RBSE Solutions for Class 9 English Moments Chapter 3 Iswaran the Storyteller

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 9 English Supplementary Reader Moments Chapter 3 Iswaran the Storyteller Textbook Exercise Questions and Answers.

The questions presented in the RBSE Solutions Class 9 English are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 9 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Our team has come up with modals exercise for class 9 to ensure that students have basic grammatical knowledge.

RBSE Class 9 English Solutions Moments Chapter 3 Iswaran the Storyteller

RBSE Class 9 English Iswaran the Storyteller Textbook Questions and Answers

Think About It :

Question 1.
In what way is Iswaran an asset to Mahendra? ईश्वरन किस प्रकार से महेन्द्र के लिए उपयोगी व्यक्ति है?
Answer:
Iswaran is an asset to Mahendra in the following way. He was Mahendra's devoted servant. He accompanied Mahindra wherever he was transferred. He could prepare tasty food from fresh vegetables which he could procure even from a desolate place. He was a very good story-teller. Mahendra didn't feel the need to buy a T.V. set. He washed Mahendra's clothes and cleaned his tent.

ईश्वरन निम्न तरीके से महेन्द्र के लिए उपयोगी है। वह महेन्द्र का समर्पित नौकर था। जहाँ भी महेन्द्र का स्थानान्तरण हुआ वह वहाँ गया। वह ताजी सब्जियों, जो वह एक निर्जन स्थान से भी प्राप्त कर सकता था, से स्वादिष्ट व्यंजन बना सकता था। वह एक बहुत अच्छा कहानी सुनाने वाला था। महेन्द्र को टी.वी. सेट खरीदने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई। वह महेन्द्र के वस्त्र धोता था और टेंट साफ करता था।

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Question 2. 
How does Iswaran describe the uprooted tree on the highway? What effect does he want to create in his listeners?
ईश्वरन सड़क पर पड़े एक उखड़े वृक्ष का कैसे वर्णन करता है? वह अपने सुनने वालों पर क्या प्रभाव उत्पन्न करना चाहता है?
Answer:
Once Iswaran saw an uprooted tree on the highway. With arched eyebrows and stretched hands he said, “The road was deserted and I was all alone. Suddenly I spotted something that looked like an enormous bushy beast lying sprawled across the road.

I was half inclined to turn and go back but I came closer. I saw that it was a fallen tree with its dry branches spread out.” Iswaran described even a simple incident in such an interesting dramatic way with gestures that it created suspense and surprise in his listeners.

एक बार ईश्वरन ने एक उखड़ा वृक्ष हाइवे पर देखा। भौंहें चापनुमा बनाकर और हाथ फैलाकर उसने कहा, "सड़क निर्जन थी और मैं अकेला था। मैंने कोई चीज देखी जो एक विशाल झाड़ीदार पशु, जो सड़क पर फैले हुए पड़ा हो, जैसे लगी। मैं घूमने तथा वापस जाने का कम इच्छुक था लेकिन मैं नजदीक आया। मैंने देखा कि यह तो एक गिरा हुआ वृक्ष था जिसकी शाखाएँ फैली हुई थीं।" ईश्वरन ने एक सामान्य घटना को भी इतने रुचिपूर्ण नाटकीय तरीके से हाव-भाव से बताया कि इससे श्रोताओं में भी रहस्य और विस्मय उत्पन्न हो गया।

Question 3. 
How does he narrate the story of the tusker ? Does it appear to be plausible?
वह हाथी की कहानी कैसे सुनाता है? क्या यह सम्भव लगता है?
Answer:
He narrates the story of the tusker in a curious way. He says that one day a tusker escapes from the timber yard and begins to roam about, stamping on bushes, tearing up wild creatures and breaking branches at will.

At the outskirts of his town, the mad elephant breaks down the fences, smashes all the fruit stalls, mud pots and clothes. People run helter-skelter in panic. The elephant then enters a school ground by breaking the brick wall. Boys run into the classrooms. The beast pulls out the football goal post, tears down the volleyball net, kicks and flattens the drum kept for water, and uproots the shrubs. Teachers climb up the terrace.

Iswaran grabs a cane from a teacher and comes downstairs. The beast swings a branch, stamps its feet, kicks up a lot of mud and dust. Iswaran musters courage and whacks its third toe-nail and then only it collapses. The story is implausible. Iswaran was a junior class student only. How could he go near this mad elephant.

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वह उत्सुक तरीके से हाथी की कहानी को वर्णित करता है। वह कहता है कि एक दिन एक हाथी टिम्बर यार्ड से निकल भागता है और विचरण करने लगता है, झाड़ियों को कुचलते हुए, जंगली लताओं को चीरते हुए और चाहे जिन शाखाओं को तोड़ते हुए। उसके कस्बे की सीमा पर, पागल हाथी, बाड़ों को तोड़ता है, सभी फल-स्टालों, मिट्टी के बर्तनों और कपड़ों को फाड़-तोड़ कर नष्ट कर देता है। लोग भय से इधर-उधर दौड़ते हैं। हाथी फिर दीवार तोड़कर विद्यालय के मैदान में घुसता है। बच्चे कक्षा-कक्षों में भाग जाते हैं। 

यह जानवर फुटबाल के गोल पोस्ट को उखाड़ देता है, वॉलीबॉल नेट को फाड़ देता है, पानी के लिए रखे ड्रमों को ठोकर मारकर समतल कर देता है और झाड़ियों को उखाड़ देता है। अध्यापकगण छत पर चढ़ जाते हैं। ... ईश्वरन एक अध्यापक से एक डण्डा लेता है और नीचे आता है। यह जानवर एक शाखा को घुमाता है, पैर मारता है, बहुत-सा गारा व धूल फेंकता है। ईश्वरन साहस बटोरता है और इसके पैर की तीसरी अंगुली के नाखून पर कसकर चोट मारता है और तब जाकर यह गिरता है। कहानी असम्भाव्य लगती है। ईश्वरन एक जूनियर क्लास विद्यार्थी है। वह इस मदमस्त/पागल हाथी के पास कैसे जा सकता था।

Question 4. 
Why does the author say that Iswaran seemed to more than make up for the absence of a TV in Mahendra's living quarters?
लेखक क्यों कहता है कि महेन्द्र के घर में ईश्वरन टी.वी. की कमी की पूर्ति बहुत अच्छी तरह से करता था?
Answer:
The author says that Iswaran seemed to more than make up for the absence of a TV in Mahendra's living quarters because every night, after dinner he used to narrate an interesting event/story to Mahendra. His style of narrating is very interesting, full of suspense and dramatic. His gestures and hand movements add colour to his narration. So, Iswaran is himself a living T.V. set.

लेखक कहता है कि महेन्द्र के घर में ईश्वरन टी.वी. की कमी की पूर्ति बहुत अच्छी तरह से करता दिखाई देता था क्योंकि प्रत्येक रात को डिनर के उपरान्त वह महेन्द्र को एक रुचिकर घटना/कहानी सुनाता था। उसके कहानी वर्णन की शैली बहुत रुचिकर है, सस्पेन्स से भरी है और नाटकीय है। उसके हाव-भाव व हाथों . की क्रियाएँ वर्णन को अधिक रंगीन बनाते हैं। अतः ईश्वरन स्वयं एक जिंदा टेलीविजन है।

Question 5. 
Mahendra calls ghosts or spirits a figment of the imagination. What happens to him on a full-moon night 
महेन्द्र भूत व प्रेतात्माओं को काल्पनिक/मनगढन्त मानता है। उसे पूर्णिमा की रात क्या होता है?
Answer:
Mahendra calls ghosts or spirits a figment of imagination because there are no such things. Iswaran is crazy. He should get his digestive system examined and may be his head as well. He is talking nonsense. 
On a full-moon night, he wakes up from his sleep. He hears a low moan to his window. With curiosity, he looks out. There, not too far, was a dark cloudy form clutching a bundle. Mahendra breaks into a cold sweat and falls back on the pillow, panting.

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महेन्द्र भूतों या प्रेतात्माओं को कल्पना की गढन्त कहता है क्योंकि ऐसी कोई चीज नहीं होती है। ईश्वरन पागल है। उसे अपने पाचन तन्त्र की जाँच करवानी चाहिए और शायद अपने दिमाग की भी। वह निरर्थक बातें करता है।
एक पूर्ण चन्द्रमा की रात को, वह अपनी नींद से जागता है। वह खिड़की के पास धीमी-धीमी कराहट सुनता है। उत्सुकता के साथ, वह बाहर झाँकता है। वहाँ, अधिक दूर नहीं, एक काली, गंदली-सी आकृति जिसने एक बण्डल पकड़ रखा था, दिखाई दी। महेन्द्र पसीना-पसीना हो जाता है और अपने तकिये पर पुनः गिर जाता है, हाँफने लगता है।

Question 6. 
Can you think of some other ending for the story? 
क्या आप कहानी का कोई दूसरा अन्त सोच सकते हो?
Answer:
Yes, I can think of another ending for the story. It should end in this manner. Iswaran in disguise makes low moan near the window. Mahendra sees a dark cloudy form. Though he breaks into a cold sweat, he musters courage and embraces the form. To his surprise, it is Iswaran in disguise.

हाँ, मैं कहानी के लिए दूसरा अन्त विचार सकता हूँ। इसे इस तरह से अन्त होना चाहिए। ईश्वरन खिड़की के नजदीक भेष बदलकर कराहट निकालता है। महेन्द्र एक काली गंदली-सी आकृति देखता है। यद्यपि वह पसीना-पसीना हो जाता है, वह साहस बटोरता है और उस आकृति को बाँहों में भर लेता है। उसे विस्मय होता है कि यह ईश्वरन है जिसने भेष बदल रखा है। 

Talk About It :

Q. Is Iswaran a fascinating storyteller ? Discuss with your friends the qualities of a good storyteller. Try to use these qualities and tell a story.
क्या ईश्वरन एक आकर्षक कहानी कहने वाला है? अपने मित्रों के साथ एक अच्छे कहानी कहने वाले की विशेषताओं के बारे में चर्चा कीजिये। इन विशेषताओं का प्रयोग करने की कोशिश कीजिए तथा एक कहानी सुनाइये।
Answer:
Iswaran is a fascinating storyteller. He has many qualities of a good storyteller
(1) First, he makes use of gestures to make the narration impressive. 
(2) Second, he modulates his tone as per the scene. 
(3) Third, he leaves the story incomplete to keep the listener in suspense. 
(4) Fourth, he presents proofs to make the description believable. 
(5) Finally, he does acting also in disguise to substantiate his statements. Thus, he is a good storyteller.

ईश्वरन एक आकर्षक कहानी सुनाने वाला है। उसमें एक अच्छे कहानी सुनाने वाले के काफी गुण विद्यमान हैं।
(1) प्रथम, वह कहानी को प्रभावी बनाने के लिए हाव-भाव का उपयोग करता है। 
(2) दूसरे, वह दृश्यानुसार अपनी आवाज में बदलाव कर लेता है। 
(3) तृतीय, वह श्रोता को रहस्य में रखने के लिए कहानी को अधूरी छोड़ देता है। 
(4) चतुर्थ, वह वर्णन को विश्वसनीय बनाने के लिए प्रमाण प्रस्तुत करता है। 
(5) अंत में, अपनी बात को सिद्ध करने के लिए वह भेष बदल कर अभिनय भी कर लेता है। इस प्रकार, वह एक अच्छा कहानी सुनाने वाला है।

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A Story ‘Labhu’, Rama saya, ‘is a fascinating story teller. Once he told me a story. 'Once, I went to the Himalaya for shooting. Thakur Pratap Singh was with me. We saw a terrible creature like a ghost. Seeing this horrific creature, Thakur Pratap Singh ran away.' Then he stopped. I requested to tell what happened next. Making his face horrendous, he yelled, 'I chanted Mantras and jumped from the Himalaya to the roof of my house. That's why, you see, my one leg is injured.' And then he laughed.

एक कहानी 'लाभू', रमा कहती है, 'एक आकर्षक कहानी कहने वाला है।' एक बार उसने मुझे एक कहानी सुनाई। 'एक बार, मैं शिकार के लिए हिमालय गया। ठाकुर प्रताप सिंह भी मेरे साथ था। हमने, भूत जैसा एक डरावना प्राणी देखा। इस डरावने प्राणी को देखते ही ठाकुर प्रताप सिंह तो भाग खड़े हुए।' फिर वह रुक गया। मैंने निवेदन किया कि वह बताए कि आगे क्या घटित हुआ। अपने चेहरे को डरावना बनाकर वह चिल्लाया, 'मैंने मंत्रोच्चारण किया और हिमालय से अपने घर की छत पर छलांग लगा दी। इसीलिए, आप स्वयं देख लीजिए, मेरी एक टांग घायल है।' और फिर वह हँसने लगा।

RBSE Class 9 English Iswaran the Storyteller Important Questions and Answers

I. Short Answer Type Questions :

Question 1. 
How does Iswaran make his stories look real? ईश्वरन अपनी कहानियों को सच्ची दिखने वाली कैसे बनाता है?
Answer:
Iswaran makes his stories look real by creating a background, and giving vivid descriptions of the scenes. In tusker's story, he tells he belongs to the place where elephants are used to haul the logs on to lorries.

ईश्वरन अपनी कहानियों को सच्ची दिखने वाली बनाता है उनकी पृष्ठभूमि देकर और दृश्यों का विविध वर्णन देकर। हाथी की कहानी में वह बताता है कि वह उस स्थान से सम्बन्धित है जहाँ हाथियों को लॉरी में लढे पकड़ कर रखने के लिए प्रयोग किया जाता है।

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Question 2. 
What does Mahendra think when he sees a cloudy form? 
महेन्द्र क्या सोचता है जब वह एक धुंधली-सी आकृति देखता है?
Answer:
When Mahendra sees the cloudy form, he thinks that it is a ghost. But as he gradually recovers, he begins to reason that it must have been some sort of auto suggestion, some trick that his subconscious mind had played on him.

जब महेन्द्र धुंधली-सी आकृति देखता है, तो वह सोचता है कि यह एक भूत है। लेकिन जैसे ही वह सामान्य होता है तो वह तर्क देना आरम्भ करता है कि यह स्वतः परामर्श प्रकार का था, कुछ ट्रिक थी जो उसके अर्द्ध-चेतन मस्तिष्क ने उसके साथ खेली थी।

Question 3. 
How does Iswaran pass his time after Mahendra's departure for work? 
महेन्द्र के कार्य के प्रस्थान उपरान्त ईश्वरन अपना समय कैसे गुजारता है?
Answer:
After Mahendra's departure for work, Iswaran cleans and tidies up the room, tent or house. Then, he washes the clothes and has a leisurely bath. After lunch, he reads popular Tamil thriller and dozes off.

महेन्द्र के कार्य के लिए प्रस्थान उपरान्त, ईश्वरन कक्ष, टेंट या घर को साफ करता है व व्यवस्थित करता है। फिर वह वस्त्र साफ करता है और शांतिपूर्वक स्नान करता है। लंच के उपरान्त, वह लोकप्रिय तमिल पुस्तक पढ़ता है और झपकी लेता है।

Question 4. 
How does Iswaran describe the uprooted tree? 
ईश्वरन उखड़े वृक्ष का कैसे वर्णन करता है?
Answer:
Iswaran describes the uprooted tree as an enormous bushy beast sprawled on the road which was deserted and he was all alone. When he came closer, he found, it was a fallen tree:

ईश्वरन ने उखड़े वृक्ष को सड़क पर पड़े एक विशाल झाड़ीदार जानवर जैसा पाया। रोड वीरान था और वह बिल्कुल अकेला था। जब वह समीप आया तो उसने पाया कि यह तो एक गिरा वृक्ष था।

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Question 5.
Compare and contrast Mahendra and Iswaran. 
महेन्द्र व ईश्वरन की तुलना कीजिए।
Answer:
Mahendra is a bachelor junior supervisor. He adjusts himself in all kinds of conditions. He doesn't believe in ghosts. Iswaran is the multi-purpose cook of Mahendra. He is a good story-teller. He believes in ghosts.

महेन्द्र एक कुंवारा कनिष्ठ सुपरवाइजर है। वह सभी प्रकार की परिस्थितियों में अपने को समायोजित कर लेता है। वह भूतों में विश्वास नहीं करता है। ईश्वरन, महेन्द्र का बहुउद्देश्यीय रसोइया है। वह एक अच्छा कहानी सुनाने वाला है। वह भूतों में विश्वास करता है।

Question 6. 
How does the tusker frighten Iswaran, the student?
वह हाथी विद्यार्थी ईश्वरन को कैसे भयभीत करता है? 
Answer:
The tusker grunted. It menacingly swung a branch held in its trunk. It stamped its feet. It kicked up a lot of mud and dust. It looked at him red-eyed. It lifted its trunk and trumpted loudly 

वह हाथी घुरघुराया। अपनी सूंड में पकड़ी हुई एक शाखा को धमकी देने के अंदाज से घुमाया। अपना पैर जमीन पर देकर मारा। बहुत-सी गंदगी (गारे) व धूल को ठोकर मारी। इसने उसकी (विद्यार्थी ईश्वरन की) ओर लाल-आँखों (अर्थात् क्रोध) से देखा। इसने संड ऊपर उठाई और ऊँची आवाज में चिंघाड़ा।

Question 7. 
How did student Iswaran bring down the beast?
विद्यार्थी ईश्वर ने उस पशु (अर्थात् हाथी) को प्रहार कर कैसे गिराया?
Answer:
Student Iswaran mustered all his force. He moved forward. He whacked on the tusker's third toenail. The beast looked stunned for a moment. Then, it shivered from head to foot and collapsed.

विद्यार्थी ईश्वरन ने अपनी सारी ताकत जुटाई। वह आगे बढ़ा। उसने हाथी के पैर की तीसरी उँगली के नाखून पर प्रहार किया। एक पल के लिए तो वह पशु (हाथी) भौचक्का रह गया। फिर यह सिर से पैर तक काँपने लगा और वहीं गिर पड़ा।

Question 8.
How did Iswaran's story of the female ghost influence Mahendra's scientific outlook?
ईश्वरन की महिला-भूत वाली कहानी ने महेन्द्र के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को कैसे प्रभावित किया? 
Answer:
From the day on Mahendra heard Iswaran's story of the female ghost, he felt uneasy at nights. Every night, he would try to ensure that there was no movement of dark shapes in the vicinity.

जिस दिन से महेन्द्र ने ईश्वरन की महिला-भूत की कहानी सुनी थी उस ही दिन से वह रातों को बेचैनी महसूस करता था। प्रत्येक रात्रि वह यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता था कि आस-पास में काली आकृति (भूत) की कोई हलचल नहीं थी।

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Question 9. 
How does the story ‘Iswaran The Storyteller' conclude? 
कहानी 'ईश्वरन, कहानी सुनाने वाला' कैसे समाप्त होती है?
Answer:
The story concludes on a pathetic note. Having been reminded about the female ghost, Mahendra hurried away to his office. He handed in his papers. He leaves the haunted place the very next day.

कहानी एक दुःखद सूचना के साथ समाप्त होती है। महिला भूत के बारे में स्मरण दिलाये जाने के कारण, महेन्द्र जल्दबाजी में अपने कार्यालय जाता है। वह अपने कागजात सौंपता है। वह भूतों वाले उस स्थान को अगले ही दिन छोड़ देता है। 

II. Long Answer Type Questions :

Question 1. 
Discuss Iswaran's qualities as a good story-teller. 
एक अच्छे कहानी सुनाने वाले के रूप में ईश्वरन के गुणों पर चर्चा करें।
Answer:
Iswaran has all the qualities of a good story-teller. First, he generates interest by the art of narration. Second, he creates suspense and surprise by adding dramatic gestures. Third, he introduces the story by giving a background. Fourth, he presents vivid descriptions of the scenes. And fifth, he is the store-house of the stories.

ईश्वरन में एक अच्छे कहानी सुनाने वाले के सभी गुण हैं। प्रथम, वह वर्णन-कला द्वारा रुचि पैदा करता है। द्वितीय, नाटकीय हाव-भाव के द्वारा वह रहस्य व विस्मय उत्पन्न करता है। तृतीय, वह पृष्ठभूमि देकर कहानी प्रस्तुत करता है। चतुर्थ, वह दृश्यों का वैविध्यपूर्ण प्रस्तुतीकरण करता है। पंचम, वह कहानियों का भण्डार-गृह है।

Question 2. 
Analyse and discuss ghosts as a figment of imagination. 
भूत कल्पना की उपज है, पर विश्लेषण करें व चर्चा करें।
Answer:
It is right that ghosts are a figment of imagination. Mahendra says that there are no such things as ghosts or spirits. Iswaran is crazy. He should get his digestive system examined and his head as well. He always talks nonsense. They may be some sort of auto suggestion, some trick that his subconscious have played on him.

यह ठीक है कि भूत कल्पना की उपज है। महेन्द्र कहता है कि भूत या प्रेतात्मा जैसी कोई चीजें नहीं हैं। ईश्वरन पागल है। उसे अपने पाचन तन्त्र की जाँच करवानी चाहिए और अपने मस्तिष्क की भी। वह हमेशा अर्थहीन बातें करता है। वे कुछ प्रकार के स्वतः सुझाव हो सकते हैं, कुछ ट्रिक हो सकती है जो अर्द्ध-चेतन मस्तिष्क ने हम पर खेली हो।

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Question 3. 
Draw a word picture of Mahendra. 
महेन्द्र का शब्द-चित्र खींचें।
Answer:
Mahendra was a junior supervisor in a firm. His job was to keep an eye on the activities at the work-site. He was a bachelor. His needs were simple. He was able to adjust himself to all kinds of odd situations. He had scientific temper. He didn't believe in ghosts or spirits. But, in the end, he left the place in fear of ghosts.

महेन्द्र एक संस्था (फर्म) में कनिष्ठ निरीक्षक था। उसका काम कार्य-स्थल पर गतिविधियों पर नजर रखने का था। वह कुँवारा था। उसकी आवश्यकताएँ साधारण थीं। वह सभी विषम परिस्थितियों में अपने को समायोजित कर लेता था। वह वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखता था। वह भूत या प्रेतात्माओं में विश्वास नहीं रखता था। किन्तु, अन्त में, उसने भूतों के भय से ही अपना स्थान दिया है।

Question 4. 
Other than story telling, Iswaran had an amazing capacity. Explore and explain.
कहानी सुनाने के अतिरिक्त, ईश्वरन में एक आश्चर्यजनक क्षमता थी। खोजें व स्पष्ट करें।
or
Explain and examine Iswaran's culinary skills.
ईश्वरन की पाक-कलाओं की व्याख्या एवं परीक्षण करें।
Answer:
Iswaran also had an amazing capacity to produce vegetables and cooking ingredients, seemingly out of nowhere, in the middle of a desolate landscape with no shops visible for miles around. He would miraculously conjure up the most delicious dishes made with fresh vegetables within an hour of arriving at the zink-sheet shelter at the new workplace.

ईश्वरन में एक आश्चर्यजनक क्षमता यह थी कि उन निर्जन स्थानों पर भी जहाँ कोई दुकान दिखाई न देती थी, वह वहाँ, सब्जियाँ व पकाने की अन्य वस्तुएँ न जाने कहाँ से पैदा कर देता था। वह जिंक-शीट के छप्पर के नीचे नये कार्यस्थल पर आने के एक घण्टे के भीतर ही ताजी सब्जियों से बना स्वादिष्ट भोजन जादू की भाँति तैयार कर देता था।

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Question 5.
Narrate Iswaran's accounts which involves supernatural. 
ईश्वरन की उन कहानियों का वर्णन करें जिनमें भूत-प्रेत सम्मिलित है।
Answer:
The first account was that the entire factory area they were occupying had once been a burial ground. And he had seen a number of skulls and bones on the path there. Then he told the story of one horrible ghost of a woman which appeared off and on at midnight during the full-moon. These accounts of Iswaran involve supernatural.

प्रथम कहानी यह थी कि वह सम्पूर्ण कारखाना क्षेत्र जिस पर वे कार्य कर रहे थे वह कभी एक कब्रगाह रहा था। और उसने वहाँ रास्ते में बहुत-सी खोपड़ियाँ व हड्डियाँ देखी थीं। फिर उसने एक भयानक महिला भूत की कहानी सुनाई जो पूर्ण चन्द्रमा के दौरान कभी-कभी अर्द्धरात्रि को दिखाई देती थी। ईश्वरन की ये कहानियाँ भूत-प्रेत को समाहित किये हुए हैं।

Iswaran the Storyteller Summary and Translation in Hindi

पाठ के विषय में : एक रात महेन्द्र नींद से जागा और एक 'काली धुंधली आकृति' देखी। डर के कारण वह पसीना-पसीना हो गया। क्या यह एक भूत था?

कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी अनुवाद 

1-2. The story.........................uncritically.

कठिन शब्दार्थ : supervisors (सूपवाइज्(र)ज) = निरीक्षक, various (वेअरिअस्) = विभिन्न, construction (कन्स्ट्रक्श्न् ) = निर्माण, sites (साइट्स) = स्थल, activities (ऐटिवटिज) = गतिविधियाँ, coal mining (कोल् माइनङ्) = कोयला खदान, bachelor (बैचल(र)) = कुँवारा, adjust (अजस्ट्) = समायोजन करना, conditions (कन्डिश्न्ज ) = परिस्थितियाँ, ill-equipped (इक्-इक्विप्ट) = साधनरहित, circuit house (सकिट हाउस) = विश्राम-गृह, makeshift (मेशिफ्ट) = काम-चलाऊ, stone quarry (स्टोन् क्वॉरि) = पत्थर-खदान, asset (ऐसेट) = उपयोगी व्यक्ति, attached (अटैट) = सम्बन्धित, uncomplainingly (अनकम्प्ले नलि ) = बिना शिकायत के/खुशी से, cooked (कुक्ट) = भोजन पकाया, washed (वॉश्ट्) = वस्त्र धोये, anecdotes (ऐनिक्डोट्स) = किस्से, varied (वेअरिड्) = विविध, amazing (अमेज्ङ्) = आश्चर्यजनक, capacity (कॅपैसटि) = क्षमता, ingredients (इन्ग्रीडिअन्ट) = घटक/तत्त्व, desolate (डेसलट) = निर्जन, landscape (लैन्ड्स्के प) = भू-दृश्य, visible (विजिब्ल्) = दिखाई देने वाला, miraculously (मिरैक्यलसलि) = चमत्कारपूर्णता से, conjure up (कन्ज(र) अप्) = जादू से/बाजीगरी से पैदा करना, delicious (डिलिश्स) = स्वादिष्ट, zinc-sheet (जिङ्क-शीट) = जिंक से बनी चद्दर, leisurely (लेश(र)लि) = विश्रामपूर्ण/फुरसत भरा, pouring: (पॉ(र)ङ्) = उंडेलते हुए, muttering (मटर(र)ङ्) = बुदबुदाते हुए, dozing off (डोन्ङ् ऑक) = नींद (दिन के समय झपकी), popular (प्यल(र)) = प्रसिद्ध/लोकप्रिय, thriller (थ्रिल(र)) = सनसनीखेज फिल्म/नाटक/पुस्तक आदि, thrall (थ्रॉल) = मन पर छा जाना, imaginative (इमैजिनटिव) = कल्पित, descriptions (डिस्क्रिप्श्न्ज ) = वर्णन, narrative (नैरटिव) = विवरण, flourishes (फ्लरिशज) = आगे बढ़ना, uprooted (अपरुड) = उखड़ा हुआ, arched (आचट) = चापीय/चाप रूप में, dramatic (ड्रमैटिक) = नाटकीय, gesture (जेसचें(र)) = हाव-भाव, deserted (डिजॅटिड) = वीरान, enormous (इनॉमॅस) = विशाल, bushy beast (बुशि बीस्ट) = झाड़ीदार/घना पशु, lying sprawled (लाइङ् स्पॉल्ड) = फैला पड़ा था, uncritically (अनक्रिटिक्ल) = बिना आलोचना।

हिन्दी अनुवाद : यह कहानी गणेश को महेन्द्र नाम के नवयुवक ने सुनाई थी। महेन्द्र एक कम्पनी में कनिष्ठ निरीक्षक था जो कि विभिन्न प्रकार के निर्माण स्थलों जैसे उद्योगों, पुलों, बाँधों आदि के लिए अपने निरीक्षकों की सेवाएँ भाड़े पर उपलब्ध कराती थी। महेन्द्र का काम कार्य-स्थलों की गतिविधियों पर दृष्टि रखना था। उसे अपने मुख्य कार्यालय के निर्देशानुसार एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहना पड़ता था : कोयले की खान के क्षेत्र से किसी रेलवे पुल के निर्माण स्थल को, वहाँ से कुछ महीने बाद किसी रसायन संयन्त्र पर जो कहीं लगाया जा रहा हो।

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वह कुँवारा था। उसकी आवश्यकताएँ साधारण थीं और वह हर प्रकार की परिस्थितियों के अनुसार अपने आप को ढाल लेता था, चाहे कोई घटिया-सा विश्राम-गृह हो और चाहे पत्थरों के खदान के बीच कोई कामचलाऊ टेंट। परन्तु उसका रसोइया ईश्वरन उसके लिए बड़े काम का आदमी था। ईश्वरन को महेन्द्र से बड़ा लगाव था और जहाँ कहीं भी महेन्द्र की नियुक्ति होती वह उसके साथ खुशी से चला जाता था। वह महेन्द्र के लिए भोजन पकाता, उसके कपड़े धोता, और रात को उसके साथ गप-शप करता था। वह विभिन्न विषयों पर अनगिनत कहानियाँ-किस्से गढ़ सकता था।

ईश्वरन में एक गुण यह भी था कि वह उन निर्जन स्थानों में भी जहाँ कोई दुकान आदि दिखाई न देती थी वहाँ, सब्जियाँ व पकाने की अन्य वस्तुएँ न जाने कहाँ से पैदा कर देता था। वह टीनों के छप्पर के नीचे नये कार्यस्थल पर आने के एक घण्टे के भीतर ही ताजी सब्जियों से बना स्वादिष्ट भोजन जादू की भाँति तैयार कर देता था।

महेन्द्र सवेरे जल्दी उठकर नाश्ता खाकर अपने काम पर चला जाता था, वह साथ में पकाया हुआ कुछ भोजन भी ले जाता था। पीछे से ईश्वरन छप्पर को ठीक करता, कपड़े धोता और फिर पानी की कई बाल्टियों से मजे से नहाता था और नहाते समय कोई प्रार्थना भी गुनगुनाता रहता था। इतने में दोपहर के भोजन का समय हो जाता था। खाना खाकर सोने से पहले वह कुछ देर पढ़ता था। प्रायः वह कई सौ पृष्ठों की तमिल भाषा में रोमांचक पुस्तक पढ़ता था। उसमें दिए गए काल्पनिक वर्णन व वृत्तान्त ईश्वरन के मन पर छा जाते थे।

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उसके अपने वर्णन भी उन तमिल लेखकों से प्रभावित होते थे जिनकी पुस्तकें वह पढ़ता था। जब वह कोई साधारण-सी घटना का वर्णन भी करता था तो उसमें भी रोमांच और आश्चर्यजनक अन्त पैदा करने का प्रयास करता था। उदाहरण के लिए, जब उसे यह बताना होता कि उसने सड़क पर गिरा हुआ पेड़ देखा तो वह भौंहों को चढ़ाकर और हाथों को नाटकीय ढंग से हिलाकर कहता था-सड़क सुनसान थी और मैं अकेला। अचानक मैंने सड़क पर कोई वस्तु देखी जो लगता था जैसे कोई बड़ा भारी झाड़ीदार जैसा पशु सड़क के आरपार लेटा हुआ है। मेरे मन में आया लौट चलूँ। परन्तु जब मैं समीप आया तो देखा कि गिरा हुआ पेड़ था, जिसकी सूखी टहनियाँ फैली पड़ी थीं। महेन्द्र अपनी टाट की कुर्सी पर लेट जाता और ईश्वरन की कहानियों को बिना आलोचना किए सुनता रहता था। 

3. “The place............................and collapsed.”

कठिन शब्दार्थ : timber (टिम्ब(र)) = इमारती लकड़ी, logs (लॉग्ज) = पेड़ से काट लकड़ी का लट्ठा, prologue (प्रोलॉग्) = प्रस्तावना, tusker (टस्क्(र)) = हाथी, escaped (इस्केप्ट) = बच निकला, roam (रोम्) = विचरण करना, creepers (क्रीप(र)ज) = लताएँ, emulation (एम्युलेशन्) = अनुकरण, outskirts (आउट्स्कट्स) = बस्ती का बाहरी भाग/सीमा, fences (फेन्स्ज ) = बाड़, smashed (स्मैश्ट) = चूर-चूर कर देना, grunted

(ग्रन्ड) = चिंघाड़ा, shrubs (शब्ज) = झाड़ियाँ, depredations (डिप्रिडेश्न्ज) = विध्वंस, inhabitants (इन्हैबिटन्ट्स) = निवासी, disappeared (डिसपिअ(र)ड) = ओझल हो गये, grabbed (ग्रैब्ड) = झपटकर पकड़ा, menacingly (मेनस्ङ्ग लि) = धमकी से, hypnotised (हिमनॅटाइजड्) = सम्मोहित किया, trumpeted (ट्रम्पट्ड) = चिंघाड़ा, mustering (मसट(र)ङ्) = एकत्रित करते हुए, whacked (वैक्ट) = कसकर चोट की, toenail (टेनिल्) = पैर की अंगुली का नाखून, shivered (शिव(र)ड) = काँपा (डर या ठण्ड से), collapsed (कलैप्सट्) = अचानक गिरना।

हिन्दी अनुवाद : ईश्वरन अपनी कहानी सुनाना शुरू करता-जहाँ का मैं रहने वाला हूँ वह स्थान इमारती लकड़ी के लिए प्रसिद्ध है। वहाँ बड़ा समृद्ध जंगल है। लकड़ी के लढे हाथियों द्वारा ट्रकों पर लादे जाते हैं। वे विशाल, हृष्ट-पुष्ट पशु होते हैं। जब वे बिगड़ जाते हैं तो बड़े-बड़े अनुभवी महावत भी उन पर काबू नहीं पा सकते।

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इस भूमिका के पश्चात् ईश्वरन हाथी से सम्बन्धित कोई किस्सा सुनाने में लग जाता।  "एक दिन एक नर हाथी लकड़ियों के प्रांगण से भाग निकला और इधर-उधर झाड़ियों को रौंदता, जंगली बेलों को उखाड़ता और टहनियों को मन-मर्जी से तोड़ता हुआ घूमने लगा। आप जानते हैं, श्रीमान्, कि जब एक हाथी पागल हो जाता है तब वह कैसे व्यवहार करता है।" अपनी ही कहानी से उत्तेजित होकर ईश्वरन पागल हाथी की नकल करता हुआ फर्श पर उछल-कूद करने लग जाता था।

ईश्वरन अपनी कहानी को आगे बढ़ाता हुआ कहता - हाथी हमारे नगर के बाहर किनारे पर आ गया। वह चारदीवारी को ऐसे तोड़ रहा था जैसे माचिस की तीलियाँ हों। फिर वह मुख्य सड़क पर आ गया और फल, मिट्टी के बर्तन व कपड़े की सब दुकानों को उसने तोड़ डाला। लोग घबरा कर इधर-उधर भागने लगे। फिर हाथी ईंटों की चार-दीवारी तोड़ कर स्कूल के खेल के मैदान में आ गया जहाँ पर बच्चे खेल रहे थे। सब बच्चे दौड़ कर कमरों में घुस गए और दरवाजे कस कर बन्द कर लिए।

हाथी चिंघाड़ता हुआ घूम रहा था, फुटबाल के गोल के खम्भे उखाड़ दिए, वॉलीबॉल के नेट को फाड़ डाला और पानी का ड्रम ठोकर मारकर चपटा बना दिया और सब झाड़ियाँ उखाड़ डालीं। सभी अध्यापक स्कूल की छत पर चढ़ गए। वहाँ से वे हाथी की लूटपाट का दृश्य बेबस खड़े देख रहे थे। नीचे मैदान में एक भी व्यक्ति न था। गलियाँ ऐसे खाली पड़ी थीं जैसे वहाँ के वासी अचानक लुप्त हो गए हों।

मैं उस समय छोटी कक्षा में पढ़ता था और छत पर खड़ा यह दृश्य देख रहा था। न जाने मुझे अचानक क्या सूझी। एक अध्यापक के हाथ से छड़ी लेकर मैं सीढ़ियों से नीचे उतर कर आँगन में आ गया। हाथी चिंघाड़ा और मुझे डराने के लिए टहनी हिलाई जो उसने अपनी सूंड में पकड़ रखी थी। उसने जोर से पाँव धरती पर मारा जिससे धूल-मिट्टी उड़ी।

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उसे देख कर डर लगता था। परन्तु मैं हाथ में डंडा पकड़े धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा। लोग सम्मोहित हुए आस-पास की छतों से यह दृश्य देख रहे थे। हाथी ने क्रोध से मुझे देखा और वह मुझ पर टूट पड़ने को तत्पर था। वह अपनी सूंड उठा कर जोर से चिंघाड़ा। उसी क्षण मैं उसकी ओर बढ़ा और अपनी पूरी शक्ति बटोर कर उसके तीसरे नाखून पर जोर से डण्डा मारा। क्षण-भर के लिए तो वह पशु भौचक्का दिखाई दिया : फिर वह सिर से पैर तक कांपा और धड़ाम से गिर गया। 

4. At this point.... ...................Iswaran continued.

कठिन शब्दार्थ : unfinished (अन्फिनिश्ट) = अपूर्ण/अधूरी, mumbling (म्ब्ल्ङ् ) = बुदबुदाते/फुसफुसाते, rapt (रैप्ट्) = तल्लीन, shrug (शम्) = कंधे उचकाना, casually (कैशुअलि) = अकस्मात्/लापरवाही से, paralyses (पै(र)लाइज्ज) = लकवाग्रस्त कर देना, horror (हॉर(र)) = दहशत, credible (क्रेडब्ल्) = विश्वसनीय, inimitable (इनिमिटब्ल) = अति उत्कृष्ट (जिसकी नकल नहीं हो सके), auspicious (ऑस्पिशस्) = शुभ, ancestors (ऐनसेसट(र)ज) = पूर्वज, complimented (कॉम्प्लिमन्ड) = बधाई दी, culinary skills (कलिनरि स्किल्ज) = पाक कलाकौशल, garish (गेअरिश्) = अरुचिकर चमकीला/भड़कीला, supernatural (सूपनैचल्) = अलौकिक/दिव्य, occupying (आक्युपाइङ्) = भूक्षेत्र में रहना, burial ground (बेरिअल ग्राउन्ड्) = दफनाने की जमीन, pleasant reverie (प्लेज्न्ट रेवरि) = दिवा-स्वप्न, drifted (ड्रिफ्ट्ड) = विचरण किया, skull (स्कल) = खोपड़ी।

हिन्दी अनुवाद : इस बिन्दु पर कहानी को अधूरा छोड़ ईश्वरन खड़ा हो जाता और बुदबुदाता हुआ कहता-मैं गैस जलाकर और खाना गर्म करके अभी आया । महेन्द्र जो कहानी को बड़े ध्यान से सुन रहा होता, वह अधर में रह जाता। जब ईश्वरन लौटता तो वह कहानी को आते ही फिर शुरू न करता। महेन्द्र उसे याद कराता कि कहानी अभी समाप्त नहीं हुई थी। तब ईश्वर अचानक कंधे उचकाकर कहता - हाँ, हाथी का उपचार करने एक पशु-चिकित्सक को बुलाया गया था और दो दिन पश्चात् उसका महावत उसे जंगल में ले गया था।

महेन्द्र ने पूछा, "अच्छा ईश्वरन, तुम यह बताओ कि तुमने हाथी को कैसे गिरा दिया था।" मैं समझता हूँ, श्रीमान्, इसका सम्बन्ध जापानी कला कराटे या जु-जित्सु से था जिसके बारे में मैंने कहीं पढ़ा था। देखो, इससे नाड़ी तन्त्र अस्थाई रूप से शिथिल हो जाता है। कोई भी दिन ऐसा नहीं बीतता था जिस दिन ईश्वरन कोई रोमांचक दहशत वाली और उत्कण्ठा वाली कहानी न सुनाए। चाहे कहानी विश्वास करने योग्य हो या नहीं, महेन्द्र को कहानी सुनने में आनन्द आता था क्योंकि ईश्वरन का सुनाने का ढंग निराला था। ईश्वरन के कारण महेन्द्र को अपने कमरे में टीवी की कमी अनुभव नहीं होती थी। 

एक सुबह जब महेन्द्र नाश्ता कर रहा था तो ईश्वरन ने पूछा "श्रीमान्, क्या आज रात मैं कोई विशेष पकवान बनाऊँ? आज का दिन बड़ा शुभ है। श्रीमान्, परम्परा के अनुसार आज हम अपने पूर्वजों की आत्माओं को तृप्त करने के लिए स्वादिष्ट पकवान पकाते हैं।" उस रात महेन्द्र ने अति स्वादिष्ट व्यञ्जनों का आनन्द लिया और ईश्वरन की पाककला की प्रशंसा की।

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बड़ा प्रसन्न दिख रहा था परन्तु अचानक उसने भूत-प्रेतों की कहानी सुनानी आरम्भ कर दी। उसने कहना शुरू किया आप जानते हैं, श्रीमान् कि यह पूरा कारखाना क्षेत्र किसी समय कब्रिस्तान था। महेन्द्र इतना बढ़िया भोजन करने के पश्चात् दिन के सपनों में डूब गया था। यह सुनकर उसे एकदम एक झटका-सा लगा। ईश्वरन कहता गया - मैं तो उसी दिन से यह जानता था जब मुझे रास्ते में पड़ी खोपड़ी मिली थी। अब भी कभी-कभी मुझे खोपड़ियाँ व हड्डियाँ पड़ी मिल जाती हैं। 

5. He went on..........miles away. 

कठिन शब्दार्थ : ghosts (गोस्ट्) = प्रेतात्मा/भूत, off and on (ऑफ एण्ड ऑन्) = कभी-कभी, ugly (अग्लि) = कुरूप/भद्दा, matted (मैटिट्) = उलझे हुए गंदे (बाल), shrivelled (शिवल्ड) = मुरझाया, skeleton (स्केलिट्न्) = कंकाल/ढाँचा, foetus (फोटस्) = भ्रूण, interrupted (इन्टरप्ट्ड) = बाधित किया, sharply (शाप्लि) = तेजी से, crazy (क्रेजि) = पागल, spirits (स्पिरिट्स) = प्रेतात्माएँ, figment (फिगमॅन्ट) = मनगढन्त बात, digestive (डाइजेस्टिव्) = पाचन, sulk (सल्क) = नाराज, cheerful (चिअफल्) = प्रसन्न, talkative (टॉकटिव्) = वाचाल, peered into (पीअ(र)ड इनटू) = में झाँकना, vicinity (वसिनटि) = पास-पड़ोस में, twinkling (ट्विङ्क्ल्ङ् ) = झिलमिलाते।

हिन्दी अनुवाद : वह सुनाता गया कि कभी-कभी रात को उसे भूत कैसे दिखाई देते थे। "मैं इनसे आसानी से नहीं डरता, श्रीमान् । मैं एक साहसी व्यक्ति हूँ। परन्तु एक स्त्री का भयानक भूत पूर्णिमा की आधी रात को कभी-कभी दिखाई देता है। वह बड़ी कुरूप स्त्री है, उसके उलझे बाल हैं और चेहरे पर झुर्रियाँ पड़ी हैं, वह कंकाल के समान है और अपनी गोद में भ्रूण उठाए हुए होती है।" महेन्द्र यह वर्णन सुनकर कांप उठा और उसने आवेश में आकर ईश्वरन को टोक दिया - "तुम पागल हो, ईश्वरन। भूत-प्रेत नाम की कोई चीज नहीं होती। यह सब तुम्हारी कल्पना मात्र है। अपने पाचन तन्त्र की जाँच कराओ और हो सके तो अपने दिमाग की भी। तुम बकवास कर रहे हो।"

उसने कमरा छोड़ दिया और सोने चला गया। यह आशा करते हुए कि ईश्वरन दो-एक दिन तक नाराज रहेगा। परन्तु अगले दिन ही उसने देखा कि वह तो पहले की भाँति प्रसन्न व बातूनी था। उस दिन से महेन्द्र को अपनी सभी बहादुरीपूर्ण बातों के बावजूद सोते समय कुछ बेचैनी रहने लगी। हर रात वह अपने कमरे के समीप वाली खिड़की में से बाहर अँधेरे में झाँकता था यह देखने के लिए कि आसपास कोई छाया तो नहीं घूम रही है। परन्तु उसे अँधेरा ही अँधेरा दिखाई देता था जिसमें मीलों दूर तक फैक्ट्री की टिमटिमाती बत्तियाँ थीं। 

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6. He had.............next day! 

कठिन शब्दार्थ : admire (अड्माइअ(र)) = प्रशंसा करना, altogether (ऑलट्गेद(र)) = पूर्णतया, moan (मोन्) = कराहट, prowling (प्राउल्ङ्) = 'शिकार के लिए दबे पाँव विचरण करना, guttural (गट(र)ल) = कंठ्य, curiosity (क्युअरिऑसटि) = उत्सुकता, behold (बिहोल्ड) = देखना, wailing (वेलङ्) = विलाप, feline (फीलाइन्) = बिल्ली प्रजाति से सम्बन्धित, temptation (टेम्पटेश्न्) = चाह, windowsil (विन्डोसिल्) = खिड़की के नीचे का तंग खाना, clutching (क्लच्ङ) = पकड़े हुए, sweat (स्वेट्) = पसीना, pillow (पिलो) = तकिया, panting (पैन्ट्ङ्) = हाँफते हुए, ghastly (गाट्लि ) = अत्यन्त अप्रिय/हानिकर, subconscious (सबकॉन्शस्) = अवचेतन, faded (फेडड्) = रंग उतरना, greeted (ग्रीट्ड) = अभिवादन किया, resolving (रिजॉल्व्ङ् ) = कृतसंकल्प होकर, haunted place (हॉन्ड प्लेस्) = भुतहा स्थान। 

हिन्दी अनुवाद : उसे पूर्णिमा की रात में चाँदनी में धुला सफेद भू-दृश्य बहुत सुन्दर लगता था। परन्तु ईश्वरन की उस भूत-स्त्री की कहानी सुनने के पश्चात् पूर्णिमा की रात को खिड़की से बाहर झाँकने का उसमें साहस न रह गया था।

एक रात अपनी खिड़की के समीप कराहने की आवाज सुनकर महेन्द्र की नींद खुली। पहले तो उसने यह समझा कि कोई बिल्ली चूहों के शिकार के लिए घूम रही है, परन्तु आवाज गले की इतनी गहराई से आ रही थी कि यह बिल्ली की आवाज नहीं हो सकती थी।

उसे बाहर देखने की जिज्ञासा हुई, पर उसे डर लग रहा था कि कोई भयानक दृश्य न हो जिससे उसकी हृदय गति रुक जाए। परन्तु आवाज ऊँची होती गई और स्पष्ट रूप से वह बिल्ली की नहीं थी। वह अपनी जिज्ञासा को रोक न सका। खिड़की के समीप बैठकर उसने बाहर चाँदनी रात में झाँका। 

थोड़ी दूरी पर ही एक छाया गठरी-सी उठाए खड़ी थी। महेन्द्र डर से पसीना-पसीना हो गया और हाँफते हुए वह अपने तकिए पर जा गिरा। धीरे-धीरे जब वह इस भयानक दृश्य के प्रभाव से उबरा तो उसने अपने मन को समझाया कि यह अवश्य ही उसके अपने मन की किसी प्रकार की कल्पना होगी, कोई ऐसी चाल जो उसके अवचेतन मन ने उस पर चली होगी।

सवेरे जब वह उठा, नहाया और नाश्ता करने अपने कमरे से बाहर आया तो रात वाली भयानक घटना उसके मन से निकल चुकी थी। ईश्वरन ने दरवाजे पर उसका दोपहर के खाने का पैकट व थैला थमाया। जैसे ही महेन्द्र बाहर कदम रख रहा था, ईश्वरन धृष्टता से मुस्कराया और बोला, 'श्रीमान्, याद है जब मैंने आपको उस स्त्री भूत की बात सुनाई थी तो आप मुझसे नाराज हो गए थे।

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अब तो आपने भी कल रात उसे देख लिया है। जब मैंने आपके कमरे से आवाज आती सुनी तो मैं दौड़कर आया था.... महेन्द्र को कंपकंपी-सी हुई। उसने ईश्वरन का वाक्य पूरा न सुना। वह सीधा अपने कार्यालय में गया और अपना त्याग-पत्र दे दिया। उसने भूतों वाले उस स्थान को अगले दिन ही छोड़ कर जाने का निश्चय कर लिया था!
 

Bhagya
Last Updated on May 18, 2022, 5:03 p.m.
Published May 18, 2022