These comprehensive RBSE Class 11 History Notes Chapter 7 बदलती हुई सांस्कृतिक परंपराएँ will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 11 History Chapter 7 Notes बदलती हुई सांस्कृतिक परंपराएँ
→ परिचय
- 14वीं शताब्दी से 17वीं शताब्दी तक यूरोप के अनेक देशों में नगरों की संख्या में वृद्धि होने के साथ-साथ एक विशेष प्रकार की 'नगरीय संस्कृति' का विकास हुआ।
- इटली के फ्लोरेंस, वेनिस और रोम आदि नगर कला और विद्या के केन्द्र बन गए थे।
- नगरों को राजाओं एवं चर्च से थोड़ी-बहुत स्वायत्तता मिल गई थी।
- चौदहवीं सदी से यूरोपीय इतिहास की जानकारी के लिए पर्याप्त सामग्री दस्तावेजों, मुद्रित पुस्तकों, चित्रों, मूर्तियों, भवनों और वस्त्रों आदि से प्राप्त होती है, जो यूरोप और अमरीका के अभिलेखागार, कला-चित्रशालाओं तथा संग्रहालयों में सुरक्षित रखी हुई हैं।
- उन्नीसवीं शताब्दी के इतिहासकारों ने रेनेसाँ अर्थात् पुनर्जागरण शब्द का प्रयोग उस काल के सांस्कृतिक परिवर्तनों के लिए किया। रेनेसी पर स्विट्ज़रलैंड के ब्रेसले विश्वविद्यालय के इतिहासकार जैकब बर्कहार्ट ने बहुत अधिक बल दिया था। वह जर्मन इतिहासकार लियो पोल्ड वॉन रांके के शिष्य थे।
- सन् 1860 ई. में जैकब बर्कहार्ट ने अपनी पुस्तक 'दि सिविलाइजेशन ऑफ दि रेनेसाँ इन इटली' में लिखा है कि मानवतावादी संस्कृति इस धारणा पर आधारित है कि व्यक्ति अपने बारे में स्वयं निर्णय लेने व अपनी दक्षता को आगे बढ़ान में समर्थ है।
→ इटली के नगरों का पुनरुत्थान
- पश्चिमी रोमन साम्राज्य के पतन के बाद इटली के राजनीतिक और सांस्कृतिक केन्द्रों का विनाश हो गया।
- पश्चिमी यूरोप के क्षेत्र, सामंती संबंधों के कारण नया रूप ले रहे थे और लातिनी चर्च के नेतृत्व में उनका एकीकरण हो रहा था।
- पूर्वी यूरोप बाइजेंटाइन साम्राज्य के शासन में बदल रहा था। साथ ही पश्चिम में इस्लाम एक साझी सभ्यता का निर्माण कर रहा था।
- उस समय इटली एक कमजोर देश था और अनेक टुकड़ों में बँटा हुआ था।
- बाइजेंटाइन साम्राज्य और इस्लामी देशों के बीच व्यापार के बढ़ने से इटली के तटवर्ती बन्दरगाह पुनर्जीवित हो गए।
- बारहवीं शताब्दी से जब मंगोलों ने चीन के साथ रेशम मार्ग से व्यापार प्रारम्भ किया तो इसके कारण पश्चिमी यूरोपीय देशों के व्यापार को बढ़ावा मिला। इसमें इटली के नगरों ने मुख्य भूमिका निभाई।
- रेशम-मार्ग की खोज से अब इटली के नगर अपने को एक शक्तिशाली साम्राज्य के अंग के रूप में नहीं बल्कि स्वतन्त्र नगर-राज्यों के समूह के रूप में देखते थे।
- इटली के सर्वाधिक प्रसिद्ध नगर वेनिस और जिनेवा थे। यहाँ के धनी व्यापारी और अभिजात वर्ग के लोग शासन में सक्रिय रूप से भाग लेते थे, जिससे नागरिकता की भावना पनपने लगी।
→ विश्वविद्यालय और मानवतावाद
- यूरोप में सबसे पहले विश्वविद्यालय इटली के शहरों में स्थापित हुए। 11वीं शताब्दी से पादुआ और बोलोनिया विश्वविद्यालय विधिशास्त्र के अध्ययन केन्द्र रहे, क्योंकि इन नगरों में प्रमुख क्रियाकलाप व्यापार और वाणिज्य सम्बन्धी थे इसलिए वकील और नोटरी की बहुत अधिक आवश्यकता पड़ती थी।
- कानून के अध्ययन में एक बदलाव आया कि इसे रोमन संस्कृति के सन्दर्भ में पढ़ा जाने लगा। फ्रांचेस्को पेट्रार्क (1304-1378) इस परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करते हैं। उसने इस बात पर जोर दिया कि प्राचीन यूनानी और रोमन लेखकों की रचनाओं का बहुत अच्छी तरह से अध्ययन किया जाना चाहिए।
- पन्द्रहवीं शताब्दी के प्रारम्भ में मानवतावादी शब्द उन शिक्षकों के लिए प्रयुक्त होता था जो व्याकरण, अलंकारशास्त्र, कविता, इतिहास और नीतिशास्त्र विषय पढ़ाते थे। ये विषय धार्मिक नहीं थे वरन् उस कौशल पर बल देते थे जो व्यक्ति चर्चा और वाद-विवाद से विकसित करता है। इन क्रांतिकारी विचारों ने अनेक विश्वविद्यालयों का ध्यान आकर्षित किया।
- फ्लोरेंस धीरे-धीरे एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय बन गया। यह इटली के सबसे जीवंत बौद्धिक नगर के रूप में जाना जाने लगा।
- फ्लोरेंस नगर दांते अलिगहियरी (लेखक) एवं जोटो (कलाकार) के कारण सर्वाधिक प्रसिद्ध हुआ।
- • रेनेसाँ व्यक्ति शब्द का प्रयोग प्रायः उस मनुष्य के लिए किया जाता है जिसकी अनेक रुचियाँ हों और अनेक कलाओं में उसे निपुणता प्राप्त हो।
→ इतिहास का मानवतावादी दृष्टिकोण
- मानवतावादी मानते थे कि रोमन साम्राज्य के पतन के बाद अन्धकार युग प्रारम्भ हो गया। उनकी ही भाँति बाद के विद्वानों ने बिना कोई प्रश्न किए यह मान लिया कि यूरोप में 14वीं शताब्दी के बाद 'नये युग' का जन्म हुआ।
- मानवतावादियों का तर्क था कि मध्य युग में चर्च ने उन लोगों की सोच को इस तरह जकड़ रखा था कि यूनान और रोमवासियों का समस्त ज्ञान उनके मन-मस्तिष्क से निकल चुका था।
- मानवतावादियों ने 'आधुनिक' शब्द का प्रयोग पन्द्रहवीं शताब्दी से प्रारम्भ होने वाले काल के लिए किया।
→ विज्ञान और दर्शन : अरबियों का योगदान
- मध्यकाल में ईसाई चर्चों और मठों के विद्वान यूनानी और रोमन विद्वानों की कृतियों से परिचित थे परन्तु इन्होंने इन रचनाओं का प्रसार-प्रचार नहीं किया।
- चौदहवीं शताब्दी में अनेक विद्वानों ने प्लेटो और अरस्तू के ग्रन्थों के अनुवादों को पढ़ना शुरू किया। इसके लिए वे यूरोपीय विद्वानों के नहीं वरन् अरबी अनुवादकों के ऋणी थे जिन्होंने अतीत की पांडुलिपियों का संरक्षण व अनुवाद बड़ी सावधानी के साथ किया था।
- अरबी भाषा में प्लेटो को 'अफलातून' और एरिसटोटिल को 'अरस्तू' के नाम से जाना जाता था। टॉलेमी के अलमजेस्ट के अरबी अनुवाद में उपपद 'अल' का उल्लेख है जो कि यूनानी और अरबी भाषा के मध्य स्थापित रहे सम्बन्धों को दर्शाता है।
- मुसलमान लेखकों, जिन्हें इटली में ज्ञानी माना जाता था; जैसे-अरबी के हकीम और मध्य एशिया के दार्शनिक 'इब्न-सिना' तथा आयुर्विज्ञान विश्वकोष के लेखक 'अल राजी'।
- स्पेन के अरबी दार्शनिक इब्न रूश्द ने दार्शनिक ज्ञान और धार्मिक विश्वासों के मध्य रहे तनावों को दूर करने की कोशिश की थी।
- मानवतावादी अपनी बात को लोगों तक तरह-तरह से पहुँचाने लगे। यद्यपि विश्वविद्यालयों में कानून, आयुर्विज्ञान और धर्मशास्त्र का दबदबा रहा, फिर भी मानवतावादी विषय धीरे-धीरे स्कूलों में पढ़ाया जाने लगा।
→ कलाकार और यथार्थवाद
- मानवतावादी विचारों को फैलाने में औपचारिक शिक्षा के अतिरिक्त कला, वास्तुकला और ग्रन्थों ने भी सहयोग प्रदान किया।
- रोमन साम्राज्य के पतन के हजारों वर्ष बाद भी प्राचीन रोम और उजड़े नगरों के खण्डहरों से कलात्मक मूर्तियाँ प्राप्त हुई थीं, जिनका अध्ययन किया गया।
- 1416 ई. में दोनातल्लो ने सजीव मूर्तियाँ बनाकर एक नयी परम्परा स्थपित की, जिससे प्रेरणा लेकर कलाकारों द्वारा हूबहू मूल आकृति जैसी मूर्तियों को बनाया जा सकता था।।
- बेल्जियम मूल के आन्ड्रीयस वेसेलियस पादुआ विश्वविद्यालय में आयुर्विज्ञान के प्राध्यापक थे और वे पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने सूक्ष्म परीक्षण के लिए मनुष्य के शरीर की चीर-फाड़ की तथा शरीर-क्रिया विज्ञान की शुरुआत की।
- लियोनार्डो द विंची एक चर्चित कलाकार था। इसकी अभिरुचि वनस्पति विज्ञान, शरीर रचना विज्ञान से लेकर गणितशास्त्र और कला तक विस्तृत थी। उसने ही 'मोनालिसा' और 'द लास्ट सपर' जैसे विश्व प्रसिद्ध चित्रों का निर्माण किया।
- इटली के चित्रकारों ने मूर्तिकारों की तरह यथार्थ चित्र बनाने की कोशिश की।
- शरीर रचना विज्ञान, रेखागणित, भौतिकी और सौन्दर्य की उत्कृष्ट भावना ने इटली की कला को नया रूप दिया,
- जिसे बाद में यथार्थवाद कहा गया। यथार्थवाद की यह परंपरा उन्नीसवीं शताब्दी तक चलती रही।
→ वास्तुकला
- पुरातत्वविदों द्वारा रोम नगर के अवशेषों का उत्खनन किया गया। इसने वास्तुकला की एक नई शैली को प्रोत्साहित किया, जिसे अब 'शास्त्रीय' शैली कहा जाता है।
- इटली में चित्रकारों और शिल्पकारों ने भवनों को लेप-चित्रों, मूर्तियों और उभरे चित्रों से सुसज्जित किया।
- माईकल एंजेलो बुआनारोत्तो एक कुशल चित्रकार, मूर्तिकार एवं वास्तुकार था। उसने पोप के सिस्टीन चैपल भीतरी छत में लेप-चित्र, 'दि पाइटा' नामक प्रतिमा और सेंट पीटर गिरजे के गुम्बद का डिजाइन बनाया।
→ प्रथम मुद्रित पुस्तकें
- 1455 ई. में जर्मन मूल के जोहानेस गुटेनबर्ग ने पहले छापेखाने का निर्माण किया। इनके छापेखाने में 1455 ई. में सर्वप्रथम बाइबिल की 150 प्रतियाँ छापी गईं।
- छापेखाने के आविष्कार से अब नये विचारों का प्रचार-प्रसार करने वाली एक मुद्रित पुस्तक सैकड़ों पाठकों के पास शीघ्रता से पहुँच सकती थी।
- पन्द्रहवीं शताब्दी तक अनेक क्लासिकी ग्रन्थों का मुद्रण इटली में हुआ था।
- छपी हुई पुस्तकों के विवरण के कारण ही पन्द्रहवीं शताब्दी के अन्त तक इटली की मानवतावादी संस्कृति का आल्पस पर्वत के पार तीव्र गति से प्रसार हुआ था।
→ मनुष्य की एक नयी संकल्पना
- मानवतावादी संस्कृति की एक विशेषता यह थी कि मानव जीवन पर धर्म का नियन्त्रण कमजोर होने लगा था।
- मानवतावाद में अच्छे व्यवहार, विनम्रता से बोलने, पहनावे और मानसिक दक्षता पर अधिक बल दिया गया।
- वेनिस के मानवतावादी विचारक फ्रेंचस्को बरबारो (1390-1454) ने अपनी एक पुस्तक में सम्पत्ति प्राप्त करने को एक विशेष गुण बताकर उसका समर्थन किया।
- लोरेन्ज़ो वल्ला का विश्वास था कि इतिहास का अध्ययन मनुष्य को पूर्णतया जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित करता है।
- लोरेन्ज़ो वल्ला ने अपनी पुस्तक 'ऑनप्लेज़र' में भोग-विलास पर ईसाई धर्म के द्वारा लगाई गई निषेधाज्ञा की आलोचना की थी।
→ महिलाओं की आकांक्षाएँ
- वैयक्तिकता और नागरिकता के नये विचारों से महिलाओं को दूर रखा गया।
- मध्ययुगीन यूरोप के सार्वजनिक जीवन में अभिजात और सम्पन्न परिवार के पुरुषों का प्रभुत्व था और घर-परिवार के सम्बन्ध में भी निर्णय वे ही लेते थे।
- उस समय लड़कों को शिक्षा दी जाती थी और कभी-कभी छोटे लड़कों को धार्मिक कार्य हेतु चर्च को सौंप देते थे।
- महिलाओं को अपने पति का कारोबार चलाने के सम्बन्ध में राय देने का अधिकार नहीं था।
- मध्ययुगीन यूरोपीय समाज में महिलाओं की भागीदारी बहुत सीमित थी और उन्हें घर-परिवार की देखभाल करने वाले के रूप में देखा जाता था, परन्तु व्यापारी परिवारों में स्थिति कुछ भिन्न थी। इनमें स्त्रियाँ व्यापार को पति की अनुपस्थिति में सम्भालती थीं।
- लेकिन उस काल की कुछ महिलाएँ बौद्धिक रूप से बहुत रचनात्मक थीं और मानवतावादी शिक्षा के बारे में संवेदनशील थीं।
- वेनिस निवासी एक महिला विद्वान कसान्द्रा फेदेले ने लिखा है कि प्रत्येक महिला को समस्त प्रकार की शिक्षा को प्राप्त करने की इच्छा रखनी चाहिए तथा उसे ग्रहण करना चाहिए। एक अन्य तत्कालीन प्रतिभाशाली महिला मंटुआ राज्य की 'मार्चिसा ईसाबेला दि इस्ते' थी, जिसने अपने पति की अनुपस्थिति में अपने राज्य पर शासन किया था।
→ ईसाई धर्म के अन्तर्गत वाद-विवाद
- पन्द्रहवीं और सोलहवीं शताब्दियों में उत्तरी यूरोप के विश्वविद्यालयों के अनेक विद्वान मानवतावादी विचारों की ओर आकर्षित हुए, जिनमें ईसाई चर्च के अनेक सदस्य सम्मिलित थे।
- मानवतावादी मानते थे कि मनुष्य को ईश्वर ने निर्मित किया है, किन्तु उसे अपना जीवन मुक्त रूप से चलाने की पूर्ण स्वतंत्रता भी दी है।
- मनुष्य को अपनी खुशी इसी विश्व में वर्तमान में ही ढूँढ़नी चाहिए।
- ईसाई मानवतावादी जैसे इंग्लैण्ड के टॉमस मोर और हालैण्ड के इरेस्मस का मत था कि चर्च एक लालची और लूट खसोट करने वाली संस्था बन गई है।
- पादरियों को लोगों से धन ऐंठने का सबसे सरल तरीका ‘पाप स्वीकारोक्ति' दस्तावेज था, जिसे खरीदने से समस्त पाप खत्म हो सकते थे।
- ईसाइयों के बाइबिल के स्थानीय भाषाओं में छपे अनुवाद से यह ज्ञात हो गया कि उनका धर्म इस प्रकार की प्रथाओं के प्रचलन की आज्ञा नहीं देता।
- यूरोप के प्रत्येक भाग में कृषकों ने चर्च द्वारा लगाए इस प्रकार के अनेक करों का विरोध किया था।
- 1517 ई. में एक जर्मन भिक्षु मार्टिन लूथर ने कैथोलिक चर्च के विरुद्ध अभियान चलाया। उनका तर्क था कि मनुष्य को ईश्वर से सम्पर्क स्थापित करने के लिए पादरी की आवश्यकता नहीं है। इसी आन्दोलन को 'प्रोटेस्टेंट सुधारवाद' नाम दिया गया। इसके कारण जर्मनी और स्विट्ज़रलैण्ड के चर्च ने पोप तथा कैथोलिक चर्च से अपने सम्बन्ध समाप्त कर दिए।
- लूथर ने आमूल परिवर्तनवाद का विरोध करते हुए आह्वान किया था कि जर्मन शासक समकालीन किसान विद्रोह का दमन करें।
- इंग्लैण्ड के शासकों ने पोप से सम्बन्ध समाप्त कर लिए, तत्पश्चात् इंग्लैण्ड के राजा अथवा रानी चर्च के प्रमुख बन गये।
- स्पेन और इटली के पादरियों ने सादा जीवन और निर्धनों की सेवा पर बल दिया। स्पेन में 1540 ई. में इग्नेशियस, लोयाला ने 'सोसाइटी ऑफ जीसस' नामक संस्था बनाई तथा उनके अनुयायी जेसुईट कहलाए।
→ कोपरनिकसीय क्रान्ति
- ईसाइयों की यह धारणा थी कि मनुष्य पापी है, इस धारणा पर वैज्ञानिकों ने पूर्णतया अलग दृष्टिकोण से आपत्ति की।
- ईसाइयों का यह विश्वास था कि पृथ्वी पापों से भरी हुई है और पापों की अधिकता के कारण वह स्थिर है। उनका मानना था कि पृथ्वी, ब्रह्मांड के बीच में स्थिरं है, जिसके चारों ओर खगोलीय ग्रह घूम रहे हैं।
- मार्टिन लूथर के समकालीन कोपरनिकस ने खोज करके बताया कि "पृथ्वी सहित समस्त ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं।"
- खगोलशास्त्री जोहानेस कैप्लर तथा गैलिलियो गैलिली ने अपने लेखों द्वारा स्वर्ग और पृथ्वी के अन्तर को समाप्त कर दिया।
- कैप्लर ने कोपरनिकस के सूर्य केन्द्रित सिद्धान्त को लोकप्रिय बनाया। उन्होंने यह सिद्ध किया कि समस्त ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं।
→ ब्रह्माण्ड का अध्ययन
- गैलिलियो गैलिली तथा अन्य विद्वानों ने बताया कि ज्ञान विश्वास से हटकर अवलोकन एवं प्रयोगों पर आधारित है।
- जैसे-जैसे विधि वैज्ञानिकों ने ज्ञान की खोज के रास्ते का निर्माण किया वैसे-वैसे भौतिकी, रसायन शास्त्र एवं जीव विज्ञान के क्षेत्र में अनेक प्रयोग व खोज कार्य तीव्र गति से होने लगे। चौदहवीं शताब्दी में क्या यूरोप में 'पुनर्जागरण' हुआ था ?
- पुनर्जागरण शब्द में यह अन्तर्निहित है कि यूनानी व रोमन सभ्यताओं का चौदहवीं शताब्दी में पुनर्जन्म हुआ तथा समकालीन विद्वानों ने ईसाई विश्व दृष्टि के स्थान पर पूर्व ईसाई विश्व दृष्टि का प्रचार-प्रसार किया।
- चौदहवीं शताब्दी में दो महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए, उनमें धीरे-धीरे निजी और सार्वजनिक दो अलग-अलग क्षेत्र बनने लगे।
- इस काल की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह थी कि भाषा के आधार पर यूरोप में विभिन्न क्षेत्रों ने अपनी पहचान का निर्माण करना प्रारम्भ कर दिया था।
→ अध्याय में दी गईं महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ
चौदहवीं और पन्द्रहवीं शताब्दियाँ
तिथि/वर्ष
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सम्बन्धित घटनाएँ
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1300 ई.
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इटली के पादुआ विश्वविद्यालय द्वारा मानवतावाद पर शिक्षण प्रारम्भ |
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1341 ई.
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फ्रांचेस्को पेट्रार्क को रोम में 'राजकवि' की उपाधि से सम्मानित किया गया।
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1349 ई.
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इटली के फ्लोरेंस नगर में विश्वविद्यालय की स्थापना। फ़्लोरेंस पेट्रार्क का स्थायी नगर निवास भी था।
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1390 ई.
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जेफ्री चांसर ने 'केन्टरबरी टेल्स' नामक पुस्तक का प्रकाशन किया।
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1436 ई.
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ब्रुनेलेशी ने फ्लोरेंस में दि ड्यूमा के कथीड्रल गुम्बद का प्रारूप तैयार किया।
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1453 ई.
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कुस्तुनतुनिया के बाइजेंटाइन शासक को ऑटोमन तुर्कों ने परास्त किया।
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1454 ई.
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जोहानेस गुटेनबर्ग ने विभाज्य टाइप (Movable type) से बाइबिल का प्रकाशन किया। ये जर्मन मूल के
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1473 ई.
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प्रसिद्ध वैज्ञानिक कोपरनिकस का जन्म।
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1484 ई.
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पुर्तगाली गणितज्ञों ने सूर्य का अध्ययन कर अक्षांशों की गणना की।
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1492 ई.
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क्रिस्टोफर कोलम्बस अमरीका पहुँचा।
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1495 ई.
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प्रसिद्ध इतालवी चित्रकार लियोनार्डो द विंची ने 'द लास्ट सपर' चित्र बनाया।
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1512 ई.
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चित्रकार माइकल एन्जिलो द्वारा सिस्टीन चैपल की छत पर चित्र बनाना।
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→ सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दियाँ
तिथि/वर्ष
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सम्बन्धित घटनाएँ
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1508 ई.
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मार्टिन लूथर की विटनबर्ग विश्वविद्यालय में धर्मशास्त्र के प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति।
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1511 ई.
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मार्टिन लूथर ने रोम की धार्मिक तीर्थयात्रा की।
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1516 ई.
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टॉमस मोर की 'यूटोपिया' नामक पुस्तक का प्रकाशन।
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1517 ई.
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मार्टिन लूथर द्वारा नाइन्टी फाईव थिसेज़ की रचना की गई और कैथोलिक चर्च के विरुद्ध अभियान शुरू किया गया।
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1519 ई.
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एक महान नाविक मैगलन ने दक्षिण अमरीका एवं फिलीपीन्स की खोज की।
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1522 ई.
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मार्टिन लूथर द्वारा बाइबिल का जर्मन भाषा में अनुवाद किया गया।
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1525 ई.
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जर्मनी में चर्च द्वारा लगाए करों के विरुद्ध किसानों ने विद्रोह किया।
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1540 ई.
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इग्नेशियस लोयोला ने सोसाइटी ऑफ जीसस की स्थापना की।
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1543 ई.
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बेल्जियम मूल के एण्ड्रीयास वेसेलियस ने शरीर क्रिया विज्ञान पर 'ऑन ऐनॉटमी' नामक ग्रन्थ की रचना की।
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1546 ई.
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मार्टिन लूथर की मृत्यु हुई।
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1559 ई.
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इंग्लैण्ड में आंग्ल चर्च की स्थापना, जिसके प्रमुख राजा/रानी थे।
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1562 ई.
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लंदन में रॉयल सोसाइटी की स्थापना।
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1569 ई.
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गेरहार्डस मरकेटर ने पृथ्वी का प्रथम बेलनाकार मानचित्र बनाया।
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1582 ई.
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पोप ग्रैगरी XIII द्वारा ग्रेगोरियन कैलेण्डर का प्रचलन प्रारम्भ।
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1628 ई.
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विलियम हार्वे ने हृदय को रुधिर परिसंचरण से जोड़ा।
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1673 ई.
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पेरिस में 'अकादमी ऑफ साइंसेज' की स्थापना।
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1687 ई.
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प्रसिद्ध वैज्ञानिक आइजक न्यूटन ने 'प्रिंसिपिया मैथेमेटिका' नामक पुस्तक का प्रकाशन किया।
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→ रेनेसाँ-फ्रांसीसी शब्द रेनेसाँ का शाब्दिक अर्थ होता है-पुनर्जन्म परन्तु इसे इतिहास में 'पुनर्जागरण' के रूप में प्रयुक्त करते हैं। 19वीं शताब्दी में इस शब्द का प्रयोग किया गया था, जो इस काल के सांस्कृतिक परिवर्तनों को बताता है।
→ रेशम मार्ग-ये इस प्रकार के मार्ग थे, जो एशिया को यूरोप व उत्तरी अफ्रीका से जोड़ते थे। ऐसे मार्ग ईसा पूर्व के समय से ही हमारे सामने आ चुके थे। इनसे रेशम का अत्यधिक व्यापार होता था। जब मंगोलों ने सैन्य अभियानों के बाद व्यापारिक सम्बन्ध परिपक्व किये तब चीन के साथ व्यापारिक सम्बन्ध रेशमं-मार्ग के द्वारा ही अपने चरम पर पहुँचे। तब यह मार्ग मंगोल राज्य में चीन होकर उत्तर की ओर मंगोलिया तथा नवीन मंगोल साम्राज्य के केन्द्र कराकोरम तक फैला हुआ था।
→ मानवतावाद-लातिनी शब्द 'ह्यूमेनिटास', जिससे 'ह्यूमेनिटिज़' शब्द बना है, से अंग्रेजी भाषा के ह्यूमेनिज्म शब्द अर्थात् मानवतावाद की उत्पत्ति हुई है। यह वह जीवन दर्शन है, जिसमें मनुष्य और उसके लौकिक जीवन को विशेष महत्व दिया जाता है। 15वीं शताब्दी में मानवतावाद शब्द उन शिक्षकों के लिए प्रयुक्त होता था, जो व्याकरण, अलंकारशास्त्र, कविता, इतिहास और नीतिशास्त्र विषय पढ़ाते थे।
→ रेनेसाँ व्यक्ति-इस शब्द का प्रयोग प्रायः उस व्यक्ति के लिए किया जाता है, जिसकी अनेक रुचियाँ हों और अनेक कलाओं में उसे कुशलता प्राप्त हो।
→ मध्य युग-यूरोप के इतिहास में 5वीं शताब्दी से 14वीं शताब्दी तक के इतिहास को मध्य युग कहकर पुकारा जाता है।
→ अन्धकार युग-यूरोप में रोमन साम्राज्य के पतन के बाद अर्थात् 5वीं शताब्दी से लेकर 9वीं शताब्दी तक के युग को अन्धकार युग का नाम दिया गया है।
→ खगोल विज्ञान- भौगोलिक प्रविधियों एवं ज्ञान का प्रयोग करके अन्तरिक्ष में विद्यमान पिण्डों का अध्ययन करना खगोल विज्ञान कहलाता है।
→ यथार्थवाद-12वीं और 13वीं शताब्दी के दौरान लोगों के मन-मस्तिष्क को आकार देने का साधन केवल औपचारिक शिक्षा ही नहीं थी बल्कि चित्रकला, वास्तुकला और साहित्य ने भी मानवतावादी विचारों को फैलाने में प्रभावी भूमिका निभाई। जीवन के अनेक क्षेत्रों जैसे शरीर विज्ञान, रेखागणित, भौतिकी और सौन्दर्य की उत्कृष्ट भावना ने इटली की कला को एक नया रूप दिया, जिसे 'यथार्थवाद' कहकर पुकारा गया।
→ शास्त्रीय शैली-पुरातत्वविदों द्वारा रोम के अवशेषों का उत्खनन किया गया, जिससे वास्तुकला की एक नयी शैली को प्रोत्साहन प्राप्त हुआ। जो वास्तव में रोमन साम्राज्यकालीन शैली का पुनरुद्धार थी, जिसे 'शास्त्रीय शैली' कहकर पुकारा गया।
→ कम्पास-दिशासूचक यंत्र को आंग्ल भाषा में कम्पास कहा जाता है। इसे 'कुतुबनुमा' भी कहते हैं।
→ पाप स्वीकारोक्ति दस्तावेज-यह एक दस्तावेज था, जो पादरियों द्वारा लोगों से धन ऐंठने का सबसे सरल तरीका था। यह दस्तावेज चर्च द्वारा जारी किया जाता था।
→ प्रोटेस्टेंट सुधारवाद-16वीं शताब्दी के प्रारम्भ में जर्मन युवा भिक्षु मार्टिन लूथर ने कैथोलिक चर्च के विरुद्ध एक अभियान छेड़ा और उन्होंने यह तर्क पेश किया कि "मनुष्य को ईश्वर से सम्पर्क साधने के लिए पादरी की आवश्यकता नहीं है"। इस आन्दोलन को 'प्रोटेस्टेंट सुधारवाद' नाम दिया गया।
→ प्रोटेस्टेंट-प्रोटेस्टेंट शब्द अंग्रेजी शब्द प्रोटेस्ट से बना है, जिसका अर्थ विरोध करना होता है। अतः पोप का विरोध करने वाले प्रोटेस्टेंट कहलाए।
→ प्रोटेस्टेंट धर्म-प्रोटेस्टेंट धर्म की विधिवत् स्थापना 1530 ई. में जर्मनी में हुई थी, जिसमें मार्टिन लूथर के सिद्धान्तों का पालन किया जाता था। स्विट्ज़रलैण्ड में धर्म सुधार आन्दोलन के प्रणेता उलरिक विगली और कैल्विन नामक धर्म-सुधारक थे।
→ ब्रह्माण्ड-असंख्य सौरमण्डल एवं अन्य आकाशीय पिंडों के समूह को ब्रह्माण्ड कहते हैं।
→ पुनर्जागरण-पुनर्जागरण फ्रांसीसी शब्द रेनेसाँ का हिन्दी रूपान्तरण है। मध्य काल में व्याप्त आडम्बरों एवं अन्धविश्वासों को इसने समाप्त किया और उनके स्थान पर व्यक्तिवाद, भौतिकवाद, स्वतन्त्रता की भावना, उन्नत आर्थिक व्यवस्था एवं राष्ट्रवाद को प्रतिस्थापित किया।
→ जैकब बर्कहार्ट-ये ब्रेसले विश्वविद्यालय के इतिहासकार थे। इन्होंने रेनेसाँ पर बहुत अधिक बल दिया। 1860 ई. में बर्कहार्ट ने 'दि सिविलाइजेशन ऑफ दि रेनेसाँ' नामक पुस्तक की भी रचना की।
→ कार्डिनल गेसपारो कोन्तारिनी-इटली के एक लेखक। इन्होंने अपने ग्रंथ 'दि कॉमनवेल्थ एण्ड गवर्नमेंट ऑफ वेनिस' में वेनिस के नगर-राज्य की लोकतांत्रिक सरकार के बारे में लिखा है।
→ लियोनार्डो द विंची-इटली के प्रसिद्ध चित्रकार थे। इन्होंने मोनालिसा, द लास्ट सपर चित्रों का निर्माण किया। इन्होंने एक उड़न मशीन का प्रतिरूप भी बनाया।
→ जोहानेस गुटेनबर्ग-जर्मनी के निवासी, इन्होंने 1455 ई. में प्रथम छापेखाने का आविष्कार कर उससे बाइबिल की 150 प्रतियाँ छापी।
→ मार्टिन लूथर-एक जर्मन भिक्षु, जिन्होंने 1517 ई. में कैथोलिक चर्च के विरुद्ध अभियान छेड़ा।
→ कॉपरनिकस-एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक, जिन्होंने यह घोषणा की थी कि पृथ्वी सहित समस्त ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं।