These comprehensive RBSE Class 11 History Notes Chapter 2 लेखन कला और शहरी जीवन will give a brief overview of all the concepts.
RBSE Class 11 History Chapter 2 Notes लेखन कला और शहरी जीवन
→ मेसोपोटामिया की सभ्यता
- सर्वप्रथम मेसोपोटामिया में शहरी जीवन का प्रारम्भ हुआ।
- मेसोपोटामिया शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के दो शब्दों मेसोस (Mesos) अर्थात् मध्य तथा पोटैमोस (Potamos) अर्थात् नदी से हुई है।
- मेसोपोटामिया शब्द दजला और फ़रात दो नदियों के मध्य की उपजाऊ भूमि को इंगित करता है। वर्तमान समय में यह क्षेत्र इराक देश का एक हिस्सा है।
- मेसोपोटामिया की सभ्यता अपने शहरी जीवन, सम्पन्नता, विशाल एवं समृद्ध साहित्य, गणित एवं खगोल विद्या के लिए प्रसिद्ध थी।
- इस सभ्यता के शहरीकृत दक्षिणी भाग को सुमेर एवं अक्कद कहा गया। 2000 ई. पू. के पश्चात् जब बेबीलोन एक महत्वपूर्ण शहर बन गया तब दक्षिणी क्षेत्र को बेबीलोनिया कहा जाने लगा।
- लगभग 1100 ई. पू. से जब असीरियाइयों ने उत्तर में असीरिया राज्य की स्थापना की, तब इस क्षेत्र को असीरिया कहा जाने लगा।
- इस प्रदेश की प्रथम ज्ञात भाषा सुमेरियन अर्थात् सुमेरी थी।
- 2400 ई. पू. में अक्कदी भाषी लोगों के आने पर सुमेरियन भाषा का स्थान अक्कदी भाषा ने ले लिया।
- इस क्षेत्र में 1400 ई. पू. से अरामाइक भाषा का प्रचलन होने लगा। यह भाषा हिब्रू से मिलती-जुलती थी।
- मेसोपोटामिया में पुरातात्विक खोजों का प्रारम्भ 1840 के दशक में हुआ।
- यूरोपवासियों के लिए मेसोपोटामिया अपना एक विशिष्ट स्थान रखता है क्योंकि बाइबिल के प्रथम भाग 'ओल्ड
- टेस्टामेंट' में इसका उल्लेख कई संदर्भो में किया गया है।
→ मेसोपोटामिया और उसका भूगोल
- इराक विभिन्न पर्यावरणों वाला देश है। मेसोपोटामिया इसी देश का एक भाग है।
- इसका पूर्वोत्तर भाग हरे-भरे, ऊँचे-नीचे मैदान, वृक्षाच्छादित पर्वत श्रृंखलाओं, स्वच्छ झरने एवं पर्याप्त वर्षा वाला है।
- यहाँ 7000 से 6000 ई.पू. के बीच खेती शुरू हो गयी थी। इसके उत्तर में ऊँची भूमि है जहाँ 'स्टेपी' घास के मैदान हैं। अतः यहाँ पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का अच्छा साधन है।
- इसका दक्षिणी भाग एक मरुस्थलीय प्रदेश है। यहीं सबसे पहले नगरों और लेखन प्रणाली का विकास हुआ था।
- इस देश की प्रमुख नदियाँ दजला व फ़रात हैं जो उत्तरी पहाड़ों से निकलकर अपने साथ उपजाऊ बारीक मिट्टी लाती रही हैं।
- फ़रात नदी रेगिस्तान में प्रवेश करने के बाद कई धाराओं में विभाजित होकर प्रवाहित होने लगती है। पुरातन समय में ये धाराएँ सिंचाई की नहरों का काम देती थीं।
- रोम साम्राज्य सहित सभी पुरानी व्यवस्थाओं में दक्षिणी मेसोपोटामिया की खेती सबसे अधिक उपज देने वाली होती थी। यद्यपि वहाँ फसल उपजाने के लिए आवश्यक वर्षा की कुछ कमी रहती थी।
- यहाँ गेहूँ, जौ, मटर, मसूर आदि की खेती की जाती थी तथा भेड़-बकरी आदि जानवर पाले जाते थे।
→ शहरीकरण का महत्व
- जब किसी अर्थव्यवस्था का विकास खाद्य उत्पादन के अतिरिक्त विस्तृत होकर व्यापार, विनिर्माण एवं सेवाओं के रूप में होने लगता है तो लोग समूह बनाकर कस्बों में रहना प्रारम्भ कर देते हैं।
- नगरों के लोग स्वयं आत्मनिर्भर न होकर नगर या गाँव के अन्य लोगों द्वारा उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए उन पर निर्भर होते हैं।
- विशेषीकरण एवं श्रम विभाजन शहरी जीवन की प्रमुख विशेषताएँ हैं।
- शहरी अर्थव्यवस्था में एक सामाजिक संगठन का होना भी आवश्यक है।
- शहरों में संगठित व्यापार व भण्डारण की भी आवश्यकता होती है।
→ शहरों में माल का आवागमन
- मेसोपोटामिया में जहाँ खाद्य संसाधनों की पर्याप्तता थी वहीं दूसरी ओर खनिज संसाधनों का अभाव था।
- ऐसा अनुमान है कि मेसोपोटामिया के लोग लकड़ी, ताँबा, सोना, चाँदी, राँगा, सीपी व विभिन्न प्रकार के पत्थर तुर्की, ईरान या खाड़ी पार के देशों से मँगाते थे तथा उनके लिए कपड़ा और कृषिजन्य पदार्थ काफी मात्रा में
- निर्यात करते थे।
- शिल्प व्यापार और सेवाओं के अलावा कुशल परिवहन व्यवस्था भी नगरीय विकास के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है। प्राचीन मेसोपोटामिया की नहरें एवं प्राकृतिक जलधाराएँ छोटी-छोटी बस्तियों के मध्य विभिन्न प्रकार की सामग्री के परिवहन का अच्छा मार्ग थीं।
- फरात नदी उन दिनों व्यापार के लिए 'विश्व-मार्ग' के रूप में अत्यधिक महत्वपूर्ण थी।
→ लेखन कला का विकास
- लेखन अथवा लिपि के माध्यम से उच्चरित ध्वनियों को दृश्य संकेतों अथवा चिह्नों के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
- मेसोपोटामिया के लोग मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखा करते थे।
- लिपिक सरकंडे की तीली की तेज नोंक से पट्टिका की नम चिकनी सतह पर कीलाकार चिह्न बना देता था।
- मेसोपोटामिया के लोग अपना हिसाब-किताब रखने, शब्दकोश बनाने, राजाओं के कार्यों का वर्णन करने आदि में लेखन का प्रयोग करने लगे थे।
- 'सुमेरियन' मेसोपोटामिया की सर्वाधिक प्राचीन भाषा थी लेकिन 2400 ई. पू. के आसपास इस भाषा का स्थान अक्कदी भाषा ने ले लिया। अक्कदी भाषा में कीलाकार लेखन ईसवी सन् की पहली सदी तक अर्थात् 2000 से अधिक वर्षों तक जारी रहा।
→ लेखन प्रणाली
- कीलाक्षर या कीलाकार चिह्न जिस ध्वनि के लिए प्रयोग किया जाता था, वह एक अकेला व्यंजन या स्वर न होकर अक्षर होते थे।
- मेसोपोटामिया के लिपिक को सैकड़ों चिह्न सीखने पड़ते थे और उसे गीली पट्टी पर उसके सूखने से पहले ही लिखना होता था। लेखन कार्य के लिए कड़ी कुशलता की आवश्यकता थी।
- मेसोपोटामिया में लेखन का कार्य एक महान बौद्धिक उपलब्धि माना जाता था।
→ साक्षरता
- मेसोपोटामिया की भाषा में चिह्नों की संख्या सैकड़ों में होने के कारण यहाँ के बहुत ही कम लोग पढ़ और लिख सकते थे। चिह्न अत्यधिक जटिल होते थे। लेखन का प्रयोग ऐसा माना जाता है कि मेसोपोटामिया की विचारधारा के अनुसार सर्वप्रथम राजा के द्वारा ही व्यापार एवं लेखन की व्यवस्था की गई थी। उस राजा का नाम एनमर्कर था।
- शहरी जीवन, व्यापार एवं लेखन कला के मध्य के सम्बन्धों को उरुक के प्राचीन शासक 'एनमर्कर' के विषय में लिखे गए एक सुमेरियन महाकाव्य में स्पष्ट किया गया है।
→ दक्षिणी मेसोपोटामिया का शहरीकरण : मन्दिर और राजा
- दक्षिणी मेसोपोटामिया में 5000 ई. पू. से बस्तियों का विकास प्रारम्भ हो गया। ये शहर अनेक प्रकार के थे-पहले वे शहर जो धीरे-धीरे मन्दिरों के चारों ओर विकसित हुए, दूसरे जो व्यापार के केन्द्र के रूप में विकसित हुए और शेष शाही शहर।
- मेसोपोटामिया का सर्वप्रथम ज्ञात मन्दिर एक छोटा-सा देवालय था जो कच्ची ईंटों से निर्मित था।
- मेसोपोटामिया में अनेक मन्दिरों का निर्माण किया गया। ये मन्दिर देवी-देवताओं के निवास स्थान थे।
- मन्दिर में देवता पूजा का केन्द्रबिन्दु होता था। लोग देवी-देवताओं के लिए अन्न, दही, मछली आदि लाते थे।
- देवता को सैद्धान्तिक रूप से खेतों, मत्स्य क्षेत्रों व स्थानीय लोगों के पशुधन का स्वामी माना जाता था।
- मन्दिरों में तेल निकालने, अनाज पीसने, ऊनी कपड़ों को कातने एवं बुनने का कार्य किया जाता था।
- मन्दिरों ने धीरे-धीरे अपने क्रियाकलाप बढ़ा दिए और मुख्य शहरी संस्था का रूप ले लिया।
- मेसोपोटामिया के अभिलेखों से पता चलता है कि प्राकृतिक संकटों, जैसे-बाढ़ आदि के कारण गाँव समय-समय पर पुनः स्थापित किए जाते रहे हैं।
- मेसोपोटामिया के तत्कालीन ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन और पानी के लिए बार-बार झगड़े हुआ करते थे।
- जब किसी क्षेत्र में लम्बे समय तक लड़ाई चलती थी तो जो मुखिया लड़ाई जीतते थे वे अपने साथियों एवं अनुयायियों को लूट का माल बाँटकर खुश कर देते थे।
- लड़ाई में हारे हुए समूहों में से लोगों को बंदी बनाकर ले जाया जाता था जिन्हें चौकीदार या नौकर बनाकर रखा जाता था।
- बाद में इन नेताओं या मुखियाओं ने समुदाय के कल्याण पर अधिक ध्यान देना शुरू कर दिया और फलस्वरूप नयी-नयी संस्थाएँ और परम्पराएँ स्थापित हो गयीं।
- इस समय के विजेता मुखियाओं ने कीमती भेंटों को देवताओं पर अर्पित करना शुरू कर दिया, जिससे कि समुदाय के मंदिरों की सुंदरता में वृद्धि होने लगी।
- हम पारस्परिक हितों को मजबूत करने वाले विकास के एक ऐसे दौर की कल्पना कर सकते हैं जिसमें मुखियाओं ने ग्रामीणों को अपने पास बसने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि वे जरूरत पड़ने पर तुरन्त अपनी सेना इकट्ठा कर सकें।
- उरुक नगर उन दिनों के सबसे पुराने मंदिर-नगरों में से एक था। यहाँ हमें सशस्त्र वीरों और उनके द्वारा मारे गये शत्रुओं के चित्र मिलते हैं।
- युद्धबन्दियों तथा स्थानीय लोगों को अनिवार्य रूप से मन्दिर द्वारा अथवा प्रत्यक्ष रूप से शासक द्वारा प्रदान किये गये कार्य करने पड़ते थे।
- मेसोपोटामिया में पर्याप्त तकनीकी प्रगति भी हुई।
- अनेक प्रकार के शिल्पों के लिए काँसे के औजारों का प्रयोग होता था। वास्तुविदों ने ईंटों के स्तम्भ बनाना सीख लिया था।
- चिकनी मिट्टी के शंकु (कोन) बनाये तथा पकाये जाते थे तथा उन्हें भिन्न-भिन्न रंगों में रंगकर मंदिरों की दीवारों में लगाया जाता था।
- कुम्हार के चाक के निर्माण से बड़े पैमाने पर बर्तन आसानी से बनाये जाने लगे।
→ शहरी जीवन
- नगरों के उदय से मेसोपोटामिया की सामाजिक व्यवस्था में एक उच्च वर्ग अस्तित्व में आया।
- धन-दौलत और समृद्धि का अधिकांश भाग इस छोटे से वर्ग में केन्द्रित था।
- मेसोपोटामिया के समाज में एकल परिवार को आदर्श माना जाता था, पिता परिवार का मुखिया होता था।
- पिता के घर, पशुधन व खेत आदि पर उसके पुत्रों का अधिकार होता था। कन्या के माता-पिता कन्या के विवाह के लिए अपनी सहमति देते थे।
- उर, मेसोपोटामिया का एक प्रमुख नगर था जिसकी खुदाई 1930 के दशक में की गई थी।
- उर नगर में नगर नियोजन का अभाव था। इस नगर में जल निकासी एवं सड़कों की व्यवस्था समकालीन मोहनजोदड़ो के समान नहीं थी।
- उर नगर में जल निकासी के लिए नालियाँ घर के भीतरी आँगन में पायी गयी हैं।
- उर नगर में लोग अपने घरों का समस्त कूड़ा-कचरा निकालकर गलियों में डाल देते थे। इस प्रकार बाहर कूड़ा
- डालते रहने से गलियों की सतहें ऊँची उठ जाती थीं।
- घरों के कमरों के अंदर रोशनी खिड़कियों से नहीं, बल्कि उन दरवाजों से आती थी, जो आँगन में खुला करते थे।
- उर नगर में यहाँ के निवासियों के लिए एक कब्रिस्तान था जिसमें राजाओं और सामान्य जनता की समाधियाँ पाई गई हैं।
→ पशुचारक क्षेत्र में एक व्यापारिक नगर
- मेसोपोटामिया का मारी नगर शाही राजधानी के रूप में 2000 ई. पू. के पश्चात् बहुत अधिक समृद्ध हुआ। यह नगर फरात नदी की ऊर्ध्वधारा पर स्थित था।
- मारी नगर में किसान एवं पशुचारक दोनों ही प्रकार के लोग रहते थे। लेकिन उस प्रदेश का अधिकांश भाग भेड़-बकरी चराने के लिए ही काम में लिया जाता था।
- किसानों तथा पशुचारकों के बीच अक्सर झगड़े होते रहते थे। पशुचारक अक्सर अपनी भेड़-बकरियों को पानी पिलाने के लिए किसानों के खेतों से गुजारते थे जिससे फसलों को नुकसान होता था।
- पशुचारक खानाबदोश होते थे और कई बार किसानों के गाँवों पर हमला बोलकर उनका इकट्ठा किया माल लूट लेते थे।
- मेसोपोटामिया के इतिहास से यह पता चलता है कि पश्चिमी मरुस्थल से यायावर (घुमन्तू) समुदाय के लोग कृषि से समृद्ध इस मुख्य भूमि प्रदेश में आते थे।
- ये गड़रिये (पशुचारक) गर्मियों में अपने साथ इस उपजाऊ भूमि के बोये हुए खेतों में अपनी भेड़-बकरियाँ ले आते थे।
- ये समूह गड़रिये, फसल काटने वाले मजदूरों अथवा भाड़े के सैनिकों के रूप में आते थे और समृद्ध होकर यहीं बस जाते थे। उनमें से कुछ ने तो अपना स्वयं का शासन स्थापित करने की भी शक्ति प्राप्त कर ली थी। ये खानाबदोश लोग अक्कदी, एमोराइट, असीरियाई व आर्मीनियन जाति से सम्बन्धित थे।
- मारी नगर के राजा एमोराइट समुदाय के थे। उनकी पोशाक वहाँ के मूल निवासियों से भिन्न थी। इन्होंने मेसोपोटामिया के देवी-देवताओं का आदर ही नहीं किया बल्कि स्टेपी क्षेत्र के देवता 'डैगन' के लिए मारी नगर में एक मन्दिर भी बनवाया। मेसोपोटामिया का समाज और वहाँ की संस्कृति विभिन्न समुदायों के लोगों एवं संस्कृतियों के लिए खुली हुई थी फलस्वरूप वहाँ एक मिश्रित संस्कृति का जन्म हुआ। मारी नगर फरात नदी के किनारे स्थित होने के कारण व्यापार का एक प्रमुख केन्द्र था। यहाँ से लकड़ी, ताँबा, राँगा, तेल, शराब आदि सामग्री का तुर्की, सीरिया व लेबनान से व्यापार होता था।
- यद्यपि मारी राज्य सैनिक दृष्टि से मजबूत नहीं था परन्तु व्यापार और संमृद्धि के मामले में वह अद्वितीय था।
- मारी का विशाल राजमहल वहाँ के शाही परिवार का निवास स्थान तो था ही साथ ही वह प्रशासन और उत्पादन, विशेष रूप से कीमती धातुओं के आभूषणों के निर्माण का मुख्य केन्द्र भी था।
→ मेसोपोटामिया संस्कृति में शहरों का महत्व
- मेसोपोटामिया के लोग शहरी जीवन को अत्यधिक महत्व देते थे जहाँ अनेक समुदायों व संस्कृतियों के लोग साथ-साथ निवास करते थे।
- यहाँ के निवासी अपने शहरों पर अत्यधिक गर्व करते थे। युद्ध में शहरों के नष्ट हो जाने के पश्चात् उन्हें अपने काव्यों के माध्यम से याद करते थे।
→ लेखन कला की देन
- मेसोपोटामिया की सम्पूर्ण विश्व को सर्वाधिक महत्वपूर्ण देन विद्वत्तापूर्ण काल गणना की परम्परा एवं गणित है।
- मेसोपोटामिया के निवासी गुणा, भाग, वर्ग एवं वर्गमूल आदि से पूर्णतः परिचित थे। उन्होंने एक वर्ष को 12 महीनों में, एक महीने को चार सप्ताहों में, एक दिन को 24 घण्टों में एवं एक घण्टे को 60 मिनट में विभाजित किया।
- समय का यह विभाजन सिकन्दर नामक शासक के उत्तराधिकारियों द्वारा अपनाया गया था, वहाँ से यह रोम व इस्लाम की दुनिया में एवं बाद में मध्ययुगीन यूरोप में भी पहुँचा।
- अपनी लोक कला एवं शिक्षा केन्द्रों के कारण ही मेसोपोटामिया के निवासी अपनी उपलब्धियों को सुरक्षित रख सके हैं।
→ एक पुराकालीन पुस्तकालय
- असीरियाई शासक असुरबनिपाल (668-627 ई. पू.) ने अपनी राजधानी निनवै में एक पुस्तकालय की स्थापना की थी। इस पुस्तकालय में इतिहास, महाकाव्य, शकुन साहित्य, ज्योतिष विद्या, स्तुतियों व कविताओं की पट्टिकाएँ उपलब्ध थीं।
- राजा असुरबनिपाल के पुस्तकालय में 1000 मूल ग्रन्थ एवं लगभग 30,000 पट्टिकाएँ थीं जिन्हें विषयवार विभाजित किया गया था।
→ और, एक आरम्भिक पुरातत्त्ववेता
- 625 ई. पू. में दक्षिणी कछार के एक साहसी शासक नैबोपोलास्सर ने बेबीलोनिया को असीरियाई साम्राज्य के आधिपत्य से मुक्त कराया था।
- बेबीलोन एक प्रसिद्ध नगर था जिसमें विशाल राजमहल, भव्य मन्दिरों के साथ-साथ सीढ़ीदार मीनारें भी थीं।
- बेबीलोन के व्यापारिक घराने दूर-दूर तक व्यापार करते थे। इस नगर के गणितज्ञों एवं खगोलविदों ने अनेक अनुसंधान किये थे।
- नैबोनिड्स स्वतंत्र बेबीलोन का अन्तिम शासक था। उसने अपनी पुत्री को महिला पुरोहित के रूप में प्रतिष्ठित करने के साथ-साथ अक्कद के राजा सारगोन की मूर्ति की मरम्मत करवायी और उसका खण्डित सिर बदलवा दिया।
→ मेसोपोटामिया: मेसोपोटामिया शब्द की उत्पत्ति यूनानी भाषा के दो शब्दों मेसोस अर्थात् मध्य एवं पोटैमोस अर्थात् नदी से हुई है। शाब्दिक अर्थ—दो नदियों के मध्य में स्थित प्रदेश।
→ ओल्ड टेस्टामेंट: ईसाइयों की पवित्र पुस्तक बाइबिल का प्रथम भाग।
→ शिमार: ओल्ड टेस्टामेंट की 'बुक ऑफ जेनेसिस' के अनुसार सुमेर ईंटों से निर्मित शहरों की भूमि को 'शिमार' कहा जाता था।
→ ज़िउसूद्र: मेसोपोटामिया के परम्परागत साहित्य में बाइबिल के अनुसार सम्पूर्ण पृथ्वी को नष्ट करने वाली जलप्लावन की कहानी के मुख्य पात्र को ज़िउसूद्र या उतनापिष्टिम कहा जाता था।
→ नोआ: बाइबिल के अनुसार जलप्लावन पृथ्वी पर सम्पूर्ण जीवन को नष्ट करने वाला था लेकिन ईश्वर ने जलप्लावन के पश्चात् भी पृथ्वी पर जीवन को सुरक्षित रखने के लिए जिस व्यक्ति को चुना उसे 'नोआ' नाम से जाना गया।
→ श्रम विभाजन: विभिन्न कार्यों में विभिन्न लोगों का योगदान।
→ काँसा: ताँबा व राँगा के मिश्रण से निर्मित पदार्थ।
→ कीलाकार: इसे अंग्रेजी में क्यूनीफार्म कहते हैं। यह शब्द लातिनी भाषा के शब्द क्यूनियस अर्थात् 'खूटी' तथा फोर्मा अर्थात् 'आकार' से बना है। कीलाकार लिपि विश्व में लिखने की प्राचीनतम विधियों में से एक है। इस लिपि का प्रयोग सर्वप्रथम 30 वीं सदी ई. पू. में सुमेर सभ्यता में उभरा।
→ उर: मेसोपोटामिया के चन्द्रदेवता का नाम।
→ इन्नाना: मेसोपोटामिया की प्रेम व युद्ध की देवी का नाम।
→ स्टेल: पत्थर के ऐसे शिलाखण्ड जिन पर अभिलेख उत्कीर्ण किये जाते हैं, स्टेल कहलाते हैं।
→ अभिलेख: पत्थर, धातु अथवा मिट्टी के बर्तन जैसी कठोर सतह पर खुदे लेख। इनमें प्रायः उन लोगों की उपलब्धियाँ, क्रियाकलाप अथवा विचार लिखे जाते हैं, जो उन्हें बनवाते हैं।
→ एकल परिवार: वह परिवार जिसमें पुरुष, उसकी पत्नी व बच्चे सम्मिलित होते हैं।
→ हौज: जमीन में एक ऐसा ढका हुआ गड्डा जिसमें पानी और मल-मूत्र जाता है, हौज कहलाता है।
→ ज़िगुरात: बेबीलोन शहर में स्थित सीढ़ीदार मीनार।
→ एनमर्कर: उरुक शहर का शासक।
→ असुरबनिपाल: बेबीलोनिया का अन्तिम असीरियाई शासक।
→ नेबोपोलास्सर: दक्षिणी कछार का एक शूरवीर, जिसने 625 ई. पू. में बेबीलोनिया को असीरियाई शासन से मुक्त कराया था।
→ नैबोनिड्स: स्वतंत्र बेबीलोन का अन्ति” शासक।
→ अध्याय में दी गईं महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ)
वर्ष
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सम्बन्धित घटनाएँ
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7000-6000 ई. पू.
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उत्तरी मेसोपोटामिया के मैदानी भागों में कृषि का प्रारम्भ।
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5000 ई. पू.
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दक्षिणी मेसोपोटामिया में सबसे पुराने मन्दिरों का निर्माण व बस्तियों का विकास।
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3200 ई. पू.
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मेसोपोटामिया में लेखनकार्य प्रारम्भ।
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3000 ई.
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उरुक का एक विशाल नगर के रूप में विकास, काँसे के औजारों के उपयोग में वृद्धि।
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500 ई. पू.
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आरम्भिक राजाओं का शासन काल। 2600 मेसोपोटामिया में कीलाकार लिपि का विकास।
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2400 ई. पू.
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मेसोपोटामिया की सबसे पुरानी भाषा सुमेरियन का स्थान अक्कदी भाषा द्वारा लिया जाना।
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2000 ई. पू.
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मिस्र, सीरिया व तुर्की तक कीलाकार लिपि का प्रचार प्रसार, महत्वपूर्ण शहरी केन्द्रों के रूप में मारी एवं बेबीलोन का उद्भव।
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1800 ई. पू.
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गणितीय मूलपाठों—गुणा, भाग, वर्गमल आदि की रचना।
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1400 ई. पू.
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अरामाइक भाषा का प्रयोग।
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1100 ई. पू.
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मेसोपोटामिया असीरियाई साम्राज्य की स्थापना।
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1000 ई. पू.
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लोहे का प्रयोग प्रारम्भ।
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720 - 610 ई. पू.
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असीरियाई साम्राज्य उन्नति के शिखर पर होना।
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668 - 627 ई. पू.
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असीरियाई राजा असुरबनिपाल का शासन काल।
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625 ई. पू.
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नैबोपोलास्सर ने बेबीलोनिया को असीरियाई साम्राज्य के आधिपत्य से मुक्त कराया।
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331 ई. पू.
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सिकन्दर द्वारा बेबीलोनिया पर विजय प्राप्त करना।
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लगभग प्रथम शताब्दी (ईसवी)
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अक्कदी भाषा व कीलाकार लिपि का प्रचलन में होना।
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1850 ई.
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मेसोपोटामिया में पुरातत्वीय खोजों की शुरुआत। कीलाकार लिपि के अक्षरों को पहचाना व पढ़ा जाना।
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