These comprehensive RBSE Class 11 History Notes Chapter 1 समय की शुरुआत से will give a brief overview of all the concepts.
→ मानव का प्रादुर्भाव
→ मानव का विकास
(क) आधुनिक मानव के पूर्वज
होमिनिड समूह के प्राणियों की विशेषताएँ हैं
होमिनिडों को कई शाखाओं में बाँटा जा सकता है। इनमें आस्ट्रेलोपिथिकस (Australopithecus) एवं होमो (Homo) प्रमुख हैं। आस्ट्रेलोपिथिकस एवं होमो में मुख्य अन्तर मस्तिष्क के आकार, जबड़ों तथा दाँतों के आधार पर किया जा सकता है। आस्ट्रेलोपिथिकस के मस्तिष्क का आकार होमो की अपेक्षा बड़ा होता है, जबड़े अधिक भारी होते हैं तथा दाँत भी अधिक बड़े होते हैं।
होमो (Homo) लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है-'आदमी'। वैज्ञानिकों ने होमो को कई प्रजातियों में विभाजित किया है
(ख) आधुनिक मानव का उद्भव
आधुनिक मानव के उद्भव के विषय में दो मत प्रचलित हैं, जो परस्पर विरोधाभासी हैं
→ प्रतिस्थान और क्षेत्रीय निरंतरता
→ आदिकालीन मानव : भोजन प्राप्त करने के तरीके
→ आदिकालीन मानव का निवास स्थान
→ प्रारंभिक मानव : औजारों का निर्माण
→ संप्रेषण एवं संचार के माध्यम : भाषा और कला
→अफ्रीका में शिकारी-संग्राहकों के साथ प्रारम्भिक संपर्क
सन् 1870 में अफ्रीका के कालाहारी मरुस्थल में निवास करने वाले 'कुंग सैन' नाम के एक शिकारी संग्राहक समाज के साथ एक अफ्रीकी पशुचारक समूह के एक सदस्य का प्रथम बार सम्पर्क हुआ।
→ हादज़ा जनसमूह
→ शिकारी-संग्राहक समाज : वर्तमान से अतीत की ओर
→ उपसंहार
अध्याय में दी गईं महत्वपूर्ण तिथियाँ एवं सम्बन्धित घटनाएँ
काल-रेखा 1 (लाख वर्ष पूर्व)
वर्ष |
सम्बन्धित घटनाएँ। |
360 - 240 लाख वर्ष पूर्व |
एशिया एवं अफ्रीका में स्तनपायी प्राणियों की नर वानर (प्राइमेट) नामक श्रेणी का उद्भव हुआ था। |
240 लाख वर्ष पूर्व |
होमिनॉइड, गिब्बन, एशियाई ओरांगउटान एवं अफ्रीका वानर (गोरिल्ला, चिंपैंजी एवं बोनोबो 'पिग्मी' चिंपैंजी) का उद्भव। |
64 लाख वर्ष पूर्व |
होमिनॉइड एवं होमिनिड की शाखाओं में विभाजन। 56 लाख वर्ष पूर्व आस्ट्रेलोपिथिकस नामक मानव प्रजाति का उद्भव। |
26 से 25 लाख वर्ष पूर्व |
सर्वप्रथम पत्थर के औजारों का निर्माण । |
25 से 20 लाख वर्ष पूर्व |
अफ्रीका महाद्वीप के ठण्डे व शुष्क होने से जंगलों में कमी आयी एवं घास के मैदानों में वृद्धि हुई। |
25 से 20 लाख वर्ष पूर्व |
होमो नामक मानव प्रजाति का उद्भव। |
22 लाख वर्ष पूर्व |
होमोहैबिलिस नामक मानव प्रजाति का उद्भव। |
18 लाख वर्ष पूर्व |
होमो एरेक्टस नामक मानव प्रजाति का उद्भव। |
13 लाख वर्ष पूर्व |
आस्ट्रेलोपिथिकस नामक मानव प्रजाति का विलुप्त होना। |
8 लाख वर्ष पूर्व |
आद्य सैपियंस व होमो हाइडलबर्गेसिस नामक मानव प्रजाति का उद्भव। |
1.9 से 1.6 लाख वर्ष पूर्व |
आधुनिक मानव (होमो सैपियंस) का उद्भव। |
काल-रेखा 2 (लाख वर्ष पूर्व)
वर्ष |
सम्बन्धित घटनाएँ |
300,000 |
शवों को दफनाने की प्रथा का सबसे पहला साक्ष्य प्राप्त। |
200,000 |
होमोएरेक्टस नामक मानव प्रजाति का विलुप्त होना। |
200,000 |
स्वर तंत्र का विकास। |
200,000 - 1,30,000 |
भारत की नर्मदा - घाटी से आद्य होमो सैपियंस नामक मानव प्रजाति की खोपड़ी प्राप्त। |
1,95000 - 1,60000 |
पृथ्वी पर आधुनिक मानव का प्रादुर्भाव। |
1,30000 |
पृथ्वी पर निअंडरथल मानव का प्रादुर्भाव। |
1,25000 |
चूल्हों के उपयोग का सबसे पहला साक्ष्य प्राप्त । |
35.000 |
निअंडरथल मानव का पृथ्वी से विलुप्त होना। |
2,7000 |
अग्नि में पकाई गई चिकनी मिट्टी की छेटी - छोटी मूर्तियों का सबसे पहला साक्ष्य प्राप्त। |
2,1000 |
सिलने के लिए सुई का आविष्कार होना। |
विश्व में मानव प्रजातियों का निवास
वर्ष |
सम्बन्धित विवरण |
5000000 - 1000000 लाख वर्ष पूर्व |
अफ्रीका में सहारा के समीपवर्ती क्षेत्रों में आस्ट्रेलोपिथिकस, प्रारम्भिक होमो एवं होमो एरेक्टस नामक मानव प्रजातियों का निवास करना। |
1000000 लाख - 40,000 वर्ष पूर्व |
अफ्रीका, एशिया और यूरोप के मध्य अक्षांश क्षेत्रों में होमोएरेक्टस, आद्य होमोसैपियंस, निअंडरथल मानव, होमोसैपियंस (आधुनिक मानव) का निवास करना। |
45,000 वर्ष पूर्व |
आधुनिक मानव का आस्ट्रेलिया में निवास करना। |
40,000 वर्ष से वर्तमान तक |
उच्च अक्षांशीय यूरोप, एशिया प्रशांत द्वीप समूह, उत्तरी व दक्षिणी अमरीकी मरुस्थल एवं वर्षा वन में निअंडरथल एवं आधुनिक मानव का निवास करना। |
आधुनिक मानव के प्राचीनतम जीवाश्म
कब (वर्ष पूर्व) |
(प्राप्ति स्थल) |
195,000-160,000 |
ओमो किबिश (इथियोपिया) |
120,000-50,000 |
बार्डर गुफा, दी केल्डर्स, क्लासीज़ नदी का मुहाना (दक्षिणी अफ्रीका) |
70,000-50,000 |
दर एस सुल्तान (मोरक्को) |
100,000-80,000 |
कफज़ेह स्खुल (इजराइल) |
45,000-35,000 |
मुंगो झील (ऑस्ट्रेलिया) |
40,000 |
नियाह गुफा (बोर्नियो - इण्डोनेशिया) |
35,000 |
क्रोमैगनन, लेस आइज़ीस के समीप (फ्रांस) |
→ निअंडर घाटी-यह जर्मनी के डसेलडोर्फ नगर के समीप स्थित है। अगस्त 1856 में श्रमिकों द्वारा इस घाटी में चूने के पत्थरों की खुदाई करते समय एक खोपड़ी व अस्थिपंजर के कुछ टुकड़े प्राप्त हुए।
→ ओल्डुवई गोर्ज-यह पूर्वी अफ्रीका के तंजानिया नामक देश में स्थित एक रिफ्ट घाटी है। इसे 20वीं शताब्दी के प्रारम्भ में एक जर्मन तितली संग्राहक द्वारा खोजा गया था। यहाँ आदिकालीन मानव के इतिहास के चित्र पाए गए हैं।
→ लेतोली-तंजानिया नामक अफ्रीका देश में स्थित इस स्थान से होमिनिड नामक मानव प्रजाति के पदचिह्नों के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं।
→ हादार-इथियोपिया नामक अफ्रीकी देश में स्थित इस स्थान से हड्डियों के जीवाश्म मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि तत्कालीन मानव दो पैरों पर चलने लगा था।
→ ओमो-इथियोपिया में स्थित इस स्थान से होमोहैबिलिस के जीवाश्म प्राप्त हुए। 6. हाइडलबर्ग-जर्मनी में स्थित इस शहर में होमो हाइडलबर्गेसिस नामक मानव प्रजाति के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं।
→ बॉक्सग्रोव-दक्षिणी इंग्लैंड स्थित इस स्थान से 5 लाख वर्ष पूर्व के बड़े स्तनपायी जानवरों के शिकार एवं उनका वध करने का सबसे पुराना साक्ष्य प्राप्त हुआ है।।
→ शोनिंजन-जर्मनी नामक देश में स्थित इस स्थान से भी 4 लाख वर्ष पूर्व के जानवरों के शिकार व उनको दफन करने के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
→ दोलनी वेस्तोनाइस-चैक गणराज्य स्थित इस स्थान से 35,000 वर्ष पूर्व मानव के योजनाबद्ध ढंग से शिकार करने के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
→ किलोंबे व ओलोर्जेसाइली-केन्या स्थित इन वन स्थलों से लगभग 7 लाख से 5 लाख वर्ष पुराने शल्क उपकरण व हस्तकुठार की प्राप्ति हुई है। .
→ लेज़रेट गुफा-दक्षिणी फ्रांस में स्थित इस गुफा की दीवार को 12 x 4 मीटर आकार के एक निवास स्थान से सटाकर बनाये जाने के प्रमाण मिले हैं।
→ टेरा अमाटा-दक्षिणी फ्रांस के समुद्रतट पर स्थित इस स्थान से घास-फूस और लकड़ी की छत वाली कच्ची-कमजोर झोंपड़ियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
→ चेसोवांजा-केन्या स्थित इस स्थान से लगभग 14 लाख से 10 लाख वर्ष पुराने पत्थर के औजारों के साथ-साथ आग में पकाई गई चिकनी मिट्टी व जली हुई हड्डियों के टुकड़े प्राप्त हुए हैं।
→ स्वार्टक्रान्स-दक्षिणी अफ्रीका स्थित इस स्थान से 14 लाख से 10 लाख वर्ष पुराने पत्थर के औजार, आग में पकाई गई चिकनी मिट्टी एवं जली हुई हड्डियों के टुकड़े प्राप्त हुए हैं।
→ आल्टामीरा-स्पेन में स्थित इस गुफा से प्राचीन मानव द्वारा की गई चित्रकारी के प्रमाण प्राप्त हुए हैं।
→ लैसकॉक्स व शोवे-फ्रांस में स्थित इन दोनों गुफाओं से जानवरों की चित्रकारी के साक्ष्य मिले हैं।
→ जीवाश्म-जीवाश्म अत्यधिक पुराने पौधे, जानवर या मानव के उन अवशेषों को कहते हैं जो एक पत्थर के रूप में परिवर्तित हो गये हैं। सामान्यतया जीवाश्म किसी चट्टान में समा जाते हैं और लाखों वर्ष तक इसी रूप में सुरक्षित रहते हैं।
→ प्रजातियाँ-प्रजाति ऐसे जीवों का एक समूह होती है जो प्रजनन द्वारा नई संतान उत्पन्न कर सकते हैं परन्तु एक प्रजाति के जीव किसी अन्य प्रजाति के जीवों से शारीरिक सम्बन्ध स्थापित करके बच्चे उत्पन्न नहीं कर सकते।
→ निअंडरथल मानव-प्राचीन मानव प्रजाति, इसकी हड्डियाँ सर्वप्रथम जर्मनी की निअंडर घाटी में पायी गईं। ये मानव लगभग 1,30,000 से 35000 वर्ष पहले यूरोप, पश्चिमी एशिया एवं मध्य एशिया में रहा करते थे।
→ आस्ट्रेलोपिथिकस-प्रारम्भिक वानर मानव के लिए प्रयुक्त शब्द। यह शब्द लातिनी भाषा के शब्द 'आस्ट्रल' अर्थात् दक्षिणी और यूनानी भाषा के शब्द “पिथिकस' अर्थात् वानर से मिलकर बना है। ये 50 से 10 लाख वर्ष पूर्व अफ्रीका में सहारा मरुस्थल के समीप निवास करते थे।
→ होमो-यह एक लातिनी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है-आदमी, इसमें स्त्री व पुरुष दोनों सम्मिलित हैं। वैज्ञानिकों ने होमो को कई प्रजातियों में विभाजित किया है और इन प्रजातियों को उनकी विशेषताओं के आधार पर भिन्न-भिन्न नाम प्रदान किए हैं।
→ होमोसैपियंस-आधुनिक मानव प्रजाति। इनका समय 1.9 लाख से 1.6 लाख वर्ष पूर्व माना जाता है।
→ प्राइमेट-यह स्तनपायी प्राणियों के एक बड़े समूह के अन्तर्गत एक उपसमूह है। इसके अन्तर्गत, वानर, लंगूर, एवं मानव सम्मिलित हैं। इनके शरीर पर बाल मिलते हैं। मादाओं में बच्चों को दूध पिलाने के लिए ग्रंथियाँ होती हैं। इनका गर्भकाल अपेक्षाकृत लम्बा होता है।
→ होमिनॉइड-लगभग 240 लाख पूर्व उत्पन्न प्राइमेट श्रेणी का एक उपसमूह। ये वानर मानव, बंदरों से कई तरह से भिन्न होते हैं। इनका शरीर बंदरों से बड़ा होता है, इनकी पूँछ नहीं होती।
→ होमिनिड-होमिनॉइड उपसमूह से विकसित मानव प्राणिवर्ग। इनका उद्भव लगभग 56 लाख वर्ष पूर्व अफ्रीका से माना जाता है। ये मानव सीधे खड़े होकर पिछले दो पैरों के बल चलते थे। इनके हाथ विशेष किस्म के होते थे। जिनकी सहायता से ये औजार बना सकते थे और इनका प्रयोग कर सकते थे।
→ हिमयुग-लगभग 25 लाख वर्ष पूर्व का समय जब पृथ्वी के अधिकांश भाग बर्फ से ढके हुए थे।
→ होमो हाइडलबर्गेसिस-जर्मनी के हाइडल शहर में पाए गए मानव जीवाश्मों के लिए प्रयुक्त नाम।
→ होमो निअंडरथलैंसिस-जर्मनी की निअंडर घाटी में पाए गए मानव जीवाश्मों को होमो निअंडरथलैंसिस कहा गया। ये मानव 1,30,000 से 35000 वर्ष पूर्व तक यूरोप में, पश्चिमी एवं मध्य एशिया में निवास करते थे।
→ अपमार्जन-अपमार्जन से आशय त्यागी हुई वस्तुओं की सफाई करने से है। यह प्राचीन मानव के भोजन प्राप्त करने का एक तरीका था। आदिकालीन होमिनिड मानव अपमार्जन के द्वारा उन जानवरों की लाशों से मांस, मज्जा खुरचकर निकालते थे जो जानवर अपने आप मर जाते थे या अन्य हिंसक जानवरों द्वारा मार दिये जाते थे।
→ संग्रहण-भोजन प्राप्त करने का एक तरीका। इस क्रिया में प्राचीन मानव पेड़-पौधों से प्राप्त होने वाले खाद्य पदार्थों; जैसे-बीज, गुठलियाँ, बेर, फल व कंदमूल एकत्र करता था।
→ रसदखोरी-रसदखोरी से आशय भोजन की तलाश करने से है।
→ पुरातत्वविद्-वह व्यक्ति जो पुरातत्व का अच्छा ज्ञान रखता हो पुरातत्वविद् कहलाता है। पुरातत्व वह विधा होती है जिसमें प्राचीनकालीन मुख्यतः प्राग् ऐतिहासिक काल की वस्तुओं के आधार पर अज्ञात इतिहास का पता लगाया जाता है।
→ शिल्पकृतियाँ-ये मानव निर्मित वस्तुएँ होती हैं। इनमें अनेक प्रकार की चीजें सम्मिलित होती हैं; जैसे-औजार, चित्रकारियाँ, मूर्तियों व उत्कीर्ण चित्र आदि।
→ मानव विज्ञान-विज्ञान की वह शाखा जिसमें मानव संस्कृति और मानव जीवविज्ञान के उद्विकासीय पहलुओं का अध्ययन किया जाता है।
→ संजातिवृत्त-समकालीन नृजातीय समूहों का विश्लेषणात्मक अध्ययन संजातिवृत्त कहलाता है। इसके अन्तर्गत उनके रहन-सहन, खान-पान, आजीविका के साधन, प्रौद्योगिकी आदि की जाँच की जाती हैं। इसके अतिरिक्त स्त्री-पुरुष की भूमिका, कर्मकांड, रीति-रिवाज, राजनीतिक संस्थाओं और सामाजिक रूढ़ियों का अध्ययन किया जाता है।
→ विभ्रंश घाटी-भ्रंशन क्रिया द्वारा निर्मित दरार घाटी। जब किसी स्थान पर दो सामान्य भ्रंश कई किलोमीटर की लम्बाई में इस तरह पड़ते हैं कि उनके बीच का भाग नीचे धंस जाता है और एक घाटी का निर्माण हो जाता है, उसे विभ्रंश घाटी या रिफ्ट घाटी कहते हैं। उदाहरण-पूर्वी अफ्रीका विभ्रंश घाटी।
→ कार्ल फुलरौट-डसेलडोर्फ (जर्मनी) नगर का एक स्कूली शिक्षक जो प्राकृतिक इतिहासज्ञ भी था। इसने अगस्त 1856 में निअंडर घाटी से प्राप्त एक खोपड़ी व अस्थिपंजर की जाँच कर बताया कि यह खोपड़ी आधुनिक मानव की नहीं थी।
→ हरमन शाफहौसेन-जर्मनी के बॉन विश्वविद्यालय के शरीर रचना विज्ञान के एक प्रोफेसर, जिन्होंने अगस्त 1856 में निअंडर घाटी से खोजी गई खोपड़ी की जाँचकर यह बताया कि खोपड़ी ऐसे मानव की है जो अब अस्तित्व में नहीं है। इस हेतु इन्होंने एक शोध पत्र भी प्रकाशित किया था।
→ चार्ल्स डार्विन-एक प्रसिद्ध जीवविज्ञानी। इन्होंने मानव की उत्पत्ति के विषय में 24 नवम्बर 1859 को 'ऑन दि ओरिजिन ऑफ स्पीशीज' नामक पुस्तक प्रकाशित करवायी, जिसमें उन्होंने बताया कि मानव बहुत समय पहले जानवरों से ही क्रमिक रूप से विकसित होकर अपने वर्तमान रूप में आया है।
→ मेरी एवं लुईस लीकी-इन दोनों विद्वानों ने पूर्वी अफ्रीका की ओल्डुवई गोर्ज रिफ्ट घाटी में लगभग 40 वर्षों से भी अधिक समय तक शोध कार्य किया। यहाँ आदिकालीन मानव के इतिहास चिह्न पाए गए हैं।
→ मार्सिलीनो सैंज दि सउतुओला-स्थानीय भूस्वामी व पुरातत्वविद्। इन्होंने आल्टामीरा (स्पेन) की गुफा की छत पर निर्मित चित्रकारियों की खोज की।
→ मारिया-मार्सिलीनो की पुत्री। इन्होंने ही नवम्बर 1879 में अपने पिता का ध्यान आल्टामीरा (स्पेन) की गुफा की छत पर निर्मित चित्रकारियों की ओर दिलाया।