RBSE Class 11 History Notes Chapter 1 समय की शुरुआत से

These comprehensive RBSE Class 11 History Notes Chapter 1 समय की शुरुआत से will give a brief overview of all the concepts.

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RBSE Class 11 History Chapter 1 Notes समय की शुरुआत से

→ मानव का प्रादुर्भाव

  • ऐसा माना जाता है कि आज से लगभग 56 लाख वर्ष पूर्व हमारे भूमण्डल पर मानव के समान प्राणी अस्तित्व में आये।
  • इसके पश्चात इस आदिमानव के अनेक रूप प्रकट हुए और कालांतर में विलुप्त हो गये। इस प्रकार मानव का क्रमिक विकास हुआ।
  • आधुनिक मानव का प्रादुर्भाव लगभग 1.60 लाख वर्ष पूर्व हुआ।
  • प्रारम्भिक मानव जंगली जानवरों का शिकार करके तथा पेड़-पौधों से कंद-मूल तथा फल प्राप्त करके अपना पेट भरता था।
  • धीरे-धीरे प्रारम्भिक मानव ने पत्थरों से औजार बनाना एवं आपस में वार्तालाप करना सीख लिया।
  • इतिहास के प्रारम्भिक चरणों के बारे में जिनका कोई लिखित प्रमाण हमारे पास उपलब्ध नहीं है, जानने के लिए पुरातत्व विज्ञानियों ने उत्खनन से प्राप्त हड्डियों और पत्थर के औजारों की सहायता ली। प्रारम्भिक मानव के इतिहास को समझने में मानव जीवाश्मों की खोजें, पत्थर के औजार एवं गुफाओं की चित्रकारी हमें सहयोग प्रदान करती हैं। 

RBSE Class 11 History Notes Chapter 1 समय की शुरुआत से 

→ मानव का विकास

  • मानव के क्रमिक विकास का प्रमाण हमें मानव की उन प्रजातियों के जीवाश्मों से प्राप्त होता है जो अब लुप्त हो चुकी हैं।
  • 24 नवम्बर 1859 को चार्ल्स डार्विन नामक वैज्ञानिक ने अपनी पुस्तक 'ऑन दि ओरिजिन ऑफ स्पीशीज' (On the Origin of Species) प्रकाशित की। यह पुस्तक मानव की उत्पत्ति के विषय में एक मील का पत्थर सिद्ध हुई। इस पुस्तक में डार्विन ने अपना मत प्रकट किया कि मानव का विकास बहुत समय पहले जानवरों से हुआ।

(क) आधुनिक मानव के पूर्वज

  • मानव के विकास के क्रम को 360 से 240 लाख वर्ष तक खोजा जा सकता है।
  • यह वह समय था जब एशिया तथा अफ्रीका में स्तनपायी प्राणियों की प्राइमेट (Primates) नामक श्रेणी का उद्भव हुआ था।
  • उसके बाद, लगभग 240 लाख वर्ष पहले 'प्राइमेट' श्रेणी में एक उपसमूह उत्पन्न हुआ जिसे होमिनॉइड (Hominoids) कहते हैं। इस उपसमूह में वानर यानी एप (Ape) शामिल थे। लगभग 56 लाख वर्ष पहले, हमें पहले होमिनिड (Hominids) प्राणियों के अस्तित्व का अफ्रीका से साक्ष्य मिलता है।

होमिनिड समूह के प्राणियों की विशेषताएँ हैं

  • मस्तिष्क का बड़ा आकार। 
  • पैरों के बल सीधे खड़े होने की क्षमता।
  • दो पैरों के बल चलना।
  • हाथों की विशेष क्षमता, जिनसे वह औजार बना सकता था। 

होमिनिडों को कई शाखाओं में बाँटा जा सकता है। इनमें आस्ट्रेलोपिथिकस (Australopithecus) एवं होमो (Homo) प्रमुख हैं। आस्ट्रेलोपिथिकस एवं होमो में मुख्य अन्तर मस्तिष्क के आकार, जबड़ों तथा दाँतों के आधार पर किया जा सकता है। आस्ट्रेलोपिथिकस के मस्तिष्क का आकार होमो की अपेक्षा बड़ा होता है, जबड़े अधिक भारी होते हैं तथा दाँत भी अधिक बड़े होते हैं।

  • आस्ट्रेलोपिथिकस (Australopithecus) शब्द की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द आस्ट्रल (Austral) यानी दक्षिणीतथा ग्रीक भाषा के शब्द पिथिकस (Pithekos) से हुई जिसका अर्थ है-वानर (Ape)।
  • हड्डियों की रचना के आधार पर प्रारम्भिक मानव के अवशेषों को विभिन्न प्रजातियों में विभाजित किया गया है। उदाहरण के लिए, प्रारम्भिक मानव अपनी खोपड़ियों के आकार एवं जबड़ों के आधार पर पृथक किये जा सकते हैं। 
  • लेतोली (तंजानिया) में होमिनिड के पदचिह्नों के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं तथा हादार (इथियोपिया) से प्राप्त हड्डियों के जीवाश्मों से यह पता चलता है कि तत्कालीन मानव दो पैरों पर चलने लगा था। 
  • लगभग 25 लाख वर्ष पूर्व, ध्रुवीय हिमाच्छादन से जब पृथ्वी का एक बड़ा भू-भाग बर्फ से ढक गया तो जलवायु व पर्यावरण की स्थिति में बड़ा परिवर्तन हुआ।
  • तापक्रम एवं वर्षा की कमी के कारण घास भूमि के क्षेत्रों का विस्तार होने से आस्ट्रेलोपिथिकस धीरे-धीरे विलुप्त होते गए तथा उनके स्थान पर उनकी दूसरी प्रजातियों का उद्भव हुआ जिसके आरम्भिक प्रतिनिधि 'होमो' थे। 

होमो (Homo) लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है-'आदमी'। वैज्ञानिकों ने होमो को कई प्रजातियों में विभाजित किया है

  • होमो हैबिलिस (औजार बनाने वाला मनुष्य),
  • होमो एरेक्टस (सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलने वाला मनुष्य),
  • होमो सैपियंस (बुद्धिमान अथवा चिंतनशील मनुष्य)। 
  • होमो हैबिलिस के जीवाश्म इथियोपिया में ओमो और तंजानिया में ओल्डुवई गोर्ज से प्राप्त हुए हैं। 
  • होमो एरेक्टस के प्राचीनतम जीवाश्म अफ्रीका एवं एशिया दोनों महाद्वीपों में पाए गये हैं। इनमें केन्या के कूबीफ़ोरा व पश्चिमी तुर्काना और जाबा (इण्डोनेशिया) के मोड़ जोकर्ता व संगीरन प्रमुख हैं।
  • ऐसा माना जाता है कि होमिनिड पूर्वी अफ्रीका से चलकर दक्षिणी व उत्तरी अफ्रीका, दक्षिणी व पूर्वोत्तर एशिया तक सम्भवतः यूरोप में भी 20 से 15 लाख वर्ष पहले गए। यह प्रजाति लगभग दस लाख वर्ष पहले तक जीवित रही। कुछ मामलों में जीवाश्मों के नाम उन स्थानों के नामों पर भी रखे गए हैं, जहाँ से वे प्रथम बार प्राप्त हुए हैं।
  • हाइडलबर्ग (जर्मनी) में पाए जाने वाले जीवाश्म होमो हाइडलबर्गेसिस तथा निअंडर घाटी में पाए जाने वाले जीवाश्म होमो निअंडरथलैंसिस कहलाये।
  • यूरोप में पाए जाने वाले सबसे पुराने जीवाश्म होमो हाइडलबर्गेसिस व होमो निअंडरथलैंसिस के हैं। इन दोनों जीवाश्मों की प्रजातियाँ होमोसैपियंस (आद्य प्राज्ञ मानव) की हैं।
  • हाइडलबर्ग मानव के जीवाश्म अफ्रीका, एशिया तथा यूरोप में पाये गये हैं।
  • निअंडरथल मानव 130000 से 35000 वर्ष पहले तक यूरोप, पश्चिम और मध्य एशिया में निवास करते थे। वे
  • पश्चिमी यूरोप में लगभग 35000 वर्ष पहले अचानक विलुप्त हो गये।
  • आस्ट्रेलोपिथिकस, आरम्भिक होमो एवं होमो एरेक्टस नामक मानव प्रजातियाँ अफ्रीका महाद्वीप में सहारा के
  • आस-पास के क्षेत्रों में लगभग 50 लाख से 10 लाख वर्ष पूर्व तक निवास करती थीं।
  • होमो एरेक्टस, आद्य होमोसैपियंस, निअंडरथल एवं होमोसैपियंस नामक प्रजातियाँ अफ्रीका, एशिया एवं यूरोप के मध्य-अक्षांश क्षेत्र में लगभग 10 लाख से 40 हजार वर्ष पूर्व तक निवास करती थीं।
  • आधुनिक मानव आस्ट्रेलिया में 45000 वर्ष पूर्व तक निवास करता था।
  • बाद वाले निअंडरथल व आधुनिक मानव नामक प्रजातियाँ उच्च अक्षांश पर यूरोप व एशिया-प्रशांत द्वीप समूह में तथा उत्तरी व दक्षिणी अमरीकी मरुस्थल व वर्षा वन क्षेत्र में 40,000 वर्ष से वर्तमान तक निवास करती हैं।

(ख) आधुनिक मानव का उद्भव
आधुनिक मानव के उद्भव के विषय में दो मत प्रचलित हैं, जो परस्पर विरोधाभासी हैं

  • क्षेत्रीय निरन्तरता मॉडल के अनुसार, विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न मनुष्यों का विकास हुआ।
  • प्रतिस्थापन मॉडल के अनुसार, मनुष्य का उद्भव एक ही स्थान अफ्रीका में हुआ था। 

→ प्रतिस्थान और क्षेत्रीय निरंतरता

  • प्रतिस्थापन मॉडल में यह कल्पना की गयी है कि मानव के सभी पुराने रूप, चाहे वे कहीं भी थे, बदल गये और उनका स्थान पूरी तरह आधुनिक मानव ने ले लिया। इस विचारधारा का समर्थन इस साक्ष्य से होता है कि आधुनिक मानव में सभी स्थानों पर शारीरिक और जननिक यानी उत्पत्ति-मूलक समरूपता पायी जाती है। इनमें यह समानता इसलिए पायी जाती है कि उनके पूर्वज एक ही क्षेत्र अर्थात अफ्रीका में उत्पन्न हुए थे और वहीं से अन्य स्थानों को गये। 
  • इथोपिया में ओमो स्थान पर प्राप्त, आधुनिक मानव के पुराने जीवाश्मों के साक्ष्य भी प्रातिस्थापन मॉडल का समर्थन करते हैं। 
  • प्रतिस्थापन मॉडल का समर्थन करने वाले विद्वानों का कहना है कि आज के मनुष्यों में जो शारीरिक भिन्नताएँ पायी जाती हैं, उनका कारण उन लोगों का परिस्थितियों के अनुसार हजारों वर्षों की अवधि में अपने आपको ढाल लेना है जो उन विशेष क्षेत्रों में गये और अंततोगत्वा वहाँ स्थायी रूप से बस गये।

RBSE Class 11 History Notes Chapter 1 समय की शुरुआत से

→ आदिकालीन मानव : भोजन प्राप्त करने के तरीके

  • आदिकालीन मानव विभिन्न तरीकों से भोजन प्राप्त करता था। उदाहरण के लिए-संग्रहण, शिकार, मछली पकड़ना व अपमार्जन आदि।
  • विद्वानों के अनुसार, आदिकालीन होमोनिड भोजन के लिए माँस की तलाश मरे जानवरों के शवों से करते होंगे। ये जानवर स्वाभाविक तौर पर मर जाते होंगे अथवा अन्य जानवरों के द्वारा मार दिये जाते होंगे। यह भी संभव है कि प्रारम्भिक होमोनिड छोटे स्तनपायी जानवरों, जैसे-चूहे व छछूदर तथा पक्षियों व उनके अंडों के अतिरिक्त कीड़े-मकोड़ों को भी खाते होंगे।
  • शिकार लगभग 5 लाख वर्ष पूर्व प्रारम्भ हुआ। नियोजित तथा जानबूझकर बड़े स्तनधारियों के वध के प्रारम्भिक स्पष्ट प्रमाण दक्षिणी इंग्लैण्ड में 5 लाख वर्ष पहले बॉक्सग्रोव तथा जर्मनी में 4 लाख वर्ष पहले शोनिंजन से प्राप्त हुए हैं।
  • लगभग 35,000 वर्ष पूर्व यूरोप के कुछ स्थलों से योजनाबद्ध ढंग से शिकार के प्रमाण प्राप्त हुए हैं। उदाहरण के लिए-चैक गणराज्य में दोलनी वेस्तोनाइस स्थल। यह स्थल नदी के समीप था। यह माना जाता है कि प्रवासी पशुओं के झुण्ड; जैसे-रेन्डियर व घोड़े पतझड़ व वसन्त ऋतुओं में प्रजनन के दौरान नदी को पार करते होंगे और तब उन्हें मार दिया जाता होगा। 

→ आदिकालीन मानव का निवास स्थान

  • पुरातत्वविदों का मत है कि एक ही क्षेत्र में होमिनिड अन्य प्राइमेटों एवं माँसाहारियों के साथ निवास करते थे। पूर्व होमिनिड भी होमोहैबिलिस की भाँति जहाँ कहीं भी और जैसा भी भोजन प्राप्त हो जाता था, वही खा लेते थे। वे विभिन्न स्थानों पर सोते थे तथा अपना अधिकांश समय वृक्षों पर व्यतीत करते थे। 
  • लगभग 4 लाख से 1.25 लाख वर्ष पूर्व गुफाओं तथा खुले निवास स्थलों का, प्रचलन शुरू हो गया था। इस बात के प्रमाण यूरोप के अनेक स्थलों से प्राप्त हुए हैं। दक्षिणी फ्रांस की लेज़रेट गुफा में 12x4 मीटर आकार का एक आश्रय स्थल प्राप्त हुआ है। इसके अन्दर दो चूल्हों एवं विभिन्न भोजन स्रोतों के प्रमाण मिले हैं।
  • दक्षिणी फ्रांस के समुद्र तट पर स्थित टेरा अमाटा नामक स्थान से भी लकड़ी व घास की छतों वाली कमजोर झोंपड़ियों के प्रमाण मिले हैं।

→ प्रारंभिक मानव : औजारों का निर्माण

  • आदिकालीन मानव द्वारा पत्थर के औजार बनाने एवं उनको प्रयोग किये जाने के सबसे प्राचीन प्रमाण इथियोपिया व केन्या के पुरास्थलों से प्राप्त हुए हैं।
  • आस्ट्रेलोपिथिकस नामक मानव प्रजाति ने सम्भवतः सर्वप्रथम पत्थर के औजार बनाये थे। इस बात की सम्भावना है कि पत्थर के औजार पुरुषों तथा स्त्रियों दोनों के द्वारा बनाये जाते थे। 
  • लगभग 35000 वर्ष पहले जानवरों को मारने की विधियों में भी सुधार के प्रमाण मिलते हैं। नए प्रकार के औजारों; जैसे-फेंकने वाली बरछी, धनुष व तीर का प्रयोग किया जाता था।
  • कुछ और भी परिवर्तन आये; जैसे-समूरदार जानवरों को पकड़ा जाना और उनकी रोएँदार खाल का कपड़े की तरह प्रयोग करना और सिलने के लिए सुई का आविष्कार होना।
  • लगभग 21000 वर्ष पहले सिले हुए कपड़ों के प्रमाण उपलब्ध हैं। पंच ब्लेड तकनीक के द्वारा छोटे रूखानी जैसे औजार बनाए जाने लगे। इन्हीं की सहायता से हड्डियों, बारहसिंगों के सींग, हाथी दाँत या लकड़ी पर नक्काशी की जाने लगी। 

→ संप्रेषण एवं संचार के माध्यम : भाषा और कला

  • भाषा एवं कला के मध्य बहुत अधिक गहरा सम्बन्ध होता है क्योंकि ये दोनों ही विचार अभिव्यक्ति के माध्यम हैं।
  • जीवित प्राणियों में केवल मनुष्य ही भाषा का प्रयोग करते हैं।
  • ऐसा माना जाता है कि होमोहैबिलिस मानव के मस्तिष्क में ऐसी कुछ विशेषताएँ थीं, जिनसे वे बोल सकते थे।
  • सम्भवतः भाषा का विकास सर्वप्रथम 20 लाख वर्ष पूर्व प्रारम्भ हुआ होगा।
  • इसी प्रकार आधुनिक मानव में स्वरतंत्र का विकास लगभग 2 लाख वर्ष पहले हुआ होगा।
  • फ्रांस की लैसकॉक्स व शोवे की गुफाओं तथा स्पेन की आल्टामीरा की गुफा में अनेक पशुओं के सैकड़ों चित्र प्राप्त हुए हैं। इनमें जंगली बैलों, घोड़ों, हिरणों, गैंडों, शेरों, भालुओं एवं तेंदुओं, लकड़बग्घों व उल्लुओं के चित्र आदि प्रमुख हैं। 

→अफ्रीका में शिकारी-संग्राहकों के साथ प्रारम्भिक संपर्क
सन् 1870 में अफ्रीका के कालाहारी मरुस्थल में निवास करने वाले 'कुंग सैन' नाम के एक शिकारी संग्राहक समाज के साथ एक अफ्रीकी पशुचारक समूह के एक सदस्य का प्रथम बार सम्पर्क हुआ।

→ हादज़ा जनसमूह

  • 'हादज़ा' शिकारियों एवं संग्राहकों का एक छोटा समूह है जो 'लेक इयासी' नामक खारे पानी की झील के समीप रहते हैं।
  • हादजा लोग हाथी को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के जानवरों का शिकार करते हैं तथा उनका माँस खाते हैं।
  • इनके शिविर पेड़ों अथवा चट्टानों के बीच लगाए जाते हैं।
  • ये लोग भूमि एवं उसके संसाधनों पर अपना अधिकार नहीं जताते हैं।
  • इनके क्षेत्र में पर्याप्त पशु उपलब्ध होने के बावजूद ये लोग भोजन के लिए मुख्य रूप से जंगली साग-सब्जियों पर ही निर्भर रहते हैं।
  • इनके भोजन का लगभग 80 प्रतिशत भाग मुख्य रूप से वनस्पतिजन्य होता है तथा शेष 20 प्रतिशत माँस व शहद से पूरा किया जाता है।

→ शिकारी-संग्राहक समाज : वर्तमान से अतीत की ओर 

  • वर्तमान शिकारी-संग्राहक समाजों के बारे में प्राप्त जानकारी का उपयोग क्या सुदूर अतीत के मानव के जीवन को पुनर्निर्मित करने में किया जा सकता है ? इस सम्बन्ध में वर्तमान में दो विचारधाराएँ प्रचलित हैं जो परस्पर विरोधी हैं।
  • प्रथम विचारधारा को मानने वाले विद्वानों ने वर्तमान के शिकारी-संग्राहक समाजों से प्राप्त विशिष्ट तथ्यों एवं आँकड़ों का प्रत्यक्षतया अतीत के पुरातत्वीय अवशेषों की व्याख्या करने के लिए उपयोग कर लिया है। 
  • दूसरी विचारधारा को मानने वाले विद्वानों के अनुसार संजातिवृत्त सम्बन्धी तथ्यों एवं आँकड़ों का उपयोग अतीत के समाजों को समझने के लिए नहीं किया जा सकता क्योंकि दोनों चीजें एक-दूसरे से पूर्णतः भिन्न हैं।
  • वर्तमान के शिकारी संग्राहक समाजों में आपस में भी बहुत अधिक भिन्नता दिखाई देती है।
  • भोजन प्राप्त करने के मामले में श्रम विभाजन को लेकर भी कोई आम सहमति नहीं है। यद्यपि आज भी अधिकांशतया स्त्रियाँ ही भोज्य सामग्री जुटाने का कार्य करती हैं तथा पुरुष शिकार करते हैं। 

RBSE Class 11 History Notes Chapter 1 समय की शुरुआत से

→ उपसंहार

  • शिकारी संग्राहक समाजों ने 10,000 से 45,00 वर्ष पहले तक कृषि करना एवं पशुओं को पालतू बनाना सीख लिया था। इसके फलस्वरूप कृषि एवं पशुपालन कार्य उनकी जीवनपद्धति का हिस्सा बन गया।
  • हिमयुग लगभग 13,000 वर्ष पहले समाप्त हुआ एवं इसके साथ ही अधिक गर्म एवं नम मौसम की शुरुआत हुई।
  • इसके परिणामस्वरूप घास व जंगल तथा जौ व गेहूँ के लिए उपयुक्त दशाएँ विकसित हुईं। लगभग 10,000 वर्ष पहले कृषि एवं पशुचारण का विकास जिस क्षेत्र में हुआ उसे उर्वर अर्धचन्द्राकार प्रदेश कहा गया। इसका विस्तार भूमध्य सागर के तट से ईरान में जागरोस पर्वतमाला तक था।
  • कृषि एवं पशुचारण से कई अन्य परिवर्तन हुए; जैसे-मिट्टी के ऐसे बर्तन बनने लगे जिनमें अनाज को रखा जा सके एवं खाना पकाया जा सके। धीरे-धीरे लोग टिन एवं ताँबे जैसी धातुओं से परिचित हो गए। पहिए के आविष्कार ने बर्तन बनाने एवं परिवहन को सुगम बनाया।
  • लगभग 5000 वर्ष पहले शहरों में लोगों की संख्या बढ़ने लगी।

अध्याय में दी गईं महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ 
काल-रेखा 1 (लाख वर्ष पूर्व) 

वर्ष

सम्बन्धित घटनाएँ।

360 - 240 लाख वर्ष पूर्व

एशिया एवं अफ्रीका में स्तनपायी प्राणियों की नर वानर (प्राइमेट) नामक श्रेणी का उद्भव हुआ था।

240 लाख वर्ष पूर्व

होमिनॉइड, गिब्बन, एशियाई ओरांगउटान एवं अफ्रीका वानर (गोरिल्ला, चिंपैंजी एवं बोनोबो 'पिग्मी' चिंपैंजी) का उद्भव।

64 लाख वर्ष पूर्व

होमिनॉइड एवं होमिनिड की शाखाओं में विभाजन। 56 लाख वर्ष पूर्व आस्ट्रेलोपिथिकस नामक मानव प्रजाति का उद्भव।

26 से 25 लाख वर्ष पूर्व

सर्वप्रथम पत्थर के औजारों का निर्माण ।

25 से 20 लाख वर्ष पूर्व

अफ्रीका महाद्वीप के ठण्डे व शुष्क होने से जंगलों में कमी आयी एवं घास के मैदानों में वृद्धि हुई।

25 से 20 लाख वर्ष पूर्व

होमो नामक मानव प्रजाति का उद्भव।

22 लाख वर्ष पूर्व

होमोहैबिलिस नामक मानव प्रजाति का उद्भव।

18 लाख वर्ष पूर्व

होमो एरेक्टस नामक मानव प्रजाति का उद्भव।

13 लाख वर्ष पूर्व

आस्ट्रेलोपिथिकस नामक मानव प्रजाति का विलुप्त होना।

8 लाख वर्ष पूर्व

आद्य सैपियंस व होमो हाइडलबर्गेसिस नामक मानव प्रजाति का उद्भव।

1.9 से 1.6 लाख वर्ष पूर्व

आधुनिक मानव (होमो सैपियंस) का उद्भव।

काल-रेखा 2 (लाख वर्ष पूर्व)

वर्ष

सम्बन्धित घटनाएँ

300,000

शवों को दफनाने की प्रथा का सबसे पहला साक्ष्य प्राप्त।

200,000

होमोएरेक्टस नामक मानव प्रजाति का विलुप्त होना।

200,000

स्वर तंत्र का विकास।

200,000 - 1,30,000

भारत की नर्मदा - घाटी से आद्य होमो सैपियंस नामक मानव प्रजाति की खोपड़ी प्राप्त।

1,95000 - 1,60000

पृथ्वी पर आधुनिक मानव का प्रादुर्भाव।

1,30000

पृथ्वी पर निअंडरथल मानव का प्रादुर्भाव।

1,25000

चूल्हों के उपयोग का सबसे पहला साक्ष्य प्राप्त ।

35.000

निअंडरथल मानव का पृथ्वी से विलुप्त होना।

2,7000

अग्नि में पकाई गई चिकनी मिट्टी की छेटी - छोटी मूर्तियों का सबसे पहला साक्ष्य प्राप्त।

2,1000

 सिलने के लिए सुई का आविष्कार होना।

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विश्व में मानव प्रजातियों का निवास 

वर्ष

सम्बन्धित विवरण

5000000 - 1000000 लाख वर्ष पूर्व

अफ्रीका में सहारा के समीपवर्ती क्षेत्रों में आस्ट्रेलोपिथिकस, प्रारम्भिक होमो  एवं होमो एरेक्टस नामक मानव प्रजातियों का निवास करना।

1000000 लाख - 40,000 वर्ष पूर्व

 अफ्रीका, एशिया और यूरोप के मध्य अक्षांश क्षेत्रों में होमोएरेक्टस, आद्य होमोसैपियंस, निअंडरथल मानव, होमोसैपियंस (आधुनिक मानव) का निवास करना।

45,000 वर्ष पूर्व

आधुनिक मानव का आस्ट्रेलिया में निवास करना।

40,000 वर्ष से वर्तमान तक

उच्च अक्षांशीय यूरोप, एशिया  प्रशांत द्वीप समूह, उत्तरी व दक्षिणी अमरीकी मरुस्थल एवं वर्षा वन में निअंडरथल एवं आधुनिक मानव का निवास करना।

आधुनिक मानव के प्राचीनतम जीवाश्म

कब (वर्ष पूर्व)

 (प्राप्ति स्थल)

195,000-160,000

ओमो किबिश (इथियोपिया)

120,000-50,000

बार्डर गुफा, दी केल्डर्स, क्लासीज़ नदी का मुहाना (दक्षिणी अफ्रीका)

70,000-50,000

दर एस सुल्तान (मोरक्को)

100,000-80,000

कफज़ेह स्खुल (इजराइल)

45,000-35,000

 मुंगो झील (ऑस्ट्रेलिया)

40,000

नियाह गुफा (बोर्नियो - इण्डोनेशिया)

35,000

क्रोमैगनन, लेस आइज़ीस के समीप (फ्रांस)

→ निअंडर घाटी-यह जर्मनी के डसेलडोर्फ नगर के समीप स्थित है। अगस्त 1856 में श्रमिकों द्वारा इस घाटी में चूने के पत्थरों की खुदाई करते समय एक खोपड़ी व अस्थिपंजर के कुछ टुकड़े प्राप्त हुए।

→ ओल्डुवई गोर्ज-यह पूर्वी अफ्रीका के तंजानिया नामक देश में स्थित एक रिफ्ट घाटी है। इसे 20वीं शताब्दी के प्रारम्भ में एक जर्मन तितली संग्राहक द्वारा खोजा गया था। यहाँ आदिकालीन मानव के इतिहास के चित्र पाए गए हैं।

→ लेतोली-तंजानिया नामक अफ्रीका देश में स्थित इस स्थान से होमिनिड नामक मानव प्रजाति के पदचिह्नों के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं।

→ हादार-इथियोपिया नामक अफ्रीकी देश में स्थित इस स्थान से हड्डियों के जीवाश्म मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि तत्कालीन मानव दो पैरों पर चलने लगा था।

→ ओमो-इथियोपिया में स्थित इस स्थान से होमोहैबिलिस के जीवाश्म प्राप्त हुए। 6. हाइडलबर्ग-जर्मनी में स्थित इस शहर में होमो हाइडलबर्गेसिस नामक मानव प्रजाति के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं।

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→ बॉक्सग्रोव-दक्षिणी इंग्लैंड स्थित इस स्थान से 5 लाख वर्ष पूर्व के बड़े स्तनपायी जानवरों के शिकार एवं उनका वध करने का सबसे पुराना साक्ष्य प्राप्त हुआ है।।

→ शोनिंजन-जर्मनी नामक देश में स्थित इस स्थान से भी 4 लाख वर्ष पूर्व के जानवरों के शिकार व उनको दफन करने के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।

→ दोलनी वेस्तोनाइस-चैक गणराज्य स्थित इस स्थान से 35,000 वर्ष पूर्व मानव के योजनाबद्ध ढंग से शिकार करने के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।

→ किलोंबे व ओलोर्जेसाइली-केन्या स्थित इन वन स्थलों से लगभग 7 लाख से 5 लाख वर्ष पुराने शल्क उपकरण व हस्तकुठार की प्राप्ति हुई है। .

→ लेज़रेट गुफा-दक्षिणी फ्रांस में स्थित इस गुफा की दीवार को 12 x 4 मीटर आकार के एक निवास स्थान से सटाकर बनाये जाने के प्रमाण मिले हैं।

→ टेरा अमाटा-दक्षिणी फ्रांस के समुद्रतट पर स्थित इस स्थान से घास-फूस और लकड़ी की छत वाली कच्ची-कमजोर झोंपड़ियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं।

→ चेसोवांजा-केन्या स्थित इस स्थान से लगभग 14 लाख से 10 लाख वर्ष पुराने पत्थर के औजारों के साथ-साथ आग में पकाई गई चिकनी मिट्टी व जली हुई हड्डियों के टुकड़े प्राप्त हुए हैं।

→ स्वार्टक्रान्स-दक्षिणी अफ्रीका स्थित इस स्थान से 14 लाख से 10 लाख वर्ष पुराने पत्थर के औजार, आग में पकाई गई चिकनी मिट्टी एवं जली हुई हड्डियों के टुकड़े प्राप्त हुए हैं।

→ आल्टामीरा-स्पेन में स्थित इस गुफा से प्राचीन मानव द्वारा की गई चित्रकारी के प्रमाण प्राप्त हुए हैं।

→ लैसकॉक्स व शोवे-फ्रांस में स्थित इन दोनों गुफाओं से जानवरों की चित्रकारी के साक्ष्य मिले हैं।

→ जीवाश्म-जीवाश्म अत्यधिक पुराने पौधे, जानवर या मानव के उन अवशेषों को कहते हैं जो एक पत्थर के रूप में परिवर्तित हो गये हैं। सामान्यतया जीवाश्म किसी चट्टान में समा जाते हैं और लाखों वर्ष तक इसी रूप में सुरक्षित रहते हैं।

→ प्रजातियाँ-प्रजाति ऐसे जीवों का एक समूह होती है जो प्रजनन द्वारा नई संतान उत्पन्न कर सकते हैं परन्तु एक प्रजाति के जीव किसी अन्य प्रजाति के जीवों से शारीरिक सम्बन्ध स्थापित करके बच्चे उत्पन्न नहीं कर सकते।

→ निअंडरथल मानव-प्राचीन मानव प्रजाति, इसकी हड्डियाँ सर्वप्रथम जर्मनी की निअंडर घाटी में पायी गईं। ये मानव लगभग 1,30,000 से 35000 वर्ष पहले यूरोप, पश्चिमी एशिया एवं मध्य एशिया में रहा करते थे।

RBSE Class 11 History Notes Chapter 1 समय की शुरुआत से

→ आस्ट्रेलोपिथिकस-प्रारम्भिक वानर मानव के लिए प्रयुक्त शब्द। यह शब्द लातिनी भाषा के शब्द 'आस्ट्रल' अर्थात् दक्षिणी और यूनानी भाषा के शब्द “पिथिकस' अर्थात् वानर से मिलकर बना है। ये 50 से 10 लाख वर्ष पूर्व अफ्रीका में सहारा मरुस्थल के समीप निवास करते थे।

→ होमो-यह एक लातिनी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है-आदमी, इसमें स्त्री व पुरुष दोनों सम्मिलित हैं। वैज्ञानिकों ने होमो को कई प्रजातियों में विभाजित किया है और इन प्रजातियों को उनकी विशेषताओं के आधार पर भिन्न-भिन्न नाम प्रदान किए हैं।

  • होमो हैबिलिस (औजार बनाने वाले)
  • होमो एरेक्टस (सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलने वाले)
  • होमो सैपियंस (प्राज्ञ या चिंतनशील मनुष्य)

→ होमोसैपियंस-आधुनिक मानव प्रजाति। इनका समय 1.9 लाख से 1.6 लाख वर्ष पूर्व माना जाता है।

→ प्राइमेट-यह स्तनपायी प्राणियों के एक बड़े समूह के अन्तर्गत एक उपसमूह है। इसके अन्तर्गत, वानर, लंगूर, एवं मानव सम्मिलित हैं। इनके शरीर पर बाल मिलते हैं। मादाओं में बच्चों को दूध पिलाने के लिए ग्रंथियाँ होती हैं। इनका गर्भकाल अपेक्षाकृत लम्बा होता है।

→ होमिनॉइड-लगभग 240 लाख पूर्व उत्पन्न प्राइमेट श्रेणी का एक उपसमूह। ये वानर मानव, बंदरों से कई तरह से भिन्न होते हैं। इनका शरीर बंदरों से बड़ा होता है, इनकी पूँछ नहीं होती।

→ होमिनिड-होमिनॉइड उपसमूह से विकसित मानव प्राणिवर्ग। इनका उद्भव लगभग 56 लाख वर्ष पूर्व अफ्रीका से माना जाता है। ये मानव सीधे खड़े होकर पिछले दो पैरों के बल चलते थे। इनके हाथ विशेष किस्म के होते थे। जिनकी सहायता से ये औजार बना सकते थे और इनका प्रयोग कर सकते थे।

→ हिमयुग-लगभग 25 लाख वर्ष पूर्व का समय जब पृथ्वी के अधिकांश भाग बर्फ से ढके हुए थे।

→ होमो हाइडलबर्गेसिस-जर्मनी के हाइडल शहर में पाए गए मानव जीवाश्मों के लिए प्रयुक्त नाम।

→ होमो निअंडरथलैंसिस-जर्मनी की निअंडर घाटी में पाए गए मानव जीवाश्मों को होमो निअंडरथलैंसिस कहा गया। ये मानव 1,30,000 से 35000 वर्ष पूर्व तक यूरोप में, पश्चिमी एवं मध्य एशिया में निवास करते थे।

→ अपमार्जन-अपमार्जन से आशय त्यागी हुई वस्तुओं की सफाई करने से है। यह प्राचीन मानव के भोजन प्राप्त करने का एक तरीका था। आदिकालीन होमिनिड मानव अपमार्जन के द्वारा उन जानवरों की लाशों से मांस, मज्जा खुरचकर निकालते थे जो जानवर अपने आप मर जाते थे या अन्य हिंसक जानवरों द्वारा मार दिये जाते थे।

→ संग्रहण-भोजन प्राप्त करने का एक तरीका। इस क्रिया में प्राचीन मानव पेड़-पौधों से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों; जैसे-बीज, गुठलियाँ, बेर, फल व कंदमूल एकत्र करता था।

→ रसदखोरी-रसदखोरी से आशय भोजन की तलाश करने से है। 

→ पुरातत्वविद्-वह व्यक्ति जो पुरातत्व का अच्छा ज्ञान रखता हो पुरातत्वविद् कहलाता है। पुरातत्व वह विधा होती है जिसमें प्राचीनकालीन मुख्यतः प्राग् ऐतिहासिक काल की वस्तुओं के आधार पर अज्ञात इतिहास का पता लगाया जाता है।

RBSE Class 11 History Notes Chapter 1 समय की शुरुआत से

→ शिल्पकृतियाँ-ये मानव निर्मित वस्तुएँ होती हैं। इनमें अनेक प्रकार की चीजें सम्मिलित होती हैं; जैसे-औजार, चित्रकारियाँ, मूर्तियों व उत्कीर्ण चित्र आदि।

→ मानव विज्ञान-विज्ञान की वह शाखा जिसमें मानव संस्कृति और मानव जीवविज्ञान के उद्विकासीय पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।

→ संजातिवृत्त-समकालीन नृजातीय समूहों का विश्लेषणात्मक अध्ययन संजातिवृत्त कहलाता है। इसके अन्तर्गत उनके रहन-सहन, खान-पान, आजीविका के साधन, प्रौद्योगिकी आदि की जाँच की जाती हैं। इसके अतिरिक्त स्त्री-पुरुष की भूमिका, कर्मकांड, रीति-रिवाज, राजनीतिक संस्थाओं और सामाजिक रूढ़ियों का अध्ययन किया जाता है।

→ विभ्रंश घाटी-भ्रंशन क्रिया द्वारा निर्मित दरार घाटी। जब किसी स्थान पर दो सामान्य भ्रंश कई किलोमीटर की लम्बाई में इस तरह पड़ते हैं कि उनके बीच का भाग नीचे धंस जाता है और एक घाटी का निर्माण हो जाता है, उसे विभ्रंश घाटी या रिफ्ट घाटी कहते हैं। उदाहरण-पूर्वी अफ्रीका विभ्रंश घाटी।

→ कार्ल फुलरौट-डसेलडोर्फ (जर्मनी) नगर का एक स्कूली शिक्षक जो प्राकृतिक इतिहासज्ञ भी था। इसने अगस्त 1856 में निअंडर घाटी से प्राप्त एक खोपड़ी व अस्थिपंजर की जाँच कर बताया कि यह खोपड़ी आधुनिक मानव की नहीं थी।

→ हरमन शाफहौसेन-जर्मनी के बॉन विश्वविद्यालय के शरीर रचना विज्ञान के एक प्रोफेसर, जिन्होंने अगस्त 1856 में निअंडर घाटी से खोजी गई खोपड़ी की जाँचकर यह बताया कि खोपड़ी ऐसे मानव की है जो अब अस्तित्व में नहीं है। इस हेतु इन्होंने एक शोध पत्र भी प्रकाशित किया था।

→ चार्ल्स डार्विन-एक प्रसिद्ध जीवविज्ञानी। इन्होंने मानव की उत्पत्ति के विषय में 24 नवम्बर 1859 को 'ऑन दि ओरिजिन ऑफ स्पीशीज' नामक पुस्तक प्रकाशित करवायी, जिसमें उन्होंने बताया कि मानव बहुत समय पहले जानवरों से ही क्रमिक रूप से विकसित होकर अपने वर्तमान रूप में आया है।

→ मेरी एवं लुईस लीकी-इन दोनों विद्वानों ने पूर्वी अफ्रीका की ओल्डुवई गोर्ज रिफ्ट घाटी में लगभग 40 वर्षों से भी अधिक समय तक शोध कार्य किया। यहाँ आदिकालीन मानव के इतिहास चिह्न पाए गए हैं।

→ मार्सिलीनो सैंज दि सउतुओला-स्थानीय भूस्वामी व पुरातत्वविद्। इन्होंने आल्टामीरा (स्पेन) की गुफा की छत पर निर्मित चित्रकारियों की खोज की।

→ मारिया-मार्सिलीनो की पुत्री। इन्होंने ही नवम्बर 1879 में अपने पिता का ध्यान आल्टामीरा (स्पेन) की गुफा की छत पर निर्मित चित्रकारियों की ओर दिलाया।

Prasanna
Last Updated on July 26, 2022, 11:33 a.m.
Published July 25, 2022