Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 8 जीव जनन कैसे करते है Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
पुष्प के स्त्रीकेसर के मध्य भाग को कहते हैं:
(अ) अण्डाशय
(ब) वर्तिका
(स) परागकोश
(द) वर्तिकाग्र
उत्तर:
(ब) वर्तिका
प्रश्न 2.
माँ के शरीर में गर्भ को विकसित होने में लगभग कितने दिन का समय लगता है:
(अ) 100 दिन
(ब) 200 दिन
(स) 150 दिन
(द) 270 दिन
उत्तर:
(द) 270 दिन
प्रश्न 3.
यदि अण्डकोशिका का निषेचन नहीं हो तो यह लगभग कितने दिन तक जीवित रहती है?
(अ) एक दिन
(ब) दो दिन
(स) तीन दिन
(द) चार दिन
उत्तर:
(अ) एक दिन
प्रश्न 4.
प्रोस्टेट तथा शुक्राशय अपने स्राव को किसमें डालते हैं?
(अ) शुक्रवाहिका में
(ब) मूत्रवाहिका में
(स) अण्डाशय में
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) शुक्रवाहिका में
प्रश्न 5.
दोनों अण्डवाहिकाएँ संयुक्त होकर एक लचीली थैलेनुमा रचना का निर्माण करती हैं, जिसे कहते हैं:
(अ) अण्डाशय
(ब) योनि
(स) गर्भाशय
(द) मूत्रवाहिनी
उत्तर:
(स) गर्भाशय
प्रश्न 6.
महिलाओं में कॉपर - टी (Copper-T) को स्थापित किया जाता है:
(अ) अण्डाशय में
(ब) गर्भाशय में
(स) योनि में
(द) अण्डवाहिनी में
उत्तर:
(ब) गर्भाशय में
प्रश्न 7.
ब्रायोफिलम के पौधे में कायिक जनन किससे होता है?
(अ) पत्ती का मुकुल
(ब) अपस्थानिक मुकुल
(स) जड़
(द) स्तम्भ
उत्तर:
(अ) पत्ती का मुकुल
प्रश्न 8.
माँ और भ्रूण के बीच साहचर्य कौन करता है, जिसमें कार्यिकीय आदान - प्रदान होता है:
(अ) प्लेसेंटा
(ब) शुक्रवाहिकाएँ
(स) अण्डवाहिनी
(द) अण्डाशय
उत्तर:
(अ) प्लेसेंटा
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
डी.एन.ए. का महत्त्व बताइए।
उत्तर:
कोशिका के केन्द्रक में पाए जाने वाले गुणसूत्रों के डी.एन.ए. के अणुओं में आनुवंशिक गुणों का संदेश होता है जो जनक से संतति पीढ़ी में जाता है।
प्रश्न 2.
उन पौधों को उगाने के लिए उपयोगी जनन विधि का नाम लिखिए जो बीज उत्पन्न करने की क्षमता खो चुके हैं।
उत्तर:
कायिक प्रवर्धन जनन विधि द्वारा। उदाहरण- संतरा, गुलाब, चमेली।
प्रश्न 3.
माँ के रुधिर से भ्रूण को पोषण प्रदान करने वाली संरचना का नाम लिखिए।
उत्तर:
प्लेसेन्टा।
प्रश्न 4.
प्लाज्मोडियम में किस प्रकार का विखण्डन पाया जाता है?
उत्तर:
इसमें बहुखंडन पाया जाता है।
प्रश्न 5.
अमीबा में प्रजनन विधि का नाम लिखिए।
उत्तर:
अमीबा में प्रजनन द्विखण्डन विधि द्वारा होता है।
प्रश्न 6.
अमीबा एवं लेस्मानिया में होने वाले द्विखंडन में क्या अंतर है?
उत्तर:
अमीबा में द्विखंडन किसी भी तल में हो सकता है परन्तु लेस्मानिया में द्विखंडन एक निर्धारित तल से होता है।
प्रश्न 7.
AIDS का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
AIDS = एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसियेंसी सिण्ड्रोम।
प्रश्न 8.
स्पाइरोगाइरा में प्रजनन किस विधि से होता है?
उत्तर:
खण्डन विधि द्वारा।
प्रश्न 9.
अग्रांकित चित्र के प्रश्नांकित भागों के नाम लिखें और बताइए कि यह प्रजनन की किस विधि को दर्शाता है?
उत्तर:
प्रश्न 10.
पुनरुद्भवन किसे कहते हैं?
उत्तर:
यदि किसी कारणवश जीव क्षत - विक्षत हो जाए अथवा कुछ टुकड़ों में टूट जाए तो इसके टुकड़े वृद्धि कर नए जीव में विकसित हो जाए तो इसे पुनरुद्भवन कहते हैं ।
प्रश्न 11.
कायिक प्रवर्धन की उन तकनीकों का नाम बताइए जिनका उपयोग कृषि में किया जाता है?
उत्तर:
परतन, कलम अथवा रोपण जैसी कायिक प्रवर्धन की तकनीक का उपयोग कृषि में किया जाता है।
प्रश्न 12.
ऊतक संवर्धन किसे कहते हैं?
उत्तर:
पौधे के ऊतक अथवा उसकी कोशिकाओं को पौधे के शीर्ष के वर्धमान भाग से पृथक् कर नए पौधे उगाना ऊतक संवर्धन कहलाता है।
प्रश्न 13.
यदि डी.एन.ए. प्रतिकृति की क्रियाविधि कम परिशुद्ध होती तो क्या होता?
उत्तर:
यदि डी.एन.ए. प्रतिकृति की क्रियाविधि कम परिशुद्ध होती, तो बनने वाली डी.एन.ए. प्रतिकृतियाँ कोशिकीय संरचना के साथ सांमजस्य नहीं रख पातीं। परिणामतः कोशिका की मृत्यु हो जाती।
प्रश्न 14.
आवृतबीजी (एंजियोस्पर्म) पौधों में जननांग कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर:
आवृतबीजी (एंजियोस्पर्म) पौधों में जननांग पुष्प में अवस्थित होते हैं।
प्रश्न 15.
निम्नांकित चित्र का निरीक्षण करें और प्रश्नांकित (?) भागों के नाम लिखें।
उत्तर:
(A) अंडवाहिका
(B) अण्डाशय
(C) गर्भाशय
(D) योनि ।
प्रश्न 16.
चित्र में निर्देशित A, B, C और D के नाम लिखें
उत्तर:
(A) परागकण
(B) वर्तिकाग्र
(C) नर युग्मक
(D) अण्डाशय ।
प्रश्न 17.
स्त्रियों में निषेचन कहाँ होता है?
उत्तर:
फेलोपियन नलिका में।
प्रश्न 18.
जनन किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है?
उत्तर:
जीवों द्वारा अपने समान सन्तान को उत्पन्न करना जनन कहलाता है। यह मुख्यतः दो प्रकार का होता है:
प्रश्न 19.
DNA का पूरा नाम लिखिए।
उत्तर:
DNA का पूरा नाम डि ऑक्सीराइबोन्यूक्लीक अम्ल है।
प्रश्न 20.
बीजाणु के चारों ओर पाई जाने वाली मोटी भित्ति का कार्य लिखिए।
उत्तर:
बीजाणु के चारों ओर पाई जाने वाली मोटी भित्ति प्रतिकूल परिस्थितियों में बीजाणु की रक्षा करती है।
प्रश्न 21.
गतिशील जनन कोशिका को क्या कहते हैं?
उत्तर:
गतिशील जनन कोशिका को नर युग्मक (शुक्राणु) कहते हैं।
प्रश्न 22.
जब पुष्प में पुंकेसर अथवा स्त्रीकेसर में से कोई एक जननांग उपस्थित होता है तो ऐसे पुष्प क्या कहलाते हैं?
उत्तर:
जब पुष्प में पुंकेसर अथवा स्त्रीकेसर में से कोई एक जननांग उपस्थित होता है तो ऐसे पुष्प एकलिंगी कहलाते हैं।
प्रश्न 23.
मादा जननांग अर्थात् स्त्रीकेसर पुष्प में कहाँ अवस्थित होता है?
उत्तर:
मादा जननांग (स्त्रीकेसर) पुष्प के केन्द्र में अवस्थित होता है।
प्रश्न 24.
बीजाण्ड स्त्रीकेसर के किस भाग में स्थित होते हैं?
उत्तर:
बीजाण्ड स्त्रीकेसर के अण्डाशय (Ovary) में स्थित होते हैं।
प्रश्न 25.
निषेचन के पश्चात् बीजाण्ड किसमें परिवर्तित हो जाता है?
उत्तर:
निषेचन के पश्चात् बीजाण्ड बीज में परिवर्तित हो जाता है।
प्रश्न: 26.
मानव में किस प्रकार का जनन पाया जाता है?
उत्तर:
मानव में लैंगिक जनन पाया जाता है।
प्रश्न 27.
यौवनारंभ (Puberty) किसे कहते हैं?
उत्तर:
किशोरावस्था की वह अवधि जिसमें जनन - ऊतक परिपक्व होना प्रारंभ करते हैं, यौवनारंभ कहलाती है।
प्रश्न 28.
शुक्राणु क्या होते हैं?
उत्तर:
शुक्राणु सूक्ष्म नर जनन कोशिकाएँ होती हैं जिनमें मुख्यतः आनुवंशिक पदार्थ होते हैं। इनमें एक लंबी पूँछ होती है जो उन्हें मादा जनन-कोशिका की ओर तैरने में सहायता करती है।
प्रश्न 29.
मानव में वृषण कोष कहाँ स्थित होते हैं?
उत्तर:
मानव में वृषण कोष उदर गुहा के बाहर स्थित होते हैं।
प्रश्न 30.
लड़कों में यौवनावस्था के लक्षणों को नियंत्रित करने वाले हार्मोन का नाम लिखिए।
उत्तर:
लड़कों में यौवनारम्भ के लक्षणों को नियंत्रित करने वाले हार्मोन का नाम टेस्टोस्टेरॉन है।
प्रश्न 31.
पुरुषों के मूत्रमार्ग (Urethra) को उभय मार्ग क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
मूत्रमार्ग को उभय मार्ग इसलिए कहते हैं क्योंकि इसी मार्ग से शुक्राणुओं एवं मूत्र दोनों का प्रवाह होता है।
प्रश्न 32.
उस संरचना का नाम लिखिए जिसकी संरचना तश्तरीनुमा है जो गर्भाशय की भित्ति में धंसी होती है।
उत्तर:
प्लेसेंटा (Placenta) की संरचना तश्तरीनुमा होती है तथा यह गर्भाशय की भित्ति में धंसी होती है।
प्रश्न 33.
गर्भाशय के पेशियों के लयबद्ध संकुचन से क्या होता है?
उत्तर:
गर्भाशय के पेशियों के लयबद्ध संकुचन से शिशु का जन्म होता है।
प्रश्न 34.
अण्डाशय प्रत्येक माह कितने अण्डों का मोचन करता है?
उत्तर:
अण्डाशय प्रत्येक माह एक अण्ड का मोचन करता है।
प्रश्न 35.
यौन संचारित रोग किसे कहते हैं?
उत्तर:
लैंगिक सम्पर्क से होने वाले रोग यौन संचारित रोग कहलाते हैं।
प्रश्न 36.
जीवाणु व वाइरस जनित यौन संचारित रोग (STD) के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
जीवाणु जनित यौन संचारित रोग:
वाइरस जनित यौन संचारित रोग:
प्रश्न 37.
एक समष्टि के आकार का निर्धारण किस प्रकार होता है?
उत्तर:
एक समष्टि में जन्मदर एवं मृत्युदर उसके आकार का निर्धारण करते हैं।
प्रश्न 38.
ऊतक संवर्धन तकनीक का उपयोग लिखिए।
उत्तर:
इस तकनीक का उपयोग सामान्यतः सजावटी पौधों के संवर्धन में किया जाता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
यदि अण्ड का निषेचन नहीं होता है, तब क्या होगा? समझाइए।
उत्तर:
यदि अण्ड कोशिका का निषेचन नहीं हो तो यह लगभग एक दिन तक जीवित रहती है क्योंकि अण्डाशयप्रत्येक माह एक अण्ड का मोचन करता है। अतः निषेचित अण्ड की प्राप्ति हेतु गर्भाशय भी प्रतिमाह तैयारी करता है। अतः भित्ति मांसल एवं स्पंजी हो जाती है। यह अण्ड के निषेचन होने की अवस्था में उसके पोषण के लिए आवश्यक है। परन्तु निषेचन न होने की अवस्था में इस परत की भी आवश्यकता नहीं रहती है। अतः यह परत धीरे - धीरे टूटकर योनि मार्ग से रुधिर एवं म्यूकस के रूप में निष्कासित होती है। इस चक्र में लगभग एक माह का समय लगता है तथा इसे ऋतुस्राव या रजोधर्म कहते हैं जिसकी अवधि लगभग 2 से 8 दिन होती है।
प्रश्न 2.
डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनने के साथ - साथ दूसरी कोशिकीय संरचनाओं का सृजन क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
जनन की मूल घटना डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना है। जनन कोशिका में इस प्रकार डी.एन.ए. की दो प्रतिकृतियाँ बनती हैं तथा उनका एक - दूसरे से अलग होना आवश्यक है। परंतु डी.एन.ए. की एक प्रतिकृति को मूल कोशिका में रखकर दूसरी प्रतिकृति को उससे बाहर निकाल देने से काम नहीं चलेगा क्योंकि दूसरी प्रतिकृति के पास जैव - प्रक्रमों के अनुरक्षण हेतु संगठित कोशिकीय संरचना तो नहीं होगी। इसलिए डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनने के साथ - साथ दूसरी कोशिकीय संरचनाओं का सृजन भी होता रहता है, इसके बाद डी.एन.ए. की प्रतिकृतियाँ विलग हो जाती हैं परिणामतः एक कोशिका विभाजित होकर दो कोशिकाएँ बनाती है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित प्रकार के जनन का एक - एक उदाहरण दें:
(i) द्वि - विखण्डन
(ii) मुकुल
(iii) बीजाणु निर्माण
(iv) पुनर्जनन
(v) बहु - विखंडन
(vi) कायिक प्रवर्धन।
उत्तर:
अलैंगिक जनन का प्रकार |
उदाहरण |
(i) द्वि - विखण्डन |
अमीबा |
(ii) मुकुल |
हाइड्रा |
(iii) बीजाणु निर्माण |
राइजोपस |
(iv) पुनर्जनन |
प्लेनेरिया |
(v) बहु - विखंडन |
मलेरिया परजीवी |
(vi) कायिक प्रवर्धन |
गुलाब |
प्रश्न 4.
जनन किसे कहते हैं? लैंगिक जनन के आधारीय लक्षण लिखिए।
उत्तर:
जनन (Reproduction): वह क्रिया जिसके द्वारा सजीव अपने समान संतति उत्पन्न करता है, जनन कहलाती है। लैंगिक जनन के आधारीय लक्षण -
प्रश्न 5.
जनन के समय मादा के जननांगों एवं स्तन का परिपक्व होना आवश्यक क्यों है?
उत्तर:
स्तनधारियों जैसे कि मानव में शिशु माँ के शरीर में लंबी अवधि तक गर्भस्थ रहता है तथा जन्मोपरांत स्तनपान करता है। इन सभी स्थितियों के लिए मादा के जननांगों एवं स्तन का परिपक्व होना आवश्यक है।
प्रश्न 6.
अमीबा में द्विखण्डन विधि का सचित्र वर्णन कीजिए।
उत्तर:
यह अलैंगिक जनन की सबसे सामान्य व सरल विधि है, जो अनुकूल परिस्थितियों में सम्पन्न होती है।
इस विधि द्वारा अमीबा का शरीर कोशिका विभाजन द्वारा सामान्यतः दो बराबर भागों में विभक्त होकर दो सन्तति (पुत्री अमीबा) अमीबा का निर्माण करते हैं । सन्तति अमीबा 24 घण्टे बाद पुनः इस क्रिया को दोहरा सकते हैं। प्रत्येक पुत्री अमीबा का आयतन जनक अमीबा से आधा होता है।
प्रश्न 7.
एकलिंगी एवं उभयलिंगी पुष्प किसे कहते हैं? प्रत्येक का एक - एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
एकलिंगी पुष्प - जब पुष्प में पुंकेसर अथवा स्त्रीकेसर में से कोई एक जननांग ही उपस्थित होता है तो पुष्प एकलिंगी कहलाते हैं।
उदाहरण- तरबूज एवं पपीता। उभयलिंगी पुष्प - जब पुष्प में पुंकेसर एवं स्त्रीकेसर दोनों उपस्थित होते हैं तो उन्हें उभयलिंगी पुष्प कहते हैं। उदाहरण- सरसों एवं गुडहल।
प्रश्न 8.
किस तकनीक के द्वारा एकल पौधे से अनेक पौधे संक्रमण मुक्त परिस्थितियों में उत्पन्न किये जाते हैं? समझाइए।
उत्तर:
ऊतक संवर्धन तकनीक के द्वारा पौधे के ऊतक उसकी कोशिकाओं को पौधे के शीर्ष के वर्धमान भाग से पृथक कर नए पौधे उगाए जाते हैं। इन कोशिकाओं को कृत्रिम पोषक माध्यम में रखा जाता है, जिससे कोशिकाएं विभाजित होकर अनेक कोशिकाओं का छोटा समूह बनाती हैं जिसे कैलस कहते हैं। कैलस को वृद्धि एवं विभेदन के हार्मोन युक्त एक अन्य माध्यम में स्थानान्तरित करते हैं। पौधे को फिर मिट्टी में रोप देते हैं जिससे कि वे वृद्धि कर विकसित पौधे बन जाते हैं।ऊतक संवर्धन तकनीक द्वारा किसी एकल पौधे से अनेक पौधे संक्रमण - मुक्त परिस्थितियों में उत्पन्न किए जा सकते हैं। इस तकनीक का उपयोग सामान्यतः सजावटी पौधों के संवर्धन में किया जाता है।
प्रश्न 9.
वृषण देहगुहा के बाहर क्यों होते हैं? समझाइए।
उत्तर:
मानव में वृषण देहगुहा के बाहर पाए जाते हैं क्योंकि शुक्राणु उत्पादन के लिए आवश्यक ताप शरीर के ताप से कम होना चाहिए। वृषण कोष में ताप शरीर के ताप से लगभग 3°C तक कम होता है जिसके कारण शुक्राणुओं का निर्माण सुगमता से हो जाता है।
प्रश्न 10.
विभिन्नताएँ स्पीशीज की उत्तरजीविता बनाए रखने में किस प्रकार उपयोगी हैं?
उत्तर:
अपनी जनन क्षमता का उपयोग कर जीवों की समष्टि पारितंत्र में स्थान अथवा निकेत ग्रहण करते हैं। जनन के दौरान डी.एन.ए. प्रतिकृति का अविरोध जीव की शारीरिक संरचना एवं डिजाइन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जो उसे विशिष्ट निकेत के योग्य बनाती है। परंतु, निकेत में अनेक परिवर्तन आ सकते हैं जो जीवों के नियंत्रण से बाहर है। पृथ्वी का ताप कम या अधिक हो सकता है, जल स्तर में परिवर्तन इसके कुछ उदाहरण हैं। यदि एक समष्टि अपने निकेत के अनुकूल है तथा निकेत में कुछ उग्र परिवर्तन आते हैं तो ऐसी अवस्था में समष्टि का समूल विनाश भी संभव है।
परंतु, यदि समष्टि के जीवों में कुछ विभिन्नता होगी तो उनके जीवित रहने की कुछ संभावना है। अतः यदि शीतोष्ण जल में पाए जाने वाले जीवाणुओं की कोई समष्टि है तथा वैश्विक ऊष्मीकरण के कारण जल का ताप बढ़ जाता है तो अधिकतर जीवाणु व्यष्टि मर जाएँगे, परंतु उष्ण प्रतिरोधी क्षमता वाले कुछ परिवर्त ही जीवित रहते हैं तथा वृद्धि करते हैं। अतः विभिन्नताएँ स्पीशीज की उत्तरजीविता बनाए रखने में उपयोगी हैं।
प्रश्न 11.
बीजाणु समासंघ पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
बीजाणु समासंघ - अनेक सरल बहुकोशिक जीवों में विशिष्ट जनन संरचनाएँ पाई जाती हैं। जैसे - राइजोपस के ऊर्ध्व तन्तुओं पर गोल संरचनाएँ पाई जाती हैं, जिन्हें बीजाणुधानी कहते हैं, जो जनन में भाग लेती हैं। (देखिए नीचे चित्र में) इन बीजाणुधानी में विशेष कोशिकाएँ अथवा बीजाणु पाये जाते हैं। ये बीजाणु वृद्धि करके राइजोपस के नए जीव उत्पन्न करते हैं। बीजाणुओं के चारों ओर एक मोटी भित्ति पाई जाती है जो बीजाणु की प्रतिकूल परिस्थितियों में रक्षा करती है, नम सतह के सम्पर्क में आने पर वे वृद्धि करने लगते हैं।
प्रश्न 12.
अपरा (प्लेसेंटा) किस प्रकार से भ्रूणीय परिवर्धन में सहायक होता है?
उत्तर:
अपरा निम्न प्रकार से भ्रूणीय परिवर्धन में सहायक होता है:
प्रश्न 13.
वयस्क में शुक्रवाहिनी को हटाकर उसके स्थान पर रबर की नलिका लगा दी जावे तो क्या प्रभाव पड़ेगा? समझाइए।
उत्तर:
वयस्क में शुक्रवाहिनी को हटाकर उसके स्थान पर रबर की नलिका लगा दी जाये तो शुक्राणुओं का गमन नहीं हो पायेगा क्योंकि शुक्रवाहिनी की कोशिकायें विशेष तरल पदार्थ का स्राव करती हैं जो शुक्रवाहिनी के मार्ग को शुक्राणुओं के गमन हेतु चिकना बनाती हैं | इसके साथ ही शुक्रवाहिनी की दीवार में पेशियों में तरंग गति उत्पन्न होती है जिससे शुक्राणु आगे बढ़ते हैं। अतः रबर की नलिका में शुक्राणुओं का गमन नहीं होगा।
प्रश्न 14.
यौवनारम्भ (Puberty) किसे कहते हैं? समझाइए।
उत्तर:
यौवनारम्भ (Puberty): मानव (नर एवं मादा) में अपरिपक्व जनन अंगों का परिपक्वन होकर जनन क्षमता का विकास होना यौवनारम्भ कहलाता है। नर की अपेक्षा मादा में यौवनारम्भ पहले प्रारम्भ होता है । मानव नर में यौवनारम्भ 14 - 16 वर्ष की आयु में वृषणों की सक्रियता तथा शुक्राणु उत्पादन के साथ शुरू होता है जबकि मादा में 12 - 14 वर्ष की आयु में स्तन ग्रन्थियों की वृद्धि एवं रजोदर्शन के साथ प्रारम्भ होता है।
प्रश्न 15.
स्त्रियों में फेलोपियन ट्यूब को धागे से बाँध दिया जावे तो कौनसी क्रिया पर प्रभाव पड़ेगा तथा क्यों? समझाइए।
उत्तर:
स्त्रियों में फेलोपियन ट्यूब को धागे से बाँधने पर अण्ड गर्भाशय तक नहीं पहुँच सकेगा। परिणामस्वरूप उसका शुक्राणु से मिलन नहीं होगा अर्थात् निषेचन की क्रिया नहीं होगी। फेलोपियन ट्यूब को धागे से बाँधना अथवा शल्य क्रिया द्वारा काटना ट्यूबक्टोमी कहलाता है।
प्रश्न 16.
लैंगिक जनन प्रणाली का विकास क्यों हुआ?
उत्तर:
एकल (पैतृक) कोशिका से दो संतति कोशिकाओं के बनने में डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनना एवं कोशिकीय संगठन दोनों ही आवश्यक हैं | डी.एन.ए. प्रतिकृति की तकनीक पूर्णतः यथार्थ नहीं है, परिणामी त्रुटियाँ जीव की समष्टि में विभिन्नता का स्रोत हैं | जीव की प्रत्येक व्यष्टि विभिन्नताओं द्वारा संरक्षित नहीं हो सकती, परंतु स्पीशीज की समष्टि में पाई जाने वाली विभिन्नता उस स्पीशीज के अस्तित्व को बनाए रखने में सहायक है । अतः जीवों में जनन की कोई ऐसी विधि अधिक सार्थक होगी जिसमें अधिक विभिन्नता उत्पन्न हो सके। इसलिए लैंगिक जनन प्रणली का विकास हुआ जिसमें दो भिन्न जीवों से प्राप्त डी.एन.ए. को समाहित किया जाता है।
प्रश्न 17.
लैंगिक एवं अलैंगिक जनन में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
लैंगिक एवं अलैंगिक जनन में अन्तर निम्न हैं:
लैंगिक जनन |
अलैंगिक जनन |
1. इसमें युग्मकों का (शुक्राणु तथा अण्डाणु) निर्माण होता है। |
इसमें युग्मकों का निर्माण नहीं होता है। |
2. समसूत्री विभाजन के साथ - साथ अर्धसूत्री विभाजन भी होता है। |
केवल समसूत्री विभाजन होता है। |
3. इसमें युग्मक संलयन होता है। |
इसमें युग्मक संलयन नहीं होता है। |
4. इसमें उत्पन्न संतति में आनुवंशिक भिन्नताएँ पाई जाती हैं। |
इसमें सन्तान आनुवंशिक रूप से जनक के समान होती है। |
प्रश्न 18.
अर्द्धसूत्री विभाजन का विकास क्यों हुआ?
अथवा
लैंगिक जनन में संतति पीढ़ी में डी.एन.ए. की मात्रा को दोगुनी होने से क्यों व कैसे रोका जाता है?
उत्तर:
यदि लैंगिक जनन के दौरान संतति पीढ़ी में जनक जीवों के डी.एन.ए. का युग्मन होता रहे, तो प्रत्येक पीढ़ी में डी.एन.ए. की मात्रा पूर्व पीढ़ी की अपेक्षा दोगुनी होती जाएगी। इससे डी.एन.ए. द्वारा कोशिकी संगठन पर नियंत्रण टूटने की अत्यधिक संभावना है। उपरोक्त समस्या का समाधान जीवों ने इस प्रकार खोजा जिसमें विशिष्ट अंगों में कुछ विशेष प्रकार की कोशिकाओं की परत होती है जिनमें जीव की कायिक कोशिकाओं की अपेक्षा गुणसूत्रों की संख्या आधी होती है तथा डी.एन.ए. की मात्रा भी आधी होती है। यह कोशिका विभाजन की प्रक्रिया जिसे अर्द्धसूत्री विभाजन कहते हैं के द्वारा प्राप्त किया जाता है। अतः दो भिन्न जीवों की यह युग्मक कोशिकाएँ लैंगिक जनन में युग्मन द्वारा युग्मनज (जायगोट) बनाती है तो संतति में गुणसूत्रों की संख्या एवं डी.एन.ए. की मात्रा पुनर्स्थापित हो जाती है।
प्रश्न 19.
पर - परागण के लाभ व हानियों के बारे में लिखिए।
उत्तर:
पर - परागण से लाभ: पर - परागण पुष्पों में एक पौधे का नर युग्मक और उसी जाति के दूसरे पौधे की अण्डकोशिका निषेचन में भाग लेते हैं। निषेचित अण्ड से भ्रूण और बीजाण्ड से बीज बनते हैं। बीज अंकुरित होने पर भ्रूण से नई संतति (पौधा) बनती है जिसमें दो मातृ पौधों के कुछ लक्षण आ जाते हैं। यह संतति नये गुण वाली होती है और इसके बीज अधिक जीवनक्षम होते हैं।
पर - परागण से हानि: पर - परागण में पौधों को बाह्य साधनों जैसे कि कीट, वायु, जल आदि पर निर्भर रहना पड़ता है; अतः पर - परागण अनिश्चित होता है। पौधों को पादप द्रव्य और शक्ति, इन साधनों के लिए आवश्यक अनुकूलनों (जैसे-रंग, गंध, मकरंद) में खर्च करनी पड़ती है। वायु - परागण में अधिकांश परागकण व्यर्थ ही नष्ट हो जाते हैं और फिर भी परागण का होना निश्चित नहीं होता है। वायु - परागण में तो एक पुष्प के परागकणों का उसी जाति के अन्य पौधों के पुष्पों तक पहुँचना केवल मात्र एक संयोग है।
प्रश्न 20.
स्व - परागण किसे कहते हैं? इसके क्या लाभ हैं?
उत्तर:
स्व - परागण (Self-pollination): किसी एक पुष्प के परागकणों का स्थानान्तरण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर होने को स्व - परागण कहते हैं। स्व - परागण से लाभ - स्वपरागित पुष्पों में स्व - परागण पूर्णतया निश्चित क्रिया है। परागकणों को वर्तिकाग्र तक पहुँचने के लिए भिन्न साधनों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता है। परागकण व्यर्थ ही नष्ट नहीं होते हैं। अतः परागकणों की थोड़ी मात्रा ही पर्याप्त होती है। पौधे को विशेष अनुकूलनों (जैसे-पुष्प संरचना, रंग और मकरंद आदि) के लिए अतिरिक्त पादप द्रव्य और शक्ति व्यय नहीं करनी पड़ती है।
प्रश्न 21.
किशोरावस्था में लड़के एवं लड़कियों में एक समान होने वाले परिवर्तनों के बारे में बताइए।
उत्तर:
किशोरावस्था में लड़के एवं लड़कियों में निम्न समान परिवर्तन दृष्टिगत होते हैं:
प्रश्न 22.
यौवनारम्भ के समय मानव नर में होने वाले परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
यौवनारम्भ के समय मानव नर में होने वाले परिवर्तन:
प्रश्न 23.
शुक्रजनन (Spermatogenesis) एवं अण्डजनन (Oogenesis) में कोई पाँच अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शुक्रजनन एवं अण्डजनन में अन्तर निम्न हैं:
यह क्रिया एक निश्चित आयु के पश्चात् बन्द हो जाती है।
शुक्रजनन (Spermatogenesis) |
अण्डजनन (Oogenesis) |
1. यह क्रिया वृषणों (Testes) में सम्पन्न होती है। |
यह क्रिया अण्डाशय (Ovaries) में सम्पन्न होती है। |
2. शुक्रजनन की क्रिया प्राणी में जीवन पर्यन्त जारी रहती है। |
यह क्रिया एक निश्चित आयु के पश्चात् बन्द हो जाती है। |
3. इस क्रिया में सभी शुक्रजनक कोशिकाएँ शुक्राणुओं का निर्माण करती हैं। |
केवल एक अण्डजनक कोशिका अण्डाणु का निर्माण करती है। अन्य अनेक अण्डजनक कोशिकाएँ वृद्धि प्रावस्था में नष्ट हो जाती हैं। |
4. इस क्रिया में प्रथम एवं द्वितीय परिपक्वन विभाजन समान होते हैं एवं परिणामस्वरूप चार समान शुक्राणु (Sperm) निर्मित होते हैं। ये चारों ही स्वतन्त्र जनन इकाई है। |
दोनों परिपक्वन विभाजन असमान होते हैं तथा इसके फलस्वरूप एक बड़ी अण्डाणु कोशिका तथा तीन ध्रुवकाय का| निर्माण होता है। इसमें केवल अण्डाणु (Ovum) ही स्वतन्त्र जनन इकाई होते हैं। |
5. शुक्राणु पीतक रहित एवं गतिशील होते हैं। |
अण्डाणु पीतकयुक्त एवं गतिहीन होते हैं। |
प्रश्न 24.
अधिकांश लैंगिक जनन करने वाले जीवों के नर व मादा युग्मकों के आकार में भिन्नता क्यों पायी जाती है?
अथवा
अण्ड कोशिका (मादा युग्मक) नर युग्मक से बड़ी क्यों होती है?
उत्तर:
यदि युग्मनज वृद्धि एवं परिवर्धन द्वारा नए जीव में विकसित होता है तो उसमें ऊर्जा का भंडार भी पर्याप्त होना चाहिए । अति सरल संरचना वाले जीवों में प्रायः युग्मकों की आकृति एवं आकार में विशेष अंतर नहीं होता। परंतु जैसे ही शारीरिक डिजाइन अधिक जटिल होता है, जनन कोशिकाएँ भी विशिष्ट हो जाती हैं। सामान्यतः मादा युग्मक (अण्ड कोशिका) अगतिशील होने के कारण आकार में बड़ी हो जाती है जिसमें युग्मनज वृद्धि के लिए भोजन का भंडार होता है जबकि नर युग्मक गतिशील होने के कारण अपेक्षाकृत छोटा होता है।
प्रश्न 25.
बीजों के बनने से पौधे को क्या लाभ हैं?
उत्तर:
(1) बीज में भ्रूण होता है और बीज का निर्माण बीजांड से एक कठोर आवरण विकसित होने से होता है इसलिए बीज में भ्रूण सुरक्षित रहता है।
(2) बीज में खाद्य पदार्थ संग्रहित रहता है जो भ्रूण को पोषण प्राप्त करने में सहायक होता है।
(3) बीज पादप प्रजाति के प्रकीर्णन में भी सहायक है।
(4) बीज उपयुक्त परिस्थितियों में अंकुरित होकर नवोद्भिद् में विकसित हो जाता है।
प्रश्न 26.
अण्डप किसे कहते हैं? इसकी संरचना का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आवृतबीजी पुष्प में मादा जनन अंग को जायांग कहते हैं। जायांग के प्रत्येक सदस्य को अण्डप (स्त्रीकेसर) कहा जाता है। प्रत्येक अण्डप एक गुरुबीजाणुपर्ण (Megasporophyll) होता है। अण्डप के तीन भाग होते हैं: वर्तिकाग्र (Stigma), वर्तिका (Style) तथा अण्डाशय (Ovary)।
अण्डाशय सबसे नीचे का फूला भाग होता है जिससे नलिका समान वर्तिका निकली होती है तथा वर्तिका के शीर्ष भाग को वर्तिकाग्र कहते हैं। अण्डाशय के अन्दर अनेक छोटी-छोटी अण्डाकार संरचनाएँ होती हैं, इन्हें बीजाण्ड (Ovule) या गुरुबीजाणुधानी (Megasporangium) कहते हैं। प्रत्येक बीजाण्ड एक वृन्त जैसी संरचना द्वारा अण्डाशय की भीतरी भित्ति पर उपस्थित उभार या बीजाण्डासन (Placenta) से जुड़ा होता है। बीजाण्ड के वृन्त को बीजाण्डवृन्त कहते हैं।
प्रश्न 27.
मानव के शुक्राणु व मानव के अण्ड में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
मानव के शुक्राणु व अण्ड में अन्तर:
मानव का शुक्राणु (Human Sperm) |
मानव का अण्ड (Human Ovum) |
1. इसे नर युग्मक कहते हैं। |
इसे मादा युग्मक कहते हैं। |
2. इनका निर्माण वृषण में होता है। |
अण्ड का निर्माण अण्डाशय में होता है। |
3. शुक्राणु लम्बे होते हैं एवं इनमें पूंछ पाई जाती है। |
अण्ड गोलाकार होते हैं एवं इनमें पूँछ नहीं होती। |
4. ये गतिशील होते हैं। |
ये गति नहीं करते हैं। |
5. आकार में शुक्राणु अण्ड से छोटे होते हैं। |
अण्ड शुक्राणु से बड़े होते हैं। |
6. शुक्राणुओं का उत्पादन अधिक संख्या में होता है। |
मानव में प्रतिमाह केवल एक ही अण्ड का उत्पादन होता है। |
प्रश्न 28.
लेस्मानिया में अलैंगिक जनन को समझाइए।
उत्तर:
कालाजार के रोगाणु लेस्मानिया में कोशिका के एक सिरे पर कोड के समान सूक्ष्म संरचना होती है। इसलिए इसमें द्विखण्डन एक निर्धारित तल से होता है जिससे दो पुत्री लेस्मानिया का निर्माण होता है।
प्रश्न 29.
प्लैज्मोडियम में बहुखण्डन को समझाइए।
उत्तर:
मलेरिया परजीवी, प्लैज्मोडियम जैसे अन्य एककोशिक जीव एक साथ अनेक संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाते हैं, जिसे बहुखंडन कहते हैं।
प्रश्न 30.
अलैंगिक जनन के आधारभूत पहलू क्या हैं?
उत्तर:
अलैंगिक जनन के आधारभूत पहलू निम्नलिखित हैं:
प्रश्न 31.
मानव शरीर में लैंगिक परिपक्वता के लक्षण किशोरावस्था में ही क्यों परिलक्षित होते हैं?
उत्तर:
बहुकोशिक जीवों में विशिष्ट कार्यों के संपादन हेतु विशिष्ट प्रकार की कोशिकाओं की आवश्यकता होती है। लैंगिक जनन में भाग लेने के लिए जनन कोशिकाओं का उत्पादन इसी प्रकार का एक विशिष्ट कार्य है। पौधों में भी इस हेतु विशेष प्रकार की कोशिकाएँ एवं ऊतक विकसित होते हैं। प्राणियों, जैसे कि मानव भी इस कार्य हेतु विशिष्ट ऊतक विकसित करता है। यद्यपि किसी व्यक्ति के शरीर में युवावस्था के आकार हेतु वृद्धि होती है, परन्तु शरीर के संसाधन मुख्यतः इस वृद्धि की प्राप्ति की ओर लगे रहते हैं। इस प्रक्रम के चलते जनक ऊतक की परिपक्वता मुख्य प्राथमिकता नहीं होती अतः किशोरावस्था में जैसे - जैसे शरीर की सामान्य वृद्धि दर धीमी होनी शुरु होती है, जनन ऊतक परिपक्व होना प्रारंभ करते हैं इसीलिए किशोरावस्था में ही लैंगिक परिपक्वता के लक्षण परिलक्षित होते हैं।
प्रश्न 32.
पुष्प के कार्य लिखिए।
उत्तर:
पुष्प के कार्य निम्न हैं:
प्रश्न 33.
ब्रायोफिलम में कायिक जनन किस प्रकार का होता है? समझाइए।
उत्तर:
ऐसे बहुत से पौधे हैं जिनमें कुछ भाग जैसे - जड़, तना तथा पत्तियाँ उपयुक्त परिस्थितियों में विकसित होकर नया पौधा उत्पन्न करते हैं। इसी प्रकार ब्रायोफिलम की पत्तियों की कोर पर कुछ कलिकाएँ विकसित होकर मृदा में गिर जाती हैं तथा नए पौधे में विकसित हो जाती हैं।
प्रश्न 34.
बहुकोशिक जीवों को जनन के लिए अपेक्षाकृत अधिक जटिल विधि की आवश्यकता क्यों होती है?
अथवा
बहुकोशिक जीव अमीबा के समान सरल रूप से कोशिका - दर - कोशिका विभाजित क्यों नहीं होते?
उत्तर:
इसका कारण यह है कि अधिकतर बहुकोशिक जीव विभिन्न कोशिकाओं का समूह मात्र ही नहीं है बल्कि इनमें विशेष कार्य हेतु विशिष्ट कोशिकाएँ संगठित होकर ऊतक का निर्माण करती है तथा ऊतक संगठित होकर अंग बनाते हैं, शरीर में इनकी स्थिति भी निश्चित होती है। ऐसी सजग व्यवस्थित परिस्थिति में कोशिका - दर - कोशिका विभाजन अव्यावहारिक है। अतः बहुकोशिक जीवों को जनन के लिए अपेक्षाकृत अधिक जटिल विधि की आवश्यकता होती है।
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
पुष्प के अनुदैर्घ्य काट का नामांकित चित्र बनाइए एवं इसके विभिन्न भागों की विशेषता एवं कार्य का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पुष्प की अनुदैर्घ्य काट का चित्र -
पुष्प के विभिन्न भागों की विशेषताएँ एवं उनके कार्य का वर्णन निम्न प्रकार से है:
पुष्प के भाग |
विशेषता |
कार्य |
1. पुष्प वृन्त |
पुष्पवृन्त डण्ठलनुमा होता है। |
पुष्प को पौधे से जोड़ता है। |
2. पुष्पासन |
सामान्यतः चपटा व फूला हुआ होता है। |
पुष्प के अन्य भागों को आधार प्रदान करता है। |
3. बाह्यदलपुंज |
फूल का सबसे बाहरी भाग है, जो हरी पत्तियों के रूप में होता है। |
पुष्प की कलिका अवस्था में आंतरिक अंगों की रक्षा करता है। |
4. दलपुंज |
बाह्यदलपुंज के भीतरी भाग को दलपुंज कहते हैं। प्रत्येक अंग दल या पंखुड़ी कहलाता है।इसका रंग विभिन्न फूलों में अलग-अलग होता है। |
परागण हेतु कीटों व पक्षियों को आकर्षित करते हैं। |
5. पुंकेसर |
यह पुष्प का नर जनन भाग है। इसके मुख्यतः दो भाग होते हैं-पराग सूत्र एवं पुतंतु । परागसूत्र योजी द्वारा परागकोश से जुड़ा होता है। परागकोश के अन्दर परागकण होते हैं। |
यहाँ परागकोशों में परागकणों का निर्माण होता है। |
6. स्त्रीकेसर |
यह पुष्प का मादा जनन भाग है। प्रायः इनकी संख्या एक होती है। इसके तीन भाग होते हैं वर्तिकाग्र, वर्तिका एवं अण्डाशय । अण्डाशय के अन्दर बीजाण्ड होते हैं। |
अण्डाशय से फल एवं बीजाण्ड से बीज का निर्माण होता है। |
प्रश्न 2.
क्या जीव पूर्णतः अपनी प्रतिकृति का सृजन करते है? कारण सहित समझाइए।
अथवा
संतति में जनक की तुलना में विभिन्नताएँ किस प्रकार उत्पन्न हो जाती हैं? समझाइए।
उत्तर:
विभिन्न जीवों की डिजाइन, आकार एवं आकृति समान होने के कारण ही वे सदृश प्रतीत होते हैं | शरीर का अभिकल्प समान होने के लिए उनका ब्लूप्रिंट भी समान होना चाहिए अतः अपने आधारभूत स्तर पर जनन, जीव के डिजाइन का ब्लूप्रिंट तैयार करता है। कोशिका के केंद्रक में पाए जाने वाले गुणसूत्रों के डी.एन.ए. के अणुओं में आनुवंशिक गुणों का संदेश होता है जो जनक से संतति पीढ़ी में जाता है। कोशिका के केन्द्रक के डी.एन.ए. में प्रोटीन संश्लेषण हेतु सूचना निहित होती है। इस संदेश के भिन्न होने की अवस्था में बनने वाली प्रोटीन भी भिन्न होगी। विभिन्न प्रोटीन के कारण अंततः शारीरिक डिजाइन में विविधता आ जाएगी।
अतः जनन की मूल घटना डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाना है। डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनाने के लिए कोशिकाएँ विभिन्न रासायनिक क्रियाओं का उपयोग करती हैं। परन्तु कोई भी जैव-रासायनिक प्रक्रिया पूर्णरूपेण विश्वसनीय नहीं होती। अतः यह अपेक्षित है कि डी.एन.ए. प्रतिकृति की प्रक्रिया में कुछ विभिन्नता आएगी। परिणामतः बनने वाली डी. एन.ए. प्रतिकृतियाँ एकसमान तो होंगी, परंतु मौलिक डी.एन.ए. का समरूप नहीं होंगी। हो सकता है कि कुछ विभिन्नताएँ इतनी उग्र हों कि डी.एन.ए की नयी प्रतिकृति अपने कोशिकीय संगठन के साथ समायोजित नहीं हो पाए। इस प्रकार की संतति कोशिका मर जाती है। दूसरी ओर डी.एन.ए. प्रतिकृति की अनेक विभिन्नताएँ इतनी उग्र नहीं होतीं। अतः संतति कोशिकाएँ समान होते हुए भी किसी न किसी रूप में एक दूसरे से भिन्न होती हैं। जनन में होने वाली यह विभिन्नताएँ जैव-विकास का आधार हैं।
प्रश्न 3.
अंकुरण किसे कहते हैं? चने के बीज की संरचना का सचित्र वर्णन संक्षेप में कीजिए।
उत्तर:
बीज में भावी पौधा अथवा भ्रूण होता है, जो उपयुक्त परिस्थितियों में नवोद्भिद् में विकसित हो जाता है। इस प्रक्रम को अंकुरण कहते हैं। चने के बीज की संरचना-चने के बीज की संरचना जानने के लिए चने के कुछ बीजों को एक रात जल में भिगोते हैं। इसके पश्चात् इन भीगे बीजों को कपड़े से ढककर एक दिन के लिए रख देते हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि बीज सूखने न पायें । अब भीगे हुए बीजों का छिलका हटाते हैं इस छिलके को बीजावरण कहते हैं। बीजावरण को हटाने पर उपस्थित दो पत्रों के समान रचना दिखाई देती है जिसे बीजपत्र कहते हैं। जिनमें खाद्य पदार्थ संचित होता है। बीज पत्रों के बीच में भ्रूण होता है।
बीज के अंकुरण के समय मूलांकुर से मूल (जड़) तथा प्रांकुर से प्ररोह (तना) बनता है। बीज पत्रों में भोजन संचित रहता है जो अंकुरण के समय भ्रूण को पोषण प्रदान करता है। जिन बीजों में दो बीजपत्र पाए जाते हैं, उन्हें द्विबीजपत्री कहते हैं अतः उक्त बीज द्विबीजपत्री है।
प्रश्न 4:
पुष्पी पादपों में निषेचन, बीज एवं फल बनने की विधि का वर्णन कीजिए। वर्तिकान पर परागकणों के अंकुरण को चित्र की सहायता से प्रदर्शित कीजिए।
उत्तर:
परागकणों के उपयुक्त, वर्तिकान पर पहुँचने के पश्चात् नर युग्मक को अण्डाशय में स्थित मादा युग्मक तक पहुँचना होता है। इसके लिए परागकण से एक नलिका विकसित होती है तथा वर्तिका से होती हुई बीजाण्ड तक पहुँचती है। बीजाण्ड के भीतर भ्रूणकोश में अण्डकोशिका (Egg cell) होती है। परागनली का अगला सिरा फट जाता है जिसके कारण दो नर युग्मक मुक्त हो जाते हैं। एक नर युग्मक अण्ड के साथ संलयित होकर युग्मनज (Zygote) का निर्माण करता है। इस संलयन को निषेचन कहते हैं। दूसरा नर युग्मक द्विगुणित (डिप्लाइड) द्वितीयक केन्द्रक के साथ संलयित हो जाता है और भ्रूणपोष (Endosperm nucleus) केन्द्रक बनाता है।
निषेचन के पश्चात्, युग्मनज में अनेक विभाजन होते हैं तथा बीजाण्ड में भ्रूण विकसित होता है। बीजाण्ड से एक कठोर आवरण विकसित होता है तथा यह बीज में बदल जाता है । अण्डाशय तीव्रता से वृद्धि करता है तथा परिपक्व होकर फल बनाता है। इस अंतराल में बाह्यदल, पंखुड़ी, पुंकेसर, वर्तिका एवं वर्तिकाग्र प्रायः मुरझाकर गिर जाते हैं । बीज के भीतर एक भावी पौधा अथवा भ्रूण होता है जो उपयुक्त परिस्थितियों में नवोद्भिद् में विकसित हो जाता है।
प्रश्न 5.
मानव में नर जनन तंत्र का चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
नर जनन तंत्र (Male Reproductive System): जनन कोशिका (शुक्राणु) उत्पादित करने वाले अंग एवं जनन कोशिकाओं को निषेचन के स्थान पर पहुँचाने वाले अंग, संयुक्त रूप से जनन तंत्र बनाते हैं। नर जनन - कोशिका अथवा शुक्राणु का निर्माण वृषण में होता है। यह उदर गुहा के बाहर वृषण कोष में स्थित होते हैं। इसका कारण यह है कि शुक्राणु उत्पादन के लिए आवश्यक ताप शरीर के ताप से कम होता है। टेस्टोस्टेरॉन हॉर्मोन के उत्पादन एवं स्रवण में वृषण की भूमिका होती है। शुक्राणु उत्पादन के नियंत्रण के अतिरिक्त टेस्टोस्टेरॉन लड़कों में यौवनावस्था के लक्षणों का भी नियंत्रण करता है।
उत्पादित शुक्राणुओं का मोचन शुक्रवाहिकाओं द्वारा होता है। ये शुक्रवाहिकाएँ मूत्राशय से आने वाली नली से जुड़ कर एक संयुक्त नली बनाती है। अतः मूत्रमार्ग शुक्राणुओं एवं मूत्र दोनों के प्रवाह का उभय मार्ग है। प्रोस्टेट तथा शुक्राशय अपने स्राव शुक्रवाहिका में डालते हैं जिससे शुक्राणु एक तरल माध्यम में आ जाते हैं। इसके कारण इनका स्थानान्तरण सरलता से होता है साथ ही यह स्राव उन्हें पोषण भी प्रदान करता है। शुक्राणु सूक्ष्म संचनाएँ हैं जिसमें मुख्यतः आनुवंशिक पदार्थ होते हैं तथा एक लंबी पूँछ होती है जो उन्हें मादा जनन - कोशिका की ओर तैरने में सहायता करती है।
प्रश्न 6.
मानव का मादा जनन तंत्र का नामांकित चित्र बनाकर वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मादा जनन - कोशिकाओं अथवा अंड - कोशिका का निर्माण अंडाशय में होता है। यह कुछ हॉर्मोन भी उत्पादित करता है। लड़की के जन्म के समय ही अंडाशय में हजारों अपरिपक्व अंड होते हैं। यौवनारंभ में इनमें से कुछ परिपक्व होने लगते हैं। दो में से एक अंडाशय द्वारा प्रत्येक माह एक अंड परिपक्व होता है। महीन अंडवाहिका अथवा फेलोपियन ट्यूब द्वारा यह अंडकोशिका गर्भाशय तक ले जाए जाते हैं। दोनों अंडवाहिकाएँ संयुक्त होकर एक लचीली थैलेनुमा संरचना का निर्माण करती हैं जिसे गर्भाशय कहते हैं । गर्भाशय ग्रीवा द्वारा योनि में खुलता है।
प्रश्न 7.
अलैंगिक जनन किसे कहते हैं? इसकी प्रमुख विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जनन का वह प्रकार जिसमें संतति का निर्माण बिना युग्मक संलयन के एकल जीव द्वारा होता है अलैंगिक जनन कहलाता है। अलैंगिक जनन अनेक प्रकार से हो सकता है। जैसे -
1. विखंडन: एक कोशिक जीवों में कोशिका विभाजन अथवा विखंडन द्वारा नए जीवों की उत्पत्ति होती है। अनेक जीवाणु तथा प्रोटोजोआ की कोशिका विभाजन द्वारा सामान्यतः दो बराबर भागों में विभक्त हो जाती है। अमीबा जैसे जीवों में कोशिका विभाजन किसी भी तल से हो सकता है।
2. खंडन: सरल संरचना वाले बहुकोशिक जीवों में जनन पाया जाता है। इसमें जीव विकसित होकर छोटे - छोटे टुकड़ों में खंडित हो जाता है। यह टुकड़े अथवा खंड वृद्धि कर नए जीव में विकसित हो जाते हैं जैसे - स्पाइरोगाइरा में यह जनन पाया जाता है।
3. पुनरुद्भवन (पुनर्जनन) द्वारा जनन: पूर्णरूपेण विभेदित जीवों में अपने कायिक भाग से नए जीव के निर्माण की क्षमता होती है अर्थात् यदि किसी कारणवश जीव क्षत - विक्षत हो जाता है अथवा कुछ टुकड़ों में टूट जाता है, तो इसके अनेक टुकड़े वृद्धि कर नए जीव में विकसित हो जाते हैं। जैसे - हाइड्रा एवं प्लेनेरिया जीव ।
पुनरुद्भवन विशिष्ट कोशिकाओं द्वारा सम्पादित होता है। इन कोशिकाओं के क्रमप्रसरण से अनेक कोशिकाएँ बन जाती हैं। कोशिकाओं के इस समूह से परिवर्तन के दौरान विभिन्न प्रकार की कोशिकाएँ एवं ऊतक बनते हैं। यह परिवर्तन बहुत व्यवस्थित रूप एवं क्रम में होता है, जिसे परिवर्धन कहते हैं । परन्तु पुनरुद्भवन जनन के समान नहीं होता क्योंकि प्रत्येक जीव के किसी भी भाग को काट कर सामान्यतः नया जीव उत्पन्न नहीं होता।
4. मुकुलन द्वारा जनन: इस प्रकार के जनन में वयस्क के शरीर पर एक कलिका उत्पन्न होती है उसे मुकुल कहते हैं । यह कलिका पूर्ण वृद्धि करके पैतृक से पृथक् हो जाती है । इस प्रकार के जनन को मुकुलन कहते हैं | हाइड्रा जैसे कुछ प्राणी पुनर्जनन की क्षमता वाली कोशिकाओं का उपयोग मुकुलन के लिए करते हैं। हाइड्रा में कोशिकाओं के नियमित विभाजन के कारण एक स्थान पर उभार विकसित हो जाता है। यह उभार (मुकुल) वृद्धि करता हुआ नन्हे जीव में बदल जाता है तथा पूर्ण विकसित होकर जनक से अलग होकर स्वतंत्र जीव बन जाता है।
5. कायिक प्रवर्धन द्वारा जनन: ऐसे बहुत से पौधे हैं, जिनमें कुछ भाग जैसे जड़, तना तथा पत्तियाँ उपयुक्त परिस्थितियों में विकसित होकर नया पौधा उत्पन्न करते हैं । अधिकतर एकल पौधे इस क्षमता का उपयोग जनन की विधि के रूप में करते हैं। जैसे - अदरक के प्रकन्द, आलू के कन्द, ब्रायोफिल्लम् की पर्ण कलिका आदि। कृत्रिम रूप से कायिक जनन परतन, कलम अथवा रोपण आदि विधियों द्वारा कराया जाता है, जैसे - गुलाब, अंगूर, गन्ना आदि में।