Rajasthan Board RBSE Class 10 Science Important Questions Chapter 7 नियंत्रण एवं समन्वय Important Questions and Answers.
Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 10 Science in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 10. Students can also read RBSE Class 10 Science Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 10 Science Notes to understand and remember the concepts easily. Browsing through class 10 science chapter 12 question answer in hindi that includes all questions presented in the textbook.
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
तंत्रिका कोशिका से निकली छोटी - छोटी धागे जैसी शाखाओं को क्या कहते हैं?
(अ) डेंड्राइट (द्रुमाश्म)
(ब) सिनैप्स
(स) रेनवियर
(द) एक्सॉन
उत्तर:
(अ) डेंड्राइट (द्रुमाश्म)
प्रश्न 2.
शरीर में समन्वय किसके द्वारा होता है:
(अ) रुधिर परिवहन तंत्र
(ब) तंत्रिका तंत्र
(स) अन्तःस्रावी तंत्र
(द) तंत्रिका तंत्र एवं अन्तःस्रावी तंत्र
उत्तर:
(द) तंत्रिका तंत्र एवं अन्तःस्रावी तंत्र
प्रश्न 3.
परिधीय तंत्रिका तंत्र में होती है:
(अ) कपालीय तथा मेरु तंत्रिकाएँ
(ब) मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु
(स) अनुकम्पी तथा परानुकम्पी तंत्रिकाएँ
(द) मेडुलेटेड तथा नॉन मेडुलेटेड तंत्रिकाएँ
उत्तर:
(अ) कपालीय तथा मेरु तंत्रिकाएँ
प्रश्न 4.
अण्डाशय की ओर परागनली की वृद्धि किस प्रकार की गति है:
(अ) गुरुत्वानुवर्तन
(ब) प्रकाशानुवर्तन
(स) जलानुवर्तन
(द) रसायन अनुवर्तन
उत्तर:
(द) रसायन अनुवर्तन
प्रश्न 5.
मटर के प्रतान आधार पर या सहारे से लिपट जाते हैं, यह किसका अच्छा उदाहरण है:
(अ) अनुकुंचन गतियाँ
(ब) रसायनानुवर्तन
(स) स्पर्शानुवर्तन
(द) प्रकाशानुवर्तन
उत्तर:
(स) स्पर्शानुवर्तन
प्रश्न 6.
छुई - मुई (Mimosa pudica) की पत्तियाँ छूने से लटक जाती हैं, क्यों?
(अ) पत्ती के ऊतक की क्षति होती है।
(ब) पौधे में स्नायु तंत्र होता है।
(स) पत्तियाँ कोमल होती हैं।
(द) पर्णाधार पर स्फीत दाब बदलता है।
उत्तर:
(द) पर्णाधार पर स्फीत दाब बदलता है।
प्रश्न 7.
पत्तियों का मुरझाना निम्न में से किसके प्रभाव से होता है:
(अ) एसिसिक अम्ल
(ब) ऑक्सिन
(स) साइटोकाइनिन
(द) जिब्रेलिन
उत्तर:
(अ) एसिसिक अम्ल
प्रश्न 8.
फल एवं बीजों में निम्न में से किस हार्मोन की सान्द्रता अधिक होती है?
(अ) साइटोकॉइनिन
(ब) ऑक्सिन
(स) जिब्बेरेलिन
(द) एब्सिसिक अम्ल
उत्तर:
(अ) साइटोकॉइनिन
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अधिवृक्क ग्रन्थि से कौनसा हार्मोन स्रावित होता है? हार्मोन का एक कार्य लिखिए।
उत्तर:
अधिवृक्क ग्रन्थि से एड्रीनलीन हार्मोन स्रावित होता है। हार्मोन का कार्य - हार्मोन कोशिकाओं के कार्यों पर नियंत्रण रखते हुए समन्वय स्थापित करता है।
प्रश्न 2.
कोशिका विभाजन को प्रेरित करने वाला मुख्य पादप हार्मोन कौनसा है?
उत्तर:
साइटोकाइनिन (Cytokinin) ।
प्रश्न 3.
मानव शरीर का मुख्य समन्वय केन्द्र कौन सा अंग है?
उत्तर:
मस्तिष्क शरीर का मुख्य समन्वय केन्द्र है।
प्रश्न 4.
केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का मुख्य कार्य क्या है?
उत्तर:
यह शरीर के सभी भागों से सूचनाएँ प्राप्त कर उनका समाकलन करता है।
प्रश्न 5.
प्रतिवर्ती क्रिया को परिभाषित करें तथा कोई एक उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
किसी उद्दीपन के कारण अपने आप शीघ्रता से होने वाली अनैच्छिक क्रियाएँ, प्रतिवर्ती क्रिया कहलाती हैं। जैसे- तेज प्रकाश में अचानक आँखों का बन्द होना।
प्रश्न 6.
इन्सुलिन हार्मोन की कमी से रुधिर के ग्लूकोस स्तर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है, जिससे मधुमेह नामक रोग हो जाता है।
प्रश्न 7.
कौनसा हार्मोन रुधिर में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है?
उत्तर:
इन्सुलिन हार्मोन।
प्रश्न 8.
मानव शरीर में पाई जाने वाली कौनसी ग्रन्थि अन्तःस्रावी और बहिःस्रावी दोनों हैं?
उत्तर:
अग्न्याशय (Pancreas) ।
प्रश्न 9.
पश्च मस्तिष्क के उस भाग का नाम बताइए जो श्वसन को नियंत्रित करता है।
उत्तर:
मस्तिष्क पुच्छ (Medulla oblongata)।
प्रश्न 10.
ऐसी दो गतियों के उदाहरण दीजिए जो वृद्धि से सम्बन्धित नहीं हैं।
उत्तर:
प्रश्न 11.
हमारे शरीर में पाई जाने वाली किन्हीं दो ज्ञानेन्द्रियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 12.
मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु मिलकर कौनसे तंत्रिका तंत्र का निर्माण करते हैं?
उत्तर:
मस्तिष्क तथा मेरुरज्जु मिलकर केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र (Central nervous system) का निर्माण करते हैं।
प्रश्न 13.
मस्तिष्क से निकलने वाली तंत्रिकाएँ क्या कहलाती हैं?
उत्तर:
मस्तिष्क से निकलने वाली तंत्रिकाएँ कपाल तंत्रिकाएँ (Cranial nerves) कहलाती हैं ।
प्रश्न 14.
मस्तिष्क के तीन भागों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 15.
पादप किस प्रकार की गतियाँ दर्शाते हैं?
उत्तर:
पादप दो भिन्न प्रकार की गतियाँ दर्शाते हैं - एक वृद्धि पर आश्रित और दूसरी वृद्धि से मुक्त ।
प्रश्न 16.
पादपों में वृद्धि से मुक्त होने वाली किसी एक गति का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
छुई - मुई के पौधे की पत्तियों में होने वाली स्पर्शानुकंचन गति।
प्रश्न 17.
पादपों में हॉर्मोन का संचरण किस प्रकार होता है?
उत्तर:
पादपों में हॉर्मोन साधारण विसरण द्वारा क्रिया क्षेत्र तक पहुँचते हैं।
प्रश्न 18.
ऑक्सिन हार्मोन प्ररोह के किस भाग में संश्लेषित होते हैं?
उत्तर:
ऑक्सिन हार्मोन प्ररोह के अग्र भाग (टिप) में संश्लेषित होते हैं।
प्रश्न 19.
पादप हार्मोन कौनसी वृद्धि को नियंत्रित करते हैं?
उत्तर:
पादप हार्मोन दिशिक वृद्धि को नियंत्रित करते हैं।
प्रश्न 20.
शरीर की सबसे बड़ी अन्तःस्रावी ग्रन्थि का नाम लिखिए।
उत्तर:
शरीर की सबसे बड़ी अन्तःस्रावी ग्रन्थि थायरॉइड ग्रन्थि (Thyroid gland) है।
प्रश्न 21.
कौनसा ग्राही अंग संतुलन से सम्बन्धित है?
उत्तर:
अन्तःकर्ण (Internal Ear) संतुलन से सम्बन्धित है।
प्रश्न 22.
मस्तिष्क का मुख्य सोचने वाला भाग कौनसा है?
उत्तर:
मस्तिष्क का मुख्य सोचने वाला भाग अग्रमस्तिष्क है।
प्रश्न 23.
पेशी कोशिका कैसे गति करती है?
उत्तर:
पेशी कोशिकाएँ अपनी आकृति बदलकर गति करती हैं।
प्रश्न 24.
पेशी कोशिकाएँ अपनी आकृति कैसे बदलती हैं?
उत्तर:
पेशी कोशिकाओं में विशेष प्रकार की प्रोटीन होती है जो पेशी कोशिकाओं की आकृति तथा व्यवस्था दोनों को ही बदल देती है।
प्रश्न 25.
मोचक हॉर्मोन का कार्य बताइए।
उत्तर:
मोचक हॉर्मोन पीट्यूटरी ग्रंथि से हॉर्मोन के स्राव को प्रेरित करता है।
प्रश्न 26.
किस हार्मोन द्वारा नर में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों (Secondary Sexual Character) का निर्माण होता है?
उत्तर:
टेस्टोस्टीरोन (Testosterone) हार्मोन (नर हार्मोन) द्वारा नर में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का निर्माण होता है।
प्रश्न 27.
तंत्रिका - तंत्र (Nervous system) किसे कहते हैं?
उत्तर:
प्राणी का वह अंग-तंत्र जो शरीर के भीतर की तमाम कार्यिकीय प्रणालियों का नियमन एवं नियंत्रण करता है, तंत्रिका तंत्र कहलाता है।
प्रश्न 28.
संवेदी अंग किसे कहते हैं? कोई एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
संवेदी अंग वे होते हैं जो बाहरी पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों को पहचान लेते हैं। उदाहरण- आँख, नाक एवं कर्ण।
प्रश्न 29.
एक तंत्रिका कोशिका के एक्सॉन की अन्तिम शाखाओं और दूसरी तंत्रिका के कोशिकाकाय अथवा डेंड्राइटों के बीच की सन्धि को क्या कहते हैं?
उत्तर:
सिनैप्स (Synapse)।
प्रश्न 30.
मेरुरज्जु की रक्षा कौन करता है?
उत्तर:
मेरुरज्जु की रक्षा कशेरुक दंड (Vertebral column) या रीढ़ की हड्डी करती है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
शरीर में तंत्रिका आवेग की यात्रा की सामान्य योजना क्या है?
उत्तर:
पर्यावरण से सभी सूचनाओं का पता कुछ तंत्रिका कोशिकाओं के विशिष्टीकृत सिरों - द्रुमाकृतिक सिरों द्वारा लगाया जाता है और यह एक रासायनिक क्रिया द्वारा विद्युत आवेग पैदा करता है। यह आवेग द्रुमिका से कोशिकाकाय तक जाता है और तब तंत्रिकाक्ष (एक्सॉन) में होता हुआ इसके अंतिम सिरे तक पहुँच जाता है। एक्सॉन के अंत में विद्युत आवेग कुछ रसायनों का विमोचन कराता है। ये रसायन रिक्त स्थान या सिनेप्स (सिनेप्टिक दरार) को पार करते हैं और अगली तंत्रिका कोशिका की दुमिका में इसी तरह का विद्युत आवेग प्रारंभ करते हैं। यह शरीर में तंत्रिका आवेग की यात्रा की सामान्य योजना है।
प्रश्न 2.
मनुष्य में बौनेपन का क्या कारण है?
उत्तर:
मनुष्य में बौनापन पीयूष ग्रन्थि द्वारा स्रावित वृद्धि हार्मोन (GH) की कमी से होता है। वृद्धि हार्मोन हमारे शरीर की अस्थियों तथा ऊतकों की वृद्धि को नियंत्रित करता है। अगर बाल्यावस्था में इस हार्मोन के स्राव में कमी हो जाती है, तो मनुष्य में बौनापन आ जाता है।
प्रश्न 3.
प्रकाशानुवर्तन और गुरुत्वानुवर्तन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
पादप के प्ररोह तंत्र के द्वारा प्रकाश स्रोत की दिशा में गति करना प्रकाशानुवर्तन कहलाता है, जबकि पौधे के किसी भाग का पृथ्वी के गुरुत्व की ओर अथवा उसके विपरीत दिशा में गति करने को गुरुत्वानुवर्तन कहते हैं। जैसे- तने का ऊपर की ओर तथा जड़ का नीचे की ओर वृद्धि करना।
प्रश्न 4.
पर्यावरण में होने वाले परिवर्तनों का ज्ञान हमारे शरीर को किस प्रकार होता है?
उत्तर:
हमारे पर्यावरण से सभी सूचनाओं का पता कुछ तंत्रिका कोशिकाओं के विशिष्टीकृत सिरों द्वारा लगाया जाता है। ये ग्राही प्रायः हमारी ज्ञानेन्द्रियों में स्थित होते है, जैसे- आंतरिक कर्ण, नाक, जिह्वा आदि। रस संवेदी ग्राही स्वाद का पता लगाते हैं जबकि घ्राणग्राही गंध का पता लगाते हैं।
प्रश्न 5.
पौधों में प्रकाशानुवर्तन, गुरुत्वानुवर्तन, जलानुवर्तन और रसानुवर्तन का एक - एक उदाहरण लिखें।
उत्तर:
प्रश्न 6.
पीयूष ग्रन्थि को मास्टर ग्रन्थि क्यों कहते हैं?
उत्तर:
यह ग्रन्थि मस्तिष्क के निचले तल से लगी रहती है और मटर के दाने के बराबर बड़ी होती है। इस ग्रन्थि से लगभग 13 प्रकार के हार्मोन्स स्रावित होते हैं, जो हमारे शरीर की विभिन्न क्रियाओं पर नियंत्रण रखते हैं। सामूहिक रूप से यह हार्मोन्स पिट्यूटिराइन हार्मोन' कहलाते हैं । इस ग्रन्थि द्वारा स्रावित कुछ हार्मोन्स हमारे शरीर की अन्य अन्तःस्रावी ग्रन्थियों का नियमन करते हैं। इस कारण इस ग्रन्थि को 'मास्टर ग्रन्थि' भी कहा जाता है।
प्रश्न 7.
किन्हीं तीन पादप हार्मोन का नाम लिखिए एवं प्रत्येक का एक - एक कार्य बताइए।
उत्तर:
तीन पादप हार्मोन्स के नाम एवं कार्य निम्न प्रकार से हैं:
प्रश्न 8.
जन्तुओं में प्रतिवर्ती चाप क्यों विकसित हुआ है? समझाइए।
उत्तर:
अधिकांश जन्तुओं में प्रतिवर्ती चाप इसलिए विकसित हुआ है क्योंकि इनके मस्तिष्क के सोचने का प्रक्रमबहुत तेज नहीं है। वास्तव में अधिकांश जन्तुओं में सोचने के लिए आवश्यक जटिल न्यूरॉन जाल या तो अल्प है या अनुपस्थित होता है। अतः स्पष्ट है कि वास्तविक विचार प्रक्रम की अनुपस्थिति में प्रतिवर्ती चाप का दक्ष कार्यप्रणाली के रूप में विकास हुआ है। यद्यपि जटिल न्यूरॉन जाल के अस्तित्व में आने के बाद भी प्रतिवर्ती चाप तुरन्त अनुक्रिया के लिए अधिक दक्ष प्रणाली के रूप में कार्य करता है।
प्रश्न 9.
परिधीय तंत्रिका तंत्र किसे कहते हैं?
उत्तर:
वह तंत्र जो कपाल तंत्रिकाओं एवं मेरु तंत्रिकाओं से मिलकर बना हो, उसे परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System) कहते हैं।
(i) कपाल तंत्रिकाएँ (Cranial Nerves): मनुष्य के मस्तिष्क से निकलने वाली तंत्रिकाओं को कपाल तंत्रिकाएँ कहते हैं। मनुष्य में बारह जोड़ी कपाल - तंत्रिकाएँ पाई जाती हैं, जिनमें से कुछ संवेदी, कुछ प्रेरक एवं कुछ मिश्रित प्रकार की होती हैं।
(ii) मेरु तंत्रिकाएँ (Spinal Nerves): मेरुरज्जु से निकलने वाली तंत्रिकाओं को मेरु तंत्रिकाएँ कहते हैं। मनुष्य में 31 जोड़ी मेरु तंत्रिकाएँ पाई जाती हैं। ये सभी मेरु तंत्रिकाएँ मिश्रित प्रकार की होती हैं।
प्रश्न 10.
ऐच्छिक क्रियाओं का नियंत्रण किस प्रकार होता है? समझाइए।
अथवा
अग्रमस्तिष्क के कार्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मस्तिष्क का मुख्य सोचने वाले भाग अग्रमस्तिष्क है। इसमें विभिन्न ग्राहियों से संवेदी आवेग (सूचनाएँ) प्राप्त करने के लिए क्षेत्र होते हैं। अग्रमस्तिष्क के अलग - अलग क्षेत्र सुनने, सूंघने, देखने आदि के लिए विशिष्टीकृत हैं। इसमें साहचर्य के क्षेत्र पृथक् होते हैं जहाँ इन संवेदी सूचनाओं, अन्य ग्राही से प्राप्त सूचनाओं एवं पहले से मस्तिष्क में एकत्र सूचनाओं का अर्थ लगाया जाता है। इस सब आधारित, एक निर्णय लिया जाता है कि अनुक्रिया तथा सूचनाएँ प्रेरक क्षेत्र तक पहुँचाई जाएँ जो ऐच्छिक पेशी की गति को नियंत्रित करती हैं।
प्रश्न 11.
हार्मोन एवं एन्जाइम में अन्तर लिखो।
उत्तर:
हार्मोन एवं एन्जाइम में अन्तर:
हार्मोन |
एन्जाइम |
1. हार्मोन किसी क्रिया को उत्तेजित या संदमित करते हैं। |
ये किसी क्रिया में उत्प्रेरक का कार्य करते हैं। |
2. हार्मोन प्रोटीन व स्टिरॉयड, वसा, अम्ल टायरोसिन के समान प्रकृति के होते हैं। |
सभी एन्जाइम प्रोटीन के बने होते हैं। |
3. हार्मोन का अणुभार कम और अणु छोटे होते हैं। |
इनके अणु बड़े और अणुभार अधिक होता है। |
4. हार्मोन रासायनिक क्रियाओं में विघटित हो जाते हैं अतः पुनः भाग नहीं ले सकते हैं। |
एन्जाइम रासायनिक क्रियाओं में विघटित नहीं होते हैं और पुनः भाग ले सकते हैं। |
5. इनका वहन रुधिर द्वारा होता है। |
इनका वहन नलिकाओं द्वारा होता है। |
6. हार्मोन अन्तःस्रावी ग्रन्थियों में स्रावित होते हैं तथा इनका कार्यक्षेत्र उत्पत्ति स्थान से दूर होता है। |
एन्जाइम कोशिका व बहिःस्रावी ग्रन्थियों के स्राव में पाए जाते हैं तथा इनका कार्यक्षेत्र पास होता है। |
7. यह शरीर में संचित नहीं हो सकते। |
यह कुछ समय के लिए संचित हो सकते हैं। |
प्रश्न 12.
कार्य के आधार पर तंत्रिकाओं के प्रकार बताइए।
उत्तर:
कार्य के आधार पर तंत्रिकाएँ तीन प्रकार की होती हैं:
1. संवेदी तंत्रिकाएँ (Sensory Nerves): ऐसी तंत्रिकाएँ जो तंत्रिकीय आवेग को संवेदी अंगों से मस्तिष्क की ओर ले जाती हैं, उन्हें संवेदी तंत्रिकाएँ कहते हैं।
2. प्रेरक तंत्रिकाएँ (Motor Nerves): ऐसी तंत्रिकाएँ जो तंत्रिकीय आवेग को मस्तिष्क से अथवा मेरुरज्जु से अपवाहक अंगों (Effector Organs) तक ले जाती हैं, उन्हें चालक या प्रेरक तंत्रिकाएँ कहते हैं।
3. मिश्रित तंत्रिकाएँ (Mixed Nerves): ऐसी तंत्रिकाएँ जो संवेदी व प्रेरक दोनों के समान कार्य करती हैं अर्थात् संवेदनाओं को मस्तिष्क की ओर तथा मस्तिष्क से पेशियों की ओर ले जाती हैं, उन्हें मिश्रित तंत्रिकाएँ कहते हैं।
प्रश्न 13.
शरीर में सूचना प्रवाह के माध्यम के रूप में विद्युत आवेग के उपयोग के लिए क्या सीमाएँ है?
उत्तर:
प्रश्न 14.
प्रतिवर्ती क्रियाओं के कोई पाँच उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
प्रतिवर्ती क्रियाओं के उदाहरण:
प्रश्न 15.
मानव के अनुमस्तिष्क को नष्ट करने पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
मानव का अनुमस्तिष्क या सेरीबेलम (Cerebellum) मस्तिष्क का दूसरा सबसे बड़ा भाग होता है। यह ऐच्छिक गतियों के लिए आवश्यक पेशियों में समन्वय स्थापित करता है । यह कंकाल पेशियों के समुचित संकुचन द्वारा चलने - फिरने, दौड़ने - लिखने इत्यादि क्रियाओं को आसान बनाता है। यह शरीर को सन्तुलित बनाये रखता है तथा साम्यावस्था का नियमन करता है। यदि अनुमस्तिष्क या सेरीबेलम (Cerebellum) को नष्ट कर दिया जाये तो ऐच्छिक पेशियों का समन्वय नहीं हो पायेगा जिससे ऐच्छिक पेशियों के तनाव का नियमन नहीं होगा। फलस्वरूप शरीर की गतियाँ अनियंत्रित होने लगेंगी।
प्रश्न 16.
तंत्रिका संबंधन के बिना भी शरीर में सूचनाओं का संप्रेषण किस प्रकार हो सकता है? समझाइए।
अथवा
जीवों में रासायनिक संचरण की प्रक्रिया को समझाइए।
उत्तर:
यदि एक विद्युत आवेग जनित करने के अलावा उद्दीपित कोशिकाएँ एक रासायनिक यौगिक निर्मेचित करना प्रारंभ कर दें तो यह यौगिक आस - पास की सभी कोशिकाओं में विसरित हो जाएगा। यदि आस - पास की अन्य कोशिकाओं के पास इस यौगिक को संसूचित (detect) करने के साधन हों तो उनकी सतह पर विशेष अणुओं का उपयोग करके व सूचनाओं का अभिज्ञान (Recognise) करने योग्य होंगे तथा इन्हें संचारित भी करेंगे। हालाँकि यह प्रक्रम बहुत धीमा होगा, लेकिन यह तंत्रिका संबंधन के बिना भी शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुँचेगा तथा इसे अपरिवर्ती तथा स्थायी बनाया जा सकता है।
प्रश्न 17.
अन्तःस्रावी तथा बाह्यस्रावी ग्रन्थियों में अन्तर लिखिए।
उत्तर:
अन्तःस्रावी तथा बाह्यस्रावी ग्रन्थियों में अन्तर:
पादप हार्मोन (Plant Hormone) |
जन्तु हार्मोन (Animal Hormone) |
1. ये ग्रन्थियाँ अपने स्राव को सीधे रक्त में छोड़ती हैं। |
जबकि ये ग्रन्थियाँ अपने स्राव की वाहिनियों में मुक्त करती हैं। |
2. इनके स्रावित पदार्थ को हार्मोन कहते हैं। |
जबकि इनके स्राव को एन्जाइम कहते हैं। |
3. ये नलिकाविहीन होती हैं। |
ये नलिकायुक्त होती हैं। |
4. ये विशेष अंगों की उचित वृद्धि और कार्यों के लिए उत्तरदायी हैं। उदाहरण- पीयूष ग्रन्थि, थॉयराइड ग्रन्थि, एड्रीनल ग्रन्थि । |
ये भोजन एवं बाह्य पदार्थों पर कार्य करने में निपुण होती हैं। उदाहरण- स्वेद ग्रन्थियाँ, दुग्ध ग्रन्थियाँ। |
प्रश्न 18.
यदि किसी स्तनी की अक्टु ग्रन्थि (थॉयराइड ग्रन्थि) निकाल दें, तो कौनसे प्रभाव दृष्टिगोचर होंगे?
उत्तर:
थॉयराइड ग्रन्थि के हार्मोन कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा के उपापचय का शरीर में नियंत्रण तथा कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया के बनने की क्रिया को प्रेरित करते हैं। यह शरीर की वृद्धि तथा हृदय स्पंदन दर को भी नियंत्रित करते हैं । अतः थॉयराइड ग्रन्थि को शरीर से निकाल देने पर उपर्युक्त क्रियाएँ नहीं होंगी तथा इससे स्रावित थायरॉक्सिन हार्मोन की कमी से घेघा, हॉशीमोटो आदि रोग हो जायेंगे।
प्रश्न 19.
तंत्रिका ऊतक कैसे क्रिया करता है? समझाइए।
अथवा
पेशियों में गति की क्रियाविधि को समझाइए।
उत्तर:
तन्त्रिका ऊतक सूचना एकत्र करता है, उन्हें मस्तिष्क में भेजता है, सूचनाओं को संसाधित करता है, सूचनाओं के आधार पर निर्णय लेता है और पेशियों तक क्रिया के लिए निर्णय को संवाहित करता है। जब तंत्रिका आवेग पेशी तक पहुँचता है तो पेशी कोशिकाएँ अपनी आकृति बदलकर गति करती हैं। पेशी कोशिकाओं में विशेष प्रकार की प्रोटीन होती है जो उनकी आकृति तथा व्यवस्था दोनों को ही बदल देती है। कोशिका में यह तंत्रिका विद्युत आवेग की अनुक्रिया के फलस्वरूप होता है। जब यह घटना होती है तो इन प्रोटीन की नयी व्यवस्था पेशी को नयी आकृति देती है।
प्रश्न 20.
उत्तेजना तथा विपत्ति के समय रुधिर में किस हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है? उस हार्मोन के अतिस्राव के शरीर में होने वाले परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
उत्तेजना तथा विपत्ति के समय रक्त में एड्रीनल ग्रन्थि के मेड्यूला से स्रावित एड्रीनिलीन या एपीनेफ्रिन (Epinephrine) नामक हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है। यह हार्मोन संकटकालीन परिस्थितियों में प्राणी को संकट से सामना करने के लिए तैयार करता है।
अतिस्राव से शरीर में होने वाले परिवर्तन निम्न हैं:
विशेष:
यह हार्मोन लड़ाई (Fight), पलायन (Flight) तथा भय (Fear) के समय अधिक स्रावित होकर जन्तुओं को इन प्रतिकूल परिस्थितियों के प्रति तैयार करता है इसलिए इस हार्मोन को 3F = FFF हार्मोन तथा इस ग्रन्थि को FFF ग्रन्थि भी कहते हैं।
प्रश्न 21.
मनुष्य में पाये जाने वाले नर हार्मोन (टेस्टोस्टेरॉन) के कोई चार कार्य लिखिए।
उत्तर:
नर हार्मोन (टेस्टोस्टेरॉन) के चार कार्य:
प्रश्न 22.
पादपों में न तो कोई तंत्रिका ऊतक है और न ही कोई पेशी ऊतक, फिर पादप कैसे स्पर्श का संसूचन करता है और किस प्रकार अनुक्रिया में पादप अंग गति करते हैं?
अथवा
छुई - मुई के पौधे में होने वाली गति को समझाइए।
उत्तर:
छुई - मुई के पौधे की गति वृद्धि से संबंधित नहीं है, बल्कि पादप को स्पर्श की अनुक्रिया के फलस्वरूप अपनी पत्तियों में गति करनी चाहिए। पौधे को जिस बिंदु पर छुआ जाता है और पौधे के जिस भाग में गति होती है । वह दोनों भिन्न है। अतः स्पर्श होने की सूचना संचारित होनी चाहिए। पादप इस सूचना को एक कोशिका से दूसरी कोशिका तक संचारित करने के लिए वैद्युत - रसायन साधन का उपयोग भी करते हैं लेकिन जंतुओं की तरह पादप में सूचनाओं के चालन के लिए कोई विशिष्टीकृत ऊतक नहीं होते हैं । अतः जंतुओं की तरह ही गति करने के लिए कुछ कोशिकाओं को अपनी आकृति बदल लेनी चाहिए। पादप कोशिकाओं में जंतु पेशी कोशिकाओं की तरह विशिष्टीकृत प्रोटीन तो नहीं होती अपितु वे जल की मात्रा में परिवर्तन करके अपनी आकृति बदल लेती है परिणामस्वरूप फूलने या सिकुड़ने में उनका आकार बदल जाता है।
प्रश्न 23.
मेहंदी की झाड़ियों को अधिक घनी बनाने के लिए माली उनकी शाखाओं के शीर्ष काट देता है, क्यों?
उत्तर:
जब मुख्य स्तम्भ के शीर्ष पर लगी कलिका वृद्धि करती रहती है तो मुख्य स्तम्भ के नीचे लगी पार्श्व कक्षीय कलिकाओं की वृद्धि नहीं हो पाती। इसे शीर्ष प्रमुखता कहते हैं। अतः पार्श्व कलिकाओं की उचित वृद्धि हेतु माली झाड़ियों की शीर्ष कलिकाओं को काट देता है, इससे वे सघन हो जाती हैं।
प्रश्न 24.
वृद्धि निरोधक पदार्थ किसे कहते हैं? वृद्धि निरोधक के कार्य लिखिए।
उत्तर:
वृद्धि निरोधक पदार्थ (Growth Inhibitor Substances):
पादप वृद्धि हार्मोन पौधों की वृद्धि को प्रेरित करते हैं, परन्तु कुछ ऐसे भी रसायन या पदार्थ हैं जो वृद्धि को संदमित करते हैं । ऐसे पदार्थों को वृद्धि निरोधक पदार्थ (Growth Inhibitor) कहते हैं। यद्यपि इथाइलीन फलों को पकाने में उपयोगी है किन्तु यह वृद्धि रोधक का कार्य करता है। एब्सिसिक अम्ल भी वृद्धि रोधक है। यह अम्ल प्राकृतिक रूप से पादपों में पाया जाता है। इसे स्ट्रेस हार्मोन (Stress Hormone) भी कहते हैं।
एब्सिसिक अम्ल के कार्य:
प्रश्न 25.
शीर्षस्थ प्रभाविता क्या होती है?
अथवा
एक पौधा लम्बाई में तो सामान्य वृद्धि कर रहा है लेकिन इसकी पार्श्व शाखाएँ विकसित नहीं हो रही हैं। ऐसा क्यों होता है? आप पौधे की पार्श्व शाखाओं के विकास हेतु क्या सुझाव देंगे?
उत्तर:
प्रायः पौधों में शीर्षस्थ कलिका की उपस्थिति में पार्श्व व कक्षस्थ कलिकाओं की वृद्धि पूर्णरूप से या आंशिक रूप से अवरुद्ध हो जाती है। इस लक्षण को शीर्षस्थ प्रभाविता कहते हैं। यह ऑक्सिन नामक पादप हार्मोन का एक प्रमुख गुण है। ऑक्सिन प्ररोह शीर्ष में स्रावित होता है। इसके प्रभाव से प्ररोह पर स्थित कक्षस्थ/ पार्श्व कलिकाओं की वृद्धि रुक जाती है और पौधे में शीर्ष वृद्धि अधिक होती है। यदि शीर्षस्थ कलिका को हटा दिया जाए तो पार्श्व या कक्षस्थ कलिकायें विकसित होने लगती हैं।
प्रश्न 26.
हॉर्मोन स्रावण की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है? समझाइए।
अथवा
हॉर्मोन नियंत्रण पुनर्भरण क्रियाविधि को समझाइए।
उत्तर:
हॉर्मोन का स्रावण परिशुद्ध मात्रा में होना चाहिए अन्यथा कई हानिकारक प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं। इसलिए स्रावित होने वाले हॉर्मोन का समय और मात्रा का नियंत्रण पुनर्भरण क्रियाविधि से किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि रुधिर में शर्करा स्तर बढ़ जाता है तो इसे अग्न्याशय की कोशिका संसूचित (detect) कर लेती है तथा इसकी अनुक्रिया में अधिक इंसुलिन स्रावित करती है। जब रुधिर में शर्करा स्तर कम हो जाता है तो इंसुलिन का स्रावण कम हो जाता है।
प्रश्न 27.
मादा में पाये जाने वाले एस्ट्रोजन हार्मोन के कार्य लिखिए।
उत्तर:
एस्ट्रोजन हार्मोन के कार्य:
प्रश्न 28.
प्रेरित गतियाँ किसे कहते हैं? रसायन अनुचालन को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
प्रेरित गतियाँ (Induced movements): प्रेरित गतियाँ बाह्य उद्दीपकों द्वारा प्रेरित होती हैं व इन गतियों को अनुचलनीय गतियाँ भी कहते हैं। प्रकाश, रासायनिक पदार्थ या ताप इन गतियों को प्रेरित करने वाले उद्दीपक हो सकते हैं। गति की दिशा उद्दीपक के स्रोत पर निर्भर रहती है।
रसायन अनुचलन (Chemotaxis movements): रासायनिक उद्दीपन की अनुक्रिया के कारण जीव में जो गति होती है, उसे रसायन अनुचलन कहते हैं। फर्ने व मॉस पादपों के पुमणु, स्त्रीधानी द्वारा स्रावित विशेष रासायनिक पदार्थ मैलिक अम्ल के कारण अण्ड कोशिका की ओर गति करते हैं।
प्रश्न 29.
गुरुत्वानुवर्तन किसे कहते हैं? समझाइए।
उत्तर:
पादप विभिन्न उद्दीपनों के लिए अनुक्रिया करके अनुवर्तन दिखाते हैं। पर्यावरणीय प्रेरण जैसे प्रकाश या गुरुत्व पादप की वृद्धि वाले भाग में दिशा परिवर्तित कर देते हैं। ये दिशिक या अनुवर्तन गतियाँ उद्दीपन की ओर या इससे विपरीत दिशा में हो सकती हैं। वस्तुतः एक पादप की जड़ सदैव नीचे की ओर वृद्धि करती है जबकि प्ररोह प्रायः ऊपर की ओर तथा पृथ्वी से दूर वृद्धि करके अनुक्रिया करते हैं।
यह प्ररोह तथा जड़ में क्रमशः उपरिगामी तथा अधोगामी वृद्धि पृथ्वी या गुरुत्व के खिंचाव की अनुक्रिया गुरुत्वानुवर्तन है। (देखिए ऊपर चित्र में) अतः पौधे के किसी भाग का पृथ्वी के गुरुत्व की ओर अथवा उसके विपरीत गति गुरुत्वानुवर्तन (Geotropism) कहलाती है।
प्रश्न 30.
विभिन्न अन्तःस्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्रावित हॉर्मोन तथा उनके कार्य बताइए।
उत्तर:
हॉर्मोन अंतःस्रावी ग्रंथियों द्वारा स्रावित किये जाते हैं जिनके विशिष्ट कार्य होते हैं। जैसे:
अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ |
हॉर्मोन |
कार्य |
1. पीयूष ग्रंथि (पीट्यूटरी) |
वृद्धि हॉर्मोन |
सभी अंगों में वृद्धि प्रेरित करती है। |
2. हाइपोथैलेमस |
मोचक हॉर्मोन |
पीट्यूटरी ग्रंथि से हॉर्मोन के स्राव को प्रेरित करता है। |
3. थायरॉइड ग्रंथि |
थायरॉक्सिन |
शरीर की वृद्धि के लिए उपापचय का नियमन करता है। |
4. अग्न्याशय |
इंसुलिन |
रक्त में शर्करा स्तर का नियमन करता है। |
5. वृषण |
टेस्टेस्टेरॉन |
नर में लैंगिक लक्षणों का विकास करता है। |
6. अण्डाशय |
एस्ट्रोजन |
मादा में लैंगिक अंगों का विकास व मासिक चक्र का नियमन करता है। |
7. एड्रीनल ग्रंथि |
एड्रीनलीन |
शरीर को विषम परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार करता है |
प्रश्न 31.
पादप हार्मोन एवं जन्तु हार्मोन में कोई चार अन्तर लिखिए।
उत्तर:
पादप हार्मोन एव जन्तु हार्मोन में अन्तर (Differences between Plant and Animal Hormones):
पादप हार्मोन (Plant Hormone) |
जन्तु हार्मोन (Animal Hormone) |
1. पादप हार्मोन के स्रावण के लिए कोई विशिष्ट ग्रन्थि नहीं होती है। |
जबकि जन्तु हार्मोन अन्तःस्रावी ग्रन्थियों द्वारा स्रावित किए जाते हैं। |
2. ये संख्या में कम होते हैं। |
ये विभिन्न प्रकार के होते हैं। |
3. ये वृद्धि एवं विकास का नियमन करते हैं। |
ये प्रत्येक प्रकार के कार्यों का नियमन करते हैं, जिसमें वृद्धि एवं विकास भी सम्मिलित हैं। |
4. उदाहरण-ऑक्सिन, जिब्बेरेलिन । |
उदाहरण-वृद्धि हार्मोन, थायरॉक्सिन हार्मोन। |
प्रश्न 32.
सिनैप्स किसे कहते हैं? समझाइए।
उत्तर:
एक तंत्रिका कोशिका का एक्सॉन अगली तंत्रिका कोशिका के डेंड्राइटों के समीप स्थित होता है। दो तंत्रिकाकोशिकाओं की इस संधि को सिनैप्स कहते हैं। सिनैप्स पर एक तंत्रिका कोशिका के एक्सॉन - सिरे तथा दूसरी तंत्रिका कोशिका के डेंड्राइट के बीच थोड़ा - सा अवकाश होता है। इस अवकाश को सिनैप्स दरार (Synaptic cleft) कहते हैं। सिनेप्सों में से आवेग एक तंत्रिका - कोशिका से अगली तंत्रिका कोशिका में पहुँचता है। जब कोई आवेग किसी एक तंत्रिका कोशिका के एक्सॉन के सिरे पर पहुँच जाता है तब एक रसायन सिनैप्स की सिनैप्सदरार में विमोचित होता है और यह पदार्थ भी आगे न्यूरोन में आवेग पैदा करता है।
प्रश्न 33.
सिनैप्स क्या करता है? समझाइए।
उत्तर:
सिनैप्स निम्न कार्य करता है:
प्रश्न 34.
प्रतिवर्ती क्रिया के लाभ बताइए।
उत्तर:
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
तंत्रिका पेशीय संधि का नामांकित चित्र बनाते हुए इसकी क्रियाविधि को समझाइए।
उत्तर:
तंत्रिका कोशिका के अंतिम सिरे तथा पेशी कोशिका के मध्य संधि स्थल पर रिक्त स्थान पाया जाता है जिसे सिनेप्स कहते हैं | जब तंत्रिका कोशिका में विद्युत आवेग इसके अंतिम सिरे तक पहुँच जाता है तो विद्युत आवेग कुछ रसायनों का विमोचन कराता है। ये रसायन सिनेप्स को पार कर पेशी कोशिका तक पहुँच कर विद्युत आवेग प्रारंभ करते हैं जो पेशी कोशिका में संकुचन को प्रेरित करता है।
प्रश्न 2.
प्रतिवर्ती क्रिया तथा प्रतिवर्ती चाप क्या है? इस क्रिया को उदाहरण देकर समझाइए तथा इस क्रिया से होने वाले लाभ लिखिए।
उत्तर:
बाह्य परिवर्तनों अर्थात् उद्दीपनों के प्रति प्राणियों की प्रक्रियाएँ दो प्रकार की होती हैं - ऐच्छिक एवं अनैच्छिक । अनैच्छिक क्रियाएँ प्राणी की इच्छाशक्ति के अधीन नहीं होती हैं। किसी गर्म वस्तु के छूने अथवा सुई या कांटा चुभने पर हम तुरन्त अपने हाथ व पैर को हटाते हैं। किसी उद्दीपन के प्रति इस प्रकार की अचानक होने वाली प्रतिक्रिया ही प्रतिवर्ती क्रिया कहलाती है। इन क्रियाओं का संचालन मेरुरज्जु द्वारा होता है। प्रतिवर्ती क्रियाओं में संवेदी अंग उद्दीपन को ग्रहण कर संवेदी तंतुओं द्वारा मेरुरज्जु तक पहुँचाते हैं, इसके फलस्वरूप मेरुरज्जु से अनुक्रिया के लिए आवेश चालक तन्तुओं द्वारा सम्बन्धित मांसपेशियों को मिलता है और अंग अनुक्रिया करता है। इस प्रकार संवेदी अंगों से, संवेदनाओं को संवेदी तंतुओं द्वारा मेरुरज्जु तक आने या मेरुरज्जु से प्रेरणा के रूप में अनुक्रिया करने वाले अंगों की मांसपेशियों तक संदेश पहुँचाने वाले मार्ग को प्रतिवर्ती चाप (Reflex arc) तथा होने वाली क्रिया को प्रतिवर्ती क्रिया कहते हैं।
प्रश्न 3.
जंतु अपने शरीर को विषम परिस्थिति से लड़ने या भाग जाने के लिए किस प्रकार तैयार करते हैं?
उत्त:
जंतु जब विषम परिस्थिति में होते हैं तो वे अपना शरीर लड़ने के लिए या भाग जाने के लिए तैयार करते हैं। दोनों ही बहुत जटिल क्रियाएँ हैं जिसे नियंत्रित तरीके से अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अनेक प्रकार के ऊतकों का उपयोग होता है तथा उनकी एकीकृत क्रियाएँ मिलकर ये कार्य करती हैं । यद्यपि लड़ना या दौड़ना, दो एकांतर क्रियाएँ एक - दूसरे से बिल्कुल भिन्न हैं परन्तु कुछ सामान्य तैयारियाँ दोनों के लिए की जाती हैं।
यह एड्रीनल (अधिवृक्क) ग्रन्थि से स्रावित एड्रीनलीन हॉर्मोन द्वारा किया जाता है। एड्रीनलीन सीधा रुधिर में स्रावित हो जाता है और शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचा दिया जाता है। हृदय सहित यह लक्ष्य अंगों या विशिष्ट ऊतकों पर कार्य करता है। परिणामस्वरूप हृदय की धड़कन बढ़ जाती है ताकि पेशियों को अधिक ऑक्सीजन की आपूर्ति हो सके । पाचन तंत्र तथा त्वचा में रुधिर की आपूर्ति कम हो जाती है क्योंकि इन अंगों की छोटी धमनियों के आसपास की पेशियाँ सिकुड़ जाती हैं। यह रुधिर की दिशा कंकाल पेशियों की ओर कर देता है। डायफ्राम तथा पसलियों की पेशी के संकुचन से श्वसन दर भी बढ़ जाती है। ये सभी अनुक्रियाएँ मिलकर जंतु शरीर को स्थिति से निपटने के लिए तैयार करती हैं।
प्रश्न 4.
अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ क्या हैं? मनुष्य में पाई जाने वाली ग्रन्थियों के नाम लिखकर उनकी अवस्थिति को चित्र की सहायता से बताइए एवं किन्हीं दो ग्रन्थियों से स्रावित हार्मोन के कार्य लिखिए।
उत्तर:
अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ (Endocrine glands): ये ग्रन्थियाँ अपना स्राव सीधे रक्त में छोड़ती हैं क्योंकि इनमें नलिका का अभाव होता है, इसीलिए इन्हें नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ भी कहते हैं। इन ग्रन्थियों के स्राव को हार्मोन कहते हैं। मनुष्य में निम्न अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ पाई जाती हैं एवं इनकी अवस्थिति निम्न प्रकार से है-(देखिए आगे चित्र में)
(1) थायरॉइड ग्रन्थि:
यह ग्रन्थि मनुष्य के गले में श्वास नलिका ट्रेकिया के दोनों ओर लैरिंक्स के नीचे स्थित होती है। इससे निकलने वाला हार्मोन थाइरॉक्सिन एवं ट्रायोडोथाइरोनिन है। इनमें आयोडीन अधिक मात्रा में होता है। थाइरॉक्सिन हार्मोन के कार्य निम्न हैं:
(2) अग्न्याशय: यह मानव शरीर की दूसरी सबसे बड़ी ग्रन्थि है। यह एक साथ अन्तःस्रावी और बहिःस्रावी दोनों प्रकार की ग्रन्थि है। इसके द्वारा स्रावित इन्सुलिन हार्मोन निम्न कार्य करता है:
प्रश्न 5.
जंतुओं में समन्वित वृद्धि में हॉर्मोन कैसे सहायता करते हैं? समझाइए।
उत्तर:
जंतु प्रकाश या गुरुत्व पर आश्रित किसी एक दिशा में अधिक वृद्धि नहीं करते हैं बल्कि जंतु शरीर में सावधानीपूर्वक नियंत्रित स्थानों पर वृद्धि होती है। जंतुओं में इस प्रकार की समन्वित वृद्धि में हॉर्मोन सहायता करते हैं। इसे कुछ उदाहरणों द्वारा समझा जा सकता है। जैसे- अवटुग्रंथि थायरॉक्सिन हॉर्मोन स्रावित करती है जो कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा के उपापचय का शरीर में नियंत्रण करता है ताकि वृद्धि के लिए उत्कृष्ट संतुलन उपलब्ध कराया जा सके। इसी प्रकार पीयूष ग्रंथि से स्रावित होने वाला वृद्धि हॉर्मोन शरीर की वृद्धि और विकास को नियंत्रित करता है। यदि बाल्यकाल में इस हॉर्मोन की कमी हो जाती है तो यह बौनापन का कारण बनता है।
नर में टेस्टोस्टेरोन तथा मादा में एस्ट्रोजन का स्रावण होता है जो यौवनारंभ से संबद्ध परिवर्तनों को प्रेरित करते हैं | इसी प्रकार अग्न्याशय द्वारा उत्पादित इंसुलिन हॉर्मोन रुधिर में शर्करा स्तर को नियंत्रित करने में सहायता करता है। यदि यह उचित मात्रा में स्रावित नहीं होता है तो रुधिर में शर्करा स्तर बढ़ जाता है और कई हानिकारक प्रभाव का कारण बनता है।
प्रश्न 6.
मानव मस्तिष्क का नामांकित चित्र बनाइए। यह कितने भागों में विभेदित किया गया है? प्रत्येक के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मस्तिष्क - मानव मस्तिष्क अत्यन्त विकसित कोमल अंग है, जो खोपड़ी की हड्डियों (skull) में सुरक्षित रहता है। इसके चारों ओर तीन झिल्लियाँ होती हैं, जो एक तरल पदार्थ से घिरी रहती हैं। मस्तिष्क के प्रमुख तीन भाग होते हैं:
1. अग्र मस्तिष्क (Fore Brain): यह पूरे मस्तिष्क का दो - तिहाई भाग होता है। यह मस्तिष्क का प्रमुख भाग है, इसलिए इसे ‘बड़ा मस्तिष्क' भी कहा जाता है।
यह मस्तिष्क का सबसे विकसित भाग है। यह निपुणता, बुद्धिमत्ता, चेतना और स्मरण शक्ति का आधार है। हमारी पाँचों ज्ञानेन्द्रियों (आँख, नाक, कान, त्वचा और जिह्वा) का सीधा सम्बन्ध इसी से होता है। यही उनसे प्राप्त प्रेरणाओं का विश्लेषण और समन्वय करता है । ऐच्छिक क्रियाओं को कराने वाला प्रमुख तंत्र यही है।
अग्रमस्तिष्क के कार्य:
2. मध्य मस्तिष्क: यह दृष्टि एवं श्रवण शक्ति पर नियंत्रण का केन्द्र है।
3. पश्च मस्तिष्क: इसे अनुमस्तिष्क भी कहते हैं। यह शरीर का संतुलन बनाए रखता है अर्थात् यह गतियों का ठीक प्रकार से नियंत्रण करता है। हमारा चलना, दौड़ना, भागना, उठना, बैठना आदि इसी के द्वारा नियंत्रित होता है । अतः यह ऐच्छिक पेशियों के संकुचन पर नियंत्रण करता है और आन्तरिक कान के संतुलन भाग से संवेदनाएँ ग्रहण करता है।