Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 7 जनसंपर्क साधन और जनसंचार Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
(अ) एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें जहाँ कोई टेलीविजन, सिनेमा, समाचारपत्र, पत्रिका, इंटरनेट, टेलीफोन या मोबाइल फोन कछ भी न हों।
(ब) आप अपने किसी एक दिन के दैनिक क्रियाकलापों को लिखें। उन अवसरों का पता लगाएँ जब आपने जनसम्पर्क या जनसंचार के किसी - न - किसी साधन का प्रयोग किया हो।
(स) अपनी से पुरानी पीढ़ी के व्यक्तियों से पता लगाएँ कि संचार के इन साधनों के अभाव में जीवन कैसा था। आप उस जीवन की तुलना अपने जीवन से करें।
(द) संचार प्रौद्योगिकियों का विकास होने से कार्य करने और खाली समय को बिताने के तरीकों में किस प्रकार का बदलाव आया है? चर्चा करें।
उत्तर:
(अ) आज मास मीडिया (टेलीविजन, सिनेमा, समाचार पत्रिका, इंटरनेट, टेलीफोन या मोबाइल फोन) हमारे दैनिक जीवन का एक अंग बन गया है। इसलिए जनसम्पर्क के किसी माध्यम से विहीन दुनिया की कल्पना करना भी कठिन है। लेकिन औद्योगिक क्रांति से पूर्व सभी देशों में इस प्रकार के साधनों का अभाव था। अतः यह कल्पना की जा सकती है कि यदि मास मीडिया के ये साधन नहीं होंगे तो हमारी दुनिया औद्योगिक क्रांति से पूर्व की दुनिया की भाँति हो जायेगी।
औद्योगिक क्रांति से पूर्व कोई व्यक्ति अन्य व्यक्ति से विचारों का आदान - प्रदान आमने - सामने की स्थिति में करता था जिसे अन्तर - व्यक्ति संचार कहा जाता था। जब मास मीडिया विकसित नहीं हुए थे तो इसी प्रकार का संचार व्यक्तियों की अन्तःक्रियाओं का आधार था। इस स्थिति में दूर स्थित अपने नातेदारों का हाल - चाल पूछना भी कठिन कार्य था। मास मीडिया के अभाव में पुनः हम ऐसी ही दुनिया की कल्पना कर सकते हैं।
(ब) एक दिन के दैनिक क्रियाकलाप छात्र स्वयं लिखें। निम्नलिखित अवसरों पर हम जनसम्पर्क या जनसंचार का प्रयोग करते हैं।
(स) संचार के इन साधनों के अभाव में पुरानी पीढ़ी पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ता था क्योंकि उन्हें इन चीजों की आदत नहीं थी। वे सादा जीवन उच्च विचार का अनुसरण करते थे। उदाहरण के लिए - प्रथमतः आज संचार के साधनों के उपलब्ध होने पर बच्चे अपना मनोरंजन कार्टून नेटवर्क, पोगो या अन्य किसी चैनल के कार्यक्रम देखकर घर के भीतर ही करते हैं, जबकि इन संचार के साधनों के अभाव में पहली पीढ़ियों के बच्चे आस - पड़ोस के बच्चों के साथ खेलकर अथवा अपने ही परिवार में दादा - दादी से कहानी सुनकर अपना मनोरंजन करते थे। मनोरंजन की आवश्यकता अब भी बच्चों को वैसी ही है, जैसे पहले थी। पहले परिवार एवं पड़ोस इसका साधन था तो आज रेडियो, टेलीविजन इसका साधन हैं।
दूसरे, संचार के साधनों के अभाव में दूर - दराज के नातेदारों से उतना सम्पर्क नहीं हो पाता था जितना आज सम्भव है। लेकिन पहले गतिशीलता भी नहीं थी। नातेदार बहुत देर के नहीं होते थे, बल्कि पड़ोस के कस्बे या गाँव में ही होते थे; परिवार के सदस्य बहुत दूर नौकरी आदि करने के लिए नहीं जाते थे। इसलिए उनसे निरन्तर सम्पर्क स्थापित करने की भी कोई समस्या नहीं थी।
तीसरे, उस समय की पीढ़ी अधिकांश कार्य हाथ या जानवर की सहायता से करती थी जैसे - आटा व मसाले पीसना, खेती करना, फसल काटना इत्यादि; इस कारण उनका अधिकांश समय कार्य करने में व्यतीत हो जाता था। उन्हें खाली समय कम मिलता था। आज अधिकांश घरेलू कार्य मशीनों के माध्यम से होते हैं। आवागमन के लिए विभिन्न यातायात के साधन मनोरंजन व ज्ञान प्राप्ति के लिए विभिन्न जनसंचार के साधन हैं जो आज की पीढ़ी के जीवन का अभिन्न अंग हैं।
(द) संचार प्रौद्योगिकियों का विकास होने से कार्य करने और खाली समय के बिताने के तरीकों में अनेक प्रकार का बदलाव आया है। यथा:
पहले खाली समय बिताने के लिए आस - पड़ोस के सम - वयस्क मित्रों की आवश्यकता होती थी। व्यक्ति अपना खाली समय घर के कामकाज में, बच्चों के साथ अथवा पड़ोसियों के साथ बिताता था। पहले संयुक्त परिवार होने से बच्चे अपने परिवार में ही, पारिवारिक गप - शप या मनोरंजन में अपना खाली समय निकाल लेते थे।
आजकल शहरों में एकाकी परिवार की प्रमुखता है तथा पड़ोस के महत्त्व में कमी आई है। अब व्यक्ति अपना खाली समय व्यतीत करने के लिए संचार प्रौद्योगिकियों के विकास का लाभ उठाता है। वह इंटरनेट द्वारा चैटिंग कर अथवा दूरदराज पर अपने दोस्तों को ई - मेल भेजकर अथवा टेलीविजन देखकर अपना खाली समय व्यतीत करता है। निर्धन लोग रेडियो सुनकर भी अपने खाली समय में मनोरंजन कर लेते हैं । आधुनिक शिक्षित नारियाँ खाली समय में कोई व्यावसायिक कार्य कर या नौकरी कर अपना समय व्यतीत करती हैं या किटी पार्टी का सहारा लेती हैं, अधिकांश गृहिणियाँ टेलीविजन के सोप-ओपेरा कार्यक्रम देखकर अपना समय बिताती हैं।
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प्रश्न 2.
स्वतंत्रता - प्राप्ति के बाद के पहले दो दशकों में जो लोग बड़े हुए हैं उनकी पीढ़ी में से अपने किसी परिचित व्यक्ति से उन वृत्तचित्रों के बारे में पूछे जो उन दिनों सिनेमाघर में फिल्म दिखाने से पहले नियमित रूप से दिखाए जाते थे।
उत्तर:
स्वतंत्रता - प्राप्ति के बाद के पहले के दो दशकों में सिनेमाघर में फिल्म दिखाने से पहले नियमित रूप से अस्पृश्यता, बाल - विवाह, विधवा बहिष्कार जैसी सामाजिक कुरीतियों व जादू - टोना और विश्वासचिकित्सा जैसे अंधविश्वासों के विरुद्ध लड़ने के लिए डॉक्यूमेन्ट्री फिल्में दिखाई जाती थीं। दूसरे, सरकार द्वारा किये जाने वाले विकास कार्यक्रमों को दिखाया जाता था। तीसरे, अनेक वृत्तचित्र उस शहर की किसी निजी कम्पनी या जानी - मानी दुकान के भी होते थे। ऐसे विज्ञापन उन उत्पादों का प्रचार करते थे जो उस निजी कंपनी या दुकान द्वारा बनाए जाते थे। चौथे, राजनीतिक दल अपने दल का प्रचार करने एवं वोट माँगने हेतु भी इन वृत्त चित्रों का प्रयोग करते थे। पाँचवें, आने वाली फिल्मों के टेलर भी वृत्तचित्रों के रूप में लोगों को दिखाए जाते थे ताकि वे उनके बारे में जान सकें।
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प्रश्न 3.
(अ) पुरानी पीढ़ी के विभिन्न लोगों से मिलें और पता लगाएँ कि 1970 और 1980 के दशकों में टेलीविजन के कार्यक्रमों में क्या दिखाया जाता था?
(ब) क्या उन लोगों में से बहुतों को टेलीविजन उपलब्ध था?
उत्तर:
(अ) 1970 और 1980 के दशक में टेलीविजन सीमित समय के लिए चलता था। टेलीविजन पर शनिवार, रविवार को दो फिल्में दिखाई जाती थीं। बुधवार व शुक्रवार को फिल्मी गानों का 'चित्रहार' दिखाया जाता था। कभी - कभी फिल्मों की जानकारी के लिए 'फूल खिले हैं गुलशन - गुलशन' दिखाया जाता था। उस समय के बेहद लोकप्रिय धारावाहिक 'हम लोग' और 'बुनियाद' रहे। इसके बाद रामायण और महाभारत कार्यक्रमों ने टेलीविजन की लोकप्रियता को बहुत बढ़ा दिया। ग्रामीण किसानों के लिए भी विभिन्न कार्यक्रम 'कृषि दर्शन' और 'खेत खलिहान' जैसे कार्यक्रम दिखाए जाते थे जिससे वे खेती में सुधार कर सकें।
(ब) उस समय टेलीविजन बहुत कम घरों में उपलब्ध होते थे। शनिवार, रविवार को अधिकांश लोग जिनके टेलीविजन नहीं था वे अपने पड़ोसी या मित्र, रिश्तेदार के यहाँ टेलीविजन पर फिल्में देखने जाते थे।
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प्रश्न 4.
(अ) पता लगाइए कि जिस समाचार पत्र से आप भलीभाँति परिचित हैं, वह कितने स्थानों से निकाला जाता है?
(ब) क्या आपने गौर किया है कि उनमें किसी नगर के हितों और घटनाओं को विशेष महत्त्व देने वाले परिशिष्ट होते हैं ?
(स) क्या आपने ऐसे अनेक वाणिज्यिक परिशिष्टों को देखा है जो आजकल कई समाचारपत्रों के साथ आते हैं?
उत्तर:
(अ) हम 'दैनिक भास्कर' समाचार पत्र से भली - भाँति परिचित हैं । यह 13 राज्यों से निकलता है तथा इसके 52 संस्करण हैं।
(ब) हाँ, इसमें नगर के हितों और घटनाओं को विशेष महत्त्व देने वाले परिशिष्ट होते हैं।
(स) हाँ, हमने ऐसे अनेक वाणिज्यिक परिशिष्ट जैसे 'सिटी भास्कर', 'मधुरिमा', 'रसरंग', 'भास्कर क्लासीफाइड' देखे हैं, जो भास्कर समाचारपत्रों के साथ आते हैं।
प्रश्न 1.
समाचारपत्र उद्योग में जो परिवर्तन हो रहे हैं, उनकी रूपरेखा प्रस्तुत करें। इन परिवर्तनों के बारे में आपकी क्या राय है?
उत्तर:
समाचार - पत्र उद्योग में हो रहे परिवर्तनों की रूपरेखा समाचारपत्र उद्योग में आज विभिन्न प्रकार के परिवर्तन हो रहे हैं, यथा
प्रश्न 2.
क्या एक जनसंचार के माध्यम के रूप में रेडियो खत्म हो रहा है? उदारीकरण के बाद भी भारत में एफ.एम. स्टेशनों के सामर्थ्य की चर्चा करें।
उत्तर:
टेलीविजन की लोकप्रियता से पहले जनसंचार के माध्यम के रूप में रेडियो की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। दो - तिहाई घरों में रेडियो समाचारों और मनोरंजन का प्रमुख साधन था। टेलीविजन की बढ़ती लोकप्रियता से ऐसा लगने लगा कि रेडियो ख़त्म होता जा रहा है। लेकिन एक जनसंचार के माध्यम के रूप में रेडियो खत्म नहीं हो रहा है। 2002 में गैर - सरकारी स्वामित्व वाले एफ.एम. रेडियो स्टेशनों की स्थापना से आज पुनः रेडियो जनसंचार का एक लोकप्रिय साधन बन गया है।उदारीकरण के बाद भारत में एफ.एम. स्टेशनों के सामर्थ्य :
प्रश्न 3.
टेलीविजन के माध्यम में जो परिवर्तन होते रहे हैं, उनकी रूपरेखा प्रस्तुत करें। चर्चा करें।
अथवा
टेलीविजन माध्यम में हो रहे परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
टेलीविजन के माध्यम में होने वाले परिवर्तन - भारत में टेलीविजन के माध्यम में निम्न प्रकार परिवर्तन होते रहे हैं।
(1) भारत में पहले 1959 ई. में ग्रामीण - विकास को बढ़ावा देने के लिए टेलीविजन के कार्यक्रमों को प्रयोग के रूप में चालू किया गया था।
(2) अगस्त 1975 से जुलाई 1976 के बीच उपग्रह की सहायता से शिक्षा देने के प्रयोग के अन्तर्गत टेलीविजन ने छः राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक दर्शकों के लिए प्रत्यक्ष रूप से प्रसारण किया। इसी बीच दिल्ली, मुम्बई, श्रीनगर और अमृतसर में 1975 ई. तक टेलीविजन केन्द्र स्थापित कर दिये गये थे।
(3) दिल्ली में एशियाई खेलों के दौरान रंगीन प्रसारण प्रारम्भ हुआ तथा 1984 - 85 ई. के दौरान टेलीविजन ट्रांसमीटरों की संख्या देशभर में बढ़ गई जिसके फलस्वरूप जनसंख्या का एक बड़ा अनुपात उसमें सम्मिलित हो गया।
(4) रंगीन प्रसारण के प्रारम्भ किये जाने और राष्ट्रीय नेटवर्क में तेजी से विस्तार हो जाने के फलस्वरूप टेलीविजन प्रसारण का बहुत तेजी से वाणिज्यीकरण हुआ और टेलीविजन राजस्व अर्जित करने का भी एक प्रमुख माध्यम बन गया। 'हम लोग', 'बुनियाद', 'रामायण' और 'महाभारत' सीरियल अत्यन्त लोकप्रिय हुए तथा टी.वी. ने बड़ी मात्रा में राजस्व अर्जित किया।
(5)अब भूमण्डलीकरण के युग में टेलीविजन ने नई सूचना एवं संचार क्रांति को जन्म दे दिया है। स्पेस तकनीक के कारण अब टेलीविजन संसार की प्रमुख घटनाओं को यथा - तथ्य दिखाने में समर्थ हो गया है। इससे व्यक्ति उन घटनाओं का सहभागी और साक्षी महसूस करता है। 1991 के बाद भारत में टेलीविजन माध्यम में निम्न परिवर्तन परिलक्षित हुए हैं।