Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 9 English Supplementary Reader Moments Chapter 4 In the Kingdom of Fools Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions Class 9 English are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 9 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Our team has come up with modals exercise for class 9 to ensure that students have basic grammatical knowledge.
Think About It :
Question 1.
What are the two strange things the guru and his disciple find in the Kingdom of Fools?
मूखों के राज्य में गुरु तथा उसके चेले को कौनसी दो अजीब बातें मिलती हैं?
Answer:
The first is that it was broad daylight but there was no one about. Everyone was asleep. Even, the cattle were asleep too. The second is that the whole town woke up . in the evening and in the market everything cost the same, a single duddu - whether it is rice or banana or other grocery.
प्रथम यह है कि यह दिन का समय था फिर भी एक भी व्यक्ति दिखाई नहीं दे रहा था। प्रत्येक सोया हुआ था। यहाँ तक कि पशु भी सोए हुए थे। दूसरा यह कि पूरा कस्बा शाम को जागा और बाजार में भी प्रत्येक वस्तु का दाम समान था, एक डूडू-चाहे यह चावल है या केला है या अन्य खाद्य-सामग्री है।
Question 2.
Why does the disciple decide to stay in the Kingdom of Fools? Is it a good idea?
शिष्य मूखों के राज्य में ठहरने का निश्चय क्यों करता है? क्या यह अच्छा विचार है?
Answer:
The disciple decides to stay in the Kingdom of Fools because of his love for cheap and good food there. It is not a good idea. It is dangerous to live with fools. You never know what they will do to you next.
शिष्य मूों के राज्य में रहने का निश्चय सस्ते व अच्छे भोजन की उपलब्धता के अपने प्रेम के कारण करता है। यह सुविचार नहीं है। मूखों के साथ रहना खतरनाक है। आप नहीं जान पायेंगे कि आगे वे आपके साथ क्या करेंगे।
Question 3.
Name all the people who are tried in the King's court, and give the reasons for their trial.
उन सब व्यक्तियों के नाम बताओ जिन्हें दरबार में मुकदमे के लिए बुलाया जाता है और उन पर मुकदमे का कारण भी बताओ।
Answer:
First of all the merchant whose wall collapsed causing thief's death was called for getting such a weak wall constructed. He put the blame on the mason who built the wall. The mason was called. He told that his attention was diverted by a dancing girl who kept on going up and down the street. So the fault was of the dancing girl.
The dancing girl when called, put the blame on the goldsmith who made her walk up and down the street several times making false promises. The goldsmith passed on the blame to the rich merchant who had ordered to make jewellery for him urgently. This merchant happened to be the original owner of the house whose wall had collapsed and killed the thief. But he had died so his son was called again and sentenced to be hanged.
सर्वप्रथम, उस व्यापारी/सौदागर को बुलाया गया जिसने इतनी कमजोर दीवार बनवाई थी कि वह गिर गई थी। उसने, दीवार बनाने वाले कारीगर पर दोषारोपण कर दिया। कारीगर को बुलाया गया। उसने बताया कि उसका ध्यान एक नर्तकी ने बाँट दिया था। जो बार-बार गली से ऊपर-नीचे जाती थी।
नर्तकी को जब बुलाया गया तो उसने सुनार पर आरोप लगाया जो झूठे वादों से आभूषणों के लिए बार-बार गली से ऊपर-नीचे जाने को बाध्य करता था। सुनार ने उस समृद्ध व्यवसायी पर आरोप लगाया जिसने अर्जेन्ट आभूषण तैयार करवाने का आदेश दिया हुआ था। संयोग से यह व्यापारी उस ही घर का वास्तविक मालिक था जिसकी दीवार गिरी थी और चोर को मार दिया था। किन्तु वह मर चुका था इसलिए उसके पुत्र को पुनः बुलाया गया और फाँसी की सजा सुनाई गई।
Question 4.
Who is the real culprit according to the king? Why does he escape punishment?
राजा के अनुसार असली अपराधी कौन है? वह राजा से कैसे बच जाता है?
Answer:
The rich merchant whose wall collapses and kills the burglar is the real culprit. He escapes punishment because he is too thin to fit in the newly made stake.
समृद्ध व्यवसायी, जिसकी दीवार गिरती है और सेंधमार को मार देती है, वास्तविक दोषी है। वह सजा से बच जाता है क्योंकि वह इतना पतला था कि नये बनाये फाँसी के तख्ते में नहीं आ सकता था।
Question 5.
What are the Guru's words of wisdom? When does the disciple remember them?
गुरु की बुद्धिमत्ता के शब्द क्या थे? शिष्य ने यह कब महसूस किया?
Answer:
Guru's word of wisdom are; “this is no place for us; let's go; they are all fools; this won't last very long; you can't tell what they'll do to you next. The disciple remembers them when the king's men found him fit for the stake without his fault.
गुरु के बुद्धिमानी के शब्द हैं; "यह स्थान हमारे लिए नहीं है; चलो चलते हैं; वे सभी मूर्ख हैं; यह बात लम्बे समय चलने वाली नहीं; आप नहीं बता सकते कि आगे वे आपके साथ क्या करेंगे।" शिष्य तब याद करता है जब बिना उसकी गलती के राजा के आदमी उसे सूली पर चढ़ाने को फिट पाते हैं।
Question 6.
How does the guru manage to save his disciple's life?
गुरु अपने शिष्य की जिन्दगी कैसे बचाता है?
Answer:
The guru sees everything in a vision. He arrives at once to save his disciple. He tells something in a whisper to him. Then he requests the king to put him (the guru) to death first because he is greater. The disciple says that he wants death first. Thus, they get into a fight.
The king is puzzled. He asks the guru to solve this mystery. The guru says that whoever dies first will be reborn as the king of this country and whoever dies second will be reborn as the minister of this country. The next day, the king and the minister, owing to greed, put themselves on the stake. Thus, the guru manages to save his disciple.
गुरु मानसिक दृष्टि से प्रत्येक चीज देख लेता है। वह अपने शिष्य को बचाने तुरन्त आता है। वह, शिष्य को कुछ कानाफूसी करता है। फिर वह, राजा से कहता है कि बड़ा होने के कारण गुरु को पहले मृत्यु-दण्ड दिया जाए। शिष्य कहता है कि वह पहले मरना चाहता है। इस प्रकार वे झगड़ने लगते हैं। राजा घबरा जाता है।
वह गुरु से इस रहस्य को बताने को कहता है। गुरु बताता है कि जो पहले मरेगा वह इस देश के राजा के रूप में पुनर्जन्म लेगा और जो दूसरे नम्बर पर मरेगा वह इस देश के मन्त्री के रूप में पुनर्जन्म लेगा। अगले दिन, राजा व मन्त्री, लालच के कारण, अपने आपको सूली पर टॅगवा लेते हैं। इस प्रकार, गुरु अपने शिष्य को बचाने में सफल होता है।
Talk About It :
Q. In Shakespeare's plays the fool is not really foolish. If you have read or seen Shakespeare's plays such as King Lear, As you Like It, Twelfth Night, you may talk about the role of the fool.
Do you know any stories in your language about wise fools, such as Tenali Rama or Gopal Bhar ? You can also read about them in Ramanujan's collection of folk tales.
शेक्सपीयर के नाटकों में मूर्ख वास्तव में मूर्ख नहीं हैं। यदि आपने शेक्सपीयर के कुछ नाटक पढ़े या देखें हैं, जैसे - King Lear, As you Like It, Twelfth Night, तो आप इनमें मूर्ख की भूमिका के बारे में चर्चा करें। क्या आप अपनी भाषा में चतुर मूरों की कोई कहानियाँ जानते हैं, जैसे तेनालीराम या गोपाल भार? आप उन्हें रामानुजन के लोक कहानियों के संग्रह में भी पढ़ सकते हैं।
Answer:
In Shakespeare's plays the fools are not really foolish. They are wise and understanding. Some of their activities do appear to be foolish but we can interpret deeper meaning implicit in them.
Take the example of Orlando in the play “As You Like It’. He seems to be a fool to compete a champion in a wrestling match. But his winning the match reflects his hidden strength and confidence of knowing the art of wrestling.
Again, though he seems to be mad carving Rosalind, the name of his beloved and the poems in her praise on the trees in the forest, yet it reflects his deep love for Rosalind.
In ‘King Lear’ the fool makes fun of those who stick to a great man in his prosperity and forsake him in his adversity.
शेक्सपीयर के नाटकों में मूर्ख वास्तव में मूर्ख नहीं हैं। वे बुद्धिमान और समझदार हैं। उनके कुछ क्रिया-कलाप अवश्य मूर्खतापूर्ण प्रतीत होते हैं, किन्तु हम उनके गम्भीर निहितार्थों की व्याख्या कर सकते हैं।
'As You Like It' नाटक में ऑरलेन्डो का उदाहरण लीजिए। जब वह कुश्ती के लिए एक चैम्पियन से प्रतियोगिता करता है, तो वह मूर्ख प्रतीत होता है। लेकिन उसका कुश्ती जीतना उसकी छिपी हुई शक्ति को तथा मल्ल-कला के ज्ञान के आत्मविश्वास को प्रतिबिम्बित करता है।
पुनः यद्यपि वह जंगल में पेड़ों पर अपनी प्रेमिका के नाम 'रोजलिन्ड' तथा उसकी प्रशंसा में लिखी गयी कविताओं की पच्चीकारी करता हुआ पागल नजर आता है, तथापि यह 'रोजलिन्ड' के प्रति उसके गहन प्रेम को प्रतिबिम्बित करता है। 'किंग लिअर' में मूर्ख उन लोगों की हँसी उड़ाता है जो समृद्धि में तो एक महान व्यक्ति का साथ देते हैं किन्तु बुरे दिनों में उसका साथ छोड़ देते हैं।
Story Once, Tenali Rama sold one small bundle of jute string in five lac rupees. The king had given Tenali Rama this jute bundle to sell out in two lac rupees. Tenali Rama went into a colony and started measuring the big houses of the rich. They asked about the measurement.
Tenali Rama told them that the road would be widened so their houses would be pulled down. They offered money in lacs to leave the houses safe. Tenali Rama collected the money. He gave it to the king who was very happy.
एक बार, तेनाली राम ने जेवड़ी के एक छोटे से बण्डल को पाँच लाख रुपये में बेचा। राजा ने तेनालीराम को यह बण्डल दो लाख में बेचने को दिया था। तेनाली राम एक कालोनी में गया और धनवान लोगों के घरों को इस जेवड़ी से नापना शुरू कर दिया। वे नाप के बारे में पूछने लगे। तेनाली राम ने उनको बताया कि सड़क चौड़ी होगी अतः उनके घर तोड़े जायेंगे। उन्होंने घर को सुरक्षित छोड़ने के लिए लाखों में धन का प्रस्ताव दिया। तेनाली राम ने धन एकत्रित किया। उसने यह (धन) राजा को दिया जो बहुत प्रसन्न हुआ।
I. Short Answer Type Questions :
Question 1.
Why is it decided to execute the disciple?
शिष्य को सूली पर चढ़ाने का निश्चय क्यों किया जाता है?
Answer:
It is decided to execute the disciple because he is found to be fat enough to fit the new stake. As the convicted merchant is somehow too thin to be properly executed on the new stake.
यह निश्चय किया जाता है कि शिष्य को सूली दी जाए क्योंकि वह फाँसी के नये तख्त के लिए पर्याप्त रूप से मोटा व फिट पाया जाता है। क्योंकि दण्डित व्यवसायी कुछ इतना कमजोर है कि उसे ठीक से इस नये तख्त पर फाँसी नहीं दी जा सकती।
Question 2.
Who was finally blamed for the crime and why?
किसे अपराध के लिए अन्तिम रूप से दोषी ठहराया गया और क्यों?
Answer:
The merchant whose wall collapsed and killed the burglar was finally blamed for the crime because according to the king, a son inherits a criminal father's riches and sins.
व्यवसायी जिसकी दीवार गिरी थी और सेंधमार को मारा था, को अन्तिम रूप से दोषी ठहराया जाता है क्योंकि राजा के अनुसार एक अपराधी पिता के पुत्र को ही उसकी (पिता की) सम्पदा व पाप विरासत में मिलते हैं।
Question 3.
Count the changes in the disciple 'In The Kingdom of Fools'.
मूों के राज्य में शिष्य में आये परिवर्तनों की गिनती करें।
Answer:
The changes in the disciple were the following: He grows fat. He looks like a street side sacred bull. He eats his fill everyday-bananas and ghee and rice and wheat.
शिष्य में निम्न परिवर्तन आये : वह मोटा हो जाता है। वह गली के पवित्र सांड के जैसे दिखता है। वह जी-भर कर प्रत्येक दिन खाता है - केले और घी और चावल और गेहूँ।
Question 4.
What do the people do after the death of the king and the minister?
राजा व मन्त्री की मृत्योपरान्त लोग क्या करते हैं? ।
Answer:
After the death of the king and the minister, the people request the guru and the disciple, who are preparing to leave town unnoticed, to become their king and minister.
राजा व मन्त्री की मृत्योपरान्त लोग गुरु व शिष्य, जो कस्बे को चुपचाप छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं, को राजा व मन्त्री बनने का निवेदन करते हैं।
Question 5.
Make an account of the teachings of this folk tale.
इस लोक-कथा की शिक्षाओं का एक लेखा-जोखा बनायें।
Answer:
The guru says that it is imprudent to live in the Kingdom of Fools. It may be dangerous anytime. The disciple realises that he is being executed because he disobeys his guru and surrenders to tongue-taste.
गुरु कहते हैं कि मूरों के राज्य में रहना अविवेकशीलता है। यह कभी भी खतरनाक हो सकता है। शिष्य महसूस करता है कि उसने गुरु की अवज्ञा की है और जीभ के स्वाद के आगे नतमस्तक हुआ है, इनके कारण उसे फाँसी हो रही है।
Question 6.
How did the king and the minister want to run the Kingdom of Fools?
राजा व मन्त्री, 'मूरों के राज्य' को कैसे चलाना चाहते थे?
Answer:
They wanted to run the Kingdom of Fools not like other kings. They ordered to use night as day and day as night. Anyone who disobeyed would be punished with death.
वे 'मूखों के राज्य' को अन्य राजाओं के जैसे नहीं चलाना चाहते थे। उन्होंने रात्रि को दिन के जैसे व दिन को रात्रि के जैसे प्रयोग करने का आदेश दिया। जो कोई भी इसका उल्लंघन करेगा उसे मृत्यु की सजा दी जाएगी।
Question 7.
What complain did the burglar's brother make to the king?
सेंधमार के भाई ने राजा से क्या शिकायत की थी?
Answer:
The burglar's brother complained the king that his brother was pursuing his ancient trade. The weak wall of the house of the merchant fell on him and killed him. The king must punish the merchant and compensate the family.
सेंधमार के भाई ने राजा से शिकायत की कि उसका भाई अपने पुराने धंधे पर था। व्यापारी के घर की कमजोर दीवार उस पर गिर गई और उसे मार डाला। राजा इस व्यापारी को दण्ड दे और परिवार को मुआवजा दिलवाए।
Question 8.
How did the merchant plead his case before the king?
व्यापारी ने राजा के समक्ष अपने केस की वकालत कैसे की?
Answer:
The merchant pleaded before the king that the wall was built in his father's time. The fault is of the bricklayer who built the weak wall. He lived nearby. So, the king should punish the bricklayer.
व्यापारी ने राजा को दलील दी कि वह दीवार उसके पिता के समय बनाई गई थी। यह गलती तो उस राजमिस्त्री की है जिसने कमजोर दीवार बनाई। वह समीप ही रहता था। अतः, राजा को राजमिस्त्री को दण्ड देना चाहिए।
Question 9.
How could bricklayer save himself from the punishment?
राजमिस्त्री स्वयं को दण्ड से कैसे बचा सका?
Answer:
The bricklayer could save himself from the punishment by pleading that a young dancing girl distracted his attention. She went up and down that street all day with her jingling anklets. So, a bad wall got erected.
राजमिस्त्री स्वयं को सजा से यह दलील देकर बचा सका कि एक युवा नर्तकी ने उसका ध्यान भंग कर दिया था, वह दिन भर पायल की झंकार करते हुए उस गली से आती-जाती रहती थी। अतः, एक खराब दीवार का निर्माण हो गया।
Question 10.
How did the dancing girl shift the fault on to the goldsmith?
नर्तकी ने उस गलती को सुनार पर स्थानान्तरित कैसे कर दिया?
Answer:
The dancing girl explained that she gave some gold to the goldsmith to make some jewellery. His false promises made her walk up and down that street all day. So, it is goldsmith's fault.
नर्तकी ने स्पष्ट किया कि उसने सुनार को कुछ सोना, आभूषण बनाने को दिया था। उसके झूठे वादों ने दिन-भर उस गली में उसके चक्कर कटवा दिए। अतः यह सुनार की गलती है।
Question 11.
How did the goldsmith save himself from the punishment?
सुनार ने स्वयं को दण्ड से कैसे बचाया?
Answer:
The goldsmith pleaded that he was to complete the rich merchant's order first. The merchant had a wedding coming and he couldn't wait. So he had to make false promises with the dancing girl. Thus, the fault was of the merchant.
सुनार ने दलील दी कि उसे उस धनी व्यापारी के आर्डर को पहले पूरा करना था। इस व्यापारी के यहाँ एक विवाह होने वाला था और वह प्रतीक्षा नहीं कर सकता था। अतः उसे नर्तकी से झूठे वादे करने पड़े थे। इस प्रकार, गलती उस व्यापारी की थी।
Question 12.
Why couldn't the son of the merchant be hanged?
उस व्यापारी के पुत्र को फांसी क्यों नहीं दी जा सकी?
Answer:
The son of the merchant couldn't be hanged because it occurred to the minister that the rich merchant was too thin to be properly executed on the new stake.
उस व्यापारी के पुत्र को फांसी इसलिए नहीं दी जा सकी क्योंकि मन्त्री को ऐसा लगा कि वह धनी व्यापारी इतना पतला था कि उसे फांसी के नये तख्ते पर ठीक से फांसी नहीं दी जा सकती थी।
Question 13.
How could the Kingdom of Fools become a normal kingdom?
मूखों का राज्य एक सामान्य राज्य कैसे बन सका?
Answer:
After the execution of the foolish king and the silly minister, the people persuaded the guru and his disciple to be the new king and the new minister respectively. Then, they re-established the normal order.
मूर्ख राजा व नासमझ मन्त्री की फांसी के बाद, लोगों ने गुरु व उसके शिष्य से क्रमशः नया राजा व नया मन्त्री बन जाने का आग्रह किया। उन्होंने, तब, सामान्य स्थिति पुनः बहाल कर दी।
II. Long Answer Type Questions :
Question 1.
You can't tell what fools will do to you next. Substantiate.
आप नहीं कह सकते कि मूर्ख आगे आपके साथ क्या करेंगे। प्रमाणित करें।
Answer:
It is evident from the case filed by the burglar's brother and the failed attempt of the disciple's execution. Burglar's brother blames the merchant who blames the bricklayer who blames the dancing girl who blames the goldsmith who blames the rich merchant. The disciple is found fit for the new stake. Thus, fools are inpredictable.
यह सैंधमार के भाई द्वारा दायर किये गये केस व शिष्य को फाँसी देने के विफल प्रयास द्वारा प्रमाणित है। सैंधमार का भाई, व्यवसायी को आरोपित करता है, जो कारीगर को आरोपित करता है, जो नर्तकी को आरोपित करता है, जो सुनार को आरोपित करती है, जो समृद्ध व्यवसायी को आरोपित करता है। शिष्य को भी सूली के नये तख्त के लिए उपयुक्त पाया जाता है। अतः, मूखों के बारे में भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है।
Question 2.
How is 'In The Kingdom of Fools' a folk tale?
यह कहानी एक लोक-कथा कैसे है?
Answer:
A folk tale is a popular old story told from generation to generation. It deals with everyday problem and the common people relate themselves with its characters. These tales are entertaining and instructive. This tale is being told from generations. This is entertaining. It creates suspense and surprise. This is instructive. We shouldn't be greedy and be away from fools.
लोक-कथा एक लोकप्रिय प्राचीन कहानी है जिसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुनाया गया है। यह नित्यप्रति की समस्याओं का समाधान देती है और आम आदमी इनके चरित्रों से अपने को सम्बन्धित करते हैं। ये कथाएँ मनोरंजक व शिक्षाप्रद होती हैं। यह कथा भी पीढ़ियों से सुनाई जा रही है। यह मनोरंजक है। यह रहस्य व विस्मय उत्पन्न करती है। यह शिक्षाप्रद है। हमें लालची नहीं होना चाहिए और मूखों से दूर रहना चाहिए।
Question 3.
How is the life distinct 'In The Kingdom of Fools'?
इस कहानी में जीवन अलग कैसे है?
Answer:
Life in this tale is distinct in this manner-Here, night has been changed into day and day into night. Everyone awakes at night, tills his fields, runs his business only after dark and goes to bed as soon as the sun comes up. Everything costs a duddu whether a measure of rice or a bunch of bananas.
जीवन इस कथा में इस तरह से भिन्न है...यहाँ रात को दिन में व दिन को रात में बदल दिया गया है। प्रत्येक व्यक्ति रात में जागता है, अपने खेत जोतता है, अँधेरे के बाद ही अपना व्यवसाय चलाता है और सोने तब जाता है जब सूर्य निकलता है। प्रत्येक चीज की कीमत एक डूडू है चाहे चावल की कोई मात्रा हो या केलों का एक गुच्छा हो।
Question 4.
How does the kingdom become normal again?
राज्य पुनः सामान्य कैसे बनता है?
Answer:
The kingdom becomes normal again when the guru and the disciple finally agrees to rule the kingdom on the condition that they will change all the old laws. From then on, night becomes again a night and day becomes again a day. Now, one cannot get everything for a duddu. It becomes like any other place.
राज्य तब सामान्य बन जाता है जब गुरु व शिष्य आखिरकार उस राज्य का शासन करने को इस शर्त पर सहमत हो जाते हैं कि वे सभी पुराने नियमों को परिवर्तित करेंगे। और तब से ही, रात, रात बन जाती है और दिन, दिन बन जाता है । अब, एक डूडू में आप सभी चीज नहीं खरीद सकते हैं। यह भी दूसरे स्थानों जैसा बन जाता है।
पाठ के विषय में यह विश्वास किया जाता है कि मूर्ख इतने खतरनाक होते हैं कि केवल बहुत बुद्धिमान लोग ही इनका प्रबन्ध कर सकते हैं (अर्थात् इनसे पार पा सकते हैं)। इस कहानी में मूर्ख कौन हैं? उनके साथ क्या घटित होता है?
कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद
1. In the Kingdom...................you next."
कठिन शब्दार्थ : disobeyed (डिसबेड) = अवज्ञा की, delighted (डिलाइटिड्) = प्रसन्न, disciple (डिसाइप्ल) = शिष्य, stirring (स्ट ) = हिलना/डोलना, strangers (स्ट्रेन्ज(र)) = अजनबी, wander (वॉन्ड(र)) = निष्प्रयोजन घूमना, groceries (ग्रोसरिज्) = खाद्य वस्तुएँ, astonishment (अस्टॉनिश्मन्ट) = विस्मय।।
हिन्दी अनुवाद : मूों के राज्य में, राजा और मंत्री दोनों ही मूर्ख थे। वे अन्य राजाओं की भाँति राज्य संचालन नहीं करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने दिन को रात तथा रात को दिन में बदल देने का निर्णय लिया। उन्होंने आदेश दिया कि हर व्यक्ति रात को जागेगा, अपना खेत जोतेगा तथा अपना व्यवसाय अंधेरा होने के पश्चात् करेगा, तथा जैसे ही सूर्योदय होगा वह सोने चला जायेगा। कोई भी व्यक्ति जो आज्ञा पालन नहीं करेगा उसे मृत्यु-दण्ड दिया जायेगा।
लोगों ने मौत के भय से आज्ञा का पालन किया। राजा तथा मंत्री खुश थे कि उनकी योजना सफल हो गई। एक दिन एक गुरु अपने शिष्य के साथ नगर में आये। नगर सुन्दर था। दिन का प्रकाश फैला हुआ था पर कोई भी व्यक्ति दिखाई नहीं दे रहा था। सभी लोग सोये हुए थे, कोई चूहा तक भी घूमता दिखाई नहीं पड़ रहा था। यहाँ तक कि पशुओं को भी दिन में सोना सिखा दिया गया था। दोनों अजनबी व्यक्तियों ने जो कुछ चारों ओर देखा, उससे हैरान हो गए तथा वे शाम तक भटकते रहे । अचानक सम्पूर्ण नगर जग गया तथा अपने रात्रिकालिक कामों में लग गए। ।
दोनों व्यक्ति भूखे थे। अब चूँकि दुकानें खुल गई थीं, वे खाद्य सामग्री खरीदने निकले। वे विस्मित हो गये, जब उन्होंने पाया कि प्रत्येक वस्तु की कीमत समान थी, मात्र एक डूडू–चाहे वह चावल की माप हो अथवा केले का गुच्छा हो, सभी का मूल्य मात्र एक डूडू था। गुरु तथा उसका शिष्य खुश हो गए। उन्होंने इस प्रकार की स्थिति के बारे में कभी नहीं सुना था। वे अपनी आवश्यकता की सभी खाद्य वस्तुएँ एक रुपये में खरीद सकते थे।
जब वे भोजन पका तथा खा चुके तो गुरु को लगा कि यह तो मूखों का राज्य है तथा यहाँ ठहरना कोई अच्छा विचार नहीं है। "यह स्थान हमारे ठहरने के लिए उपयुक्त नहीं है, चलो, यहाँ से निकल चलें," उन्होंने अपने शिष्य को बोला। पर शिष्य उस स्थान को छोड़कर नहीं जाना चाहता था। यहाँ हर वस्तु सस्ती थी। वह तो अच्छा सस्ता भोजन ही चाहता था। गुरु बोले, "ये सभी मूर्ख हैं। यह स्थिति बहुत समय तक नहीं चल सकेगी, और कोई नहीं बता सकता कि वे तुम्हारे साथ कैसा बर्ताव करें।"
2. But the disciple ....... the house.
कठिन शब्दार्थ : sacred (सेक्रिड्) = पवित्र, bull (बुल्) = सांड, broke into (ब्रोक् इन्ट) = सेंध लगाई, sneaked (स्नीक्ट) = चुपके से आना, pursuing (पॅस्यूइंग) = अनुसरण करते हुए, wrongdoer (रॉङ्डुअ(र)) = गलत करने वाला, compensate (कॉम्पेन्सेट) = क्षतिपूर्ति करना, injustice (इन्जस्टिस्) = अन्याय, summoned (समन्ड) = बुला भेजना।
हिन्दी अनुवाद : पर शिष्य, गुरु की बुद्धिमत्तापूर्ण सलाह सुनने को (अर्थात् मानने को) तैयार नहीं हुआ। वह वहीं रहना चाहता था। अंत में गुरु ने अपना प्रयास छोड़ दिया तथा बोले, "तुम जो जी में आए करो, मैं तो जा रहा हूँ", और वह चले गए। शिष्य उसी राज्य में ठहरा रहा, हर दिन वह पेट भरता रहता-केले, घी तथा चावल, गेहूँ आदि खाता रहता, तथा सड़क के पवित्र साँड की भाँति मोटा हो गया।
एक दिन दिन-दहाड़े, एक चोर ने किसी धनी व्यापारी के घर में सेंध लगा ली। उसने दीवार में छेद किया तथा चुपके से घुस गया, तथा जब वह लूट का माल बाहर लेकर जा रहा था, उस पुराने घर की दीवार उसके सिर पर गिर गई तथा उसी स्थान पर उसकी मृत्यु हो गई। उसका भाई भागकर राजा के पास पहुँचा तथा उसने शिकायत की, "सरकार, जब मेरा भाई अपना पुराना धंधा कर रहा था, तो उसके सिर पर दीवार आ गिरी तथा वह चल बसा।
इसका सारा दोष इस व्यापारी का है। उसे अच्छी मजबूत दीवार बनवानी चाहिए थी। आप इस अपराधी को अवश्य दण्ड दें तथा मेरे परिवार को इस अन्याय के लिए क्षतिपूर्ति करें।" - राजा बोला, "न्याय मिलेगा। चिन्ता मत करो", तथा तुरन्त उसने उस घर के स्वामी को बुला लिया।
3. When the merchant ................... it very well."
कठिन शब्दार्थ : burgled (बग्ल्ड ) = सेंधमारी की, accused (अक्यूज्ड) = अभियुक्त, pleads (प्लीड्ज) = निवेदन करना/तर्क देना, guilty (गिल्टि) = दोषी, murdered (मॅडॅड) = हत्या की, put up (पुट् अप्) = निर्माण करना, built (बिल्ट्) = निर्माण करना, messengers (न्ज(र)ज) = संदेशवाहक, bricklayer (ब्रिक्ले अ(र)) = मिस्त्री, execution (एक्सिक्यूशन्) = फांसी, complicated (कॉमप्लिकेट्ड) = जटिल, distracted (डिस्ट्रैक्टिड्) = ध्यान बांटा।
हिन्दी अनुवाद : जब सौदागर आया, राजा ने उससे प्रश्न किया। "तुम्हारा नाम क्या है?" "अमुक और अमुक, हे राजन।" "क्या जब उस मृतक ने तुम्हारे घर में सेंध लगाई तो तुम घर पर ही थे?" "जी हाँ, महाराज। उसने दीवार में छेद किया तथा दीवार कमजोर थी। वह उस पर गिर गई।"
"अपराधी अपना अपराध स्वीकार करता है। तुम्हारी दीवार ने इस व्यक्ति के भाई की जान ले ली। तुम उसके हत्यारे हो। हमें तुम्हें दण्ड देना होगा।" "सरकार", निरुपाय व्यापारी बोला, "दीवार मैंने नहीं बनाई थी। यह तो वास्तव में उस व्यक्ति का दोष है जिसने दीवार चुनी थी। उसने इसे ठीक से नहीं बनाया। आप उसे दण्ड दें।"
"वह व्यक्ति कौन है?" सरकार, "यह दीवार मेरे पिता के समय बनाई गई थी। मैं उस व्यक्ति को जानता हूँ। वह अब एक वृद्ध व्यक्ति है। वह पास में ही रहता है।" राजा ने अपने दूतों को उस राजमिस्त्री को पकड़ लाने के लिए भेजा जिसने दीवार बनाई थी। दूत उसके हाथ-पाँव बाँधकर उसे ले आए।
"तुम्हीं से कह रहा हूँ, क्या तुम्हीं ने इस व्यक्ति के पिता के जीवनकाल में दीवार बनाई थी?" "जी हाँ, सरकार, मैंने बनाई थी।"
"यह दीवार तुमने किस प्रकार की बनाई थी। वह एक गरीब व्यक्ति पर गिर पड़ी तथा उसकी जान ले ली। तुम उसकी मौत के दोषी हो। हमें तुम्हें मृत्युदण्ड देना होगा।" - इससे पूर्व कि राजा उसकी मौत की सजा सुनाए, बेचारे राजमिस्त्री ने निवेदन किया, "अपना आदेश सुनाने से पूर्व कृपया मेरी बात सुन लें।
यह सच है कि मैंने ही वह दीवार बनाई थी और वह मजबूत नहीं बनी। पर इसका कारण यह था कि मेरा मस्तिष्क उस समय अपने काम में नहीं था। मुझे भली-भाँति उस नर्तकी की याद है जो सारे दिन अपनी पायल झनकारती गली में आती-जाती रही और मैं अपनी आँखें तथा मन उस दीवार पर स्थिर न रख सका जो मैं बना रहा था। आप उस नर्तकी को बुला लें। मैं जानता हूँ कि वह कहाँ रहती है।"
"तुम सही कहते हो। मामला गंभीर है। हमें इसकी तह तक जाना होगा। ऐसे पेचीदे मामलों को निपटाना सरल नहीं होता। वह नर्तकी जहाँ भी हो उसे बुलाओ।" नर्तकी जो अब एक वृद्ध महिला बन चुकी थी, भय से काँपती राजदरबार में आई। "क्या कई वर्ष पूर्व जब यह गरीब व्यक्ति दीवार बना रहा था, तुम्हीं सड़क पर आ-जा रही थीं? क्या तुमने उसे देखा था?" "जी हाँ, सरकार। मुझे भली-भाँति याद है।"
4. "So you did ........................ name him?"
कठिन शब्दार्थ : innocent (इनॅस्न्ट) = निर्दोष, goldsmith (गोस्मिथ्) = सुनार, jewellery (जुअघि) = आभूषण, scoundrel (स्काउन्ड्रल) = दुष्ट/बेईमान, damned (डैम्ड) = झुंझलाहट व्यंजक शब्द, absolutely (ऐब्सलूट्लि) = पूर्णतया, weighing (वेइङ्) = तोलते हुए, evidence (एविडन्स्) = प्रमाण, culprit (कलप्रिट्) = दोषी, bailiffs (बेलिफ्स) = न्यायिक अधिकारी, accusation (ऐक्युजेश्न्) = आरोप, impatient (इम्पेशन्ट) = बेचैन, mess (मेस्) = झंझट भरा।
हिन्दी अनुवाद : "तो तुम अपनी पायल झनकारती आ-जा रही थीं। तुम जवान थीं और तुमने उसका ध्यान काम से भटका दिया, इस कारण उसने खराब दीवार बना दी । वह दीवार एक गरीब सेंधमार पर गिर गई तथा उसकी जान ले ली। तुमने एक निरपराध व्यक्ति की हत्या की। तुम्हें दण्ड देना ही पड़ेगा।"
नर्तकी ने एक मिनट सोचा और फिर बोली, "सरकार, रुकिए। मुझे अब याद आया कि मैं उस सड़क पर क्यों आ-जा रही थी। मैंने कुछ सोना एक सुनार को अपने आभूषण बनाने हेतु दिया था। वह सुस्त और शैतान था। उसने अनेक बहाने बनाए, बोला कि आज आभूषण देगा, कुछ समय पश्चात् देगा। सारा दिन यही करता रहा।
उसने मुझे दर्जनों बार अपने घर दौड़ाया। तभी इस राजमिस्त्री ने मुझे देखा था। दोष मेरा नहीं है। सरकार, दोष तो उस अधम सुनार का है।" "बेचारी महिला, यह बिल्कुल सही कह रही है," राजा ने सबूत को तौल कर सोचा (अर्थात् गवाही को ध्यान में रखकर कहा)। "आखिरकार हमने अभियुक्त को पकड़ ही लिया। उस सुनार को बुलाओ वह जहाँ कहीं भी छिपा है। फौरन बुलाओ।"
राजा के अमीन ने स्वर्णकार की खोज कर ली जो अपनी दुकान के कोने में छिपा बैठा था। जब उसने अपने विरुद्ध आरोप सुना तो उसने अपनी कहानी सुनाई। "महाराज", वह बोला, "मैं तो गरीब सुनार हूँ। यह सच है कि मैंने इस नर्तकी को अपने द्वार पर कई बार आने पर विवश किया। मैंने उसको बहाने बनाकर टाला क्योंकि मैं उसके आभूषण तब तक नहीं बना सकता था जब तक मैं एक धनी व्यापारी का ऑर्डर पूरा न कर लेता, उसके यहाँ विवाह होने जा रहा था तथा वे लोग प्रतीक्षा नहीं कर सकते थे। आप जानते ही हैं कि धनी लोग कितने अधीर होते हैं!"
"वह धनी व्यक्ति कौन है जिसने तुम्हें बेचारी महिला के आभूषण बनाने से रोके रखा, उसे सड़क पर आने-जाने के लिए विवश किया जिससे इस राजमिस्त्री का ध्यान इतना भटक गया कि उसने दीवार खराब कर दी और जो एक निर्दोष व्यक्ति पर गिर पड़ी तथा उसके प्राण ले लिए? क्या तुम उसका नाम बता सकते हो?"
5. The goldsmith named..... ..............and ghee.
कठिन शब्दार्थ : ruled (रूल्ड) = व्यवस्था दी, inherited (इन्हेरिड) = विरासत में प्राप्त की, criminal (क्रिमिन्ल) = अपराधी, sins (सिन्स) = पाप, horrible (हॉरब्ल्) = डरावने/भयानक, crime (क्राइम्) = अपराध, stake (स्टेक) = सूली, फांसी का तख्ता, impaling (इम्पेल्ङ्) = फांसी, immediately (इमीजिनट्लि ) = तुरन्त।
हिन्दी अनुवाद : सुनार ने व्यापारी का नाम बताया और वह वही व्यक्ति था जो उस घर का असली मालिक था जिस घर की दीवार गिर गई थी। अब न्याय अन्तिम चरण पर आ पहुँचा है, राजा ने सोचा, अपराधी वही व्यापारी निकला। जब उसे कठोरतापूर्वक राजदरबार में वापस बुलाया गया वह चीखता हुआ आया, "वह व्यक्ति मैं नहीं था जिसने आभूषणों का आर्डर दिया था, वह मेरे पिताश्री थे। उनका देहान्त हो चुका है। मैं तो निर्दोष हूँ।" पर राजा ने अपने मन्त्री से सलाह की तथा निर्णय दे दिया।"यह सच है कि तुम्हारे पिता असली कातिल हैं ।
वह अब संसार से कूच कर चुके हैं पर उनके स्थान पर किसी को तो दण्ड मिलना ही चाहिए। तुमने अपने अपराधी पिता की सम्पत्ति विरासत में पाई है, उनकी सम्पदा तथा उनके पाप भी। जब मैंने तुम्हें पहली बार देखा था तभी मुझे फौरन पता चल गया था कि तुम ही इस निर्मम अपराध की जड़ में हो। तुम्हें मरना ही होगा।"
और राजा ने आदेश दिया कि फाँसी के लिए एक नई सूली तैयार की जाए। जब सेवकों ने सूली को पैना कर लिया और अपराधी को फाँसी देने के लिए इसे तैयार कर लिया, तो राजमन्त्री को महसूस हुआ कि धनी व्यापारी इतना दुबला-पतला है कि वह सूली पर भली-भाँति फिट नहीं हो सकता।
उसने राजा से समझ से काम लेने का निवेदन किया। राजा को भी इस बात से चिन्ता हो गई। "अब हम क्या करें?" वह बोला तभी अचानक उसके दिमाग में आया कि उन्हें बस किसी भी एक ऐसे मोटे व्यक्ति को खोजना था जिस पर सूली फिट आ जाए। नौकरों को तुरन्त एक ऐसे व्यक्ति की खोज में सारे शहर में भेज दिया गया जो सूली पर फिट आ जाए, और उन लोगों की दृष्टि उस शिष्य पर पड़ी जो महीनों तक केले, चावल, गेहूँ तथा घी खाकर मोटा हो गया था।
6. “What have I.......after me.”
कठिन शब्दार्थ : decree (डिक्री) = शासनादेश, vision (विश्न) = मानसिक प्रतिबिम्ब, scrape (स्क्रेप्) = खुद बुलाई मुसीबत, scolded (स्कोल्ड्ड ) = डांटा, whisper (विस्प(र)) = कानाफूसी, addressed (अड्रेस्ट) = सम्बोधित किया।
हिन्दी अनुवाद : "मैंने कौनसा अपराध किया है? मैं निर्दोष हूँ। मैं तो एक संन्यासी हूँ" वह चीखा।
"यह सच हो सकता है। पर यह तो शाही आदेश है कि हम एक ऐसे मोटे व्यक्ति को खोज लें जो सूली पर फिट हो जाए," वे बोले, तथा वे उस शिष्य को सूली के पास ले गए। शिष्य को अपने ज्ञानी गुरु के शब्द याद आ गए : "यह मूों की नगरी है। तुमं नहीं जानते कि ये लोग अगले क्षण तुम्हारे साथ क्या बर्ताव करेंगे।"
जब वह अपनी मौत की घड़ियाँ गिन रहा था, उसने मन में गुरु को याद किया, उनसे निवेदन किया कि वह जहाँ भी हों उसकी पुकार सुन लें। गुरु ने सब कुछ एक स्वप्न छाया में देख लिया, उनमें चमत्कारी शक्ति थी, वह दूर तक देख सकते थे, और वह भविष्य को भी उसी प्रकार देख सकते थे जैसे कि वर्तमान तथा भूतकाल को।
वह अपने शिष्य की प्राण रक्षा हेतु तुरन्त आ पहुँचे, जो अपने भोजन की लालसा के कारण ऐसी मुसीबत में फँस गया था। जैसे ही वह आए, उन्होंने अपने शिष्य को डाँटा-फटकारा तथा धीरे से उससे कुछ कहा। फिर वह राजा के पास गए तथा बोले, "सर्वाधिक बुद्धिमान महाराज, दोनों में कौन बड़ा होता है गुरु या शिष्य?" "निश्चय ही गुरु। इसमें कोई सन्देह नहीं। तुम यह पूछ क्यों रहे हो?" "तब आप मुझे ही पहले सूली पर लटकाएँ। मेरे शिष्य को मेरे पश्चात् सूली पर चढ़ाएँ।"
7. When the disciple...............................promptly executed.
कठिन शब्दार्थ : clamour (क्लैम(र)) = शोर-शराबा करना, puzzled (पज्ल्ड् ) = घबरा गया, mystery (मिति) = रहस्य, solemn (सॉलम्) = गम्भीर/सत्यनिष्ठ, earshot (इअशॉट) = श्रवण सीमा, ascetic (असेटिक्) = संन्यासी, postponed (पॅस्पोन्ड) = स्थगित किया, prison (प्रिजन्) = जेल, disguised (डिस्गाइज्ड) = वेश बदला, promptly (प्रॉमट्लि ) = शीघ्रता से।
हिन्दी अनुवाद : जब शिष्य ने यह सुना, तो वह समझ गया और शोर-शराबा करने लगा, "पहले मुझे! आप मुझे यहाँ पहले लाये थे! मुझे पहले मृत्यु दो, उसे नहीं!" गुरु तथा शिष्य इस बात पर झगड़ पड़े कि कौन पहले मृत्यु वरण करे। राजा इस व्यवहार को देखकर हैरान था। उसने गुरु से पूछा, "आप मरना क्यों चाहते हैं? हमने तो इस व्यक्ति को चुना क्योंकि हमें सूली के लिए उपयुक्त मोटा व्यक्ति चाहिए था।" "आप मुझसे ऐसे प्रश्न न करें। पहले मुझे ही सूली पर चढ़ाएँ," गुरु ने उत्तर दिया। "क्यों? इंसमें कुछ भेद अवश्य है। बुद्धिमान व्यक्ति की भाँति मुझे भी समझाओ।"
"क्या आप यह वचन देते हैं कि यदि मैं आपको वह रहस्य बता दूँ तो आप मुझे मृत्यु-दण्ड दे देंगे?" गुरु ने पूछा । राजा ने उसे वह पवित्र वचन दे दिया। गुरु उसे एक ओर ले गया, जहाँ नौकर-चाकर उनकी बात न सुन सकें। उसने राजा से कानाफूसी की, "क्या आप जानते हैं हम अभी क्यों मरना चाहते हैं, हम दोनों ही? हम समस्त संसार का भ्रमण कर चुके हैं पर हमें आपके जैसी नगरी अथवा राजा नहीं मिल पाया। आपकी बनाई सूली परमात्मा की न्याय की सूली है।
यह नई है। इस पर अब तक किसी अपराधी को मृत्यु-दण्ड नहीं दिया गया है। जो व्यक्ति भी इस पर पहले पहल मरेगा वह इस देश का राजा बनकर पुनर्जन्म लेगा और जो उसके पश्चात् मरेगा वह इस देश का भावी मन्त्री बनेगा। हम अपने संन्यासी जीवन से तंग आ चुके हैं। कुछ दिनों तक हम राजा तथा राजमन्त्री बनने का आनन्द लेना चाहते हैं। अब आप अपना वचन पूरा करें। महाराज, हमें फाँसी दे दें। याद रखो, मैं पहले मरना चाहँगा।"
राजा गम्भीर विचारों में खो गया। वह नहीं चाहता था कि अगले जन्म में कोई अन्य व्यक्ति उसके राज्य का स्वामी बन जाए। उसे विचार करने हेतु कुछ समय की आवश्यकता थी। इस कारण उसने फाँसी दण्ड को अगले दिन सम्पन्न करने का आदेश दे दिया, तथा अपने राजमन्त्री से उसने गुपचुप मन्त्रणा की।"अगले जन्म में हमारे लिए यह सही नहीं होगा कि अपना राज्य अन्य लोगों को सौंप दें। आओ, हम स्वयं ही सूली पर चढ़ जाएँ तथा हम राजा और मन्त्री के रूप में पुनः जन्म ले लेंगे। महात्मा लोग झूठ नहीं बोलते", वह बोला तथा मन्त्री सहमत हो गया।
इसलिए उसने बधिकों को बोला "हम आज रात अपराधियों को भेजेंगे। जैसे ही पहला व्यक्ति तुम्हारे पास पहुँचे, उसे मार देना। फिर दूसरे व्यक्ति का भी वही हाल करना। यही मेरी आज्ञा है। कोई गलती मत करना।" उस रात राजा तथा मन्त्री चुपके से कारावास में गए, उन्होंने गुरु तथा उसके शिष्य को मुक्त कर दिया, स्वयं दोनों ने गुरु तथा शिष्य का भेष बना लिया, तथा अपने स्वामि-भक्त नौकरों के साथ जिस प्रकार पहले से व्यवस्था कर रखी थी, उन्हें सूली पर ले जाया गया तथा तुरन्त मौत के घाट उतार दिया गया।
8. When the bodies............other place.
कठिन शब्दार्थ : crows (क्रोज) = कौए, vultures (वल्च(र)ज) = गिद्ध, mourned (मॉन्ड) = शोक प्रकट किया, persuade (पस्वेड्) = मनाया।
हिन्दी अनुवाद : जब उनके शवों को कौवों तथा गिद्धों को खिलाने हेतु सूली से उतारा गया तो लोग घबरा गए। उन्हें अपने सामने मृत राजा तथा मन्त्री के शव दिखाई दिए। सारे नगर में उलझन अथवा व्याकुलता थी। सारी रात उन लोगों ने शोक-संताप किया तथा राज्य के भविष्य के बारे में चर्चा की। कुछ लोगों को अचानक गुरु तथा शिष्य की याद आई और उन दोनों को पकड़ लिया गया जब वे चुपचाप नगर से बाहर चले जाने वाले थे।
"हम लोगों को एक राजा तथा राजमन्त्री की आवश्यकता है," एक व्यक्ति ने कहा। अन्य लोग सहमत हो गए। उन्होंने गुरु तथा शिष्य से विनती की कि आप हमारे राजा तथा राजमन्त्री बन जाएँ। उन्हें शिष्य को राजी करने में बहुत तर्क-वितर्क नहीं करना पड़ा पर गुरु को राजी करने में अधिक समय लगा।
अन्त में वे दोनों, मूर्ख राजा तथा राजमन्त्री के राज्य पर शासन करने को इस शर्त पर तैयार हो गए कि उन्हें सभी पुराने कानूनों को बदलने का अधिकार होगा। तभी से यह तय हो गया कि रात पुनः रात रहेगी तथा दिन दिन रहेगा, तथा आपको कुछ भी एक सिक्के के बदले में नहीं मिलेगा। वह राज्य किसी भी अन्य स्थान के समान हो गया।