RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 7 परियोजना कार्य के लिए सुझाव

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 7 परियोजना कार्य के लिए सुझावTextbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Sociology Solutions Chapter 7 परियोजना कार्य के लिए सुझाव

RBSE Class 12 Sociology परियोजना कार्य के लिए सुझाव Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
परियोजना कार्य का उद्देश्य होता है
(क) उपयोगितावादी 
(ख) सामाजिक
(ग) राजनीतिक 
(घ) आर्थिक 
उत्तर:
(क) उपयोगितावादी 

प्रश्न 2. 
परियोजना कार्य का आरम्भ होता है
(क) शोध प्रणाली के चयन से
(ख) शोध प्रश्न के निर्धारण से 
(ग) उपलब्ध समय की मात्रा से
(घ) शोध पद्धति से 
उत्तर:
(ख) शोध प्रश्न के निर्धारण से 

प्रश्न 3. 
शोध प्रश्न का सावधानीपूर्वक चयन करने के बाद शोधकर्ता का कार्य होता है
(क) शोध प्रश्न का निर्धारण करना
(ख) शोध प्रणाली का चयन करना 
(ग) शोध तकनीक का चुनाव करना
(घ) उपलब्ध संसाधनों का चयन करना
उत्तर:
(ख) शोध प्रणाली का चयन करना 

RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 7 परियोजना कार्य के लिए सुझाव

प्रश्न 4. 
परियोजना कार्य का चरण नहीं है
(क) शोध प्रश्न का चयन करना
(ख) शोध प्रणाली का चयन करना 
(ग) शोध पद्धति का चयन करना
(घ) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर:
(घ) इनमें से कोई नहीं 

प्रश्न 5. 
सर्वेक्षण प्रणाली में निर्धारित प्रश्नों को
(क) अपेक्षाकृत बड़ी संख्या में लोगों से पूछा जाता है 
(ख) अपेक्षाकृत कम संख्या में लोगों से पूछा जाता है
(ग) सुविधानुसार पूछा जाता है
(घ) कोई भी नहीं 
उत्तर:
(क) अपेक्षाकृत बड़ी संख्या में लोगों से पूछा जाता है 

प्रश्न 6. 
प्रश्नों की सूची जो कि सर्वेक्षणकर्ता के द्वारा उत्तरदाता को सौंपी जाती है, कहलाती है
(क) अनुसूची
(ख) प्रश्नावली 
(ग) सर्वेक्षण सूची
(घ) साक्षात्कार पुस्तिका 
उत्तर:
(ख) प्रश्नावली 

प्रश्न 7. 
साक्षात्कार का प्रकार नहीं है
(क) संरक्षित साक्षात्कार
(ख) असंरक्षित साक्षात्कार 
(ग) गहन साक्षात्कार
(घ) पुनरावलोकन साक्षात्कार 
उत्तर:
(घ) पुनरावलोकन साक्षात्कार 

प्रश्न 8. 
समाचार-पत्र और टेलीविजन के बारे में शोधकार्य के लिए विधि काम में ली जा सकती है
(क) सर्वेक्षण पद्धति 
(ख) ऐतिहासिक पद्धति 
(ग) दोनों ही 
(घ) कोई भी नहीं
उत्तर:
(ग) दोनों ही 

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

प्रश्न 1.
...............प्रणाली में पूछे गए प्रश्न पहले से ही निर्धारित होते हैं।
उत्तर:
सर्वेक्षण

प्रश्न 2.
...............पद्धति में सम्बन्धित विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की जा सकती है।
उत्तर:
साक्षात्कार

प्रश्न 3.
...............तैयार करने का काम ऊपर से आसान दिखता है परन्तु व्यावहारिक रूप से सरल नहीं होता। 
उत्तर:
अभिलेख

प्रश्न 4. 
समाचार-पत्र और टेलीविजन जैसे साधनों की बदलती हुई स्थिति के बारे में शोध करने के लिए और...............पद्धतियों को एक साथ अपनाया जा सकता है।
उत्तर:
सर्वेक्षण

प्रश्न 5. 
...............के माध्यम से कही गई बातों और वास्तविक व्यवहार के बीच के अन्तर को जाना जा सकता है।
उत्तर:
प्रेक्षण 

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
परियोजना से क्या तात्पर्य है? 
उत्तर:
यह वास्तविक जीवन का भाग है जिसका प्रयोग विद्यालय में किया जाता है। 

प्रश्न 2. 
परियोजना कार्य से क्या तात्पर्य है? 
उत्तर:
परियोजना कार्य का अर्थ है-योजना की कार्यप्रणाली। 

प्रश्न 3. 
परियोजना कार्य का उद्देश्य क्या है? 
उत्तर:
शोधकार्य को उपयोगी और रचनात्मक बनाना।

RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 7 परियोजना कार्य के लिए सुझाव 

प्रश्न 4. 
परियोजना कार्य के आयोजन के आरम्भिक दो चरण कौनसे हैं? 
उत्तर:

  1. प्रश्न अथवा समस्या का चुनाव करना 
  2. उपयुक्त शोध प्रणाली का चुनाव करना। 

प्रश्न 5. 
शोध प्रणाली का चयन करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिये? 
उत्तर:
इसका चयन करते समय तकनीकी कसौटियों तथा व्यावहारिकता का ध्यान रखा जाना चाहिये। 

प्रश्न 6. 
परियोजना कार्य के दो लाभ बताइए। 
उत्तर:

  1. व्यावहारिकता 
  2. मनोवैज्ञानिक सन्तुष्टि। 

प्रश्न 7. 
विद्यालय में बालक-बालिकाओं के लिए शोधकार्य करने के लिए दो उपयुक्त पद्धतियों के नाम बताइए। 
उत्तर:

  1. सर्वेक्षण पद्धति 
  2. प्रश्नावली। 

प्रश्न 8. 
साक्षात्कार के कोई दो प्रकार बताइये। 
उत्तर:

  1. संरचित साक्षात्कार, 
  2. असंरचित साक्षात्कार। 

प्रश्न 9. 
प्रेक्षण पद्धति के दो लाभ बताइए। 
उत्तर:

  1. व्यावहारिक अध्ययन, 
  2. अध्ययन कार्य की गहनता।

प्रश्न 10. 
जनसंचार साधनों की बदलती हुई स्थिति पर शोध करने के लिए काम में ली जाने वाली कोई दो विधियों को बताइये।
उत्तर:

  1. ऐतिहासिक पद्धति, 
  2. सर्वेक्षण पद्धति। 

प्रश्न 11. 
छोटी शोध परियोजनाओं से सम्बन्धित कोई दो विषय बताइये। 
उत्तर:

  1. सार्वजनिक परिवहन, 
  2. सामाजिक जीवन में संचार माध्यमों की भूमिका। 

प्रश्न 12. 
शोध प्रश्न का निर्धारण करने के बाद शोधकर्ता का मुख्य काम क्या होता है? 
उत्तर:
उपयुक्त शोध प्रणाली का चयन करना। 

प्रश्न 13. 
संरचित साक्षात्कार में कैसे प्रश्न पूछे जाते हैं? 
उत्तर-पूर्व-निर्धारित। 

प्रश्न 14. 
साक्षात्कार पद्धति का एक लाभ बताइए।
उत्तर:
इस पद्धति में लचीलापन होता है। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
सर्वेक्षण प्रणाली से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
इसके अन्तर्गत सामान्य रूप से निर्धारित प्रश्नों से अपेक्षाकृत बड़ी संख्या में लोगों से प्रश्नों को पूछा जाता है। प्रश्न अन्वेषक के द्वारा व्यक्तिगत रूप से पूछे जा सकते हैं और उत्तरदाता से प्राप्त उत्तरों को अन्वेषक के द्वारा लिख लिया जाता है।

प्रश्न 2. 
प्रश्नावली से क्या तात्पर्य है? 
उत्तर:
प्रश्नावली शोध की वह विधि है जिसे उत्तरदाता के द्वारा भरकर सर्वेक्षणकर्ता को लौटा दिया जाता है। 

प्रश्न 3. 
सर्वेक्षण प्रणाली के दो लाभ बताइए।
उत्तर:

  1. इसके द्वारा एक साथ काफी लोगों के विचारों को जाना जा सकता है। 
  2. इसके परिणाम सम्बन्धित समूह अथवा जनसंख्या के विचारों का सही प्रतिनिधित्व करते हैं।

प्रश्न 4. 
सर्वेक्षण प्रणाली के दो दोष बताइए।
उत्तर:

  1. प्रश्नों को पूछते समय इनमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। 
  2. उत्तरदाता के द्वारा प्रश्नों को ठीक तरीके से नहीं समझ पाने के कारण भ्रामक परिणाम आ सकते हैं।

प्रश्न 5. 
साक्षात्कार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
यह शोध की वह पद्धति है जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्ति आमने-सामने रहकर विचारों और सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।

प्रश्न 6. 
संरचित साक्षात्कार किसे कहते हैं ?
उत्तर:
जब साक्षात्कारकर्ता के द्वारा पूर्व निर्धारित प्रश्नों को पूछा जाता है तो ऐसे साक्षात्कार को संरचित साक्षात्कार कहा जाता है।

प्रश्न 7. 
असंरचित साक्षात्कार किसे कहते हैं?
उत्त:
जहाँ कुछ विषय अथवा प्रकरण ही पूर्व निर्धारित होते हैं और वास्तविक प्रश्न वार्तालाप के दौरान उभरकर सामने आते हैं तो उसे असंरचित साक्षात्कार कहते हैं।

प्रश्न 8. 
अधिक गहन साक्षात्कार किसे कहते हैं ?
उत्तर:
इसमें साक्षात्कार लेने वाला व्यक्ति लम्बे समय तक साक्षात्कार ले सकता है अथवा विस्तृत जानकारी पाने के लिए बार-बार साक्षात्कार भी ले सकता है।

RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 7 परियोजना कार्य के लिए सुझाव

प्रश्न 9. 
कम गहन साक्षात्कार किसे कहते हैं ?
उत्तर:
ऐसे साक्षात्कार कम समय के लिए होते हैं और औपचारिक होते हैं। इन्हीं को कम गहन साक्षात्कार कहा जाता है। 

प्रश्न 10. 
साक्षात्कार के दो लाभ बताइए।
अथवा 
साक्षात्कार के दो गुण बताइए।
उत्तर:

  1. इसमें लचीलेपन का गुण पाया जाता है। 
  2. इसमें सम्बन्धित विषयों पर विस्तार से बातचीत की जा सकती है। 

प्रश्न 11. 
साक्षात्कार, सर्वेक्षण पद्धति से किस प्रकार भिन्न होता है ?
उत्तर:
साक्षात्कार, सर्वेक्षण पद्धति से इस तरह भिन्न होता है कि साक्षात्कार हमेशा व्यक्तिगत रूप से किया जाता है और इस पद्धति में काफी कम लोगों को शामिल किया जाता है।

प्रश्न 12. 
साक्षात्कार पद्धति के दो दोष बताइए। 
उत्तर:

  1. यह व्यक्तियों के एक चयनित समूह के विचारों को ही प्रस्तुत कर सकता है। 
  2. इसमें बहुत ज्यादा लोगों को शामिल नहीं किया जा सकता है। 

प्रश्न 13. 
प्रेक्षण पद्धति से क्या तात्पर्य है? ।
उत्तर:
इसके अन्तर्गत शोधकर्ता को अपने शोधकार्य के लिए निर्धारित परिस्थिति या सन्दर्भ में क्या कुछ हो रहा है, इस पर नजर रखनी पड़ती है और उसका अभिलेख तैयार करना पड़ता है। 

प्रश्न 14. 
प्रेक्षण पद्धति के दो दोष बताइए।
अथवा 
प्रेक्षण पद्धति की कोई दो सीमायें बताइए।
उत्तर:

  1. कौनसी घटना शोधकार्य के लिए प्रासंगिक है अथवा नहीं, यह समस्या आती है। 
  2. शोधकार्य पर बारीकी से नजर रखना आवश्यक होता है।

प्रश्न 15. 
ऐतिहासिक पद्धति किसे कहते हैं ?
उत्तर:
अतीत की घटनाओं के सन्दर्भ में वर्तमान की घटनाओं का अध्ययन करना और प्रामाणिक एवं विश्वसनीय निष्कर्षों को प्राप्त करना ही ऐतिहासिक पद्धति कहलाती है।

प्रश्न 16. 
परियोजना कार्य की आवश्यकता क्यों होती है? उत्तर-निम्न उद्देश्यों से छात्र-छात्राओं के लिए परियोजना कार्य की आवश्यकता होती है

  1. विद्यालय के छात्र-छात्राओं को घिसे-पिटे तरीके से ज्ञान न देकर उन्हें उनकी रुचियों, प्रवृत्तियों और आवश्यकताओं के अनुसार ज्ञान प्रदान करना।
  2. छात्र-छात्राओं में समय और आवश्यकताओं के अनुसार नई सोच और दृष्टिकोण को विकसित करना। 

प्रश्न 17. 
परियोजना कार्य से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
परियोजना कार्य वास्तव में सामाजिक वातावरण में ज्ञान और नवीन अनुभवों को प्राप्त करने का एक समस्यामूलक कार्य है, जिसका मूल उद्देश्य व्यावहारिक स्तर पर ज्ञान को प्राप्त करना है। किलपैट्रिक के अनुसार-"प्रोजेक्ट वह सहृदयपूर्ण कार्य है जो पूर्ण संलग्नता से सामाजिक वातावरण में किया जाता है।"

प्रश्न 18. 
अनुसंधान पद्धति में शोधकर्ता को शोध प्रणाली का चयन करते समय क्या ध्यान में रखना पड़ता है?
उत्तर:
शोधकर्ता को यह ध्यान में रखना पड़ता है कि यह चयन तकनीकी कसौटियों के अनुसार ही नहीं बल्कि व्यावहारिकता को भी ध्यान में रखना पड़ता है। व्यावहारिकता में अनेक बातें शामिल हो सकती हैं, जैसेअनुसंधान के लिए उपलब्ध समय की मात्रा, लोगों एवं सामग्री दोनों के रूप में उपलब्ध संसाधन; वे परिस्थितियाँ जिनमें शोध किया जाना है।

प्रश्न 19. 
सर्वेक्षण और ऐतिहासिक पद्धति में क्या अन्तर है ?
उत्तर:
सर्वेक्षण पद्धति से हमको यह पता चलता है कि आज क्या हो रहा है जबकि ऐतिहासिक पद्धति से हमको यह पता चलता है कि पहले पत्रिकाएँ, समाचार पत्र अथवा टेलीविजन के कार्यक्रम कैसे होते थे। 

प्रश्न 20. 
परियोजना कार्य के तीन लाभ लिखिए।
अथवा 
परियोजना कार्य के कोई तीन गुण बताइए।
उत्तर:

  1. मनोवैज्ञानिक सन्तोष-परियोजना कार्य छात्र-छात्राओं को मानसिक सन्तोष प्रदान करता है क्योंकि इसके द्वारा ज्ञान की प्राप्ति स्वाभाविक वातावरण में की जाती है।
  2. आत्मविकास के अवसर-इससे छात्र-छात्राओं में आत्मनिर्भरता की भावना का विकास होता है।
  3. सामूहिकता की भावना का विकास परियोजना कार्य से छात्र-छात्राओं में सामूहिकता की भावना विकसित होती है। 

प्रश्न 21. 
परियोजना कार्य के तीन दोष बताइए।
अथवा 
परियोजना कार्य की तीन सीमायें बताइए। 
उत्तर:

  1. अधिक अपव्ययी-परियोजना कार्य अधिक अपव्ययी होता है। 
  2. क्रमबद्ध अध्ययन की कमी-क्रमबद्ध जानकारी के अभाव में परियोजना सम्बन्धी कार्य व्यर्थ होता है। 
  3. अनुकूलन की समस्या-परियोजना कार्य के दौरान विद्यालयी वातावरण के अनुकूलन की समस्या आती है। 

प्रश्न 22. 
परियोजना कार्य के चरण बताइए। उत्तर-परियोजना कार्य को कई चरणों से गुजरना होता है:

  1. समस्या का चुनाव करना। 
  2. शोध पद्धति का चुनाव करना। 
  3. समस्या क्षेत्र का चुनाव करना। 
  4. परियोजना कार्य का आयोजन। 
  5. तथ्यों का संकलन। 
  6. तथ्यों का वर्गीकरण और विश्लेषण। 
  7. निष्कर्ष। 
  8. रिपोर्ट अथवा प्रतिवेदन। 

प्रश्न 23. 
शोधकर्ता को शोध पद्धति का चुनाव करते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? 
उत्तर:
शोधकर्ता को शोध पद्धति का चुनाव करते समय निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिये

  1. शोध पद्धति का चयन तकनीकी कसौटियों अर्थात् प्रश्न और पद्धति की संलग्नता को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिये।
  2. शोध पद्धति का चुनाव करते समय व्यावहारिकता को भी ध्यान में रखा जाना चाहिये, जिससे शोधकार्य को सही तरीके से अंजाम दिया जा सके।

प्रश्न 24. 
शोध पद्धति में व्यावहारिकता के अन्तर्गत किन-किन बातों को सम्मिलित किया जाता है? 
उत्तर:

  1. अनुसन्धान के लिए उपलब्ध समय की मात्रा। 
  2. लोगों और सामग्री के रूप में उपलब्ध संसाधन। 
  3. वे परिस्थितियाँ जिनमें शोधकार्य किया जाना है। 
  4. अनुसन्धान कार्य के लिए उपलब्ध श्रम और तकनीक का प्रयोग करना इत्यादि।

प्रश्न 25. 
विद्यालय में छात्र-छात्राओं के बारे में सर्वेक्षण करते समय किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है? कोई तीन कठिनाइयाँ बताइए।
उत्तर:

  1. यदि सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया जाता है तो प्रश्नावली की कितनी ही प्रतियों को तैयार करना पड़ सकता है।
  2. छात्र-छात्राओं को प्रश्नावलियों के वितरण करते समय, श्रम और धन का अधिक प्रयोग भी करना पड़ सकता है।
  3. छात्राओं को प्रश्नावलियों को वितरित करने के लिए अध्यापकों से अनुमति न मिल पाये, जिसके कारण समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

प्रश्न 26. 
सर्वेक्षण प्रणाली से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
सर्वेक्षण प्रणाली के अन्तर्गत सामान्य रूप से निर्धारित प्रश्नों को बड़ी संख्या में लोगों से पूछा जाता है। इन प्रश्नों को अन्वेषक के द्वारा व्यक्तिगत रूप से भी पूछा जा सकता है जहाँ उत्तरदाता के द्वारा प्रश्नों को सुनकर उत्तरों को दिया जाता है। अन्वेषक के द्वारा उन उत्तरों को लिख लिया जाता है।

प्रश्न 27. 
सर्वेक्षण प्रणाली के लाभ बताइए।
अथवा
सर्वेक्षण प्रणाली के गुण बताइए।
उत्तर:
विचारों का सही प्रतिनिधित्व:

  1. सर्वेक्षण प्रणाली के द्वारा जिस सम्बन्धित समूह अथवा जनसंख्या का अध्ययन किया जाता है, इससे प्राप्त परिणाम उसके विचारों का सही प्रतिनिधित्व करते हैं।
  2. यह अधिक लोगों के विचार जानने के लिए उपयुक्त है। 
  3. इसमें उत्तरदाताओं से प्रत्यक्ष में सम्पर्क करना भी आसान हो जाता है। 

प्रश्न 28. 
सर्वेक्षण प्रणाली के दोष बताइए।
अथवा 
सर्वेक्षण प्रणाली की सीमायें बताइए।
उत्तर:

  1. पूर्व निर्धारित प्रश्न-इस प्रणाली के अन्तर्गत सम्बन्धित लोगों से जिन प्रश्नों को पूछा जाना होता है वे पहले से ही बने होते हैं।
  2. फेरबदल सम्भव नहीं-यदि सर्वेक्षणकर्ता को उत्तरदाताओं से पूछे जाने वाले प्रश्नों में समय के अनुसार कोई परिवर्तन करना हो तो परिवर्तन कर पाना सम्भव नहीं होता है।
  3. भ्रामक परिणाम-सूचनादाता की गलत सूचनाएँ भ्रामक परिणाम दे सकती हैं। 

प्रश्न 29. 
साक्षात्कार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
साक्षात्कार विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए साक्षात्कारकर्ता और उत्तरदाताओं के बीच आमनेसामने रहकर किया जाने वाला वार्तालाप होता है। सी.एम. मोजर के अनुसार-"एक सर्वेक्षण साक्षात्कार, साक्षात्कारकर्ता तथा उत्तरदाता के मध्य वार्तालाप है जिसका उद्देश्य उत्तरदाता से निश्चित सूचना प्राप्त करना होता है।"

प्रश्न 30. 
साक्षात्कार की कोई दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:

  1. दो या दो से अधिक व्यक्ति-साक्षात्कार के लिए दो या दो से अधिक व्यक्तियों को किसी निश्चित उद्देश्य से परस्पर वार्ता करनी चाहिये।
  2. प्रत्यक्ष सम्पर्क-साक्षात्कार के लिए दो या दो से अधिक व्यक्तियों को आमने-सामने रहकर सम्पर्क स्थापित करना चाहिये। 

प्रश्न 31. 
साक्षात्कार के तीन लाभ बताइए।
अथवा साक्षात्कार के तीन गुण बताइए। 
उत्तर:

  1. लचीलापन-साक्षात्कार पद्धति में लचीलेपन का गुण पाया जाता है।
  2. प्रश्नों में परिवर्तन सम्भव-साक्षात्कार पद्धति में प्रश्नों में आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है।
  3. उत्तरों को स्पष्ट करना-साक्षात्कार पद्धति में साक्षात्कारकर्ता के द्वारा उत्तरदाताओं से उत्तरों को स्पष्ट करने को कहा जा सकता है। 

प्रश्न 32. 
साक्षात्कार के तीन दोष बताइए।
अथवा 
साक्षात्कार की कोई तीन सीमायें बताइए।
उत्तर:

  1. अधिक लोगों को शामिल नहीं करना-साक्षात्कार के अन्तर्गत अधिक लोगों को शामिल नहीं किया जा सकता है।
  2. चयनित समूह के विचारों का प्रस्तुतीकरण-इसके द्वारा चयनित समूह के विचारों को ही प्रस्तुत किया जा सकता है।
  3. मौखिक प्रस्तुति-इसमें मौखिक प्रस्तुति की स्थिति में विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है। 

प्रश्न 33. 
संरचित साक्षात्कार किसे कहते हैं ?
उत्तर:
संरचित साक्षात्कार, साक्षात्कार की ऐसी प्रविधि है जिसमें पहले से निर्धारित प्रश्नों की सूची की सहायता से उत्तरदाताओं से सम्पर्क स्थापित करके उनका साक्षात्कार लिया जाता है और प्राप्त उत्तरों को उसी समय लिख लिया जाता है। इस प्रकार के साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता को अनुसूची के अलावा अन्य किसी भी प्रकार के प्रश्नों को पूछने की स्वतंत्रता नहीं होती है।

प्रश्न 34. 
असंरचित साक्षात्कार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
इसमें साक्षात्कारकर्ता उत्तरदाताओं से विभिन्न प्रकार के प्रश्नों को पूछने के लिए स्वतंत्र होता है। इस प्रकार के साक्षात्कार में प्रश्न करने का तरीका, प्रश्नों की क्रमबद्धता तथा साक्षात्कार की प्रक्रिया सभी असंरचित और अनिश्चित होते हैं। आवश्यकता और परिस्थितियों के अनुसार इसमें परिवर्तन किये जा सकते हैं।

RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 7 परियोजना कार्य के लिए सुझाव

प्रश्न 35. 
संरचित और असंरचित साक्षात्कार में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:

  1. रचना के आधार पर: संरचित साक्षात्कार पूर्व निर्धारित होते हैं, जबकि असंरचित साक्षात्कार में पूर्व में कोई सूची नहीं होती है।
  2. नियंत्रण की दृष्टि से: संरचित साक्षात्कार में अनुसूची का नियंत्रण होता है, जबकि असंरचित साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता पर ऐसा कोई भी नियंत्रण नहीं होता है।

प्रश्न 36. 
प्रेक्षण पद्धति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
प्रेक्षण पद्धति के अन्तर्गत शोधकर्ता को अपने शोधकार्य के लिए निर्धारित परिस्थिति अथवा सन्दर्भ में क्या कुछ हो रहा है, इस पर बारीकी से नजर रखनी पड़ती है और उसका अभिलेख रखना पड़ता है। यह कार्य चाहे ऊपरी तौर पर आसान दिखाई देता हो परन्तु वास्तव में यह काफी कठिन होता है। इसके लिए प्रेक्षणकर्ता को जागरूक और सावधान रहना आवश्यक होता है।

प्रश्न 37. 
प्रेक्षण पद्धति में कौन - कौनसी कठिनाइयाँ आती हैं? उत्तर-प्रेक्षण पद्धति में निम्नलिखित कठिनाइयाँ आती हैं:

  1. शोधकार्य का अभिलेख रखना पड़ता है जो कि आसान कार्य नहीं होता है।
  2. शोधकार्य के लिए प्रासंगिक और अप्रासंगिक घटनाओं पर सावधानीपूर्वक नजर रखनी पड़ती है।
  3. कभी-कभी जो घटित नहीं हो रहा है, वह भी दिलचस्प और महत्त्वपूर्ण होता है। 

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. 
परियोजना कार्य से आप क्या समझते हैं? इसके गुण और दोषों पर प्रकाश डालिए।
अथवा 
परियोजना कार्य क्या है? इसकी आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर:
परियोजना कार्य का अर्थ-परियोजना कार्य वास्तव में सामाजिक वातावरण में ज्ञान और नवीन अनुभवों को प्राप्त करने का एक समस्यामूलक कार्य है, जिसका मूल उद्देश्य व्यावहारिक स्तर पर ज्ञान को प्राप्त करना है। किलपैट्रिक के अनुसार-"प्रोजेक्ट वह सहृदयपूर्ण कार्य है जो पूर्ण संलग्नता से सामाजिक वातावरण में किया जाता है।"

परियोजना कार्य के गुण-परियोजना कार्य के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं:

  1. मानसिक सन्तोष-परियोजना कार्य छात्र-छात्राओं को मानसिक सन्तोष प्रदान करता है क्योंकि इसके द्वारा ज्ञान की प्राप्ति छात्र-छात्राओं की अपनी रुचि और स्वाभाविक वातावरण में की जाती है।
  2. आत्मविकास के अवसर-इससे छात्र-छात्राओं में आत्मनिर्भरता की भावना का विकास होता है।
  3. सामूहिकता की भावना का विकास-परियोजना कार्य से छात्र-छात्राओं में सामूहिकता की भावना विकसित होती है।
  4. चरित्र का विकास-परियोजना कार्य से छात्र-छात्राओं में परस्पर सहयोग, आत्मीयता और स्वच्छ प्रतिस्पर्धा के गुणों का विकास होता है।
  5. आत्मविकास-परियोजना कार्य छात्र-छात्राओं में आत्मविश्वास का विकास करता है। 

परियोजना कार्य के दोष-इसके प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं:

  1. अधिक अपव्ययी-परियोजना कार्य अधिक अपव्ययी होता है, क्योंकि इसके लिए अधिक धन की आवश्यकता होती है।
  2. क्रमबद्ध अध्ययन की कमी-जब तक छात्र-छात्राओं को विषय की पूरी और क्रमबद्ध जानकारी नहीं होती है तब तक परियोजना सम्बन्धी कार्य व्यर्थ होता है।
  3. अनुकूलन की समस्या-परियोजना कार्य के दौरान एक समस्या यह आती है कि विद्यालय का वातावरण परियोजना के कार्य के अनुरूप है अथवा नहीं।
  4. उचित परियोजना कार्य को ढूंढ़ने में कठिनाई-कई बार छात्र-छात्राओं को उचित परियोजना कार्य को ढूँढ़ने में कठिनाई का सामना भी करना पड़ता है।

परियोजना कार्य की आवश्यकता-निम्न उद्देश्यों से छात्र-छात्राओं के लिए परियोजना कार्य की आवश्यकता होती है:

  1. विद्यालय के छात्र-छात्राओं को घिसे-पिटे तरीके से ज्ञान न देकर उन्हें उनकी रुचियों, प्रवृत्तियों और आवश्यकताओं के अनुसार ज्ञान प्रदान करना।
  2. छात्र-छात्राओं में समय और आवश्यकताओं के अनुसार नई सोच और दृष्टिकोण को विकसित करना। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि परियोजना कार्य छात्र-छात्राओं के लिए काफी उपयोगी होता है।

प्रश्न 2. 
सर्वेक्षण पद्धति के माध्यम से अनुसंधान करते समय आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों को उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर:
सर्वेक्षण प्रणाली के अन्तर्गत हमें किसी का विचार जानने के लिए प्रश्नावली तैयार करनी पड़ती है। उदाहरण के लिए, हमें सह-शिक्षा और बालक/बालिका वाले विद्यालयों में यह अवलोकन करना है कि वहाँ के छात्र कैसा व्यवहार करते हैं। सर्वेक्षण प्रणाली के माध्यम से इस बात का अवलोकन करने के लिए एक प्रश्नावली तैयार करनी होगी। इसके बाद आप अपनी प्रश्नावली प्रत्येक प्रकार के विद्यालय में समान संख्या में छात्रों को वितरित कर देंगे। तत्पश्चात् आप छात्रों से भरी हुई प्रश्नावलियों को इकट्ठा करके उनके परिणामों का विश्लेषण करेंगे। यहाँ कुछ व्यावहारिक कठिनाइयों के उदाहरण दिए गए हैं जो इस तरह का अनुसंधान करते समय शायद आपके समक्ष आ सकती हैं। मान लीजिए कि आप सर्वेक्षण करने का निर्णय लेते हैं। आपको सर्वप्रथम प्रश्नावली की बहुत सारी प्रतियाँ तैयार करनी होंगी। इस कार्य में समय, प्रयत्न और पैसा लगता है। इसके बाद, आपको छात्रों को उनकी कक्षाओं में प्रश्नावली वितरित करने के लिए अध्यापकों से अनुमति भी लेनी होगी। हो सकता है कि आपको पहली बार में यह अनुमति न मिले या यह कह दिया जाए कि बाद में आना।

प्रश्नावली वितरण के बाद, यह स्थिति आ सकती है कि जिन छात्रों को आपने प्रश्नावली दी थी, उनमें से बहुतों ने तो उसे भरकर लौटाने का कष्ट ही न किया हो अथवा सब प्रश्नों के उत्तर न दिए हों; इसी तरह की और भी कई समस्याएँ खड़ी हो सकती हैं। तब आपको यह निर्णय लेना होगा कि ऐसी समस्याओं से कैसे निपटा जाए; क्या आधे-अधूरे उत्तर देने वाले उत्तरदाताओं के पास जाकर यह कहा जाए कि वे अपनी प्रश्नावली को पूरी तरह भरें; अथवा अपूर्ण प्रश्नावलियों को एक तरफ छोड़कर ठीक से भरी गई प्रश्नावलियों पर ही विचार करें; पूरे दिए गए उत्तरों के आधार पर ही अपना निर्णय ले लें; इत्यादि । शोध कार्य के दौरान आपको ऐसी व्यावहारिक समस्याओं से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।

RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 7 परियोजना कार्य के लिए सुझाव

प्रश्न 3. 
परियोजना कार्य के विभिन्न चरण कौन-कौन से हैं? एक शोधकर्ता को शोधकार्य में किनकिन बातों का ध्यान रखना चाहिये?
उत्तर:
परियोजना कार्य को निम्नलिखित प्रमुख चरणों से गुजरना होता है:

  1. समस्या का चुनाव करना-परियोजना कार्य का आरम्भ करने से पहले प्रश्न अथवा समस्या का चुनाव करना पड़ता है। समस्या ऐसी होनी चाहिये जिसके बारे में अध्ययनकर्ता को पर्याप्त जानकारी हो और जिसके बारे में पर्याप्त सूचनायें प्राप्त हो सकें।
  2. शोध पद्धति का चुनाव करना-समस्या का चुनाव हो जाने के बाद शोध पद्धति का चुनाव किया जाता है। शोध पद्धति ऐसी होनी चाहिये जो कि अध्ययनकर्ता के संसाधनों के अनुरूप हो और जिसके द्वारा अध्ययन-कार्य को सुचारु तरीके से किया जा सके।
  3. समस्या क्षेत्र का चुनाव करना-इसके अन्तर्गत उस क्षेत्र का चुनाव किया जाता है जहाँ पर परियोजना का कार्य करना होता है। इस क्षेत्र के बारे में अध्ययनकर्ता को पर्याप्त जानकारी होनी चाहिये।
  4. परियोजना कार्य का आयोजन-इसके लिए अध्ययनकर्ता के द्वारा एक टीम का चुनाव किया जाता है और उसे परियोजना कार्य के लिए उचित तरीके से प्रशिक्षित किया जाता है। समय और साधनों के अनुसार परियोजना कार्य को किया जाता है।
  5. तथ्यों का संकलन-इसके अन्तर्गत सम्बन्धित क्षेत्र में समस्या से संबंधित विभिन्न विश्वसनीय तथा प्रामाणिक तथ्यों का संकलन किया जाता है।
  6. तथ्यों का वर्गीकरण और विश्लेषण-इसके अन्तर्गत तथ्यों को समान आधारों पर वर्गीकृत किया जाता है। तथ्यों को इसके बाद विश्लेषित किया जाता है।
  7. निष्कर्ष-अन्त में प्राप्त तथ्यों के आधार पर समस्या के बारे में निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
  8. रिपोर्ट अथवा प्रतिवेदन-इसके अन्तर्गत अध्ययनकर्ता के द्वारा परियोजना कार्य की अपनी रिपोर्ट को प्रस्तुत किया जाता है। रिपोर्ट न तो बहुत बड़ी और न ही बहुत संक्षिप्त होनी चाहिये।
  9. सुझाव-इसमें पाठकों के सुझावों को आमंत्रित किया जाता है। 

शोधकार्य के लिए ध्यान देने योग्य बातें-शोधकर्ता को शोध कार्य के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिये:

  1. शोध पद्धति का चयन तकनीकी कसौटियों अर्थात् प्रश्न और पद्धति की संलग्नता को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिये।
  2. शोध पद्धति का चुनाव करते समय व्यावहारिकता, जैसे-समय, संसाधन, परिस्थितियाँ, तकनीकें आदि को भी ध्यान में रखा जाना चाहिये। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि परियोजना कार्य के कई चरण होते हैं और शोधकार्य के लिए शोधकर्ता को कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है।

प्रश्न 4. 
सर्वेक्षण प्रणाली का अर्थ बताते हुए इसके गुण और दोष बताइए।
अथवा 
सर्वेक्षण प्रणाली क्या है? इसके लाभ और सीमायें बताइए।
उत्तर:
सर्वेक्षण प्रणाली का अर्थ-सर्वेक्षण प्रणाली के अन्तर्गत सामान्य रूप से निर्धारित प्रश्नों को बड़ी संख्या में लोगों से पूछा जाता है। इन प्रश्नों को अन्वेषक के द्वारा व्यक्तिगत रूप से भी पूछा जा सकता है जहाँ उत्तरदाता के द्वारा प्रश्नों को सुनकर उत्तरों को दिया जाता है। अन्वेषक के द्वारा उन उत्तरों को लिख लिया जाता है। ऐसा भी हो सकता है कि प्रश्नावली उत्तरदाताओं को सौंप दी जाती है और उत्तरदाताओं के द्वारा उन प्रश्नावलियों को भरकर अन्वेषक को वापस लौटा दिया जाता है।

सर्वेक्षण प्रणाली के गुण-सर्वेक्षण प्रणाली के निम्नलिखित गुण हैं:

  1. विचारों का सही प्रतिनिधित्व-सर्वेक्षण प्रणाली के द्वारा जिस सम्बन्धित समूह अथवा जनसंख्या का अध्ययन किया जाता है, इससे प्राप्त परिणाम उसके विचारों का सही प्रतिनिधित्व करते हैं।
  2. अधिक लोगों के विचार जानने के लिए उपयुक्त-सर्वेक्षण प्रणाली के द्वारा अधिक से अधिक लोगों के विचारों को जाना जा सकता है।
  3. प्रत्यक्ष सम्पर्क-सर्वेक्षण प्रणाली के द्वारा जिन लोगों का अध्ययन किया जाता है, उनसे प्रत्यक्ष में सम्पर्क करना भी आसान हो जाता है। प्रत्यक्ष सम्पर्क के परिणामस्वरूप घटनाओं के बारे में अधिक से अधिक जानना आसान हो जाता है।

सर्वेक्षण प्रणाली के दोष-सर्वेक्षण प्रणाली के अग्रलिखित दोष हैं:

1. पूर्व निर्धारित प्रश्न-इस प्रणाली के अन्तर्गत प्रश्न पहले से ही बने होते हैं।

2. फेरबदल सम्भव नहीं-यदि सर्वेक्षणकर्ता को उत्तरदाताओं से पूछे जाने वाले प्रश्नों में समय के अनुसार कोई परिवर्तन करना हो तो परिवर्तन कर पाना सम्भव नहीं होता है। ऐसी स्थिति में सर्वेक्षण की विधि शोधकार्य के लिए अनुपयुक्त हो जाती है।

3. भ्रामक परिणाम-प्रश्नों को पूछने के दौरान यदि उत्तरदाता प्रश्नों को सही तरीके से नहीं समझ पाते अथवा उनके द्वारा गलत उत्तर दिये जाते हैं तो भ्रामक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि शोधकार्य के लिए सर्वेक्षण की विधि काफी उपयोगी है फिर भी इसके दोषों से इन्कार नहीं किया जा सकता है। 

RBSE Solutions for Class 12 Sociology Chapter 7 परियोजना कार्य के लिए सुझाव

प्रश्न 5. 
साक्षात्कार का अर्थ बताते हुए इसके गुण और दोषों पर प्रकाश डालिए।
अथवा 
साक्षात्कार का अर्थ बताते हुए इसकी प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
साक्षात्कार विशिष्ट उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए साक्षात्कारकर्ता और उत्तरदाताओं के बीच आमनेसामने रहकर किया जाने वाला वार्तालाप होता है। इसके अन्तर्गत साक्षात्कारकर्ता के द्वारा उत्तरदाता से प्रश्नों को पूछा जाता है और उत्तरदाता के द्वारा साक्षात्कारकर्ता को प्रश्नों के उत्तर दिये जाते हैं। एम.एन. बसु के अनुसार-"साक्षात्कार व्यक्तियों को एक-दूसरे के आमने-सामने किसी विशेष विषय पर वार्तालाप के लिए सम्मिलन होना है।"

साक्षात्कार की विशेषताएँ-साक्षात्कार की निम्न विशेषताएँ हैं:

  1. दो या दो से अधिक व्यक्ति-साक्षात्कार के लिए दो या दो से अधिक व्यक्तियों का होना आवश्यक
  2. प्रत्यक्ष सम्पर्क-साक्षात्कार के लिए दो या दो से अधिक व्यक्तियों को आमने-सामने रहकर सम्पर्क स्थापित करना चाहिये।
  3. विशिष्ट उद्देश्य-साक्षात्कार के लिए जिन दो या दो से अधिक व्यक्तियों में परस्पर वार्ता हो उनका निश्चित उद्देश्य होना चाहिये।

साक्षात्कार के गुण-साक्षात्कार के निम्न गुण हैं:

  1. लचीलापन-साक्षात्कार पद्धति में लचीलेपन का गुण पाया जाता है।
  2. प्रश्नों में परिवर्तन सम्भव-साक्षात्कार पद्धति में प्रश्नों में आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है।
  3. उत्तरों को स्पष्ट करना-साक्षात्कार पद्धति में साक्षात्कारकर्ता के द्वारा उत्तरदाताओं से उत्तरों को स्पष्ट करने को कहा जा सकता है।

साक्षात्कार के दोष-साक्षात्कार के निम्न दोष हैं:

  1. अधिक लोगों को शामिल नहीं करना-साक्षात्कार के अन्तर्गत अधिक लोगों को शामिल नहीं किया जा सकता है।
  2. चयनित समूह के विचारों का प्रस्तुतीकरण-इसके द्वारा चयनित समूह के विचारों को ही प्रस्तुत किया जा सकता है।
  3. मौखिक प्रस्तुति-मौखिक प्रस्तुति के कारण साक्षात्कार में विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है। 

प्रश्न 6. 
संरचित और असंरचित साक्षात्कार को स्पष्ट करते हुए दोनों में अन्तर बताइए।
उत्तर:
संरचित साक्षात्कार:
यह साक्षात्कार की ऐसी प्रविधि है जिसमें पहले ये निर्धारित प्रश्नों की सूची की सहायता से उत्तरदाताओं से सम्पर्क स्थापित करके उनका साक्षात्कार लिया जाता है और प्राप्त उत्तरों को उसी समय लिख लिया जाता है। इस प्रकार के साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता के ऊपर विशेष नियंत्रण होता है। उसे अनुसूची के अलावा अन्य किसी भी प्रकार के प्रश्नों को पूछने की स्वतंत्रता नहीं होती है। असंरचित साक्षात्कार - इसमें साक्षात्कारकर्ता उत्तरदाताओं से विभिन्न प्रकार के प्रश्नों को पूछने के लिए स्वतंत्र होता है। इसीलिये इसे अनियंत्रित अथवा अनौपचारिक साक्षात्कार भी कहा जाता है। इसमें साक्षात्कारकर्ता बिना किसी अनुसूची की सहायता से उत्तरदाताओं से कुछ मुख्य प्रश्नों को पूछता है और उत्तरदाताओं के द्वारा स्वतंत्रता से उन प्रश्नों का उत्तर दिया जाता है। इस प्रकार के साक्षात्कार में प्रश्न करने का तरीका, प्रश्नों की क्रमबद्धता तथा साक्षात्कार की प्रक्रिया सभी असंरचित और अनिश्चित होते हैं।

संरचित और असंरचित साक्षात्कार में अन्तर – संरचित और असंरचित साक्षात्कार में निम्न अन्तर हैं:

  1. रचना के आधार पर-संरचित साक्षात्कार पूर्व निर्धारित होते हैं। अतः इसमें अनुसूची के प्रश्नों को ही पूछा जा सकता है, जबकि असंरचित साक्षात्कार में पूर्व में कोई सूची नहीं होती है। अतः सुविधानुसार प्रश्नों को पूछा जा सकता है।
  2. नियंत्रण की दृष्टि से-संरचित साक्षात्कार में अनुसूची का नियंत्रण होता है, जबकि असंरचित साक्षात्कार में साक्षात्कारकर्ता पर ऐसा कोई भी नियंत्रण नहीं होता है।
  3. लचीलेपन के आधार पर-संरचित साक्षात्कार में समय के अनुसार प्रश्नों में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है परन्तु असंरचित साक्षात्कार में समय और परिस्थितियों के अनुसार प्रश्नों में परिवर्तन किये जा सकते हैं।
  4. उत्तरदाताओं में अन्तर-संरचित साक्षात्कार में उत्तरदाताओं को निश्चित सीमा में रहकर उत्तर देने होते हैं परन्तु असंरचित साक्षात्कार में उत्तरदाताओं पर कोई नियंत्रण नहीं होता है।
Prasanna
Last Updated on June 14, 2022, 3:41 p.m.
Published June 13, 2022