These comprehensive RBSE Class 11 History Notes Chapter 8 संस्कृतियों का टकराव will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 11 History Chapter 8 Notes संस्कृतियों का टकराव
→ परिचय
- पन्द्रहवीं से सत्रहवीं शताब्दी के मध्य यूरोपवासियों एवं उत्तरी व दक्षिणी-अमरीका के मूल निवासियों के बीच कई संघर्ष हुए।
- इस अवधि में विभिन्न खनिजों की प्राप्ति हेतु यूरोपवासियों ने कई अज्ञात महासागरों में साहसपूर्ण अभियान किए जिनके माध्यम से उन्होंने नये-नये व्यापारिक मार्गों को खोजा।
- सर्वप्रथम स्पेन और पुर्तगाल के निवासियों ने विभिन्न व्यापारिक मार्गों की खोज प्रारम्भ की।
- इन देशों के नाविकों ने पोप से उन देशों पर शासन करने का अधिकार प्राप्त कर लिया, जिन्हें वे भविष्य में खोजेंगे।
- 1492 ई. में स्पेन के शासकों के तत्वावधान में इटली निवासी 'क्रिस्टोफर कोलम्बस' पूर्व की ओर यात्रा करते-करते जिन प्रदेशों में पहुँचा उन्हें उसने 'इंडीज' (अर्थात् भारत एवं भारत के पूर्व में स्थित देश) समझा था।
- उस समय उत्तरी और दक्षिणी अमरीका में दो प्रकार की संस्कृतियों के लोग रहते थे—एक ओर कैरीबियन क्षेत्र और ब्राज़ील में छोटी निर्वाह अर्थव्यवस्थाएँ थीं जबकि दूसरी ओर विकसित खेती और खनन पर आधारित शक्तिशाली राजतंत्रात्मक व्यवस्थाएँ थीं।
- मैक्सिको और मध्य अमरीका के एज़टेक और माया समुदाय तथा पेरू के इंका समुदाय के समान यहाँ भव्य वास्तुकला थी।
- दक्षिणी अमरीका की खोज और बाद में बाहरी लोगों का यहाँ बसना यहाँ के मूल निवासियों और उनकी संस्कृतियों के लिए विनाशकारी सिद्ध हुआ।
- यूरोपवासी अफ्रीका से गुलाम पकड़कर या खरीदकर उत्तरी और दक्षिणी अमरीका की खानों और बागानों में काम करने के लिए बेचने लगे, जिससे दास-व्यापार की प्रथा शुरू हुई।
- अमरीका के लोगों पर यूरोपियों की विजय का एक दुष्परिणाम यह हुआ कि अमरीकी लोगों की पाण्डुलिपियों और स्मारकों को निर्ममतापूर्वक नष्ट कर दिया गया।
- इन अमरीकी संस्कृतियों को जानने के लिए अब हमारे पास यात्रा वृत्तांत, नाविकों की डायरियाँ तथा राजकीय संग्रहालयों के अभिलेख मुख्य स्रोत बन गये हैं।
- दक्षिणी अमरीका आज भी घने जंगलों और पहाड़ों से ढका हुआ है तथा संसार की सबसे बड़ी नदी 'अमेजन' मीलों तक वहाँ के घने जंगली क्षेत्रों से होकर बहती है।
→ कैरीबियन द्वीपसमूह और ब्राजील के जन-समुदाय
- अरावाकी लुकायो समुदाय के लोग कैरीबियन सागर में स्थित छोटे-छोटे सैकड़ों द्वीपसमूहों (जिन्हें आज 'बहामा' कहा जाता है) तथा वृहत्तर ऐंटिलीज में रहते थे। 'कैरिब' नाम के एक खूखार कबीले ने उन्हें लघु ऐंटिलीज प्रदेश से खदेड़ दिया था।
- अरावाकी लोग शान्तिप्रिय थे और लड़ने की अपेक्षा बातचीत से झगड़े निपटाना अधिक पसन्द करते थे। वे कुशल नौका-निर्माता भी थे।
- अरावाकी लोग खेती, शिकार और मछली पकड़कर अपना जीवन निर्वाह करते थे।
- अरावाकी लोग खेती में मक्का, मीठे आलू और अन्य कन्दमूल तथा कसावा पैदा करते थे।
- अरावाकी लोगों में बहु-विवाह प्रथा प्रचलित थी। वे अपने वंश के बुजुर्गों के अधीन संगठित रहते थे तथा जीववादी थे।
- अरावाकी लोग सोने के गहने पहनते थे, परन्तु यूरोपवासियों की तरह सोने को उतना महत्व नहीं देते थे। यदि उन्हें कोई यूरोपीय सोने के बदले काँच के मनके देता था तो वे खुश होते थे, क्योंकि उन्हें काँच का मनका ज्यादा सुन्दर दिखाई देता था।
- अरावाकी लोगों की बुनाई की कला बहुत उन्नत थी, जिसे यूरोपीय लोग पसन्द करते थे। तुपिनांबा समुदाय के लोग दक्षिणी अमरीका के पूर्वी समुद्री तट पर और ब्राज़ील नामक पेड़ों के जंगलों में बसे हुए गाँवों में रहते थे। ब्राज़ील 'पेड़' के नाम पर ही ब्राज़ील देश का नाम पड़ा।
- तुपिनांबा लोग खेती नहीं कर सके क्योंकि इसके लिए उन्हें जंगलों को काटकर साफ करना पड़ता। वे जंगलों को काटने के लिए हंसिया, दराँती, कुल्हाड़ी आदि के बारे में नहीं जानते थे क्योंकि उनके पास लोहा नहीं था।
→ मध्य और दक्षिणी अमरीका की राज्य-व्यवस्थाएँ
- कैरीबियन और ब्राज़ील क्षेत्रों के विपरीत, मध्य अमरीका में कुछ अत्यन्त सुगठित राज्य थे।
- मक्के की उपज एज़टेक, माया और इंका जनसमुदायों की शहरीकृत सभ्यताओं का आधार बनी। इन शहरों की भव्य वास्तुकला के अवशेष आज भी पर्यटकों को प्रसन्नचित्त कर देते हैं।
→ एज़टेक जन
- 12वीं शताब्दी में एजटेक लोग उत्तर से आकर मैक्सिको की मध्यवर्ती घाटी में बस गए थे। इस घाटी का मैक्सिको नाम उन्होंने अपने देवता 'मैक्सिली' के नाम पर रखा था। यहाँ पर उन्होंने अनेक जनजातियों को परास्त करके अपने साम्राज्य का विस्तार किया। एज़टेक लोग श्रेणीबद्ध थे। राजा पृथ्वी पर सूर्य देवता का प्रतिनिधि माना जाता था। योद्धा, पुरोहित और अभिजात वर्गों को सबसे अधिक सम्मान दिया जाता था, साथ ही व्यापारियों को भी अनेक विशेषाधिकार प्राप्त थे।
- एज़टेक लोगों ने मैक्सिको झील में कृत्रिम टापू बनाए। उनके द्वारा निर्मित राजमहल और पिरामिड बहुत सुन्दर थे।
- ये लोग मक्का, फलियाँ, कुम्हड़ा, कद्दू, कसावा, आलू आदि फसलें उगाते थे।
- एज़टेक लोग इस बात का बहुत अधिक ध्यान रखते थे कि उनके सभी बच्चे स्कूल अवश्य जाएँ। कुलीन वर्ग के बच्चे कालमेकाक और अन्य बच्चे तेपोकल्ली स्कूल में पढ़ते थे।
→ माया लोग
- मैक्सिको की माया सभ्यता की ग्यारहवीं से चौदहवीं शताब्दियों के मध्य उल्लेखनीय प्रगति हुई।
- मक्के की खेती उनकी सभ्यता का मुख्य आधार थी और उनके अनेक धार्मिक क्रियाकलाप एवं उत्सव मक्का
- बोने, उगाने और काटने से जुड़े होते थे। माया लोगों के खेती करने के तरीके उन्नत और कुशलतापूर्ण थे, जिनके कारण खेतों में बहुत अधिक पैदावार होती थी।
- माया सभ्यता काल में वास्तुकला, गणित एवं खगोलविज्ञान आदि के क्षेत्र में पर्याप्त प्रगति हुई।
- माया लोगों के पास अपनी एक चित्रात्मक लिपि थी। लेकिन इस लिपि को अभी तक पूर्ण रूप से पढ़ा नहीं जा सका है।
→ पेरू के इंका लोग
- दक्षिणी अमरीकी देशों की संस्कृतियों में सबसे विशाल पेरू की क्वेचुआ या इंका लोगों की संस्कृति थी।
- इंका साम्राज्य अत्यंत केन्द्रीकृत था। राजा में ही सम्पूर्ण शक्ति निहित थी।
- इंका साम्राज्य इक्वेडोर से चिली तक 3000 मील में फैला हुआ था।
- इंका लोग उच्चकोटि के भवन निर्माता थे।
- उन्होंने पहाड़ों के बीच इक्वेडोर से चिली तक अनेक सड़कें बनाई थीं। इनके किले शिलापट्टियों को इतनी बारीकी से तराशकर बनाये जाते थे कि उन्हें जोड़ने के लिए गारे जैसी सामग्री की आवश्यकता नहीं होती थी।
- राजमिस्त्री शिलाखण्डों को सुन्दर रूप देने के लिए शल्क पद्धति (फ्लेकिंग) का प्रयोग करते थे जो प्रभावकारी होने के साथ-साथ सरल भी होती थी। इंका सभ्यता का आधार कृषि था। उनकी अपनी भूमि उपजाऊ न होने के कारण पहाड़ी इलाकों में उन्होंने सीढ़ीदार खेत बनाए और जल-निकासी तथा सिंचाई की प्रणालियों का विकास किया।
- उनकी बुनाई और मिट्टी के बर्तन बनाने की कला उच्चकोटि की थी।
- उन्होंने लेखन की किसी प्रणाली का विकास नहीं किया था किन्तु उनके पास हिसाब लगाने की एक प्रणाली थी जिसे 'क्विपु' कहते थे अर्थात् डोरियों पर गाँठें लगाकर गणितीय इकाइयों का हिसाब रखना।
→ यूरोपवासियों की खोज यात्राएँ
- 15वीं शताब्दी में खोज यात्राओं में आइबेरियाई प्रायद्वीप अर्थात् स्पेन और पुर्तगाल के लोग सबसे आगे रहे।
- माना जाता है कि पहले भी चीनी, अरबी, भारतीय यात्री और प्रशान्त द्वीप समूहों के नाविक अपने समुद्री जलयानों में बैठकर बड़े-बड़े महासागरों के आर-पार जा चुके थे।
- स्पेन और पुर्तगाल के शासक आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक कारणों से समुद्री यात्राओं के लिए प्रेरित हुए।
- ये देश सोने, चाँदी और मसालों की खोज में नए-नए प्रदेशों में जाने की योजना बनाने लगे।
- 1453 ई. में तुर्कों द्वारा कुस्तुनतुनिया की विजय के पश्चात् यूरोपियों के लिए विदेशों से व्यापार करना और अधिक कठिन हो गया।
- बाहरी दुनिया के लोगों को ईसाई बनाने की सम्भावना ने भी यूरोप के धर्मपरायण ईसाइयों को इन समुद्री यात्राओं के लिए प्रेरित किया।
- पुर्तगाल के राजकुमार हेनरी जो 'नाविक' के नाम से प्रसिद्ध था, ने पश्चिम अफ्रीका की तटीय यात्रा आयोजित की और 1415 ई. में सिउटा पर आक्रमण कर दिया।
- बाद में कई और अभियानों के पश्चात् पुर्तगालियों ने अफ्रीका के बोजाडोर अन्तरीप में अपना व्यापारिक केन्द्र स्थापित कर लिया तथा अफ्रीकियों को बड़ी संख्या में गुलाम बना लिया गया।
- स्पेन में, आर्थिक कारणों ने लोगों को 'महासागरीय शूरवीर' बनने के लिए प्रोत्साहित किया।
- 'कैपिटुलैसियोन' नामक इकरारनामों के अन्तर्गत स्पेन का शासक नये विजित प्रदेशों पर अपनी प्रभुसत्ता स्थापित कर लेता था।
→ अटलांटिक पारगमन
- क्रिस्टोफर कोलम्बस (1451-1506 ई.) एक स्वयं शिक्षित व्यक्ति था, लेकिन उसमें साहसिक कार्य करने और नाम कमाने की उत्कट इच्छा थी। वह कार्डिनल पिएर डिऐली द्वारा 1410 ई. में लिखित (खगोल शास्त्र और भूगोल की) पुस्तक 'इमगो मुंडी' से प्रेरित हुआ।
- स्पेन के प्राधिकारियों के सौजन्य से क्रिस्टोफर कोलम्बस अपनी समुद्री खोज-यात्रा (अटलांटिक यात्रा) के अभियान पर 3 अगस्त 1492 को पालोस के पत्तन से जहाज़ द्वारा रवाना हुआ।
- 12 अक्टूबर, 1492 ई. को अपनी लम्बी यात्रा के बाद कोलम्बस जिस तट पर पहुँचा। उसे उसने भारत समझा किन्तु वह स्थान बहामा द्वीप समूह का गुआनाहानि द्वीप था। इस द्वीप समूह को कोलम्बस ने बहामा नाम इसलिए दिया था क्योंकि वह चारों ओर से छिछले समुद्र जिसे स्पेनिश भाषा में बाजा मार कहते हैं, से घिरा हुआ था।
- गुआनाहानि में इस बेड़े के नाविकों का अरावाक लोगों ने स्वागत किया। अरावाक लोग शान्तिप्रिय थे। अतः उन्होंने मित्रता का हाथ बढ़ाया।
- कोलम्बस ने गुआनाहानि में स्पेन का झंडा स्थापित कर दिया। उसने इस द्वीप का नया नाम सैन सैल्वाडोर रखा और अपने आपको वहाँ का वाइसराय घोषित कर दिया।
- आगे चलकर तीन और यात्राएँ आयोजित की गईं, जिनमें कोलम्बस ने बहामा और वृहत्तर ऐंटिलीज द्वीपों, दक्षिणी अमरीका की मुख्य भूमि और उसके तटवर्ती इलाकों में अपना खोज-कार्य पूरा किया।
- परवर्ती यात्राओं से यह पता चला कि इन स्पेनी नाविकों ने इंडीज (भारत और उसके पूर्वी देश) नहीं बल्कि एक नया महाद्वीप (अमरीका) ही खोज निकाला था।
- कोलम्बस द्वारा खोजे गये दो महाद्वीपों उत्तरी और दक्षिणी अमरीका का नामकरण फ्लोरेंस (इटली) के भूगोलवेत्ता 'अमेरिगो वेस्पुस्सी' के नाम पर किया गया, जिसने उन्हें 'नई दुनिया' के नाम से सम्बोधित किया था।
→ अमरीका में स्पेन के साम्राज्य की स्थापना
- अमरीका में स्पेनी साम्राज्य का विस्तार बारूद और घोड़ों के प्रयोग पर आधारित सैन्य-शक्ति के आधार पर हुआ।
- सोना प्राप्ति के लालच में स्पेनी लोगों ने अमरीका में बस्तियाँ बसाकर स्थानीय लोगों पर अत्याचार किए।
- इसी दौरान वहाँ चेचक की महामारी फैल गई। स्थानीय लोग मानते थे कि यह बीमारी स्पेनियों द्वारा चलाई जाने वाली 'अदृश्य' गोलियाँ थीं।
- आधी शताब्दी के भीतर ही स्पेनवासियों ने 40 डिग्री उत्तरी अक्षांश से 40 डिग्री दक्षिणी अक्षांश तक के क्षेत्र को खोज-खोजकर बिना किसी चुनौती के उस पर अपना अधिकार कर लिया।
- स्पेन के दो योद्धाओं—हरमन कोर्टेस व फ्रांसिस्को पिज़ारो ने दो बड़े साम्राज्यों को विजित कर स्पेन के नियंत्रण में ला दिया था।
→ कोर्टेस और एज़टेक लोग
- हरमन कोर्टेस और उसके सैनिकों को जिन्हें 'कोक्विस्टोडोर' कहा जाता था, मैक्सिको को जीतने में दो वर्ष का समय लगा।
- 1519 में कोर्टेस सबसे पहले क्यूबा से मैक्सिको आया जहाँ उसने टॉटानैक समुदाय से मित्रता कर ली। उस समय एज़टेक शासक मोंटेजुमा था और टॉटानैक लोग एज़टेक शासन से अलग होना चाहते थे।
- स्पेनी सैनिकों ने ट्लैक्सकलानों पर आक्रमण किया। ट्लैक्सकलान खूखार लड़ाकू थे, जिन्होंने जबदस्त प्रतिरोध किया। परन्तु अन्ततः समर्पण कर दिया।
- उसके बाद वे टेनोक्टिटलान की ओर बढ़े जहाँ वे 8 नवम्बर, 1519 को पहुँच गये। टेनोक्टिटलान स्पेन के सबसे बड़े शहर सेविली से दो गुना अधिक जनसंख्या (लगभग 1 लाख) वाला था।
- एजटेक शासक मोंटेजुमा ने कोर्टेस का हार्दिक स्वागत किया किन्तु कोर्टेस ने सम्राट को नजरबन्द कर दिया और स्वयं उसके नाम से शासन चलाने लगा।
- कोर्टेस को अपने सहायक ऐल्वारैडो को सब कुछ सौंपकर क्यूबा लौटना पड़ा। जिसने जनता के विद्रोह को दबाने के लिए हुइजिलपोक्टली के वसन्तोत्सव में कत्लेआम का आदेश दे दिया।
- कोर्टेस ने मोंटेजुमा की मृत्यु के पश्चात् नवनिर्वाचित राजा क्वेटेमोक के विरुद्ध रणनीति बनाने के लिए ट्लैक्सकलान में शरण ली। इसी समय एज़टेक लोग यूरोपीय लोगों के साथ आई चेचक के प्रकोप से मर रहे थे।
- कोर्टेस ने आखिरी लड़ाई में 180 सैनिकों और 30 घोड़ों के साथ टेनोक्टिटलान पर आक्रमण किया और अन्ततः मैक्सिको जीत लिया।
- कोर्टेस मैक्सिको में 'न्यू स्पेन' का कैप्टेन जनरल बन गया। उसे चार्ल्स पंचम ने अनेक सम्मानों से विभूषित किया।
- मैक्सिको से स्पेनियों ने अपना नियंत्रण ग्वातेमाला, निकारगुआ और होंडुरास पर भी स्थापित कर लिया।
→ पिज़ारो और इंका लोग
- पिज़ारो एक निर्धन और निरक्षर व्यक्ति था। वह 1502 ई. में सेना में भर्ती होकर कैरीबियन द्वीप समूह में आया था।
- पिज़ारो ने कहानियों में सुन रखा था कि इंका राज्य चाँदी और सोने का देश है। जब पिज़ारो कैरीबियन द्वीप समूह की यात्रा से वापिस स्पेन आया तो उसने स्पेन के राजा को इंका राज्य के बारे में बताया, जिसे सुनकर राजा के मन में लोभ जाग्रत हो गया।
- अतः स्पेन के राजा ने पिज़ारो को इंका राज्य पर विजय प्राप्त करने हेतु भेजा।
- 1532 ई. में अताहुआल्पा ने एक गृहयुद्ध के बाद इंका साम्राज्य का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया।
- इसी समय पिज़ारो इंका साम्राज्य में आया था और उसने धोखे से राजा को बन्दी बना लिया।
- राजा अताहुआल्पा ने अपने आपको मुक्त कराने के लिए पिज़ारो को एक कमरा भर सोना फिरौती में देने का प्रस्ताव किया। आज तक के इतिहास में इतनी बड़ी फिरौती किसी को नहीं मिली थी किन्तु पिज़ारो ने वचन न निभाकर राजा की हत्या कर दी।
- 1534 ई. में इंका साम्राज्य में विद्रोह भड़क उठा, जो दो वर्ष तक चलता रहा जिसमें हजारों लोग युद्ध और महामारियों से मारे गये। अन्ततः पिज़ारो का इंका साम्राज्य पर आधिपत्य हो गया।
- अगले 5 वर्षों में स्पेनियों ने पोटोसी (वर्तमान बोलीविया) की खानों में चाँदी के विशाल भण्डारों का पता लगा लिया और उन खानों में काम करने के लिए इंका लोगों को गुलाम बना लिया।
→ कैब्राल और ब्राज़ील
- 1500 ई. में पुर्तगाल निवासी पेड्रो अल्वारिस कैब्राल जहाजों का एक शानदार जुलूस लेकर भारत के लिए रवाना हुआ किन्तु समुद्री तूफानों से बचने के लिए उसने पश्चिमी अफ्रीका का एक बड़ा चक्कर लगाया और ब्राज़ील के समुद्र तट पर पहुँच गया।
- इस प्रकार ब्राज़ील पर पुर्तगाली नियंत्रण अचानक ही हुआ। इस प्रदेश में 'ब्राज़ीलवुड' वृक्ष बहुतायत से मिलता था, इसी के नाम पर यूरोपवासियों ने इसका नाम 'ब्राज़ील' रख दिया।
- ब्राज़ील के मूल निवासी लोहे के चाकू-छुरियों और आरियों को अद्भुत वस्तु मानते थे। अत: वे इन वस्तुओं के बदले में वे अपनी कीमती वस्तुओं को देने को तैयार हो जाते थे।
- इमारती लकड़ी के व्यापार के कारण पुर्तगाली व फ्रांसीसी व्यापारियों में भयंकर संघर्ष हुए, जिसमें पुर्तगालियों की विजय हुई।
- 1540 ई. से पुर्तगालियों ने बड़े-बड़े बागानों में गन्ना उगाना और चीनी बनाने के लिए मिलें चलाना शुरू कर दिया। यह चीनी यूरोपीय बाजारों में बेची जाती थी।
- 1549 ई. में ब्राज़ील में पुर्तगाली राज्य के अधीन एक औपचारिक सरकार की स्थापना की गयी और बहिया/सैल्वाडोर को उसकी राजधानी बनाया गया।
→ विजय, उपनिवेश और दास व्यापार
- अमरीका की खोज के यूरोपवासियों के लिए दीर्घकालीन परिणाम निकले। सोने-चाँदी की बाढ़ ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार और औद्योगीकरण का और अधिक विस्तार कर दिया।
- इन खोजों का लाभ स्पेन और पुर्तगाल की अपेक्षा अटलांटिक महासागर के किनारे स्थित इंग्लैण्ड, फ्रांस, बेल्जियम और हॉलैण्ड जैसे देशों को अधिक मिला।
- यूरोपवासियों को नई दुनिया में पैदा होने वाली नयी-नयी चीजों, जैसे—तम्बाकू, आलू, गन्ने की चीनी, ककाओ, लाल मिर्च और रबड़ आदि से परिचय इन खोजों ने कराया।
- 1601 ई. में स्पेन के फिलिप द्वितीय ने सार्वजनिक रूप से 'बेगार प्रथा' पर रोक लगा दी थी, किन्तु उसके ही एक गुप्त आदेश से यह प्रथा जारी रही।
- सोने की खानों में काम करने के लिए श्रम की माँग बनी हुई थी। इसलिए अफ्रीका से गुलाम लोगों को मँगाकर अमरीकी महाद्वीप में भेजा गया। कहा जाता है कि ब्राज़ील में 36 लाख से अधिक अफ़्रीकी गुलामों का आयात किया गया था।
→ उपसंहार
- 1776 ई. में 13 उत्तरी अमरीकी उपनिवेशों ने ब्रिटेन के विरुद्ध विद्रोह करके संयुक्त राज्य अमरीका का निर्माण कर लिया।
- दक्षिणी अमरीका को आज ‘लैटिन अमरीका' भी कहा जाता है क्योंकि स्पेनी और पुर्तगाली दोनों भाषाएँ लैटिन भाषा परिवार की ही हैं।
- वहाँ के निवासी अधिकतर देशज यूरोपीय (जिन्हें क्रिओल कहा जाता था), यूरोपीय और अफ्रीकी मूल के हैं। इनमें से अधिकांश लोग कैथोलिक धर्म को मानने वाले हैं।
→ अध्याय में दी गईं महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ।
तिथि/वर्ष
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सम्बन्धित घटनाएँ
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1139 ई.
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पुर्तगाल, स्पेन से अलग होकर स्वतंत्र राज्य के रूप में स्थापित।
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1380 ई.
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कुतुबनुमा अर्थात् दिशासूचक यंत्र का आविष्कार हुआ।
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1415 ई.
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पुर्तगाल के राजकुमार हेनरी ने पश्चिमी अफ्रीका की तटीय यात्रा आयोजित कर सिउटा पर आक्रमण किया। तुर्कों द्वारा कुस्तुनतुनिया पर विजय।
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1477 ई.
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टॉलेमी की 'ज्योग्राफी' नामक पुस्तक का प्रकाशन (जिसे 1300 वर्ष पहले लिखा गया था)।
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1492 ई.
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कोलम्बस ने बहामा द्वीप समूह पहुँचकर स्पेन की दावेदारी प्रस्तुत की।
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1494 ई.
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'अनखोजी दुनिया' का पुर्तगाल और स्पेन के बीच बँटवारा हुआ।
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1497 ई.
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एक अंग्रेज यात्री जॉन कैबोट ने उत्तरी अमरीका के समुद्र तट की खोज की।
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1498 ई.
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वास्कोडिगामा कालीकट/कोझीकोड (भारत) पहुँचा।
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1499 ई.
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फ्लोरेंस (इटली) के भूगोलवेत्ता अमेरिगो वेस्पुस्सी ने दक्षिणी अमरीका के समुद्र तट को देखा।
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1500 ई.
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पुर्तगाल निवासी पेड्रो अल्वारिस कैब्राल ने ब्राज़ील पर पुर्तगाल की दावेदारी प्रस्तुत की।
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1513 ई.
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बालबोआ ने पनामा इस्थुमस को पार किया तथा प्रशान्त महासागर को देखा।
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1519 ई.
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कोर्टेस क्यूबा से मैक्सिको आया।
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1521 ई.
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स्पेन निवासी कोर्टेस ने एज़टेक लोगों को हराया।
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1522 ई.
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स्पेनवासी मैगेलन ने जहाज़ में बैठकर पृथ्वी का चक्कर लगाया।
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1532 ई.
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स्पेनवासी फ्रांसिस्को पिज़ारो ने इंका राज्य पर विजय प्राप्त की।
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1571 ई.
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स्पेन के सैनिकों ने फिलिपीन्स पर विजय प्राप्त की।
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1600 ई.
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ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना हुई।
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1601 ई.
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स्पेन के राजा फिलिप द्वितीय ने सार्वजनिक रूप से बेगार प्रथा पर रोक लगाई।
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1602 ई.
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डच ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना हुई।
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1776 ई.
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13 उत्तरी अमरीकी उपनिवेशों द्वारा ब्रिटेन के विरुद्ध विद्रोह करके संयुक्त राज्य अमरीका का निर्माण करना।
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1911 ई.
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इंकाई शहर माचू पिच्चू की पुनः खोज की गयी।
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→ रोजनामचा-जो यूरोपवासी अमरीका की यात्राओं पर गए वे अपने साथ कुछ डायरियाँ रखते थे, जिनमें वे अपनी यात्राओं का दैनिक विवरण लिखते थे। उन्हें रोजनामचा कहा जाता था।
→ हैमक-अरावाक लोगों में बुनाई की कला बहुत विकसित थी। इनमें उनके द्वारा बनाए गए झूले भी थे, जिन्हें यूरोपीय लोग बहुत पसन्द करते थे। ये झूले 'हैमक' कहलाते थे।
→ ब्राज़ील-तुपिनांबा, कहे जाने वाले लोग दक्षिण अमरीका के पूर्वी समुद्र तट पर और ब्राज़ीलवुड नामक पेड़ों के जंगलों में बसे हुए गाँवों में रहते थे। इसी ब्राज़ीलवुड वृक्षों के नाम पर ही ब्राज़ील देश का नामकरण हुआ।
→ मेक्सिली-12वीं शताब्दी में एज़टेक लोग उत्तर में आकर मध्यवर्ती घाटी में बस गये। इसका नामकरण उन्होंने अपने मेक्सिली नामक देवता के नाम पर किया, जो आज मैक्सिको देश है।
→ चिनाम्पा-एज़टेक लोगों ने सरकंडे की बहुत-सी चटाइयाँ बुनकर और उन्हें मिट्टी तथा पत्तों से ढंककर मैक्सिको झील में कृत्रिम टापू बनाये, जिन्हें चिनाम्पा कहा जाता था।
→ कालमेकाक-एज़टेक समाज के कुलीन (अभिजात) वर्ग के बच्चों के विद्यालयों को कालमेकाक कहा जाता था। यहाँ उन्हें सेना में अधिकारी और धार्मिक नेता बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था।
→ तेपोकल्ली-एज़टेक समाज में अभिजात वर्ग को छोड़कर अन्य लोगों के बच्चे इन्हीं विद्यालयों में पढ़ते थे।
→ क्विपु-पेरू के इंका लोग डोरियों पर गाँठ लगाकर गणितीय इकाइयों का हिसाब लगाते थे। इन डोरियों की गाँठों को क्विपु कहते थे।
→ सृष्टिशास्त्र-सृष्टिशास्त्र विश्व का मानचित्र तैयार करने का विज्ञान था। इसमें स्वर्ग और पृथ्वी दोनों का वर्णन किया जाता था। लेकिन इसे भूगोल और खगोलशास्त्र से अलग शास्त्र माना जाता था।
→ रीकांक्विस्टा-रीकांक्विस्टा या पुनर्विजय ईसाई राजाओं द्वारा आइबेरियन प्रायद्वीप (स्पेन और पुर्तगाल) पर प्राप्त की गई सैनिक विजय थी। जिसके द्वारा इन राजाओं ने 1492 ई. में इस प्रायद्वीप को अरबों के नियंत्रण से मुक्त करा लिया था।
→ कैपिटुलैसियोन-यह वे इकरारनामे थे, जिनकी शुरुआत धर्मयुद्ध की याद में निजी महत्वाकांक्षाओं के कारण हुई थी। इन इकरारनामों के तहत स्पेन का शासन नए जीते हुए क्षेत्रों पर अपनी प्रभुसत्ता स्थापित कर लेता था और जीतने वाले अभियानों के नेताओं को पुरस्कार के रूप में पदवियाँ व जीते गए देशों पर शासनाधिकार देता था।
→ नाओ-स्पेनिश भाषा में नाओ शब्द का अर्थ 'भारी जहाज' है। यह शब्द अरबी से स्पेनिश भाषा में आया है।
→ बहामा-यहाँ कोलम्बस 1492 ई. में पहुँचा था। उसने इसका नामकरण इसके चारों ओर छिछले समुद्र से घिरे होने के कारण 'बहामा' किया था। इसे स्पेनिश भाषा में बाजा मार भी कहते हैं।
→ वाइसराय-इसका अर्थ है-राजा के स्थान पर अर्थात् उसका स्थानापन्न व्यक्ति या प्रतिनिधि।
→ अमरीका-उत्तरी अमरीका और दक्षिणी अमरीका/अमेरिका, दोनों महाद्वीपों के लिए प्रयुक्त शब्द। इसका नामकरण फ्लोरेंस (इटली) के भूगोलवेत्ता (अमेरिगो वेस्पुस्सी) के नाम पर किया गया।
→ कोंक्विस्टोडोर-स्पेन के हरमन कोर्टेस और उसके सैनिकों, जिन्होंने एज़टेक लोग और उनके क्षेत्रों पर आधिपत्य प्राप्त किया था, को कोक्विस्टोडोर कहा जाता था।
→ मालिंच-मैक्सिकन लोगों द्वारा डोना मैरीना के लिए प्रयुक्त नाम, इसका अर्थ-विश्वासघातिनी है। डोना मैरीना को टैबैस्को के लोगों ने कार्टेस की सहायिका बनाया था।
→ मालिचिंस्टा-वह व्यक्ति जो दूसरों की भाषा व वस्त्रों की ज्यों की त्यों नकल करता है।
→ पूँजीवादी प्रणाली-वह प्रणाली जिसमें उत्पादन व वितरण के साधनों पर निजी व्यक्तियों अथवा निगमों का स्वामित्व होता है तथा यहाँ प्रतियोगी खुले बाजार में भाग लेते हैं।
→ लैटिन अमरीका-दक्षिणी अमरीका महाद्वीप के देशों के लिए वर्तमान में प्रयुक्त एक सामान्य नाम लैटिन अमरीका भी है।
→ क्रिस्टोफर कोलम्बस-इटली का निवासी, यह 12 अक्टूबर, 1492 को बहामा द्वीप के गुआनाहानि द्वीप पर पहुँचा। इसने इस द्वीप का नाम बदलकर सैन सैल्वाडोर रखा तथा स्वयं उसका वाइसराय बन गया।
→ मैंको कपाक-प्रथम इंका शासक, इसने कुज़को में अपनी राजधानी स्थापित की थी।
→ कार्डिनल पिएर डिऐली-एक लेखक, इन्होंने 1410 ई. में खगोलशास्त्र व भूगोल पर इमगो मुंडी नामक पुस्तक लिखी जिससे कोलम्बस बहुत प्रभावित हुआ।
→ अमेरिगो वेस्पुस्सी-फ़्लोरेंस (इटली) का भूगोलवेत्ता, इसी के नाम पर उत्तरी व दक्षिणी अमरीका महाद्वीपों का नामकरण हुआ था।
→ बार्टोलोम डि लास कैसास-एक कैथोलिक भिक्षु। यह स्पेनी विजेताओं का कठोर आलोचक था। इसने कहा है कि स्पेनी उपनिवेशक प्रायः अपनी तलवारों की धार अरावाक लोगों के नंगे बदन पर आजमाते थे।
→ हरमन कोर्टेस-एक स्पेनी योद्धा जिसने एज़टेक लोगों पर विजय प्राप्त की थी।
→ डोना मैरीना-कोर्टेस की सहायिका, तीन भाषाओं की ज्ञाता, इसने कोर्टेस के लिए दुभाषिए का कार्य किया था।
→ फ्रांसिस्को पिजारो-स्पेनी योद्धा जिसने इंका लोगों पर विजय प्राप्त की थी।
→ पेड्रो अल्वारिस कैब्राल-एक पुर्तगाली, जिसने ब्राज़ील पर पुर्तगालियों का अधिकार स्थापित किया।