RBSE Class 11 English The Guide Translation in Hindi Part 3

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 English The Guide Translation in Hindi Part 3 Questions and Answers.

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RBSE Class 11 English Solutions The Guide Translation in Hindi Part 3

1. But he suddenly noticed..............never diverted their minds. (Pages 82-83)

कठिन शब्दार्थ-dim (डिम्) = मद्धिम पड़ना। millet (मिलेट) = बाजरा, मोटा अनाज। scorched (स्कॉचड) = धूप में सूखना, झुलसाया हुआ, गर्मी में सूखना। stalks (स्टॉक्स) = डंठल। wind (वाइण्ड) = मोड़ में घूमना। wilt (विल्ट्) = सूखना, मुरझाना।

हिन्दी अनुवाद-परन्तु उसने साल के अन्त में अचानक यह गौर किया कि आकाश कभी भी बादलों से मद्धिम नहीं पड़ा। गर्मी निरन्तर जारी रहती हुई प्रतीत हो रही थी। राजू ने पूछा, "बरसात कहाँ है?" वेलान ने चेहरा लटका लिया था। "स्वामीजी पहली बरसात तो पूरी तरह से दूर रही है; और बाजरे की फसल, जिसे कि हम अब तक काट लेते थे, अब वह धूप में सूखकर डंठल पर रह गई है। यह एक बहुत बड़ी चिन्ता है।"

"हजारों केले के छोटे पौधे मर गए हैं।" दूसरे ने कहा। "यदि यह जारी रहता है, कौन जानता है?" वे चिन्तित दिखे थे।  राजू, हमेशा से सांत्वना देने वाला, उसने ढांढस बंधाते हुए कहा, "इस प्रकार की बातें आम हैं; इनके बार में ज्यादा चिन्ता मत करो। हमें श्रेष्ठ होने की उम्मीद करनी चाहिए।" वे तार्किक हो गए थे। "स्वामीजी, क्या आप जानते हैं हमारे जानवर जो बाहर घास चरने जाते हैं, वो कीचड़ और मिट्टी में अपनी नाक घुसेड़कर वापस आ जाते हैं, उनके लिए कोई घास खाने को नहीं है।"

राजू के पास हर शिकायत की कोई सांत्वना भरी टिप्पणी थी। वे घर संतुष्ट होकर चले गए। "मालिक आप ज्यादा अच्छी तरह से जानते हो।" उन्होंने कहा और चले गए। राजू ने याद किया कि उसे भी नहाने के लिए तीन साढ़ियाँ और उतरना पड़ता था जिससे कि वह पानी के पास पहुँच सके। वह नीचे गया और उसने नदी के बहाव की ओर देखा। उसने उसके बाईं ओर देखा, जहाँ नदी मेम्पी पर्वत की श्रृंखलाओं की ओर मुड़ती हुई प्रतीत हो रही थी, इसका स्रोत, जहाँ वह प्रायः अपने सैलानियों को ले जाया करता था। कितना छोटा मुहाना था, मुश्किल से अपनी समाधिस्थल सहित सौ फीट का होगा-इस नदी को इतना सिकुड़ा देने के पीछे क्या कारण होगा? उसने देखा कि नदी के पाट (सीमाएँ) बहुत चौड़ी थीं, और अधिक चट्टानें दिखने लगीं, और दूसरी ओर का ढलान और ऊँचा होता हुआ प्रतीत हुआ था।

अभी दूसरे चिह्न और थे जिन पर गौर किया जाना था। फसल काटने के त्यौहार पर, आमतौर पर रहने वाली खुशी नहीं थी। "गन्ने पूरी तरह से सूख गए हैं; बहुत कठिनाई से हम यह थोड़ा सा लाए. हैं। आप कृपा कर इसे स्वीकार करें।" "इसे बच्चों को दे दो" राजू ने कहा। उनके उपहार मात्रा और कद में सिकुड़कर कम होते जा रहे थे। 

"ज्योतिषी यह कहते हैं कि हम बहुत जल्दी ही आने वाले वर्ष में बारिश होगी" किसी ने कहा। हमेशा बरसात के बारे में ही बात होती थी। लोग आधी रुचि से दर्शन और व्याख्यान सुनते थे। वे चारों ओर बैठ जाते, अपने दु:ख, भय और आशाएँ व्यक्त करते। "यह सत्य है, स्वामी, कि हवाई जहाजों की हलचल से बादल बाधित हुए हैं और इस कारण से बरसात नहीं हो रही है। आकाश में बहुत ज्यादा हवाई जहाज हो गए हैं।" "क्या यह सत्य है, स्वामी कि एटम बम बादलों के सूखने के लिए जिम्मेदार है?" विज्ञान, धर्मकथाएँ, मौसम की सूचनाएँ, अच्छाई और बुराई, और सभी प्रकार की वर्षा से जुड़ी संभावनाएं व्यक्त की गईं। राजू ने अपने अच्छे तरीके से जितना कि वह कर सकता था, व्याख्या दी, परन्तु उसने यह पाया कि उसके जवाब उनके मन को कभी भी नहीं मोड़ पाये थे। 

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2. He decreed ............ us the way, swami.” (Pages 84-85) 

कठिन शब्दार्थ-decree (डिक्री) = सम्प्रभु आदेश, निर्णय। tease (टीज़) = चिढ़ाना। obsessed (अबसेस्ट्) = मन में निरन्तर व्याप्त रहना। analogy (अन्लॉजी) = दो के बीच में आंशिक समानता। lack (लेक्) = कमी। furrow (फरॉ) = हल जोतने के कारण खेत में खुदा हुआ भाग, जमीन में खुदा हुआ भाग । pie bald (पाईबॉल्ड्) = दो रंगों का अनियमित टुकड़ा। pelvic (पेलविक्) = शरीर के निचले हिस्से में आपस में मिलने वाली हड्डियाँ, कमर के नीचे की हड्डियाँ । stick out (स्टिक आउट) = कठिनाई या दु:ख के कारण अंत तक साथ रहना। concourse (कनकॉस) = भवन का खुला भाग। tranquility (ट्रैन्किवलिटी) = शान्ति। desperation (डेसपरश्न्) = निराशा। resignation  (रेजिग्नैशन्) = धैर्य के साथ स्वीकारना या सहन करना। nightmare (नाइट्मे(र)) = डरावना सपना, दुःखपूर्ण अनुभव।

हिन्दी अनुवाद-उसने आदेश दिया। "आपको इसके बारे में अवश्य ही अधिक नहीं सोचना चाहिए। इन्द्रदेव कभी-कभी उन लोगों को चिढ़ाते हैं जो उसके बारे में निरन्तर सोचते रहते हैं। आप लोग कैसा महसूस करेंगे जब कोई आपका नाम सारे दिन और सारी रात कई दिनों तक बिना रुके दोहराता रहे या कहीं बोलते रहे? उन्होंने इस तर्क में छुपे मजाक का आनन्द लिया और अपने मार्ग पर चले गए। परन्तु एक ऐसी स्थिति का जन्म हो रहा था, जिसमें कोई भी आराम देने वाले शब्द या अनुशासन जो कि इसके सोचने को रोक सके, ऐसा कुछ नहीं था। कुछ अलग-अलग स्तरों पर हो रहा था जिस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं था या न कोई इच्छा थी और कोई दार्शनिक दृष्टिकोण इस पर कोई भिन्नता उत्पन्न नहीं कर पा रहा था। मवेशियों ने दूध देना बन्द कर दिया, उनमें हल खींचकर जमीन जोतने की शक्ति की कमी आ गई थी, भेड़ों के झुण्ड के बाल उड़ गये और त्वचा के रोग उत्पन्न हो गये और उनके पीठ के पीछे की हड्डियाँ चिपककर बाहर निकल आई।

गाँव के कुएं सूख गए थे। औरतें विशाल समूह में उस खुले मैदान में नदी के ऊपर अपने घड़े लेकर आ गई थीं जो कि तेजी से सिकुड़ती जा रही थीं। सुबह से रात तक वे लहरों की भाँति आती थीं और पानी लेकर जाती थीं। राजू उनका आना और जाना गौर से देखता जैसे ही वे मैदान के उस पार भारी भीड़ के रूप में श्रृंखलाबद्ध होकर आतीं। वे चित्रमय लगतीं, परन्तु तस्वीर में विद्यमान शांति के बिना नजर आतीं। वे पानी के गड्ढों पर अपने क्रम की प्राथमिकता के लिए झगड़ती थीं और वहाँ पर भय, निराशा और उनकी आवाज में दुःख व्याप्त था।

जमीन तेजी से सूख रही थी। एक भैंस घास के पैदल रास्ते पर मृत पाई गई थी। वेलान के द्वारा एक सुबह यह खबर स्वामी के पास लाई गई। जैसे ही वह सोया था वह उसके ऊपर खड़ा था और उसने कहा, "स्वामी, मैं चाहता हूँ कि आप मेरे साथ चलें।" 
"क्यों?" "मवेशी मरने शुरू हो गए हैं" उसने बहुत धैर्य के साथ कहा।
"मैं इसके बारे में क्या कर सकता हूँ?" राजू ने महसूस किया जैसे कि वह पूछ रहा हो वह अपने बिस्तर में बैठा था। परन्तु वह ऐसी बात नहीं कह सकता था। उसने सांत्वना के स्वर में कहा, "ओह, नहीं, यह नहीं हो सकता।"
"हमारे गाँव के उस पार एक भैंस जंगल के रास्ते पर मृत पाई गई थी।" "क्या तुमने स्वयं इसे देखा है?" "हाँ, स्वामी, मैं वहीं से आया है।" "वेलान, इससे इतना बुरा नहीं हो सकता है। यह अवश्य ही किसी और बीमारी से मरी है।"

"आप कृपया चलकर देखिए इसे, और यदि आप यह बता सकें कि यह क्यों मरी है, यह हमारे मन को तनावमुक्त करेगी। आप जैसा विद्वान इसे देखे और हमें कहे।" वे स्पष्टतः अपना दिमाग खो चुके थे। वे एक डरावने सपने के युग में प्रवेश कर रहे थे। स्वामी जीवित या मृत जानवरों के बारे में बहुत कम जानता था, कि इसका कोई व्यावहारिक उपयोग नहीं था कि वह जाए और इसे देखे, परन्तु चूंकि वे यह चाहते थे, उसने वेलान से कहा कि वह कुछ क्षणों के लिए बैठे और उसके साथ। गाँव की सड़क सूनी और उजाड़ नजर आ रही थी। बच्चे सड़क की धूल में खेल रहे थे, क्योंकि शिक्षक राजस्व अधिकारियों के पास छूट/मुआवजे की याचिका लेकर शहर चला गया था, और इस प्रकार से दिन का विद्यालय बन्द कर दिया गया था। औरतें पानी के बर्तनों के साथ उन्हें अपने सिर पर रखे इधर-उधर आ जा रही थीं। वहाँ से जाते हुए किसी ने कहा, "आज मुश्किल से आधा घड़ा मिल सका था।" "कैसी दुनिया आ गई है, स्वामी आप हमें मार्ग दिखाएँ।"

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3. Raju merely raised ........... attacking the other group. (Pages 85-86)

कठिन शब्दार्थ-cholera (कॉलेरा) = हैजा। snub (स्न्ब) = रूखा व्यवहार। scaremonger (स्के मौंग(र)) = अफवाह फैलाने वाला। jabber (जैब्(र)) = बकवास, न समझने वाली बात करना। hovering (हावरिंङ्) = अनिश्चित तरीके से इन्तजार करना। odour (ऑड(र)) = गंध । mitigated (मिटिगैट्ड्) = कम हिंसक या दर्दनाक। carcass (काक्स) = जानवर का मृत शरीर । barren (बेर्न) = बंजर। bleach (ब्लीच) = सफेद या पीला पड़ना। anecdote (अनकडॉट) = कहानी। granary (ग्रेत्रि) = भवन जहाँ अनाज रखा जाता है। unreplenish (अन्त्रिप्लेनिश्) = खाली। chopper (चोप(र्)) = काटने का चाकू या कुल्हाड़ी। invade (इनवेड्) = आक्रमण। crowbar (क्रोबा(र)) = सीधे लोहे का सरिया। penned (पेन्ड) = बाड़ा, बाड़े में बन्द किया।

हिन्दी अनुवाद-राजू ने केवल हाथ उठाया और इसे हिलाया मानो कि कह रहा हो, "शान्त रहो, सब कुछ ठीक हो जाएगा; मैं इसे देवताओं के साथ नियत करूँगा।" एक छोटी सी भीड़ और वेलान उसके पीछे जंगल के रास्ते पर जा रहे थे, वही बात बार-बार कहते हुए। किसी ने अगले गाँव में बुरी घटना के बारे में बताया; हैजा फैल रहा था और हजारों लोग मर रहे थे और इसी प्रकार की और बातें। वह अफवाह फैलाने वाले जैसे के साथ रूखा व्यवहार कर रहे थे। राजू ने उसके चारों ओर हो रही बेकार की बात पर कम ध्यान दिया।

वहाँ गाँव के बाहर, एक ऊबड़-खाबड़ पगडंडी जो कि जंगल की ओर जाती थी, एक भैंस जिसकी हड्डियाँ चिपककर बाहर निकल आई थीं, पडी थी। कौए और पतंगे, मक्खियाँ, पहले से ही उड़ रहे थे, आदमी के आने पर वे उड़ गए थे। वहाँ एक बीमार कर देने वाली गंध थी, और अब से राजू इसे मौसम के साथ जोड़ने लगा था। इसे सांत्वना देने वाले शब्दों से कम नहीं किया जा सकता था। उसने अपना ऊपर का कपड़ा नथुनों पर लगा लिया और मृत पशु के शव को थोड़ी देर के लिए घूरकर देखा। "यह किसकी थी?" उसने पूछा।

उन्होंने एक-दूसरे की ओर देखा। "हमारी नहीं है" किसी ने कहा। "यह अगले गाँव की है।" इस विचार पर थोड़ी सांत्वना बँधी। यदि यह अगले गाँव से है, तो इसे गाँव से दूर हटाया गया था। कुछ भी, कोई व्याख्या, कोई भी माफी या बचाव अब लोगों को सांत्वना पहुँचाती थी।

"यह किसी की नहीं थी" दूसरे ने कहा, "यह जंगली भैंस की जैसी लगती है।" यह और भी अच्छा था, राजू ने राहत महसूस की कि इसके अन्य हलों और व्याख्याओं की सम्भावना थी। उसने ध्यान से फिर से देखते हुए जोड़ा, "यह अवश्य ही किसी जहरीले जीव के द्वारा काटी गई है।" यह एक आरामदायक व्याख्या थी, और वह वापस मुड़ा बिना अपनी आँखों को सूखे पेड़ की शाखाओं पर डाले हुए, और जमीन सफेद और पीले पड़ चुके हुए कीचड़ से ढकी थी, हरियाली का निशान नहीं था।

स्वामीजी द्वारा वक्तव्य का यह हिस्सा जनता को प्रसन्न कर रहा था। यह उनके लिए बिन कहा आराम लाया था। तनाव का वातावरण अचानक राहत में आया। जब मवेशियों को रात के लिए बाड़े में बन्द किया, उन्होंने उनकी ओर बिना चिन्ता के देखा, "जानवरों को खिलाने के लिए पर्याप्त है।" उन्होंने कहा। "स्वामी कहते हैं कि भैंस किसी जहरीले जीव के द्वारा काटने से मरी थी। वह जानता है।" इसके बल हेतु बहुत सी कहानियाँ उन जानवरों के बारे में कही गईं जो कि रहस्यात्मक कारणों से मरे थे।"कुछ साँप ऐसे हैं जो उनके खुरों में काटते हैं", "कुछ विशेष प्रकार की चीटियाँ हैं जिनका काटना जानवरों के लिए हानिकारक है।" और अधिक जानवर यहाँ-वहाँ पर मरे हुए पाये गये थे। 

जब जमीन को कुरेदा गया तो इसमें से केवल धूल का बादल पैदा हुआ था। पिछले साल का खाद्यान्न, बहुत से घरों में, खाली हो रहा था और उसका स्तर नीचे जा रहा था। गाँव का दुकानदार ऊँची कीमतें लगा रहा था । एक तसला चावल के बदले में वह चौदह आने की माँग करता था। आदमी जिसे चावल चाहिए था, उसे गुस्सा आ गया और उसने उसे चांटा मार दिया। दुकानदार काटने वाला चाकू लेकर बाहर आ गया और उसने ग्राहक पर हमला कर दिया था; और वे जिन्होंने उस आदमी के साथ सहानुभूति जताई, दुकान के सामने इकट्ठे हो गए और उन्होंने आक्रमण कर दिया। दुकानदार के सम्बन्धी और उससे सहानुभूति रखने वाले रात को चाकू और सरिये लेकर आए और उन्होंने दूसरे समूह पर आक्रमण कर दिया। 

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4. Velan and his men .............. he was careless. (Pages 86-87) 

कठिन शब्दार्थ-imprecations (इम्प्री केश्नस) = क्रोध को व्यक्त करने वाला अपमानजनक शब्द, कोसना, श्राप। hay (हे) = चारा। mound (माउण्ड) = मिट्टी का ढेर, छोटी पहाड़ी। drought (ड्राउट्) = सूखा, अकाल।

हिन्दी अनुवाद-वेलान और उसके लोगों ने कुल्हाड़ियाँ और चाकू उठा लिए और युद्ध करने के लिए शुरुआत कर दी। चीखें और चिल्लाहटें और कोसने की आवाजें हवा में उत्पन्न हो गई थीं। थोड़ा-बहुत चारा जो कि बचा हुआ था, उसे आग लगा दी गई, और अंधेरी रात चमकने लगी। राजू ने चीखें सुनी थीं, जो कि रात की हवा में आ रही थीं, और तब उसने लपट देखी जो कि छोटी पहाड़ी के उस पार की जमीन को चमका रही थी। कुछ घंटों पहले, सब कुछ शांत और चुप प्रतीत हो रहा था। उसने अपना सिर हिलाया, अपने आप से कह रहा था, "गाँव के लोग शान्त रहना नहीं जानते हैं। वे अधिक और अधिक आन्दोलित हो रहे हैं। इस समय मैं सोचता हूँ कि मुझे नया स्थान तलाशना चाहिए।" वह वापस सो गया, उनके कार्यों में और आगे रुचि लेने में वह अक्षम था।

परन्तु सुबह जल्दी उसके पास खबर लाई गई। वेलान के भाई ने उसे बताया जब वह अधूरी नींद में था कि वेलान के सिर पर चोट थी और वह जला हुआ था, और उसने महिलाओं और बच्चों की एक सूची दी थी जो कि रात की लड़ाई में आहत हुई थे। वे आज रात फिर से दूसरे समूह पर आक्रमण करने के लिए अपने आप को इकट्ठा कर रहे थे।

राजू को आश्चर्य हो रहा था कि सब कुछ कैसे चल रहा था। वह नहीं जानता था कि अब उससे क्या करने की उम्मीद की गई थी, क्या वह उनके अभियान को आशीर्वाद दे या उसे रोके। व्यक्तिगत रूप से, उसने यह महसूस किया कि उनके लिए सबसे अच्छा होगा कि वे एक-दूसरे का सिर फोड़कर बाहर निकाल लें। ऐसा उनको सूखे के बारे में ज्यादा परेशान होने से रोकेगा। उसे वेलान की दशा पर दया आई। "क्या उसे गम्भीरता से चोट लगी है?" उसने पूछा।

वेलान के भाई ने कहा, "ओह, नहीं, सिर्फ यहाँ-वहाँ से कटा हुआ है।" मानो कि वह उन निशानों से संतुष्ट नहीं था। राजू को इस बात पर थोड़ी देर के लिए आश्चर्य हुआ कि क्या वह वेलान से मिले, परन्तु उसे जाने की अत्यधिक अनिच्छा महसूस की थी। यदि वेलान को चोट पहुंची थी, वह ठीक हो जाएगा, बस यही सब कुछ होगा। और अब भाई का चोट के बारे में वर्णन; क्या झूठ था या सच, यह उसके कार्य के अनुसार था। वेलान को जाकर देखने की ज्यादा जरूरत नहीं थी। उसे डर था कि यदि उन्होंने इसे आदत बना लिया तो वह शान्ति से नहीं रहेगा। जैसे कि गाँव वाले हमेशा उसे बाहर बुलाने का कारण रखेंगे। उसने वेलान के भाई से कहा, "तुम स्वयं किस प्रकार से ठीक रह पाए?" "ओह, मैं भी वहीं था, परन्तु उन्होंने मुझे नहीं मारा। यदि वे मेरे साथ ऐसा करते तो मैं उनमें से दस को लिटा देता। परन्तु मेरा भाई, वह लापरवाह था।"

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5. “Thin as a broomstick............ the idiot four annas a month. (Pages 87-88)

कठिन शब्दार्थ-broomstick (ब्रुमस्टिक) = झाडू की छड़ी। turmeric (ट्मरिक्) = हल्दी। litigation (लिटिगेशन) = कानूनी मुकदमा। pagnacity (पग'नेसटि) = आक्रामक, झगड़ालू । moron (मॉरान) = मूर्ख व्यक्ति। lounge (लाउन्ज़) = बैठना या सुस्त खड़े रहना । slant (स्लान्ट) = ढलता, नीचे की ओर जाता । genealogy (जीनिअलॉजी) = वंशक्रम, वंश के बारे में। hurled (हल्ड्) = हिंसक होकर फेंकना।

हिन्दी अनुवाद-"इतना पतला है जितनी कि झाडू की सींक परन्तु बात एक दानव की भाँति करता है।" राजू ने सोचा और सलाह दी, "अपने भाई को कहना कि वह अपने घावों पर हल्दी लगाए।" साधारण अंदाज में कहा जिस तरह से यह आदमी बात कर रहा था, राजू को आश्चर्य हुआ यदि यह सम्भव होता कि वह स्वयं वेलान के पीछे से उस प्रहार को झेल पाता; इस गाँव में सब कुछ सम्भव प्रतीत होता है। सभी भाई उस स्थान पर एक-दूसरे के खिलाफ मुकदमे में शामिल हैं; और कोई भी कुछ भी कर सकता है वर्तमान में बढ़ रहे हालातों में। वेलान का भाई जाने के लिए उठा, राजू ने कहा, "वेलान से कहना कि वह बिस्तर में पूर्णतः आराम करे।" "नहीं मालिक, वह कैसे आराम कर सकता है? वह आज रात को दल में शामिल होने जा रहा है और वह तब तक आराम नहीं करेगा जब तक कि वह उनके घर नहीं जला देता है।" "यह सही नहीं है।" राजू ने कहा, वह इस आक्रामकता से कुछ चिड़चिड़ा गया था।

वेलान का भाई गाँव में कम बुद्धि वालों में से एक था। वह इक्कीस वर्ष के लगभग था, अर्द्ध मूर्ख, जो कि वेलान के मकान में एक निर्भर रहकर बड़ा हुआ था, यह वेलान के जीवन में उन मुकदमों में से एक था। वह अपना दिन गाँव के मवेशियों को पहाडी की तरफ चराकर ले जाने में बिताया करता था; वह दिन में बहुत जल्दी ही उन सभी को अलग-अलग मकानों से इकट्ठा करता था और उनको भगाकर पर्वत की ओर ले जाता था, उन पर निगरानी रखता था, और शाम को उनको लेकर वापस आता था। सारा दिन वह पेड़ की छाया में बैठकर सुस्ताता रहता था, उबले हुए बाजरे को खा लेता जब सूर्य उसके सिर पर आ जाता था, और वह सूर्य को पश्चिम की ओर ढलते हुए देखता तब वह मवेशियों को घेरकर घर की ओर ले आता था।

उसके पास सारे दिन उसके मवेशियों के मुश्किल से कोई और बोलने वाला होता था और वह उनसे बराबर बात करता एवं उन्हें एवं उनके वंश को बेबाक गालियाँ देता रहता था। जंगल की शान्ति में किसी दोपहर बाद, यदि किसी को देखने का मौका मिलता, तो कोई सुन सकता था कि पहाड़ गूंजते थे उसकी इच्छा के, अभद्र शब्दों से जिनको वह हिंसक होकर जानवरों को कहता था जैसे ही वह छड़ी लेकर उनके पीछे-पीछे चलता है। उसे इस अकेले कार्य के लिए उचित माना जाता था और हर घर से उसे एक माह के चार आने दिये जाते थे। वे उसे और किसी जिम्मेदार कार्य के लिए विश्वास नहीं करते थे। वह गाँव के उन दुर्लभ लोगों में से एक था जो कभी भी स्वामीजी के पास नहीं गए थे, परन्तु शाम के समय घर पर सोने को प्राथमिकता देते थे। 

परन्तु अब वह आ गया था, लगभग पहली बार। दूसरे लोग आने वाली लड़ाई की तैयारी और उसमें व्यस्त थे, और वह उन लोगों में से एक था, जिसका रोजगार इस सूखे के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ था, किसी को भी इसमें कोई समझ नहीं आ रही थी कि वे अपने जानवरों को सूखी मिट्टी में नाक रगड़ने के लिए बाहर भेजें और इस बेवकूफ को एक माह के चार आने देवें।

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6. He had come here this............and out of sight in a moment. (Pages 88-90)

कठिन शब्दार्थ-mild (माइल्ड्) = भद्र, हल्का। initiative (इनिशएटिव्) = किसी कार्य की पहल करना, कठिनाई को हल करने के लिए किया गया कार्य । defended (डिफेन्डिड्) = बचाव । ethic (एथिक्) = नैतिक सिद्धान्त। ruminating (रूमिनेटिङ्) = गहराई से सोचना, ध्यान लगाना। commotion (कमॉशन्) = शोर-शराबे से उत्पन्न भ्रम। vehemence (विएमन्स्) = गहरी भावना, इच्छा। refrain (रिफ्रेन) = अलग रहना।

हिन्दी अनुवाद-वह आज सुबह यहाँ आया था, इसलिए नहीं कि किसी ने उसे स्वामीजी के पास कोई सन्देश ले जाना था, परन्तु इसलिए कि वह निठल्ला था और उसे अचानक ऐसा महसूस हुआ कि वह मन्दिर में जा आए और स्वामी का आशीर्वाद प्राप्त कर ले। लड़ाई अन्तिम बात थी जो गाँव वाले स्वामी के ध्यान में लाना चाहते थे। यद्यपि इसे खत्म करने के बाद वे इसे एक हल्की बात बता सकते हैं। परन्तु यह लड़का अपने स्वयं के आधार पर यह खबर लाया था और उनके कार्य का बचाव किया था।"परन्तु, स्वामी, उन्होंने मेरे भाई का चेहरा क्यों काटा?" उसने मुँह फुलाकर रूखेपन से कहा, "क्या उन्हें यह सब करने के लिए स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए?"

राजू ने उसके साथ धैर्य से तर्क किया, "तुमने पहले दुकानदार को मारा था, क्या नहीं मारा था?" लड़के ने उसे शाब्दिक तौर पर लिया और बोला, "मैंने दुकानदार को नहीं मारा था। आदमी जिसने उसे पीटा था......" उसने कई स्थानीय नाम बता दिए। राजू ने उसे समझाने एवं उसकी गलती को ठीक करने में बहुत थका महसूस किया। उसने सीधे तौर पर कहा, "यह अच्छा नहीं है, किसी को भी नहीं लड़ना चाहिए" उसने उसे शान्ति की नैतिकता पर व्याख्यान देना असम्भव लगा और इसलिए उसने केवल यही कहा, "किसी को भी नहीं लड़ना चाहिए।" "परन्तु वे लड़ते हैं।" लड़के ने तर्क किया। "वे आते हैं और हमें मारते हैं" वह थोड़ा रुका, शब्दों पर गहराई से ध्यान दिया, और उसने जोड़ा, "और वे हमें जल्दी ही मार देंगे।"

राजू ने परेशानी महसूस की। उसे शोर-शराबे का यह विचार पसन्द नहीं आया था। यह उस स्थान के अकेलेपन को भी प्रभावित कर सकता है और उस समय पुलिस को भी ला सकता है। वह किसी को भी गाँव में नहीं आने देना चाहता था। राजू अचानक सकारात्मक सोचना शुरू कर देता था इस प्रकार के मसलों पर। उसने दूसरे की बाँह को कोहनी से ऊपर पकड़ा और बोला, "जाओ और वेलान और बाकी सभी से

कहो कि मैं नहीं चाहता हूँ कि वे इस प्रकार से लड़ें। मैं उन्हें बाद में बताऊँगा कि उनको क्या करना है।" लड़का अपना आमतौर पर कहे जाने वाला तर्क दोहराने को तैयार हुआ। परन्तु राजू ने अधीरता से कहा, "बात मत करो, जो मैं कहता हूँ उसे सुनो।"
"हाँ, मालिक" लड़का अचानक आई गहरी भाव से थोड़ा डर गया था।
"अपने भाई से तुरन्त कहना, जहाँ कहीं पर भी वह मिले, कि या तो वे अच्छे बन जाएं नहीं तो मैं भोजन नहीं करूँगा।"
"क्या नहीं खाऊँगा?" बच्चे ने पूछा, वह थोड़ा समझ नहीं पाया था। "कहना कि मैं नहीं खाऊँगा। यह मत पूछो क्या, मैं नहीं खाऊँगा जब तक कि वे अच्छे नहीं हो जाते हैं।"
"अच्छा? कहाँ?" 

यह स्पष्टतः उस लड़के की समझ के पार था। वह पुनः पूछना चाहता था, "क्या खाऊँगा?" परन्तु डर से थोड़ा अलग रहा। उसकी आँखें चौड़ी खुली थीं। वह इस आदमी के भोजन से लड़ाई को नहीं जोड़ पा रहा था। वह केवल अपनी कुहनी के ऊपर वाली खतरनाक पकड़ से अपने आपको छुड़ाना चाहता था। उसने महसूस किया कि उसने इस आदमी के पास अकेले आकर गलती की थी-उसकी दाढ़ी वाला चेहरा, जो उसके इतना नजदीक खिंच गया था, उसे डरा दिया था। यह आदमी शायद इसे खा जाएगा। वह इस स्थान से निकलने को बेहद बेताब था। उसने कहा, "ठीक है, श्रीमान, मैं ऐसा कर दूँगा" और जिस क्षण राजू ने उसकी पकड़ छोड़ी, वह उस स्थान से भागा, मिट्टी के उस पार और एक ही क्षण में नजरों से ओझल हो गया था। 

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7. He was panting ................. what did you tell him? (Pages 90-91) 

कठिन शब्दार्थ-panting (पअन्टिङ्) = हाँफना। solemnly (सॉलमलि) = गम्भीरता से। anoint (अनॉइन्ट्) = तेल आदि लगाना, चुपड़ना । slumber (स्लम्ब्) = सोना । deserved (डिजवड) = योग्य। bruises (ब्रजज्) = चोट से घाव होना। wary (वअर्)ि = सावधान। thrash (थ्रेश) = पीटना। averse (अवस) = विरोध में, बिना जोड़े। wrench (रेंच) = मोड़ना या जोर से खींचना।

हिन्दी अनुवाद-जब वह गाँव के बड़े लोगों की बैठक के बीच में पहुँचा वह हाँफ रहा था। वे गम्भीर होकर गाँव के बीच में बने प्लेटफॉर्म के चारों ओर बैठे थे, बरसात पर चर्चा कर रहे थे। एक पुराने पीपल के पेड़ के चारों ओर ईंटों का एक चबूतरा बना हुआ था, जिसकी जड़ों में बहुत सी पत्थर की आकृतियाँ लगी हुई थीं, जिन पर प्रायः तेल लगा दिया जाता था और उनको पूजा जाता था। यह मंगल के लिए एक टाउन हॉल जैसा था। यह ठण्डा, छायादार और काफी बड़ा स्थान था, वहाँ हमेशा लोग इकट्ठे हो जाते थे

और स्थानीय समस्याएँ बताते थे, और दूसरी औरतें बैठती थीं जो अपने सिर पर भरी हुई टोकरियाँ लाती थीं, बच्चे एक-दूसरे का पीछा करते थे, और गाँव के कुत्ते सोते थे। यहाँ पर गाँव के लोग बैठे थे और बारिश पर चर्चा कर रहे थे, रात की लड़ाई की बात चल रही थी और इसके साथ जुड़ी हुई नीतियों पर भी चर्चा होती थी। उनको अभी भी उस अभियान की कई कमियाँ याद आ रही थीं। किस प्रकार से स्वामी ने इस पूरी बात को देखा था यह वह बात थी जिसे बाद में समझा जा सकता था। वह शायद इससे सहमत नहीं हो। यह बहुत ही अच्छा होगा कि उसके पास तब तक नहीं जाया जाए जब तक कि वे स्वयं इस बात के प्रति स्पष्ट नहीं हो जाते हैं कि वे क्या करें। यह कि दूसरा पक्ष दण्ड के योग्य था यह बात प्रश्न के पार थी। 

उनमें जो बातें कर रहे थे उनके काफी चोट के, कटने के घाव थे। परन्तु उन्हें पुलिस का भय था, उन्हें अभी हाल ही की एक घटना याद है जब वहाँ दलीय झगड़ा हो गया था, और सरकार ने वहाँ पर लगभग स्थायी ही एक पुलिस की चौकी लगा दी थी और गाँव के लोगों को उनको खिलाना पड़ा और उनके रहने का खर्चा भी देना पड़ा। लड़ाई की सभा में वेलान का भाई अचानक आया। वातावरण तनावमय हो गया, "यह क्या है भाई?" वेलान ने पूछा। लड़का बोलने से पहले अपनी सांस को संभालने के लिए रुका। उन्होंने उसे कंधा पकड़कर हिलाया, इस पर वह और अधिक भ्रमित हो गया और बड़बड़ाने लगा और अन्त में बोला, "स्वामी, स्वामी को अब और अधिक भोजन की आवश्यकता नहीं है। उसके लिए और खाना मत ले जाना।"

"क्यों? क्यों?"
"क्योंकि, क्योंकि... बरसात नहीं होती है", उसने यह भी कहा, अचानक, लड़ाई को याद करते हुए, "कोई लड़ाई नहीं, वह कहता है।" ।
"तुम्हें वहाँ जाने के लिए किसने कहा?" उसके भाई ने आधिकारिक रूप से पूछा। "मैं....मैं नहीं, परन्तु जब मैं...अपने आपको वहाँ पाया और उसने मुझसे पूछा और मैंने उसे कहा।" "तुमने उसे क्या कहा?"
लड़का अचानक सावधान हो गया। वह जानता था कि उसे पीटा जायेगा यदि वह कहता कि उसने लड़ाई के बारे में बताया था। वह नहीं चाहता था कि उसे कंधे से जकड़ा जाए-वास्तव में, वह इस बात के विरोध में था कि उसे किसी भी तरीके से पकड़ा जाए; परन्तु वहाँ उस स्वामी ने उसकी कोहनी पकड़कर दबा दी और उसके चेहरे पर दाढ़ी रगड़ी, और यहाँ यह आदमी उसका कंधा पकड़कर फाड़ रहे हैं। उसे दुःख हुआ कि वह कभी शामिल हुआ था। यह श्रेष्ठ था कि उनके साथ कुछ नहीं होवे। वे उसका कंधा मोड़कर तोड़ देंगे यदि वे जानते थे कि वे मालिक को लड़ाई के बारे में कुछ कह रहे थे। इसलिए उसने पूरा कार्य इस प्रकार से पूर्ण किया जिस तरीके से वह सोच सकता था। उसने आँखें टिमटिमाईं। उन्होंने उससे फिर से पूछा, "तुमने उसे क्या कहा था?"

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8. "That there is no............. .........not a proper word.” (Pages 91-92)

कठिन शब्दार्थ-simpered (सिम्पड्) = दाँत निकालना, भद्दी मुस्कराहट। deliberate (डिलिवरेट्) = भली-भाँति सोचना। deluge (डेलयूज) = एक साथ घटित होने वाली बातों की भरमार। bickering (बिक्ङ) = व्यर्थ की कलह करना, बेकार की बात पर झगड़ना। lenient (लिनिअन्ट्) = विनम्र। whoreson (हो(र)सन) = वेश्या पुत्र।।

हिन्दी अनुवाद-"कि यहाँ बारिश नहीं है।" उसने सरलतम विषय के बारे में बताते हुए कहा जो उसके साथ घटित हो गया था। उन्होंने उसके सिर पर थपकी दी और तिरस्कारपूर्ण ढंग से कहा, "बहुत बड़ा पैगम्बर यह खबर लाया है! मैं अनुमान लगाता हूँ, वह तब तक नहीं जानता था।" इसके पीछे एक हंसी आई। लड़के ने भी दाँत निकाले और इस पर विजय पाने का प्रयास किया। तब उसे उस संदेश की याद आई जो उसे पहुँचाने के लिए दिया गया था, और उसने यह सुरक्षित माना कि इसके बारे में कुछ कहा जाए, अन्यथा वह महान व्यक्ति इसके बारे में जानेगा तो वह उसे श्राप दे देगा। और उसने कहा, वापस अपने मूल शुरुआती बिन्दु पर आते हुए कहा, "उसे कोई भोजन नहीं चाहिए जब तक सब कुछ ठीक नहीं हो जाता है।"उसने यह बात इतनी गम्भीरता और जोर देकर कहा कि उन्होंने पूछा, "उसने क्या कहा? हमें सहीसही बताओ?"

लड़के ने एक क्षण के लिए सोचा और बोला, "अपने भाई से कहना मेरे लिए और खाना नहीं लेकर आए। मैं नहीं खाऊँगा। यदि मैं नहीं खाता हूँ, यह सब ठीक होगा, और तब सब कुछ ठीक हो जाएगा।" उन्होंने उसे घूरकर देखा, वह भ्रमित था। वह मुस्कुराया, शायद थोड़ा प्रसन्न था कि उसे कितना महत्त्व दिया जा रहा था। वे एक क्षण के लिए विचारों में रहे। और तब उनमें से एक ने कहा, "यह मंगल गाँव बहुत ही अच्छा है कि स्वामी जैसा महान व्यक्ति हमारे बीच में है। जब तक वह हमारे साथ है, कोई बुरी बात हम पर नहीं आयेगी। वह एक महात्मा की तरह है। जब महात्मा गांधी बिना भोजन किए रहे, भारत में कितनी बातें घटित हो गईं। यह उसी प्रकार का आदमी है। यदि वह उपवास करता है तो बरसात होगी। हमारे प्यार के लिए वह यह कर रहा है।

इससे अवश्य ही बरसात होगी और हमारी सहायता होगी। एक बार एक आदमी इक्कीस दिनों तक उपवास में रहा और एक साथ मूसलाधार बारिश हुई। केवल महान आत्माएँ जो कि स्वयं इस प्रकार के कार्य लेती हैं-" वातावरण विद्युतमय हो गया था। वे अपनी लड़ाई, समस्याएँ और बेकार की बातें भूल गए थे। गाँव में हलचल थी। सब कुछ बिना प्रमुख परिणाम देने वाला प्रतीत हो रहा था। कोई यह खबर लाया कि धारा के विपरीत मिट्टी में एक मगरमच्छ मरा हुआ पाया गया था, उसे पानी की शरण नहीं मिली और वह धूप से मुरझाकर सूख गया था। कोई यह खबर लाया कि तेजी से सूखती हुई झील के पास के गाँव

में एक पुराना मन्दिर दिखा है जो कि एक शताब्दी पहले पानी में डूब गया था, जब यह झील बनी थी। भगवान की मूर्ति मन्दिर के आन्तरिक भाग में अभी भी सुरक्षित है, इतने लम्बे समय तक पानी के नीचे रहने पर भी कुछ नहीं बिगड़ा था; मन्दिर के चारों ओर नारियल के चार पेड़ अभी भी वहीं थे.... और इस प्रकार से और आगे। हर घंटे और अधिक और अधिक विवरण आ रहे थे। सैकड़ों लोग झील के क्षेत्र को चलकर मन्दिर को देखने जा रहे थे, और कुछ लापरवाह लोगों ने तो अपना जीवन ही खो दिया था, वे नम ढीले कीचड़ में समा गए थे। यह सब कुछ बहुत सारा जनता का ध्यान पैदा कर रहे थे, परन्तु कोई डर नहीं था। वे अब उस दुकानदार के प्रति और विनम्र हो गए थे जिसने ग्राहक पर प्रहार किया था, "आखिरकार, उसे और उसको वेश्यापुत्र नहीं कहना चाहिए था, यह एक उचित शब्द नहीं है।" 

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9. "Of course, one's Kith ..........as delicately as possible. (Pages 92-93)

कठिन शब्दार्थ-Kith and Kin (किथ एण्ड किन) = सगे सम्बन्धी। arbitrate (आबिट्रेट) = किसी झगड़े में मध्यस्थता करना। haystack (हेस्टैक) = घास का ढेर या चट्टा। saviour (सेव्य(र)) = किसी को छुड़ाने या बचाने वाला व्यक्ति । enunciated (इ'नन्सिएट्) = विचार को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करना; प्रतिज्ञापन करना। craving (क्रेविङ्) = गहरी ललक, जोरदार तलब । coriander (कॉरि ऐनड(र)) = धनिया। kneaded (नीड्ड) = हाथों से आटा गूंथना । dough (डो) = गुंथा आटा। enumerate (इ'न्यूमरेट) = गणन करना, एक-एक कर नाम बताना।।

हिन्दी अनुवाद-"अवश्य ही, किसी के सगे सम्बन्धी किसी की सहायता करने के लिए बाध्य हैं। अन्यथा उनकी क्या उपयोगिता है?" वेलान ने अपने ललाट पर लगी चोट के बारे में सोचा, और कुछ अन्य दूसरों ने अचानक अपनी विभिन्न चोटों के बारे में याद किया। वे यह निश्चय नहीं कर सके कि इसे कितना अधिक क्षमा किया जा सकता है। उन्होंने अपने आपको इस विचार से सांत्वना दी कि दूसरे समूह के भी काफी लोग इस क्षण अपनी चोटों का इलाज कर रहे होंगे। यह एक संतुष्ट करने वाला विचार था। उन्होंने अचानक निश्चय किया कि उनके पास कोई तीसरा दल हो जो आकर उनके झगड़े का निपटारा करे, जिससे कि इस लड़ाई को भुलाया जा सके, इसके अलावा दूसरे समूह को उनके चारे के ढेर को जलाने के लिए पैसा चुकाया जाए और दूसरे समूह के मुखिया को दावत देकर उसे खुश करें। और उन्होंने अपना समय शान्ति की शर्तों और प्रसन्नता पर चर्चा करते हुए बिताया, उन्होंने घोषणा की, "हमें चलकर स्वामी को अपना सम्मान प्रदर्शित करना चाहिए, जो हमारा उद्धारक है।"

राजू अपने उपहारों एवं भोजन का इन्तजार कर रहा था। उसके पास, अवश्य ही, उसकी टोकरी में फल और खाने का सामान बचा हुआ था, परन्तु वह इन्तजार कर रहा था कि वे उसके लिए दूसरा सामान लाएंगे। उसने उनको सलाह दी थी कि वे उसके लिए गेहूँ का आटा लाने की कोशिश करें, और चावल का आटा और मसाले। वह कुछ नई खाद्य सामग्री बनाना चाहता था, जिससे कि थोड़ा बदलाव हो। उसके पास उसकी विशेष जरूरतों को बताने का एक चतुर तरीका था। वह प्रायः वेलान को एक तरफ ले जाकर शुरू करता और कहता, "आप देखिए, यदि थोड़ा सा चावल का आटा और मिर्च पाउडर मिल जाता है, इसके साथ कुछ अन्य दूसरी चीजें हों, मैं कुछ नया कर सकता हूँ। बुधवार को....." 

उसने जीने के कुछ सिद्धान्तों को स्पष्ट किया जैसे कि किसी विशेष बुधवार को वह अपना भोजन चावल के आटे और इस-इस मसाले से बनाना पसन्द करता था, और उसने इसे गम्भीरता की मुद्रा के साथ बताया, जिससे कि उसके श्रोता इसे आध्यात्मिक आवश्यकता की तरह लें, कुछ मानव के आन्तरिक अनुशासन की तरह जिससे उनकी आत्मा एक आकृति में रहे और उसकी समझ भगवान से आदेशानुसार रहे। उसके बोंदा के लिए गहरी ललक थी, जो कि वह रेल्वे स्टेशन की स्टाल में खाया करता था, जब एक आदमी अपनी खाने की चीजों को बेचने के लिए लकड़ी की ट्रे पर सजाकर यात्रियों के लिए लाया था। यह आटा, आलू, प्याज के टुकड़ों, धनिया पत्ती और हरी मिर्च से निर्मित था-और ओह ! इसका स्वाद कितना अच्छा था! यद्यपि वह इसे किसी में भी पका सकता था, वह उस प्रकार का बेचने वाला था जो कि किसी वस्तु को केरोसीन में तलने में भी नहीं हिचकेगा, यदि यह उसके लिए सस्ती है तो। इन सबके साथ, वह स्वादिष्ट पदार्थ बनाता था, और जब राजू उस वस्तु बेचने वाले से पूछता था कि यह कैसे बनी थी, वह उसे बनाने की सामग्री का तरीका इससे प्रारम्भ कर बताता था, "थोड़ा सा टुकड़ा अदरक", और तब वह अपनी बात को यह कहता हुआ जोड़ता था कि कुछ यह डालो और कुछ

वह । जब वह किसी शाम को अपने श्रोताओं को भगवतगीता का भाषण देता था, राजू में अचानक एक गहरी भावना आती कि यह वह स्वयं प्रयास करे-अब उसके पास एक कोयले की अंगीठी और तलने की कड़ाही थी, और इससे अधिक स्वर में क्या होता कि एक अच्छा गुंथा हुआ गीला आटा उबलते हुए तेल में डाला जाए? उसने अपनी आवश्यकताओं को वेलान को एक-एक करके जितने अच्छे तरीके से सम्भव हो सकता था, बता दिया था।

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10. When he heard voices ........... before another human being." (Pages 93-94)

कठिन शब्दार्थ-mound (माउन्ड्) = छोटी पहाड़ी। jubilant (जुबिलन्ट) = अत्यधिक खुश । hushed (हश्ट) = चुप कराना। august (ऑगस्ट) = श्रद्धेय, सम्मान्य । swift (स्विफट) = जल्दी, त्वरित। lequacious (ल'कवेशस्) = बातूनी, वाचाल । prostrate (प्रॉस्ट्रेट) = झुकना, दण्डवत।।

हिन्दी अनुवाद-जब उसने छोटी पहाड़ी के पीछे से आ रही आवाजें सुनीं, उसे राहत महसूस हुई। उसने व्यावसायिक भूमिका हेतु अपना आवरण बनाया और अपनी दाढ़ी और बाल संवारे, और पुस्तक हाथ में लेकर अपनी सीट पर बैठ गया। जैसे आवाजें आकर पहँची उसने देखा कि आम दिनों से ज्यादा लोगों की भीड़ थी जो कि मिट्टी को पार कर आ रही थी। वह एक क्षण के लिए भ्रमित हो गया था, परन्तु उसे इस तथ्य पर बहुत खुशी महसूस हुई कि उसने लड़ाई को रोका था। उसने महसूस किया कि आखिरकार उसने कुछ प्राप्त किया है और गाँव को बचाया था। वेलान का वह मूर्ख भाई आखिरकार इतना बुरा प्रतीत नहीं हुआ था। उसने उम्मीद की कि उनके थैले में आटा होगा। इसके बारे में तुरन्त पूछना शायद ठीक नहीं होगा; उन्हें उसे रसोई में छोड़कर जाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।

उन्होंने अपनी आवाजें और कदम हल्के किये जैसे-जैसे वे स्तम्भाकार हॉल के पास आ रहे थे। यहाँ तक कि बच्चों ने भी अपनी आवाजें चुप कर लीं जब वे उस श्रद्धामय उपस्थिति के समक्ष पहुँचे।। वे पहले की तरह से उसके सामने अर्द्धगोलाकार बैठ गए, सभी अपनी जगह थे। महिलाएँ फर्श को साफ करने में तुरन्त व्यस्त हो गईं और मिट्टी के दीयों में तेल भरने लगीं। दस मिनिट तक राजू ने न तो ऊपर देखा और ना ही बोला। परन्तु केवल पुस्तक के पन्ने पलटता रहा। वह उत्सुक था यह देखकर कि वेलान के लोग कितने तत्पर थे। 

उसने उस पार चुपके से नजर घुमाई, और उनके ललाट पर लगी चोट देखी, और तेजी से नजरें फेंक कर पाया कि वास्तव में उसके मन में जो तस्वीर बनी थी, उससे कम नुकसान हुआ है। वह वापस पढ़ने लगा था, और केवल दस मिनिट पुस्तक पढ़ने के बाद उसने भीड़ का सर्वे किया और हमेशा की भाँति लगने लगा। उसने अपनी भीड़ की ओर देखा, विशेष तौर से वेलान पर अपनी आँखें जमाई और बोला, "भगवान श्रीकृष्ण यहाँ कहते हैं......" उसने अपने पृष्ठ को रोशनी में स्थित किया और गद्यांश पढा: "क्या आप जानते हैं इसका क्या तात्पर्य है?" वह एक अर्द्धदार्शनिक व्याख्यान में प्रवेश कर गया। कई प्रकार की विषयवस्तु के साथ, उसने अच्छा खाना खाने से प्रारम्भ किया और भगवान की श्रेष्ठता पर पूर्ण विश्वास के साथ आगे चलता गया।

उन्होंने बिना व्यवधान के उसे सुना, और जब वह सांस लेने के लिए थोड़ा रुका, लगभग एक घण्टे के बाद तो वेलान ने कहा, "आपकी प्रार्थनाओं का अवश्य ही भगवान के द्वारा जवाब दिया जाएगा और हमारा गाँव बचेगा। हम में से हर कोई दिन और रात यही प्रार्थना करते हैं कि आप इस पूरे कार्य में सुरक्षित निकल आएं।" राजू ने जो कुछ सुना वह उस पर भ्रमित था, परन्तु उसने सोचा कि इतनी उच्च और बड़ी शुभकामनाएँ करना उनकी आदत थी और वे मुहावरे और यह कि वे उसे धन्यवाद दे रहे थे कि उसने उनके दिमागों में यह समझ बैठा दी कि वे लड़ाई नहीं करें। सारी भीड़ वाचाल हो गई और हर तरफ से उस पर प्रशंसा की बौछार होने लगी। एक औरत आई और उसके पैर छुए, फिर दूसरी आई। राजू चीखा, "क्या मैंने तुम्हें नहीं बताया था कि मैं तुम्हें इसकी आज्ञा नहीं दूंगा? कोई भी मानव किसी दूसरे मानव के सामने दण्डवत नहीं होगा।"

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11. Two or three men came up.......... my work, and come back. (Pages 95-96)

कठिन शब्दार्थ-ridiculous (रिडिक्यूल्स) = हास्यास्पद । tugged (टगड्) = किसी वस्तु को झटके से खींचना। tickle (टिकल) = गुदगुदी, चुनचुनाहट। penance (पेनन्स्) = प्रायश्चित्त । rugged ('रगिड्) = तगड़ा और सुन्दर। babble (बैबल) = इस प्रकार से बोलना कि समझ में नहीं आए। lingered (लिंङ (र)ड्) = देर तक बिना काम रुके रहना। droop (ड्रप) = नीचे झुकना।

हिन्दी अनुवाद-दो और तीन आदमी आगे आये, उनमें से एक कह रहा था, "आप कोई अन्य मानव नहीं हैं। आप एक महात्मा हैं। हम अपने आपको भगवान के आशीर्वाद मानते हैं कि हम वास्तव में आपके पैरों की धूल को छू रहे हैं।"

"ओह, नहीं, इस प्रकार मत बोलो......" राजू ने अपने पैर वापस खींच लिए। परन्तु वे उसके चारों ओर भीड़ करके खड़े हो गए। उसने अपने पैरों को ढकने का प्रयास किया। उसे यह लुकाछिपी से हास्यास्पद महसूस हुआ कि वह अपने पैर ढक रहा था और लोग उनको छू रहे थे। उन्होंने उसकी ओर हर तरफ से खींचा और उसे उनकी ओर से गुदगुदी करते हुए प्रतीत हो रहे थे, यदि वह केवल उनको अपने पैर दे दे। उसने महसूस किया कि वास्तव में इस प्रदर्शन से बचा नहीं जा सकता है और यह कि उन्हें करने दिया जाए जो वे करना चाहते हैं, यही उसके लिए सबसे अच्छा होगा। भीड़ में लगभग सभी ने उसके पैर छुए और पीछे हट गए, परन्तु ज्यादा दूर नहीं गए। उन्होंने उसे घेर लिया और वे वहाँ से हटने का कोई निशान नहीं प्रदर्शित कर रहे थे। 

उन्होंने उसके चेहरे की ओर देखा और एक नए अन्दाज में उसे देखते रहे; वातावरण में जैसा कि उसने पहले कभी जाना हो उससे अधिक गम्भीरता थी। वेलान ने कहा, "आपका प्रायश्चित्त महात्मा गाँधी के बराबर है। वे आप में हमारे बचाव के लिए एक शिष्य छोड़ गए हैं।" अपने स्वयं के सुन्दरतम मुहावरे में जैसा कि श्रेष्ठ वे निकाल पाए थे, उन्होंने कहा, वे सब उसको धन्यवाद दे रहे थे। कभी-कभी वे सभी एक साथ बोलकर भ्रमित करने वाला शोर करते थे। कभीकभी वे एक वाक्य शुरू करते और इसे पूरा नहीं कर पाते। वह समझ गया था कि वे भावना प्रधान हो रहे थे। वे आभार स्वरूप बोल रहे थे, यद्यपि उनकी आवाज में उच्चता वाले शब्दों का समावेश था। उनकी बड़बड़ाहट भ्रमित करने वाली थी। परन्तु उसमें उनका समर्पण अप्रश्नीय था। उनके आगमन में बहुत अधिक प्रेम था कि उसने यह महसूस करना शुरू किया कि यह सही था कि वे उसके पैर छुएँ; इस वजह से, यह भी उसके लिए सम्भव प्रतीत हो रहा था कि वह स्वयं नीचे झुके, और अपने स्वयं के पैरों की धूल ले और अपनी आँखों से उसे छुए। उसने यह सोचना शुरू किया कि उसका व्यक्तित्व आभायुक्त हो रहा है.....भीड़ अपने हमेशा के समय से नहीं गई थी, परन्तु देर तक रुकी रही थी।

वेलान ने यह मान लिया था कि वह आज उपवास पर है और इन महीनों में वे पहली बार भोजन लेकर नहीं आए थे जैसे कि लाया करते थे। जब उन्होंने उसके उपवास को ज्यादा महत्त्व दिया वह अधिक अच्छी तरीके से पूछ नहीं सका, "मेरे भोजन के लिए सामग्री कहाँ है?" यह अप्रतीत सा लगेगा। इस पर बाद में ध्यान देने पर कोई नुकसान नहीं है। उन्होंने अनुमान लगाया था कि उसका उपवास उनकी लड़ाई को रोकने के लिए था, और वह उनको यह बताने नहीं जा रहा था कि वह पहले से ही दिन में दो बार खाना खा चुका था। वह इसे इस पर छोड़ देगा, और यदि उसकी आँखें आने वाली थकान के कारण थोड़ी नीचे आती हैं अर्थात् नींद आती है तो यह लगभग क्रमानुसार होगी। अब यह कि सब कुछ पूर्ण हो गया था, वे क्यों नहीं चले गये थे? उसने वेलान को पास आने का इशारा किया, "क्यों नहीं औरतों और बच्चों को दूर भेज देते हो? क्या यह देर नहीं हो रही है?"

करीब मध्यरात्रि तक भीड़ चली गई थी, परन्तु वेलान वहीं पर बैठा रहा जहाँ पर वह सारी शाम बैठा था, खम्भे का सहारा लेकर वहीं रहा, "क्या तुम्हें नींद नहीं आ रही है?" राजू ने पूछा।
"नहीं, श्रीमान, जगते रहना कोई बड़ा बलिदान नहीं है, उसकी तुलना में जो आप हमारे लिए कर रहे हैं।"
"इस पर ज्यादा ध्यान मत दो। यह सिर्फ कर्त्तव्य है, बस और कुछ नहीं, और जो मुझे करना चाहिए उससे अधिक मैं और कुछ नहीं कर रहा हूँ। तुम अगर चाहो तो घर जा सकते हो।"
"नहीं श्रीमान, मैं कल घर जाऊँगा जब मुखिया मेरी जगह पर आयेंगे। वह यहाँ पर पाँच बजे आयेंगे और दोपहर बाद तक रुकेंगे। मैं घर जाऊँगा, मेरा काम करके वापस आ जाऊँगा, श्रीमान।"

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12. "Oh, it's not at all.. ..................anyone else should see me.” (Pages 96-97)

कठिन शब्दार्थ-gracious (ग्रेशस) = दयालु, नम्र और उदार। derive (डि'राइव्) = प्राप्त करना। scripture (स्क्रिपच(र)) = धार्मिक ग्रंथ। agenda (एजेण्डा) = मसौदा, मुद्दा। ferment (फ'मेन्ट) = अनिश्चय और परिवर्तन की स्थिति। earnest (अनिस्ट) = गम्भीर या दृढनिश्चय के साथ। betray (बि'ट्रे) = रहस्य उजागर करना, शत्रु को गोपनीय मामलों की जानकारी देना। enormity (इ'नामटि) = किसी वस्तु की विशालता। puny (प्यूनि) = छोटा और दुर्बल। wasp (वास्प) = बर्र, ततैया। petrified (पेट्रिफाइड) = भयभीत। humility (ह्यूमिलिटी) = विनम्रता, विनयशीलता। "

हिन्दी अनुवाद-"ओह, यह पूर्णतः जरूरी नहीं है कि कोई हमेशा यहाँ पर रहे। मैं अच्छे तरीके से व्यवस्था कर सकता हूँ।"
"श्रीमान, आप उदारतापूर्वक उसे हम पर छोड़ दें। हम केवल अपना कर्त्तव्य निभा रहे हैं। श्रीमान आप एक बहुत बड़ा बलिदान हमारे लिए कर रहे हो, और कम से कम जो हमारी तरफ से बन सकता है, हम कर रहे हैं। श्रीमान, हम आपका चेहरा देखकर गुण प्राप्त कर रहे हैं।"

राजू इस दृष्टिकोण से भावना प्रधान हो गया। परन्तु उसने निश्चय कर लिया था कि अब इस बात की तह तक जाने का समय आ गया है। इसलिए उसने कहा, "आप सही हैं। वह जो कि उपवास करने वाले की सेवा करता है उसे वही गुण प्राप्त होता है जो कि उपवास करने वाले को मिलता है। हमारे ग्रन्थ ऐसा कहते हैं, और आप गलत नहीं हैं। मैं भगवान को धन्यवाद देता हूँ कि मेरा प्रयास सफल हुआ है, और आप सब एक-दूसरे के साथ शान्ति से हैं । यही मेरा मुख्य उद्देश्य था। अब यह पूर्ण हो गया है, सब बातें सही हैं। तुम घर जा सकते हो। कल मैं मेरा भोजन करूँगा जैसे कि पहले करता था, और तब मैं एकदम ठीक हो जाऊँगा। कल तुम लाना याद रखना कि तुम मेरे लिए चावल, आटा, हरी मिर्च और....." वेलान अपना आश्चर्य जोर से व्यक्त करने में बहुत सम्माननीय रहा था, परन्तु वह अपने आपको अधिक नहीं रोक सका था।"श्रीमान, क्या आप कल बारिश आने की उम्मीद करते हैं?"

"अच्छा......." राजू ने एक क्षण के लिए सोचा। यह क्या मुद्दा था जो इस विषय में आ गया था? "कौन कह सकता है? यह भगवान की इच्छा है। यह हो सकता है।" अब वेलान और अधिक नजदीक आकर बताने लगा था जो कुछ उसके भाई ने उसे बताया था, और लोग जो वहाँ पर थे उन पर उसका क्या प्रभाव पड़ा था। वेलान ने बहुत ही स्पष्ट रूप से बताया था कि रक्षक उनसे क्या करने की उम्मीद करता थाघुटनों तक पानी में खड़े होना, आकाश की ओर देखना, और दो सप्ताह तक प्रार्थना की पंक्तियाँ बोलना, इस अवधि में पूरी तरह से उपवास पर रहना.....और देखिए....बारिश आयेगी, यह तथ्य है कि आदमी जो इस कार्य को करता है, पवित्र हृदय वाला हो, एक महीन आत्मा वाला हो। सम्पूर्ण ग्रामीण क्षेत्र में परिवर्तन की एक नई लहर थी, क्योंकि एक महान आत्मा इस कार्य को करने में सहमत थी।

जिस दृढ़ता के साथ वह बोला, उससे राजू की आँखों में पानी आ गया था। उसे याद आया कि उसे अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है जब उसने उनको इस प्रकार के प्रायश्चित्त के बारे में बताया था, उसने इसके महत्त्व और तरीके के बारे में भी बताया था। उसने अपने मन से इसके बारे में आंशिक रूप से वर्णन किया था और आंशिक रूप से परम्परागत लेखों से जो उसने अपनी माँ से कहते हुए सुना था। इससे शाम का सारा कार्यक्रम पूर्ण हो गया था और उसके श्रोताओं को सूखे से उनका ध्यान भटकाने में सहायता मिली थी। उसने उनसे कहा था, "जब समय आता है, सब कुछ ठीक हो जाएगा। यहाँ तक कि वह आदमी जो आपके लिए बारिश लाएगा वह अचानक आएगा।" उन्होंने उसके शब्दों की व्याख्या की और उसे वर्तमान स्थिति पर लागू किया था। 

उसने यह महसूस किया कि उसने स्वयं उस स्थिति पर कार्य किया जिसमें से वह स्वयं बाहर नहीं निकल सकता था। वह अपने आश्चर्य के साथ छल नहीं कर सका था। उसने यह महसूस किया था कि आखिरकार अब वह समय आ चुका था जब उसे गम्भीर होना ही होगा-अपने शब्दों के साथ उसकी कीमत जोड़ते हुए उसे ऐसा करना होगा! उसे समय की आवश्यकता थी-और इस पूरे मामले पर सोचने के लिए उसे एकान्त चाहिए था। वह अपने पत्थर के पटिया वाले स्थान से नीचे आया; वह पहला कदम था जो उसे उठाना था।

उस सीट ने एक आकर्षण पा लिया था, और जब तक वह इस पर बैठा, लोग उसे नहीं सुनेंगे जैसे कि वे एक साधारण आदमी को सुनते थे। उसने अपने स्वयं की रचना की विशालता देखी। उसने अपने स्वयं के छोटे और दुर्बल शरीर से एक दैत्य की रचना कर ली थी, पत्थर की एक पट्टी से अधिकारिता की एक गद्दी बना दी थी। उसने अपनी सीट को अचानक छोड़ा, मानो कि उसे किसी ततैया ने काट लिया था, और वेलान आ पहुँचा था। उसकी ध्वनि में विनम्रता और डर की चुप्पी थी, उसका तरीका विनम्र था। वेलान शान्त था मानो कि वह कोई भयभीत पहरेदार था। "मुझे ध्यान से सुनो। यह अनिवार्य है कि तुम मुझे आज रात अकेला छोड़ दो। यह अनिवार्य है कि मैं कल भी अकेला रहूँ। और तब आना और कल रात को मुझसे मिलना। मैं तुमसे कल रात को बात करूँगा तब तक न तो तुम और न ही कोई और मुझसे मिले।"

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13. This sounded so mysterious ..... ......... he could help it. (Pages 97-99)

कठिन शब्दार्थ-obeisance (ओ'बस्न्स ) = सम्मान, आदर, आज्ञा का पालन। picturesque (पिक्चरेस्क्) = आकर्षक, मनोरम । scoop (स्कूप) = कलछी। ordeal (ऑ 'डील) = अत्यन्त अप्रिय या कठिन अनुभव। litany (लिटेनि) = स्तुति माला। cramp (क्रैम्प) = दर्दभरी ऐंठन।

हिन्दी अनुवाद-यह इतना रहस्यमयी और महत्त्वपूर्ण लगा कि वेलान बिना एक शब्द बोले उठ गया, "श्रीमान, मैं आपसे कल रात को मिलूंगा। अकेला?"
"हाँ, हाँ, एकदम अकेला।"
"बहुत अच्छा, मालिक। आपके स्वयं के कोई कारण हैं हम क्यों और क्या नहीं पूछ सकते हैं । बड़ी भीड़ भी आएगी। मेरे पास जो आदमी नदी के पास-पास आयेंगे उनको नदी से वापस भेज दूंगा। यह कठिन होगा, परन्तु यदि यह आपका आदेश है तो इसका पालन अवश्य किया जाएगा।" उसने अत्यधिक गहरा सम्मान व्यक्त किया और चला गया। राजू थोड़ी देर खड़ा उनको देखता रहा। वह अन्दर के कक्ष में गया जिसका उपयोग वह शयन कक्ष के लिए कर रहा था, और नीचे लेट गया। उसका सारा शरीर पूरे दिन बैठने से बहुत अधिक दर्द कर रहा था, और वह असंख्य लोगों का सामना करते हुए थक गया था। उस अंधेरे कमरे में, जैसे वहाँ चमगादड़ें उड़ रही थीं और दूर से आने वाली गाँव की आवाजें बन्द हो गई थीं, एक गहरी शान्ति छाने लगी थी। उसका दिमाग परेशान कर देने वाली समस्याओं से भरा हुआ था। उसने सोने का प्रयास किया था। उसे बेहोशी वाली, स्वप्नभरी, विचारों को बन्द कर देने वाली तीन घंटे की नींद आई।

क्या उन्होंने उससे पन्द्रह दिनों तक भूखों मरने की उम्मीद की और आठ घण्टे तक घुटनों तक गहरे पानी में खड़े होने की आशा की थी? वह बैठ गया। उसे यह विचार देकर तकलीफ हुई और गलती का आभास हुआ। यह उसे मनोरम लग रहा था। परन्तु यदि वह जानता कि यह उस पर लागू किया जाएगा, तो वह शायद कोई और फार्मूला दे देता; कि सभी गाँव वाले संयुक्त होकर पन्द्रह दिनों तक उसे बोंदा बिना रुके खिलाते रहें । उनको ही यह जिम्मेदारी दे देता कि इसका वितरण निरन्तर होता रहे । और तब वह संत एक दिन में दो मिनिट नदी में खड़ा रहे, और यह जल्दी या देर से बरसात हो ही जाती। उसकी माँ प्रायः कहती थी, “यदि कहीं पर कोई अच्छा व्यक्ति है, तो बरसात उसकी रक्षा या सम्पूर्ण संसार के फायदे के लिए अवश्य आती है।" 

वह एक तमिल कविता से इसका उदाहरण देती। उसे यह भी लगा कि उसके लिए सबसे अच्छा कार्य होगा कि वह इन सबसे दूर भाग जाए। वह चलकर जा सकता था, कहीं से बस पकड़ सकता था, और वह दूर किसी शहर में जा सकता था, जहाँ पर वे उसके बारे में अधिक परेशान नहीं होंगे-सिर्फ एक दूसरा साधु जो दाढ़ी रखता है और कुछ नहीं। वेलान और अन्य दूसरे उसकी तलाश करेंगे और यह सारांश निकाल लेंगे कि वह हिमालय की ओर गायब हो गया था। परन्तु इसे कैसे करे? वह कितनी दूर जा सकता था? कोई भी उसे आधे घंटे में ही पकड़ लेगा। यह एक व्यावहारिक हल नहीं था। वे उसे वापस इसी स्थान पर घसीट कर लायेंगे और उनको मूर्ख बनाने पर दण्डित करेंगे। यह भी डर नहीं था, वह शायद यह खतरा लेने के लिए तैयार था। 

यदि दूर जाने का आधा ही मौका होता....परन्तु उसे इस याद से परेशानीवश हलचल हुई कि औरतों और बच्चों की भीड़ उसके पैर छू रही थी। वह उनके आभार प्रदर्शन के विचार से हिल गया था। उसने आग जलाई और भोजन पकाया, नदी में नहाया (उस स्थान पर जहाँ उसने मिट्टी खोदी थी और पाँच मिनिट तक धारा में बर्तन भरने का इन्तजार किया) और वह भोजन को जल्दी-जल्दी निगल गया इससे पहले कि कोई आ जाए चाहे वह संयोग से ही आए। उसके पास भोजन का भण्डार रखा था, रात को दूसरे भोजन के लिए उसने मन्दिर के अन्दर वाले भाग में थोड़ा सा छुपा कर रख दिया था। उसने सोचा कि वे कम से कम रात को अकेला छोड़ दे, तो वह कुछ व्यवस्था कर ले और कठिन अनुभव से बच जाए। 

तब एकमात्र कठिनाई उसके पास घुटनों तक गहरे पानी में खड़े रहने की ही रहेगी (यदि उन्हें कहीं इतना पानी मिलता है, तब) और आठ घण्टे तक माला जपता रहेगा। (यह वह उचित तरीके से वास्तविक अभ्यास से परिवर्तित कर सकता है) इससे उसकी मांसपेशियों में तनाव होगा, परन्तु उसे इसे कुछ दिनों तक के लिए सहन करना पड़ेगा। और तब उसे यह विश्वास था कि बारिश अपने स्वाभाविक तौर पर जल्दी या देरी से आ जायेगी। वह उन्हें पूरे तरीके से धोखा नहीं दे सकेगा अपने उपवास के बारे में जितना कि वह कर सकता था।

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14. When Velan arrived at................. lines of care on his face. (Pages 99-100)

कठिन शब्दार्थ-rectified (रेटिफाइड्) = अशुद्ध को शुद्ध करना। bald (बाल्ड) = गंजा। dodge (डॉज) = चकमा, झांसा देना। trickling (ट्रिकलिङ) = धीमी चाल से कहीं जाना । driblet (ड्रिब्लट) = टपकना। rustle (रसल) = सरसराहट।

हिन्दी अनुवाद-जब वेलान रात को आया, उसने उसे अपने विश्वास में लिया। उसने कहा, "वेलान, तुम मेरे दोस्त रहे हो। तुम्हें मेरी बात सुननी चाहिए। तुम्हें किस चीज से यह विचार आया कि मैं बरसात ला सकता हूँ?"
"उस लड़के ने हमें ऐसा कहा। क्या आपने उसे ऐसा नहीं कहा था?"
राजू सीधा जवाब दिये जाने से हिचकिचाया। शायद इस समय भी वह इसे शुद्ध कर सकता था एक सीधे वाक्य को स्पष्ट कह कर के। राजू एक क्षण के लिए हिचकिचाया। अपनी आदत के द्वारा, उसकी प्रकृति अभी भी उसे सीधा और साफ सत्य कहने से बचा रही थी। उसने धोखा देते हुए जवाब दिया, "यह वह नहीं है जो मैं पूछ रहा था। मैं यह जानना चाहता हूँ कि कैसे तुमने मेरे बारे में ऐसा सोचा।"
वेलान ने असहाय होकर आँखें टिमटिमाईं। वह पूरी तरह से समझ नहीं पाया कि उस महान व्यक्ति का क्या आशय था। उसने महसूस किया कि इसका मतलब अवश्य ही कुछ बहुत अच्छा हो सकता था, परन्तु वह प्रश्न का उत्तर देने में अक्षम था। उसने कहा, "और हम क्या कर सकते हैं?"

"नजदीक आओ। यहाँ बैठो और मुझे ध्यान से सुनो। तुम यहाँ पर सो सकते हो। मैं तुम्हारे लोगों की रक्षा हेतु उपवास करने के लिए तैयार हूँ और इस क्षेत्र की रक्षा के लिए कुछ भी कर सकता हूँ-परन्तु यह केवल एक संत के द्वारा ही किया जाना चाहिए। मैं संत नहीं हूँ।" वेलान ने विरोध की बहुत सी आवाजें सुनीं। राजू को वास्तव में दुःख हुआ कि उनका विश्वास डिग रहा था; परन्तु यह केवल वह तरीका था जिसमें वह इस परेशानी से बचने की उम्मीद कर सकता था। यह ठण्डी रात थी। राजू ने वेलान से कहा कि वह साथ आए और नदी की सीढ़ियों पर बैठे। उसने उस स्थान पर अपनी सीट ले ली। और वेलान उससे एक सीढ़ी नीचे बैठ गया।

राजू उसकी ओर झुका, “तुम्हें मुझे जरूर सुनना ही होगा, और इसलिए तुम ज्यादा दूर मत जाओ, वेलान, मैं तुम्हारे कान में जरूर कहना चाहता हूँ। तुम इस बात पर ध्यान देना कि मैं तुमसे क्या कहने जा रहा हूँ। मैं संत नहीं हूँ, वेलान, मैं अन्य लोगों की तरह से एक साधारण आदमी हूँ। मेरी कहानी को सुनो, तुम स्वयं इसके बारे में जान जाओगे।" उस क्षण नदी बहती जा रही थी और कोई शोर नहीं कर रही थी। पीपल के पेड़ की सूखी पत्तियाँ सरसराहट कर रही थीं। कहीं पर एक गीदड़ चिल्ला रहा था। और राजू की आवाज रात में गहराती जा रही थी। वेलान ने उसे ध्यान से बिना आश्चर्य या चकित होने का एक शब्द बोले सुना। वह अपने पूर्ण आदर के साथ उसे सुन रहा था। वह आम दिनों से थोड़ा अधिक गम्भीर दिखाई दे रहा था, और उसके चेहरे पर चिन्ता की रेखाएँ थीं।

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15.  I was accepted ..................... sheets of carbon, will you?" (Pages 100-101)

कठिन शब्दार्थ-monumental (मॉनयुमेन्टल) = चिरस्मरणीय, अति विशाल या महत्त्वपूर्ण। stint (स्टिन्ट्) = खुले हाथों, दिल खोलकर। fussed (फस्ट) = किसी बात पर उत्तेजित हो जाना। solicitude (सेलिसिटयुड्) = ध्यान, फिक्र, ख्याल । litter (लिट(र)) = कचरा फैलाना।

हिन्दी अनुवाद-मुझे मार्को के द्वारा परिवार का एक सदस्य स्वीकार कर लिया गया था। सैलानियों को घुमाकर बताने के बजाय मेरा कार्य संकुचित होकर एक परिवार को घुमाने तक होता प्रतीत हुआ था। मार्को अव्यावहारिक था, पूर्णतः एक स्वार्थी व्यक्ति था। जो कुछ वह करता था, वह था पुरानी चीजों की नकल करना और उनके बारे में लिखना । उसका मन पूरी तरह से उसमें था। जीवन के सभी व्यावहारिक कार्य उसके लिए असम्भव प्रतीत होते थे। उसे साधारण कार्य जैसे भोजन पाना या शरण लेना या रेलवे टिकिट खरीदना बहुत विशाल कार्य प्रतीत होता था। शायद उसने इस इच्छा से शादी की थी कि उसके वास्तविक जीवन में कोई उसका ध्यान रखने वाला हो। परन्तु दुर्भाग्य से उसकी पसन्द गलत थी-यह लड़की तो स्वयं अपने सपनों में खोई रहती थी यदि कोई सपना था। वह बहुत अधिक फायदे में रहती यदि उसका पति उसके भावी जीवन का ध्यान रखता, यहाँ पर मेरे जैसा आदमी उसके लिए बिना मूल्य वाला था। मैंने अपने सारे कार्य लगभग त्याग दिए थे कि मैं उनके किसी काम का बन सकूँ।

वह पीक हाउस में करीब एक माह तक रुका और मेरे पास उसका सारा काम देखने का भार था। वह किसी खर्चे पर तब तक पैसा नहीं देता था जब तक उसके पास बाउचर नहीं आ जाता था। उनका कमरा भी भी होटल में था। गफूर की कार स्थायी रूप से उनके पास व्यस्त थी, लगभग मानो कि मार्को उसका मालिक बन गया था। कार पीक हाउस और कस्बे के बीच कम से कम दिन में एक बार आया-जाया करती थी। जोसफ मार्को का इतनी अच्छी तरह से देखभाल करता था कि कोई और उसके लिए व्यर्थ ही परेशान होता। यह माना जाता था कि मैं अपना अधिकांश समय उसका और उसकी पत्नी की देखभाल में गुजारता, जो कुछ मेरे पास अन्य कार्य था, उसे त्यागे बिना। वह मुझे मेरी रोज की दर से पैसे चुकाता था और मुझे मेरे रोजाना के काम भी करने देता था, मेरा रोजाना का कहे जाने वाला काम थोड़ा बड़ा-सा लगता था परन्तु वास्तव में यह केवल रोजी के साथ रहने और उसका मनोरंजन करने तक ही रह गया था। 

दो दिन में एक बार वह अपने पति से मिलने जाती थी। वह आजकल उसके लिए अतिरिक्त ख्याल का ध्यान प्रदर्शित कर रही थी। वह उसके लिए कुछ ज्यादा ही स्नेहशील हो गई थी। यह उसके लिए एक जैसा था। उसकी टेबल पर नोट (टिप्पणियों) वाले कागज और तिथियाँ ढेर की तरह से पडी रहती थीं और वह कहता था, "रोजी, इसके पास मत जाना। मैं नहीं चाहता हूँ कि तुम इसे बिगाड़ दो। यह थोड़ा धीरे-धीरे क्रम में आ रहा है।" मैंने कभी भी इस बात पर ध्यान नहीं दिया था कि वह वास्तव में क्या कर रहा था। यह मेरा कार्य नहीं था। ना तो उसकी पत्नी ही उसके कार्य के प्रति लगाव रखती थी। वह पूछती थी, "आपका भोजन कैसा रहा है?" वह उस पर एक नई तकनीक का प्रयास कर रही थी, हमारी स्वयं की अन्तरंगता के शुभारम्भ के पश्चात् वह यह कर रही थी। वह उसका कमरा व्यवस्थित करती थी। वह जोसफ से उसके खाने के बारे में बात करती थी। कभी-कभार वह कहती थी, "मैं यहाँ पर रहकर तुम्हारा साथ बनाए रखती हूँ।" और मार्को उसे नजरअंदाज रूप से, साधारण तरीके से मानता था। "ठीक है, यदि तुम चाहो तो। अच्छा, राजू क्या आप रुक रहे हो या वापस जा रहे हो?"

मैंने अपनी रुकने की इच्छा का विरोध किया, क्योंकि मैं जानता था मैं पहाड़ी से नीचे उतरते समय पूरी तरह से उसके साथ था। उसे अब अकेले छोड़ देना अच्छा रहेगा। इसलिए मैंने बिना उसकी ओर देखे कहा, "मुझे अवश्य ही वापस जाना होगा। आज मेरे पास कोई और आ रहा है। मैं उम्मीद करता हूँ कि तुम इस ओर ध्यान नहीं लगाओगे।"
"नहीं, बिल्कुल नहीं। तुम एक व्यावसायिक व्यक्ति हो। मैं तुम पर इतना अधिक एकाधिकार नहीं कर सकता हूँ।"
"कल किस समय आपको कार की जरूरत पड़ेगी?"
उसने अपनी पत्नी की तरफ देखा और उसने सिर्फ यह कहा, "कल, जितनी जल्दी आप आ सकते हो।" उसने सामान्य रूप से कहा, "क्या आप मेरे लिए कुछ कार्बन के कागज लेकर आ सकते हो?"

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16. As the car sped downhill............is happening generally?" (Pages 101-102)

कठिन शब्दार्थ-stick (स्टिक्) = कहीं अटक जाना, चिपकाना। deftly (डेफटिल) = दक्षतापूर्वक। prod (प्रॉड्) = धकेलना। anticipation (एन्टीसिपेशन्) = आशा, उम्मीद। preoccupied (प्रि'आकयुपाइड) = किसी बात में किसी को तल्लीन कर देना, चिन्ता करना। jumble (जम्बल) = वस्तुओं का घालमेल । corduroys (कॉर्डरायस) = कॉर्डराय नामक मोटे परन्तु नरम सूती कपड़े से बनी पतलून।

हिन्दी अनुवाद-जैसे-जैसे कार पहाड़ से नीचे तेज गति से उतरती हुई जा रही थी, गफूर शीशे में से मुझ पर लगातार निगाहें डाल रहा था। मैं आजकल उससे दूरी बनाकर कम बात कर रहा था। मैं नहीं चाहता था कि वह किसी के भी बारे में मेरे से ज्यादा बातें करे। मैं उसकी गप्पों से डरने लगा था। मैं अभी भी उसकी इस प्रकार की बातों से अधिक संवेदनशील था और मैं गफूर के साथ रहकर चिन्तातुर और परेशान रहता था और मुझे उस समय बड़ा आराम महसूस होता था जब तक कि वह मोटरगाड़ियों के बारे में बात करता था, परन्तु यह उसकी प्रकृति में नहीं था कि वह इस विषय पर जमा रहे । वह अपनी बात मोटरकार से शुरू करता था और जल्दी ही सब कुछ मिला देता था, "कल तुमको मुझे ब्रेक ठीक करवाने के लिए एक घण्टा देना पड़ेगा। 

आखिरकार, यांत्रिक ब्रेक है, तुम जानते हो। मैंने अभी भी उनको बनाए रखा है वे हाइड्रोलिक से भी अच्छे ब्रेक हैं। ठीक वैसे ही जैसे एक पुरानी, अशिक्षित पत्नी आजकल की नई लडकियों से बेहतर होती है। ओह, हाँ, आधुनिक लड़कियाँ कुछ ज्यादा ही खुली होती हैं। मैं अपनी पत्नी को होटल के एक कमरे में अकेला नहीं रहने दूँ यदि मुझे पहाड़ की चोटी पर काम से रहना पड़े तो।" - इससे मुझे तकलीफ हुई और मैंने दक्षतापूर्वक विषय बदल दिया। "क्या तुम यह मानते हो कि कार बनाने वाले तुमसे कम अनुभव रखते हैं।"

"ओह, तो तुम यह सोचते हो कि इंजीनियर्स ज्यादा जानते हैं? मेरी तरह का आदमी जो कार को धक्का देकर आगे चलाता रहे, हो सकता है तुम सही हो....." मैं सुरक्षित था, मैंने उसका ध्यान रोजी से भटका दिया था। मैं अभी भी संदेह में बैठा था। मैं असाधारण मन की स्थिति में था। इससे भी गफूर का ध्यान भंग नहीं हुआ था। वह पहाड़ी पर से नीचे की ओर गाड़ी चलाते समय बड़बड़ा रहा था, "तुम आजकल कुछ ज्यादा ही चिपकने लगे हो, राजू । तुम वह मित्र नहीं रहे जैसे तुम पहले थे।" यह एक तथ्य था। मैं अपनी मानसिक राहत को बहुत अधिक रूप से खोता जा रहा था। 

मैं रोजी के विचारों में जकड़ा रहता था। मैं उसके साथ पिछली बार बिताये हुए समय की यादों में खो जाता था या उस उम्मीद में कि मैं आगे उसके साथ क्या करूँगा। मेरे पास अनेक मुश्किल परिस्थितियों को सामना करने की समस्या थी। उसका पति उनमें सबसे कम था। वह एक अच्छा आदमी था, पूरी तरह से अपने आप में खोया रहता था, शायद एक ऐसा व्यक्ति जो विश्वास की असाधारण क्षमता रखता था। परन्तु मैं चिन्तित और संवेदनशील और कई चिन्ताओं से घिरा रहता था। मान लो, मान लो.... कल्पना करो? क्या? मैं स्वयं स्पष्ट रूप से नहीं बता सकता हूँ। मैं डर से जकड़ा हुआ रहता था। मैं पूरी तरह से अपनी समस्याओं को भी नहीं छाँट सकता था। मैं एक प्रकार से घालमेल में था। 

मैं अचानक डर से जकड़ जाता था, कभी-कभी यह भावना आती कि मैं मेरी प्रियतमा की ओर पूर्ण ध्यान नहीं दे पा रहा हूँ। मैं इस विचार से जकड़ा हुआ था कि मैंने अपनी ठोड़ी को पर्याप्त मुलायम तरीके से शेव नहीं किया था और वह पर्याप्त रूप से अपनी अंगुलियों को मेरे ऊपरी होठ पर नहीं चला पाई और मुझे बाहर कर दिया। कभी-कभी मैं महसूस करता कि मैं चिथड़ों में था। सिल्क का कुर्ता और डोरी वाली धोती अब पुरानी थी या अब प्रचलन में नहीं थी। वह मेरे लिए अपना दरवाजा बन्द करने ही वाली थी क्योंकि मैं अब उसके लिए और अधिक आधुनिक नहीं रहा। इस वजह से मैं दर्जी की ओर भागा और मैने कुछ शर्ट और मोटे मुलायम सूती कपड़े की कॉर्डराय पतलून बनवा ली। और सभी प्रकार के इत्रों, चेहरे पर लगाने वाली क्रीम या बालों की साज-सज्जा पर पैसे खर्च किए। मेरे खर्च बढ़ते चले जा रहे थे। दुकान ही मेरे आय का मुख्य स्रोत थी, इसके साथ जो कुछ मार्को मुझे रोज की मजदूरी के रूप में देता था, वह था। मैं जानता था कि मुझे मेरी दुकान के खातों में गहनता से देखना होगा और थोड़ा नजदीकी से। मैं इसे उस लड़के की ही व्यवस्था पर बहुत अधिक छोड़ चुका था। मेरी माँ मुझे प्रायः कहती थी, जब भी कभी वह मुझे कह पाती थी, "तुम्हें उस लड़के पर भी निगाह रखनी होगी। मैं वहाँ पर कई फालतू लोगों को देखती हूँ। क्या तुम्हें पता है कि वह कितनी नकद राशि इकट्ठी कर रहा है और आमतौर पर क्या हो रहा है।" 

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17. I usually told her ...... behind my back. (Pages 102-104) 

कठिन शब्दार्थ-aggressiveness (अग्रेसिवनस) = आक्रामकता। persisted (पसिस्टेड) = किसी कार्य को निरन्तर करते रहना। deference (डेफरन्स्) = आदरभाव। dogging (डॉगिङ्) = दृढ़तापूर्वक, पक्का। sly (स्लाई) = कपट। reservoir (रेजव्वा(र)) = जलाशय, भण्डार । parsimonious (पासिमोनस्) = कंजूस, अल्पव्ययी।

हिन्दी अनुवाद-मैं उसे आमतौर पर कहता था, "मुझे अवश्य ही चीजों को व्यवस्थित करना जानना चाहिए। यह मत सोचो कि मैं बहुत अधिक लापरवाह हूँ।" और वह मुझे अकेला छोड़कर चली जाती थी।
और तब मैं दुकान पर जाता, अधिक आक्रामकता के स्वर को अपनाता, और खातों को जाँचता। वह लड़का कुछ बहीखाते प्रस्तुत करता, कुछ नकद राशि, भण्डार सूची, कुछ अन्य और जो कि उसे प्रदर्शन करने की जरूरत होती, वह दिखाता, और उसकी कुछ समस्याएँ. मैं उसकी समस्याओं को सुनने के मानस में नहीं होता

था मैं व्यस्त और चिन्तित था, इसलिए मैं उससे कहता मुझे छोटी-छोटी बातों पर परेशान मत करो और उसे दानव होने का बहीखातों के मामले में प्रदर्शन करता (केवल प्रदर्शन करता और कुछ नहीं)। __ वह हमेशा कहता था, " श्रीमान, दो यात्री आपको पूछते हुए आए थे।"
"अरे, परेशान करने वाले, उनकी किसको आवश्यकता है, ठीक है, किसी तरह से?""वे क्या चाहते थे?" मैंने बिना उत्सुकता दिखाये पूछा।
"श्रीमान तीन दिन यहाँ के स्थान को भ्रमण करने के लिए। वे निराश होकर चले गए थे।"

वे हमेशा ऐसे ही गए थे। मेरी प्रतिष्ठा ने मेरे काम में मेरी रुचि को बनाए रखा। रेल्वे राजू एक स्थापित नाम था, और अभी भी यात्री और तीर्थयात्री सहायता के लिए खोजते थे। लड़के ने कार्य जारी रखा। "वे जानना चाहते थे कि आप कहाँ थे?" इससे मुझे सोचने की सामग्री मिल गई थी। मैं नहीं चाहता था कि इस मूर्ख का साथी उनको होटल के कमरा नम्बर 28 में भेजता। सौभाग्य से, वह नहीं जानता था। अन्यथा वह ऐसा करता।"राजू श्रीमान, मैं उनको क्या कहता?" वह हमेशा मुझे "राजू श्रीमान" पुकारता था। यह उसका विचार था कि वह परिचय के साथ सम्मान को जोड़ता था।
मैं केवल जवाब देता, "उससे कहना कि मैं व्यस्त हूँ। बस यह पूर्ण हुआ। मेरे पास समय नहीं है। मैं बहुत व्यस्त हूँ।"

"श्रीमान, क्या मैं गाइड के रूप में कार्य कर सकता हूँ?" उसने उत्सुकता से पूछा। यह लड़का एकएक करके मेरे कार्यों में उत्तराधिकारी का काम करते जा रहा था। आगे, सम्भवतः वह मुझसे उस लड़की के साथ के लिए कहेगा। मैं उसके इस सवाल से नाराज हुआ और उससे कहा, "दुकान का ध्यान कौन रखेगा?"
"मेरा एक चचेरा भाई है। वह एक या दो घण्टे के लिए दुकान का ध्यान रख सकता है, जब मैं दूर रहूँ।"

मैं जवाब के बारे में नहीं सोच सकता था। मैं निर्णय नहीं कर पाया। सारा काम बहुत परेशान करने वाला था। मेरी पुरानी जिन्दगी, जिसमें मैं कम से कम रुचि लेता था, वह मेरे कदमों को दृढ़तापूर्वक बढ़ा रही थी, मेरी माँ बहुत सारी समस्याओं का सामना कर रही थी, नगरपालिका का कर, किचन की टाइल पर भी ध्यान देने की आवश्यकता थी, दुकान, बहीखाते, गाँव से आते खत, मेरा स्वास्थ्य, और बहुत कुछ और बहुत आगे; मेरे लिए वह स्वप्न से बाहर आई एक आकृति थी, अस्पष्ट स्वर में बड़बड़ाती थी, और यह लड़का अपने तरीके से मुझ पर आक्रमण कर मुझे कठिन स्थिति में डालने जा रहा था। तब गफूर की कपटपूर्ण टिप्पणियाँ, उसकी निगाहें, कभी गप्पों के आधार पर-ओह, मैं इन सबसे थक गया था।

 मैं किसी के लिए भी कुछ भी कर पाने के मानस में नहीं था। मेरा मन दूसरे मामलों पर था। यहाँ तक कि मेरा धन भी मेरे लिए अवास्तविक था, यद्यपि मैं अपनी बचत पुस्तक की ओर देखने का ध्यान रखता, मैं एक झलक में यह जान पाता कि भण्डार का स्तर किस तरह से नीचे जा रहा था। परन्तु मैं इन सबको इतना अधिक ध्यान से देखने की स्थिति में तब तक नहीं था जब तक कि काउन्टर पर बैठने वाला लड़का मुझे चाहिए थी, उतनी राशि दे देता था। अपने पिताजी की अल्पव्ययी आदतों का मैं आभारी हूँ। मेरे एक बैंक का खाता था। मेरे जीवन की एकमात्र वास्तविकता और चेतना रोजी थी। मेरी सारी मानसिक शक्तियाँ अब उसकी अपनी पहुँच में थीं, और उसे हर समय मुस्कुराते हुए रखना, इनमें से कुछ भी पूरी तरह से सरल नहीं था। मैं स्वेच्छा से उसकी तरफ हर समय रहता था, जैसे एक प्रकार का परजीवी; परन्तु उस होटल में यह सरल नहीं था। मैं हमेशा इस विचार से परेशान था कि होटल में लड़के और डेस्क पर बैठा आदमी मुझ पर नजरें लगाए थे और मेरी पीठ पीछे टिप्पणियाँ करते रहते थे।

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18. I did not want to be.............................uphill at this hour." (Pages 104-105)

कठिन शब्दार्थ-morbid (मॉबिड) = अप्रिय वस्तुओं में रुचि रखने वाला। inquisitive (इन'क्विजटिव) = प्रश्नशील, पूछाताछी करने वाला। toyed (टॉइड्) = किसी बात के विषय में गम्भीरता से न सोचना। averse (अ'वस्) = प्रतिकूल, असहमत, विरोधी। pretence (प्रिटेन्स) = प्रदर्शन, ढोंग, दिखावा। entice (इन'टाइस) = लुभाना, फुसलाना।

हिन्दी अनुवाद-मैं नहीं चाहता था कि कोई मुझे कमरा नं. 28 में जाते देखे। मैं इसके बारे में स्वजागरूक बन रहा था। मैं यह बहुत इच्छा रखता था कि उस स्थान का स्थापत्य बदला जाए जिससे कि डेस्क वाला आदमी मुझे ऊपर जाते हुए न देख सके। मुझे यह पक्का पता था कि वह मेरा रोजी के पास आने का समय नोट कर रहा था, और उसी प्रकार से मेरे उसके पास से जाने का समय भी लिख रहा था। उसका अप्रिय वस्तुओं में रुचि रखना, प्रश्नशील मन, मुझे पक्का विश्वास था कि अवश्य ही कमरा नं. 28 के बन्द दरवाजों के पीछे चलने वाले मेरे जीवन के प्रत्येक विवरण पर निगाह रखी जा रही थी। मैं जब वहाँ से जाता था तो उसके मुझे देखने का वह तरीका मुझे पसन्द नहीं था। मुझे उसके होठों की वह गोलाई भी पसन्द नहीं थी-मैं जानता था कि वह मेरे खर्चे पर एक आन्तरिक मजाक कर रहा था। मेरी इच्छा होती थी कि मैं उसे नजरअन्दाज कर सकूँ, परन्तु वह मेरा पुराना साथी था, और मैने उस पर एक या दो सामान्य टिप्पणियाँ की थीं। 

जब मैं उसके पास से गुजरता था, मैं साधारण दिखने के प्रयास करता था, और कहने के लिए रुकता था, "क्या आपको पता था कि नेहरू लन्दन जा रहे हैं?" या "नए कर सभी नए कार्यों को खत्म कर देंगे", और वह मेरे साथ सहमत होता और कुछ व्याख्या करता, और यह सब पर्याप्त था। या हम भारत सरकार की पर्यटन योजनाओं या होटल की व्यवस्थाओं पर चर्चा करते, और मैं उसे बातें करने देता, वह बेचारा कभी यह संदेह नहीं कर पाया कि मैं पर्यटन और कर या अब कुछ और पर कितना ध्यान देता हूँ। मैं कभी-कभी इस विचार पर गम्भीर नहीं होता था कि होटल को बदल दिया जाए। परन्तु यह सरल भी नहीं था; रोजी और उसका पति दोनों ही होटल के प्रति गहरे समर्पित होते दिखते थे। वह बदलाव के विरोध में था, यद्यपि वह कभी अपनी ऊँचाइयों से नहीं आया था, और वह लड़की भी इस कमरे और बाहर नारियल के झुरमुट के दृश्य की आदी हो गई थी, और किस प्रकार से लोग अपने कुओं से सिंचाई करते थे। यह एक आकर्षण था कि मैं इसे सरलता से नहीं व्यक्त कर सका या समझ सका था।

दूसरे तरीके से मैं उस लड़की को समझना भी कठिन पा रहा था। मैंने पाया जैसे मैं बढ़ता गया कि वह अपने तात्कालिक दिनों का वह स्वतंत्र और सरल तरीका निरन्तर खोती जा रही थी। वह मुझे अपने साथ प्यार करने की आज्ञा दे रही थी, अवश्य ही, परन्तु वह पहाड़ी पर अपने पति के बारे में अत्यधिक सोच को भी प्रदर्शित करने लगी थी। मेरी दुलार के मध्य ही, वह अपने आपको अचानक स्वतंत्र करती और कहती, "गफूर से कहो कि वह कार ले आए, मैं जाकर उससे मिलना चाहती हूँ।"

मैं अभी तक उस स्थिति पर नहीं पहुँचा था कि मैं उससे तेजी से बोल सकूँ या गुस्सा कर सकूँ। इसलिए मैंने शान्ति से जवाब दिया, "गफूर कल इस समय तक नहीं आएगा। तुम कल ही तो ऊपर गई थी। अब तुम फिर से क्यों जाना चाहती हो? वह तुमसे कल ही मिलने की उम्मीद करेगा।" "हाँ" उसने कहा और विचारमग्न हो गई। मैं उसे बिस्तर पर इस प्रकार से बैठे रहकर चिन्तातुर होकर सोचते नहीं देखना पसन्द करता था, उसके बाल बिखरे से, उसकी ड्रेस भी सलवटों से भरी हुई थी। वह अपने हाथों से अपने घुटनों को कसकर दबाती थी।

"आपको क्या परेशान कर रहा है?" मुझे उससे पूछना ही पड़ा। "क्या आप मुझे नहीं बताओगी? मैं हमेशा तुम्हारी सहायता करूँगा।" वह अपना सिर हिलाती और कहती, "आखिरकार, वह मेरा पति है। मुझे उसका सम्मान करना पड़ता है। मैं उसे वहाँ पर नहीं छोड़ सकती हूँ।" औरतों के प्रति मेरा ज्ञान कमजोर और प्रतिबन्धित रहा, मैं यह फैसला नहीं कर पाया कि उसके कथनों का निर्णय किस प्रकार करूँ। मैं नहीं समझ पाया कि क्या वह बहाना बना रही थी, या उसकी वर्तमान स्थिति ढोंग थी या उसका उसके पति का सर्वस्व की कमी का लेखा झूठा था, सिर्फ मुझे फुसलाने के लिए। यह जटिल और दुर्बोध था। मुझे उसे कहना पड़ा, "रोजी तुम बहुत अच्छी तरह से जानती हो कि यदि गफूर आया भी तो, वह इस समय पहाड़ी पर गाड़ी नहीं चला सकता था।"

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19. Yes, yes, I understand................ “Are you also like him?" (Pages 105-107)

कठिन शब्दार्थ-lapse (लैप्स्) = चूक, भ्रंश। offset (ऑफसेट) = किसी बात के असर को कम कर देना, कमी पूरी करना। enchantment (इन'चान्टमन्ट) = भाव-विभोर, मंत्रमुग्ध । agony (अगनि) = दु:ख, तकलीफ। flourish (फ्लरिश्) = फलना-फूलना, सफलता की ओर अग्रसर होना। predicament (प्रि'डिकमन्ट) = अप्रिय और कठिन स्थिति जिससे बाहर निकलना कठिन हो। morose (म रोस) = बदमिजाज, असौम्य।

हिन्दी अनुवाद-"हाँ, हाँ, मैं समझती हूँ" वह जवाब देती और एक रहस्यात्मक चुप्पी में फिर से खो जाती थी।

"तुम्हें क्या परेशान कर रहा है?" वह रोना शुरू कर देती, "आखिरकार....आखिरकार...क्या यह सही है कि मैं क्या कर रही हैं? आखिरकार, वह मेरे प्रति इतना अच्छा रहा है, मुझे उसने स्वतंत्रता और आराम दिया है। कौनसा पति है जो अपनी पत्नी को छोड़ देगा और उसे होटल के कमरे में रहने देगा, अपने से सौ मील दूर?"

"यह सौ मील नहीं, परन्तु केवल अट्ठावन मील है।" मैने उसे सही किया। "क्या मैं तुम्हारे लिए कॉफी या कुछ खाने का ऑर्डर दूं?"
"नहीं" उसने साफ तौर पर कहा, परन्तु अपने विचारों की श्रृंखला को जारी रखा। "एक अच्छे आदमी के बतौर वह ध्यान नहीं देगा, परन्तु क्या यह एक पत्नी का कर्तव्य नहीं है कि वह अपने पति की रक्षा करे और उसकी सहायता करे, किस प्रकार से वह अपनी पत्नी के साथ व्यवहार करे?" इस अन्तिम शब्द ने मेरे मन में उसके प्रति उठ रही किसी अभिन्नता के प्रभाव को आगे से ही याद दिलाकर कम कर दिया था।
यह एक भ्रमित कर देने वाली स्थिति थी। मैं इस विषय में हिस्सेदार नहीं बन सकता था, ऐसा कुछ भी नहीं था जो मैं जोड़ सकता था जो कुछ वह कह रही थी उससे घटा सकता था। दूरी अब उसके लिए भावविभोर होता दिखाई दे रही थी। परन्तु मैं जानता था कि वह उसके साथ केवल कुछ ही समय बिता पाएगी और फिर उस पर अत्यधिक गुस्सा करती हुई पहाड़ी से नीचे आएगी।

वह सबसे खराब सम्भव बातें कहेगी। कभी-कभी मैं दिल से यह इच्छा करता था कि वह आदमी पहाड़ी की ऊँचाइयों से नीचे उतरे, उसे ले जाए, और इस जगह से हट जाए। यह कम से कम एक बार में सारा अनिश्चित व्यवसाय खत्म कर देगा और मेरी प्लेटफॉर्म की ड्यूटी पर वापस जाने में सहायता करेगा। मैं सम्भवतः अब भी यह करने का प्रयास कर सकता था। वह क्या था जो मुझे इस लड़की को अकेले छोड़ने को रोक रहा था? जितना अधिक समय मार्को अपने काम पर गया, उतना ही अधिक उसका दु:ख बढ़ता जा रहा था। परन्तु ऐसा लग रहा था कि वह अपने अकेलेपन में फल-फूल रहा था, यह सम्भवतः वह था जो वह अपने सारे जीवन में तलाश करता रहा था। परन्तु वह क्यों कुछ अपनी पत्नी के लिए नहीं कर पा रहा था? एक अन्धा आदमी। कभी-कभी जब मैं उसके बारे में सोचता तो मुझे उस पर गुस्सा आता था। उसने मुझे एक अप्रिय और कठिन स्थिति में डाल दिया था। मैं उससे पूछने के लिये मजबूर था "तब तुम क्यों नहीं उसके साथ रुक जाती हो?"
उसने केवल यही जवाब दिया, "वह सारी रात बैठा लिखता रहता है, और....."

"यदि वह सारी रात बैठा लिखता रहता है, तुम उससे दिन के दौरान बात करनी चाहिये मैंने उससे बड़ी मासूमियत की निगाह से कहा।
"परन्तु वह सारे दिन गुफा में रहता है !" "अच्छा, तो तुम भी वहाँ जाकर इसे देखो। क्यों नहीं? यह सम्भवतः आपको रुचि देता हो।" "जब वह नकल कर रहा होता है, उससे कोई भी बात नहीं कर सकता है।"
"उससे बात मत करो, परन्तु तुम अपने लक्ष्यों का अध्ययन करो। एक अच्छी पत्नी को अपने पति की समस्त क्रियाओं में रुचि लेनी चाहिए।"
"सही है" उसने कहा, और केवल आह भरी। यह मेरे लिए पूर्णतः गलत और अनुभवहीन रेखा थी जिसको मैंने अपनाया था, यह हमें कहीं नहीं ले जायेगा परन्तु केवल उसे बदमिजाज बना देगा। उसकी आँखों में नई चमक आ गई जब मैंने उसे नृत्य के लिए कहा। आखिर यह उसकी कला थी जिसे मैंने सबसे पहले प्रशंसित किया था। इसके बाद, यह प्रेमियों के जीवन जीने का प्रयास था, कि सारे महत्त्वपूर्ण प्रश्न पृष्ठभूमि की ओर डाल दिये गये। उसकी प्रसन्नता उसके प्राथमिक जकड़न को भुला रही थी, जिसमें सिनेमा, खरीददारी और उसकी प्रसन्नता थी। परन्तु ज्यादा समय तक नहीं भुला सकी। उसने मुझे एक शाम साफतौर पर पूछा, "क्या तुम भी उसकी ही तरह हो?" 

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20. "In what way ............ leave the house." (Pages 107-108) 

कठिन शब्दार्थ-clasp (कलास्प) = कसकर थामना। fervour (फव(र)) = जोश, उत्साह । primal (प्राइमल) = प्रमुख, आदिम। indispensable (इनडि'स्पेनस्ब्ल् ) = बहुत आवश्यक। terse (टस्) = संक्षिप्त और रूखा।

हिन्दी अनुवाद-"किस प्रकार से?"

"क्या तुम भी मुझे नृत्य करते देख घृणा करते हो?" "नहीं। कौन सी बात तुम्हें इस प्रकार सोचने के लिये प्रेरित कर रही है?"
"एक बार तुमने एक बहुत बड़े कलाप्रेमी की तरह से कहा था, परन्तु अब आप इस पर एक भी विचार. ... व्यक्त नहीं करते हो।"
यह सत्य था। मैंने कुछ क्षमा माँगते हुए कहा, उसके हाथ अपने हाथों में कसकर थाम लिये और विनम्रता से सौगंध खाकर कहा, "मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूँगा। मैं अपना जीवन तुम्हें नाचते हुए देखकर बिता दूँगा। मुझे कहो क्या करना है। मैं यह तुम्हारे लिए करूँगा।"

वह खिल उठी। उसकी आँखों में नृत्य के बारे में बताने पर एक नई चमक थी। इसलिए मैं उसके पास बैठ गया, उसकी दिवास्वप्न देखने में सहायता करने लगा। मैंने उसके प्रेम का इशारा पा लिया और अब मैंने उसका सर्वाधिक उपयोग किया। उसकी कला और उसका पति उसके मन में उठ रहे विचारों में एक साथ नहीं आ सकते थे। एक आता तो दूसरा विचार बाहर चला जाता था।

उसके पास योजनाओं की भरमार थी। सुबह पाँच बजे वह अपना अभ्यास प्रारम्भ करती और तीन घण्टे लगातार करती। उसके पास एक अलग से, पर्याप्त लम्बा और चौड़ा हॉल होता जिसमें वह आराम से घूम सकती थी। इसमें एक मोटी दरी होती, जो उसके पैरों के लिए न तो ज्यादा मुलायम होती और न अधिक सख्त होती, और वह जब अभ्यास करती तो वह नहीं मुड़ती। कमरे के एक कोने में, नटराज की एक पीतल की मूर्ति होती, जो कि नृत्यांगनाओं का देवता है, यह देवता जिसके प्रमुख नृत्य ने संसार में हलचल कर संसार को गति प्रदान की थी। उसके पास एक लम्बी अगरबत्ती रखने का स्थान होता, जिसमें उसमें हर समय दीपक जलते रहते। अपने सुबह के अभ्यास के पश्चात् वह गाड़ीचालक को बुलाती,
"क्या तुम्हें कार की आवश्यकता है?" मैं पूछता।
"स्वाभाविक तौर पर, अन्यथा मैं कैसे बाहर जा सकती हूँ। जब मेरे पास इतने काम हैं तो गाड़ी के बिना नहीं चलेगा। आवश्यक होगा कि मैं एक कार ले लूँ। यह अनिवार्य होगी, क्या तुम ऐसा नहीं सोचते हो?"
"अवश्य ही, मुझे यह याद रहेगा।"

तब वह एक या दो घण्टा कला के प्राचीन कार्यों के अध्ययन से दोपहर से पहले का समय बिताती, भरत मुनि का नाट्यशास्त्र, हजारों साल पुराना, और अन्य विभिन्न पुस्तकें, क्योंकि बिना पर्याप्त अध्ययन के शास्त्रीय रूप के नृत्य की पर्याप्त शुद्धता को बनाए रखना सम्भव नहीं होता। सारी पुस्तकें उसके चाचा के मकान में थीं, और वह अपने चाचा को पत्र लिखेगी कि वह उन्हें क्रम से बारी-बारी से भेजे । उसे एक पंडित की भी आवश्यकता होगी जो उसकी पाठ को समझने में सहायता करेगा। क्योंकि वे सभी पुराने और संक्षिप्त तरीके से लिखे गए थे, "क्या तुम मेरे लिए एक संस्कृत का पंडित ला सकते हो?" उसने पूछा।
"अवश्य ही मैं ला सकता हूँ। यहाँ दर्जनों हैं।"

"मैं उसे चाहूँगी कि वह मेरे लिए रामायण और महाभारत के घटनाक्रम को पढ़ें, क्योंकि वे एक खजाना हैं, और हम उनमें से नई रचना के लिए कई विचारों को उठा सकते हैं।"
दोपहर के भोजन के बाद थोड़ा आराम, और तीन बजे वह बाहर जाती और कुछ खरीददारी करती, और थोड़ी देर कार चलाती और शाम को घर वापस आती या पिक्चर देखती, अन्यथा, अवश्य ही शाम को भी उसका प्रदर्शन का कार्यक्रम होता। यदि कोई प्रदर्शन था, वह दोपहर बाद तीन बजे तक आराम करती और हॉल में अपने प्रदर्शन के आधा घण्टा पहले पहुँचती। "यह पर्याप्त होगा, क्योंकि मैं सारी सजावट और वस्त्र धारण करूँगी घर पर जाने से पहले।"

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21. She thought of every..................I want some space here.” (Pages 108-109)

कठिन शब्दार्थ-baffled (बैफल्ड्) = भ्रमित, उलझा हुआ। Jargon (जागन्) = व्यवसाय विशेष द्वारा जुड़े लोगों द्वारा प्रयुक्त शब्द जिसे अन्य समझ नहीं पाते हैं ।। adjourned (अजानड्) = बैठक की कार्यवाही रोककर फिर से शुरू करना। tucked (टक्ड्) = अच्छी तरह लपेटना (वस्त्र आदि)।

हिन्दी अनुवाद-वह छोटी-छोटी हर बात पर विचार कर, उसके बारे में दिन और रात सपने लेने लग गई। उसकी तात्कालिक आवश्यकता संगीतकारों और तबला वादकों के एक दल की थी जो कि उसकी सुबह के अभ्यास में सहायता करे। जब वह जनता के समक्ष आने को तैयार थी, वह मुझे कहेगी और तब मैं उसके सार्वजनिक कार्यक्रमों को नियत कर पाऊँगा। उसके उत्साह से मैं थोड़ा भ्रमित और उलझा हुआ था। मेरी इच्छा थी कि मैं उसके मुहावरों के साथ कम से कम एक कदम मिला सकूँ। 

मुझे महसूस हुआ कि मुझे तुरन्त ही उसके द्वारा प्रयोग किये जा रहे विशेष शब्दों को पकड़कर उनको समझना पड़ेगा। मैं उसे देखकर, सुनकर ... मूर्ख महसूस कर रहा था, पूर्णतः निःशब्द था। वहाँ पर, अवश्य ही, दो रास्ते खुले थे; किसी को पूरी तरह से चकमा देते रहे या भाग्य पर विश्वास करें या उन सबका स्पष्ट सामना करें। मैंने उसकी बात को दो दिन तक सुना और अन्त में उसके सामने अपराध-बोध कर कहा, "मैं एक साधारण आदमी हूँ, मैं नृत्य की तकनीकियों के बारे में कुछ ज्यादा नहीं जानता हूँ, मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे इसके बारे में कुछ सिखाओ।"

मैं नहीं चाहता था कि वह इसे मेरी ओर से कला विरोध समझे । इससे वह वापस अपने पति की बाँहों में जा सकती थी, और इस प्रकार से मैंने ध्यान रखा कि कला के प्रति मेरी गहरी भावना पर दबाव बना रहे। इससे हमें एक ताजा अंतरंगता मिली। यह आम रुचि हम दोनों को और नजदीक लेकर आ गई थी। जहाँ कहीं हम होते थे, वह मुझसे कला की बारीकियों और विभिन्न विशेष मुद्दों पर बात करती थी, इसकी तकनीकियों पर, और मुझे इस प्रकार से बताती रहती थी जैसे कि एक बच्चे को मुहावरों की भाषा को समझाते हैं। वह हमारे चारों ओर के परिवेश पर कम और कम ध्यान देती थी। जब हम गफूर की कार में बैठते थे, वह कहती थी, "तुम जानते हो पल्लवी क्या होती है? इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण समय की योजना होती है। यह हमेशा एक-दो के साधारण तरीके में नहीं चलती है। 

इसमें कई अलग-अलग बातें डाली हुई होती हैं, और विभिन्न स्तरों, गतियों पर।" उसने इसके शब्दों को कहा, "टा - क - टा - कि - टा, टा - का" इससे मुझे आनन्द आया। "तुम जानते हो, कि इन पाँच या सात लयों में कदमों की ताल को सही करने के लिए वास्तविक अभ्यास की जरूरत होती है। और जब इसकी गति भिन्न होती है....." यह कुछ इस प्रकार की बातें थीं जो अब गफूर सुरक्षित रूप से सुन सकता था, जब हम पहाड़ी के ऊपर जाते, जब हम दुकान से बाहर आते, जब हम सिनेमा में बैठे रहते थे। एक पिक्चर को देखने के दौरान, उसने अचानक से आश्चर्य व्यक्त किया, "मेरे चाचा के पास एक पुराने देवदार की पत्ती पर लिखा एक पुराना गीत है। इसे किसी ने नहीं देखा है। इस क्षेत्र में मेरी माँ एकमात्र व्यक्ति है जो इस गीत को जानती है और इस पर नृत्य कर सकती थी। मैं वह गीत भी अपने चाचा से ले लूँगी। मैं तुमको दिखाऊँगी कि यह कैसे चलता है। क्या हम अपने कमरे में वापस चलें? मैं इस पिक्चर को और अधिक नहीं देखना चाहती हूँ। यह मुझे मूर्खतापूर्ण लगती है।"

हमने तुरन्त ही कमरा नम्बर 28 में रुके हुए कार्य को शुरू किया, जहाँ पर उसने मुझे बैठे रहने के लिए कहा, और वह पास के छोटे कमरे में चली गई और अपनी नई ड्रेस को आराम से लपेटकर और कसकर वापस अपने प्रदर्शन के लिए आई। उसने कहा, "मैं तुम्हें बताऊँगी यह कैसे किया जाता है। अवश्य ही, मैं इसे विशेष दशाओं में नहीं कर रही हूँ। मुझे कम से कम एक तबला वाला तो चाहिए....इस कुर्सी को हटा दो, और बिस्तर पर बैठ जाओ। मुझे यहाँ पर थोड़ी जगह चाहिए।"

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22. She stood at one end......................... it for you sometime.” (Pages 109-110)

कठिन शब्दार्थ-verve (वव्) = ऊर्जा, उत्तेजना, जोश। ignoramus (इग'नरेमस) = अज्ञ, अनजान। panted (पेन्टिड) = हाँफना, रुककर श्वास लेना। intricacies (इनट्रिकसिस्) = किसी वस्तु के जटिल अंश या ब्यौरे। ripple (रिपल) = छोटी सी लहर या पानी की हल्की सी हलचल। carnal (कॉनल) = काम क्रिया से सम्बन्धित, दैहिक, शारीरिक । abstraction (ऐब'स्ट्रक्शन्) = किसी वस्तु को किसी अन्य वस्तु से अलग करना, पृथक्करण। reveled (रेवल्ड्) = भरपूर आनन्द लेना।

हिन्दी अनुवाद-वह हॉल के एक छोर पर खड़ी हो गई और हल्के से उसने गीत गाया, एक हल्की सी दबी धुन में, यह गीत यमुना के तट पर एक प्रेमी और प्रेमिका की रचना थी जो प्राचीन संस्कृत गीत था; और यह इस प्रकार की उत्तेजना से प्रारम्भ हुआ; जब उसने अपना पैर हल्के से उठाया और नीचे गिराया, उसके धुंघरुओं को उसने बजने दिया, मैंने रोमांचित महसूस किया। यद्यपि मैं एक अनजान था, मैं इन हलचलों में संगीत की लय और समय से भाव विभोर हो गया था, यद्यपि मैं पूरे तरीके से उसके शब्दों का अर्थ नहीं समझ पा रहा था। वह अब और तब रुक कर मुझे बताती-"नारी का अर्थ लड़की....और मणि एक हीरा है..." पूरी पंक्ति का अर्थ है, "मेरे लिए तुम्हारे प्यार का वजन जो तुमने मुझ पर डाला है, उसे सहन करना असम्भव हो रहा है" वह बताते समय रुकी और श्वास लिया। उसके होठों और ललाट पर पसीने की

बूंदें थीं। वह थोड़े से कदम नृत्य करती, एक क्षण के लिए रुकती और व्याख्या करती, "प्रेमी का मतलब हमेशा भगवान ही होता है।" और वह इस संगीत की जटिलताओं को आगे व्याख्या करने की जहमत उठाती। उसके कदमों के ठोकने से फर्श गूंज रहा था। मैं किंकर्तव्यविमूढ़ था कि छत के नीचे बैठे लोग हमें रोकने के लिए कह सकते थे, परन्तु उसने कभी भी ध्यान नहीं दिया था, कभी भी किसी बात के लिए परेशान नहीं हुई थी। मैं देख सकता था, उसके प्रयासों के द्वारा, इस रचना की उत्कृष्टता और इसकी प्रतीकात्मकता की श्रेष्ठता को। एक बहुत ही जवान भगवान का बचपन, और शादी में उसकी पूर्णता वर्षों के दौरान जवानी से बुढ़ापे की ओर विघटन का काल, परन्तु हृदय हमेशा ताजा बना रहता है, जैसे तालाब में कमल खिला रहता है। 

जब उसने अपनी अंगुलियों से कमल का चिह्न बनाया, आप लगभग अपने चारों ओर पानी की हल्की सी लहर की आवाज को सुन सकते हो। वह करीबन एक घण्टे तक अपना प्रदर्शन करती रही, इससे मुझे इस पृथ्वी पर अत्यधिक प्रसन्नता से परिपूर्ण कर दिया था। मैं ईमानदारी से यह घोषणा कर सकता हूँ कि, जब मैं उसका प्रदर्शन देख रहा था मेरा मन स्वतंत्र था एक बारगी शारीरिक कामक्रिया के सभी विचारों से दूर था। मैंने उसे एकदम पृथक् करके देखा था। उसने मुझे मेरे चारों ओर के वातावरण को भुलाने लायक बनाया। मैं मुँह खोलकर आश्चर्य से उसे देख रहा था। अचानक वह रुकी और उसने मुझ पर सारा बोझ डालते हुए कहा, "कितना प्यारा लग रहा है। तुम मुझे नए जीवन का प्रमाण दे रहे हो।"

अगली बार हम अपनी तैयार नीति के साथ पहाड़ी पर गए थे। मुझे उसे वहाँ पर छोड़कर वापस कस्बे में आना था। वह वहाँ दो दिनों तक रुकेगी, सब अकेलापन और चिड़चिड़ाहट को सहन करेगी, और अपने पति से बात करेगी। यह अनिवार्य था कि हमें आगे बढ़ने से पहले उसके पति के साथ सारे मामले को स्पष्ट करना पड़ेगा। वह दो दिन तक बातें करेगी। और तब मैं ऊपर जाऊँगा और उससे मिलूँगा, और तब हम उसके भावी जीवन के आगे के स्तरों की योजना बनायेंगे।

वह अचानक से अपने पति के प्रति बहुत आशावान हो गई थी, और प्रायः फुसफुसाने के लिए झुकती, "मैं सोचती हूँ कि वह हमारे प्रस्ताव से सहमत हो जाएगा।" जिससे कि गफूर यह नहीं जान सकता या उसकी इच्छानुसार उठे विचारों का भरपूर मजा नहीं ले सकता है। "वह बुरा नहीं है। यह सब दिखावा है, आप जानते हो। वह केवल दिखा रहा है कि उसे इन बातों में रुचि नहीं है। तुम उससे बात मत करना। मैं सारी बात कर लूँगी। मैं जानती हूँ उसके साथ कैसे बर्ताव करना है। उसे मुझ पर छोड़ दो।" और वह ऐसा तब तक बोलती रही जब तक हम चोटी पर नहीं पहुंच गए थे। "आह, उन पक्षियों को देखो। क्या रंग है। तुम जानते हो, एक छोटा सा हिस्सा है जिसमें नायिका की बाँह पर एक तोता बैठा है, मैं कभी किसी समय इस पर तुम्हारे सामने नृत्य करूँगी।"

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23. He was in an unbelievably .....of circumstances to expect. (Pages 111-112)

कठिन शब्दार्थ-vault (वॉल्ट) = महराबदार छत। fresco (फ्रेस्को ) = प्लास्टर की गई चित्रकारी, भित्तिचित्र । bode (बोड) = अच्छा या बुरा शगुन होना। rhapsody (रैपसॉडि) = अतिप्रशंसापूर्ण, भावुकतापूर्ण। elated (इ'लेटिड) = अतिप्रसन्न और उत्तेजित।

हिन्दी अनुवाद-वह एक अविश्वसनीय प्रसन्न मुद्रा में था। उसने अपनी पत्नी का सत्कार पहले की अपेक्षा अधिक स्नेह के साथ किया। "क्या तुम जानती हो यहाँ पर एक तीसरी गुफा भी है; एक प्रकार की मेहराबदार छत इस ओर जाती है। मैंने चूने को खरोंचा, और वहाँ पर आपको एक सम्पूर्ण संगीत को सुरों की चित्रकारी मिली, यह प्रतीकात्मक आकृतियों में है। इसका प्रकार पाँचवीं शताब्दी का है। मैं भ्रमित हो गया कि इतनी समय की भिन्नता कैसे आ सकती है।" उसने कहा, उसने बरामदे में ही हमें नमस्कार किया। वह एक कुसी को खींचकर उस पर बैठकर घाटी को देख रहा था, कागज उसकी गोद में रखे हुए थे। उसने अपनी नवीनतम खोज को पकड़ रखा था। उसकी पत्नी ने उत्साह के साथ इसकी ओर देखा और चीखी, "संगीत स्वर! क्या अद्भुत चीज है ! मुझे उनको दिखाने ले चलो, क्या ले जाओगे?".

"हाँ, कल सुबह मेरे साथ आना। मैं तुम्हें इसके बारे में बताऊँगा।"
"ओह, अद्भुत!" और वह प्रभावशाली उच्च आवाज में चीखी, "मैं प्रयास करके उनको तुम्हारे लिए गाऊँगी।"
"मुझे सन्देह है कि तुम ऐसा कर सकती हो, यह तुम्हारी कल्पना से अधिक कठिन है।" वह उसे प्रसन्न करने के बारे में चिन्तित और उदास नजर आई थी। उसे यह अच्छा शगुन नहीं दिखाई दिया। यह सर्वमान्य प्रसन्नता मुझे खुश नहीं कर सकती थी। वह मुड़ा और उसने पूछा, "राजू, तुम कैसे हो? क्या तुम मेरी खोज देखना चाहोगे?"
"अवश्य ही, परन्तु मुझे जितनी जल्दी सम्भव हो सके कस्बे में जाना पड़ेगा। मैं सिर्फ इन भद्र महिला को यहाँ पर छोड़ने के लिए आया था, क्योंकि यह बहुत ज्यादा चिन्तित थी; और आप जानते हैं यदि आप कुछ चाहते हैं और सब कुछ सन्तुष्टिपूर्ण है तो।"
"हाँ, सही है, सही है।" वह चीखा। "यह जोसफ बहुत अद्भुत अच्छा आदमी है। मैं उसे नहीं देखता हूँ, मैं उसे नहीं सुनता हूँ, परन्तु वह मेरे लिए सब कुछ सही समय पर कर देता है। आप जानते हैं कि मैं इसी प्रकार से अपना कार्य चाहता हूँ। मैं सोचता हूँ वह बेअरिग्स पर चलता है।"
यही मैंने सोचा था जब रोजी ने होटल के कमरे में मेरे सामने प्रदर्शन करते देखा, उसकी सारी हलचल हड्डी और पेशियों के नियत तथ्यों, फर्श और दीवार के विपरीत थी।
मार्को जोसफ पर अपनी अति प्रशंसापूर्ण बात लगातार करता रहा, "मैं कभी भी तुम्हारा धन्यवाद नहीं कर सकता हूँ कि तुमने मुझे इस प्रकार का स्थान और जोसफ जैसा आदमी खोजा । वह वास्तव में एक अद्भुत है। कितनी दयालुतापूर्ण बात है कि वह पहाड़ी के इस ऊँची चोटी पर अपना गुण बरबाद कर रहा है।"

मैंने कहा, "आप बहुत प्रशंसा कर रहे हैं, मुझे विश्वास है कि वह आपकी राय जानकर बड़ा प्रसन्न होगा।"
"ओह, मैंने उसे बिना कुछ छिपाये बता दिया था। मैंने उसे आमंत्रित किया है कि वह कभी भी आकर मेरे घरेलू कार्यों में शामिल हो जाए और आकर समतल मैदानों में रहे।"

वह आमतौर पर बातूनी और स्नेहमय था। उसकी प्रकृति एकाकीपन पर फल-फूल रही थी और गुफाओं की भित्ति चित्रकारी पर। मैंने सोचा कि वह कितना प्रसन्न होगा कि वह जोसफ को एक पत्नी के रूप में रखने लगे! जब वह बातें कर रहा था तो मेरा मन इन विचारों पर व्यस्त था। रोजी एक अच्छी पत्नी की भाँति यह सुनती रही, कहने लगी, "मैं उम्मीद करती हूँ कि खाने के लिए भोजन होगा, और सब कुछ सही है। यदि दूध है तो मैं आप सभी को कॉफी दे सकती हूँ?" वह अन्दर भागी और कहने के लिए वापस आई, "हाँ, यहाँ दुध है। मैं आप सभी के लिए कॉफी बनाती हूँ। मैं पाँच मिनिट से ज्यादा नहीं लूंगी।"  मैं आज किसी प्रकार से अपने आपको पूर्ण आराम के साथ महसूस नहीं कर रहा था। मेरे मन के पीछे अत्यधिक संदेह, संवेदना और चिन्ता थी। मैं किंकर्तव्यविमूढ़ था कि वह रोजी को क्या कहेगा और वास्तव में चिन्तित था कि उसे चोट नहीं पहुँचेगी। उसी समय, एक डर भी था यदि वह उससे अधिक अच्छा बन जाए कि वह हो सकता है मेरी परवाह नहीं करे। मैं चाहता था कि वह उसके लिए अच्छा बने, उसके प्रस्ताव को सुने, और फिर उसे मेरे ध्यान रखने के लिए छोड़ दे! कितनी असम्भव अच्छी घटनाओं को जोड़ने की उम्मीद है!

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24. While Rosie was fussing ............ to be a horrible nagger.” (Pages 112-113)

कठिन शब्दार्थ-transcription (ट्रैन'स्क्रिप्स्न्) = लिप्यंकन, प्रतिलेखन। flinging (फिलङिङ) = एकाएक और लापरवाही से या जोर से कोई वस्तु फेंकना, पटकना, दे मारना। startled (स्टाटल्ड) = हतप्रभ, भौंचक्का। evasive (इवेसिव) = टालमटोल करने वाला, घुमा-फिराकर कहा गया। procure (प्रॉक(र)) = कुछ प्राप्त कर विशेषतः कठिनाई से। monologue (मॉनलॉग) = एकालाप, स्वगत भाषण। nagger (नैग) = किसी को लगातार चिन्ता में डालना या गुस्सा दिलाना।

हिन्दी अनुवाद-जब रोजी अन्दर कॉफी पर जोरदार कार्य कर रही थी, वह मेरे लिए दूसरी कुर्सी ले आया। उसने कहा, "मैं हमेशा अपना कार्य यहाँ करता हूँ।" मैंने महसूस किया कि वह इस घाटी को अपने अधिकार के कारण सम्मान करता था। उसने एक अलबम से कागजों का एक पुलिन्दा निकाला, और कुछ फोटोग्राफ भी निकाले। उसने गुफा की सभी चित्रकारियों पर मोटे-मोटे नोट्स बनाए थे। उसने एक कागज के बाद दूसरा कागज उनके वर्णन, प्रतिलेखन और पता नहीं क्या-क्या लिखकर भर दिया था। वे बहुत कठिन थे, परन्तु फिर भी मैं दिखावे की रुचि के साथ उनको पढ़ने लगा। मेरी इच्छा हुई कि मैं उनकी उपयोगिता पर प्रश्न पूछू, परन्तु मैंने फिर अपने आपको निःशब्द पाया, क्योंकि मेरे पास उपयुक्त लच्छेदार भाषा की कमी थी। मेरी इच्छा हुई कि मुझे इस प्रकार की विद्यालय की शिक्षा प्रदान की जाती जिसमें ऊँची भाषा का अध्यापन करवाया जाता; उसने मुझे योग्य बनाया कि मैं भिन्न-भिन्न व्यक्तियों से समानान्तर शब्दों में बात करूँ। 

कोई भी मेरी अज्ञानता की प्रार्थना नहीं सुनेगा और जैसा रोजी ने किया था, वह परेशानी नहीं उठायेगा। मैंने उसको ध्यान से सुना। वह मेरी ओर तारीखें, गवाहियाँ, सामान्यीकरण, उत्कीर्णन और चित्रकारियों के विभिन्न प्रकार के वर्णनों को मेरी ओर उछालता गया। मेरी यह पूछने की हिम्मत नहीं हुई कि जो कुछ वह कर रहा था, उसका भौतिक उपयोग क्या है। जब कॉफी आई, रोजी के द्वारा एक ट्रे पर रख कर लाई गई थी (वह धीरेधीरे बढ़ती चली आ रही थी, मानो कि दिखाना चाह रही हो कि वह जोसफ की चाल के खिलाफ कदम उठा सकती है; मैं हतप्रभ रह गया जब उसने मेरे सामने कप रखे) उसने मुझसे कहा, "जब यह प्रकाशित होगी, तो यह सभ्यता के इतिहास के हमारे समस्त विचारों को बदल देगी। मैं अवश्य ही तुम्हारे बारे में इस पुस्तक में उल्लेख करूँगा कि तुम्हारा मैं आभारी हूँ कि तुमने इस स्थान को खोजा।"

दो दिनों के बाद में वहाँ वापस आया। मैं वहाँ दोपहर को गया, उस समय मुझे यह पक्का विश्वास था कि मार्को गुफा की ओर चला गया होगा जिससे कि मैं कुछ क्षणों के लिए रोजी को अकेला पा सकूँ । वे बंगले पर नहीं थे-जोसफ वहाँ पर था, और पीछे वाले कमरे में उनके दोपहर के भोजन की व्यवस्था कर रहा था। उसने कहा, "वे नीचे गए हैं और अभी तक वापस नहीं लौटे हैं।"
मैंने जोसफ के चेहरे की ओर देखा मानो कि मैं यह इशारा पा सकूँ कि वहाँ सब कुछ कैसा चल रहा था। परन्तु वह टालमटोल करने वाला लगा। मैंने प्रसन्नता से पूछा, "जोसफ, सब कुछ कैसा है?"
"बहुत अच्छा, श्रीमान"

"वह आदमी तुम्हारे बारे में बहुत अच्छा सोचता है।" मैंने उसकी चापलूसी की। परन्तु उसने इसे अलग तरह से लिया। "क्या फर्क पड़ता है, यदि वह ऐसा करता है। मैं केवल अपना कार्य कर रहा हूँ। मेरे व्यवसाय में, कोई मुझे कोस सकता है, और कोई आशीर्वाद दे सकता है, परन्तु मैं परवाह नहीं करता कि कौन क्या कहता है। पिछले माह लोगों का एक समूह था जो मुझ पर आक्रमण करना चाहता था क्योंकि मैंने कहा था कि मैं उनके लिए लड़की नहीं ला सकता हूँ, परन्तु क्या मैं डरा था? मैंने उन्हें अगली सुबह छोड़कर जाने को कहा। यह लोगों के रहने का स्थान है। मैं उनको बिना शिकायत के सारी सुविधाएँ उपलब्ध कराता हूँ। 

कभी-कभी पानी का एक मटका लाने की कीमत आठ आने लगती है, और मुझे मटका का, पीपी किसी बस या ट्रक से भेजनी पड़ती है जो पहाड़ी से नीचे जा रहा हो, और इसके वापस आने का इन्तजार करना पड़ता है-परन्तु मेहमान इस कठिनाई को कभी नहीं जान पायेंगे। उनसे इसकी उम्मीद भी नहीं की जाती है। यह मेरा व्यवसाय है कि उनको देवें और यह उनका कार्य है कि वे बिल का भुगतान करें। इसके बारे में कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। मैं अपना कार्य करता हूँ और दूसरों को उनका कार्य अवश्य करना चाहिए। परन्तु यदि वे यह सोचते हैं कि मैं उपलब्ध करवाने वाला हूँ, मैं बहुत गुस्से में हो जाता हूँ।" "स्वाभाविक रूप से, कोई भी इसे पसन्द नहीं करेगा" मैंने उसका एकालाप काटने के लिए कहा, "मैं उम्मीद करता हूँ कि यह आदमी तुमको किसी भी प्रकार से परेशान नहीं करता है?"
"अरे नहीं, वह तो हीरा है। एक अच्छा आदमी; वह अच्छा रहेगा यदि उसकी पत्नी उसे अकेला छोड़ दे। वह उसके बिना बहुत खुश था। आप क्यों उसे वापस लेकर आए थे? वह एक लगातार परेशान कर गुस्सा दिलाने वाली प्रतीत होती है।"

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25. "Very well, I'll take her downhill ...... that time was passing. (Pages 113-115)

कठिन शब्दार्थ-whiled away (वाइल्ड अवे) = बेफिक्री से समय बिताना, मटरगस्ती करना। fumbling (फब्लिङ) = टटोलना, परेशानी की हालत में या लापरवाही में कुछ ढूँढ़ने या पकड़ने की कोशिश करना।

हिन्दी अनुवाद-"बहुत अच्छा, मैं इसे पहाड़ के नीचे ले जाऊँगा और इस आदमी को शान्ति से छोड़ दूंगा।" मैंने कहा, मैं गुफा के लिए चल दिया। रास्ते की घास मार्को के चलने के कारण, चिकनी और सफेद हो गई थी। मैं पेड़ों के झुरमुट को पार कर मिट्टी का मैदान पार कर ही रहा था तब मैंने उसको विपरीत दिशा से आते हुए पाया। वह आम दिनों की तरह भारी कपड़े पहने हुए था, उसकी पकड़ पर कागज के दस्तावेज लटक रहे थे। उसके कुछ कदमों की दूरी पर रोजी भी आ रही थी। मैं उनके चेहरों से कुछ भी नहीं पढ़ सका था।
"हैलो" मैं प्रसन्नता से उसकी ओर देखते हुए चीखा। उसने सामने देखा, रुका, कुछ कहने के लिए मुँह खोला, शब्दों को निगल गया, मेरे सामने आने से बचने के लिए कुछ कदम अलग हट गया, और अपनी

आगे की यात्रा पुनः आरम्भ की। रोजी उसके पीछे इस प्रकार से आ रही थी मानो कि वह नींद में चल रही हो। उसने मेरी ओर मुड़कर देखा तक नहीं। रोजी के कुछ कदमों के पीछे मैं भी अन्त में चलने लगा और हम बँगले के दरवाजे में इस प्रकार से घुसे मानो कि कोई कारवां प्रवेश कर रहा हो । मैंने महसूस किया कि उनका शान्ति का उदाहरण का अनुसरण करना ही सबसे अच्छा होगा, और उतना ही बदमिजाजी और अपने आप में सीमित रहने वाला दिखाई दूँ जितने कि वे हैं। इससे लोगों का साथ बहुत अच्छी तरह से मिल पा रहा था।

बरामदे की ऊँचाई से वह हमें सम्बोधित करने की ओर मुड़ा। उसने कहा, "आप दोनों में से किसी के लिए भी आवश्यक नहीं है कि आप अन्दर आएँ।" वह सीधा अपने कमरे में गया और उसने दरवाजा बन्द कर लिया।
जोसफ प्लेट साफ करता हुआ, रसोई के दरवाजे से बाहर आया। "मैं भोजन के निर्देशों का इन्तजार कर रहा हूँ।" रोजी बिना एक शब्द बोले सीढ़ियाँ पार कर गई, बरामदे में आगे बढ़ी, उसके कमरे का दरवाजा खोला, अन्दर गई और दरवाजा बन्द कर लिया। यह पूर्ण शान्ति मेरे साहस पर भारी हो रही थी। यह पूर्णतः नाउम्मीद था और मैं नहीं जानता था कि इसका जवाब किस प्रकार से दूँ। मैंने सोचा कि या तो वह हमसे लड़ेगा, या तर्क करेगा या कुछ करेगा। परन्तु उसके इस व्यवहार ने मुझे पूर्णतः परेशानी में डाल दिया। गफूर दाँतों के बीच में एक तिनका काटते हुए वहाँ आया यह पूछने के लिए, "हम किस समय नीचे जा रहे हैं?"

मैं जानता था कि उसके आने का वास्तविक कारण यह नहीं था, परन्तु उस नाटक को देखना था। उसने जोसफ से गप्पें लड़ाते हुए अवश्य ही बेफिक्री से अपना समय बिताया है। और उन्होंने उस लड़की के बारे में सूचनाओं को अवश्य ही जोड़ा था। मैंने कहा, "गफूर, तुम क्यों जल्दी में हो?" और कड़वाहट के साथ जोड़ा, "जब तुम यहाँ पर रुक कर एक अच्छा दृश्य देख रहे हो।" वह मेरे नजदीक आया और बोला, "राजू, यह ठीक नहीं है। हमें दूर चलना चाहिए। उनको अकेला छोड़ दो। आखिरकार, वे पति और पत्नी हैं; वे जानते हैं कि इसे कैसे हल करना है। आ जाओ। तुम अपने रोजाना के कार्यों पर वापस चले जाओ। तब तुम बहुत अधिक चिन्तामुक्त, रुचिकर और प्रसन्न रहोगे।"

मेरे पास इस पर कुछ कहने के लिए नहीं था। वह मुझे बहुत ही तार्किक सलाह दे रहा था। उस क्षण भी, यह एकदम अलग होता यदि भगवान मुझे गफूर की सलाह को मानने की समझ देता। मैं चुपचाप शान्ति से वापस चला जाता, रोजी को छोड़ देता कि वह अपने पति के साथ अपनी समस्याएँ स्वयं सुलझाए। इससे मेरे जीवन में आने वाले तेज मोड़ और बहाव रुक सकते थे। मैंने गफूर से कहा, "कार के पास इन्तजार करो, मैं तुम्हें बताऊँगा।" अपनी आवाज से मैंने चिड़चिड़ाहट को बाहर कर दिया था।

गफूर बड़बड़ाता हुआ चला गया। उसी समय मैंने उसको हॉर्न बजाते हुए सुना-वह इस प्रकार से बजा रहा था जैसे कि खीझ में आए हुए बस ड्राइवर हॉर्न बजाते हैं जब उनके यात्री रास्ते की किसी चाय की दुकान पर उतर जाते हैं। मैंने उसका नजरअन्दाज करने का निश्चय किया। मैंने देखा कि दूसरी ओर से दरवाजा खुला था। मार्को ने अपने आपको बरामदे में से प्रदर्शित किया और कहा, "ड्राइवर, क्या तुम चलने को तैयार हो?"
"हाँ, श्रीमान" गफूर बोला।

"तब बहुत अच्छा" आदमी बोला। उसने अपना पुलिन्दा उठाया और कार की तरफ चल दिया। मैंने उसे हॉल की खिड़की के शीशे के शटर में से देखा। इससे मैं परेशान हो गया। मैंने हॉल को पार कर दरवाजे में से बाहर जाने का प्रयास किया, परन्तु यह बन्द था। मैं तेजी से मुडा, सीढ़ियों से नीचे भागा और गफूर की कार तक गया। मार्को पहले से ही सीट पर बैठा हुआ था, गफूर ने अभी तक इंजन स्टार्ट नहीं किया था। वह दूसरों के बारे में पूछने से डर रहा था, परन्तु समय बढ़ा रहा था कार के स्विच की चाबी को टटोलकर। उसने अवश्य ही हॉर्न की आवाज के प्रभाव से आश्चर्यचकित कर दिया था। भगवान जानता है कि उसने यह क्यों किया था; शायद वह उसका परीक्षण कर रहा था या उसे ऐसे ही बजा दिया या वह सबको पुनः याद दिलाना चाहता था जो कि कोई सम्बन्धित था कि समय गुजरता जा रहा था। 

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26. “Where are you going..........if I chose. (Pages 115-117) 

कठिन शब्दार्थ-ventured (वेनच्ड) = जोखिम भरा नया काम। arrogance (ऐरगन्स्) = अक्खड़पन, घमण्ड। emaciated (इ'मेशिएटिड्) = दुबला-पतला, क्षीणकाय। dispense with (डिस्पेन्स विद्) = परित्याग करना। strode (स्ट्रॉड) = एक लम्बा कदम, डग। ajar (अजा) = अधखुला।

हिन्दी अनुवाद-"आप कहाँ जा रहे हैं?" मैंने मार्को से पूछा, अपना साहस बटोरकर और कार में सिर डालकर पूछा।
"मैं होटल में अपना खाता बन्द करने जा रहा हूँ।" "आपका क्या तात्पर्य है?" मैंने पूछा।
उसने मेरी ओर डरावनी निगाहों से ऊपर-नीचे देखा। "मुझे बताने की जरूरत नहीं है। मैंने कमरा लिया था और मैं अपना खाता बन्द करने जा रहा हूँ; बस और कुछ नहीं। ड्राइवर, तुम अपना बिल मुझे सीधे प्रस्तुत कर सकते हो। जब तुम्हें नकद राशि का भुगतान चाहिए तो रसीद तैयार रखना।"
"क्या कोई और नहीं आ रहा है।" गफूर ने बंगले की दिशा में देखते हुए जोखिम लेकर पूछ डाला। उस आदमी ने केवल यही कहा, "नहीं" और यह जोड़ा, "यदि कोई और आएगा तो मैं बाहर निकल जाऊँगा।"

"ड्राइवर" मैंने अचानक अधिकार की ध्वनि में कहा। गफूर हतप्रभ रह गया जब मैंने उसे ड्राइवर कहकर पुकारा। "इस आदमी को ले जाओ जहाँ कहीं यह जाना चाहता है और कल मेरे लिए कार लेकर आ जाना-और तुम अपने सारे भुगतान की व्यवस्था इससे कर लेना। मेरी यात्राओं के लिए एक अलग से खाता रखना।" मैं और अधिक अक्खड़पन का प्रदर्शन यह कहकर कर सकता था कि मैं मेरे स्वयं के वास्ते कार लेकर आया था और इसी प्रकार से कुछ और, परन्तु मुझमें इन सबमें कोई बिन्दु नजर नहीं आया। जैसे ही मैं मार्को को खड़े देख रहा था, एक यकायक भावना मुझे मेरे ज्ञान के बिना भी हिला गई। मैंने कार का दरवाजा खोला और उसे इसके बाहर खींचकर निकाल लिया। उसके भारी भरकम हेलमेट और चश्मा जो उसने पहन रखे थे, वह कमजोर था-अत्यधिक ठण्डा जमा हुआ देखने और गुफाओं में घूमने की वजह से वह दुबला-पतला था। "क्या? क्या तुम मुझे मारने का प्रयास कर रहे हो?" वह चिल्लाया।

"मैं आपसे बात करना चाहता हूँ, मैं चाहता हूँ आप मुझसे बात करें। आप इस तरह से नहीं जा सकते।" मैंने पाया कि उसकी श्वास तेजी से आ रही थी। मैं शान्त हुआ और बोला, अपने बोलने के अन्दाज को नरम करते हुए, “अन्दर आओ और अपना खाना खाओ और बात करो। हमें बात करनी चाहिए, बातों पर चर्चा करनी चाहिए, और तब आप वह सब कर लो जो आप चाहते हैं। आप एक पत्नी को इस प्रकार से ऐसे स्थान पर छोड़कर नहीं जा सकते हैं।" मैंने गफूर की तरफ देखा और कहा, "तुम जल्दी में नहीं हो, क्या तुम हो?" 

"नहीं, नहीं। श्रीमान अपना खाना खाओ और आओ। अभी भी बहुत सारा समय है।" । "मैं जोसफ से कहता हूँ कि वह आपको भोजन कराए।" मैंने जोड़ा। मुझे दु:ख था कि मैंने इस परिस्थिति को पहले नहीं सम्भाला था।"तुम कौन हो?" अचानक मार्को ने पूछा, "तुम्हारा मेरे साथ क्या काम है?"
"बहुत अधिक । मैंने तुम्हारी सहायता की थी। मैंने तुम्हारे कार्य में अपना बहुत अधिक समय दिया है। इन सप्ताहों में मैं तुम्हारी बहुत अधिक जिम्मेदारी उठा चुका हूँ।"
"और मैं इसी क्षण से तुम्हारी सेवा से परित्याग करता हूँ।" वह चिल्लाया, "अपना बिल मुझे दो और हिसाब पूरा करो" अत्यधिक उत्तेजना, भावनात्मक स्थिति में भी वह अपने वाउचर्स को नहीं भूला था। मैंने कहा, "क्या हम इसे शान्ति से नहीं कर सकते, बैठ कर और हिसाब की गणना कर लें? मेरे पास कुछ पैसे हैं जो तुमने मेरे पास पहले छोड़े थे।"
"बहुत अच्छा" वह गुर्राया, "हम सबके साथ इसे पूरा कर लेते हैं और तब तुम मेरी नजरों से दूर चलो जाओ।"
"आराम से कर लिया जायेगा।" मैंने कहा, "परन्तु यहाँ देखो, इस बंगले में दो कमरों के सुइट हैं, और मैं एक पूरी तरीके से कानूनी रूप से ले सकता हूँ।"
जोसफ सीढ़ियों पर आया, "क्या आपको आज रात खाना चाहिएगा?" "नहीं" उसने कहा।
"हाँ, मुझे चाह सकता है।" मैंने कहा, "जोसफ तुम जा सकते हो, यदि तुम्हें जल्दी है तो, यदि मैं रुकुंगा तो मैं तुम्हें बुलावा भेज दूंगा। तुम मेरे लिए दूसरा सुइट खोल दो और इसे मेरे खाते में लिख दो।"
"हाँ, श्रीमान" उसने दरवाजा खोला और मैं एक मालिक की हैसियत से सीधा अन्दर चला गया। मैंने दरवाजा खुला छोड़ दिया था। यह मेरा कमरा था और मैं दरवाजे को अधखुला छोड़ने में स्वतंत्र था यदि मैं ऐसा चाहूँ।

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27. I looked out of the window ................. want you to leave.” (Pages 117-119)

कठिन शब्दार्थ-vivacious (विवेशस्) = स्वस्थ, जिन्दादिल और खुशमिजाज। bulging (बलजिङ) = बाहर को उभरता हुआ। gruff (ग्रफ) = रूखा और कठोर।

हिन्दी अनुवाद-मैंने खिड़की से बाहर देखा। सूर्य की पश्चिम से आ रही किरणे पेड़ों की चोटियों को छूकर उन्हें स्वर्णिम रंग दे रही थीं। यह सांस रोक देने वाला दृश्य था। मेरी इच्छा हुई कि रोजी इसे देख सके। मैं उनके कमरे में प्रवेश करने का विशेषाधिकार खो चुका था। मैं मेरे सुइट में लकड़ी की कुर्सी पर बैठ गया और आश्चर्य करने लगा कि क्या करूँ। वह क्या था जो मैंने अब कर दिया था? मेरे पास कोई भी स्पष्ट कार्यक्रम नहीं था। मुझे कोई सन्देह नहीं था कि मैंने उसे सफलता से कार के बाहर पकड़कर खींच लिया था। परन्तु यह हमें लेकर नहीं गया था। वह चला गया था और उसने स्वयं को कमरे में बन्द कर लिया था, और मैं मेरे कमरे में था। यदि मैं उसे जाने देता, तो मेरे पास अवश्य ही यह एक मौका होता कि मैं रोजी को यहाँ ला सकता और उसे अपने बारे में बात करने देता। अब मैंने सब कुछ बिगाड़ दिया था। क्या मुझे बाहर जाकर गफूर से फिर से हॉर्न बजाने को कहना चाहिए जिससे कि वह आदमी अपने कमरे से निकल आए?

इस प्रकार से आधा घण्टा गुजर गया। वहाँ पर वास्तव में किसी हलचल या आवाज का कोई चिह्न नहीं था। मैं अपने कमरे से पंजों के बल चलकर बाहर आया। मैं रसोई में गया। जोसफ जा चुका था। मैंने बर्तनों के ढक्कन उठाए। भोजन वहाँ रखा था। ऐसा लग रहा था कि किसी ने भी इसे नहीं छुआ था। भगवान जानता था वे दोनों भूखे थे। मुझे अचानक उस आदमी पर दया महसूस होने लगी। रोजी अवश्य ही मुझ सी गई होगी। यह उसकी आदत थी कि वह हर दो घण्टे से कुछ खाने को माँगती थी। होटल में मैं लगातार उसके लिए ट्रे में खाने का आदेश देता रहता था। यदि हम बाहर जाते थे तो हम रास्ते भर रुकते चलते कोई फल या नाश्ता खरीदने के लिए। अब यह बेचारी लड़की थक गई होगी-और इसमें जोड़ा जाए कि वह गुफा तक चलकर गई और वहाँ से नीचे वापस आई। मुझे अचानक उस पर सोचकर गुस्सा आने लगा। 

क्यों नहीं वह खाती है या कुछ कहती है। क्या था और क्या होने वाला था एक गूंगे और बहरे की तरह से व्यवहार करने के बजाय? क्या उस दानव ने उसकी जीभ काट डाली थी? मुझे वास्तविक भय से आश्चर्य हुआ। मैंने प्लेटों में खाना रखा, उनको एक ट्रे में रखा, उनके दरवाजे तक चलकर गया। मैं एक क्षण के लिए हिचकिचायाकेवल एक क्षण के लिए; यदि मैं ज्यादा समय तक हिचकिचाता, मैं जानता था मैं कभी अन्दर नहीं जा सकता था। मैने अपने पैरों से दरवाजे को धकेला। रोजी बिस्तर पर आँखें बन्द करके लेटी थी। (क्या वह बेहोश थी? मैं एक क्षण के लिए आश्चर्यचकित हुआ) मैंने उसे पहले कभी भी इस प्रकार की दु:खी अवस्था में नहीं देखा था। वह अपनी कुर्सी पर बैठा था, उसने टेबल पर कोहनी टिका रखी थी, उसकी मुट्ठी में उसकी ठोड़ी थी। मैंने उसे कभी इतना खाली नहीं देखा था। मुझे उस पर दया आई। मैंने अपने आपको इसके लिए जिम्मेदार माना। क्यों नहीं मैंने अपने आपको इससे बाहर रखा? मैंने उसके सामने ट्रे रखी।

"लोग आज अपना भोजन कामों में फँसकर भूल गए हैं। यदि तुम्हारे मन में कोई बोझ है तो इसमें कोई कारण नहीं है कि आप अपना भोजन बरबाद. करें।" । रोजी ने अपनी आँखें खोलीं। वे सूज चुकी थीं। उसकी बड़ी-बड़ी जिन्दादिल आँखें थीं, परन्तु वे दिख रही थीं मानो कि वे अब एक बड़े गोले की तरह हो गई हों, और वे बाहर की ओर निकलकर और डरावनी, सुस्त और लाल हो गई थीं। वह हर तरह से दुःखी नजर आ रही थी। वह बैठी हो गई और उसने मुझे कहा, "हमारे साथ अपना और अधिक समय बरबाद मत करो। तुम वापस जाओ। यही मुझे सब कहना है।" वह एक मोटी, रूखी और टूटती हुई आवाज में बोली। उसकी आवाज थोड़ी काँपी जब वह बोली। "मेरा इसमें मतलब है। हमें अभी छोड़कर जाओ।" इस औरत को क्या हो गया था। क्या वह अपने पति के साथ मिल गई थी? उसके पास अधिकार था कि वह मुझे बाहर निकल जाने को कहे। शायद वह अपनी मूर्खता पर पछता रही होगी कि वह मुझे हर तरफ से प्रेरित करती रही थी। जो कुछ मैंने जवाब में कहा, वहा था-"पहले, आप अपना भोजन अवश्य करें। किस कारण से आप उपवास कर रहे हैं?"

उसने केवल दोहराया, "मैं चाहती हूँ कि तुम चले जाओ।"
"क्या तुम नीचे नहीं आ रहे हो?" मैंने मार्को पर जोर डाला। उस आदमी ने इस प्रकार से व्यवहार किया मानो कि गूंगा-बहरा हो। उसने हमें सुनने का कोई असर था। उसने केवल दोहराया था, "मैं तुमसे कह रही हूँ कि तुम हमें छोड़कर जाओ। क्या तुम सुन रहे हो?" मैं उसके स्वर पर कमजोर और कायर हो गया था। मैं बड़बड़ाया, "मेरा मतलब, तुम..... या वह नीचे जाना चाहे, यदि ऐसा है तो...."
उसने निराशा से अपनी जीभ चटखाई, "क्या तुम समझते नहीं हो? हम चाहते हैं कि तुम जाओ।" 

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28. I grew angry ...... in his matted locks..... (Pages 119-120) 

कठिन शब्दार्थ-showing off (शोइङ ऑफ) = दिखावा करने वाला व्यक्ति, इतराने वाला। incriminating (इन'क्रिमिनेटिङ) = किसी को अपराध का दोषी सिद्ध करने के लिए सबूत जुटाना, अभिशस्त करना । welled up (वेल्ड अप) = उमड़ आना, बहने लगना। begone (बिगॉन) = हट जाओ, भाग जाओ। avocation (एवोकेशन) = पेशा, व्यवसाय। paterfamilias (पेटॅफमिलइएस) = कुलपिता | hues (ह्यूज) = रंग, वर्ण। disposal (डिसपोजल) = व्यवस्था, निपटारा, अधिकार । matted (मैटिड्) = निष्प्रभ, घना, जटिल।

हिन्दी अनुवाद-मैं गुस्सा हो गया था। यह औरत जो कि अड़तालीस घण्टे पहले मेरी बाँहों में थी, अब इतरा रही है। बहुत सारे अपमानजनक और दोषी साबित करने वाली टिप्पणियाँ मेरे गले में उमड़ आई थीं। परन्तु उस तनाव में भी मुझमें यह समझ थी कि मैं अपने शब्दों को वापस निगल गया और यह महसूस कर रहा था कि वहाँ पर और अधिक खड़ा रहना मेरे लिए खतरनाक होगा, मैं मुड़ा और सीधा कार में बैठ गया। "गफूर, हमें चलना चाहिए।"

"केवल एक यात्री?" "हाँ" मैंने झटके से दरवाजा बन्द किया और सीट पर बैठ गया। "उनके बारे में क्या?" "मैं नहीं जानता हूँ। अच्छा होता तुम उनके साथ समझौता कर लेते।" "यदि मुझे उनके साथ बात करने के लिए फिर से आना पड़ा तो, यात्रा का किराया कौन देगा?"

मैं अपनी भौंहों को पीटने लगा।"भागो। तुम यह सब बाद में हल कर सकते हो।" गफूर दार्शनिक दृष्टिकोण लेकर अपनी सीट पर बैठा हुआ था। उसने कार स्टार्ट की, और दूर चले गये। मैं एक उम्मीद लिए हुए था, जैसे ही मैं देखने के लिए पीछे घूमा कि वह शायद मुझे खिड़की से देख रही होगी। परन्तु ऐसा भाग्य नहीं था। कार नीचे की ओर तेजी से जा रही थी। गफूर बोला, "यह समय है कि तुम्हारे बड़े तुम्हारे लिए एक दुल्हन खोजें।" मैंने जवाब में कुछ नहीं कहा, और वह बोला, अंधकार बढ़ता जा रहा था, "राजू, मैं तुमसे बड़ा हूँ। मैं सोचता हूँ कि तुमने बहुत अच्छा काम किया है। इसके बाद तुम बहुत अधिक खुश रहोगे।" गफूर की भविष्यवाणी आने वाले दिनों में पूर्ण नहीं होने वाली थी। मैं अपने जीवन का सबसे खराब समय याद नहीं कर सकता हूँ।

आमतौर पर दिए जाने वाले लक्षण वहाँ थे, अवश्य ही, भोजन में स्वाद नहीं, गहरी नींद नहीं, स्थायित्व नहीं (मैं एक स्थान पर रुक नहीं सकता था) दिमाग में शान्ति नहीं, स्वभाव व बातचीत में मिठास नहीं-नहीं, नहीं, नहीं, बहुत से नहीं। इस सारी गम्भीरता के साथ मैं अपने सामान्य व्यवसाय की ओर वापस आ गया था। परन्तु सबकुछ अवास्तविक दिखता था। मैं दुकान पर बैठने वाले लड़के को भेज चुका था, वहाँ पर बैठता और लोगों की वस्तुएँ बेचता और नकद राशि प्राप्त करता, परन्तु हमेशा इस भावना के साथ कि यह एक मूर्खतापूर्ण व्यवसाय है। जब गाड़ी आती थी, तो प्लेटफार्म के ऊपर-नीचे चलता था। पक्का का किसी के लिए, मैं हमेशा किसी को लेने के लिए जाता था। "क्या आप रेल्वे राजू हैं?". "हाँ" और तब एक मोटा कुलपिता, पत्नी और दो बच्चे ।

"आप देखिए, हम आ रहे हैं.... और उसने या उसने आपका नाम बताया कि आप हमारी निश्चित ही सहायता करेंगे... आप देखिए, मेरी पत्नी सरयू के स्रोत पर पवित्र स्नान करने की गहरी इच्छुक है, और तब मैं हाथियों का एक शिविर देखना चाहूँगा और जो कुछ तुम सुझाओगे उसका सबसे अधिक स्वागत होगा। परन्तु याद रखना, केवल तीन दिन, मैं इसके अलावा एक घण्टे की भी छुट्टी नहीं ले सकता था, मुझे मेरे दफ्तर में रहना ही होगा।"

मैंने जो कुछ उन्होंने कहा, उस पर कठिनाई से ध्यान दिया। मैं उनके सारे रंग पहले से जानता था, जिस पर मैंने ध्यान दिया था वह था उनका निपटारा करने का समय, और उनका आर्थिक बाहरी सीमा। यहाँ तक कि बाद वाला मुझे वास्तव में रुचि नहीं दे रहा था। यह उद्देश्यपरक से ज्यादा मशीनीकृत था। मैंने गफूर को पुकारा, सामने आगे वाली सीट पर बैठ गया और पार्टी को घुमाने ले गया। जब हम न्यू एक्सटेंशन से गुजर रहे थे, मैंने मेरा सिर बिना घुमाए इशारा किया, "सर फ्रेडरिक लॉले...." जब हम मूर्ति के पास से गए, मैं जान गया था कि प्रश्न कब आएगा, "यह किसकी मूर्ति है?" और मैं जानता था कि अगला प्रश्न कब आएगा
और मेरा उत्तर तैयार था, "आदमी दो राबर्ट क्लाइव द्वारा छोड़ा गया क्षेत्र का प्रशासन चलाता था। उसने सारे तालाब, बाँध बनाए और क्षेत्र का विकास किया। अच्छ आदमी था। इसलिए मूर्ति है।" 

विनायक गली में दसवीं शताब्दी के ईश्वरा मन्दिर पर, मैंने दीवारों पर उत्कीर्ण प्राचीन मूर्तियों का वर्णन दोहराया, "यदि आप नजदीक से देखते हैं आप देखेंगे कि रामायण महाकाव्य को दीवार पर पूर्ण रूप से उत्कीर्ण किया गया था" और इसी प्रकार से आग कहता गया। मैं उन्हें मेम्पी की चोटियों की ऊँचाई पर सरयू के स्रोत पर ले गया, देखा कि वह महिला सबसे पहले धारा में कूदी, आदमी यह कह रहा था कि वह ध्यान नहीं देता है और तब उसका उदाहरण का अनुसरण कर रहा था। मैं तब उनको अन्दर वाले मन्दिर में ले गया, स्तम्भ पर बनी प्राचीन पत्थर की मूर्ति दिखाई जिसमें शिवजी ने अपनी उलझी हुई जटाओं में गंगा को समा रखा था।

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29. I collected my fee............. the name of Railway Raju too. (Pages 121-122)

कठिन शब्दार्थ-stalemate (स्टेल्मेट) = गतिरोध। appalled (अ'पॉल्ड) = बहुत बुरा लगना, स्तब्ध। nuisance (न्यूस्न्स्) = परेशानी पैदा करने वाला आदमी, वस्तुस्थिति।

हिन्दी अनुवाद-मैंने अपनी फीस इकट्ठी की, और गफूर व बाकी के लोगों से अपना कमीशन लिया और उन्हें अगले दिन के लिए विदा किया। मैंने यह सब मशीन की तरह से किया बिना गहरी इच्छा के। मैं अवश्य ही हर समय रोजी के बारे में सोचता रहता था। "वह आदमी शायद उसे भूखा रखकर मारेगा, उसे पागल कर देगा या उसे खुले में बाघों के द्वारा खाए जाने के लिए छोड़ देगा।" मैंने अपने आपसे कहा, मैं उदास और अरुचिकर दिखने लगा और मेरी माँ ने इसका कारण पता करने का प्रयास किया। उसने पूछा, "तुम्हारे साथ क्या गलत हो गया है?"

"कुछ नहीं" मैंने जवाब दिया। मेरी माँ मुझे बहुत कम ही घर पर देख पाई थी कि उसे परेशानी हुई और आश्चर्य भी हुआ। परन्तु उसने मुझे अकेला छोड़ दिया। मैं खाता, सोता, रेल्वे प्लेटफॉर्म के पास भटकता, घूमने वालों को सम्हालता, परन्तु मैं स्वयं कभी शान्ति में नहीं रहा। मेरा मन हर समय परेशानी में रहता था। यह एक प्राकृतिक जकड़न थी। मैं यह भी नहीं जानता था कि क्या हो गया था, इस सारी शान्ति और अप्राकृतिक चुप्पी का क्या मतलब था। यह सबसे अधिक नाउम्मीद विकास था। 

जैसे कि मैंने देखा, मैं अपने सपने में रहने वाले प्रसन्नता के तरीके के बारे में सोच रहा था कि वह अपनी पत्नी के साथ मेरे सामने आएगा और कहेगा, "मैं प्रसन्न हूँ कि आप उसकी कला और उसका स्वयं की देखभाल करने जा रहे हैं, मैं अपनी गुफा के अध्ययन को जारी रखने के लिए अकेला रहना चाहता हूँ; आप हमारे लिए ऐसा करके बहुत अच्छे व्यक्ति बन रहे हैं।" या दूसरी ओर, वह अपनी बाँहें गोल करके मुझे बाहर फेंकेगा-एक या दूसरा, परन्तु मैंने कभी इस प्रकार के गतिरोध से सौदेबाजी नहीं की थी। और इससे अधिक और क्या, कि लड़की इतनी अधिक डरावनेपन के साथ उसका सहयोग कर रही है। मुझे उसके हृदय के दोहरेपन का बुरा लग रहा था। मैं बार-बार दु:खी हो रहा था, आँकड़ों को हिस्सों में बाँटकर उनका अर्थ पढ़ रहा था। मैं गफूर के सामने स्वयं इस विषय को खोलने से दूर था। वह मेरी भावनाओं की कद्र करता था और इसके बारे में फिर नहीं बताया, यद्यपि मैं प्रत्येक दिन बहुत परेशानी के साथ उम्मीद कर रहा था कि वह उनके बारे में कुछ कहेगा। 

कुछ विशेष दिनों में जब मुझे उसकी आवश्यकता हुई, वह वहाँ नहीं था। मैं जान गया था कि वह अवश्य ही पीक हाउस पर गया होगा। मैंने अपने आपको आनन्द भवन के पास जाने से दूर रखा। यदि मेरा कोई ग्राहक होटल की माँग करता मैं आजकल उसे ताज में भेज रहा था। मैं अपने आपको अकारण परेशानी में नहीं डालना चाहता था। मार्को ने कहा था कि वह उनके हिसाब सीधा व्यवस्थित कर देगा-अच्छा, आप उस पर निर्भर रह सकते हैं कि वह यह करेगा। मैं केवल अपना कमीशन लेने उनके सामने गया था, जैसे गफूर स्वयं गया। परन्तु मैं इस सबको भूलने के लिए तैयार था। मैं पैसा बनाने के इरादे में नहीं था। उदासी के उस संसार में जिसमें मैं कूद गया था, वहाँ पैसों के लिए कोई स्थान नहीं था। कुछ धन अवश्य होना चाहिए, मैं मानता हूँ, कहीं पर। मेरी माँ पहले की तरह से गृहस्थी चलाने में सक्षम थी और दुकान का अस्तित्व अभी भी था। मैं जानता था कि गफूर का हिसाब अवश्य ही हो गया था। परन्तु उसने इसके बारे में एक शब्द भी कभी नहीं कहा। इतना अधिक अच्छा। 

मैं उस जीवन को याद करना नहीं चाहता था जो चला गया था। मैं अपने साधारण जीवन से ऊब गया और डरने लगा था, मैं चकाचौंध रोमांचक अस्तित्व का बहुत अधिक आदी हो गया.था। धीरे-धीरे मैंने पाया कि पर्यटक ले जाना एक परेशानी बन गया था। मैं रेल्वे स्टेशन से बचने लगा था। मैंने कुली के बेटे को पर्यटकों से मिलने देना शुरू किया। उसने अपना हाथ इस पर पहले आजमाने का प्रयास किया था। पर्यटक मेरे वर्णन और भाषणों से अवश्य ही महरूम रह सकते थे, परन्तु धीरेधीरे मैं सुस्त बुद्धि बन गया था, और वे शायद लड़के को प्राथमिकता देते थे, जैसे कि वह कम से कम उत्सुक और रुचिकर थे कि वे स्थानों को देखें। शायद वह रेल्वे राजू की तरह से जवाब देना शुरू हो गया था।

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30. How many days passed .....................do you come from?" (Pages 122-123)

कठिन शब्दार्थ-fuss (फस) = बेकार की बात पर क्रोधित होना। anguish (ऐङ्गविश्) = गहरी वेदना या पीड़ा। rumple (रम्पल्) = सिलवटें पड़ना या डालना। raggedness (रेगिड्नस्) = फटे-पुराने, जीर्ण-शीर्ण।
हिन्दी अनुवाद-इस प्रकार से कितने दिन गुजर गए थे? केवल तीस, यद्यपि वे मुझे वर्षों की तरह से लगे थे। एक दोपहर बाद मैं अपने फर्श पर गहरी नींद में सोया पड़ा था। मैं अर्द्धचेतन था और मद्रास मेल के जाने के समय चार बजकर तीस मिनट को नोट किया था। जब ट्रेन की आवाज समाप्त हो गयी थी, मैंने फिर से सोने का प्रयास किया था, मैं इससे आने वाले शोर से बाधित हो रहा था। मेरी माँ आई और बोली, "कोई तुमको पूछ रहा है।" उसने प्रश्नों का इन्तजार नहीं किया था, परन्तु रसोई में चली गई थी।

मैं उठा और दरवाजे पर गया। देहरी पर रोजी खड़ी थी, उसके पैरों के पास एक ट्रंक रखा था और हाथों के नीचे एक बैग था। "रोजी, तुमने क्यों नहीं कहा कि तुम आ रही थी? अन्दर आओ, अन्दर आओ। वहाँ क्यों खड़ी हो? वह केवल मेरी माँ है।" मैं उसका ट्रंक अन्दर ले गया था। मैं उसके बारे में बहुत सी बातों का अनुमान लगा सकता था। मैं उससे कोई प्रश्न नहीं पूछना चाहता था। मैंने ऐसा महसूस नहीं किया कि मुझे सबकुछ जानना चाहिए। मैं उस पर बिना बात क्रोधित था, मेरा दिमाग पूरी तरह से खो गया था। "माँ" मैं चिल्लाया। "यह रोजी है। यह हमारे घर में मेहमान रहेगी।"

मेरी माँ औपचारिक रूप से रसोई से बाहर आईं, मुस्कुराकर स्वागत किया, और कहा, "उस चटाई पर बैठ जाओ। तुम्हारा नाम क्या है?" उसने दयालुता से पूछा, और उसे थोड़ा झटका सा लगा जब उसने 'रोजी' नाम सुना। वह थोड़ा पुरातन नाम सुनने की उम्मीद में थी। वह एक क्षण के लिए गहरी वेदना में लगी, आश्चर्य कर रही थी कि वह अपने घर में 'रोजी' को कैसे रखेगी। मैं वहाँ परेशान सा खड़ा रहा। मैंने सुबह से दाढ़ी नहीं बनाई थी। मैंने अपने बालों में कंघी नहीं की थी, मेरी धोती बदरंग और सलवटों में भरी थी। बनियान जिसको मैंने पहना था, उसमें पीठ और सीने पर बहुत सारे छेद थे। मैंने अपनी बाँहों को अपने सीने तक छेदों को ढकने के लिए मोड़ लिया था। मैं बहुत बुरा प्रभाव नहीं बना सका था यदि मैं कठोर प्रयास करता। मैं फर्टी हुई चटाई से शर्मिन्दा था-यह वहाँ पर तब से थी, जब से हमने घर बनाया था-अंधेरे वाला हाल जिसमें दीवारों और टाइल्स पर धुआँ छाया था। सारी परेशानियाँ जो मैंने उसे प्रभावित करने के लिए उठाई थीं, एक क्षण में चली गई थीं। यदि वह यह महसूस करती कि यह मेरा साधारण तरीका का था। भगवान जानता है वह कैसे प्रतिक्रिया करेगी। मैं कम से कम प्रसन्न था कि मैंने फटी बनियान पहन रखी थी बजाय इसके कि मैं घर पर आदतन नंगे बदन रहता था। मेरी माँ ने शायद ही कभी मेरे सीने के बालों पर ध्यान दिया, परन्तु रोजी, ओह....

मेरी माँ रसोई में व्यस्त थी, परन्तु वह किसी तरह से एक मेहमान के स्वागत करने की औपचारिकताओं को देखने के लिए बाहर आ गई थी। एक मेहमान, मेहमान होता है चाहे से वह रोजी हो। इसलिए मेरी माँ आई और चटाई पर बैठ गई मानो कि वह बात करने के लिए आई थी। सबसे पहला प्रश्न जो उसने पूछा था, ... "रोजी, तुम्हारे साथ कौन आया है?" रोजी झेंपी, हिचकिचाई और मेरी तरफ उसने देखा। मैं एक-दो कदम पीछे हटा कि वह मुझे अस्पष्ट सी देखे, और मेरे सारे जीर्ण-शीर्ण वस्त्र उसे दिखाई नहीं दें। मैंने जवाब दिया, "माँ, मैं सोचता हूँ यह अकेली आई है।"  माँ को आश्चर्य हुआ था। "आजकल की लड़कियाँ! तुम कितनी हिम्मतवाली हो! हमारे दिनों में हम बिना किसी के साथ के गली के नुक्कड़ तक भी नहीं जाते थे। और मैं बाजार में अपने जीवन में केवल एक बार गई हूँ, जब राजू के पिताजी जीवित थे।"

राजू ने आँख झपकाई और शान्ति से सुना, नहीं जानता था कि इस प्रकार के वाक्यों पर किस प्रकार से प्रतिक्रिया करे। उसने साधारण रूप से अपनी आँखें चौड़ी की और अपनी भौंहें उठाईं। मैंने उसे ध्यान से देखा। वह थोड़ी कमजोर और हल्की सी बिना ध्यान दिए जाने वाली लगी-उसकी सूजी हुई आँखें नहीं थीं, रूखी आवाज वाला वह दानव जो उसने किसी और दिन वह लगी थी। उसकी ध्वनि हमेशा की तरह मीठी थी। वह थोड़ी सी कमजोर नजर आ रही थी, परन्तु मानो कि उसने इस संसार में परवाह नहीं की थी। मेरी माँ ने कहा, "पानी उबल रहा है; मैं तुम्हें कॉफी दूंगी। क्या तुमको कॉफी पसन्द है?" मुझे राहत मिली कि बातचीत इस स्तर पर नीचे आ गई थी। मुझे उम्मीद थी कि मेरी माँ लगातार स्वयं बातें कर रही थी न कि उसने उससे प्रश्न पूछे थे। परन्तु ऐसा नहीं होना था। उसने आगे पूछा, "आप कहाँ से आई हो?"

RBSE Class 11 English The Guide Translation in Hindi Part 3

31. "From Madras", I answered ......... now with Rosie there? (Pages 123-125)

कठिन शब्दार्थ-tumbler (टमब्ल(र)) = ऊँचा गिलास। sneak (स्नीक) = दबे पाँव। gape (गेप) = एकटक देखना। peg (पेग) = खूटी, खूटा। moping (मोपिङ) = बेकार में घूमना।

हिन्दी अनुवाद-"मद्रास से" मैंने त्वरित जवाब दिया। "तुम यहाँ कैसे आई हो?" "यह यहाँ कुछ दोस्तों से मिलने आई है।" "क्या तुम शादीशुदा हो?" "नहीं" मैंने त्वरित जवाब दिया।
मेरी माँ ने झटके से मुझे देखा। यह उसे अर्थपूर्ण लग रहा था। उसने अपनी निगाहें तेजी से मेरी ओर घुमाईं, और, दयालुता से अपने मेहमान की ओर देखा, पूछा, "क्या तुम तमिल नहीं जानती हो?" मैं जानता था मुझे अब चुप रहना चाहिए। मैंने रोजी को तमिल में जवाब देने दिया, "हाँ, यही हम घर पर बोलते हैं।"

"तुम्हारे घर में और कौन-कौन है?"
"मेरे चाचा, मेरी चाची और..." वह लगातार बताती जा रही थी, और मेरी माँ ने उसकी ओर अगला प्रश्न फेंका, "तुम्हारे पिताजी का नाम क्या है?" यह उस लड़की के लिए एक खतरनाक प्रश्न था। वह केवल अपनी माँ को जानती थी और हमेशा उसी के बारे में कहती रहती थी। मैंने कभी भी उसे इसके बारे में नहीं पूछा था। वह लड़की एक क्षण के लिए चुप रही और तब बोली, "मेरे पिताजी नहीं हैं।"

मेरी माँ तुरन्त ही अत्यधिक सहानुभूति से भरकर और बोली, "बेचारी, बिना माँ-बाप की है। मुझे विश्वास है कि तुम्हारे चाचा तुम्हारी देखभाल अवश्य करते होंगे। क्या तुम बी.ए. हो?"
"हाँ" मैंने सुधार किया, "वह एम.ए. है।" "बहुत अच्छा, अच्छा, बहादुर लड़की। तब तुम्हें इस संसार में किसी की कमी नहीं है। तुम कहीं पर भी जा सकती हो। तुम अपना रेल्वे टिकट ले सकती हो, यदि कोई तुम्हें परेशान करे तो पुलिस बुला सकती हो, और अपना पैसा रख सकती हो। तुम क्या करने जा रही हो? क्या तुम सरकारी सेवा में जाना चाहती हो और कमाना चाहती हो? बहादुर लड़की।" मेरी माँ उसकी प्रशंसा से भर गई थी। वह उठी, अन्दर गई, और एक ऊँचे गिलास में उसके लिए कॉफी लेकर आई। लड़की ने उसे आभार के साथ पीया। मुझे आश्चर्य हो रहा था कि मैं किस प्रकार से दबे पाँव निकल जाऊँ और अपने आपको अच्छी तरह से सँवार लूँ। परन्तु इसका कोई मौका नहीं था।

मेरे पिताजी की भवन निर्माण की समझ इस एक हॉल से और रसोई से आगे नहीं गई थी। अवश्य ही वहाँ पर सामने एक बरामदा जैसा था जिस पर मिलने वाले या अन्य पुरुष लोग आकर आमतौर पर बैठते थे। परन्तु मैं कैसे रोजी को वहाँ जाने के लिए कहूँ? यह बहुत ज्यादा सार्वजनिक था-दुकान वाला लड़का और उससे मिलने आने वाले आ जायेंगे, उसकी ओर एकटक देखेंगे और पूछेगे कि क्या वह शादीशुदा थी। यह मेरे लिए थोड़ी कठिन परिस्थिति थी। हम आमतौर पर इस हॉल में एक साथ रहने के आदी थे। इसके अलावा होने का कभी नहीं हुआ था।

हमें इससे अधिक और कुछ नहीं चाहिए था। मेरे पिताजी दुकान में रहते थे, मैं पेड़ के नीचे खेलता था, और हमारे पुरुष मेहमानों का स्वागत बाहर बरामदे में करते थे और मेरी माँ अन्दर चली जाती या कोई और महिला आती तो वह भी वहीं जाती थी। जब हम सोते थे, हम अन्दर चले जाते थे। यदि गर्मी होती, हम बरामदे में सोते थे। यह हॉल एक गलियार, कपड़े पहनने का कमरा, बैठक, पढ़ाई सब कुछ मिला-जुला होता था।

मेरे दाढ़ी बनाने का काँच एक कील पर लटका था, मेरे सबसे अच्छे कपड़े खूटी पर लटके रहते थे; नहाने के लिए मैं पीछे की ओर बने एक कमरे में जाता था, जो आधा ऊपर से खुला था और अपने ऊपर सीधा कुएं से निकालकर पानी डाल लेता था। मैं इधर-उधर भागकर अपने टॉयलेट का काम कर लेता था जबकि मेरी माँ रसोई में अन्दर-बाहर होती रहती थी या सोती रहती या बैठकर बेकार में हॉल में देखती थी। हम एक-दूसरे की उपस्थिति के आदी हो गए थे और इस पर कभी ध्यान नहीं देते थे। परन्तु अब रोजी वहाँ पर आ गई थी? । 

 

Bhagya
Last Updated on Aug. 24, 2022, 11:56 a.m.
Published Aug. 24, 2022