Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Our Rajasthan Chapter 8 आजादी से पूर्व राजस्थान में सामाजिक-शैक्षणिक सुधार Textbook Exercise Questions and Answers.
I. निम्नलिखित प्रश्नों के सही उत्तर के विकल्प को कोष्ठक में लिखिए
1. आजादी पूर्व राजस्थान में कौन-सी कुप्रथाएँ थीं
(अ) सती प्रथा
(ब) डाकन प्रथा
(स) बाल विवाह
(द) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(द) उपरोक्त सभी
2. 1819 में आधुनिक शिक्षा का पहला स्कूल कहाँ खोला गया?
(अ) जयपुर
(ब) अजमेर
(स) उदयपुर
(द) जोधपुर
उत्तर:
(ब) अजमेर
II. मिलान कीजिए
1. दास प्रथा |
(i) उदयपुर |
2. अमृता देवी |
(ii) अजमेर |
3. मेयो कॉलेज |
(iii) कुरीतियाँ |
4. विद्याभवन |
(iv) खेजड़ली आंदोलन |
उत्तर:
1. दास प्रथा |
(iii) कुरीतियाँ |
2. अमृता देवी |
(iv) खेजड़ली आंदोलन |
3. मेयो कॉलेज |
(ii) अजमेर |
4. विद्याभवन |
(i) उदयपुर |
III. अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना किस उद्देश्य से की गई?
उत्तर:
वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना का उद्देश्य पूर्व एवं पश्चिम की आध्यात्मिक विरासत एवं वैज्ञानिक उपलब्धि के समन्वय को व्यक्त करने वाले व्यक्तित्व का विकास करना रहा है।
प्रश्न 2.
आधुनिक शिक्षा के नाम से खोले गए स्कूलों के बन्द होने का कारण बताइए।
उत्तर:
आधुनिक शिक्षा के नाम से खोले गए स्कूलों में ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार किया जा रहा था, अत: ईसाई धर्म की शिक्षा का विरोध हुआ। परिणामतः ये स्कूल बंद कर दिए गए।
IV. लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
नानाभाई, सेंगाभाई एवं कालीबाई की जीवनी को बताइए।
उत्तर:
नाना भाई खांट डूंगरपुर में पाठशाला के संचालक थे, सेंगा भाई उसी पाठशाला में अध्यापक थे, जबकि कालीबाई डूंगरपुर गाँव की 13 वर्षीय भील बालिका थी। पाठशाला द्वारा जनजागृति का कार्य किया जा रहा था, जो कि वहाँ के महारावल को पसंद नहीं था। अतः उन्होंने पाठशाला को बंद करने के लिए मजिस्ट्रेट व पुलिस को भेजा। पुलिस ने नानाभाई को पाठशाला बंद करने को कहा, उनके मना करने । पर उन्हें गोली मार दी गई, जबकि सेंगा भाई को पीटकर रस्सी से गाड़ी के पीछे बांध दिया गया। किसी भी व्यक्ति ने प्रतिरोध नहीं किया परन्तु बालिका कालीबाई जो खेत से घास काटकर आ रही थी, उसने हिम्मत दिखाई और सेंगा भाई की रस्सी को दाँतली से काट दिया। यह देखकर पुलिस ने नन्हीं बालिका पर अंधाधुंध गोलियाँ बरसाई। कालीबाई अपने गुरु की रक्षा करते हुए शहीद हो गई । इस प्रकार, नाना भाई की हिम्मत, सेंगा भाई की सहनशीलता व कालीबाई के त्याग ने शिक्षा के प्रति समर्पण, लगन और गुरुभक्ति की मिसाल प्रस्तुत की।
प्रश्न 2.
बाल विवाह किसे कहते हैं? समझाइए।
उत्तर:
बाल विवाह: कम उम्र या अवयस्क बालकबालिकाओं का विवाह कर देना बाल विवाह कहलाता है, यह एक कुप्रथा है। इससे बालक-बालिकाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, जो कि किसी भी प्रगतिशील समाज के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है।
राष्ट्रीय स्तर पर बाल विवाह जैसी कुप्रथा को रोकने हेतु समाज सुधारक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आवाज उठाई। परिणामस्वरूप, 10 दिसम्बर, 1903 को अलवर रियासत ने बाल विवाह निषेध कानून बनाया। भारत स्तर पर, बाल विवाह पर रोक संबंधी कानुन सर्वप्रथम सन् 1929 में पारित किया गया । सन् 1949, 1978 और 2006 में इसमें संशोधन किए गए। वर्तमान में विवाह हेतु बालिकाओं की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और बालकों की 21 वर्ष निर्धारित है।
I. निम्नलिखित वस्तुनिष्ठ प्रश्नों के सही उत्तर लिखिए
1. राजस्थान में ब्रिटिश शासन का प्रभाव रहा।
(अ) 1818 से 1947 तक
(ब) 1857 से 1947 तक
(स) 1915 से 1947 तक
(द) 1935 से 1943 तक
उत्तर:
(अ) 1818 से 1947 तक
2. लॉर्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा को कब गैर कानूनी घोषित किया?
(अ) 1818 ई. में
(ब) 1829 ई. में
(स) 1832 ई. में
(द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) 1829 ई. में
3. राजस्थान में कन्या वध की कुप्रथा को सर्वप्रथम किस राज्य ने गैर कानूनी घोषित किया?
(अ) कोटा
(ब) बीकानेर
(स) जोधपुर
(द) अलवर
उत्तर:
(अ) कोटा
4. अंग्रेजों ने 1833 ई. के चार्टर अधिनियम द्वारा किस प्रथा को समाप्त किया?
(अ) कन्या वध
(ब) सती प्रथा
(स) दास प्रथा
(द) डाकन प्रथा
उत्तर:
(स) दास प्रथा
II. रिक्त स्थानों की उचित शब्दों द्वारा पूर्ति कीजिए
1. भारतीय समाज में ........ से ही शिक्षा का महत्त्व
2. ............. ई. में अंग्रेजी भाषा को राजकीय भाषा बना दी गई
3. डूंगरपुर राज्य में जनजागृति हेतु सेवा संघ द्वारा ........... खोली गई
4.10 मार्च, 1905 को जन्मे ......... सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में प्रसिद्ध हैं
उत्तर:
1. प्राचीन काल
2. 1835
3. पाठशालायें
4. मामा बालेश्वर दयाल।
III. अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
प्राचीन काल में किस तरह का जातिगत स्वरूप विद्यमान था?
उत्तर:
प्राचीन काल में समाज में वर्णव्यवस्था पर आधारित जातिगत स्वरूप विद्यमान था, जो श्रम और कार्य विभाजन पर आधारित सकारात्मक व्यवस्था थी।
प्रश्न 2.
ब्रिटिश सरकार किस कारण भारतीय जनता के सामाजिक और धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती थी?
उत्तर:
अपनी अहस्तक्षेप नीति के चलते ब्रिटिश सरकार भारतीय जनता के सामाजिक और धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती थी।
प्रश्न 3.
सती प्रथा को रोकने का प्रयास किन मुस्लिम शासकों ने भी किया?
उत्तर:
मध्यकाल में मुहम्मद बिन तुगलक और अकबर ने भी सती प्रथा को रोकने के प्रयास किए।
प्रश्न 4.
डाकन प्रथा का प्रचलन सर्वाधिक कहाँ था?
उत्तर:
राजस्थान के मेवाड़ और कोटा राज्यों में डाकन प्रथा का प्रचलन अधिक था।
IV. लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
राजस्थान में शिक्षा की स्थिति एवं सुधार की ओर उठाए गए कदम की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
राजस्थान में शिक्षा विभिन्न कालक्रमों से गुजरी है। अंग्रेजी प्रशासन ने 19वीं शताब्दी से पूर्व की शिक्षा को देशी शिक्षा का नाम दिया। जबकि इसके बाद की शिक्षा को अंग्रेजी शिक्षा, पाश्चात्य शिक्षा या आधुनिक शिक्षा का शीर्षक प्रदान किया। इस प्रकार, 19वीं शताब्दी में जहाँ शिक्षा का प्रारम्भिक स्वरूप नजर आता है तो वहीं अंग्रेजी शिक्षा का प्रभाव भी स्पष्ट होता है।
सन् 1819 ई. में आधुनिक शिक्षा का प्रथम विद्यालय अजमेर में खोला गया, तत्पश्चात् पुष्कर, भिनाय एवं केकड़ी में भी शिक्षण संस्थायें खुली। सन् 1835 में अंग्रेजी भाषा को राजकीय भाषा बना दी गई। अत: अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली का महत्त्व बढ़ा और रियासतों में आधुनिक शिक्षा प्रणाली अपनाने वाले शिक्षण संस्थायें खुलने लगीं। सन् 1872 में वायसराय लॉर्ड मेयो के नाम पर अजमेर में मेयो कॉलेज की स्थापना हुई, जिसका प्रथम सत्र 1875-76 में प्रारंभ हुआ। इसी क्रम में, पण्डित जनार्धन राय नागर ने सभी के लिए शिक्षा उद्देश्य से 21 अगस्त, 1937 को राजस्थान विद्यापीठ संस्था की स्थापना की।
प्रश्न 2.
राजस्थान में महिला शिक्षा हेतु किए गए प्रयासों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सन् 1861 ई. में मिशनरी संस्था कन्या वर्नाकुलर स्कूल प्रारम्भ किया गया। सरकार द्वारा 1866 ई. में पुष्कर अजमेर मेरवाड़ा केन्द्र शासित क्षेत्र में प्रथम सरकारी कन्या स्कूल खोला गया। इसके साथ ही देशी रियासतों में महिला शिक्षा को प्रोत्साहित करने के प्रयास किए गए। परिणामस्वरूप, उदयपुर, जयपुर, भरतपुर, अलवर, कोटा, झालावाड़, टोंक, बीकनेर आदि रियासतों में कन्या विद्यालय की शुरुआत की गई।
हीरालाल शास्त्री ने अपनी पत्नी रतन शास्त्री के सहयोग से महिला शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना की। श्रीमती रतन शास्त्री को महिला शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली महिला के तौर पर जाना जाता है। महिला शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के कारण इन्हें कई सम्मान मिले, जिनमें पद्मश्री, पद्मभूषण एवं जमनालाल बजाज अवार्ड प्रमुख हैं।
V. निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
आजादी से पूर्व राजस्थान में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व राजस्थान में सती प्रथा, कन्या वध, बाल विवाह, अनमेल विवाह, दास प्रथा व डाकन प्रथा जैसी कुरीतियाँ प्रचलित थीं। इन कुरीतियों का परिचय निम्नलिखित है
1. सती प्रथा: पति की मृत्यु के पश्चात् उसकी पत्नी को अपने पति की चिता में जलना सती प्रथा थी। यह कुप्रथा भारत के अन्य क्षेत्रों के साथ राजस्थान में भी प्रचलित थी। ब्रिटिश काल में राजा राममोहन राय के अथक प्रयासों के वशीभूत होकर लॉर्ड विलियम बैंटिक ने सन् 1829 ई. में कानून बनाकर सती प्रथा को गैर कानूनी घोषित कर दिया।
2. कन्या वध-कन्या वध की कुप्रथा का प्रचलन भी जोरों पर था, लोग कन्याओं को पैदा होते ही मार देते थे। राजस्थान में कन्या वध कुप्रथा को सर्वप्रथम के राज्य ने गैर कानूनी घोषित किया । तत्पश्चात् बीकानेर, जोधपुर, जयपुर, उदयपुर और अलवर राज्यों ने इस प्रथा को गैर कानूनी घोषित किया।
3.बाल विवाह एवं अनमेल विवाह-कम उम्र की कन्याओं का विवाह उनसे अधिक उम्र के पुरुषों से करना अनमेल विवाह कहलाता है। जबकि कम उम्र के अवयस्क बालकबालकाओं का विवाह कर देना बाल विवाह कहलाता है। ये दोनों ही कुप्रथाएँ समाज में प्रचलित थीं। इससे बालकबालिकाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है जो कि प्रगतिशील समाज के लिए उपयुक्त नहीं होता। राष्ट्रीय स्तर पर इन कुप्रथाओं को रोकने हेतु स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आवाज उठाई । जबकि राजस्थान में 10 दिसम्बर, 1903 को अलघर रियासत ने बाल विवाह और अनमेल विवाह निषेध कानून बनाया।
4. दास प्रथा-भारत में यह प्रथा प्राचीन काल से अस्तित्व में थी। राजस्थान भी इससे बच नहीं था। दास शासकों, सामंतों या धनिकों के यहाँ सेवा-सुश्रुषा के लिए रखे जाते थे। दासों की संख्या के आधार पर कुल और परिवारों की प्रतिष्ठा एवं उच्चता का आंकलन होता था। इस प्रथा को चाकर या हाली के तौर पर जाना जाता था। इस कुप्रथा को अंग्रेजों ने 1833 ई. के चार्टर अधिनियम द्वारा समाप्त किया।
5. डाकन प्रथा-यह अंधविश्वास पर आधारित कुप्रथा थी। इस कुप्रथा के तहत राजस्थान में कुछ जातियों में स्त्रियों पर डाकन होने का आरोप लगाकर उन्हें मार डाला जाता था। मेवाड़ और कोटा में इसका प्रचलन अधिक था। सन् 1833 ई. में ए.जी.जी. राजपूताना ने इस प्रथा के उन्मूलन हेतु रियासतों के शासकों पर दबाव डाला। परिणामतः इस कुप्रथा को निषेध कर दिया गया।
प्रश्न 2.
आजादी से पूर्व राजस्थान में सामाजिक एवं शैक्षणिक सुधार करने वाले जननायकों का परिचय दीजिए।
उत्तर:
राजस्थान की भूमि पर ऐसे जननायक भी हुए हैं, जिन्होंने समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के साथ ही शैक्षणिक सुधर कार्य भी किए। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं
1. भोगीलाल पण्ड्या: ये सन् 1904 में डूंगरपुर में जन्मे। इन्होंने डूंगरपुर में विद्यालय की स्थापना की। इसके अतिरिक्त इन्होंने प्रौढ़ों के लिए भी पाठशाला स्थापित की, वह आगे चलकर वागड़ सेवा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
2. नाना भाई खांट, सेंगा भाई, कालीबाई: नाना भाई खांट डूंगरपुर में जन-जागृति हेतु सेवा संघ द्वारा खोली गई पाठशाला के संचालक थे, उसी पाठशाला में सेंगाभाई अध्यापक थे। जबकि कालीबाई पाठशाला में पढ़ने वाली 13 वर्षीय भील कन्या थी। महारावल को पाठशाला द्वारा पठन-पाठन पसंद नहीं था, अतः उसने उसे बंद करवाने हेतु पुलिस भेजा । नाना भाई द्वारा मना किए जाने पर पुलिस ने उनकी हत्या कर दी। बीच-बचाव करने पर सेंगा भाई को पहले तो पीटा गया। फिर रस्सी से बाँधकर गाड़ी से खींचा गया, यह देख कालीबाई ने दांतली से अपने गुरु की रस्सी काट दी। इस पर पुलिस ने उस बालिका पर गोलियाँ चलाईं। अल्पायु में कालीबाई शहीद हो गयी। इस प्रकार, नाना भाई खांट, सेंगा भाई व कालीबाई ने शिक्षा हेतु त्याग किया।
3. करणी सिंह: बीकानेर रियासत के महाराजा करणी सिंह का जन्म 1924 ई. में हुआ था। इनके द्वारा बालिका शिक्षा हेतु सराहनीय प्रयास किए गए। इन्होंने सहशैक्षिक गतिविधियों के उन्नयन हेतु खेलकूद, निशानेबाजी आदि को प्रोत्साहित किया एवं छात्रवृत्ति की शुरुआत की।
4. हीरालाल शास्त्री: इनका जन्म जयपुर के जोबनेर में एक कृषक परिवार के घर 24 नवम्बर, 1899 में हुआ। समाज सेवा की भावना से ये बचपन से ओत-प्रोत थे। सन् 1929 में इन्होंने दूरस्थ एवं पिछड़े गाँव वनस्थली को अपना कार्यक्षेत्र चुना। यहाँ इन्होंने जीवन कुटीर नामक संस्था स्थापित की। ये आगे चलकर प्रजामंडल में भी सक्रिय रहे तथा 1948 ई. में जयपुर स्टेट के एवं 30 मार्च, 1949 को राजस्थान के प्रथम मुख्यमंत्री बने। महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपनी पत्नी के सहयोग से वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना भी की।
5. श्रीमती रतन शास्त्री: इन्हें महिला शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए जाना जाता है। इन्होंने हीरालाल शास्त्री के सहयोग से वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना की। महिला एवं बच्चों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान एवं सराहनीय कार्य करने हेतु इन्हें विभिन्न सम्मानों से पुरस्कृत किया गया। जिनमें से प्रमुख हैं—पद्मश्री, पद्मभूषण एवं जमनालाल बजाज अवार्ड।
6. किशोरी देवी: इनका जन्म झुंझुनूं जिले के दुलारों का बास गाँव में हुआ था। ये स्वतंत्रता सेनानी एवं सामजिक कार्यकर्ता थीं। 1938 ई. में इनके पति सरदार हरलाल सिंह को झूठे मुकदमे में फंसाकर वहाँ के जागीरदार ने कारावास में डाल दिया। जिसका विरोध करने के लिए किशोरी देवी ने आंदोलन चलाया। उन्होंने महिलाओं का समूह बनाकर जयपुर में सत्याग्रह भी किया। इसके अतिरिक्त, महिलाओं के उत्थान हेतु कई समाज सुधार कार्य भी किए।
7. मामा बालेश्वर दयाल: इनका जन्म 10 मार्च, 1905 को हुआ तथा ये राजस्थान में सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काफी प्रसिद्ध हैं। इन्होंने भील जनजाति के उत्थान हेतु विशेष कार्य किया। इस हेतु उन्होंने जल, जंगल और जमीन नामक प्रमुख आंदोलन चलाया।