These comprehensive RBSE Class 11 History Notes Chapter 5 यायावर साम्राज्य will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 11 History Chapter 5 Notes यायावर साम्राज्य
→ मंगोल-एक परिचय
- यायावर लोग मूल रूप से घुमक्कड़ प्रकृति के होते हैं। ये सापेक्षिक तौर, पर एक अविभेदित आर्थिक जीवन एवं प्रारम्भिक राजनीतिक संगठन के साथ परिवारों के समूहों में संगठित होते हैं।
- 13वीं व 14वीं शताब्दी में मंगोलों ने यायावर परंपरा पर आधारित पारमहाद्वीपीय साम्राज्य की स्थापना की।
- मध्य एशिया के मंगोल साम्राज्य की स्थापना 'चंगेज़ खान' के नेतृत्व में की गई थी। उसका साम्राज्य यूरोप व एशिया तक विस्तृत था।
- मंगोलों ने चंगेज़ खान के नेतृत्व में अपनी पारम्परिक एवं राजनीतिक परम्पराओं को परिवर्तित कर एक सैनिक तंत्र एवं शासन को चलाने की विशिष्ट पद्धतियों का सूत्रपात किया था।
- स्टेपी क्षेत्र के इन यायावरी समाजों की जानकारी हमें इतिवृत्तों, यात्रा वृत्तान्तों व नगरीय साहित्यकारों के दस्तावेजों से मिलती है।
- मंगोलों पर सबसे महत्वपूर्ण शोधकार्य 18वीं व 19वीं शताब्दी में रूसी विद्वानों द्वारा किया गया।
- मंगोल समाज और संस्कृति पर अति महत्वपूर्ण शोधकार्य रूसी इतिहासकार बोरिस याकोवालेविच व्लाडिमीरस्टॉव ने किया था। दूसरे विद्वान का नाम वैसिली ब्लैदिमिरोविच बारटोल्ड था, जिसने स्टालिन की रूसी विचारधारा का समर्थन नहीं किया।
- इतिहासकार बारटोल्ड ने चंगेज़ खान की प्रकृति का वर्णन स्वाभाविक रूप से किया है और उसके प्रति नरम रुख अपनाया।
- मंगोल साम्राज्य के इतिहास के स्रोत चीनी, मंगोली, फारसी एवं अरबी भाषा में उपलब्ध हैं, परन्तु महत्वपूर्ण सामग्रियाँ हमें इतालवी, लातिनी, फ्रांसीसी व रूसी भाषा से भी प्राप्त होती हैं।
- से प्राप्त होता है। ये विवरण चीनी व मंगोल भाषा में मिलते हैं, किन्तु दोनों ही भाषाओं के विवरण अलग-अलग हैं।
- मार्कोपोलो द्वारा मंगोल दरबार का विवरण इतालवी और लातिनी भाषा में मिलता है, परन्तु वे एक-दूसरे से मेल नहीं खाते हैं।
→ मंगोलों की सामाजिक और राजनैतिक पृष्ठभूमि
- मंगोल विविध जनसमुदायों का एक निकाय था। ये लोग पूर्व में तातार, खितान और मंचू लोगों से तथा पश्चिम में तुर्की कबीलों से भाषागत समानता होने के कारण परस्पर सम्बद्ध थे।
- मंगोल समुदाय के कुछ लोग पशुपालन का कार्य करते थे, वहीं कुछ लोग शिकारी संग्राहक थे।
- मंगोल पशुपालक के रूप में घोड़ों, भेड़ों, बकरियों व ऊँटों को पालते थे।
- मंगोल लोगों का यायावरीकरण मध्य एशिया के स्टेपीज क्षेत्र (चारण भूमि) में हुआ था, जो कि आधुनिक मंगोलिया राज्य का भूभाग है।
- शिकारी संग्राहक लोग पशुपालक कबीलों के आवास क्षेत्र के उत्तर में साइबेरियाई वनों में रहते थे। ये पशुपालक लोगों की तुलना में अधिक गरीब थे और ग्रीष्मकाल में पकड़े गये जानवरों की खाल के व्यापार से अपना जीवन-यापन करते थे।
- मंगोल लोग तंबुओं और जरों में रहते थे और अपने पशुधन के साथ शीतकालीन निवास स्थान से ग्रीष्मकालीन चारण भूमि की ओर प्रस्थान कर जाते थे। कमी होने के कारण उनका समाज अनेक पितृपक्षीय वंशों में विभाजित था।
- मंगोल एवं तुर्की कबीलों को मिलाकर चंगेज़ खान द्वारा बनाया गया परिसंघ पाँचवीं शताब्दी के 'अट्टीला' के द्वारा बनाए गए परिसंघ के बराबर था।
- मंगोल खेती से प्राप्त उत्पादों एवं लोहे के उपकरणों को चीन से लाते थे एवं घोड़े, फर और स्टेपी में पकड़े गए शिकार का विनिमय करते थे।
- कभी-कभी मंगोल लोग व्यापारिक सम्बन्धों की उपेक्षा कर केवल लूटपाट करने लगते थे। मंगोलों की लूटपाट से परेशान होकर चीनी शासकों को अपनी प्रजा की रक्षा के लिए आठवीं शताब्दी ई. पू. से ही किलेबन्दी करनी पड़ी थी।
- चीन में तीसरी शताब्दी ई. पू. से इन किलेबंदियों का एकीकरण करते हुए 'चीन की महान दीवार' का निर्माण पूर्ण हो सका।
→ चंगेज़ खान का जीवनवृत्त
- चंगेज़ खान का आरम्भिक नाम तेमुजिन था। उसका जन्म आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट लगभग 1162 ई. में हुआ था। उसके पिता का नाम येसूजेई तथा माँ का नाम ओलुन-इके था।
- 1206 ई. में तेमुजिन अपने शत्रुओं को पराजित कर स्टेपी क्षेत्र की राजनीति में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में उभरा। चंगेज़ खान को मंगोल कबीले के सरदारों की एक सभा, जिसे कुरिलताई कहा जाता था, ने समुद्री खान या सार्वभौम शासक की उपाधि के साथ मंगोलों का महानायक घोषित किया था।
- चंगेज़ खान ने चीन पर विजय प्राप्त की और 1215 ई. में पेकिंग नगर को खूब लूटा।
- 1219 से 1221 ई. तक मंगोलों ने ओट्रार, बुखारा, समरकंद, बल्ख, गुरगंज, मर्व, निशापुर व हेरात नगरों पर विजय प्राप्त की। जिन नगरों ने प्रतिरोध किया, उनका विध्वंस कर दिया गया।
- घोड़े पर सवार होकर तीरंदाजी का कौशल चंगेज़ खान में अद्भुत था, जिसे उसने अपने दैनिक जीवन में जंगलों में पशुओं का आखेट करते समय प्राप्त किया था।
- 1227 ई. में चंगेज़ खान की मृत्यु हो गयी।
→ चंगेज़ खान के पश्चात् मंगोल
- चंगेज खान की मृत्यु के पश्चात मंगोल साम्राज्य को दो चरणों में विभाजित किया जा सकता है।
- पहला चरण 1236-1242 ई. तक था, इस समय में जिसे मंगोलों ने रूस के स्टेपी क्षेत्र, बुलघार, कीव, पोलैण्ड तथा हंगरी में बहुत अधिक सफलता प्राप्त की।
- दूसरा चरण 1255 से 1300 ई. तक था, जिसकी अवधि में मंगोलों ने समस्तं चीन, ईरान, इराक और सीरिया पर विजय प्राप्त की।
→ सामाजिक, राजनैतिक और सैनिक संगठन
- मंगोलों तथा अन्य अनेक खानाबदोश (यायावर) समाजों में प्रत्येक स्वस्थ वयस्क सदस्य हथियारबन्द होते थे। जब कभी आवश्यकता होती थी तो इन्हीं लोगों से सशस्त्र सेना बनती थी।
- विभिन्न मंगोल जनजातियों के एकीकरण और उसके पश्चात विभिन्न लोगों के विरुद्ध अभियानों से चंगेज़ खान की सेना में नये सदस्य शामिल हुए।
- इससे उनकी सेना जो कि अपेक्षाकृत रूप से छोटी और अविभेदित समूह थी, वह अविश्वसनीय रूप से एक विशाल विषमजातीय संगठन में परिवर्तित हो गयी। इसमें तुर्की मूल के उइगुर समुदाय के लोग तथा केराइट लोग भी थे।
- चंगेज़ खान की सेना स्टेपी क्षेत्रों की पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गयी थी। जो दस, सौ, हजार और दस हजार सैनिकों की इकाई में विभक्त होती थी। यह एक विशाल विषम जातीय सेना थी जिसमें सबसे बड़ी इकाई (दस हजार सैनिकों) को 'तुमन' कहते थे, जिसमें अनेक कबीलों और कुलों के लोग होते थे।
- उसने प्राचीन जनजातीय समूहों को विभाजित कर उनके सदस्यों को नवीन सैनिक इकाइयों में विभक्त कर दिया।
- चंगेज़ खान ने स्टेपी क्षेत्र की पुरानी सामाजिक व्यवस्था को परिवर्तित किया और विभिन्न वंशों तथा कुलों को एकीकृत करके इन सभी को एक नवीन पहचान प्रदान की।
- चंगेज़ खान ने नव-विजित प्रदेशों पर शासन करने का उत्तरदायित्व अपने चार पुत्रों को सौंप दिया। इससे 'उलुस' का गठन हुआ।
- उसने अपने सबसे बड़े पुत्र जोची को रूसी स्टेपी प्रदेश दिया, किन्तु उसकी दूरस्थ सीमा (उलुस) निर्धारित नहीं थी।
- दूसरे पुत्र चघताई को तूरान का स्टेपी क्षेत्र एवं पामीर के पठार का उत्तरी क्षेत्र प्राप्त हुआ। तीसरा पुत्र-ओगोदेई को चंगेज़ खान ने अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था। उसे महान खान की उपाधि देने की भी घोषणा की। ओगोदेई ने अपने राज्याभिषेक के बाद अपनी राजधानी 'कराकोरम' में स्थापित की थी।
- सबसे छोटे पुत्र तोलोए (तोलूई) ने अपनी पैतृक भूमि मंगोलिया को प्राप्त किया।
- चंगेज़ खान ने प्रारम्भ से ही एक चुस्त हरकारा पद्धति अपना रखी थी जिससे राज्य के दूरदराज के स्थानों से
- परस्पर सम्पर्क रखा जाता था। चंगेज़ खान ने अनेक स्थानों पर सैनिक चौकियों स्थापित की थीं, जिनमें बलवान घोड़े तथा घुड़सवार सन्देशवाहक
- नियुक्त रहते थे। चंगेज़ खान की मृत्यु के बाद इस हरकारा पद्धति में और भी सुधार लाया गया।
→ व्यापार
- मंगोलों की देखरेख में 'रेशम मार्ग' पर व्यापार और भ्रमण अपने शिखर पर पहुँचा, किन्तु पहले की तरह अब व्यापारिक मार्ग चीन में ही समाप्त नहीं होते थे।
- मंगोल सुरक्षित यात्रा के लिए यात्रियों को पास जारी करते थे, जिन्हें फारसी में पैज़ा और मंगोल भाषा में जेरेज़ कहा जाता था। इस सुविधा हेतु व्यापारियों को 'बाज' नामक कर देना पड़ता था।
→ नागरिक प्रशासक
- मंगोलों ने विजित राज्यों से नागरिक प्रशासकों को अपने यहाँ भर्ती कर लिया था। इनको कभी-कभी एक स्थान से दूसरे स्थान पर भी भेज दिया जाता था।
- मंगोल शासकों का नागरिक प्रशासकों पर तक तब विश्वास बना रहता था तब तक ये अपने स्वामियों के लिए कर एकत्रित करने की क्षमता बनाए रखते थे।
→ व्यक्तिगत राजवंश बनाने की भावना
- धीरे-धीरे तेरहवीं शताब्दी के मध्य तक, भाइयों के बीच पिता द्वारा अर्जित धन को मिल-बाँटकर उपयोग करने के बजाय व्यक्तिगत राजवंश बनाने की भावना ने स्थान ले लिया।
- चीन और ईरान पर शासन करने के लिए आये तोलोए (तोलुई) के वंशजों ने 'युआन' और 'इल-खानी' वंशों की स्थापना की थी।
- जोची ने 'सुनहरा गिरोह' (गोल्डन होर्ड) की स्थापना की थी तथा रूस के स्टेपी क्षेत्रों पर शासन किया।
→ यास
- डेविड आयलॉन के शोध के बाद 'यास' पर हुआ कार्य उन जटिल विधियों का वर्णन प्रस्तुत करता है जो महान खान की स्मृति को बनाए रखने के लिए उसके उत्तराधिकारियों ने प्रयुक्त की थीं।
- यास का सम्बन्ध प्रशासनिक विनियमों से है, जैसे-आखेट, सैन्य और डाक प्रणाली का संगठन। यास वह नियम संहिता थी जो चंगेज़ खान ने लागू की थी।
- यास मंगोलों को समान आस्था रखने वालों के आधार पर संयुक्त करने में सफल हुआ। चंगेज़ खान और मंगोलों का विश्व इतिहास में स्थान मंगोलों के लिए चंगेज़ खान अब तक का सबसे महान शासक था। उसने मंगोलों को संगठित कर शक्तिशाली और समृद्ध बनाया। उसने एक विशाल पारमहाद्वीपीय साम्राज्य स्थापित किया और व्यापार के मार्गों तथा बाजारों को पुनर्स्थापित किया।
- मंगोल शासक विभिन्न धर्मों व आस्थाओं से सम्बन्ध रखते थे। उन्होंने सार्वजनिक नीतियों पर वैयक्तिक मत कभी नहीं थोपे।
- मंगोलों ने समस्त जातियों और धर्म के लोगों को अपने यहाँ प्रशासक और सशस्त्र सैन्य बल के रूप में भर्ती किया।
- मंगोलों का शासन बहु-जातीय, बहु-भाषी, बहु-धार्मिक था, जिसको अपने बहुविध संविधान का कोई भय नहीं था। यह उस समय के लिए एक असामान्य बात थी।
- चौदहवीं शताब्दी के अंत में तैमूर (जो एक विश्वव्यापी राज्य की आकांक्षा रखता था) ने अपनी स्वतन्त्र संप्रभुता की घोषणा की तो उसने अपने आपको चंगेज़ खान के परिवार के दामाद के रूप में प्रस्तुत किया। एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में मंगोलिया
- आज का मंगोलिया दशकों के रूसी नियन्त्रण के बाद एक स्वतन्त्र राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बना रहा है।
- वहाँ चंगेज़ खान को एक महान 'राष्ट्र नायक' के रूप में सम्मानित किया जाता है।
- मंगोलिया के इतिहास में चंगेज़ खान मंगोलों के लिए एक आराध्य व्यक्ति के रूप में उभरकर सामने आया है।
→ अध्याय में दी गईं महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ)
वर्ष
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सम्बन्धित घटनाएँ
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लगभग 1162 ई.
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तेमुजिन का जन्म जिन्हें इतिहास में चंगेज़ खान के नाम से जाना जाता है।
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1160 व 1170
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के दशक दासता एवं संघर्ष के वर्ष ।
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1180 व 1190
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के दशक संधि सम्बन्धों का काल।
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1203-27 ई.
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विस्तार एवं विजयों का काल।
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1206 ई.
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तेमुजिन (चंगेज़ खान) को मंगोलों का 'सार्वभौम शासक' घोषित किया गया।
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1227 ई.
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चंगेज़ खान की मृत्यु।
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1227-41 ई.
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चंगेज़ खान के पुत्र ओगोदेई का शासन काल।
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1227-60 ई.
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तीन महान खानों का शासन और मंगोल एकता की स्थापना।
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1236-42 ई.
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चंगेज़ खान के पौत्र बाटू का रूस, हंगरी, पोलैण्ड एवं ऑस्ट्रिया पर आक्रमण।
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1246-49 ई.
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ओगोदेई के पुत्र गुयूक का शासन काल।
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1251-60 ई.
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मोंके, चंगेज खान के पौत्र एवं तोलूई के पुत्र का शासन काल।
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1253-55 ई.
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मोंके के अधीन ईरान व चीन पर पुनः आक्रमण।
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1257-67 ई.
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बाटू के पुत्र बर्के का शासनकाल। गोल्डन होर्ड (सुनहरा गिरोह) का नेस्टोरियन ईसाई धर्म से इस्लाम धर्म की ओर पुनः प्रवृत्त होना। इल खान के विरुद्ध गोल्डन होर्ड व मिस्र देश की मैत्री की शुरुआत।
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1258 ई.
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बगदाद पर अधिकार एवं अब्बासी खिलाफत का अंत। मोंके के छोटे भाई हुलेगु के अधीन ईरान में इल खानी राज्य की स्थापना। जोचिद व इल खान के मध्य संघर्ष की शुरुआत।
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1260 ई.
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पेकिंग में महान खान के रूप में कुबलई खान का राज्यारोहण। चंगेज़ खान के उत्तराधिकारियों में आपस में संघर्ष। मंगोल राज्य अनेक स्वतंत्र भागों में तथा अनेक वंशों में विभक्त। ये हैं तोलुई, चघताई व जोची।
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1295-1304 ई.
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ईरान में इलखानी शासक गज़न खान का शासनकाल। उसके बौद्ध धर्म से इस्लाम में धर्मान्तरण के पश्चात् धीरेधीरे अन्य इलखानी सरदारों ने भी धर्मान्तरण करना प्रारम्भ कर दिया।
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1368 ई.
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चीन में यूआन राजवंश का अंत हुआ।
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1370-1405 ई.
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तैमूर का शासनकाल। तैमूर ने चघताई वंश के आधार पर अपने को चंगेज़ खान का वंशज बताया। उसने स्टेपी क्षेत्र में एक साम्राज्य की स्थापना की।
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1495-1530 ई.
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तैमूर व चंगेज़ खान के वंशज जहीरुद्दीन बाबर का शासन काल। भारत में मुगल साम्राज्य का संस्थापक।
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1526 ई.
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में दिल्ली और आगरा पर अधिकार स्थापित किया।
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1500 ई.
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जोची के कनिष्ठ पुत्र शिबान के वंशज शयबानी खान का तूरान पर आधिपत्य स्थापित।
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1759 ई.
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चीन के मंचुओं द्वारा मंगोलिया पर विजय प्राप्त करना।
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1921 ई.
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मंगोलिया का गणराज्य बनना।
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→ यायावर-यायावर शब्द 'घुमक्कड़ी' से जुड़ा हुआ है। यायावर घुमक्कड़ लोग हैं जो अनेक परिवारों के समूह में संगठित होते हैं।
→ बर्बर-बर्बर शब्द बारबेरियन का हिन्दी रूपान्तर है। आंग्ल भाषा के इस शब्द की उत्पत्ति यूनानी शब्द 'बारबरोस' से हुई है। जिसका तात्पर्य गैर-यूनानी लोगों से है, जिनकी भाषा यूनानियों को बेतरतीब कोलाहल 'बर-बर' के समान लगती थी। बाद में रोमवासियों ने बर्बर शब्द का प्रयोग जर्मन जनजातियों-गॉल व हूण के लिए किया।
→ स्टेपी प्रदेश-मध्य एशिया में पाए जाने वाले वृक्षहीन खुली घास के विस्तृत मैदान स्टेपी प्रदेश कहलाते हैं। इस प्रदेश की जलवायु ग्रीष्म ऋतु में गर्म एवं शीत ऋतु में ठंडी रहती है तथा वार्षिक वर्षा का औसत बहुत कम रहता है। वर्षा प्रायः ग्रीष्म ऋतु अथवा बसंत ऋतु में होती है।
→ बुखारा-ईरान के एक शहर का नाम जिस पर 1220 ई. में चंगेज़ खान ने विजय प्राप्त की थी।
→ जर-मंगोलों के निवास स्थान का नाम जो तम्बुओं जैसे दिखाई देते थे।
→ कुरिलताई-यह मंगोलों के कबीलों के सरदारों (मुखियाओं) की एक सभा थी, जिसके माध्यम से परिवार के सदस्यों में राज्य की भागीदारी, राज्य के भविष्य का निर्माण, सैन्य अभियानों, लूट के माल का बँटवारा आदि के निर्णय सामूहिक रूप से लिए जाते थे।
→ तुमन-मंगोल सैनिकों की सबसे बड़ी इकाई, जो लगभग दस हजार सैनिकों की थी, जिसमें अनेक कबीलों और कुलों के लोग शामिल होते थे, तुमन कहलाती थी।
→ नोयान-नयी मंगोल सैनिक टुकड़ियों के विशेष रूप से चयनित कप्तानों को नोयान कहा जाता था। ये चंगेज़ खान के पुत्रों के अधीन थे।
→ उलुस-चंगेज़ खान ने सामाजिक पदानुक्रम में परिवर्तन करके अपने नवविजित लोगों पर शासन करने का उत्तरदायित्व अपने चार पुत्रों को सौंप दिया था। इससे उलुस का गठन हुआ। उलुस शब्द का मूल अर्थ निश्चित भू-भाग नहीं था क्योंकि इस भू-भाग में परिवर्तन होता रहता था। उसने कुल चार उलुस बनाए।
→ तामा-चंगेज़ खान ने अपने राजकुमारों के लिए अलग-अलग सैन्य टुकड़ियाँ निर्धारित कर दी थीं, जिन्हें तामा कहा जाता था। यह तामा प्रत्येक उलुस में तैनात रहती थीं।
→ कुबकुर-कर-हरकारा नामक संचार पद्धति की व्यवस्था हेतु मंगोल लोग अपने घोड़े अथवा अन्य पशुओं का दसवाँ हिस्सा प्रदान करते थे। इसे कुबकुर-कर के नाम से जाना जाता था।
→ कनात-ईरान के शुष्क पठारी क्षेत्र में भूमिगत नहरों को कनात कहा जाता था।
→ पैज़ा तथा जेरेज़-मंगोल साम्राज्य में यात्रियों को सुरक्षित यात्रा हेतु पास जारी किए जाते थे, जिन्हें फ़ारसी भाषा में पैज़ा तथा मंगोल भाषा में जेरेज़ कहा जाता था। .
→ बाज-यह एक कर था जो सुरक्षित यात्रा पास पैज़ा या जेरेज़ के लिए व्यापारियों को अदा करना पड़ता था।
→ यास या यसाक-यह चंगेज़ खान की कानून संहिता थी, जिसमें आखेट का व्यवस्थापन, सेना का संगठन, डाक तन्त्र आदि के सम्बन्ध में नियम निश्चित दिये गये थे।
→ तेमुजिन-चंगेज़ खान का प्रारम्भिक नाम।
→ मोंके व बाटू-चंगेज़ खान के पोते।
→ येसूजेई-चंगेज़ खान के पिता का नाम। ये कियात कबीले के मुखिया थे।
→ ओलुन-इके-चंगेज़ खान की माता का नाम ।
→ बोधूरचू-चंगेज़ खान का प्रथम मित्र।
→ जमूका-चंगेज़ खान का मित्र, जो बाद में उसका शत्रु बन गया।
→ जोची-चंगेज़ खान का ज्येष्ठ पुत्र। इसे चंगेज़ खान द्वारा शासन हेतु रूसी स्टेपी प्रदेश प्राप्त हुआ।
→ चघताई-चंगेज़ खान का दूसरा पुत्र। इसे शासन तूरान का स्टेपी क्षेत्र व पामीर के पहाड़ का उत्तरी क्षेत्र प्राप्त हुआ था।
→ ओगोदेई-चंगेज़ खान का तीसरा पुत्र। इसे चंगेज़ खान ने अपना उत्तराधिकारी घोषित कर 'महान खान' की उपाधि प्रदान की।
→ कुबलई खान-चंगेज़ खान का पोता। यह कृषकों व नगरों के रक्षक के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
→ गज़न खान-चंगेज़ खान के सबसे छोटे पुत्र तोलुई का वंशज। इसने अपने परिवार के सदस्यों व सेनापतियों से किसानों को न लूटने का आग्रह किया था। यह प्रथम इल-खानी शासक था।