम्राज्य में स्थानीय शासन को महत्व प्रदान करने के लिए दूर-दूर तक अनेक नगरों की स्थापना की गई थी। ये नगर सम्पूर्ण साम्राज्य पर नियन्त्रण स्थापित करने में सहायता प्रदान करते थे। इन नगरों के माध्यम से ही रोमन सरकार प्रान्तीय ग्रामीण क्षेत्रों पर कर लगाकर उसे वसूल भी करती थी। स्थानीय शासन के माध्यम से प्राप्त कर साम्राज्य की समृद्धि में बहुत अधिक योगदान करते थे।

प्रश्न 15. 
"इटली तथा अन्य प्रान्तों के मध्य सत्ता का आकस्मिक हस्तांतरण रोम के राजनीतिक इतिहास का एक अत्यन्त रोचक पहलू रहा है।" कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में द्वितीय व तृतीय शताब्दी के दौरान अधिकांश प्रशासनिक एवं सैनिक अधिकारी उच्च प्रान्तीय वर्गों से सम्बन्धित होते थे। इन लोगों का एक नया संभ्रान्त वर्ग बन गया था जो सैनेट के सदस्यों की अपेक्षा बहुत अधिक शक्तिशाली था। इस वर्ग को रोमन सम्राटों का समर्थन प्राप्त था। जैसे ही यह नया वर्ग उभर कर सामने आया, सम्राट गैलीनस ने सैनेटरों को सैनिक कमान से हटाकर इस नये वर्ग के उदय को सृदृढ़ बना दिया। सम्राट गैलीनस ने सैनेटरों को सेना में सेवा करने अथवा उस तक पहुँच रखने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। यह सब इसलिए किया गया कि साम्राज्य का नियन्त्रण उसके हाथों में से न चला जाये। द्वितीय शताब्दी के दौरान एवं तृतीय शताब्दी के शुरुआती वर्षों में सेना एवं प्रशासन में प्रान्तों से अधिक संख्या में लोग सम्मिलित किये जाने लगे क्योंकि इस क्षेत्र के निवासियों को भी नागरिकता प्राप्त हो चुकी थी जो पहले केवल इटली तक ही सीमित थी। तृतीय शताब्दी तक सैनेट में इतालवी मूल के लोगों का प्रभुत्व, बना रहा। इसके पश्चात् प्रान्तों से लिए गये सैनेटर बहुसंख्यक हो गये थे।

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प्रश्न 16. 
रोम के सन्दर्भ में नगर को परिभाषित करते हुए रोमन साम्राज्य के नगरीय जीवन की विशेषताएँ बतलाइए।
उत्तर:
रोम के सन्दर्भ में नगर की परिभाषा रोम के सन्दर्भ में नगर एक ऐसा शहरी केन्द्र था जिसके अपने दण्डनायक, नगर परिषद् और एक सुनिश्चित राज्य-क्षेत्र होता था। उसके अधिकार क्षेत्र में कई गाँव आते थे परन्तु किसी भी नगर के अधिकार क्षेत्र में कोई दूसरा नगर नहीं हो सकता था। किसी नगर या गाँव का दर्जा सम्राट, की इच्छा पर निर्भर करता था। अपनी इच्छा से सम्राट किसी गाँव का दर्जा बढ़ाकर उसे नगर का दर्जा दे सकता था। इसी प्रकार वह नगर का दर्जा घटाकर उसे किसी गाँव का दर्जा भी दे सकता था। नगरीय जीवन की विशेषताएँ-रोम साम्राज्य के नगरीय जीवन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं

  1. नगरों में भोजन की कोई कमी नहीं होती थी। 
  2. अकाल के दिनों में भी ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरों में अच्छी किस्म की सुविधाएँ प्राप्त होने की सम्भावनाएँ रहती थीं।
  3. शहरों में सार्वजनिक स्नान गृह की सुविधा रहती थी। नगरीय लोगों को पर्याप्त मात्रा में मनोरंजन के साधन उपलब्ध थे। वहाँ वर्ष के अधिकांश दिनों में कोई-न-कोई मनोरंजक कार्यक्रम होता रहता था।
  4. नगरों में पढ़े-लिखे लोग मिलते थे। 

प्रश्न 17. 
डॉक्टर गैलेन के अनुसार रोमन शहरों का ग्रामीण क्षेत्रों के साथ कैसा बर्ताव था ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर-डॉक्टर गैलेन ने अपनी पुस्तक 'ऑन गुड एण्ड बैड डाइट' में रोमन शहरों का ग्रामीण क्षेत्रों के साथ होने वाले बर्ताव के बारे में लिखा है कि अनेक प्रान्तों में कई वर्षों से निरन्तर अकाल पड़ रहा था। इसके कारण साधारण से साधारण बुद्धि वाले व्यक्ति को भी यह मालूम हो गया था कि लोगों के कुपोषण के कारण बीमारियाँ पैदा हो रही हैं। शहर में रहने वाले लोगों का फसल कटाई के तुरन्त बाद अगले सम्पूर्ण वर्ष के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न अपने भण्डारों में भर लेना एक प्रथा थी। गेहूँ, जौ, सेम तथा मसूर और दालों का एक बड़ा भाग शहरी लोगों द्वारा ले जाने के पश्चात् भी कई प्रकार की दालें किसानों के लिए बची रह गयी थीं। सर्दियों के लिए जो कुछ भी बचा था उसे खा-पीकर समाप्त कर देने के पश्चात् ग्रामीण लोगों को बसन्त ऋतु में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक खाद्य पदार्थों पर निर्भर रहना पड़ा। उन्होंने खाने के अयोग्य वृक्षों की टहनियाँ, छालें, जड़ें एवं पत्ते खाकर किसी भी तरह अपने जीवन को बचाये रखा।

प्रश्न 18. 
ईरान में सार्वजनिक स्नानगृहों का वहाँ के पुरोहित वर्ग ने विरोध क्यों किया?
उत्तर:
सार्वजनिक स्नान-गृह रोम के शहरी जीवन की एक खास विशेषता थी। इसकी देखा-देखी जब ईरान के एक शासक ने ऐसे ही स्नान-गृहों को ईरान में भी शुरू करने का प्रयत्न किया तो उसे वहाँ के पुरोहित वर्ग के क्रोध का सामना करना पड़ा। क्योंकि जल एक पवित्र वस्तु थी और सार्वजनिक स्नान-गृह में स्नान करने से पुरोहितों को जल का अपवित्रीकरण होना दिखाई पड़ता था। इसीलिए पुरोहितों ने ईरान में सार्वजनिक स्नान गृहों का विरोध किया।

प्रश्न 19. 
"तीसरी शताब्दी में रोमन साम्राज्य को बहुत अधिक तनाव का सामना करना पड़ा था।" कथन को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
तीसरी शताब्दी में रोमन साम्राज्य को बहुत अधिक तनाव का सामना करना पड़ा था। इस कथन के समर्थन में निम्नलिखित उदाहरण दिये जा सकते हैं

  1. 225 ई. में ईरान में एक अत्यधिक आक्रामक वंश (ससानी वंश) का उद्भव हुआ। इस वंश ने तीव्र गति से अपने साम्राज्य का विस्तार करते हुए रोम साम्राज्य की पूर्वी राजधानी एंटिओक पर कब्जा कर लिया।
  2. इसी दौरान जर्मन मूल की कई जनजातियों(एलमन्नाइ, फ्रैंक और गोथ) ने राइन व डैन्यूब नदी की सीमाओं की ओर बढ़ना प्रारम्भ कर दिया। 233-280 ई. के मध्य इन जनजातियों ने कालासागर से लेकर आल्पस और दक्षिणी जर्मनी तक फैले राज्यों की सीमाओं पर बार-बार आक्रमण किए। फलस्वरूप रोमवासियों को डैन्यूब नदी से आगे का क्षेत्र छोड़ना पड़ा।
  3. इस काल में ही विदेशी बर्बर जातियों के विरुद्ध भी रोमन सम्राटों को लगातार युद्ध लड़ने पड़े।
  4. तीसरी शताब्दी में थोड़े-थोड़े अन्तर से अनेक सम्राट (47 वर्षों में 25 सम्राट) सत्तासीन हुए, जो इस तथ्य का स्पष्ट सूचक है कि इस अवधि में रोमन साम्राज्य को अत्यधिक तनाव की स्थिति से गुजरना पड़ा।

प्रश्न 20. 
रोमन साम्राज्य में साक्षरता की स्थिति' विषय पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में साक्षरता की स्थिति-रोमन साम्राज्य में कामचलाऊ साक्षरता की स्थिति थी। साम्राज्य के विभिन्न भागों में साक्षरता की दरें भी भिन्नता लिए हुए थीं। कई शहरों में बहुत अधिक साक्षरता थी। वहीं दूसरी ओर साम्राज्य के कई शहरों में साक्षरता बहुत कम देखने को मिलती थी। उदाहरण के रूप में, रोम के पोम्पेई नगर में कामचलाऊ साक्षरता व्यापक रूप से विद्यमान थी। वहीं मिस्र में इसकी दर बहुत कम थी। मिस्र से प्राप्त अभिलेख हमें यह जानकारी प्रदान करते हैं कि अमुक व्यक्ति 'क' अथवा 'ख' भी पढ़ या लिख नहीं सकता था। लेकिन यहाँ भी कई वर्गों में साक्षरता बहुत अधिक थी। ऐसे वर्गों में सैनिक, सैनिक अधिकारी एवं सम्पदा-प्रबन्धक आदि प्रमुख थे।

प्रश्न 21. 
रोमन इतिहासकार टैसिटस ने रोमन साम्राज्य में दासों के प्रति किए जाने वाले व्यवहार के बारे में क्या लिखा है ? बताइए।
उत्तर:
प्रसिद्ध रोमन इतिहासकार टैसिटस ने रोमन साम्राज्य में दासों के प्रति किये जाने वाले व्यवहार के बारे में बहुत कुछ लिखा है। जिसका वर्णन निम्नानुसार है टैसिटस लिखते हैं कि नगर के शासक ल्यूसियस पेडेनियस सेकंडस का उसके एक दास ने वध कर दिया। प्राचीन नियम-कानूनों के अनुसार यह आवश्यक था कि एक ही छत के नीचे रहने वाले प्रत्येक दास को फाँसी की सजा दी जाए। परन्तु बहुत से निर्दोष लोगों के प्राण बचाने के लिए एक भीड़ इकट्ठी हो गई और नगर में दंगे शुरू हो गए। भीड़ ने सैनेट भवन को घेर लिया। यद्यपि सैनेट भवन में सैनेटरों ने दासों के प्रति अत्यधिक कठोर व्यवहार किये जाने का विरोध किया जा रहा था। परन्तु अधिकांश सदस्यों ने सजा में परिवर्तन किए जाने का विरोध किया। अन्त में उन सैनेटरों की बात मानी गई जो दासों को फाँसी दिए जाने के समर्थक थे। परन्तु पत्थर और जलती हुई मशालें लिए क्रुद्ध भीड़ ने इस आदेश को लागू किए जाने से रोका। परन्तु रोमन सम्राट नीरो ने अभिलेख द्वारा ऐसे लोगों को बुरी तरह लताड़ा एवं उन समस्त रास्तों पर सेना की नियुक्ति कर दी जहाँ सैनिकों के साथ दोषियों को फाँसी पर चढ़ाने के लिए ले जाया जा रहा था। 

प्रश्न 22. 
रोम साम्राज्य के परवर्ती काल में भ्रष्टाचार बहुत फैला हुआ था। समझाइए।
अथवा 
रोमन साम्राज्य में फैले हुए भ्रष्टाचार की समाप्ति के लिए कौन-कौन से प्रयास किए गए? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
रोम साम्राज्य के परवर्ती काल में, वहाँ की नौकरशाही के उच्च तथा मध्य वर्ग अपेक्षाकृत बहुत धनी थे। क्योंकि उन्हें अपना वेतन 'सोना' के रूप में मिलता था। जिससे वे अपनी आय का बहुत बड़ा हिस्सा जमीन जैसी परिसंपत्तियाँ खरीदने में लगाते थे। इसके अतिरिक्त साम्राज्य में भ्रष्टाचार बहुत फैला हुआ था। विशेष रूप से न्याय-प्रणाली और सैन्य आपूर्तियों के प्रशासन में उच्च अधिकारी और गर्वनर लूट-खसोट व रिश्वत के द्वारा खूब धन कमाते थे। अतः भ्रष्टाचार को रोकने के लिए रोमन सरकार ने अनेक कानूनों का निर्माण किया। इतिहासकारों व अन्य बुद्धिजीवियों ने भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों की कटु आलोचना की।

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प्रश्न 23. 
इतिहासकार ओलिंपिओडोरस के अनुसार पाँचवीं शताब्दी के आरम्भिक दशकों में रोमन अभिजात वर्ग की आमदनियों (आय) का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर:
थेब्स के इतिहासकार ओलिंपिओडोरस ने पाँचवीं शताब्दी के आरम्भिक दशकों में रोमन अभिजात वर्ग की आमदनियों (आय) का वर्णन निम्न प्रकार से किया है ओलिंपिओडोरस कहते हैं कि रोम के उच्च घरानों से सम्बन्धित प्रत्येक व्यक्ति के पास वे समस्त वस्तुएँ उपलब्ध थीं जो एक मध्यम आकार के शहरों में आसानी से उपलब्ध हो सकती हैं। उनके पास हिप्पोड्रोम अर्थात् एक घुड़दौड़ का मैदान, अनेक मंच-मन्दिर, विभिन्न प्रकार के स्नानागार व फव्वारे आदि उपलब्ध थे। अनेक रोमन परिवारों को अपनी सम्पत्ति से प्रतिवर्ष 4,000 पाउण्ड सोने की आय प्राप्त होती थी जिसमें अनाज, शराब और अन्य उपज शामिल नहीं थीं। इन उपजों को बेचने पर सोने में प्राप्त आय के एक-तिहाई के बराबर आय हो सकती थी। रोम में द्वितीय श्रेणी के परिवारों की आय 1,000 अथवा 1,500 पाउण्ड सोना थी।

प्रश्न 24. 
परवर्ती काल में रोमन सम्राटों की तानाशाही पर अंकुश लगाने के लिए कौन-कौन से उपायों का सहारा लिया गया? संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
परवर्ती काल में रोमन सम्राटों की तानाशाही पर अंकुश लगाने के लिए कई उपायों का सहारा लिया गया क्योंकि रोमन साम्राज्य तानाशाही पर आधारित था। रोमन साम्राज्य के सम्राट अपने विरोधियों को कठोर दण्ड देते थे। परन्तु चौथी शताब्दी तक रोमन कानून की एक प्रबल परम्परा का जन्म हो चुका था। इन कानूनों ने रोम के तानाशाह सम्राटों पर अंकुश लगाने का प्रयास किया। इन कानूनों के अन्तर्गत रोमन सम्राट अपनी इच्छानुसार कार्य नहीं कर सकते थे। नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनों का प्रभावशाली ढंग से प्रयोग किया जाता था। कानूनों की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए एम्ब्रोस नामक शक्तिशाली बिशप ने कहा था कि यदि सम्राट सामान्य जनता के प्रति कठोर एवं दमनकारी नीति अपनाएँ तो बिशप भी उतनी ही अधिक शक्ति से उनका मुकाबला करें। इस तरह रोमन कानूनों ने परवर्ती काल में रोमन सम्राटों की तानाशाही पर अंकुश लगाने का प्रयास किया। .

प्रश्न 25. 
परवर्ती पुराकाल में रोमन सम्राट कॉन्स्टैनटाइन द्वारा किए गए सुधारों एवं उनके समय में हुई आर्थिक प्रगति को बताइए।
उत्तर:
परवर्ती पुराकाल में रोमन सम्राट कॉन्स्टैनटाइन द्वारा किये गये सुधार एवं उनके समय में हुई आर्थिक प्रगति का विवरण निम्नानुसार है

  1. रोमन सम्राट कॉन्स्टैनटाइन ने मौद्रिक क्षेत्र में अनेक सुधार किए। उसने सॉलिड्स नाम से. 4.5 ग्राम शुद्ध सोने का एक नया सिक्का चलाया। यह सिक्का रोमन साम्राज्य की समाप्ति के बाद भी प्रचलन में रहा।
  2. इन्होंने अपने राज्य के लिए एक नई राजधानी का निर्माण करवाया तथा उसे कुस्तुनतुनिया नाम दिया। यह नई राजधानी तीनों ओर से समुद्र से घिरी हुई थी।
  3. इन्होंने औद्योगिक प्रतिष्ठानों, ग्रामीण धन्धों एवं व्यापार के विकास में बहुत अधिक पूँजी लगाई। 
  4. इनके शासन काल में मौद्रिक स्थायित्व तथा बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण आर्थिक विकास में तीव्रता आई। 
  5. इनके शासन काल में ही शहरी सम्पदा व समृद्धि के साथ-साथ भवन निर्माण कला का भी विकास हुआ। 

प्रश्न 26. 
परवर्ती पुराकाल में रोमन साम्राज्य की धार्मिक स्थिति का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
परवर्ती पुराकाल में रोमन साम्राज्य की धार्मिक स्थिति का वर्णन निम्न बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है

  1. रोमन लोग बहुदेववादी थे। ये लोग अनेक पंथों एवं उपासना पद्धतियों में विश्वास रखते थे। 
  2. ये लोग जूपीटर, मिनर्वा, जूनो, मार्स आदि अनेक देवी-देवताओं की पूजा किया करते थे। 
  3. इन्होंने देवी-देवताओं की पूजा के लिए अनेक मन्दिरों, मठों और देवालयों का निर्माण किया।
  4. रोमन साम्राज्य का एक अन्य प्रमुख धर्म यहूदी धर्म था। यह धर्म भी एकाश्म अर्थात विविधताहीन नहीं था। इसका तात्पर्य था कि परवर्ती पुराकाल के यहूदी धर्म में बहुत-सी विविधताएँ विद्यमान थीं।
  5. चौथी व पाँचवीं सदी में रोमन साम्राज्य का ईसाईकरण एक क्रमिक तथा जटिल प्रक्रिया के रूप में हुआ था।
  6. चौथी शताब्दी में भिन्न-भिन्न धार्मिक समुदायों के मध्य की सीमाएँ कठोर एवं गहरी नहीं थीं जितनी कि बाद में शक्तिशाली बिशपों की कट्टरता के कारण हो गई थीं।

प्रश्न 27. 
रोमन साम्राज्य का पतन किस प्रकार हुआ ?
उत्तर;
रोमन साम्राज्य का पतन-रोमन साम्राज्य के पतन की प्रक्रिया छठी शताब्दी में प्रारम्भ हो गयी थी। साम्राज्य का पश्चिमी भाग बाहरी आक्रमणों के कारण राजनैतिक रूप से विखण्डित हो गया था। ये आक्रमण उत्तर की ओर से जर्मन मूल के समूहों-गोथ, सैंडल, लोंबार्ड आदि में किए थे। इन्होंने इस साम्राज्य के सभी बड़े प्रान्तों पर अपना नियन्त्रण स्थापित कर अपने-अपने राज्य स्थापित कर लिये थे। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण राज्य स्पेन के विसिगोथों का राज्य, गॉल में फ्रैंकों का राज्य तथा इटली में लोंबार्डों का,राज्य था।

533 ई. में सम्राट जस्टीनियन ने अफ्रीका को वैंडलों के नियन्त्रण से मुक्त करवा लिया। उसने इटली को भी मुक्त कराकर उस पर पुनः अधिकार कर लिया। इस घटनाक्रम से रोमन साम्राज्य को बहुत अधिक क्षति पहुँची और राज्य छिन्न-भिन्न हो गया। इससे लोंबार्डों के आक्रमणों के लिए मार्ग प्रशस्त हो गया। सातवीं शताब्दी के आरम्भिक दशकों में रोम व ईरान के मध्य पुनः युद्ध छिड़ गया। ईरान के ससानी शासकों ने मिस्र सहित समस्त पूर्वी प्रान्तों पर आक्रमण कर दिया जो रोमन साम्राज्य के लिए घातक सिद्ध हुआ। तत्पश्चात् 642 ई. में पूर्वी रोमन और ससानी राज्यों के एक बड़े भाग पर अरबों ने अधिकार कर लिया। इस तरह रोमन साम्राज्य का पूर्ण रूप से पतन हो गया। 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 
रोमन साम्राज्य की प्रमुख संस्थाएँ कौन-कौन सी थीं ? विस्तार से बताइए। उत्तर-रोमन साम्राज्य की तीन निम्नलिखित प्रमुख संस्थाएँ थीं

  1. सम्राट, 
  2. सैनेट या अभिजात वर्ग 
  3. सेना।

1. सम्राट-सम्राट वास्तव में साम्राज्यवादी शासन की सबसे महत्वपूर्ण तथा वास्तविक कड़ी होता था। रोमन साम्राज्य भी इसका अपवाद नहीं था। सम्राट एकछत्र शासक और सत्ता का वास्तविक स्रोत था। साम्राज्य की समस्त शक्तियाँ उसके हाथों में केन्द्रित थीं। सम्राट को 'प्रमुख नागरिक' कहा जाता था। ऐसा सैनेट के महत्व को बनाए रखने और उसे सम्मान प्रदान करने के लिए किया गया था। सम्राट यह प्रदर्शित करना चाहता था कि वह निरंकुश शासक नहीं है।

2. सैनेट या अभिजात वर्ग-रोम साम्राज्य में सैनेट वह निकाय था जिसने उन दिनों में जब रोम में रिपब्लिक अर्थात् गणतंत्र था, सत्ता पर नियंत्रण कर रखा था। यह एक ऐसी संस्था थी जिसमें कुलीन एवं अभिजात वर्गों अर्थात् धनी परिवारों का प्रतिनिधित्व होता था। बाद में इटली में जमींदारों को भी इसमें शामिल कर लिया गया था। वास्तव में सैनेट में धनवान परिवारों के एक छोटे से समूह का बोलबाला रहता था। व्यावहारिक तौर पर रोम में अभिजात वर्ग की सरकार का शासन था जिसे सैनेट नामक संस्था चलाती थी। सैनेट की सदस्यता जीवन भर चलती थी और उसके लिए जन्म की अपेक्षा धन और पद-प्रतिष्ठा को अधिक महत्व दिया जाता था। सम्राटों का मूल्यांकन इस बात से किया जाता था कि वे सैनेट के प्रति किस तरह का व्यवहार करते थे। जो सम्राट सैनेट के सदस्यों के प्रति शत्रुतापूर्ण व्यवहार करते थे और उन्हें संदेह की दृष्टि से देखते थे, वे सबसे बुरे सम्राट माने जाते थे।

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3. सेना-रोमन साम्राज्य में सेना एक बड़ा एकल संगठित निकाय थी। चौथी शताब्दी तक रोमन सेना में 6 लाख सैनिक थे। सम्राट और सैनेट के बाद साम्राज्यिक शासन का तीसरा 'खिलाड़ी' सेना नामक संस्था थी। रोम की सेना एक व्यावसायिक सेना थी जिसमें प्रत्येक सैनिक को वेतन दिया जाता था और न्यूनतम 25 वर्ष तक सेना में सेवा करनी पड़ती थी। वेतनभोगी सेना का होना निश्चित रूप से रोमन साम्राज्य की अपनी एक खास विशेषता थी। सेना के पास निश्चित रूप से सम्राटों का भाग्य निर्धारित करने की शक्ति थी अर्थात् अलग-अलग सम्राटों की सफलता इस बात पर निर्भर करती थी कि वे सेना पर कितना नियंत्रण रख पाते हैं और जब सेनाएँ विभाजित हो जाती थीं तो इसका परिणाम सामान्यतः गृहयुद्ध होता था। सैनिक अच्छे वेतन और सेवा शर्तों के लिए निरन्तर आन्दोलन करते रहते थे। कभी-कभी ये आन्दोलन सैनिक विद्रोहों का रूप धारण कर लेते थे। सैनेट सेना से घृणा करती थी और उससे भयभीत रहती थी, क्योंकि सेना हिंसा का स्रोत थी।

प्रश्न 2. 
रोमन समाज की प्रमुख विशेषताओं का विस्तार से वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
रोमन समाज की प्रमुख विशेषताएँ-रोमन समाज की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
(1) नाभिकीय या एकल परिवार-यह रोमन समाज की एक प्रमुख विशेषता थी। इसका रोम के समाज में व्यापक रूप से चलन था। नाभिकीय या एकल परिवारों में वयस्क पुत्र अपने पिता के परिवारों के साथ नहीं रहते थे। इसके अलावा, वयस्क भाई भी साझे परिवारों में अपवादस्वरूप ही रहते थे। दासों को परिवार का अंग माना जाता था।

(2) विवाह-रोमन समाज में विवाह करने का प्रचलन था। विवाह प्रायः परिवारों द्वारा ही तय किये जाते थे। पुरुष प्रायः 28 से 32 ई. की आयु में विवाह करते थे जबकि लड़कियों का विवाह 16 से 23 वर्ष की आयु में किया जाता था। इसलिए पति और पत्नी के बीच आयु का अंतराल बना रहता था। प्रथम शताब्दी ई. पू. तक विवाह का स्वरूप ऐसा होता था कि पत्नी अपने पति को अपनी सम्पत्ति हस्तांतरित नहीं करती थी। हालांकि दहेज में मिली संपत्ति पति के पास चली जाती थी।
विवाह के पश्चात् भी महिला अपने पिता की उत्तराधिकारी बनी रहती थी। अपने पिता की मृत्यु होने पर वह उसकी सम्पत्ति की स्वामिनी बन जाती थी। इस प्रकार रोम की महिलाओं को सम्पत्ति के स्वामित्व एवं संचालन में व्यापक कानूनी अधिकार प्राप्त थे। तलाक देना अपेक्षाकृत सरल था। इसके लिए पति अथवा पत्नी द्वारा केवल विवाह भंग करने के निश्चय की सूचना देना ही पर्याप्त था।

(3) पुरुष प्रधान परिवार-रोमन समाज में परिवार पुरुष प्रधान होते थे। परिवार में पुरुषों को ही महत्व प्रदान किया जाता था, पुरुषों का ही बोलबाला था। परिवारों में महिलाओं की स्थिति कुछ ज्यादा अच्छी नहीं थी। महिलाओं पर उनके पति प्रायः हावी रहते थे और उनके साथ कठोर बर्ताव करते थे। प्रसिद्ध कैथोलिक बिशप ऑगस्टीन ने लिखा है कि उनकी माता की उनके पिता द्वारा नियमित रूप से पिटाई की जाती थी। जिस नगर में वे पले-बड़े वहाँ की अधिकांश पत्नियाँ इसी तरह की पिटाई से अपने शरीर पर लगी खरोंचें दिखाती रहती थीं।

(4) पिता का अपने बच्चों पर कठोर कानूनी नियंत्रण-रोमन समाज में पिता का अपने बच्चों पर कठोर कानूनी नियंत्रण होता था। अवांछित बच्चों के मामले में पिता को उन्हें जीवित रखने अथवा मार डालने तक का कानूनी अधिकार प्राप्त था। साक्ष्यों से ज्ञात होता है कि कभी-कभी पिता अपने बच्चों को मारने के लिए उन्हें ठण्ड में छोड़ देते थे।

(5) साक्षरता की स्थिति-कामचलाऊ साक्षरता की दरें रोमन साम्राज्य के विभिन्न भागों में अलग-अलग थीं। उदाहरणस्वरूप रोम के पोम्पेई नगर में साक्षरता का स्तर न्यून था। दूसरी ओर, मिस्र से प्राप्त दस्तावेजों से ज्ञात होता है कि वहाँ साक्षरता की दर काफी कम थी। यहाँ भी साक्षरता निश्चित रूप से कुछ वर्गों के लोगों जैसे सैनिकों, सैनिक अधिकारियों और सम्पदा प्रबंधकों आदि में अपेक्षाकृत अधिक थी।।

प्रश्न 3. 
रोमन साम्राज्य की अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं का विस्तार से वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
रोमन साम्राज्य की अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ-रोमन साम्राज्य की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
(1) मजबूत आधारभूत आर्थिक ढाँचा-रोमन साम्राज्य में बंदरगाहों, खानों, खदानों, ईंट-भट्ठों, जैतून के तेल के कारखानों आदि की संख्या बहुत अधिक थी। परिणामस्वरूप साम्राज्य का आधारभूत आर्थिक ढाँचा बहुत मजबूत था। गेहूँ, अंगूरी शराब तथा जैतून का तेल मुख्य व्यापारिक मदें थीं। इनका बहुत अधिक मात्रा में प्रयोग होता था। ये मुख्यतः स्पेन, गैलिक प्रांतों, उत्तरी अफ्रीका, मिन तथा इटली से आती थीं। क्योंकि वहाँ इन फसलों के लिए स्थितियाँ अनुकूल थीं। शराब, जैतून का तेल तथा अन्य तरल पदार्थों की ढुलाई विशेष प्रकार के मटकों या कंटेनरों से होती थी जिन्हें 'एम्फोरा' कहा जाता था।

(2) व्यापार में प्रतिस्पर्धा-रोमन साम्राज्य के भिन्न-भिन्न प्रदेशों के जमींदार तथा उत्पादक अलग-अलग वस्तुओं का बाजार हथियाने के लिए आपस में प्रतिस्पर्धा करते रहते थे। परिणामस्वरूप जैतून के तेल के व्यापार पर प्रभुत्व भी बदलता रहा। स्पेन में जैतून का तेल निकालने का उद्योग 140-160 ई. के दौरान अपने चरमोत्कर्ष पर था। उन दिनों स्पेन में उत्पादित जैतून का तेल मुख्य रूप से विशेष कंटेनरों में ले जाया जाता था, जिन्हें ड्रेसल-20 कहा गया।

(3) उर्वर क्षेत्र-रोमन साम्राज्य के अन्तर्गत ऐसे बहुत से क्षेत्र आते थे जो अपनी असाधारण उर्वरता के लिए प्रसिद्ध थे। इनमें इटली के कैम्पेनिया तथा सिसली और मिस्र के फय्यूम, गैलिली, बाइजैकियम; फ्रांस के दक्षिणी गॉल तथा दक्षिणी स्पेन के बेटिका के प्रदेश सम्मिलित थे। ये प्रदेश साम्राज्य के घनी आबादी वाले सबसे धनी प्रदेशों में से एक थे।

(4) खनिज उत्पादकता का उच्च स्तर-रोमन साम्राज्य में खनिज उत्पादकता का स्तर बहुत उच्च था। बड़े भारी औद्योगिक पैमाने पर खानों से खनिज निकाले जाते थे। स्पेन से सोने व चाँदी की प्राप्ति होती थी। खनिज उत्पादकता का स्तर इतना ऊँचा था कि 19वीं शताब्दी तक अर्थात् लगभग 1700 वर्ष पश्चात् भी ऐसे उत्पादन का स्तर देखने को नहीं मिलता।

(5) जल शक्ति का प्रयोग- भूमध्य सागरीय क्षेत्र में जल शक्ति का अनेक प्रकार से प्रयोग होता था। इस काल में जल शक्ति से अनेक कारखाने चलाये जाते थे। स्पेन में सोने व चाँदी की खानों में जल शक्ति से खुदाई की जाती थी।

(6) सुगठित वाणिज्यिक एवं बैंकिंग व्यवस्था-रोमन साम्राज्य में सुगठित वाणिज्यिक एवं बैंकिंग व्यवस्था का प्रचलन था।

(7) धन का व्यापक रूप से प्रयोग-रोमन साम्राज्य में धन का व्यापक रूप से प्रयोग होता था। परवर्ती काल में रोमन साम्राज्य में सोने के सिक्के प्रचलन में रहे थे।

प्रश्न 4. 
रोम की अर्थव्यवस्था में दासों की स्थिति व भूमिका का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
रोम की अर्थव्यवस्था में दासों की स्थिति-रोमन साम्राज्य में दास प्रथा व्यापक रूप से प्रचलन में थी। भूमध्यसागर और निकटवर्ती पूर्व अर्थात् पश्चिमी एशिया दोनों ही क्षेत्रों में दासता की जड़ें बहुत गहरी थीं। ऑगस्टस के शासनकाल में इटली की कुल 75 लाख की आबादी में 30 लाख दास थे। चौथी शताब्दी में ईसाई धर्म के राज्य धर्म बनने के बाद भी दास प्रथा जारी रही। दासों को पूँजी निवेश की दृष्टि से देखा जाता था। उच्च वर्ग के लोग दासों के साथ क्रूरतापूर्ण व्यवहार करते थे, जबकि साधारण वर्ग के लोग उनके प्रति सहानुभूति रखते थे। 

रोम की अर्थव्यवस्था में दासों की भूमिका-रोम की अर्थव्यवस्था में अधिकांश श्रम दासों द्वारा ही किया जाता था। जब प्रथम शताब्दी में रोमन साम्राज्य में शान्ति स्थापित हो गई तो लड़ाई-झगड़े कम हो गये जिससे दासों की आपूर्ति में कमी आने लगी। परिणामस्वरूप दास-श्रम का प्रयोग करने वालों को दास प्रजनन अथवा वेतनभोगी मजदूरों जैसे विकल्पों का सहारा लेना पड़ा। वेतनभोगी मजदूर दासों से सस्ते पड़ते थे। क्योंकि उन्हें आसानी से छोड़ा और रखा जा सकता था।

इसके विपरीत दास-श्रमिकों को पूरे वर्ष रखना पड़ता था और सम्पूर्ण वर्ष उन्हें भोजन देना पड़ता था तथा उनके अन्य खर्च उठाने पड़ते थे, फलस्वरूप दास श्रमिकों को रखने की लागत बढ़ जाती थी। इसलिए बाद की अवधि में कृषि क्षेत्र में अधिक संख्या में दास मजदूर नहीं रहे। अब इन दासों और मुक्त हुए दासों को व्यापार-प्रबन्धक के रूप में नियुक्त किया जाने लगा। मालिक प्रायः इन्हें अपनी ओर से व्यापार चलाने के लिए पूँजी देते थे और कभी-कभी अपना पूरा कारोबार उन्हें सौंप देते थे। 

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प्रश्न 5. 
रोमन साम्राज्य में श्रम प्रबन्धन एवं श्रमिकों पर नियंत्रण रखने के उपायों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा 
रोमन साम्राज्य में श्रम प्रबन्धन एवं श्रमिकों पर नियन्त्रण के सन्दर्भ में कोलूमेल्ला, वरिष्ठ प्लिनी व ऑगस्टीन के विचारों को बताइए।
उत्तर:
रोमन साम्राज्य में श्रम प्रबन्धन एवं श्रमिकों के नियंत्रण पर विशेष ध्यान दिया जाता था। इस सम्बन्ध में कोलूमेल्ला, वरिष्ठ प्लिनी व ऑगस्टीन के विचार निम्नलिखित थे
(i) कोलूमेल्ला के विचार-प्रथम शताब्दी के इस रोमन कृषि लेखक ने सुझाव दिया था कि जमींदारों को अपनी जरूरत से दुगुनी संख्या में उपकरणों तथा औजारों का सुरक्षित भण्डार रखना चाहिए ताकि उत्पादन लगातार होता रहे। निरीक्षण को भी विशेष महत्व दिया जाना चाहिए क्योंकि नियोक्ताओं की यह आम धारणा थी कि निरीक्षण के बिना कभी भी कोई काम ठीक से नहीं करवाया जा सकता। इसलिए मुक्त तथा दास दोनों प्रकार के श्रमिकों के लिए निरीक्षण सबसे महत्वपूर्ण पहलू था। निरीक्षण को सरल बनाने के लिए कामगारों को कभी-कभी छोटे-छोटे समूहों में विभाजित कर दिया जाता था। कोलूमेल्ला ने 10-10 श्रमिकों के समूह बनाने की सिफारिश की थी और यह दावा किया था कि इन छोटे समूहों में यह बताना अपेक्षाकृत सरल होता है कि उनमें से कौन काम कर रहा है और कौन नहीं।

(ii) इतिहासकार वरिष्ठ प्लिनी के विचार-वरिष्ठ प्लिनी ने प्रकृति विज्ञान नामक पुस्तक की रचना की, जिसमें उन्होंने दास समूह के प्रयोग की आलोचना करते हुए यह कहा था कि यह उत्पादन आयोजित करने का सबसे बुरा तरीका है क्योंकि इस प्रकार अलग-अलग समूहों में काम करने वाले दासों को सामान्यतया पैरों में जंजीर डालकर एक-साथ रखा जाता था। रोमन साम्राज्य के कुछ कारखानों ने तो इससे भी अधिक कड़े नियन्त्रण लागू कर रखे थे। वरिष्ठ प्लिनी ने सिकंदरिया की फ्रैंकिन्सेंस (सुगंधित राल) की फैक्ट्रियों के हालात का वर्णन किया है, कि जहाँ उनके अनुसार कितना ही कड़ा निरीक्षण रखो, पर्याप्त प्रतीत नहीं होता था।

सुगंधित राल. के कारखानों में कामगारों के एप्रेनों पर एक सील लगा दी जाती थी। उन्हें अपने सिर पर एक गहरी जाली वाला मास्क या नेट भी पहनना पड़ता था। उन्हें फैक्ट्री से बाहर जाने के लिए अपने सभी कपड़े उतारने पड़ते थे। सम्भवतः यह बात अधिकांश फैक्ट्रियों और कारखानों पर लागू होती थी। 398 ई. के एक कानून में कहा गया कि कामगारों को दागा जाता था ताकि यदि वे भागने और छिपने का प्रयत्न करें तो उन्हें पहचाना जा सके। कई निजी उद्यमी कामगारों के साथ ऋण-संविदा के रूप में अनुबंध कर लेते थे ताकि यह दावा कर सकें कि उनके कर्मचारी उनके ऋणी हैं। इस प्रकार वे कामगारों पर कठोर नियंत्रण रखते थे।

(iii) ऑगस्टीन के विचार-ऑगस्टीन एक कृषि विषयक लेखक थे। हाल ही में खोजे गये ऑगस्टीन के पत्रों से हमें यह जानकारी मिलती है कि कभी-कभी माता-पिता अपने बच्चों को 25 वर्ष के लिए बेचकर बँधुआ मजदूर बना देते थे। ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत अधिक ऋणग्रस्तता फैली हुई थी। 

प्रश्न 6. 
पूर्ववर्ती एवं परवर्ती काल में रोमन साम्राज्य की सामाजिक श्रेणियों का वर्णन कीजिए।
अथवा 
रोमन साम्राज्य की सामाजिक संरचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पूर्ववर्ती काल में रोमन साम्राज्य की प्रमुख सामाजिक श्रेणियाँ-प्रसिद्ध इतिहासकार टैसिटस के अनुसार पूर्ववर्ती काल में रोमन साम्राज्य की प्रमुख सामाजिक श्रेणियाँ निम्नलिखित थीं

  1. सैनेटर
  2. अश्वारोही या नाइट वर्ग
  3. जनता का सम्माननीय वर्ग
  4. फूहड़ निम्नतर वर्ग अथवा कमीनकारू (प्लेब्स सोर्डिडा)
  5. दास।

1. सैनेटर-तीसरी शताब्दी के प्रारम्भिक वर्षों में सैनेट की सदस्य संख्या लगभग 1000 थी। कुल सैनेटरों में लगभग आधे सैनेटर अभी भी इतालवी परिवारों के थे। सैनेटर धनिक परिवारों अर्थात् अभिजात वर्ग के लोग होते थे।

2. अश्वारोही-यह परम्परागत रूप से दूसरा सबसे अधिक शक्तिशाली और धनवान समूह था। मूल रूप से ये ऐसे परिवार थे जिनकी सम्पत्ति उन्हें घुड़सेना में भर्ती होने की औपचारिक योग्यता प्रदान करती थी, इसीलिए इन्हें इक्वाइट्स कहा जाता था। सैनेटरों की तरह अधिकतर नाइट जमींदार होते थे लेकिन सैनेटरों के विपरीत उनमें से कई लोग जहाजों के मालिक, व्यापारी और साहूकार (बैंकर) भी होते थे यानि वे व्यापारिक क्रियाकलापों में संलग्न रहते थे। ।

3. जनता का सम्माननीय वर्ग-जनता के सम्माननीय वर्ग का सम्बन्ध महान घरानों से था।

4. फूहड़ निम्नतर वर्ग-इस वर्ग को कमीनकारू या प्लेब्स सोर्डिडा भी कहा जाता है। इस वर्ग के लोग सर्कस, थियेटर व तमाशा आदि देखना पसन्द करते थे।

5. दास-रोम साम्राज्य में दासों को अधिक महत्व प्रदान नहीं किया जाता था। इनका शोषण किया जाता था।

परवर्ती काल में रोमन साम्राज्य की प्रमुख सामाजिक श्रेणियाँ-
परवर्ती काल में रोमन साम्राज्य की प्रमुख सामाजिक श्रेणियाँ निम्नलिखित थीं
(i) अभिजात वर्ग
(ii) मध्यम वर्ग
(iii) निम्नतर वर्ग।

6. अभिजात वर्ग-परवर्ती काल में सैनेटर और अश्वारोही वर्ग एकीकृत होकर एक विस्तृत अभिजात वर्ग बन चुके थे। इन दो वर्गों के कुल परिवारों में से कम-से-कम आधे परिवार अफ्रीका अथवा पूर्वी मूल के थे। यह अभिजात वर्ग बहुत अधिक सम्पन्न था लेकिन विशुद्ध सैनिक संभ्रान्त वर्ग की तुलना में कम शक्तिशाली थे।

7. मध्यम वर्ग-इस वर्ग के अन्तर्गत सेना व नौकरशाही से जुड़े हुए सामान्य लोग आते थे। इसके अतिरिक्त इस वर्ग में अपेक्षाकृत अधिक समृद्ध सौदागर तथा किसान भी सम्मिलित थे। मध्यम वर्ग के परिवारों का जीवन निर्वाह सरकारी सेवा तथा राज्य पर निर्भरता द्वारा होता था। 

8. निम्नतर वर्ग-रोमन साम्राज्य में निम्नतर वर्ग का एक विशाल समूह था। इसे सामूहिक रूप से ह्यूमिलिओरिस कहा जाता था। निम्नतर वर्ग या ह्यूमिलिओरिस में ग्रामीण श्रमिक शामिल थे। इनमें से बहुत से श्रमिक बड़ी जागीरों में स्थायी रूप से काम करते थे। औद्योगिक और खनन प्रतिष्ठानों के मजदूर तथा प्रवासी कामगार, जौ, अनाज, जैतून की फसलों की कटाई तथा भवन निर्माण उद्योग के लिए कार्य करते थे तथा स्व-नियोजित शिल्पकार थे। इसके अतिरिक्त हजारों दास समस्त पश्चिमी साम्राज्य में पाये जाते थे।

RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

प्रश्न 7. 
परवर्ती पुराकाल में रोमन साम्राज्य में हुए परिवर्तनों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
परवर्ती पुराकाल में रोमन साम्राज्य में हुए परिवर्तन-परवर्ती पुराकाल शब्द का प्रयोग रोमन साम्राज्य के इतिहास की उस अन्तिम अवधि का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो प्रायः चौथी से सातवीं शताब्दी तक विस्तारित थी। इस समयावधि में रोमन साम्राज्य में अग्रलिखित परिवर्तन हुए
(1) धार्मिक परिवर्तन-परवर्ती पुराकाल में रोमन साम्राज्य में निम्नलिखित धार्मिक परिवर्तन हुए

  • चौथी शताब्दी में रोमन सम्राट कॉन्स्टैनटाइन ने ईसाई धर्म को राजधर्म घोषित कर दिया। इसके पश्चात् रोमन साम्राज्य में ईसाई धर्म का तीव्र गति से प्रचार-प्रसार होने लगा।
  • सातवीं शताब्दी में इस्लाम धर्म का उदय हुआ। यह धर्म भी बड़ी तीव्र गति से लोकप्रिय हुआ।

(2) प्रशासनिक परिवर्तन-विभिन्न रोमन सम्राटों ने इस साम्राज्य के प्रशासनिक ढाँचे में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। ये परिवर्तन सम्राट डायोक्लीशियन (284-305 ई.) के समय से प्रारम्भ हुए एवं उसके बाद के काल तक जारी रहे। ये परिवर्तन निम्नलिखित थे-
(अ) डायोक्लीशियन कालीन प्रशासनिक परिवर्तन-रोमन सम्राट डायोक्लीशियन ने अपने साम्राज्य के शासन तंत्र में निम्नलिखित परिवर्तन किए

  • इन्होंने सामरिक या आर्थिक दृष्टि से महत्वहीन क्षेत्रों को छोड़कर साम्राज्य की विशालता को कम कर लिया था। 
  • इन्होंने साम्राज्य की सीमाओं पर कई किलों का निर्माण करवाया। 
  • इन्होंने प्रान्तों का पुनर्गठन किया।
  • इन्होंने असैनिक कार्यों को सैनिक कार्यों से पृथक कर दिया था तथा सेनापतियों को बहुत अधिक स्वायत्तता प्रदान कर दी थी।

(ब) कॉन्स्टैनटाइन कालीन परिवर्तन-रोमन सम्राट कॉन्स्टैनटाइन ने अपने शासन काल के दौरान अपनी शासन प्रणाली में निम्नलिखित परिवर्तन किए

  • सम्राट कॉन्स्टैनटाइन ने कुस्तुनतुनिया नगर का निर्माण करवाया एवं इसे अपने साम्राज्य की दूसरी राजधानी बनाया। यह राजधानी नगर तीनों ओर से समुद्र से घिरा हुआ था।
  • इन्होंने सॉलिड्स नामक एक नया सोने का सिक्का चलाया जो 4.5 ग्राम विशुद्ध सोने से निर्मित था। 

(3) आर्थिक परिवर्तन-परवर्ती पुराकाल में रोमन साम्राज्य में निम्नलिखित धार्मिक परिवर्तन हुए

  • मौद्रिक स्थायित्व और बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण आर्थिक विकास में तेजी आयी।
  • औद्योगिक प्रतिष्ठानों, ग्रामीण उद्योग-धन्धों के विकास में पर्याप्त पूँजी लगायी गयी। इनमें तेल की मिलें, शीशे के कारखाने एवं पानी की मिलें (Multiple Water-mills) उल्लेखनीय थीं।
  • व्यापार के विकास में भी पर्याप्त पूँजी का निवेश किया गया। 
  • शहरी सम्पदा और भोग-विलास के साधनों में वृद्धि हुई। 
  • मुद्रा का व्यापक रूप से प्रयोग होने लगा। 

प्रश्न 8. 
परवर्ती पुराकाल में रोमन साम्राज्य की धार्मिक स्थिति की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
परवर्ती पुराकाल में रोमन साम्राज्य की धार्मिक स्थिति-परवर्ती पुराकाल में रोमन साम्राज्य की धार्मिक स्थिति की समीक्षा निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत प्रस्तुत है
(i) रोम के निवासियों की परम्परागत धार्मिक संस्कृति बहुदेववाद की थी। रोमन लोग अनेक पंथों एवं उपासना पद्धतियों में विश्वास करने वाले थे। रोमन व इतालवी देवों में जूपीटर, मिनर्वा, जूनो एवं मॉर्स आदि देवी-देवता प्रमुख थे। रोमन लोग यूनानी एवं पूर्वी देवी-देवताओं की भी पूजा किया करते थे। इसी कारण उन्होंने रोमन साम्राज्य में अनेक मन्दिर, मठ एवं देवालय स्थापित किए।

(ii) रोमन साम्राज्य का एक अन्य महत्वपूर्ण धर्म, यहूदी धर्म था परन्तु यह भी एकाश्म अर्थात् विविधताहीन नहीं था। इसका आशय यह था कि परवर्ती पुराकाल के यहूदी धर्म में अनेक विविधताएँ मौजूद थीं। अत: चौथी एवं पाँचवीं शताब्दी में साम्राज्य का ईसाईकरण एक क्रमिक एवं जटिल प्रक्रिया के रूप में हुआ था।

(iii) बहुदेववाद विशेष रूप से पश्चिमी प्रान्तों में आसानी से लुप्त नहीं हुआ था। यद्यपि ईसाई धर्म प्रचारक वहाँ प्रचलित बहुदेववादी मत-मतांतरों एवं धार्मिक रीति-रिवाजों का निरन्तर विरोध करते रहे एवं ईसाई जनसाधारण की तुलना में बहुदेववाद की आलोचना करते रहे।

(iv) चौथी शताब्दी में भिन्न-भिन्न धार्मिक समुदायों के मध्य की सीमाएँ कठोर एवं गहरी नहीं थीं जितनी कि बाद में धार्मिक शक्तिशाली बिशपों (धर्माचार्यों) की कट्टरता के कारण हो गई थीं। इन धर्माचार्यों (विशपों) ने अपने अनुयायियों को कट्टरतम एवं कठोरता से धार्मिक विश्वासों एवं रीति-रिवाजों के पालन करने की बात पर बल दिया।

मानचित्र सम्बन्धी प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 
दिए गए रेखा मानचित्र में निम्न को दर्शाइए

  1. मिस्र 
  2. डैन्यूब नदी 
  3. गॉल 
  4. ट्यूनीशिया 
  5. रोम 
  6. कार्थेज। 

उत्तर:
RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य 1

RBSE Class 11 History Important Questions Chapter 3 तीन महाद्वीपों में फैला हुआ साम्राज्य

प्रश्न 2. 
नीचे दिए गए पश्चिम एशिया के रेखा मानचित्र में निम्नलिखित को दर्शाइए

  1. ईरान 
  2. अफगानिस्तान 
  3. नील नदी 
  4. फिलिस्तीन 
  5. कुस्तुनतुनिया 
  6. भूमध्य सागर 
  7. फ़रात नदी 
  8. दजला नदी 
  9. मक्का 
  10. मदीना। 

उत्तर:
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विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर 

प्रश्न 1. 
निम्नलिखित देशों में से किनके बीच मकदूनिया क्षेत्र की दावेदारी झगड़े की जड़ रही है ? 
(क) पुर्तगाल 
(ख) रोमानिया व बुल्गारिया 
(ग) पुर्तगाल व यूनान 
(घ) बुल्गारिया व यूनान।
उत्तर:
(घ) बुल्गारिया व यूनान।

प्रश्न 2. 
जूलियस सीजर का दत्तक पुत्र कौन था?
(क) प्रिंसेप 
(ख) ऑक्टेवियन 
(ग) एंटीऑक
(घ) जेम्स। 
उत्तर:
(ख) ऑक्टेवियन 

प्रश्न 3. 
27 ई. पू. रोम में किसे ऑगस्टस की पदवी प्रदान की गई?  
(क) आक्टेवियन 
(ख) कोलूमेल्ला 
(ग) पोम्पेई
(घ) टिबेरियस।  
उत्तर:
(क) आक्टेवियन 

प्रश्न 4. 
जीसस क्राइस्ट के जन्म के समय रोम साम्राज्य का शासक कौन था?
स्कूल व्याख्याता (इतिहास) परीक्षा) 
(क) डॉयोक्लेटिस 
(ख) ऑक्टेवियन 
(ग) कॉन्स्टैटूनटाइन प्रथम 
(घ) जीनो। 
उत्तर:
(ख) ऑक्टेवियन 

प्रश्न 5. 
रोमन साम्राज्य बहुत विस्तृत था और ऑगस्टस के बाद शासक की नियुक्ति का आधार होता था?
(क) योग्यता 
(ख) सैन्य शक्ति 
(ग) आनुवंशिक 
(घ) सैनेट का समर्थन। 
उत्तर:
(ग) आनुवंशिक 

प्रश्न 6. 
निम्न में से किस शासक ने ईसाई धर्म को अपनाया तथा उसे रोमन साम्राज्य का राजधर्म बनाया ?
(क) कॉन्स्टैनटाइन प्रथम
(ख) कॉन्स्टैनटाइन द्वितीय 
(ग) कान्स्टास प्रथम
(घ) कान्टैनटियस द्वितीय। 
उत्तर:
(क) कॉन्स्टैनटाइन प्रथम

प्रश्न 7. 
प्रथम रोमन शासक जिसने ईसाई धर्म अपनाया? (RPSC स्कूल व्याख्याता परीक्षा (इतिहास)) 
(क) जूलियस सीजर 
(ख) कॉन्स्टैनटाइन 
(ग) पोम्पई
(घ) ऑगस्टस सीजर। 
उत्तर:
(ख) कॉन्स्टैनटाइन 

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प्रश्न 8. 
रोमन साम्राज्य के पतन का प्रमुख कारण था
(RPSC स्कूल व्याख्याता परीक्षा) 
(क) साम्राज्य की विशालता
(ख) ईसाईयत का उद्भव 
(ग) बर्बर जातियों के आक्रमण 
(घ) पूर्वी शासकों की तानाशाही व अनैतिक आचरण। 
उत्तर:
(ग) बर्बर जातियों के आक्रमण 

प्रश्न 9. 
ग्रेगोरियन कैलेन्डर के अनुसार वर्ष में कितने महीनों के नाम रोम के सम्राटों के नाम पर रखे हुए हैं
(एस. एस. सी., सी. पी. ओ, एस. आई परीक्षा) 
(क) 0 
(ख) 1
(ग) 2
(घ) 3. 
उत्तर:
(ग) 2

प्रश्न 10. 
रोमन साम्राज्य के साथ भारत का व्यापार रोम पर किसके आक्रमण के साथ समाप्त हो गया?
(एस. एस. सी., सी. पी. ओ, एस. आई. परीक्षा) : 
(क) अरबों द्वारा
(ख) तुर्कों द्वारा 
(ग) हूणों द्वारा 
(घ) हंगेरियाइयों द्वारा।। 
उत्तर:
(ग) हूणों द्वारा 

प्रश्न 11. 
भारत से रोमन साम्राज्य को निर्यात किया जाता था?
(क) अनाज
(ख) सोना और चाँदी 
(ग) काली मिर्च 
(घ) महिला दास। 
उत्तर:
(ग) काली मिर्च 

प्रश्न 12. 
यूनानी मिथक में 'अपोलो' किसका देवता है?
(क) प्रेम
(ख) शांति
(ग) भविष्यवाणी 
(घ) चिकित्सा। 
उत्तर:
(घ) चिकित्सा। 

Prasanna
Last Updated on Nov. 2, 2023, 12:24 p.m.
Published Nov. 1, 2023